commit a73b8cda1e42579a8d5dfafd081ffd49fa9a6e44 Author: Larry Versaw Date: Fri Jan 29 09:34:40 2021 -0700 cleanup of 2017 markdown files diff --git a/1co/01/01.md b/1co/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..e0a4831 --- /dev/null +++ b/1co/01/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# भाई सोस्थिनेस + +इससे प्रकट होता है कि कुरिन्थ के विश्वासी और पौलुस दोनों ही सोस्थिनेस से परिचित थे। वैकल्पिक अनुवाद: “सोस्थिनेस जिसे तुम और मैं दोनों ही जानते हैं”। + +# पवित्र होने के लिए बुलाए गए हैं। + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने उन्हें पवित्र जन होने के लिए बुलाया है” + +# उन सब के नाम भी + +सब विश्वासियों के साथ। वै.अ. “के साथ” + +# हमारे और अपने प्रभु यीशु मसीह + +प्रभु यीशु पौलुस का, कुरिन्थ की कलीसिया का और सब कलीसियाओं का प्रभु है। + +# तुम्हें + +कुरिन्थ नगर के विश्वासी diff --git a/1co/01/04.md b/1co/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..32ac429 --- /dev/null +++ b/1co/01/04.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# परमेश्वर का धन्यवाद सदा करता हूं + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैं पौलुस परमेश्वर को आभार व्यक्त करता हूं”। + +# परमेश्वर का यह अनुग्रह तुम पर मसीह यीशु में हुआ। + +“तुम जो मसीह यीशु में परमेश्वर के अनुग्रह के पात्र हो” + +# धनी किए गए + +संभावित अर्थ है 1) “मसीह ने तुम्हें समृद्ध किया” या 2) “परमेश्वर ने तुम्हे संपन्न बनाया है”। + +# हर बात में धनी किया + +“अनेक आत्मिक आशिषों से समृद्ध किया” + +# सारे वचन में + +परमेश्वर ने तुम्हें अनेक प्रकार से मनुष्यों में परमेश्वर का वचन सुनाने योग्य किया है। + +# सारे ज्ञान में + +परमेश्वर ने तुम्हें उसका सन्देश अनेक प्रकार से समझने योग्य किया है। + +# कि मसीह की गवाही तुम में पक्की निकले + +“मसीह का सन्देश” + +# पक्की निकली + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हारे जीवन स्पष्ट रूप से बदल गए” diff --git a/1co/01/07.md b/1co/01/07.md new file mode 100644 index 0000000..5156313 --- /dev/null +++ b/1co/01/07.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यहां तक कि + +“परिणाम स्वरूप” + +# किसी वरदान की तुम्हें घटी नहीं + +“तुम्हारे पास हर एक आत्मिक वरदान है”। + +# हमारे प्रभु यीशु के प्रगट होने + +संभावित अर्थ हैं 1) “जिस समय परमेश्वर मसीह यीशु को प्रगट करेगा” या 2) “जिस समय हमारा प्रभु यीशु मसीह प्रकट होगा”। + +# निर्दोष ठहरो + +“तुम्हें दोषी ठहराने का परमेश्वर के पास कोई कारण न हो”। + +# जिसने तुमको.... मसीह की संगति में बुलाया है + +परमेश्वर ने तुम्हें अपने पुत्र, मसीह यीशु की संगति में बुलाया है diff --git a/1co/01/10.md b/1co/01/10.md new file mode 100644 index 0000000..1bf435f --- /dev/null +++ b/1co/01/10.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तुम सब एक ही बात करो + +“कि तुम परस्पर सामंजस्य में रहो” + +# तुम में फूट न हो + +“कि तुम में विभाजन न हो” + +# एक ही मन और एक ही मत में मिले रहो + +“एकता में” + +# खलोए के घराने के लोगों + +परिवार के सदस्य, खलोए के कुटुम्ब के दास आदि सब, उनकी मुखिया एक स्त्री है। + +# तुम में झगड़े हो रहे हैं। + +“तुम लोग अलग-अलग गुट बनाकर झगड़ते हो” diff --git a/1co/01/12.md b/1co/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..ee6fabd --- /dev/null +++ b/1co/01/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुम में से कोई तो.... कहता है + +पौलुस विभाजन की एक सामान्य मानसिकता व्यक्त कर रहा है + +# क्या मसीह बंट गया + +पौलुस तथ्य पर बल दे रहा है कि मसीह विभाजित नहीं है वह एक है। “तुम जैसा व्यवहार करते हो उसके अनुसार मसीह को भी विभाजित करना संभव नहीं है”। + +# क्या पौलुस तुम्हारे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया? + +पौलुस इस तथ्य पर बल देना चाहता है कि न पौलुस न अपुल्लोस क्रूस पर चढ़ाया गया, मसीह ही था जो क्रूस पर चढ़ाया गया। "उन्होंने तुम्हारे उद्धार के लिए पौलुस को क्रूस की मृत्यु नहीं दी थी।" + +# क्या तुम्हें पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला? + +पौलुस इस बात पर बल देता है कि हम सब ने मसीह के नाम में बपतिस्मा पाया है। "तुम्हे पौलुस के नाम में बपतिस्मा नहीं दिया गया है।" diff --git a/1co/01/14.md b/1co/01/14.md new file mode 100644 index 0000000..69f5ed3 --- /dev/null +++ b/1co/01/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मै परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ + +पौलुस कुछ बड़ा चड़ा कर ही कह रहा है कि वह अत्यधिक आभारी है कि उसने कुरिन्थ की कलीसिया में अधिक लोगों को बपतिस्मा नहीं दिया। + +# क्रिस्पुस + +वह यहूदी आराधनालय का सरदार था जिसने मसीह को ग्रहण कर लिया था। + +# गयुस + +वह पौलुस के साथ यात्रा करके आया था। + +# कहीं ऐसा न हो, कि कोई कहे, कि तुम्हें मेरे नाम पर बपतिस्मा मिला। + +"मैने अधिक लोगों को बपतिस्मा देने से अपने आप को रोका क्योंकि मैं डरता था कि वे आगे चलकर घमंड से कहे कि मैने उन्हें बपतिस्मा दिया था।" + +# स्तिफनास के घराने + +स्तिफनास के घराने का अभिप्राय है, उसके परिवार के सदस्य और उसके दास diff --git a/1co/01/17.md b/1co/01/17.md new file mode 100644 index 0000000..fe36cce --- /dev/null +++ b/1co/01/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं... भेजा है। + +इसका अर्थ है कि बपतिस्मा देना पौलुस की मसीही सेवा का मुख्य लक्ष्य नहीं था। + +# शब्दों के ज्ञान के अनुसार + +"केवल मानवीय ज्ञान के शब्द" + +# ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस व्यर्थ ठहरे + +वैकल्पिक अनुवाद: "मानवीय ज्ञान मसीह के क्रूस को सामर्थ्य से वंचित न कर दे।" diff --git a/1co/01/18.md b/1co/01/18.md new file mode 100644 index 0000000..f0742ee --- /dev/null +++ b/1co/01/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्रूस की कथा + +"मसीह के क्रूसीकरण का प्रचार" या "मसीह की क्रूस पर मृत्यु के बारे में संदेश"(यू.डी.बी.) + +# मूर्खता है + +"निर्बुद्धि" या "मतिहीन" + +# नाश होने वालों के निकट + +नाश होने वालों के निकट - "नाश" का अर्थ है आत्मिक मृत्यु" + +# परमेश्वर की सामर्थ है + +"परमेश्वर हम में सामर्थ्य का काम कर रहा है" + +# ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा + +ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा - वैकल्पिक अनुवाद: "ज्ञानवानों को उलझन में डाल दूंगा" या "बुद्धिमानों की योजना को पूर्णत: व्यर्थ कर दूंगा" diff --git a/1co/01/20.md b/1co/01/20.md new file mode 100644 index 0000000..9cec18c --- /dev/null +++ b/1co/01/20.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# कहा रहा ज्ञानवान? कहा रहा शास्त्री?कहा रहा इस संसार का विवादी? + +पौलुस इस बात पर बल दे रहा है कि सच्चे ज्ञानवान मनुष्य कही नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद: सुसमाचार की तुलना में कोई भी मनुष्य, ज्ञानवान नहीं है, चाहे कोई विद्वान हो या विवाद करने वाला हो। + +# शास्त्री + +वह व्यक्ति जिसने बहुत अधिक अध्ययन किया हो + +# विवादी + +वह व्यक्ति जो अपने ज्ञान के आधार पर विवद करता है या जो विवाद करने में दक्ष हो + +# क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया? + +पौलुस इस प्रश्न द्वारा बल देना चाहता है कि परमेश्वर ने इस संसार के ज्ञान का क्या कर दिया है। वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर ने निश्चय ही इस संसार के ज्ञान को मुर्खता ठहरा दिया है" या "परमेश्वर उस संदेश से प्रसन्न हुआ जिसे उन लोगो ने मुर्खता समझा था"(यू.डी.बी.) + +# विश्वास करनेवालों + +इसके संभावित अर्थ है 1) "वे सब जो विश्वास करते है" (UDB) या 2) "जो उस मे विश्वास करते है" diff --git a/1co/01/22.md b/1co/01/22.md new file mode 100644 index 0000000..6505414 --- /dev/null +++ b/1co/01/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हम... प्रचार करते है + +यहाँ "हम" शब्द का अर्थ है पौलुस और अन्य सुसमाचार प्रचारक। + +# क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का + +"मसीह के बारे में जो क्रूस पर मर गया था"(यू.डी.बी.) + +# ठोकर का कारण + +ठीक वैसे ही जैसे मनुष्य मार्ग में किसी पत्थर से ठोकर खाता है, यहूदियों के लिए क्रूस पर चढ़ाये गए मसीह के द्वारा उद्धार का संदेश भी ठोकर का कारण है। वैकल्पिक अनुवाद: "अस्वीकार्य" या "रोषकारी"। diff --git a/1co/01/24.md b/1co/01/24.md new file mode 100644 index 0000000..1001f6c --- /dev/null +++ b/1co/01/24.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जो बुलाए हुए हैं + +“जिन्हें परमेश्वर ने बुलाया” + +# हम मसीह का प्रचार करते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “हम मसीह की शिक्षा देते हैं “ या “हम मनुष्यों में मसीह का सन्देश सुनाते हैं”। + +# मसीह परमेश्वर की सामर्थ और परमेश्वर का ज्ञान है + +“मसीह ही है जिसके द्वारा परमेश्वर अपना सामर्थ्य और ज्ञान प्रकट करता है” + +# परमेश्वर की मूर्खता.... परमेश्वर की निर्बलता + +यह परमेश्वर के स्वभाव और मनुष्य के स्वभाव में अन्तर है। यद्यपि परमेश्वर मूर्खता करे या दुर्बलता दिखाए तौभी वह मनुष्य के सर्वोत्तम स्वभाव से कहीं अधिक श्रेष्ठ होगी। diff --git a/1co/01/26.md b/1co/01/26.md new file mode 100644 index 0000000..b723684 --- /dev/null +++ b/1co/01/26.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# अपने बुलाए जाने को + +“परमेश्वर ने तुम्हें पवित्र जन होने के लिए कैसे बुलाया है” + +# न बहुत.... बुलाए गए हैं + +“तुम में बहुत ही कम” + +# शरीर के अनुसार + +“मनुष्यों के विचार में” या “भलाई के विषय में मनुष्यों की समझ के अनुसार” + +# कुलीन + +“परिवार के महत्वपूर्ण होने” या “राजसी” होने के द्वारा + +# परमेश्वर ने मूर्खों को चुन लिया कि ज्ञानवालों को लज्जित करें + +परमेश्वर ने उन दीन जनों को चुन लिया जिन्हें यहूदी नगण्य मानते थे कि परमेश्वर की दृष्टि में उन जनमान्य अगुओं का महत्व नगण्य ठहरे। + +# परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है कि बलवानों को लज्जित करे + +यह पिछले वाक्य के विचार को दूसरे शब्दों में व्यक्त करना है। diff --git a/1co/01/28.md b/1co/01/28.md new file mode 100644 index 0000000..48eeda5 --- /dev/null +++ b/1co/01/28.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# नीचों और तुच्छों + +संसार के परित्यक्त जन, वैकल्पिक अनुवाद: “दीन एवं त्यागे हुए लोग” + +# वरन जो है भी नहीं + +“जिन्हें मनुष्य अमान्य समझता है” (देखें:Active/Passive) + +# व्यर्थ ठहराए + +“उनका महत्व समाप्त कर दे” + +# जो हैं + +“जिन्हें मनुष्य मूल्यवान मानता है” या “जिन्हें मनुष्य खरीदने योग्य या सम्मान के योग्य समझता है” + +# चुन लिया + +“परमेश्वर ने चुन लिया” diff --git a/1co/01/30.md b/1co/01/30.md new file mode 100644 index 0000000..66411d3 --- /dev/null +++ b/1co/01/30.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# परमेश्वर की ओर से + +अर्थात क्रूस पर मसीह का कार्य + +# हमारे लिए + +“हमारे” में पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को भी समाहित करता है। + +# तुम मसीह यीशु में हो + +“तुम ने मसीह यीशु के द्वारा उद्धार पा लिया है” + +# मसीह यीशु में हो, जो परमेश्वर की ओर से ज्ञान ठहरा। + +“मसीह यीशु ने हम पर स्पष्ट प्रकट कर दिया कि परमेश्वर कितना बुद्धिमान है”। (यू.डी.बी.) + +# “जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे” + +वैकल्पिक अनुवाद: “यदि कोई घमण्ड करे तो वह प्रभु की महानता पर घमण्ड करे” diff --git a/1co/02/01.md b/1co/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..6c19aef --- /dev/null +++ b/1co/02/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# शब्दों के ज्ञान की उत्तमता के साथ + +“विवश कराने वाले उत्तम शब्दों के साथ नहीं” + +# और किसी बात को न जानूं + +पौलुस का मुख्य विचार मानवीय ज्ञान की अपेक्षा मसीह के क्रूसीकरण पर था। “और किसी बात को न जानूं” अर्थात संपूर्ण एकाग्रता मसीह पर ही diff --git a/1co/02/03.md b/1co/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..c4cc345 --- /dev/null +++ b/1co/02/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुम्हारे साथ रहा + +“जब तुम्हारे मध्य रहा” + +# निर्बलता + +संभावित अर्थ हैं 1) “शारीरिक दुर्बलता”(देखें यू.डी.बी.), 2) “अपूर्ण शक्ति के बोध के साथ” + +# लुभानेवाली बातें + +आश्वस्त कराने वाली या मनुष्य को कुछ करने या विश्वास करने के लिए विवश करने वाली बातें। + +# मेरे वचन और मेरे प्रचार + +पौलुस का प्रचार और शुभ सन्देश diff --git a/1co/02/06.md b/1co/02/06.md new file mode 100644 index 0000000..b3e4323 --- /dev/null +++ b/1co/02/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ज्ञान सुनाते हैं + +“ज्ञान की बातें सुनाते है” + +# सिद्ध लोगों में + +वैकल्पिक अनुवाद:“परिपक्व विश्वासियों में” + +# हमारी महिमा के लिए + +“हमारी भावी महिमा सुनिश्चित करने के लिए” diff --git a/1co/02/08.md b/1co/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..ab276c1 --- /dev/null +++ b/1co/02/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तेजोमय प्रभु + +“यीशु महिमामय प्रभु” + +# आंखों ने नहीं देखी और कान ने नहीं सुनी, ...चित्त में नहीं चढ़ी। + +यहाँ मनुष्यत्व की इन तीन ईन्द्रीयों पर बल देने का अभिप्राय यह है कि कोई भी मनुष्य परमेश्वर द्वारा तैयार की गई बातों को कभी समझ नहीं पाया है। + +# परमेश्वर ने अपने प्रेम करनेवालों के लिए जिन बातों को तैयार किया है। + +परमेश्वर ने अपने प्रेमियों के लिए स्वर्ग में अद्भुत आश्चर्य की बातें रखी है diff --git a/1co/02/10.md b/1co/02/10.md new file mode 100644 index 0000000..01d012f --- /dev/null +++ b/1co/02/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उन को + +यीशु और उसके क्रूस के सत्य + +# कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा? + +पौलुस इस प्रश्न द्वारा इस तथ्य पर बल दे रहा है कि विचार करनेवाले को छोड़ और कोई उसके विचार नहीं जान सकता है या मनुष्य की अपनी आत्मा के अतिरिक्त कोई नहीं जो उसके विचारों को जान पाए”। + +# केवल मनुष्य की आत्मा + +ध्यान दें, “आत्मा” मनुष्य की अशुद्ध एवं दुष्ट आत्मा का संदर्भ है जो परमेश्वर के आत्मा से भिन्न है। diff --git a/1co/02/12.md b/1co/02/12.md new file mode 100644 index 0000000..4430b83 --- /dev/null +++ b/1co/02/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परन्तु हम + +“हम” अर्थात पौलुस एवं उसके पाठक + +# परमेश्वर की ओर से है + +“परमेश्वर ने हमें बिना मोल दिया है” या “परमेश्वर ने हमें मुझ में दिया है”। + +# आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिलाकर सुनाते हैं + +पवित्र आत्मा अपने ही शब्दों में मिलकर विश्वासी तक परमेश्वर का सत्य पहुंचाता है और उन्हें अपना ज्ञान प्रदान करता है। diff --git a/1co/02/14.md b/1co/02/14.md new file mode 100644 index 0000000..6a9f7ef --- /dev/null +++ b/1co/02/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# शारीरिक मनुष्य + +अविश्वासी मनुष्य जिसने आत्मा नहीं पाया है + +# उनकी जांच आत्मिक रीति से होती है + +“क्योंकि इन बातों को स्वीकरण आत्मा की सहायता की आवश्यकता है”। + +# आत्मिक जन + +वैकल्पिक अनुवाद: “आत्मा पाया हुआ विश्वासी” + +# प्रभु का मन किसने जाना है कि उसे सिखाए + +प्रभु का मन किसने जाना है कि उसे सिखाए पौलुस इस प्रश्न के द्वारा इस तथ्य पर बल दे रहा है कि प्रभु का मन किसी ने नहीं जाना है? वैकल्पिक अनुवाद:“प्रभु का मन कोई नहीं जान सकता। अतः कोई उसे ऐसी बात नहीं सिखा सकता जो वह पहले से नहीं जानता है”। diff --git a/1co/03/01.md b/1co/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..53f513a --- /dev/null +++ b/1co/03/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# आत्मिक लोगों से + +आत्मा के सामर्थ्य से पूर्ण लोगों से + +# शारीरिक लोगों से + +अपनी अभिलाषाओं के अनुसार चलने वालों में से + +# मसीह में बालक है + +कुरिन्थ के विश्वासियों की उन बालकों से तुलना की गई है जो आयु में बहुत कम और अबोध हैं, जैसे मसीह में बहुत कम आयु के विश्वासी। + +# मैंने तुम्हें दूध पिलाया, अन्न खिलाया + +कुरिन्थ के विश्वासी नवजात शिशुओं के सदृश्य केवल दूध जैसे सत्य ही को ग्रहण कर सकते थे। वे विकसित बालकों की नाई ठोस आहार सदृश्य सत्य को अन्तर्ग्रहण नहीं कर सकते थे। + +# नहीं खा सकते हो + +“तुम मसीह के अनुसरण की कठिन बातों को ग्रहण करने योग्य नहीं हो” diff --git a/1co/03/03.md b/1co/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..56ba578 --- /dev/null +++ b/1co/03/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अब तब शारीरिक थे + +अब तब पापी या सांसारिक अभिलाषाओं के दास हो + +# क्या तुम शारीरिक नहीं? + +पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को उनकी पापी प्रकृति के लिए झिड़कता है। “तुम अपने पापी स्वभाव के अनुसार जीवन जी रहे हो”। + +# क्या मनुष्य की रीति पर नहीं चलते? + +पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को मानवीय मानकों के अनुसार जीवन निर्वाह हेतु झिड़कता है। वैकल्पिक अनुवाद: “तुम मानवीय मानकों पर जीवन आचरण रखते हो”। + +# क्या तुम मनुष्य नहीं? + +पौलुस उन्हें पवित्र आत्मा रहित मनुष्यों का सा जीवन जीने के लिए झिड़कता है। + +# अपुल्लोस क्या है? और पौलुस क्या है? + +पौलुस जिस बात पर बल दे रहा है, वह है कि वह और अपुल्लोस सुसमाचार के मूल स्रोत नहीं हैं, अतः विश्वासियों के प्रचारक समूहों को सुसमाचार का स्रोत न बनाए। वैकल्पिक अनुवाद:"यह उचित नहीं कि विश्वासी पौलुस या अपुल्लोस के कारण अलग-अलग दल बनाकर सुसमाचार को विभाजित करे" + +# केवल सेवक जिनके द्वारा तुम ने विश्वास किया + +पौलुस स्वयं ही अपने प्रश्न का उत्तर देता है कि वे दोनों ही परमेश्वर के सेवक हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “तुम ने पौलुस और अपुल्लोस की शिक्षाओं द्वारा शुभ सन्देश में विश्वास किया है”। + +# जैसा हर एक को प्रभु ने दिया + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने पौलुस को और अपुल्लोस को अपना-अपना काम दिया है”। diff --git a/1co/03/06.md b/1co/03/06.md new file mode 100644 index 0000000..7c315b1 --- /dev/null +++ b/1co/03/06.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मैंने लगाया + +परमेश्वर के ज्ञान की तुलना एक बीज से की गई है, जिसे विकसित होने के लिए बोना आवश्यक है। + +# सींचा + +जैसे बीज को विकसित होने के लिए पानी की आवश्यकता होती है वैसे ही विश्वास की उन्नति करने के लिए शिक्षा की आवश्यकता होती है। + +# बढ़ाया + +जिस प्रकार पौधे विकसित होकर बढ़ते हैं उसी प्रकार विश्वास और परमेश्वर का ज्ञान विकसित होकर गहरा और अधिक दृढ़ होता है। + +# इसलिए न तो लगानेवाला कुछ है... परमेश्वर ही सब कुछ है जो बढ़ानेवाला है। + +पौलुस बल देकर कह रहा है कि विश्वासियों के आत्मिक विकास के लिए न तो उस और न ही अप्पुलोस को श्रेय जाता है परन्तु केवल परमेश्वर ही का कार्य है। diff --git a/1co/03/08.md b/1co/03/08.md new file mode 100644 index 0000000..e85ce9c --- /dev/null +++ b/1co/03/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# लगानेवाला और सींचनेवाला दोनों एक हैं + +लगाए और सींचना दोनों एक ही काम हैं जिसकी तुलना पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया में मसीह सेवा निमित्त उसके और अप्पुलोस के कामों से करता है। + +# हर एक व्यक्ति अपने ही परिणाम के अनुसार अपनी मजदूरी पाएगा। + +मजदूर की मजदूरी उसके काम के अनुसार दी जाती है। + +# हमें + +पौलुस और अप्पुलोस, कुरिन्थ की कलीसिया नहीं + +# परमेश्वर के सहकर्मी हैं + +परमेश्वर के सहकर्मी हैं पौलुस अप्पुलोस को और स्वयं को परमेश्वर का सहकर्मी मानता है साथ काम करने वाले। + +# परमेश्वरी की खेती + +परमेश्वर कुरिन्थ की कलीसिया की बागवानी करता है जैसे मनुष्य बगीचे की बागवानी करके उसे फल देने योग्य बनाते हैं। + +# परमेश्वर की रचना ही + +परमेश्वर ने कुरिन्थ की कलीसिया को रूप देकर रचा है जैसे मनुष्य एक भवन का निर्माण करता है diff --git a/1co/03/10.md b/1co/03/10.md new file mode 100644 index 0000000..b4b325b --- /dev/null +++ b/1co/03/10.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# परमेश्वर के इस अनुग्रह के अनुसार जो मुझे दिया गया + +“उस दायित्व के अनुसार जो परमेश्वर ने मुझे अनुग्रह करके दिया”। + +# मैंने....नींव डाली + +पौलुस विश्वास और मसीह यीशु में उद्धार की अपनी शिक्षा की तुलना एक भवन की नींव डालने से करता है। + +# दूसरा उस पर रद्दा रखता है + +दूसरा प्रचारक इन विश्वासियों को आत्मिक सहायता प्रदान करते हुए कलीसिया में सुसमाचार प्रचार का निर्माण ही करता है। + +# हर एक मनुष्य + +सामान्य रूप में परमेश्वर के सेवक। वैकल्पिक अनुवाद:“परमेश्वर की सेवा करनेवाला हर एक मनुष्य” + +# उस नींव को छोड़ जो पड़ी है + +नींव पर निर्माण हो जाने के बाद वह बदली नहीं जा सकती है। यहां मसीह रूपी नींव पर कुरिन्थ की कलीसिया का निर्माण जो पौलुस द्वारा किया गया है। “मुझ पौलुस ने जो नींव डाली उसके अतिरिक्त” diff --git a/1co/03/12.md b/1co/03/12.md new file mode 100644 index 0000000..096f6f3 --- /dev/null +++ b/1co/03/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कोई इस नींव पर सोना या चांदी या बहुमूल्य पत्थर या काठ या घास या फूस का रद्दा रखे। + +किसी भवन का नवनिर्माण सामग्री की तुलना उन आत्मिक बातो से की जा रही है जिनके द्वारा मनुष्य के संपूर्ण जीवन का व्यवहार एवं कार्य ढाले जाते हैं। “मनुष्य बहुमूल्य स्थाई सामग्री काम में लेता है या घटिया ज्वलनशील सामग्री काम में लेता है” + +# बहुमूल्य पत्थर + +“मूल्यवान पत्थर” + +# हर एक काम प्रकट हो जाएगा क्योंकि वह दिन उसे बताएगा। + +“जिस प्रकार दिन का प्रकाश निर्माण में काम करने वाले के परिश्रम को प्रकट करता है उसी प्रकार परमेश्वर की उपस्थिति का प्रकाश मनुष्य के परिश्रम एवं कार्य की गुणवत्ता को प्रकट करेगा। “दिन का प्रकाश उसके काम की गुणवत्ता को प्रकट करेगा”। + +# आग हर एक के कामों की गुणवत्ता प्रकट करेगी। + +“जिस प्रकार दिन का प्रकाश निर्माण में काम करने वाले के परिश्रम को प्रकट करता है उसी प्रकार परमेश्वर की उपस्थिति का प्रकाश मनुष्य के परिश्रम एवं कार्य की गुणवत्ता को प्रकट करेगा।वैकल्पिक अनुवाद “दिन का प्रकाश उसके काम की गुणवत्ता को प्रकट करेगा”। diff --git a/1co/03/14.md b/1co/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..6652c3a --- /dev/null +++ b/1co/03/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# स्थिर रहेगा + +“नष्ट न होगा” या “ज्यों का त्यों रहेगा”। (यू.डी.बी.) + +# किसी का काम जल जाएगा + +“यदि आग किसी का काम भस्म कर देगी” या “किसी का काम आग में जल कर नष्ट हो गया” + +# “किसी का”, “वह” “वह आप” + +ये शब्द उस मनुष्य से संदर्भित है जो सेवा करता है, वैकल्पिक अनुवाद “वह व्यक्ति” या “वह”(यू.डी.बी.) + +# वह हानि उठाएगा पर वह आप बच जाएगा + +“वह उस काम से वंचित हो जाएगा और उस प्रतिफल से भी जो अग्नि परीक्षा के बाद उसके काम के स्थिर रहने पर उसे मिलता, परन्तु परमेश्वर उसे बचा लेगा” diff --git a/1co/03/16.md b/1co/03/16.md new file mode 100644 index 0000000..e60dc0c --- /dev/null +++ b/1co/03/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है। + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुम परमेश्वर का मन्दिर हो और परमेश्वर की आत्मा तुम में वास करता है”। + +# नष्ट करेगा + +“नष्ट करेगा” या “क्षतिग्रस्त करेगा” + +# परमेश्वर उसका नाश करेगा क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है और वह तुम हो। + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर उसका सर्वनाश करेगा क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है और तुम भी पवित्र हो”। diff --git a/1co/03/18.md b/1co/03/18.md new file mode 100644 index 0000000..091901a --- /dev/null +++ b/1co/03/18.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# कोई अपने आप को धोखा न दे + +कोई इस भ्रम में न रहे कि वही इस संसार में बुद्धिमान है + +# इस संसार में + +“इस समय” + +# मूर्ख बने कि ज्ञानी हो जाए + +“वह इस संसार द्वारा निर्धारित मूर्खता का अपनाए कि परमेश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त करे”। + +# "वह ज्ञानियों को उनकी चतुराई में फंसा देता है" + +“वह ज्ञानियों को उनकी चतुराई में फंसा देता है और उन्हीं की योजनाओं को उनके लिए जाल बना देता है। + +# प्रभु ज्ञानियों के विचारों को जानता है। + +वैकल्पिक अनुवाद: “जो सोचते हैं कि वे बुद्धिमान है परन्तु परमेश्वर उनकी योजनाओं को जानता है”। या “परमेश्वर बुद्धिमानों की सब योजनाओं को सुनता है”। (यू.डी.बी.) + +# व्यर्थ हैं + +“व्यर्थ”, वैकल्पिक अनुवाद: “निकम्मी”, या “निरर्थक” diff --git a/1co/03/21.md b/1co/03/21.md new file mode 100644 index 0000000..157b661 --- /dev/null +++ b/1co/03/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मनुष्यों पर कोई घमण्ड न करे + +पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को निर्देश दे रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “घमण्ड करना छोड़ दो कि हमारा अगुआ दूसरे से अधिक ज्ञानी है”। + +# घमण्ड + +“अत्यधिक गर्व करना” कुरिन्थ की कलीसिया में विभाजित दल मसीह यीशु की उपासना की अपेक्षा अपने नायकों पर गर्व करते थे। + +# तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर का है + +“तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर का है” diff --git a/1co/04/01.md b/1co/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..c01d627 --- /dev/null +++ b/1co/04/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# (इस सम्बन्ध में) + +वैकल्पिक अनुवाद: “क्योंकि हम भण्डारी हैं” + +# भण्डारी में यह बात देखी जाती है कि + +वैकल्पिक अनुवाद: “हमारे लिए अनिवार्य है कि” diff --git a/1co/04/03.md b/1co/04/03.md new file mode 100644 index 0000000..6829a59 --- /dev/null +++ b/1co/04/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह बहुत छोटी बात है कि तुम पर मनुष्यों का कोई न्यायी मुझे परखे + +पौलुस मनुष्य के न्याय और परमेश्वर के न्याय में तुलना कर रहा है। परमेश्वर मनुष्य का न्याय करता है तब उसके सामने मनुष्य द्वारा किया गया न्याय कोई अर्थ नहीं रखता है। + +# मेरा मन मुझे किसी बात का दोषी नहीं ठहराता + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैंने अपने ऊपर कोई दोष लगाया गया नहीं सुना है”। + +# इससे मैं निर्दोष नहीं ठहरता, क्योंकि मेरा परखनेवाला प्रभु है। + +दोष न होना मेरी निर्दोषिता को सिद्ध नहीं करता है। केवल प्रभु जानता है कि मैं निर्दोष हूं या दोषी। diff --git a/1co/04/05.md b/1co/04/05.md new file mode 100644 index 0000000..61087fa --- /dev/null +++ b/1co/04/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# इसलिए.... किसी बात का न्याय न करो + +प्रभु जब आएगा तक वह न्याय करेगा, हमें न्याय करने की आवश्यकता नहीं है + +# जब तक प्रभु न आए + +प्रभु के पुनः आगमन तक + +# मनों के अभिप्रायों को + +“मनुष्यों के आन्तरिक उद्देश्यों को” + +# वही अन्धकार की छिपी बातें ज्योति में दिखायेगा और मनों के अभिप्रायों को प्रगट करेगा। + +परमेश्वर मनुष्य के मन के विचार और उद्देश्यों को सामने लाएगा। प्रभु के समक्ष कुछ भी छिपा नहीं है। diff --git a/1co/04/06.md b/1co/04/06.md new file mode 100644 index 0000000..979be67 --- /dev/null +++ b/1co/04/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तुम्हारे कारण + +”तुम्हारे लाभ के लिए“ + +# लिखे हुए से आगे न बढ़ना + +“धर्मशास्त्र में जो लिखा है उसके विपरीत कुछ न करना” + +# एक के पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व न करना + +पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को झिड़क रहा है क्योंकि वे सोचते थे कि पौलुस या अप्पुलोस द्वारा शुभ सन्देश सुनने के कारण वे दूसरों से अधिक अच्छे हैं। वैकल्पिक अनुवाद, “तुम अन्य मनुष्यों से श्रेष्ठ नहीं”। + +# तेरे पास क्या है, जो तूने (दूसरे से) नहीं पाया? + +पौलुस बल देकर कहता है कि उनके पास जो है वह परमेश्वर ने उन्हें अनर्जित दिया है, वैकल्पिक अनुवाद, “तुम्हारे पास जो कुछ भी है, वह परमेश्वर ने तुम्हें दिया है” + +# तो ऐसा घमण्ड क्यों करता है कि मानो नहीं पाया? + +पौलुस उन्हें झिड़क रहा है कि क्योंकि वे अपनी सम्पदा पर घमण्ड करते थे, “तुम्हें घमण्ड करने का अधिकार नहीं है” या “घमण्ड कभी नहीं करना” diff --git a/1co/04/08.md b/1co/04/08.md new file mode 100644 index 0000000..3039b17 --- /dev/null +++ b/1co/04/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हो चुके + +पौलुस उपहास द्वारा अपनी बात समझाता है + +# परमेश्वर ने हम प्रेरितों को... एक तमाशा ठहरे + +परमेश्वर ने हम प्रेरितों को.... एक तमाशा ठहरे परमेश्वर दो प्रकार से व्यक्त करता है कि परमेश्वर ने संसार में प्रेरितों का प्रदर्शन कैसे किया। + +# तमाशा ठहरे हैं + +रोमी सैनिक जुलूस के अन्त में बन्दियों को मृत्युदण्ड से पूर्व अपमानित किया जाता था वैसे ही परमेश्वर ने प्रेरितों के साथ किया है। + +# उन लोगों के समान.... जिनकी मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है + +परमेश्वर ने प्रेरितों को मृत्युदण्ड प्राप्त मनुष्यों के सदृश्य प्रदर्शन में रख दिया है। + +# स्वर्गदूतों और मनुष्यों के लिए + +अलौकिक और लौकिक दोनों के लिए diff --git a/1co/04/10.md b/1co/04/10.md new file mode 100644 index 0000000..42196a4 --- /dev/null +++ b/1co/04/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हम मसीह के लिए मूर्ख हैं, परन्तु तुम मसीह में बुद्धिमान हो + +पौलुस संसारिक दृष्टिकोण और मसीह में विश्वास के मसीही दृष्टिकोण में विषमता दर्शाता है। + +# हम निर्बल है, परन्तु तुम बलवान हो + +मसीह में विश्वास करने के दृष्टिकोण और संसारिक दृष्टिकोण की विषमता पौलुस प्रकट करता है + +# तुम आदर करते हो + +“मनुष्य तुम कुरिन्थवासियों को सम्मान देते है” + +# हम निरादर होते हैं + +“मनुष्य हम प्रेरितों का अनादर करते हैं” + +# हम इस घड़ी तक + +वैकल्पिक अनुवाद: “अब तक” या “आज भी” + +# घूसे खाते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “हमें कठोरता से पीटा जाता है” diff --git a/1co/04/12.md b/1co/04/12.md new file mode 100644 index 0000000..a63527a --- /dev/null +++ b/1co/04/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# लोग हमें बुरा कहते हैं, हम आशीष देते हैं + +“जब लोग हमारी निन्दा करते हैं तब हम उन्हें आशीर्वाद देते हैं” + +# बुरा + +वैकल्पिक अनुवाद: “ठट्ठा” संभवतः “अपशब्द” या “कोसते हैं” (यू.डी.बी.) + +# जब वे सताते हैं + +“जब मनुष्य हमें सताते हैं” + +# वे बदनाम करते हैं + +“जब लोग अनुचित रूप से हमें बुरा करने वाला कहते हैं” + +# हम आज तक जगत का कूड़ा + +हम आज तक जगत का कूड़ा “हम तो हो ही गए है और लोग हमें आज तक संसार का कूड़ा कहते है”। diff --git a/1co/04/17.md b/1co/04/17.md new file mode 100644 index 0000000..dbd27f5 --- /dev/null +++ b/1co/04/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अब + +पौलुस उनके अभिमानी स्वभाव को झिड़कने पर ध्यान देता है diff --git a/1co/04/19.md b/1co/04/19.md new file mode 100644 index 0000000..f343ef3 --- /dev/null +++ b/1co/04/19.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# आऊंगा + +“मैं तुम्हारे मध्य उपस्थित होऊंगा” + +# बातों में नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: “शब्दों का जाल नहीं है” या “तुम्हारे कहने ही से नहीं है”। (यू.डी.बी.) + +# तुम क्या चाहते हो? + +पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को उनकी चूक पर झिड़कते हुए अन्तिम बार आग्रह कर रहा है। “मुझे बताओ कि तुम अब क्या कहते हो कि किया जाए”। + +# क्या मैं छड़ी लेकर तुम्हारे पास आऊं या प्रेम और नम्रता की आत्मा के साथ + +पौलुस उनसे कह रहा है कि जब उनके मध्य आए तो दो से एक व्यवहार करे। “क्या तुम चाहते हो कि जब मैं आऊं तो कठोरता के साथ शिक्षा दूं या तुम चाहते हो कि तुम से तुम्हारे साथ प्रेम का सा नम्रता का व्यवहार करूं”? + +# नम्रता की आत्मा + +वैकल्पिक अनुवाद: “दया” या “कोमलता” diff --git a/1co/05/01.md b/1co/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..c0eb5ec --- /dev/null +++ b/1co/05/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अन्यजातियों में भी नहीं होता + +“अन्यजाति लोग भी ऐसा व्यवहार स्वीकार नहीं करते हैं”। + +# रखता है + +“यौन संबन्ध रखता है” + +# पिता की पत्नी + +उसके पिता की पत्नी जो संभवतः उसकी माता नहीं है + +# तुम शोक तो नहीं करते + +यह प्रभावोत्पादक प्रश्न उन्हें झिड़कने के लिए है, “इसकी अपेक्षा तुम्हें क्या शोक नहीं करना चाहिए”? + +# ऐसा काम करने वाला तुम्हारे बीच में से निकाला जाता। + +“उसे तुम अपनी संगति से बहिष्कृत कर दो” diff --git a/1co/05/03.md b/1co/05/03.md new file mode 100644 index 0000000..21e9d06 --- /dev/null +++ b/1co/05/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# आत्मा के भाव से + +पौलुस के मन में सदैव उनका विचार था। “मैं अपने विचारों में तुम्हारे मध्य था”। + +# ऐसे काम करनेवाले के विषय में यह आज्ञा दे चुका हूं + +“मैंने उसे दोषी पाया है” + +# इकट्ठे हो + +“सभा करें” + +# प्रभु यीशु की सामर्थ्य के साथ + +मसीह यीशु की आराधना में एकत्र होने के लिए यह एक मुहावरा है। + +# शैतान को सौंपा जाए + +उस मनुष्य को परमेश्वर के लोगों से अलग कर दिया जाए कि वह शैतान के राज्य में वास करे, कलीसिया के बाहर के संसार में। + +# शरीर के विनाश के लिए + +कि वह रोग ग्रस्त हो जाए, परमेश्वर से पाप का दण्ड पाए। diff --git a/1co/05/06.md b/1co/05/06.md new file mode 100644 index 0000000..f1ed8d2 --- /dev/null +++ b/1co/05/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# क्या तुम नहीं जानते कि थोड़ा सा खमीर पूरे गूंधे हुए आटे को खमीर कर देता है? + +जिस प्रकार कि थोड़ा सा खमीर पूरे गूंधे हुए आटे को खमीर कर देता है उसी प्रकार एक छोटा पाप भी संपूर्ण मसीही सहभागिता को दूषित कर देता है”। + +# बलिदान हुआ + +“प्रभु परमेश्वर ने मसीह यीशु की बलि चढ़ाई” + +# हमारा भी फसह जो मसीह है, बलिदान हुआ + +जिस प्रकार फसह का मेमना इस्राएल के पापों को ढांप देता था विश्वास के द्वारा प्रतिवर्ष उसी प्रकार मसीह की मृत्यु मसीह में विश्वास करनेवालों के पाप अनन्तकाल के लिए ढांप देती है। diff --git a/1co/05/09.md b/1co/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..722a876 --- /dev/null +++ b/1co/05/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# व्यभिचारियों + +वे लोग जो मसीह में विश्वास का दावा करके ऐसी व्यवस्था करते हैं। + +# इस जगत के व्यभिचारियों + +अविश्वासी जो अनैतिक जीवन जी रहें हैं। + +# लोभियों + +“लालची लोग” या “दूसरों के पास जो है उसकी लालसा करते है”। + +# अन्धेर करनेवालों + +अंधेर करने वालों अर्थात वे लोग जो पैसे या सम्पदा के लिए धोखा करते हैं। + +# पौलुस का अभिप्राय संसार के भौतिक लोगों से नहीं था क्योंकि ऐसे में तो उन्हें संसार से बाहर चले जाना होगा। + +संसार में ऐसे व्यवहार से बचा कोई स्थान नहीं है, वैकल्पिक अनुवाद: “इससे बचने के लिए तुम्हें सब मनुष्यों से बचना होगा” diff --git a/1co/05/11.md b/1co/05/11.md new file mode 100644 index 0000000..c96f381 --- /dev/null +++ b/1co/05/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# भाई कहला कर + +जो स्वयं को मसीह का विश्वासी कहे + +# मुझे बाहर वालों का न्याय करने से क्या काम? + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैं कलीसिया से बाहर के मनुष्य का न्याय नहीं करता हूं”। + +# क्या तुम भीतरवालों का न्याय नहीं करते + +“तुम्हें कलीसिया के सदस्यों का न्याय करना है”। (देखे: ) diff --git a/1co/06/01.md b/1co/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..45ef9ba --- /dev/null +++ b/1co/06/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# झगड़ा + +वैकल्पिक अनुवाद: “मतभेद” या “विवाद” + +# अधर्मियों के पास + +न्यायालय जहां न्यायाधीश अभियोग के निर्णय देता है + +# क्या तुम में से किसी को यह हियाव है कि.... फैसले के लिए अधर्मियों के पास जाए? + +पौलुस कहता है कि विश्वासियों को अपने झगड़े स्वयं निपटा लेना चाहिए। वैकल्पिक अनुवाद: “अपने विश्वासी भाई पर लगाया गया आरोप एक अविश्वासी न्यायधीश के पास न ले जाएं। विश्वासी भाइयों को अपने झगड़े स्वयं निपटा लेना चाहिए।” + +# क्या तुम नहीं जानते कि पवित्र लोग जगत का न्याय करेंगे? + +पौलुस संसार के न्याय के भावी परिप्रेक्ष्य की चर्चा कर रहा है। + +# जब तुम्हें जगत का न्याय करना है तो क्या तुम छोटे से छोटे झगड़े का भी निर्णय करने के योग्य नहीं? + +पौलुस कहता है कि भविष्य में उन्हें संपूर्ण संसार का न्याय करने का उत्तरदायित्व एवं योग्यता प्रदान की जायेगी। इस कारण उन्हें वर्तमान के छोटे मोटे झगड़े आपस ही में निपटा लेने चाहिए। “तुम भविष्य में संसार का न्याय करोगे, अतः इन छोटी-छोटी बातो का न्याय उस समय स्वयं ही करो”। + +# सांसारिक बातों + +“मतभेद” या “विवाद” + +# क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे? + +“तुम जानते हो कि हम स्वर्गदूतो का न्याय करेंगे” + +# हम + +पौलुस और कुरिन्थ की कलीसिया + +# तो क्या सांसारिक बातों का निर्णय न करें + +वैकल्पिक अनुवाद: “क्योंकि हमें स्वर्गदूतों का न्याय करने का उत्तरदायित्व एवं योग्यता प्रदान की जाएगी इसलिए हम निश्चय ही इस जीवन की बातों का न्याय कर सकते हैं”। diff --git a/1co/06/04.md b/1co/06/04.md new file mode 100644 index 0000000..80608cc --- /dev/null +++ b/1co/06/04.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# यदि तुम्हें सांसारिक बातों का निर्णय करना हो + +वैकल्पिक अनुवाद: “यदि तुम्हें दैनिक जीवन की बातों का निर्णय करना हो” या “तुम्हें इस जीवन के विषयों के संबन्ध में निर्णय लेना हो”। (यू.डी.बी.) + +# क्या उन्हीं को बैठाओगे + +“तुम्हें ऐसे लोगों को नहीं बैठाना है” + +# कलीसिया में कुछ नहीं समझे जाते + +पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को झिड़क रहा है कि वे इन बातों का कैसे न्याय कर रहे है”। इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “तुम्हें अपने विषय कलीसिया में उचित निर्णय लेने में अयोग्य मनुष्यों के समक्ष नहीं रखना चाहिए 2) “तुम्हें कलीसिया के बाहर के लोगों के समक्ष अपने विषय नहीं रखने चाहिए”। 3) “तुम इन विषयों को कलीसिया के उन सदस्यों के समक्ष भी रख सकते हो जिनका मान कलीसिया में नहीं है”। + +# तुम्हें लज्जित करने के लिए + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हारे अपमान के लिए” या “तुम पर प्रकट करने के लिए कि तुम कैसे चूक गए हो”(यू.डी.बी)। + +# क्या सचमुच तुम में एक भी बुद्धिमान नहीं मिलता जो अपने भाइयों का निर्णय कर सके? + +“तुम्हें एक बुद्धिमान विश्वासी को खोजकर विश्वासियों के विवाद सुलझाना चाहिए”। + +# झगड़ा + +“विवाद” या “मतभेद” + +# वह भी + +वैकल्पिक अनुवाद: “जैसा हो रहा है” या “इसकी अपेक्षा” (यू.डी.बी.) + +# भाई-भाई में मुकद्दमा होता है और वह भी अविश्वासियों के सामने + +वैकल्पिक अनुवाद: “आपस में झगड़ने वाले विश्वासी अविश्वासी न्यायधीशों के पास न्याय के लिए जाते है”। + +# मुकद्दमा होता है + +“विश्वासी मुकद्दमा करता है” diff --git a/1co/06/07.md b/1co/06/07.md new file mode 100644 index 0000000..77ec421 --- /dev/null +++ b/1co/06/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अपनी हानि + +वैकल्पिक अनुवाद: “विफलता” या “क्षति” + +# अन्याय + +वैकल्पिक अनुवाद: “धूर्तता” या “धोखा” + +# अन्याय क्यों नहीं सहते? हानि क्यों नहीं सहते + +वैकल्पिक अनुवाद: उचित तो यह है कि न्यायालय में जाने की अपेक्षा अन्याय सह लो, हानि उठा लो। + +# भाइयों को + +सब मसीही विश्वासी आपस में भाई-बहन हैं,वैकल्पिक अनुवाद: “साथी विश्वासियों को” diff --git a/1co/06/12.md b/1co/06/12.md new file mode 100644 index 0000000..9d61a93 --- /dev/null +++ b/1co/06/12.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# “सब वस्तुएं मेरे लिए उचित तो हैं” + +वैकल्पिक अनुवाद: “कुछ लोग कहते हैं, मैं कुछ भी कर सकता हूं” या “मुझे कुछ भी करने की अनुमति है”। + +# परन्तु सब वस्तुएं लाभ की नहीं + +“परन्तु मेरे लिए सब लाभकारी नहीं है” + +# मैं किस बात के अधीन हूंगा + +वैकल्पिक अनुवाद: “मुझ पर कुछ भी स्वामी होकर प्रभुता नहीं करे”। + +# "भोजन पेट के लिए और पेट भोजन के लिए है, परन्तु परमेश्वर...दोनों को नष्ट करेगा।" + +परमेश्वर दोनों का अन्त कर देगा “कुछ का कहना है, भोजन पेट के लिए और पेट भोजन के लिए, परन्तु परमेश्वर भोजन और पेट दोनों का अन्त कर देगा। + +# पेट + +शरीर का अंग पेट + +# नष्ट कर देगा + +“अन्त कर देगा” diff --git a/1co/06/14.md b/1co/06/14.md new file mode 100644 index 0000000..101b2c0 --- /dev/null +++ b/1co/06/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# प्रभु को जिलाया + +“यीशु को पुर्नजीवित किया” + +# क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारी देह मसीह के अंग हैं? + +जिस प्रकार हमारे हाथ और पैर हमारी देह के अंग हैं उसी प्रकार हमारी देह मसीह की देह अर्थात कलीसिया का अंग है। वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हारी देह मसीह का अंग है”। + +# तो क्या मैं मसीह के अंग लेकर वैश्या के अंग बनाऊं? + +वैकल्पिक अनुवाद:“तुम मसीह की देह का अंग हो, मैं तुम्हें वैश्या से जुड़ने नहीं दूंगा”? + +# कदापि नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: “ऐसा कभी ना हो” diff --git a/1co/06/16.md b/1co/06/16.md new file mode 100644 index 0000000..7c472a0 --- /dev/null +++ b/1co/06/16.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# क्या तुम नहीं जानते + +“तुम जानते हो”। पौलुस इस तथ्य पर बल दे रहा है कि वे उस बात को जानते है। + +# जो प्रभु की संगति में रहता है, वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है + +वैकल्पिक अनुवाद: “जो प्रभु के साथ जुड़ता है, वह उसके साथ आत्मा में एक हो जाता है”। diff --git a/1co/06/18.md b/1co/06/18.md new file mode 100644 index 0000000..c8838c3 --- /dev/null +++ b/1co/06/18.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# बचे रहो + +मनुष्य वैसे संकट से दूर भागता है वैसे ही पाप से भागने का भाव यहां व्यक्त है। “दूर हो जाओ”। + +# पाप मनुष्य करता है + +वैकल्पिक अनुवाद: “करता है” या “भागी होता है” + +# वे देह के बाहर हैं, परन्तु व्यभिचार करनेवाला अपनी ही देह के विरूद्ध पाप करता है। + +व्यभिचार का पाप का परिणाम मनुष्य के शरीर को रोग ग्रस्त करता है, परन्तु अन्य पाप उसके अपने शरीर को ऐसी हानि नहीं पंहुचाते है। diff --git a/1co/06/19.md b/1co/06/19.md new file mode 100644 index 0000000..b04f411 --- /dev/null +++ b/1co/06/19.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्या तुम नहीं जानते + +“तुम जानते हो” पौलुस बल देकर कहता है कि वे इस सत्य से अभिज्ञ हैं। + +# देह + +प्रत्येक विश्वासी का शरीर पवित्र आत्मा का निवास स्थान है। + +# पवित्र आत्मा का मन्दिर + +मन्दिर अलौकिक शक्ति को समर्पित किया जाता है और वह उसमें वास करती है। इसी प्रकार कुरिन्थ के प्रत्येक विश्वासी की देह एक मन्दिर है, जिसमें पवित्र आत्मा वास करता है। + +# दाम देकर मोल लिए गए हो + +परमेश्वर ने कुरिन्थ के विश्वासियों को दाम देकर पाप के दासत्व में से निकाल लिया था।। वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने तुम्हारी स्वतंत्रता के लिए कीमत दी है” + +# इस कारण + +वैकल्पिक अनुवाद: “अतः” या “क्योंकि यह सच है इसलिए....” या “इस सत्य के कारण” diff --git a/1co/07/01.md b/1co/07/01.md new file mode 100644 index 0000000..82b7897 --- /dev/null +++ b/1co/07/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अब + +पौलुस अपनी शिक्षा में एक नया प्रसंग आरंभ करता है। + +# उन बातों के विषय जो तुमने लिखी + +उन्होंने कुछ बातों के बारे में पौलुस से पत्र लिखकर पूछा था + +# पुरूष + +यहाँ कहने का अर्थ है पति + +# यह अच्छा है + +वैकल्पिक अनुवाद: “यह उचित एवं स्वीकार्य है” + +# स्त्री को न छूए + +“पति का पत्नी के साथ यौन संबन्ध नहीं बनाना भी कभी उचित होता है”। + +# व्यभिचार के डर से + +वैकल्पिक अनुवाद: “क्योंकि मनुष्य यौनाचार के पाप की परीक्षा में गिर सकता है”। + +# हर एक पुरूष की पत्नी और हर एक स्त्री का पति हो + +इसे बहु विवाह की संस्कृति के लिए इसे स्पष्ट करता है। “प्रत्येक पुरूष की एक ही पत्नी हो और प्रत्येक स्त्री का एक ही पति हो”। diff --git a/1co/07/03.md b/1co/07/03.md new file mode 100644 index 0000000..cbf01ac --- /dev/null +++ b/1co/07/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# पत्नी का हक + +पति-पत्नी दोनों ही परस्पर यौन दायित्व पूरा करें। diff --git a/1co/07/05.md b/1co/07/05.md new file mode 100644 index 0000000..5fb6667 --- /dev/null +++ b/1co/07/05.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# एक दूसरे से अलग न रहो + +वैकल्पिक अनुवाद: “अपने जीवन साथी को यौनतुष्टि से वंचित मत करो”। + +# प्रार्थना के लिए अवकाश मिले + +आपसी सहमति से यौनाचार से वंचित होना उचित है परन्तु केवल गहन प्रार्थना के लिए यहूदियों में यह अवकाश 1-2 सप्ताह का होता था। + +# फिर एक साथ रहो + +“समर्पित रहो” + +# फिर एक साथ रहो + +“यौन संबन्धों में लौट आओ” + +# तुम्हारे असंयम के कारण + +वैकल्पिक अनुवाद: “क्योंकि कुछ समय पश्चात तुम्हारी वासना वश में नहीं रहेगी”। + +# मैं जो यह कहता हूं यह अनुमति है न कि आज्ञा है + +पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को परामर्श देता है कि प्रार्थना ही के लिए वे यौन संबन्ध में अन्तराल रखें परन्तु यह एक अलग बात है, एक सतत् अनिवार्यता नहीं है। + +# जैसा मैं हूं + +पौलुस के सदृश्य अविवाहित (या तो पूर्वकालिक विवाहित या अविवाहित) + +# हर एक को परमेश्वर की ओर से विशेष वरदान मिले हैं, किसी को किसी प्रकार और किसी को किसी और प्रकार का + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने एक मनुष्य को एक योग्यता से संवारा है तो दूसरे को दूसरी से” diff --git a/1co/07/08.md b/1co/07/08.md new file mode 100644 index 0000000..196cb9f --- /dev/null +++ b/1co/07/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अविवाहितों + +“जो इस समय विवाह के बंधन में नहीं हैं” इसमें अविवाहित और विवाह विच्छेदित एवं विधुर सब हैं। + +# विधवाओं + +जिस स्त्री का पति मर गया है, + +# अच्छा है + +अच्छा है - यहां “अच्छा शब्द का अर्थ उचित एवं स्वीकार्य है। वैकल्पिक अनुवाद: “उचित एवं स्वीकार्य है”। + +# विवाह + +पति-पत्नी हो जाएं + +# कामातुर + +कामातुर - लगातार यौन वासना के वश में रहने से” diff --git a/1co/07/10.md b/1co/07/10.md new file mode 100644 index 0000000..a1c76a0 --- /dev/null +++ b/1co/07/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# विवाह + +जीवनसाथी से (पति या पत्नी) + +# अलग न हो + +अधिकांश यूनानी शब्द स्पष्ट नहीं करते कि वैध विवाह विच्छेद न हो मात्र अलग हों। अधिकांश दम्पतियों के लिए अलग रहने का अर्थ था विवाह विच्छेद। + +# छोड़े + +इसका अर्थ भी विवाह विच्छेद से ही है। उपरोक्त टिप्पणी देखें। इसका तात्पर्य वैध विवाह विच्छेद या मात्र अलग रहने से है। + +# मेल कर ले + +“वह अपने पति से समझौता करके लौट आए” diff --git a/1co/07/12.md b/1co/07/12.md new file mode 100644 index 0000000..d061e77 --- /dev/null +++ b/1co/07/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# प्रसन्न हो + +“इच्छुक हो” या “सन्तुष्ट है” + +# पवित्र ठहरता है + +“परमेश्वर ने उस अविश्वासी पति को पवित्र कर दिया है” + +# पत्नी.... पवित्र ठहरती है + +“परमेश्वर ने इस अविश्वासी पत्नी को पवित्र कर दिया है” ) + +# पवित्र हैं + +परमेश्वर ने उन्हें पवित्र कर दिया है। diff --git a/1co/07/15.md b/1co/07/15.md new file mode 100644 index 0000000..b684898 --- /dev/null +++ b/1co/07/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ऐसी दशा में कोई भाई या बहिन बंधन में नहीं + +“ऐसी स्थिति में विश्वासी पति/पत्नी पर विवाह का बन्धन नहीं है” + +# हे स्त्री, तू क्या जानती है कि तू अपने पति का उद्धार करा लेगी? + +“तू नहीं जानती कि अपने अविश्वासी पति का उद्धार करा पाएगी या नहीं”? + +# हे पुरूष, तू क्या जानता है कि अपनी पत्नी का उद्धार करा पाएगा? + +“तू नहीं जानता कि अपनी अविश्वासी पत्नी का उद्धार करा पाएगा या नहीं”। diff --git a/1co/07/17.md b/1co/07/17.md new file mode 100644 index 0000000..f0cc624 --- /dev/null +++ b/1co/07/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हर एक को + +“प्रत्येक विश्वासी को” + +# सब कलीसियाओं में ऐसा ही ठहराता हूं + +पौलुस सब कलीसियाओं में विश्वासियों को ऐसी ही आचरण की शिक्षा दे रहा था। + +# खतना किया हुआ बुलाया गया हो वह खतना रहित न बने। + +पौलुस खतना वालों (यहूदियों से कह रहा है) जिन्होंने खतना करा लिया था वे बुलाहट के समय खतना की दशा में थे। + +# जो खतना रहित बुलाया गया हो वह खतना न करवाए + +अब पौलुस खतनारहितों को कह रहा है। “खतनारहितों परमेश्वर ने जब तुम्हें बुलाया था तब तुम्हारा खतना नहीं हुआ था।” diff --git a/1co/07/20.md b/1co/07/20.md new file mode 100644 index 0000000..ab2079d --- /dev/null +++ b/1co/07/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जिस दशा में बुलाया गया हो उसी में रहे + +यहां “बुलाया गया” का संदर्भ सेवावृत्ति या सामाजिक स्तर से है जिसमें आप थे “वैसे ही रहो और काम करो जैसे थे”।(यू.डी.बी) + +# यदि तू दास की दशा में बुलाया गया? + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर की बुलाहट के समय दास था” + +# प्रभु का स्वतंत्र किया हुआ + +यह स्वतंत्रता प्रभु की देन है, अतः शैतान और पाप से मुक्त है + +# तुम दाम देकर मोल लिए गए हो + +वैकल्पिक अनुवाद: “मसीह ने अपनी जान देकर तुम्हें मोल लिया है + +# बुलाया गया + +“जब परमेश्वर ने हमें बुलाया कि उसमें विश्वास करें” + +# (हमारे-हम) + +सब विश्वासी diff --git a/1co/07/25.md b/1co/07/25.md new file mode 100644 index 0000000..a23817e --- /dev/null +++ b/1co/07/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कुँवारियों के विषय में प्रभु की कोई आज्ञा मुझे नहीं मिली + +कुँवारियों के विषय में प्रभु की कोई आज्ञा मुझे नहीं मिली - ऐसी स्थिति के बारे में पौलुस को प्रभु की शिक्षा स्मरण नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद: “जिन्होंने कभी विवाह नहीं किया उनके लिए मुझे प्रभु से कोई आज्ञा प्राप्त नही है” + +# मेरी समझ में + +पौलुस स्पष्टीकरण देता है कि विवाह संबन्धित ये निर्देशन उसके विचार से हैं, प्रभु की आज्ञाएं नहीं हैं। + +# इस कारण + +वैकल्पिक अनुवाद: “अतः” या “ इस कारण” + +# क्लेश के कारण + +वैकल्पिक अनुवाद: “आनेवाले विनाश के कारण” diff --git a/1co/07/27.md b/1co/07/27.md new file mode 100644 index 0000000..b8b3634 --- /dev/null +++ b/1co/07/27.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यदि तेरे पत्नी है + +पौलुस विवाहित पुरूषों से कह रहा है, वैकल्पिक अनुवाद: “यदि तू विवाहित है”। + +# अलग होने का यत्न न कर + +वैकल्पिक अनुवाद: “विवाह के बन्धन से मुक्त होने का प्रयास मत कर” + +# यदि तेरे पत्नी नहीं + +अब पौलुस अविवाहितों से कह रहा है, वैकल्पिक अनुवाद: “यदि इस समय तुम पत्नी रहित हो” + +# “पत्नी की खोज न कर” + +वैकल्पिक अनुवाद: “विवाह का विचार मत कर” + +# (समर्पित) + +“किया” या “सहभागी” + +# मैं बचाना चाहता हूं + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैं नहीं चाहता कि...” diff --git a/1co/07/29.md b/1co/07/29.md new file mode 100644 index 0000000..2770564 --- /dev/null +++ b/1co/07/29.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# समय कम किया गया है + +वैकल्पिक अमुवाद: “समय बहुत कम है” या “समय लगभग समाप्त हो गया है” + +# रोते + +वैकल्पिक अनुवाद: “रोएं” या “आंसू बहाकर दुःखी हों” + +# उनके पास कुछ भी नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: “उनके पास सम्पदा है ही नहीं” + +# संसार के साथ व्यवहार करने वाले + +वैकल्पिक अनुवाद:“जो प्रतिदिन अविश्वासियों के साथ लेन-देन करते है" + +# संसार में निर्वाह करनेवालों को ऐसा व्यवहार क्यों करना है कि मानों उन्हें संसार से कोई सरोकार नहीं? + +वैकल्पिक अनुवाद: “जैसे कि उन्होंने अविश्वासियों के साथ कोई व्यवहार नहीं किया” + +# संसार की रीति और व्यवहार बदलते जाते हैं + +क्योंकि संसार पर शैतान का राज शीघ्र ही समाप्त होगा diff --git a/1co/07/32.md b/1co/07/32.md new file mode 100644 index 0000000..822bb83 --- /dev/null +++ b/1co/07/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# चिन्ता न हो + +वैकल्पिक अनुवाद: “शान्ति मिले” या “निश्चिन्त रहो” + +# चिन्ता में रहता है + +वैकल्पिक अनुवाद: “ध्यान में रहता है” + +# संसार की बातों की + +वैकल्पिक अनुवाद:“परमेश्वर को और अपनी पत्नी दोनों को प्रसन्न करना चाहता है” diff --git a/1co/07/35.md b/1co/07/35.md new file mode 100644 index 0000000..ec70184 --- /dev/null +++ b/1co/07/35.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# फंसने के लिए + +वैकल्पिक अनुवाद: “बोझ डालने के लिए” या “बन्धन में रखने के लिए” + +# सेवा में + +वैकल्पिक अनुवाद: “प्रभु में ध्यान लगाए रहो” diff --git a/1co/07/36.md b/1co/07/36.md new file mode 100644 index 0000000..aea04b7 --- /dev/null +++ b/1co/07/36.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हक मार रहा हूं + +“कठोरता का व्यवहार कर रहा हूं” या “मान प्रदान नहीं करता” + +# कुंवारी + +इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “जिसे उसे मैंने उसे विवाह का वचन दिया है।” 2)“उसकी कुंवारी पुत्री” + +# विवाह होने दे + +संभावित अर्थ है, 1)“वह अपनी मंगेतर से विवाह करे।” 2) “अपनी पुत्री का विवाह कर दे।” diff --git a/1co/07/39.md b/1co/07/39.md new file mode 100644 index 0000000..15de769 --- /dev/null +++ b/1co/07/39.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जब तक... पति जीवित रहता है + +“जब तक वह मर न जाए” + +# जिस से चाहे + +वैकल्पिक अनुवाद: “अपनी इच्छा से” + +# केवल प्रभु में + +वैकल्पिक अनुवाद: “यदि उसका दूसरा पति विश्वासी है” + +# मेरे विचार में + +“परमेश्वर के वचन की मेरी समझ में” + +# और भी धन्य है + +“अधिक आनन्दित है” या “अधिक संतुष्टि पाएगी” + +# जैसे है वैसी ही रहे + +वैकल्पिक अनुवाद:“अविवाहित रहे” diff --git a/1co/08/01.md b/1co/08/01.md new file mode 100644 index 0000000..ca01168 --- /dev/null +++ b/1co/08/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# अब मूर्तियों.... के विषय में + +पौलुस इस अभिव्यक्ति द्वारा कुरिन्थ की कलीसिया द्वारा पूछे गए अगले प्रश्न पर आता है + +# मूर्तियों के सामने बलि की हुई वस्तुओं + +विजातियां अपने देवताओं को अन्न, मछली, मुर्गी या मांस चढ़ाते थे। पुजारी वेदी पर उसका एक अंश जला देता था परन्तु जो भाग शेष रहता था वह उपासक को लौटा दिया जाता था या बाजार में बेचा जाता था। पौलुस इसी के बारे में चर्चा कर रहा है। + +# हम जानते हैं कि हम सब को ज्ञान है + +पौलुस कुछ कुरिन्थ वासियों द्वारा की गई युक्ति का उद्धरण दे रहा है, वैकल्पिक अनुवाद: “हम सब जानते है, जैसा तुम स्वयं कहना चाहते हो कि” हम सब को ज्ञान है”। + +# घमण्ड उत्पन्न करता है + +“मनुष्य को घमण्डी बनाता है” या “मनुष्य जो वास्तव में है नहीं उससे अधिक स्वयं को समझे”। + +# यदि कोई समझे कि मैं कुछ जानता हूं + +“अपने विचार में कुछ बातों का सर्वज्ञानी है” + +# परमेश्वर उसे पहचानता है + +“परमेश्वर उसे जानता है” diff --git a/1co/08/04.md b/1co/08/04.md new file mode 100644 index 0000000..81e51c3 --- /dev/null +++ b/1co/08/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हमें + +पौलुस और कुरिन्थ के विश्वासी + +# पौलुस कुरिन्थ के कुछ विश्वासियों द्वारा प्रयुक्त व्यवस्था ही का उपयोग कर रहा है। + +“हम सब जानते हें, जैसा तुम स्वयं जानना चाहते हो, वैकल्पिक अनुवाद: “मूर्ति हमारे लिए असमर्थ एवं निरर्थक हैं” + +# मूर्ति जगत में कोई वस्तु नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: “संसार में मूर्ति कुछ भी नहीं है” + +# बहुत से ईश्वर और बहुत से प्रभु + +बहुत से ईश्वर और बहुत से प्रभु - पौलुस बहुदेववाद में विश्वास नहीं करता था परन्तु वह स्वीकार करता है कि विजातियों की यह मान्यता थी। + +# हम + +पौलुस और कुरिन्थ के विश्वासी + +# हमारे लिए + +“हम विश्वास करते हैं” diff --git a/1co/08/07.md b/1co/08/07.md new file mode 100644 index 0000000..0c99340 --- /dev/null +++ b/1co/08/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सबको... कुछ तो + +“सब मनुष्यों को... कुछ मनुष्य तो” + +# अशुद्ध + +“नष्ट” या “क्षतिग्रस्त” diff --git a/1co/08/08.md b/1co/08/08.md new file mode 100644 index 0000000..58bab71 --- /dev/null +++ b/1co/08/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# भोजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता + +“भोजन हमें परमेश्वर का अनुग्रह पात्र नहीं बनाता” या “हमारा भोजन परमेश्वर को प्रसन्न नहीं करता है”। + +# यदि हम नहीं खाए तो हमारी कुछ हानि नहीं और यदि खाएं तो हमें कुछ लाभ नहीं। + +“यदि हम खाएं तो हमें कोई हानि नहीं और खाएं तो कोई लाभ नहीं।” + +# साहस न हो जाएगा + +“प्रोत्साहन न मिलेगा” + +# निर्बल भाई + +“विश्वास में अस्थिर भाई” + +# भोजन करते + +“भोज में” या “खाते देखें”(यू.डी.बी) diff --git a/1co/08/11.md b/1co/08/11.md new file mode 100644 index 0000000..4e67668 --- /dev/null +++ b/1co/08/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# निर्बल भाई.... नष्ट हो जाएगा + +“भाई बहन जो विश्वास में दृढ़ नहीं वह पाप में गिरेगा/गिरेगी या विश्वास से भटक जाएगा/जाएगी” + +# इस कारण + +“इस अन्तिम सिद्धान्त के कारण” + +# यदि भोजन... ठोकर खिलाए + +“यदि भोजन करने से” या “भोजन के प्रोत्साहन से” diff --git a/1co/09/01.md b/1co/09/01.md new file mode 100644 index 0000000..9c3292f --- /dev/null +++ b/1co/09/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्या मैं स्वतंत्र नहीं? + +इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा पौलुस उन्हें अपने अधिकार स्मरण कराता है। वैकल्पिक अनुवाद: “मैं स्वतंत्र हूं”। + +# क्या मैं प्रेरित नहीं? + +इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा पौलुस उन्हें अपने प्रेरित होने का और अपने अधिकार का स्मरण कराता है, “मैं एक प्रेरित हूं”। + +# क्या मैंने यीशु को... नहीं देखा? + +इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा पौलुस उन्हें स्मरण कराता है कि वह कौन है। “मैंने अपने प्रभु यीशु को देखा है”। + +# क्या तुम प्रभु में मेरे बनाए हुए नहीं? + +इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा पौलुस उन्हें उसके साथ उसके संबन्धों का स्मरण कराता है। “मसीह में तुम्हारा विश्वास मेरी मसीही सेवा का परिणाम है।” + +# छाप हो + +वैकल्पिक अनुवाद: “मसीह में तुम्हारा विश्वास पुष्टि करता है” diff --git a/1co/09/03.md b/1co/09/03.md new file mode 100644 index 0000000..12e5408 --- /dev/null +++ b/1co/09/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# क्या हमें खाने पीने का अधिकार नहीं? + +वैकल्पिक अनुवाद: “हमें पूरा अधिकार है कि हम कलीसियाओं से भोजन-पानी लें” + +# हम + +अर्थात पौलुस और बरनबास + +# क्या हमें यह अधिकार नहीं कि किसी मसीही बहन के साथ विवाह करके उसे लिए फिरें जैसा अन्य प्रेरित और प्रभु के भाई और कैफा करते हैं? + +“यदि हमारे पास विश्वासी पत्नियां हों तो हमें अधिकार है कि उन्हें साथ लेकर यात्रा करें क्योंकि अन्य प्रेरित भी ऐसा ही करते हें, प्रभु का भाई और कैफा” + +# या केवल मुझे और बरनबास को ही अधिकार नहीं, कि कमाई करना छोड़ें? + +वैकल्पिक अनुवाद: “बरनबास और मुझे अधिकार है कि काम करना छोड़ दें” या “परन्तु तुम बरनबास और मुझ से अपेक्षा करते हो कि पैसा कमाने के लिए काम करें”। diff --git a/1co/09/07.md b/1co/09/07.md new file mode 100644 index 0000000..9ed8645 --- /dev/null +++ b/1co/09/07.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# कौन कभी गिरह से खाकर सिपाही का काम करता है? + +“सैनिक अपने पैसे से सेवा नहीं करता है” + +# कौन दाख की बारी लगाकर उसका फल नहीं खाता? + +वैकल्पिक अनुवाद: “दाख की बारी लगाने वालों निश्चय ही उसका फल खाएगा” या “दाख की बारी लगानेवाले से कोई भी उसका फल न खाने की अपेक्षा नहीं करता है”। ) + +# कौन भेड़ों का रखवाली करके उसका दूध नहीं पीता? + +“भेड़ों का रखवाला उनका ही दूध पीता है” या “भेड़ों को रखवाले से कोई अपेक्षा भी करता है कि उनका दूध न पीए”। + +# क्या मैं ये बातें मनुष्य ही की रीति पर बोलता हूं? + +“मैं ये बातें मानवीय अभ्यास पर आधारित नहीं करता हूं”। + +# क्या व्यवस्था भी यही नहीं कहती है? + +“मूसा के विधान में भी यही लिखा है” diff --git a/1co/09/09.md b/1co/09/09.md new file mode 100644 index 0000000..a738ccd --- /dev/null +++ b/1co/09/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# क्या परमेश्वर बैलों ही की चिन्ता करता है? + +“परमेश्वर केवल बैल ही की चिन्ता सबसे अधिक नहीं करता है”। + +# या विशेष करके हमारे लिए कहता है? + +वैकल्पिक अनुवाद:“परमेश्वर निश्चय ही हमारे बारे में कह रहा है” ) + +# हमारे लिए + +“हमारे” अर्थात पौलुस और बरनबास + +# तो क्या यह कोई बड़ी बात है कि तुम्हारी शारीरिक वस्तुओं की फसल काटें? + +“तुम से भौतिक सहायता लेना हमारे लिए कोई अनहोनी बात नहीं है”। diff --git a/1co/09/12.md b/1co/09/12.md new file mode 100644 index 0000000..2aefaf8 --- /dev/null +++ b/1co/09/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जब दूसरों का + +“शुभ सन्देश सुनाने वाले अन्य सेवकों को” + +# यह अधिकार है + +पौलुस जिस अधिकार की बात कर रहा है वह है कि कुरिन्थ की कलीसिया पौलुस की जीविका का बोझ उठाए क्योंकि उन्हें सर्वप्रथम शुभ सन्देश सुनानेवाला वही था। + +# तो क्या हमारा इससे अधिक न होगा? + +“हमारा” अर्थात पौलुस और बरनबास का “हमारा अधिकार और भी अधिक है”। (देखें: + +# रूकावट न हो + +“बोझ न हो” या “प्रचार में बाधा न हो” + +# जो सुसमाचार सुनाते हैं उनकी जीविका सुसमाचार से हो + +“शुभ सन्देश सुनाने के द्वारा दैनिक सहयोग प्राप्त करे” diff --git a/1co/09/15.md b/1co/09/15.md new file mode 100644 index 0000000..2c6dbab --- /dev/null +++ b/1co/09/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मैं इनमें से कोई भी बात काम में न लाया + +वैकल्पिक अनुवाद: “ये लाभ” या “जिनके हम योग्य हैं” + +# मेरे लिए ऐसा किया जाए + +वैकल्पिक अनवाद: “तुमसे कुछ प्राप्त करूं” या “तुम मेरे लिए दैनिक प्रबन्ध करो” + +# व्यर्थ ठहराए + +वैकल्पिक अनुवाद: “वंचित करे” या “पहुंचने न दे” + +# यह तो मेरे लिए अवश्य है + +“मुझे शुभ सन्देश सुनाना अनिवार्य है” + +# तो मुझ पर हाय + +वैकल्पिक अनुवाद: “मेरा भाग्य फूटे” diff --git a/1co/09/17.md b/1co/09/17.md new file mode 100644 index 0000000..09bc982 --- /dev/null +++ b/1co/09/17.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यदि अपनी इच्छा से यह करता हूं + +“यदि स्वैच्छा से शुभ सन्देश सुनाता हूं” + +# अपनी इच्छा से + +वैकल्पिक अनुवाद: “सहर्ष” या “अपनी इच्छा पर निर्भर” + +# भण्डारीपन मुझे सौंपा गया है + +वैकल्पिक अनुवाद: “मुझे यह काम करना है क्योंकि परमेश्वर ने इसे संपन्न करने के लिए मुझ पर भरोसा किया है” + +# मेरी कौन सी मजदूरी है? + +वैकल्पिक अनुवाद: “यह मेरा प्रतिफल है” + +# यह कि सुसमाचार सुनाने में मैं मसीह का सुसमाचार सेंत मेंत कर दूं, यहां तक कि सुसमाचार में मेरा जो अधिकार है उसको भी मैं पूरी रीति से काम में न लाऊं। + +वैकल्पिक अनुवाद: “शुभ सन्देश सुनाने के मेरा जो प्रतिफल है वह है कि मैं किसी के भी आभार से मुक्त शुभ सन्देश सुना सकता हूं” + +# सुसमाचार सुनाने में + +वैकल्पिक अनुवाद: “शुभ सन्देश सुनाने के निमित्त” + +# सुसमाचार में जो मेरा अधिकार है + +वैकल्पिक अनुवाद: “मेरी प्रचार यात्राओं के लिए विश्वासियों से आर्थिक सहयोग लूं”। diff --git a/1co/09/19.md b/1co/09/19.md new file mode 100644 index 0000000..8ca16e9 --- /dev/null +++ b/1co/09/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अधिक लोगों को खींच लाऊं + +“मनुष्यों को विश्वास करने के लिए प्रेरित करूं” या “मनुष्यों को मसीह में विश्वास करने में सहायता करूं” + +# यहूदी बना + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैंने यहूदियों का सा व्यवहार किया” या “यहूदियों की परम्परा का पालन किया” + +# व्यवस्था के अधीन बना + +वैकल्पिक अनुवाद:“यहूदी अगुओं की आज्ञा के अधीन रहा और वे धर्मशास्त्र की जैसी भी व्याख्या करते थे, उसे स्वीकार किया”। diff --git a/1co/09/21.md b/1co/09/21.md new file mode 100644 index 0000000..35fefec --- /dev/null +++ b/1co/09/21.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# व्यवस्थाहीनों के लिए + +वे लोग मूसा प्रदत्त नियमों का पालन नहीं करते थे अर्थात अन्य जातियों के लिए, वैकल्पिक अनुवाद: “यहूदियों के विधि-विधान से मुक्त मनुष्यों के लिए”। diff --git a/1co/09/24.md b/1co/09/24.md new file mode 100644 index 0000000..475096c --- /dev/null +++ b/1co/09/24.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्या तुम नहीं जानते कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही है, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है। + +इस प्रश्न के तथ्यों की समझ की प्रतिक्रिया अपेक्षित है, “हां, मैं जानता हूं कि दौड़ प्रतियोगिता में अनेक प्रतिद्वंदी होते हैं, परन्तु इनाम पाने वाला एक ही होता है”। + +# दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं + +पौलुस मसीही जीवन और परमेश्वर की सेवा की तुलना दौड़ और धावक से करता है। जैसे दौड़ का अनुशासन कठोर होता है उसी प्रकार मसीही जीवन और सेवा में भी कठोर अनुशासन तथा एक ही लक्ष्य होता है। + +# इनाम एक ही ले जाता है + +एक समर्पण के साथ दौड़ना कि सफलता प्राप्त हो, इसकी तुलना उस सेवा से की गई है जो परमेश्वर हमसे चाहता है। + +# मुकुट + +मुकुट सफलता का प्रतीक है जो उस कार्यक्रम के अधिकारी द्वारा दिया जाता है। यह रूपक परमेश्वर को सम्मान प्रदान करने के जीवन की एक उपमा है। परमेश्वर उद्धार का प्रतीक मुकुट देता है। + +# आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं + +इसका कर्तृवाच्य अनुवाद होगा, “न्यायी कहीं मुझे अयोग्य न घोषित कर दे” diff --git a/1co/10/01.md b/1co/10/01.md new file mode 100644 index 0000000..0a18c0d --- /dev/null +++ b/1co/10/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हमारे बाप-दादे + +पौलुस निर्गमन की पुस्तक में मूसा के समय की बात कर रहा है जब वे मिस्री सेना के भय से लाल सागर पार कर रहे थे। यहां “हमारे” समाविष्ट है “सब यहूदियों के पूर्वज” + +# सब ने ... मूसा का बपतिस्मा लिया + +वैकल्पिक अनुवाद: “सब मूसा को समर्पित उसका अनुसरण कर रहे थे” + +# समुद्र के बीच से पार हो गए + +“मिस्र से पलायन करने के बाद उन सब ने लाल सागर पार किया” + +# बादल में + +दिन में उनकी अगुआई करनेवाला बादल परमेश्वर की उपस्थिति का प्रतीक था। + +# वह चट्टान मसीह था + +“चट्टान” मसीह की अभेद्य शक्ति का प्रतीक है जो संपूर्ण यात्रा उनके साथ था। वे उसकी सुरक्षा एवं शान्ति पर निर्भर कर सकते थे। diff --git a/1co/10/05.md b/1co/10/05.md new file mode 100644 index 0000000..d341658 --- /dev/null +++ b/1co/10/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# प्रसन्न न हुआ + +“अप्रसन्न” या “क्रोधित” (यू.डी.बी.) + +# बहुतों से + +इस्राएलियों के पूर्वजों से + +# जंगल में + +मिस्र और इस्राएल के मध्य का जंगल जिसमें वे 40 वर्ष भटक रहे थे। + +# दृष्टान्त + +इस्राएलियों के लिए शिक्षा या उदाहरण + +# बुरी वस्तुओं का लालच + +परमेश्वर का सम्मान न करने वाली बातों की लालसा करना diff --git a/1co/10/07.md b/1co/10/07.md new file mode 100644 index 0000000..402e9ff --- /dev/null +++ b/1co/10/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मूर्तिपूजक + +“मूर्तियों की पूजा करने वाले” + +# खाने-पीने बैठे + +“भोज के लिए बैठे” + +# एक दिन में तेईस हजार मर गए + +“परमेश्वर ने एक ही दिन में तेईस हजार लोगों को मार डाला” + +# इसलिए + +वैकल्पिक अनुवाद: “क्योंकि उन्होंने अवैध यौनाचार किया” diff --git a/1co/10/09.md b/1co/10/09.md new file mode 100644 index 0000000..4162681 --- /dev/null +++ b/1co/10/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# न तुम कुड़कुड़ाओ + +शिकायत करना और रोष प्रकट करना” + +# नष्ट करने वाले के द्वारा नष्ट किए गए + +“मृत्यु के स्वर्गदूत ने उन्हें नष्ट किया” + +# नष्ट किया जाए + +वैकल्पिक अनुवाद:“मार डाला” diff --git a/1co/10/11.md b/1co/10/11.md new file mode 100644 index 0000000..c506905 --- /dev/null +++ b/1co/10/11.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# ये सब बातें जो उन पर पड़ीं + +कुकर्मों के परिणाम स्वरूप दण्ड + +# दृष्टान्त की रीति पर थी और हमारी... + +“हमारी” अर्थात सब विश्वासियों + +# जग के अन्तिम समय + +“अन्तिम दिनों” + +# कहीं गिर पड़े + +पाप न करे या परमेश्वर का सम्मान करें + +# तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है + +वैकल्पिक अनुवाद“तुम पर जो परीक्षाएं आती हैं, वे सब पर ही आती है” ) + +# सहने से + +तुम्हारी शारीरिक और मानसिक शक्ति से परे नहीं diff --git a/1co/10/14.md b/1co/10/14.md new file mode 100644 index 0000000..da2dd08 --- /dev/null +++ b/1co/10/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# मूर्तिपूजा से बचे रहो + +“मूर्तिपूजा से निश्चित रूप से अलग रहो” + +# धन्यवाद का कटोरा + +पौलुस इस अभिव्यक्ति द्वारा दाखरस के कटोरे का संकेत देता है जो प्रभु भोज में काम में आता है। + +# क्या मसीह के लहू की सहभागिता नहीं? + +जिस दाखरस के कटोरे में हम सहभागिता करते हैं वह मसीह के लहू में सहभागिता का प्रतीक है। “हम मसीह के लहू में सहभागी होते हैं”। (यू.डी.बी.), [[rc://*/ta/man/translate/figs-rquestion]]) + +# वह रोटी जिसे हम तोड़ते हैं, क्या वह मसीह की देह की सहभागिता नहीं ? + +वह रोटी जिसे हम तोड़ते है, क्या वह मसीह की देह की सहभागिता नहीं? -वैकल्पिक अनुवाद: “रोटी में सहभागी होते समय हम मसीह की देह में सहभागी होते हैं” ) + +# सहभागिता + +“उसमें भागीदार होना” या “सब के साथ बराबर की हिस्सेदारी करना” + +# रोटी + +पक्की हुई संपूर्ण रोटी जिसे बांटने के लिए तोड़ा जाता है diff --git a/1co/10/18.md b/1co/10/18.md new file mode 100644 index 0000000..1c4d666 --- /dev/null +++ b/1co/10/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# क्या बलिदानों के खाने वाले वेदी के सहभागी नहीं? + +वैकल्पिक अनुवाद: जो बलि के भोज्य पदार्थों को खाते हैं वे वेदी के भागीदार होते हैं। + +# फिर मैं क्या कहता हूं? + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैं अपनी बात दोहराता हूं” या “मेरे कहने का अर्थ यह है” + +# मूर्ति कुछ है? + +वैकल्पिक अनुवाद: “मूर्ति वास्तव में कुछ नहीं है” या “मूर्ति का कोई महत्व नहीं है”। + +# मूर्तियों के सामने बलि की हुई वस्तुओं + +वैकल्पिक अनुवाद: “मूर्ति पर चढ़ाया गया भोजन यह महत्व नहीं रखता है” या “मूर्ति को भेंट चढ़ाया हुआ भोजन अर्थहीन है” diff --git a/1co/10/20.md b/1co/10/20.md new file mode 100644 index 0000000..916217a --- /dev/null +++ b/1co/10/20.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कटोरे में से नहीं पी सकते + +किसी के द्वारा दिए गए कटोरे की सहभागिता प्रायः उसके पेय पदार्थ का संदर्भ देती है। यह “एक ही मान्यताओं की सहभागिता” के लिए एक रूपक है। + +# तुम प्रभु की मेज और दुष्टात्माओं की मेज दोनों के सांझी नहीं हो सकते + +वैकल्पिक अनुवाद: “यदि तुम प्रभु की उपासना के साथ-साथ दुष्टात्माओं की उपासना करते हो तो प्रभु की तुम्हारी उपासना निष्ठावान नहीं है”। + +# क्रोध दिलाते हो + +वैकल्पिक अनुवाद: “रोष दिलाते हो” या “भड़काते हो” + +# क्या हम उस से शक्तिमान हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “हम दुष्टात्माओं की संगति कर सकते हैं जबकि परमेश्वर नहीं करता है” या “हम परमेश्वर से अधिक शक्तिशाली नहीं हैं” diff --git a/1co/10/23.md b/1co/10/23.md new file mode 100644 index 0000000..04718cc --- /dev/null +++ b/1co/10/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# “सब वस्तुएं मेरे लिए उचित तो हैं + +पौलुस कुछ कुरिन्थ वासियों की लोकोक्ति का उद्धारण दे रहा है। वैकल्पिक अनुवाद: “मैं जो चाहूं वह कर सकता हूं”। + +# कोई अपनी ही भलाई की नहीं वरन दूसरों की भलाई को ढूंढ़े + +अपना ही नहीं दूसरों का भी भला करो + +# भलाई + +वैकल्पिक अनुवाद: “लाभ” diff --git a/1co/10/25.md b/1co/10/25.md new file mode 100644 index 0000000..5d18012 --- /dev/null +++ b/1co/10/25.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# कसाईयों के यहाँ + +मांस बेचने वालों की दुकान में + +# पृथ्वी और उसकी भरपूरी प्रभु की है + +परमेश्वर ने पृथ्वी और उसकी सब वस्तुओं को सृजा है + +# विवेक के द्वारा कुछ न पूछो + +अपने विवेक के कारण मत पूछो कि भोजन कहां से आया है यह मान लो कि भोजन परमेश्वर देता है चाहे वह मूर्ति को चढ़ाया गया हो या नहीं diff --git a/1co/10/28.md b/1co/10/28.md new file mode 100644 index 0000000..06f92b0 --- /dev/null +++ b/1co/10/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मेरी स्वतंत्रता दूसरे के विचार से क्यों परखी जाए + +वैकल्पिक अनुवाद: “मेरी अपनी पसन्द किसी के सही या गलत मानने से क्यों बदली जाए। + +# मैं साझी होता हूं + +यहां “मैं” पौलुस के लिए नहीं उनके लिए काम में लिया गया है जो धन्यवाद देकर मांस खाते हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “यदि मनुष्य.... सहभागी हो” या “जब मनुष्य खाए” + +# धन्यवाद करके + +इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “परमेश्वर की सराहना एवं धन्यवाद के साथ” 2) अतिथि सत्कार करने वाले की सराहना एवं धन्यवाद के साथ”। + +# जिस पर मैं धन्यवाद करता हूं उसके कारण मेरी बदनामी क्यों होती है? + +“जब मैंने भोजन के लिए धन्यवाद किया तो तुम मेरी निन्दा क्यों करते हो? “वैकल्पिक अनुवाद, “मैं किसी को मुझ पर दोष लगाने नहीं दूंगा” diff --git a/1co/10/31.md b/1co/10/31.md new file mode 100644 index 0000000..8650cb5 --- /dev/null +++ b/1co/10/31.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुम.... न ... होकर का कारण बनो + +वैकल्पिक अनुवाद: “अप्रसन्न मत करो” या “ठोकर लगने का कारण मत बनो” + +# सबको प्रसन्न रखता हूं + +वैकल्पिक अनुवाद: “सब मनुष्यों को स्वीकार्य हूं” + +# अपना ही नहीं बहुतों का लाभ ढूंढ़ता हूं + +वैकल्पिक अनुवाद: “अपनी ही लालसा पूर्ति नहीं करता हूं” + +# बहुतों + +यथा संभव अधिकाधिक diff --git a/1co/11/01.md b/1co/11/01.md new file mode 100644 index 0000000..3e165e2 --- /dev/null +++ b/1co/11/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# स्मरण करते हो + +वैकल्पिक अनुवाद:“विचार करते हो” या “ध्यान देते हो” + +# मैं चाहता हूं + +इसके संभावित अर्थ हैं, 1) इस कारण मैं चाहता हूं” या 2) “तथापि, मैं चाहता हूं” + +# सिर ढांके हुए + +“अपने पर कपड़ा डाल कर” + +# अपने सिर का अपमान करता है + +इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “अपना अपमान करता है” (यू.डी.बी.) या 2) “मसीह जो हमारा सिर है उसका अपमान करता है”। diff --git a/1co/11/05.md b/1co/11/05.md new file mode 100644 index 0000000..13f03b3 --- /dev/null +++ b/1co/11/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उघाड़े सिर + +परदा जो केवल मुंह खुला रखता है + +# अपने सिर का अपमान करती है + +इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “अपना अपमान करती है” या 2) “अपने पति के अपमान का कारण होती है” + +# मुण्डी + +सिर के बाल मुंडाने के जैसी + +# यदि स्त्री के लिए.... मुण्डन कराना लज्जा की बात है + +आज से भिन्न स्त्री के लिए सिर के बाल कटाना या मुण्डन करवाना लज्जा की बात थी। + +# ओढ़नी ओढ़े + +“सिर पर कपड़ा डाले या सिर ढांके" diff --git a/1co/11/07.md b/1co/11/07.md new file mode 100644 index 0000000..bc8d9b9 --- /dev/null +++ b/1co/11/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पुरूष को अपना सिर ढकना उचित नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: “अपने सिर पर टोपी का कपड़ा न डाले” + +# पुरूष की महिमा है + +जिस प्रकार पुरूष परमेश्वर की महिमा प्रकट करता है उसी प्रकार स्त्री पुरूष की महिमा प्रकट करती है। + +# क्योंकि पुरूष स्त्री से नहीं हुआ, परन्तु स्त्री पुरूष से हुई। + +स्त्री के सृजन के समय परमेश्वर ने पुरूष की एक पसली निकाल कर स्त्री को सृजा था। diff --git a/1co/11/09.md b/1co/11/09.md new file mode 100644 index 0000000..c2fe252 --- /dev/null +++ b/1co/11/09.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अधिकार अपने सिर पर रखे + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “पुरूष को उसका सिर प्रकट करने के लिए” या 2) “प्रार्थना या भविष्यद्वाणी के अधिकार के प्रतीक स्वरूप” diff --git a/1co/11/11.md b/1co/11/11.md new file mode 100644 index 0000000..29b46bc --- /dev/null +++ b/1co/11/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# केवल प्रभु में + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “मसीह के विश्वासियों में 2) “परमेश्वर के सृजित संसार में” + +# सब वस्तुएं परमेश्वर से हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने सब कुछ सृजा है” diff --git a/1co/11/13.md b/1co/11/13.md new file mode 100644 index 0000000..b4c545f --- /dev/null +++ b/1co/11/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# आप ही विचार करो + +वैकल्पिक अनुवाद: “इस बात को स्थानीय संस्कृति और कलीसियाई आज्ञाओं के अनुसार देखे” + +# क्या स्त्री का उघाड़े सिर परमेश्वर से प्रार्थना करना शोभा देता है? + +“स्त्री परमेश्वर के सम्मान के लिए सिर ढांक कर प्रार्थना करे” (देखें: + +# क्या + +वाक्य की शेष विषय वस्तु के संदर्भ हेतु + +# क्या स्वाभाविक रीति से भी तुम नहीं जानते? + +वैकल्पिक अनुवाद: “प्रकृति स्वयं सिखाती है” + +# स्वाभाविक रीति से + +अर्थात सामाजिक व्यवस्था के अनुसार। वैकल्पिक अनुवाद: "जिन बातों को आप जानते है कि संसार में ऐसा होता है" या "समाज का जो विचार मान्यता रखती है" + +# बाल उसको... दिए गए है? + +“परमेश्वर ने स्त्री को बालों के साथ सृजा है + +# कोई विवाद करना चाहे + +“शब्दों में असहमत हो” diff --git a/1co/11/17.md b/1co/11/17.md new file mode 100644 index 0000000..3a64a78 --- /dev/null +++ b/1co/11/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# आज्ञा + +वैकल्पिक अनुवाद: “निर्देश” या “नीति” + +# तुम्हारे इकट्ठे होने से + +वैकल्पिक अनुवाद: “एकत्र होने से” + +# तुम में फूट होती है + +तुम में विभिन्न वर्ग हैं। एक वर्ग माननीय है (धनवानों का) तो दूसरा नगण्य (गरीबों का) + +# जो लोग तुम में खरे है। प्रगट हो जाएंगे + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “तुम में सर्व प्रतिष्ठित विश्वासियों को लोग जान लें” या 2) “ कि मनुष्य उनमें उपस्थित अन्य जनों को स्वीकृति प्रदान करें”। + +# खरे + +अधिकारी द्वारा स्वीकृत या कलीसिया द्वारा diff --git a/1co/11/20.md b/1co/11/20.md new file mode 100644 index 0000000..06d81c6 --- /dev/null +++ b/1co/11/20.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यह प्रभु भोज खाने के लिए नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हारे लिए प्रभु भोज का स्मरण हो सकता है परन्तु तुम उसके लिए आवश्यक सम्मान प्रदान नहीं करते हो”। + +# इकट्ठे होते हो + +“एकत्र होते हो” + +# खाने पीने के लिए + +वैकल्पिक अनुवाद: “भोजन मात्र के लिए” + +# तुच्छ जानते हो + +घृणा करते या अपमान और अनादर करते हो + +# जिनके पास नहीं है उन्हें लज्जित करते हो + +कलीसिया में उन्हें अपमानित करते, छोटा दिखाते हो। diff --git a/1co/11/23.md b/1co/11/23.md new file mode 100644 index 0000000..5e5db98 --- /dev/null +++ b/1co/11/23.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यह बात मुझे प्रभु से पहुंची + +वैकल्पिक अनुवाद: “प्रभु ने मुझे यह जानकारी दी और मैं तुम्हें सुनाता हूं” + +# प्रभु यीशु ने जिस रात वह पकड़वाया गया + +“जिस रात कुरिन्थ वासी यहूदा ने यीशु को पकड़वाया” + +# रोटी ली और धन्यवाद करके उसे तोड़ी + +वैकल्पिक अनुवाद: “यीशु ने रोटी हाथों में लेकर परमेश्वर को धन्यवाद दिया और उसे तोड़ा”। + +# यह मेरी देह है + +वैकल्पिक अनुवाद: “यह रोटी मेरी देह है” diff --git a/1co/11/25.md b/1co/11/25.md new file mode 100644 index 0000000..c702571 --- /dev/null +++ b/1co/11/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कटोरा भी लिया + +वैकल्पिक अनुवाद: “उसने दाखरस का कटोरा भी लिया” + +# जब कभी पियो तो मेरे स्मरण के लिए यही किया करो + +“तुम जब-जब इसे पियो” + +# प्रभु की मृत्यु को.... प्रचार करते हो + +“तुम प्रभु की मृत्यु की वास्तविकता की शिक्षा देते हो”। यीशु की मृत्यु सामान्यतः उसके क्रूसीकरण और पुनरूत्थान के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है। + +# जब तक वह न आए + +वैकल्पिक अनुवाद: “जब तक यीशु पृथ्वी पर पुनः न आए” diff --git a/1co/11/27.md b/1co/11/27.md new file mode 100644 index 0000000..24432a6 --- /dev/null +++ b/1co/11/27.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# रोटी खाए या उसके कटोरे में से पीए + +वैकल्पिक अनुवाद: “प्रभु भोज में सहभागी हो” + +# अपने आपको जांच ले + +“अपने आपको परखो” या “निरीक्षण करे” + +# प्रभु की देह को न पहचाने + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “न पहचाने कि कलीसिया मसीह की देह है। 2) “यह न समझे कि वह प्रभु की देह को स्पर्श करता है”। (यू.डी.बी) diff --git a/1co/11/31.md b/1co/11/31.md new file mode 100644 index 0000000..44ed397 --- /dev/null +++ b/1co/11/31.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यदि हम अपने आप को जांचते + +“हम अपने व्यवहार एवं कामों को आंकने पर निकट ध्यान देते” diff --git a/1co/11/33.md b/1co/11/33.md new file mode 100644 index 0000000..122950f --- /dev/null +++ b/1co/11/33.