From c8cdf561b1a56ae4618ca163bcecbee1feee3787 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Thu, 18 May 2023 23:08:25 +0545 Subject: [PATCH] Thu May 18 2023 23:08:25 GMT+0545 (Nepal Time) --- 15/27.txt | 1 + 15/29.txt | 1 + 15/31.txt | 1 + 15/33.txt | 1 + 15/35.txt | 1 + 15/37.txt | 1 + 6 files changed, 6 insertions(+) create mode 100644 15/27.txt create mode 100644 15/29.txt create mode 100644 15/31.txt create mode 100644 15/33.txt create mode 100644 15/35.txt create mode 100644 15/37.txt diff --git a/15/27.txt b/15/27.txt new file mode 100644 index 0000000..4b3acfe --- /dev/null +++ b/15/27.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 27 \v 28 27 "काहेकी परमेश्वर सबै बात बाके पाउतरे अधिनमे धरीहए|” पर जा त स्पष्ट हए, कि ""सबै बात बाके अधिनमे धरीहए"" जहेमारे परमेश्वर अपनए जा अधिनमे नाएहए, जो सब बात ख्रीष्टको अधिनमे धरदै हए| " 28 जब सब बात बाके अधिनमे लातहए, तव स्वयम पुत्र बाको अधिनमे होतहए, जो सब चिज बाके अधिनमे धरत हए, ताकि परमेश्वर नाए सब चिज सर्वेसर्वा होबए \ No newline at end of file diff --git a/15/29.txt b/15/29.txt new file mode 100644 index 0000000..611fea6 --- /dev/null +++ b/15/29.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 29 \v 30 29 नत मरेभएके ताहि बप्तिस्मा लाओको अर्थ का भव? मरेभए जिन्दा नाए हुईके फिर त बिनके ताहि आदमी काहे बप्तिस्मा लेतहए? 30 मए काहे हरघड़ी जोखिममे पणतहओ| \ No newline at end of file diff --git a/15/31.txt b/15/31.txt new file mode 100644 index 0000000..e1101c6 --- /dev/null +++ b/15/31.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 31 \v 32 31 भैया तुम, हमर प्रभु येशूमे तुमर करन मए गर्व करत हौ, और मए कहन सिक्त हौ, कि प्रत्येक दिन मए मरत हौ| 32 आदमीको बात करन हए कहेसे, एफिससमे जङ्गली जनावरसंग मिर लड़ाईके मोके का फाइदा भव? मरोभव जिन्दा नाए हुईतो तव, “हम खामै और पितए, काहेकी कल त हम मरजए हए|” \ No newline at end of file diff --git a/15/33.txt b/15/33.txt new file mode 100644 index 0000000..c675b41 --- /dev/null +++ b/15/33.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 33 \v 34 33 भ्रममे मत पणओ| खराब सङ्गतसे अच्छो चरित्रके नष्ट करत हए| 34 होशमे होबौ, अब पाप मत करौ| काहेकी कित्तोके त परमेश्वरको ज्ञान नैयाँ| तुमके लाजमे पारन मए जा कहो हौ \ No newline at end of file diff --git a/15/35.txt b/15/35.txt new file mode 100644 index 0000000..f6edc46 --- /dev/null +++ b/15/35.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 35 \v 36 35 "पर कोइ पुछैगो ""मरो भव कैसे जिन्दा होत हए, और बे कैसो प्रकारको शरीर लैके आतहए?” " 36 ए मूर्ख! जो तुम लगातहौ बो ना मरके सजीव नाए होत हए| \ No newline at end of file diff --git a/15/37.txt b/15/37.txt new file mode 100644 index 0000000..485a798 --- /dev/null +++ b/15/37.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 37 \v 38 \v 39 37 जो तुम लगात हौ बो चाहिँ पच्छु होनबारी शरीर नैयाँ, पर बीज इकल्लो लगात हौ, चाहे बो गेहूँ, अथवा और कोइ किसिमको अन्न होबए| 38 पर अपनके खुशी लागोजैसो परमेश्वर बोके एक शरीर देतहए, और हरेक किसिमको बीजके बहेको शरीर देतहए| 39 सबै शरीर एक किसिमको नाए होत हए| आदमीको शरीर एक किसिमको, और जीवजन्तुको दुसरो किसिमको, चिरैयाको औरे किसिमको, और मछ्रीको औरे किसिमको शरीर हए| \ No newline at end of file