\v 33 भ्रममे मत पणओ । खराब सङ्गत अच्छो चरित्रके नष्ट करत हए । \v 34 होशमे होबौ, अब पाप मत करौ । काहेकी कित्तोके त परमेश्वरको ज्ञान ना हए । तुमके सरमबान ताँहि मए जा कहो हौ ।