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जब तुम खाने के लिए एकत्र होते हो + +प्रभु भोज से पूर्व खाने के लिए एकत्र होते हो। + +# एक दूसरे के लिए ठहरा करो + +“भोजन आरंभ करने से पूर्व दूसरे सदस्यों के आने की प्रतीक्षा किया करो” + +# अपने घर में खा लिया करें + +वैकल्पिक अनुवाद: “वह सभा में आने से पूर्व घर में खा कर आए” + +# दण्ड का कारण न हो + +वैकल्पिक अनुवाद: “आत्मसंयम की कमी के कारण सभा दण्ड का कारण उत्पन्न न करे”। + +# शेष बातों को और आकर ठीक करूंगा + +इससे स्पष्ट होता है कि पौलुस उन प्रश्नों का उत्तर दे रहा था और उन विषयों पर चर्चा कर रहा था जो कुरिन्थ की कलीसिया ने पत्र में उसे लिखे थे। diff --git a/1co/12/01.md b/1co/12/01.md new file mode 100644 index 0000000..dbaf0a2 --- /dev/null +++ b/1co/12/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मैं नहीं चाहता कि तुम... अनजान रहो + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैं चाहता हूं कि तुम जान लो” + +# गूंगी मूर्तियों के पीछे जैसे चलाए जाते थे + +“लोगों ने तुम्हें मूक मूर्तियों की उपासना हेतु भ्रष्ट किया था” (देखें: और ) + +# चलाए जाते थे + +वैकल्पिक अनुवाद: “उन्होंने तुम्हे भ्रष्ट किया” + +# जो कोई परमेश्वर के आत्मा की अगुवाई में बोलता है वह नहीं कहता + +उसके संभावित अर्थ हैं 1) कोई भी विश्वासी जिन्हें परमेश्वर का आत्मा वही कह सकता है”, 2) “जो परमेश्वर के आत्मा की सामर्थ्य से भविष्यद्वाणी करता है नहीं कह सकता” diff --git a/1co/12/04.md b/1co/12/04.md new file mode 100644 index 0000000..ae83904 --- /dev/null +++ b/1co/12/04.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सब में + +अर्थात वे सब विभिन्न वरदान को उन विश्वासियों को प्राप्त थे। diff --git a/1co/12/07.md b/1co/12/07.md new file mode 100644 index 0000000..322ad2c --- /dev/null +++ b/1co/12/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# हर एक को + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर हर एक को देता है” diff --git a/1co/12/09.md b/1co/12/09.md new file mode 100644 index 0000000..3d45a7c --- /dev/null +++ b/1co/12/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अनेक प्रकार की भाषा + +अर्थात अलग-अलग भाषाएं बोलना + +# भाषाओं का अर्थ बताना + +“भाषाओं के अनुवाद की क्षमता” diff --git a/1co/12/12.md b/1co/12/12.md new file mode 100644 index 0000000..8c7ddf8 --- /dev/null +++ b/1co/12/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# एक देह होने के लिए बपतिस्मा लिया + +“पवित्र आत्मा ने हम सब को बपतिस्मा दिया” + +# सब को एक ही आत्मा दिया गया + +परमेश्वर ने सबको एक ही आत्मा दिया और हम सब उस एक ही आत्मा में सहभागी हैं जैसे लोग एक ही पेय पदार्थ पीते हैं (देखें: और ) diff --git a/1co/12/14.md b/1co/12/14.md new file mode 100644 index 0000000..43b3914 --- /dev/null +++ b/1co/12/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सुनना कहां होता? ... सूंघना कहां होता? + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुम कुछ नहीं सुन पाते....तुम सूंघने योग्य नहीं रहते” diff --git a/1co/12/18.md b/1co/12/18.md new file mode 100644 index 0000000..67becc6 --- /dev/null +++ b/1co/12/18.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यदि सब एक ही अंग होते + +यदि हर एक अंग-पांव होता तो भुजा, हाथ, छाती या सिर जो सब मिलकर देह की रचना करते है, नहीं होते और हम एक पांव ही होते, देह नहीं। + +# देह कहां होती + +वैकल्पिक अनुवाद: “देह तो होती ही नहीं” + +# अब अंग तो बहुत हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “अतः अंग तो बहुत हैं परन्तु” diff --git a/1co/12/21.md b/1co/12/21.md new file mode 100644 index 0000000..baf6b11 --- /dev/null +++ b/1co/12/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# दुर्बल हैं + +“जो कम महत्व के हैं”। + +# शोभाहीन अंग + +संभवतः गुप्त अंग जो सदैव ढंके रहते हैं। diff --git a/1co/12/25.md b/1co/12/25.md new file mode 100644 index 0000000..6358a19 --- /dev/null +++ b/1co/12/25.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ताकि देह में फूट न पड़े + +वैकल्पिक अनुवाद: “कि देह संगठित हो और + +# एक अंग की बड़ाई होती है + +वैकल्पिक अनुवाद: “एक अंग को सम्मानित किया जाता है” + +# इसी प्रकार तुम + +“इसी प्रकार” द्वारा आनेवाली महत्वपूर्ण बात पर ध्यानकर्षित किया गया है। diff --git a/1co/12/28.md b/1co/12/28.md new file mode 100644 index 0000000..5c6434d --- /dev/null +++ b/1co/12/28.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# प्रथम प्रेरित + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “पहले मैं प्रेरित का नाम लेता हूं” या 2) “जो वरदान महत्वपूर्ण में प्रथम है, वह प्रेरित हैं”। + +# आकर करने वाले + +वैकल्पिक अनुवाद: “वे जो अन्य विश्वासियों की सेवा करते हैं” + +# प्रबन्ध करने वाले + +वैकल्पिक अनुवाद: “कलीसिया की व्यवस्था करने वाले” + +# नाना प्रकार की भाषा बोलने वाले + +भाषा सीखे बिना अनजान भाषा बोलने वाले + +# क्या सब प्रेरित हैं?.... क्या सब सामर्थ्य के काम करने वालें हैं? + +वैकल्पिक अनुवाद“हर एक विश्वासी तो प्रेरित नहीं है.... सामर्थ्य के काम करने वाले भी कुछ ही हैं”। (यू.डी.बी.) diff --git a/1co/12/30.md b/1co/12/30.md new file mode 100644 index 0000000..927b432 --- /dev/null +++ b/1co/12/30.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# क्या सबको चंगा करने का वरदान मिला है? + +वैकल्पिक अनुवाद: “सबके पास रोगहरण का वरदान तो नहीं है” ) + +# बड़ें से बड़े वरदानों की धुन में लगे रहो + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “तुम कलीसिया की सर्वोत्तम भलाई के लिए परमेश्वर से वरदान प्राप्ति की खोज में लगे रहो”। या 2) “तुम अपनी समझ के अनुसार उन वरदानों की खोज में रहते हो जिन्हें तुम अधिक महत्वपूर्ण समझते हो क्योंकि तुम्हारे विचार में वे अधिक उत्साहजनक हैं”। diff --git a/1co/13/01.md b/1co/13/01.md new file mode 100644 index 0000000..2c6e7cc --- /dev/null +++ b/1co/13/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# स्वर्गदूतों की बोलियां + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “पौलुस प्रभाव डालने के लिए अतिशयोक्ति काम में ले रहा है परन्तु उसके विचार में मनुष्य स्वर्गदूतों की भाषा नहीं बोल सकते। या 2) “पौलुस के विचार में कुछ लोग जो अन्य भाषा बोलते हैं, स्वर्गदूतों की भाषा बोलते हैं। + +# मैं ठनठनाता हुआ पीतल और झनझनाती हुई झांझ हूं। + +“मैं उन संगीत वाद्यों के सदृश्य हूं जो क्रोध दिलानेवाली ध्वनि उत्पन्न करते हैं + +# अपनी देह जलाने के लिए दे दूं + +प्राचीनतम अभिलेख में इस प्रकार लिखा है, “कि मैं गर्व से कह सकूं”। diff --git a/1co/13/04.md b/1co/13/04.md new file mode 100644 index 0000000..2cdf822 --- /dev/null +++ b/1co/13/04.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# प्रेम धीरजवन्त है और कृपालु है + +यहां पौलुस प्रेम को एक मनुष्य स्वरूप प्रस्तुत कर रहा है। diff --git a/1co/13/11.md b/1co/13/11.md new file mode 100644 index 0000000..cbfb349 --- /dev/null +++ b/1co/13/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अभी हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है। + +यह प्रथम शताब्दी का दर्पण है जो धातु को चमका कर बनाया जाता था कांच को नहीं, जिसमें चेहरा स्पष्ट दिखाई देता है। + +# आमने-सामने देखेंगे + +इसका अर्थ है कि हम मसीह के साथ सदेह उपस्थित होंगे + +# जैसा मैं पहचाना गया हूं + +वैकल्पिक अनुवाद: “ठीक वैसे ही जैसे मसीह ने मुझे पूर्णतः पहचाना है” diff --git a/1co/14/01.md b/1co/14/01.md new file mode 100644 index 0000000..4be614b --- /dev/null +++ b/1co/14/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# प्रेम का अनुकरण करो + +“प्रेम के पीछे चलो” या “प्रेम का मार्ग अपनाओ” + +# विशेष करके यह कि भविष्यद्वाणी करो + +पौलुस अपना विवाद प्रस्तुत करता है कि भविष्यद्वाणी अन्य भाषा बोलने से अधिक उत्तम क्यों है? diff --git a/1co/14/05.md b/1co/14/05.md new file mode 100644 index 0000000..0665136 --- /dev/null +++ b/1co/14/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# भविष्यद्वाणी करनेवाला उससे बढ़कर है + +पौलुस बल देकर कहता है कि भविष्यद्वाणी करना अन्य भाषाएं बोलने से अधिक श्रेष्ठ वरदान है वैकल्पिक अनुवाद: “जो भविष्यद्वाणी करता है उसका वरदान अधिक महान है”। + +# मुझ से तुम्हें क्या लाभ होगा? + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैं तुम्हें लाभ नहीं पहुंचा पाऊंगा” ) diff --git a/1co/14/07.md b/1co/14/07.md new file mode 100644 index 0000000..2717a20 --- /dev/null +++ b/1co/14/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# निर्जीव वस्तुएं भी जिनसे ध्वनि निकलती है... वह कैसे पहचाना जाएगा? + +“कोई नहीं बता पाएगा कि कौन सा वाद्य बजाया जा रहा है”। (यू.डी.बी.) और ) diff --git a/1co/14/12.md b/1co/14/12.md new file mode 100644 index 0000000..1e391b0 --- /dev/null +++ b/1co/14/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# आत्मिक वरदानों की धुन + +यह वाक्यांश आत्मिक वरदानों के संदर्भ में है + +# मेरी बुद्धि काम नहीं करती + +अर्थात मैं अपने ही शब्दों को समझ नहीं पाता हूं diff --git a/1co/14/15.md b/1co/14/15.md new file mode 100644 index 0000000..75b3be7 --- /dev/null +++ b/1co/14/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अतः क्या करना चाहिए? + +वैकल्पिक अनुवाद: “अतः मैं यह करूंगा” + +# मैं आत्मा से भी प्रार्थना .... करूंगा और बुद्धि से भी गाऊंगा + +अर्थात अन्य भाषा में प्रार्थना करना एवं स्तुति करना + +# बुद्धि से + +समझने योग्य शब्दों से + +# आत्मा से गाऊंगा.... धन्यवाद करेगा... क्या कहता है + +यहां एकवचन काम में लिया गया है परन्तु पौलुस उन सबसे कह रहा है जो केवल आत्मा में प्रार्थना करते हें बुद्धि अर्थात स्पष्ट शब्दों में नहीं + +# अज्ञानी + +वैकल्पिक अनुवाद: “दूसरा व्यक्ति” diff --git a/1co/14/17.md b/1co/14/17.md new file mode 100644 index 0000000..6ef14aa --- /dev/null +++ b/1co/14/17.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# कलीसिया में + +अर्थात आराधना के समय। वैकल्पिक अनुवाद: “कलीसियाई सभा में” + +# दस हजार बातें + +वैकल्पिक अनुवाद: “10,000 शब्द” diff --git a/1co/14/20.md b/1co/14/20.md new file mode 100644 index 0000000..61d1c23 --- /dev/null +++ b/1co/14/20.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अपरिचित भाषा बोलने वालों के द्वारा और पराए मुख द्वारा + +इन दोनों अभिव्यक्तियों का अर्थ एक ही है परन्तु बल देने के लिए काम में ली गई diff --git a/1co/14/22.md b/1co/14/22.md new file mode 100644 index 0000000..6c281ea --- /dev/null +++ b/1co/14/22.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या वे तुम्हें पागल न कहेंगे? + +वैकल्पिक अनुवाद: “वे कहेंगे कि तुम पागल हो” diff --git a/1co/14/24.md b/1co/14/24.md new file mode 100644 index 0000000..d03cbe1 --- /dev/null +++ b/1co/14/24.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सब उसे दोषी ठहरा देंगे और परख लेंगे + +पौलुस एक बात को दो रूपों में व्यक्त करके जोर देता है + +# उस के मन के भेद प्रगट हो जायेंगे + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर उसके मन की बातों को प्रकट कर देगा” diff --git a/1co/14/26.md b/1co/14/26.md new file mode 100644 index 0000000..b3dd974 --- /dev/null +++ b/1co/14/26.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# एक व्यक्ति अनुवाद करे + +वैकल्पिक अनुवाद: “जो वे कहते है उसका अनुवाद करे” diff --git a/1co/14/29.md b/1co/14/29.md new file mode 100644 index 0000000..d97414a --- /dev/null +++ b/1co/14/29.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# भविष्यद्वक्ताओं में से दो या तीन बोलें + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “ प्रार्थना सभा में दो या तीन भविष्यद्वक्ता बोलें या 2) “दो या तीन भविष्यद्वक्ता तुरन्त बोलें। + +# वचन + +वैकल्पिक अनुवाद:“जो वे कहते हैं” + +# ईश्वरीय प्रकाश हो + +भविष्यद्वक्ता की बातों से संबन्धित यदि किसी आराधक को परमेश्वर प्रकाशन प्रदान करता है diff --git a/1co/14/31.md b/1co/14/31.md new file mode 100644 index 0000000..67963f7 --- /dev/null +++ b/1co/14/31.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# सब एक-एक करके भविष्यद्वाणी कर सकते हो + +एक समय में एक ही मनुष्य भविष्यद्वाणी करे + +# सब सीखें और सब शान्ति पाएं + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुम सबको प्रोत्साहित करो” + +# परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं + +अर्थात परमेश्वर सबको एक साथ प्रेरित करके अव्यवस्था उत्पन्न नहीं करता है diff --git a/1co/14/34.md b/1co/14/34.md new file mode 100644 index 0000000..77cd578 --- /dev/null +++ b/1co/14/34.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# चुप रहे + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) बोलना छोड़ दें, 2) जब कोई भविष्यद्वाणी कर रहा है तब चुप रहें, 3) आराधना में पूर्णतः शान्त रहें। + +# क्या परमेश्वर का वचन तुम में से निकला है? या केवल तुम ही तक पहुंचा है? + +पौलुस बल देकर कहता है कि कुरिन्थ के विश्वासी ही नहीं हैं जो समझते हैं कि परमेश्वर विश्वासियों से क्या करने की अपे़क्षा करता है। “कुरिन्थ नगर में परमेश्वर का वचन तुम्हारे द्वारा नहीं लाया गया था। तुम ही एकमात्र परमेश्वर के लोग नहीं जो परमेश्वर की इच्छा को समझते हो”। + +# तुम में से निकला + +“तुम” शब्द बहुवचन में है और कुरिन्थ के विश्वासियों के लिए है। diff --git a/1co/14/37.md b/1co/14/37.md new file mode 100644 index 0000000..aa696e8 --- /dev/null +++ b/1co/14/37.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यह जान ले + +पौलुस झूठे और सच्चे भविष्यद्वक्ता के लिए एक परख प्रस्तुत करता है, उसके पत्र का स्वीकरण! + +# उसकी भी न मानो + +“अन्य विश्वासी भी उसे मान्यता प्रदान न करें” diff --git a/1co/14/39.md b/1co/14/39.md new file mode 100644 index 0000000..ac1217c --- /dev/null +++ b/1co/14/39.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अन्य भाषा बोलने से मना न करो + +पौलुस स्पष्ट कहता है कि आराधना में अन्य भाषा बोलना वर्जित नहीं वरन् स्वीकार्य है। + +# पर सारी बातें शालीनता एवं व्यवस्थित रूप से की जाएं + +पौलुस गंभीरता से कहता है कि कलीसियाई सभाओं में सुव्यस्था हो।वैकल्पिक अनुवाद: “सब बातें शिष्ट एवं व्यवस्थित रूप में होना हैं” या “सब कुछ सुव्यवथित एवं उचित रूप में हो”। diff --git a/1co/15/01.md b/1co/15/01.md new file mode 100644 index 0000000..5942c28 --- /dev/null +++ b/1co/15/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# स्मरण रखते हो + +“स्मरण रखने में सहायक है”। + +# स्थिर भी हो + +“टलते नहीं” + +# उसी के द्वारा तुम्हारा उद्धार भी होता है + +“उसी से परमेश्वर तुम्हारा उद्धार करेगा” diff --git a/1co/15/03.md b/1co/15/03.md new file mode 100644 index 0000000..439b354 --- /dev/null +++ b/1co/15/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यीशु मसीह हमारे पापों के लिए मर गया + +“मसीह ने हमारे पापों के कारण मरना स्वीकार किया” + +# पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार + +पौलुस पुराने नियम का संदर्भ दे रहा है diff --git a/1co/15/05.md b/1co/15/05.md new file mode 100644 index 0000000..b99305e --- /dev/null +++ b/1co/15/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# दिखाई दिया + +“स्वयं को प्रकट किया” + +# पांच सौ से अधिक + +500 diff --git a/1co/15/08.md b/1co/15/08.md new file mode 100644 index 0000000..feb16fb --- /dev/null +++ b/1co/15/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सब के बाद + +वैकल्पिक अनुवाद: “सबको दिखाई देने के बाद” + +# मानों अधूरे दिनों का जन्मा हूं + +यह एक मुहावरा है जो उस मनुष्य पर लागू होता है जो कि कुछ विशेष घटनाओं को देखना चाहता है जिन्हें पहले लोग देख चुके हैं। पौलुस यीशु की सांसारिक सेवा में उसके साथ नहीं था जैसे अन्य प्रेरित थे, वैकल्पिक अनुवाद: “जो अन्यों के अनुभव से चूक गया” diff --git a/1co/15/10.md b/1co/15/10.md new file mode 100644 index 0000000..b1316ab --- /dev/null +++ b/1co/15/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं जो कुछ भी हूं परमेश्वर के अनुग्रह से हूं + +पौलुस अब जो कुछ भी है परमेश्वर के अनुग्रह या उसकी दया से है। + +# वह व्यर्थ नहीं हुआ + +पौलुस ने परमेश्वर की दया के अनुकूल जीवन जीना सिखाया + +# परमेश्वर के अनुग्रह से जो मुझ पर हुआ + +पौलुस अपने जीवन का श्रेय उस पर हुई परमेश्वर की दया को देता है। diff --git a/1co/15/12.md b/1co/15/12.md new file mode 100644 index 0000000..0efdd23 --- /dev/null +++ b/1co/15/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुममें से कितने कैसे कहते हो कि मरे हुओं का पुनरूत्थान है ही नहीं + +मृतकों का पुनरूत्थान नहीं तो मसीह के पुनरूत्थान का पौलुस द्वारा प्रचार एक विपरीत बात है।वैकल्पिक अनुवाद: “तुम नहीं कह सकते कि मृतकों को पुनरूत्थान नहीं है”। + +# यदि मुर्दे नहीं जी उठते तो मसीह भी नहीं जी उठा + +यह कहना कि मृतकों का पुनरूत्थान नहीं है तो इसका अर्थ यह हुआ कि मसीह मर कर जी नहीं उठा”। diff --git a/1co/15/15.md b/1co/15/15.md new file mode 100644 index 0000000..38d42c2 --- /dev/null +++ b/1co/15/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस उस झूठ का ही खण्डन कर रहा है कि मसीह मर कर जी नहीं उठा + +# हम परमेश्वर के झूठे गवाह ठहरे + +पौलुस का विवाद है कि मसीह मर कर जी नहीं उठा तो उनकी गवाही झूठी है और वे मसीह के पुनरूत्थान की झूठी कहानी सुनाते हैं। + +# तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है और तुम अब तक अपने पापों में फंसे हो + +पौलुस कहता है कि उनका विश्वास मसीह के पुनरूत्थान पर आधारित है और यदि मसीह जी नहीं उठा तो उनका विश्वास निरर्थक है। diff --git a/1co/15/18.md b/1co/15/18.md new file mode 100644 index 0000000..17b045e --- /dev/null +++ b/1co/15/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सब मनुष्यों से + +“सब अर्थात विश्वासियों तथा अविश्वासियों से” + +# अभागे हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “सबसे अधिक दयनीय हैं” diff --git a/1co/15/24.md b/1co/15/24.md new file mode 100644 index 0000000..da0a36c --- /dev/null +++ b/1co/15/24.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसका राज्य करना अवश्य है + +मसीह का राज्य करना + +# अपने बैरियों को अपने पांव तले ले न आए + +यह उस तथ्य को दर्शाता है कि मसीह सब बैरियों को जीत लेगा। “जब तक परमेश्वर मसीह के सब बैरियों को उसके सामने झुका न दिया हो” + +# नष्ट किया + +"पराजित किया जाए" diff --git a/1co/15/27.md b/1co/15/27.md new file mode 100644 index 0000000..86db083 --- /dev/null +++ b/1co/15/27.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# “परमेश्वर ने सब कुछ उसके पांवों तले कर दिया है”। + +पिता परमेश्वर ने सब कुछ मसीह की प्रभुता के अधीन कर दिया है। diff --git a/1co/15/29.md b/1co/15/29.md new file mode 100644 index 0000000..8ec6bf1 --- /dev/null +++ b/1co/15/29.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जो लोग मरे हुओं के लिए बपतिस्मा लेते हैं वे क्या करेंगे? + +वैकल्पिक अनुवाद: “तो फिर विश्वासियों द्वारा मरे हुओं के लिए बपतिस्मा लेना व्यर्थ है”। + +# मरे हुओं के लिए बपतिस्मा लेते हैं + +“मृतकों के स्थान में बपतिस्मा लेते” + +# हम भी क्यों हर घड़ी जोखिम में पड़े रहते + +यदि मसीह जी नहीं उठा तो पौलुस और अन्य विश्वासियों को अपने विश्वास और शिक्षाओं के लिए संकट मोल लेने में क्या औचित्य है। diff --git a/1co/15/31.md b/1co/15/31.md new file mode 100644 index 0000000..1eca1dc --- /dev/null +++ b/1co/15/31.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं प्रतिदिन मरता हूं + +पौलुस पाप की अभिलाषा के लिए मरने की बात करता है + +# इफिसुस में वन पशुओं से लड़ा + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) पौलुस अन्यजाति विद्वानों से विवाद करने की उपमा दे रहा है या 2) वह हिंसक पशुओं से लड़ने के लिए अखाड़े में डाला गया था। + +# तो आओ खाएं पीएं क्योंकि कल तो मर ही जाएंगे + +पौलुस निष्कर्ष निकालता है, यदि मरने के बाद जीवन नहीं तो उचित है कि हम यथासंभव इस जीवन का आनन्द लें क्योंकि हमारा जीवन भावी आशा के बिना कल समाप्त हो ही जाएगा। diff --git a/1co/15/33.md b/1co/15/33.md new file mode 100644 index 0000000..c2e3a49 --- /dev/null +++ b/1co/15/33.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ ही देती है + +बुरे लोगों के साथ रहकर तुम उनका सा व्यवहार करोगे + +# धर्म के लिए जाग उठो + +वैकल्पिक अनुवाद: “इस बात पर गंभीरता से विचार करो” + +# तुम्हें लज्जित करने के लिए + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हें अपमान या लज्जा का बोध होना चाहिए” + +# कुछ ऐसे हैं जो परमेश्वर को नहीं जानते + +कलीसिया से जुड़े कुछ लोग वास्तव में विश्वासी नहीं हैं। वे शुभ सन्देश से अनभिज्ञ हैं। diff --git a/1co/15/35.md b/1co/15/35.md new file mode 100644 index 0000000..bfe9ce7 --- /dev/null +++ b/1co/15/35.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अब कोई यह कहेगा, “मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं और कैसी देह के साथ आते हैं? + +“कोई कह सकता है कि मृतकों का परमेश्वर द्वारा जिलाया जाना और पुनरूत्थान बाद परमेश्वर द्वारा उन्हें देह देना उनकी कल्पना के परे है”। + +# कोई + +वैकल्पिक अनुवाद: "पुनरूत्थान पर सन्देह करनेवाला कोई भी" + +# कैसी देह + +किस प्रकार का देह: आत्मिक या भौतिक देह या रूप रंग और शरीर के भौतिक तत्व + +# हे निर्बुद्धि + +वैकल्पिक अनुवाद: “तू इस बारे में कुछ नहीं जानता” + +# जो कुछ तू बोता है जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता + +बीज जब तक भूमि में दफन नहीं किया जाता तब तक वह अंकुरित नहीं होता है। इसी प्रकार, मनुष्य को पुनरूत्थान से पहले मरना आवश्यक है। diff --git a/1co/15/37.md b/1co/15/37.md new file mode 100644 index 0000000..8c3d990 --- /dev/null +++ b/1co/15/37.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जो तू बोता है यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होने वाली है + +यहां बीज की उपमा फिर दी गई है जिसका अभिप्राय है कि विश्वासी का पुनरूत्थान होगा और जैसा वह था वैसा दिखाई नहीं देगा। + +# परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उसको देह देता है + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ही निश्चित करेगा कि देह कैसी हो” diff --git a/1co/15/40.md b/1co/15/40.md new file mode 100644 index 0000000..a4ed2fa --- /dev/null +++ b/1co/15/40.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# स्वर्गीय देह है + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) सूर्य, चांद, सितारे या अन्य प्रकाशमान आकाशीय पिण्ड 2) स्वर्गिक प्राणी जैसे स्वर्गदूत या अन्य अलौकिक प्राणी। + +# पार्थिव देह + +मानवीय देह के सन्दर्भ में है। + +# स्वर्गिक देह का तेज और है और पार्थिव देह का और। + +वैकल्पिक अनुवाद:“स्वर्गिक देह की महिमा मानवीय महिमा से सर्वथा भिन्न है” + +# तेज + +यहां तेज का अर्थ है आकाशीय पिंडों की मानवीय आंखों में तुलनात्मक चमक। diff --git a/1co/15/45.md b/1co/15/45.md new file mode 100644 index 0000000..d8701a3 --- /dev/null +++ b/1co/15/45.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पहले आत्मिक न था पर स्वाभाविक था + +वैकल्पिक अनुवाद: "प्राकृतिक मनुष्य पहले आया तब बाद में आत्मिक मनुष्य आया जो परमेश्वर से था"। + +# स्वभाविक + +प्राकृतिक रचना जो परमेश्वर से अभी जुड़ी नहीं है diff --git a/1co/15/47.md b/1co/15/47.md new file mode 100644 index 0000000..3a0e6d5 --- /dev/null +++ b/1co/15/47.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# धरती से अर्थात मिट्टी का था + +“क्योंकि परमेश्वर ने उसे पृथ्वी की मिट्टी से बनाया था” + +# मिट्टी + +वैकल्पिक अनुवाद: “पृथ्वी से प्राप्त आधारभूत पूर्ण” + +# दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है + +मसीह यीशु + +# स्वर्गीय + +“मसीह में विश्वास करने वाले” + +# धारण करेंगे + +“ग्रहण करके प्रकट करेंगे” diff --git a/1co/15/50.md b/1co/15/50.md new file mode 100644 index 0000000..dc9d998 --- /dev/null +++ b/1co/15/50.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मांस और लहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते + +पौलुस उनके बारे में कह रहा है जिनका नया जन्म नहीं हुआ या जो नई सृष्टि नहीं हैं + +# न नाशवान अविनाशी का अधिकारी हो सकता है + +पौलुस कहता है कि हमारी ये देह नष्ट हो जाएंगी और हम अविनाशी देह धारण करेंगे + +# सब बदल जायेंगे + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर हम सब को बदल देगा” diff --git a/1co/15/52.md b/1co/15/52.md new file mode 100644 index 0000000..07c47af --- /dev/null +++ b/1co/15/52.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हम बदल जायेंगे + +“परमेश्वर हमारा रूपान्तरण कर देगा” (देखें: : ) + +# पलक मारते ही + +इतना शीघ्र जितना मनुष्य को पलक झपकने में समय लगता है। + +# अन्तिम तुरही फूंकते ही होगा + +तुरही का फूंका जाना किसी प्रमुख घटना के पूर्व ही होता है यहां वह इस पृथ्वी की अन्तिम महान घटना होगी जिसकी चर्चा पौलुस कर रहा है। + +# यह नाशवान देह अविनाश को पहिन ले + +परमेश्वर हमारी मरणहार देह को अमरत्व में बदल देगा diff --git a/1co/15/54.md b/1co/15/54.md new file mode 100644 index 0000000..579a930 --- /dev/null +++ b/1co/15/54.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# हे मृत्यु तेरी जय कहां रही? हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? + +हे मृत्यु तेरी जय कहां रही? हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? - पौलुस मृत्यु के सामर्थ्य का उपहास करते हुए कहता है क्योंकि मसीह ने उसे पराजित कर दिया। “मृत्यु की न तो विजय रही न ही उसका डंक रहा”। diff --git a/1co/15/56.md b/1co/15/56.md new file mode 100644 index 0000000..acb14c2 --- /dev/null +++ b/1co/15/56.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मृत्यु का डंक पाप है + +पाप ही के कारण हम मरते हैं + +# पाप का बल व्यवस्था है + +मूसा प्रदत्त परमेश्वर का विधान पाप की व्याख्या करता है और दिखता है कि हम परमेश्वर के समक्ष कैसे पाप करते हैं। + +# हमें जयवन्त करता है + +“हमारे लिए उसने मृत्यु को पराजित किया” diff --git a/1co/15/58.md b/1co/15/58.md new file mode 100644 index 0000000..61fe035 --- /dev/null +++ b/1co/15/58.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दृढ और अटल रहो और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ + +वैकल्पिक अनुवाद: “दृढ़ संकल्प होकर प्रभु के लिए निष्ठापूर्वक काम करो” diff --git a/1co/16/01.md b/1co/16/01.md new file mode 100644 index 0000000..cbe091e --- /dev/null +++ b/1co/16/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# पवित्र लोगों + +पौलुस अपनी कलीसियाओं से दान एकत्र कर रहा था कि यरूशलेम और यहूदिया के विश्वासियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। + +# जैसी आज्ञा मैंने ... दी + +“जैसे निश्चित निर्देश मैंने दिए” + +# अपने पास रख छोड़ो + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “घर में बचाकर रखो” या 2) “कलीसिया में जमा करा दो”। + +# कि मेरे आने पर चन्दा न करना पड़े + +वैकल्पिक अनुवाद: “कि जब मैं वहां आऊंगा तब चन्दा न करना पड़े” diff --git a/1co/16/03.md b/1co/16/03.md new file mode 100644 index 0000000..a522fb1 --- /dev/null +++ b/1co/16/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जिन्हें तुम चाहोगे + +पौलुस उनसे कहता है कि वे किसी एक मनुष्य को चुन लें कि वह उनका आर्थिक सहयोग लेकर यरूशलेम जाए। वैकल्पिक अनुवाद: “तुम जिसे भी नियुक्त करोगे”। + +# मैं चिट्ठियां देकर भेज दूंगा + +मैं चिट्ठियां देकर भेज दूंगा - इसके सम्भावित अर्थ हो सकते है 1)"जो पत्र मै लिखूंगा उसके हाथ भेज दूंगा"। या 2)"तुम्हारे लिखे हुए पत्र के साथ भेज दूंगा" diff --git a/1co/16/05.md b/1co/16/05.md new file mode 100644 index 0000000..35b2cc4 --- /dev/null +++ b/1co/16/05.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम मुझे पहुंचा देना + +संभवतः पौलुस और उसके साथियों के लिए आर्थिक सहयोग या भौतिक सहयोग। diff --git a/1co/16/07.md b/1co/16/07.md new file mode 100644 index 0000000..e53d90c --- /dev/null +++ b/1co/16/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं अब मार्ग में तुम से भेंट करना नहीं चाहता + +पौलुस के कहने का अर्थ है कि इस समय वह आएगा तो समय कम होगा परन्तु बाद में वह अधिक समय के लिए वहां ठहरेगा। + +# पिन्तेकुस्त तक + +इस उत्सव तक पौलुस इफिसुस में रहेगा। (मई या जून माह तक) बाद में मकिदुनिया होकर नवम्बर माह में कुरिन्थ पहुंचेगा, शीतऋतु से पूर्व। + +# बड़ा और उपयोगी द्वार खुला है + +अर्थात परमेश्वर ने उसे मनुष्यों में शुभ सन्देश सुनाने का सुनहरा अवसर दिया है diff --git a/1co/16/10.md b/1co/16/10.md new file mode 100644 index 0000000..d537f34 --- /dev/null +++ b/1co/16/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# देखना कि वह तुम्हारे यहां निडर रहे + +वैकल्पिक अनुवाद: “सुनिश्चित करता है कि उसे तुम से भयभीत होने का कोई कारण न हो” + +# कोई उसे तुच्छ न जाने + +तीमुथियुस पौलुस से बहुत कम आयु का था इसलिए संभव था कि उसे पौलुस और अप्पुल्लौस के तुल्य सेवक का सम्मान न दिया जाए। + +# भाई अप्पुल्लोस + +पौलुस अप्पुल्लोस के साथ विश्वासी भाई तथा मसीह के सेवक का सा सम्मानित व्यवहार करता था और कुरिन्थ में सेवा हेतु उसके लौट आने के पक्ष में था। diff --git a/1co/16/13.md b/1co/16/13.md new file mode 100644 index 0000000..5899008 --- /dev/null +++ b/1co/16/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जागते रहो + +पौलुस चाहता था कि वे समझें कि मसीह का प्रचार करने वाले सब लोग मसीह में नहीं हैं। + +# विश्वास में स्थिर रहो + +पौलुस प्रबोधन करता है कि वे झूठे शिक्षकों के भ्रम जाल में न पड़ जाएं और न विश्वास से डगमगा जाएं। + +# पुरूषार्थ करो, बलवन्त होओ + +पौलुस उन्हें मसीह में परिपक्व होने के लिए प्रोत्साहित करता है diff --git a/1co/16/15.md b/1co/16/15.md new file mode 100644 index 0000000..b8f8b7b --- /dev/null +++ b/1co/16/15.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# स्तिफनास के घराने + +स्तिफनास उस कलीसिया का सर्वप्रथम विश्वासी था। + +# ऐसों के अधीन रहो + +पौलुस उनसे आग्रह करता है कि वे वहां विश्वासियों की सेवा करने वालों का सम्मान करें धर्मवृद्ध स्वरूप मानकर उनके अधीन रहें। diff --git a/1co/16/17.md b/1co/16/17.md new file mode 100644 index 0000000..47a6e4d --- /dev/null +++ b/1co/16/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# स्तिफनास और फूरतूनातुस और अखइकुस + +वे पुरूष या तो उस कलीसिया के प्रथम विश्वासी थे या कलीसिया के धर्मवृद्ध थे पौलुस के घनिष्ठ संबन्ध में थे। + +# फूरतूनातुस और अखइकुस + +ये पुरूषों के नाम है। + +# उन्होंने मेरी आत्मा.... को चैन दिया + +पौलुस उनके आने से आनन्दित एवं प्रसन्न था। diff --git a/1co/16/19.md b/1co/16/19.md new file mode 100644 index 0000000..80e83ae --- /dev/null +++ b/1co/16/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# आसिया की कलीसियाओं + +अधिकांश कलीसियाएं कुरिन्थ के दूसरी ओर ऐजियन सागर के पूर्वी तट पर थी। + +# अक्विला और प्रिस्का + +यह दम्पत्ति रोम का विश्वासी था जिन्होंने अप्पुल्लोस को मसीह के मार्ग में निर्देशन दिया था। diff --git a/1co/16/21.md b/1co/16/21.md new file mode 100644 index 0000000..9cf2a63 --- /dev/null +++ b/1co/16/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मुझ पौलुस का अपने हाथ का लिखा + +पौलुस स्पष्ट करता है कि इस पत्र के निर्देश उसी के थे जबकि उसके इस पत्र का अधिकांश भाग उसके किसी सहकर्मी ने लिखा था। + +# वह शापित हो + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर उसे श्राप दे” diff --git a/1jn/01/01.md b/1jn/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..0fc24b2 --- /dev/null +++ b/1jn/01/01.md @@ -0,0 +1,55 @@ +# x + +प्रेरित यूहन्ना ने यह विश्वासियों (मसीहियों) को लिखा था। + +# जो आदि से था + +वाक्य "वह जो आदि से था" का अभिप्राय यीशु से है, जो कि सब कुछ रचे जाने से पहले था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "हम तुम्हें उस एक के विषय में लिख रहे हैं जो सभी चीज़ों की रचना से पूर्व भी अस्तित्व में था।" + +# आदि + +"सभी चीज़ों के आरम्भ से" या "संसार की रचना" + +# जिसे हमने सुना है + +वाक्य "जिसे हमने सुना है" का तात्पर्य यीशु ने जो उन्हें सिखाया है उससे है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है कि "हमने उसे सिखाते हुए सुना है।" + +# हम + +हम - पद 1 और 2 में, शब्द "हम" का अभिप्राय यूहन्ना और उन लोगों से है जो यीशु को जानते थे जब वह पृथ्वी पर था, पर इनमें वे लोग शामिल नहीं हैं जिन्हें यूहन्ना यह पत्र लिख रहा है. + +# जिसे हमने अपनी आँखों से देखा है, जिस पर हमने विचार किया है। + +"हमने स्वयं उसे देखा है." + +# और हमारे हाथों ने छुआ + +"हमने उसे अपने हाथों से छुआ है" + +# जीवन का वचन + +इसका अभिप्राय यीशु से है. "यह वही है जो लोगों के अनंतकाल के जीवन का कारण है." + +# जीवन प्रगट हुआ + +यह "यीशु" के संसार में आने के सन्दर्भ में है. इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "परमेश्वर ने उसे संसार में भेजा" + +# और हमने उसे देखा है + +"और हमने उसे देखा" + +# और गवाही देते हैं + +"और तुम्हें उसके विषय में बता रहे है" + +# अनंतकाल का जीवन + +यह वाक्य भी यीशु के सन्दर्भ में है , जो हमारे अनंतकाल के जीवन का कारण है। इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "वह हमारे अनंतकाल के जीवन का कारण बनता है।" + +# जो पिता के साथ था + +"वह पिता परमेश्वर के साथ था" + +# और हम पर प्रगट किया + +"पर वह हमारे बीच में रहने के लिए आया" (युडीबी) diff --git a/1jn/01/03.md b/1jn/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..2019de5 --- /dev/null +++ b/1jn/01/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# वह जो हमने देखा और सुना है हम उसकी तुम्हें भी गवाही देते हैं + +"जो हमने देखा और सुना है उसकी गवाही हम तुम्हें भी देते हैं" + +# हम..हमें..हमारा + +ये सर्वनाम यूहन्ना के और उनके जिन्होंने यीशु को जीवित देखा और अब लोगों को इसके विषय में सिखा रहे हैं के सन्दर्भ में हैं . + +# तुझे + +शब्द "तुम" बहुवचन है और इसका तात्पर्य उन लोगों से है जिन्हें यूहन्ना यह पत्र लिख रहा था। + +# हमारे साथ सहभागी हो। और हमारी सहभागिता पिता के साथ है + +हमारे साथ सहभागी हो। और हमारी सहभागिता पिता के साथ है - यहाँ शब्द सहभागिता का सन्दर्भ घनिष्ठ मित्रता से है। इन अनुच्छेदों का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है " हमारे घनिष्ठ मित्र बनो और हम पिता परमेश्वर के मित्र हैं" + +# हमारी सहभागिता + +यह स्पष्ट नहीं है कि यूहन्ना अपने पाठकों को सम्मलित कर रहा है या नहीं। आप इस में से किसी एक प्रकार से अनुवाद कर सकते हैं। + +# मसीह + +शब्द मसीह एक उपाधि है, नाम नहीं और इसका अर्थ है "चुना हुआ". यहाँ इसका तात्पर्य परमेश्वर का यीशु को हमारा उद्धारकर्ता चुने जाने से है। + +# कि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए + +"तुम्हारा आनन्द पूरा करने के लिए" या "तुम्हें पूरी तरह से आनन्द देने के लिए" diff --git a/1jn/01/05.md b/1jn/01/05.md new file mode 100644 index 0000000..cc611be --- /dev/null +++ b/1jn/01/05.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# हमने सुना है + +यहाँ "हम" का तात्पर्य यूहन्ना और उन सब से है जो यीशु को जानते थे जब वह पृथ्वी पर था। + +# तुम + +"तुम" शब्द बहुवचन है और उन लोगों के लिए प्रयोग किया गया है जिन्हें यूहन्ना लिख रहा था। + +# परमेश्वर ज्योति है + +इसका अर्थ ये है कि परमेश्वर पूर्ण रूप से दोषरहित और पवित्र है. इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "परमेश्वर पवित्र ज्योति के समान पूर्ण रूप से पवित्र है." हो सकता है कि वे संस्कृतियां जो अच्छाई को ज्योति से जोड़ते हैं ज्योति का विचार इस उपमा की व्याख्या किए बिना ही रख पाएं। + +# उसमें बिल्कुल भी अन्धेरा नहीं है + +इसका अर्थ ये है कि परमेश्वर कभी भी पाप नहीं करता और उसमें किसी भी प्रकार की बुराई नहीं है। इसे इस प्रकार से अनुवादित किया जा सकता है कि "उसमें पाप का अन्धेरा नहीं" जो संस्कृतियां बुराई को अन्धेरे से जोड़ती हैं इस उपमा की व्याख्या किए बिना ही शायद इस विचार को रख पाएं। + +# हम ...हमारा + +पद 6-7 में सर्वनाम "हम" और "हमारा" का सन्दर्भ सभी विश्वासियों से है, जिनमें वे लोग भी सम्मलित हैं जिन्हें यूहन्ना लिख रहा है। + +# हम झूठे हैं और सत्य पर नहीं चलते + +"हम यकीनन झूठ बोल रहे हैं" + +# अन्धकार में चलें + +इसका अर्थ ये है कि "बुराई पर चलें" या "हमेशा बुराई करें।" + +# ज्योति में चलें + +इसका अर्थ "अच्छाई करने से है" या "हमेशा वह करना जो भला हो।" + +# यीशु का लहू + +इसका सन्दर्भ यीशु की मृत्यु से है. diff --git a/1jn/01/08.md b/1jn/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..aed8d5d --- /dev/null +++ b/1jn/01/08.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# यदि हम + +पद 8, 9 और 10 में वाक्य "यदि हम" का आरम्भ एक प्राक्कल्पनात्मक स्थिति से आरम्भ होता है जो शायद हो सकती हो। + +# हम ...हमारा + +पद 8-10 में सर्वनाम "हम" और हमारा" का तात्पर्य सभी विश्वासियों से है। + +# कुछ भी पाप नहीं + +"कभी भी पाप नहीं" या "कभी भी पाप नहीं किया" (युडीबी) + +# धोखा + +" फुसलाना " या "मूर्ख बनाना " + +# हम में सत्य नहीं + +"हम विश्वास नहीं करते कि उसने जो कहा वह सत्य है" + +# वह...उसे...उसका + +ये सर्वनाम शायद यीशु के सन्दर्भ में है, पर शायद इनका सन्दर्भ पिता परमेश्वर से है. सर्वनामों को अस्पष्ट रहने देना ही ठीक है यदि आपकी भाषा इसकी अनुमति दे। + +# विश्वासयोग्य और धर्मी + +"वफ़ादार और भला" + +# हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने + +"और हमें पूरी तरह से हमारी गलतियाँ क्षमा कर देगा।" + +# तो हम उसे झूठा ठहराते हैं + +"यह उसे झूठा पुकारने जैसा है, क्योंकि उसने कहा हम सब पापी हैं." वाक्य "क्योंकि उसने कहा हम सबने पाप किया है" अस्पष्ट है। + +# उसका वचन हम में नहीं है + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "हम उसका कहा न तो समझते और न ही उस पर चलते हैं।" diff --git a/1jn/02/01.md b/1jn/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..e6fb219 --- /dev/null +++ b/1jn/02/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# हे मेरे बालको + +यूहन्ना एक बड़ी आयु का पुरुष और उनका अगुवा था. उसने इस अभिव्यक्ति का प्रयोग उनके लिए अपना प्रेम प्रदर्शित करने के लिए किया है. इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है कि "मसीह में प्रिय मेरे बालको" या "तुम जो मुझे अपने सगे बच्चों के समान प्रिय हो।" + +# ये बातें तुम्हें लिखता हूँ + +"ये पत्र लिख रहा हूँ" + +# पर यदि कोई पाप करता है + +कुछ इस प्रकार हो सकता है. "पर जब कोई पाप करता है" + +# हम ...हमारा + +पद 1-3 में ये शब्द यूहन्ना और उन लोगों के विषय में है जिन्हें वह लिख रहा है। + +# पिता के पास एक सहायक है + +"कोई जो परमेश्वर से बात करता है और उसे हमारे पाप क्षमा करने के लिए कहता है" + +# धर्मी यीशु मसीह + +"और यीशु मसीह में व्यक्ति, एकलौता जो दोषरहित है" + +# वह हमारे पापों का प्रायश्चित है + +"यीशु मसीह ने अपनी मर्ज़ी से हमारे पापों के लिए अपना जीवन दिया, ताकि इसके फलस्वरूप परमेश्वर हमारे पापों को क्षमा कर दे" (युडीबी) + +# यदि हम उसकी आज्ञाओं को मानेंगे, तो इससे हम जान लेंगे कि हम उसे जान गए हैं + +वाक्य "हम उसे जानते हैं" का अर्थ है कि "हमारा उसके साथ सम्बन्ध है." इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "यदि हम वह करें जो वह हमें करने के लिए कहता है, तो हम निश्चित हो सकते हैं कि हमारा उसके साथ अच्छा सम्बन्ध है" + +# वह...उसका + +यह शब्द परमेश्वर या यीशु के संदर्भ में हो सकते हैं। diff --git a/1jn/02/04.md b/1jn/02/04.md new file mode 100644 index 0000000..a6b7eb4 --- /dev/null +++ b/1jn/02/04.md @@ -0,0 +1,47 @@ +# जो कोई यह कहता है + +"कोई भी जो यह कहता है" या "वह व्यक्ति जो कहता है" + +# मैं परमेश्वर को जानता हूँ + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि, "मेरा परमेश्वर के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है।" + +# नहीं मानता + +"नहीं करता" या अवज्ञा करता है" + +# उसकी आज्ञाओं का + +"जो परमेश्वर उसे करने के लिए कहता है" + +# उसमें सत्य नहीं + +"वह नहीं मानता कि परमेश्वर जो कहता है वह सत्य है" + +# रखता + +"करता" या "पालन करता" + +# उसका वचन + +"जो परमेश्वर उसे करने के लिए कहता है" + +# परमेश्वर का प्रेम + +इसके सम्भावित अर्थ हो सकते हैं 1) "हमारा परमेश्वर के लिए प्रेम" या 2) "परमेश्वर का हमारे लिए प्रेम।" + +# सचमुच उस व्यक्ति में परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है + +इसका एक सक्रिय वाक्य के रूप में अनुवाद किया जा सकता है: "पर वे जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं, वे लोग परमेश्वर को हर प्रकार से प्रेम करते हैं" (युडीबी) या "लोगों के लिए परमेश्वर के प्रेम ने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया है जब वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं।" + +# इससे हम जानते हैं कि हम उसमें हैं। + +वाक्य "हम उसमें हैं" का अर्थ है कि एक विश्वासी हमेशा परमेश्वर से जुड़ा रहता है या परमेश्वर के साथ निरन्तर संगति में रहता है। अधिकतर 1 यूहन्ना में वाक्य "उसमें बना रहता है" का प्रयोग इसी अर्थ के सन्दर्भ में किया जाता है। इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "जब हम परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं, तब हम निश्चित हो सकते हैं कि हम उसके साथ संगति में हैं।" + +# वह बना रहता है + +"उसका सम्बन्ध है" + +# उसे चाहिए कि आप भी वैसे ही चले जैसे वह चलता था + +"वैसे ही रहना चाहिए जैसे यीशु रहता था" या "परमेश्वर की आज्ञा का पालन वैसे ही करना चाहिए जैसे यीशु मसीह ने किया" diff --git a/1jn/02/07.md b/1jn/02/07.md new file mode 100644 index 0000000..7509529 --- /dev/null +++ b/1jn/02/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हे प्रियो! + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "मित्रो" या "मसीह में प्रिय विश्वासियो" + +# मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं लिखता, पर पुरानी आज्ञा + +यूहन्ना यीशु की एक दूसरे से प्रेम रखने की आज्ञा के विषय में कह रहा था। इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि " मैं तुम लोगों को एक-दूसरे से प्रेम रखने के लिए लिख रहा हूँ। यह कोई नई आज्ञा नहीं है बल्कि पुरानी आज्ञा है जो तुम्हें दी गई थी।" + +# आरम्भ से + +"जहाँ से तुमने पहली बार मसीह में विश्वास किया था" + +# फिर भी मैं तुम्हें एक नई आज्ञा लिखता हूँ + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "एक प्रकार से जो आज्ञा मैं तुम्हें लिखता हूँ नई है।" + +# जो उसमें और तुम में सच्ची ठहरती है + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि " यह नई है क्योंकि जो उसने किया वह नया था, और जो तुम कर रहे हो वह नया है।" + +# अंधेरा छट रहा है और सच्ची ज्योति पहले से चमक रही है + +यहाँ "अन्धेरे" का तात्पर्य बुराई से है और "ज्योति" का अभिप्राय अच्छाई से है. इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "क्योंकि तुम बुराई करना छोड़ रहे हो और अधिक से अधिक भलाई कर रहे हो." diff --git a/1jn/02/09.md b/1jn/02/09.md new file mode 100644 index 0000000..c38e680 --- /dev/null +++ b/1jn/02/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जो कोई यह कहता है + +"कोई भी जो कहता है" या "वे जो दावा करते हैं." (यु डी बी). इसका तात्पर्य किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है। + +# वह ज्योति में है + +यह सही प्रकार से जीवन जीने के विषय में बताने का एक तरीका है. जब लोग वह करते हैं जो सही है, वह उसे ज्योति में कर सकते हैं , और उसे अन्धेरे में छुपाने की आवश्यकता नहीं है. इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है " वह वो करता है जो सही है" या "वह सही करते हुए ज्योति में है." + +# अन्धकार में है + +यह पापपूर्वक जीवन जीने के विषय में बोलने का एक तरीका है। जब लोग वह करते हैं जो गलत है, वे अन्धेरे में छिपना पसंद करते हैं. इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "अन्धकार में है, वह करते हुए जो बुराई है।" + +# उसके पास ठोकर खाने का अवसर नहीं है + +"वह किसी भी प्रकार से ठोकर नहीं खाएगा।" शब्द "ठोकर" एक रूपक है जिसका अर्थ आत्मिक या नैतिक रूप में हार जाना है। इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "कुछ भी उससे पाप नहीं करवा पाएगा" या "वह परमेश्वर को प्रसन्न करने में कभी भी नहीं चूकेगा।" + +# अंधकार में है और अन्धकार में चलता है + +इस एक विचार को इस पर ज़ोर डालने के लिए दोहराया गया है कि अपने साथी-विश्वासी से बैर रखना कितना बुरा है. इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "अन्धकार में रह रहा है" या "पाप के अन्धकार में रह रहा है।" + +# वह नहीं जानता कि वह कहाँ जा रहा है + +यह एक रूपक है जिसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "वह यह भी नहीं जानता कि वह जो कर रहा है वह बुराई है।" + +# अन्धकार ने उसकी आँखों पर पर्दा डाल दिया है + +"अन्धकार के कारण वह देख नहीं पा रहा है।" इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "पाप ने सत्य को समझने की उसकी समझ पर पर्दा डाल दिया है।" diff --git a/1jn/02/12.md b/1jn/02/12.md new file mode 100644 index 0000000..7f026a3 --- /dev/null +++ b/1jn/02/12.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# हे बालको! + +देखें कि आपने इसका अनुवाद में किस प्रकार किया है + +# तुम्हारे पाप क्षमा हुए हैं + +इसका अनुवाद सक्रिय भाग के साथ किया जा सकता है : "परमेश्वर ने तुम्हारे पाप क्षमा कर दिए हैं" (युडीबी). + +# मसीह के नाम में + +"मसीह का नाम" एक लक्षणालंकार है जिसका तात्पर्य मसीह से है और उस सब से जो उसने किया है." इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "मसीह ने तुम्हारे लिए जो कुछ किया है उसके कारण" (युडीबी). + +# हे पितरो, मैं तुम्हें लिखता हूँ + +शब्द "पितरो" यहाँ एक रूपक है और इसका अभिप्राय परिपक्व विश्वासियों से है। इसक अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है " हे परिपक्व विश्वासियो मैं तुम्हें लिखता हूँ।" + +# तुम जानते हो + +"तुम्हारा एक सम्बन्ध है" + +# उसे जो आदि से है + +"उसे जो आदि से जीवित है" या "उसे जो हमेशा से अस्तित्व में था." इसका तात्पर्य या तो "यीशु" से है या "पिता परमेश्वर" से है. + +# जवानों + +यह रूपक उन विश्वासियों को सम्बोधित करती है जो अब नए नहीं रहे और आत्मिक परिपक्वता में बढ़ रहे हैं। इसका अनुवाद "युवा विश्वासी" के रूप में किया जा सकता है। + +# परमेश्वर का वचन तुम में बना रहता है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है कि "तुम परमेश्वर का वचन जानते हो।" + +# जय पाई + +"जय पाई" या "जीत लिया" या "हरा दिया" (युडीबी) diff --git a/1jn/02/15.md b/1jn/02/15.md new file mode 100644 index 0000000..f1f1fce --- /dev/null +++ b/1jn/02/15.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# संसार से प्रेम न रखो + +पद 2: 15-17 में शब्द "संसार" का तात्पर्य उन सभी चीज़ों से है जो लोग करते हैं और चाहते है और जो चीज़ें वे करना चाहते हैं वे परमेश्वर की महिमा नहीं करते. इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "संसार के उन लोगों के समान व्यवहार मत करो जिससे परमेश्वर को महिमा न मिले." (युडीबी). + +# और न ही संसार की वस्तुओं से + +"और न ही उन वस्तुओं की अभिलाषा करो जिनकी अभिलाषा वे लोग करते हैं जो परमेश्वर का अनादर करते हैं" + +# उसमें पिता का प्रेम नहीं है + +इसका अर्थ यह है कि" वह परमेश्वर पिता से प्रेम नहीं करता है।" + +# यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उसमें पिता का प्रेम नहीं है + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "एक व्यक्ति इस संसार और उन सब बातों को जो परमेश्वर का अनादर करती हैं एक ही समय पर प्रेम नहीं कर सकता।" + +# वह सांसारिकता की सूची देता है, शरीर की अभिलाषा, आंखों की अभिलाषा, जीवित का घमण्ड, ये सब पिता परमेश्वर से नहीं है। + +यह कुछ सांसारिक वस्तुओं की एक सूची है। "संसार में जो कुछ है" का क्या अर्थ है यह उसका वर्णन करती है। + +# शरीर की अभिलाषा + +"शारीरिक सुख भोगने की तीव्र अभिलाषा" + +# आँखों की अभिलाषा + +"जिन वस्तुओं को हम देखते हैं उन्हें प्राप्त करने की तीव्र अभिलाषा" + +# जीविका का घमण्ड + +"व्यक्ति के पास क्या है उसकी डींग हांकना" या "अपनी वस्तुओं के कारण लोग जिस घमण्ड को महसूस करते हैं" + +# जीवन + +इसका अभिप्राय यहाँ उन वस्तुओं से है जो लोगों के पास जीविका के लिए हैं जैसे कि सम्पति और धन। + +# पिता की ओर से नहीं है + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है कि "पिता की ओर से नहीं आता" या "पिता परमेश्वर हमें इस प्रकार जीना नहीं सिखाता." + +# मिटते जा रहे हैं + +"एक दिन यहाँ नहीं रहेंगे" diff --git a/1jn/02/18.md b/1jn/02/18.md new file mode 100644 index 0000000..43af0f9 --- /dev/null +++ b/1jn/02/18.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# प्रिय बालको + +देखें कि आपने इसका में किस प्रकार अनुवाद किया है। + +# यह अन्तिम समय है + +वाक्य "अन्तिम समय" का तात्पर्य यीशु के संसार में सभी लोगों का न्याय करने आने से बिल्कुल पूर्व से है . इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है कि यीशु जल्दी लौटेगा." + +# इससे हम जानते हैं + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "और इस कारण हम जानते हैं" या "और क्योंकि अनेक मसीह विरोधी आ गए हैं, हम जानते हैं।" + +# अनेक मसीह विरोधी आ गए हैं + +"अनेक लोग हैं जो मसीह विरोधी हैं।" + +# वे हम में से ही निकले हैं + +"उन्होंने हमें छोड़ दिया" + +# पर वे हमारे नहीं थे + +"पर वे हमारे कभी थे ही नहीं" या "वे हमारे समूह का भाग कभी थे ही नहीं." इसका कारण यह है कि वे मसीह में विश्वासी नहीं थे। + +# क्योंकि यदि वे हम में से होते, तो हमारे साथ रहते + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है कि "क्योंकि, यदि वे सच में विश्वासी होते तो हमें छोड़ कर नहीं जाते।" + +# वे इसलिए निकल गए कि यह प्रगट हो कि वे सब हम में से एक नहीं हैं + +इसे एक सक्रिय अनुच्छेद के रूप में कहा जा सकता है :"वे निकल गए ताकि परमेश्वर हमें दिखा सके कि वे कभी विश्वासी थे ही नहीं." diff --git a/1jn/02/20.md b/1jn/02/20.md new file mode 100644 index 0000000..e469425 --- /dev/null +++ b/1jn/02/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पर तुम्हें पवित्र आत्मा के द्वारा अभिषेक किया गया है + +"पर पवित्र आत्मा ने तुम्हें अभिषेक किया है." पुराने नियम में "अभिषेक" का तात्पर्य एक व्यक्ति के सिर पर तेल उन्डेल कर उसे परमेश्वर की सेवकाई के लिए अलग करना है. यहाँ "अभिषेक" से तात्पर्य यीशु का विश्वासियों को पवित्र आत्मा देने से है ताकि वह उन्हें परमेश्वर की सेवकाई के लिए अलग रख सके. इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "पर यीशु मसीह, जो पवित्र है, ने अपना आत्मा तुमको दिया है." + +# कोई झूठ सत्य का नहीं है + +"कोई झूठ सत्य से नहीं आता है।" शब्द "सत्य" का इशारा परमेश्वर की ओर हो सकता है, वह जो सत्य से भरपूर है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "सत्य की ओर से कोई झूठ नहीं आता।" diff --git a/1jn/02/22.md b/1jn/02/22.md new file mode 100644 index 0000000..f6c19d6 --- /dev/null +++ b/1jn/02/22.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उसके अतिरिक्त झूठा कौन है जो नकारता है कि यीशु ही मसीह है? + +यूहन्ना ने एक आलंकारिक प्रश्न पूछा है ताकि वह ज़ोर डाल कर कह सके कि झूठे कौन हैं. इसका अनुवाद एक एक ऐसे प्रश्न क रूप में किया जा सकता है जिसका उत्तर है : "झूठा कौन है? वह कोई भी जो यह नकारता है कि यीशु ही मसीह है, झूठा है।" + +# इन्कार करता है कि यीशु ही मसीह है + +"यीशु को मसीह स्वीकार करने से मना कर देता है" या "कहता है कि यीशु मसीह नहीं है" + +# पिता और पुत्र दोनों का इन्कार करता है + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है " पिता और पुत्र के विषय में सत्य कहने से मना कर देता है" या "पिता और पुत्र को अस्वीकार कर देता है।" + +# उसके पास पिता नहीं है + +"पिता से सम्बन्धित नहीं है" + +# पुत्र का अंगीकार करता है + +"पुत्र के विषय में सत्य कहता है" + +# उसके पास पिता है + +"पिता से सम्बंधित है" diff --git a/1jn/02/24.md b/1jn/02/24.md new file mode 100644 index 0000000..705a27b --- /dev/null +++ b/1jn/02/24.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# जहां तक तुम्हारा सम्बन्ध है + +2:24_26 में शब्द "तुम" बहुवचन है और उन लोगों को सम्बोधित करता है जिन्हें यूहन्ना पत्र लिख रहा है. + +# जो कुछ तुम ने आरम्भ से सुना है, उसे तुम में बना रहने दो + +"जो कुछ तुम ने आरम्भ से सुना है उसे याद रखो और उसमें विश्वास करो।" उन्होंने इसे कैसे सुना, उन्होंने क्या सुना और "आरम्भ" का क्या अर्थ है उसे स्पष्ट किया जा सकता है : यीशु के विषय में हमने तुम्हें जो कुछ सिखाया है उस पर भरोसा बनाए रखो जैसा कि तुमने तब किया था जब तुम पहली बार विश्वासी बने थे।" + +# वह जो तुमने आरम्भ से सुना है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "हमने तुम्हें जो यीशु के विषय में सिखाया जब तुम पहले-पहल विश्वासी बने थे।" + +# यदि वह जो तुमने आरम्भ से सुना है तुम में बना रहता है + +"यदि तुम जो हमने तुम्हें सिखाया है उस पर विश्वास बनाए रखो" + +# पुत्र और पिता में भी बने रहोगे + +देखें कि इसका अनुवाद में किस प्रकार किया गया है + +# और जिसकी उसने हमसे प्रतिज्ञा की वह अनन्त जीवन है + +"और यह है जिसको देने का उसने हमसे वायदा किया है ; अनन्त जीवन" या " और उसने हमसे हमें हमेशा जीवित रहने देने का वायदा किया है।" + +# उसने वायदा किया है + +यहां शब्द "उसने" अत्यंत प्रभावी है और इसका तात्पर्य मसीह से है. शब्द "हमसे" का अभिप्राय यूहन्ना और बाकी सभी विश्वासियों से है , जिनमे वे सभी सम्मलित हैं जिन्हें वह पत्र लिख रहा है. + +# तुम्हें भरमा देगा + +"तुम्हें झूठ पर विश्वास कराने की कोशिश करेगा" या " तुम्हारा ध्यान परमेश्वर और उसके सत्य से हटाना चाहेगा" diff --git a/1jn/02/27.md b/1jn/02/27.md new file mode 100644 index 0000000..6844417 --- /dev/null +++ b/1jn/02/27.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# और तुम्हारा + +2:27-29 में शब्द "तुम" बहुवचन है और इसका अभिप्राय उन लोगों से है जिन्हें यूहन्ना यह पत्र लिख रहा है. + +# अभिषेक + +इसका अभिप्राय "परमेश्वर के आत्मा" से है।" में "अभिषेक" के विषय में नोट्स देखें। + +# जैसे उसका अभिषेक तुमको सिखाता है + +"क्योंकि उसका अभिषेक तुमको सिखाता है" + +# सब बातें + +यह वाक्य एक अतिश्योक्ति है. इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "सब कुछ जो तुम जानना चाहते हो" (युडीबी) + +# उसमें बने रहो + +देखें इस वाक्य का अनुवाद में किया गया था। एक व्यक्ति किस प्रकार यीशु में बना रहता है इसे स्पष्ट किया जा सकता है : "विश्वास कर के और उसकी आज्ञा का पालन कर के उसमें बने रहो।" + +# अत: + +इस शब्द का प्रयोग पत्र के नए भाग का आरम्भ करने के प्रयोजन से किया गया है। + +# हे बालको! + +देखें आपने इसका में किस प्रकार अनुवाद किया था। + +# वह प्रगट होता है + +"हम उसे देखते हैं" + +# साहस + +"आत्मविश्वास" + +# उसके आने से पहले + +वाक्य "उसके आने" से तात्पर्य यीशु के संसार के राजा और न्यायी के रूप में पुनरागमन से है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "जब वह संसार का न्याय करने वापिस आएगा।" + +# उस से जन्मा है + +"परमेश्वर से जन्मा है" या "परमेश्वर की सन्तान है" diff --git a/1jn/03/01.md b/1jn/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..75a7703 --- /dev/null +++ b/1jn/03/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# देखो पिता ने हमसे कैसा प्रेम किया है + +"याद करो हमारा पिता परमेश्वर हमसे कितना प्रेम करता है" (युडीबी) + +# हम पर किया + +"हमें दिया" या "हमें दिखाया" + +# हम... हमारे + +3:1-3 में ये सर्वनाम यूहन्ना के , उसके श्रोताओं, और सभी विश्वासियों के सन्दर्भ में हैं. + +# हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं + +इसका अनुवाद एक सक्रिय क्रिया के साथ किया जा सकता है: "परमेश्वर को हमें उसकी सन्तान पुकारना चाहिए." + +# संसार हमें नहीं जानता क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना + +यहां "संसार" का अभिप्राय उन लोगों से है जो परमेश्वर का अनादर करते हैं. संसार ने क्या नहीं जाना स्पष्ट किया जा सकता है : "वे जो परमेश्वर का आदर नहीं करते , नहीं जानते कि हम परमेश्वर से सम्बन्ध रखते हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को नहीं जानते + +# अभी तक यह प्रगट नहीं हुआ + +इसका अनुवाद एक सक्रिय क्रिया के रूप में किया जा सकता है : "परमेश्वर ने प्रगट नहीं किया" + +# और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है जैसा वह पवित्र है। + +और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है जैसा वह पवित्र है इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "हर एक जो आत्मविश्वास के साथ मसीह को देखने की आशा रखता है जैसे वो वास्तव में है वह अपने आप को पवित्र रखेगा क्योंकि मसीह पवित्र है।" diff --git a/1jn/03/04.md b/1jn/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..bfbd534 --- /dev/null +++ b/1jn/03/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# पाप करता है + +"पाप में बना रहता है"(युडीबी) + +# व्यवस्था का विरोध करता है + +"परमेश्वर के नियमों का पालन करने से इन्कार कर रहा है" (युडीबी) + +# तू + +यहां "तुम" बहुवचन है और इसका अभिप्राय उन लोगों से है जिन्हें यूहन्ना पत्र लिख रहा है. (देखें: ) + +# मसीह प्रगट हुआ था + +इसका अनुवाद एक सक्रिय क्रिया के साथ किया जा सकता है : "मसीह प्रगट हुआ" या "पिता परमेश्वर ने मसीह को प्रकट किया।" + +# उसमें बना रहता है + +देखें कि इसका में किस प्रकार अनुवाद किया गया था + +# न तो उसे देखा है और न उसको जाना है + +यह एक ही बात पर ज़ोर डालने के लिए दो प्रकार से कहा गया है. इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "उसने कभी असल में उस पर विश्वास किया ही नहीं." diff --git a/1jn/03/07.md b/1jn/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..f0d3273 --- /dev/null +++ b/1jn/03/07.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हे बालको + +देखें कि आपने इसका अनुवाद में किस प्रकार किया है। + +# किसी के भरमाने में न आना + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "किसी को भी तुम्हें मूर्ख न बनाने दो" या "किसी को भी तुम्हें धोखा न देने दो" (युडीबी) + +# वह जो धर्म के काम करता है धर्मी है, जैसे कि मसीह धर्मी है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "वह जो सही कार्य करता है परमेश्वर को प्रसन्न करता है वैसे ही जैसे मसीह परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला है।" + +# पाप करता है + +"बार-बार पाप करता रहता है" (युडीबी) + +# शैतान की ओर से है + +"शैतान से सम्बंधित है" या "शैतान के जैसा है" (युडीबी) + +# आरम्भ से + +यह संसार की रचना के आरम्भिक समय के सन्दर्भ में है , मनुष्य के प्रथम पाप से भी पहले. इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "संसार की रचना के आरम्भ के समय से." + +# परमेश्वर का पुत्र प्रकट किया गया था + +इसका अनुवाद सक्रिय वाक्यांश के साथ किया जा सकता है: "परमेश्वर ने अपना पुत्र प्रकट किया" diff --git a/1jn/03/09.md b/1jn/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..f5d9fb2 --- /dev/null +++ b/1jn/03/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जो कोई भी परमेश्वर से जन्मा है + +इसका अनुवाद एक सक्रिय वाक्यांश के साथ किया जा सकता है : "जिसे भी परमेश्वर ने अपनी सन्तान बना लिया है." + +# पाप नहीं करता + +"निरन्तर पाप नहीं कर सकता" (युडीबी) + +# परमेश्वर का बीज + +इसमें एक भौतिक बीज जिसे धरती में बोया और उगाया जाता है की तुलना पवित्र आत्मा से की गई है जिसे परमेश्वर विश्वासियों में रोपता है , जो उन्हें पाप का सामना करने की और वह करने की जो परमेश्वर को प्रसन्न करे शक्ति देता है. इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है " पवित्र आत्मा." + +# वह परमेश्वर से जन्मा है + +इसका अनुवाद एक सक्रिय वाक्यांश के साथ किया जा सकता है : परमेश्वर ने उसे एक नया आत्मिक जीवन दिया है " या " वह परमेश्वर की सन्तान है।" + +# इसके द्वारा परमेश्वर की सन्तान और शैतान की सन्तान को प्रकट किया गया है। + +इसका अनुवाद एक सक्रिय वाक्यांश के साथ किया जा सकता है : " इस प्रकार हम जान सकते हैं कि कौन परमेश्वर की सन्तान है और कौन शैतान की।" diff --git a/1jn/03/11.md b/1jn/03/11.md new file mode 100644 index 0000000..02ea3a2 --- /dev/null +++ b/1jn/03/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हमें प्रेम करना चाहिए + +यहाँ , शब्द "हम" का सन्दर्भ सभी विश्वासियों से है. + +# और उसने उसको क्यों घात किया? क्योंकि + +यूहन्ना अपने श्रोताओं को सिखाने के लिए एक प्रश्न का प्रयोग करता है. इसका अनुवाद एक कथन के रूप में किया जा सकता है : "उसने उसे मारा क्योंकि " (देखें: ) + +# उसके काम बुरे थे और उसके छोटे भाई के काम धर्म के थे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "क्योंकि वह हमेशा बुरे काम कर रहा था जैसे कि उसका छोटा भाई अच्छे काम कर रहा था।" diff --git a/1jn/03/13.md b/1jn/03/13.md new file mode 100644 index 0000000..0d6608c --- /dev/null +++ b/1jn/03/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अचम्भा न करना + +"हैरान मत होना।" + +# हे भाइयों + +“सहविश्वासियों में” + +# यदि संसार तुम से बैर करता है। + +यहां शब्द "संसार" का तात्पर्य उन लोगों से है जो परमेश्वर का अनादर करते हैं। इसका अनुवाद ऐसे किया जा सकता है कि "यदि वे जो परमेश्वर का आदर नहीं करते, तुमसे घृणा करते है जो कि परमेश्वर का आदर करते हैं + +# हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचे हैं + +"हम अब आत्मिक रूप में मृत नहीं है वरन आत्मिक रूप में जीवित हैं" + +# मृत्यु में रहता है + +"अभी भी आत्मिक रूप में मृत है" + +# जो कोई अपने भाई से बैर रखता है वह हत्यारा है + +यह एक व्यक्ति की तुलना जो दूसरे विश्वासी से बैर रखता है एक हत्यारे से करता है. क्योंकि हत्या करने का कारण बैर है , परमेश्वर किसी भी बैर रखने वाले को किसी की हत्या करने वाले के समान दोषी मानता है. इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "जो कोई भी दूसरे विश्वासी से बैर रखता है किसी हत्या करने वाले के समान ही दोषी है." + +# उसमें अनन्त जीवन रहता है + +"अनन्त जीवन" वह है जो परमेश्वर एक विश्वासी को तब देता है जो हमें मरने के बाद प्राप्त होता है, पर यह एक सामर्थ भी है जो परमेश्वर विश्वासियों को इस जीवन में देता है ताकि यह उनकी पाप को छोड़ने में मदद कर सके और वह कर सके जिससे परमेश्वर प्रसन्न होता है। इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है "उसके अन्दर उसके पास आत्मिक जीवन का सामर्थ है।" diff --git a/1jn/03/16.md b/1jn/03/16.md new file mode 100644 index 0000000..2bf85f0 --- /dev/null +++ b/1jn/03/16.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# यीशु ने हमारे लिए अपने प्राण दे दिए + +इस अभिव्यक्ति का अर्थ है "यीशु ने अपनी इच्छा से हमारे लिए अपने प्राण दे दिए." + +# संसार की सम्पति + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "भौतिक सम्पति जैसे कि पैसा, भोजन, या कपड़े।" + +# अपने भाई की आवश्यकता की ओर ध्यान देता है + +" और एहसास करता है कि उसके साथी विश्वासी को आवश्यकता है " + +# और अपने हृदय को उस पर दया करने से रोक ले + +इस अभिव्यक्ति का अर्थ है "पर दया नहीं दिखाता" + +# परमेश्वर का प्रेम उसमें कैसे रह सकता है + +यूहन्ना अपने श्रोताओं को सिखाने के लिए एक प्रश्न का प्रयोग करता है. इसका अनुवाद एक कथन के रूप में किया जा सकता है : "परमेश्वर का प्रेम उसमें नहीं है." + +# हे मेरे बालको + +देखें कि आपने इसका अनुवाद 1 यूहन्ना : 02:01 + +# वचन और जीभ से ही नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें + +वाक्य "वचन से" और "जीभ से" का मूलतः समान अर्थ है. इसका सन्दर्भ एक व्यक्ति जो यह कहता है उससे है. इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है कि "केवल कहो नहीं कि तुम लोगों से प्रेम करते हो." + +# पर काम और सत्य के साथ + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "पर यदि आप लोगों को सच्चा प्रेम करते हो तो उनकी सहायता करके इसका प्रदर्शन करो।" diff --git a/1jn/03/19.md b/1jn/03/19.md new file mode 100644 index 0000000..6a5516c --- /dev/null +++ b/1jn/03/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हम सत्य के हैं + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "हम उस प्रकार से रह रहे हैं जैसा हमें यीशु ने सिखाया है।" + +# मन को ढाढस दें + +मन को ढाढस दें - 3: 19-22 में शब्द "हृदय" का सन्दर्भ एक व्यक्ति के विवेक या उसकी सोचने की क्रिया से है जिसके विषय में परमेश्वर उसे सचेत कराता है कि वह पाप कर रहा है. इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "हम परमेश्वर की उपस्थिति में अपने आप को अपराधी महसूस नहीं करेंगे." (युडीबी) + +# परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "हम जानते हैं कि परमेश्वर हमारे मन से बेहतर न्याय करता है।" + +# और जो उसे भाता है वही करते हैं। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "हम वह करते हैं जो उसे प्रसन्न करता है" diff --git a/1jn/03/23.md b/1jn/03/23.md new file mode 100644 index 0000000..04688be --- /dev/null +++ b/1jn/03/23.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यह उसकी आज्ञा है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "परमेश्वर की इच्छा है कि हम यह करें।" + +# जो उसमें बना रहता है और परमेश्वर उसमें बना रहता है + +देखें कि में इसका अनुवाद किस प्रकार किया गया था। + +# क्योंकि प्रेम परमेश्वर कि ओर से है + +इसका अनुवाद ऐसे किया जा सकता है "क्योंकि परमेश्वर हमारे एक-दूसरे से प्रेम रखने का कारण है" + +# परमेश्वर से जन्मा + +यह एक रूपक है जिसका अर्थ है कि परमेश्वर से इस प्रकार का सम्बन्ध रखो जैसा एक बालक अपने पिता से करता है + +# और प्रत्येक जो प्रेम करता है परमेश्वर से जन्मा है और उसे जानता है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "क्योंकि वे जो अपने साथी विश्वासियों से प्रेम रखते हैं परमेश्वर की सन्तान बन गए हैं और उसे जानते हैं।" (युडीबी) + +# जो प्रेम नहीं रखता वह परमेश्वर को नहीं जानता, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "परमेश्वर का स्वभाव सभी लोगों से प्रेम करना है। वे जो अपने साथी विश्वासियों से प्रेम नहीं रखते परमेश्वर को नहीं जानते क्योंकि परमेश्वर का स्वभाव लोगों से प्रेम रखना है।" diff --git a/1jn/04/01.md b/1jn/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..dd981af --- /dev/null +++ b/1jn/04/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हर एक आत्मा की प्रतीति न करो + +4: 1-3 शब्द "आत्मा" आत्मिक सामर्थ या अस्तित्व के सन्दर्भ में है जो व्यक्ति को एक सन्देश या भविष्यवाणी देता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "प्रत्येक भविष्यद्वक्ता पर भरोसा करो जो आत्मा की ओर से सन्देश होने का दावा करता है।" + +# वरन आत्माओं को परखो + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "परन्तु सुनिश्चित कर लो कि तुम भविष्यद्वक्ता की कही जाने वाली हर बात को ध्यानपूर्वक सुनो।" + +# शरीर में आया है + +"मनुष्य का रूप ले लिया है" या "भौतिक शरीर में आया है" + +# यह मसीह के विरोधी की आत्मा है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "वे ऐसे शिक्षक हैं जो मसीह का विरोध करते हैं " (युडीबी) + +# तुम सुन चुके हो कि वह आने वाला है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "तुम सुन चुके हो कि उस प्रकार के लोग हमारे बीच आ रहे हैं।" + +# और अब भी जगत में है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है "अभी भी वह यहाँ पहले से ही हैं!" (युडीबी) diff --git a/1jn/04/04.md b/1jn/04/04.md new file mode 100644 index 0000000..ce4fe82 --- /dev/null +++ b/1jn/04/04.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# तुम परमेश्वर के हो + +"तुम परमेश्वर से सम्बन्ध रखते हो।" + +# हे बालको! + +देखें आपने इसका में किस प्रकार अनुवाद किया था। + +# उन आत्माओं पर विजय पाई है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“इन झूठे शिक्षकों पर विश्वास नहीं किया” + +# वह जो तुम में है + +वह जो तुम में है - "वह" का अभिप्राय परमेश्वर से है। + +# वह जो संसार में है + +"वह" यहाँ शैतान के सन्दर्भ में है। + +# संसार + +शब्द संसार का सन्दर्भ उन लोगों से है जो परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं करते। + +# वे आत्माएं संसार की हैं + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "ये झूठे शिक्षक वे लोग हैं जो परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं करते।" + +# इसलिए वे जो कुछ भी कहते हैं संसार का है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "इसलिए वे उन विचारों को सिखाते हैं जो परमेश्वर के विरुद्ध हैं" + +# और संसार उन्हें सुनता है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "इसलिए वे लोग जो परमेश्वर का आज्ञा पालन नहीं करते उनकी सुनते हैं" diff --git a/1jn/04/07.md b/1jn/04/07.md new file mode 100644 index 0000000..2bc164c --- /dev/null +++ b/1jn/04/07.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हे प्रियो! + +"प्रिय मित्रो."(युडीबी) + +# हम आपस में प्रेम रखें + +" विश्वासियों को दूसरे विश्वासियों से प्रेम रखना चाहिए।" + +# परमेश्वर प्रेम है + +यह एक रूपक है जिसका अर्थ है "परमेश्वर का स्वभाव प्रेम है." + +# क्योंकि प्रेम परमेश्वर कि ओर से है + +इसका अनुवाद ऐसे किया जा सकता है "क्योंकि परमेश्वर हमारे एक-दूसरे से प्रेम रखने का कारण है" + +# परमेश्वर से जन्मा + +यह एक रूपक है जिसका अर्थ यह है कि जिस प्रकार एक बच्चे का सम्बन्ध अपने पिता से होता है उसी प्रकार का सम्बन्ध परमेश्वर से रखो। + +# और प्रत्येक जो प्रेम करता है परमेश्वर से जन्मा है और उसे जानता है। + +इसका अनुवाद ऐसे किया जा सकता है "क्योंकि वे जो अपने साथी विश्वासियों को प्रेम करते हैं परमेश्वर की सन्तान बन गए हैं और उसे जानते हैं." (युडीबी) + +# जो प्रेम नहीं रखता वह परमेश्वर को नहीं जानता, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "परमेश्वर का स्वभाव सभी लोगों को प्रेम करना ही। वे जो अपने साथी विश्वासियों से प्रेम नहीं रखते परमेश्वर को नहीं जानते क्योंकि परमेश्वर का स्वभाव लोगों से प्रेम रखना है।" diff --git a/1jn/04/09.md b/1jn/04/09.md new file mode 100644 index 0000000..c0f23c0 --- /dev/null +++ b/1jn/04/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# इस में परमेश्वर का प्रेम हम पर प्रगट हुआ था। + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "परमेश्वर ने अपना प्रेम हम पर प्रगट किया," + +# ताकि हम उसके द्वारा जीवन पाएं + +इसका अनुवाद इस तरह किया जा सकता है "यीशु ने जो किया उसके कारण हमें अनन्त जीवन जीने योग्य बनाया।" + +# इसमें प्रेम है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "परमेश्वर ने हमें दिखाया कि सच्चा प्रेम क्या है" + +# प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया, + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सका है "यह हमारे परमेश्वर के लिए प्रेम के जैसे नहीं है" + +# प्रायश्चित + +प्रायश्चित का अर्थ पापों का प्रायश्चित के लिए बलिदान है + +# और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए अपने पुत्र को भेजा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "और अपने पुत्र को भेजा ताकि वह अपने आप को कुर्बान कर सके और परमेश्वर हमारे पापों को माफ़ कर सके." diff --git a/1jn/04/11.md b/1jn/04/11.md new file mode 100644 index 0000000..486e19e --- /dev/null +++ b/1jn/04/11.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हे प्रियो! + +"प्रिय मित्रो." (युडीबी) + +# यदि परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "क्योंकि परमेश्वर ने हम से इतना प्रेम किया" + +# एक-दूसरे से प्रेम रखो + +" विश्वासियों को दूसरे विश्वासियों से प्रेम रखना चाहिए।" + +# परमेश्वर हम में बना रहता है...हम उसमें और वह हम में बना रहता है + +देखें इसका अनुवाद में किस प्रकार किया गया था + +# उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "परमेश्वर का प्रेम हम में सिद्ध करता है." + +# क्योंकि उसने अपने आत्मा में से हमे दिया है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "क्योंकि उसने अपना पवित्र आत्मा हम में उंडेल दिया है" + +# और हम ने देखा और इसकी गवाही दी है कि पिता ने पुत्र को संसार का उद्धारकर्ता बनने के लिए भेजा है। + +इसका अनुवाद ऐसे किया जा सकता है "और हम प्रेरितों के परमेश्वर के पुत्र को देखा है और सबको बताते हैं कि पिता परमेश्वर ने अपने पुत्र को इस पृथ्वी के लोगों को बचाने के लिए भेजा है।" diff --git a/1jn/04/15.md b/1jn/04/15.md new file mode 100644 index 0000000..a3226b3 --- /dev/null +++ b/1jn/04/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जो कोई भी मान लेता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है + +"वे जो यीशु के विषय में सत्य बोलते हैं, कि वह परमेश्वर का पुत्र है." (युडीबी) + +# परमेश्वर उसमें बना रहता है और वह परमेश्वर में + +देखें इसका अनुवाद में किस प्रकार किय गया था + +# परमेश्वर प्रेम है + +परमेश्वर प्रेम है - यह एक रूपक है जिसका अर्थ है "परमेश्वर का स्वभाव प्रेम है." + +# और वह जो प्रेम में बना रहता है परमेश्वर में बना रहता है, और परमेश्वर उसमें बना रहता है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "वे जो दूसरों से प्रेम करना जारी रखते हैं उनका परमेश्वर से निकट सम्बन्ध होता है और परमेश्वर का उनसे निकट सम्बन्ध होता है।" ) diff --git a/1jn/04/17.md b/1jn/04/17.md new file mode 100644 index 0000000..02d85c9 --- /dev/null +++ b/1jn/04/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ कि हमें न्याय के दिन हियाव हो + +संभवित अर्थ हैं 1) "यह" शब्द का सन्दर्भ वापिस 4:16 से लिया गया है. वैकल्पिक अनुवाद: "और जब एक व्यक्ति प्रेम में जीता है, और वह परमेश्वर में है और परमेश्वर उसमें हैं, हमारा प्रेम सम्पूर्ण है और, हमें न्याय के दिन के लिए पूर्ण विश्वास हो." या 2) "यह" शब्द का सन्दर्भ "आत्मविश्वास" से है। वैकल्पिक अनुवाद: "जब हमें विश्वास है कि परमेश्वर न्याय के दिन स्वीकार कर लेगा, तब हम कह सकते हैं कि हमारा प्रेम आपस में सिद्ध हुआ।" + +# क्योंकि जैसा वह है वैसे ही संसार में हम भी हैं + +"क्योंकि जो सम्बन्ध यीशु का परमेश्वर के साथ है वही सम्बन्ध इस संसार में हमारा परमेश्वर के साथ है" + +# प्रेम में भय नहीं होता + +यहाँ "प्रेम" का वर्णन एक व्यक्ति के रूप में किया गया है जिसमें भय मिटाने का सामर्थ है. वैकल्पिक अनुवाद : "परन्तु जब हमारा प्रेम सिद्ध हो जाता है हमारा भय भी नहीं रहता." + +# क्योंकि भय का सम्बन्ध दंड से है + +"क्योंकि हम डरते हैं यदि हम सोचते हैं कि परमेश्वर हमें दंड देगा जब वह हर एक का न्याय करने आएगा" + +# परन्तु वह जो डरता है प्रेम में सिद्ध नहीं किया गया + +"जब एक व्यक्ति डरता है कि परमेश्वर उसे दंड देगा इसका अर्थ यह है कि उसका प्रेम सिद्ध नहीं है" diff --git a/1jn/04/19.md b/1jn/04/19.md new file mode 100644 index 0000000..778ab86 --- /dev/null +++ b/1jn/04/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हम + +हम- इसका सन्दर्भ यूहन्ना , जिन लोगों को वह पत्र लिख रहा है, और हर जगह के विश्वासियों से है." + +# भाई से बैर रखता है + +भाई से बैर रखता है - "साथी विश्वासी से बैर रखता है." (युडीबी) + +# उसकी आज्ञा है -" + +"उसकी" का तात्पर्य परमेश्वर से है। diff --git a/1jn/05/01.md b/1jn/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..ba113b7 --- /dev/null +++ b/1jn/05/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है + +"परमेश्वर की सन्तान है" + +# उसकी जो पिता बना + +"पिता." वैकल्पिक अनुवाद : "वह जिसने हमें अपनी सन्तान बनाया" + +# उससे भी प्रेम रखता है जो उससे उत्पन्न हुआ है + +"अपनी सन्तान को भी प्रेम करता है।" वैकल्पिक अनुवाद: "अपनी सन्तानों से भी प्रेम रखता है।" + +# इससे हम जानते हैं कि हम परमेश्वर की सन्तानों से प्रेम रखते हैं, जब हम परमेश्वर से प्रेम करते और उसकी आज्ञाओं पर चलते हैं। + +जब हम परमेश्वर से प्रेम करते और उसकी आज्ञाओं पर चलते हैं, तब हम जानते हैं कि हम परमेश्वर की सन्तानों से प्रेम रखते हैं" + +# क्योंकि परमेश्वर के लिए प्रेम यह है कि हम उसकी आज्ञाओं का पालन करें + +"क्योंकि जब हम उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं तो वही परमेश्वर के लिए कठिन प्रेम है" + +# और उसकी आज्ञाएं बोझ नहीं हैं + +"और वह जो आज्ञा देता है बोझ कठिन नहीं है" या "और जो आज्ञा वह देता है वह मुश्किल नहीं है" diff --git a/1jn/05/04.md b/1jn/05/04.md new file mode 100644 index 0000000..c330358 --- /dev/null +++ b/1jn/05/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# प्रत्येक + +इसका सन्दर्भ परमेश्वर की सभी सन्तानों से है + +# मैंने संसार को जीत लिया है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है " बुरे कार्य करने से मना कर देता है जो अविश्वासी करते हैं" + +# और वह विजय है ...हमारा विश्वास + +और वह विजय है ... हमारा विश्वास - इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "हमारा विश्वास हमें परमेश्वर के विरुद्ध पाप करने से रोकने की सामर्थ देता है." + +# संसार पर जय पाने वाला कौन है ? + +संसार पर जय पाने वाला कौन है ? - यह एक आलंकारिक प्रश्न है जिसमें लक्षणालंकार निहित है (संसार). "वह" का सन्दर्भ विश्वासियों से है. (देखें: और ) diff --git a/1jn/05/06.md b/1jn/05/06.md new file mode 100644 index 0000000..5d7a520 --- /dev/null +++ b/1jn/05/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यही है वह जो पानी और लहू के द्वारा आया था, अर्थात् यीशु मसीह + +"यीशु मसीह ही वह है जो पानी और लहू के द्वारा आया था। यहां "पानी" का तात्पर्य यीशु के बपतिस्मे से है और "लहू" यीशु की क्रूस पर मृत्यु के सन्दर्भ में है। वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर ने यीशु के बपतिस्मे और उस की क्रूस पर मृत्यु द्वारा दिखाया कि यीशु मसीह उसका पुत्र है।" + +# केवल पानी के द्वारा नहीं, परन्तु पानी और लहू के द्वारा।" + +इसका अनुवाद एक नए वाक्य के रूप में किया जा सकता है : "वह केवल पानी के द्वारा नहीं आया, वरन पानी और लहू के द्वारा आया।" वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर ने हमें केवल बपतिस्मे के द्वारा नहीं दिखाया कि यीशु उसका पुत्र है , बल्कि उसके बपतिस्मे और क्रूस पर मृत्यु के द्वारा।" + +# क्योंकि गवाही देनेवाले तीन हैं + +"क्योंकि तीन हैं जो यीशु के विषय में गवाही देते हैं" + +# और आत्मा और पानी और लहू + +यहां, "पानी" और "लहू" का वर्णन एक व्यक्ति के रूप में किया गया है जो न्यायालय में खड़े होकर लोगों को जो उसने देखा और सुना उसके विषय में गवाही देता है. + +# और तीनों एक ही बात पर सहमत हैं + +"और तीनो एक दूसरे से सहमत होते हैं" diff --git a/1jn/05/09.md b/1jn/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..0de2226 --- /dev/null +++ b/1jn/05/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जब हम मनुष्यों की गवाही मान लेते हैं तो परमेश्वर की गवाही तो उससे बढ़कर है + +वैकल्पिक अनुवाद: "यदि हम लोगों के कहने पर विश्वास करते हैं, तो हमें परमेश्वर के कहने पर भी विश्वास करना चाहिए क्योंकि वह हमेशा सत्य कहता है। + +# जो परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है वह अपने आप में गवाही रखता है + +वैकल्पिक अनुवाद: "जो कोई भी यीशु पर विश्वास करता है यकीनन जानता है कि वह परमेश्वर का पुत्र है।" + +# उसने उसे झूठा ठहराया + +"परमेश्वर को झूठा कह रहा है" + +# क्योंकि उसने परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में जो गवाही दी है उस पर विश्वास नहीं किया + +"क्योंकि वह विश्वास नहीं करता कि परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में सत्य बताया है" diff --git a/1jn/05/11.md b/1jn/05/11.md new file mode 100644 index 0000000..2e55af5 --- /dev/null +++ b/1jn/05/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# और वह गवाही यह है + +"परमेश्वर यह कहता है." (युडीबी) + +# यह जीवन उसके पुत्र में है + +यह जीवन उसके पुत्र में है - "हम हमेशा का जीवन जीएंगे यदि हम उसके पुत्र से जुड़ जाते हैं" (युडीबी), या "हम हमेशा के लिए जीएंगे यदि हम उसके पुत्र से जुड़ जाएं।" + +# जिसके पास पुत्र है उसके पास जीवन है + +जिसके पास पुत्र है उसके पास जीवन है - इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "वह जो यीशु में विश्वास करता है उसके पास अनन्त जीवन है।" diff --git a/1jn/05/13.md b/1jn/05/13.md new file mode 100644 index 0000000..2d6f1bc --- /dev/null +++ b/1jn/05/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# ये चीज़ें + +"यह पत्र" + +# तुम्हें जो परमेश्वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो + +शब्द "नाम" परमेश्वर के पुत्र के सन्दर्भ में है. वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हें जिसे परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास है." + +# और हमें उसके सामने जो हियाव होता है वह यह है + +"और क्योंकि हम परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करते हैं हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं" + +# यदि हम उसकी इच्छा के अनुसार कुछ मांगते हैं + +"यदि हम वह मांगते हैं जो परमेश्वर के पुत्र की इच्छानुसार हो" + +# हम जानते हैं कि यह हमारी प्रार्थनाएं हैं जो हमने उससे मांगी हैं + +"हम जानते हैं कि जो कुछ भी हमने उससे मांगा है हमें मिलेगा" diff --git a/1jn/05/16.md b/1jn/05/16.md new file mode 100644 index 0000000..3c8aae9 --- /dev/null +++ b/1jn/05/16.