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\v 29 भैया हो, मेरो कहाईको बात जहे हए, कि समय थोरी हए, और अब उप्रन्त बैयर होनबारी बैयर नभौजैसो रहए । \v 30 शोक करनबारो शोक नकरोजैसो और हर्ष मनान् बारो हर्ष नाए मनान् जैसो हुइके रहबए । किनमोल करनबारो अपनसंग कुछु चीज नभवजैसो रहबए । \v 31 और बे जौन संसारके चीज उपभोग करतहए, बिनमे अपनो कोई चासो ना भव जैसो करए, काहेकी संसार वर्तमानको रुप बितके जात हए ।
\v 29 भैया हो, मेरो कहाईको बात जहे हए, कि समय थोरी हए, और अब उप्रन्त बैयर होनबारी बैयर नभौजैसो रहए । \v 30 शोक करनबारो शोक नकरोजैसो और हर्ष मनान् बारो हर्ष नाए मनान् जैसो हुइके रहबए । किनमोल करनबारो अपनसंग कुछु चीज नभवजैसो रहबए । \v 31 और बे जौन संसारके चीज उपभोग करतहए, बिनमे अपनो कोई चासो ना भव जैसो करए, काहेकी संसार वर्तमानको रुप बितके जात हए ।

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\v 32 32 तुम सब निष्फिक्री होबौ कहिके मए चहत हौ| विहा नभव आदमी प्रभुके कैसे खुशी बनैहए कहिके प्रभुके बातके बारेमे फिक्री करत हए, \v 33 33 पर विहा भव आदमी बैयरके कैसे खुशी करओ कहिके संसारको बातमे फिक्री करत हौ| \v 34 34 अइसो आदमीके मन दुईघेन लागो होतहए| विहा नभव बैयरकी शरीर और आत्मा दुनेमे कैसे पवित्र रहओ कहिके प्रभुके बातके बारेमे फिक्री करत हए| पर विहा भ चाँहि कैसे अपन लोगाके खुशी रखामओं कहिके संसारके बातके फिक्री करत हए|
\v 32 तुम सब निष्फिक्री होबौ कहिके मए चहत हौ| विहा नभव आदमी प्रभुके कैसे खुशी बनैहए कहिके प्रभुके बातके बारेमे फिक्री करत हए, \v 33 पर विहा भौ आदमी बैयरके कैसे खुशी करओ कहिके संसारको बातमे फिक्री करत हौ । \v 34 अइसो आदमीके मन दुईघेन लागो होतहए| विहा नभव बैयरकी शरीर और आत्मा दुनेमे कैसे पवित्र रहओ कहिके प्रभुके बातके बारेमे फिक्री करत हए| पर विहा भ चाँहि कैसे अपन लोगाके खुशी रखामओं कहिके संसारके बातके फिक्री करत हए|

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