Fri Jul 28 2023 21:48:21 GMT+0545 (Nepal Time)
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34ffe1aa00
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ddcf000a9a
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\v 7 तहु फिर सब आदमीमे त जा ज्ञान ना होत हए । पर गजब आदमी पहिले मूर्तिपूजा करत रहँए और बे जा खानबारो चिज मूर्तिको चढो, कि बे अइसो खानु खात नेहत्व मूर्तिके चढाव मानत हँए, और बिनको विवेक दुर्वल भव हए जहेमारे अशुध्द होत हँए ।
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\v 7 तहु फिर सब आदमीमे त जा ज्ञान ना होत हए । पर गजब आदमी पहिले मूर्तिपूजा करत रहँए और बे जा खानबारो चिज मूर्तिको चढोहए कहिके खातरहँएँ । और बिनको विवेक दुर्वल भौ हए जहेमारे अशुध्द होत हँए ।
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\v 8 8 पर खान बारी चिज हमके परमेश्वरकी नजरमे जद्धा ग्रहण योग्य ना बनत हए| ना खएहए कुछ तव खराबी ना हुइहए और खएहे त कुछ फाइदा ना हुइहए| \v 9 9 पर होशियार होबओ, तुमर जा स्वतन्त्रता दुर्वलके ताहिँ ठोकरको कारन ना बनए| \v 10 10 काहेकी कोई दुर्वल दिमाक भव आदमी तए ज्ञान भव आदमीके मूर्तिके मन्दिरमे खान बैठो देखि कहेसे, मूर्तिके चढओ खानबारी चिज खानके का बा हिम्मत ना करहए?
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\v 8 पर खान बारी चिज हमके परमेश्वरकी नजरमे जद्धा ग्रहण योग्य ना बनत हए । ना खएहए कुछ तव खराबी ना हुइहए और खएहे त कुछ फाइदा ना हुइहए । \v 9 पर होशियार होबओ, तुमर जा स्वतन्त्रता दुर्वलके ताहिँ ठोकरको कारन ना बनए । \v 10 काहेकी कोई दुर्वल दिमाक भव आदमी तए ज्ञान भव आदमीके मूर्तिके मन्दिरमे खान बैठो देखि कहेसे, मूर्तिके चढओ खानबारी चिज खानके का बा हिम्मत ना करहए?
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"07-39",
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"08-01",
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"08-04",
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"08-07",
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"09-title",
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"10-title",
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