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# भाई + +भाई - "साथी विश्वासी" + +# परमेश्वर उसे जीवन देगा + +"जीवन" का सन्दर्भ यहां अनन्त जीवन से है। diff --git a/1jn/05/18.md b/1jn/05/18.md new file mode 100644 index 0000000..3c7db17 --- /dev/null +++ b/1jn/05/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हम जानते हैं + +"हम" का तात्पर्य सभी विश्वासियों से है. + +# पाप नहीं करता + +"बार-बार पाप नहीं करता." (युडीबी) + +# सारा संसार झूठ बोलता है + +"संसार" एक लक्षणालंकार है जिसका तात्पर्य शैतान के शासन अधीन सांसारिक प्रणाली से है. + +# दुष्ट में + +"दुष्ट" एक लक्षणालंकार है जिसका सन्दर्भ शैतान से है. (देखें: ) + +# और सारा संसार दुष्ट के वश में पड़ा है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "शैतान संसार के अविश्वासियों को नियन्त्रित करता है।" diff --git a/1jn/05/20.md b/1jn/05/20.md new file mode 100644 index 0000000..0358b6c --- /dev/null +++ b/1jn/05/20.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हम जानते हैं + +"हम" सभी विश्वासियों के लिए है। + +# हमें समझ दी है + +" हमें सत्य को समझने में सक्षम बनाया है." (युडीबी) + +# हम उसे जानते हैं जो सत्य है, + +"उसे" का अभिप्राय पिता परमेश्वर से है। + +# हम उसमें रहते हैं + +देखें इसका अनुवाद मे किस प्रकार किया गया था। + +# हे बालको + +देखें आपने में किस प्रकार इसका अनुवाद किया था। diff --git a/1pe/01/01.md b/1pe/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..8b9f580 --- /dev/null +++ b/1pe/01/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# पतरस, जो यीशु मसीह का प्रेरित है + +पतरस, जो यीशु मसीह का प्रेरित अपने आप को पहचान रहा है। “मैं, पतरस, यीशु मसीह का संदेशवाहक आपको लिख रहा हूँ (बहुवचन)” + +# पुन्तुस + +यह आज के समय का उत्तर तुर्की है। + +# गलातिया + +यह आज के समय का मध्य तुर्की है। + +# कप्पदुकिया + +यह आज के समय का पूर्वी तुर्की है। + +# आसिया + +यह आज के समय का पश्चिमी मध्य तुर्की है। + +# बिथुनिया + +यह आज के समय का उत्तर-पश्चिम तुर्की है। + +# भविष्य ज्ञान + +संभवतः इसका अर्थ है : 1) एक घटना के होने से पूर्व इसकी जानकारी 2) “पहले से निश्चित” (यू.दी.बी)। + +# उसके लहू का छिड़का जाना + +यह प्रभु यीशु मसीह के लहू का एक बलिदान के रूप में हवाला देता है और जब मूसा ने इस्राएल देश पर लहू छिड़का था। . + +# तुम्हें अनुग्रह मिले + +जिन लोगों को वह लिख रहा है उनके मध्य तुम्हें अनुग्रह मिले एक आम तौर पर प्रयोग किए जाने वाला अभिवादन है। यहाँ कुछ भाषाओं में अपने आम तौर पर प्रयोग किए जाने वाले अभिवादन का प्रयोग करना अधिक प्राकृतिक है। “तुम” और “तुम्हारा” शब्दों से अभिप्राय उन विश्वासियों से हैं जो ऊपर लिखे भौगोलिक स्थानों में रहते हैं। diff --git a/1pe/01/03.md b/1pe/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..4d00bea --- /dev/null +++ b/1pe/01/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हमारे प्रभु यीशु मसीह + +“हमारे” और “हम” शब्दों का तात्पर्य व्यक्ति से है, पतरस और जिन विश्वासियों का ज़िक्र + +# उसने हमें एक नया जन्म दिया + +लेखक हमारे आत्मिक जन्म के विषय में बात कर रहा है जो कि हमें केवल यीशु के द्वारा दिया गया है। “उसने हमें जीवित आशा के लिए नया जन्म दिया।” + +# मीरास के लिए आत्मविश्वास के लिए + +“हम जानते हैं कि वह अपना वचन सब के लिए पूरा करेगा।“ (यु.डी.बी) + +# सुरक्षित + +“हमारे लिए बचाया है” या “हमारे लिए रखा है” (यु.डी.बी) + +# चिन्हित + +“पाप की क्षति से परे” या “जिसे पाप क्षति नहीं पहुँचा सकता” + +# अंतिम दिनों में + +“जब मसीह पृथ्वी पर वापिस लौटेगा” diff --git a/1pe/01/06.md b/1pe/01/06.md new file mode 100644 index 0000000..260e7b7 --- /dev/null +++ b/1pe/01/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तुम इसमें आन्दित होते हो + +तुम इसमें आन्दित होते हो शब्द का अर्थ उन सभी आशीषों से है “आप परमेश्वर ने जो किया है उसके लिए आन्दित हैं” + +# इसलिए अब तुम्हारे लिये दुःख अनुभव करना आवश्यक है + +“अवश्य है कि अभी तुम दुःख में हो” + +# वह सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है + +“परमेश्वर तुम्हारे विश्वास की सोने से कहीं अधिक मूल्यवान समझता है” + +# जो तुम्हारे विश्वास की परख करने वाली आग में नाश हो जाता है + +जो तुम्हारे विश्वास की परख करने वाली आग में नाश हो जाता है “चाहे सोने की परख आग से होती है, यह हमेशा के लिए नहीं रहता” + +# यीशु मसीह के प्रकट होने पर + +“जब यीशु मसीह वापिस आएगा” diff --git a/1pe/01/08.md b/1pe/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..3704e1f --- /dev/null +++ b/1pe/01/08.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुमने उसे नहीं देखा है + +“तुमने उसे अपनी आँखों से नहीं देखा है” या “तुमने उसका शारीरिक रूप में अवलोकन नहीं किया है। ” diff --git a/1pe/01/11.md b/1pe/01/11.md new file mode 100644 index 0000000..16b33ee --- /dev/null +++ b/1pe/01/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उन्होंने जानने के लिए खोज की + +“उन्होंने जानने की कोशिश की” या “उन्होंने इसके विषय में पूछताछ” शब्द “वे” का तात्पर्य भविष्यवक्ताओं से है। + +# वे अपनी नहीं वरन तुम्हारी सेवा के लिए ये बातें कहा करते थे + +कुछ भाषाओं में सकारात्मक को नकारात्मक से पूर्व लगाना बहुत आसान है। "वे अपनी नहीं वरन तुम्हारी सेवा के लिए ये बातें कहा करते थे” diff --git a/1pe/01/13.md b/1pe/01/13.md new file mode 100644 index 0000000..67a4fda --- /dev/null +++ b/1pe/01/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अपनी बुद्धि की कमर बाँध कर + +“अपने मन को कार्य के लिए तैयार कर लो”। चोगा पहना हुआ व्यक्ति, अपने आप को काम के लिए तैयार करने के लिए अपने चोगे को अपनी कमर-पेटी के अन्दर डाल लेगा + +# सचेत रहो + +सचेत रहो “आत्म-सयंमी बनो” diff --git a/1pe/01/15.md b/1pe/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..9c93ad1 --- /dev/null +++ b/1pe/01/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# एकमात्र + +“परमेश्वर” + +# बिना पक्षपात के + +“निष्पक्ष रूप से” + +# अपने परदेशी होने का समय भय से बिताओ + +“पृथ्वी पर अपने रहने के समय के दौरान परमेश्वर के लिए आदर सहित रहो” diff --git a/1pe/01/18.md b/1pe/01/18.md new file mode 100644 index 0000000..bb82da0 --- /dev/null +++ b/1pe/01/18.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उससे तुम्हारा छुटकारा... हुआ + +“परमेश्वर ने तुमको उससे छुटकारा दिलाया है” या “परमेश्वर ने तुमको बचाया” + +# मेमने के रूप में + +उसका बलिदान इस लिए दिया गया था कि परमेश्वर आपके पाप माफ़ कर देगा। + +# निर्दोष और निष्कलंक + +“बिना किसी दोष के” यहाँ, एक ही विचार को दो प्रकार से व्यक्त किया गया है। diff --git a/1pe/01/20.md b/1pe/01/20.md new file mode 100644 index 0000000..6ffb9fb --- /dev/null +++ b/1pe/01/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यीशु चुना गया था + +“परमेश्वर ने यीशु को चुना” + +# उसे तुम पर प्रगट किया गया + +“परमेश्वर के द्वारा तुम उसे जान पाए + +# जगत की उत्पति + +“रचना का आरम्भ” diff --git a/1pe/01/22.md b/1pe/01/22.md new file mode 100644 index 0000000..5c03a53 --- /dev/null +++ b/1pe/01/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# भाईचारे में प्रीति + +यह मित्रों और सम्बन्धियों में प्राकृतिक मानवीय प्रेम है + +# एक दूसरे से हृदय की गहराई से प्रेम रखो + +“एक दूसरे से सच्चाई और गहराई से प्रेम रखो” + +# नाश न होने वाला + +“नाश न होने वाला” या “स्थाई” diff --git a/1pe/01/24.md b/1pe/01/24.md new file mode 100644 index 0000000..8e6b077 --- /dev/null +++ b/1pe/01/24.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हर एक प्राणी घास के समान है + +“सब प्राणी घास के समान नाशवान हैं। (यु.डी.बी) + +# उसकी सारी शोभा घास के फूल के समान है + +“और मनुष्यों की सब महानता हमेशा नहीं रहेगी”(यु.डी.बी) + +# यही सुसमाचार है जो तुम्हें सुनाया गया था + +“यही सुसमाचार का वचन है जो तुम्हें सुनाया गया था” diff --git a/1pe/02/01.md b/1pe/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..f5484ae --- /dev/null +++ b/1pe/02/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इसलिए दूर करो + +“इसलिए करना बंद करो” + +# नए जन्में हुए बच्चों के समान + +विश्वासियों की नए जन्में बच्चों से समानता की गई है जिन्हें बढ़ने के लिए दूध की आवश्यकता होती है + +# लालसा करो + +“तीव्र इच्छा करो” या “के लिए तरसो” + +# ताकि तुम उद्धार में बढ़ पाओ + +“तुम आत्मिक उन्नति पाओ।“ “तुम” शब्द का अभिप्राय पहले अध्याय में उल्लेखित विश्वासियों से है। + +# यदि तुमने प्रभु की कृपा का स्वाद चख लिया है + +“क्योंकि तुमने अनुभव कर लिया है कि परमेश्वर की तुम पर कृपा हुई है” (यु.डी.बी) diff --git a/1pe/02/04.md b/1pe/02/04.md new file mode 100644 index 0000000..1452245 --- /dev/null +++ b/1pe/02/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसके पास आओ जो बहुमूल्य जीवता पत्थर है + +यीशु की उपमा एक इमारत की स्थापना में सबसे महत्वपूर्ण पत्थर से की गई है। + +# लोगों द्वारा ठुकराया + +“कुछ लोगों द्वारा ठुकराया” या “अनेक लोगों द्वारा ठुकराया गया” diff --git a/1pe/02/06.md b/1pe/02/06.md new file mode 100644 index 0000000..649e1e5 --- /dev/null +++ b/1pe/02/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पवित्र शास्त्र यह कहता है + +> “परमेश्वर ने मसीह के विषय में यह लिखवाया” + +# ध्यान दो + +“मैं तुम्हें कुछ महत्वपूर्ण बता रहा हूँ” या “सुनो!” “ध्यान दो” शब्द यहाँ हमें आगे दी गई चौंकाने वाली जानकारी की ओर ध्यान देने के लिए सचेत करता है। आपकी भाषा में ऐसा करने का एक तरीका हो सकता है। + +# एक कोने का सिरा, मुख्य, चुना हुआ और बहुमूल्य + +वैकल्पिक अनुवाद: सबसे महत्वपूर्ण कोने का पत्थर” diff --git a/1pe/02/07.md b/1pe/02/07.md new file mode 100644 index 0000000..26f402b --- /dev/null +++ b/1pe/02/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था + +“पत्थर जिसे राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था” + +# ठेस लगने का पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान + +इन दोनों वाक्यों का समान अर्थ है और इन्हें ज़ोर डालने के लिए जोड़ा गया है diff --git a/1pe/02/09.md b/1pe/02/09.md new file mode 100644 index 0000000..3db1d40 --- /dev/null +++ b/1pe/02/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम एक चुना हुआ वंश + +शब्द “तुम” का तात्पर्य मसीह में विश्वासियों से है। + +# तुम्हें बुलाया है + +“तुम्हें सामने आने के लिए बुलाया है” या “तुम्हें इन से पीछे हटने के लिए बुलाया है” diff --git a/1pe/02/11.md b/1pe/02/11.md new file mode 100644 index 0000000..3d78c3a --- /dev/null +++ b/1pe/02/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# आत्मा से युद्ध + +“तुम्हारे परमेश्वर पर विश्वास को नष्ट करने की ताक में हैं” diff --git a/1pe/02/13.md b/1pe/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..f4bdaf5 --- /dev/null +++ b/1pe/02/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अपनी स्वतन्त्रता पर स्वामित्व मत रखो + +“अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करो” + +# कुकर्मों के लिए ढाल के रूप में + +“बुराई करने के लिए बहाने के रूप में” diff --git a/1pe/02/18.md b/1pe/02/18.md new file mode 100644 index 0000000..bccce9b --- /dev/null +++ b/1pe/02/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सेवकों + +वे विश्वासी घरेलु सेवक थे। diff --git a/1pe/02/21.md b/1pe/02/21.md new file mode 100644 index 0000000..43e7f9f --- /dev/null +++ b/1pe/02/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम इसी के लिए बुलाए भी गए हो + +संभावित अर्थ: 1) “तुम्हें दुःख के समय इस प्रकार का बर्ताव करना चाहिए क्योंकि इसी प्रकार मसीह ने अपने दुःख में बर्ताव किया” 2) “परमेश्वर द्वारा तुम्हें चुने जाने का एक कारण यह भी है कि तुम उसके लिए दुःख सहो”। + +# क्योंकि जब उसकी निन्दा की गई थी, उसने भी किसी की निन्दा नहीं की + +“जब लोगों ने यीशु को अपमानित किया, उसने उन्हें भी अपमानित नहीं किया।“ diff --git a/1pe/02/24.md b/1pe/02/24.md new file mode 100644 index 0000000..6384f71 --- /dev/null +++ b/1pe/02/24.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वह अपने आप + +इसका तात्पर्य यीशु से है ज़ोर देने के लिए प्रयोग किया गया है। + +# हमारे पाप + +हर स्थान पर “हमारे” और “हम” का भाव वक्ता पतरस से और जिन विश्वासियों का उल्लेख इसमें किया गया है उनसे है । + +# उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए। + +“परमेश्वर ने तुम्हें मसीह के घावों के द्वारा चंगाई दी है।” + +# तुम सब भटक रहे थे + +शब्द “तुम” विश्वासियों को सम्बोधित करता है + +# अपने प्राणों के रखवाले और अध्यक्ष + +“यीशु तुम्हारी अगुवाई और सुरक्षा करता है” diff --git a/1pe/03/01.md b/1pe/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..86fba0e --- /dev/null +++ b/1pe/03/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पतरस ने अभी-अभी विश्वासियों के दुःखों का और फिर मसीह के दुःखों का वर्णन किया है। + +# इसी प्रकार, हे पत्नियों, तुम भी अपने पति के अधीन रहो, + +“इसलिए पत्नियों अपने पति की आज्ञा का पालन करो” + +# कोई ऐसे + +“कोई ऐसे” शब्द का तात्पर्य पतियों से है। + +# उन्होंने देख लिया होगा + +“वे” और “उन्हें” शब्द भी पतियों के विषय में प्रयोग किये गए हैं। diff --git a/1pe/03/03.md b/1pe/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..5cb6076 --- /dev/null +++ b/1pe/03/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पतरस ने बिल्कुल अभी पत्नियों को अपने पतियों के अधीन रहने के लिए निर्देश दिया है। + +# ऐसा न होने दो + +“ऐसा” शब्द को पत्नियों के लिए प्रयोग किया गया है जो अपने पति का आदर करती हैं। + +# बल्कि गुप्त मनुष्यत्व + +“बल्कि इसे अंतर्मन से होने दो” diff --git a/1pe/03/05.md b/1pe/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..24db2aa --- /dev/null +++ b/1pe/03/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +पतरस ने अभी पत्नियों को उनकी नम्रता और दीनता दिखाने के लिए कहा है + +# तुम अब उसकी संतान हो + +“तुम” शब्द उन पत्नियों या स्त्रियों के सम्बन्ध में प्रयोग किया गया है जिन्हें यहाँ सम्बोधित किया गया है diff --git a/1pe/03/07.md b/1pe/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..a699ffd --- /dev/null +++ b/1pe/03/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पतरस ने अभी-अभी स्त्रियों को अपने पतियों को सम्मान देने का निर्देश दिया है। + +# इसी प्रकार + +“जिस प्रकार आपकी पत्नियों को आपका सम्मान करना चाहिए” + +# यह करो + +“यह” का प्रयोग यहाँ इस वचन में पतियों को उनके व्यवहार सम्बन्धी दिए गए आदेश के लिए किया गया है। diff --git a/1pe/03/08.md b/1pe/03/08.md new file mode 100644 index 0000000..582ab62 --- /dev/null +++ b/1pe/03/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पतरस ने अभी-अभी पतियों और पत्नियों को एक दूसरे से किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए सम्बन्धी निर्देश दिए हैं ताकि उनकी प्रार्थनाएं सुने जाने में बाधा न आए। + +# तुम सभी + +इससे पिछले तीन खंड दासों, पत्नियों और पतियों को सम्बोधित करते हैं। यह खंड इन सभी समूहों और अन्य विश्वासियों को सम्बोधित करता है। + +# अपमान + +कठोर शब्द या कार्य। + +# इसके विपरीत + +“इसके विपरीत दिशा में” + +# तुम बुलाए गए थे + +“परमेश्वर ने तुम्हें बुलाया है” + +# तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो। + +“ताकि परमेश्वर तुम्हें आशीष दे सके” diff --git a/1pe/03/10.md b/1pe/03/10.md new file mode 100644 index 0000000..df1e7f8 --- /dev/null +++ b/1pe/03/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पतरस ने अभी सभी विश्वासियों को निर्देश दिया है कि एक दूसरे से किस प्रकार का व्यवहार करें। + +# अपनी जीभ को बुराई और होठों को छल की बातें बोलने से रोकना चाहिए। + +“झूठ बोलना और बुराई करना छोड़ दो” + +# परमेश्वर का चेहरा विमुख है + +“परमेश्वर विरोध करता है।” diff --git a/1pe/03/13.md b/1pe/03/13.md new file mode 100644 index 0000000..ac95e7a --- /dev/null +++ b/1pe/03/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पतरस विश्वासियों को किस प्रकार जीना है के विषय में निर्देश देता रहा है। + +# यदि तुम भलाई करने के लिए उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करने वाला फिर कौन है? + +“यदि तुम भलाई करो तो कोई तुम्हें हानी नहीं पहुंचाएगा।“ शब्द “तुम” विश्वासियों को सम्बोधित करता है। + +# जिन बातों से उन्हें डर लगता है तुम उनसे मत डरो। + +“ये दोनों वाक्य समान अर्थ रखते हैं और ज़ोर डाल कर कहने के लिए इन्हें जोड़ा गया है।” diff --git a/1pe/03/15.md b/1pe/03/15.md new file mode 100644 index 0000000..e57fb91 --- /dev/null +++ b/1pe/03/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पतरस विश्वासियों को धर्मिकता से जीने के लिए निर्देश देता रहा और उनसे न डरने के लिए जो उनका सताव करते हैं। + +# बल्कि, मसीह को प्रभु जानकर अपने मन में पवित्र समझो + +“प्रभु यीशु मसीह का गहराई से आदर करो और इच्छापूर्वक उसकी आज्ञा का पालन करो।” यहाँ पहले दी गई सूची के अतिरिक्त एक विश्वासी को और क्या करना चाहिए उसके चिन्ह दिए हैं + +# बहुमूल्य + +“पवित्र”, “बहुमूल्य”, या “संजोक कर रखा गया” diff --git a/1pe/03/18.md b/1pe/03/18.md new file mode 100644 index 0000000..1c4ae32 --- /dev/null +++ b/1pe/03/18.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पतरस विश्वासियों को धर्मिता से जीने के लिए निर्देश देता रहा और उनसे न डरने के लिए जो उनका सताव करते हैं। + +# हमारे लिए दुःख उठाया + +“हम” शब्द में वक्ता, पतरस और श्रोता दोनों शामिल हैं + +# आत्मा के भाव में, वह गया और उसने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया + +मसीह के मारे जाने के बाद वह मरे हुओं के स्थानों में गया और आत्माओं में प्रचार किया। diff --git a/1pe/03/21.md b/1pe/03/21.md new file mode 100644 index 0000000..c53983e --- /dev/null +++ b/1pe/03/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +पतरस विश्वासियों मसीह के दुःखों और मृत्यु और मसीह द्वारा पहले से मरे हुओं को प्रचार के विषय में बात करता आ रहा है। + +# जो तुम्हें बचाता है + +जो तुम्हें बचाता है - शब्द “तुम्हें” विश्वासियों और पतरस दोनों को सम्बोधित करता है। diff --git a/1pe/04/01.md b/1pe/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..fb1764e --- /dev/null +++ b/1pe/04/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पतरस मसीह के मर के जी उठने फिर स्वर्ग जाने और उसके अधिकार और शक्ति के विषय में बात करता आ रहा है। + +# इसलिए + +ये शब्द पतरस के द्वारा उसके श्रोताओं को प्रकट किए विचारों का निष्कर्ष चिन्हित करते हैं। + +# तुम भी उसी प्रयोजन को हथियार के समान धारण करो + +“तुम स्वयं भी दुःख उठाने के लिए तैयार रहो” + +# तुम स्वयं + +यह पहले अध्याय में वर्णित विश्वासियों को सम्बोधित करता है। + +# जो भी + +“कोई भी व्यक्ति जो” diff --git a/1pe/04/03.md b/1pe/04/03.md new file mode 100644 index 0000000..e3e774f --- /dev/null +++ b/1pe/04/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पतरस ने अभी-अभी विश्वासियों को मसीह के लिए दुःख उठाने के महत्त्व बताए हैं। + +# इच्छा के अनुसार काम करना, लुचपन की बुरी अभिलाषाएं, मतवालापन, लीला-क्रीड़ा, पियक्कड़पन और घृणित मूर्तिपूजा + +“शारीरिक पाप, बुरी इच्छाएँ, पियक्कड़पन, लुचपन की बुरी अभिलाषाएं और घृणित मूर्तिपूजा वे हैं जिन से परमेश्वर घृणा करता है” + +# सुसमाचार प्रचार किया गया था + +“मसीह ने सुसमाचार प्रचार किया” (यु.डी.बी) diff --git a/1pe/04/07.md b/1pe/04/07.md new file mode 100644 index 0000000..337828f --- /dev/null +++ b/1pe/04/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सब बातों का अंत तुरन्त होनेवाला है + +“जल्दी ही परमेश्वर पृथ्वी पर सब कुछ बदल देगा।” + +# तुम्हारे विचार + +“तुम्हारे” शब्द सभी विश्वासियों को सम्बोधित करता है diff --git a/1pe/04/10.md b/1pe/04/10.md new file mode 100644 index 0000000..1243f3e --- /dev/null +++ b/1pe/04/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्योंकि तुम में से प्रत्येक को एक वरदान मिला है + +“परमेश्वर ने तुम में से प्रत्येक को एक वरदान दिया है” diff --git a/1pe/04/12.md b/1pe/04/12.md new file mode 100644 index 0000000..b07ebcb --- /dev/null +++ b/1pe/04/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# पर जितना ही तुम मसीह के दुःखों को अनुभव कर रहे हो, आनंद करो + +“आनंद करो कि तुम उसी प्रकार के दुःखों का अनुभव कर रहे हो जिन्हें मसीह ने उठाया था”(यू.डी.बी) diff --git a/1pe/04/17.md b/1pe/04/17.md new file mode 100644 index 0000000..4ac9a8d --- /dev/null +++ b/1pe/04/17.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परमेश्वर के लोगों + +यह वाक्य विश्वासियों के सम्बन्ध में है, वे जो मसीह के द्वारा यहोवा का अनुसरण करते हैं + +# और यदि यह हमसे आरम्भ होता है, तो उनका क्या अंत होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते? + +“चूंकि वह हम विश्वासियों का वह सबसे पहले न्याय करेगा, तो उन भयानक चीज़ों के विषय में सोचो जो उन लोगों के साथ होंगी जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते!” diff --git a/1pe/05/01.md b/1pe/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..d4bec46 --- /dev/null +++ b/1pe/05/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पतरस ने अभी-अभी सताव सह रहे विश्वासियों को प्रोत्साहित किया था। + +# तुम्हारे मध्य सहभागी + +शब्द “तुम” मसीह में विश्वासियों को सम्बोधित करता है + +# इसलिए + +“इस कारण” + +# परमेश्वर का झुंड + +यह कलीसिया की उपमा भेड़ो के झुंड से करता है। + +# देखभाल + +“ख्याल रखना” या “रखवाली” + +# प्रधान के समान बनने की कोशिश मत करो + +“बनाए गए प्रधान के समान बनने की कोशिश मत करो” diff --git a/1pe/05/05.md b/1pe/05/05.md new file mode 100644 index 0000000..323fa10 --- /dev/null +++ b/1pe/05/05.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +पतरस ने अभी-अभी अगुओं को किस प्रकार जीवन जीना चाहिए उसका निर्देश दिया है। + +# तुम सभी + +इसका तात्पर्य सभी विश्वासियों से है, केवल युवा पुरुषों से ही नहीं + +# दीनता से कमर बांधे रहो + +“एक दूसरे के प्रति नम्रता से पेश आओ” (यु.डी.बी) + +# परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे + +“परमेश्वर के सामर्थ के नीचे” + +# डाल दो + +“उसे सम्भालने दो” (यु.डी.बी) + +# अपनी चिंता + +“अपनी चिंता” या “अपना कष्ट” या “ध्यान भटकाने वालीं” + +# वह तुम्हारी चिंता करता है + +“वह तुम्हारे लिए चिंतित है” diff --git a/1pe/05/08.md b/1pe/05/08.md new file mode 100644 index 0000000..1e1c192 --- /dev/null +++ b/1pe/05/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पतरस ने अभी नवयुवकों को और फिर कलीसिया के सभी विश्वासियों को कैसे जीना है के लिए निर्देश दिए। + +# गर्जने वाले सिंह के समान + +शैतान को गर्जनेवाले सिंह के समान इसलिए कहा गया है क्योंकि वह लोगों को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है + +# पीछा कर रहा है + +“खोज में घूम रहा है ” या “खोज में है और शिकार” + +# उसके विरोध में खड़े हो + +“विरोध करो” + +# संसार में + +“संसार के विभिन्न स्थानों में” diff --git a/1pe/05/10.md b/1pe/05/10.md new file mode 100644 index 0000000..93be5cb --- /dev/null +++ b/1pe/05/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पतरस ने अभी-अभी विश्वासियों को शैतान का सामना करने और दृढ़ बनने के लिए कहा है। + +# थोड़ी देर तक + +“कुछ समय के लिए” + +# सारे अनुग्रह का दाता + +“परमेश्वर जो सम्पूर्ण रूप में दयालु है” + +# जिसने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त महिमा के लिए बुलाया है + +“जिसने स्वर्ग में अपनी अनन्त महिमा में भागीदारी के लिए हमें चुना है क्योंकि हम मसीह से जुड़ गए हैं” (यु.डी.बी) + +# सिद्ध तुम + +“तुम्हें वापिस मिलाएगा” + +# तुम्हें स्थापित करेगा + +“तुम्हें स्थिरता देगा” diff --git a/1pe/05/12.md b/1pe/05/12.md new file mode 100644 index 0000000..f4641d8 --- /dev/null +++ b/1pe/05/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# प्रोत्साहित + +“चेतावनी”, “सलाह”, या “प्रार्थना” + +# जो मैंने परमेश्वर के सच्चे अनुग्रह में लिखा है + +“जो मैंने लिखा है वह उन विषयों के विषय में सच्ची बातें हैं जो परमेश्वर हमारे लिए करता है” (यु.डी.बी) + +# इसमें स्थिर रहो + +“सन्देश में विश्वास में स्थिरता से बने रहो” “इस में” शब्द से अभिप्राय परमेश्वर की महिमा से है। + +# वह जो बेबीलोन में है + +बेबीलोन, रोम के लिए प्रयोग किया सांकेतिक शब्द है। + +# प्रेम के चुम्बन से एक दूसरे को नमस्कार करो + +“एक दूसरे का स्वागत और प्रेम करो” diff --git a/1th/01/01.md b/1th/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..92407a5 --- /dev/null +++ b/1th/01/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस की ओर से कलीसिया को लिखा पत्र + +यू.डी.बी. में स्पष्ट व्यक्त किया गया है कि यह पत्र पौलुस ने लिखा था। + +# शान्ति तुम्हें मिलती रहे + +"वचन तुम्हें" अर्थात थिस्सलोनिका की कलीसिया के विश्वासियों को diff --git a/1th/01/02.md b/1th/01/02.md new file mode 100644 index 0000000..3ed30a8 --- /dev/null +++ b/1th/01/02.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हम परमेश्वर को हमेशा धन्यवाद देते हैं| + +यह एक अतिशयोक्ति है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “हम लगातार तुम्हारे लिए परमेश्वर को धन्यवाद कहते हैं”। + +# हम सदा + +वचन अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस के लिए न कि थिस्सलुनीकियों के विश्वासियों के लिए| + +# अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण करते हैं। + +“हम तुम्हारे लिए प्रार्थना करते है”। + +# हम बिना भूले हमेशा याद रखते हैं + +हम लगातार याद रखते हैं + +# तुम्हारे विश्वास के काम + +“विश्वास के कृत्य” या “विश्वास आधारित काम जो परमेश्वर में विश्वासी हैं”। + +# आशा की धीरता + +“आशा की धीरजवत प्रतीज्ञा” diff --git a/1th/01/04.md b/1th/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..1a7e885 --- /dev/null +++ b/1th/01/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हे भाइयों + +“सभी विश्वासी भाइयों और बहनों” + +# हम जानते हैं कि तुम चुने हुए हो + +“हम जानते हैं कि परमेश्वर ने तुम्हें अपना होने के लिए चुन लिया है”। (यू.डी.बी.) “हम जानते हैं कि परमेश्वर ने तुम्हें विशेष सेवा के लिए चुन लिया है”। + +# हम जानते हैं + +“हम” अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस, न कि थिस्सलोनिकिया के विश्वासी + +# पर सामर्थ्य और पवित्र आत्मा में भी + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) पौलुस और उसके साथी पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से प्रभावी प्रचार करते हैं। या 2) विश्वासियों पर शुभ सन्देश का प्रभाव गहरा है जो पवित्र आत्मा का विश्वास दिलानेवाला काम है। + +# बड़े निश्चय के साथ + +“इसी रूप में” (यू.डी.बी.) + +# किस प्रकार के मनुष्य + +“हमारा व्यवहार कैसा था”। (यू.डी.बी.) diff --git a/1th/01/06.md b/1th/01/06.md new file mode 100644 index 0000000..a1fba55 --- /dev/null +++ b/1th/01/06.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अनुसरण करने वाले बन गए + +“अनुकरण या अनुसरण”। “तुमने हमारा अनुकरण किया” + +# वचन को मान कर + +“शिक्षा ग्रहण करके” या “शिक्षा के अनुसार” + +# बहुत क्लेश में + +“बड़े कष्टों में भी” या “सताव के मध्य भी” + +# अखया + +प्राचीन क्षेत्र जहां आज का यूनान है diff --git a/1th/01/08.md b/1th/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..53022c7 --- /dev/null +++ b/1th/01/08.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# चर्चा फैल गई + +“व्याप्त हो गई” + +# अखया + +आज का यूनान + +# हर जगह + +“संपूर्ण क्षेत्र में अनेक स्थानों में” + +# वे आप ही + +आसपास की कलीसियाएं जिन्होंने थिस्सलोनिका के विश्वासियों की चर्चा सुनी थी + +# वे आप ही + +आप ही सब देने के लिए काम में लिया गया है + +# तुम्हारे पास हमारा आना कैसे हुआ + +“तुमने हमारा कैसा स्वागत किया था।” (यू.डी.बी.) + +# उसके पुत्र के स्वर्ग पर से आने की + +“स्वर्ग से परमेश्वर के पुत्र के आने की” + +# जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया + +"जिसे परमेश्वर ने पुनजीर्वित किया" + +# जो हमें बचाता है + +सब विश्वासियों को बचाता है diff --git a/1th/02/01.md b/1th/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..45d4f1c --- /dev/null +++ b/1th/02/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तुम आप ही + +“वचन तुम” अर्थात थिस्सलोनिका के विश्वासी कों + +# हमारा तुम्हारे पास आना + +“हमारा” अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस” + +# व्यर्थ न हुआ + +“बड़ा काम का हुआ” + +# दुःख उठाने और उपद्रव सहने + +फिलिपोस में पौलुस को पीटकर कारागार में डाल दिया गया था। वैकल्पिक अनुवाद “हमारे साथ दुर्व्यवहार किया गया और हमें अपमानित किया गया था”। + +# भारी विरोध + +“घोर विरोध के उपरान्त भी” diff --git a/1th/02/03.md b/1th/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..78dc04e --- /dev/null +++ b/1th/02/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# क्योंकि हमारा उपदेश + +“हमारा” अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस का + +# न भ्रम से, न अशुद्धता से, न छल के साथ + +“सत्यवादी, शुद्ध और सच्चाई से पूर्ण” + +# परमेश्वर को, जो हमारे मनों को जांचता है + +“परमेश्वर हमारे मन और काम परखता है” (देखें: diff --git a/1th/02/05.md b/1th/02/05.md new file mode 100644 index 0000000..a666f76 --- /dev/null +++ b/1th/02/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# क्योंकि...हम + +“हम” अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस + +# चापलूसी की बातें + +“झूठी प्रशंसा की बातें” + +# लोभ के लिए बहाना + +“लोभ के लिए बहाना” + +# प्रेरित होने के कारण तुम पर बोझ डाल सकते थे। + +“तुमसे सांसारिक वस्तुएं लेते” diff --git a/1th/02/07.md b/1th/02/07.md new file mode 100644 index 0000000..34bc152 --- /dev/null +++ b/1th/02/07.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है + +जैसे माता बड़ी कोमलता से अपनी सन्तान को शान्ति देती है, वैसे ही पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस ने थिस्सलोनिका के विश्वासियों में प्रचार किया था। + +# तुम्हारे बीच में रहकर कोमलता दिखाई + +“हमने तुमसे प्रेम किया” + +# तुम हमारे प्रिय हो गए थे + +“हमने तुम्हारी बहुत चिन्ता की” + +# हमारे परिश्रम और कष्ट + +ये दोनों शब्द समानार्थक है जिसका अभिप्राय है भलिभांति यत्न से काम करना। “हमारा परिश्रम” + +# रात दिन काम धन्धा करते हुए.... कि तुममें से किसी पर भार न हो + +"हमने अपने जीविकोपार्जन हेतु परिश्रम किया कि तुम्हें हमारी सहायता न करनी पड़े।" diff --git a/1th/02/10.md b/1th/02/10.md new file mode 100644 index 0000000..509f9e5 --- /dev/null +++ b/1th/02/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पवित्र और धार्मिक और निर्दोष रहा + +“धार्मिक” + +# जैसा पिता अपने बालकों के साथ व्यवहार करता है + +पिता द्वारा सन्तान के अनुशासन की तुलना पौलुस अपने द्वारा विश्वासियों को शिक्षा देने एवं प्रोत्साहित करने से करता है कि वे परमेश्वर के योग्य आचरण रखें। + +# जो तुम्हें.... बुलाता है + +“जिसने तुम्हें चुना है” diff --git a/1th/02/13.md b/1th/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..41e3af0 --- /dev/null +++ b/1th/02/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इसलिए... कि + +“हम परमेश्वर को लगातार धन्यवाद कहते हैं” + +# जब तुमने ग्रहण किया + +थिस्सलोनिका के विश्वासियों ने पौलुस के प्रचार को उसके अपने ज्ञान की बातें नहीं परमेश्वर का वचन मानकर ग्रहण किया था। diff --git a/1th/02/14.md b/1th/02/14.md new file mode 100644 index 0000000..37ffcd7 --- /dev/null +++ b/1th/02/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उन कलीसियाओं की सी चाल चलने लगे + +वे भी अन्य थिस्सलोनिका वासियों के विरोध का सामना कर रहे थे जैसे आरंभिक विश्वासियों ने यहूदी अगुओं से सताव सहा था। “तुम भी उन कलीसियाओं के सदृश्य थे....” + +# अपने लोगों से + +अन्य, थिस्सनोलिका वासियों से” + +# वे हमें बोलने से रोकते हैं + +“वे हमारे प्रचार को रोकना चाहते है।” + +# कि सदा अपने पापों का नपुआ भरते रहें + +“पाप करते रहें” + +# उन पर परमेश्वर का भयानक प्रकोप आ पहुंचा है + +“परमेश्वर का दण्ड उन पर आ गया है” या “परमेश्वर का क्रोध उन पर है”। diff --git a/1th/02/17.md b/1th/02/17.md new file mode 100644 index 0000000..833d8ad --- /dev/null +++ b/1th/02/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मन में नहीं, वरन उपस्थित में तुमसे अलग हो गए थे + +“शारीरिक रूप से अलग हो गए थे परन्तु तुम्हारे लिए प्रार्थना करते रहे” + +# तुम्हारा मुंह देखने के लिए + +“तुमसे भेंट करने के लिए” या “तुम्हारे साथ उपस्थित होने के लिए” + +# मुझ पौलुस ने एक बार नहीं वरन दो बार + +“मुझ पौलुस ने दो बार” + +# हमारे प्रभु यीशु के सम्मुख उसके आने के समय + +हमारी भावी आशा, आनन्द और मसीह के आगमन पर महिमा का मुकुट तुम हो” diff --git a/1th/03/01.md b/1th/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..aa324c7 --- /dev/null +++ b/1th/03/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हमसे और न रहा गया + +“जब हम तुम्हारी चिन्ता को सहन न कर पाए” “हम” अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस, थिस्सलोनिका के विश्वासी नहीं। + +# एथेन्स में अकेले रह जाएं + +सिलवानुस और मैंने एथेन्स में रूक जाना उचित समझा”। + +# एथेन्स + +अखया का एक नगर जो आज यूनान है + +# हमारा भाई + +“हमारा मसीही विश्वासी भाई” + +# डगमगा न जाए + +“कोई पथ भ्रष्ट न हो” या “कोई विचलित न हो” + +# इन ही के लिए ठहराए गए हैं + +यही हमारी नियति है। diff --git a/1th/03/04.md b/1th/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..d863aa4 --- /dev/null +++ b/1th/03/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जब हम तुम्हारे साथ थे + +“हम” अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस + +# हमें क्लेश उठाने पड़ेंगे। + +“लोग हमारे साथ दुर्व्यवहार करेंगे” + +# जब मुझ से और न रहा गया + +“मुझसे” अर्थात पौलुस से। “मैं बहुत अधीर होकर जानना चाहता था” + +# जब मुझ से और न रहा गया + +यह एक मुहावरा है, किसी बात के लिए अधीर होना। + +# विश्वास का हाल जानने के लिख भेजा + +“मैंने तीमुथियुस को भेजा” + +# व्यर्थ + +“निष्फल” diff --git a/1th/03/06.md b/1th/03/06.md new file mode 100644 index 0000000..e8b5909 --- /dev/null +++ b/1th/03/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हमारे पास आकर + +पौलुस, सिलवानुस के पास।(देखें: + +# तुम्हारे विश्वास और प्रेम का सुसमाचार सुनाया + +“तुम्हारे विश्वास और प्रेम का समाचार सुनाया” + +# हमें स्मरण करते हो + +“तुम लगातार हमें स्मरण करते हो” + +# देखने की लालसा रखते हो + +“तुम हमसे भेंट करने के लिए उत्सुक हो” + +# हमने....शान्ति पाई + +“मसीह में तुम्हारे विश्वास के बारे में शान्ति पाई” या “मसीह में तुम्हारे सतत् विश्वास के बारे में” diff --git a/1th/03/08.md b/1th/03/08.md new file mode 100644 index 0000000..36c80e0 --- /dev/null +++ b/1th/03/08.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हम जीवित हैं + +“हम अत्यधिक प्रोत्साहित है” + +# हम जीवित हैं + +“हम” अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस + +# तुम प्रभु में स्थिर रहो + +यह एक मुहावरा है। “तुम्हारा विश्वास दृढ़ है। (यू.डी.बी.) + +# हम किस रीति से परमेश्वर का धन्यवाद करें? + +यह एक प्रभावोत्वादक प्रश्न है जो कृतज्ञता को व्यक्त करता है। “परमेश्वर ने तुम्हारे लिए जो किया उसके लिए हम परमेश्वर को धन्यवाद देने योग्य भी नहीं। परमेश्वर से प्रार्थना करने समय हम तुम्हारे लिए अत्यधिक आनन्द करते हैं” + +# रात-दिन + +“लगातार” + +# बहुत कठोर + +“उत्साह से प्रार्थना करते है” + +# तुम्हारा मुंह देखने के लिए + +“तुमसे भेंट करें” diff --git a/1th/03/11.md b/1th/03/11.md new file mode 100644 index 0000000..b598e9e --- /dev/null +++ b/1th/03/11.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# अब हमारा परमेश्वर + +“हम प्रार्थना करते हैं कि हमारा परमेश्वर” + +# हमारा परमेश्वर.... और हमारा प्रभु यीशु + +“हमारा” अर्थात् पौलुस का सेवादल और थिस्सलोनिका के विश्वासी। + +# पिता आप ही + +“आप ही” पिता से संदर्भित होने पर बलवर्धन हेतु है। + +# आने में हमारी अगुआई करे + +“ तुम्हारे पास आने में मार्ग तैयार करे” “हमारी अर्थात पौलुस और उसके साथियों की।” + +# हम तुमसे प्रेम रखते हैं + +“हम” अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस। + +# प्रभु ऐसा करे + +“हम प्रार्थना करते हैं कि प्रभु करे” + +# हमारा प्रभु यीशु....आए + +“जब यीशु पृथ्वी पर पुनः आएगा”। + +# अपने सब पवित्र लोगों के साथ + +“जो उसके हैं उनके साथ” (यू.डी.बी.) diff --git a/1th/04/01.md b/1th/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..ad06fc7 --- /dev/null +++ b/1th/04/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हम प्रोत्साहित करते हैं + +पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस विनती करते हैं, थिस्सलोनिका के विश्वासी नहीं + +# जैसा तुमने हमसे.... सीखा है + +“जैसी तुम्हें हमने शिक्षा दी है”। + +# तुम चलते भी हो + +चलना अर्थात जीवन-आचरण। “तुम्हें वैसा जीवन आचरण भी रखना है”। diff --git a/1th/04/03.md b/1th/04/03.md new file mode 100644 index 0000000..28dc9f8 --- /dev/null +++ b/1th/04/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# व्यभिचार से बचे रहो + +“यौन सम्बन्धित अनाचार से बचो” + +# प्राप्त करना जाने + +“साथ रहना समझे” + +# अभिलाषा से नहीं + +“अनुचित यौनाचार” + +# न मनुष्य + +“कोई भी व्यक्ति” या “कोई भी जन” + +# न ठगे.... न दांव चलाए + +यह एक ही बात के लिए दो शब्द हैं कि विचार पर बल उत्पन्न हो। वैकल्पिक अनुवाद “अनुचित काम” + +# प्रभु.... पलटा लेने वाला है + +“प्रभु.... अपराधी को दण्ड देगा और जिसके साथ अनुचित किया गया उसकी रक्षा करेगा”। + +# पहले ही तुम को कहा और चिताया। + +“तुम से कहा और कठोर चेतावनी भी दी” diff --git a/1th/04/07.md b/1th/04/07.md new file mode 100644 index 0000000..aef16a4 --- /dev/null +++ b/1th/04/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परमेश्वर ने हमें नहीं बुलाया + +“हमें” अर्थात सब विश्वासियों को। (देखें: + +# जो इसे तुच्छ जानता है + +“जो इस शिक्षा को मान प्रदान नहीं करता है” या “जो इस शिक्षा को अनदेखा करता है” diff --git a/1th/04/09.md b/1th/04/09.md new file mode 100644 index 0000000..ac9ffec --- /dev/null +++ b/1th/04/09.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# भाईचारे की प्रीति + +“विश्वासियों से प्रेम” + +# मकिदुनिया के सब भाइयों के साथ ऐसा करते भी हो + +“तुम संपूर्ण मकिदुनिया में विश्वासियों से प्रेम करते हो” + +# समझाते हैं + +“प्रयास करते हैं” या “सच्चे दिल से यत्न करते हैं” + +# अपना-अपना कामकाज करे + +अन्यों के काम में हस्तक्षेप मत करो। वैकल्पिक अनुवाद: “अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करो” + +# अपने हाथों से कमाने का प्रयत्न करो + +“अपना काम करके जीविका कमाओ” + +# आदर प्राप्त करो + +“सम्मानित एवं योग्य आचरण रखो” + +# बाहर वालों से + +“जो मसीह के विश्वासी नहीं हैं” + +# “तुम्हें किसी वस्तु की घटी न हो” + +“तुम्हें कोई कमी न हो” diff --git a/1th/04/13.md b/1th/04/13.md new file mode 100644 index 0000000..f9a0ca5 --- /dev/null +++ b/1th/04/13.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# हम नहीं चाहते + +“हमारे” अर्थात पौलुस और तीमुथियुस के लिए, कुलुस्से के विश्वासी उसके नहीं गिने गए हैं। + +# हम नहीं चाहते कि तुम... अज्ञानी रहो। + +“हम चाहते हैं कि तुम समझ लो” + +# शोक न करो + +“तुम विलाप न करो” + +# जिन्हें आशा नहीं + +“जो विश्वास नहीं करते उनके समान” + +# यदि हम विश्वास करते हैं + +“हम” अर्थात पौलुस और उसके पाठक + +# यीशु मरा और जी भी उठा + +“सदा जीवित रहने को जीआ” + +# जो यीशु में सो गया है उसी के साथ आएगा। + +“मृतकों को जीवित करके यीशु के साथ ले आया जब यीशु पृथ्वी पर लौट आएगा”। + +# हम.... तुमसे यह कहते हैं + +“हम” अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस + +# प्रभु के आने तक + +“प्रभु के पुनः आगमन दिवस तक” + +# कभी आगे न बढ़ेंगे + +“निश्चय ही उनसे पहले न जाएंगे diff --git a/1th/04/16.md b/1th/04/16.md new file mode 100644 index 0000000..6033de0 --- /dev/null +++ b/1th/04/16.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा + +“प्रभु स्वयं नीचे आएगा” + +# प्रधान दूत + +“बड़ा स्वर्गदूत” + +# जो मसीह में मरे हैं वे पहले जी उठेंगे + +“मसीह के मृतक विश्वासी पहले जी उठेंगे” + +# हम जो जीवित.... रहेंगे + +“हम” अर्थात सब विश्वासी + +# उनके साथ + +“उनके” अर्थात जिन विश्वासी मृतकों का पुनरूत्थान हुआ है और मसीह के साथ हैं + +# बादलों पर उठा लिए जायेंगे कि हवा में प्रभु से मिलें + +“आकाश में प्रभु यीशु भेंट करेंगे” diff --git a/1th/05/01.md b/1th/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..58aa750 --- /dev/null +++ b/1th/05/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# समयों और कालों + +“मसीह के पुनः आगमन का समय” (यू.डी.बी.) + +# कुछ लिखा जाए + +“सही” या “निश्चित” + +# रात को चोर आता है + +जैसे कोई नहीं जानता कि चोर रात में कब आयेगा, उसी प्रकार मसीह के आगमन का समय भी कोई नहीं जानता है। “अकस्मात ही” + +# लोग कहते होंगे + +“जब लोग कहेंगे” + +# एकाएक विनाश आ पड़ेगा। + +“अनापेक्षित विनाश” + +# जिस प्रकार गर्भवती पर पीड़ा + +जैसे गर्भवती की प्रसव पीड़ा अकस्मात आती है और शिशु के जन्म तक नहीं रूकती है, उसी प्रकार विनाश आयेगा और वे बचेंगे नहीं। diff --git a/1th/05/04.md b/1th/05/04.md new file mode 100644 index 0000000..6859dde --- /dev/null +++ b/1th/05/04.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# तुम तो अन्धकार में नहीं हो + +“इस दुष्ट संसार के मनुष्यों के सदृश्य नहीं हो जो अन्धकार में रहने जैसा है” + +# कि वह दिन तुम पर चोर के समान आ पड़े + +प्रभु के आगमन का दिन तुम्हारे लिए आश्चर्य का दिन नहीं होगा जैसे चोर का आगमन होता है। “तुम्हें सतर्क न पाए” + +# तुम सब ज्योति की सन्तान हो, हम न रात के हैं न अन्धकार के + +“ज्योति की सन्तान” अर्थात मसीह के अनुयायी “रात के” अर्थात अन्य सब सांसारिक जन। + +# दूसरों के समान सोते न रहें + +पौलुस का “सोते” से अभिप्राय है, संसार का न्याय करने क लिए प्रभु के पुनः आगमन से अनभिज्ञ। “हम उन लोगों के सदृश्य न हों जो मसीह के पुनः आगमन से अनभिज्ञ हैं। + +# इसलिए हम + +“हम” अर्थात पौलुस और थिस्सलोनिका के विश्वासी। + +# जागते और सावधान रहो + +“हम मसीह के पुनः आगमन के लिए सतर्क रहें और आत्मसंयमी हों”। + +# जो सोते हैं वे रात ही को सोते हैं। + +जिस प्रकार कि मनुष्य रात में अचेत सोता है, वैसे ही संसार है। जिसे मसीह के पुनः आगमन का ज्ञान नहीं है। + +# जो मतवाले होते हें वे रात ही को मतवाले होते हैं। + +पौलुस कहता है कि मनुष्य रात ही में नशे में रहता है वैसे ही मसीह के पुनः आगमन से अनभिज्ञ मनुष्यों का जीवन संयमी नहीं होता है। diff --git a/1th/05/08.md b/1th/05/08.md new file mode 100644 index 0000000..42702ed --- /dev/null +++ b/1th/05/08.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जो दिन के पुत्र हैं + +मसीह के विश्वासी।वैकल्पिक अनुवाद: “मसीह के विश्वास” या “ज्योति के लोग” + +# सावधान रहें + +“संयमी हों” + +# झिलम पहनकर + +सैनिक अपनी देह की रक्षा के लिए वक्ष स्त्राण धारण करता है उसी प्रकार विश्वास और प्रेम में रहने वाला विश्वासी भी सुरक्षा पायेगा, “से अपनी आत्मरक्षा करो” + +# टोप + +टोप सैनिक के सिर की रक्षा करता है, उसी प्रकार उद्धार का आश्वासन विश्वासी की रक्षा करता है, “और जान लें” + +# मसीह के द्वारा उद्धार प्राप्त करें + +“उद्धार प्राप्त करें” + +# चाहे जागते हों चाहे सोते हों + +“हम चाहे मृतक हों या जीवित हों” + +# एक दूसरे की उन्नति का कारण बनो + +“एक दूसरे को उत्साहित करो “ diff --git a/1th/05/12.md b/1th/05/12.md new file mode 100644 index 0000000..c32e9c5 --- /dev/null +++ b/1th/05/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जो तुम में परिश्रम करते हैं.... उनका सम्मान करो + +स्थानीय कलीसिया के अगुवों का सम्मान करो और उनको प्रतिष्ठित करो” + +# जो प्रभु में तुम्हारे अगुवे हैं + +विश्वासियों के स्थानीय समुदाय में नियुक्त धर्मवृद्ध एवं पास्टर। + +# प्रेम के साथ उनको बहुत ही आदर के योग्य समझो + +क्योंकि तुम उनके प्रेम करते हो इसलिए उनका सम्मान करते हुए उन्हें प्रतिष्ठा प्रदान करो” diff --git a/1th/05/15.md b/1th/05/15.md new file mode 100644 index 0000000..da255b7 --- /dev/null +++ b/1th/05/15.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सदा आनन्दित रहो, निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो, हर बात में धन्यवाद करो। + +पौलुस विश्वासियो को शिक्षा दे रहा है कि सब बातों में आनन्दित रहने का आत्मिक स्वभाव बनाए रखो, प्रार्थना में सावधानी रखो और सब बातों में धन्यवाद दो। diff --git a/1th/05/19.md b/1th/05/19.md new file mode 100644 index 0000000..418aa45 --- /dev/null +++ b/1th/05/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# आत्मा को न बुझाओ + +“पवित्र आत्मा के काम को अपने मध्य बाधित मत करो”। + +# भविष्यद्वाणी को तुच्छ न जानों + +“भविष्यद्वाणी की अवहेलना मत करो” “पवित्र आत्मा किसी को प्रकाशन प्रदान करे तो उससे घृणा मत करो” + +# सब बातों को परखो + +कार्य और शब्द परमेश्वर के आत्मा द्वारा दिए गए है। उन्हें सुनिश्चित करना उचित है कि वह स्वयं वचन हैं। diff --git a/1th/05/23.md b/1th/05/23.md new file mode 100644 index 0000000..36c6039 --- /dev/null +++ b/1th/05/23.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इसी रीति से पवित्र करे + +“तुम्हें पृथक करे” या “तुम्हें दोषरहित करे कि पाप न करो” + +# तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह + +वो समानान्तर शब्द है आत्मा, प्राण और देह बदल देने के लिए काम में लिए गए हैं। + +# सुरक्षित रहें + +“पाप से बचे रहें” + +# तुम्हारा बुलानेवाला सच्चा है + +वैकल्पिक अनुवाद: “जिसने तुम्हें बुलाया है वह विश्वासयोग्य है” + +# वह ऐसा ही करेगा + +“वह तुम्हारी सहायता करेगा” diff --git a/1th/05/25.md b/1th/05/25.md new file mode 100644 index 0000000..f0d6fce --- /dev/null +++ b/1th/05/25.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मैं तुम्हें प्रभु की शपथ देता हूं + +“मैं तुमसे ऐसे कहता हूं जैसे स्वयं प्रभु कह रहा है”। diff --git a/1ti/01/01.md b/1ti/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..d81d02d --- /dev/null +++ b/1ti/01/01.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# पौलुस + +“पौलुस की ओर से” या “मैं ,पौलुस, यह पत्र लिख रहा हूँ”। + +# की आज्ञा से + +“के आदेश से” या “के अधिकार से” या “क्योंकि परमेश्वर ने मुझे प्रेरित होने की आज्ञा दी है” + +# हमारे.... हमारे + +पौलुस, तीमुथियुस और संभवतः अन्य विश्वासी भी। + +# हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर + +“परमेश्वर जिसने हमारा उद्धार किया है” + +# हमारी आशा मसीह यीशु + +“मसीह यीशु, जो हमारी आशा है” या “मसीह यीशु जिसमें हम भविष्य के लिए विश्वास करते हैं।" + +# तीमुथियुस के नाम + +“तीमुथियुस के लिए यह पत्र” + +# सच्चा पुत्र + +“सच्चा पुत्र” - पौलुस और तीमुथियुस में पिता-पुत्र का सा संबन्ध दर्शाता है। यद्यपि तीमुथियुस पौलुस का अपना पुत्र नहीं था, वह पौलुस के लिए वही सम्मान, आज्ञापालन तथा सेवा करता था जो एक पुत्र अपने पिता के लिए करता है। वैकल्पिक अनुवाद: “तू मेरे लिए एक पुत्र स्वरूप है" + +# तुझे अनुग्रह, दया और शान्ति मिलती रहे + +“अनुग्रह, दया और शान्ति तेरी हो” या “तुझे कृपा, दया और शान्ति का अनुभव हो” + +# हमारे पिता परमेश्वर + +“परमेश्वर, जो हमारा पिता है” + +# और हमारे प्रभु यीशु मसीह + +“और यीशु मसीह, जो हमारा प्रभु है” diff --git a/1ti/01/03.md b/1ti/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..6c34379 --- /dev/null +++ b/1ti/01/03.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# तुझे समझाया था + +तुझे समझाया था “जैसे मैंने तुम से विनती की थी” या “जैसी मैंने तुझे आज्ञा दी थी” या “जैसा मैंने कहा था” + +# तुझे + +एकवचन + +# इफिसोस में रहकर + +इफिसोस में रहकर -“इफिसोस में मेरी प्रतीक्षा करना” + +# मन न लगाएं + +“वे ध्यान न दें” या “उन्हें आज्ञा दे कि अनदेखा करें” + +# वंशावलियों + +अर्थात किसी के पूर्वजों का लिखित लेखा। यहूदियों के लिए यह अत्यावश्यक था कि वह इस्त्राएल के किस गोत्र का था सिद्ध हो। मत्ती और लूका उसके उत्तम उदाहरण हैं + +# जिनसे विवाद होते हैं + +“जिनसे क्रोधित मतभेद उत्पन्न होता है” मनुष्य कथाओं और वंशावलियों पर विवाद करते हैं, जिनकी सत्यता अनिश्चित है। + +# परमेश्वर के उस प्रबन्ध के अनुसार नहीं जो विश्वास पर आधारित है + +“इसकी अपेक्षा परमेश्वर की योजना को बढ़ा” या “इसकी अपेक्षा परमेश्वर की बातों का प्रबन्ध कर” + +# विश्वास पर आधारित है + +“विश्वास से प्राप्त” या “विश्वास से संपन्न” diff --git a/1ti/01/05.md b/1ti/01/05.md new file mode 100644 index 0000000..ca2462f --- /dev/null +++ b/1ti/01/05.md @@ -0,0 +1,47 @@ +# आज्ञा का सारांश याद है + +“निर्देशन का लक्ष्य” या “हम प्रेरित जो तुझे करने के लिए कहते हैं”। + +# आज्ञा + +या “आदेश” + +# प्रेम + +संभावित अर्थ हैं 1) “परमेश्वर के लिए प्रेम” (यू.डी.बी.) या 2) पड़ोसी के लिए प्रेम”। + +# शुद्ध मन से + +“अपने किसी भी काम में पाप की इच्छा न रखना” + +# अच्छे विवेक + +अच्छे विवेक -अनुचित की अपेक्षा उचित का चुनाव करनेवाला विवेक” या “अनुचित नहीं उचित के चुनाव में सक्षम विवेक”। + +# कपटरहित + +“सत्यनिष्ठ” या “सच्चा” या “आडंबररहित” यह जाचं पर उपस्थित नायक का नकारात्मक शब्द है। + +# व्यवस्थापक + +मूसा प्रदत्त विधान के शिक्षक + +# परन्तु वे समझते भी नहीं + +समझते भी नहीं - “वे उन्हें समझते नहीं” या “फिर भी अज्ञानी है” + +# दृढ़ता से बोलते हैं + +“जिस पर वे बल देते हैं” या “संपूर्ण भरोसे से व्यक्त करते है”। + +# परन्तु + +“अब” + +# व्यवस्था की रीति पर काम में लाए, तो वह भली है + +व्यवस्था की रीति पर काम में लाए, तो वह भली है - “हम जानते है कि विधान उपयोगी है” या “हम जानते हैं कि विधान लाभकारी है”। + +# यदि उचित रीति से काम में लाएं + +उचित रीति से काम में लाएं “यदि उसका उचित निर्वाह किया जाए” या “यदि जैसा उससे अपेक्षित है वैसा निर्वाह किया जायेगा diff --git a/1ti/01/09.md b/1ti/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..5e7ffc6 --- /dev/null +++ b/1ti/01/09.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# और हम यह जानकार + +हम यह समझते हैं या “हमें इसका ज्ञान है” या “हम इससे अभिज्ञ हैं” + +# व्यवस्था धर्मी जन के लिए नहीं + +“उल्लंघन न करनेवाले के लिए नहीं” “उसका पालन करने वाले के लिए नहीं है” या “परमेश्वर की दृष्टि में उचित मनुष्य के लिए नहीं है” + +# माँ-बाप के घात करनेवालों, हत्यारों + +“जो माता या पिता की हत्या करें” या “जो अपनी माता या पिता को शारीरिक क्षति पहुँचाएं” + +# व्यभिचारियों + +यह एक पुल्लिंग शब्द है जो वैश्याओं के लिए काम में लिया गया है। अन्य स्थानों में इस शब्द का उपयोग उन मनुष्यों के लिए किया गया है जो परमेश्वर के निष्ठावान नहीं हैं। यहाँ इसका संदर्भ उन सबके लिए किया गया है जो विवाह के बाहर यौन संबन्ध रखते हैं। + +# पुरूषगामियों + +यूनानी में यह शब्द स्पष्ट रूप से उस पुरूष के लिए है जो पुरूष के साथ यौन संबन्ध बनाता है। + +# मनुष्य के बेचने वालों + +“जो मनुष्यों को पकड़कर दास होने के लिए बेचते हैं” या "जो मनुष्यों को दास के रूप में बेचते है" + +# खरे उपदेश + +“सच्ची शिक्षा” या “सच्चे निर्देश” + +# परमधन्य परमेश्वर की महिमा के उस सुसमाचार के अनुसार + +“महिमा का शुभ सन्देश जो धन्य परमेश्वर का है” या “महिमामय और धन्य परमेश्वर का सन्देश” + +# जो मुझे सौंपा गया है + +“जो परमेश्वर ने मेरे उत्तरदायित्व निमित्त मुझे दिया है” diff --git a/1ti/01/12.md b/1ti/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..c5d903b --- /dev/null +++ b/1ti/01/12.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# धन्यवाद करता हूँ + +धन्यवाद करता हूँ - “मैं आभारी हूँ”, “मैं कृतज्ञ हूँ” + +# विश्वासयोग्य समझ कर + +“उसने मझे इस योग्य समझा” या “मुझे भरोसेमन्द समझा” + +# अपनी सेवा के लिए ठहराया + +अपनी सेवा के लिए ठहराया - “अपनी इस सेवा में नियुक्त किया” या “सेवा के स्थान में रखा” + +# मैं तो पहले निन्दा करनेवाला + +मैं तो पहले निन्दा करनेवाला - “मैंने पहले मसीह की बुराई की” या “पूर्वकाल में निन्दा करनेवाला था”। + +# अन्धेर करनेवाला + +“मनुष्यों को क्षति पहुँचानेवाला” अर्थात मनुष्यों को हानि पहुंचाना अपना अधिकार समझने वाला। + +# मुझ पर दया हुई + +मुझ पर दया हुई - “परन्तु मुझ पर परमेश्वर ने दया की” या “परमेश्वर ने मुझ पर दया दर्शाई” + +# क्योंकि मैंने अविश्वास की दशा में बिन समझे हुए काम किए थे + +क्योंकि मैंने अविश्वास की दशा में बिन समझे हुए काम किए थे - व्याख्या करें। + +# पर + +“और” + +# विश्वास और प्रेम के साथ....बहुतायत से हुआ + +“प्रचुर था” या “आवश्यकता से अधिक था” diff --git a/1ti/01/15.md b/1ti/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..8702280 --- /dev/null +++ b/1ti/01/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यह बात सच + +यह बात सच - “यह कथन सच है” + +# हर प्रकार से मानने योग्य है + +हर प्रकार से मानने योग्य है - “निःसन्देह स्वीकार्य है” या “पूर्ण विश्वास से ग्रहण करने योग्य है” + +# मुझ पर इसलिए दया हुई + +मुझ पर इसलिए दया हुई -“परमेश्वर ने पहले मुझ पर दया की” या “मुझे परमेश्वर से दया प्राप्त हुई”। + +# सनातन राजा + +“शाश्वत राजा” या “सदाकालीन प्रधान शासक” + +# आदर और महिमा + +"उसकी प्रतिष्ठा हो और वह महिमान्वित हो" या “मनुष्य उसकी प्रतिष्ठा करें और महिमान्वित करें” diff --git a/1ti/01/18.md b/1ti/01/18.md new file mode 100644 index 0000000..2531740 --- /dev/null +++ b/1ti/01/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मैं यह आज्ञा सौंपता हूँ + +मैं यह आज्ञा सौंपता हूँ - “मैं तुझे आज्ञा देता हूँ” या “तुझे आदेश देता हूँ” + +# बच्चा + +यह पुत्र-पुत्री से अधिक एक सामान्य शब्द है परन्तु पिता के साथ संबन्ध दर्शाता है। पौलुस तीमुथियुस के लिए अपने प्रेम को प्रकट करने के लिए इसका रूपक स्वरूप उपयोग करता है। + +# अच्छी लड़ाई को लड़ते रह + +“परिश्रम के योग्य संघर्ष में सहभागी रह” या “बैरियों को हराने में परिश्रम करता रह” यह “प्रभु के लिए परिश्रम कर” के लिए एक रूपक है। + +# विश्वास रूपी जहाज डूब गया + +पौलुस एक और रूपक द्वारा उनके विश्वास की दशा दर्शाता है। एक जहाज जो चट्टानों में टूट जाता है। “उनके विश्वास का विनाश हो गया” (यू.डी.बी.) यदि आपकी भाषा में समझ में आए तो इस रूपक का ही उपयोग करें या कोई अन्य रूपक का उपयोग करें। + +# वे भी सीखे + +“कि परमेश्वर उन्हें सिखाए” diff --git a/1ti/02/01.md b/1ti/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..0f7ec31 --- /dev/null +++ b/1ti/02/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# सबसे पहले + +“सर्वाधिक महत्त्व की बात है” या “कि कुछ भी कहने से पूर्व” प्रार्थना करना ( निवेदन, विनती, मध्यस्था तथा धन्यवाद ) सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है पौलुस यह नहीं कहता है कि यह उसका सर्वप्रथम आग्रह है, न ही यह कि सबसे पहले मनुष्य (ख) सब मनुष्यों के लिए (ख) + +# आग्रह करता हूँ + +आग्रह करता हूँ -“मैं याचना करता हूँ” या “निवेदन करता हूँ” + +# गंभीरता + +“इस प्रकार कि मनुष्य तुम्हारा सम्मान करे” “भक्ति” के साथ इसका अर्थ है, “इस प्रकार कि मनुष्य परमेश्वर का सम्मान करके हमें मान प्रदान करें”। diff --git a/1ti/02/05.md b/1ti/02/05.md new file mode 100644 index 0000000..7d9cf12 --- /dev/null +++ b/1ti/02/05.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# बिचवई + +बिचवई दो विपरीत पक्षों में शान्ति का समझौता करवाता है। यहाँ यीशु एक बिचवई है जो मनुष्यों की सहायता करता है कि वे परमेश्वर के साथ शान्ति के संबन्ध में हो जाएं” + +# जिसने अपने आपको दे दिया + +“स्वेच्छा से मरा” + +# छुटकारे के दाम में + +छुटकारे के दाम में -“स्वतंत्रता के दाम में” या “स्वतंत्रता प्राप्त करने का मूल्य” + +# उसकी गवाही ठीक समय पर दी गई + +उसकी गवाही ठीक समय पर दी गई - “यह उसकी सही समय की गवाही है” या “इन समयों में उसकी गवाही है”। + +# इसी उद्देश्य से + +“इसी के लिए” या “इसी कारण” या “इस गवाही के निमित्त” + +# प्रचारक + +प्रचारक -“प्रचारक नियुक्त किया गया” या मसीह द्वारा प्रचारक नियुक्त किया गया” + +# मैं सच कहता हूँ। + +मैं सच कहता हूँ - “मैं सत्य की घोषणा कर रहा हूँ” या “मैं सच कह रहा हूँ” + +# झूठ नहीं बोलता + +“मैं असत्य नहीं कह रहा हूँ” + +# विश्वास और सत्य का + +विश्वास और सत्य का - “विश्वास और सत्य” या “विश्वास और सत्य के साथ” diff --git a/1ti/02/08.md b/1ti/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..ce8d139 --- /dev/null +++ b/1ti/02/08.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हर जगह पुरूष + +हर जगह पुरूष “सब स्थानों में पुरूष” या “पुरूष सर्वत्र” + +# उठाकर + +उठाकर - “ऊपर करके” या “ऊपर उठाकर” + +# पवित्र हाथों को + +“परमेश्वर के लिए नियुक्त हाथों को” यह पाप से बचने वाले मनुष्य के लिए लाक्षणिक उपयोग है। + +# बिना क्रोध और विवाद + +“किसी पर क्रोध किए बिना” या “मतभेद के बिना” या “किसी से क्रोधितयत तथा परमेश्वर पर सन्देह किए बिना” + +# संकोच और संयम + +“कि उन पर अनुचित ध्यान न जाए” या “परमेश्वर एवं मनुष्य के प्रति उचित सम्मान के साथ” + +# बाल गूंथने + +“बालों के सौदंर्य हेतु परिश्रम करना” + +# भले कामों से.... भक्ति करनेवाली स्त्रियों को यही उचित है + +“अपने भले कामों से प्रकट करें कि वे परमेश्वर की हैं” diff --git a/1ti/02/11.md b/1ti/02/11.md new file mode 100644 index 0000000..55e568f --- /dev/null +++ b/1ti/02/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# स्त्री को.... सीखना चाहिए + +स्त्री को.... सीखना चाहिए - “स्त्री सीखे” या “स्त्री के लिए सीखना आवश्यक है” + +# चुपचाप + +चुपचाप - “शान्ति के साथ” या “शान्त स्वभाव रह कर” + +# पूरी अधीनता + +“परमेश्वर की आज्ञा के पालन हेतु तत्पर” + +# मैं कहता हूँ + +मैं कहता हूँ -“मैं स्त्रियों को अनुमति नहीं देता” diff --git a/1ti/02/13.md b/1ti/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..875e45a --- /dev/null +++ b/1ti/02/13.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# आदम की सृष्टि पहले हुई + +“आदम पहला मनुष्य था जिसे परमेश्वर ने बनाया” या “परमेश्वर ने पहले आदम की सृष्टि की” + +# उसके बाद हव्वा बनाई गई + +उसके बाद हव्वा बनाई गई -“उसके बाद हव्वा की रचना की गई” या “हव्वा बाद में बनाई गई” + +# आदम बहकाया न गया + +“आदम को शैतान ने नहीं बहकाया था” + +# स्त्री बहकावे में आकर अपराधनी हुई + +“पूर्णतः धोखा बताकर पापी हुई” मुख्य बात यह है कि आदम नहीं स्त्री ने परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन किया। उसने पूर्णतः धोखे में आकर पाप किया। + +# तौभी स्त्री बच्चे जनने के कारण उद्धार पाएगी + +“परमेश्वर उसे जीवन के सामान्य मार्ग में सुरक्षित रखेगा” + +# यदि... स्थिर रहे + +“यदि वे बनी रहें” या “यदि वे ऐसा जीवन जीती रहें” + +# विश्वास, प्रेम और पवित्रता में + +“यीशु में विश्वास, मनुष्यों से प्रेम और पवित्र जीवन रखें” + +# संयम सहित + +“आत्म संयम” या “सर्वोत्तम के बोध के साथ” diff --git a/1ti/03/01.md b/1ti/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..9a3721f --- /dev/null +++ b/1ti/03/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# एक ही पत्नी का पति + +अर्थात उसकी एक ही पत्नी हो। इसका अनुवाद सामान्यतः किया जा सकता है “उसकी एक ही पत्नी हो” (यू.डी.बी.) + +# संयमी + +“किसी बात की अति न करता हो” + +# सुशील + +“बुद्धि का उपयोग करने वाला” या “खरा निर्णय लेनेवाला” या “तर्क करने वाला” या “बुद्धिमान” + +# सभ्य + +“शिष्टाचार वाला” + +# अतिथि सत्कार करनेवाला + +“परदेशियों का स्वागत करनेवाला” + +# पियक्कड़ न हो + +“मद्यव्यसनी न हो” या “बहुत मदिरापान न करता हो” + +# मारपीट करनेवाला न हो + +“लड़ने-झगड़ने और विवाद प्रिय न हो” + +# न धन का लोभी + +“चोरी करके या धोखे से पैसा कमानेवाला न हो” वह ईमानदारी से धनोपार्जन करने वाला भी हो सकता है जो अन्यों की सुधि लेनेवाला नहीं। + +# (अच्छा काम) + +“सम्मानित काम” diff --git a/1ti/03/04.md b/1ti/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..b067090 --- /dev/null +++ b/1ti/03/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करता हो और अपने बच्चों को सारी गंभीरता से अधीन रखता हो। + +संभावित अर्थ हैं 1) अध्यक्ष के बच्चे उसके अधीन रहेंगे तो दूसरों का सम्मान भी करेंगे। (यू.डी.बी.) या 2) अध्यक्ष घर के प्रबन्ध में उसका सम्मान भी करता हो। + +# अपने घर का प्रबन्ध + +“उसके परिवार की सुधि लेना” या “उसके परिवार के सदस्यों का मार्गदर्शन करना”। + +# सारी गंभीरता से + +सारी का अभिप्राय हो सकता है, “सब लोग” या “हर समय” या “हर परिस्थिति में” + +# जब कोई...प्रबन्ध करना न जानता हो + +जब कोई...प्रबन्ध करना न जानता हो “यदि मनुष्य.... न जानता हो” या “यदि मनुष्य न कर पाए” या “यह मान लो कि वह ना कर पाए”। + +# परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली कैसे करेगा? + +यह एक प्रभावोत्पादक प्रश्न है। “वह परमेश्वर की कलीसिया को संभाल नहीं पाएगा” “वह परमेश्वर की कलीसिया की अगुआई नहीं कर पाएगा” diff --git a/1ti/03/06.md b/1ti/03/06.md new file mode 100644 index 0000000..7652d20 --- /dev/null +++ b/1ti/03/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# नया चेला न हो + +“वह नव-विश्वासी न हो” या “वह एक परिपक्व विश्वासी हो” + +# अभिमान करके शैतान का सा दण्ड पाए + +“बाहर वालों में भी उसका सुनाम हो” शैतान के समान घमण्ड करके शैतान के सदृश्य दण्ड का भागी हो” उसकी छवि बाहर भी अच्छी हो। + +# बाहरवालों में भी उसका सुनाम हो। + +“जो यीशु में विश्वास नहीं करते उसके बारे में अच्छा कहते हों।” या “कलीसिया से बाहर के लोग भी उसे भला मनुष्य कहते हों”। + +# निन्दित होकर + +“अपने लिए लज्जा का कारण हो” या “किसी को उसकी बुराई करने का अवसर मिले”। + +# शैतान के फंदे में फंस जाए + +“शैतान को जाल में फंसाने का अवसर दें, शैतान का फंदा एक रूपक है जिस का अर्थ है शैतान न किसी विश्वासी को अनजाने में पाप में गिरा दे”। diff --git a/1ti/03/08.md b/1ti/03/08.md new file mode 100644 index 0000000..60e3472 --- /dev/null +++ b/1ti/03/08.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# वैसे ही सेवकों की भी + +वैसे ही सेवकों की भी - “अध्यक्षों के सदृश्य सेवकों के लिए भी कुछ अनिवार्यताएं हैं” + +# गंभीर होना चाहिए + +गंभीर होना चाहिए - “सम्मान के योग्य होना चाहिए” + +# दोरंगी + +“कहे कुछ और अर्थ कुछ और हो” या “किसी से कुछ कहे और दूसरे से कुछ और कहे” + +# पियक्कड़ + +“मद्यव्यसनी” या “बहुत मदिरापान करनेवाला” + +# लोभी न हो + +“अनर्थ काम की इच्छा न रखता हो” + +# विश्वास के भेद को.... सुरक्षित रखे + +विश्वास के भेद को.... सुरक्षित रखे “वे परमेश्वर के सच्चे सन्देशों में विश्वास रखते हों जिसे परमेश्वर ने प्रकाशित किया और हमने विश्वास किया” वह सत्य जो है और परमेश्वर इस समय उन पर प्रकट कर रहा है। + +# शुद्ध विवेक से + +शुद्ध विवेक से - “ऐसा विवेक जो उन्हें अनुचित काम का दोषी ठहराता हो” + +# पहले परखे जाएं + +पहले परखे जाएं “उन्हें पहले जांच कर देखा जाए कि वे सेवा के लिए योग्य हैं या नहीं”। या “पहले वे स्वयं को योग्य सिद्ध करें” + +# क्योंकि वे निर्दोष निकलें + +क्योंकि वे निर्दोष निकलें - “यदि उनमें दोष न पाया जाए” या “निर्दोष होने पर” या “उन्होंने कुछ भी अनुचित नहीं किया हो” diff --git a/1ti/03/11.md b/1ti/03/11.md new file mode 100644 index 0000000..50fc653 --- /dev/null +++ b/1ti/03/11.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# इसी प्रकार से स्त्रियों को भी + +इसी प्रकार से स्त्रियों को भी - इसी प्रकार पत्नियों के लिए भी अनिवार्यताएं हैं। “सेवकों के सदृश्य सेविकाओं के लिए भी अनिवार्यताएं हैं” “स्त्रियों” के लिए प्रयुक्त सामान्य शब्द का अर्थ मूल में “स्त्रियां हैं परन्तु यहाँ उसका संदर्भ सेवकों की पत्नियों से है या सेविकाओं से है क्योंकि पूर्व एवं आगामी पद सेवकों के बारे में चर्चा करते हैं। + +# गंभीर + +गंभीर - “उचित आचरण” + +# दोष लगाने वाली न हो + +दोष लगाने वाली न हो - “किसी की बुराई न करती हों” + +# सचेत + +“किसी बात में अति न करती हों” + +# एक ही पत्नी के पति + +एक ही पत्नी के पति -अर्थात उसकी एक ही पत्नी हो। “प्रत्येक सेवक की एक ही पत्नी हो” यहाँ विवाद का विषय है विधुर या तलाक शुदा या अविवाहित पुरूषों की सेवा में न लें। + +# बाल बच्चों का.... अच्छा प्रबन्ध करना जानते हों + +“बच्चों और परिवार के सदस्यों की सुधि लेते हों और अच्छा मार्गदर्शन करते हों”। + +# क्योंकि जो + +क्योंकि जो - “क्यों किसी सेवक” या “क्योंकि जो अध्यक्ष, सेवक और सेविका” या “ये कलीसियाई अगुवे” + +# वे निर्लज्जता से अपनी ही सेवा करते थे। + +वे निर्लज्जता से अपनी ही सेवा करते थे। -“अपने लिए पाते है।” या “ग्रहण करते हैं”। + +# अच्छा पद + +1) कलीसिया में मान-सम्मान। 2) परमेश्वर के समक्ष स्थान। 3) कलीसिया में पदोन्नति जैसे बिशप । + +# वह विश्वास में..... बड़ा साहस करते हैं। + +वह विश्वास में..... बड़ा साहस करते हैं। -“अपने विश्वास की चर्चा में साहस प्राप्त करते हैं” या “उन्हें अपने विश्वासियों पर पूरा भरोसा होता है”। या “परमेश्वर और मनुष्य के समक्ष उन्हें आत्म-विश्वास होता है कि उनका विश्वास सच्चा है” या “अपने विश्वास की चर्चा पर उन्हें साहस होता है”। diff --git a/1ti/03/14.md b/1ti/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..d231fd7 --- /dev/null +++ b/1ti/03/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# ये बातें तुझे इसलिए लिखता हूँ + +ये बातें तुझे इसलिए लिखता हूँ - “मैं तुझे ये निर्देश लिख रहा हूँ कि” + +# और जल्द आने की आशा रखने पर भी + +और जल्द आने की आशा रखने पर भी - “यद्यपि मैं शीघ्र ही तरे पास आने की आशा में हूँ” + +# यदि मेरे आने में देर हो + +यदि मेरे आने में देर हो -“यदि मैं वहाँ शीघ्र न आ पाया तो” या “यदि मेरे शीघ्र आगमन में बाधा उत्पन्न हुई” + +# इसलिए लिखता हूँ + +इसलिए लिखता हूँ - “मेरे लिखने का उद्देश्य है” + +# “परमेश्वर के घराने में.... कैसा बर्ताव करना है” + +“तुझे परमेश्वर के घराने की अगुआई कैसे करनी है”। + +# सत्य का खंभा और नींव है + +इस रूपक में एक बड़ा दृढ़ मंच है जिस पर परमेश्वर सत्य का प्रदर्शन करता है। इस मंच को उसके मांगों द्वारा व्यक्त किया गया है नींव और खंभा। diff --git a/1ti/03/16.md b/1ti/03/16.md new file mode 100644 index 0000000..0f9320b --- /dev/null +++ b/1ti/03/16.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हम परस्पर सहमत हों + +हम परस्पर सहमत हों “निःसन्देह” या निर्विवाद” इसके आगे के पद एक गीत या गीत का अभिकथन है जिसका उपयोग आरंभिक कलीसिया करती थी, महत्त्वपूर्ण धर्म शिक्षा की सूची दे जिसमें सब विश्वासी सहभागी थे। + +# शरीर में + +“वास्तविक मनुष्य” + +# भक्ति का भेद गंभीर है + +“यह सत्य ही परमेश्वर ने हम पर प्रकट किया कि ईश्वर-भक्ति का जीवन कैसे जीएं अति महान है”। + +# आत्मा में धर्मी ठहरा + +“पवित्र-आत्मा ने सत्यापित किया कि मसीह यीशु वही है जो वह कहता था”। + +# अन्य जातियों में उसका प्रचार हुआ + +“मनुष्यों ने सब जातियों में यीशु की चर्चा की” + +# जगत में उस पर विश्वास किया गया + +“संसार के अनेक भागों में उसका विश्वास किया गया” diff --git a/1ti/04/01.md b/1ti/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..f15a8c1 --- /dev/null +++ b/1ti/04/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# विश्वास से बहक जाएंगे + +“यीशु में विश्वास का त्याग कर देंगे” या “अपने विश्वास से विमुख हो जाएंगे”। + +# आने वाले समयों में + +इसको संभावित अर्थ हैं, 1) पौलुस के बाद का समय। “आगमी युग में” या “भविष्य में” या 2) पौलुस ही के समय में, “अन्त के इस समय में” + +# मन लगा कर + +“स्वीकार करके” या “उनकी शिक्षाओं को मानकर” या “सुन कर” या “वे जो उनकी शिक्षाओं को ग्रहण करेंगे”। + +# भरमाने वाली आत्माओं और दुष्टात्माओं + +“मनुष्यों को छलने वाली आत्माएं और शैतान की शिक्षाएं” + +# कपट + +“पाखंडी का झूठ” + +# जलते हुए लोहे से दागा गया हो + +दासों और पशुओं पर लाल लोहे से मुहर लगाई जाती थी जिसके द्वारा उनके स्वामी का पता चलता था। संभावित अर्थ हैं। उनके विवेक अचेत हैं। जैसे कि उनका विवेक गर्म लोहे से जलाकर चेतना-शून्य कर दिया गया है। 1) यह दाग उनकी पहचान है। “वे जानते हैं कि वे पाखंडी हैं फिर भी वे ऐसा करते हैं।” diff --git a/1ti/04/03.md b/1ti/04/03.md new file mode 100644 index 0000000..404be63 --- /dev/null +++ b/1ti/04/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जो + +“ये लोग” + +# विवाह करने से रोकेंगे + +विवाह करने से रोकेंगे “विश्वासियों को विवाह करने के विरूद्ध प्रेरित करेंगे” या “विश्वासियों को विवाह न करने पर विवश करेंगे” + +# भोजन की कुछ वस्तुओं से परे रहने की आज्ञा देंगे। + +“मनुष्यों को सब प्रकार का भोजन नहीं करने देंगे” या “मनुष्यों को कुछ भोजन विशेष से रोकेंगे” यहाँ विश्वासियों के संदर्भ में कहा जा रहा है। (यू.डी.बी.) + +# सत्य के पहचानने वाले + +सत्य के पहचानने वाले - “सत्य को जानने वाले विश्वासी” या “सत्य की शिक्षा प्राप्त विश्वासी”। + +# कोई वस्तु अस्वीकार करने के योग्य नहीं यह कि धन्यवाद के साथ खाई जाए। + +हमने जिसके लिए परमेश्वर को धन्यवाद दिया है उसे फैंकना उचित नहीं है” या “हमने जिस वस्तु के लिए धन्यवाद दिया उसे अमान्य न ठहराएं।” या “धन्यवाद के साथ जो कुछ भी खाएं, स्वीकार्य है” + +# धन्यवाद के साथ + +“हमने परमेश्वर के वचन का पालन करके और प्रार्थना करके उसे परमेश्वर के उपयोग हेतु पृथक कर दिया है” या “हमने प्रार्थना के द्वारा उसे परमेश्वर के उपयोग हेतु पृथक कर दिया है, वह परमेश्वर के प्रकट सत्य से सहमत है”। diff --git a/1ti/04/06.md b/1ti/04/06.md new file mode 100644 index 0000000..a059a51 --- /dev/null +++ b/1ti/04/06.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यदि तू भाइयों को इन बातों की सुधि दिलाए + +“विश्वासियों के मन में यह डाले” या “विश्वासियों को इन बातो को स्मरण रखने में सहायता करे” “बातों” अर्थात 3:16 से 4:5 तक सब शिक्षाएं। + +# पालन-पोषण + +“प्रशिक्षण” (यू.डी.बी.) परमेश्वर तीमुथियुस को अधिक दृढ़ बना रहा था और उसने परमेश्वर को ग्रहण योग्य बातों की शिक्षा दे रहा था। + +# विश्वास के अच्छे उपदेश + +“मनुष्यों में विश्वास उत्पन्न करने वाले उपदेश” + +# अशुद्ध और बूढ़ियों की सी कहानियों + +“अशुद्ध और बूढ़ियों की कल्पित कथाएं यहाँ कहानियों का अर्थ है कपोल कल्पित कथाएं” , अतः इसका अनुवाद ऐसा ही करें। बूढ़ी स्त्रियों से अभिप्राय है, “मूर्खता की” या “निरर्थक” यहाँ “बूढ़ियों” के उपयोग द्वारा पौलुस स्त्रियों का अपमान नहीं कर रहा है। वह और उसके पाठक जानते थे कि पुरूष स्त्रियों से कम आयु में मर जाते थे। अतः दुर्बल मस्तिष्क की स्त्रियां संख्या में पुरूषों से अधिक थी” + +# भक्ति की साधना कर + +“आदिकालिक भक्ति का प्रशिक्षण प्राप्त कर” या “परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले अचरण में अधिकाधिक प्रशिक्षण हो” या अधिक ईश्वर भक्त होने के लिए परिश्रम कर” + +# देह की साधना + +“शारीरिक व्यायाम” + +# प्रतिज्ञा इसी में है + +“इस जीवन में लाभदायक है” या “इस जीवन को अधिक उत्तम बनाने में सहायक है”। diff --git a/1ti/04/09.md b/1ti/04/09.md new file mode 100644 index 0000000..26bd451 --- /dev/null +++ b/1ti/04/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हर प्रकार से मानने योग्य है + +“तुम्हारे पूर्ण विश्वास के योग्य है” या “तुम्हारे पूर्ण भरोसे के योग्य है” + +# इसीलिए + +“यही कारण है कि” + +# हम परिश्रम और यत्न + +“हम पूर्ण-शक्ति परिश्रम करते हैं” या “हम अपने बैरियों से युद्ध करते हुए कठोर परिश्रम करते हैं”। + +# मैं प्रभु पर तुम्हारे विषय में भरोसा रखता हूँ + +“हमने जीवित परमेश्वर पर आशा रखी है” या हमने जीवित परमेश्वर में आशा लगाई है”। या “हमारी आशा जीवित परमेश्वर में है”। + +# निज करके विश्वासियों का + +“परन्तु वह विशेष करके विश्वासियों का उद्धारक है” diff --git a/1ti/04/11.md b/1ti/04/11.md new file mode 100644 index 0000000..e690feb --- /dev/null +++ b/1ti/04/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# इन बातों की आज्ञा दे और सिखाता रह + +इन बातों की आज्ञा दे और सिखाता रह - “इन बातों के निर्देश एवं शिक्षा दे” या “मैंने जो बातें अभी बताई है उनकी शिक्षा दे और आज्ञा दे” + +# कोई तेरी जवली को तुच्छ न समझने पाएं + +“तू युवा है इसलिए कोई तेरे महत्त्व को कम न समझने पाए” + +# वचन पढ़ने + +वचन पढ़ने - “धर्मशास्त्र पढ़” या “धर्मशास्त्र मंच से पढ़कर सुनाता रह” + +# पढ़ने और उपदेश देने + +“उपदेश दे” या “परमेश्वर के वचन को जीवन में अपनाने के लिए विश्वासियों को उपदेश दे”। diff --git a/1ti/04/14.md b/1ti/04/14.md new file mode 100644 index 0000000..4be1c92 --- /dev/null +++ b/1ti/04/14.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# प्राचीनों के हाथ रखते समय + +यह एक कलीसियाई अनुष्ठान जिसमें कलीसिया के अगुओं ने तीमुथियुस के सिर पर हाथ रखकर परमेश्वर से प्रार्थना की थी कि, वह तीमुथियुस के उस काम को करने योग्य बनाए जो उसने उसे सौंपा था। + +# तू अपने और सुनने वालों के लिए भी उद्धार का कारण होगा + +“तू स्वयं और अपने श्रोताओं को झूठी शिक्षाओं और अनुचित कामों से सुरक्षित रख पाएगा” जो झूठी शिक्षाओं पर चलकर अनुचित काम करते हैं वे परिणामस्वरूप कष्ट भोगेंगे। पौलुस नहीं चाहता था कि तीमुथियुस और उसके मित्र अनुचित बातों में विश्वास करने और वैसे काम करने के कारण कष्ट उठाएं”। + +# उस वरदान के प्रति निश्चिंत मत रह + +“परमेश्वर ने जो वरदान तुझे दिया है उसका पूरा उपयोग कर" + +# भविष्यद्वाणी के द्वारा + +“जब परमेश्वर की कलीसिया के अगुओं ने परमेश्वर की इच्छा प्रकट की थी”। + +# इन बातों को सोचते रह और उन्हीं में अपना ध्यान लगाए रह। + +“हम सब बातों के अनुरूप जीवन जी और वैसा ही कर भी” + +# ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो + +“कि मनुष्य तेरा उत्थान देख पाएं” या “मनुष्य तेरे कामों में उन्नति देख पाएं”। + +# अपनी चौकसी कर + +“अपना आचरण सावधानीपूर्वक कर” या “अपने व्यवहार को नियंत्रित कर” + +# इन बातों पर स्थिर रह + +“ऐसे काम करता रह”। diff --git a/1ti/05/01.md b/1ti/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..9a72301 --- /dev/null +++ b/1ti/05/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +पौलुस के ये सब आदेश एक ही व्यक्ति के लिए हैं। तीमुथियुस के लिए। जिन भाषाओं में “तुम” के विभिन्न रूप है या आज्ञाओं के विविध रूप हैं, वैसे एक वचन का उपयोग किया जाए। + +# किसी बूढ़े को न डांट + +किसी बूढ़े को न डांट - “किसी वृद्ध जन के साथ कठोर भाषा का उपयोग मत कर” + +# पर उसे पिता जानकर समझा दे + +पर उसे पिता जानकर समझा दे “परन्तु उसे ऐसे समझा जैसे अपने पिता को समझाता है। + +# और जवानों को भाई जानकर + +“युवाओं को ऐसे प्रोत्साहित कर कि जैसे वे तेरे भाई हैं” या “युवकों के साथ भाई का सा व्यवहार कर” + +# बूढ़ी स्त्रियों को माता जानकर + +बूढ़ी स्त्रियों को माता जानकर - “वृद्ध स्त्रियों को माता के स्वरूप समझ” या “वृद्ध स्त्रियों को ऐसे प्रोत्साहित कर जैसे तू अपनी माता से बातें करता है” + +# जवान स्त्रियों को... बहन जान कर समझा दे”। + +जवान स्त्रियों को... बहन जान कर समझा दे”। - “युवा स्त्रियों के साथ ऐसी बात कर जैसे अपनी बहन के साथ करता है” या “युवा स्त्री के साथ बहन का सा व्यवहार कर”। + +# पूरी पवित्रता से + +“शुद्ध विचार एवं कामों के साथ” या “पवित्रता में” diff --git a/1ti/05/03.md b/1ti/05/03.md new file mode 100644 index 0000000..26c9785 --- /dev/null +++ b/1ti/05/03.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# आदर कर + +"...प्रावधान करें..." + +# सचमुच विधवा है + +सचमुच विधवा है - “जो विधवाएं आवश्यकता-ग्रस्त हैं” या “जिन विधवाओं का कोई नहीं है”। + +# किसी विधवा के बच्चे या नाती पोते हों + +“परन्तु जिस विधवा के बच्चे....” + +# पुत्र + +“जिसे वह अपनी सन्तान मानती है” या “कोई उसके साथ मां का सा व्यवहार करता है”, + +# नाती पोते + +“जिसे वह अपना वंशज मानती है” या “इसे कोई मां या नानी-दादी कहता है”। + +# वे पहले + +वे पहले “उन्हें पहले” या “वे अपनी प्रथामिकता मानें” + +# भक्ति का बर्ताव + +“अपनी श्रद्धा प्रकट करें” या “भक्ति प्रकट करे” या “धर्म को सिद्ध करे” या “कर्तव्य निभाना सीखें”। + +# अपने ही घराने + +अपने ही घराने - “अपने परिवार में” या “अपने परिवार के सदस्यों के साथ” + +# माता-पिता को उनका हक दें। + +माता-पिता को उनका हक दें। - “माता-पिता का ऋण चुकाएं” या “अपने माता-पिता द्वारा की गई भलाई का बदला चुकाएं” + +# क्योंकि यह परमेश्वर को भाता है + +“वे ऐसा करते हें तो परमेश्वर प्रसन्न होता है” या “सम्मान को ऐसा प्रदर्शन परमेश्वर को प्रसन्न करता है”। diff --git a/1ti/05/05.md b/1ti/05/05.md new file mode 100644 index 0000000..1989585 --- /dev/null +++ b/1ti/05/05.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जो सचमुच विधवा है, और उसका कोई नहीं + +जो सचमुच विधवा है, और उसका कोई नहीं -“परन्तु जिस विधवा का कोई परिजन नहीं वह वास्तविक विधवा है” + +# वह परमेश्वर पर आशा रखती है और रात-दिन विनती और प्रार्थना में लौलीन रहती है। + +“वह धीरज धरकर परमेश्वर से विनती एवं प्रार्थना करती रहती है”। + +# पर + +“परन्तु” + +# "वह कनानी स्त्री आई" + +"वह कनानी स्त्री आई" “जो अपनी सुख भोग के लिए जी रही है” + +# वह जीते जी मर गई + +इस रूपक का अर्थ है वह परमेश्वर का ध्यान नहीं करती हे। “वह एक मृतक के सदृश्य परमेश्वर को प्रतिक्रिया नहीं दिखा सकती है”। + +# जीते जी + +शारीरिक जीवन diff --git a/1ti/05/07.md b/1ti/05/07.md new file mode 100644 index 0000000..bb64026 --- /dev/null +++ b/1ti/05/07.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# इन बातों की भी आज्ञा दिया कर + +इन बातों की भी आज्ञा दिया कर -“इनको भी आज्ञा दे” या “अधिकार के साथ ये बातें सिखा”। तीमुथियुस को भी परमेश्वर के वचन का पालन करना आवश्यक था और अन्य विश्वासियों को पौलुस के आदेशों के पालन की आज्ञा देना भी। + +# ताकि वे निर्दोष रहें + +“कि कोई उनमें दोष न देख पाए” इसके संभावित अर्थ हैं 1) “वे विधवाएँ और उनके परिवार” (यू.डी.बी.) या 2) “कलीसिया। उचित तो यही होगा कि इसे केवल “वे” तक ही रखें। + +# यदि कोई अपनों की... चिन्ता न करे + +“अपने परिजनों की सुधि न ले” या “अपने परिजनों की आवश्यकता में सहायता न करता हो” + +# अपने घराने की + +अपने घराने की - “अपने परिवार के सदस्यों की” या “कुटुम्बियों की आवश्यकता में सहायता न करता हो” + +# अपने परिवार की + +“अपने पारिवारिक सदस्यों की” या “परिवार में उपस्थित जनों की” + +# विश्वास से मुकर गया है + +विश्वास से मुकर गया है - “वह अविश्वासी का सा व्यवहार करता है”। या “वह इस सत्य के विरूद्ध चलता है जिसमें हम विश्वास करते हैं” या वह विश्वास से विमुख हो गया है” + +# वह अविश्वासी से भी बुरा बन गया है + +“वह यीशु में विश्वास नहीं करने वालों से भी बुरा है” या “जो यीशु में विश्वास नहीं करते उससे अच्छे हैं”। जिन्हें यीशु का ज्ञान नहीं वे भी अपने परिवारों की सुधि लेते है तो विश्वासी को कितना अधिक ऐसा करना चाहिए”। diff --git a/1ti/05/09.md b/1ti/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..f6848b2 --- /dev/null +++ b/1ti/05/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उसी विधवा का नाम लिखा जाए + +ऐसा प्रतीत होता है कि विधवाओं की सूची तैयार की गई थी, या वे लिखित में थी या नहीं। कलीसिया उन विधवाओं के लिए आश्रय, वस्त्र और भोजन की व्यवस्था करती थी और इन विधवाओं से अपेक्षा की जाती थी कि वे कलीसिया की सेवा में समर्पित रहें। + +# साठ वर्ष से कम की न हो + +साठ वर्ष से कम की विधवाओं के पुनः विवाह की संभावना होती थी। कलीसिया के लिए आवश्यक था कि साठ वर्ष से अधिक आयु की विधवाओं की सुधि ले। + +# एक ही पति की पत्नी रही हो + +“पतिव्रता रही हो” + +# भले कामों में सुनाम रही हो + +अग्रिम वाक्य किसी स्त्री द्वारा भले कामों में प्रसिद्ध होने के उदाहरण हैं + +# पांव धोए हों + +“सहायता का एक अति सह सामान्य कार्य” “यात्रियों के पाव धोना एक रूपक है जिसका अर्थ है मनुष्यों की आवश्यकता में सहायता करना तथा जीवन को अधिक आनन्द से पूर्ण बनाना। + +# पवित्र जनों + +“परमेश्वर के लोगों पर” + +# हर एक भले काम में मन लगाया हो + +“भले कामों के लिए जानी जाती हो” diff --git a/1ti/05/11.md b/1ti/05/11.md new file mode 100644 index 0000000..51f4d9b --- /dev/null +++ b/1ti/05/11.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जवान विधवाओं के नाम न लिखना + +वह सूची 60 वर्ष से अधिक आयु की विधवाओं की थी कि कलीसिया उनकी देखरेख करे। + +# मसीह का विरोध करके सुख विलास में पड़ जाती हैं + +“अपनी यौन अभिलाषाओं के कारण मसीह से विमुख हो जाती है” या “अपनी अभिलाषाओं के कारण आत्मिक समर्पण का त्याग करना चाहती हैं। + +# अपने पहले विश्वास को छोड़ दिया + +“अपने समर्पण का त्याग कर देती हैं” या “जो शपथ खाई है उसकी निष्ठावान नहीं रहती है”। + +# विश्वास-समर्पण + +यदि कलीसिया उनकी आवश्यकताएं पूरी करे तो वे अजीवन कलीसिया की सेवा करेंगी। यह उनका विश्वास (समर्पण) था। + +# बक-बक + +जो किसी के निजि जीवन के बारे में अन्यों से चर्चा करता है + +# दूसरों के कामों में हाथ भी डालती हैं + +दूसरों के कामों में हस्तक्षेप करती हैं। + +# अनुचित बातें बोलती हैं। + +“जिन बातों की चर्चा करना उचित नहीं” diff --git a/1ti/05/14.md b/1ti/05/14.md new file mode 100644 index 0000000..823d996 --- /dev/null +++ b/1ti/05/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# बदनाम करने का अवसर + +यह उन विधवाओं के विषय में है + +# कई एक तो ...शैतान के पीछे हो चुकी हैं + +“शैतान का अनुसरण करने हेतु मसीह की शिक्षा और त्याग कर दिया है। + +# किसी विश्वासिनी + +“मसीह स्त्री” या “मसीह में विश्वास करनेवाली स्त्री।” + +# विधवाएं हों + +“अपने परिजनों में विधवा हो” + +# सचमुच विधवाएं हैं + +“जिनकी सुधि लेनेवाला कोई नहीं है।” diff --git a/1ti/05/17.md b/1ti/05/17.md new file mode 100644 index 0000000..63200f4 --- /dev/null +++ b/1ti/05/17.