# ग्यारह के साथ खड़ा हुआ पतरस की कही बात का समर्थन सभी प्रेरितों ने किया। # पहर ही दिन चढ़ा है “अभी तो सुबह के नौ ही बजे हैं” (यूडीबी)। पतरस अपने सुननेवालों से यह जानने की आशा रखता था कि सुबह-सुबह कोई नशे में धुत नहीं होता। यह जानकारी अन्तर्निहित थी, जिसे ज़रुरत पड़ने पर स्पष्ट रूप से व्यक्त किया जा सकता था। # पहर ही दिन “सुबह के नौ बजे” (यूडीबी)।