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# धार्मिकता का काम करते हुए नाश हो जाता है,
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"भले ही वह धर्मी हैं"
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# अपने को बहुत धर्मी न ,अपने को अधिक बुद्धिमान बना
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धर्मी, अपनी नज़र में बुद्धिमान *- इन दो वाक्यांशों का अर्थ एक ही बात से है।
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# अपने को बहुत धर्मी न बना,
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धर्मी यह मत सोचो कि तुम वास्तव में जितने हो उससे अधिक धर्मी हो।
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# न अपने को अधिक बुद्धिमान बना।
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अपनी राय में बुद्धिमान।
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# तू क्यों अपने ही नाश का कारण हो?
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लेखक इस प्रश्न का उपयोग इस बात पर जोर देने के लिए करता है कि आत्म-धर्मी होना किसी मनुष्य को नष्ट कर देता है अर्थात् तुम्हारा अपने आप को नष्ट करने का कोई कारण नहीं है।
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