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# योग्य समझे जाएं + +“सब विश्वासी उन्हें योग्य समझें” + +# दो गुने आदर + +संभावित अर्थ हैं 1) सम्मान एवं आर्थिक सहयोग देनों के योग्य” या 2)“अन्यों से अधिक सम्मान के योग्य” + +# वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं + +“परमेश्वर के वचन के शिक्षक एवं उपदेशक” + +# मुँह ना बांधना + +“मुंह न खोले उसके लिए मुंह पर बंधन लगाया जाता है”। + +# बैल + +बड़ा पशु-गाय + +# दांवने वाले + +गेहूं को एक पत्थर से दबा कर बालियों में से निकालने की प्रक्रिया। बैल को उस गेहूं में से खाने की अनुमति थी। + +# हर कदम है + +“वह योग्य है” diff --git a/1ti/05/19.md b/1ti/05/19.md new file mode 100644 index 0000000..e3d0e56 --- /dev/null +++ b/1ti/05/19.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# ग्रहण + +“सुनो” या "स्वीकार” + +# दो या तीन + +"कम से कम दो" या "दो या दो से अधिक" + +# समझा दे + +“झिड़क” या “सुधार कर” + +# सबके सामने + +“किस को देखें” + +# ताकि और लोग भी डरें + +“कि अन्य लोग पाप करने से डरें” diff --git a/1ti/05/21.md b/1ti/05/21.md new file mode 100644 index 0000000..465965b --- /dev/null +++ b/1ti/05/21.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तुझे + +तीमुथियुस एकवचन - को। अतः तू के स्वरूप एवं आज्ञाएं एकवचन में हों। + +# पक्षपात + +“समय से पूर्व निर्णय लेना” या “सबकी बातें सुनने से पूर्व निर्णय लेना” तीमुथियुस के लिए आवश्यक था कि निर्णय लेने से पूर्व तथ्यों पर ध्यान दे। + +# पक्षपात से + +“किसी अपने पर अधिक अनुग्रह मत करना” या “मित्रों का ध्यान रखते हुए निर्णय न लेना” तीमुथियुस के लिए आवश्यक था कि मनुष्य का ध्यान न करके तथ्यों का अवलोकन करे। + +# हाथ न रखना + +यह एक अनुष्ठान था जिसमें एक से अधिक अगुवे किसी के सिर पर हाथ रख कर प्रार्थना करते थे कि वह परमेश्वर की इच्छा के अनुसार सेवा करने के योग्य हो। तीमुथियुस को ऐसे मनुष्य के लिए लम्बें समय तक अच्छे चरित्र की जांच करके उसे कलीसियाई सेवा के लिए इस अनुष्ठान में सम्मिलित करना था। + +# दूसरों के पापों में भागी न होना + +इसके संभावित अर्थ हैं 1)यदि तीमुथियुस किसी पापी की कलीसियाई सेवा में चुन ले तो परमेश्वर उसके पाप का लेखादायी तीमुथिसुस को बनाएगा। या 2) तीमुथियुस अन्यों के पापों को स्वयं न करें। diff --git a/1ti/05/23.md b/1ti/05/23.md new file mode 100644 index 0000000..cb9b744 --- /dev/null +++ b/1ti/05/23.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(पद 23 का पद 22 और पद 24-25 के साथ संयोजन नहीं हो रहा है। यह मात्र एक ऐसी बात हो सकती है जिसका उल्लेख करना पौलुस भूल गया और वह भूलने से पूर्व उसकी चर्चा करना चाहता है। यदि इसका संबन्ध अग्रिम एवं पिछले पदों से है तोइसका अर्थ होगा कि पिछले पद में “पवित्र” शब्द का अर्थ उसके चरित्र से है न कि भोजन से)। + +# केवल जल ही का पीने वाला न रह + +“केवल जल पीना ही त्याग दे जो केवल जल ही पीता है। (यू.डी.बी.) पौलुस पानी पीने का निशेध नहीं कर रहा है अपितु औषधि स्वरूप दाखरस के उपयोग की अनुमति दे रहा है। + +# कुछ मनुष्यों के पाप + +(पद 24 में पौलुस पद 22 के ही विषय चला रहा है। कुछ मनुष्यों के पाप यहाँ संभवतः संदर्भ उन मनुष्यों से है जिनके सिरों पर शीघ्रता से हाथ रखे गए थे। (पद 22) + +# न्याय के लिए पहले से पहुंच जाते हैं + +“उनके पास न्याय के लिए उससे पहले उपस्थित जो जाते हैं। इसके संभावित अर्थ हैं1)किसी का अगुआई के पद पर रखने के कलीसियाई निर्णय से पूर्व ही उसके पाप प्रकट हो जाते हैं। या 2) उसके पाप उसका चरित्र प्रकट कर देते हैं कि वह कलीसिया के समक्ष दोषी होने या न होने का निर्णय पाए। या 3)उनके पाप प्रकट हैं और परमेश्वर उन्हें इसी समय दण्ड देगा। + +# कुछ पीछे से आते हैं + +इसके संभावित अर्थ हैं इसके संभावित अर्थ हैं इसके संभावित अर्थ हैं1) कुछ के पाप तीमुथियुस बाद में ही देख पाएगा। 2) कलीसिया कुछ मनुष्यों को पाप आगे चलकर देख पाएगी। 3) परमेश्वर अन्तिम न्याय के दिन तक उनका न्याय नहीं करेगा। + +# वे भी छिप नहीं सकते + +“अन्य भले काम भविष्य ही में प्रकट होंगे” diff --git a/1ti/06/01.md b/1ti/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..2a13507 --- /dev/null +++ b/1ti/06/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जुए के नीचे + +यह एक रूपक है जिसका संदर्भ दास से है जैसे किसी बलिष्ठ पशु को लकड़ी के जुए के नीचे रखा जाता था कि हल चलाए। यह दासों के लिए भी भिन्नार्थक शब्द है। यदि इस रूपक का प्रयोग कठिन है तो इसे काम में न लें। इसका अनुवाद यू.डी.बी. के सदृश्य भी किया जा सकता है जिसमें इसका निहितार्थ विश्वासी जन से है। + +# निन्दा + +“कलीसिया के बाहर के लोग परमेश्वर और परमेश्वर की बातों के विरूद्ध ऐसी बातें न करें।" + +# जिनके एक ही विश्वासी हैं उन्हें वे भाई होने के कारण तुच्छ न जानें। + +“क्योंकि उनके विश्वासी स्वामी भाई है इसलिए दास उनका तिरस्कार न करें। + +# उनकी और भी सेवा करें + +“विश्वासी स्वामियों के दास उनकी निष्ठापूर्वक सेवा करें” diff --git a/1ti/06/03.md b/1ti/06/03.md new file mode 100644 index 0000000..df5fe18 --- /dev/null +++ b/1ti/06/03.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# अगर कोई सिखाएं + +“जो भिन्न शिक्षा दे” या “जो कुछ और सिखाए” पौलुस के विचार में कुछ लोग भिन्न शिक्षा दे रहे थे। यह कल्पना नहीं है। + +# कोई .... वह.... उसे + +यू.डी.बी. में बहुवचन का उपयोग किया गया है, “कुछ लोग... ऐसे लोग.... वे” कि शिक्षका को स्त्री या पुरूष या एक या अनेक दर्शाया जाए। अतः आपकी भाषा में ऐसा शब्द रूप काम में लें जिसमें अर्थ की विविधता प्रकट हो। + +# तर्क करने का रोग + +“वह केवल विवाद करना चाहते है” या “वे विवाद प्रिय हैं” ऐसे मनुष्य केवल विवाद करते हें। वे समझौता करना नहीं चाहते हैं। + +# तर्क + +“अर्थ पर विवाद” या “झड़गा उत्पन्न करने वाले शब्द” या “दुःख पहुँचाने वाले शब्दों का उपयोग” + +# डाह + +“अन्यों के पास जो है उसकी लालसा करना” + +# झगड़े + +“विश्वासियों में परस्पर विवाद” + +# निन्दा की बातें + +“एक दूसरे के विरूद्ध झूठी बातें कहना” + +# बुरे-बुरे सन्देह + +यह कहना कि उनसे जो असहमत है वह दुष्टता करता है + +# रगडे-झगड़े + +“दीर्घकालीन झगड़े” + +# बुद्धि बिगड़ गई है + +“बुरे विचारों से भ्रष्ट बुद्धि” diff --git a/1ti/06/06.md b/1ti/06/06.md new file mode 100644 index 0000000..f83c74b --- /dev/null +++ b/1ti/06/06.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# बड़ी कमाई + +“बहुत लाभकारी है” या “हमारे लिए अनेक भलाई उत्पन्न करती है” + +# न हम जगत में कुछ लाए है + +“जन्म के साथ कुछ ले कर नहीं आए हैं” + +# न कुछ ले जा सकते हैं + +“मरने पर इस संसार से कुछ लेकर भी नहीं जाएंगे” + +# चाहिए + +हमें चाहिए कि diff --git a/1ti/06/11.md b/1ti/06/11.md new file mode 100644 index 0000000..04270c2 --- /dev/null +++ b/1ti/06/11.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# परमेश्वर के जन + +“परमेश्वर के सेवक” या “परमेश्वर के जन” + +# इन बातों से भाग + +“उन्हें ऐसे प्राणी समझ जो तेरी हानि करना चाहते है” इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “धन की लालसा” 2) भिन्न शिक्षाएं, घमण्ड तथा विवाद और “पैसे से प्रेम” + +# पीछा कर + +“पीछे भाग” या “पीछे पड़ जा” या “यथासंभव ऐसा काम कर” + +# विश्वास की अच्छी कुश्ती लड़.... अनन्त जीवन को धर ले + +कुछ के विचारों में यह खेल प्रतियोगिता का रूपक है जिसमें कुश्ती का विजेता पुरूस्कार “धर” लेता है। + +# अनन्त जीवन को धर लें + +कुछ के विचार में इस रूपक का अर्थ है अच्छी कुश्ती लड़। “जीवन पाने के लिए यथासंभव प्रयास कर”। + +# साक्षी दी + +“गवाही दी है” + +# सामने + +“उपस्थिति में” + +# विश्वास की + +“विश्वास कें संबन्ध में” diff --git a/1ti/06/13.md b/1ti/06/13.md new file mode 100644 index 0000000..fcbbaef --- /dev/null +++ b/1ti/06/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# निष्कलंक और निर्दोष रख + +इसके संभावित अर्थ है, 1) परमेश्वर को तीमुथियुस में कोई दोष दिखाई न दे। (यू.डी.बी.) या 2) मनुष्य तीमुथियुस पर उंगली न उठा पाए। + +# हमारे प्रभु यीशु के प्रगट होने तक + +“जब तक हमारा प्रभु यीशु लौट कर न आए”। + +# परमेश्वर को + +“परमेश्वर की उपस्थिति में” या “परमेश्वर के गवाह होने के समय” + +# यीशु के सामने + +“मसीह की उपस्थिति में” या मसीह के गवाह होने पर” + +# पुन्तियुस पिलातुस के सामने + +“पुन्तियुस पिलातुस के समक्ष” diff --git a/1ti/06/15.md b/1ti/06/15.md new file mode 100644 index 0000000..033bc1f --- /dev/null +++ b/1ti/06/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसकी गवाही ठीक समय पर दी गई + +“उचित समय पर” (यू.डी.बी.) + +# आगे बढ़़। + +“द्वारा निश्चित” या “द्वारा चुना हुआ” + +# परम-धन्य + +“जिसमें सब आशिषें निहित हैं” या “परमेश्वर जो सब आशिषों का देनेवाला है” यह पिता परमेश्वर के संदर्भ में है जो यीशु को प्रगट करता है। diff --git a/1ti/06/17.md b/1ti/06/17.md new file mode 100644 index 0000000..b3c7877 --- /dev/null +++ b/1ti/06/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# चंचल धन + +“उनकी सम्पदा जाती रहेगी” यह भौतिक सम्पत्ति है” + +# हमारे सुख के लिए + +“हमें सच्चा सुख देनेवाली वस्तुएं” ये भौतिक सम्पदा है परन्तु मुख्यतः प्रेम, आनन्द और शान्ति का संदर्भ देते हैं जिन्हें मनुष्य सांसारिक वस्तुओं से पाना चाहता है। + +# भले कामों में धनी बनें + +“जिस प्रकार तुम धन सम्पदा की खोज करते हो उसी प्रकार भले कामों के अवसर खोजो” या “भौतिक सम्पदा का आनन्द लेने के तुल्य भले कामों का भी आनन्द लो” + +# आधार + +भवन निर्माण का पहला चरण। यह “सच्ची धन सम्पदा के प्रथम चरण का और “सच्चे जीवन” के आरंभ का रूपक है जो परमेश्वर अपने लोगों को अनन्त जीवन में देगा। + +# सच्चे जीवन को वश में कर लें + +यह खेल कूद का रूपक है। जहाँ विजेता पुरूस्कार को वास्तव में अपने हाथों में थामता है। यहाँ पुरूस्कार सच्चा जीवन है। diff --git a/1ti/06/20.md b/1ti/06/20.md new file mode 100644 index 0000000..634257e --- /dev/null +++ b/1ti/06/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# विरोध की बातों से परे रह + +“तेरी बातों पर व्यर्थ विवाद करने वालों से दूर रह” + +# तुम पर अनुग्रह होता रहे + +तुम पर अनुग्रह होता रहे “मेरी प्रार्थना है कि परमेश्वर तुम सब पर जो वहाँ है कृपा दर्शाता रहे “ या “वह तुम पर अनुग्रह दर्शाए”। diff --git a/2co/01/01.md b/2co/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..c24b454 --- /dev/null +++ b/2co/01/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# पौलुस + +“पौलुस की ओर से” आपकी भाषा में पत्र लिखने वाले के परिचय की अपनी विधि होगी। “मैं, पौलुस यह पत्र लिख रहा हूं” + +# भाई + +नये नियम में प्रेरित "भाई" शब्द का उपयोग करते थे जिसका अर्थ होता था सब विश्वासी क्योंकि मसीह में विश्वास करने वाले सब जन एक ही आत्मिक परिवार के सदस्य थे जिनका स्वार्गिक पिता परमेश्वर है। + +# अखया + +यह एक रोमन प्रान्त का नाम है जो आज के यूनान का दक्षिण भाग है। + +# तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे + +"तुम्हें" का सन्दर्भ कुरिन्थ की कलीसिया के सदस्यों से है वरन् उस क्षेत्र के सब विश्वासियों से। यह पौलुस के पत्रों में प्रयुक्त एक सामान्य अभिवादन है। diff --git a/2co/01/03.md b/2co/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..a0c9e3e --- /dev/null +++ b/2co/01/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस और तीमुथियुस इस पत्र की प्रस्तावना ही में है। + +# परमेश्वर और पिता + +"परमेश्वर जो हमारा पिता है" + +# दया का पिता और सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर है। + +ये वाक्यांश एक ही बात को व्यक्त करने की अभिन्न विधियाँ है। "पिता" और "परमेश्वर" शब्दों द्वारा "दाता" या "स्रोत" का वर्णन किया गया है जो हमारा परमेश्वर है, क्योंकि परमेश्वर ही तो सब बातों का स्रोत है। वैकल्पिक अनुवाद: "सम्पूर्ण दया एवं अनुकम्पा का स्रोत" + +# वह हमारे सब क्लेशों में शांति देता है + +"हमारे" diff --git a/2co/01/05.md b/2co/01/05.md new file mode 100644 index 0000000..6058e9f --- /dev/null +++ b/2co/01/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस और तीमुथियुस कुरिन्थ की कलीसिया को प्रोत्साहित करते हैं। + +# जैसे मसीह के दुःख हमारे निमित अधिक है + +"ठीक वैसे ही जैसे मसीह ने हमारे लिए बहुत कष्ट उठाया है + +# यदि हम क्लेश पाते है + +कुरिन्थ की कलीसिया तो कष्ट उठा रही थी परन्तु पौलुस अपने और अपने साथियों के सन्दर्भ में भी कह रहा है। + +# जिसके कार्य से + +"जिसका तुम अनुभव करके" diff --git a/2co/01/08.md b/2co/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..4812574 --- /dev/null +++ b/2co/01/08.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +पौलुस और तीमुथियुस पत्र लिख रहे हैं। + +# हम नहीं चाहते की तुम... अनजान रहो + +"हम चाहते है कि तुम्हें इसका बोध हो जाए" + +# बोझ से दब गये + +"दब गये", इन शब्दों का सन्दर्भ घोर निराशा की अनुभूति से है। वैकल्पिक अनुवाद: "पूर्णत: हताश" + +# हमारी सामर्थ से बाहर था + +पौलुस और तीमुथियुस अपनी हताशा की भावनाओं के सन्दर्भ में कह रहे है कि वह एक बहुत भारी बोझ के समान थी। + +# हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है + +पौलुस और तीमुथियुस के मन में हताशा ने ऐसा स्थान बना लिया था कि जैसे मानों किसी ने उन्हें मृत्यु दण्ड सुना दिया है। वैकल्पिक अनुवाद: "हम ऐसे हताश हो चुके थे जैसे मृत्यु दण्ड पाने वाले की मानसिक दशा हो जाती है" + +# वरन परमेश्वर + +"अपना भरोसा" इस वाक्य में नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद: "परन्तु हुआ यह की हमने परमेश्वर ही में भरोसा रखा" + +# जो मरे हुओं को जिलाता है + +"जो मृतकों को पुन: जीवन देता है" + +# बड़ी मृत्यु + +पौलुस और तीमुथियुस अपनी हताशा को मृत्यु के संकट या विनाश बड़ी संकट की तुलना में प्रकट कर रहे है(यू.डी.बी)। वैकल्पिक अनुवाद: "हताशा" diff --git a/2co/01/11.md b/2co/01/11.md new file mode 100644 index 0000000..cfb3f3a --- /dev/null +++ b/2co/01/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे + +"जब तुम, कुरिन्थ की कलीसिया हमारे लिए प्रार्थना करती है तो परमेश्वर संकटों से हमारा निवारण करता है" diff --git a/2co/01/12.md b/2co/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..eb056b8 --- /dev/null +++ b/2co/01/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अपने विवेक की गवाही + +यह प्रमाण पौलुस और तीमुथियुस अपने विवेक से अपने कामों के विषय में है। + +# सांसारिक ज्ञान + +“मानवीय ज्ञान” + +# हम तुम्हें और कुछ नहीं लिखते, केवल वह जो पढ़ते मानते भी हो, वैसे ही/ तुम भी....हमारे लिए, वैसे ही तुम भी। + +“हम जो कुछ भी तुम्हें लिखते है, उसे तुम पढ़कर समझ सकते हो” + +# वैसे ही तुम भी हमारे लिए + +“ठीक वैसे तुम भी हमारे लिए गर्व का कारण होगे”। diff --git a/2co/01/15.md b/2co/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..8cba192 --- /dev/null +++ b/2co/01/15.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इसी भरोसे से + +यह पिछले पदों में कुरिन्थ की कलीसिया के बारे में पौलुस की टिप्पणियों के संदर्भ में है। + +# तुम मुझे यहूदिया की ओर कुछ दूर तक पहुंचाओ + +“यहूदिया जाने में मेरी सहायता करना” diff --git a/2co/01/17.md b/2co/01/17.md new file mode 100644 index 0000000..00c69fa --- /dev/null +++ b/2co/01/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इसलिए मैंने जो यह इच्छा की थी तो क्या मैंने चंचलता दिखाई? + +पौलुस और तीमुथियुस इस प्रश्न द्वारा अपने निर्णय की निश्चितता प्रकट करते हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “जब मैं ऐसा सोच रहा था तो मैं अपने निर्णय में अटका था।” + +# क्या मैंने चंचलता दिखाई? + +“क्या मैं डांवाडोल था” + +# या क्या मै मानवीय मानकों के आधार पर कोई बात कह रहा हूँ कि मै कहूँ "हाँ, हाँ" और "नहीं, नहीं;" दोनों एक साथ? + +पौलुस अपनी एकनिष्ठा का प्रतिवाद प्रस्तुत करता है। वैकल्पिक अनुवाद: “मैं परमेश्वर की इच्छा के अनुसार योजना बनाता हूं। मैं “हां” या “नहीं” तब ही कहता हूँ जब मुझे यह बोध हो कि मेरा उत्तर सत्य है”। diff --git a/2co/01/19.md b/2co/01/19.md new file mode 100644 index 0000000..004f973 --- /dev/null +++ b/2co/01/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# नहीं है + +पौलुस और तीमुथियुस यीशु द्वारा किसी अनुरोध का संदर्भ में दे रहे है। वैकल्पिक अनुवाद: उत्तर नहीं देता है। + +# उसमें “हां” + +यहां “हां” उस मनुष्य के संदर्भ में है जिसे विश्वास है कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार उद्धार करेगा”। + +# उसी में “हां” के साथ हैं + +“उसी में” अर्थात् मसीह यीशु में diff --git a/2co/01/21.md b/2co/01/21.md new file mode 100644 index 0000000..99308fb --- /dev/null +++ b/2co/01/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +पौलुस और तीमुथियुस कुरिन्थ की कलीसिया को ही पत्र लिख रहे हैं। + +# हम पर छाप भी कर दी + +“छाप” का अभिप्राय है, “परमेश्वर द्वारा अनुमोदन”। वैकल्पिक अनुवाद:“हमें मान्यता प्रदान की” diff --git a/2co/01/23.md b/2co/01/23.md new file mode 100644 index 0000000..c3ab69e --- /dev/null +++ b/2co/01/23.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मैं परमेश्वर को गवाह करके + +“गवाह करके” यह उक्ति उस मनुष्य के संदर्भ में है जो आंखों देखी और स्वयं सुनी हुई बात की चर्चा करता है कि विवाद का निर्णय निश्चित हो “मैं परमेश्वर से विनती करता हूँ कि मेरी बात को सत्यता सिद्ध करे”। + +# विश्वास ही से स्थिर रहते हो + +“स्थिर” अर्थात अपरिवर्तनीय बात। वैकल्पिक अनुवाद: “अपने विश्वास में दृढ़ रहो”। diff --git a/2co/02/01.md b/2co/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..376b7b0 --- /dev/null +++ b/2co/02/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को पत्र लिख रहा है। + +# मैंने अपने मन में यही ठान लिया + +“मैंने निर्णय ले लिया” + +# तुम्हारे पास उदास करने न आऊं + +वैकल्पिक अनुवाद: “जब तुम ऐसे काम करते हो जिसका मैं प्रबल विरोध करता हूं”। + +# यदि मैं तुम्हें उदास करूं तो मुझे आनन्द देने वाला कौन होगा? केवल वही जिसको मैंने उदास किया है + +पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया से कहता है कि वे उसे प्रसन्न करते हैं परन्तु यदि वह उन्हें आहत करे तो दोनों ही को दुःख होगा। “यदि मैंने तुम्हें दुःख दिया तो तुम्हारे दुःख से मुझे भी दुःख होगा”। diff --git a/2co/02/03.md b/2co/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..5a16d8b --- /dev/null +++ b/2co/02/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मैं उनके द्वारा दुःखी न होऊं + +पौलुस वहां के कुछ विश्वासियों के व्यवहार के बारे में कह रहा है जिनके द्वारा उसे मानसिक वेदना हुई। वैकल्पिक अनुवाद:“मैं उनके कामों से दुःखी न हो जाऊं”। + +# बड़े क्लेश और मन के कष्ट से मैंने बहुत से आंसू बहा बहाकर + +इन शब्दों में पौलुस का महा दुःख प्रकट है और उसने बड़ी कठिनाई से यह पत्र कुरिन्थ की कलीसिया को लिखा है क्योंकि वह उनसे प्रेम करता था, वैकल्पिक अनुवाद: “बड़े दुःख के कारण जो तुम लोगों की चिन्ता से मेरे मन को हुआ मैं बड़ी परेशानी से लिख रहा हूं”। diff --git a/2co/02/05.md b/2co/02/05.md new file mode 100644 index 0000000..309d383 --- /dev/null +++ b/2co/02/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# कुछ-कुछ डावांडोल + +“कुछ अंश तक” + +# बहुत है + +“दयारहित” + +# उदासी में डूब जाए + +यह बहुत अधिक दुःख की मानसिक प्रतिक्रिया है। diff --git a/2co/02/08.md b/2co/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..526d33f --- /dev/null +++ b/2co/02/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को प्रोत्साहित करता है जिस सदस्य को उन्होंने दण्ड दिया था, उसे क्षमा कर दें। + +# उसको अपने प्रेम का प्रमाण दो। + +अर्थात् उसे विश्वासियों की संगति में पुनः ले लो। वैकल्पिक अनुवाद: “अपनी सामूहिक सभा घोषणा करो कि तुम अब भी उससे प्रेम करते हो जैसे परिवार के सदस्यों को”। + +# सब बातों को मानने के लिए तैयार हो + +इसका संदर्भ दोनों ही बातों से है दोषी को दण्ड देना और फिर उसे क्षमा करना। वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हें मैंने जो कुछ सिखाया तुम उसका आज्ञापालन करते हो”। diff --git a/2co/02/10.md b/2co/02/10.md new file mode 100644 index 0000000..c7a0b14 --- /dev/null +++ b/2co/02/10.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम्हारे कारण ...क्षमा किया + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “तुम्हारे लिए मेरे प्रेम के कारण क्षमा करता हूं”। (यू.डी.बी.) या 2) “तुम्हारे लाभ के निमित्त क्षमा किए गए”। + +# हम उसकी युक्तियों से अनजान नहीं + +“क्योंकि हम उसकी योजनाओं को जानते हैं”।(देखें: ) diff --git a/2co/02/12.md b/2co/02/12.md new file mode 100644 index 0000000..63449a9 --- /dev/null +++ b/2co/02/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# प्रभु ने मेरे लिए एक द्वार खोला + +जिस प्रकार कि एक खुला हुआ द्वार किसी को पार जाने देता है, उसी प्रकार पौलुस को भी त्रोआस में शुभ सन्देश सुनाने का अवसर प्राप्त हुआ था। + +# मेरे भाई तीतुस + +पौलुस उसकी सेवा में सहभागी सब मनुष्यों को मसीह में अपना भाई कहता था। + +# उनसे विदा होकर + +“अतः मैं त्रोआस के विश्वासियों के पास से चलकर” diff --git a/2co/02/14.md b/2co/02/14.md new file mode 100644 index 0000000..41b38bb --- /dev/null +++ b/2co/02/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जय के उत्सव में लिए फिरता है + +पौलुस मसीह को एक सैनिक अगुवा कहता है, जो सैनिकों को विजय दिलाता है। वैकल्पिक अनुवाद: “हमें विजय दिलाता है”। ) + +# और अपने ज्ञान की सुगन्ध.... हर जगह फैलाता है। + +“अपने ज्ञान का सौरभ” पौलुस इस उक्ति, “ज्ञान की सुगन्ध” उस ज्ञान के संदर्भ में कहता है जो मनमोहक है” वैकल्पिक अनुवाद: “मनमोहक ज्ञान” + +# मसीह की सुगन्ध हैं + +“मसीह का सौरभ” पौलुस इस उक्ति द्वारा मन मोहक ज्ञान के विषय कह रहा है”। diff --git a/2co/02/16.md b/2co/02/16.md new file mode 100644 index 0000000..1622d16 --- /dev/null +++ b/2co/02/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मृत्यु की गन्ध + +यहां “गन्ध” का अभिप्राय है, मसीह का ज्ञान। आत्मिकता में मृतकों के लिए, मसीह का ज्ञान मृतक शरीर की दुर्गन्ध जैसा है। “मृतकों के लिए मृत्यु का ज्ञान”। + +# जीवन की सुगन्ध + +“सुगन्ध” का तात्पर्य मसीह के ज्ञान से है। आत्मिकता में जीवित मनुष्यों के लिए मसीह का ज्ञान एक प्रकार से मनमोहक सुगन्ध है। वैकल्पिक अनुवाद: “जीवितों के लिए जीवन का ज्ञान”। + +# भला इन बातों के योग्य कौन है? + +पौलुस इस प्रश्न के द्वारा मसीह के ज्ञान को परमेश्वर का वरदान प्रकट करता है जिसके योग्य कोई नहीं। वैकल्पिक अनुवाद: “इसके योग्य कोई नहीं है”। + +# मन की सच्चाई से + +“सत्यनिष्ठा में” + +# मसीह में बोलते हैं + +“मसीह में हमारे विश्वास से हम कहते हैं” diff --git a/2co/03/01.md b/2co/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..273819f --- /dev/null +++ b/2co/03/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# क्या हम फिर अपनी बड़ाई करने लगे? + +पौलुस कहना चाहता है कि वे अन्यों से उत्तम होने का दम नहीं भर रहे। + +# अन्य लोगों के समान सिफारिश की पत्रियां तुम्हारे पास लानी या तुमसे लेनी हैं? + +पौलुस के कहने का अर्थ है कि कुरिन्थ के विश्वासी उसकी और तीमुथियुस की साख को जानते थे। + +# सिफारिश की पत्रियां + +कुरिन्थ की कलीसिया के लिए पौलुस और तीमुथियुस के प्रेम की तुलना सिफारिश के पत्र से की गई है जिससे कलीसिया पर प्रकट होता है कि पौलुस और तीमुथियुस पर भरोसा किया जा सकता है। + +# तुम मसीह की पत्री से, जिसको हमने .... लिखा ... जीवते परमेश्वर के आत्मा से... हृदय पर लिखी है। + +तुम मसीह की पत्री हो हमने ... लिखा... जीवते परमेश्वर के आत्मा से... हृदय पर लिखी है। - पौलुस कह रहा है कि कुरिन्थ की कलीसिया एक पत्र के सदृश्य है जो उनके उदहारण को प्रकट करता है यह भी प्रकट करता है कि पौलुस और तीमुथियुस ने मसीह का जो सुसमाचार उनके साथ बाटा है उसमे पवित्र आत्मा के द्वारा सामर्थ्य निवेश किया गया था कि उनके जीवनों को बदल दे। + +# पत्थर के पट्टियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पट्टियों पर लिखी हैं। + +“पत्थर” अर्थात् अपरिवर्तनीय बात और “हृदय” शब्द का प्रयोग इस लिए किया गया है कि उनमे परिवर्तन के लिए हृदय की कोमलता और मानवीय क्षमता थी। + +# पट्टियों + +प्राचीनकाल में प्रयुक्त पत्थर या मिट्टी के चौकोर समतल टुकड़े जिन पर लिखा जाता था। diff --git a/2co/03/04.md b/2co/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..0c4c74a --- /dev/null +++ b/2co/03/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस और तीमुथियुस कुरिन्थ की कलीसिया को ही पत्र लिख रहे हैं। + +# ऐसा ही भरोसा है + +"ऐसा" शब्द पौलुस और तीमुथियुस की समझ का बोध करता है कि मसीह के ज्ञान के द्वारा कुरिन्थ की कलीसिया के विश्वासियों के जीवन में परिवर्तन आया। + +# हमारी योग्यता + +“स्वयं में इस योग्य हैं” + +# होने के योग्य + +“हमें योग्य ठहराया” + +# शब्द के सेवक नहीं परन्तु आत्मा के + +पौलुस “शब्द” के उपयोग द्वारा पुराने नियम के विधान को संदर्भित करता है क्योंकि वाक्यों की रचना शब्दों ही से होती है। शब्द से अर्थ है, पुराने नियम के विधान के नियमों का प्रत्येक अंश। वैकल्पिक अनुवाद: “विधान के पालन द्वारा नहीं, परन्तु पवित्रआत्मा के वरदान द्वारा”। + +# क्योंकि शब्द मारता है + +इस वाक्य का अर्थ है, पुराने नियम के विधान की सिद्धता में पालन जिससे चूकने का अर्थ है आत्मिक मृत्यु। (देखें: diff --git a/2co/03/07.md b/2co/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..418f729 --- /dev/null +++ b/2co/03/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यदि.... तो आत्मा और भी अधिक तेजोमय क्यों न होगी? + +पौलुस इस प्रश्न द्वारा दर्शाता है कि उत्तर को समझना आसान क्यों है। “यदि.... आत्मा की सेवा और भी अधिक महिमामय होगी”। + +# अक्षर पत्थरों पर खोदे गए थे + +“उत्कीर्ण लेख” + +# मृत्यु की वह वाचा... तो आत्मा की वाचा। + +पौलुस “वाचा” शब्द द्वारा यह दर्शाता है कि परमेश्वर ने हमारे लिए विधान द्वारा आत्मिक मृत्यु या आत्मा के द्वारा शाश्वत जीवन का प्रावधान किया है। वैकल्पिक अनुवाद: “मृत्यु का मार्ग... आत्मा का मार्ग उपलब्ध करवाया है”। diff --git a/2co/03/09.md b/2co/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..a339fe5 --- /dev/null +++ b/2co/03/09.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +पौलुस मूसा प्रदत्त विधान की तुलना मसीही सेवा से कर रहा है। + +# दोषी ठहराने वाली वाचा + +अर्थात् मूसा प्रदत्त परमेश्वर का विधान। जिसके द्वारा परमेश्वर के समक्ष मनुष्य दोषी ही ठहराया जाता है और इस प्रकार वह मनुष्य को मृत्युदण्ड ही देता है। + +# धर्मी ठहराने वाली वाचा + +यह उक्ति मसीह यीशु द्वारा प्रस्तुत क्षमा के सन्देश के संदर्भ में है। यह क्षमा तथा नया जीवन देती है जो विधान से भिन्न है, क्योंकि वह केवल मृत्युदण्ड देता है। + +# और भी तेजोमय क्यों न होगा? + +मसीह की न्यायोचित ठहराने की सेवा विधान से कहीं अधिक महिमामय है जबकि विधान तो महिमामय था ही। + +# जो तेजोमय था.... क्योंकि जब तक वह + +“वह” अर्थात मूसा प्रदत्त विधान + +# इसलिए + +“इस प्रकार” + +# और भी + +“उससे अधिक उत्तम” + +# घटता जाता था + +“अपने उद्देश्य को पूरा कर चुका था” diff --git a/2co/03/12.md b/2co/03/12.md new file mode 100644 index 0000000..e98f006 --- /dev/null +++ b/2co/03/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# घटने वाले तेज को + +मूसा के चेहरे पर परमेश्वर की महिमा का प्रकाश था। वह चेहरे पर पर्दा डालता था कि इस्त्राएली उस प्रकाश के विलोपन को देख न पाएं। वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर की महिमा जो मूसा के चेहरे पर से विलोप होती जा रही थी”। diff --git a/2co/03/14.md b/2co/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..786477b --- /dev/null +++ b/2co/03/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उनके + +"इस्राएलियों के" + +# वही पर्दा + +जिस प्रकार कि पर्दा चेहरे को छिपा देता है, उसी प्रकार पौलुस कहता है कि यहूदियों पर आत्मिक पर्दा पड़ा है जो उन्हें परमेश्वर के सन्देशों को समझने से बाधित करता है । + +# मूसा की पुस्तक पढ़ी जाती है + +अर्थात् मूसा द्वारा लिखी गई पुस्तकें बाइबल थी। वैकल्पिक अनुवाद: “जब भी मूसा के लेख पढ़े जाते हैं”। + +# प्रभु की ओर फिरेगा + +“फिरेगा” अर्थात स्वभाव में परिवर्तन होगा। वैकल्पिक अनुवाद:“स्वयं पर भरोसा रखने की अपेक्षा परमेश्वर पर भरोसा रखना”। + +# तब वह पर्दा उठ जायेगा + +“पर्दा” अर्थात परमेश्वर का सन्देश समझने की उनकी क्षमता। “उठना” अर्थात उन्हें अब अंतर्ग्रहण करने की क्षमता प्रदान की जा चुकी है। diff --git a/2co/03/17.md b/2co/03/17.md new file mode 100644 index 0000000..d0a073f --- /dev/null +++ b/2co/03/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रकाश + +इन दोनों उक्तियों का अर्थ है, परमेश्वर के सन्देश समझने की क्षमता। + +# उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रकाश + +चेहरे का उघाड़ा जाना दृष्टि को स्पष्टता प्रदान करता है और इसका अर्थ समझने की क्षमता भी है। “प्रगट” का अर्थ है किसी बात को समझने योग्य होना। + +# प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है। + +प्रभु की महिमा के सदृश्य था परमेश्वर की महिमा को प्रगट करने वाली बात। + +# अंश अंश करके + +“महिमा के एक अंश से दूसरे अंश तक”। diff --git a/2co/04/01.md b/2co/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..0005950 --- /dev/null +++ b/2co/04/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हम + +“हम” शब्द के संभावित अर्थ हैं 1) पौलुस और उसका प्रचार का दल। 2) पौलुस तथा अन्य प्रचारक। 2) पौलुस और कुरिन्थ के मसीही विश्वासी। + +# उन पर ऐसी दया हुई कि हमें यह सेवा मिली + +इन दोनों वाक्यांशों का अर्थ है कि परमेश्वर हमारी कैसी सुधि लेता है और हमें अपने स्वरूप में बदलकर दया दर्शाता है। + +# त्याग दिया + +“हमने इन्कार कर दिया है”। + +# लज्जा के गुप्त कामों को + +इन दोनों शब्दों में एक ही विचार निहित है। वैकल्पिक अनुवाद: “लज्जा गर्मित” ) + +# न चतुराई से चलते + +“छल का आचरण नहीं करते” + +# न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते + +इस वाक्यांश में एक सकारात्मक विचार को व्यक्त करने के लिए दो नकारात्मक अभिव्यक्तियों का उपयोग किया गया है। वैकल्पिक अनुवाद: “हम परमेश्वर के वचन का सही उपयोग करते है”। + +# परमेश्वर के सामने + +लेखक के सत्यवादिता को परमेश्वर द्वारा समझने को इस प्रकार व्यक्त किया गया है कि मानों परमेश्वर देख रहा है। diff --git a/2co/04/03.md b/2co/04/03.md new file mode 100644 index 0000000..8b68e3c --- /dev/null +++ b/2co/04/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हमारे सुसमाचार पर पर्दा पड़ा है। + +“पर्दा” अर्थात समझ से परे। जब किसी बात पर पर्दा पड़ा हो तो वह समझ में नहीं आता है। दिखाई नहीं देने को नहीं समझना माना जाता है। + +# इस संसार के ईश्वर ने + +अर्थात् शैतान ने। हमे अपने सच्चे परमेश्वर में और झूठे परमेश्वर में अंतर दर्शाना आवश्यक है। + +# अंधी कर दी है + +वैकल्पिक अनुवाद: “समझने में बाधा उत्पन्न की हुई है” ) + +# प्रकाश + +यहां “प्रकाश” का अर्थ है, सत्य diff --git a/2co/04/05.md b/2co/04/05.md new file mode 100644 index 0000000..2c95754 --- /dev/null +++ b/2co/04/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु के कारण तुम्हारे सेवक हैं + +यह इब्रानियों के लेखक की घोषणा के संदर्भ में है। “परन्तु हम मसीह यीशु को प्रभु कह कर प्रचार करते है, और हम घोषणा करते हैं कि हम तुम्हारे लाभ के निमित्त कार्य करेंगे”। + +# यीशु के कारण + +वैकल्पिक अनुवाद: “यीशु के सम्मान हेतु” + +# “अन्धकार में से ज्योति चमके” + +ज्योति समझ की द्योतक है। वैकल्पिक अनुवाद:“मनुष्य पहले जिस बात को नहीं समझते थे उस बात को अब वे समझ पाते है।" + +# हमारे हृदयों में चमका + +यहां “चमका” का अर्थ है प्रकाश उत्पन्न करना और परमेश्वर द्वारा समझ प्रदान करना। “हृदयों” का अर्थ है मनुष्य में वह स्थानजिसके द्वारा वह किसी बात को सत्य मानकर विश्वास करता है। वैकल्पिक अनुवाद: उसने समझने की शक्ति प्रधान कर दी है" + +# हमारे हृदयों में + +“हृदय” से तात्पर्य है सत्य को अंतर्ग्रहण करने का आन्तरिक भाग। वैकल्पिक अनुवाद: “हमारे लिए” diff --git a/2co/04/07.md b/2co/04/07.md new file mode 100644 index 0000000..d9ce464 --- /dev/null +++ b/2co/04/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# धन + +लेखक “मसीह यीशु के समक्ष परमेश्वर की महिमा के ज्ञान” के संदर्भ में कह रहा है। + +# मिट्टी के बर्तनों में + +अर्थात मनुष्य के शरीर में + +# हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते, निरूपाय तो हैं पर निराश नहीं होते, सताये तो जाते हैं, पर त्यागे नहीं जाते, गिराए तो जाते हें पर नष्ट नहीं होते। + +ये सब उक्तियां मनुष्यों द्वारा चुनौतियों का सामना करने के बारे में हैं, परन्तु वह हिम्मत नहीं हारता है। + +# यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रकट हो + +“हमारी देह में अर्थात यीशु के विश्वासी का जीवन आचरण”। यीशु का जीवन हमारे जीवन से प्रकट हो”। diff --git a/2co/04/11.md b/2co/04/11.md new file mode 100644 index 0000000..b16c27b --- /dev/null +++ b/2co/04/11.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हम जीते जी + +पौलुस हम सबके संदर्भ में कह रहा है जो मसीह में विश्वास करते और उसका प्रचार करते हैं, जो अभी मरे नहीं हैं। + +# मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं + +“के संकट में हैं” + +# यीशु का जीवन भी हमारे मरणहार शरीर में प्रकट हो + +यह वाक्यांश यीशु के सत्त जीवन को और इब्रानियो के लेखक एवं सब विश्वासियों के लिए इसका जो अर्थ है उसके संदर्भ में है, क्योंकि वे यीशु को अपना प्रभु मानने के कारण मृत्यु के संकट में थे। “हमारा विश्वास है कि यीशु मृतकों में से जी उठा और हमसे अविनाशी जीवन की प्रतिज्ञा की, सिद्ध हो”। + +# हमारी देह में प्रगट हो + +इस वाक्यांश का संदर्भ है कि विश्वासी कैसा जीवन जी रहा है या कैसे चुनाव कर रहा है। + +# मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है। + +पौलुस मृत्यु को ऐसा प्रकट करता है कि जैसे वह कार्यशील है। कहने का अर्थ है कि जिन विश्वासियों को मृत्यु का भय दर्शाया जाता है, वे अन्यों पर सकारात्मक प्रभाव डालें। + +# जीवन तुम में कार्य करता है + +यहाँ भी पौलुस जीवन को क्रियाशील दर्शाता है। कहने का अर्थ है कि अनन्त जीवन का ज्ञान यहूदी विश्वासियों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। diff --git a/2co/04/13.md b/2co/04/13.md new file mode 100644 index 0000000..bee922d --- /dev/null +++ b/2co/04/13.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस और तीमुथियुस कुरिन्थ की कलीसिया को पत्र लिख रहे हैं। + +# हममें वही विश्वास + +“हम” अर्थात पौलुस, तीमुथियुस तथा कुरिन्थ की कलीसिया। + +# वही विश्वास की आत्मा + +“विश्वास की वही मनोवृत्ति”। “आत्मा” अर्थात मनुष्य का सोचना और निर्णय लेना। पौलुस और तीमुथियुस ने कहा है कि परमेश्वर में विश्वास करने की उनकी मनोवृत्ति भी कुरिन्थ के विश्वासियों की सी ही है। + +# मैंने विश्वास किया इसलिए मैं बोला। + +यह राजा दाऊद का उद्धरण है + +# हमें भी .... तुम्हारे साथ यहां “हमें भी” कुरिन्थ के विश्वासियों से अलग करता है। + +) + +# धन्यवाद + +कृपालु परमेश्वर ने जो उपकार किए उन्हें उसे समझना और उसका धन्यवाद करना। diff --git a/2co/04/16.md b/2co/04/16.md new file mode 100644 index 0000000..39d5350 --- /dev/null +++ b/2co/04/16.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +पौलुस और तीमुथियुस अपने विषम परिस्थितियों में लिख रहे हैं। + +# हम हियाव नहीं छोड़ते हैं। + +वैकल्पिक अनुवाद: “हमारे द्वारा हिम्मत बांधे रहने का यही कारण है”। + +# हमारा बाहरी मनुष्यत्व नष्ट होता जाता है + +अर्थात पौलुस और तीमुथियुस का बाहरी रूप। “नष्ट होता जाता है” अर्थात शरीर का स्वस्थ रूप समाप्त होना। + +# भीतरी मनुष्यत्व.... नया होता जाता है। + +अर्थात आन्तरिक मानव-मनुष्य के सोचने की क्षमता। “नया होता जाता है अर्थात विचार सकारात्मक होते जाते हैं। + +# महत्त्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता है। + +पौलुस और तीमुथियुस की महिमा को ऐसा भारी बोझ कहा गया है जिसे आंका नहीं जा सकता है। दूसरे शब्दों में, वे अपने सेवा कार्यों के लिए महान सम्मान पाएंगे। वैकल्पिक अनुवाद: “स्वर्ग में सदा का सम्मान पाएंगे”। + +# देखते रहते हैं + +इस उक्ति का अर्थ है कि मनुष्य किसी बात के होने की इच्छा एवं आशा में है। वैकल्पिक अनुवाद:“आशा करते हैं”। + +# देखी हुई वस्तुओं के लिए + +अर्थात सांसारिक वस्तुओं को नहीं जो जीवन में प्राप्त की जा सकती हैं।वैकल्पिक अनुवाद: “सम्पदा को नहीं”। + +# अनदेखी वस्तुओं को + +स्वर्गीय प्रतिफल। वैकल्पिक अनुवाद: “स्वर्ग में महान प्रतिफल को” पिछले वाक्यांश से स्पष्ट है कि पौलुस और तीमुथियुस इसी की आशा में हैं। diff --git a/2co/05/01.md b/2co/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..19fb70b --- /dev/null +++ b/2co/05/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# पृथ्वी का डेरा + +हमारी पार्थिव देह + +# गिराया जायेगा + +गिराया जायेगा - जब हमारा यह पार्थिव देह नष्ट हो जायेगी। + +# परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों का बना हुआ घर नहीं है। + +परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों का बना हुआ घर नहीं है”। - परमेश्वर हमारे लिए एक अविनाशी देह उपलब्ध करवाएगा। + +# इसमें तो हम कराहते + +इसमें तो हम कराहते - इस पार्थिव देह में हम संघर्षरत हैं। + +# कि इसके पहनने से हम नंगे ना पाए जाएं। + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) हम परमेश्वर की पवित्रता पहन लेंगे। 2) परमेश्वर हमारे लिए नई देह एवं वस्त्र उपलब्ध करवाएगा। diff --git a/2co/05/04.md b/2co/05/04.md new file mode 100644 index 0000000..38b17cf --- /dev/null +++ b/2co/05/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# पौलुस क्यों कहता है कि हम इस डेरे में कराहते हैं? + +“अपने इस सांसारिक शरीर में” + +# बोझ से दबे कराहते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “हम पाप से संघर्षरत रहते है”। + +# उतारना नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: “मरना नहीं” + +# पहनना चाहते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “अपनी अविनाशी देह में रहना चाहते हैं” + +# जो मरणहार है जीवन में डूब जाए + +वैकल्पिक अनुवाद: “हमारी सांसारिक देह हमारी नई स्वर्गिक देह में बदल जायेगी”। diff --git a/2co/05/06.md b/2co/05/06.md new file mode 100644 index 0000000..8ef7c24 --- /dev/null +++ b/2co/05/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जब तक हम देह में रहते हैं। + +वैकल्पिक अनुवाद: “जब हम इस सांसारिक देह में रहते है”। + +# तब तक प्रभु से अलग हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “हम प्रभु के साथ नहीं हैं” या “हम स्वर्ग में प्रभु के साथ नहीं हैं”। + +# पौलुस इस देह में रहना उचित समझता है या प्रभु के साथ? + +वैकल्पिक अनुवाद: “स्वर्ग में प्रभु के साथ रहते हैं”। diff --git a/2co/05/09.md b/2co/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..5a52250 --- /dev/null +++ b/2co/05/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# साथ रहें चाहे अलग रहें + +वैकल्पिक अनुवाद: “पृथ्वी पर अपनी सांसारिक देह में रहेगें या स्वर्ग में” + +# मसीह के न्याय आसन के सामने + +“न्याय के लिऐ मसीह के समक्ष” + +# हर एक व्यक्ति... प्रतिफल.... पाए + +वैकल्पिक अनुवाद: “बदला या प्रतिफल पाए” + +# देह के द्वारा किए हों + +देह के द्वारा किए हों -वैकल्पिक अनुवाद: “इस सांसारिक देह में रहते हुए जो काम किऐ हैं”। + +# भले बुरे कामों + +“भले कामों का या बुरे कामों का” diff --git a/2co/05/11.md b/2co/05/11.md new file mode 100644 index 0000000..117ef28 --- /dev/null +++ b/2co/05/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# प्रभु का भय मानकर + +वैकल्पिक अनुवाद: “यह जानते हुए कि परमेश्वर पापों से घृणा करता है और हमें पाप का दण्ड देगा”। + +# तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुम भी यह जानते हो” + +# हम नहीं है + +पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों से पृथक अपने प्रचार दल के विषय में कह रहा है। diff --git a/2co/05/13.md b/2co/05/13.md new file mode 100644 index 0000000..dd8f18e --- /dev/null +++ b/2co/05/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है + +“मसीह का जो प्रेम हमारे लिए है हमें प्रेरित करता है” + +# एक सबके लिए मरा तो सब मर गए + +सब मृतक स्वरूप हुए + +# वह इस निमित्त सबके लिए मरा + +मसीह हर एक मनुष्य के लिए मरा + +# उनके लिए + +उनकी पापी अभिलाषाओं के लिए + +# परन्तु उसके लिए जो.... मरा और फिर जी उठा। + +“परन्तु उसके लिए जीवन जीएं जो मरकर जी उठा” diff --git a/2co/05/16.md b/2co/05/16.md new file mode 100644 index 0000000..4be9529 --- /dev/null +++ b/2co/05/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है। + +वैकल्पिक अनुवाद: “जो भी मसीह में विश्वास करता है” + +# वह नई सृष्टि है + +वैकल्पिक अनुवाद: “उसका स्वभाव नया है” + +# पुरानी बातें बीत गई हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “जीवन आचरण एवं सोचने विचारने की पुरानी रीति समाप्त हो गई है”। + +# सब बातें नई हो गई हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “अब हम मसीह को ग्रहण करने से पूर्व के आचरण और सोचने विचारने में भिन्न हो गए हैं। diff --git a/2co/05/18.md b/2co/05/18.md new file mode 100644 index 0000000..104d191 --- /dev/null +++ b/2co/05/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जिसने अपने साथ हमारा मेल मिलाप कर लिया + +“जो हमें लौटा लाया” + +# मेल मिलाप की सेवा हमें सौंप दी + +मसीह के साथ संबन्ध स्थापित करने के लिए मनुष्यों की अगुआई करने की सेवा + +# परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया। + +क्रूस पर मसीह की मृत्यु के द्वारा परमेश्वर मनुष्यों को अपने पास लौटा लाता है। + +# और मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है। + +परमेश्वर के साथ मनुष्यों के संबन्ध के पुनः स्थापन के प्रयास हेतु परमेश्वर के सन्देश को प्रसारित करने का उत्तरदायित्व परमेश्वर ने पौलुस को सौंपा था। diff --git a/2co/05/20.md b/2co/05/20.md new file mode 100644 index 0000000..e701453 --- /dev/null +++ b/2co/05/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर के पास लौट आओ” + +# हमारे लिए पाप ठहराया + +उसी को उसने हमारे लिए पाप ठहराया - “परमेश्वर ने क्रूस पर मसीह की मृत्यु को स्वीकार्य बलि बनाया”। + +# कि हम उसमें होकर परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएं + +वैकल्पिक अनुवाद: “कि हममें मसीह की धार्मिकता आ जाए” diff --git a/2co/06/01.md b/2co/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..2e83406 --- /dev/null +++ b/2co/06/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# सहकर्मी हैं + +“परमेश्वर के साथ काम करते हैं” पौलुस कहता है कि वह और तीमुथियुस परमेश्वर के साथ काम कर रहे हैं। + +# यह भी समझते हैं कि उसका अनुग्रह जो तुम पर हुआ, उसे व्यर्थ न जाने दो। + +पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को उत्प्रेरित करता है कि वे परमेश्वर के अनुग्रह को उनके जीवनों से प्रकट होने दें। + +# “अपनी प्रसन्नता के समय मैने तेरी सुन ली। + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैंने एक ही समय पर तेरी विनती सुनी है”। + +# देखो अभी वह प्रसन्नता का समय है, देखो अभी वह उद्धार का दिन है। + +वैकल्पिक अनुवाद: “निःसन्देह अभी सही समय है और उद्धार का दिन भी यही है”। + +# हम किसी भी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते ताकि हमारी सेवा पर कोई दोष ना आए। + +वैकल्पिक अनुवाद: हमारा जीवन हम ऐसा रखते हैं कि हमारे द्वारा कोई ठोकर ना खाए या हमारी सेवा में दोष देखे”। diff --git a/2co/06/04.md b/2co/06/04.md new file mode 100644 index 0000000..451d514 --- /dev/null +++ b/2co/06/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हम + +अर्थात पौलुस और तीमुथियुस। + +# हर बात में परमेश्वर के सेवकों के समान अपने सद्गुणों को प्रगट करते हैं। + +हर बात में परमेश्वर के सेवकों के समान अपने सद्गुणों को प्रगट करते हैं - वैकल्पिक अनुवाद: “हम अपने जीवन एवं अपनी बातों से प्रकट करते हैं कि हम परमेश्वर के सेवक हैं।” + +# सत्य के वचन से + +“सत्य के निष्ठावान प्रचार द्वारा” + +# धार्मिकता के हथियारों से जो दाहिने-बाएं हाथों में हैं + +पौलुस के कहने का अर्थ है कि सब परिस्थितियों में परमेश्वर द्वारा आत्मिक सामर्थ्य से परिपूर्ण। diff --git a/2co/06/08.md b/2co/06/08.md new file mode 100644 index 0000000..0e1a1c9 --- /dev/null +++ b/2co/06/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हम सेवा करते हैं + +“हम” अर्थात पौलुस और तीमुथियुस + +# आदर और निरादर से + +दो पराकाष्ठाएं है कि मनुष्य पौलुस की सेवा को कैसा समझते हैं। + +# दुर्नाम और सुनाम से + +ये दो पराकाष्ठाएं हैं कि मनुष्य पौलुस की सेवा के बारे में क्या कहते हैं। + +# मरते हुओं के समान हैं और देखों जीवित हैं + +मरते हुओं के समान है और देखो जीवित हैं वैकल्पिक अनुवाद: “मरते हुए तो हैं तौभी जीवित हैं जैसा तुम देखते हो” + +# परन्तु सर्वदा आनन्द करते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “परन्तु मसीह यीशु के शुभ सन्देश के कारण सदा आनन्दित रहते हैं”। + +# कंगालों के समान हैं परन्तु बहुतों को धनवान बना देते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “हमारे पास कुछ भी नहीं है परन्तु परमेश्वर की संपूर्ण सम्पदा हमारी है”। diff --git a/2co/06/11.md b/2co/06/11.md new file mode 100644 index 0000000..8ceb99c --- /dev/null +++ b/2co/06/11.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हमने खुलकर तुमसे बातें की हैं + +“तुमसे निष्कपट बातें की हैं”। + +# हमारा हृदय तुम्हारी ओर से खुला हुआ है + +वैकल्पिक अनुवाद: “हम तुमसे निर्बोध प्रेम करते हैं” + +# तुम्हारे लिए हमारे मन में कोई संकोच नहीं है + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हारे लिए हमारे प्रेम में कमी नहीं हैं” + +# तुम्हारे ही मनों में संकोच है + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुम किसी कारण से तो हमसे प्रेम करने में चूक रहे हो”। + +# अपने बच्चे जानकर तुमसे कहता हूं, तुम भी उसके बदले में अपना हृदय खोल दो + +वैकल्पिक अनुवाद: “बच्चे के अबोध शब्दों में कहता हूं कि तुम भी हम पर अपना प्रेम प्रकट करो तो निष्पक्षता ही होगी”। diff --git a/2co/06/14.md b/2co/06/14.md new file mode 100644 index 0000000..04297d6 --- /dev/null +++ b/2co/06/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# न जुतो + +“संगति करो” या “घनिष्ठ संबन्ध रखो” + +# विश्वासी के साथ अविश्वासी का क्या नाता? + +विश्वासी के जीवन में अविश्वासी की सी मान्यताएं नहीं होती हैं, वैकल्पिक अनुवाद: “विश्वासी अविश्वासी के साथ जीवन के मूल्यों की क्या समानता रख सकता है”? + +# ज्योति और अन्धकार की क्या संगति? + +ज्योति और अन्धकार की क्या संगति? - ज्योति और अन्धकार दोनों एक साथ उपस्थित नहीं हो सकते। ज्योति के आते ही अंधकार मिट जाता है। + +# बलियाल के साथ + +बलियाल शैतान का दूसरा नाम है + +# विश्वासी की अविश्वासी के साथ क्या सहभागिता? + +विश्वासियों और अविश्वासियों के जीवनों में मान्यताएं सर्वदा भिन्न होती हैं जो परस्पर विरोधी होती हैं। + +# हम जीवते परमेश्वर के मन्दिर हैं + +पौलुस सब विश्वासियों को परमेश्वर के निवास हेतु मन्दिर कहता है। वैकल्पिक अनुवाद: “हममें परमेश्वर का पवित्र आत्मा वास करता है”। diff --git a/2co/06/17.md b/2co/06/17.md new file mode 100644 index 0000000..534b3ab --- /dev/null +++ b/2co/06/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अशुद्ध वस्तु को मत छुओ + +मूसा प्रदत्त विधान में चर्चा की गई है कि कौन-कौन सी वस्तुएं हैं जिनके स्पर्श से मनुष्य अशुद्ध हो जाता है। + +# मैं तुम्हारा पिता हूंगा + +मैं तुम्हारा पिता हूंगा - “मैं तुम्हें ऐसे संभालूंगा जैसे एक प्रेम करने वाला पिता अपनी सन्तान को सम्भालता है”।देखें: (Metaphor) + +# तुम मेरे बेटे और बेटियां होंगे + +“और तुम मेरी सन्तान होगे” diff --git a/2co/07/01.md b/2co/07/01.md new file mode 100644 index 0000000..b4b1a4a --- /dev/null +++ b/2co/07/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हे प्रियों + +पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को संबोधित कर रहा है। + +# हम अपने आपको शुद्ध करें + +पौलुस के कहने का अर्थ है कि हम किसी भी प्रकार के पाप से दूर रहें कि परमेश्वर के साथ हमारे संबन्ध पर कुप्रभाव न पड़े। + +# पवित्रता को सिद्ध करें। + +पवित्र जीवन जीने की खोज करें + +# परमेश्वर का भय रखते हुए + +परमेश्वर के समक्ष दीन होकर diff --git a/2co/07/02.md b/2co/07/02.md new file mode 100644 index 0000000..1e554e6 --- /dev/null +++ b/2co/07/02.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जगह दो + +“अपने जीवन में हमें स्थापित कर लो” + +# मै यह नहीं कहता + +यह नहीं कहता - वैकल्पिक अनूवाद: मैं तुम पर आरोप नहीं लगाता” + +# तुम हमारे हृदय में ऐसे बस गए हो कि हम तुम्हारे साथ मरने जीने के लिए तैयार हैं। + +वैकल्पिक अनुवाद: “हम तुम से इतना प्रेम करते हैं कि तुम्हारे लिए जान दे सकते हैं और तुम्हारे लिए ही रहे हैं”। + +# अपने सारे क्लेश में + +वैकल्पिक अनुवाद: “अपनी सब कठिनाइयों के बाद भी” diff --git a/2co/07/05.md b/2co/07/05.md new file mode 100644 index 0000000..a2e489d --- /dev/null +++ b/2co/07/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# शरीर को चैन नहीं मिला + +वैकल्पिक अनुवाद: “हम बहुत थक गए थे” या “हम कलान्त हो चुके थे।” + +# हम उसकी उस शान्ति से भी जो उसको तुम्हारी ओर से मिली थी। + +वैकल्पिक अनुवाद: उसने कुरिन्थ के विश्वासियों का जो समाचार प्राप्त किया था उससे प्रोत्साहित हुआ। + +# उसने तुम्हारी लालसा, तुम्हारे दुख और मेरे लिए तुम्हारी धुन का समाचार हमें सुनाया। + +वैकल्पिक अनुवाद: “उसने मेरे प्रति तुम्हारे प्रेम की चर्चा की, और जो हुआ उसके लिए तुम्हारे दुख और मेरे कल्याण की तुम्हारी गहन चिन्ता का उल्लेख किया। + +# मुझे और भी आनन्द हुआ + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैं आनन्द से भर गया” diff --git a/2co/07/08.md b/2co/07/08.md new file mode 100644 index 0000000..34622d5 --- /dev/null +++ b/2co/07/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# शोक तो हुआ परन्तु वह थोड़ी देर के लिए + +वैकल्पिक अनुवाद:: "परन्तु कुछ ही समय के लिए दु:खी थे" + +# तुम को शोक पहुँचा + +ईश भक्ति का शोक मन फिराव की और लाता है। + +# ईश भक्ति का शोक ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है + +ईश भक्ति का शोक हमे पाप से दूर ले जाता है। + +# उद्धार प्राप्त होना है + +उद्धार है - वैकल्पिक अनुवाद: "उद्धार की और ले जाता है" + +# संसारी शोक मृत्यु उत्पन्न करता है + +वैकल्पिक अनुवाद: "परन्तु सांसारिक शोक से मन फिराव नहीं होता है, वह हमें आत्मिक मृत्यु की ओर ले जाता है।" + +# सो देखो ... कैसी निश्चयता + +"समझों की यह कैसी बड़ी निश्चयता है" diff --git a/2co/07/11.md b/2co/07/11.md new file mode 100644 index 0000000..3c0690d --- /dev/null +++ b/2co/07/11.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उत्पन्न हुआ तुम ने सब प्रकार से यह सिद्ध कर दिखाया, कि तुम इस बात में निर्दोष हो। + +वैकल्पिक अनुवाद: "तुम मे उत्पन्न हुआ कि सिद्ध करो की तुम निर्दोष हो" + +# कितनी ... रिस + +"कैसा रोष" + +# और भय + +और भय - वैकल्पिक अनुवाद': "कैसी व्याकुलता" या "कैसी हलचल" + +# और लालसा + +"मुझे देखने की कैसी व्याकुलता" + +# और धुन + +और धुनl - "उद्देश्य की कैसी प्रबलता" + +# परन्तु इसलिये कि तुम्हारी उत्तेजना जो हमारे लिये है, वह परमेश्वर के साम्हने तुम पर प्रगट हो जाए। + +परन्तु इसलिये कि तुम्हारी उत्तेजना जो हमारे लिये है, वह परमेश्वर के साम्हने तुम पर प्रगट हो जाए। - वैकल्पिक अनुवाद: "परन्तु इसलिए कि तुम्हारी उत्तेजना है वह तुम जानते हो और परमेश्वर भी जानता है, हम पर प्रकट हो जाए" + +# हमे ...और भी अधिक उत्साह मिला + +वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर के प्रति और हमारे प्रति तुम्हारे इस उचित व्यवहार से हमे प्रोत्साहन मिला है" diff --git a/2co/07/13.md b/2co/07/13.md new file mode 100644 index 0000000..453ca38 --- /dev/null +++ b/2co/07/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यदि मैं ने उसके सामने तुम्हारे विषय में कुछ घमण्ड दिखाया, + +"उसके सामने तुम्हारे विषय में मैने घमण्ड किया" + +# मुझे लज्ज़ित होना नहीं पड़ा + +तो लज्ज़ित नहीं हुआ. - वैकल्पिक अनुवाद "और तुमने मुझे निराश होने नहीं दिया" + +# के सामने भी सच निकला। + +"तुमने प्रकट कर दिया की यह सच है" + +# उसका प्रेम तुम्हारी ओर और भी बढ़ता जाता है। + +वैकल्पिक अनुवाद: "अब तीतुस पहले से कही अधिक तुम्हारी चिंता करता है" diff --git a/2co/07/15.md b/2co/07/15.md new file mode 100644 index 0000000..ee82a68 --- /dev/null +++ b/2co/07/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उस को तुम सब के आज्ञाकारी होने का स्मरण आता है + +वैकल्पिक अनुवाद: "उसे स्मरण आता है कि तुम सब कैसे आज्ञाकारी रहे हो" + +# क्योंकि तुम ने डरते और कांपते हुए उस से भेंट की + +कयोंकि तुम ने डरते और कांपते हुए उस से भेंट की - वैकल्पिक अनुवाद: "जब तुमने उसका स्वागत किया और भी एवं कापते हुए उसकी आज्ञा मानी" या "जब तुमने बड़े सम्मान के साथ उसका स्वागत किया" + +# परमेश्वर के उस अनुग्रह + +परमेश्वर का अनर्जित अनुग्रह diff --git a/2co/08/01.md b/2co/08/01.md new file mode 100644 index 0000000..a1dca7c --- /dev/null +++ b/2co/08/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# भारी कंगालपन के बढ़ जाने से उन की उदारता बहुत बढ़ गई। + +यद्यपि मकिदुनिया की कलीसियाएं कष्ट और गरीबी में थी परमेश्वर के अनुग्रह से वे यरूशलेम के विश्वासियों के लिए आर्थिक सहयोग एकत्र करने के योग्य हुई + +# उन्होंने... दे दिया + +ये मकिदुनिया के कलिसियाँ के सन्दर्भ में है diff --git a/2co/08/03.md b/2co/08/03.md new file mode 100644 index 0000000..1acb2a6 --- /dev/null +++ b/2co/08/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# स्वतंत्र इच्छा से दिया + +"स्वेच्छा" + +# पवित्र लोगों + +यहं पौलुस यरूशलेम के विश्वासियों के सन्दर्भ में कह रहा है + +# और ... अपने आप को दे दिया + +"और तब उन्होंने अपने आप को भी हमारे लिए दे दिया" + +# जैसा उस ने पहिले ही तुम्हारे साथ कार्य प्रारंभ किया + +पौलुस यरूशलेम के विश्वासियों के लिए कुरिन्थ की कलीसिया के द्वारा दान एकत्र के सन्दर्भ कह रहा है. वैकल्पिक अनुवाद: "जैसा पहले उसने दान देने के विषय तुम्हे प्रोत्साहित किया था। ". diff --git a/2co/08/06.md b/2co/08/06.md new file mode 100644 index 0000000..d3f58a4 --- /dev/null +++ b/2co/08/06.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# वैसा ही तुम्हारे बीच में इस दान के काम को पूरा भी कर ले। + +वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हारे मध्य लौट कर इस दानं की सेवा को पूरा करने के लिए तुम्हे प्रोत्साहित करता रहे वैसा ही तुम्हारे बीच में इस दान के काम को पूरा भी कर ले।" + +# परन्तु जैसे तुम सब बातों में बढते जाते हो + +वैकल्पिक अनुवाद: "क्योंकि तुम कई मायनो में अपेक्षा से अधिक अच्छा करते हो" + +# विश्वास में + +वैकल्पिक अनुवाद "परमेश्वर और हमारे प्रति तुम्हारी निष्ठा में" + +# वचन में + +वैकल्पिक अनुवाद: "जिस तरह तुम विचारों का आदान प्रदान करते हो" + +# ज्ञान में + +वैकल्पिक अनुवाद: "समझने में" या "अंतर्ग्रहण" + +# समझ में + +वैकल्पिक अनुवाद: "उत्साह में" या "अथक प्रयास" + +# और उस प्रेम में जो हम से रखते हो + +वैकल्पिक अनुवाद: "और जिस प्रकार तुम अपना प्रेम हम पर प्रकट करते हो" + +# वैसे ही इस दान के काम में भी बड़ते जाओं + +वैकल्पिक अनुवाद: "सुनिश्चित करो कि तुम यरूशलेम के पीड़ित पवित्र जनों को आर्थिक सहायता पहुचाने में आत्मत्याग के साथ एक भला काम करते हो + +# हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह + +वैकल्पिक अनुवाद: "प्रभु का प्रेम और अनर्जित अनुग्रह" diff --git a/2co/08/08.md b/2co/08/08.md new file mode 100644 index 0000000..705ec10 --- /dev/null +++ b/2co/08/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वह धनी होकर भी + +वैकल्पिक अनुवाद: "वह सब वस्तुओं का मालिक है और अधिकारी है" + +# तुम्हारे लिए कंगाल बन गया + +तुम्हारे लिए कंगाल बन गया .- वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हारे कारण उसने अपना स्वर्गिक आवास और विशेषताओं को त्याग कर पृथ्वी पर मानव रूप में आया," + +# ताकि उसके कंगाल हो जाने से तुम धनी हो जाओं. + +वैकल्पिक अनुवाद: "उसके दीनता के जीवन और विनीत भाव के द्वारा तुम धनी और बहुतायत से आशीषित हो जाओं"____ + +# इस बात + +"इस बात" अर्थात् यरूशलेम के विश्वासियों के लिए दान एकत्र करना diff --git a/2co/08/10.md b/2co/08/10.md new file mode 100644 index 0000000..8c104e0 --- /dev/null +++ b/2co/08/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# इस काम को + +वैकल्पिक अनुवाद: "दान देने के लिए तुमसे निवेदन करना" diff --git a/2co/08/13.md b/2co/08/13.md new file mode 100644 index 0000000..081d8b7 --- /dev/null +++ b/2co/08/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# बराबरी के विचार से + +वैकल्पिक अनुवाद: "बराबरी में विषमता न आये" + +# उन की बढ़ती भी तुम्हारी घटी में काम आए, + +वैकल्पिक अनुवाद: "आगे चलकर कभी जब तुम आवश्यकता में हो तब तुम्हारे साथ बाटने के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन हो" + +# जेसा लिखा है, + +"जैसा धर्मशास्त्र में लिखा है" + +# वही उत्साह पूर्ण चिंता + +"वही उत्साह" या "वही गहन चिंता" diff --git a/2co/08/16.md b/2co/08/16.md new file mode 100644 index 0000000..98a0599 --- /dev/null +++ b/2co/08/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# कि उस ने न सिर्फ हमारा समझाना मान लिया, + +वैकल्पिक अनुवाद: "उसने हमारे निवेदन को स्वीकार किया की वह तुमसे पुन: भेंट करे," + +# वरन बहुत उत्साही होकर, + +वैकल्पिक अनुवाद: "और वह तुमसे भेट करने के लिए बहुत अधिक उत्सुक है" + +# उसके साथ + +"तीतुस के साथ" diff --git a/2co/08/18.md b/2co/08/18.md new file mode 100644 index 0000000..a9713ce --- /dev/null +++ b/2co/08/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# और इतना ही नहीं, परन्तु वह कलीसिया द्वारा ठहराया भी गया + +वैकल्पिक अनुवाद:"मसीह में यह भाई नियुक्त किया गया है" + +# कि इस दान के काम के लिये हमारे साथ जाए + +की इस दान को लेकर यरूशलेम जाए. वैकल्पिक अनुवाद: "उदारता के इस काम को करने के लिए" + +# महिमा के लिए + +वैकल्पिक अनुवाद: "ये सेवा हम प्रभु की महिमा के निमित्त करते है" + +# कोई हम पर दोष न लगाने पाए। + +वैकल्पिक अनुवाद: "आलोचना के कारण" diff --git a/2co/08/20.md b/2co/08/20.md new file mode 100644 index 0000000..fc54820 --- /dev/null +++ b/2co/08/20.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इस उदारता के काम के विषय में + +वैकल्पिक अनुवाद: "इस उदारता के इस दान के साथ हम ऐसा व्यवहार कर रहे है" + +# हम इस बात में चौकस रहते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद:: "हम इस दान को बड़े मान सम्मान के साथ भिजवा रहे है ," + +# जो बातें केवल प्रभु ही के निकट नहीं, + +जो बातें केवल प्रभु ही के निकट नहीं, - जिससे की पौलुस का कार्य प्रभु के समक्ष माननीय ठहरे + +# परन्तु मनुष्यों के निकट भी + +जिससे की मनुष्यों पर यह प्रकट हो जाए कि पौलुस विश्वासयोग्य है + +# और हम ने उसके साथ + +"उसके साथ" इसका सन्दर्भ तीतुस से है जिसके साथ कलीसिया द्वारा नियुक्त किया गया वह भाई दान लेकर जा रहा था। diff --git a/2co/08/22.md b/2co/08/22.md new file mode 100644 index 0000000..8c0b076 --- /dev/null +++ b/2co/08/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तो वह मेरा साथी, और तुम्हारे लिये मेरा सहकर्मी है, + +तो वह मेरा साथी, और तुम्हारे लिये मेरा सहकर्मी है, - वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हारी सहायता के निमित्त मेरा सहकर्मी" + +# हमारे भाइयों के विषय में + +"हमारे अन्य भाइयों के बारे में" + +# अखया + +पौलुस दक्षिणी यूनान के एक क्षेत्र की चर्चाकर रहा है जिसमे कुरिन्थ और आसपास के प्रदेश है diff --git a/2co/09/01.md b/2co/09/01.md new file mode 100644 index 0000000..9d3ba74 --- /dev/null +++ b/2co/09/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# भाइयों को + +यह तीतुस और उन दो भाइयों के बारे में जिनके नामों की चर्चा नहीं की गई हैं diff --git a/2co/09/03.md b/2co/09/03.md new file mode 100644 index 0000000..6b74d1e --- /dev/null +++ b/2co/09/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# भाइयों का तुम्हारे पास आना है + +"इन भाइयों को तुम्हारे पास आना है" + +# कि जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी; और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा। + +पौलुस एक किसान के बीज बोने की उपमा के द्वारा कुरिन्थ की कलीसिया के दान की तुलना करता है। जिस प्रकार एक किसान जितना अधिक बीज बोता है उतना ही अधिक उपज प्राप्त करता है उसी प्रकार परमेश्वर की आशीषे भी कम या अधिक होंगी जो निर्भर करता है कि कुरिन्थ की कलीसिया कितना दान देती है। diff --git a/2co/09/06.md b/2co/09/06.md new file mode 100644 index 0000000..3444ea0 --- /dev/null +++ b/2co/09/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है। + +परमेश्वर चाहता है कि उसके लोग स्वेच्छा से दें वरन सहर्ष से दें कि हर स्थान में उनके सह विश्वासियों की आवश्यकताओं की पूर्ति के निमित्त सहयोग प्रदान हो। + +# परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है + +पौलुस के कहने का अर्थ है कि जिस प्रकार कोई अन्य विश्वासी को आर्थिक सहयोग प्रदान करता है परमेश्वर भी देनेवाले को अधिक अनुग्रह प्रदान करता है कि उसे घटी न हो। diff --git a/2co/09/08.md b/2co/09/08.md new file mode 100644 index 0000000..7fcd916 --- /dev/null +++ b/2co/09/08.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जो बोने वाले को बीज, और भोजन के लिये रोटी देता है + +पौलुस इस उपमा द्वारा अपने लोगों के मुक्ति के लिए परमेश्वर के प्रावधान का सन्दर्भ दे रहा है - . diff --git a/2co/09/10.md b/2co/09/10.md new file mode 100644 index 0000000..e37973a --- /dev/null +++ b/2co/09/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वह तुम्हें बीज देगा, और उसे फलवन्त करेगा; + +वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हारे संसाधन" + +# और तुम्हारे धर्म के फलों को बढ़ाएगा। + +"तुम्हारी धार्मिकता का फल" + +# जो हमारे द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करवाती है, + +जो हमारे द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करवाती है, - वैकल्पिक अनुवाद: "और जब तुम्हारा दान उन लोगों को देंगे जिन्हें इनकी आवश्यकता है, परमेश्वर को बहुत धन्यवाद करेंगे" + +# क्योंकि इस सेवा के पूरा करने से + +क्योंकि इस सेवा के पूरा करने से - वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हारे दान देने की सेवा के लिए" diff --git a/2co/09/12.md b/2co/09/12.md new file mode 100644 index 0000000..f821bfe --- /dev/null +++ b/2co/09/12.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# पवित्र लोगों की आवश्यकता पूरी होती हैं, + +"यरूशलेम के पवित्र लोगों की आवश्यकताएं" + +# परन्तु लोगों की ओर से परमेश्वर का भी बहुत धन्यवाद होता है। + +वैकल्पिक अनुवाद: "परन्तु इसके कारण अनेक जन परमेश्वर को धन्यवाद देने कि प्रेरणा पाते है" + +# इस सेवा से तुम प्रमाणित किए गए हो + +इस सेवा से प्रमाण लेकर वे परमेश्वर की महिमा प्रगट करते हैं, - वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हारी उदारता ने तुम्हारी आज्ञाकारिता और प्रेम को सिद्ध कर दिया है।" + +# कि तुम मसीह के सुसमाचार को मान कर उसके आधीन रहते हो, और उन की, और सब की सहायता करने में उदारता प्रगट करते रहते हो। + +कि तुम मसीह के सुसमाचार को मान कर उसके आधीन रहते हो, और उन की, और सब की सहायता करने में उदारता प्रगट करते रहते हो। l .- वैकल्पिक अनुवाद "तुम अपनी आज्ञाकारिता और उदारता से ही नहीं परन्तु मसीह के सुसमाचार का प्रचार करके भी परमेश्वर की महिमा प्रकट करते हो" + +# उसके उस दान के लिये जो वर्णन से बाहर है, + +वैकल्पिक अनुवाद: "उस दान अर्थात् मसीह यीशु का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है" + +# तुम को मसीह की नम्रता + +"तुम को मसीह से प्राप्त नम्रता में" diff --git a/2co/10/01.md b/2co/10/01.md new file mode 100644 index 0000000..6562651 --- /dev/null +++ b/2co/10/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# समझते है + +"जो ऐसा समझते है" + +# हम शरीर के अनुसार चल रहे हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: "हम मानवीय मनसा के अनुसार काम करते है" + +# शरीर के अनुसार लड़ते है + +वैकल्पिक अनुवाद: "मानवीय हथियारों से लड़ना" diff --git a/2co/10/03.md b/2co/10/03.md new file mode 100644 index 0000000..20c04c3 --- /dev/null +++ b/2co/10/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: "क्योंकि हम परमेश्वर के सामर्थी हथियारों से लड़ते है, सांसारिक हथियारों से नहीं" + +# पर गढ़ों को ढा देने के लिए परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं + +पर गढ़ों को ढा देने के लिए परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं - "उनमे दिव्य शक्ति है की गढ़ों को गिरा दे" + +# हर एक ऊची बात + +वैकल्पिक अनुवाद: "मानवीय तर्क वितर्क के दंभी विचार" या "प्रत्येक झूठा विवाद." diff --git a/2co/10/05.md b/2co/10/05.md new file mode 100644 index 0000000..1578ed8 --- /dev/null +++ b/2co/10/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परमेश्वर की पहचान के विरोध में उठती है + +"परमेश्वर के विरुद्ध कही जाती है" + +# हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकरी बना देता है + +हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकरी बना देता है - वैकल्पिक अनुवाद: "हम प्रत्येक भावना को मसीह की आज्ञाकारी बना देते है" या "हम प्रत्येक विद्रोही विचार को बंदी बनाकर मसीह का आज्ञापालन सिखाते है।" + +# तुम इन्ही बातों को देखते हो जो आँखों के सामने है + +वैकल्पिक अनुवाद: "उसी बात पर मनन करो जो तुम्हारे लिए अति स्पष्ट है." diff --git a/2co/10/07.md b/2co/10/07.md new file mode 100644 index 0000000..55556ce --- /dev/null +++ b/2co/10/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तो वह यह भी जान ले + +तो वह यह भी जान ले - "वह स्मरण रखे" + +# जैसा वह मसीह का है वैसे ही हम भी है + +वैकल्पिक अनुवाद:"हम मसीह के है जिनका वह भी है"____ + +# तुम्हें उठाने के लिए + +"मसीह के अनुयायी होने के कारण तुम्हारी उन्नति को बढ़ावा दे'" या "मसीह के अनुयायी होकर उन्नति करने में तुम्हारी सहायता करे" + +# मैं तुम्हें डरानेवाला न ठहरूँ + +"मैं तुम्हे डराने का प्रयास नहीं कर रहा हूँ " diff --git a/2co/10/09.md b/2co/10/09.md new file mode 100644 index 0000000..2a30f4c --- /dev/null +++ b/2co/10/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# गम्भीर और प्रभावशाली, + +"विवशकारी और व्यग्र," + +# वक्तव्य में हल्का जान पड़ता है + +"सुनने में कठिन" + +# जो हम कहते हैं + +"हमारे" अर्थात् पौलुस का प्रचारक दल. diff --git a/2co/10/11.md b/2co/10/11.md new file mode 100644 index 0000000..bc5dcad --- /dev/null +++ b/2co/10/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# पत्रियों में हमारे वचन है, वैसे ही तुम्हारे सामने हमारे काम भी होंगे + +पौलुस कहता है जो निर्देशन उसने लिखे है वह उनके ही अनुसार जीवन जीने का प्रयास करता है + +# साथ गिने या उनसे अपने को मिलाए + +साथ गिने या उनसे अपने को मिलाए - "उनकी बराबरी करना या उनसे तुलना करना" + +# जानकारी न मिली + +"अपना अज्ञान प्रकट करते है" या "विवेक की कमी दर्शाते है." + +# सीमा से बाहर + +"हमारे अधिकार क्षेत्र के बाहर किये गए काम" diff --git a/2co/10/13.md b/2co/10/13.md new file mode 100644 index 0000000..4eb07bb --- /dev/null +++ b/2co/10/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसी सीमा तक जो परमेश्वर ने हमारे लिये ठहरा दी है + +उसी सीमा तक जो परमेश्वर ने हमारे लिये ठहरा दी है - वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर के काम की सीमाएं" + +# क्योंकि हम अपनी सीमा से बाहर अपने आप को बढ़ाना नहीं चाहते + +वैकल्पिक अनुवाद: "इन सीमाओं के पार नहीं बड़े" + +# तुम तक पहुंच चुके हैं। + +तुम तक पहुंच चुके हैं। - AT: "कुरिन्थ तक साथ गया" + +# हम सीमा से बाहर ... घमण्ड नहीं करते + +के बारे में श्रेय का दावा. diff --git a/2co/10/15.md b/2co/10/15.md new file mode 100644 index 0000000..7ea2823 --- /dev/null +++ b/2co/10/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अपनी सीमा के अनुसार + +वैकल्पिक अनुवाद: "जिससे की तुम्हारे मध्य हमारे कार्य की सीमाएं" + +# औरों की सीमा + +वैकल्पिक अनुवाद: "किसी और का अपना क्षेत्र." + +# "परन्तु जो घमण्ड करे, वह प्रभु पर घमण्ड करें।" + +केवल प्रभु मैं ही है कि किसी प्रकार का गर्व किया जाएं. diff --git a/2co/10/17.md b/2co/10/17.md new file mode 100644 index 0000000..7d1d758 --- /dev/null +++ b/2co/10/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# ग्रहण किया जाता है + +"सहन करना" diff --git a/2co/11/01.md b/2co/11/01.md new file mode 100644 index 0000000..86c51bc --- /dev/null +++ b/2co/11/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुम मेरी थोड़ी मूर्खता + +वैकल्पिक अनुवाद: "मेरी और अधिक मुर्खता थे" + +# सह लेते तो क्या ही भला होता; हां, मेरी सह भी लेते हो। + +वैकल्पिक अनुवाद: "नि:सन्देह तुम हो!" + +# मैं ने एक ही पुरूष से तुम्हारी बात लगाई है, कि तुम्हें पवित्र कुंवारी की नाईं मसीह को सौंप दूं। + +वैकल्पिक अनुवाद: "मैंने तुम्हें एक ही पति मसीह को एक शुद्ध कुंवारी के समान प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।" + +# परन्तु मैं डरता हूं कि जैसे ... कहीं भ्रष्ट न किए जाएं। + +वैकल्पिक अनुवाद: "परन्तु मुझे डर इस बात का है कि किसी प्रकार तुम्हारे विचार ..मसीह की भक्ति जिस प्रकार सर्प ने अपनी चतुराई से हव्वा को धोखा दिया।" diff --git a/2co/11/03.md b/2co/11/03.md new file mode 100644 index 0000000..607d583 --- /dev/null +++ b/2co/11/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यदि कोई तुम्हारे पास आकर + +"जब कोई" + +# या कोई और आत्मा तुम्हें मिले; जो पहिले न मिला था; या और कोई सुसमाचार जिसे तुम ने पहिले न माना था, + +वैकल्पिक अनुवाद: "पवित्र आत्मा की आपेक्षा अन्य कोई आत्मा या जो सुसमाचार तुमने हमसे सुना उसकी अपेक्षा अन्य सन्देश " + +# तो तुम्हारा सहना ठीक होता। + +वैकल्पिक अनुवाद: "तुम उसे ग्रहण करते हो!" + +# "बड़े से बड़े प्रेरितों " + +वैकल्पिक अनुवाद: "झूठे शिक्षक जो सोचते हैं कि वे विशिष्ट हैं" diff --git a/2co/11/05.md b/2co/11/05.md new file mode 100644 index 0000000..31852fa --- /dev/null +++ b/2co/11/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यदि मैं वक्तव्य में अनाड़ी हूं, + +यदि मैं वक्तव्य में अनाड़ी हूं, वैकल्पिक अनुवाद: "यदि मैं भाषण देने में प्रशिक्षित नहीं हूँ।". + +# मैं ने तुम्हें परमेश्वर का + +वैकल्पिक अनुवाद: बदले में तुमसे कुछ पाने की आशा के बिना परमेश्वर का ? diff --git a/2co/11/07.md b/2co/11/07.md new file mode 100644 index 0000000..27eadd1 --- /dev/null +++ b/2co/11/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# मैं ने और कलीसियाओं को लूटा + +वैकल्पिक अनुवाद: " मैं ने अन्य कलीसियाओं से आर्थिक सहयोग स्वीकार किया है।" + +# मैं ने उन से मजदूरी ली, + +वैकल्पिक अनुवाद: "कलीसियाएं ताकि" + +# ताकि तुम्हारी सेवा करूं। + +वैकल्पिक अनुवाद: "मैं निर्मोल तुम्हारी सेवा कर सकता हूँ" + +# और मैं ने हर बात में अपने आप को तुम पर भार होने से रोका, + +वैकल्पिक अनुवाद: "मैं तुम पर आर्थिक बोझ नहीं बना।" + +# और रोके रहूंगा। + +वैकल्पिक अनुवाद: "और न ही कभी होऊँगा।" + +# कोई मुझे इस घमण्ड से न रोकेगा। + +पौलुस संपूर्ण अखाया प्रदेश में गर्व से चर्चा करेगा – अखाया आज का दक्षिणी यूनान है। diff --git a/2co/11/10.md b/2co/11/10.md new file mode 100644 index 0000000..93f3a5a --- /dev/null +++ b/2co/11/10.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# किस लिये? क्या इसलिये कि मैं तुम से प्रेम नहीं रखता? + +किस लिये? क्या इसलिये कि मैं तुम से प्रेम नहीं रखता? - वैकल्पिक अनुवाद: "मैं तुम्हें अपनी आवश्यकताओं के लिए आर्थिक सहयोग देने से रोकता रहूंगा क्योंकि इससे लोग जानेंगे कि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ।" + +# कि जो लोग दांव ढूंढ़ते हैं, + +दावा रोकने या व्यर्थ करने के लिए diff --git a/2co/11/12.md b/2co/11/12.md new file mode 100644 index 0000000..a196378 --- /dev/null +++ b/2co/11/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जिस बात में वे घमण्ड करते हैं, उस में वे हमारे ही समान ठहरें। + +कि ये लोग गर्व करना चाहते हैं कि उनका काम भी पौलुस के जैसा ही है। + +# क्योंकि ऐसे लोग - + +वैकल्पिक अनुवाद: "वे लोग" + +# छल से काम करने वाले, + +"या अनिष्ठ कार्यकर्ता" + +# मसीह के प्रेरितों का रूप धरने वाले हैं। + +ये लोग मसीह के प्रेमी होने का स्वांग रचते हैं। + +# और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं + +"मेरे लिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है।" diff --git a/2co/11/14.md b/2co/11/14.md new file mode 100644 index 0000000..bb8d78a --- /dev/null +++ b/2co/11/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्वर्गदूत का रूप धारण करता है। + +"शैतान ज्योति वा स्वर्गदूत होने का दिखावा करता है।" + +# तो कुछ बड़ी बात नहीं + +"इससे अर्थ निकलता है कि" + +# कोई मुझे मूर्ख न समझे; + +पौलुस द्वारा कुछ मुर्खता पर गर्व करना और धोखा खाने वाले मुर्ख में जिसे धोखा दिया जा सके, अन्तर है। diff --git a/2co/11/16.md b/2co/11/16.md new file mode 100644 index 0000000..347a228 --- /dev/null +++ b/2co/11/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मूर्ख ही समझकर मेरी सह लो + +पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया के लिए गर्व करने के क्षण भर की इच्छा व्यक्त करता है। + +# ताकि थोड़ा सा मैं भी घमण्ड करूं। + +वैकल्पिक अनुवाद: "जब मैं कुछ गर्व करूं ।" + +# इस बेधड़क घमण्ड से बोलने में जो कुछ मैं कहता हूं वह प्रभू की आज्ञा के अनुसार + +वैकल्पिक अनुवाद: "ऐसा गर्व करना मसीह को स्वीकार्य नहीं," + +# शरीर के अनुसार, + +शरीर के अनुसार, - वैकल्पिक अनुवाद: "उनकी मानवीय उपलब्धियों के बारे में।" + +# आनन्द से मूर्खों की सह लेते हो। + +"क्योंकि तुम मूर्खों को सहन करने में आनन्दित होते हो।" diff --git a/2co/11/19.md b/2co/11/19.md new file mode 100644 index 0000000..e290c4b --- /dev/null +++ b/2co/11/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तुम तो समझदार होकर + +वैकल्पिक अनुवाद: "सोचते हो कि तुम बुद्धिमान हो!" + +# फँसा लेता है + +मनुष्य में परस्पर असहमति लाकर । + +# या तुम्हारे मुंह पर थप्पड़ मारता है + +"और वह थप्पड़ मारता है" + +# मेरा कहना अनादर की रीति पर है, मानो कि हम निर्बल से थे; + +वैकल्पिक अनुवाद: "मुझे स्वीकार करते हुए लज्जा आती है कि हम तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार करने के लिए निर्भीक नहीं हैं।" + +# परन्तु जिस किसी बात में कोई हियाव करता है + +वैकल्पिक अनुवाद: "जिसके बारे में कोई भी कुछ गर्व करे।" + +# तो मैं भी हियाव करता हूं। + +वैकल्पिक अनुवाद: "मैं भी गर्व करने का साहस करता हूँ ।" + +# क्या वे ही इब्रानी हैं? मैं भी हूं: क्या वे ही इस्त्राएली हैं? मैं भी हूँ: क्या वे ही अब्राहम के वंश के हैं ?मैं भी हूं: क्या वे ही मसीह के सेवक हैं? + +क्या वे ही इब्रानी हैं? मैं भी हूं: क्या वे ही इस्त्राएली हैं? मैं भी हूँ: क्या वे ही अब्राहम के वंश के हैं ?मैं भी हूं: क्या वे ही मसीह के सेवक हैं? - इब्रानी इस्राएली अब्राहम के वंशज भी कहलाते थे। See (Parallelism) diff --git a/2co/11/22.md b/2co/11/22.md new file mode 100644 index 0000000..4fd43e3 --- /dev/null +++ b/2co/11/22.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# मैं पागल के समान कहता है + +"जैसे कि मैं पागल व्यक्ति हूँ।" + +# मैं उनसे बढ़कर हूँ + +वैकल्पिक अनुवाद: "मैं उनसे अधिक मसीह का सेवक हूँ " + +# अधिक परिश्रम करने में + +वैकल्पिक अनुवाद: "मैं ने अधिक परिश्रम किया है" + +# बार-बार कैद होने में + +बार-बार कैद होने में - वैकल्पिक अनुवाद: "मैं कई बार बन्दीगृह में रहा हूँ" + +# कोड़े खाने में + +वैकल्पिक अनुवाद: "अनेक बार मुझे मारा भी गया।" + +# बार- बार मृत्यु के जोखिमों में + +वैकल्पिक अनुवाद: "और अनेक बार मौत से बचा।" + +# उन्तालीस उन्तालीस कोड़े खाए। + +यह 39 कोढ़ेखाने की एक सामान्य अभिव्यक्ति थी। माना जाता था कि 40 कोढ़े खाने से मनुष्य मर सकता है diff --git a/2co/11/24.md b/2co/11/24.md new file mode 100644 index 0000000..79506c0 --- /dev/null +++ b/2co/11/24.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा। + +पौलुस जहाज़ टूट जाने के बाद पानी पर तैर रहा था। + +# झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में + +वैकल्पिक अनुवाद: "और मसीह में भाई होने का दावा करके धोखा देने वाले भाइयों के खतरे में" + +# उघाड़े रहने में। + +वैकल्पिक अनुवाद: "मेरे शरीर को गर्म रखने के लिए अधिक वस्त्रों से रहित" diff --git a/2co/11/27.md b/2co/11/27.md new file mode 100644 index 0000000..347dbf9 --- /dev/null +++ b/2co/11/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कौन कहता है कि वह निर्बल और मैं नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: "जब कोई दुर्बल हो तो मुझे उसकी दुर्बलता का बोध होता है" + +# किस के ठोकर खाने से + +वैकल्पिक अनुवाद: "जब कोई किसी भाई को पाप में गिराता है।" + +# मेरा जी नहीं दुखता? + +वैकल्पिक अनुवाद: "मुझे क्रोध आता है।" + +# मैं अपनी निर्बलता की बातें करूंगा। + +वैकल्पिक अनुवाद: "मैं कैसा दुर्बल हूँ" diff --git a/2co/11/30.md b/2co/11/30.md new file mode 100644 index 0000000..9d88b1f --- /dev/null +++ b/2co/11/30.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दमिश्कियों के नगर पर पहरा बैठा रखा था। + +दमिश्कियों के नगर पर पहरा बैठा रखा था। - "नगर के द्वार की रक्षा करते हुए।" diff --git a/2co/11/32.md b/2co/11/32.md new file mode 100644 index 0000000..a27400d --- /dev/null +++ b/2co/11/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उस ने मेरे पकड़ने के लिए + +उस ने मेरे पकड़ने को, - वैकल्पिक अनुवाद: "कि वे मुझे पकड़ कर बन्दी बना लें" + +# शहरपनाह पर से उतारा गया, और उसके हाथ से बच निकलाा। + +"दीवार और मैं बच निकला" + +# चर्चा करूंगा + +"मैं संकोच से आगे कहता हूँ " diff --git a/2co/12/01.md b/2co/12/01.md new file mode 100644 index 0000000..0b9567b --- /dev/null +++ b/2co/12/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# प्रभु के दिए हुए... प्रकाशों + +बुद्धि, ज्ञान या समझ प्रभु से है। + +# मैं मसीह में एक मनुष्य को जानता हूं, चौदह वर्ष + +पौलुस वास्तव में अपने बारे में वर्णन कर रहा है जिसे वह शीघ्र ही प्रकट करेगा । + +# न जाने देह सहित, न जाने देह रहित, + +न जाने देह सहित, न जाने देह रहित, - पौलुस अपने ही बारे में कह्ता जा रहा है परन्तु इस प्रकार कि वह तृतीय पुरुष है, वैकल्पिक अनुवाद, “ मैं नहीं जानता कि वह पुरुष अपने शरीर में था या आत्मिक देह में ।” + +# परमेश्वर जानता है, + +वैकल्पिक अनुवाद: "केवल परमेश्वर जानता है।" + +# तीसरे स्वर्ग तक + +इसका अभिप्राय परमेश्वर के निवास स्थान से है न कि आकाश या अन्तरिक्ष से । + +# मैं ऐसे मनुष्य को जानता हूं — + +"और मैं जानता हूँ कि यह पुरुष " diff --git a/2co/12/03.md b/2co/12/03.md new file mode 100644 index 0000000..7592154 --- /dev/null +++ b/2co/12/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उठा लिया गया, + +“ उठा लिया गया ” + +# स्वर्ग लोक + +"स्वर्ग लोक " स्वर्ग या तो तीसरे स्वर्ग का पर्यायवाची शब्द है या स्वर्ग में कोई विशिष्ट स्थान है ।." + +# और ऐसी बातें सुनीं + +"और ऐसी बातें सुनीं" + +# ऐसे मनुष्य पर + +"उस व्यक्ति पर " + +# मुझे उस से बढ़कर समझे। + +"जो दिखाई देता है उससे अधिक श्रेय मुझे दे।" diff --git a/2co/12/06.md b/2co/12/06.md new file mode 100644 index 0000000..2d81b2d --- /dev/null +++ b/2co/12/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं, + +और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं, - "मुझे घमण्ड करने से दूर रखने के लिए" + +# मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया + +"कोई कष्ट" या "शारीरिक समस्या" + +# शैतान का एक दूत + +"शैतान का सेवक" + +# मुझे घूँसे मारे + +"मुझे पीड़ा पहुँचाने के लिए" + +# इस के विषय में मैं ने प्रभु से, + +वैकल्पिक अनुवाद: "जिस शारीरिक समस्याओं के बारे में प्रभु से," या "इस पीड़ा के बारे में प्रभु से" diff --git a/2co/12/08.md b/2co/12/08.md new file mode 100644 index 0000000..75f2b46 --- /dev/null +++ b/2co/12/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# "मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है, + +"'मेरा अनुग्रह ही है जो तुझे चाहिए" + +# मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है" + +वैकल्पिक अनुवाद: "क्योंकि मेरा सामर्थ्य तभी प्रकट होता है जब तू दुर्बल होता है.'" + +# इस कारण मैं मसीह ...में, प्रसन्न हूं; + +वैकल्पिक अनुवाद: "यह ही कारण है कि मैं अपनी दुर्बलताओं को सौभग्य समझता हूँ" + +# संकटों में, + +वैकल्पिक अनुवाद: "संकट जिन्हें मैं मसीह के लिए उठाता हूँ," + +# क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्त होता हूं॥ + +वैकल्पिक अनुवाद: "क्योंकि मेरी दुर्बलता में मसीह का सामर्थ्य अति प्रबल हो जाता है" + +# मैं मूर्ख तो बना, + +"मूर्खों का सा काम तो किया" diff --git a/2co/12/11.md b/2co/12/11.md new file mode 100644 index 0000000..3e73d62 --- /dev/null +++ b/2co/12/11.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तुम ही ने मुझ यह करने के लिए विवश किया + +वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हें मेरे कामों की खुल कर प्रशंसा करनी चाहिए" + +# किसी बात में कम नहीं हूं। + +किसी बात में कम नहीं हूं। - वैकल्पिक अनुवाद: "क्योंकि मैं उनसे कुछ भी कम नहीं" + +# "बड़े से बड़े प्रेरितों" + +"झूठे दंभी शिक्षक" + +# तुम कौन सी बात में अन्य कलीसियाओं से कम थें + +वैकल्पिक अनुवाद: "मेरी अन्य कलीसियाओं और तुममे जो अंतर है " + +# केवल इस में कि मैं ने तुम पर अपना भार न रखा + +केवल इस में कि मैं ने तुम पर अपना भार न रखा - वैकल्पिक अनुवाद: "बस इसकी अपेक्षा कि मैने तुमसे पैसा नहीं मांगता" + +# मेरा यह अन्याय क्षमा करो + +पौलुस उनसे आर्थिक सहयोग की मांग न करने की क्षमा याचना करता है + +# तुम ही को चाहता हूं + +वैकल्पिक अनुवाद: "जो में चाहता हूँ वह है, मसीह में तुम्हारा प्रेम और स्वीकरण" diff --git a/2co/12/14.md b/2co/12/14.md new file mode 100644 index 0000000..3068345 --- /dev/null +++ b/2co/12/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं तुम्हारी आत्माओं के लिये बहुत आनन्द से खर्च करूंगा, वरन आप भी खर्च हो जाऊंगा: + +पौलुस उनकी आवश्यकता पूर्ति- सांसारिक या आत्मिक- के विषय में कह रहा है। वैकल्पिक अनुवाद:"मेरे पास जो कुछ है तुम पर खर्च कर दूंगा वरन स्वयं ही खर्च हो जाऊंगा." + +# क्या जितना बढ़कर मैं तुम से प्रेम रखता हूं, उतना ही घटकर तुम मुझ से प्रेम रखोगे? + +वैकल्पिक अनुवाद: " चाहे ऐसा ही क्यों न प्रतीत हो कि मैं तुमसे अधिक प्रेम करता हूँ और तुम मुझसे कम करते हो।" + +# परन्तु चतुराई से तुम्हें धोखा देकर फंसा लिया। + +वैकल्पिक अनुवाद: "परन्तु लोग तो यही सोचते है कि मैंनें तुम्हे धोका दिया है और तुम्हारे साथ चाल चली है।" diff --git a/2co/12/16.md b/2co/12/16.md new file mode 100644 index 0000000..c42e3e0 --- /dev/null +++ b/2co/12/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# भला, जिन्हें मैं ने तुम्हारे पास भेजा, क्या उन में से किसी के द्वारा मैं ने छल करके तुम से कुछ ले लिया? + +वैकल्पिक अनुवाद: "मैनें जिसे भी तुम्हारे पास भेजा क्या उसने तुमसे अनुचित लाभ उठाया है?" (देखें + +# क्या तीतुस ने छल करके तुम से कुछ लिया? + +वैकल्पिक अनुवाद:" क्या तीतुस ने अनुचित लाभ उठाया है? + +# क्या हम एक ही आत्मा के चलाए न चले? + +वैकल्पिक अनुवाद: "हमारा सबका स्वभाव क्या एक सा नहीं और जीवन भी एक सा नहीं?" + +# क्या एक ही लीक पर न चले? + +वैकल्पिक अनुवाद: "हम सब की कार्य पद्धति क्या एक सी नहीं?" + +# तुम अभी तक समझ रहे होगे कि हम तुम्हारे सामने प्रत्युत्तर दे रहे हैं, + +पौलुस स्पष्ट करता है कि वह उनके सामने किसी प्रकार का स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं कर रहा है वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हें यह भ्रम न हो कि हम अपनी बुराइयों पर परदा डाल रहें है" diff --git a/2co/12/19.md b/2co/12/19.md new file mode 100644 index 0000000..1389cc7 --- /dev/null +++ b/2co/12/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सब बातें तुम्हारी उन्नति ही के लिये कहते हैं। + +वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हारी आत्मिक उन्नति के लिए ही कहते आ रहे है." + +# मैं आकर जैसे चाहता हूं, वैसे तुम्हें न पाऊं + +वैकल्पिक अनुवाद: "जो मैं देखूं वह सम्भव है कि मुझे पसन्द न आये" diff --git a/2co/12/20.md b/2co/12/20.md new file mode 100644 index 0000000..884f154 --- /dev/null +++ b/2co/12/20.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मुझे भी जैसा तुम चाहते वैसा ही पाओ + +वैकल्पिक अनुवाद: "मेरी प्रतिक्रिया तुम्हे भी पसन्द आये." + +# कहीं ऐसा हो, + +वैकल्पिक अनुवाद: "मैं आशा करता हूँ कि ऐसा हो" + +# मुझे बहुतों के लिये फिर शोक करना पड़े, जिन्हों ने पहिले पाप किया था, + +वैकल्पिक अनुवाद: "मुझे दुःख इस बात का होगा की तुम में से अनेकों ने अपने पूर्वकालिक पापी स्वभाव से मन नहीं फिराया" + +# और उस गन्दे काम, और व्यभिचार, और लुचपन से, जो उन्होंने किया, मन नहीं फिराया॥ + +वैकल्पिक अनुवाद:: "और अपने यौनाचार के पाप से विमुख नहीं हुए" + +# बचे हुओं के लिए + +इस अभिव्यक्ति का अर्थ यहि जो बचे हुए है या उनमे से हर एक जन। वैकल्पिक अनुवाद: "अन्य सब." diff --git a/2co/13/01.md b/2co/13/01.md new file mode 100644 index 0000000..5fbe018 --- /dev/null +++ b/2co/13/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पहिले से कहे देता हूं, + +"और मैं फिर कहता हूँ" + +# तौभी परमेश्वर की सामर्थ से जीवित है, + +परमेश्वर हमे सामर्थ्य और क्षमता प्रदान करता है कि उसमें और उसके साथ जीवन जिए diff --git a/2co/13/03.md b/2co/13/03.md new file mode 100644 index 0000000..2c9c0bf --- /dev/null +++ b/2co/13/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# नहीं तो तुम जाँच में निकम्मे निकले हो। + +वैकल्पिक अनुवाद: "विश्वास के द्वारा तुम्हारा उद्धार नहीं हुआ है" diff --git a/2co/13/05.md b/2co/13/05.md new file mode 100644 index 0000000..7227f2d --- /dev/null +++ b/2co/13/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# हम निकम्मे नहीं। + +पौलुस गवाही देता है कि वह और उसका प्रचारक दल मसीह यीशु में विश्वास के द्वारा उद्धार पाया हुआ है। वैकल्पिक अनुवाद: "हम जाँच में निक्कमे नहीं निकले है।" + +# तुम कोई बुराई न करो + +"कि तुम पाप न करों" या "कि तुम उचित काम करों" diff --git a/2co/13/07.md b/2co/13/07.md new file mode 100644 index 0000000..9b1a479 --- /dev/null +++ b/2co/13/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कि हम खरे दीख पड़े, + +कि हम खरे दीख पड़े, - वैकल्पिक अनुवाद: "कि हम शिक्षक हो और सत्य का जीवन जिए," + +# योंकि हम सत्य के विरोध में कुछ नहीं कर सकते + +वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर के सत्य का विरोध करने के योग्य नहीं" + +# पर सत्य के लिये ही कर सकते हैं। + +वैकल्पिक अनुवाद: "सत्य के लिए दृढ़ता से खड़ा होना आवश्यक है" + +# सिद्ध हो जाओं + +वैकल्पिक अनुवाद: "आत्मिकता में परिपक्व हो जाओं." diff --git a/2co/13/09.md b/2co/13/09.md new file mode 100644 index 0000000..32cd5d5 --- /dev/null +++ b/2co/13/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम्हारे पीठ पीछे ये बातें लिखता हूं, कि उपस्थित होकर + +तुम्हारे पीठ पीछे ये बातें लिखता हूं, कि उपस्थित होकर - वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हारे लिए. मैं उपयोग करने की इच्छा रखता हूँ" + +# पुन: बनाने के लिये + +वैकल्पिक अनुवाद: "परिपक्वता लाने का काम करता हूँ" diff --git a/2co/13/11.md b/2co/13/11.md new file mode 100644 index 0000000..7ac3b7c --- /dev/null +++ b/2co/13/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मेल से रहो + +वैकल्पिक अनुवाद: "एक दुसरे के साथ मेलमिलाप का जीवन बनाए रखों " + +# पवित्र चुम्बन से नमस्कार करो। + +"मसीही प्रेम से" diff --git a/2jn/01/01.md b/2jn/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..123d6f3 --- /dev/null +++ b/2jn/01/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# प्राचीन + +इसका सन्दर्भ यूहन्ना से है, यीशु का प्रेरित और चेला. वह अपना जिक्र एक "प्राचीन" के रूप में करता है या तो अपनी बड़ी उम्र के कारण या इसलिए क्योंकि वह कलीसिया का एक अगुवा है. लेखक का नाम स्पष्ट किया जा सकता है : "मैं, प्राचीन यूहन्ना, लिख रहा हूँ." + +# क्योंकि सत्य जो हम में स्थिर रहता है, और सर्वदा हमारे साथ अटल रहेगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "क्योंकि हम सत्य में विश्वास करना जारी रखते हैं और हमेशा रखेंगे." + +# प्राचीन की ओर से चुनी हुई महिला और उसके बच्चों को + +यूनानी भाषा में पत्रों का आरम्भ इस प्रकार किया जाता है. जिसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है," मैं, प्राचीन यूहन्ना तुम विश्वासियों को यह पत्र लिख रहा हूँ." + +# वे सब + +यह एक सर्वनाम है जिसका अभिप्राय साथी विश्वासियों से है. + +# जिसे मैं सत्य में प्रेम करता हूँ + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है, "जिन्हें मैं सच्चा प्रेम करता हूँ". + +# उस सत्य के कारण जो हम में रहता है. + +सम्पूर्ण अर्थ को स्पष्ट किया जा सकता है : "क्योंकि यीशु के सन्देश का सत्य हम में रहता है क्योंकि हम ने इसमें विश्वास किया है, और यह हम में सदैव रहेगा." + +# सत्य और प्रेम में + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "क्योंकि वे सच्चे हैं और वे हमें प्रेम करते हैं." वैकल्पिक अनुवाद: "क्योंकि वे हमें सच्चा प्रेम करते हैं." diff --git a/2jn/01/04.md b/2jn/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..6e898f0 --- /dev/null +++ b/2jn/01/04.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यूहन्ना कलीसिया को "एक महिला" के रूप में सम्बोधित करना जारी रखता है. विश्वासी उसके "बच्चे" हैं. + +# तेरे कुछ बच्चे + +शब्द "तेरे" एकवचन है. + +# जैसे हमें पिता की ओर से हमें यह आज्ञा मिली है + +"जैसे परमेश्वर पिता ने हमें आज्ञा दी है" + +# वैसे नहीं कि मैं तुम्हें एक नई आज्ञा लिखता हूँ + +"वैसे नहीं कि जैसे मैं तुम्हें कुछ नया करने की आज्ञा दे रहा हूँ" + +# पर वही जो आरम्भ से हमारे पास है + +"पर मैं तुम्हें वही लिखता हूँ जो मसीह ने हमें करने की आज्ञा दी जब हमने सबसे पहले विश्वास किया. (देखें" ) + +# कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें + +इसका एक नए वाक्य के रूप में अनुवाद किया जा सकता है : "और उसने आज्ञा दी कि हमें एक-दूसरे से प्रेम करना चाहिए." + +# यह एक आज्ञा है, चाहे तुमने इसे आरम्भ से सुना है, कि तुम्हें इस पर चलना चाहिए + +शब्द "इस" का अभिप्राय प्रेम से है. वैकल्पिक अनुवाद : "और उसने तुम्हें आज्ञा दी है क्योंकि तुमने आरम्भ में एक दुसरे को प्रेम करने पर विश्वास किया था." + +# कि तुम्हें इस पर चलना चाहिए + +"तुम" शब्द बहुवचन है. diff --git a/2jn/01/07.md b/2jn/01/07.md new file mode 100644 index 0000000..b80b42d --- /dev/null +++ b/2jn/01/07.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अनेक भरमाने वाले + +इसका अनुवाद "अनेक झूठे शिक्षक" या "अनेक ढोंगी" के रूप में किया जा सकता है + +# क्योंकि अनेक धोखा देने वाले जगत में निकल आए हैं + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है कि "अनेक झूठे शिक्षकों ने कलीसिया छोड़ दी है." + +# यीशु मसीह शरीर में आया + +यह एक लक्षणालंकार है जिसका अर्थ है "यीशु मसीह एक वास्तविक मनुष्य के रूप में आया" + +# यह भरमाने वाला और मसीह-विरोधी है" + +इसका अनुवाद ऐसे किया जा सकता है कि "ये वे हैं जो दूसरों को धोखा देते हैं और स्वयं मसीह का विरोध करते हैं" + +# अपने विषय में चौकस रहो + +"ध्यान दो" या ध्यान रहे" + +# वस्तु को गंवा न दो + +इसका अनुवाद "स्वर्ग में अपने प्रतिफल गंवा न दो" के रूप में किया जा सकता है + +# पूर्ण प्रतिफल + +इसका अनुवाद "स्वर्ग में सम्पूर्ण प्रतिफल" के रूप में किया जा सकता है" diff --git a/2jn/01/09.md b/2jn/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..424b7f3 --- /dev/null +++ b/2jn/01/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जो भी आगे निकल जाता है + +इसका अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो परमेश्वर और सत्य के विषय में अन्य लोगों से अधिक ज्ञान होने का दावा करता हैं. वैकल्पिक अनुवाद : "जो भी परमेश्वर के विषय में अधिक ज्ञान का दावा करता है." + +# मसीह की शिक्षाओं में स्थिर नहीं रहता है + +"मसीह की शिक्षाओं पर निरन्तर विश्वास नहीं करता" + +# उसके पास परमेश्वर नहीं है + +"परमेश्वर से सम्बन्धित नहीं है" + +# तुम्हारे पास आता है + +"तुम" शब्द बहुवचन है. + +# तुम्हारे घर + +शब्द "तुम्हारे" बहुवचन है. + +# उसके बुरे कामों में सांझी होता है + +"उसके बुरे कामों में सांझेदार होता है" या "उसके बुरे कामों में सहायता करता है" diff --git a/2jn/01/12.md b/2jn/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..ab7cd85 --- /dev/null +++ b/2jn/01/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# और मैं उन्हें कागज़ और स्याही से लिखना नहीं चाहता + +इसे इस प्रकार अनुवादित किया जा सकता है "पर मैं उनके विषय में तुम्हें पत्र में नहीं लिखना चाहता था." + +# आमने-सामने + +इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "वास्तव में तुम्हारे साथ" + +# आनन्द पूरा हो सके + +इस का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "आनन्द सम्पूर्ण हो सके" + +# चुनी हुई बहन के बच्चे + +यहाँ यूहन्ना दूसरी कलीसिया की समानता एक बहन से करता है. और विश्वासी जो उस कलीसिया का एक भाग हैं उनकी समानता बच्चों से की गई है. यह इस बात पर ज़ोर डालता है कि सभी विश्वासी एक आत्मिक परिवार हैं. diff --git a/2pe/01/01.md b/2pe/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..3a4e2bb --- /dev/null +++ b/2pe/01/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# शमौन पतरस + +“शमौन पतरस की ओर से” आपकी भाषा में लेखक का परिचय देने का एक विशेष तरीका हो सकता है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है कि,“मैं, शमौन पतरस, इस पत्र का लेखक हूँ।” + +# यीशु मसीह का दास और प्रेरित हूँ + +पतरस यीशु मसीह के चेले के रूप में अपने नज़रिए के विषय में बात करता है। उसे मसीह का प्रेरित होने के रूप में पद और प्रभुत्व भी प्राप्त थे। + +# उन लोगों को + +पतरस उन सभी विश्वासियों को सम्बोधित करता प्रतीत होता है जो इन पत्रियों को पढ़ रहे हो सकते हैं। वैकल्पिक अनुवाद :“विश्वासियों को।” + +# हमने प्राप्त किया है + +हमने प्राप्त किया है – “हम प्रेरितों ने प्राप्त किया है” + +# अनुग्रह तुम्हारे साथ हो + +“तुम” शब्द साधारणतया सभी विश्वासियों को सम्बोधित करता हो। + +# यीशु हमारा प्रभु + +यीशु हमारा प्रभु – यीशु सभी विश्वासियों और प्रेरितों का प्रभु। + +# अनुग्रह तुम्हारे साथ हो, परमेश्वर के ज्ञान और हमारे प्रभु यीशु के द्वारा शान्ति बढ़ती जाए। + +वैकल्पिक अनुवाद: “दया और तुम्हारी शान्ति बढ़े क्योंकि तुम सच में परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु को जानते हो।“ diff --git a/2pe/01/03.md b/2pe/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..e416b64 --- /dev/null +++ b/2pe/01/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जिसने हमें बुलाया है + +परमेश्वर ने पहले हमारी ओर हाथ बढ़ाया। “हमारी” से तात्पर्य पतरस और उसके श्रोताओं से है। + +# उसकी अपनी महिमा और सद्गुण से + +“उसने अपनी महिमा और सद्गुण के द्वारा” + +# इन के द्वारा, उसने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दीं हैं + +“परमेश्वर की बहुमूल्य और बड़ी प्रतिज्ञाएं उसकी महिमा और सद्गुण के द्वारा आतीं हैं” + +# ईश्वरीय स्वभाव + +ईश्वरीय स्वभाव “परमेश्वर का ईश्वरीय स्वभाव” + +# जैसे ही तुम उस सड़ाहट से छूटकर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है + +“जैसे ही तुम संसार की अनैतिक अभिलाषाओं से दूर भागते हो” diff --git a/2pe/01/05.md b/2pe/01/05.md new file mode 100644 index 0000000..0e6ef24 --- /dev/null +++ b/2pe/01/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पतरस विश्वासियों से बातचीत जारी रखता है। + +# बिल्कुल यही कारण + +“परमेश्वर ने जो किया है उसके कारण” + +# सद्गुण + +“नैतिक सद्गुण” + +# अपनी समझ से, ज्ञान अर्जित करो। + +नैतिक सद्गुणों को अपनाकर अपनी समझ बढ़ाओ। + +# भाईचारे की प्रीति बढ़ाओ + +“एक दूसरे के प्रति दयालुता दिखाओ” diff --git a/2pe/01/08.md b/2pe/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..ee182b8 --- /dev/null +++ b/2pe/01/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पतरस विश्वासियों से बातचीत जारी रखता है। + +# ये बातें + +जिसका अर्थ, विश्वास, सद्गुण, ज्ञान, आत्म-संयम, धीरज, भक्ति, भाईचारे की प्रीति, और प्रेम। + +# तुम निकम्मे और निष्फल न होगे + +“तुम फल पैदा करोगे” + +# जिनमें ये बातें नहीं हैं + +क्योंकि कोई भी व्यक्ति जिसमें ये बातें नहीं हैं। + +# केवल वही देखता है जो सामने है : तो वह अंधा है + +यह एक व्यक्ति जो केवल सांसारिक बातों के विषय में सोचता है जो केवल उसकी आँखों के सामने हैं एक अन्धें के समान है। diff --git a/2pe/01/10.md b/2pe/01/10.md new file mode 100644 index 0000000..69e399c --- /dev/null +++ b/2pe/01/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पतरस विश्वासियों से बातचीत जारी रखता है। + +# इसलिये + +“इसलिए” शब्द विश्वासियों को पिछली कही हुई बातों के उत्तर के रूप में आरम्भ होता है। + +# अपने चुने जाने और बुलाए जाने को सिद्ध करने का भली-भांति यत्न करते जाओ + +“बुलाहट” का तात्पर्य उद्धार के लिए साधारण आमन्त्रण से है जो परमेश्वर ने सभी को दिया है। “चुनाव” का तात्पर्य विशेष लोगों से है जिन्हें परमेश्वर ने चुना है। इन दोनों शब्दों का समान अर्थ है। + +# तो कभी भी ठोकर न खाओगे + +तुम नैतिक और आत्मिक रूप में हारोगे नहीं। diff --git a/2pe/01/12.md b/2pe/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..7198028 --- /dev/null +++ b/2pe/01/12.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# इसलिये + +लेखक अपने द्वारा पहले लिखी बातों पर टिप्पणी करने जा रहा है (देखें: सन्देश सूचना talink) + +# मैं तुम्हें इन बातों की सुधि दिलाने को सर्वदा तैयार रहूँगा + +पतरस व्यक्त कर रहा है कि वह विश्वासियों को याद दिलाता रहेगा कि किस प्रकार मसीह का अनुसरण करना है। + +# इन बातों की + +विश्वासियों को किस प्रकार मसीह में आगे बढ़ना है। + +# तुम्हें जगाने के लिए + +यह “तुम्हारा ध्यान आकर्षित करने की” एक अभिव्यक्ति है।“ + +# मैं इस डेरे में हूँ + +यह “जब तक मैं जीवित हूँ” को व्यक्त करने के लिए एक अभिव्यक्ति है। + +# मैं अपना डेरा गिरा लूँगा + +यह “मैं मर जाऊँगा” कहने के लिए अभिव्यक्ति है। + +# मैं ऐसा यत्न करूँगा कि मेरे कूच करने के बाद तुम इन सब बातों को सर्वदा स्मरण कर सको + +मैं इन बातों को सिखाने के लिए ऐसा यत्न करूँगा ताकि तुम इन सब बातों को सर्वदा स्मरण कर सको” (देखें: ) + +# मेरे कूच करने के बाद + +यह अभिव्यक्ति “मेरी मृत्यु के बाद” कहने के लिए है। diff --git a/2pe/01/16.md b/2pe/01/16.md new file mode 100644 index 0000000..361b6c3 --- /dev/null +++ b/2pe/01/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# क्योंकि हमने चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं किया + +क्योंकि हम प्रेरितों ने चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं किया। + +# हमारा + +हमारा- सभी विश्वासी जिसमें हम प्रेरित भी सम्मलित हैं। + +# हमने यह वाणी सुनी जो स्वर्ग से आई, + +पतरस यहाँ अपनी और अन्य चेलों की बात कर रहा है, याकूब और यूहन्ना, जिन्होंने परमेश्वर की वाणी सुनी। + +# तब हम उसके साथ पवित्र पहाड़ पर थे + +पतरस उस समय का वर्णन कर रहा है जब पतरस, याकूब और यूहन्ना के सामने यीशु का मुँह सूर्य के समान चमका और उसका वस्त्र ज्योति के समान उजला हो गया था। (देखें मत्ती: ) diff --git a/2pe/01/19.md b/2pe/01/19.md new file mode 100644 index 0000000..0880b05 --- /dev/null +++ b/2pe/01/19.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हमारे पास भविष्यवक्ताओं का वचन है जो दृढ़ ठहरा + +पतरस प्रेरितों का वर्णन कर रहा है। प्रेरितों के पास भविष्यवक्ताओं का सन्देश है जो वे जानते हैं कि परमेश्वर के द्वारा सच्चाई है। + +# तुम अच्छा करते हो जो यह समझकर उस पर ध्यान करते हो + +पतरस विश्वासियों को भविष्यवक्ताओं के सन्देश को गौर से सुनने के लिए कह रहा है। + +# यह एक दीया है, जो अंधियारे स्थान में उस समय तक प्रकाश देता रहता है जब तक कि पौ न फटे + +भविष्यवक्ताओं के वचन की एक दीये से तुलना की गई है जो अंधियारे में उस समय तक प्रकाश देता रहता है जब तक सुबह का प्रकाश न आ जाए + +# और भोर का तारा तुम्हारे हृदयों में चमक न उठे + +भोर का तारा मसीह विश्वासियों के हृदयों में रहने के लिए आ रहा है। + +# पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे। + +मनुष्य पवित्र आत्मा के द्वारा वह बोलते थे जो परमेश्वर ने उन्हें बताया। diff --git a/2pe/02/01.md b/2pe/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..204b6a8 --- /dev/null +++ b/2pe/02/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# झूठे भविष्यवक्ता इस्राएल आए, और झूठे शिक्षक तुम्हारे पास आएंगे + +जिस प्रकार झूठे भविष्यवक्ता इस्राएल को अपने शब्दों से धोखा देने आए, उसी प्रकार झूठे शिक्षक मसीह के विषय में झूठी शिक्षा देने आएँगे। + +# अधर्म + +विचार जो मसीह और प्रेरितों की शिक्षाओं के विपरीत हैं। + +# स्वामी जिसने उन्हें मोल लिया है + +यीशु वह स्वामी है जिसने सभी मनुष्यों के पापों के लिए अपनी मृत्यु , गाढ़े जाने और मर कर जी उठने के द्वारा मोल चुकाया है। + +# उनका लुचपन + +“उनका” से तात्पर्य झूठे भविष्यवक्ताओं और शिक्षकों से है। वैकल्पिक अनुवाद: “किस प्रकार वे अत्यन्त अनैतिक आचरण करते हैं” + +# उनके विरुद्ध दण्ड की आज्ञा में देरी नहीं, उनका विनाश ऊँघता नहीं + +झूठे भविष्यवक्ताओं के विरुद्ध न्याय आने वाला है और उसमें अत्यन्त देरी नहीं होगी। diff --git a/2pe/02/04.md b/2pe/02/04.md new file mode 100644 index 0000000..2daf996 --- /dev/null +++ b/2pe/02/04.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# क्योंकि जब परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को जिन्होंने पाप किया नहीं छोड़ा... + +इससे “यदि” वाक्यों की एक श्रृंखला आरम्भ होती है जो में जाकर समाप्त होती है। + +# टैटरस में भेजकर + +“टैटरस” यूनानी और रोमन धर्म के शब्द “तार्तारुस” से लिया गया है + +# ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहें + +एक सुरक्षित जेल में रखे गए ताकि परमेश्वर के अंतिम न्याय की प्रतीक्षा करें। + +# और यदि उसने प्राचीन युग के संसार को भी नहीं छोड़ा ..वरन भक्तिहीन संसार पर महाजल प्रलय भेजा + +परमेश्वर ने प्राचीन युग के संसार और भक्तिहीन लोगों को महाजल प्रलय से नष्ट कर दिया। + +# पर नूह को बचा लिया + +परमेश्वर ने धर्मी नूह को महाजल प्रलय से बचा लिया + +# सदोम और अमोरा के नगरों को भस्म करके राख में मिला दिया + +परमेश्वर ने सदोम और अमोरा के भक्तिहीन नगरों को नष्ट करने के लिए आग का प्रयोग किया। + +# ताकि आनेवालों के लिए एक उदाहरण बनें + +बिल्कुल जैसे सदोम और अमोरा आग से नष्ट किए गए थे, समय के अंत में परमेश्वर भक्तिहीन लोगों को आग की झील में नष्ट कर देगा। diff --git a/2pe/02/07.md b/2pe/02/07.md new file mode 100644 index 0000000..dfc5263 --- /dev/null +++ b/2pe/02/07.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# और धर्मी लूत को... छुटकारा दिया। + +परमेश्वर ने धर्मी लूत को छुटकारा दिया। + +# जो अधर्मियों के चालचलन से लगातार दुःखी था + +लूत सदोम और अमोरा के वासियों के अशुद्ध चालचलन से लगातार परेशान या दुखी था। + +# अशुद्ध शारीरिक अभिलाषाओं में लिप्त मनुष्य + +“शरीर की अशुद्ध अभिलाषाओं में लिप्त मनुष्य” + +# धर्मी मनुष्य + +इसका तात्पर्य धर्मी लूत से है + +# धर्मी मनुष्य + +“मनुष्य जो परमेश्वर के आज्ञाकारी हैं” + +# उसकी धर्मी आत्मा को पीड़ित करता था। + +उसकी अंतरात्मा को दुखी करता था। + +# अधर्मी मनुष्यों को बन्दी बनाना + +अधर्मी मनुष्य परमेश्वर के न्याय से नहीं बच पाएंगे। उनके मरने के पश्चात उन्हें न्याय के दिन तक बन्दी बना कर रखा जाएगा। diff --git a/2pe/02/10.md b/2pe/02/10.md new file mode 100644 index 0000000..525b42c --- /dev/null +++ b/2pe/02/10.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यह विशेषकर सत्य है + +शब्द “यह” का तात्पर्य परमेश्वर के अधर्मी लोगों को न्याय के दिन तक बन्दी बनाए रखने से है । + +# वे जो अशुद्ध अभिलाषाओं के पीछे शरीर के अनुसार चलते हैं और प्रभुता को तुच्छ जानते हैं + +भक्तिहीन जो पाप की प्रकृति के पीछे चलते रहते हैं और प्रभुता या सत्ता में लोगों की नहीं सुनते। + +# शरीर + +शब्द “शरीर” से तात्पर्य मनुष्य की शारीरिक या पापी प्रकृति से है। + +# वे ढीठ और हठी हैं + +“वे” शब्द से अभिप्राय उन लोगों से है जो अपनी पापी प्रकृति में अशुद्ध अभिलाषाओं में बने रहते हैं और स्वर्गदूतों या आत्मिक प्रभुत्व के लोगों का सम्मान नहीं करते। + +# वे ऊँचे पद वालों को बुरा भला कहने से नहीं डरते + +भक्तिहीन लोग स्वर्गदूतों का अपमान करने और उन्हें बुरा भला कहने से भी नहीं डरते। + +# स्वर्गदूत सामर्थ और शक्ति में सब मनुष्यों से बड़ें हैं + +स्वर्गदूत शारीरिक शक्ति में, प्रभुत्व और सामर्थ में सभी मनुष्यों से अधिक बड़े हैं। + +# पर वे प्रभु के सामने उन्हें भला-बुरा कहकर उनपर दोष नहीं लगाते। + +“पर स्वर्गदूत इन मनुष्यों के विरुद्ध परमेश्वर के सम्मुख अपमानजनक न्याय नहीं लाते” diff --git a/2pe/02/12.md b/2pe/02/12.md new file mode 100644 index 0000000..02ebbf5 --- /dev/null +++ b/2pe/02/12.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# ये निर्बुद्धि पशु + +बिल्कुल वैसे जैसे पशु तर्क नहीं कर सकते, इन मनुष्यों के साथ भी तर्क-विचार नहीं किया जा सकता। पर: “ये झूठे शिक्षक निर्बुद्धि पशुओं के तुल्य हैं” + +# वे नहीं जानते कि वे किसका अपमान करते हैं। + +जिन बातों को वे जानते या समझते ही नहीं उनके विषय में बुरा-भला कहते हैं। + +# वे नाश किए जाएंगे। + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर इन लोगों का विनाश करेगा” + +# वे गलत कार्यों के फलस्वरूप सज़ा पाते हैं + +“जिन बातों को वे अपने लिए अच्छा समझते हैं वास्तव में उनके लिए बुरी हैं।“ + +# वे दाग और धब्बे हैं। + +झूठे शिक्षक कलंक और दोष हैं और उन धब्बों के समान हैं जिनको छुड़ाना आसान नहीं है और वे अवांछित दाग पीछे छोड़ जाते हैं।देखें: + +# वे तुम्हारे साथ खाते पीते हैं अपनी ओर से प्रेम भोज करके भोग-विलास करते हैं + +वे भोग-विलास निरन्तर करते रहते हैं और सीधे लोगों को फुसला कर उनकी आँखों में झांकते हुए भी उन्हें अपराध बोध महसूस नहीं होता। + +# उनकी आँखों में व्यभिचार बसा हुआ है, वे पाप किए बिना रुक नहीं सकते + +“उनकी आँखें प्रत्येक स्त्री को गंदी नज़र से देखती हैं, और उनका मन कभी नहीं भरता।“ + +# उनके हृदय को लोभ करने का अभ्यास हो गया है + +“हृदय” जो सम्पूर्ण मनुष्य का प्रतिनिधित्व करता है, उसे सोच-विचार और कार्य से लोभ करने का प्रशिक्षण दिया गया है। वे गलत प्रकार से धन और वस्तुओं की इच्छा करते हैं। (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-synecdoche]] diff --git a/2pe/02/15.md b/2pe/02/15.md new file mode 100644 index 0000000..39b58b4 --- /dev/null +++ b/2pe/02/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उन्होंने त्याग दिया है...भटक गए हैं...मार्ग पर हो लिए हैं + +“झूठे शिक्षकों ने त्याग दिया है...भटक गए हैं...मार्ग पर हो लिए हैं।“ झूठे शिक्षकों ने सही को नकार कर परमेश्वर की आज्ञा मानने से मना कर दिया है। + +# जिसने अधर्म की मज़दूरी को प्रिय जाना। + +अधर्म और पाप के कामों की मज़दूरी को स्वीकार किया। + +# पर उसे उसके ही अपराध के विषय में उलाहना दिया गया। + +उसे अवज्ञा के लिए सख्ती से रोका गया था। + +# उस भविष्यवक्ता को उसके बावलेपन से रोका। + +परमेश्वर ने भविष्यवक्ता के मूर्खतापूर्ण कार्यों को रोकने के लिए एक गदही का प्रयोग किया। देखें: (गिन. 22:21-30) diff --git a/2pe/02/17.md b/2pe/02/17.md new file mode 100644 index 0000000..4368f28 --- /dev/null +++ b/2pe/02/17.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# ये लोग बिना पानी के सूखे सोते के समान हैं + +बिल्कुल वैसे ही जैसे सूखा सोता शारीरिक जीवन के लिए पानी प्रदान नहीं करता है, उनकी शिक्षाएं आत्मिक जीवन की ओर नहीं ले जातीं। “वे ताज़गी का एक झूठा स्रोत हैं। एक खाली नख़लिस्तान।“ (देखें: insanity + +# वे आंधी के उड़ाए बादलों के समान हैं + +आंधी के बादल वर्षा लाते हैं। यह वर्षा जीवनदायी पानी भी ला सकते हैं या विनाशकारी बाढ़ भी। ये लोग उन बादलों के समान हैं जो अपने साथ विनाश ले कर चलते हैं। + +# वे व्यर्थ घमण्ड की बातें करते हैं। + +उनकी बातें बिना अर्थ की और दम्भी हैं। + +# वे शारीरिक अभिलाषाओं के द्वारा लोगों को फंसाते हैं। + +वे पापी प्रकृति का प्रयोग करके लोगों को अनैतिक और पापी कार्यों में फंसा लेते हैं। + +# वे उन लोगों को फंसा लेते हैं जो भटके हुओं में से अभी निकल रहे हैं। + +वे विश्वास में नए लोगों को शिकार बनाते हैं। + +# वे उन्हें स्वतंत्र करने की प्रतिज्ञा तो करते हैं, पर आप ही सड़ाहट(भ्रष्टाचार) के दास हैं। + +वे झूठी स्वतन्त्रता की प्रतिज्ञा करते हैं, विश्वासियों को पाप करने की स्वतन्त्रता। पर यह पाप की दासता है। + +# क्योंकि जो व्यक्ति जिससे हार गया है, वह उसका दास बन जाता है। + +एक मनुष्य उन इच्छाओं के पीछे भागेगा जिन को लेकर उसमें संयम की कमी होती है। diff --git a/2pe/02/20.md b/2pe/02/20.md new file mode 100644 index 0000000..c550bfa --- /dev/null +++ b/2pe/02/20.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जो कोई भी प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के ज्ञान के द्वारा संसार की नाना प्रकार की अशुद्धता से बच निकलता है। + +कोई भी व्यक्ति जिसने प्रभु यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर लिया है और अशुद्ध और अपवित्र जीवन शैली से मुड़ गया हैं। + +# उनकी दशा पहले से भी बुरी हो गई है। + +वे और भी बदतर हैं क्योंकि उनको पवित्र जीवन का ज्ञान है और फिर भी उन्होंने पाप के जीवन की ओर मुड़ना चुना है। + +# धर्मिकता के मार्ग को जाना है + +परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन जीना + +# उन्हें दी गई पवित्र आज्ञा। + +परमेश्वर के नियम और कानून उन्हें दिए गए ताकि वे जान पाएं कि परमेश्वर के लिए किस प्रकार जीना है। + +# यह कहावत ...कि कुत्ता अपनी छांट की ओर और नहलाई हुई सूअरनी कीचड़ की ओर वापिस लौटती है। + +एक सटीक कहावत में उन लोगों की तुलना जो सच्चाई तो जानते हैं पर भक्तिहीन जीवन में वापिस लौट आते हैं कुत्ते से कि गई है कि,”कुत्ता अपनी छांट की ओर वापिस लौट आता है” नीतिवचन 26:11 का सन्दर्भ देता है। दोनों मामलों में इसका अर्थ यही है कि एक पशु अपने आप को अशुद्ध होने से बचना सिखाने में असमर्थ होता है।” diff --git a/2pe/03/01.md b/2pe/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..27dd222 --- /dev/null +++ b/2pe/03/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# हे प्रियो! अब मैं तुम्हें यह दूसरी पत्री तुम्हारे शुद्ध मन को उभारने के लिए लिखता हूँ, + +पतरस अपनी बातचीत का विषय बदलता है और अब वह अपने श्रोताओं को याद दिलाता है कि यह उसकी उन्हें दूसरी पत्री है ताकि उनके विश्वासी विचारों और कार्यों को उभार सके। + +# ताकि तुम उन बातों को जो पहले से कहीं हैं स्मरण कर सको + +इसका कारण उनकी शिक्षाओं सम्बन्धी यादों को जो प्रेरितों द्वारा दीं गईं थीं, पवित्र भविष्यवक्ताओं के शब्द और यीशु की आज्ञाओं को ताज़ा करवाना है। diff --git a/2pe/03/03.md b/2pe/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..cfdfd64 --- /dev/null +++ b/2pe/03/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह पहले जान लो + +“यह समझना सबसे महत्त्वपूर्ण है” + +# “उसके आने की प्रतिज्ञा कहाँ गई?” + +हंसी-ठट्ठा करने वाले व्यंगपूर्ण पूछ रहे हैं और किसी उत्तर की अपेक्षा नहीं कर रहे। पर: “प्रतिज्ञा कि मसीह वापिस आएगा सच नहीं है।“ + +# सब कुछ वैसा ही है जैसा सृष्टि के आरम्भ से था + +यह आदम के पतन से लेकर जीवन के मूल क्रम के सन्दर्भ में है। लोग पैदा होते और मर जाते हैं। वे विवाह करते और उनका विवाह किया जाता है। संघर्ष और पाप निरन्तर बने हुए हैं। पर: “जीवन की कठिनाइयाँ आरम्भ से वही हैं, मसीह का राज्य हमारा जीवन सरल बनाने के लिए नहीं आया है।“ diff --git a/2pe/03/05.md b/2pe/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..6b63770 --- /dev/null +++ b/2pe/03/05.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# वे तो जान बूझकर यह भूल गए + +ठट्ठा करने वाले कहते हैं सृष्टि के आरम्भ से कुछ नहीं बदला है और वे जान-बूझ कर इसे भूलना चुनते हैं। + +# कि परमेश्वर के वचन के द्वारा आकाश प्राचीन काल से विधमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी और जल में स्थिर है। + +“परमेश्वर ने कहा और आकाश और पृथ्वी जल में से उभर आए और उन्हें भी जल के द्वारा अलग किया” + +# और यह कि उसके वचन के द्वारा उस युग का जगत जल में डूब कर नष्ट हो गया + +“जिस वचन का प्रयोग परमेश्वर ने सृष्टि के निर्माण के लिए किया था उसी वचन का प्रयोग करके उसने उस युग के जगत को बाढ़ से नष्ट कर दिया” + +# वही वचन + +“परमेश्वर का वचन” + +# और आकाश और पृथ्वी उसी वचन के द्वारा इसलिए रखे गए हैं कि जलाए जाएं + +“परमेश्वर का वचन आकाश और पृथ्वी को जलाए जाने के लिए रखे हुआ है” + +# ये भक्तिहीन मनुष्यों के न्याय और नष्ट होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे। + +आकाश और पृथ्वी तब तक रखे रहेंगे जब तक परमेश्वर भक्तिहीन लोगों का न्याय न कर ले। diff --git a/2pe/03/08.md b/2pe/03/08.md new file mode 100644 index 0000000..dfbad8b --- /dev/null +++ b/2pe/03/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हे प्रियो, यह बात तुम से छिपी न रहे, + +“हे प्रियो, भूलो नहीं” + +# कि प्रभु के यहाँ एक दिन हज़ार वर्ष के बराबर है, और हज़ार वर्ष एक दिन के बराबर है + +परमेश्वर समय-सारणी पर नहीं है। + +# जैसा कुछ लोग देरी को समझते हैं, पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है + +जबकि कुछ लोग सोच सकते हैं कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने में देरी करता है, वह तुम्हारे विषय में धीरज धरता है + +# वरन वह सबको मन फिराव का अवसर देना चाहता है + +परमेश्वर हरेक को न्याय के दिन से पहले मन फिराने (पछताने) का अवसर दे रहा है। diff --git a/2pe/03/10.md b/2pe/03/10.md new file mode 100644 index 0000000..79fc13e --- /dev/null +++ b/2pe/03/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# फिर भी, + +चाहे परमेश्वर धीरज धर रहा है और चाहता है कि लोग मन फिराएं, वह वापिस आएगा और न्याय करेगा। + +# प्रभु का दिन चोर के समान आएगा। + +बिल्कुल जैसे चोर आने से पहले बता कर नहीं आता कि वह चोरी करने आ रहा है, यीशु बिना किसी चेतावनी के आएगा। + +# आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के साथ जाता रहेगा। और तत्व आग से जल जाएँगे + +बड़ी आवाज़ और आग और आकाश और पृथ्वी के विनाश का ज्वलंत ब्यौरा। यह किसी के भी ध्यान से बचे नहीं रहेंगे। + +# कार्यों का न्याय होगा। + +परमेश्वर लोगों द्वारा किए गए सभी अच्छे-बुरे कामों का न्याय करेगा। diff --git a/2pe/03/11.md b/2pe/03/11.md new file mode 100644 index 0000000..ca4665b --- /dev/null +++ b/2pe/03/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ये सब वस्तुएं इस रीति से नष्ट होने वाली हैं + +“सभी वस्तुएं आग से नष्ट कर दी जाएंगी” + +# तुम्हें पवित्र चाल-चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए? + +पतरस विश्वासियों को यह सोचने के लिए चुनौती देता है कि यह जानते हुए कि पृथ्वी और लोगों के कार्यों का न्याय होगा उन्हें किस प्रकार पवित्र चाल-चलन और भक्ति का जीवन व्यतीत करना चाहिए। + +# फिर भी, उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की बाट जोहते हैं + +विश्वासियों के पास आशा है और वे आश्वस्त हो सकते हैं कि जिस नए आकाश और नई पृथ्वी की परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है वे आएँगे। diff --git a/2pe/03/14.md b/2pe/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..aadadbc --- /dev/null +++ b/2pe/03/14.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# और उसके साथ शान्ति में पाए जाओ। + +“और परमेश्वर के साथ शान्ति में हो” + +# और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो + +परमेश्वर उन को जो यीशु में विश्वास करेंगे अनन्त जीवन देने की प्रतीक्षा में है। + +# हमारा प्रिय भाई पौलुस + +एक साथी प्रेरित जिसने भी विश्वासियों को लिखा है उसे पतरस सम्बोधित कर रहा है। + +# उस ज्ञान के अनुसार जो उसे दिया गया था। + +वैकल्पिक अनुवाद:उस ज्ञान और समझ के अनुसार जो परमेश्वर ने पौलुस को दिया” + +# पौलुस ने अपनी सब पत्रियों में इन सब बातों की चर्चा की है + +“पौलुस अपनी पत्रियों में परमेश्वर के धीरज के विषय में बोलता है जो मन फिराव की ओर ले जाता है” + +# जिनमें कुछ बातें ऐसी हैं जिनको समझना कठिन है + +पौलुस की पत्रियों में कुछ ऐसी बातें हैं जिनका अर्थ समझना आसान नहीं। + +# अनुशासनहीन और चंचल लोग इन बातों को खींचते-तानते हैं, + +भक्तिहीन लोग अंतिम दिनों की इन बातों का और पवित्र शास्त्र की अन्य बातों का मन-गड़न्त अर्थ निकालते हैं और उनका इसके लिए न्याय किया जाएगा। diff --git a/2pe/03/17.md b/2pe/03/17.md new file mode 100644 index 0000000..bcef926 --- /dev/null +++ b/2pe/03/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# इसलिए, हे प्रियो! क्योंकि तुम इन बातों को जानते हो + +परमेश्वर के धीरज की सच्चाई और इन झूठे शिक्षकों की शिक्षाएं + +# चौकस रहो + +“चौकन्ने रहो और अपनी निगरानी करो” + +# अपना विश्वास कहीं आप ही न खो दो + +यीशु मसीह में तुम्हारा विश्वास डगमगा न जाए + +# बढ़ते जाओ.. + +पतरस व्याख्या करता है कि विश्वासियों को किस प्रकार अपने विश्वास में आगे बढ़ना है और अपने आप को झूठे शिक्षकों से बचाना है। diff --git a/2th/01/01.md b/2th/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..c15a82d --- /dev/null +++ b/2th/01/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम्हें + +“तुम्हें” अर्थात थिस्सलुनीकियों की कलीसिया के विश्वासियों को + +# सिलवानुस + +“सिलवानुस” सिलास के लिए लातीनी शब्द है। यह वह सिलास है जो प्रेरितों के काम की पुस्तक में पौलुस के साथ प्रचार यात्राओं में था। diff --git a/2th/01/03.md b/2th/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..9bc1b7f --- /dev/null +++ b/2th/01/03.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# हमे करना चाहिए + +"हमे" अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस के लिए था न की थिस्सलुनीकियों के लिए। + +# हमें हर समय परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए। + +“परमेश्वर का लगातार धन्यवाद करना चाहिए” + +# यह उचित भी है + +“क्योंकि ऐसा करना उचित है” या “यह सही है” + +# आपस में + +“अपने विश्वासी भाइयों-बहनों के प्रति” + +# तुम्हारे विषय में + +“तुम्हारे” अर्थात थिस्सलोनिका के विश्वासी + +# हम आप + +यह कर्ता संबन्धित सर्वनाम है जो पौलुस के गर्व करने पर बल देता है। कुछ अनुवादों में केवल “हम” है। + +# उपद्रव और क्लेश तुम सहते हो + +उपद्रव और क्लेश तुम सहते हो दो विभिन्न शब्दों द्वारा एक ही तथ्य को व्यक्त किया गया है कि वे घोर कष्टों में थे। + +# तुम परमेश्वर के राज्य के योग्य ठहरोगे + +“कि परमेश्वर तुम्हें अपने राज्य में महत्त्वपूर्ण समझे” diff --git a/2th/01/06.md b/2th/01/06.md new file mode 100644 index 0000000..9e57fb4 --- /dev/null +++ b/2th/01/06.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# परमेश्वर के निकट यह न्याय है + +“परमेश्वर खरा है” या “परमेश्वर न्यायनिष्ठ है” + +# और तुम्हें चैन मिले + +पद लोप का यह उद्धारण “बदले में परमेश्वर उक्ति को काम में नही ले रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार होता है, बदले में परमेश्वर तुम्हें शान्ति दे”। + +# सामर्थी दूतों + +“परमेश्वर के महा सामर्थी स्वर्गदूत” + +# धधकती हुई आग में स्वर्ग से प्रकट होगा + +“वह प्रचण्ड अग्नि में दण्ड देगा” (यू.डी.बी.) “प्रभु यीशु प्रचण्ड अग्नि से दण्ड देगा” diff --git a/2th/01/09.md b/2th/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..b81dd5e --- /dev/null +++ b/2th/01/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# वे दुख पाएंगे + +“वे जो शुभ सन्देश पर नहीं चलते दण्ड पाएंगे” + +# अनन्त विनाश + +“आशारहित विनाश की अनन्त प्रक्रिया” + +# उस दिन जब यीशु आएगा + +जब यीशु प्रभु के दिन आएगा + +# अपने पवित्र लोगों में महिमा पाने + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “यीशु के विश्वासी उसकी महिमा करेंगे” + +# आश्चर्य का कारण + +“चकित होने” या “श्रद्धा से मर जाने” + +# तुमने + +थिस्सलोनिका के विश्वासियों को diff --git a/2th/01/11.md b/2th/01/11.md new file mode 100644 index 0000000..9277e94 --- /dev/null +++ b/2th/01/11.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# इसीलिए हम प्रार्थना भी करते हैं। + +“हम प्रार्थना भी करते हैं” + +# हम + +“हम” अर्थात पौलुस सिलवानुस और तीमुथियुस + +# हम सदा तुम्हारे लिए प्रार्थना भी करते हैं + +“बार-बार” + +# तुम्हें + +बहुवचन सर्वनाम है अर्थात थिस्सलोनिका के विश्वासियों के लिए। + +# इच्छा... के हर काम को... पूरा करे + +“तुम्हारी इच्छा के कामों को हर प्रकार से उत्तम रीति से करने में समर्थ हो” + +# प्रभु यीशु का नाम तुम में महिमा पाए + +“कि तुम हमारे प्रभु यीशु के नाम का महिमान्वन करो”। + +# और तुम उस में + +“और यीशु तुम्हें महिमान्वित करे” + +# परमेश्वर के .... अनुग्रह के अनुसार + +“हमारे परमेश्वर के अनुग्रह के कारण” diff --git a/2th/02/01.md b/2th/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..a6c1bec --- /dev/null +++ b/2th/02/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अब + +“अब” प्रसंग में परिवर्तन का प्रतीक है + +# तुमसे विनती करते हैं + +“मैं तुमसे आग्रह करता हूं”। (यू.डी.बी.) + +# हम विनती करते हैं + +“हम” अर्थात् पौलुस सिलवानुस और तीमुथियुस + +# तुम + +“तुम” अर्थात थिस्सलोनिका के विश्वासी + +# तुम्हारा मन अचानक अस्थिर न हो जाए + +यह घटनाएं तुम्हारा मन विचलित न कर दें + +# वचन, या पत्री के द्वारा, जो कि मानों हमारी ओर से हो + +“किसी बात या पत्र को हमारी ओर से मानकर” + +# यह समझकर + +“कि तुम्हें निर्देश दे रहा है” diff --git a/2th/02/03.md b/2th/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..d1af61a --- /dev/null +++ b/2th/02/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# धोखे में न आना + +थिस्सलोनिका के विश्वासियों को + +# वह दिन न आएगा। + +“प्रभु का दिन नहीं आएगा” + +# और पाप का पुत्र प्रगट न हो + +“परमेश्वर विनाश के पुत्र को प्रकट न करे” + +# विनाश का पुत्र + +“जो यथासंभव सब कुछ नष्ट कर देगा” या “विनाशक” वह अपने पिता, शैतान की आज्ञा मानेगा + +# हर एक से जो ईश्वर का पूज्य कहलाता है + +“हर एक वस्तु जिसकी मनुष्य पूजा करते हैं” diff --git a/2th/02/05.md b/2th/02/05.md new file mode 100644 index 0000000..3ebec92 --- /dev/null +++ b/2th/02/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्या तुम्हें स्मरण नहीं + +इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा विश्वासियों को पौलुस की शिक्षाओं का स्मरण करवाया गया है। इसका अनुवाद हो सकता है, “मुझे पूरा विश्वास है कि तुम्हें स्मरण है”। + +# क्या तुम्हें नहीं + +“तुम्हें” अर्थात थिस्सलोनिका के विश्वासियों को + +# इन बातों को + +यीशु के पुनः आगमन की बातें तथा पाप के पुरूष के बारे में चर्चा + +# वह अपने ही समय में प्रकट हो + +“वह अपने समय पर प्रगट होगा” - जब तब परमेश्वर पाप के पुरूष को प्रकट करने का निर्णय न ले। + +# अधर्म का भेद + +एक ऐसा मर्म जो मनुष्य अपनी बुद्धि से समझ नहीं सकता, केवल परमेश्वर के प्रकाशन से ज्ञात होता है। diff --git a/2th/02/08.md b/2th/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..4832fbc --- /dev/null +++ b/2th/02/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तब वह अधर्मी प्रकट होगा + +“तब परमेश्वर उस पाप के पुरूष को प्रकट करेगा।” यह मसीह विरोधी का एक और नाम है + +# अपने मुंह की फूंक से + +“उसके वचन के सामर्थ्य से” + +# अपने आगमन के तेज से भस्म करेगा + +जब यीशु लौटकर आएगा तब वह उस पाप के पुरूष को नष्ट कर देगा। + +# पाप के पुरूष का आगमन शैतान के काम के लिए होगा + +झूठी सामर्थ्य और चिन्ह और अद्भुत काम diff --git a/2th/02/11.md b/2th/02/11.md new file mode 100644 index 0000000..c7f3175 --- /dev/null +++ b/2th/02/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इसी कारण + +“मनुष्यों द्वारा सत्य से प्रेम न करने के कारण + +# परमेश्वर उनमें भटका देनेवाली सामर्थ्य भेजेगा + +“परमेश्वर उस पाप के पुरूष को मनुष्य को धोखा देने की अनुमति देगा” + +# वे सब दण्ड पाएं + +“परमेश्वर उन सबको दण्ड देगा” diff --git a/2th/02/13.md b/2th/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..ae542eb --- /dev/null +++ b/2th/02/13.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# परन्तु + +"परन्तु" अब प्रसंग में परिवर्तन आता है + +# हम सदा परमेश्वर का धन्यवाद करते रहें। + +“हमें बार-बार धन्यवाद देना है” + +# हम + +हम अर्थात् पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस + +# तुम + +“तुम्हें” बहुवचन है और थिस्सलोनिका के विश्वासियों के लिए है। + +# प्रभु के प्रिय लोगों + +“भाइयों, प्रभु तुमसे प्रेम करता है”। + +# आदि से तुम्हें चुन लिया + +“विश्वास करने वालों में प्रथम (यू.डी.बी.) + +# आत्मा के द्वारा पवित्र बन कर + +“कि परमेश्वर तुम्हारा उद्धार करके आत्मा के माध्यम से तुम्हें अपने लिए पृथक करे” (यू.डी.बी.) + +# सत्य की प्रतीति करके + +“सत्य में विश्वास करो” या “सत्य पर भरोसा करके” + +# जो-जो बातें मसीह के सत्य के बारे में पौलुस एवं अन्य प्रेरितों द्वारा + +ये परम्पराएं वे शिक्षाएं है जो पौलुस और सम्भवतः अन्य प्रेरितों द्वारा मसीह के सत्यों वे, बारे में उन्हें सोंपी गई थी। + +# सीखी हैं + +“हमने तुम्हें सिखाई है” (यू.डी.बी) + +# वचन या पत्रों + +हमने जो कहकर सिखाया या पत्र लिखकर सिखाया diff --git a/2th/02/16.md b/2th/02/16.md new file mode 100644 index 0000000..4c56a59 --- /dev/null +++ b/2th/02/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अब + +प्रसंग में परिवर्तन + +# हमारा प्रभु यीशु मसीह... जिसने हमसे प्रेम रखा... आशा ही है + +“हमारा” और “हमसे” अर्थात पौलुस के पाठक + +# प्रभु यीशु मसीह आप ही + +“आप ही” प्रभु यीशु के उल्लेख पर बल देने के लिए + +# तुम्हारे + +यह बहुवचन शब्द थिस्सलोनिका की कलीसिया के विश्वासियों के संदर्भ में है। + +# तुम्हारे मनों में शान्ति दे और दृढ़ करे + +“तुम्हें शान्ति देकर दृढ़ करे” diff --git a/2th/03/01.md b/2th/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..6e2e468 --- /dev/null +++ b/2th/03/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# और अब + +प्रसंग में परिवर्तन का प्रतीक है + +# हमारे लिए प्रार्थना किया करो कि... हम + +“हमारे” और “हम” पौलुस सिलवानुस और तीमुथियुस के लिए हैं-पाठक नहीं + +# प्रभु का वचन फैल जाए + +कि अधिकाधिक मनुष्य प्रभु यीशु की चर्चा सुनें + +# महिमा पाए + +कि मनुष्य मसीह यीशु के समाचार को मान प्रदान करें + +# दृढ़ता से स्थिर करेगा + +थिस्सलोनिका के विश्वासियों को + +# सुरक्षित रखेगा + +“परमेश्वर हमारी रक्षा करेगा” या “परमेश्वर हमें बचाएगा” + +# कौन तुम्हें दृढ़ता से स्थिर करेगा + +“वह तुम्हें शक्ति देगा” + +# उस दुष्ट से + +“शैतान से” diff --git a/2th/03/04.md b/2th/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..b00bcd6 --- /dev/null +++ b/2th/03/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# प्रभु में + +“प्रभु से जुड़े हुओं” (यू.डी.बी.) + +# हमें + +हमें - "हमें अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस + +# ऊपर + + - बारे में + +# तुम + +थिस्सलोनिका के विश्वासियों के विषय + +# तुम और मन की अगुआई करे + +सब विश्वासियों की अगुआई करे। “तुम्हारे मन का मार्गदर्शन करे” diff --git a/2th/03/06.md b/2th/03/06.md new file mode 100644 index 0000000..4435b8b --- /dev/null +++ b/2th/03/06.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# अब + +यहां से एक नया प्रसंग आरंभ होता है। + +# हम तुम्हें आज्ञा देते हैं.... हमसे + +“हम” “हम से” अर्थात पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस से। + +# हम तुम्हें आज्ञा देते हैं.... अलग रहो + +अर्थात थिस्सलोनिका के विश्वासी + +# हम तुम्हें आज्ञा देते हैं + +“हम तुम्हें आदेश देते है” या “हम तुम्हें आज्ञा देते है” + +# हमारा प्रभु + +“अपने” में थिस्सलोनिका के विश्वासी भी हैं। + +# कोई काम करवाना चाहे + +“आलसी है या रोजगार कमाना नहीं चाहता।” + +# हमारी सी चाल चलो + +“हमारा अनुकरण करो” + +# रात दिन काम धन्धा किया + +“हमने कठोर परिश्रम करके” + +# यह नहीं कि हमें अधिकार नहीं + +“हमें अधिकार है” diff --git a/2th/03/10.md b/2th/03/10.md new file mode 100644 index 0000000..489379b --- /dev/null +++ b/2th/03/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हम + +“हम” अर्थात पौलुस, सिलवानुस, तीमुथियुस + +# तुम + +अर्थात थिस्सलोनिका के विश्वासियों के मध्य। + +# काम करना न चाहे + +काम करना न चाहे - “आलसी” या “कामचोर” + +# चुपचाप + +“शान्ति के साथ” diff --git a/2th/03/13.md b/2th/03/13.md new file mode 100644 index 0000000..cb2169d --- /dev/null +++ b/2th/03/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# परन्तु + +परन्तु -"परन्तु" आलसी विश्वासियों और परिश्रमी विश्वासियों में विषमता का प्रतीक + +# तुम + +तुम थिस्सलोनिका के विश्वासी + +# साहस न छोड़ों + +यह निराश न होने के लिए एक मुहावरा है। + +# उस पर दृष्टि रखो + +“उसे सबके समक्ष उभारो” (यू.बी.डी.) diff --git a/2th/03/16.md b/2th/03/16.md new file mode 100644 index 0000000..2465485 --- /dev/null +++ b/2th/03/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# प्रभु जो शान्ति का सोता है आप ही + +“आप” शान्ति के प्रभु के काम पर बल देता है + +# तुम + +तुम थिस्सलोनिका के विश्वासियों के साथ (देखें: + +# मैं पौलुस अपने हाथ से नमस्कार लिखता हूं + +“मैं पौलुस रूप में नमस्कार लिख रहा हूं। diff --git a/2ti/01/01.md b/2ti/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..93b1e48 --- /dev/null +++ b/2ti/01/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# पौलुस + +पौलुस - “पौलुस की ओर से” या “मैं तुझे यह पत्र लिख रहा हूं”। + +# परमेश्वर की इच्छा से + +“क्योंकि परमेश्वर की इच्छा के कारण” या “क्योंकि परमेश्वर चाहता था” पौलुस इसलिए प्रेरित हुआ कि परमेश्वर चाहता था कि वह प्रेरित हो। इसे किसी मनुष्य ने प्रेरित होने के लिए नहीं चुना था। + +# अपने वचन के अनुसार + +संभावित अर्थ हैं 1) “के अनुपालन में” अर्थात जैसा परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की कि यीशु जीवनदाता है, उसने पौलुस को प्रेरित नियुक्त किया, 2) “के उद्देश्य से” अर्थात परमेश्वर ने पौलुस को नियुक्त किया कि वह मनुष्यों में मसीह में जीवन की परमेश्वर की प्रतिज्ञा की घोषणा करे। + +# इस जीवन की प्रतिज्ञा के अनुसार जो मसीह यीशु में है + +“परमेश्वर ने मसीह के लोगों से जीवनदान की प्रतिज्ञा की है।” + +# प्रिय पुत्र + +“पुत्र जो मेरा प्रिय है” या “जिस पुत्र से मैं प्रेम करता हूं”। पौलुस की माध्यम से तीमुथियुस ने मसीह यीशु को ग्रहण किया था। इस कारण पौलुस उसे अपने पुत्र के समान प्रेम करता था। + +# तुझे अनुग्रह और दया और शान्ति मिलती रहे + +“अनुग्रह, दया और शान्ति तेरी हो” या “तुझे अनुग्रह, शान्ति और दया का आन्तरिक अनुभव हो” + +# परमेश्वर पिता + +“परमेश्वर जो हमारा पिता है” + +# हमारे प्रभु यीशु मसीह + +“मसीह यीशु जो हमारा प्रभु है” diff --git a/2ti/01/03.md b/2ti/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..4354e26 --- /dev/null +++ b/2ti/01/03.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# अपने बाप-दादों की रीति पर + +पौलुस अपने पूर्वजों के परमेश्वर का ही उपासक था। इसका अनुवाद हो सकता है, “जिसके लिए मैं एक विश्वासी होकर सेवा करता हूं, ठीक वैसे ही जैसे मेरे पूर्वजों ने की थी”। + +# शुद्ध विवेक से + +“शुद्ध विवेक से” वह अनुचित कामों के विचार से मुक्त था, क्योंकि उसने सदैव ही उचित काम करने की चेष्टा की है। + +# लगातार स्मरण करता हूं + +लगातार स्मरण करता हूं - “मैं तुझे सदैव स्मरण करता हूं” या “जब मैं तुझे स्मरण करता रहता हूं” या “मैं तुझे स्मरण करने से नहीं चूकता” + +# रात दिन काम धन्धा करके + +“दिन रात मेरी प्रार्थनाएं” 2) मैं दिन रात तुझे स्मरण करता हूं” या “मैं तुझे सदा स्मरण करता हूं” या “मैं तुझे स्मरण करने से नहीं रुकता” + +# तुम से भेंट करने की लालसा करता हूं। + +“तुमसे भेंट करने की प्रतीक्षा में हूं” + +# तेरे आंसुओं की सुधि कर करके + +“तेरे सब दुःखों को मन में रख कर” + +# कि आनन्द से भर जाऊं। + +“कि मुझे अत्यधिक आनन्द प्राप्त हो” या “आनन्दित हो जाऊं”। + +# सुधि आती है + +सुधि आती है - “क्योंकि मुझे स्मरण होता है” या “जब मुझे स्मरण होता है” या “क्योंकि मुझे.... स्मरण होता है” या “स्मरण करके” + +# निष्कपट विश्वास + +“तेरा सच्चा विश्वास” या “तेरा पांखड-रहित विश्वास” यहां जिस शब्द का अनुवाद “निष्कपट” किया गया है, वह नाटक में के नायक का विलोम शब्द है। इसका अर्थ है, “सत्यनिष्ठ” या “सच्चा” + +# जो पहले तेरी नानी को इस.... में था ... तुम में भी है। + +तीमुथियुस की नानी एक ईश्वर भक्त स्त्री थी और पौलुस तीमुथियुस के विश्वास की तुलना उसके विश्वास से करता है। diff --git a/2ti/01/06.md b/2ti/01/06.md new file mode 100644 index 0000000..aba6a80 --- /dev/null +++ b/2ti/01/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# इसी कारण + +इसी कारण - “इस कारण” या “यीशु में तेरे सत्यनिष्ठ विश्वास के कारण” या “क्योंकि यीशु में तेरा सच्चा विश्वास है”। + +# सुधि दिलाता हूं + +सुधि दिलाता हूं - “मैं तुझे स्मरण कराता हूं” या “तुझे फिर से कहता हूं” + +# तू परमेश्वर के उस वरदान को.... प्रज्वलित कर दे” + +पौलुस ने तीमुथियुस के सिर पर हाथ रखकर उसे पवित्र-आत्मा का दान दिया था। आत्मिक या क्षमता या वरदान। पौलुस तीमुथियुस से कहता है कि मसीह सेवा में वह उसे नवजीवित या पुनः सक्रिय कर दे। कोयले पर हवा करके उसने धधकाना एक रूपक है जो तीमुथियुस द्वारा आत्मिक क्षमताओं और वरदानों को अनदेखा करने के संदर्भ में है। + +# क्योंकि परमेश्वर + +क्योंकि परमेश्वर - “इसलिए कि परमेश्वर” या “क्योंकि परमेश्वर” + +# क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं + +पौलुस ने परमेश्वर से आत्मा प्राप्त किया था। ठीक उसने तीमुथियुस पर हाथ रखे थे तब वही आत्मा उसमें समा गया था। वह आत्मा मनुष्यों या परमेश्वर से डरने का नहीं था। + +# संयम की आत्मा + +संभावित अर्थ हैं 1) परमेश्वर का आत्मा आत्म नियंत्रण में समर्थ बनाता है। (यू.डी.बी.) 2) परमेश्वर का आत्मा हमें चुकने वालों का सुधार करने योग्य बनाता है। diff --git a/2ti/01/08.md b/2ti/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..1e04751 --- /dev/null +++ b/2ti/01/08.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# लज्ज्ति न हो + +लज्ज्ति न हो - “अतः डर मत” या “भयभीत मत हो” + +# सुसमाचार के लिए मेरे साथ दुःख उठा। + +पौलुस सुसमाचार के लिए जो कष्ट वहन कर रहा था वे उचित नहीं थे। वह तीमुथियुस से कह रहा था कि ऐसे ही कष्टों से भयभीत न हो। + +# परमेश्वर की सामर्थ्य के अनुसार + +“परमेश्वर को तुझे सामर्थी बनाने दे” + +# हमारे कामों के अनुसार नहीं + +“हम अपने कर्मों के अनुसार उद्धार नहीं पाते हैं” या “हमारे काम चाहे बुरे रहे हों परमेश्वर हमारा उद्धार करता है। + +# उसके उद्देश्य .... के अनुसार है + +“हमारे उद्धार की योजना परमेश्वर की थी और अब उसने उसे पूरा भी किया है” परमेश्वर ने ठान लिया था कि हमारा उद्धार करेगा और उसने निश्चय कर लिया कि ऐसे हमारा उद्धार करेगा और अब हमारा उद्धार किया है”। या “उसने हमारा उद्धार किया जो उसकी योजना के अनुसार था”। + +# सनातन से + +“संसार की उत्पत्ति से पूर्व” या “समय के आरंभ से पूर्व” + +# सनातन + +यह संपूर्ण अस्तित्व, ब्रह्माण्ड के लिए एक रूपक है + +# पर अब हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु के प्रगट होने के द्वारा प्रकाशित हुआ + +परमेश्वर ने अब दिखा दिया कि वह हमारा उद्धार कैसे करेगा। उसने मसीह यीशु के अविभक्ति से यह प्रकट कर दिया है”। + +# मृत्यु का नाश किया + +“उसने हम पर मृत्यु की प्रभुता का नाश किया” + +# जीवन और अमरता को उस समाचार के द्वारा प्रकाशमान कर दिया। + +“सिखाया कि शाश्वत जीवन का शुभ सन्देश के प्रचार द्वारा है” + +# जिसके लिए मैं प्रचारक... ठहरा + +“परमेश्वर ने मुझे यह सन्देश सुनाने के लिए चुना है”। diff --git a/2ti/01/12.md b/2ti/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..b2f35a5 --- /dev/null +++ b/2ti/01/12.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# इस कारण मैं + +“क्योंकि मैं एक प्रेरित हूं” + +# इन दुःखों को भी उठाता हूं + +“मैं बन्दी हूं” + +# मुझे निश्चय है + +मुझे पूरा विश्वास है कि मार्ग है. + +# उस दिन तक + +संभावित अर्थ हैं 1) जिस दिन प्रभु पुनः आएगा। या 2) जिस दिन प्रभु मनुष्यों का न्याय करेगा। + +# जो खरी बातें तूने मुझ से सुनी है... अपना आदर्श बना कर रख + +“मैंने जो उचित शिक्षा दी है उसे लोगों को सिखाता रह” या “अपने शिक्षण विधि के नमूने स्वरूप मेरे वचनों और शिक्षण विधि का अनुकरण करा” + +# खरी बातें + +“उचित विचार” या “सत्य वचन” + +# “उस अच्छी धरोहर + +सुसमाचार का उचित प्रचार करना + +# रखवाली कर + +तीमुथियुस को सावधान रहना या क्योंकि मनुष्य उसके कामों का विरोध करेंगे, उसे पूरा करने का प्रयास करेंगे और उसकी शिक्षाओं को विकृत करेंगे। + +# पवित्र आत्मा के द्वारा + +“केवल वही सब कुछ कर जो पवित्र आत्मा कहता है diff --git a/2ti/01/15.md b/2ti/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..8f30925 --- /dev/null +++ b/2ti/01/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मुझ से फिर गए हैं + +वे उससे अलग हो गए क्योंकि वह बन्दी बनाकर बंदीगृह में डाला गया था। + +# मेरी जंजीरों से लज्जित न हुआ + +उनेसिफुरूस पौलुस से लज्जित नहीं था वरन उससे भेंट करने बार-बार आता था। जंजीर कारागार में होने का एक रूपक है। + +# उस दिन उस पर प्रभु की दया हो + +संभावित अर्थ हैं 1) जिस दिन प्रभु पुनः आएगा। या 2) जिस दिन प्रभु मनुष्यों का न्याय करेगा। diff --git a/2ti/02/01.md b/2ti/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..b13efb5 --- /dev/null +++ b/2ti/02/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# बलवन्त हो जा + +संभावित अर्थ हैं 1) “परमेश्वर ने तुम्हें बलवन्त करने के लिए मसीह यीशु में अनुग्रह प्रदान किया है उसका उपयोग करे”। (यू.डी.बी.) या 2) साहस धरो कि परमेश्वर ने तुम्हें वह अनुग्रह प्रदान किया है जो केवल मसीह यीशु से है। + +# बहुत से गवाहों के सामने + +“मरे वचनों की सत्यता के अनेक गवाह जो वहां थे + +# विश्वासी मनुष्यों + +“विश्वासयोग्य जन” diff --git a/2ti/02/03.md b/2ti/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..ffcbebd --- /dev/null +++ b/2ti/02/03.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +पद 4,5 और 6 में पौलुस तीन रूपकों द्वारा मसीह के सेवक की जीवनशैली को सुव्यक्त करता है। + +# मेरे साथ दुःख उठा + +संभावित अर्थ 1) “मेरे कष्ट उठा” (यू.डी.बी.) या 2) मेरे दुःखों में सहभागी हो”। + +# योद्धा.... अपने आप को संसार के कामों में नहीं फंसाता। + +“जीवन की दैनिक गतिविधियों में फंसा हुआ सैनिक अयोग्य होता है”। या “सेवारत सैनिक सामान्य मनुष्यों के सदृश्य दैनिक कार्यों में विचलित नहीं होता है”। यह तीन में से कहता रूपक है। पाठक को समझ लेना है कि मसीह के सेवक दैनिक जीवन के कार्य-कलापों के कारण मसीह की सेवा से अलग न हों। + +# फंसाता + +सांसारिक बातों से मसीह की सेवा में बाधित होने को जाल में फंसने की उपमा दी गई है। + +# भर्ती करने वाले को + +“जिसने उसे सेना में भर्ती किया है” + +# अखाडे में लड़नेवाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता है। + +यह पौलुस द्वारा तीमुथियुस को लिखा दूसरा रूपक है। पाठक को समझ लेना है कि मसीही सेवकों को मसीह की आज्ञाओं के अनुसार काम करना है। + +# मुकुट नहीं पाता है + +“वह पुरस्कार नहीं जीत पाता है” + +# विधि के अनुसार + +“नियमों का पालन न करें” या “नियमों के अनुसार खेल पूरा न करें” diff --git a/2ti/02/06.md b/2ti/02/06.md new file mode 100644 index 0000000..f62c79c --- /dev/null +++ b/2ti/02/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जो किसान परिश्रम करता है फल का अंश पहले उसे मिलना चाहिए। + +यह पौलुस द्वारा प्रयुक्त तीसरा रूपक है। पाठकों को समझना है कि मसीही सेवक को परिश्रम करना आवश्यक है। + +# जो मैं कहता हूं उस पर ध्यान दें + +पौलुस ने तीमुथियुस को तीन दृष्टान्त लिखे परन्तु उनका अर्थ स्पष्ट नहीं किया। वह चाहता था कि पौलुस इनके द्वारा मसीही सेवक के लिए क्या कर रहा है उसे तीमुथियुस स्वयं समझे। + +# प्रभु तुझे + +“प्रभु समझ देगा” diff --git a/2ti/02/08.md b/2ti/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..55d02b3 --- /dev/null +++ b/2ti/02/08.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यह मेरे सुसमाचार के अनुसार + +“अर्थात मेरे सुसमाचार” + +# जिसके लिए मैं दुःख उठाता हूं + +“शुभ सन्देश जिसके लिए मैं कष्ट भोग रहा हूं”। + +# कैद में भी हूं + +“बंदीगृह में हूं” + +# परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं + +“बाधित नहीं है” या “बन्दी नहीं हो सकता” या “पूर्णतः स्वतंत्र है” + +# चुने हुए लोगों के लिए + +“परमेश्वर द्वारा चुने हुओं के लिए” + +# उद्धार... पाएं + +“उद्धार प्राप्त करें” या “परमेश्वर उनका उद्धार करे” + +# अनन्त महिमा के साथ + +“परमेश्वर का सत्त महिमान्वन करते हुए” या “मनुष्यों को परमेश्वर का कार्य दिखाते हुए” diff --git a/2ti/02/11.md b/2ti/02/11.md new file mode 100644 index 0000000..3616e1d --- /dev/null +++ b/2ti/02/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह बात + +“ये वचन” + +# यदि हम अविश्वासी भी हों + +“यदि हम परमेश्वर को निराश भी करें” या “यदि हम वह काम न करें जो हमारी समझ में परमेश्वर हमसे करवाना चाहता है”। + +# वह आप अपना इन्कार नहीं करता है + +“वह सदैव अपने गुणों के अनुसार काम करता है” या “वह अपने गुणों के विपरीत काम नहीं कर सकता है” diff --git a/2ti/02/14.md b/2ti/02/14.md new file mode 100644 index 0000000..f8ab7f3 --- /dev/null +++ b/2ti/02/14.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# उन्हें + +संभावित अर्थ हैं 1) “शिक्षक” (यू.डी.बी.) या “कलीसिया के सदृश्य” + +# प्रभु के सामने + +“परमेश्वर की उपस्थिति में” या “यह जानते हुए कि परमेश्वर तुम्हें और उन्हें देख रहा है”। + +# शब्दों पर तर्क-वितर्क न किया करें + +“शब्दों के अर्थों पर विवाद न करें” या “कलह उत्पन्न करने वाले शब्दों का उपयोग न करें” या “किसी को दुःख देने वाले शब्द न कहें” + +# कुछ लाभ नहीं होता + +“किसी को लाभ नहीं पहुंचाते है” या “निरर्थक हैं” + +# बिगड़ जाते हैं + +यहां भाव भवन के नष्ट होने का है। झगड़ों को देखकर मनुष्य मसीही सन्देश का सम्मान नहीं करता है। + +# सुनने वाले + +“श्रोता” + +# परमेश्वर का ग्रहणयोग्य + +“स्वयं को ऐसा मनुष्य बना जिसे उसने योग्य निश्चित कर दिया है” + +# काम करने वाला + +“कर्मी” या “सेवक” + +# ठीक रीति से काम में लाता हो + +“सही व्याख्या करता हो”। diff --git a/2ti/02/16.md b/2ti/02/16.md new file mode 100644 index 0000000..c1fb289 --- /dev/null +++ b/2ti/02/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# सड़े घाव की तरह + +उनकी बातें संक्रामक रोग के समान फैलती है “जिस प्रकार कि मासूर शीघ्र ही फैलकर खीर को नष्ट कर देता है, उसी प्रकार इन लोगों की शिक्षाएं मनुष्यों में फैलकर विश्वासियों के विश्वास को नष्ट कर देती है”। उनके वचन मासूर के समान शीघ्र फैल कर विनाश कर देते हैं”। या “मनुष्य उनकी बातें शीघ्र मानकर अपनी हानि करते हैं”। + +# सड़ा घाव + +मृतक सड़ रही मांस पेशियां। नासूर से बचने का एक ही उपाय है, उस शारीरिक भाग को काट कर अलग कर दिया जाए। + +# सत्य से भटक गए है + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “सत्य के बारे में चूक की है” या “सत्य के बारे में भ्रमित है”। “जैसे एक तीर लक्ष्य से विपथ हो जाता है। या 2)“सत्य में विश्वास करना छोड़ दिया है”। + +# पुनरूत्थान हो चुका है + +“परमेश्वर ने मृतकों को अनन्त जीवन के लिए जीवित कर दिया है”। + +# कितनों के विश्वास को उलट-पुलट कर रहे हैं + +“विश्वासियों में सन्देह उत्पन्न कर रहे हैं” या कुछ विश्वासियों को विश्वास त्याग के लिए आश्वस्त कर रहे हैं। diff --git a/2ti/02/19.md b/2ti/02/19.md new file mode 100644 index 0000000..a58ba48 --- /dev/null +++ b/2ti/02/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जो कोई प्रभु का नाम लेता है + +“जो मसीह का विश्वासी होने का दावा करता है” + +# परमेश्वर की पक्की नींव + +संभावित अर्थः 1) “जिस कलीसिया की रचना परमेश्वर ने आरंभ से की है” 2) “परमेश्वर का सत्य” (यू.डी.बी.) 3) “परमेश्वर की विश्वासयोग्यता”। + +# अधर्म से बचा रहता है + +संभावित अर्थः 1) “बुरा होने से बचा रहता है” 2) “बुराई करने से बचा रहता है”। + +# बर्तन + +कटोरे, थालियां या मटकों जैसे वस्तुएं। यदि आपकी भाषा में ऐसा कोई शब्द नहीं है जो सामान्य उपयोग का हो तो कटोरे या मटके का शब्द काम में लें यह मनुष्यों के लिए एक रूपक है। + +# कोई आदर और कोई-कोई अनादर के लिए + +संभावित अर्थ हैं, 1) विशेष अवसर के लिए साधारण समय पर” (यू.डी.बी.); 2) भले मनुष्यों के सार्वजनिक काम... भले मनुष्यों के निजि काम” + +# यदि कोई अपने आपको इनसे शुद्ध करेगा + +संभावित अर्थ हैं 1) अनादर के मुनष्यों से अलग रहेगा। 2) स्वयं को शुद्ध रखेगा”। + +# आदर का बर्तन + +“विशेष अवसर पर काम में आनेवाला बर्तन” या “भले मनुष्यों के सार्वजनिक कामों में उपयोगी” diff --git a/2ti/02/22.md b/2ti/02/22.md new file mode 100644 index 0000000..7bd3c4d --- /dev/null +++ b/2ti/02/22.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# भाग...पीछा कर + +इस रूपक में जो दिया है वह बहुत तेज दौड़ने का है। “भाग” का अर्थ है हानिकारक बात से दूर भाग। और “पीछा कर” का अर्थ है लाभकारी बात की ओर दौड़। + +# जवानी की अभिलाषाओं से भाग + +“युवागण को लालयित करने वाली परीक्षाओं से” जैसे मनुष्य किसी आक्रमणकारी हिंसक पशु या हत्यारे से भागता है। यदि आपकी भाषा में अभिलाषा के लिए संज्ञा शब्द नहीं है तो इसका अनुवाद होगा, “युवा जिस बात की प्रबल इच्छा रखते हैं उनका पूर्णतः इन्कार कर” या “यथासंभव प्रयास करके दूर रह”। + +# धर्म, विश्वास और प्रेम और मेल-मिलाप का पीछा कर + +“धर्म-निष्ठा, विश्वास, प्रेम, शान्ति का पीछा कर” यदि आपकी भाषा में इन शब्दों का संज्ञा रूप नहीं है तो इसका अनुवाद होगा, “उचित काम का यथासंभव प्रयास कर”। + +# विश्वास + +संभावित अर्थ हैं: 1) देखें + +# साथ + +संभावित अर्थ हैं 1) “संगति” अर्थात विश्वासियों के साथ धर्म की खोज कर” 2) जब तू संबन्ध बनाए”। “यथासंभव प्रयास करके... अन्य विश्वासियों के साथ मेल-मिलाप रखना” + +# प्रभु का नाम लेते हैं + +“मसीह विश्वासी” या “वे जो स्वयं को प्रभु के जन कहते हैं”। + +# शुद्ध मन से + +“सच्चे उद्देश्यों से” या “भली इच्छा से” + +# मूर्खता और अविधा के विवादों से + +“मूर्खता के प्रश्न और अज्ञान के प्रश्नों के उत्तर न दे” + +# मूर्खता... के विवाद + +“मनुष्य ऐसे प्रश्न पूछें जिनमें परमेश्वर का सम्मान निहित न हो। + +# अविधा के विवाद + +“जो मनुष्य सत्य जानना चाहते है उसके प्रश्नअविधा diff --git a/2ti/02/24.md b/2ti/02/24.md new file mode 100644 index 0000000..60d556f --- /dev/null +++ b/2ti/02/24.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# कोमलता + +“दीनता” या “विनम्रता” + +# शिक्षा में निपुण + +“निर्देशन में” या “शिक्षण में” या “सुधार करने में” + +# मन फिराव + +“पापों के त्याग का अवसर” + +# सत्य को पहचानें + +“कि वे सत्य का ज्ञान ग्रहण करें”। + +# सचेत होकर + +“बुरे विचार मन में ना लाएं” या “वे पुनः परमेश्वर की बातें सुनें” + +# शैतान के फंदे से + +वे जो शैतान के फंदे में फंस गए हैं। यह एक रूपक है जो उन मनुष्यों को दर्शाता है जो सोचते हैं कि वे परमेश्वर का अनुसरण कर रहे हैं परन्तु वे वास्तव में शैतान के अभिकर्ता हैं। + +# उसकी इच्छा पूरी करने के लिए + +शैतान ने उन्हें फंसा लिया है और उनसे अपनी इच्छा पूरी करवाता है। diff --git a/2ti/03/01.md b/2ti/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..0da3569 --- /dev/null +++ b/2ti/03/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# कठिन समय आएंगे + +पद 2-4 में व्यक्त मनुष्यों द्वारा संकट जो कुछ दिनों, महिनों या वर्षों में हो। + +# माता-पिता की आज्ञा टालने वाले + +“परिवारों के प्रेम से विरक्त” + +# दयारहित + +"वह हर एक जन" + +# दोष लगाने वाले + +“झूठा दोषारोपण करने वाले” + +# असंयमी + +“उग्र” या “पाशविक” या “मनुष्यों को सदा हानि पहुंचाने वाले” + +# भले के बैरी + +भले के बैरी + +# भलाई से घृणा करने वाले + +कठोर + +# अविमृश्यकारी घमण्डी + +“वे स्वयं को अन्यों से अच्छा मानते हैं” diff --git a/2ti/03/05.md b/2ti/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..6876f4d --- /dev/null +++ b/2ti/03/05.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# वे भक्ति का भेष तो करेंगे + +वे भक्ति का भेष तो करेंगे “धर्मी प्रतीत होंगे” या “धर्मपरायण प्रतीत होंगे” + +# उसकी शक्ति को नहीं जानेंगे + +संभावित अर्थ हैं 1) वे परमेश्वर द्वारा दिए जाने वाले वास्तविक सामर्थ्य का इन्कार करेंगे। (यू.डी.बी.) या 2) उनका जीवन उनकी स्वांगपूर्ण धर्म-निष्ठा को सिद्ध नहीं करेगें। + +# ऐसों से परे रहना + +“बचना” + +# "अनन्त जीवन में प्रवेश करना" + +“अज्ञात प्रवेश करते हैं” + +# घरों में + +संभावित अर्थ हैं 1) परिवार या परिवार के लोगों में या 2) “आवासों में” (यू.डी.बी.) + +# वश में कर लेते हैं + +“प्रभाव डालते हैं” + +# दुर्बल स्त्रियों को + +“आत्मिकता में दुर्बल स्त्रियों को” इसका कारण है कि वे भक्ति में चूक जाती हैं या वे आलसी हैं या “वे पापों के वशीभूत हैं”। + +# पापों में दबी + +संभावित अर्थ हैं 1) पापों की बहुतायत के नीचे हैं। या 2) बार-बार पाप करती रही हैं, कहने का अर्थ है कि वे पाप से बच नहीं पाती हैं। + +# हर प्रकार की अभिलाषाओं के वश में हैं + +इसका अनुवाद एक अलग वाक्य में किया जा सकता है। “इन विधवाओं में इतनी अधिक अभिलाषाएं है कि वे मसीह के आज्ञापालन से चूक जाती हैं”, या “ये स्त्रियां मसीह के अनुसरण को त्याग कर अपनी अभिलाषाओं के पीछे दौड़ती हैं।” + +# सत्य की पहचान + +इसका अर्थ ऐसा है, किसी मनुष्य को लम्बे समय तक परखने के बाद आप उसके बारे में जान जाते हैं। diff --git a/2ti/03/08.md b/2ti/03/08.md new file mode 100644 index 0000000..5d36871 --- /dev/null +++ b/2ti/03/08.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# यन्नेस और यम्ब्रेस + +ये दो नाम संपूर्ण बाइबल में केवल यहीं पाए जाते हैं। एक परम्परा के अनुसार ये दो मिस्री जादूगर हैं जिन्होने मूसा का सामना किया था निर्ग. 7-8 + +# विरोध किया था + +“सामना किया था” + +# वैसे ही + +“इसी प्रकार” + +# सत्य + +“मसीह का शुभ सन्देश” + +# जिनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है + +“वे अब सोच नहीं पाते कि उचित क्या है” + +# विश्वास के विषय में निकम्मे हैं + +कुछ लोगों ने सिद्ध कर दिया है कि झूठे शिक्षक मसीह के बारे में जो शिक्षा देते हैं वह सब झूठ है अतः “इन शिक्षकों का कोई स्थान नहीं है” या “वे अयोग्य हैं”। + +# आगे नहीं बढ़ सकते + +“प्रगति नहीं कर सकते” + +# मूर्खता + +“मूर्खता” + +# प्रगट हो गई है + +“आसानी से दिखाई देती है” या “आसानी से समझ में आ जाती है” diff --git a/2ti/03/10.md b/2ti/03/10.md new file mode 100644 index 0000000..c70939d --- /dev/null +++ b/2ti/03/10.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# परन्तु तूने.... मेरा साथ दिया है + +“परन्तु तूने सावधानीपूर्वक मनन किया है + +# उपदेश + +“निर्देशन” + +# चाल-चलन + +“जीवन आचरण” + +# मनसा + +“निर्णय” या “संकल्प” + +# धीरज + +“मनुष्यों के साथ सहनशीलता” + +# सहनशीलता + +“कष्टों एवं परेशानियों में भी मैं परमेश्वर की सेवा में अटल रहा”। (यू.डी.बी.) या “मैंने अगम परिस्थितियों में भी अपनी मानसिकता को उचित ही रखा है”। + +# छुड़ा लिया + +“बचा लिया” + +# चाहते हैं + +“इच्छा रखते हैं” + +# दुष्ट और बहकाने वाले + +“जो अपने बारे में मनुष्यों को मुझमें रखते हैं” या “जो मनुष्य अपनी वास्तविकता से भिन्न दिखावा करते हैं।” diff --git a/2ti/03/14.md b/2ti/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..9144b6d --- /dev/null +++ b/2ti/03/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जो तूने सीखीं है.... दृढ़ बना रह + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “जो बातें तूने सीखी हैं उन्हें करता रह” (यू.डी.बी.) या 2) “तूने जो सीखा है उसे भूलना नहीं” दोनों वाक्यों में “अटल” रहने का भाव है। + +# बुद्धिमान बन सकता है + +“वे तुझे आवश्यक बुद्धि प्रदान कर सकते हैं + +# मसीह पर विश्वास करने से उद्धार + +“कि परमेश्वर मसीह में तेरे विश्वास को उद्धार के निमित्त रखेगा” + +# उद्धार + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “परमेश्वर तुझे अनन्त जीवन देगा”। 2) परमेश्वर तुम्हें इस संसार की मूर्खता से बचा कर रखेगा”। diff --git a/2ti/03/16.md b/2ti/03/16.md new file mode 100644 index 0000000..8c9ff88 --- /dev/null +++ b/2ti/03/16.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# संपूर्ण धर्मशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है। + +“परमेश्वर ने अपनी आत्मा के द्वारा संपूर्ण धर्मशास्त्र को उच्चारित किया है और वह लाभदायक है” (यू.डी.बी.), “संपूर्ण धर्मशास्त्र परमेश्वर का श्वास उत्पन्न है”। परमेश्वर ने मनुष्यों को निर्देश दिया कि क्या लिखें”। उनकी आत्मा ने उन्हें वचन दिया। + +# लाभकारी + +“उपयोगी” “लाभ पहुंचानेवाला” + +# समझाने + +“भूल चूक दिखाने के लिए” + +# सुधारने + +“भूल चूक को ठीक करने के लिए” + +# धर्म की शिक्षा + +“अनुशासन” या “विकास के लिए” + +# सिद्ध + +“परिपूर्ण हो” diff --git a/2ti/04/01.md b/2ti/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..99938aa --- /dev/null +++ b/2ti/04/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके + +“परमेश्वर और मसीह यीशु देखते हैं” या “परमेश्वर और मसीह यीशु की उपस्थिति में” या “परमेश्वर और मसीह यीशु गवाह हैं और न्याय करते हैं”। + +# न्याय करेगा + +न्याय करेगा - “जो न्याय के लिए शीघ्र आनेवाला है” + +# (गंभीरता से ) + +“प्रबलता से” या “गंभीरता से” या “प्रत्येक शब्द का अर्थ उजागर करता है”। + +# समय और असमय + +“जिस समय असुविधा भी से” + +# समझा दे + +“उनकी चूक प्रकट कर” या “उन्हें बता कि उन्होंने यह गलती की है” + +# डांट + +“गंभीरता से चेतावनी दे” + +# सहनशीलता + +“सहिष्णुता” + +# सहनशीलता और शिक्षा + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) आवश्यक है कि तीमुथियुस विश्वासियों को ही उपदेश दे”। या 2) पद 2 और 3) में तीमुथियुस अन्तिम वाक्य में ऐसा ही करे। + +# एक प्रकार की सहनशीलता + +“अत्यधिक सहिष्णुता के साथ” या “बहुत ही सब्र के साथ” diff --git a/2ti/04/03.md b/2ti/04/03.md new file mode 100644 index 0000000..d0b4de8 --- /dev/null +++ b/2ti/04/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# ऐसा समय आएगा + +“क्योंकि भविष्य में एक समय” + +# लोग + +संदर्भ से प्रतीत होता है कि ये लोग कलीसिया के सदस्य हैं। (देखें यू.डी.बी.) + +# खरा उपदेश + +जिस शिक्षा को कलीसिया सत्य एवं उचित मानती है। + +# कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिए बहुत से उपदेश को बटोर लेंगे। + +इसका संभावित अर्थ हैं 1) “अपनी निजि अभिलाषाओं के कारण वे ऐसे उपदेशकों का स्वागत करेंगे जो उनकी मनोकामना के अनुरूप प्रचार करते हैं” या 2) “वे ऐसे ही प्रचारकों का अनुसरण करेंगे जो उनकी अभिलाषाओं को उचित ठहरा कर वैसा ही प्रचार करते हें”। या 3) “उनकी अभिलाषाओं के अनुसार ऐसे प्रचारकों के आसपास रहते हैं जो वही सुनाते हैं। जो उन्हें अच्छा लगता है”। + +# अपनी अभिलाषाओं के अनुसार + +“अपनी मनोकामनाओं के अनुसार” + +# कानों की खुजली के कारण.... कथा कहानियों पर लगाएंगे + +“वे कर्म लुभावन बातें सुनने के लिए वैसे ही शिक्षकों का स्वागत करेंगेा”। “कानों की खुजली” एक रूपक है जो किसी के आनन्द के लिए कही गई बातों का द्योतक है वे सुनकर प्रसन्न होते हें”। + +# सुसमाचार का प्रचार + +अर्थात यीशु कौन है, यीशु ने मानवजाति के लिए क्या किया और मनुष्य को उसके लिए कैसा जीवन जीना है, इसी का प्रचार कर diff --git a/2ti/04/06.md b/2ti/04/06.md new file mode 100644 index 0000000..73f454d --- /dev/null +++ b/2ti/04/06.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# क्योंकि + +क्योंकि - इसके कारण प्रकट होता है कि पौलुस ने पद 5 में तीमुथियुस को ऐसी आज्ञा क्यों दी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इस कारण” या “इसलिए” + +# मेरे कूच का समय आ पहुंचा है + +“मैं शीघ्र ही मर कर इस संसार से चला जाऊंगा” (यू.डी.बी.) पौलुस को यह बोध हो रहा है कि वह अब अधिक समय तक जीवित नहीं रहेगा। + +# मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूं + +यह खेलों में कुश्ती प्रतियोगिता का एक रूपक है (जैसे मुक्केबाजी) पौलुस ने अपना सर्वोत्तम प्रयास किया है। “मैंने तो अपनी यथाशक्ति अच्छे से अच्छा काम किया है” या “मैंने अपनी सर्वशक्ति से सेवा की है”। + +# मैंने अपनी दौड़ पूरी कर ली है + +मैंने अपनी दौड़ कर ली है यह रूपक दौड़ प्रतियोगिता की अन्तिम रेखा का है जिसके द्वारा पौलुस के कहने का अर्थ है कि उसने अपने जीवन की दौड़ पूरी कर ली है। “मेरे लिए जो भी आवश्यक था मैंने किया है”। + +# मैंने विश्वास की रखवाली की है + +संभावित अर्थ हैं 1) “मैंने अपने विश्वास की शिक्षाओं को किसी भ्रमित शिक्षा से सुरक्षित किया है” या 2) “मैं अपनी सेवा में निष्ठावान रहा हूं”। (यू.डी.बी.) + +# मेरे लिए धर्म का मुकुट रखा हुआ है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“मुझे धर्म-निष्ठा का मुकुट दिया जायेगा” + +# धर्म का मुकुट + +संभावित अर्थ हैं 1) धर्म-निष्ठ जीवन जीने वालों को दिया जानेवाला प्रतिफल मुकुट कहलाता है। (यू.डी.बी.) मुकुट धर्म परायता का एक रूपक है। जिस प्रकार कि न्यायी दौड़ जीतने वाले को मुकुट देता है उसी प्रकार जब पौलुस का जीवन समाप्त हो जायेगा तब परमेश्वर पौलुस को धर्म-सिद्ध कहेगा। + +# मुकुट + +दौड़ प्रतियोगिता के विजेता को एक विशिष्ट पेड़ के पत्तों का मुकुट पहनाया जाता था। + +# उस दिन + +“प्रभु के पुनः आगमन के दिन” या “जिस दिन प्रभु मनुष्यों का न्याय करेगा”। diff --git a/2ti/04/09.md b/2ti/04/09.md new file mode 100644 index 0000000..b977c5e --- /dev/null +++ b/2ti/04/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# शीघ्र + +शीघ्र - “यथासंभव अविलम्ब” + +# क्योंकि + +“कारण यह है कि” + +# संसार को प्रिय जानकर + +“क्यों देमास संसार से अधिक लगाव रखता है” + +# इस संसार को + +इस संसार को संभावित अर्थ हैं 1) “संसार की नाशमान वस्तुओं को” “इस संसार के सुख और सुविधा को” या 2) इस वर्तमान जीवन और मृत्यु से बचने के लिए” (देमास को भय था कि यदि वह पौलुस के साथ रहा तो लोग उसे मार डालेंगे)। + +# छोड़ दिया गया + +“देमास चला गया है”। + +# क्रेसकेंस... तीतुस + +ये दो व्यक्ति पौलुस के पास से चले गए थे परन्तु पौलुस यह नहीं कह रहा है कि वे संसार से लगाव के कारण चले गए हैं। diff --git a/2ti/04/11.md b/2ti/04/11.md new file mode 100644 index 0000000..74a5378 --- /dev/null +++ b/2ti/04/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वह मेरे बहुत काम का है + +वह मेरे बहुत काम का है - इसके संभावित अर्थ हैं 1) “वह मेरी सेवा में सहायक होगा” या 2) “वह मेरी सेवा करके एक सहायक सिद्ध होगा”। + +# उसे + +अर्थात उसे बाहरी वस्त्र को diff --git a/2ti/04/14.md b/2ti/04/14.md new file mode 100644 index 0000000..aff5368 --- /dev/null +++ b/2ti/04/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# मुझ से बहुत बहुत बुराइयां की हैं + +मुझ से बहुत बहुत बुराइयां की हैं “मेरे साथ बुरा किया है” या “मेरी हानि के काम किए है” + +# तू भी उस से सावधान रह + +तू भी उस से सावधान रह “तू भी उससे संभल कर रहना” या “तू स्वयं भी उस से सतर्क रहना” या “उस से अपने आपको बचा कर रखना” + +# उसे.... उससे.... उसने + +ये सब सर्वनाम सिकंदर ठठेरे के लिए प्रयुक्त हैं + +# बहुत ही विरोध किया है + +“उसने हमारे संदेश के विरोध में बहुत कुछ किया है” या “उसने हमारे वचनों का खण्डन किया है”। + +# मुझे किसी ने कुछ समय नहीं दिया + +“किसी ने मेरी सहायता नहीं की वरन् मुझे छोड़कर चले गए थे” + +# उनको लेखा न देना पड़े + +“मैं प्रार्थना करता हूं कि परमेश्वर उनके परित्याग का दण्ड उन्हें न दे”। diff --git a/2ti/04/17.md b/2ti/04/17.md new file mode 100644 index 0000000..f4b4400 --- /dev/null +++ b/2ti/04/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परन्तु प्रभु मेरा सहायक रहा + +“मेरी सहायता के लिए खड़ा रहा” + +# मेरे द्वारा पूरा-पूरा प्रचार हो + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) ऐसा हो चुका है (देखें यू.डी.बी.) या 2) पौलुस के लिए वह एक भावी कार्य है, “कि मैं उसका वचन संपूर्णता में सुना पाऊं। कि सब अन्य जातियां सुन लें”। + +# मैं सिंह के मुंह से छुड़ाया गया + +“यह एक रूपक है। इसका अनुवाद इस प्रकार करें, “मैं घोर संकटों में बचाया गया”। यह संकट शारीरिक या आत्मिक या दोनों हो सकते थे। diff --git a/2ti/04/19.md b/2ti/04/19.md new file mode 100644 index 0000000..1ec5f17 --- /dev/null +++ b/2ti/04/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# नमस्कार + +नमस्कार “मेरी ओर से प्रणाम” या “कहना कि मैं उनके बारे में सोचता रहता हूं”। + +# उनेसिकुरूस के घराने + +“उनेसिकुरूस के कुटुम्ब” + +# चले आने का प्रयत्न कर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आने को संभव बना” + +# यूबूलुस और पूदेंस और लीनुस और क्लौदिया + +ये सब भाई तुझे नमस्कार कहते हैं। + +# सब भाइयों + +सब भाइयों और बहनों + +# प्रभु तेरी आत्मा के साथ रहे + +“मैं प्रभु से तेरी आत्मा के सामर्थ्य के लिए प्रार्थना करता हूं” + +# तुम पर अनुग्रह होता रहे + +तुम पर अनुग्रह होता रहे - “मैं प्रभु से प्रार्थना करता हूं कि तुम सब पर उसकी कृपादृष्टि हो”। या “मैं परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि तुम पर अनुग्रह प्रकट करे”। diff --git a/3jn/01/01.md b/3jn/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..ddac4d2 --- /dev/null +++ b/3jn/01/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# प्राचीन + +इसका सन्दर्भ यूहन्ना से है, यीशु का प्रेरित और चेला. वह अपना जिक्र एक "प्राचीन" के रूप में करता है या तो अपनी बड़ी उम्र के कारण या इसलिए क्योंकि वह कलीसिया का एक अगुवा है. लेखक का नाम स्पष्ट किया जा सकता है : "मैं, प्राचीन यूहन्ना, लिख रहा हूँ." + +# गयुस + +यह एक साथी विश्वासी है जिसे यूहन्ना यह पत्री लिख रहा है. + +# जिसे मैं सत्य में प्रेम करता हूँ + +वैकल्पिक अनुवाद :" जिससे मैं सच्चा प्रेम रखता हूँ " (युडीबी) + +# तू सब बातों में उन्नति करे और भला चंगा रहे + +"तू सभी क्षेत्रों में उन्नति करे और सेहतमंद रहे" + +# बिल्कुल जैसे तेरी आत्मा उन्नत है + +"जिस प्रकार तू आत्मिक उन्नति कर रहा है" + +# भाइयों + +"साथी विश्वासियो" + +# तेरे सत्य की गवाही दी, जैसे तू सच पर चलता है + +"मुझे बताया कि तू परमेश्वर के सत्य के अनुसार जी रहा है" या" + +# मेरे बच्चे + +यूहन्ना उन लोगों की तुलना जिन्हें उसने यीशु पर विश्वास करना सिखाया बच्चों से करता है. यह उनके लिए उसके लिए प्रेम और चिंता पर ज़ोर डालता है. वैकल्पिक अनुवाद: "मेरे आत्मिक बच्चे." diff --git a/3jn/01/05.md b/3jn/01/05.md new file mode 100644 index 0000000..c0c4dc7 --- /dev/null +++ b/3jn/01/05.