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\v 4 अइसो लडाइतुमरमे नैयाँ कहेसे, बे लडाइ काहे बे आदमीके अग्गु धरतहौ,जौन आदमी मण्डली के कोई मोलको ना मानत हँए? \v 5 तुमके शर्ममे पड्न मए जा कहतहौ । अपन ददाभैयनके बीचमे लडाइ मिलान सिकानबालो बुध्दीमान आदमी को नेहत्व तुममे कोई ना पए हौ ? \v 6 पर एक भैया दुसरो भैयाके विरुध्दमे अदालतमे जए हए , बो फिर अविश्वासीके सामने मुद्धा धरत हए।