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\v 26 भैया तुमसे, अब हम का कहँएँ? तुम एक ठिन इकठ्ठा होत सबएसंग भजन और शिक्षा, प्रकाश, दुस्रो भाषा और अर्थ बातनको काम होत हए । जा सब बात आत्मिक वृध्दिके ताँहि हए । \v 27 कोइ अन्य भाषा बोलत हए तव दुई जनै इकल्लो ज़द्धामे तिन जनै पालो पालोसंग बोलए और एक जनै बाको अर्थ खोलाए । \v 28 अर्थ खोलनबारो हुवाँ कोइ नैयाँ तव बोलनबारो मण्डलीके सभामे चूप रहए, और बो अपनएसंग और परमेश्वरसंग बोलए ।