thr_1co_text_reg/06/18.txt

1 line
353 B
Plaintext

\v 18 व्यभिचारसे अलग बैठऔ । और जौन फिर पाप बो आदमी कहतहए, बो शरीरसे बाहिर होतहए, पर व्यभिचार करनबाले आदमी अपन शरीरके विरुध्दमे पाप करतहँए ।