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\v 4 प्रेम सहनशीलता और दयालु हए । प्रेम हिर्स ना करत हए, ना शेखी करत हए । \v 5 प्रेम हठी ना होतहए, ना ढीट होतहए, प्रेम अपनो बातमे जिद्दी ना करत हए, बबाल ना मनत हए, खराबीको हिसाब ना धरत हए । \v 6 प्रेम खराबीमे खुशी ना होत हए, पर ठीक बातमे रमातहए । \v 7 प्रेम सब बात सहत हए, सब बातको पतियात हए, सब बातमे आशा धरत हए, सब बातमे स्थिर रहत हए ।