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# तुम सच्चाई पर (वफादारी से) चलते हो + +"तुम वह कर रहे हो जो परमेश्वर को विश्वसनीय है " या "तुम परमेश्वर के प्रति वफादार हो" + +# भाइयों और परदेशियों के लिए कार्य कर + +"साथी विश्वासियों की सहायता कर और उनकी जिन्हें तू नहीं जानता" + +# जिन्होंने तेरे प्रेम की कलीसिया के सामने गवाही दी है + +इसका एक नए वाक्य के रूप में अनुवाद किया जा सकता है: "उन्होंने कलीसिया के विश्वासियों को यह बताया है कि तुमने उन्हें किस प्रकार प्रेम किया है " + +# यदि तू उन्हें उस प्रकार विदा करेगा जैसा परमेश्वर के लोगों के लिए उचित है तो अच्छा करेगा. + +"कृप्या करके, उन्हें उनकी यात्रा पर इस प्रकार विदा करो जिससे परमेश्वर की महिमा हो" + +# क्योंकि वे उस नाम के लिए निकले हैं + +यहाँ "नाम'" का सन्दर्भ यीशु से है. वैकल्पिक अनुवाद : "क्योंकि वे लोगों को यीशु के विषय में बताने बाहर गए हैं." + +# अन्यजातियों से कुछ नहीं लेते + +यहाँ "अन्यजातियों" का अर्थ वे लोग नहीं जो यहूदी नहीं हैं. इसका मतलब वे लोग हैं जो यीशु में विश्वास नहीं करते. वैकल्पिक अनुवाद: "और वे उन लोगों से कुछ नहीं लेते जिन्हें वे यीशु के विषय में बता रहे हैं" + +# इसलिए हम + +यहाँ "हम" से तात्पर्य यूहन्ना और सभी विश्वासियों से है . + +# हम सत्य के लिए सहकर्मी हो सकते हैं + +"हम लोगों को परमेश्वर के सत्य के विषय में बताने के उनके कार्यों में उनकी सहायता कर सकते हैं " diff --git a/3jn/01/09.md b/3jn/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..efe85f0 --- /dev/null +++ b/3jn/01/09.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# कलीसिया + +इसका तात्पर्य गयुस और विश्वासियों के समूह जो परमेश्वर की आराधना करने के लिए मिले से है. + +# दियुत्रिफेस + +वह कलीसिया का एक सदस्य था. + +# जो उनमें बड़ा बनना चाहता है + +"जो उनके अगुवों के जैसे कार्य करने का इच्छुक है" + +# हमें ग्रहण नहीं करता + +शब्द "हम" का तात्पर्य यूहन्ना और उन सब से जो उसके साथ थे है. इनमें गयुस शामिल नहीं है. + +# वह किस प्रकार हमारे विषय में बुरी-बुरी बातें बकता है + +"और वह किस प्रकार हमेशा हमारे विषय में बुरी बातें कहता है जो यकीनन सही नहीं हैं " + +# वह स्वंय + +शब्द "स्वंय" इस बात पर ज़ोर डालता है कि यह दियुत्रिफुस ही है जो यह सब करता है. + +# भाइयों को ग्रहण नहीं करता + +"साथी विश्वासियों को ग्रहण नहीं करता" + +# और उन्हें जो ग्रहण करना चाहते हैं मना करता है + +इस वाक्य में कुछ ऐसे शब्द हैं जिन्हें छोड़ दिया गया है , पर वे समझे गए हैं. वैकल्पिक अनुवाद: "और वह उन लोगों को रोकता है जो विश्वासियों को ग्रहण करना चाहते हैं." + +# और उन्हें भगा देता है + +"और उन्हें निकाल देता है." शब्द "वे" का तात्पर्य उन लोगों से है जो साथी विश्वासियों को ग्रहण करते हैं . diff --git a/3jn/01/11.md b/3jn/01/11.md new file mode 100644 index 0000000..70f8a1e --- /dev/null +++ b/3jn/01/11.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# बुराई के अनुयायी न हो + +"लोग जो बुरी बातें करते हैं उनकी नकल मत करो" + +# पर भलाई + +कुछ शब्द छूट गए हैं पर वे समझे गए हैं . वैकल्पिक अनुवाद: "पर लोग जो भलाई करते हैं उनका अनुकरण करो." + +# परमेश्वर का है + +"परमेश्वर से सम्बन्ध रखता है." + +# परमेश्वर को नहीं देखा है + +वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर से सम्बन्ध नहीं रखता है" या "परमेश्वर में विश्वास नहीं रखता है" + +# दिमेत्रियुस के विषय में सबने गवाही दी है + +वैकल्पिक अनुवाद : "प्रत्येक विश्वासी जो दिमेत्रियुस को जानता है उसके विषय में अच्छा बोलता है." + +# दिमेत्रियुस + +यह वह व्यक्ति है जिसे यूहन्ना चाहता था कि गयुस और कलीसिया ग्रहण करें जब वह मिलने आए. + +# और सत्य ने भी आप ही + +"और सत्य आप ही उसके विषय में भला बोलता है." यहाँ "सत्य" की एक व्यक्ति के रूप में व्याख्या की गई है जो बोलता है. वैकल्पिक अनुवाद: "और वे उसके विषय में जो कहते हैं वह सत्य है." + +# हम भी गवाही देते हैं + +यहाँ "हम" का तात्पर्य यूहन्ना और वे जो उसके साथ हैं. इनमें गयुस सम्मिलित नहीं है. वैकल्पिक अनुवाद: "हम दिमुत्रियुस के विषय में भी भला बोलते हैं." + +# तुम जानते हो + +शब्द "तुम" एकवचन है और गयुस के विषय में है. diff --git a/3jn/01/13.md b/3jn/01/13.md new file mode 100644 index 0000000..718359d --- /dev/null +++ b/3jn/01/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# स्याही और कलम से + +"पत्र में" (युडीबी) + +# आमने-सामने + +"एक-साथ" या "मिल कर" + +# तुझे शांति मिले + +"परमेश्वर तुम्हें शांति दे" + +# "मित्रों से नाम ले ले कर मेरी ओर से नमस्कार कहना" + +वैकल्पिक अनुवाद: "प्रत्येक विश्वासी को व्यक्तिगत रूप से मेरी ओर से नमस्कार कहना" + +# मित्र + +"तुम्हारे मित्र." वैकल्पिक अनुवाद : "यहाँ के विश्वासी." diff --git a/LICENSE.md b/LICENSE.md new file mode 100644 index 0000000..b3b78a3 --- /dev/null +++ b/LICENSE.md @@ -0,0 +1,26 @@ +# License +## Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International (CC BY-SA 4.0) + +This is a human-readable summary of (and not a substitute for) the [license](http://creativecommons.org/licenses/by-sa/4.0/). + +### You are free to: + + * **Share** — copy and redistribute the material in any medium or format + * **Adapt** — remix, transform, and build upon the material + +for any purpose, even commercially. + +The licensor cannot revoke these freedoms as long as you follow the license terms. + +### Under the following conditions: + + * **Attribution** — You must attribute the work as follows: "Original work available at https://door43.org/." Attribution statements in derivative works should not in any way suggest that we endorse you or your use of this work. + * **ShareAlike** — If you remix, transform, or build upon the material, you must distribute your contributions under the same license as the original. + +**No additional restrictions** — You may not apply legal terms or technological measures that legally restrict others from doing anything the license permits. + +### Notices: + +You do not have to comply with the license for elements of the material in the public domain or where your use is permitted by an applicable exception or limitation. + +No warranties are given. The license may not give you all of the permissions necessary for your intended use. For example, other rights such as publicity, privacy, or moral rights may limit how you use the material. diff --git a/README.md b/README.md new file mode 100644 index 0000000..fddc998 --- /dev/null +++ b/README.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# Hindi Translation Notes + +As of 29-Jan-2021, NT notes are from 2017 translation of English version 2 notes. \ No newline at end of file diff --git a/act/01/01.md b/act/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..ade057f --- /dev/null +++ b/act/01/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हे थियुफिलुस, मैंने अपनी पहली पुस्तिका + +पहली पुस्तिका का आशय लूका रचित सुसमाचार से है। + +# हे थियुफिलुस + +यह पुस्तिका लूका ने थियुफिलुस नामक व्यक्ति को लिखी थी। उसे संबोधित करने के लिए उसने “हे” शब्द का प्रयोग किया है। कुछ अनुवादों में संस्कृति उपयुक्त संबोधनों का प्रयोग करते हुए वाक्य के आरम्भ में “प्रिय थियुफिलुस” जैसे संबोधन का प्रयोग किया गया है। थियुफिलुस का शाब्दिक अर्थ “परमेश्वर का मित्र” होता है। + +# उस दिन तक जब वह ....ऊपर न उठाया गया + +इसका आशय यीशु मसीह के स्वर्गारोहण से है। + +# पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर + +विशिष्ट कार्यों में शिष्यों की अगुवाई के निमित्त पवित्र आत्मा यीशु की अगुआई करता था। + +# उसने दुःख उठाने के बाद + +यह क्रूस पर उठाये गए यीशु के कष्टों व उसकी मृत्यु के विषय में है। + +# अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया + +12 मूल शिष्यों के अतिरिक्त यीशु बहुत से अन्य लोगों पर भी प्रकट हुआ था। diff --git a/act/01/04.md b/act/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..b2de57c --- /dev/null +++ b/act/01/04.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# और उनसे मिलकर.. + +अर्थात यीशु जब उनसे मिला। + +# उनसे मिलकर... + +“उनसे” का आशय यहाँ पर 11 शिष्यों से है। + +# उसने उन्हें यरूशलेम न छोड़ने की आज्ञा दी। + +“और उनसे मिलकर उन्हें आज्ञा दी, यरुशलेम को न छोडो।” इसे हम सीधे उद्धरण के समान भी अनुदित कर सकते हैं, जैसा कि यूडीबी में किया गया है। + +# पिता की उस प्रतिज्ञा + +इसका आशय पवित्र आत्मा से है। + +# पानी से बपतिस्मा दिया.....पवित्रात्मा से बपतिस्मा + +यीशु यहाँ यूहन्ना द्वारा दिए जानेवाले पानी के बपतिस्मे की तुलना परमेश्वर द्वारा दिए जाने वाले बपतिस्मे से करते हैं जो कि पवित्र आत्मा के साथ दिया जाएगा। + +# यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया + +जिन भाषाओं में “बपतिस्मा” को किसी वस्तु के साथ दिया जाना होता है, वहाँ हम ऐसे भी लिख सकते हैं कि, “यूहन्ना ने लोगों को पानी के साथ बपतिस्मा दिया” अथवा, “यूहन्ना ने उन्हें पानी से बपतिस्मा दिया।” + +# बपतिस्मा पाओगे + +अनुवाद करते समय इसे सक्रिय क्रिया के साथ भी अनूदित किया जा सकता है: “परमेश्वर तुम्हे बप्तिस्मा देगा।” diff --git a/act/01/06.md b/act/01/06.md new file mode 100644 index 0000000..2824790 --- /dev/null +++ b/act/01/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्या तू इसी समय इस्राएल राज्य को फेर देगा + +क्या तू इसी समय इस्राएल राज्य को फेर देगा -“क्या तू इस्राएल को फिर से एक सामर्थी राज्य बना देगा?” + +# समय या कालों + +“समय या दिनों” + +# तब तुम सामर्थ्य पाओगे + +“तुम आत्मिक रूप से दृढ़ किये जाओंगे।” + +# मेरे गवाह होगे + +यह सामर्थ पाने का परिणाम है। इसका अनुवाद करते समय “मेरे गवाह होने के लिए” भी लिख सकते हैं और बता सकते हैं कि सामर्थ पाने का उद्देश्य यही था। + +# पृथ्वी के छोर तक + +“पूरे संसार में” अथवा “पृथ्वी के सुदूर प्रदेशों में भी”। diff --git a/act/01/09.md b/act/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..8ebb407 --- /dev/null +++ b/act/01/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उनके देखते-देखते + +“उसके शिष्य आकाश की ओर देख रहे थे कि” + +# बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया + +“वह बादलों में चला गया, और एक बादल ने उसे छिपा लिया और उसे आँखों से ओझल कर दिया।” + +# वे आकाश की ओर ताक रहे थे + +“आकाश की ओर टकटकी लगाये थे” अथवा “वे आकाश की ओर एकटक देख रहे थे” + +# हे गलीली पुरुषों + +विशेषकर “तुम शिष्यों।” हालाँकि स्वर्गदूतों ने बातचीत शिष्यों से की थी, लेकिन अन्य पदों से इस बात के संकेत मिलते हैं कि इस घटना के समय दूसरे स्त्री व पुरुष भी मौजूद थे। + +# तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? + +यूडीबी के समान इस आलंकारिक प्रश्न को एक कथन के रूप में अभी अनूदित किया जा सकता है। diff --git a/act/01/12.md b/act/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..f799e63 --- /dev/null +++ b/act/01/12.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तब वे...... लौटे गए + +अर्थात “तब शिष्य.....लौटे गए” + +# एक सब्त के दिन की दूरी पर है + +सब्त के दिन लोगों को काम करने से रोकने हेतु फरीसियों द्वारा बनाया गया नियम। + +# जब वहाँ पहुंचे + +“जब वे यरूशलेम में स्थित अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचे” + +# ऊपरी कोठरी + +घर में ऊपर की सतह पर बनाया गया कमरा। + +# शमौन जेलोतेस + +‘शमौन देशभक्त।” उस समय बहुत से जेलोतेस थे, लेकिन शमौन ही केवल अकेला ऐसा शिष्य था जो कि जेलोतेस था। जेलोतेस इस्राएल पर रोमियों का शासन समाप्त करना चाहते थे। + +# उनमें एकता थी। + +उनका दल एक था और उनमे किसी प्रकार का कोई मतभेद या मनमुटाव नहीं था। + +# एक चित्त होकर प्रार्थना करने लगे + +“स्वयं को प्रार्थना के लिए समर्पित कर दिया” diff --git a/act/01/15.md b/act/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..439f624 --- /dev/null +++ b/act/01/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उन्हीं दिनों + +“यीशु मसीह के स्वर्ग में जाने के कुछ ही दिनों बाद” + +# भाइयों के बीच में + +“भाइयों” शब्द का प्रयोग अधिकतर संगी विश्वासियों के लिए होता है और इसमें स्त्री व पुरुष दोनों शामिल हैं। + +# अवश्य था कि पवित्र शास्त्र का वह लेख पूरा हो + +पतरस यहाँ विशेष रूप से यहूदा से जुड़ी भविष्यद्वाणियों के विषय में कह रहा है। + +# दाऊद के मुख से + +“दाऊद के शब्दों से।” “मुख” शब्द यहाँ “शब्दों” के लिए प्रयुक्त हुआ है हालाँकि दाऊद ने उन्हें लिखा था। diff --git a/act/01/17.md b/act/01/17.md new file mode 100644 index 0000000..3aac245 --- /dev/null +++ b/act/01/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +में शुरू की गयी अपनी बात को पतरस आगे बढाता है + +# उसकी अधर्म की + +अर्थात “यीशु के शत्रुओं द्वारा उसे पकड़वाने का अधर्म से भरा कार्य।” इससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि कौन से “अधर्म” की बात हो रही है। + +# और सिर के बल गिरा, और उसका पेट फट गया, और उसकी सब अंतड़ियां निकल पड़ी। + +और इसी खेत पर यहूदा घातक रूप से सिर के बल गिरा और उसका शरीर फट कर खुल गया। वचन के दूसरे हिस्सों में उसके द्वारा फांसी लगा कर आत्महत्या करने के उल्लेख हैं। + +# इस बात को यरूशलेम के सब रहनेवाले जान गए यह लहू का खेत। + +इस मृत्यु के कारण लोग उस खेत को नए नाम से संबोधित करने लगे। diff --git a/act/01/20.md b/act/01/20.md new file mode 100644 index 0000000..022aaba --- /dev/null +++ b/act/01/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +में शुरू की गयी अपनी बात को पतरस आगे बढाता है + +# क्योंकि भजन संहिता में लिखा है + +यहूदा की इस घटना का विस्तृत ब्यौरा देते समय पतरस को भजन संहिता के कुछ पद याद आ रहे हैं जो कि उसके अनुसार वर्तमान स्थिति से सम्बंधित है। + +# भजन संहिता + +अनुवाद करते समय हम “भजन पुस्तिका” अथवा “गीत-संहिता” भी लिख सकते हैं। यह पुस्तक वचन का एक हिस्सा है। + +# उसका घर उजड़ जाए + +घर उजड़ने का आशय यहाँ घर के मालिक की मृत्यु से है। + +# और उसमें कोई न बसे + +अर्थात, यह भूमि अशुद्ध है; रहने के योग्य नहीं है। + +# और उसका पद कोई दूसरा ले ले + +“उसका पद किसी दूसरे को मिल जाए” diff --git a/act/01/21.md b/act/01/21.md new file mode 100644 index 0000000..0cbbb6f --- /dev/null +++ b/act/01/21.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +में शुरू की गयी अपनी बात को पतरस आगे बढाता है + +# इसलिए... + +पतरस यहाँ बतानेवाला है कि भजन संहिता के उन पदों का सन्दर्भ उसने क्यों दिया था और उसके विषय में अब उन्हें क्या करना चाहिए। + +# जो लोग बराबर हमारे साथ रहे, उचित है कि उनमें से एक व्यक्ति हमारे साथ उसके जी उठने का गवाह हो जाए + +पतरस यहाँ यहूदा के स्थान पर प्रेरित नियुक्त होनेवाले व्यक्ति की अपेक्षित योग्यताओं के विषय में कह रहा है। + +# तब उन्होंने दो को खड़ा किया + +यहूदा के स्थान पर नियुक्ति करते समय उन्हें दो योग्य व्यक्ति मिलते हैं। + +# एक युसूफ को, जो बर-सबा कहलाता है, जिसका उपनाम यूस्तुस है + +युसूफ को बर-सबा व यूस्तुस के नाम से भी जाना जाता था। diff --git a/act/01/24.md b/act/01/24.md new file mode 100644 index 0000000..900a39e --- /dev/null +++ b/act/01/24.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# और यह कह कर प्रार्थना की + +“तब विश्वासियों ने प्रार्थना की” + +# हे प्रभु, तू जो सबके मन को जानता है + +अर्थात, “हे प्रभु, तू जो सबके भीतर की प्रेरणाओं और विचारों को जानता है” + +# यह प्रगट कर कि इन दोनों में से तूने किस को चुना है कि वह इस सेवकाई और प्रेरिताई का पद ले + +यह प्रगट कर कि इन दोनों में तूने किसको चुना है कि वह इस सेवकाई और प्रेरिताई का पद ले - “इसलिए, हे परमेश्वर, हमें दिखा कि प्रेरितों के बीच खाली हुए इस स्थान के लिए तूने किसे चुना है।” + +# जिसे यहूदा छोड़ कर अपने स्थान को गया + +यीशु को धोखा देकर, भाग जाने और मर जाने के बाद खाली हुए यहूदा के स्थान को भरने के लिए + +# उनके बारे में चिट्ठियाँ डाली + +ऐसा उन्होंने युसूफ और मत्तियाह के बीच चुनाव करने के लिए किया। + +# चिट्ठी मत्तियाह के नाम पर निकली + +चिट्ठी ने संकेत दिया कि मत्तियाह को चुना जाना चाहिए। + +# अतः वह उन ग्यारह प्रेरितों के साथ गिना गया। + +“प्रेरितों ने उसे भी एक प्रेरित गिना” diff --git a/act/02/01.md b/act/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..bb96183 --- /dev/null +++ b/act/02/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# वे सब एक जगह इकट्ठे थे + +“वे” से यहाँ पर आशय संभवतः120 विश्वासियों के दल से था जो लूका 1: 15-26 में इकठ्ठे थे। इसमें बारह प्रेरित भी शामिल थे। + +# एकाएक आकाश से एक बड़ी आंधी के सनसनाहट का शब्द हुआ + +“आकाश से आता एक शोर सुनाई दिया” + +# आंधी की सनसनाहट + +“तेज़ वेग से चल रही हवा का स्वर” अथवा “तेज़ी से बह रही हवा का स्वर” + +# सारा घर + +यह घर या बड़ी ईमारत हो सकता है. + +# आग की सी जीभें + +संभावित आशय हैं 1) आग से बनी जीभें, अथवा 2) जीभ की शक्ल में आग की छोटी लपटें। लैंप जैसी छोटी जगह में जलते समय आग की लपटें जीभ की शक्ल में लापटती दिखाई दे सकती हैं। + +# अन्य-अन्य भाषाओँ में बोलने लगे + +वे भाषाओँ जिनका पहले से उन्हें कोई ज्ञान न था। diff --git a/act/02/04.md b/act/02/04.md new file mode 100644 index 0000000..98383ef --- /dev/null +++ b/act/02/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# भक्त + +परमेश्वर को आदर देनेवाले और उसकी आराधना करनेवाले लोग + +# आकाश के नीचे की हर एक जाति में से + +“संसार की हर एक जाति” + +# जब वह शब्द सुनाई दिया + +इसका आशय आंधी के स्वर है। इसका अनुवाद एक सक्रिय क्रियापद के रूप में किया जा सकता है: “जब उन्होंने आंधी का शब्द सुना।” + +# भीड़ + +अर्थात “बहुत से लोगों का विशाल समूह” + +# गलीली + +अनुवाद करते समय इसे “गलीलवासी” भी लिख सकते हैं। diff --git a/act/02/08.md b/act/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..bafc1dd --- /dev/null +++ b/act/02/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तो फिर क्यों हम में से हर एक अपनी-अपनी जन्मभूमि की भाषा सुनता है + +अनुवाद करते समय इसे 1) लोगों द्वारा असल में पूछे गए प्रश्न की भांति व्यक्त कर सकते हैं, या फिर 2) इसे लोगों के आश्चर्य को प्रकट करनेवाले एक आलंकारिक प्रश्न की भांति अनूदित कर सकते हैं। + +# पारथी और मेदी और एलामी + +अर्थात “पार्थिया, मेदिया और एलाम के लोग।” + +# यहूदी मत धारण करनेवाले + +“ऐसे गैर यहूदी लोग जो अब यहूदी हो गए हैं” अथवा “वे लोग जिन्होंने अपना धर्मत्याग के द्वारा यहूदी हो गए हैं” अथवा “यहूदी आस्था को अपना चुके लोग।” diff --git a/act/02/12.md b/act/02/12.md new file mode 100644 index 0000000..fa3bad3 --- /dev/null +++ b/act/02/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# सब चकित हुए, और घबरा कर + +सब चकित हुए, और घबरा कर - लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि वहाँ आखिर हो क्या रहा था (यूडीबी)। अनुवाद करते समय इसे “विस्मित और विमूढ़ हो गए” भी लिख सकते हैं। + +# यह क्या हो रहा है? + +कुछ लोगों ने इस घटना को गंभीरता से लिया। + +# परन्तु दूसरों ने ठट्ठा करके कहा + +“लेकिन दूसरों ने तिरस्कार करते हुए कहा” अथवा “उनका अपमान करते हुए” + +# वे तो नयी मदिरा के नशे में हैं + +अनुवाद करते समय इसे “नशे में धुत” लिख सकते हैं। कुछ लोगों ने इस आश्चर्यकर्म पर विश्वास न कर, प्रेरितों का मज़ाक उड़ाने का चुनाव किया। + +# नयी मदिरा + +सामान्य मदिरा से अधिक नशीली मदिरा diff --git a/act/02/14.md b/act/02/14.md new file mode 100644 index 0000000..117724a --- /dev/null +++ b/act/02/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ग्यारह के साथ खड़ा हुआ + +पतरस की कही बात का समर्थन सभी प्रेरितों ने किया। + +# पहर ही दिन चढ़ा है + +“अभी तो सुबह के नौ ही बजे हैं” (यूडीबी)। पतरस अपने सुननेवालों से यह जानने की आशा रखता था कि सुबह-सुबह कोई नशे में धुत नहीं होता। यह जानकारी अन्तर्निहित थी, जिसे ज़रुरत पड़ने पर स्पष्ट रूप से व्यक्त किया जा सकता था। + +# पहर ही दिन + +“सुबह के नौ बजे” (यूडीबी)। diff --git a/act/02/16.md b/act/02/16.md new file mode 100644 index 0000000..6da1be6 --- /dev/null +++ b/act/02/16.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +में शुरू की गयी अपनी बात को पतरस आगे बढाता है + +# परन्तु यह वह बात है, जो योएल भविष्यद्वक्ता के द्वारा कही गयी + +“यही वह बात है जो परमेश्वर ने कही और योएल नबी से लिखने को कहा” अथवा “परमेश्वर द्वारा कही गयी इन्हीं बातों को योएल नबी ने लिखा था।” + +# कही गयी + +इसे सक्रिय क्रियापद के रूप में भी लिखा जा सकता है: “जो परमेश्वर ने कही थी” या फिर “जिस विषय में परमेश्वर ने कहा था।” + +# अंत के दिनों में + +अनुवाद के समय इसे हम “अंतिम दिनों में” भी लिख सकते हैं। जो बातें अब वह बतानेवाला है, वे अंतिम दिनों में घटेंगी। यह परमेश्वर की कही बात का पहला हिस्सा है। यूडीबी के समान, “परमेश्वर कहता है” शब्द को वाक्य में आरम्भ में लगाया गया है। + +# अपना आत्मा...उंडेलूँगा + +यह व्यक्त करने के लिए कि परमेश्वर किस प्रकार सभी लोगों को अपना आत्मा देगा, यहाँ आलंकारिक भाषा का प्रयोग किया गया है + +# सब मनुष्यों पर + +“सब लोगों पर।” diff --git a/act/02/18.md b/act/02/18.md new file mode 100644 index 0000000..99f9095 --- /dev/null +++ b/act/02/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन में भविष्यद्वक्ता योएल की बात को पतरस आगे बढाता है + +# मैं अपना आत्मा ...उंडेलूँगा + +परमेश्वर अपना आत्मा पूरी भरपूरी के साथ देता है। + +# भविष्यद्वाणी + +परमेश्वर उन्हें परमेश्वर से जुड़े सत्य बोलने की प्रेरणा देता है + +# धूएँ + +"धूएं" का आशय यहाँ"धुंध अथवा "कोहरे" से है + +# उंडेलूँगा + +यह किसी घड़े यह बाल्टी के पानी को तेज़ी से खाली करने के समान है। इसका अनुवाद भी पिछली बार की तरह करें। diff --git a/act/02/20.md b/act/02/20.md new file mode 100644 index 0000000..b708f23 --- /dev/null +++ b/act/02/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन में भविष्यद्वक्ता योएल की बात को पतरस आगे बढाता है + +# सूर्य अँधेरा और चाँद लहू सा हो जाएगा + +इस पद का सटीक आशय स्पष्ट नहीं है, इसलिए अपनी भाषा में इसका सशब्द अनुवाद ही करें। + +# नाम लेगा + +अर्थात प्रार्थना या फिर विनती करेगा diff --git a/act/02/22.md b/act/02/22.md new file mode 100644 index 0000000..394d06c --- /dev/null +++ b/act/02/22.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# परमेश्वर की ठहराई हुई योजना और पूर्व ज्ञान + +परमेश्वर की ठहराई हुई योजना और पूर्व ज्ञान -मसीह की मृत्यु परमेश्वर की पूर्व योजना व पूर्वज्ञान के अनुसार थी। + +# तुम ने + +यह तुम्हारे का बहुवचन रूप है। यदि आपकी भाषा में इसके लिए कोई विशिष्ट शब्द हो तो कृपया उसी का प्रयोग करें। + +# पकड़वाया गया + +“लोगों ने उसे पकड़वाया,” “तुमने उसे पकड़वा दिया” + +# छुड़ाकर + +रस्सी के बंधन को खोलने के समान बंधनमुक्त किया + +# मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया + +मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया -“मृत्यु की पीढा के बंधन से मुक्त किया।” + +# वश + +मृत्यु अंततः यीशु को बाँध कर न रख सकी diff --git a/act/02/24.md b/act/02/24.md new file mode 100644 index 0000000..1388aae --- /dev/null +++ b/act/02/24.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# मैंने देखा + +घटनाओं के होने से पूर्व दाऊद ने परमेश्वर को अपने जीवन में कार्य करते देखा + +# अपने सामने + +अपने सम्मुख, अपने साथ + +# मेरी दाहिनी ओर + +दाहिने पक्ष को मज़बूत माना जाता था। दाहिनी ओर का व्यक्ति या तो सबसे मज़बूत सेवक, या फिर सबसे मज़बूत सहायक समझा जाता था। + +# मेरा मन आनन्दित हुआ, और मेरी जीभ मगन हुई + +भीतरी आनंद को बाह्य रूप से अभिव्यक्त किया गया है + +# मेरा शरीर भी आशा में बना रहेगा + +“मैं जीवन भर परमेश्वर से आशा बांधे रहूँगा” diff --git a/act/02/27.md b/act/02/27.md new file mode 100644 index 0000000..7e4f9f7 --- /dev/null +++ b/act/02/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को, पतरस भजन संहिता में निहित दाऊद के उद्धरणों के साथ आगे बढाता है + +# अपने पवित्र जन + +“अपने अभिषिक्त अथवा चुने हुओं को” + +# सड़ने + +उसका शरीर मृत न बना रहेगा कि वह सड़ने लगे। अनुवाद करते समय “सड़ने का अनुभव” भी लिख सकते हैं। + +# जीवन के मार्ग + +“जीवनदायी सत्य” diff --git a/act/02/29.md b/act/02/29.md new file mode 100644 index 0000000..eeace26 --- /dev/null +++ b/act/02/29.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +में प्रारम्भ किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# कुलपति + +पिता, पूर्वज पिता + +# शपथ + +उद्घोषणा का गंभीर कथन + +# शपथ खाई है + +बात की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए एक गंभीर कथन कहना + +# भाइयों + +अर्थात भाइयों और बहनों + +# वह जानता था + +प्रेरितों 1:27-28 में दाऊद ने पहले ही मसीह को देख लिया था और उसके विषय में कहा था diff --git a/act/02/32.md b/act/02/32.md new file mode 100644 index 0000000..e53327c --- /dev/null +++ b/act/02/32.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +में प्रारम्भ किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# परमेश्वर के दाहिने हाथ से + +“विश्वसनीयता, आदर, अनुमोदन, विश्वास, भरोसे, सामर्थ और परमेश्वर के विशेषाधिकारों का स्थान।” diff --git a/act/02/34.md b/act/02/34.md new file mode 100644 index 0000000..fb71d2e --- /dev/null +++ b/act/02/34.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा + +“प्रभु (परमेश्वर) ने मेरे प्रभु (मसीह) से कहा” + +# मेरे दाहिने बैठ + +मेरे पास “आदर, विश्वास, विशेषाधिकारों और सामर्थ का स्थान ग्रहण कर”, + +# जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों तले की चौकी न कर दूं + +“जब ताकि मैं तेरे बैरियों को ठिकाने न लगा दूं, या फिर, हरा न दूं” diff --git a/act/02/37.md b/act/02/37.md new file mode 100644 index 0000000..9c908b6 --- /dev/null +++ b/act/02/37.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सुननेवालों के हृदय छिद गए + +यह बताने के लिए कि सुननेवालों के लिए इस बात को सुनना कितना कष्टदायी था, लूका आलंकारिक भाषा का प्रयोग करता है। + +# यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी संतानों...के लिए भी है + +“यह प्रतिज्ञा तुम्हारे, और संतानों के लिए है” diff --git a/act/02/40.md b/act/02/40.md new file mode 100644 index 0000000..efd8937 --- /dev/null +++ b/act/02/40.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अपने आप को .......बचाओ + +अपने आप को .......से अलग करो + +# टेढ़ी जाति से बचाओ + +नैतिक और आत्मिक रूप से भ्रष्ट जाति से बचाओ + +# ग्रहण किया + +विश्वास किया, स्वीकार किया + +# उन्होंने बपतिस्मा लिया + +यीशु के शिष्यों ने उन्हें बपतिस्मा दिया diff --git a/act/02/43.md b/act/02/43.md new file mode 100644 index 0000000..0f8076f --- /dev/null +++ b/act/02/43.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उनकी सब वस्तुएं साझे की थी + +“उन्होंने अपनी सब वस्तुएं सबके साथ, आपस में बाँट ली” + +# बाँट दिया करते थे + +वस्तुएं दे देते थे, या कि उसे बेचने से मिले धन को बाँट लेते थे, या फिर उस धन को दे देते थे + +# भय + +भय -श्रृद्धापूर्ण भय + +# इकट्ठे रहते थे + +विश्वास में एक होकर इकट्ठे रहते थे + +# जिसकी आवश्यकता होती थी + +जब कोई विश्वासी अपनी आवश्यकता प्रकट करता था, या कि उसकी आवश्यकता दिखाई देती थी तो अन्य विश्वासी उस आवश्यकता को पूरा करते थे diff --git a/act/02/46.md b/act/02/46.md new file mode 100644 index 0000000..4df3d20 --- /dev/null +++ b/act/02/46.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# एक मन होकर + +“एक मनसा” + +# वे लगातार यही करते थे + +अर्थात “विश्वासी प्रतिदिन....एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे” + +# रोटी तोड़ते + +भोजन आपस में बाँटते थे, परभू भोज साँझा करते थे (यूडीबी)। + +# मन की सीधे से + +बिना किसी घमंड के, सरल भाव के साथ, बिना किसी औपचारिकता के, बिना किसी पद या विशेषाधिकार के भाव के + +# सब लोग उनसे प्रसन्न थे + +सब लोग उनका सम्मान करते थे diff --git a/act/03/01.md b/act/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..51bf320 --- /dev/null +++ b/act/03/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मंदिर में + +“मंदिर क्षेत्र में” या फिर, “मंदिर की ओर।” वे भीतरी भवन में नहीं गए थे, क्योंकि वहां केवल याजक जा सकते थे। + +# तीसरे पहर + +“दोपहर तीन बजे” (यूडीबी)। + +# भीख + +“भीख” का आशय उन पैसों से है जो लोग गरीबों को देते हैं। व्यक्ति गरीब था और अपने लिए पैसे मांग रहा था। diff --git a/act/03/04.md b/act/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..59ce4c3 --- /dev/null +++ b/act/03/04.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ध्यान से देख कर + +“एकटक होकर देख कर” या फिर “उसे ध्यान से देख कर” + +# उनकी ओर ताकने लगा + +“लंगड़ा व्यक्ति उन्हें गौर से देखने लगा” + +# चाँदी और सोना + +इन्हें वाक्य की शुरुआत में यह बताने के लिए रखा गया है कि उस लंगड़े व्यक्ति को बस इन्हीं चीज़ों की आस थी, जो कि पतरस के पास नहीं थी, और पतरस के पास जो वस्तु थी, उससे इसकी तुलना दिखाने के लिए भी ऐसा किया गया है। diff --git a/act/03/07.md b/act/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..e5c80b9 --- /dev/null +++ b/act/03/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मंदिर में गया + +इसका आशय मंदिर के प्रांगण से होगा। मंदिर के असल भवन के भीतर जाने की अनुमति केवल याजकों को थी। diff --git a/act/03/09.md b/act/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..c36e1be --- /dev/null +++ b/act/03/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# द्वार जो ‘सुन्दर’ कहलाता है + +“सुन्दर कहलाने वाले द्वार” + +# पहचान लिया + +“देख लिया” अथवा “वे जान गए कि” अथवा “देखा” + +# अचंभित और चकित हुए + +“बहुत हैरान हुए” (यूडीबी) या फिर “आश्चर्य और विस्मय से भर उठे” diff --git a/act/03/11.md b/act/03/11.md new file mode 100644 index 0000000..2f3ad22 --- /dev/null +++ b/act/03/11.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# जब + +“जिस समय” + +# उस ओसारे में जो सुलैमान का कहलाता है + +“सुलैमान के ओसारे में।” सुलैमान, बहुत समय पहले हुए इस्राएल के एक राजा का नाम था। ओसारे का आशय स्तंभों की पंक्ति से है जिनके ऊपर एक छत भी होती है, और केवल एक तरफ से खुला होता है। अनुवाद करते समय इसे “सुलैमान का आँगन” भी लिख सकते हैं। सुलैमान का ओसारा बहुत विशाल था। + +# बहुत अचम्भा करते हुए + +“अचम्भे से भरे हुए” या फिर “चकित होकर” या फिर “विस्मय से भर कर” + +# यह देखकर पतरस + +“बढ़ती हुई भीड़ को देख कर पतरस ने” अथवा “लोगों को देख कर पतरस” (यूडीबी) + +# हे इस्राएलियों + +“हे मेरे संगी इस्राएलियों” (यूडीबी)। पतरस भीड़ को संबोधित कर रहा था, “इस्राएलियों” का आशय वहाँ मौजूद सभी इस्राएलियों से था। + +# तुम....क्यों अचम्भा करते हो...? + +यह आलंकारिक प्रश्न है। अनुवाद के समय यूं भी लिख सकते हैं कि “तुम्हे अचंभित नहीं होना चाहिए” यूडीबी। + +# क्यों इस प्रकार देख रहे हो + +इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है कि, “तुम्हें हम पर यूं दृष्टि लगाने की आवश्यकता नहीं हैं” या फिर, “हमें इस तरह टकटकी लगा कर देखने का कोई कारण नहीं है।” + +# हमारी + +“हमारी” को यहाँ पतरस व यूहन्ना दोनों के लिए एक साथ और व्यक्तिगत रूप से प्रयुक्त किया गया है। + +# हम + +“हम” को यहाँ पतरस व यूहन्ना दोनों के लिए एक साथ और व्यक्तिगत रूप से प्रयुक्त किया गया है। + +# मानो हम ही ने अपनी सामर्थ्य या भक्ति से इसे चलने-फिरने योग्य बना दिया + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि “हमने इसे अपनी सामर्थ्य या भक्ति से नहीं चलाया।” नोट: मूल हिंदी अनुवाद में “चलने-फिरने के योग्य” लिखना बेहतर होगा। कृपया “के” शब्द का भी प्रयोग करें। diff --git a/act/03/13.md b/act/03/13.md new file mode 100644 index 0000000..9570bb6 --- /dev/null +++ b/act/03/13.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# जिसे तुमने पकड़वा दिया + +“जिसे तुम पीलातुस के पास ले गए” + +# तब तुम ने उसके सामने उसका इनकार किया + +“तब तुमने पीलातुस के आगे उसका इनकार किया” + +# जब पिलातुस ने उसे छोड़ने का विचार किया, + +“जब पीलातुस ने यीशु को मुक्त करने का निर्णय लिया” + +# एक हत्यारे को तुम्हारे लिए छोड़ दिया जाए + +इसे सक्रिय क्रियापद की भांति अनूदित किया जा सकता है: “कि पीलातुस तुम्हें एक हत्यारा दे दे।” + +# तुम्हारे लिए छोड़ दिया जाए + +“तुम्हे दे दे।” इसका आशय “कृपा के रूप में देने” से है। यहाँ बंधन से “मुक्त” करने का भाव नहीं है। diff --git a/act/03/15.md b/act/03/15.md new file mode 100644 index 0000000..81ddb96 --- /dev/null +++ b/act/03/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# जीवन का राजकुमार + +"जीवन के कर्ता" (यू.डी.बी)या “जीवन का शासक” + +# इस मनुष्य को .....सामर्थ्य दी है + +“इस मनुष्य को....जिसे तुम देखते जानते भी हो + +# उस विश्वास के द्वारा जो उसके नाम पर है + +कुछ भाषाओँ में “विश्वास” शब्द संज्ञा रूप में नहीं होता, ऐसे में उसे क्रिया रूप में व्यक्त करने की ज़रुरत हो सकती है। यदि वाक्य में कर्ता को लिखना ज़रूरी हो, तो “हम’ शब्द के उपयुक्त रूप का प्रयोग करें। diff --git a/act/03/17.md b/act/03/17.md new file mode 100644 index 0000000..d2798d9 --- /dev/null +++ b/act/03/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है diff --git a/act/03/19.md b/act/03/19.md new file mode 100644 index 0000000..e34fc47 --- /dev/null +++ b/act/03/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# मन फिराओ + +“परमेश्वर की ओर फिरो” + +# जिस से प्रभु के सम्मुख से विश्रांति के दिन आएं + +“जिस से प्रभु तुम्हें सामर्थ्य दे।” + +# तुम्हारे पाप मिटाए + +“दूर किये” अथवा “रद्द कर दिए” diff --git a/act/03/21.md b/act/03/21.md new file mode 100644 index 0000000..92ae13e --- /dev/null +++ b/act/03/21.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# स्वर्ग में उस समय तक रहे... + +जैसा कि पहले ही उल्लिखित था कि यीशु स्वर्ग में रहेगा। + +# जब तक कि वह सब बातों का सुधार न कर ले + +“जब तक कि परमेश्वर सभी बातों का सुधार न कर ले” + +# जिसकी चर्चा प्राचीन काल से परमेश्वर ने अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के मुख से की है + +“परमेश्वर ने अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं से सुधार के विषय बोलने को कहा” + +# प्राचीन काल से परमेश्वर ने अपने उसके पवित्र भविष्द्वक्ताओं + +“बहुत समय पहले हुए पवित्र भविष्यद्वक्ताओं” + +# एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा + +“किसी को भविष्यद्वक्ता होने के लिए चुनेगा” अथवा “किसी को भविष्यद्वक्ता होने का अधिकार देगा” + +# नाश किया जाएगा + +“हटा दिया जाएगा” या कि “दूर किया जाएगा” अथवा “निकाल दिया जाएगा” diff --git a/act/03/24.md b/act/03/24.md new file mode 100644 index 0000000..88329d2 --- /dev/null +++ b/act/03/24.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# उसके बाद वालों + +“शमूएल के बाद हुए भविष्यद्वक्ता” + +# इन दिनों + +“इस समय” अथवा “इस समय जो हो रहा है” या फिर “जो बातें हो रही हैं” + +# तुम भविष्यद्वक्ताओं की संतान....हो + +“तुम भविष्यद्वक्ताओं के वारिस हो।” अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं, कि “अपने भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से परमेश्वर ने जो प्रतिज्ञा की है, वे तुम्हें मिलेगी।” + +# वाचा के भागी + +“वाचा की संतान” या फिर, “वाचा के वारिस।” अनुवाद करते समय इसे यूं भी लिख सकते हैं, कि “परमेश्वर ने अपनी वाचा में जिसकी प्रतिज्ञा की है, वे तुम पाओगे।” + +# तेरे वंश + +“तेरी संतान के कारण” + +# परमेश्वर ने अपने सेवक को उठाकर + +“परमेश्वर द्वारा अपने सेवक को चुनने के बाद” अथवा “परमेश्वर द्वारा अपने सेवक को अधिकार दिए जाने के बाद” + +# अपने सेवक + +यहाँ पर आशय परमेश्वर के मसीह से है। diff --git a/act/04/01.md b/act/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..f902e2c --- /dev/null +++ b/act/04/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# मंदिर के सरदार + +मंदिर के मुख्य पहरेदार + +# उन पर चढ़ आये + +“उनके पास गए” अथवा “उनके पास पहुँच गए” + +# वे बहुत क्रोधित + +पतरस ने यीशु और उसके पुनरुत्थान के विषय में उपदेश दिया था। इस बात ने सदूकियों में क्रोध भर दिया था क्योंकि वे यीशु के पुनरुत्थान पर विश्वास नहीं करते थे। + +# उनकी गिनती + +विशेषकर पुरुषों की संख्या। + +# क्योंकि संध्या हो गयी थी + +उन दिनों शाम के समय लोगों से तर्क-वितर्क न करने की परंपरा थी। + +# पांच हज़ार पुरुषों के लगभग हो गयी थी + +“पुरुषों की संख्या लगभग पांच हज़ार हो गयी थी” अथवा “पुरुषों की संख्या बढ़ कर लगभग पांच हज़ार हो गयी थी।” diff --git a/act/04/05.md b/act/04/05.md new file mode 100644 index 0000000..68e6e69 --- /dev/null +++ b/act/04/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुमने यह काम किस सामर्थ्य से + +“तुम्हें यह काम करने की सामर्थ्य किसने दी” (यूडीबी) अथवा “तुम्हें यह काम करने की सामर्थ्य कहाँ से मिली।” उन्हें यह मालूम था कि पतरस व यूहन्ना अपनी सामर्थ्य से उस व्यक्ति को चंगाई नहीं दे सकते थे। + +# किस नाम से + +“किसके सामर्थ देने से” diff --git a/act/04/08.md b/act/04/08.md new file mode 100644 index 0000000..2a4db1a --- /dev/null +++ b/act/04/08.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# इस्राएली लोग + +इस्राएलवासियों diff --git a/act/04/11.md b/act/04/11.md new file mode 100644 index 0000000..054f559 --- /dev/null +++ b/act/04/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +में शुरू किये यहूदियों के संबोधन को पतरस आगे बढाता है + +# कोने के सिरे का पत्थर + +कोने के सिरे का पत्थर - यहाँ पर रूपक अलंकार का प्रयोग है। जिस प्रकार कोने को बुनियाद में लगाया जाता है और आगे के निर्माण के लिए उसे आधार की तरह लिया जाता है। यीशु हमारे उद्धार की एकमात्र बुनियाद है। diff --git a/act/04/13.md b/act/04/13.md new file mode 100644 index 0000000..4683a40 --- /dev/null +++ b/act/04/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जब उन्होंने....हियाव देखा + +“उन्होंने” का आशय समूह के अगुओं से है। + +# यह जाना + +“समझ गए” अथवा “जान गए” + +# ये अनपढ़ साधारण मनुष्य + +“ये” का आशय यहाँ पतरस व यूहन्ना से है + +# अनपढ़ + +“प्रशिक्षित” अथवा “औपचारिक शिक्षा से रहित” diff --git a/act/04/15.md b/act/04/15.md new file mode 100644 index 0000000..561ff86 --- /dev/null +++ b/act/04/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हम इसका इन्कार नहीं कर सकते + +“हम इस आश्चर्यकर्म को नकार नहीं सकते।” यरूशलेम का हर व्यक्ति उस व्यक्ति की चंगाई के बारे में जान गया था।। + +# उन्हें + +अर्थात पतरस व पौलुस + +# किसी मनुष्य से बात न करें + +“किसी से और कुछ न कहें” diff --git a/act/04/19.md b/act/04/19.md new file mode 100644 index 0000000..a680019 --- /dev/null +++ b/act/04/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# हम से हो नहीं सकता कि .......वह न कहें + +हम विवश हैं कि ....वह कहें. + +# परमेश्वर के निकट भला है + +परमेश्वर के समक्ष भला है और उसे आदर देता है diff --git a/act/04/21.md b/act/04/21.md new file mode 100644 index 0000000..0650819 --- /dev/null +++ b/act/04/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उन्हें दंड देने का कोई दांव नहीं मिला + +अगुओं यह समझ नहीं आया कि जो लोग उस व्यक्ति की चंगाई के गवाह थे, उनके बीच बिना किसी उपद्रव के वे किस प्रकार पतरस और यूहन्ना को दंड दें + +# और धमकाकर छोड़ दिया + +अगुओं ने उन्हें आगे और दंड देने की धमकी डी + +# वह मनुष्य.....चालीस वर्ष से अधिक आयु का था + +यह बात सभी जानते थे कि वह एक अपाहिज था और उसे हाल ही में चंगाई मिली थी। diff --git a/act/04/23.md b/act/04/23.md new file mode 100644 index 0000000..d6de246 --- /dev/null +++ b/act/04/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अपने साथियों के पास आए + +अपने साथियों के पास आए -वे अन्य विश्वासियों के पास गए + +# एक चित्त होकर ऊँचें शब्द से परमेश्वर से कहा + +एक चित्त होकर ऊँचें शब्द से परमेश्वर से कहा -वे मन-सबुद्धि से एक थे + +# व्यर्थ बातें सोंची + +बेकार की बातें, अवास्तविक बातें diff --git a/act/04/26.md b/act/04/26.md new file mode 100644 index 0000000..e53e6a3 --- /dev/null +++ b/act/04/26.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +में, भजन संहिता में निहित राजा दाऊद पर शुरु किये अपने उद्धरण को पतरस आगे बढाता है + +# एक साथ इकट्ठे हो गए + +वे साथ हो लिए। उन्होंने अपनी सेनायें मिला ली। diff --git a/act/04/27.md b/act/04/27.md new file mode 100644 index 0000000..56f2f98 --- /dev/null +++ b/act/04/27.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +विश्वासी जन में शुरू की अपनी प्रार्थना को आगे बढ़ाते हैं + +# हेरोदेस और पुन्तियुस पीलातुस भी अन्य जातियों और इस्राएलियों के साथ इस नगर में इकट्ठे हुए + +दाऊद ने केवल गैर-यहूदी जातियों को शामिल किया था, लेकिन पतरस में इस्राएल और उसके शासकों को भी मसीह के विरोधियों में गिना + +# इस नगर में + +अर्थात यरूशलेम में diff --git a/act/04/29.md b/act/04/29.md new file mode 100644 index 0000000..08e2a8b --- /dev/null +++ b/act/04/29.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +विश्वासी जन में शुरू की अपनी प्रार्थना को आगे बढ़ाते हैं + +# उनकी धमकियों को देख कर + +उनकी धमकियों को देख कर -इसी कारण से शिष्यों को परमेश्वर का वचन बोलने का हियाव दिया गया था। + +# तेरा वचन बड़े हियाव से सुनाएँ + +यह शिष्यों का पवित्र आत्मा से भरने का परिणाम था diff --git a/act/04/32.md b/act/04/32.md new file mode 100644 index 0000000..8d0ebdd --- /dev/null +++ b/act/04/32.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# और विश्वास करनेवालों की मंडली + +“विश्वास करनेवालों बहुत से लोग...” + +# उन सब पर बड़ा अनुग्रह था + +इसका आशय है कि 1)परमेश्वर बहुत से विश्वासियों पर बहुत से वरदान और हियाव उंडेल रहा था या फिर 2) यरूशलेम के अन्य सभी लोग विश्वासियों को आदर की दृष्टि से देखते थे। diff --git a/act/04/34.md b/act/04/34.md new file mode 100644 index 0000000..f05433b --- /dev/null +++ b/act/04/34.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# बेच-बेचकर बिकी हुई वस्तुओं का.....दाम लाते थे और उसे प्रेरितों के पावों पर रखते थे और अपनी आवश्यकता के अनुसार ...हर एक को बाँट दिया करते थे + +बहुत से विश्वासियों ने ऐसा एक बार नहीं, वरन बार-बार ऐसा किया + +# प्रेरितों के पांवों पर रखते थे + +ऐसा करने के द्वारा विश्वासी यह वयक्त करते थे कि : 1) उनका मन-पर्तिवर्तन हो चुका है और यह कि 2) वरदानों को बांटने का अधिकार वे प्रेरितों को दे रहे थे + +# जैसे जिसे आवश्यकता होती थी + +ऐसा लगता है कि विश्वासियों की आवश्यकताओं पर नज़र रखी जाती थी; बस किसी के कहने भर से उनसे सामान नहीं दिया जाता था। diff --git a/act/04/36.md b/act/04/36.md new file mode 100644 index 0000000..d86786e --- /dev/null +++ b/act/04/36.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# युसूफ नामक, साइप्रस का एक लेवी था + +कहानी के इस अंश में बरनबास का प्रवेश होता है। आगे चल कर वह लूका रचित प्रेरितों के कार्य की पुस्तक में बड़ी भूमिका निभाता है। कहानी में इस नए व्यक्ति के प्रवेश को व्यक्त करते समय अपनी भाषा में शब्दों के चुनाव पर विशेष ध्यान दें। + +# प्रेरितों के पांवों पर रख दिए + +इस प्रकार देना विश्वासियों के मध्य आम प्रथा थी, और यह इस बात का प्रतीक थी कि उपहार को अपने अनुसार प्रयोग करने का अधिकार प्रेरितों को सौंप दिया गया है। diff --git a/act/05/01.md b/act/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..4d2ca55 --- /dev/null +++ b/act/05/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अब + +अथवा ‘’लेकिन अब’’। कहानी में आये नए मोड़ का संकेत देने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया गया है। हमें अपनी भाषोचित अभिव्यक्ति का प्रयोग करना है। + +# एक मनुष्य + +यह उस मनुष्य का परिचय देने का एक तरीका है। ध्यान दें कि कहानी में किसी नए व्यक्ति के प्रवेश को आपकी भाषा में किस प्रकार व्यक्त किया जाता है। + +# उसके दाम में से कुछ रख छोड़ा + +बेच कर प्राप्त हुई रकम के विषय में उसने प्रेरितों से झूठ बोला। इसमें अन्तर्निहित जानकारी को उभार कर इस प्रकार भी लिख सकते हैं: “बेच कर प्राप्त हुई रकम में से उसने कुछ राशि चुपके से अपने पास रख ली।” + +# प्रेरितों के पांवों पर रख दिए + +इस प्रकार देना विश्वासियों के मध्य आम प्रथा थी, और यह इस बात का प्रतीक थी कि उपहार को अपने अनुसार प्रयोग करने का अधिकार प्रेरितों को सौंप दिया गया है। + +# उसकी पत्नी भी जानती थी + +उसकी पत्नी भी जानती थी -अनुवाद करते समय हम यह भी लिख सकते हैं कि, “उसकी पत्नी को यह बात मालूम थी और वह ऐसा करने के लिए तैयार हो गयी।” diff --git a/act/05/03.md b/act/05/03.md new file mode 100644 index 0000000..3bf8e4a --- /dev/null +++ b/act/05/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# शैतान ने तेरे मन में यह बात क्यों डाली + +पतरस ने भाषाडम्बर से भरा यह प्रश्न हनन्याह को फटकारने के लिए पूछा था + +# क्या तेरी न थी....क्या तेरे वश में न थी + +इस प्रश्न को पूछने के द्वारा पतरस हनन्याह को यह याद दिलाना चाहता है कि : पैसे तब भी हनन्याह के ही थे और वे तब भी हनन्याह के वश में ही थे। + +# तूने यह बात अपने मन में क्यों विचारी? + +इस प्रश्न के द्वारा पतरस हनन्याह को फटकार लगा रहा है। + +# फिर जवानों ने उठकर + +यहाँ पर शाब्दिक अर्थ का प्रयोग है, अर्थात “जवान उठ कर आये...” यह किसी काम को करने की पहल को व्यक्त करता है। + +# उसकी अर्थी बनाई और बाहर ले जाकर गाड़ दिया + +किसी की मृत्यु पर शव को अंतिम गाड़ने से पहले तैयार किया जाता था। ऐसा प्रतीत होता है कि हनन्याह के मामले में ऐसा नहीं किया गया। diff --git a/act/05/07.md b/act/05/07.md new file mode 100644 index 0000000..9de1054 --- /dev/null +++ b/act/05/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जो कुछ हुआ था + +यह कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है + +# मुझे बता + +पतरस ने उसे हाँ या ना में जवाब देने का आदेश दिया + +# भूमि इतने ही में बेची थी + +यह कहानी हनन्याह के छल के विषय में है, न कि लेखा देने के विषय में। लूका ने भूमि के असल दाम का उल्लेख नहीं किया है। diff --git a/act/05/09.md b/act/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..35f12e9 --- /dev/null +++ b/act/05/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह क्या बात है, कि तुम दोनों ने प्रभु के आत्मा की परिक्षा के लिए एका किया है + +यह वास्तविक प्रश्न नहीं है। इसे इस तरह भी अनूदित किया जा सकता है, कि “तुम दोनों ने आत्मा की परीक्षा लेने का एका किया है।” + +# और प्राण छोड़ दिए + +यह “और वह मर गयी” के लिए शिष्टोक्ति है। + +# उनके पांवों पर + +यह आलंकारिक भाषा है। वह हनन्याह को गाड़नेवाले के पैरों पर गिर पड़ी। diff --git a/act/05/12.md b/act/05/12.md new file mode 100644 index 0000000..2f119ac --- /dev/null +++ b/act/05/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# बहुत चिन्ह और अद्भुत काम लोगों के बीच में दिखाए जाते थे + +“बहुत से आश्चर्यकर्म हो रहे थे” (यूडीबी देखें) + +# औरों में से किसी को + +अर्थात, “जो भी कलीसिया का हिस्सा थे, उनमे से किसी को” + +# सुलैमान के ओसारे + +यह मंदिर प्रांगण के भीतर स्थित था + +# बड़ाई करते थे + +“बहुत सम्मान व आदर देते थे” diff --git a/act/05/14.md b/act/05/14.md new file mode 100644 index 0000000..16981cb --- /dev/null +++ b/act/05/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसकी छाया ही उनमें से किसी पर पड़ जाए + +अर्थात, पतरस की छाया पड़ने पर वे चंगे हो जाएँ diff --git a/act/05/17.md b/act/05/17.md new file mode 100644 index 0000000..0a7bfcc --- /dev/null +++ b/act/05/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तब + +यहाँ से कहानी में बदलाव आता है। इस बदलाव को दिखाते समय अपनी भाषा का एकदम सटीक और सही प्रयोग करें। + +# डाह + +“ईर्ष्या” या कि “आक्रोश।” सदूकियों की ईर्ष्या का मुख्य कारण था प्रेरितों को मिल रही ख्याति। + +# प्रेरितों को पकड़कर + +अर्थात “प्रेरितों को बंदी बना कर।” diff --git a/act/05/19.md b/act/05/19.md new file mode 100644 index 0000000..6bdd53b --- /dev/null +++ b/act/05/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उन्हें बाहर लाकर कहा + +“उन्हें जेल से बाहर निकाल कर कहा” + +# भोर होते ही + +रात में मंदिर बंद रहता था। प्रेरितों ने स्वर्गदूत की बात पर यथासम्भव तेज़ी से अमल किया। diff --git a/act/05/22.md b/act/05/22.md new file mode 100644 index 0000000..889c84f --- /dev/null +++ b/act/05/22.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +(वचन के इस हिस्से के लिए कोई नोट्स नहीं है।) diff --git a/act/05/24.md b/act/05/24.md new file mode 100644 index 0000000..55e3974 --- /dev/null +++ b/act/05/24.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# भारी चिंता में पड़ गए + +“वे समझ नहीं पाए” या कि “वे विमूढ़ हो गए” + +# ये बातें सुनीं + +अर्थात “वे जो उन्होंने अभी-अभी सुनी थी” (कि प्रेरित जेल में नहीं थे) + +# जिन्हें तुमने + +‘तुमने’ यहाँ बहुवचन में है diff --git a/act/05/26.md b/act/05/26.md new file mode 100644 index 0000000..c278e3d --- /dev/null +++ b/act/05/26.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कि हम पर पथराव न करें + +कि हम पर पथराव न करें -अनुवाद करते समय इसे यूं भी लिखा जा सकता है कि, “कि मंदिर के रक्षकों पर पथराव न करें।” + +# उस व्यक्ति का लहू हमारी गर्दन पर लाना चाहते हो + +“उस व्यक्ति की मृत्यु के लिए हमें ज़िम्मेदार ठहराना चाहते हों” + +# आज्ञा + +आज्ञा -आज्ञा (बहु.) + +# तुमने....भर दिया है + +तुमने....भर दिया है -तुमने (बहु.) diff --git a/act/05/29.md b/act/05/29.md new file mode 100644 index 0000000..8742051 --- /dev/null +++ b/act/05/29.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इस्राएलियों को मन फिराव की शकित और पापों की क्षमा प्रदान करें + +इस्राएलियों को मन फिराव की शकित और पापों की क्षमा प्रदान करें -अनुवाद करते समय यूं भी लिखा सकते हैं,कि “इस्राएलियों को अपने पापों से मन फिराने और अपने पापों की क्षमा प्राप्त करने का अवसर दिया।” + +# और पवित्र आत्मा भी + +और पवित्र आत्मा भी -पवित्र आत्मा को एक व्यक्ति के रूप में संबोधित किया गया है जो यीशु के आश्चर्यकर्म के कार्यों को प्रमाणित कर सकता है। diff --git a/act/05/33.md b/act/05/33.md new file mode 100644 index 0000000..0b67b85 --- /dev/null +++ b/act/05/33.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वे जल गए + +प्रेरितों द्वारा फटकारे जाने से परिषद् के सदस्यों को बहुत अधिक क्रोध आया। diff --git a/act/05/34.md b/act/05/34.md new file mode 100644 index 0000000..8a94dda --- /dev/null +++ b/act/05/34.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सोच समझ के करना + +“इस विषय में ध्यान से सोंचना” (यूडीबी), या फिर, “इस विषय में सावधान रहना” diff --git a/act/05/38.md b/act/05/38.md new file mode 100644 index 0000000..9594255 --- /dev/null +++ b/act/05/38.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +में शुरू की अपनी बात को गमलीएल आगे बढाता है। diff --git a/act/05/40.md b/act/05/40.md new file mode 100644 index 0000000..6f4edfb --- /dev/null +++ b/act/05/40.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# योग्य तो ठहरे + +यीशु के लिए कष्ट भोगना एक सौभाग्य था। diff --git a/act/06/01.md b/act/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..793084d --- /dev/null +++ b/act/06/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उन दिनों में + +यहाँ एक नए प्रकरण की शुरुआत हो रही है। अपनी भाषा के अनुसार उपयुक्त शब्दों का चुनाव करें। + +# संख्या बहुत बढ़ने लगी + +“संख्या में बहुत वृद्धि होने लगी” + +# यूनानी भाषा बोलनेवाले + +ये वे यहूदी थे जिन्होंने अपना लगभग पूरा जीवन इस्राएल से बाहर, रोमी साम्राज्य में कहीं बिताया था, और वे यूनानी भाषा बोलते हुए बड़े हुए थे। उनकी भाषा और संस्कृति भी इस्राएल के मूल यहूदियों से थोड़ी अलग थी। नोट: यहाँ पर “यूनानी भाषा बोलनेवाले यहूदी” लिखना बेहतर होगा। + +# इब्रानियों + +ये इस्राएल में पले-बड़े अरामी बोलनेवाले यहूदी थे। इस समय तक कलीसिया में केवल यहूदी और यहूदी मत में आनेवाले लोगों को गिना जाता था। + +# विधवाओं + +सही मायनों में विधवा वह स्त्री है जिसके पति की मृत्यु हो चुकी है, आयु ढलने के कारण शादी नहीं कर सकती, और जिसकी देखभाल करनेवाला कोई सगा-सम्बन्धी न हो। + +# प्रतिदिन की सेवकाई + +प्रेरितों को दी जानेवाली रकम का एक हिस्सा प्रारंभिक कलीसिया की विधवाओं के लिए भोजन खरीदने में लगाया जाता था। + +# सुधि नहीं ली जाती + +“अवहेलना की गयी” या फिर, “भुला दिया गया।” इतने सारे ज़रूरतमंदों के बीच कभी-कभार ज़रूरतमंद छूट जाते थे। diff --git a/act/06/02.md b/act/06/02.md new file mode 100644 index 0000000..9d56f3c --- /dev/null +++ b/act/06/02.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# खिलाने-पिलाने + +इसका आशय लोगों को भोजन कराने से है। + +# सात सुनाम पुरुषों को जो पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण हो + +इसके संभावित अर्थ हैं, 1) उन लोगों में तीन गुण हों--अच्छी प्रतिष्ठा, आत्मा की भरपूरी, और बुद्धि की भरपूरी, अथवा 2) लोग अपने दो गुणों के लिए जाने जाते हों---आत्मा की परिपूर्णता, और बुद्धि की परिपूर्णता (यूडीबी)। + +# सुनाम + +“लोग जिन्हें अच्छा मानते हों” अथवा “लोग जिन पर विश्वास करते थे” + +# अपने में से + +उपयुक्त स्थान में अपनी भाषा की विशिष्ट अभिव्यक्ति का प्रयोग करें + +# चुन लो + +उपयुक्त स्थान में अपनी भाषा में बहुवचन के लिए प्रयुक्त होनेवाले शब्दों का प्रयोग करें diff --git a/act/06/04.md b/act/06/04.md new file mode 100644 index 0000000..3c7d3fc --- /dev/null +++ b/act/06/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यह बात सारी मंडली को अच्छी लगी + +यह बात साड़ी मंडली को मंज़ूर/स्वीकार्य थी + +# स्तिफनुस,..और फिलिप्पुस और पृखुरुस,नीकानोर, तीमोन, परमिनास, और अन्ताकियावासी नीकुलाउस + +ये सभी यूनानी नाम हैं जिससे इस बात का संकेत मिलता है कि चुने गए अधिकतर अथवा सभी लोग यूनानी-यहूदी विश्वासियों में से थे। + +# जो यहूदी मत में आ गया था + +अर्थात यहूदी मत को धारण करनेवाला एक गैर-यहूदी व्यक्ति + +# उन पर हाथ रखे + +सात लोगों को आशीष दिया और उन्हें कार्य करने का उत्तरदायित्व व अधिकार दिया diff --git a/act/06/07.md b/act/06/07.md new file mode 100644 index 0000000..8130e59 --- /dev/null +++ b/act/06/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परमेश्वर का वचन फैलता गया + +इसका प्रभाव और अधिक फैलता गया + +# चेलों की गिनती + +अर्थात यीशु के आज्ञापालकों व अनुयायियों की गिनती + +# इस मत के अधीन हो गया + +अर्थात “इस नए मत के मार्ग का अनुकरण किया” diff --git a/act/06/08.md b/act/06/08.md new file mode 100644 index 0000000..bebcaad --- /dev/null +++ b/act/06/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# आराधनालय से जो लिबिरतीनों की कहलाती थी + +आराधनालय से जो लिबिरतीनों की कहलाती थी -:संभवतः ये अलग-अलग स्थान के पूर्व दास थे। यह स्पष्ट नहीं है कि आराधनालय में मौजूद बाकी लोग उस आराधनालय का हिस्सा थे या कि बस स्तिफनुस से वाद-विवाद का हिस्सा थे। + +# स्तिफनुस से वाद-विवाद करने लगे + +स्तिफनुस से वाद-विवाद करने लगे -“स्तिफनुस से तर्क करने लगे” (यूडीबी) अथवा “स्तिफनुस से चर्चा करने लगे” diff --git a/act/06/10.md b/act/06/10.md new file mode 100644 index 0000000..0c81e08 --- /dev/null +++ b/act/06/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वे सामना न कर सके + +“वे उससे बहस न कर सके” + +# आत्मा + +अर्थात पवित्र आत्मा + +# कई लोगों को उभारा + +अर्थात “कई लोगों को इस बात के लिए राज़ी किया कि वे” + +# परमेश्वर के विरोध में निंदा + +अनुवाद करते समय इसे यूं भी लिख सकते हैं कि, “परमेश्वर और मूसा की व्यवस्था के विरोध में” diff --git a/act/06/12.md b/act/06/12.md new file mode 100644 index 0000000..33c4477 --- /dev/null +++ b/act/06/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# भड़काकर + +गुस्सा भड़काकर + +# पकड़कर + +“दबोच कर” + +# उसकी ओर ताककर + +“उसे एकटक देखा।” यहाँ पर आलंकारिक भाषा का प्रयोग है। + +# उसका मुखड़ा स्वर्गदूत का सा देखा + +यहाँ उपमा का प्रयोग है जिसका आशय “दमकता देखा” से है, जो कि यहाँ उल्लिखित नहीं है। अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं कि, “उसका चेहरा स्वर्गदूत के चेहरे सा दमक रहा था” (यूडीबी)। diff --git a/act/07/01.md b/act/07/01.md new file mode 100644 index 0000000..9b21730 --- /dev/null +++ b/act/07/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हे भाइयों और पितरों सुनों + +परिषद् के सदस्यों को अपने परिवार के सदस्यों के सामन अभिनन्दन देकर स्तिफनुस उनके प्रति अपना आदर व्यक्त कर रहा था। + +# हमारा पिता + +“हमारा पिता अब्राहम” कहने के द्वारा स्तिफनुस अपने सुननेवालों को भी शामिल कर रहा था + +# अपने देश और अपने कुटुंब से निकलकर + +“अपने” का आशय अब्राहम से है (एकवचन)। diff --git a/act/07/04.md b/act/07/04.md new file mode 100644 index 0000000..ffbe7ec --- /dev/null +++ b/act/07/04.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +में शुरू किये परिषद् के संबोधन और बचाव को स्तिफनुस आगे बढ़ाता है + +# जिसमें अब तुम बसते हो + +“तुम” का आशय यहूदी परिषद् के सदस्यों और सभी सुननेवालों से है + +# तेरे और तेरे बाद तेरे वंश के हाथ कर दूंगा + +वह भूमि सदा अब्राहम की रहेगी diff --git a/act/07/06.md b/act/07/06.md new file mode 100644 index 0000000..c0016a6 --- /dev/null +++ b/act/07/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# और वे उन्हें दास बनायेंगे + +तेरे वंशज उनके दास होंगे” + +# इसी दशा में इसहाक उससे उत्पन्न हुआ + +कहानी अब्राहम की ओर मुड़ती है diff --git a/act/07/09.md b/act/07/09.md new file mode 100644 index 0000000..78c5fe7 --- /dev/null +++ b/act/07/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# कुलपतियों + +“याकूब के ज्येष्ठ पुत्र” अथवा “युसूफ के बड़े भाई” diff --git a/act/07/11.md b/act/07/11.md new file mode 100644 index 0000000..708eb9c --- /dev/null +++ b/act/07/11.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# अकाल पड़ा + +“एक अकाल पड़ा,” भूमि ने कुछ न उपजा + +# बापदादों + +“युसूफ के बड़े भाई” + +# अन्न + +अनुवाद करते समय इसे “भोजन” लिख सकते हैं + +# प्रगट हो गया + +प्रगट हो गया -युसूफ ने स्वयं को अपने भाइयों पर ज़ाहिर कर दिया। diff --git a/act/07/14.md b/act/07/14.md new file mode 100644 index 0000000..704c446 --- /dev/null +++ b/act/07/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# वह और हमारे बापदादे + +वह और हमारे बापदादे -अर्थात “याकूब और उसके बेटे, और हमारे बापदादे” + +# उनके शव शकेम में पहुचाएं जाकर + +उनके शव शकेम में पहुंचाए जाकर - अर्थात “याकूब के वंशज, याकूब और उसके बेटों के शव को शकेम लेकर गए” + +# चांदी देकर + +धन देकर diff --git a/act/07/17.md b/act/07/17.md new file mode 100644 index 0000000..a994e28 --- /dev/null +++ b/act/07/17.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# प्रतिज्ञा के पूरे होने का समय निकट आया + +परमेश्वर द्वारा अब्राहम के साथ की प्रतिज्ञा को पूरे करने का समय निकट आया + +# युसूफ को नहीं जानता था + +यह आलंकारिक भाषा है। “युसूफ” का आशय यहाँ असल में युसूफ द्वारा किये कार्यों से है। + +# हमारी जाति + +“हमारी” से आशय स्तिफनुस और उसके सुननेवालों से भी है। + +# बुरा व्यवहार किया + +“बुरा बर्ताव किया” अथवा, “शोषण किया” + +# अपने बालकों को फेंक देना + +अपने बालको को फेंक दिया ताकि वे मर जाएँ। diff --git a/act/07/20.md b/act/07/20.md new file mode 100644 index 0000000..6209826 --- /dev/null +++ b/act/07/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# उस समय + +इन शब्दों का प्रयोग कहानी में नए व्यक्ति, मूसा के प्रवेश की भूमिका के रूप में हुआ है। + +# परमेश्वर की दृष्टि में बहुत ही सुन्दर था + +“परमेश्वर की दृष्टि में” का प्रयोग अतिश्योक्ति के रूप में हुआ है। + +# जब फेंक दिया गया + +अर्थात “जब उसे फिरौन के आदेश पर फेंक दिया गया” + +# उसे उठा लिया + +अर्थात “उसे लेपालक पुत्र बना लिया” (संभवतः यह आधिकारिक रूप से नहीं किया गया था) + +# अपना पुत्र करके पाला + +“अपने पुत्र की तरह पाला” diff --git a/act/07/22.md b/act/07/22.md new file mode 100644 index 0000000..fa4f1ea --- /dev/null +++ b/act/07/22.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# मूसा को.....सारी विद्या सिखाई गयी + +मूसा को....सारी विद्या सिखाई गयी अर्थात “मिस्रियों ने मूसा को सारी विद्या सिखाई”। + +# मिस्रियों की सारी विद्या + +यहाँ पर अतिश्योक्ति का प्रयोग है। इसका आशय है कि कि “मिस्रियों की बहुत सी विद्या सिखाई गयी। + +# वह बातों और कामों में सामर्थी था + +अर्थात ‘उसकी बातें और काम बहुत प्रभावी थे,” या फिर, “उसकी बातों और कामों में बहुत सामर्थ था” (यूडीबी), अथवा “उसकी बातों और कार्यों में बहुत प्रभाव था” + +# अपने इस्राएली भाइयों + +उनके रहन-सहन के विषय में पता लगाऊं + +# मिस्री को मारकर + +मूसा ने उस मिस्री को इतनी ज़ोर से मारा कि उसकी मृत्यु हो गयी + +# उसने सोचा + +उसने विचारा + +# मेरे हाथों से + +मेरे द्वारा + +# उनका उद्धार करेगा + +अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं कि, “उनका उद्धार कर रहा है” diff --git a/act/07/26.md b/act/07/26.md new file mode 100644 index 0000000..e220579 --- /dev/null +++ b/act/07/26.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# हे पुरुषों, तुम तो भाई-भाई हो + +यह लड़ते हुए दो इस्राएली पुरुषों से कही गयी बात है + +# अन्याय + +अन्याय का आशय व्यक्ति से किया गया दुर्व्यवहार और बेईमानी से है + +# तुझे किसने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया + +यह वास्तविक प्रश्न नहीं है। इसका आशय है कि “तुम्हे बीच में आने का कोई अधिकार नहीं है”। + +# हम पर तुम्हें ......न्यायी ठहराया है? + +ऐसा कह हर उस इस्राएली ने मूसा को बहार का घोषित किया है। diff --git a/act/07/29.md b/act/07/29.md new file mode 100644 index 0000000..57b14b1 --- /dev/null +++ b/act/07/29.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# यह बात सुनकर + +इससे ज्ञात होता है कि, “मूसा ने सुन लिया था कि इस्राएली पुरुष जानते थे कि एक दिन पहले उसने एक मिस्री की ह्त्या की थी।” + +# उसके दो पुत्र उत्पन्न हुए + +यहाँ यह स्पष्ट है कि स्तिफनुस के सामने बैठे लोग जानते थे कि मूसा ने एक मिद्यानी स्त्री विवाह किया था। + +# जब पूरे चालीस वर्ष बीत गए + +“मूसा के मिस्र से भागने चालीस सालों के बाद diff --git a/act/07/31.md b/act/07/31.md new file mode 100644 index 0000000..e4d9957 --- /dev/null +++ b/act/07/31.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# दर्शन को देखकर अचम्भा किया + +मूसा यह देख कर हैरान था कि झाड़ी में आग होने के बावजूद वह भस्म नहीं हो रही थी। यह बात स्तिफनुस के सुननेवालों को पहले से ज्ञात थी। + +# जब देखने के लिए पास गया....उसे देखने का हियाव न हुआ + +इसका संभावित अर्थ यह है कि मूसा पहले तो देखने के लिए उसके पास गया, लेकिन फिर भय के कारण पीछे हट गया + +# मूसा काँप उठा + +मूसा भयभीत हो गया diff --git a/act/07/33.md b/act/07/33.md new file mode 100644 index 0000000..f46954a --- /dev/null +++ b/act/07/33.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# जिस जगह तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है + +इसका आशय है कि परमेश्वर वहां उपस्थित है, और परमेश्वर के आसपास की सारी भूमि को परमेश्वर पवित्र जानता है, या कि, परमेश्वर की उपस्थिति से भूमि पवित्र हो गयी। + +# मैंने सचमुच अपने लोगों को देखा है + +“देखने” पर ज़ोर दिया गया है + +# अपने लोगों + +अब्राहम, इसहाक, और याकूब के वंशज + +# उन्हें छुड़ाने के लिए उतरा हूँ + +मैं स्वय उनके छुटकारे पर दृष्टि रखूंगा diff --git a/act/07/35.md b/act/07/35.md new file mode 100644 index 0000000..9d998cc --- /dev/null +++ b/act/07/35.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +35-38 तक, वचन में मूसा के विषय में आपस में सम्बंधित वाक्यों की श्रृंखला है। हर वाक्य की शुरुआत “जिस मूसा” या “यह वही मूसा”, अथवा यह वही है” जैसे शब्दों से होती है। संभव हो तो मूसा को उजागर करने के लिए ऐसे ही कथनों का प्रयोग करें। + +# जिस मूसा को उन्होंने यह कह कर नकारा था + +यहाँ पर में घटित हुई घटना का सन्दर्भ है + +# तुझे किसने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया? + +इसका अनुवाद करते समय में किये अनुवाद का सन्दर्भ लें + +# हाकिम और छुड़ानेवाला ठहराकर + +“उन पर शासन करने और उन्हें दासत्व से छुडाने” + +# उस स्वर्गदूत के द्वारा + +“स्वर्गदूत के माध्यम से” + +# चालीस वर्ष तक + +“बीहड़ में इस्राएलियों के चालीस सालों के वास के दौरान” + +# तुम्हारे भाइयों में से + +“तुम्हारे अपने लोगों में से” (यूडीबी) diff --git a/act/07/38.md b/act/07/38.md new file mode 100644 index 0000000..5c52ae7 --- /dev/null +++ b/act/07/38.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +यह खंड में मूसा पर ज़ोर देने के लिए कहे गए वाक्यों को आगे बढ़ाता है + +# यह वही है जिसे जंगल में कलीसिया के बीच + +“यह वही मूसा है जो जंगल में इस्राएलियों के बीच” (यूडीबी) + +# उसी को जीवित वचन मिले, कि हम तक पहुंचाए + +अनुवाद करते समय इसे सक्रिय रूप में ऐसे भी लिख सकते हैं कि, “उसी से परमेश्वर ने जीवित वचन हमें देने के लिए कहे।” + +# जीवित वचन + +संभावित आशय हैं, 1)“अखंड सन्देश” या फिर 2) “जीवनदायी शब्द।” + +# उसे हटाकर अपने मिस्र की ओर फेरे + +यह अलंकार मूसा को नकारे जाने पर ज़ोर देता है। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं को, “उसकी अगुआई को नकार कर” + +# उन दिनों + +“जब उन्होंने मिस्र की ओर लौटने का निर्णय किया” diff --git a/act/07/41.md b/act/07/41.md new file mode 100644 index 0000000..9846cc8 --- /dev/null +++ b/act/07/41.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में आगे कहता है कि + +# उन्होंने एक बछड़ा बना कर + +“उन्होंने बछड़े की एक मूरत बनायी” + +# कि आकाशगण पूजे + +“आकाश की ज्योतियों को पूजे” + +# हे इस्राएल के घराने + +यहाँ अलंकार का प्रयोग है, और आशय इस्राएल की समस्त जाति/देश से है। + +# क्या तुम.... पशुबलि और अन्नबलि मुझ ही को चढ़ाते रहे + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है जो यह कह रहा है कि वे सारी बालियाँ परमेश्वर को नहीं चढ़ाई गयी थीं। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि “वो पशुबलि व अन्नबलि तुमने मुझे नहीं चढ़ाई।” diff --git a/act/07/43.md b/act/07/43.md new file mode 100644 index 0000000..b676772 --- /dev/null +++ b/act/07/43.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में अपनी बात जारी रखता है। स्तिफनुस यहाँ आमोस के उस उद्धरण को आगे बढाता है जिसकी शुरुआत उसने में की थी + +# मोलेक के तम्बू + +झूठे देवता मोलेक के तम्बू + +# रिफान देवता के तारे + +रिफान देवता के प्रतीक तारे + +# उन मूर्तियों को जिन्हें तुमने दंडवत करने के लिए बनाया था + +उन्होंने पूजने के लिए मोलेक और रिफान देवताओं की मूर्तियाँ बनाईं थी। + +# मैं तुम्हें बाबुल के परे ले जाकर + +“मैं तुम्हें बाबुल से हटा दूंगा” diff --git a/act/07/44.md b/act/07/44.md new file mode 100644 index 0000000..8332635 --- /dev/null +++ b/act/07/44.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में अपनी बात जारी रखता है। + +# साक्षी का तम्बू + +10 आज्ञाएं खुदी पत्थर की तख्तियों वाला वाचा का संदूक + +# अन्य जातियों पर अधिकार पाया + +इसमें अन्य जातियों की भूमि, भवन, फसल, पशु और बाकी सभी तरह की संपत्ति शामिल है जिन पर इस्राएल जय प्राप्त कर रहा था। + +# दाऊद के समय तक रहा + +वाचा का वह संदूक, इस्राएल के राजा दाऊद के समय तक तम्बू में रहा था + +# याकूब के परमेश्वर के लिए निवास स्थान बनाऊं + +दाऊद चाहता था कि वाचा का संदूक यरूशलेम में रहे, न कि इस्राएल का चक्कर लगाते तम्बू में। diff --git a/act/07/47.md b/act/07/47.md new file mode 100644 index 0000000..b24dbe9 --- /dev/null +++ b/act/07/47.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में अपनी बात जारी रखता है। + +# हाथ के बनाए घरों में + +अर्थात “लोगों द्वारा बनाए गए घरों में।” + +# स्वर्ग मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे पांवों तले की पीढी है + +परमेश्वर की उपस्थिति की महानता और विशालता का बखान करते समय भविष्यद्वक्ता कहता है कि पूरा विश्व उसका सिंहासन है, और एक मनुष्य के इतने इतने विराट और महान परमेश्वर का निवास स्थान बनाना असंभव है क्योंकि यह पृथ्वी तो बस उसके पैरों की पीढी जिंतनी बड़ी है। + +# मेरे लिए तुम किस प्रकार का घर बनाओगे? + +मेरे लिए तुम किस प्रकार का घर बनाओगे यह कोई वास्तविक प्रश्न नहीं, वरन भाषा का आलंकारिक प्रयोग है। असल में इसका आशय है कि “तुम मेरे योग्य घर नहीं बना सकते” + +# मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा? + +अर्थात “मेरे विश्राम के योग्य स्थान कहीं नहीं है!” + +# क्या ये सब वस्तुएं मेरे हाथ की बनाई नहीं? + +यह वास्तविक प्रश्न नहीं वरन भाषा का आलंकारिक प्रयोग है। असल में इसका आशय है कि “इन सभी वस्तुएं स्वयं मैं ही ने बनाई हैं।” diff --git a/act/07/51.md b/act/07/51.md new file mode 100644 index 0000000..f3fc189 --- /dev/null +++ b/act/07/51.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +स्तिफनुस में शुरू किये परिषद् के संबोधन और अपने मत के पक्ष में अपनी बात जारी रखता है। + +# हे हठीले... + +यहाँ स्तिफनुस उन यहूदी अगुओं को झिडकी दे रहा है। + +# मन ....के खतनारहित लोगों + +“मन से अवज्ञाकारी लोगों।” शायद स्तिफनुस यहाँ उनकी तुलना गैर-यहूदियों से कर रहा है, जो उन्हें अपमानजनक लगता हो। + +# भविष्यद्वक्ताओं में से किसको तुम्हारे बापदादों ने नहीं सताया? + +यह वास्तविक प्रश्न न होकर भाषा का आलंकारिक प्रयोग है। इसका आशय असल में यह है कि “तुम्हारे बापदादों ने हरेक भविष्यद्वक्ता को सताया है।” + +# उस धर्मी + +इसका आशय यीशु मसीह से है। + +# मार डालनेवाले + +“उस धर्मी के हत्यारे” अथवा, “मसीह के हत्यारे।” diff --git a/act/07/54.md b/act/07/54.md new file mode 100644 index 0000000..f3b3434 --- /dev/null +++ b/act/07/54.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# वे जल गए + +“वे अत्यंत क्रोधित हो उठे” के लिए भाषोक्ति का प्रयोग किया गया है। + +# ये बातें सुनकर + +ये बातें सुनकर -यहाँ कहानी में एक मोड़ है; इस बिंदु पर उपदेश समाप्त होता है और परिषद् प्रतिक्रिया करती है। + +# दांत पीसने लगे + +दांत पीसने लगे - यह एक मुहावरा है, जिसका प्रयोग भड़के हुए क्रोध के चरम यह घृणा को व्यक्त करता है। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि, “वे क्रोध में भड़क उठे और दांत पीसने लगे।” + +# स्वर्ग की ओर देखा + +“ऊपर आकाश की ओर देखा।” ऐसा प्रतीत होता है कि स्तिफ्नुस के आलावा और किसी को यह दर्शन नहीं दिखाई दिया था। + +# यीशु को परमेश्वर की दाहिनी ओर खड़ा देखकर + +ध्यान दें कि यीशु परमेश्वर की दाहिनी ओर “बैठे” नहीं वरन “खड़े” थे। राजा का इस प्रकार किसी अतिथि के लिए खड़ा होना एक सम्मानजनक बात थी। + +# परमेश्वर की महिमा + +प्रकाश के समान परमेश्वर की महिमा अथवा तेज/भव्यता। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि, “परमेश्वर की ओर से एक तेज़ प्रकाश।” + +# मनुष्य का पुत्र + +स्तिफनुस यहाँ यीशु को “मनुष्य के पुत्र” की उपाधि से जोड़ रहा है। diff --git a/act/07/57.md b/act/07/57.md new file mode 100644 index 0000000..fd0a187 --- /dev/null +++ b/act/07/57.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अपने कान बंद कर लिए + +उन्होंने अपने कान बंद कर लिए ताकि उन्हें स्तिफनुस की बातें न सुनाई दें। + +# उसे नगर के बाहर निकालकर + +“परिषद् ने स्तिफनुस को पकड़ कर जबरन नगर के बाहर ले गए” + +# अपने कपड़े + +कपड़ों से आशय जैकेट अथवा कोट के समान ऊपर पहननेवाले अंगरखों और लबादों से है। + +# पांवों के पास + +रखवाली के लिए कपड़े “सामने” रख दिए। diff --git a/act/07/59.md b/act/07/59.md new file mode 100644 index 0000000..1aa8c1b --- /dev/null +++ b/act/07/59.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मेरी आत्मा को ग्रहण कर + +“मेरी आत्मा को ले” + +# सो गया + +“मर गया” को कोमलता से अभिव्यक्त किया गया है। diff --git a/act/08/01.md b/act/08/01.md new file mode 100644 index 0000000..4e29b16 --- /dev/null +++ b/act/08/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# शाऊल उसके वध में सहमत था + +लूका यहाँ पर कहानी को स्तिफनुस से शाऊल की ओर मोड़ रहा है। इस मोड़ को व्यक्त करने के लिए अनुवाद के समय अपनी भाषा के उपयुक्त शब्दों का चुनाव करें। + +# घसीट-घसीट कर + +उन्हें बलपूर्वक ले जाया गया + +# उसी दिन + +अर्थात स्तिफनुस की मृत्यु के दिन + +# सब के सब ....तितर-बितर हो गए + +यरुशलेम में रहनेवाले बहुत से अथवा अधिकाँश विश्वासी तितर-बितर हो गए को अतिश्योक्ति के साथ व्यक्त किया गया है। + +# प्रेरितों को छोड़ + +इसका आशय ही कि प्रेरित वहीँ यरूशलेम में ही बने रहे और वे इस बड़े सताव से बच गए थे। + +# भक्तों ने + +“परमेश्वर का भय रखनेवाले लोगों ने” अथवा, “वे जो परमेश्वर का भय रखते थे” + +# उसके लिए बड़ा विलाप किया + +“उसके लिए बहुत शोक मनाया” (यूडीबी) + +# घर-घर घुसकर + +शाऊल द्वारा कई घरों में घुसने की बात को यहाँ अतिश्योक्ति के साथ व्यक्त किया गया है। उसके पास यरूशलेम के हर घर में घुसने की अनुमति नहीं थी। + +# पुरुषों और स्त्रियों को घसीट-घसीट कर + +शाऊल ने यहूदी विश्वासियों को उनके घर से बलपूर्वक निकाल कर उन्हें जेल में डाल दिया। diff --git a/act/08/04.md b/act/08/04.md new file mode 100644 index 0000000..239c7a4 --- /dev/null +++ b/act/08/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जो तित्तर-बित्तर हुए थे + +“वे जो बड़े सताव के कारण तितर-बितर हुए थे।” तितर-बितर होने का कारण वह सताव था जिसके विषय में पहले बताया जा चुका है। + +# सामरिया नगर + +सामरिया नगर : यह स्पष्ट नहीं है कि यहाँ सामरिया के एक नगर (यूएलबी) की बात हो रही है या कि सामरिया नगर (यूडीबी) की ही बात हो रही है। इसलिए, अनुवाद करते समय “सामरिया नगर” लिखना ही सही रहेगा। diff --git a/act/08/06.md b/act/08/06.md new file mode 100644 index 0000000..da0664b --- /dev/null +++ b/act/08/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# बहुतों में से + +“सामरिया नगर के बहुत से लोगों में से।” स्थान की स्थिति पहले ही स्पष्ट की जा चुकी है। + +# लोगों ने सुनकर + +फिलिप्पुस के माध्यम से होनेवाली चंगाइयों के चलते लोग सुनने लगे थे। इस बात को समझ लेना चाहिए। + +# और उस नगर में बड़ा आनन्द छा गया + +लोगों के आनंद का कारण फिलिप्पुस के द्वारा मिलनेवाली चंगाइयां थी। diff --git a/act/08/09.md b/act/08/09.md new file mode 100644 index 0000000..e7b065f --- /dev/null +++ b/act/08/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# शमौन नामक एक मनुष्य था + +“शमौन नाम का एक मनुष्य था” में इन शब्दों के साथ ही कहानी में एक नए पात्र का प्रवेश है। आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपकी भाषा में नए पात्रों का प्रवेश दिखाने के लिए कौन से शब्दों का प्रयोग किया जाता है। + +# उस नगर + +अर्थात “सामरिया नगर” + +# सामरिया के लोगों + +यहाँ पर आशय सामरिया के सभी लोगों से प्रतीत होता है, लेकिन यह अतिश्योक्ति है। इसका आशय है “सामरिया के बहुत से लोगों” से है। + +# यह मनुष्य परमेश्वर की वह शक्ति है, जो महान कहलाती है + +लोग कहते थे कि शमौन “महान शक्ति” नाम की अलौकिक शक्ति है। diff --git a/act/08/12.md b/act/08/12.md new file mode 100644 index 0000000..19bce93 --- /dev/null +++ b/act/08/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# बपतिस्मा लेने लगे + +बपतिस्मा लेने लगे -फिलिप्पुस ने नए विश्वासियों को बपतिस्मा दिया। + +# चिन्ह और बड़े-बड़े सामर्थ्य के काम होते देखकर चकित होता था + +“फिलिप्पुस को चिन्ह और महान आश्चर्यकर्म करते देख आकर अचंभित होता था।” diff --git a/act/08/14.md b/act/08/14.md new file mode 100644 index 0000000..5839215 --- /dev/null +++ b/act/08/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# सामरियों ने + +सामरियों ने -सामरिया प्रदेश के बहुत से लोगों (यूडीबी) के स्थान पर “सामरियों ने” का प्रयोग किया गया है। आलंकारिक भाषा। + +# और उन्होंने जाकर + +अर्थात “पतरस व यूहन्ना ने जाकर” + +# उनके लिए प्रार्थना की + +“पतरस और यूहन्ना ने जाकर सामरिया के विश्वासियों के लिए प्रार्थना की” + +# कि पवित्र आत्मा पाएं + +“कि सामरिया के विश्वासी लोग पवित्र आत्मा पा सकें।” + +# उन्होंने तो....बपतिस्मा लिया था + +“फिलिप्पुस ने सामरिया के विश्वासियों को बस बपतिस्मा दिया था।” + +# तब उन्होंने उन पर हाथ रखे + +तब उन्होंने उन पर हाथ रखे - अर्थात, स्तिफनुस द्वारा दिए सुसमाचार के उपदेश पर विश्वास करनेवालों पर हाथ रखे। diff --git a/act/08/18.md b/act/08/18.md new file mode 100644 index 0000000..7af1301 --- /dev/null +++ b/act/08/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# ...कि प्रेरितों के हाथ रखने से पवित्र आत्मा दिया जाता है.... + +.....कि प्रेरितों के हाथ रखने से पवित्र आत्मा मिलता है..... + +# कि जिस किसी पर हाथ रखूँ, वह पवित्र आत्मा पाए + +“कि जब मैं लोगों पर अपना हाथ रखूँ, तो उन्हें पवित्र आत्मा मिल जाए” diff --git a/act/08/20.md b/act/08/20.md new file mode 100644 index 0000000..8049945 --- /dev/null +++ b/act/08/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# तेरे...तेरे...तूने + +ये सभी सर्वनाम शमौन के लिए प्रयोग किये गए हैं + +# तेरा मन परमेश्वर के आगे सीधा नहीं + +“तेरे विचार सही नहीं हैं” + +# परमेश्वर का दान + +अर्थात् लोगों पर हाथ रखने के द्वारा पवित्र आत्मा देने का दान + +# विचार किया + +अर्थात “पवित्र आत्मा देने के दान को खरीदने का विचार” + +# पित्त की सी कड़वाहट + +उपमा अलंकार का प्रयोग। इसका आशय “बहुत अधिक डाह करने” से है। (यूडीबी) + +# अधर्म के बंधन + +“पाप का दास” अथवा “केवल पाप कर सकता है” diff --git a/act/08/24.md b/act/08/24.md new file mode 100644 index 0000000..211cc29 --- /dev/null +++ b/act/08/24.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जो बातें तुमने कहीं, उनमें से कोई + +जो बातें तुमने कहीं, उनमें से कोई -यहाँ सन्दर्भ पतरस की झिड़की का है, “तेरी चांदी तेरे साथ नाश हो।” + +# जो तुमने कहीं + +“तुमने” का आशय पतरस व यूहन्ना से है। diff --git a/act/08/25.md b/act/08/25.md new file mode 100644 index 0000000..1697240 --- /dev/null +++ b/act/08/25.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वे गवाही देकर + +पतरस व यूहन्ना ने सामरियों को वही बताया था जो वे यीशु के बारे में व्यक्तिगत तौर पर जानते थे। + +# प्रभु का वचन सुनाकर + +पतरस व यूहन्ना ने सामरियों को बताया कि यीशु के विषय में वचन के कहता है + +# और सामरियों के बहुत से गाँवों में + +अर्थात “सामरिया के कई गाँवों के निवासियों को” diff --git a/act/08/26.md b/act/08/26.md new file mode 100644 index 0000000..8512637 --- /dev/null +++ b/act/08/26.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# फिर + +कहानी में नयी घटना का प्रारंभ। + +# और देखो + +ये शब्द कहानी में किसी नए पात्र के आगमन का संकेत देते हैं। अनुवाद करते समय अपनी भाषा के यथोचित शब्दों का चुनाव करें। + +# खोजा + +यहाँ पर ज़ोर उस व्यक्ति के नपुंसक होने पर नहीं, वरन उसके इथियोपिया के उच्च अधिकारी होने पर है। + +# कन्दाके + +जिस प्रकार मिस्र के राजाओं को फिरौन कहते थे, वैसे ही इथियोपिया की रानी को कन्दाके की उपाधि से संबोधित किया जाता था। + +# रथ + +यहाँ पर “घोड़ागाड़ी” शब्द का प्रयोग अधिक उपयुक्त है। रथ को प्रायः युद्ध के सन्दर्भ में इस्तेमाल किया जाता था, न कि यातायात के वाहन के सन्दर्भ में। + +# यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पढ़ता हुआ + +अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं कि, “यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक में से पढ़ रहा था।” यह पुस्तक बाइबिल के पुराने नियम में है। diff --git a/act/08/29.md b/act/08/29.md new file mode 100644 index 0000000..b5c80cc --- /dev/null +++ b/act/08/29.