From c0a51d3a517078d21b8fe1f465051b1ccc0e7bc9 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Thu, 18 May 2023 23:10:25 +0545 Subject: [PATCH] Thu May 18 2023 23:10:25 GMT+0545 (Nepal Time) --- 15/40.txt | 1 + 15/42.txt | 1 + 15/45.txt | 1 + 15/47.txt | 1 + 15/50.txt | 1 + 15/52.txt | 1 + 15/54.txt | 1 + 7 files changed, 7 insertions(+) create mode 100644 15/40.txt create mode 100644 15/42.txt create mode 100644 15/45.txt create mode 100644 15/47.txt create mode 100644 15/50.txt create mode 100644 15/52.txt create mode 100644 15/54.txt diff --git a/15/40.txt b/15/40.txt new file mode 100644 index 0000000..168ea9c --- /dev/null +++ b/15/40.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 40 \v 41 40 तव शरीर फिर स्वर्गीय और मट्टीको होत हए| स्वर्गीय शरीरको तेज एक किसिमको हए, और मट्टीको शरीरको तेज औरे किसिमको होतहए| 41 दिनको तेज एक किसिमको, जोनीको तेज दुसरे किसिमको, और ताराको तेज औरे किसिमको होत हए| काहेकी एक तारा औरो तारा से फरक तेजको होत हए| \ No newline at end of file diff --git a/15/42.txt b/15/42.txt new file mode 100644 index 0000000..bc0f8af --- /dev/null +++ b/15/42.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 42 \v 43 \v 44 42 मरके पुनरुत्थान फिर अइसी हए| जौन शरीर विनाशमे गणत हए| बो अविनाशीमे जिन्दा होत हए| 43 अनादरमे बो गणत हए, महीमामे बो जिन्दा होत हए| दुर्बलतामे बो गणत हए,शक्तिमे बो जिन्दा होतहए| 44 प्राकृतिक शरीरमे बो गणत हए, आत्मिक शरीरमे बो जिन्दा होतहए| प्राकृतिक शरीर हए कहेसे आत्मिक शरीर फिर अवश्यक हए \ No newline at end of file diff --git a/15/45.txt b/15/45.txt new file mode 100644 index 0000000..46dc872 --- /dev/null +++ b/15/45.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 45 \v 46 45 जहेमारे अइसो लिखो हए, “पहिलो आदमी आदम जीवित प्राणी भव|” अन्तिमे आदम जीवन देनबारो आत्मा भव| 46 पहिलो आत्मिक नैयाँ, पर प्राकृतिक हए, और पिच्छुबारो आत्मिक रहए| \ No newline at end of file diff --git a/15/47.txt b/15/47.txt new file mode 100644 index 0000000..b93365c --- /dev/null +++ b/15/47.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 47 \v 48 \v 49 47 पहिलो आदमी मट्टीसे बानो रहए, पृथ्वीसे हए| दुसरो आदमी स्वर्गको हए| 48 मट्टीसे बानो आदमीजैसो रहए, मट्टीसे बने फिर अइसी होतहए, और स्वर्गीय आदमी जैसे हए, स्वर्गके फिर अइसी होतहए| 49 जैसी हम मट्टीको आदमीको रूप धारन करेहए| अइसी स्वर्गके आदमीके रुप धारण कर हए| \ No newline at end of file diff --git a/15/50.txt b/15/50.txt new file mode 100644 index 0000000..578a85c --- /dev/null +++ b/15/50.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 50 \v 51 50 अब भैया तुम, मए तुमके जा कहत हौ, मासु और रगत स्वर्गको राज्यको हकदार होन नाएपए हए, नत विनाश अविनाशको हकदार हुइपए हए| 51 देखओ, मए तुमसे एक रहस्य कहत हौँ हम सब नाएसुन्त हए, पर हम सबको परिवर्तन होबैगो \ No newline at end of file diff --git a/15/52.txt b/15/52.txt new file mode 100644 index 0000000..b67a9b4 --- /dev/null +++ b/15/52.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 52 \v 53 52 एकछिनमे, आँखीको एक टिमकनमे, तुरहीको आवाजमे काहेकी, तुरही बजहए, और मरेभए अविनाशी हुइके जिन्दा हुइहए| और हमरो परिवर्तन हुइहए| 53 काहेकी जा विनाशी स्वभाव अविनाशी, और जा मरनबारो शरीर अमरत्व धारन करन पणैगो| \ No newline at end of file diff --git a/15/54.txt b/15/54.txt new file mode 100644 index 0000000..018b281 --- /dev/null +++ b/15/54.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 54 \v 55 54 जब विनाशी अविनाशी और मरणशील अमरत्व धारण करहए, तव लिखो भव बो वचन पूरा होबैगो, “मृत्यु विजयमे निलगओ हए|” 55 "ए मृत्यु, तेरो विजय कहाँ? ए मृत्यु, तेरो खिला कहाँ?”" \ No newline at end of file