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# N/A
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# तीन।
3.
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# क्रोधित, (क्रोध)
क्रोधित होने का अर्थ यह है कि किसी बात या किसी से निराश होना, दुखी होना या खिजना।
* जब लोग क्रोधित होते है बहुत बार यह पाप के कारण होता है लेकिन कई बार क्रोध धारमिक्‍ता को भी दर्शाता है।जैसे कि अन्‍याय या अत्‍याचार के प्रति क्रोध ।
जैसे कि पाप को देखकर परमेश्‍वर का दुख मे क्रोधित होना।
* जैसे कि पाप को देखकर परमेश्‍वर का दुख मे क्रोधित होना।

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# निवास
निवासस्थान एक विशेष तंबू जैसी संरचना थी, जहाँ इस्राएलियों ने रेगिस्तान में घूमते हुए 40 सालों तक परमेश्‍वर की उपासना की।
* इस्राइलियों के इस बड़े तम्बू के लिए परमेश्‍वर ने एक बड़ा तम्बू के लिए निरदेश दिया, एकमकमरा है जो संगल्न आँगन से घिरे हुए है।
* जब सुलेमान ने यरूशलेम में एक मन्दिर बनवाया था तब इस्राएलियों ने उस निवास स्थान को इस्तेमाल करना बमद कर दिया।
# वेदी
एक वेदी एक उठी हुई संरचना थी जिस पर इस्राएलियों ने परमेश्‍वर को चढ़ावे के रूप में जानवरों और अनाजों को जला दिया था।
* बाइबिल के समय, साधरन वेदियाँ पर अक्सर गंदगिओं को ढ़कते है”।
* इस्राएलियों के आस-पास रहनेवाले दूसरे लोगों के समूह भी अपने देवताओं को बलिदान चढ़ाने के लिए वेदियां बनाते थे।
# होमबलि और अन्नबलि
“जल भेंट” परमेश्‍वर के लिए एक तरह का बलिदाबन है कि एक वेदी पर जला दिया गया, यह लोगों के लिए पापों का प्रायश्चित करना था कि इसे एक तरह से “होमबलि“ भी कहा जाता है।
* इस भेंट में इस्तेमाल किए जाने वाले जानवर आम तौर पर भेंड़ और बकरीयाँ, लेकिन बैलों और पक्षियों का भी इस्तेमाल किया जाता था।
* परमेश्‍वर ने यहूदी लोगों को दिन में दो बार होम-बलि चढ़ाने की आज्ञा दी।
# मिलापवाले तम्बू
यह शब्द एक तम्बू को दर्शाता है, जो एक अस्थायी जगह थी जहाँ निवासस्थान के निर्माण से पहले परमेश्‍वर मूसा से मिला था।
* इस्राएलियों की छावनी के बाहर सभा का तम्बू लगाया गया।
* जब मूसा परमेश्‍वर से मिलने के लिए सभा के तंबू में गया, तो वहाँ परमेश्‍वर की उपस्थिति के चिन्ह के रूप में तंबू के द्वार पर बादल का एक स्तंभ खड़ा होगा।
# अन्नबलि को चढ़ाया
अनाज का चढ़ावा, अकसर जलाए जाने के बाद, परमेश्‍वर को गेहूँ या जौ के आटे का उपहार दिया जाता था।
* अनाज के आटे में तेल और नमक मिलाया जाता था, लेकिन किसी भी खमीर या शहद की अनुमति नहीं थी।
* अनाज के चढ़ावे का एक हिस्सा जला दिया गया और इसका कुछ हिस्सा याजकों द्वारा खाया गया था।
# यहोवा
यह परमेश्‍वर का निजी नाम है जिसे उन्होंने जलती हुई झाड़ी में बोला था।
* “यहोवा” नाम का अर्थ है कि आता हूं “मौजूद”।
* संभव अर्थ है कि “यहोवा” शामिल है।
* इस नाम से पता चलता है कि परमेश्‍वर हमेशा जीवित रहा और हमेशा के लिए जीवित रहेगा। इसका मतलब यह भी है कि वे हमेशा मौजूद है।
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# आज्ञा, आदेश के लिए, आज्ञा
“आज्ञा” का अर्थ है किसी को कुछ करने का आदेश देना। वह “आदेश” या “आज्ञा” जो एक व्यक्ति को करने के लिए दिया गया।
* इन शब्दों का एक ही अर्थ है, आज्ञा अक्सर परमेश्‍वर के कुछ आदेशों को दर्शाता है जो औपचारिक और स्थायी होते है जैसे कि “दस आज्ञाएँ”।
* “आज्ञा लेने का अर्थ है “नियंत्रण लेना”।