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है? + +अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं, कि “तू जो पढ़ रहा है, क्या तुझे उसका अर्थ भी मालूम है?” इथियोपिया का वह वासी पढ़ सकता था और बुद्धिमान था। यहाँ पर आत्मिक समझ की बात हो रही है। + +# “जब तक कोई मुझे न समझाए तो मैं कैसे समझूं?” + +यह कोई वास्तविक प्रश्न नहीं है, वरन आलंकारिक भाषा का प्रयोग है। उसके कहने का आशय है कि “जब तक कोई मेरा मार्गदर्शन नहीं करेगा, तब तक मैं इसे नहीं समझ सकता।” + +# उसने फिलिप्पुस से विनती की कि चढ़ कर मेरे पास बैठ। + +इसका आशय यह भी है कि फिलिप्पुस ने उसके साथ यात्रा करना स्वीकार कर लिया था। diff --git a/act/08/32.md b/act/08/32.md new file mode 100644 index 0000000..de2e5ee --- /dev/null +++ b/act/08/32.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जैसा मेम्ना अपने ऊन कतरनेवालों के सामने चुपचाप रहता है + +जैसा मेम्ना अपने ऊन कतरनेवालों के सामने चुपचाप रहता है -ऊन कतरनेवाला व्यक्ति भेड़ के ऊन कतरता है ताकि उसका तरह-तरह से प्रयोग किया जा सके। + +# उसकी दीनता में उसका न्याय होने नहीं पाया + +“उसका अपमान किया गया और उसका उचित न्याय नहीं किया” diff --git a/act/08/34.md b/act/08/34.md new file mode 100644 index 0000000..6cd92b8 --- /dev/null +++ b/act/08/34.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसे यीशु का सुसमाचार सुनाया + +“उस खोजे को यीशु के सुसमाचार की शिक्षा दी” diff --git a/act/08/36.md b/act/08/36.md new file mode 100644 index 0000000..98f459f --- /dev/null +++ b/act/08/36.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रोक है। + +यह कोई वास्तविक प्रश्न नहीं है। इसका आशय है कि, “अब मुझे बपतिस्मा देने से तुझे कोई नहीं रोक सकता।” + +# 37वां वचन + +यह पद हटा दिया गया है क्योंकि कुछ प्राचीन, और अधिक विश्वसनीय शास्त्रों में यह पद नहीं है। diff --git a/act/08/39.md b/act/08/39.md new file mode 100644 index 0000000..d096e17 --- /dev/null +++ b/act/08/39.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# खोजे ने उसे फिर न देखा + +“खोजे ने दोबारा कभी फिलिप्पुस को न देखा” + +# फिलिप्पुस अश्दोद में आ निकला + +इस बात के कोई संकेत नहीं मिलते कि जहाँ फिलिप्पुस उस इथियोपियावासी से मिला था, वहां से लेकर अश्दोद तक वह यात्रा करके गया था। गाजा के ओर जाते मार्ग में वह अचानक ही अदृश्य हुआ और अश्दोद में दोबारा से दिखाई दिया। + +# जब तक कैसरिया में न पहुंचा + +फिलिप्पुस की कहानी यहाँ कैसरिया में समाप्त होती है diff --git a/act/09/01.md b/act/09/01.md new file mode 100644 index 0000000..fc6e73d --- /dev/null +++ b/act/09/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# शाऊल जो अब तक + +कहानी पर फिलिप्पुस से हट कर शाऊल में केन्द्रित हो जाती है। “इस बीच शाऊल” (यूडीबी) + +# अब तक प्रभु के चेलों को धमकाने और घात करने की धुन में था + +“घात” के स्थान पर हम यूं भी लिख सकते हैं : “अब बी प्रभु के चेलों को धमका रहा था, और उन्हें घात भी कर रहा था”। + +# उससे....चिट्ठियां माँगी + +“महा याजक से अनुमोदन की चिट्ठियां मांगीं” + +# जिन्हें वह इस पंथ पर पाए उन्हें बांधकर यरूशलेम ले आये + +“वह” का आशय शाऊल से है। + +# जिन्हें वह इस पंथ पर पाए + +अर्थात “जिन्हें भी वह यीशु मसीह की शिक्षाओं का अनुकरण करते पाता” + +# बांधकर यरूशलेम ले आये + +“वह उन्हें यरूशलेम में बंधक बना कर ले आये।” पौलुस के उद्देश्य को स्पष्ट करने के लिए हम यह भी जोड़ सकते हैं कि, “ताकि यहूदी अगुवें उनका न्याय करें और दंड दे सकें।” diff --git a/act/09/03.md b/act/09/03.md new file mode 100644 index 0000000..a782090 --- /dev/null +++ b/act/09/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(महा याजक द्वारा चिट्ठियाँ देने के बाद , वह दमिश्क के लिए निकल पड़ा) + +# परन्तु चलते-चलते + +शाऊल इस समय दमिश्क की ओर यात्रा कर रहा है + +# तो एकाएक + +कहानी में अचानक आनेवाले बदलाव को व्यक्त करने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया गया है। + +# आकाश से ....ज्योति चमकी + +आकाश से + +# वह भूमि पर गिर पड़ा + +यह सपष्ट नहीं है कि 1)”शाऊल स्वयं भूमि पर गिर पड़ा” या कि 2) “उस ज्योति के कारण वह भूमि पर गिर गया था” या 3) “शाऊल बेसुध सा होकर गिर पड़ा था।” यह तो स्पष्ट है कि शाऊल का गिरना संयोग नहीं था। + +# तू मुझे क्यों सताता है? + +इस प्रश्न के द्वारा शाऊल को प्रभु झिड़की दे रहे थे। अनुवाद करते समय हम ऐसे भी लिख सकते हैं, कि “तू मुझे सता रहा है।” diff --git a/act/09/05.md b/act/09/05.md new file mode 100644 index 0000000..272c93b --- /dev/null +++ b/act/09/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# “हे प्रभु, तू कौन है?” + +“प्रभु” का आशय यहाँ 1) प्रभु, अथवा 2)स्वामी या कि “महोदय” हो सकता है, क्योंकि इस समय तक शाऊल को यह ज्ञात नहीं था कि उसका सामना यीशु मसीह से हुआ है। + +# परन्तु अब उठ कर नगर में जा.... + +“उठ और दमिश्क के नगर में जा....” + +# वह तुझ से कहा जाएगा + +कोई तुझे बता देगा + +# तू....तू....तुझे + +ये सभी एकवचन हैं। + +# किसी को देखते न थे + +ज्योति का अनुभव केवल शाऊल को हुआ था। diff --git a/act/09/08.md b/act/09/08.md new file mode 100644 index 0000000..13dec94 --- /dev/null +++ b/act/09/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# न देख सका + +शाऊल अँधा हो गया था + +# और न खाया और न पीया + +“उसने न खाने और पीने का फैसला किया” अथवा, “वह न खा सका और न पी सका”, क्योंकि उसे “भूख न थी।” diff --git a/act/09/10.md b/act/09/10.md new file mode 100644 index 0000000..2f29567 --- /dev/null +++ b/act/09/10.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अब वहाँ……..था + +कहानी में एक नए पात्र के प्रवेश को दर्शाने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया गया है। + +# हनन्याह + +यीशु का एक चेला जिसने यीशु की आज्ञा मानते हुए शाऊल के पास गया, और उस पर हाथ रख कर उसे चंगाई दी। + +# प्रभु ने उससे कहा + +“प्रभु ने हनन्याह से कहा” + +# यहूदा के घर + +यहूदा दमिश्क में उस घर का मालिक था जहां हनन्याह रुका था। हालाँकि नए नियम में बहुत से हनन्याह हैं, लेकिन संभव है कि यह हनन्याह हमें दोबारा दिखाई नहीं देता। + +# एक तरसुसवासी + +“तरसुस के नगर का एक वासी” diff --git a/act/09/13.md b/act/09/13.md new file mode 100644 index 0000000..e89df6c --- /dev/null +++ b/act/09/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# महायाजकों की ओर से अधिकार मिला है + +यह स्पष्ट है कि इस समय तक शाऊल का अधिकार केवल यहूदियों तक सीमित था। + +# मेरा चुना हुआ पात्र है + +“चुना हुआ पात्र” का आशय सेवा के लिए अलग किया है। अनुवाद करते समय ऐसे भी लिख सकते हैं, कि “मैंने इसे अपनी सेवा के लिए चुना है।” + +# मेरा नाम प्रगट करने के लिए + +“मेरा नाम प्रगट करने के लिए” का आशय यीशु के लिए बोलने और उससे जुड़ना है। अनुवाद करते समय हम “मेरे बारे में बोलने के लिए” भी लिख सकते हैं। + +# मेरे नाम के लिए + +अर्थात “लोगों के मेरे विषय में बताने के लिए।” diff --git a/act/09/17.md b/act/09/17.md new file mode 100644 index 0000000..1c89093 --- /dev/null +++ b/act/09/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उस पर अपना हाथ रखकर कहा + +हनन्याह ने शाऊल पर अपना हाथ रखकर कहा + +# जो...तुझे दिखाई दिया + +हालाँकि यात्रा के दौरान शाऊल के साथ और लोग भी थे, लेकिन “तुझे” का आशय केवल शाऊल (एकवचन) से है। + +# उसी ने मुझे भेजा है, कि तू फिर से दृष्टि पाए और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाए + +इसे सक्रिय वाक्यांश के रूप में भी लिख सकते हैं, “उसी ने मुझे भेजा है कि तू फिर से देखने लगे और पवित्र आत्मा तुझमे भर जाए।” + +# उसकी आँखों से छिलके से गिरे + +“मछली के शरीर के छिलके जैसे कुछ गिरे” + +# और उठकर बप्तिस्मा लिया + +अनुवाद करते समय ऐसे भी लिख सकते हैं, कि “वह उठा और हनन्याह ने उसे बप्तिस्मा दिया।” diff --git a/act/09/20.md b/act/09/20.md new file mode 100644 index 0000000..2ee957a --- /dev/null +++ b/act/09/20.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# और वह तुरंत आरधनालयों में यीशु का प्रचार करने लगा + +“वह” अर्थात शाऊल + +# कि वह परमेश्वर का पुत्र है + +“वह” अर्थात यीशु। + +# सब सुननेवाले + +अतिशयोक्ति का प्रयोग है। “सब” के स्थान पर “सुननेवाले कई लोगों” लिख सकते हैं। + +# क्या यह वही व्यक्ति नहीं है जो यरूशलेम में उन्हें जो इस नाम को लेते थे, नाश करता था...? + +यह वास्तविक प्रश्न नहीं वरन भाषा का आलंकारिक प्रयोग है। यहाँ पूरा ज़ोर इस बात पर है कि विश्वासियों को सताने वाला शाऊल ही था। इसे यूं भी लिख सकते हैं, कि “यह वही है जिसने यीशु का नाम लेनेवालों को यरूशलेम में नाश किया था। diff --git a/act/09/23.md b/act/09/23.md new file mode 100644 index 0000000..e585ccd --- /dev/null +++ b/act/09/23.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यहूदियों ने मिलकर उसे मार डालने के लिए + +“उसे” का आशय शाऊल से है। + +# परन्तु उनकी युक्ति शाऊल को मालूम हो गयी + +इसे सक्रिय वाक्यांश के रूप में लिख सकते हैं, जैसे कि, “लेकिन किसी ने शाऊल को इस युक्ति की जानकारी दे दी।” + +# रात दिन फाटकों पर लगे रहे थे + +इस नगर के चारो ओर एक दीवार थी। आने-जाने के लिए लोगों को नगर के फाटक का इस्तेमाल करना होता था। + +# उसके चेलों + +यीशु के विषय में शाऊल के उपदेश पर विश्वास करने और उसकी शिक्षा को माननेवाले लोग। diff --git a/act/09/26.md b/act/09/26.md new file mode 100644 index 0000000..803bef9 --- /dev/null +++ b/act/09/26.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परन्तु सब उससे डरते थे + +“सब” एक अतिशयोक्ति है। इसका आशय बहुत से या अधिकाँश से है। अनुवाद करते समय हम यूं लिख सकते हैं, कि “लगभग सभी उससे डरते थे।” + +# परन्तु बरनबास ने उसे अपने साथ + +“परन्तु बरनबास ने शाऊल को साथ लिया और” + +# कैसे हियाव से यीशु के नाम का प्रचार किया + +अर्थात शाऊल ने यीशु के सुसमाचार की शिक्षा दी। diff --git a/act/09/28.md b/act/09/28.md new file mode 100644 index 0000000..eee9330 --- /dev/null +++ b/act/09/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वह उनके साथ + +“शाऊल प्रेरितों के साथ मिला और” + +# प्रभु के नाम से प्रचार करता था + +अर्थात यीशु मसीह के सुसमाचार के सन्देश का। + +# यूनानी भाषा बोलनेवाले यहूदियों के साथ बातचीत और वाद-विवाद करता था + +शाऊल ने यूनानी भाषा बोलनेवाले यहूदियों से तर्क-वितर्क किया + +# कैसरिया में ले आये + +यरूशलेम से कैसरिया को जानेवाले मार्ग में ऊंचाई का अंतर था। लेकिन बोलते समय ऐसा कहना सामान्य बात थी कि ऊपर यरूशलेम की और मंदिर की ओर जा रहे है, और दूसरी ओर यरूशलेम से दूर जाते समय कहते थे कि यरूशलेम से नीचे की ओर। diff --git a/act/09/31.md b/act/09/31.md new file mode 100644 index 0000000..5c2272f --- /dev/null +++ b/act/09/31.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उसकी उन्नति होती गयी + +परमेश्वर ने उन्हें उन्नति दी + +# प्रभु के भय और....में बढ़ती चली जाती थी + +“प्रभु को आदर व सम्मान देती रही” + +# पवित्र आत्मा की शांति में + +“पवित्र आत्मा उन्हें सामर्थ व प्रोत्साहन देता था” + +# इस प्रकार सारे यहूदिया, और गलील, सामरिया में + +“सारे” शब्द के प्रयोग में संभवतः अतिशयोक्ति का प्रयोग है। इसका आशय “अधिकाँश” से हो सकता है। + +# पवित्र लोगों के पास + +यह यीशु मसीह के सुसमाचार पर विश्वास करनेवाले लोगों के लिए प्रयुक्त हुआ आलंकारिक शब्द है। + +# लुदिया + +लुदिया यह याफा नगर के दक्षिणपूर्व में लगभग 18 किमी। पर स्थित था। पुराने नियम में, और आधुनिक इस्राएल में यह लोद कहलाता था। diff --git a/act/09/33.md b/act/09/33.md new file mode 100644 index 0000000..3216b62 --- /dev/null +++ b/act/09/33.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वहाँ उसे ऐनियास नामक लकवे का मारा हुआ एक मनुष्य मिला + +“वहां पतरस को ऐनियास नामक लकवे का मारा हुआ एक मनुष्य मिला।” यह स्पष्ट है कि पतरस उससे मिलने की मंशा से नहीं गया था। + +# लकवे का मारा हुआ + +वह चल-फिर नहीं सकता था, शायद कमर से नीचे से उसका शरीर लाचार था + +# अपना बिछौना बिछा + +अर्थात “अपनी चटाई उठा” (यूडीबी) + +# ...के सब रहनेवाले + +यह “बहुत से लोगों” को अतिशयोक्तिपूर्ण दिखाया गया है diff --git a/act/09/36.md b/act/09/36.md new file mode 100644 index 0000000..255c532 --- /dev/null +++ b/act/09/36.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# याफा में + +यहाँ पतरस की कहानी में नया अध्याय जुड़ता है + +# तबीता अर्थात दोरकास नाम एक विश्वासिनी + +तबीता उस विश्वासिनी का अरामी और दोरकास यूनानी भाषा में नाम था। दोनों ही नाम का अर्थ है “हिरन” है। + +# बहुत से भले-भले काम + +अर्थ सुस्पष्ट है + +# उन्हीं दिनों में + +अर्थात जिन दिनों पतरस लुदिया में था। यह अन्तर्निहित जानकारी है। diff --git a/act/09/38.md b/act/09/38.md new file mode 100644 index 0000000..91ce503 --- /dev/null +++ b/act/09/38.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# दो मनुष्य भेजकर उसे विनती की + +शिष्यों ने दो लोग पतरस के पास भेजे + +# विधवाएं + +अर्थात जिनके पतियों की मृत्यु हो चुकी है + +# उनके साथ रहते हुए + +अर्थात "जब वह जीवित थी और प्रेरितों के साथ थी” (यूडीबी) diff --git a/act/09/40.md b/act/09/40.md new file mode 100644 index 0000000..da90a12 --- /dev/null +++ b/act/09/40.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सबको बाहर कर दिया + +अकेले में तबीता के लिए प्रार्थना करने के लिए पतरस ने सभी को बाहर कर दिया था। + +# यह बात सारे याफा में फ़ैल गयी + +पतरस द्वारा तबीता को जिलाए जाने के आश्चर्यकर्म की बात + +# प्रभु पर विश्वास किया + +अर्थात “प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार पर विश्वास किया”। + +# पतरस…..यहाँ बहुत दिन तक रहा + +ऐसा हुआ कि पतरस……यहाँ बहुत दिन तक रहा diff --git a/act/10/01.md b/act/10/01.md new file mode 100644 index 0000000..6b7d0ab --- /dev/null +++ b/act/10/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# कैसरिया में कुरनेलियुस नाम एक मनुष्य था + +कहानी में कुरनेलियुस नाम के एक नए पात्र का प्रवेश होता है। + +# जो इतालियानी नाम पलटन का सूबेदार था + +“उसका नाम कुनेलियुस था। वह रोमी सेना के इतालवी खंड के 100 सिपाहियों के ऊपर प्रभारी-अधिकारी था।” + +# वह भक्त था, और अपने सारे घराने समेत परमेश्वर से डरता था, + +अर्थात, “वह परमेश्वर में आस्था रखता था और अपने जीवन में परमेश्वर को आदर देता था और उसकी आराधना करता था।” + +# अपने सारे घराने समेत + +“अपने पूरे परिवार के साथ” + +# यहूदी लोगों को बहुत दान देता + +अर्थात “गरीब यहूदी लोगों को।” परमेश्वर के प्रति अपने भय को प्रकट करने का उसका यह एक तरीका था। diff --git a/act/10/03.md b/act/10/03.md new file mode 100644 index 0000000..2e95fcb --- /dev/null +++ b/act/10/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसने दिन के तीसरे पहर + +यहूदियों के दोपहर की प्रार्थना का नियमित समय। + +# स्पष्ट रूप से देखा + +अर्थात “कुरनेलियुस ने स्पष्ट रूप से देखा” + +# चमड़े के धंधा करनेवाले के यहाँ + +अर्थात चर्मकार के यहाँ diff --git a/act/10/07.md b/act/10/07.md new file mode 100644 index 0000000..40f4d39 --- /dev/null +++ b/act/10/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जब वह स्वर्गदूत जिसने उससे बातें की थी चला गया + +अर्थात “कुरनेलियुस को मिले दर्शन के समाप्त होने पर” + +# उन्हें सब बातें बताकर + +अर्थात कुरनेलियुस ने अपने दो सेवकों और सिपाही को अपने दर्शन बताया + +# याफा भेजा + +अपने दो सेवकों और सिपाही को याफा भेजा। diff --git a/act/10/09.md b/act/10/09.md new file mode 100644 index 0000000..c1ee4c4 --- /dev/null +++ b/act/10/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जब वे चलते-चलते नगर के पास पहुंचें + +कुरनेलियुस के दो सेवक और सिपाही कुरनेलियुस की आज्ञा पर याफा की ओर यात्रा कर रहे थे। + +# वह बेसुध हो गया + +यह वह दशा थी जिसमें दर्शन पाते समय पतरस भी था। + +# और उसने देखा कि आकाश खुल गया + +यह पतरस के दर्शन की शुरुआत थी + +# एक पात्र बड़ी चादर के समान + +उस बड़े पात्र का आकार एक बड़ी चादर के समान था + +# जिसमें हर प्रकार के....जंतु और आकाश के पंछी थे + +अर्थात उस पात्र के भीतर बहुत तरह के जंतु थे diff --git a/act/10/13.md b/act/10/13.md new file mode 100644 index 0000000..67dc211 --- /dev/null +++ b/act/10/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# और उसे एक ऐसा शब्द सुनाई दिया + +वक्ता स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह स्पष्ट है कि बोलनेवाला परमेश्वर की ओर से था, न कि शैतान की ओर से। + +# प्रभु + +पतरस ने आदरपूर्वक इस शब्द का प्रयोग किया है। + +# मैंने कभी कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु नहीं खाई है + +यह स्पष्ट है कि पात्र में जो जीव-जंतु थे जो मूसा की व्यवस्था के अनुसार अशुद्ध थे और जिन्हें खाना वर्जित था। diff --git a/act/10/17.md b/act/10/17.md new file mode 100644 index 0000000..f933cf0 --- /dev/null +++ b/act/10/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# द्वार पर आ खड़े हुए + +अर्थात “घर के द्वार पर आ खड़े हुए।” स्पष्ट है कि घर में एक दीवार और प्रवेश के लिए एक बाड़ा लगा गेट था। + +# और पुकारकर पूछने लगे + +कुरनेलियुस के लोग द्वार के बाहर से ही पतरस के बारे में पूछताछ कर रहे थे। + +# जो पतरस कहलाता है + +अर्थ स्पष्ट है diff --git a/act/10/19.md b/act/10/19.md new file mode 100644 index 0000000..3dc9fac --- /dev/null +++ b/act/10/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# पतरस जो उस दर्शन पर सोच ही रहा था + +पतरस जो उस दर्शन पर सोच ही रहा था “पतरस जब उस दर्शन पर विचार कर ही रहा था।” + +# आत्मा + +“पवित्र आत्मा” + +# देख, तीन मनुष्य + +“सावधान, तीन मनुष्य” या फिर, “जा, तीन मनुष्य” + +# जिसकी खोज....तुम्हारे आने का कारण क्या है? + +जिसकी खोज तुम.....तुम्हारे आने का कारण क्या है? “तुम” और “तुम्हारे” का आशय कुरनेलियुस द्वारा भेजे गए तीन लोगों से है. diff --git a/act/10/22.md b/act/10/22.md new file mode 100644 index 0000000..1a43be6 --- /dev/null +++ b/act/10/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उन्होंने कहा + +कुरनेलियुस द्वारा भेजे गए तीन संदेशवाहकों ने पतरस से कहा + +# कुरनेलियुस....सारी यहूदी जाति में सुनाम मनुष्य है + +अर्थात बहुत से यहूदी लोग कुरनेलियुस के विषय में भली बातें कहते थे। + +# सारी यहूदी जाति + +यहाँ बहुत से यहूदी लोग कुरनेलियुस के विषय में भली बातें कहते थे को अतिशयोक्ति के साथ व्यक्त किया गया है। + +# कि तुझे अपने घर बुलाकर + +“तुझे” अर्थात पतरस को। diff --git a/act/10/24.md b/act/10/24.md new file mode 100644 index 0000000..ebda7d7 --- /dev/null +++ b/act/10/24.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# दूसरे दिन वे + +“वे” अर्थात पतरस, याफा से पतरस के साथ आया व्यक्ति, और कुरनेलियुस के तीन सेवक + +# अपने कुटुम्बियों और प्रिय मित्रों को इकट्ठे करके + +“अपने” का आशय कुरनेलियुस से है। diff --git a/act/10/25.md b/act/10/25.md new file mode 100644 index 0000000..b1b2d47 --- /dev/null +++ b/act/10/25.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसके पांवों पर गिर कर उसे + +पांवों पर गिरना यहाँ केवल आदर व्यक्त करने की नहीं, वरन आराधना की क्रिया है (यूडीबी)। + +# “खड़ा हो, मैं भी तो मनुष्य हूँ।” + +यहाँ पर पतरस की आराधना करने पर कुरनेलियुस को हल्की सी झिड़की दी गयी है। diff --git a/act/10/27.md b/act/10/27.md new file mode 100644 index 0000000..f3bbded --- /dev/null +++ b/act/10/27.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसके साथ बातचीत करता हुआ + +अर्थात कुरनेलियुस से बातचीत करता हुआ + +# बहुत से लोगों को इकट्ठे देखकर + +“बहुत से गैर यहूदी लोगों को इकट्ठे देखकर।” यह स्पष्ट है कि कुरनेलियुस ने जिन्हें बुलाया था वे गैर यहूदी थे। + +# यहूदी के लिए अधर्म है + +“यहूदी के लिए वर्जित है” + +# तुम जानते हो + +पतरस यहाँ कुरनेलियुस और आमंत्रित लोगों को संबोधित कर रहा है। + +# मुझे किस काम के लिए बुलाया गया है?” + +पतरस यहाँ कुरनेलियुस और उपस्थित सभी गैर-यहूदियों से पूछ रहा है। diff --git a/act/10/30.md b/act/10/30.md new file mode 100644 index 0000000..f169506 --- /dev/null +++ b/act/10/30.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# पूरे चार दिन हुए + +बाइबिल पर आधारित संस्कृति में वर्तमान दिन को भी शामिल किया जाता है। आज के अनुसार “तीन दिन पहले” लिखा जाएगा। + +# तीसरे पहर की प्रार्थना + +परमेश्वर से प्रार्थना करने का यहूदियों का समय। + +# अपने घर में तीसरे पहर की प्रार्थना + +कुछ प्राचीन प्रमाणित लेख “उपवास और प्रार्थना...” कहते हैं + +# तेरी प्रार्थना + +यहाँ आशय केवल कुरनेलियुस (एकवचन) से है। + +# तेरे दान परमेश्वर के सामने स्मरण किये गए + +अर्थात “तेरे दान पर परमेश्वर का ध्यान लगाया है” + +# शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुला + +“पतरस कहलानेवाले शमौन से आने के लिए कह” + +# तेरे पास लोग भेजे + +“तेरे” का आशय केवल पतरस (एकवचन) से है। + +# हम सब यहाँ + +“हम” का आशय उन लोगों से है जिन्हें कुरनेलियुस ने पतरस को सुनने के लिए बुलाया था। diff --git a/act/10/34.md b/act/10/34.md new file mode 100644 index 0000000..4e1d3fb --- /dev/null +++ b/act/10/34.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तब पतरस ने मुंह खोलकर कहा + +“तब पतरस ने उन्हें संबोधित करना शुरू किया” (यूडीबी) + +# जो उससे डरता और धर्म के काम करता है,वह उसे भाता है + +“उसका भय रखनेवाले और धर्म के काम करनेवाला हर व्यक्ति उसे भाता है” diff --git a/act/10/36.md b/act/10/36.md new file mode 100644 index 0000000..f689997 --- /dev/null +++ b/act/10/36.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(पतरस अपनी बात आगे बढाता है) + +# वह वचन तुम जानते हो + +“वचन” का आशय “वचन” से ही है + +# जो सब का प्रभु है + +इसमें यहूदी और गैर-यहूदी सभी लोग शामिल हैं। + +# तुम जानते हो + +आशय कुरनेलियुस और उसके पाहुनों से है (बहुवचन) + +# वह वचन तुम जानते हो + +अर्थात “उसके सभी काम जानते हो” diff --git a/act/10/39.md b/act/10/39.md new file mode 100644 index 0000000..a4c9650 --- /dev/null +++ b/act/10/39.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(पतरस अपनी बात आगे बढ़ाता है) + +# हम.....गवाह हैं + +“हम प्रेरित....गवाह हैं.” इस संबोधन में पतरस ने अपने सुननेवालों को शामिल नहीं किया है। + +# जो उसने.....में भी किये + +“जो यीशु ने....में भी किये” + +# उसे...मार डाला + +“जिसे यहूदी अगुओं ने मार डाला” + +# उसको + +“यीशु को” + +# उसको परमेश्वर ने तीसरे दिन जिलाया + +परमेश्वर ने यीशु को फिर से जीवित किया + +# और प्रगट भी कर दिया + +परमेश्वर ने उसे स्वयं को प्रगट करने की अनुमति दी diff --git a/act/10/42.md b/act/10/42.md new file mode 100644 index 0000000..dea4024 --- /dev/null +++ b/act/10/42.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(पतरस अपनी बात आगे बढ़ाता है) + +# उसने हमें आज्ञा दी + +परमेश्वर ने हम प्रेरितों को आज्ञा दी। इस “यहाँ” शब्द में पतरस को सुननेवाले शामिल नहीं हैं। + +# यह वही है जिसे परमेश्वर ने .....ठहराया है + +कि यीशु ही वही है जिसे परमेश्वर ने ....ठहराया है. + +# जीवतों और मरे हुओं का + +वे जो अब भी जीवित हैं और वे जो मर चुके हैं + +# उसकी सब भविष्यद्वक्ता गवाही देते हैं + +सब भविष्यद्वक्ता यीशु की गवाही देते हैं diff --git a/act/10/44.md b/act/10/44.md new file mode 100644 index 0000000..262096c --- /dev/null +++ b/act/10/44.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वचन के सब सुननेवालों पर उतर आया + +वचन के सब सुननेवालों पर उतर आया “सब” का आशय संभवतः घर में मौजूद सब गैर-यहूदियों से है जो पतरस पर विश्वास रखते थे। + +# दान + +“मुफ्त का वरदान” + +# पवित्र आत्मा का दान उंडेला गया है + +परमेश्वर ने पवित्र आत्मा का दान उंडेला है diff --git a/act/10/46.md b/act/10/46.md new file mode 100644 index 0000000..dc43bc0 --- /dev/null +++ b/act/10/46.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उन्होंने उन्हें भांति-भांति की भाषा बोलते और परमेश्वर की बड़ाई करते सुना + +ये लोगों द्वारा बोली जानेवाली भाषाएँ थीं जिससे यहुदियों को यह पता चल पाया कि “उन्हें” अर्थात अन्यजातीय लोग सचमुच परमेश्वर की बड़ाई कर रथे थे। + +# क्या कोई जल की रोक कर सकता है कि.... + +यह वास्तविक प्रश्न न होकर भाषा का आलंकारिक प्रयोग है। इसका आशय है कि “किसी को उन्हें जल से दूर नहीं रखना चाहिए।” + +# कि ये बप्तिस्मा न पाएं + +पतरस यहाँ पर आलंकारिक भाषा का प्रयोग कर रहा है और प्रश्न वास्तविक न होकर केवल आलंकारिक है। कहने का आशय असल में है कि ये लोग बप्तिस्मा पाने के योग्य हैं। + +# और उसने आज्ञा दी कि उन्हें ....बप्तिस्मा दिया जाए + +“पतरस ने उन्हें अन्यजतीय लोगों को बप्तिस्मा देने की आज्ञा दी” (निष्क्रिय) अथवा “पतरस ने यहूदी मसीहियों को गैर-यहूदी विश्वासियों को बप्तिस्मा देने की आज्ञा दी” + +# तब उन्होंने उससे विनती की + +“तब अन्यजातियों ने पतरस से विनती की” diff --git a/act/11/01.md b/act/11/01.md new file mode 100644 index 0000000..eb37c34 --- /dev/null +++ b/act/11/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# और.... + +कहानी को आगे बढाने के लिए प्रयुक्त + +# जो यहूदिया में थे + +“जो यहूदिया प्रांत में थे” + +# परमेश्वर का वचन मान लिया + +यह यीशु मसीह के सुसमाचार पर अन्यजातियों द्वारा विश्वास करने, उन पर पवित्र आत्मा के उतरने व उनके द्वारा बप्तिस्मा लेने को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त की गयी अभिव्यक्ति है। + +# और जब पतरस यरूशलेम में आया + +यरूशलेम पहाड़ी पर स्थित है + +# खतना किये हुए लोग + +ऐसे यहूडी लोग जो यह सिखाते थे कि मसीह के अनुयायियों को खतना करवाना चाहिए और मूसा की व्यवस्था को पालन करना चाहिए + +# उससे वाद-विवाद करने लगे + +“वे उसके समक्ष मुद्दा उठा रहे थे” + +# उनके साथ खाया + +यहूदी व्यवस्था के अनुसार खतना किये लोगों का उन लोगों के साथ भोजन करना वर्जित था जिन्होंने खतना नहीं किया है diff --git a/act/11/04.md b/act/11/04.md new file mode 100644 index 0000000..e9bbec3 --- /dev/null +++ b/act/11/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तब पतरस ने उन्हें .....कह सुनाया + +तब पतरस ने उन्हें.....कह सुनाया - पतरस ने यहूदी विश्वासियों की निंदा नहीं की वरन उन्हें मैत्रीपूर्ण रीति से समझाया था + +# पृथ्वी के चौपाए + +चौपाए से आशय शायद पालतू जानवरों से है। + +# वनपशु + +इसका आशय शायद जंगली जानवरों से था जिन्हें लोग पालतू नहीं बनाते अथवा नहीं बना सकते हैं। + +# रेंगनेवाले जंतु + +अर्थात सरीसृप diff --git a/act/11/07.md b/act/11/07.md new file mode 100644 index 0000000..b5934df --- /dev/null +++ b/act/11/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(पतरस अपना बोलना जारी रखता है) + +# कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु मेरे मुंह में कभी नहीं गयी + +स्पष्ट है कि पात्र में वे जानवर थे जिन्हें यहूदी व्यवस्था के अनुसार खाना वर्जित था। + +# कोई अपवित्र या अशुद्ध + +कोई अपवित्र या अशुद्ध यहाँ भोजन की “अपवित्र या अशुद्ध” वस्तुओं की बात हो रही है। + +# मेरे मुंह में कभी नहीं गयी + +मेरे मुंह में कभी नहीं गयी अर्थात “मैंने कभी नहीं खाई।” + +# जो कुछ परमेश्वर ने शुद्ध ठहराया है, उसे अशुद्ध मत कह + +अर्थात “जो पशु परमेश्वर ने शुद्ध ठहराए हैं, उन्हें अशुद्ध मत कह।” + +# अशुद्ध + +पुराने नियम की यहूदी व्यवस्था के अनुसार एक व्यक्ति कई तरह से अशुद्ध हो जाता था, जैसे कि वर्जित जानवरों को खाना आदि। diff --git a/act/11/11.md b/act/11/11.md new file mode 100644 index 0000000..05cb690 --- /dev/null +++ b/act/11/11.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(पतरस अपनी बात को आगे बढाता है) + +# और देखो + +“और तुरंत ही” या फिर “बस उसी पल” (यूडीबी)। इससे मूल कहानी में एक नये प्रकरण की शुरुआत का संकेत मिलता है। आप यहाँ अपनी भाषा में उपलब्ध उचित शब्दों का प्रयोग करें। + +# उनके साथ बेखटके हो लेने को कहा + +अर्थात “यहूदी और गैर-यहूदी का भेदभाव किये बिना साथ हो लेने को कहा” + +# लेने को कहा + +किसी ने उन्हें भेजा था। + +# छ: भाई + +“छ: यहूदी विश्वासी” + +# शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुलवा ले + +“पतरस कहलानेवाले शमौन को बुलवा ले” + +# उद्धार पाएगा + +“परमेश्वर द्वारा बचाया जाएगा” diff --git a/act/11/15.md b/act/11/15.md new file mode 100644 index 0000000..aa6bdc4 --- /dev/null +++ b/act/11/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(पतरस अपनी बात जारी रखता है।) + +# तो पवित्र आत्मा उन पर उसी रीति से उतरा, जिस रीति से आरम्भ में हम पर उतरा था + +“पवित्र आत्मा अन्यजातियों पर उसी रीति से उतरा, जिस रीति से पिन्तेकुस्त के दिन यहूदी विश्वासियों पर उतरा था।” + +# आरम्भ में हम पर + +“हम” का आशय यहाँ पतरस और उन यहूदी विश्वासियों से है जो आरम्भ में थे, लेकिन कमरे में मौजूद सभी लोग शुरू से मौजूद नहीं थे। + +# आरम्भ में + +आरम्भ में पतरस का आशय यहाँ पिन्तेकुस्त के दिन से है। + +# तुम पवित्र आत्मा से बप्तिस्मा पाओगे + +“परमेश्वर तुम्हें पवित्र आत्मा से बप्तिस्मा देगा” diff --git a/act/11/17.md b/act/11/17.md new file mode 100644 index 0000000..06a1d23 --- /dev/null +++ b/act/11/17.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(17वें पद में पतरस अपना संबोधन समाप्त करता है) + +# परमेश्वर ने उन्हें....दिया + +“उन्हें” का आशय यहाँ कुरनेलियुस और उसके संपर्क में आये गैर-यहूदी लोगों की कहानी से है। लेकिन, यरूशलेम में यहूदी विश्वासियों को वृत्तान्त सुनाते समय पतरस उन्हें गैर-यहूदी कह कर संबोधित नहीं करता + +# वही वरदान + +पतरस यहाँ पवित्र आत्मा के वरदान के विषय में कह रहा है + +# मैं कौन था, जो परमेश्वर को रोक सकता था? + +मैं परमेश्वर का विरोध नहीं कर सकता। + +# यह सुनकर, वे चुप रहे + +यह सुनकर, वे चुप रहे - “वे” का आशय खतना हुए लोगों से है जो पतरस की आलोचना कर रहे थे। + +# जीवन के लिए मन फिराव का दान दिया है + +“जीवन की ओर ले जानेवाला मन फिराव का दान दिया है” diff --git a/act/11/19.md b/act/11/19.md new file mode 100644 index 0000000..022d47d --- /dev/null +++ b/act/11/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जो लोग उस क्लेश के मारे जो स्तिफनुस के कारण पड़ा था, तितर-बितर हो गए + +प्रेरितो के कार्य के 8वें अध्याय का सारांश कहानी में एक नए प्रकरण के प्रवेश की भूमिका बनाने के लिए है। + +# जो लोग उस क्लेश के मारे जो स्तिफनुस के कारण पड़ा था, तितर-बितर हो गए + +“यहूदी अगुवों द्वारा स्तिफनुस की हत्या के बाद बहुत से विश्वासी क्लेश झेलने लगे। ये विश्वासी यरूशलेम छोड़ कर दूसरी जगह चले गए.....” + +# परन्तु यहूदियों को छोड़ किसी और को + +वे सोचते थे कि परमेश्वर का वचन केवल यहूदियों के लिए है, गैर- यहूदियों (यूनानियों) के लिए नहीं। + +# प्रभु का हाथ + +अर्थात “परमेश्वर बहुत सामर्थी रीति से उन्हें समर्थ बना रहा था”। diff --git a/act/11/22.md b/act/11/22.md new file mode 100644 index 0000000..584bb70 --- /dev/null +++ b/act/11/22.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# तब उनकी चर्चा + +“उनकी” का आशय अन्ताकिया के नए विश्वासियों से है + +# कलीसिया के सुनने में आई + +अर्थात “यरूशलेम के विश्वासियों ने सुना।” + +# उन्होंने बरनबास को अन्ताकिया भेजा + +यरूशलेम की कलीसिया के विश्वासियों ने भेजा + +# परमेश्वर के अनुग्रह को देखकर + +“विश्वासियों के प्रति परमेश्वर की दया देखकर” (यूडीबी) + +# सब को उपदेश दिया + +“सब को उपदेश देता रहा” + +# प्रभु से लिपटे रहो + +“प्रभु के विश्वासयोग्य बने रहो” + +# तन मन लगाकर + +“”प्रभु के प्रति पूरी तरह समर्पित रहो” अथवा “प्रभु पर सम्पूर्ण रीति से आस्था रखो”(यूडीबी) + +# पवित्र आत्मा और विश्वास से परिपूर्ण था + +पवित्र आत्मा की आज्ञापालन करते समय स्तिफनुस पवित्र आत्मा के वश में था + +# बहुत से लोग प्रभु में आ मिले + +अर्थात “बहुत से लोगों ने प्रभु में विश्वास किया।” diff --git a/act/11/25.md b/act/11/25.md new file mode 100644 index 0000000..2cb1d7a --- /dev/null +++ b/act/11/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तरसुस को चला गया + +अर्थात “तरसुस नगर को चला गया” + +# और जब उनसे मिला तो उसे अन्ताकिया में लाया + +“शाऊल से मिलने पर बरनबास शाऊल को ले आया” + +# वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते + +अर्थात “बरनबास और शाऊल एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते” अथवा “बरनबास और शाऊल एक वर्ष तक नियमित रूप से कलीसिया से मिलते” + +# चेले सबसे पहले अन्ताकिया में मसीही कहलाए + +चेले सबसे पहले अन्ताकिया में मसीही कहलाए - “अन्ताकियावासियों ने सबसे पहले चेलों को मसीही नाम से बुलाया” diff --git a/act/11/27.md b/act/11/27.md new file mode 100644 index 0000000..53ccff6 --- /dev/null +++ b/act/11/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उन्हीं दिनों में + +कहानी में नए प्रकरण की शुरुआत + +# यरूशलेम से अन्ताकिया आये + +यरूशलेम से अन्ताकिया दोनों अलग स्तर पर थे। ऐसा प्रतीत होता है कि यरूशलेम, विशेषकर कि मंदिर की बहुत महत्ता है। + +# सारे जगत में बड़ा अकाल पड़ा + +“अन्न की भारी कमी हो गयी” + +# सारे जगत में + +यहाँ अतिशयोक्ति का प्रयोग है। असल में “जगत” का आशय रोमी साम्राज्य से है। diff --git a/act/11/29.md b/act/11/29.md new file mode 100644 index 0000000..772cf9c --- /dev/null +++ b/act/11/29.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हर एक अपनी अपनी पूंजी के अनुसार + +हर एक अपनी अपनी पूँजी के अनुसार - अर्थात धनी लोगों ने अधिक भेजा और गरीब लोगों ने अपनी हैसियत के अनुसार कम + +# उन्होंने ऐसा ही किया + +के पास कुछ भेज दिया< “अन्ताकिया के विश्वासियों ने धन-दान में दिया और उन्होंने धन भेज दिया...” + +# बरनबास और शाऊल के हाथ + +बरनबास और शाऊल के हाथ --अर्थात “यरूशलेम की कलीसिया के प्राचीनो के पास स्वयं बरनबास और शाऊल धन लेकर आये” diff --git a/act/12/01.md b/act/12/01.md new file mode 100644 index 0000000..69e3611 --- /dev/null +++ b/act/12/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# Now + +Now - this begins a new part of the story + +# उस समय + +उस समय जब यहूदिया के भाइयों की मदद के लिए अन्ताकिया के शिष्यों ने धन भेजा था + +# उन पर हाथ डाले + +अर्थात “पकड़वाने के लिए सिपाही भेजे” अथवा “उन्हें पकड़ कर कैद में डलवाने के लिए सिपाही भेजे।” + +# कलीसिया के कई एक व्यक्तियों को + +स्पष्ट है कि यहाँ कलीसिया के अगुओं की बात हो रह है। अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं, कि “सभा के अगुओं”, अथवा “विश्वासियों की सभा के अगुओं।” नोट: “उन पर हाथ डाले” में व्याकरणिक अशुद्धि है। इसे एकवचन में लिखेंगे, कि “उन पर हाथ डाला।” + +# दुःख देने के लिए + +“उन्हें कष्ट देने के लिए” + +# उसने .....मरवा डाला + +अर्थात “हेरोदेस राजा ने....मरवा डाला” या फिर, “हेरोदेस ने ....मरवाने का आदेश दिया” + +# उसने यूहन्ना के भाई याकूब को तलवार से मरवा डाला + +यहाँ स्पष्ट किया जा रहा है कि याकूब की किस रीति से हत्या की गयी थी diff --git a/act/12/03.md b/act/12/03.md new file mode 100644 index 0000000..6cc5841 --- /dev/null +++ b/act/12/03.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# जब उसने देखा, कि यहूदी लोग इससे आनंदित होते हैं + +“जब हेरोदेस को पता चला कि याकूब की मृत्यु से यहूदी अगुवे प्रसन्न होते हैं” + +# यहूदी लोग इससे आनंदित होते है + +“यहूदी लोग खुश होते हैं” + +# तो उसने पतरस को भी पकड़ लिया + +“हेरोदेस ने पतरस को भी पकड़ने के आदेश दे दिए” + +# वे दिन + +अर्थात “जब ऐसा हुआ” या फिर, “हेरोदेस ने ऐसा किया” + +# उसने उसे पकड़ कर बंदीगृह में डाला + +“सिपाहियों द्वारा पतरस को पकड़वाकर, हेरोदेस ने पतरस को बंदीगृह में डलवा दिया’ + +# चार-चार सिपाहियों के चार पहरों में रखा + +“सिपाहियों के चार दल” (यूडीबी देखें)। हर दल में चार सिपाही थे और एक समय में चार सिपाहियों का एक दल पतरस पर नज़र रखता था। दो सिपाही दो तरफ, और बाकी के दो प्रवेश द्वार पर। + +# पहरों में रखा + +अर्थात “पतरस को पहरों में रखा” + +# इस मनसा से कि फसह के बाद उसे लोगों के सामने लाए + +“हेरोदेस ने योजना बनाई थी कि पतरस का न्याय वह लोगों के सामने करेगा” या फिर, “हेरोदेस ने यहूदी लोगों के सामने पतरस का न्याय करने की योजना बनाई” diff --git a/act/12/05.md b/act/12/05.md new file mode 100644 index 0000000..b1ca2b0 --- /dev/null +++ b/act/12/05.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# बंदीगृह में पतरस की रखवाली हो रही थी + +बंदीगृह में पतरस की रखवाली हो रही थी -वे लगातार उस पर नज़र रखे थे + +# लौ लगाकर + +अर्थात “पूरी निष्ठा से लगातार” अथवा, “समर्पण भाव के साथ बिना रुके” + +# कलीसिया + +यरूशलेम के विश्वासी प्रार्थना कर रहे थे, या फिर, यरूशलेम की कलीसिया प्रार्थना कर रही थी + +# उसके लिए + +“पतरस के लिए” + +# जब हेरोदेस उसे उनके सामने लाने को था + +“जब हेरोदेस पतरस को मृत्यु दंड देने के लिए बाहर लाने को था” + +# पतरस दो जंजीरों से बंधा था + +“पतरस दो जंजीरों में जकड़ा हुआ था” + +# रखवाली कर रहे थे + +“पहरा दे रहे थे” diff --git a/act/12/07.md b/act/12/07.md new file mode 100644 index 0000000..1a14c42 --- /dev/null +++ b/act/12/07.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# तो देखो + +“तो देखो” में सहसा हुई किसी घटना का संकेत मिलता है। + +# आ खड़ा हुआ + +“पतरस की बगल में आ खड़ा हुआ” + +# उस कोठरी में + +उस कोठरी में - “बंदीगृह के उस कक्ष में” + +# उसने पतरस की पसली पर हाथ मार कर उसे जगाया + +“स्वर्गदूत ने पतरस थपथपा कर जगाया” + +# उसे जगाया + +“पतरस को जगाया” + +# उसके हाथ से जंजीरें खुलकर गिर पड़ी + +स्वर्गदूत ने पतरस की जंजीरों को छूए बिना ही उन्हें खोल कर गिराया था। अनुवाद करते समय हम यूं लिख सकते हैं, कि “पतरस की जंजीरें आप ही खुल कर गिर पडीं” + +# उससे कहा + +अर्थात "पतरस से कहा" + +# उसने वैसा ही किया + +“पतरस ने स्वर्गदूत के कहे अनुसार किया” या फिर, “पतरस ने उनकी आज्ञा मान ली” + +# स्वर्गदूत ने उससे कहा + +“स्वर्गदूत ने पतरस से कहा” + +# मेरे पीछे हो ले + +मेरे पीछे हो ले -यहाँ कहने का आशय यह है कि वहाँ से निकलते समय पतरस को अपना ध्यान पतरस पर लगाए रखना था। diff --git a/act/12/09.md b/act/12/09.md new file mode 100644 index 0000000..04e1bd5 --- /dev/null +++ b/act/12/09.md @@ -0,0 +1,47 @@ +# परन्तु यह न जानता था + +“पतरस यह न जानता था” या फिर, “पतरस यह नहीं समझा कि” + +# जो कुछ स्वर्गदूत कर रहा है, सच है + +जो कुछ स्वर्गदूत कर रहा है, सच है- “स्वर्गदूत सचमुच में वह सब कर रहा है” या फिर, “स्वर्गदूत द्वारा किये कार्य, सचमुच घटित हो रहे थे।” + +# यह समझा कि मैं दर्शन देख रहा हूँ + +यह समझा कि मैं दर्शन देख रहा हूँ- “पतरस यह समझा कि वह दर्शन देख रहा था।” + +# तब वे पहले + +“तब स्वर्गदूत और पतरस” + +# निकलकर...पर पहुंचे + +“निकलकर...गए” + +# पहले + +“पहले पहरे” + +# पहुंचे + +“पतरस और स्वर्गदूत....पहुँच गए” + +# जो नगर की ओर है + +“जो नगर की ओर खुलता है” + +# वह उनके लिए आप से आप खुल गया + +वह उनके लिए आप से आप खुल गया - “उनके लिए अपने आप खुल गया” या फिर, “उनके लिए स्वयं खुल गया” + +# और वे निकलकर + +“और स्वर्गदूत व पतरस द्वार से होते हुए निकल गए” + +# एक ही गली होकर गए + +“एक गली के किनारे-किनारे चले गए” + +# उसे छोड़ कर चला गया + +“पतरस को अचानक से छोड़ दिया” या फिर, “अचानक अदृश्य हो गया” diff --git a/act/12/11.md b/act/12/11.md new file mode 100644 index 0000000..b07084f --- /dev/null +++ b/act/12/11.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तब पतरस ने सचेत होकर कहा + +“जब पतरस को पूरी तरह होश आया” या फिर, “जब पतरस को यह समझ आया कि जो कुछ भी हुआ, वह सच था” + +# मुझे हेरोदेस के हाथ से छुड़ा लिया + +‘हेरोदेस के हाथ से छुड़ा लिया” का आशय “हेरोदेस की योजना से बचा लिया” है। + +# यहूदियों की सारी आशा + +“यहूदी जो मेरे साथ होते देखना चाहते थे” + +# मैं सच जान लिया + +“अर्थात मैंने यह सच जान लिया है” + +# उस यूहन्ना की माता मरियम के घर आया, जो मरकुस कहलाता है + +“.....जो मरकुस भी कहलाता है” diff --git a/act/12/13.md b/act/12/13.md new file mode 100644 index 0000000..2237326 --- /dev/null +++ b/act/12/13.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# खिड़की खटखटाई + +“पतरस ने खिड़की खटखटाई”। घर के भीतर आने से पहले दरवाज़े पर खटखटाना यहूदियों की एक सामान्य रीति थी। + +# फाटक की खिड़की + +“बाहर के दरवाज़े की खिड़की” या फिर, “आँगन से गली की ओर खुलनेवाले प्रवेश द्वार की खिड़की खटखटाई” + +# सुनने को आई + +अर्थात “खटखटाने वाले को देखने आई” + +# पतरस का शब्द पहचानकर + +“रूदे ने पतरस की आवाज़ पहचान ली” + +# आनंद के मारे + +“वह इतनी आनंदित हो गयी कि” या फिर, “उत्साह के चलते” + +# द्वार पर खड़ा है + +अर्थात “द्वार के उस ओर खड़ा है।” इस समय तक पतरस दरवाज़े के बाहर ही था। + +# उन्होंने उससे कहा + +“घर के भीतर मौजूद विश्वासियों ने रूदे से कहा” + +# तू पागल है + +लोगों को उसकी बात पर विश्वास नही हो रहा था, और उसे पागल कह कर डांट दिया। अनुवाद करते समय हम “तू पागल तो नहीं है” भी लिख सकते हैं। + +# परन्तु वह दृढ़ता से बोली कि ऐसा ही है + +“रूदे ने ज़ोर देकर कहा कि वह सच बोल रही है” + +# तब उन्होंने कहा + +अर्थात “घर के भीतर मौजूद विश्वासियों ने उत्तर दिया” + +# उसका स्वर्गदूत होगा + +“तुमने पतरस का स्वर्गदूत देखा होगा।” कुछ यहूदी संरक्षक दूतों पर विश्वास करते थे और शायद सोंचते होंगे कि पतरस का दूत उनसे मिलने आया है। diff --git a/act/12/16.md b/act/12/16.md new file mode 100644 index 0000000..d2ad390 --- /dev/null +++ b/act/12/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# परन्तु पतरस खटखटाता ही रहा + +परन्तु पतरस खटखटाता ही रहा - अर्थात जितने समय लोग घर के भीतर बातें कर रहे थे, उन पूरे दौरान पतरस खटखटाता रहा। + +# अतः उन्होंने खिड़की खोली, और उसे देखकर चकित रह गए + +“दरवाज़ा खोलने पर घर के भीतर बैठे लोग पतरस को देख कर हैरान रह गए” + +# हाथ से संकेत किया कि चुप रहें + +पतरस ने घर के भीतर के लोगों को हाथ से संकेत देकर चुप रहने को कहा + +# यह बात कह देना + +“ये बातें कह देना” + +# चला गया + +“पतरस चला गया” diff --git a/act/12/18.md b/act/12/18.md new file mode 100644 index 0000000..07712dc --- /dev/null +++ b/act/12/18.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# भोर को + +यहाँ पर कहानी में कुछ रोक आया है जो आगे चलकर कहानी को फिर आरम्भ करेगा, इसलिए अनुवाद इस प्रकार होना है, “अब जब भोर हुई, तब....” + +# बड़ी हलचल + +यहाँ पर ज़ोर दिया गया है। अनुवाद करते समय यहाँ “बहुत हलचल” लिख सकते हैं। + +# बड़ी हलचल + +“हलचल” में यहाँ चरम दुःख, उत्कंठा, भय या भ्रम नकारात्मक भाव है। + +# का क्या हुआ + +“के साथ क्या हुआ” + +# जब हेरोदेस ने उसकी खोज की और न पाया + +इसे यूं भी कह सकते हैं कि “जब हेरोदेस ने पतरस की खोज की और पतरस को न खोज सका।” + +# जब हेरोदेस ने उसकी खोज की + +संभावित अर्थ इस प्रकार हैं, 1) “जब हेरोदेस ने सुना कि पतरस वहां नहीं था, वह स्वयं कैदखाने में उसे खोजने गया” या फिर, 2) “जब हेरोदेस ने सुना कि पतरस गायब था, उसने बंदीगृह की तलाशी लेने सिपाही भेजे।” + +# तो पहरूओं की जांच करके आज्ञा दी कि वे मार डाले जाएं + +“हेरोदेस ने पहरूओं से पूछताछ की और सिपाहियों को आज्ञा दी कि उन पहरूओं को मार डाले + +# और वह यहूदिया छोड़ कर + +“तब हेरोदेस यहूदिया छोड़ कर”। यरूशलेम की ओर यात्रा करते समय रास्ते में आनेवाले स्थान निचली सतह पर स्थित माने जाते हैं, क्योंकि यरूशलेम पहाडी पर स्थित है। diff --git a/act/12/20.md b/act/12/20.md new file mode 100644 index 0000000..1b83aad --- /dev/null +++ b/act/12/20.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# लेकिन + +‘अब उस समय’ का प्रयोग कहानी में आये बदलाव को दर्शाने के लिए किया जाता है। वैकल्पिक अनुवाद:"उस समय" + +# सो वे .....उसके पास गए + +“हेरोदेस से बातचीत करने के लिए सूर और सैदा से आये प्रतिनिधि लोग मिलकर गए।” + +# एक चित्त होकर उसके पास गए + +“ये लोग आपस में सलाह करके उसके पास गए” + +# बलास्तुस + +बलास्तुस हेरोदेस राजा का सहायक अथवा राजमहल का बड़ा अधिकारी था। + +# मेल करवाना चाहा + +“इन लोगों ने शान्ति की विनती की” + +# ठहराए हुए दिन + +बैठक के लिए “नियत दिनों में” + +# उनको व्याख्यान देने लगा + +“हेरोदेस ने उन लोगों को भाषण दिया” या फिर, “हेरोदेस ने उन लोगों से कहा”। + +# सिंहासन पर बैठा + +हेरोदेस अपना औपचारिक संबोधन यहीं से देता था। “हेरोदेस अपने सिंहासन पर बैठा।” (यूडीबी) diff --git a/act/12/22.md b/act/12/22.md new file mode 100644 index 0000000..a10ab54 --- /dev/null +++ b/act/12/22.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यह तो ....परमेश्वर का शब्द है + +“यह शब्द तो परमेश्वर का शब्द है” अथवा, “यह मनुष्य नहीं परमेश्वर बोल रहा है” (यूडीबी) + +# तुरंत + +तुरंत जबकि लोग हेरोदेस की प्रशंसा कर ही रहे थे कि + +# उसे मारा + +“हेरोदेस को मारा” अथवा “हेरोदेस को बीमार कर दिया” + +# उसने परमेश्वर की महिमा नहीं की + +परमेश्वर की बजाय हेरोदेस ने उन लोगों को अपनी आराधना करने दी। “हेरोदेस ने परमेश्वर को महिमा नहीं दी।” + +# उसके शरीर में कीड़े पड़ गए + +“हेरोदेस के शरीर को कीड़ों ने खा लिया और उसकी मृत्यु हो गयी।” diff --git a/act/12/24.md b/act/12/24.md new file mode 100644 index 0000000..7aa5220 --- /dev/null +++ b/act/12/24.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# परमेश्वर का वचन बढ़ता और फैलता गया + +यहाँ पर आशय “यीशु के उद्धार के उपदेश के फैलने और इस उपदेश पर विश्वास रखनेवालों की संख्या में वृद्धि” से है। अनुवाद करते समय ऐसे भी लिख सकते हैं कि, “परमेश्वर का वचन फैलता गया और विश्वासियों की संख्या बढ़ती चली गयी”। + +# अपनी सेवा पूरी कर चुके तो.... + +अर्थात “यरूशलेम की कलीसिया के अगुओं को धन सौंप कर” + +# लौटे + +“बरनबास और अन्ताकिया को शाऊल लौटे” + +# यूहन्ना को....साथ लेकर + +“बरनबास और शाऊल, यूहन्ना को अपने साथ लेकर” + +# जो मरकुस कहलाता है + +“जिसे मरकुस बुलाते हैं” diff --git a/act/13/01.md b/act/13/01.md new file mode 100644 index 0000000..14f68a4 --- /dev/null +++ b/act/13/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# अन्ताकिया की कलीसिया में + +“उस समय अन्ताकिया की कलीसिया में” + +# शमौन जो नीगर कहलाता है; और लूकियुस कुरेनी, और चौथाई देश के राजा हेरोदेस का दूधभाई मनाहेम और शाऊल + +(देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें) + +# हेरोदेस का दूधभाई + +मनाहेम संभवतः हेरोदेस का संगी या साथ पला-बड़ा मित्र था + +# मेरे लिए...अलग करो + +“मेरी सेवा के लिए....नियुक्त’’ अथवा “शुद्ध” करो + +# मैंने उन्हें बुलाया है + +मैंने उन्हें बुलाया है बुलाने से आशय परमेश्वर द्वारा इस कार्य के चुनने से है + +# तब उन्होंने + +अर्थात तब “सभा ने” या फिर, “विश्वासियों की सभा ने” + +# उन पर हाथ रखकर + +“परमेश्वर की सेवा के लिए अलग किये उन लोगों पर अपने हाथ रखकर।” यहाँ पर हाथ रखने के द्वारा आत्मा के वरदान देने का उल्लेख नहीं है। यह बरनबास और शाऊल पर पवित्र आत्मा की बुलाहट की पुष्टि करने के लिए प्राचीनों द्वारा निभाई गयी रीति थी। + +# उन्हें विदा किया + +“उन लोगों को विदा किया” या फिर, “उन लोगों को पवित्र आत्मा द्वारा बताये गए कार्य को करने के लिए विदा किया” diff --git a/act/13/04.md b/act/13/04.md new file mode 100644 index 0000000..94cc24f --- /dev/null +++ b/act/13/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अतः वे + +अर्थात “बरनबास और शाऊल” + +# सिलूकिया को गए + +सिलूकिया को गए - शायद यहाँ सतह की ऊँचाई में अंतर था + +# सिलूकिया + +सिलूकिया सागर तट के किनारे बसा नगर था + +# सलमीस + +सलमीस नगर कुप्रुस द्वीप में था + +# यहूदियों के आरधनालयों में + +संभावित अर्थ हैं: 1) “बरनबास और शाऊल ने सलमीस नगर में उपदेश दिए थे और वहां बहुत से यहूदी आराधनालय थे” या फिर 2) “बरनबास और शाऊल ने उपदेश देने की शुरुआत सलमीस नगर से की और कुप्रुस द्वीप में यात्रा करते हुए बाकी यहूदी आराधनालयों में गए।” diff --git a/act/13/06.md b/act/13/06.md new file mode 100644 index 0000000..a4eaecb --- /dev/null +++ b/act/13/06.md @@ -0,0 +1,59 @@ +# ...से होते हुए, पाफुस था पहुंचे + +अर्थात बरनबास,शाऊल और यूहन्ना मरकुस पहुंचे + +# सारे टापू + +वे टापू की एक छोर से दूसरी छोर तक गए। हो सकता है कि वे टापू के हर नगर में न गए हों। लेकिन अपने रास्ते में आनेवाले हर नगर में उन्होंने सुसमाचार का प्रचार किया होगा। + +# पाफुस + +कुप्रुस टापू का एक मुख्य नगर जहाँ प्रांत का गवर्नर रहता था + +# एक जादूगर मिला + +“मिला” से आशय अचानक हुई भेंट से है। अनुवाद करते समय हम “संयोगवश उनकी भेंट एक जादूगर से हुई।” + +# एक जादूगर + +“जादू-टोना करनेवाला व्यक्ति” अथवा “पारलौकिक और जादूई कला का अभ्यास करनेवाला व्यक्ति।” + +# बार-यीशु नामक + +यूनानी भाषा में इसका अर्थ है “यीशु का बेटा। लेकिन इस व्यक्ति का यीशु मसीह से कोई लेना-देना नहीं था। ‘यीशु’ उन दिनों बहुत आम नाम था। + +# के साथ था + +“अकसर ...के साथ था” या फिर, “अकसर...उनकी संगति में रहता था” + +# हाकिम + +रोमी प्रान्त का गवर्नर अधिकारी। अनुवाद करते समय “गवर्नर” भी लिख सकते हैं + +# जो बुद्धिमान पुरुष था + +अर्थात "सरगियुस पौलुस" + +# इलीमास टोन्हे ने + +अर्थात जादूगर बार-यीशु ने + +# (इसका नाम इसी तरह अनूदित है) + +“यूनानी भाषा में वह इसी नाम से बुलाया जाता था” + +# उनका सामना करके; विश्वास करने से रोकना चाहा + +“उन्हें रोकने के लिए उनसे आमना-सामना किया” + +# चाहा + +“सरगियुस पौलुस ....ने वचन सुनना चाहा” + +# चाहा + +“इलिमास ने....चाहा” + +# हाकिम को विश्वास करने से रोकना चाहा + +“हाकिम को सुसमाचार के सन्देश पर विश्वास करने से रोकना चाहा” diff --git a/act/13/09.md b/act/13/09.md new file mode 100644 index 0000000..9cd569d --- /dev/null +++ b/act/13/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तब शाऊल ने जिसका नाम पौलुस भी है + +“जिसे लोग पौलुस भी बुलाते थे” या फिर “जो स्वयं को पौलुस भी कहता था” + +# उसकी ओर टकटकी लगाकर कहा + +“शाऊल ने इलिमास टोन्हे को घूर कर देखा” + +# हे....शैतान की संतान + +यहाँ आलंकारिक संबोधन है। अनुवाद करते समय आप 1) “शैतान के बच्चे” या फिर 2) “शैतान के समान” अथवा 3) “हे शैतान जैसे काम करनेवाले” भी लिख सकते हैं। + +# सारे कपट और सब चतुराई से भरे हुए + +सारे कपट और सब चतुराई से भरे हुए - “मक्कारी और हमेशा गलत काम करने के द्वारा तू हमेशा दूसरों को झूठी बातों पर विश्वास दिलाना चाहता है” + +# चतुराई से भरे + +यहाँ इसका आशय परमेश्वर की व्यवस्था का निष्ठापूर्वक पालन करने में आलस करना और उसे निष्ठापूर्वक नहीं करने से है। + +# क्या तू प्रभु के सीधे मार्गों को टेढ़ा करना न छोड़ेगा? + +शैतान का अनुकरण करने को लेकर पौलुस उस जादूगर को झिड़की दे रहा है। अनुवाद करते समय हम इसे “तू यह कहना बंद कर कि प्रभु परमेश्वर का सत्य झूठा है”। (यूडीबी) (देखें आलंकारिक प्रश्न) + +# प्रभु के सीधे मार्गों को + +“प्रभु के विषय में जो सत्य है” को आलंकारिक भाषा के प्रयोग द्वारा व्यक्त किया गया है। प्रभु के विषय में जो सत्य है, उन्हें झूठा बटाने के लिए पौलुस उस जादूगर को झिड़की दे रहा है। diff --git a/act/13/11.md b/act/13/11.md new file mode 100644 index 0000000..0e00971 --- /dev/null +++ b/act/13/11.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +(11वें पद में इलिमास के साथ शुरू हुई बातचीत को पौलुस आगे बढाता है।) + +# प्रभु का हाथ तुझ पर लगा है + +अर्थात परमेश्वर की सामर्थ्य तुझे दंड देने को तैयार है”। अनुवाद करते समय हम इसे “परमेश्वर तुझे दंड देगा” भी लिख सकते हैं। + +# तू..............अंधा रहेगा + +“परमेश्वर तुझे अँधा बना देगा” + +# और सूर्य को न देखेगा + +इलिमास पूरी तरह से अँधा हो जाएगा। यहाँ तक कि उसे सूर्य की रोशनी भी नहीं दिखेगी + +# कुछ समय तक + +“कुछ अवधि के लिए” या फिर “परमेश्वर द्वारा नियत समय के लिए” + +# तब तुरंत अंधापन और अँधेरा छा गया + +“तब इलिमास पर एक धुंध और अँधेरा छा गया” या फिर, “एक अंधियारी धुंध इलिमास की आँखों पर छा गयी” या फिर, “तब इलिमास की दृष्टि धुंधली हो गयी और फिर उनमे अँधियारा छा गया” या फिर, “इलिमास की दृष्टि धुंधली हो गयी और फिर उसे दिखना बंद हो गया” + +# और वह इधर-उधर टटोलने लगा + +“इलिमास भटकने लगा” या फिर, “इलिमास इधर-उधर छू-छूकर चलने लगा” + +# हाकिम + +रोमी प्रान्त का अधिकारी। अनुवाद करते समय इसे “अधिकारी” भी लिख सकते हैं। + +# विश्वास किया + +“हाकिम ने विश्वास किया” या फिर, “हाकिम ने यीशु पर विश्वास किया” + +# उपदेश से चकित होकर + +“हाकिम उपदेश से चकित हुआ और” या फिर, “हाकिम को बहुत आश्चर्य हुआ” diff --git a/act/13/13.md b/act/13/13.md new file mode 100644 index 0000000..748c880 --- /dev/null +++ b/act/13/13.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# लेकिन + +कहानी में आये नए मोड़ यहाँ प्रकट हो रहा है। + +# पौलुस और उसके साथी पाफुस से जहाज खोलकर ....में आए + +“पौलुस और उसके साथी जहाज के द्वारा ....पहुंचे.” ये साथी बरनबास और यूहन्ना मरकुस थे. + +# और यूहन्ना उन्हें छोड़ कर...को लौट गया + +“लेकिन यूहन्ना पौलुस व बरनबास को छोड़ कर....को लौट गया” + +# पम्फूलिया के पिरगा में आए + +“पम्फूलिया स्थित पिरगा में आए” + +# व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक से पढने के बाद + +अर्थात “व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें पढ़ी जाने के बाद” + +# उनके पास कहला भेजा + +“किसी के द्वारा पौलुस और उसके साथियों को कहा” + +# यदि लोगों के उपदेश के लिए तुम्हारे मन में कोई बात हो तो कहो + +“यदि तुम्हारे में से किसी के पास उपदेश का कोई शब्द हो तो कहो” + +# तो कहो + +“तो कृपया कहें” या फिर, “तो कृपया हमें बताएं” diff --git a/act/13/16.md b/act/13/16.md new file mode 100644 index 0000000..2f6f85c --- /dev/null +++ b/act/13/16.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# हाथ से सैन करके कहा + +अपने हाथों को हिलाकर संकेत बनाते हुए कहा कि वह बोलने को तैयार है। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि, “अपने हाथों से इशारा करके बताया कि वह बोलनेवाला है”। + +# हे....परमेश्वर से डरनेवालों + +यहाँ पर आशय उन गैर-यहूदियों से है जिन्होंने परमेश्वर की आराधना करने और उस पर विश्वास किया था। अनुवाद करते समय ऐसे भी लिख सकते हैं, कि “तुम जो इस्राएल के तो नहीं हो, लेकिन परमेश्वर की आराधना करते हो।” + +# सुनो + +मेरी बात सुनों” या फिर, “मैं जो कहनेवाला हूँ, उसे सुनो” + +# इस्राएली लोगों के परमेश्वर ने + +“इस्राएल के लोगों के परमेश्वर ने” + +# हमारे बापदादों को चुन लिया + +यहाँ “हमारे” सर्वनाम का प्रयोग विशिष्ट है और केवल पौलुस व उसके संगी यहूदियों के विषय में है। यहाँ हम “यहूदी लोगों को चुन लिया” भी लिख सकते हैं। + +# जब ये मिस्र देश में ....रहते थे + +“जब इस्राएल के लोग मिस्र देश में....रहते थे” + +# निकाल लाया + +“परमेश्वर इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल लाया” + +# सहता रहा + +“परमेश्वर ने उन्हें सहन किया” या फिर “परमेश्वर ने उनकी अवज्ञाओं को सहन किया” diff --git a/act/13/19.md b/act/13/19.md new file mode 100644 index 0000000..6a1f56c --- /dev/null +++ b/act/13/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(पौलुस अपनी बात जारी रखता है) + +# नाश करके + +अर्थात नाश करने के बाद + +# इनकी मीरास + +“परमेश्वर ने पौलुस के लोगों की मीरास कर दिया” + +# उन का देश + +“इस्राएल के लोगों का देश” + +# कोई साढ़े चार सौ वर्ष में + +“साढ़े चार सौ साल पहले” + +# मीरास कर दिया + +परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को दे दिया + +# शमूएल भविष्यद्वक्ता तक + +शमूएल भविष्यद्वक्ता तक - “शमूएल भविष्यद्वक्ता के होने तक” diff --git a/act/13/21.md b/act/13/21.md new file mode 100644 index 0000000..94aae8b --- /dev/null +++ b/act/13/21.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(पौलुस अपनी बात जारी रखता है) + +# तब परमेश्वर ने चालीस वर्ष के लिए + +“तब परमेश्वर चालीस साल की अवधि के लिए” + +# दाऊद को उनका राजा बनाया + +“परमेश्वर ने दाऊद को उनका राजा चुना” + +# उनका राजा + +अर्थात “इस्राएल का राजा” अथवा “इस्राएलवासियों पर राजा ठहराया” + +# जिसके विषय में उनसे गवाही दी + +“जिसके बारे में परमेश्वर ने कहा” + +# मुझे एक मनुष्य, यिशै का पुत्र दाऊद,...मिल गया है + +“मैं ने पाया है कि यिशै का बेटा दाऊद...” + +# मेरे मन के अनुसार + +मेरे मन के अनुसार अर्थात “एक ऐसा मनुष्य है, जो वही चाहता है जो मैं चाहता हूँ” (यूडीबी)। diff --git a/act/13/23.md b/act/13/23.md new file mode 100644 index 0000000..1aec809 --- /dev/null +++ b/act/13/23.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(पौलुस अपनी बात जारी रखता है) + +# इसी के वंश से + +“दाऊद के वंश से” + +# अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार + +“परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार” + +# मन फिराव के बपतिस्मा + +“मन फिराव को व्यक्त करनेवाला बपतिस्मा” + +# तुम मुझे क्या समझते हो? + +लोगों को उपदेश देते समय बप्तिस्मा देनेवाले यूहन्ना ने उनसे यह प्रश्न क्या था। इसे “सोचों, मैं कौन हूँ” भी लिख सकते हैं। + +# जिसके पांवों की जूती भी मैं खोलने के योग्य नहीं + +“मैं तो उसके पैरों की जूतियाँ तक खोलने के योग्य नहीं” diff --git a/act/13/26.md b/act/13/26.md new file mode 100644 index 0000000..9ee0680 --- /dev/null +++ b/act/13/26.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(पौलुस अपनी बात जारी रखता है) + +# तुम जो अब्राहम की संतान हो + +“अब्राहम के वंशज हो” (यूडीबी) + +# तुम्हारे पास इस उद्धार का वचन + +यहाँ “तुम्हारे” का आशय पौलुस और आराधनालय में उपस्थित सभी लोगों से है। + +# न उसे पहचाना + +“यीशु को न जाना” + +# तुम्हारे पास उद्धार का वचन भेजा गया + +“परमेश्वर ने उद्धार का वचन भेजा गया” + +# न भविष्यद्वक्ताओं की बातें समझी + +यहाँ पर आशय “भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों अथवा उनकी लिखी बातों” से है। + +# इसलिए उसे दोषी ठहराकर उनको पूरा किया + +“इसलिए यरूशलेम के अगुओं ने असल में ठीक वही किया जो भविष्यद्वक्ताओं ने कहा था कि वे करेंगे” + +# जो हर सब्त के दिन पढ़ी जाती हैं + +“जिन्हें हर सब्त के दिन पढ़ा जाता है”। diff --git a/act/13/28.md b/act/13/28.md new file mode 100644 index 0000000..4c4e86f --- /dev/null +++ b/act/13/28.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(पौलुस अपनी बात जारी रखता है) + +# उन्होंने + +अर्थात यहूदी अगुओं ने + +# उसमें + +अर्थात यीशु में + +# कोई दोष उसमें न पाया + +यहूदी अगुवे बस किसी तरह यीशु को मार डालना चाहते थे। अनुवाद करते समय हम यूं लिख सकते अहिं, कि “यहूदी अगुवों को यीशु को मरवाने का कोई कारण न मिला” + +# तौभी पीलातुस से विनती की + +नोट: “विनती” के स्थान पर “मांग की” अधिक उपयुक्त है, क्योंकि उन्होंने पीलातुस पर ऐसा करने के लिए दबाव डाला था। + +# जब उन्होंने उसके विषय में लिखी हुई बातें पूरी की + +जब उन्होंने उसके विषय में लिखी हुई बातें पूरी की “जब यहूदी अगुओं ने भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों में यीशु की मृत्यु के विषय में लिखी हुई बातें पूरी की” + +# तो उसे क्रूस पर से उतार कर कब्र में रखा + +“कुछ अगुओं ने यीशु के मरने के पश्चात उसे क्रूस पर से उतार लिया” diff --git a/act/13/30.md b/act/13/30.md new file mode 100644 index 0000000..2041a3f --- /dev/null +++ b/act/13/30.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(पौलुस अपनी बात जारी रखता है) + +# परन्तु परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया + +“परन्तु परमेश्वर ने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया” + +# बहुत दिनों तक दिखाई दिया + +“यीशु बहुत दिनों तक दिखाई दिया” + +# लोगों के सामने अब वे ही उसके गवाह हैं + +“लोगों के सामने अब वे ही यीशु की गवाही दे रहे हैं” diff --git a/act/13/32.md b/act/13/32.md new file mode 100644 index 0000000..18be63b --- /dev/null +++ b/act/13/32.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(पौलुस अपनी बात जारी रखता है) + +# उस प्रतिज्ञा के विषय में जो बापदादों से की गयी थी + +“परमेश्वर की उस प्रतिज्ञा के विषय में जो परमेश्वर ने हमारे बापदादों से की थी” + +# वही प्रतिज्ञा हमारी संतान के लिए पूरी की + +“परमेश्वर ने वह प्रतिज्ञा हमारी संतान के लिए पूरी कि” + +# हमारी संतान के लिए + +“हम, संतानों के लिए” + +# कि परमेश्वर ने यीशु को जिला कर + +“कि परमेश्वर ने यीशु को जिलाने के द्वारा” + +# जिलाने के विषय में भी + +“जिलाने का सत्य भी” + +# मरे हुओं में से जिलाने के विषय में भी, कि वह कभी न सड़े, उसने यों कहा है + +मरे हुओं में से जिलाने के विषय में ही, कि वह कभी न सड़े, उसने यों कहा है -परमेश्वर ने यीशु के जिलाने के विषय में कहा है ताकि यीशु की देह कभी न सड़े” + +# पवित्र और अटल कृपा + +“पवित्र और नियत कृपा” diff --git a/act/13/35.md b/act/13/35.md new file mode 100644 index 0000000..7144e46 --- /dev/null +++ b/act/13/35.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +(पौलुस अपनी बात जारी रखता है) + +# इसलिए उसने एक और भजन में + + - इसलिए उसने एक और भजन में - -“इसलिए दाऊद एक और भजन में” + +# तू अपने पवित्र जन को + +दाऊद यहाँ परमेश्वर से बातें कर रहा है + +# सड़ने न देगा + +“के शरीर को सड़ने न देगा” + +# अपने समय में + +“अपने जीवनकाल में” + +# सेवा करके + +“परमेश्वर की सेवा की” अथवा, “परमेश्वर को प्रसन्न किया” + +# सो गया + +सो गया - “वह मर गया” + +# और अपने बापदादों में जा मिला + + -“और उसे अपने पूर्वजों के साथ मिटटी में गाड़ दिया गया” + +# परन्तु...वह सड़ने न पाया + +“परन्तु...यीशु की देह सड़ने न पायी” + +# सड़ने न पाया + +“उसकी देह सड़ने न पाई” diff --git a/act/13/38.md b/act/13/38.md new file mode 100644 index 0000000..b69b82b --- /dev/null +++ b/act/13/38.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(पौलुस अपनी बात जारी रखता है) + +# तुम जान लो कि + +“तुम्हारे लिए जानना ज़रूरी है कि” + +# इसी के पापों की क्षमा का सुसमाचार तुम्हें दिया जाता है + +“हम तुम्हे यह बताया जाता है कि यीशु मसीह के द्वारा तुम्हारे पाप क्षमा हो सकते हैं” + +# इसी के द्वारा + +“यीशु के द्वारा” + +# जिन बातों से + +“पापों से” diff --git a/act/13/40.md b/act/13/40.md new file mode 100644 index 0000000..3019736 --- /dev/null +++ b/act/13/40.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +(पौलुस अपनी बात जारी रखता है) + +# जो भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक में आया है + +“ताकि जो बातें भविष्यद्वक्ताओं ने कही हैं” + +# तुम पर भी आ पड़े + +“तुम” का आशय आराधनालय में उपस्थित लोगों से है + +# ‘हे निंदा करनेवालों, देखो” + +“हे तिरस्कार से भरे लोगों, सावधान”, अथवा, “मेरा ठट्ठा करनेवालों, सावधान” + +# मिट जाओ + +“मर जाओ” + +# मैं तुम्हारे दिनों में + +“मैं” का आशय परमेश्वर से है + +# एक काम करता हूँ + +“कुछ कर रहा हूँ” + +# तुम्हारे दिनों में + +“तुम्हारे जीवनकाल में” + +# ऐसा काम + +“मैं कुछ ऐसा काम कर रहा हूँ जो” + +# यदि कोई तुमसे उसकी चर्चा करे + +“यदि कोई तुम्हे उसके विषय में बताये” diff --git a/act/13/42.md b/act/13/42.md new file mode 100644 index 0000000..bf6ea40 --- /dev/null +++ b/act/13/42.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उनके (पौलुस और बरनबास के) बाहर निकलते समय + +“जब पौलुस और बरनबास बाहर जा रहे थे” + +# उनसे विनती करने लगे, कि + +“उनसे बहुत आग्रह किया कि” + +# यहूदी मत में आये हुए भक्तों में + +ये यहूदी मत को ग्रहण करनेवाले गैर-यहूदी लोग थे + +# उन्होंने उनसे बात करके समझाया + +“पौलुस और बरनबास ने उन लोगों से बात करके समझाया” + +# कि परमेश्वर के अनुग्रह में बने रहो + +“कि परमेश्वर के अनुग्रह में अपनी आस्था बनाए रखो” diff --git a/act/13/44.md b/act/13/44.md new file mode 100644 index 0000000..4383e1b --- /dev/null +++ b/act/13/44.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# नगर के प्रायः सब लोग + +सशब्द अर्थ + +# नगर के प्रायः सब लोग + +“सब लोग” अतिशयोक्ति प्रतीत होई है, लेकिन “प्रायः” शब्द से बात स्पष्ट हो जाती है + +# यहूदी + +अर्थात “यहूदी अगुवे” + +# डाह से भर गए + +“यहूदी अगुवे डाह से भर उठे” या फिर, “यहूदी अगुवों को जलन होने लगी” + +# और निंदा करते हुए + +“और पौलुस की निंदा करते हुए” diff --git a/act/13/46.md b/act/13/46.md new file mode 100644 index 0000000..6ef063d --- /dev/null +++ b/act/13/46.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# परमेश्वर का वचन पहले तुम्हें सुनाया जाता + +“कि परमेश्वर का वचन पहले तुम्हे सुनाया जाए” + +# पहले तुम्हें सुनाया जाता + +“पहले तुम यहूदियों को सुनाया जाता” + +# जब कि तुम उसे दूर करते हो + +“जब कि तुम यहूदी परमेश्वर के वचन को नकारते हो” + +# अपने को अनंत जीवन के योग्य नहीं ठहराते + +यहूदी लोगों ने यीशु मसीह के माध्यम से अनंत जीवन के पौलुस द्वारा दिए सन्देश को ठुकरा दिया था + +# की ओर फिरते हैं + +की ओर फिरते हैं “हम” का आशय पौलुस व बरनबास से है न कि भीड़ से। + +# मैंने तुझे अन्यजातियों के लिए ज्योति ठहराया है + +यह कथन पुराने नियम से उद्धृत है जहाँ “मैंने” का आशय परमेश्वर से और “तुझे” का आशय मूल रूप से यीशु मसीह से था। पौलुस बताता है कि किस प्रकार यह कथन उस पर और बरनबास पर भी लागू होती है और वे अन्यजातियों में वचन बांटते हैं। diff --git a/act/13/48.md b/act/13/48.md new file mode 100644 index 0000000..6d2cac8 --- /dev/null +++ b/act/13/48.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जितने अनंत जीवन के लिए ठहराए गए थे + +“वे सब जिन्हें परमेश्वर ने अनंत जीवन के लिए चुना था” + +# अनंत जीवन के लिए ठहराए गए थे + +“परमेश्वर ने अनंत जीवन के लिए चुना था” + +# तब प्रभु का वचन उस सारे देश में फैलने लगा + +तब जिन्होंने विश्वास किया, वे जाकर यीशु मसीह के वचन को दूसरों में बांटने लगे diff --git a/act/13/50.md b/act/13/50.md new file mode 100644 index 0000000..1315c5e --- /dev/null +++ b/act/13/50.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# परन्तु यहूदियों ने + +“परन्तु यहूदी अगुओं ने” + +# भड़काया + +“उकसाया” अथवा “मनाया” + +# उपद्रव करवाकर + +“इन कुलीन स्त्री-पुरुषों ने सताव को भड़काया” + +# उन्हें अपने सीमा से बाहर निकाल दिया + +“पौलुस व बरनबास को अपने नगर से निकाल दिया” या फिर, “पौलुस व बरनबास को अपने क्षेत्र से निष्कासित कर दिया” + +# वे उनके सामने अपने पांवों की धूल झाड़ कर + +प्रतीकात्मक रूप से किया गया कार्य जो यह व्यक्त करता है कि परमेश्वर ने उन्हें नकार दिया है और उन्हें दंड देगा। + +# वे.....चले गए + +“पौलुस व बरनबास.....चले गए” diff --git a/act/14/01.md b/act/14/01.md new file mode 100644 index 0000000..b7cbcc3 --- /dev/null +++ b/act/14/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इकुनियुम में ऐसा हुआ + +“इकुनियुम में भी ऐसा ही हुआ” + +# परन्तु विश्वास न करनेवाले यहूदियों ने अन्यजातियों के मन भाइयों के विरोध में भड़काए + +“परन्तु अवज्ञाकारी यहूदियों ने अन्यजातियों को विश्वासियों के विरुद्ध कर दिया’ diff --git a/act/14/03.md b/act/14/03.md new file mode 100644 index 0000000..d376825 --- /dev/null +++ b/act/14/03.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# और वे बहुत दिनों तक वहाँ रहे + +पौलुस व बरनबास कई दिनों तक इकुनियुम में रहे। यदि “और” शब्द के प्रयोग से भ्रम पैदा होता हो, तो उसे हटाया जा सकता है। + +# अपने अनुग्रह के वचन पर गवाही देता था + +“प्रभु अपने अनुग्रह के वचन पर......” + +# अपने अनुग्रह के + +अर्थात “प्रभु के अनुग्रह के” + +# वचन पर गवाही देता था + +“वचन की सत्यता की गवाही देता था” + +# वह उनके हाथों से + +अर्थात पौलुस व बरनबास के हाथों से। + +# चिन्ह और अद्भुत काम करवाकर + +यीशु ने पौलुस व बरनबास को चिन्ह व अद्भुत कार्य करने की सामर्थ दी। अनुवाद करते समय यूँ भी लिख सकते हैं कि, “चिन्ह और अद्भुत काम करने की सामर्थ दी” (यूडीबी) + +# कितने तो ...की ओर, और कितने....की ओर हो गए + +“की ओर हो गए” का आशय है “के पक्ष में हो गए” + +# प्रेरितों की ओर + +यहाँ लूका ने पौलुस व बरनबास को प्रेरित कहते हुए, उन्हें यीशु के बारह चेलों की बराबरी देता है। diff --git a/act/14/05.md b/act/14/05.md new file mode 100644 index 0000000..5a9e101 --- /dev/null +++ b/act/14/05.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# अपने सरदारों समेत + +“इकुनियुम के सरदारों समेत” + +# तो वे इस बात को जान गए + +“तब पौलुस व बरनबास उन्हें चोट पहुंचाने के लिए बनाई गयी उनकी योजना को जान गए” + +# लुकाउनिया + +एशिया माइनर का एक जिला + +# लुस्त्रा + +इकुनियुम के दक्षिण और दिरबे के उत्तर में स्थित एशिया माइनर का एक नगर + +# दिरबे + +इकुनियुम और लुस्त्रा के दक्षिण में स्थित एशिया माइनर का एक नगर + +# और वहाँ सुसमाचार सुनाने लगे + +“और पौलुस व बरनबास वहाँ सुसमाचार सुनाने लगे” diff --git a/act/14/08.md b/act/14/08.md new file mode 100644 index 0000000..c87d664 --- /dev/null +++ b/act/14/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# और ऊंचे शब्द से कहा + +“पौलुस ने उस लंगड़े व्यक्ति से कहा” + +# वह जन्म ही से लंगड़ा था, और कभी न चला था + +“वह पैदाइशी लंगड़ा था, और चलने से लाचार था” + +# पौलुस ने उसकी ओर टकटकी लगा कर देखा + +“पौलुस ने सीधा उसे देखा” + +# कि इस को + +“कि इस लंगड़े व्यक्ति को” + +# चंगा हो जाने का + +“चंगाई पाने का” diff --git a/act/14/11.md b/act/14/11.md new file mode 100644 index 0000000..5e1556d --- /dev/null +++ b/act/14/11.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# ऊँचें शब्द से कहा + +“जोश से चिल्लाया” (यूडीबी) + +# देवता मनुष्यों के रूप में होकर हमारे पास उतर आये हैं + +बहुत लोगों को लगता था कि पौलुस व बरनबास उनके देवता है जो आकाश या स्वर्ग से उतर कर उनके पास आये थे। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि, “देवता स्वर्ग से उतर कर हमारे पास आये हैं।” + +# मनुष्यों के रूप में + +लोगों को लगता था कि देवता लोग पूरी तरह से मनुष्य नहीं दिखते होंगे। + +# क्योंकि वह बातें करने में + +“क्योंकि पौलुस बातें करने में” + +# बैल और फूलों के हार + +बलि के लिए जानवर, और पौलुस व बरनबास अथवा बलि के जानवर के लिए फूलों के हार। + +# मंदिर का पुजारी..... लोगों के साथ + +“मंदिर का पुजारी...और भीड़” (यूडीबी) diff --git a/act/14/14.md b/act/14/14.md new file mode 100644 index 0000000..894a328 --- /dev/null +++ b/act/14/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# प्रेरितों ने जब + +लूका यहाँ पौलुस व बरनबास को “प्रेरित” कह रहा है और यीशु के 12 मूल चेलों के साथ उनकी बराबरी कर रहा है। + +# हे लोगों, तुम क्या करते हो? + +जब लोग पौलुस और बरनबास के लिए बलिदान देना चाहते थे, तब पौलुस और बरनबास ने उन्हें झिड़की दी। इस हम इस प्रकार भी लिख सकते हैं, कि “हे लोगों, तुम्हे ये सब नहीं करना चाहिए!” + +# हम भी तो तुम्हारे समान + +अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं, कि “हम भी तुम्हारी तरह” + +# इन व्यर्थ की वस्तुओं से अलग होकर + +“इन बेकार की मूरतों की आराधना बंद करों” या फिर, “इन झूठे देवताओं की आराधना बंद कर” + +# जीवते परमेश्वर + +“बजाय इसके, जीवते परमेश्वर की आराधना करो” + +# अपने-अपने मार्गों में चलने दिया + +“अपने अनुसार जीने दिया” diff --git a/act/14/17.md b/act/14/17.md new file mode 100644 index 0000000..067c3af --- /dev/null +++ b/act/14/17.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(पौलुस व बरनबास अपना उपदेश जारी रखते हैं) + +# उसने अपने आप को + +“परमेश्वर ने स्वयं को” + +# किन्तु + +अनुवाद करते समय “उस पर भी” का प्रयोग भी कर सकते हैं। + +# तुम्हारे मन को....भरता रहा + +“तुम्हारे” से पौलुस का आशय सभी सुननेवालों से है + +# तुम्हारे मन को भोजन और आनंद से भरता रहा + +“तुम्हे खाने को पर्याप्त भोजन और आनंददायक वस्तुएं देता रहा” + +# उन्होंने लोगों को बड़ी कठिनाई से रोका कि उनके लिए बलिदान न करें + +भीड़ ने पौलुस व बरनबास के लिए बैल को लगभग बलि कर ही दिया था diff --git a/act/14/19.md b/act/14/19.md new file mode 100644 index 0000000..7802d6f --- /dev/null +++ b/act/14/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# लोगों को अपनी ओर कर लिया + +“लोगों को पौलुस के विरोध में कर दिया” + +# वह उठकर + +पौलुस के विषय में है + +# नगर में गया + +“पौलुस फिर से विश्वासियों के साथ लुस्त्रा में गया” + +# दिरबे चला गया + +“पौलुस दिरबे चला गया” diff --git a/act/14/21.md b/act/14/21.md new file mode 100644 index 0000000..73b7098 --- /dev/null +++ b/act/14/21.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# वे ....लोगों को सुसमाचार सुनाकर....चेले बनाकर...लौट आये + +यहाँ पौलुस व बरनाबास के विषय में बात हो रही है + +# उस नगर + +अर्थात “दिरबे” + +# चेलों के मन को स्थिर करते रहे + +पौलुस व बरनबास ने विश्वासियों को दृड़ बनाया और सुसमाचार के सत्य में और अधिक मज़बूत बनाया + +# यह उपदेश देते थे कि विश्वास में बने रहो + +पौलुस व बरनबास लोगों को यीशु में विश्वास बनाए रखने का प्रोत्साहन दे रहे थे + +# और यह कहते थे कि, “हमें बड़े क्लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा।” + +यह प्रत्यक्ष भाष्य है। अनुवाद करते समय हम इसे कर्मप्रधान भी बना सकते हैं। जैसे कि, “उन्होंने बताया कि वे उन्हें क्लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना था।” + +# यह कहते थे + +अर्थात "पौलुस व बरनबास लुस्त्रा, इकुनियुम और अन्ताकिया के विश्वासियों से कहते थे" + +# प्रवेश करना होगा + +पौलुस यहाँ बरनबास, विश्वासियों और स्वयं के विषय में भी कह रहा है। diff --git a/act/14/23.md b/act/14/23.md new file mode 100644 index 0000000..384e48c --- /dev/null +++ b/act/14/23.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# और उन्होंने.....प्राचीन ठहराए + +“पौलुस और बरनबास ने.... विश्वासियों की नयी सभाओं के लिए अगुवे नियुक्त किये” + +# प्रभु के हाथ सौंपा + +“पौलुस और बरनबास ने नियुक्त किये प्राचीनों को प्रभु के हाथ सौंपा” + +# जिस पर उन्होंने विश्वास किया था + +“जिस पर नए विश्वासियो ने विश्वास किया था” + +# जहां वे उस काम के लिए जो उन्होंने + +“वे” और “उन्होंने” का आशय पौलुस व बरनबास से है + +# जहां वे उस काम के लिए जो उन्होंने पूरा किया था परमेश्वर के अनुग्रह में सौपें गए थे + +“जहां अन्ताकिया के लोगों ने प्रार्थना की थी कि परमेश्वर पौलुस व बरनबास की देखरेख और रक्षा करे” diff --git a/act/14/27.md b/act/14/27.md new file mode 100644 index 0000000..7f0df1d --- /dev/null +++ b/act/14/27.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वहाँ पहुंचकर, उन्होंने + +“वहां पहुंचकर पौलुस व बरनबास ने” + +# परमेश्वर ने हमारे साथ कैसे बड़े-बड़े काम किए + +“परमेश्वर ने पौलुस व बरनबास के साथ कैसे बड़े-बड़े काम किए” + +# परमेश्वर ने.....कैसे + +परमेश्वर ने....किस प्रकार + +# और अन्यजातियों के लिए विश्वास का द्वार खोल दिया + +यहाँ पर अलंकार का प्रयोग है। कहने का आशय है कि “परमेश्वर ने अन्यजातियों के लिए विश्वास का एक मार्ग बना दिया” या फिर, “परमेश्वर ने अन्यजातियों को भी विश्वास का अवसर दिया”। जिस प्रकार व्यक्ति बंद दरवाज़े से नहीं गुज़र सकता, वैसे ही अन्यजातीय लोगों के लिए भी परमेश्वर पर विश्वास करना तब तक असंभव है जब तक कि परमेश्वर उनके लिए यह संभव न बनाए। + +# वे चेलों के साथ + +अर्थात पौलुस व बरनबास diff --git a/act/15/01.md b/act/15/01.md new file mode 100644 index 0000000..b0da9ab --- /dev/null +++ b/act/15/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# कुछ लोग + +अर्थ स्पष्ट है + +# यहूदिया से आये + +“ऊपर यहूदिया से आये” (अन्ताकिया की अपेक्षा यहूदिया अधिक ऊँचाई पर स्थित है)। यहूदी लोग यरूशलेम व मंदिर की और जाने को “ऊपर जाना” कहते थे, और यरूशलेम व मंदिर से दूर जाने को “नीचे जाना” + +# भाइयों को सिखाने लगे + +“अन्ताकिया के विश्वासियों को सिखाने लगे” या फिर, “अन्ताकिया में विश्वासियों को सिखाने लगे” + +# की रीति + +“रिवायत के अनुसार” या फिर, “शिक्षा के अनुसार” + +# उनसे बहुत बड़ा + +अर्थात “यहूदिया के लोगों से बहुत बड़ा” + +# यरूशलेम को + +(ऊपर दिए गए टिप्पणी देखे: "यरूशलेम की और") + +# इस बात के विषय + +“इस मुद्दे के विषय” diff --git a/act/15/03.md b/act/15/03.md new file mode 100644 index 0000000..ac3a1fd --- /dev/null +++ b/act/15/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अतः कलीसिया ने उन्हें कुछ दूर तक पहुँचाया + +इसे परोक्ष कथन के रूप में इस प्रकार भी लिख सकते हैं कि “अतः पौलुस, बरनबास और कुछ अन्य विश्वासी लोग कलीसिया द्वारा कुछ दूर तक पहुंचाए गए।” + +# ...से होते हुए.....समाचार सुनाते गए + +“से होते हुए” और “समाचार सुनाते गए” इस बात का संकेत देते हैं कि परमेश्वर के कार्यों का बखान करते हुए वे जगह-जगह गए। + +# अन्यजातियों के मन फिराने + +बहुत से अन्यजातीय लोग यूनानी व रोमी देवताओं को छोड़ यीशु में विश्वास करने लगे थे। + +# कलीसिया और प्रेरित उनसे आनंद के साथ मिले + +अर्थात “कलीसिया के सदस्यो और प्रेरितों ने उनका स्वागत किया..” + +# उनके साथ होकर + +“उनके माध्यम से” diff --git a/act/15/05.md b/act/15/05.md new file mode 100644 index 0000000..e0520ac --- /dev/null +++ b/act/15/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# परन्तु कैसे? + +लूका विश्वासियों के दो समूहों की तुलना करता है, पहले वे जो “केवल यीशु के द्वारा उद्धार” में विश्वास रखते हैं, और दूसरे वे फरीसी जो यीशु में विश्वास तो रखते हैं लेकिन यह भी मानते हैं कि “उद्धार के लिए खतना करवाना भी अनिवार्य है।” + +# उन्हें खतना कराने और मूसा की व्यवस्था को मानने की आज्ञा देनी चाहिए + +“उन्हें” का आशय खतराहित गैर-यहूदी विश्वासियों से हैं। + +# व्यवस्था को मानने के लिए + +“व्यवस्था का पालन करने के लिए” + +# इस बात के विषय में विचार करने के लिए + +“विश्वास से जुड़े इस अंतर पर विचार करने के लिए।” अर्थात, पौलुस द्वारा दिए जानेवाले उद्धार के उपदेश (यीशु द्वारा उद्धार) और फरीसियों के सुसमाचार (खतना और व्यवस्था द्वारा उद्धार) के बीच के अंतर पर बहस करने के लिए इकट्ठे हों। diff --git a/act/15/07.md b/act/15/07.md new file mode 100644 index 0000000..f5540c5 --- /dev/null +++ b/act/15/07.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# खड़े होकर उनसे कहा + +“खड़े होकर उपस्थित प्रेरितों, प्राचीनों और अन्य विश्वासियों से कहा” + +# हे भाइयों + +पतरस यहाँ उपस्थित पुरुषों को संबोधित कर रहा है + +# बहुत दिन हुए + +“बहुत दिन पहले” (यूडीबी) + +# तुम में से मुझे + +यहूदी विश्वासियों के बीच में से मुझे + +# कि मेरे मुंह से + +पतरस यहाँ अपने विषय में कह रहा है। + +# अन्यजातिय सुसमाचार का वचन सुनकर + +“अन्यजातिय सुसमाचार का वचन सुनें” + +# उनकी गवाही दी + +“अन्यजातीय की गवाही दी” + +# and he made + +"and God made" + +# हम में और उनमें कुछ भेद न रखा + +परमेश्वर ने यहूदी विश्वासियों और गैर-यहूदी विश्वासियों के बीच कोई अंतर न रखा + +# हम में और उनमें + +“हम में” में पतरस स्वयं को भी शामिल कर रहा है, और “उनमें” का आशय गैर-यहूदियों से है। diff --git a/act/15/10.md b/act/15/10.md new file mode 100644 index 0000000..0a2c7ef --- /dev/null +++ b/act/15/10.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(पतरस अपनी बात जारी रखता है।) + +# तुम क्यों परमेश्वर की परीक्षा करते हो? कि चेलों की गर्दन पर ऐसा जूआ रखो, जिसे न हमारे बापदादे उठा सकते थे और न हम उठा सकते हैं? + +यह वास्तविक प्रश्न है जहाँ पतरस यहूदी विश्वासियों से यह कह रहा है कि गैर-यहूदी विश्वासियों को मूसा की व्यवस्था और विशेषकर खतना कराने की ज़रुरत नहीं थी। इसे यूं भी लिख सकते हैं, कि “जिस बोझ को हम यहूदी ही न उठा सके, उस बोझ को अन्यजातिय विश्वासियों पर लाद कर परमेश्वर की परीक्षा न लो!” + +# न हमारे बापदादे...और न हम + +पतरस यहाँ “हमारे” और “हम” शब्द में अपने सुननेवालों को भी शामिल कर रहा है। + +# हमारा तो यह निश्चय है कि जिस रीति से वे प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाएंगे, उसी रीति से हम भी पाएंगे। + +पतरस यहाँ अपने यहूदी श्रोताओं के साथ स्वयं को शामिल कर रहा है। + +# जिस रीति से वे... + +“जिस रीति से गैर-यहूदी...” diff --git a/act/15/12.md b/act/15/12.md new file mode 100644 index 0000000..4b92001 --- /dev/null +++ b/act/15/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तब सारी सभा + +अर्थात प्रेरित, प्राचीन, और उपस्थित दूसरे विश्वासी + +# परमेश्वर ने ....काम दिखाए + +“परमेश्वर ने.....काम किये” + +# उनके द्वारा + +“उनके” का आशय पौलुस व बरनबास से है diff --git a/act/15/13.md b/act/15/13.md new file mode 100644 index 0000000..48f2945 --- /dev/null +++ b/act/15/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जब वे चुप हो गए + +“जब बरनबास और पौलुस ने बोलना बंद किया” + +# एक लोग + +”लोगों का समूह” + +# उनमें से + +“उनके बीच से” + +# अपने नाम के लिए + +यह शब्द स्वयं के लिए प्रयोग किया है। अनुवाद करते समय इसे “स्वयं अपने लिए” भी लिख सकते हैं। diff --git a/act/15/15.md b/act/15/15.md new file mode 100644 index 0000000..95123c8 --- /dev/null +++ b/act/15/15.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(याकूब अपने बात जारी रखता है) + +# बातें भी मिलती हैं + +“इस सत्य की पुष्टि करती हैं” + +# मैं इसके बाद फिर आकर....फिर बनाउंगा, और उसे खड़ा करूँगा + +“मैं” आशय परमेश्वर से है जो भविष्यद्वक्ताओं के शब्दों के माध्यम से बोल रहा है + +# मैं फिर आकर दाऊद का गिरा हुआ डेरा उठाऊंगा + +इसका आशय परमेश्वर द्वारा दाऊद के वंशजों में से एक राजा को चुनने से है। (यूडीबी) + +# उसके खंडहरों को फिर बनाऊंगा, और उसे खड़ा करूँगा, इसलिए कि शेष मनुष्य ....प्रभु को ढूंढें + +“मैं राजा दाऊद के वंशजो से एक राजा बनाऊंगा और उसे खड़ा करूँगा, ताकि शेष लोग....प्रभु को ढूढें” + +# उसके खंडहरों को फिर बनाऊंगा + +“खंडहरों” से आशय ईमारतों, दीवारों, और पीछे छोड़ गयी संपत्ति से है जो नगर के तबाह होने पर, कई वर्षों के दौरान पड़े-पड़े खराब हो जाती हैं। + +# जो जगत की उत्पत्ति से इन बातों का समाचार देता आया है + +“जो प्राचीनकाल से इन बातों का समाचार देता आया है” diff --git a/act/15/19.md b/act/15/19.md new file mode 100644 index 0000000..cb834a4 --- /dev/null +++ b/act/15/19.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(याकूब अपने बात जारी रखता है) + +# अन्यजातियों में से जो लोग परमेश्वर की ओर फिरते हैं, हम उन्हें दुःख न दें + +“हमें अन्यजातीय लोगों का खतना करने और मूसा की व्यवस्था को मानने को नहीं कहना चाहिए” + +# उन्हें दुःख न दें + +“हम” में याकूब प्रेरितों, प्राचीनों और खतना हुए लोगों को शामिल कर रहा है। + +# मूरतों की अशुद्धताओं और व्यभिचार और गला घोंटे हुओं के मांस....और लहू + +अशुद्धताएं, जानवरों का गला घोंटना, और लहू पीना अकसर इन मूरतों और झूठे देवताओं की आराधना का हिस्सा होते थे। + +# पुराने समय से….मूसा की व्यवस्था + +मूसा की व्यवस्था का आशय परमेश्वर द्वारा मूसा को दी गयी व्यवस्था से है। + +# प्रचार करनेवाले + +अर्थात व्यवस्था का प्रचार करनेवाले लोग diff --git a/act/15/22.md b/act/15/22.md new file mode 100644 index 0000000..866e698 --- /dev/null +++ b/act/15/22.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# तब सारी कलीसिया + +यह व्यक्त करता है कि कलीसिया के सभी सदस्य प्रेरितों और प्राचीनोंसे सहमत थे। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं, कि “यरूशलेम की पूरी कलीसिया।” + +# यहूदा, जो बरसब्बा कहलाता है + +यरूशलेम की कलीसिया का एक अगुआ + +# सिलास + +यरूशलेम की कलीसिया का एक अगुआ + +# अन्ताकिया को भेजें + +“यहूदा और सीलास को अन्ताकिया भेजे” + +# उनके हाथ यह लिख भेजा + +“प्रेरितों, दूसरे प्राचीनों और यरूशलेम के विश्वासियों ने यह लिखा” + +# किलिकिया + +कुप्रुस टापू में, एशिया माइनर उत्तर का एक प्रांत diff --git a/act/15/24.md b/act/15/24.md new file mode 100644 index 0000000..da9d181 --- /dev/null +++ b/act/15/24.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यरूशलेम की कलीसिया से अन्ताकिया के गैर-यहूदी विश्वासियों को लिखे पत्र में आगे है.....) + +# हम में से कुछ ने + +“हम में से कुछ लोगों ने” + +# हम ने उनको आज्ञा नहीं दी थी + +हम ने उनको ये सब प्रचार करने को नहीं कहा था + +# ठीक समझा + +सहमत हुए + +# अपने प्रिय बरनबास और पौलुस + +यह स्नेहपूर्ण संबोधन है। “जिन्हें हम इतना स्नेह करते हैं” (यूडीबी) diff --git a/act/15/27.md b/act/15/27.md new file mode 100644 index 0000000..55afd73 --- /dev/null +++ b/act/15/27.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यरूशलेम की कलीसिया से अन्ताकिया के गैर-यहूदी विश्वासियों को लिखे पत्र में आगे है.....) + +# हम ने यहूदा और सीलास को भेजा है + +“इसलिए हम ने यहूदा और सीलास को भेजा है” या फिर, “इस कारण हमने.....” + +# जो अपने मुंह से भी ये बातें कह देंगे + +“जो स्वयं ही ये बातें के देंगे” + +# लहू से + +जानवरों के लहू का सेवन करने के विषय में है। + +# गला घोंटे हुओं + +मारा गया जानवर जिसका लहू नहीं बहाया गया हिया + +# आगे शुभ + +पत्र के अंत में लिखा जानेवाला अभिनन्दन। इसे “अलविदा” भी लिख सकते है। diff --git a/act/15/30.md b/act/15/30.md new file mode 100644 index 0000000..2216f2e --- /dev/null +++ b/act/15/30.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# और वे विदा होकर + +“वे” का आशय यहूदा, सिलास, पौलुस और बरनबास से है + +# और वे विदा होकर + +अर्थात “जाने की अनुमति दे दी गयी” या फिर, “उन्हें विदा किया” + +# अन्ताकिया में पहुंचे + +“अन्ताकिया पहुंचे।” यरूशलेम से किसी भी अन्य नगर जाने की बात को यहूदी नीचे उतरना कहते थे। + +# वे पढ़कर उस उपदेश की बात से अति आनंदित हुए + +“वे” का आशय अन्ताकिया के विश्वासियों से है + +# भाइयों को उपदेश देकर स्थिर किया + +“अन्ताकिया के विश्वासियों को उपदेश देकर स्थिर किया” + +# आप भी भविष्यद्वक्ता + +भविष्यद्वक्ता होने के कारण परमेश्वर से मिलनेवाले अधिकार का विशेष रीति से प्रयोग किया. अनुवाद करते समय यूं लिखा जा सकता है कि “क्योंकि वे भविष्यद्वक्ता थे” या फिर, “भविष्यद्वक्ता होने के कारण” (यूडीबी). diff --git a/act/15/33.md b/act/15/33.md new file mode 100644 index 0000000..e9edb7a --- /dev/null +++ b/act/15/33.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# वे कुछ दिन रह कर...विदा हुए + +“वे” अर्थात यहूदा और सिलास + +# कुछ दिन + +“कुछ अवधि” या फिर “कई सप्ताह तक” + +# भाइयों से शांति के साथ विदा हुए + +“विदा लेते समय विश्वासियों ने अभिनन्दन दिया” + +# भाइयों से शांति के साथ + +भाइयों से शांति के साथ अन्ताकिया की कलीसिया से मित्रों के समान + +# अपने भेजनेवालों + +“यहूदा और सीलास को भेजनेवाली यरूशलेम की कलीसिया के पास” + +# पौलुस और बरनबास अन्ताकिया में रह गए + +“जबकि पौलुस और बरनबास अन्ताकिया में ही रहे” + +# कुछ प्राचीन लेख + +प्राचीन हस्तलेखों में यहाँ कुछ अंतर है। diff --git a/act/15/36.md b/act/15/36.md new file mode 100644 index 0000000..7709688 --- /dev/null +++ b/act/15/36.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# आओ, फिर....देखें कि कैसे हैं + +यहाँ सुझाव का भाव है + +# चलकर अपने भाइयों को देखें + +“चलकर” अर्थात उनके पास “जाकर” + +# देखें कि कैसे हैं + +“अपने भाइयों के वर्तमान हालात का पता लगाए और देखें कि जो सत्य उन्हें दिया गया था, वे उसे कैसे निबाह रहे हैं।” + +# यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया + +“पौलुस और अपने (बरनबास) साथ यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया” diff --git a/act/15/39.md b/act/15/39.md new file mode 100644 index 0000000..00f3aaa --- /dev/null +++ b/act/15/39.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# ऐसा विवाद उठा + +पौलुस और बरनबास एकमत अथवा सहमत न हो सके + +# वे एक दूसरे से अलग हो गए + +“पौलुस व बरनबास एक दूसरे से अलग हो गए” + +# और बरनबास, मरकुस को लेकर .....चला गया + +“और बरनबास ने मरकुस को साथ लिया, और वहां से रवाना हो गए” + +# भाइयों से + +“अन्ताकिया के विश्वासियों से” + +# सीरिया और किलिकिया से होते हुए निकला + +सीरिया और किलिकिया से होते हुए निकल ये एशिया माइनर स्थित जगहें थी। + +# कलीसियाओं को स्थिर करता हुआ + +“कलीसियाओं को आत्मिक रूप से मज़बूत बनाता हुआ” diff --git a/act/16/01.md b/act/16/01.md new file mode 100644 index 0000000..4cfeeb2 --- /dev/null +++ b/act/16/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# और देखो + +ये शब्द कहानी में किसी नए पात्र के आगमन का संकेत देते हैं। अनुवाद करते समय अपनी भाषा के यथोचित शब्दों का चुनाव करें। + +# किसी विश्वासिनी यहूदिनी का पुत्र था + +“मसीह पर विश्वास रखनेवाली एक यहूदी स्त्री का पुत्र था” + +# वह.....सुनाम था + +“तीमुथियुस की साख अच्छी थी” अथवा, “विश्वासी उसके विषय में भली बातें कहते थे” + +# पौलुस की इच्छा थी कि यह मेरे साथ चले + +“पौलुस चाहता था कि तीमुथियुस उसके साथ चले” अत: पौलुस ने तीमुथियुस को साथ ले लिया इस सब गद्यांश में उत्तम पुरुष सर्वनाम है वे सब तीमुथियुस के संदर्भ में है| + +# उसका पिता यूनानी था + +एक यूनानी होने के नाते तीमुथियुस का खतना कराने पिता स्वयं नहीं गया होगा; इसलिए पौलुस ने खतना कर दिया। खतना की रस्म अकसर एक यहूदी धर्मगुरु करता था। diff --git a/act/16/04.md b/act/16/04.md new file mode 100644 index 0000000..d7d530f --- /dev/null +++ b/act/16/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# और नगर-नगर जाते हुए वे + +“वे” सर्वनाम यहाँ पौलुस, सीलास, और तीमुथियुस के लिए प्रयुक्त हुआ है + +# उनके मानने के लिए + +“कलीसिया के सदस्यों द्वारा मानने के लिए” अथवा “विश्वासियों द्वारा मानने के लिए” + +# जो यरूशलेम के प्रेरितों और प्राचीनों ने ठहराई थीं + +“जो यरूशलेम के प्रेरितों और प्राचीनों ने लिखी हैं” + +# कलीसियाएं विश्वास में स्थिर होती गयी + +“पौलुस, सिलास, और तीमुथियुस द्वारा कलीसियाएँ विश्वास में स्थिर होती गयी” diff --git a/act/16/06.md b/act/16/06.md new file mode 100644 index 0000000..7187bb4 --- /dev/null +++ b/act/16/06.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# फ्रूगीया और गलातिया + +एशिया के प्रांत। + +# मूसिया....बितूनिया + +ये भी एशिया के दो और प्रांत हैं + +# पवित्र आत्मा ने उन्हें....मना किया + +“पवित्र आत्मा ने उन्हें...रोका” या फिर, “पवित्र आत्मा ने उन्हें...अनुमति नहीं दी” + +# यीशु के आत्मा + +“पवित्र आत्मा” diff --git a/act/16/09.md b/act/16/09.md new file mode 100644 index 0000000..62dac93 --- /dev/null +++ b/act/16/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# पौलुस ने रात को एक दर्शन देखा + +यह सपना नहीं दर्शन था + +# उससे विनती करके + +“पौलुस से निवेदन कर रहा है” + +# हमारी सहायता कर + +“हमारी” में सभी शामिल नहीं हैं। + +# हमने तुरंत + +सर्वनाम “हमने” का आशय पौलुस व उसके साथियों से है। प्रेरितों के कार्य की पुस्तक का लेखक, लूका, इस समय पौलुस के साथियों में से एक था। + +# परमेश्वर ने हमें .....बुलाया है + +सर्वनाम “हमने” का आशय पौलुस व उसके साथियों से है। प्रेरितों के कार्य की पुस्तक का लेखक, लूका, इस समय पौलुस के साथियों में से एक था। + +# उन्हें सुसमाचार सुनाने के लिए + +“मकदूनिया के लोगों को सुसमाचार सुनाने के लिए” diff --git a/act/16/11.md b/act/16/11.md new file mode 100644 index 0000000..bc4e3ca --- /dev/null +++ b/act/16/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हम सीधे + +सर्वनाम “हमने” का आशय पौलुस व उसके साथियों से है। प्रेरितों के कार्य की पुस्तक का लेखक, लूका, इस समय पौलुस के साथियों में से एक था। + +# सुमात्रा....नियापुलिस + +फिलिप्पी के तटीय नगर। + +# रोमियों की बस्ती है + +रोमियों द्वारा जीती गयी जगह जहां विशेषकर उनके सैनिक रहते थे diff --git a/act/16/14.md b/act/16/14.md new file mode 100644 index 0000000..99b5fd0 --- /dev/null +++ b/act/16/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# लुदिया...एक भक्त स्त्री + +लुदिया नाम की .....एक भक्त स्त्री + +# बैंजनी कपड़े बेचनेवाली + +“बैंजनी रंग के कपड़ों की व्यपारिन” + +# भक्त स्त्री + +भक्त से तात्पर्य उन गैर-यहूदियों से है जो परमेश्वर की प्रशंसा व स्तुति और उसका अनुकरण तो करते थे, लेकिन यहूदी व्यवस्था को सम्पूर्ण रीति से नहीं मानते थे। + +# सुन रही थी + +उनकी बातें सुन रही थी + +# पौलुस की बातों पर चित्त लगाए + +“पौलुस के कही बातों पर चित्त लगाए” + +# अपने घराने समेत बप्तिस्मा लिया + +“जब उन्होंने लुदिया और उसके घराने को बप्तिस्मा दिया” diff --git a/act/16/16.md b/act/16/16.md new file mode 100644 index 0000000..8ab3df6 --- /dev/null +++ b/act/16/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# एक दासी मिली + +“वहाँ एक दासी मिली” + +# भावी कहनेवाली आत्मा + +एक दुष्टात्मा उसे लोगों के निकट भविष्य में होनेवाली घटनाएं बताती थी + +# उसी घड़ी निकल गयी + +“और वह आत्मा तुरंत उसमें से निकल गयी” + +# परन्तु पौलुस दुखित हुआ + +“परन्तु पौलुस को उससे बहुत परेशानी होती थी” अथवा “उसके ऐसा करने से पौलुस को बहुत परेशानी होती थी” + +# मुंह फेरकर + +“पौलुस मुड़ा और’ या फिर, “मुड़ कर स्त्री से कहा” diff --git a/act/16/19.md b/act/16/19.md new file mode 100644 index 0000000..0b5c7d7 --- /dev/null +++ b/act/16/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उसके स्वामियों + +उस दासी के मालिक + +# हमारी कमाई की आशा + +दासी में मौजूद भावी की आत्मा थी और लोग उसे भविष्य बताने के लिए धन देते थे + +# खींच ले गए + +केवल पौलुस व सीलास को खींच कर ले गए थे, लूका व तीमुथियुस के दल के बाकी सदस्यों को नही। + +# प्रधानों के पास + +“प्रधानों के समक्ष” या फिर, “प्रधानों के पास उनका न्याय कराने के लिए” + +# उन्हें फौजदारी के हाकिमों के पास ले जाकर कहा + +“पौलुस व सीलास को फौजदारी के हाकिमों के पास ले जाकर दासी के स्वामियों ने कहा” + +# ऐसी रीतियाँ बता रहे हैं + +“पौलुस व सीलास ऐसी रीतियाँ बता रहे हैं” + +# जिन्हें मानना हम रोमियों के लिए ठीक नहीं + +दासी के स्वामी रोमी थे, इसलिए अधिकारियों को अपने पक्ष में मान रहे थे। diff --git a/act/16/22.md b/act/16/22.md new file mode 100644 index 0000000..adf067a --- /dev/null +++ b/act/16/22.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हाकिमों ने उनके कपड़े फाड़कर उतार डाले + +हाकिमों ने पौलुस व सीलास के कपड़े फाड़ डाले + +# उन्हें बेंत मारने की आज्ञा दी + +उन्हें बेंत मारने की आज्ञा दी “हाकिम ने सिपाहियों को पौलुस व सिलास को बेंत मारने की आज्ञा दी।” + +# बंदीगृह में डलवा दिया + +“हाकिमों ने पौलुस व सीलास को बंदीगृह में डलवा दिया” या फिर, “हाकिमों ने सिपाहियों को आज्ञा दी कि वे पौलुस व सीलास को बंदीगृह में डाल दें।” + +# आज्ञा दी कि उन्हें चौकसी में रखें + +“दरोगा को यह पक्का करने की आज्ञा दी कि वे बंदीगृह से बाहर न जाएँ।” बंदीगृह अथवा जेल में मौजूद सब लोगों की ज़िम्मेदारी दरोगा पर होती है। + +# कोठरी में रखा + +कोठरी में बंद कर दिया + +# काठ में ठोंक + +“काठ” का आशय लकड़ी के गुटके से है जिसके बीच में कैदी के पैर दाल कर कसने के लिए छेद होता है ताकि वो भाग न सके (यूडीबी) diff --git a/act/16/25.md b/act/16/25.md new file mode 100644 index 0000000..8489da0 --- /dev/null +++ b/act/16/25.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उनकी सुन रहे थे + +“उनकी” का आशय पौलुस व सीलास से है, जो उस समय प्रार्थना व स्तुति गान में लगे थे। + +# यहाँ तक कि बंदीगृह की नींव हिल गयी + +“जिस कारण बंदीगृह की नींव हिल गयी” + +# सब के बंधन खुल पड़े + +“सब के बंधन खुल गए” diff --git a/act/16/27.md b/act/16/27.md new file mode 100644 index 0000000..fb1cd2f --- /dev/null +++ b/act/16/27.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसने....अपने आपको + +ये सभी सर्वनाम दरोगा के लिए प्रयुक्त हुए हैं। + +# मार डालना चाहा + +“मार डालना चाहा।” कैदियों के भागने की सजा भुगतने की अपेक्षा दरोगा आत्महत्या करना चाहता था। + +# हम सब यहीं हैं + +“हम” का आशय पौलुस, सिलास और बाकी के कैदी से भी है। diff --git a/act/16/29.md b/act/16/29.md new file mode 100644 index 0000000..c6741df --- /dev/null +++ b/act/16/29.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# भीतर लपका + +“तेज़ी से भीतर गया” + +# पौलुस और सीलास के आगे गिरा + +पौलुस और सीलास के आगे दरोगा विनीत हुआ और उनके आगे गिरा + +# उन्हें बाहर लाकर + +उन्हें जेल से बाहर लाया diff --git a/act/16/32.md b/act/16/32.md new file mode 100644 index 0000000..d21ee80 --- /dev/null +++ b/act/16/32.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस और सीलास ने दरोगा के परिवार से अपना संपर्क बनाए रखा + +# उन्हें ले जाकर + +“उन्हें ले जाकर।” पौलुस और सीलास को दरोगा अपने घर ले गया। + +# अपने सब लोगों समेत तुरंत बपतिस्मा लिया + +इस कथन को हम यूं भी लिख सकते हैं कि, “पौलुस व सिलास ने दरोगा व उसके परिवार के सदस्यों को बप्तिस्मा दिया।” + +# उसने अपने + +ये दोनों सर्वनाम दरोगा के लिए प्रयुक्त हुए हैं। + +# परमेश्वर पर विश्वास करके + +“दरोगा के परिवार के सभी सदस्यों ने परमेश्वर पर विश्वास किया और....” diff --git a/act/16/35.md b/act/16/35.md new file mode 100644 index 0000000..489167f --- /dev/null +++ b/act/16/35.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जब दिन हुआ, + +अर्थात “अगली सुबह” (यूडीबी)। यहाँ नए प्रकरण की शुरुआत है + +# कहला भेजा + +“सन्देश भेजा” यह फिर “आज्ञा भेजी” + +# उन मनुष्यों को छोड़ दो + +“उन लोगों को जाने दो” + +# अब निकलकर + +“अब जेल से बाहर निकल कर” diff --git a/act/16/37.md b/act/16/37.md new file mode 100644 index 0000000..0dbf390 --- /dev/null +++ b/act/16/37.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# पौलुस ने उससे कहा + +“पौलुस ने सिपाहियों से कहा” + +# लोगों के सामने + +“हाकिम ने लोगों के सामने” + +# उन्होंने हमें.....मारा और बंदीगृह में डाला + +“हमें” का आशय केवल पौलुस व सीलास से है। + +# ऐसा नहीं + +“ऐसा कभी न होगा।” हालाँकि पौलुस यहाँ बात दरोगा से कर रहा है, लेकिन उसका आशय नगर के हाकिमों या फिर अगुओं से है। + +# रोमी + +रोमी से आशय रोम साम्राज्य के कानूनी तौर पर नागिरक लोगों से है। उनके अधिकारों में स्वतंत्र रहने और सुनवाई का अधिकार शामिल है। नगर के अगुवों को डर था कि यदि रोम को पौलुस व सीलास के साथ हुए दुर्व्यवहार की खबर हो गई तो क्या होगा। + +# वे आप आकर + +“नगर के हाकिम खुद आकर उनसे विनती करें” + +# और आकर उन्हें मनाया + +“हाकिमों ने आकर पौलुस व सीलास को मनाया” + +# बाहर ले जाकर + +“पौलुस व सीलास को बाहर ले जाकर” diff --git a/act/16/40.md b/act/16/40.md new file mode 100644 index 0000000..27c654b --- /dev/null +++ b/act/16/40.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# लुदिया के यहाँ + +“लुदिया के घर” + +# उन्हें शान्ति दी + +“पौलुस व सीलास ने उन भाइयों को शांति दी” या फिर, “पौलुस व सीलास ने विश्वासियों को शांति दी” diff --git a/act/17/01.md b/act/17/01.md new file mode 100644 index 0000000..2bcce43 --- /dev/null +++ b/act/17/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# फिर वे अम्फिपुलिस + +“वे” का आशय पौलुस व सीलास से है। लूका व तीमुथियुस उनके साथ नहीं हैं। + +# होकर...में आये + +अर्थात “ये यात्रा करते हुए.....में आये” + +# फिर वे अम्फिपुलिस और अपुल्लोनिया + +ये मकदूनिया के तटीय नगर थे। + +# अपनी रीति के अनुसार + +“अपनी आदत के अनुसार” या फिर, “सामान्य अभ्यास के अनुसार।” पौलुस अकसर यहूदी आराधनालयों में सब्त के दिन जाता था जब वहां यहूदी लोग मौजूद होते थे। + +# उनके पास गया + +“उनके” का आशय यहूदी आराधनालय और उसमें मौजूद यहूदियों से था + +# उनके साथ वाद-विवाद किया + +“आराधनालय में मौजूद यहूदियों से तर्क-वितर्क किया” या फिर, “आरधनालयों के यहूदियों से चर्चा की” diff --git a/act/17/03.md b/act/17/03.md new file mode 100644 index 0000000..e083f60 --- /dev/null +++ b/act/17/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उन का अर्थ खोल-खोलकर समझाता था + +संभावित अर्थ : 1) “पौलुस वचन की विस्तार से व्याख्या देता था ताकि लोगों को उसके उपदेश समझ आ सकें” या फिर 2) “पौलुस वचन की पुस्तक या कि स्क्रॉल खोल रहा था” + +# अवश्य था + +“योजना का हिस्सा था” या फिर, “तो होना ही था” + +# मरे हुओं में से जी उठना + +“मर कर दोबारा जी उठाना” + +# यहूदियों ने मान लिया + +“....ने विश्वास कर लिया” या फिर, “.....को विश्वास में जीत लिया” + +# पौलुस और सीलास के साथ मिल गए + +“पौलुस और सिलास के साथी बन गए” + +# भक्त यूनानियों में से + +वे जो परमेश्वर की आराधना करते थे लेकिन खतना कराने के द्वारा यहूदी मत में नहीं आये थे + +# और भीड़ लगाकर + +“और एक बड़ी भीड़ बनाकर” diff --git a/act/17/05.md b/act/17/05.md new file mode 100644 index 0000000..5858c31 --- /dev/null +++ b/act/17/05.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# डाह से भरकर + +“डाह के कारण” + +# कई दुष्ट मनुष्यों को + +“कुछ बुरे लोगों को।” यहाँ “मनुष्यों” का आशय विशिष्ट रूप से पुरुषों से है। + +# बजार से + +“चीज़ों, मवेशियों, अथवा सेवाओं की ख़रीद-फरोख्त की जगह के लोग” (यूडीबी) + +# नगर में हुल्लड़ मचाने लगे + +“नगर में हुल्लड़ करने लगे” + +# के घर पर चढ़ाई + +“के घर पर हिंसात्मक कार्यवाही” + +# लाना चाहा + +यह सर्वनाम बाजार के अविश्वासी यहूदी और दुष्ट पुरुष को दर्शाता है। + +# लोगों के सामने + +“सार्वजनिक तौर पर निर्णय लेने के लिए सरकारी अथवा कानूनी तौर पर नागरिक लोगों के सामने” + +# नगर के हाकिमों के सामने + +“नगर के हाकिमों की उपस्थित में” + +# ये लोग जिन्होंने + +“ये लोग” से यहूदी लोगों का आशय पौलुस व सीलास से था। + +# उल्टा-पुल्टा कर दिया है + +“उल्टा-पुल्टा करना” एक मुहावरा है, जिसका आशय “अस्त-व्यस्त करने से है” (यूडीबी)। पौलुस व सिलास के उपदेशों के प्रभाव को यहूदी अगुवे बढ़ा-चढ़ा कर बता रहे थे। + +# यासोन ने उन्हें अपने यहाँ उतारा + +यहाँ पर संकेत मिलता है कि प्रेरितों के उपदेश से यासोन सहमत था.. diff --git a/act/17/08.md b/act/17/08.md new file mode 100644 index 0000000..27bcbf4 --- /dev/null +++ b/act/17/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सुनाकर घबरा दिया + +“चिंता में डाल दिया” या फिर “मानसिक तनाव में डाल दिया” + +# पैसे लेकर + +“ज़मानत” अथवा “धरोहर” या कि “शुल्क” (यूडीबी)। यह अच्छे बर्ताव की प्रतिज्ञा राशि थी, जो अच्छे बर्ताव करने पर वापित कर दी जाती थी, या फिर बुरे बर्ताव से होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए प्रयुक्त हो जाती थी। + +# और बाकी लोगों को + +“यासोन के अतिरिक्त अन्य विश्वासी” + +# और उन्होंने......उन्हें छोड़ दिया + +“और अधिकारियों ने यासोन और बाकी बंदी बनाए गए अन्य विश्वासियों को छोड़ दिया” diff --git a/act/17/10.md b/act/17/10.md new file mode 100644 index 0000000..d4b8a69 --- /dev/null +++ b/act/17/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# से भले थे + +यहाँ “भले” होने का आशय उनकी ग्रहणशीलता व “खुले मन से सुनने की तत्परता” से है। “खुले मन से सुनने की तत्परता” शिक्षित एवं उच्च वर्ग के परिवारों का लक्षण होता है जहाँ विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाता है + +# वचन ग्रहण किया + +“उपदेशों को सुना” + +# बड़ी लालसा से + +बिरीया के लोग पौलुस के उपदेशों को वचन की कसौटी पर परखने को तैयार थे + +# प्रतिदिन पवित्र शास्त्रों में ढूंढते थे + +“वे पवित्र शास्त्र के पदों का हर दिन गहराई से मूल्यांकन करते थे” diff --git a/act/17/13.md b/act/17/13.md new file mode 100644 index 0000000..f2e48e9 --- /dev/null +++ b/act/17/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जब ...यहूदी जान गए कि + +“जब..... यहूदियों को बताया गया” या फिर, “जब....यहूदियों ने सुना कि...” (यूडीबी) + +# वहां भी आकर लोगों को भड़काने लगे + +“वहाँ भी आकर लोगों को उत्तेजित करने लगे” या फिर, “वहाँ भी आकर लोगों के मन में संदेह पैदा करने लगे” + +# हलचल मचाने लगे + +“लोगों में संदेह और भय पैदा करने लगे” + +# पौलुस के पहुंचाने वाले + +“पौलुस के साथ जाने वाले” या फिर, “वे लोग जो पौलुस के साथ थे” diff --git a/act/17/16.md b/act/17/16.md new file mode 100644 index 0000000..5643da5 --- /dev/null +++ b/act/17/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसका जी जल गया + +“वह बहुत परेशान हो उठा” या फिर, “वह बहुत अशांत हो गया” या फिर, “वह बहुत दुखी हो गया” (यूडीबी) + +# अतः वह ......वाद-विवाद किया करता था + +“इसलिए उसने.......तर्क किया” या फिर, “इसलिए उसने..... चर्चा किया करता था”. यहाँ इस बात के संकेत हैं कि वह उपदेश की तुलना में यहाँ लोगों से अधिक सवाल-जवाब होता था। + +# और चौंक पर जो + +व्यापार करने की जगह, जहां वस्तुओं, मवेशियों और सेवाओं की खरीद-फरोख्त होती थी; “सार्वजनिक चौक” (यूडीबी) diff --git a/act/17/18.md b/act/17/18.md new file mode 100644 index 0000000..ac34b7c --- /dev/null +++ b/act/17/18.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# इपिकूरी.....दार्शनिकों + +वे लोग जो यह मानते हैं कि सभी चीज़ों का अस्तित्व संयोग से हुआ है। वे यह भी मानते थे कि देवता स्वयं अपने में ही संतुष्ट और खुश हैं, और उन्हें विश्व के संचालन की चिंता नही है। वे पुनरुत्थान को नहीं मानते थे। + +# स्तोईकी दार्शनिक + +इन लोगों का मानना था कि स्वयं को भाग्य के हवाले कर देने से ही मुक्ति मिलती है। वे जीवते परमेश्वर और पुनरुत्थान को नहीं मानते थे। + +# उससे तर्क करने लगे + +“पौलुस से तर्क करने लगे” + +# और कुछ ने कहा + +“और कुछ दार्शनिकों ने कहा” + +# यह बकवादी क्या कहना चाहता है + +“बकवादी” कहने से आशय उलटी-पुलती बातें कहने से है। यह “वक्ता” के लिए प्रयुक्त होनेवाला एक नकारात्मक शब्द है। दार्शनिकों कहते थे कि पौलुस अधूरे-कच्चे ज्ञान की बातें कर रहा है जिसे सुनना बेकार है। + +# परन्तु दूसरों ने कहा + +“परन्तु दार्शनिकों के अतिरिक्त अन्य लोगों ने कहा” + +# वह.......प्रचारक मालूम पड़ता है + +“वह....... उद्घोषणा करनेवाला लगता है” या फिर, “ऐसा लगता है कि वह...... सन्देश को बांटने के मिशन पर निकला हैके विश्वासियों ने धन-दान में दिया और उन्होंने धन भेज दिया...” + +# अन्य देवताओं + +“अन्य” से तात्पर्य दूसरे लोगों के देवताओं से है; गैर-यहूदी/गैर रोमी देवताओं से है। diff --git a/act/17/19.md b/act/17/19.md new file mode 100644 index 0000000..8883eeb --- /dev/null +++ b/act/17/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तब वे उसे अपने साथ + +“तब इपिकूरी और स्तोईकी दार्शनिक पौलुस को अपने साथ” + +# अरियुपगुस पर ले गए + +एथेंस की एक पहाडी पर ले गए जहां एथेंस का सर्वोच्च न्यायलय रहा होगा। + +# हम जानना चाहते हैं कि इन का अर्थ क्या है + +“हम” का आशय यहाँ केवल दार्शनिकों से है। अनुवाद करते समय हम यह भी लिख सकते हैं कि “इन चीज़ों के जो होने का तू दावा कर रहा है, हम उसके आधार पर न्याय करना चाहते हैं। “ + +# सब एथेंस वासी + +मकदूनिया (आधुनिक यूनान) के एक तटीय नगर एथेंस के बाशिंदे। + +# और परदेशी + +अर्थात एथेंस वासियों के समुदाय में एक नया व्यक्ति + +# किसी काम में समय नहीं बिताते थे + +समय बिताने से आशय समय लगाने, अथवा समय का इस्तेमाल करने से है + +# नयी-नयी बातें कहने और सुनने के सिवाय + +“नए-नए दार्शनिक विचारों पर चर्चा करने के सिवाय” (यूडीबी) diff --git a/act/17/22.md b/act/17/22.md new file mode 100644 index 0000000..7f233d3 --- /dev/null +++ b/act/17/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# देवताओं के बड़े माननेवाले हो + +पौलुस यहाँ एथेंसवासियों द्वारा प्रार्थना, वेदियों और बलिदानों के द्वारा अपने देवताओं के प्रति अपनी निष्ठा के सार्वजनिक प्रदर्शन के विषय में कह रहा है। + +# क्योंकि मैं फिरते हुए + +“क्योंकि मैंने घूमते हुए” + +# अनजाने ईश्वर के लिये + +संभावित आशय: 1) “किसी विशिष्ट अनजाने ईश्वर के लिए” या फिर, 2) “किसी भी अनजाने ईश्वर के लिए” diff --git a/act/17/24.md b/act/17/24.md new file mode 100644 index 0000000..5a7c824 --- /dev/null +++ b/act/17/24.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# पृथ्वी का स्वामी होकर + +यहाँ पौलुस उन अनजाने प्रभु परमेश्वर के बारे में बता रहा है. अनुवाद करते समय यह भी लिख सकते हैं कि, “क्योंकि वह पृथ्वी का स्वामी है...” + +# हाथ के बनाए हुए + +“लोगों के बनाए हुए” + +# मनुष्यों के हाथों की सेवा + +“सेवा” का आशय यहाँ उपचार-सेवा से है। वैकल्पिक अनुवाद: “देखरेख।” + +# मनुष्यों के हाथों + +“लोगों के हाथों” + +# क्योंकि वह तो आप ही + +“क्योंकि वह स्वयं” diff --git a/act/17/26.md b/act/17/26.md new file mode 100644 index 0000000..66d81f6 --- /dev/null +++ b/act/17/26.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# एक ही मूल + +संभावित अर्थ: 1) परमेश्वर द्वारा रचित पहला आदम 2) इसमें आदम और हव्वा दोनों भी शामिल हो सकते हैं + +# मनुष्यों की सब जातियां ....बनाई हैं + +“मनुष्यों की सब जातियां.....परमेश्वर, सृष्टिकर्ता ने बनाई है” + +# उनके ठहराए हुए.....कि वे + +यहाँ पर “उनके” और “वे” का आशय पृथ्वी पर मौजूद सभी मनुष्यों से है + +# परमेश्वर को ढूंढें + +“परमेश्वर को खोजे” + +# उसे टटोलकर पाएं + +“उसकी ज़रुरत को महसूस करें” + +# हम में से किसी से + +इसमें पौलुस अपने श्रोताओं के साथ स्वयं को भी शामिल कर रहा है। diff --git a/act/17/28.md b/act/17/28.md new file mode 100644 index 0000000..d5955f9 --- /dev/null +++ b/act/17/28.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# क्योंकि हम उसी में + +“क्योंकि हम परमेश्वर में” + +# हम उसी में जीवित, और चलते-फिरते हैं + +पौलुस यहाँ अपने श्रोताओं के साथ स्वयं को भी शामिल कर रहा है। + +# उसी के वंश के हैं + +उसी के वंशज है। “उसी” सर्वनाम का संज्ञा मूल यहाँ स्पष्ट नहीं है। + +# कि ईश्वरत्व + +परमेश्वर की प्रकृति अथवा गुण diff --git a/act/17/30.md b/act/17/30.md new file mode 100644 index 0000000..3d575e6 --- /dev/null +++ b/act/17/30.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# अज्ञानता + +संभावित अर्थ: 1) “किसी बात के विषय में जानकारी न होना” या फिर, 2) “स्वयं इंकार करना”। + +# उस मनुष्य के द्वारा.....जिसे उनसे ठहराया है + +“उस मनुष्य के द्वारा.....जिसे परमेश्वर ने ठहराया है” + +# यह बात सब पर प्रमाणित कर दी है + +“अपने चुनाव को परमेश्वर ने सबके समक्ष प्रकट किया है” diff --git a/act/17/32.md b/act/17/32.md new file mode 100644 index 0000000..de6890e --- /dev/null +++ b/act/17/32.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# बात सुनकर + +इस बात को सुननेवाले लोग एथेंस से थे + +# कितने तो ठट्ठा करने लगे + +“कितनों ने पौलुस का ठट्ठा उड़ाया” या “कुछ लोगों ने पौलुस की हंसी उड़ाई।” उन्हें इस बात का विश्वास नहीं था कि कोई मरने के बाद जीवन में लौट सकता है। + +# हम तुझ से फिर कभी सुनेंगे + +“हम” का आशय यहाँ पौलुस को सुनने की इच्छा रखनेवाले एथेंसवासियों से है। वे पौलुस से बात कर रहे थे लेकिन उसे अपने समूह का हिस्सा नहीं मानते थे। + +# दियुनुसियुस जो अरियुपगुस का सदस्य था, और दमरिस नाम एक स्त्री + +दियुनुसियुस एक पुरुष का नाम था और दमरिस एक स्त्री का। diff --git a/act/18/01.md b/act/18/01.md new file mode 100644 index 0000000..81f4e0b --- /dev/null +++ b/act/18/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# इस के बाद + +“एथेन्स में हुई इन घटनाओं के बाद” + +# एक यहूदी मिला + +संभावित आशय : 1) “वह संयोगवश उससे मिला” 2) “स्वयं पौलुस उससे जाकर मिला।” + +# जिसका जन्म पुन्तुस हुआ था + +कृष्ण सागर के दक्षिण तट पर स्थित एक प्रान्त + +# हाल ही में आया था + +शायद पिछले साल आया हो। + +# क्लौदियुस ने.....आज्ञा दी थी + +वर्तमान रोमी सम्राट। + +# सब यहूदियों को ........आज्ञा दी थी + +“आदेश दिया था” diff --git a/act/18/04.md b/act/18/04.md new file mode 100644 index 0000000..d3de647 --- /dev/null +++ b/act/18/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वह .....वाद-विवाद करके + +“वह” अर्थात पौलुस और “वाद-विवाद” का आशय दो व्यक्तियों के बीच आमने-सामने की चर्चा से है. वैकल्पिक अनुवाद “ “इसलिए पौलुस......तर्क-वितर्क किया” या फिर, “इसलिए पौलुस ने चर्चा की.” + +# समझाता था + +अनुवाद करते समय “समझाने का प्रयास करता रहा” भी लिख सकते हैं। + +# अपने कपड़े झाड़कर + +पौलुस इस संकेत द्वारा यह व्यक्त कर रहा था कि अविश्वासी यहूदियों से वह अपना नाता तोड़ रहा था और उन्हें परमेश्वर के न्याय पर छोड़ रहा था। + +# “तुम्हारा लहू तुम्हारी गर्दन पर रहे + +यहाँ आलंकारिक भाषा का प्रयोग हुआ है। इसका अर्थ है कि मन फिराव से इनकार करने और अपनी ढीठाई के कारण स्वयं पर पडनेवाले न्याय के लिए यहूदी स्वयं ज़िम्मेदार हैं। diff --git a/act/18/07.md b/act/18/07.md new file mode 100644 index 0000000..4f931b2 --- /dev/null +++ b/act/18/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# और वहां से चलकर + +“और तब पौलुस वहां से चला गया और ...” + +# तितुस युस्तुस + +एक यहूदी विश्वासी। + +# आराधनालय के सरदार + +“आराधनालय के प्रशासन व उसे सहायता देनेवाला व्यक्ति + +# सरदार क्रिस्पुस + +एक और यहूदी विश्वासी। + +# अपने सारे घराने + +“उसके साथ रहनेवाले परिवार के सभी सदस्य और रिश्तेदार” + +# बहुत से कुरिन्थ वासी + +बहुत से कुरिन्थ वासी जो यहूदी नहीं थे diff --git a/act/18/09.md b/act/18/09.md new file mode 100644 index 0000000..48b8a8a --- /dev/null +++ b/act/18/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# चुप मत रह + +“सुसमाचार के प्रचार को बंद मत कर” + +# क्योंकि मैं + +“मैं” अर्थात प्रभु, जो उस समय पौलुस से बातें कर रहा था + +# तेरे साथ हूँ + +“तेरे” का आशय पौलुस से है जिसके साथ परमेश्वर एक दर्शन में बातचीत कर रहा था + +# इस नगर में मेरे बहुत से लोग हैं + +“इस नगर में बहुत से लोग मुझ पर विश्वास करते हैं” diff --git a/act/18/12.md b/act/18/12.md new file mode 100644 index 0000000..5bbb559 --- /dev/null +++ b/act/18/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# गल्लियो अखाया + +अखाया एक रोमी प्रान्त था और कुरिन्थ इसका हिस्सा था, जो कि अब आज दक्षिण यूनान में है। + +# उसे न्याय आसन के सामने लाकर + +यहूदी लोग पौलुस को जबरन न्यायालय ले गए। वैकल्पिक अनुवाद : “अधिकारी द्वारा उसका न्याय करवाने के लिए उसके समक्ष ले गए।” + +# जो व्यवस्था के विपरीत है + +यहूदी लोग जानबूझ कर पौलुस पर यहूदी व्यवस्था और रीतियों के विरोध में होने का दोष लगा रहे थे, और उसे रोमी व्यवस्था का विरोधी दिखाने का प्रयास कर रहे थे। diff --git a/act/18/14.md b/act/18/14.md new file mode 100644 index 0000000..00fd5f9 --- /dev/null +++ b/act/18/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# गल्लियों ने यहूदियों से कहा + +प्रान्त के रोमी हाकिम ने यहूदियों से कहा + +# तुम्हारे यहाँ की व्यवस्था के विषय में है + +यह मूसा की व्यवस्था और पौलुस के समय की यहूदी रीतियों के विषय में है + +# मैं इन बातों का न्यायी बनना नहीं चाहता + +“मैं इन बातों का न्याय करने से इनकार करता हूँ।” diff --git a/act/18/16.md b/act/18/16.md new file mode 100644 index 0000000..c3343b1 --- /dev/null +++ b/act/18/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तब सब लोगों ने + +“सब लोगों” या फिर “तब सभी ने।” यहाँ अतिशयोक्ति है क्योंकि भीड़ का हरेक जन का उसे पकड़ना संभव नहीं है। + +# सरदार सोस्थिनेस + +कुरिन्थ की आराधनालय का एक यहूदी सरदार। + +# सामने मारा + +“सामने पीटा” या फिर, “सामने लात-घुसें लगाए।” सोस्थिनेस की पिटाई की गयी थी। diff --git a/act/18/18.md b/act/18/18.md new file mode 100644 index 0000000..4707fce --- /dev/null +++ b/act/18/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसके साथ प्रिस्किल्ला और अक्विला थे + +पौलुस जहाज के द्वारा सीरिया गया। प्रिस्किल्ला और अक्विला भी उसके साथ गए + +# किन्ख्रिया + +किन्ख्रिया एक बंदरगाह था जो कि कुरिन्थ नगर का हिस्सा था। + +# उसने मन्नत मानी थी + +अर्थात परमेश्वर के लिए कुछ करने का प्रण लिया। इसके द्वारा लेवियों के बाहर के लोग भी परमेश्वर की सेवा कर सकते थे। + +# इफिसुस पहुंचकर + +“पौलुस, प्रिस्किल्ला और अक्विवल के इफिसुस पहुँचने पर” + +# विवाद करने लगा + +“चर्चा करने लगा” या कि “तर्क-वितर्क करने लगा” diff --git a/act/18/20.md b/act/18/20.md new file mode 100644 index 0000000..a182158 --- /dev/null +++ b/act/18/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जब उन्होंने....विनती की + +“जब यहूदियों ने....विनती की” + +# उनसे विदा हुआ + +“उनसे विदा लेकर” diff --git a/act/18/22.md b/act/18/22.md new file mode 100644 index 0000000..d3a48e2 --- /dev/null +++ b/act/18/22.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# कैसरिया में उतर कर + +“कैसरिया पहुंचा” + +# यरूशलेम को गया + +“पौलुस यरूशलेम को गया” + +# कलीसिया को नमस्कार करके + +“यरूशलेम की कलीसिया के सदस्यों को नमस्कार करके” + +# अन्ताकिया को गया + +यरूशलेम से अन्ताकिया को गया। + +# वहाँ से चला गया + +“पौलुस वहाँ से चला गया” + +# गलातिया और फ्रुगिया में + +एशिया के प्रान्त जो आज टर्की में है। + +# सब चेलों को स्थिर करता फिरा + +“सब चेलों को मज़बूत किया” diff --git a/act/18/24.md b/act/18/24.md new file mode 100644 index 0000000..b2eb5c3 --- /dev/null +++ b/act/18/24.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जिसका जन्म सिकंदरिया में हुआ था + +“सिकंदरिया नगर में पैदा हुआ व्यक्ति।” संभावित अर्थ : 1) “मिस्र में उत्तर तट पर स्थित सिकंदरिया” या फिर, 2) “एशिया में पश्चिम तट पर स्थित सिकंदरिया।” + +# और मन लगा कर + +पूरे जोश के साथ + +# यूहन्ना के बपतिस्मे + +“यूहन्ना द्वारा दिए गए बपतिस्मे” + +# उसकी बातें सुनकर + +उसकी वाक्पटुता देखकर + +# और भी ठीक-ठीक + +“और भी सम्पूर्णता के साथ” diff --git a/act/18/27.md b/act/18/27.md new file mode 100644 index 0000000..daff548 --- /dev/null +++ b/act/18/27.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# और जब उसने + +“और जब अपुल्लोस ने” + +# पार उतर कर अखाया को जाए + +अखाया एक रोमी प्रान्त है जो आधुनिक यूनान के दक्षिण खंड में स्थित था। + +# चेलों को लिखा + +“अखाया के मसीहियों को पत्र लिखा” + +# और उसने पहुंचकर + +“और अपुल्लोस ने पहुँच कर” + +# बड़ी प्रबलता से यहूदियों को सबके सामने निरुत्तर करता रहा + +अपुल्लोस ने यहूदियों को सबके सामने वाद-विवाद में हराया diff --git a/act/19/01.md b/act/19/01.md new file mode 100644 index 0000000..833f42e --- /dev/null +++ b/act/19/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# और जब…….वहां कुछ चेले मिले + +“ऐसा हुआ कि जब…..वहां कुछ चेले मिले” + +# सारे देश से होकर + +सारे देश में यात्रा करते हुए + +# ऊपर के सारे से होकर + +अर्थात एशिया (आधुनिक टर्की) में स्थित एक क्षेत्र जो इफिसुस और सिकंदरिया त्रोआस और भीतरी क्षेत्र के पूर्व की ओर था। + +# पवित्र आत्मा पाया + +पवित्र आत्मा ग्रहण किया + +# हम ने तो पवित्र आत्मा की चर्चा भी नहीं सुनी + +“हमने पवित्र आत्मा की चर्चा नहीं सुनी थी” diff --git a/act/19/03.md b/act/19/03.md new file mode 100644 index 0000000..d271cf0 --- /dev/null +++ b/act/19/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस इफिसुस के नए विश्वासियों के साथ अपनी चर्चा जारी रखता है + +# तो फिर तुमने किसका बपतिस्मा लिया? + +“तो फिर तुमने किसके नाम से बपतिस्मा लिया?” + +# उन्होंने कहा + +“चेलों ने कहा” + +# यूहन्ना का बपतिस्मा + +“यूहन्ना के बपतिस्मा से” + +# मन फिराव का बपतिस्मा + +“अपने पापों से मन फिराते समय लोग जो बपतिस्मा लेते हैं।” + +# जो मेरे बाद आनेवाला + +“जो बपतिस्मा देनेवाले यूहन्ना के बाद आनेवाला” diff --git a/act/19/05.md b/act/19/05.md new file mode 100644 index 0000000..e40dc9b --- /dev/null +++ b/act/19/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जब पौलुस ने उन पर + +जब पौलुस ने उससे बातचीत कर रहे इफिसुस के विश्वासियों पर + +# हाथ रखे + +“प्रार्थना करते समय उनके सिर पर हाथ रखे” (यूडीबी) + +# वे भिन्न-भिन्न भाषा बोलने लगे और भविष्यद्वाणी करने लगे + +इस बात के संकते नहीं दिए गए हैं कि उनकी बातें कितनो को समझ आई होगी। + +# ये सब लगभग बारह पुरुष थे + +“ ...पौलुस से बपतिस्मा लेकर पवित्र आत्मा पाने वाले लगभग 12 लोग थे” (यूडीबी)...(देखें: [[rc://*/ta/संस्क1/अनुवाद/अंजीर-स्पष्ट]] diff --git a/act/19/08.md b/act/19/08.md new file mode 100644 index 0000000..3fdefa7 --- /dev/null +++ b/act/19/08.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# और वह आराधनालय में जाकर तीन महीने तक निडर होकर बोलता रहा + +अनुवाद कते समय यूं भी लिख सकते हैं, कि “तीन महीने तक पौलुस आराधनालय जाता रहा और हियाव के साथ बोलता रहा।” + +# और समझाता रहा + +“लोगों को बोले गए सत्य का विश्वास दिलाता रहा” + +# कुछ लोगों ने कठोर होकर उसकी नहीं मानी + +“कुछ यहूदियों ने ढीठाई के साथ उपदेश को स्वीकारने से मना कर दिया” + +# को बुरा कहने लगे + +“के बारे में बुरा-बुरा कहने लगे” + +# यीशु के मार्ग को + +अर्थात “यीशु मसीह के द्वारा उद्धार की बात को” + +# चेलों को अलग किया + +“विश्वासियों को अलग किया” + +# आसिया के रहनेवाले....सुन लिया + +संभावित अर्थ: 1) “पौलुस ने पूरे आसिया में कई लोगों के साथ सुसमाचार बांटा” या फिर, 2) “सारे आसिया से इफिसुस में आनेवाले यात्रियों के द्वारा पौलुस का उपदेश इफिसुस से पूरे आसिया में फैल गया।” diff --git a/act/19/11.md b/act/19/11.md new file mode 100644 index 0000000..2cd965c --- /dev/null +++ b/act/19/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पौलुस के हाथों + +“पौलुस के द्वारा” + +# यहाँ तक कि रुमाल और अंगोछे उसकी देह से स्पर्श कराकर बीमारों पर डालते थे + +अनुवाद करते समय यूं भी लिख सकते हैं, कि “यहाँ तक कि पौलुस द्वारा स्पर्श किये रुमाल और अंगोछे बीमारों पर डालते थे” diff --git a/act/19/13.md b/act/19/13.md new file mode 100644 index 0000000..5c31b3e --- /dev/null +++ b/act/19/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कुछ यहूदी झाड़-फूंकी + +लोगों व जगहों से बुरी आत्माएं निकालनेवाले लोग + +# प्रभु यीशु का नाम यह कहकर फूंके + +हालाँकि वे यीशु पर विश्वास नहीं करते थे, लेकिन वे उसके नाम को जादूई शब्द की तरह इस्तेमाल करने का प्रयास करते थे + +# जिनमें दुष्टात्मा हों + +“बुरी आत्मा से ग्रस्त लोग” + +# यह कह कर फूंके + +“उन पर नाम फूंकते थे” diff --git a/act/19/15.md b/act/19/15.md new file mode 100644 index 0000000..f380872 --- /dev/null +++ b/act/19/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु को मैं जानती हूँ, और पौलुस को भी जानती हूँ + +“मैं यीशु और पौलुस को तो जानती हूँ;” या फिर, “मैंने यीशु और पौलुस के बारे में तो सुना है” + +# तुम कौन हो? + +यह वास्तविक प्रश्न नहीं है; यह कथन असल में बुरी आत्मा पर उनके अधिकार को लेकर संदेह को व्यक्त करता है। अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं, कि “तुम्हारे पास कौन सा अधिकार है?” या फिर, “तुम्हारा को अधिकार नहीं है।” + +# उन पर लपककर + +अर्थात “उन झाड़ा फूंकी करनेवालों” पर लपक कर। यहाँ पर उसी शब्द का प्रयोग करने जिसका प्रयोग आप पहले 13वें पद में किया है + +# वे नंगे और घायल होकर ....निकल भागे + +वे झाड़ा-फूंकी करनेवालों के कपड़े तार-तार हो गए और वे भागे + +# उन सब पर भय छा गया + +“इफिसुस के यहूदी और यूनानी लोग बहुत डर गए” diff --git a/act/19/18.md b/act/19/18.md new file mode 100644 index 0000000..aa931a3 --- /dev/null +++ b/act/19/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अपनी-अपनी पोथियाँ इकट्ठी करके + +जादूई तंत्रों-मन्त्रों वाली किताबें और स्क्रॉल + +# सब के सामने + +“सब के आगे” + +# चांदी के सिक्कों + +चांदी के एक सिक्के का दाम एक दैनिक मजदूर की एक दिन की दिहाड़ी के बराबर था। + +# इस प्रकार प्रभु का वचन बल पूर्वक फैलता गया और प्रबल होता गया + +“प्रभु से सम्बंधित उपदेश इतना प्रभावी था कि वह फैलता गया और पहले अधिक प्रभावशाली होता गया।” diff --git a/act/19/21.md b/act/19/21.md new file mode 100644 index 0000000..a471542 --- /dev/null +++ b/act/19/21.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जब ये बातें हो चुकी तो पौलुस ने + +अर्थात इफिसुस में अपनी सेवा करने के बाद पौलुस ने + +# मकदूनिया और अखाया + +आधुनिक यूनान के प्रांत + +# पौलुस ने आत्मा में ठाना + +संभावित अर्थ: 1) पौलुस ने पवित्र आत्मा की मदद से निर्णय लिया” या फिर, 2) पौलुस की अपनी आत्मा ने निर्णय लेने में उसकी अगुवाई की। + +# मुझे रोम को भी देखना अवश्य है + +“मुझे रोम की भी यात्रा करनी ज़रूरी है” + +# आप कुछ दिन आसिया में रह गया + +आगामी पदों में स्पष्ट हो जाएगा कि पौलुस इफिसुस में रुका था diff --git a/act/19/23.md b/act/19/23.md new file mode 100644 index 0000000..e6c2749 --- /dev/null +++ b/act/19/23.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# बड़ा हुल्लड़ हुआ + +उपद्रव जैसी स्थिति + +# उस पंथ + +मसीहत के लिए इस्तेमाल किया जानेवाला शब्द + +# एक सुनार + +सोने-चांदी की आकृतियाँ आदि गढ़नेवाला कारीगर + +# देमेत्रियुस नाम का + +इफिसुस का एक सुनार पौलुस व स्थानीय कलीसिया के विरोध में था। + +# अरतिमिस के चांदी के मंदिर + +इफिसुस में अरतिमिस को समर्पित एक विशाल मंदिर था + +# बहुत काम दिलाया करता था + +वे चाँदी से बनी अरतिमिस की कई मूरतें बेचता था diff --git a/act/19/26.md b/act/19/26.md new file mode 100644 index 0000000..f8340e1 --- /dev/null +++ b/act/19/26.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +देमेत्रियुस नाम का एक सुनार अपने कारीगरों से बातचीत जारी रखता है + +# तुम देखते और सुनते हो + +“तुम जानते-बूझते हो” + +# बहुत लोगों को समझाया + +“बहुत से लोगों को स्थानीय देवताओं की पूजा न करने और मसीह की ओर मुड़ने का विश्वास दिलाया है” + +# उसका महत्व भी जाता रहेगा + +अरतिमिस की महानता केवल लोगों की सोच से है + +# जिसे सारा आसिया और जगत पूजता है नोट: “जिसे” के स्थान पर हिंदी संस्करण में “जिस” लिखा हुआ है। कृपया इसे सुधार लें। + +यहाँ अतिशयोक्ति का प्रयोग है। बहुत से लोग पूजते हैं की जगह सारा आसिया और जगत पूजता है कहा गया है। diff --git a/act/19/28.md b/act/19/28.md new file mode 100644 index 0000000..d5b3ee8 --- /dev/null +++ b/act/19/28.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# वे यह सुनकर + +“कारगर यह सुनकर” + +# क्रोध से भर गए + +“बहुत क्रोधित हो उठे” + +# और चिल्ला-चिल्ला कर कहने लगे + +“और ज़ोर से चिल्ला कर बोलने लगे” + +# जो पौलुस के संगी यात्री थे, पकड़ लिया + +“लोगों ने पौलुस के साथियों को पकड़ लिया” + +# और एक साथ होकर रंगशाला में दौड़ गए + +यह दंगे-फसाद जैसे स्थिति हो गयी थी + +# रंगशाला में + +इफिसुस की रंगशाला प्रयोग जनता के मनोरंजन हेतु नाटक व संगीत आदि के लिए होता था + +# मकदूनियों को + +गयुस व अरिस्तर्खुस मकदूनिया से आये थे और उस समय इफिसुस में पौलुस के साथ कार्य कर रहे थे diff --git a/act/19/30.md b/act/19/30.md new file mode 100644 index 0000000..0eb98e0 --- /dev/null +++ b/act/19/30.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# रंगशाला + +अर्ध-गोलाकार की आकृति वाली जगह जहाँ लोगों के बैठने के लिए बेंच लगे होते हैं, और इसमे हज़ारों की तादात में लोग आ सकते हैं। diff --git a/act/19/33.md b/act/19/33.md new file mode 100644 index 0000000..4e6fb9e --- /dev/null +++ b/act/19/33.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तब उन्होंने सिकंदर को आगे बढ़ाया + +सिकंदर को लेकर पौलुस तीमुथियुस को चेतावनी दे रहा है + +# हाथ से संकेत करके + +“देखनेवालों की तरफ संकेत किया” + +# उत्तर देना चाहता था + +वह अपने बचावे में कुछ कहना चाहता था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह क्या कहना चाहता था। diff --git a/act/19/35.md b/act/19/35.md new file mode 100644 index 0000000..c9d5247 --- /dev/null +++ b/act/19/35.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# कौन नहीं जानता, कि इफिसियों का नगर बड़ी देवी अरतिमिस के मंदिर, और ज्यूस की ओर से गिरी हुई मूरत का टहलुआ है + +यह वास्तविक प्रश्न नहीं वरन भाषा का आलंकारिक प्रयोग है. अनुवाद करते समय हम यूं भी लिख सकते हैं कि “हर कोई जानता है कि......” + +# टहलुआ + +इफिसुस के लोग अरतिमिस के मंदिर की देखरेख और सुरक्षा करते थे + +# ज्यूस की ओर से गिरी हुई मूरत + +अरतिमिस के मंदिर में देवी की एक मूरत थी जो उल्कापिंड पर गढ़ी गए थी, और उल्कापिंड सीधे ज्यूस से भेजा माना जाता था diff --git a/act/19/38.md b/act/19/38.md new file mode 100644 index 0000000..176f393 --- /dev/null +++ b/act/19/38.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +भीड़ को संबोधन जारी रहता है + +# देमेत्रियुस + +इफिसुस का एक सुनार जो पौलुस व स्थानीय कलीसिया का विरोधी था + +# हाकिम + +गवर्नर अथ्वास शासक के लिए प्रोकंसल्स शब्द है। diff --git a/act/20/01.md b/act/20/01.md new file mode 100644 index 0000000..dddad5c --- /dev/null +++ b/act/20/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जब हुल्लड़ थम गया तो + +“हुल्लड़ के थमने के बाद” + +# पौलुस....उनसे विदा होकर + +एक-दूसरे से विदा ली + +# चेलों को बहुत उत्साहित कर + +“चेलों का उत्साह बढाने के लिए बहुत सी बातें कहीं” + +# तीन महीने रह कर + +“तीन महीने रहने के बाद” + +# यहूदी उसकी घात में लगे + +“यहूदियों ने उसके विरुद्ध षड्यंत्र किया” + +# उसकी घात में लगे + +“उसके विरुद्ध एक गुप्त योजना बना ली’ + +# सीरिया की ओर जाने पर था + +“सीरिया की ओर जाने को तैयार था” diff --git a/act/20/04.md b/act/20/04.md new file mode 100644 index 0000000..afa7c65 --- /dev/null +++ b/act/20/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसके साथ हो लिए + +“पौलुस के साथ यात्रा कर रहे हैं” + +# हमारी बाट जोहते रहें + +प्रेरितों का लेखक,लूका, दल में फिर से शामिल हो गया है। वैकल्पिक अनुवाद: हमसे आगे यात्रा की है। diff --git a/act/20/07.md b/act/20/07.md new file mode 100644 index 0000000..20c09dd --- /dev/null +++ b/act/20/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सप्ताह के पहले दिन + +“रविवार को” + +# जब हम रोटी तोड़ने के लिए + +प्रभु भोज के दौरान रोटी तोड़ी और खाई गयी (यूडीबी) + +# बातें करता रहा + +“बातें करता रहा” + +# अटारी + +यह शायद घर की मंजिल का तीसरा तल था। diff --git a/act/20/09.md b/act/20/09.md new file mode 100644 index 0000000..6da66cc --- /dev/null +++ b/act/20/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# गहरी नींद से झुक रहा था + +वह गहरी नींद में सोया हुआ था + +# तीसरी अटारी + +“भूतल से दो तल ऊपर” + +# मरा हुआ उठाया गया + +मारा हुआ उठाया गया - जब वे उसे नीचे उठाने गए तो देख कि वह मर चुका है। + +# गले लगाकर + +गले लगाकर - “छाती से लगाकर”(यूडीबी) + +# गले लगाकर कहा + +गले लगाकर कहा - “गले लगाकर पौलुस ने कहा” + +# उसका प्राण उसी में है + +“युतुखुस अभी जीवित है” diff --git a/act/20/11.md b/act/20/11.md new file mode 100644 index 0000000..7d944fc --- /dev/null +++ b/act/20/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# ऊपर जाकर + +“पौलुस ऊपर गया” + +# रोटी तोड़ी + +“सबके साथ भोजन किया।” रोटी तोड़कर सबमे बांटना इसी में शामिल है। + +# फिर वह चला गया + +“वह वहाँ से चला गया” + +# उस लड़के को + +संभावित अर्थ: 1) 14 साल से बड़ा लड़का (यूडीबी), 2) सेवक या दास, 3) या फिर 9-14 के बीच की उम्र का कोई लड़का. diff --git a/act/20/13.md b/act/20/13.md new file mode 100644 index 0000000..797d6bc --- /dev/null +++ b/act/20/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हम पहले से + +यहाँ ये शब्द बताते हैं कि लूका और सहयात्रियों को पौलुस से अलग करता है, जो जहाज से नहीं गया था। + +# वह आप ही पैदल जानेवाला था + +“वह पैदल जाना चाहता था” + +# जब वह अस्सुस में + +आधुनिक बेहराम, तुर्की के ठीक नीचे, एजियन समुद्र के तट पर स्थित एक नगर है। + +# हम उसे चढ़ाकर मितुलेने में आए + +“हम” शब्द का आशय लूका और उसके सहयात्रियों से है, लेकिन इसमें पौलुस शामिल नहीं है। + +# मितुलेने में आए + +एजियन समुद्र के तट पर आधुनिक मितिलिनी, तुर्की में स्थित एक नगर। diff --git a/act/20/15.md b/act/20/15.md new file mode 100644 index 0000000..5072498 --- /dev/null +++ b/act/20/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हम दूसरे दिन + +“हम” का आशय पौलुस, लूका, और उनके सहयात्रियों से है। + +# खियुस के सामने पहुंचें + +खियुस एजियन समुद्र से घिरे आधुनिक तुर्की के तट से दूर स्थित टापू। + +# सामुस में जा लगे + +खियुस के दक्षिण में स्थित टापू। वैकल्पिक अनुवाद: “हम सामुस टापू पर पहुंचें” + +# मीलेतुस में आये + +मीलेतुस, पश्चिम एशिया माइनर में मीऐनडर नदी के मुहाने पर स्थित एक बंदरगाह है। + +# पौलुस ने इफिसुस के पास से होकर जाने की ठानी थी + +पौलुस इफिसुस से होते हुए आगे दक्षिण में मीलेतुस की ओर गया diff --git a/act/20/17.md b/act/20/17.md new file mode 100644 index 0000000..18ed5c7 --- /dev/null +++ b/act/20/17.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# मीलेतुस से + +प्रेरितों में मीलेतुस के अनुवाद का सन्दर्भ + +# जब मैं आसिया आया + +आसिया में आते ही - “आसिया में प्रवेश करते ही” + +# बड़ी दीनता के साथ + +“नम्रता” अथवा “विनय के साथ” + +# आंसू बहा-बहा कर + +प्रभु की सेवा करते हुए मैं कई बार रोया + +# न झिझका + +“न कतराया” अथवा “स्वयं को न रोका” + +# घर-घर सिखाने + +घर-घर सिखाने -अर्थात, उसने लोगों को उनके घरों में जाकर व्यक्तिगत रूप से सिखाया। + +# परमेश्वर की ओर मन फिराना + +“अपने पाप से फिर कर परमेश्वर की ओर आना” diff --git a/act/20/22.md b/act/20/22.md new file mode 100644 index 0000000..1248928 --- /dev/null +++ b/act/20/22.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# आत्मा में बंधा हुआ यरूशलेम को जाता हूँ + +“पवित्र आत्मा द्वारा विवश होकर यरूशलेम को जाता हूँ” + +# पवित्र आत्मा हर नगर में गवाही दे देकर मुझसे कहता है + +“पवित्र आत्मा ये चेतावनियाँ मुझे देता है” + +# बंधन और क्लेश तेरे लिए तैयार है + +“कि मैं बंधनों में जकड़ कर कैद में डाला जानेवाला और शारीरिक कष्ट भोगनेवाला हूँ” + +# अपनी दौड़ को......पूरा करूं + +“परमेश्वर के दिए काम पूरे करूं” + +# गवाही देकर + +“गवाह हूँ” diff --git a/act/20/25.md b/act/20/25.md new file mode 100644 index 0000000..490e2ec --- /dev/null +++ b/act/20/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# मैं जानता हूँ कि तुम सब + +“मैं जानता हूँ कि तुम सभी” + +# जिनमे मैं परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता फिरा + +“जिन्हें मैंने परमेश्वर के राज्य का उपदेश दिया” + +# मेरा मुंह फिर न देखोगे + +“अब मुझे फिर न देखोगे” + +# मैं सबके लहू से निर्दोष हूँ + +“परमेश्वर द्वारा किसी को अपराधी ठहराए जाने पर मुझे दोष नहीं दिया जा सकता” diff --git a/act/20/28.md b/act/20/28.md new file mode 100644 index 0000000..81d4e09 --- /dev/null +++ b/act/20/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# पूरे झुण्ड की + +यह एक आलंकारिक अभिव्यक्ति है। जिस प्रकार एक गडरिया भेडियों से अपनी भेड़ों की रक्षा करता है, वैसे ही कलीसिया के अगुओं को अपनी अगुवाई के अंतर्गत आनेवाले लोगों की देखरेख व शत्रु से रक्षा करनी चाहिए। + +# जिसे उसे अपने लहू से मोल लिया है + +“क्रूस पर अपने लहू को बहा कर मसीह ने जिन्हें मोल लिया है। + +# जो चेलों को अपने पीछे खींच लेने को + +“मसीह का अनुकरण करनेवालों को अपनी, झूठी शिक्षा का विश्वास दिलाने का प्रयास करेंगे” diff --git a/act/20/31.md b/act/20/31.md new file mode 100644 index 0000000..5c3fabb --- /dev/null +++ b/act/20/31.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# इसलिए जागते रहो + +“सावधान और सचेत रहो” या फिर, “रखवाली करते रहो” (यूडीबी) + +# और स्मरण करो + +“और लगातार याद करों” या फिर, “भूलो मत” + +# इसलिए जागते रहो, और समरण करो + +इसे यूं भी लिख सकते हैं कि : 1) “सतर्क रहो और याद करो” या फिर, 2) “याद करते समय जागते रहो” अथवा 3) याद करो और सतर्क रहो + +# मैंने तीन वर्ष तक .....हर एक को चेतावनी देना न छोड़ा + +पौलुस ने उन्हें तीन सालों तक लगातार शिक्षा नहीं दी थी, वरन तीन सालों के दौरान बीच-बीच में शिक्षा दी थी + +# चेतावनी देना न छोड़ा + +संभावित अर्थ: 1) “चेताना न छोड़ा” या फिर 2) “मैंने सुधार करना और प्रोत्साहन देना न छोड़ा।” diff --git a/act/20/33.md b/act/20/33.md new file mode 100644 index 0000000..a592a3c --- /dev/null +++ b/act/20/33.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# मैंने किसी के चाँदी का लालच नहीं किया + +“मैंने किसी की चांदी की इच्छा नहीं की” या फिर, “मुझे किसी की चांदी नहीं चाहिए” + +# किसी की चाँदी, सोने या कपड़े का लालच नहीं किया + +कपड़ों को निधि समझा जाता था; जितने अधिक कपड़े आपके पास हैं, आप उतने ही अमीर है। + +# तुम, आप ही + +“आप ही” को बात में प्रभाव उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। + +# इन्हीं हाथों ने मेरी......आवश्यकताएं पूरी की हैं + +" मैं अपने हाँथों से काम करके पैसा कमाते है और अपना कर्चा उठाते हूँ।" + +# परिश्रम करते हुए निर्बलों को संभालना + +“कड़ा परिश्रम करो ताकि उन लोगों की मदद कर सकों जो लाचार हैं” + +# लेने से देना धन्य है + +देने से व्यक्ति को पमरेश्वर के अनुग्रह एवं आनंद का अधिक अनुभव होता है। diff --git a/act/20/36.md b/act/20/36.md new file mode 100644 index 0000000..3dc4fed --- /dev/null +++ b/act/20/36.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पौलुस के गले लिपट कर + +“पौलुस से गले लग कर” या फिर, “पौलुस से गले मिले” + +# उसे चूमने लगे + +मध्यपूर्व में किसी को चूमना उसके प्रति भाईचारा और स्नेह व्यक्त करने का तरीका है। + +# तुम मेरा मुंह फिर न देखोगे + +"वे पौलुस को पृथ्वी पर फिर नहीं देख पाएगा" “ मुंह” पौलुस के सन्दर्भ में है diff --git a/act/21/01.md b/act/21/01.md new file mode 100644 index 0000000..fc24988 --- /dev/null +++ b/act/21/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जब हमने......अलग होकर + +"हमने" का आशय लुका, पौलुस और उनके सहयात्रियों से है। + +# सीधे मार्ग से कोस में आए + +“सीधे कोस में आये” या फिर, “हम सीधे कोस नगर में गए” + +# कोस + +कोस एक यूनानी द्वीप दक्षिण एजियन सागर क्षेत्र में आधुनिक दीन के तुर्की के तट पर है। + +# रुदुस में + +रुदुस एक यूनानी टापू है जो आधुनिक तुर्की के तट से दूर दक्षिण एजियन समुद्र क्षेत्र, कोस के दक्षिण व क्रेते के उत्तरपूर्व में है. + +# पतरा + +पतरा भूमध्यसागर के क्षेत्र में एजियन समुद्र के दक्षिण में आधुनिक तुर्की के दक्षिण पश्चिमी तट पर स्थित है diff --git a/act/21/03.md b/act/21/03.md new file mode 100644 index 0000000..545dc03 --- /dev/null +++ b/act/21/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# में उतरे + +“उतरे” शब्द में बहुवचन का संकेत है जिसका आशय लूका, पौलुस और उनके सहयात्रियों से है + +# बाएँ हाथ छोड़ा + +“टापू की बाईं ओर से गए” + +# उन्होंने आत्मा के सिखाए पौलुस से कहा + +“उन्होंने (चेलों ने) पौलुस को बताया कि परमेश्वर ने उन पर क्या उद्घाटित किया है" diff --git a/act/21/05.md b/act/21/05.md new file mode 100644 index 0000000..d5231dd --- /dev/null +++ b/act/21/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जब वे दिन पूरे हो गए + +“जब चलने/प्रस्थान करने का समय आया” + +# और सब + +“सब” का आशय सूर के विश्वासियों से है। लूका आगे कहता है कि “सब” स्त्रियों और बालकों समेत + +# एक दूसरे से विदा होकर + +मित्रों से विदाई ली diff --git a/act/21/07.md b/act/21/07.md new file mode 100644 index 0000000..73602d8 --- /dev/null +++ b/act/21/07.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जब हम सूर से जलयात्रा पूरी करके + +“हम” शब्द से आशय लूका, पौलुस और उनके सहयात्रियों से है + +# तुलिमयिस में पहुंचे + +तुलिमयिस दक्षिण के सूर, लेबनान के एक शहर था। आधुनिक दिन एकड़ इस्राएल है + +# सातों में से एक था + +प्रेरितों के पिछले अध्यायों में विधवाओं में भोजन व सहायता बांटने के लिए चुने गए सात लोगों में से एक + +# उसके यहाँ रहे + +"फिलिप्पुस" + +# चार कुंवारी पुत्रियाँ थीं; जो भविष्यद्वाणी करती थीं + +"चार कुंवारी बेटियाँ थीं, जो परमेश्वर से उसके सन्देश को प्राप्त कर लोगों को सुनाने के लिए जानी जाती थीं।" diff --git a/act/21/10.md b/act/21/10.md new file mode 100644 index 0000000..a71d54d --- /dev/null +++ b/act/21/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# एक भविष्यद्वक्ता + +यह व्यक्ति परमेश्वर से सन्देश प्राप्त कर उसे लोगों को सुनाने के लिए जाना जाता था। + +# अगबुस नामक + +अगबुस यहूदिया का निवासी था। + +# पौलुस का कटिबंध लिया + +“पौलुस की कमर से उसका कटिबंध निकला” + +# और अपने हाथ पाँव बांधकर + +अर्थात “पौलुस की कटिबंध से” + +# के हाथ में सौपेंगे + +“के आगे डाल देंगे” या फिर, “के हाथों में दे देंगे” + +# के हाथ में + +“कानूनी हिरासत में”। अन्यजातीय लोग पौलुस को गिरफ्तार कर अपनी हिरासत में ले लेंगे। diff --git a/act/21/15.md b/act/21/15.md new file mode 100644 index 0000000..9d4685c --- /dev/null +++ b/act/21/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हमने तैयारी की और + +"हमने" शब्द लूका, पौलुस और उसके साथ के लोग के सन्दर्भ में है। + +# को साथ ले आये + +को साथ ले आये में बहुवचन का संकेत है। साथ लानेवाले ये लोग कैसरिया के चेले थे + +# नासोन नामक साइप्रस + +नासोन साइप्रस द्वीप का एक मनुष्य था। + +# एक पुराने चेले + +“विश्वासियों के प्रथम समूह से एक विश्वासी” diff --git a/act/21/17.md b/act/21/17.md new file mode 100644 index 0000000..e77040b --- /dev/null +++ b/act/21/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# भाई बड़े आनंद के साथ हम से मिले + +बड़े सताव के बाद यरूशलेम में रह गए यहूदी विश्वासी लोग। + +# तब उसने उन्हें नमस्कार करके.......एक-एक करके सबको बताया + +“प्राचीनों का अभिनन्दन करने के बाद पौलुस ने...एक-एक करके सबको बताया” या फिर, “प्राचीनों का अभिनन्दन करने के बात, पौलुस ने बताया” + +# उसकी सेवकाई + +“पौलुस ने अपनी सेवकाई” + +# एक-एक करके सबको बताया + +“पौलुस ने परमेश्वर द्वारा किये कार्यों का विस्तार से ब्यौरा दिया” diff --git a/act/21/20.md b/act/21/20.md new file mode 100644 index 0000000..d314816 --- /dev/null +++ b/act/21/20.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उन्होंने यह सुनकर परमेश्वर की महिमा की, फिर उससे कहा + +“यह सुनकर प्राचीनों ने परमेश्वर की महिमा कि, और पौलुस से बोले” + +# सब व्यवस्था के लिए धुन लगाए हैं + +“यहूदी विश्वासी धुन लगाए हैं” + +# उनको तेरे विषय में सिखाया गया है + +"लोगों ने यहूदी विश्वसिओं को बताया" + +# कि तू....सिखाता है + +“कि तू……….से कहता है कि” diff --git a/act/21/22.md b/act/21/22.md new file mode 100644 index 0000000..9e4de06 --- /dev/null +++ b/act/21/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यरूशलेम के प्राचीन पौलुस से अपनी बात कहना जारी रखते हैं। + +# चार मनुष्य है, जिन्होंने मन्नत मानी है + +यह किसी निश्चित अवधि के लिए शराब न पीने या बाल न काटने की मन्नत थी. वैकल्पिक अनुवाद: “चार मनुष्य हैं, जिन्होंने परमेश्वर से मन्नत मानी थी” + +# उनके लिए खर्चा दें + +नर और मादा मेम्नें, एक मेंढा, और अन्न व पेय बलिदान की खरीद पर होने वाले खर्च के लिए. वैकल्पिक अनुवाद: “उनकी ज़रुरत की खरीद के भुगतान के लिए” + +# व्यवस्था को मान कर + +“मूसा की व्यवस्था और यहूदी रीतियों के अनुसार जीवन को जीता है” diff --git a/act/21/25.md b/act/21/25.md new file mode 100644 index 0000000..9da7456 --- /dev/null +++ b/act/21/25.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यरूशलेम के प्राचीन पौलुस से अपनी बातचीत जारी रखते हैं। + +# हमने यह निर्णय लिख भेजा है + +"हमने" पुरनियों से है। + +# गला घोंटे हुओं के मांस से + +“वे जानवर जिन्हें खाने के लिए उनका रक्त बहाए बिना ही मारा गया है” + +# उनके साथ शुद्ध होकर + +मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करने से पहले यहूदियों को विधिपूर्वक स्वयं की शुद्धि करनी होती थी। यह गैर-यहूदियों से संपर्क से शुद्धि थी। + +# शुद्ध होने के दिन + +यह लोगों की मन्नतों से जुड़ी शुद्धिकरण की प्रक्रिया थी, और यह मंदिर प्रांगण में प्रवेश से पूर्व विधिपूर्वक की जानेवाली शुद्धि से बिलकुल थी। + +# चढ़ाव चढ़ाए जाने तक + +“उनके द्वारा चढ़ावे में जानवर की भेंट चढ़ाए जाने तक” diff --git a/act/21/27.md b/act/21/27.md new file mode 100644 index 0000000..9edf666 --- /dev/null +++ b/act/21/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सब लोगों को भड़काया + +“एक बड़ी भीड़ द्वारा विरोध शुरू करवाया” + +# उसको पकड़ लिया + +“उसे हाथों से पकड़ लिया” + +# यहाँ तक कि यूनानियों को भी मंदिर में ले आये + +मंदिर के भीतरी गृह में जाने की अनुमति केवल यहूदी पुरुषों को थी। + +# त्रुफिमुस + +यह एक यूनानी था जिसे मंदिर के भीतरी गृह में लाने का दोष पौलुस पर लगा था diff --git a/act/21/30.md b/act/21/30.md new file mode 100644 index 0000000..b152eac --- /dev/null +++ b/act/21/30.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तब सारे नगर में कोलाहल मच गया + +“तब नगर के बहुत से लोग पौलुस पर क्रोधित हो उठे” + +# तुरंत द्वार बंद कर दिए गए + +"पौलुस के बाहर निकने के बाद निकलने के बाद रखवालों ने मन्दिर का द्वारा तुरंत बंद कर दिया। "यहूदियों ने मन्दिर का द्वार तुरंत बंद कर दिया।" + +# पलटन के सरदार + +लगभग 600 सैनिकों पर सेना का अधिकारी + +# यरूशलेम में कोलाहल मच रहा है + +“यरूशलेम के बहुत से लोग कोलाहल मचा रहे हैं।” घटना से उत्पन्न हुए तनाव को व्यक्त करने के लिए अतिशयोक्ति का प्रयोग किया गया ही। diff --git a/act/21/32.md b/act/21/32.md new file mode 100644 index 0000000..677a5a9 --- /dev/null +++ b/act/21/32.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तब वह तुरंत + +तब पलटन का सरदार तुरंत + +# नीचे दौड़ आया + +गढ़ से नीचे गृह की ओर जाती हुई सीढियां हैं + +# पलटन के सरदार + +लगभग 600 सैनिकों पर सेना का अधिकारी + +# ने पास आकर उसे पकड़ लिया + +“पौलुस को अपनी गिरफ्त में ले लिया” या फिर, “पौलुस को गिरफ्तार कर लिया” diff --git a/act/21/34.md b/act/21/34.md new file mode 100644 index 0000000..c058811 --- /dev/null +++ b/act/21/34.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# पलटन के सरदार + +लगभग 600 सैनिकों पर सेना का अधिकारी + +# उसे गढ़ ले जाने की + +गढ़ सेना द्वारा सुरक्षित ईमारत को कहते हैं + +# जब वह सीढ़ी पर पहुंचा, + +"जब पौलुस पर पहुंचा तो सिपाहियों उसे ले गए" + +# उसका अंत कर दो + +"उसे मार डाला।" भीड़ ने विनम्र भाषा में पौलुस की मृत्यु की मांग की। diff --git a/act/21/37.md b/act/21/37.md new file mode 100644 index 0000000..1ed52bc --- /dev/null +++ b/act/21/37.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जब वे पौलुस को गढ़ में ले जाने पर थे + +"जब सिपाहियों पौलुस को ला रहे थे + +# गढ़ + +जैसा आपने पूर्व पद में किया है + +# पलटन के सरदार + +लगभग 600 सैनिकों पर सेना का अधिकारी + +# “क्या तू यूनानी जानता है? क्या तू वह मिस्री तो नहीं, जो इन दिनों से पहले बलवाई बनाकर चार हज़ार कटिबंध लोगों को जंगल में ले गया? + +"सेना का सरदार इन प्रश्नों द्वारा अपने आश्चर्यता को प्रकट करता है। पौलुस ओ नहीं है जो वह समझता हैं। + +# क्या तू वह मिस्री नहीं + +पौलुस के आगमन से कुछ समय पहले एक अज्ञात मिस्री व्यक्ति ने यरूशलेम में रोम के विरुद्ध द्रोह की शुरुआत की थी। बाद में वह “जंगल में भाग गया था, और सरदार सोच रहा था कि कहीं पौलुस ही वह व्यक्ति तो नहीं। + +# चार हज़ार कटिबंध + +“4000 लोग जिन्होंने अपने से भिन्न मत रखनेवालों को मार डालते थे।” diff --git a/act/21/39.md b/act/21/39.md new file mode 100644 index 0000000..bf7a15c --- /dev/null +++ b/act/21/39.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मैं तुझसे विनती करता हूँ + +"मेरा तुझसे विनती है" or "“मेरा तुझसे निवेदन है”" + +# करने दे + +“कृपया मुझे.....करने दे” + +# पलटन के सरदार + +अर्थात पलटन के सरदार ने। + +# पौलुस ने सीढ़ी पर खड़े होकर + +अर्थात गढ़ की सीढ़ियों पर खड़े होकर diff --git a/act/22/01.md b/act/22/01.md new file mode 100644 index 0000000..e9941f6 --- /dev/null +++ b/act/22/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस भीड़ को संबोधित करता है + +# हे भाइयों और पितरों + +अपने बराबर और अपने से बड़े पुरुषों को आदरपूर्वक संबोधित कर रहा है + +# मेरा प्रत्युत्तर सुनो + +“कृपया मेरा प्रत्युत्तर सुनो” + +# जो मैं अब तुम्हारे सामने कहता हूँ + +“जो मैं अब तुम्हारे सामने रखता हूँ” + +# इब्रानी भाषा में + +“उनकी इब्रानी भाषा में” diff --git a/act/22/03.md b/act/22/03.md new file mode 100644 index 0000000..9b9a644 --- /dev/null +++ b/act/22/03.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +पौलुस भीड़ से अपनी बात जारी रखता है। + +# इस नगर में गमलीएल के पांवों के बैठकर पढ़ाया गया + +“यरूशलेम में गमलीएल रब्बी का विद्यार्थी था” + +# बापदादों की व्यवस्था भी ठीक रीति पर सिखाया गया + +"उन्होंने मुझे हमारे पूर्वजों के व्यवस्था के सख्त तरीके के अनुसार निर्देश दिए" या "जो निर्देश सटीक रूप से बापदादों की व्यवस्था से था।" + +# परमेश्वर के लिए ऐसी धुन लगाए था + +“परमेश्वर की इच्छा के प्रति मैं अपने मन में बहुत गहराई से महसूस करता हूँ और उसके अनुसार करता हूँ” या फिर, “मैं परमेश्वर की सेवक को तत्पर हूँ” + +# जैसे तुम सब आज लगाए हो + +“जिस रीति से आज तुम सब रहते हो” या फिर, “जैसे कि आज तुम हो।” पौलुस यहाँ स्वयं की तुलना भीड़ से कर रहा है। + +# इस पंथ को + +पिन्तेकुस्त के बाद यरूशलेम में विश्वासियों की स्थानीय देह को “पंथ” का नाम दिया गया था। + +# मरवा भी डाला + +पौलुस पंथ के अनुयायियों को मार डालने को भी तैयार था + +# गवाही देकर + +“पुरनिये इसकी गवाही देते हैं” या “प्रमाणित करते हैं” + +# भाइयों के नाम पर चिट्ठियाँ लेकर + +“महा याजक और प्राचीनों से चिट्ठियां लेकर” + +# बांधकर यरूशलेम वापिस ले आऊं + +“मुझे आदेश था कि मैं उन्हें कड़ियों में बाँध कर यरूशलेम वापिस ले आऊँ” diff --git a/act/22/09.md b/act/22/09.md new file mode 100644 index 0000000..26d42d2 --- /dev/null +++ b/act/22/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# यह शब्द सुना + +“यीशु की आवाज़ सुनी” + +# उस ज्योति के तेज के कारण कुछ दिखाई न दिया + +“ज्योति के तेज़ के कारण मैं अँधा हो गया।” diff --git a/act/22/12.md b/act/22/12.md new file mode 100644 index 0000000..4e1bbd5 --- /dev/null +++ b/act/22/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +गढ़ की सीढ़ियों पर खड़ी यहूदियों की भीड़ से पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# व्यवस्था के अनुसार एक भक्त मनुष्य + +परमेश्वर की व्यवस्था का हनन्याह बहुत गंभीरता से पालन करता था + +# सुनाम था + +“लोगों के बीच उसकी छवि बहुत अच्छी थी” + +# उसी घड़ी + +“तुरंत ही” या फिर, “तभी के तभी।” यह एक मुहावरा है जिसका मतलब है जो कुछ तुरंत होता है diff --git a/act/22/14.md b/act/22/14.md new file mode 100644 index 0000000..a5cd825 --- /dev/null +++ b/act/22/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# तब उसने कहा + +“तब हनन्याह ने कहा”" + +# उसकी इच्छा + +“परमेश्वर की इच्छा को” + +# अब क्यों देर करता है? + +वैकल्पिक अनुवाद: "इंतजार नहीं करना!" या " "देरी मत करो!" (यू.डी.बी). यह एक आलंकारिक प्रश्न है. + +# पापों को धो डाल + +जैसे अपने शरीर को धोने से शरीर की बहरी गंदगी हो हटाता है, यीशु मसीह का नाम पाप की क्षमा के लिए पुकारने से आंतरिक शुद्धिकरण होता है।" अपने पापों के लिए क्षमा मांगे" diff --git a/act/22/17.md b/act/22/17.md new file mode 100644 index 0000000..7e48e46 --- /dev/null +++ b/act/22/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# बेसुध हो गया + +“मुझे एक दर्शन दिखाई दिया” या फिर, “परमेश्वर ने मुझे एक दर्शन दिखाया” + +# और उसको देखा कि मुझसे कहता है + +“और यीशु को देखा जो मुझसे कहता था कि” + +# वे........न मानेंगे + +“यरूशलेम वासी .....न मानेंगे” diff --git a/act/22/19.md b/act/22/19.md new file mode 100644 index 0000000..8d40424 --- /dev/null +++ b/act/22/19.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# वे तो आप ही जानते हैं + +यरूशलेम के अविश्वासी यहूदी तो स्वयं जानते हैं + +# पिटवाता था + +“उन्हें कोड़े पड़वाने की सज़ा करवाता था” + +# जगह-जगह आराधनालय में + +पौलुस, यरूशलेम के हर आराधनालय में उपस्थित यहूदी विश्वासियों को ढूंढता फिरता था + +# स्तिफनुस का लहू बहाया जा रहा था + +किसी को निर्मम रीति से तब तक पीटना जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए। diff --git a/act/22/22.md b/act/22/22.md new file mode 100644 index 0000000..a1ee366 --- /dev/null +++ b/act/22/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# ऐसे मनुष्य का अंत करो + +“इसे मार डालो” + +# इसे गढ़ में ले जाओ + +"सिपाहियों को निर्देश दिए की पौलुस को लाए"(देखें: [[rc://*/ta/संस्क2/अनुवाद/अंजीर-सक्रियनिष्क्रिय]] + +# गढ़ + +पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें + +# कि मैं जानूं + +“कि सूबेदार स्वयं जान ले कि” diff --git a/act/22/25.md b/act/22/25.md new file mode 100644 index 0000000..6873aac --- /dev/null +++ b/act/22/25.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तसमों में + +ये चमड़े और जानवर के भीतरी अंगों से बनी पट्टियां थीं + +# “क्या यह उचित है कि तुम एक रोमी मनुष्य को, और वह भी बिना दोषी ठहराए हुए कोड़े मारो?” + +यह वास्तविक प्रश्न न होकर भाषा का आलंकारिक प्रयोग है, जिसके द्वारा सरदार को पौलुस को कोड़े लगवाने की आज्ञा पर विचार करने को प्रेरित किया गया है। वैकल्पिक अनुवाद : “यह उचित नहीं है कि तुम एक रोमी, और वह भी बिना दोषी ठहराए कोड़े मारो!” + +# “तू यह क्या करता है?” + +यह वास्तविक प्रश्न न होकर भाषा का आलंकारिक प्रयोग है, जिसके द्वारा सरदार को पौलुस को कोड़े लगवाने की आज्ञा पर विचार करने को प्रेरित किया गया है। इसका आशय है, “तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए!” diff --git a/act/22/27.md b/act/22/27.md new file mode 100644 index 0000000..95408ae --- /dev/null +++ b/act/22/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उससे कहा + +सरदार ने पौलुस से कहा + +# मैंने रोमी होने का पद बहुत रुपये देकर पाया है” + +“मैंने रोमी नागरिकता बहुत रूपये देकर पाई है” या फिर, “मैं बहुत रुपये देकर रोमी नागरिक हुआ हूँ।” + +# “मैं तो जन्म से रोमी हूँ” + +“मैं तो रोमी नागरिकों के परिवार में जन्मा हूँ, इसलिए जन्म से रोमी हूँ।” + +# जो लोग उसे जांचने पर थे + +“जो लोग उसे जांचने की सोंच रहे थे” या कि, “जो लोग उसे जांचने की तैयारी कर रहे थे” diff --git a/act/22/30.md b/act/22/30.md new file mode 100644 index 0000000..ab15136 --- /dev/null +++ b/act/22/30.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पलटन के सरदार + +लगभग 600 सैनिकों पर सेना का अधिकारी + +# और पौलुस को नीचे ले जाकर + +गढ़ से नीचे मंदिर के प्रांगण की ओर सीढियां जाती हैं। diff --git a/act/23/01.md b/act/23/01.md new file mode 100644 index 0000000..3589c47 --- /dev/null +++ b/act/23/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# हे चूना फिरी हुई भीत + +दीवारों को सफ़ेद रंग से रंगने का अभ्यास ताकि वे साफ़-सुथरी दिखें। जिस प्रकार दीवार की सुन्दरता बढाने के लिए उसे रंगा जाता है, उसी प्रकार, एक व्यक्ति भीतर से बुरा होते हुए भी बाहर से भला दिख सकता है। + +# मुझे मारने की आज्ञा देता है + +“लोगों के मुझे मारने की आज्ञा देता है” या फिर, “इन लोगों से मुझे मारने को कहता है” diff --git a/act/23/04.md b/act/23/04.md new file mode 100644 index 0000000..ca7286c --- /dev/null +++ b/act/23/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# क्या तू परमेश्वर के महायाजक बुरा-भला कहता है + +लोगों ने पौलुस को उसकी कही बातों के कारण फटकारते हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर के महायाजक का अपमान न करों!” + +# हे भाइयों, मैं नहीं जानता था, कि यह महायाजक है + +संभावित अर्थ: 1) “पौलुस को मालूम नहीं था कि यह एक महायाजक था क्योंकि वह महायाजक की भांति पेश नहीं आ रहा था” या फिर, 2) “पौलुस बहुत समय से यरूशलेम से दूर रहा था, और शायद इस दौरान नए महायाजक की नियुक्ति हो गयी थी और पौलुस को यह नहीं पता था।” diff --git a/act/23/06.md b/act/23/06.md new file mode 100644 index 0000000..181c02f --- /dev/null +++ b/act/23/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मेरा मुकद्दमा हो रहा है + +“तुम मुझ पर मुकद्दमा करते हो” + +# सभा में फूट पड़ गयी + +“सभा के सदस्यों में आपस में असहमति हो गयी” + +# न पुनरुत्थान है, न स्वर्गदूत और न आत्मा है + +संभावित अर्थ: 1) वे पुनरुत्थान, स्वर्गदूत या आत्मा में विश्वास नहीं करते थे या फिर, 2) उनका मानना था कि परमेश्वर लोगों को न तो स्वर्गदूत और न ही आत्मा के रूप में जिलाएगा diff --git a/act/23/09.md b/act/23/09.md new file mode 100644 index 0000000..0a2bb13 --- /dev/null +++ b/act/23/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# “और यदि कोई आत्मा या स्वर्गदूत उससे बोला है तो फिर क्या?” + +आत्मा और स्वर्गदूतों के होने की पुष्टि करने के द्वारा फरीसी लोग सदूकियों को फटकार रहे हैं। वैकल्पिक अनुवाद : “शायद आत्मा या स्वर्गदूत उससे बोला है।” + +# वे पौलुस के टुकड़े-टुकड़े न कर डालें + +“वे पौलुस को गंभीर रूप से घायल न कर दें” + +# जबरदस्ती निकालो + +“पौलुस को बलपूर्वक ले गए” + +# गढ़ में ले आओ + +यहसैनिक शक्ति और महत्व् की ईमारत है,जहाँ अकसर सिपाही रहते है, (यूडीबी)। पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें diff --git a/act/23/11.md b/act/23/11.md new file mode 100644 index 0000000..85362bb --- /dev/null +++ b/act/23/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# गवाही देकर + +संभावित अर्थ: 1) “बोला” या “अपने उद्धार की गवाही दी या फिर, 2) उद्धार का उपदेश दिया diff --git a/act/23/12.md b/act/23/12.md new file mode 100644 index 0000000..a4cbe81 --- /dev/null +++ b/act/23/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# एका किया + +“औपचारिक रूप से सहमत हुए” + +# चालीस जन + +40 लोग diff --git a/act/23/14.md b/act/23/14.md new file mode 100644 index 0000000..4d906ac --- /dev/null +++ b/act/23/14.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उन्होंने.......आकर कहा + +“चालीस यहूदियों ने.....आकर कहा” + +# उसे तुम्हारे पास ले आए + +“पौलुस को गढ़ से यहाँ मंदिर में परिषद के सदस्यों से मिलने के लिए ले आए” diff --git a/act/23/16.md b/act/23/16.md new file mode 100644 index 0000000..622ba58 --- /dev/null +++ b/act/23/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसकी घात में हैं + +उसकी घात में हैं -वे लोग, जिन्होंने पौलुस की हत्या करने का प्रण लिया है, वे उस पर घात लगाए बैठे थे। + +# यह उससे कुछ कहना चाहता है + +पलटन के सरदार से वह युवा कुछ कहना चाहता है + +# गढ़ + +जैसा आपने पूर्व पद में किया है diff --git a/act/23/18.md b/act/23/18.md new file mode 100644 index 0000000..06791f4 --- /dev/null +++ b/act/23/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# बंदी पौलुस ने मुझे बुलाकर विनती की + +“बंदी पौलुस ने मुझे आकर उससे बात करने को कहा” + +# जवान + +पलटन के सरदार ने उस जवान का हाथ पकड़ा था, इससे प्रतीत होता है कि पौलुस का वह रिश्तेदार कम उम्र का ही रहा होगा। शायद 12 से 15 साल का। diff --git a/act/23/20.md b/act/23/20.md new file mode 100644 index 0000000..4d4b806 --- /dev/null +++ b/act/23/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# चालीस के ऊपर + +“40 लोग” + +# उसकी घात में हैं + +“पौलुस को घात करने की ताक में हैं” diff --git a/act/23/22.md b/act/23/22.md new file mode 100644 index 0000000..4e82c82 --- /dev/null +++ b/act/23/22.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# दो सूबेदारों ने + +दो सूबेदारों ने + +# सत्तर सवार + +सत्तर घुड़सवार + +# दो सौ भालैत + +भालों से लैस 200 सिपाही + +# पहर रात बीते + +यह लगभग रात के 9:00 बजे हैं। + +# फेलिक्स हाकिम + +फेलिक्स रोमन हाकिम है जो कैसरिया के क्षेत्र में रहता है। diff --git a/act/23/25.md b/act/23/25.md new file mode 100644 index 0000000..f9b2158 --- /dev/null +++ b/act/23/25.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# फेलिक्स हाकिम + +फेलिक्स पुरे क्षेत्र का रोमन हाकिम है। + +# मार डालना चाहा + +यहूदी पौलुस मारने को तैयार थे। + +# पलटन लेकर छुड़ा लिया + +अर्थात “पलटन लेकर उनके पास गया और उन्हें छुड़ा लिया” diff --git a/act/23/28.md b/act/23/28.md new file mode 100644 index 0000000..6144fb6 --- /dev/null +++ b/act/23/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +क्लौदियुस का पत्र जारी है नोट: 26वें पद में “कौल्दियुस का” लिखा जाना चाहिए। कृपया सुधार करें + +# मैं जानना चाहता था + +“मैं” का आशय क्लौदियुस लूसियास से है। + +# वे उस पर किस कारण दोष लगाते हैं + +“यहूदी किस कारण पौलुस पर दोष लगाते हैं” + +# तब मैंने जान लिया + +"बाद में मुझे पता चल गया" diff --git a/act/23/31.md b/act/23/31.md new file mode 100644 index 0000000..bb65917 --- /dev/null +++ b/act/23/31.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अन्तिपत्रिस + +हेरोदेस द्वारा उसके पिता अन्तिपतेर के सम्मान में बसाया गया नगर। यह मध्य इस्राएल में स्थित था। diff --git a/act/23/34.md b/act/23/34.md new file mode 100644 index 0000000..9868f0e --- /dev/null +++ b/act/23/34.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# और जब जान लिया कि किलिकिया का है + +“जब हाकिम को पता चला कि पौलुस किलिकिया से है” + +# पहरे में रखने की आज्ञा दी + +पहरे में रखने की आज्ञा दी -“सिपाहियों को उसे पहरे में रखने की आज्ञा दी” या फिर, “सिपाहियों को उसे अधीन रखने की आज्ञा दी” diff --git a/act/24/01.md b/act/24/01.md new file mode 100644 index 0000000..619d7df --- /dev/null +++ b/act/24/01.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# पांच दिन के बाद + +रोमी सिपाहियों द्वारा पौलुस को कैसरिया ले जाने के पांच दिन बाद। + +# हनन्याह महायाजक + +पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें + +# लेकर आया + +“लेकर केसरिया गया, जहाँ पौलुस था” + +# किसी वकील + +“अदालत में बोलनेवाला व्यक्ति।” वैकल्पिक अनुवाद: “विधिवक्ता” + +# तिरतुल्लुस + +एक व्यक्ति का नाम है। + +# जब वह बुलाया गया तो + +“जब पौलुस हाकिम के सामने, जो कि अदालत में न्यायी था, पेश किया गया” + +# उन पर दोष लगाकर कहने लगा + +“उसके विरोध में कहने लगा” या फिर, “उस पर रोमी व्यवस्था का विरोधी होने का दोष लगाने लगा” नोट: यहाँ अनुवाद में “उन पर” के स्थान पर “उस पर” होना चाहिए क्योंकि यहाँ एकवचन है। + +# तेरे द्वारा + +“तेरे” का आशय हाकिम से है। + +# हमें जो बड़ा कुशल होता है + +“तेरी प्रजा में बड़ी शान्ति है।” + +# हे महाप्रतापी फेलिक्स + +पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें diff --git a/act/24/04.md b/act/24/04.md new file mode 100644 index 0000000..36c3478 --- /dev/null +++ b/act/24/04.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +तिरतुल्लुस अपनी बात फेलिक्स के आगे जारी रखता है। + +# तुझे और दुःख देना नहीं चाहता + +संभावित अर्थ: 1) इसलिए मैं आपका अधिक समय नहीं लूँगा (यूडीबी) या फिर, 2) “इसलिए मैं आपको अधिक कष्ट नहीं दूंगा” + +# एक दो बातें सुन ले + +“मेरी छोटी सी बात सुन ले” + +# हम ने इस मनुष्य को........पाया है + +“हम ने इस मनुष्य को.........देखा है”. “हम ने” से आशय हनन्याह, कुछ अगुवे और तिरतुल्लुस से है + +# जगत के सारे यहूदियों + +“जगत के बहुत से यहूदियों” + +# मंदिर को अशुद्ध करना चाहा + +“मदिर की धार्मिकता का अपमान करना चाहा” + +# पद 6 ब-8 अ + +6ब पद से 8अ तक - कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में इनमे भिन्नता है। "\\[6ब]और हम अपनी व्यवस्था के अनुसार इसका न्याय करना चाहते थे। "\\[7]लेकिन पलटन का सरदार लूसियास आया, और जबरन इसे हमारे हाथों से ले गया। "\\[8ब] तब उसने इस पर दोष लगानेवालों को तेरे सामने पेश होने की आज्ञा दी।” diff --git a/act/24/07.md b/act/24/07.md new file mode 100644 index 0000000..7a6034d --- /dev/null +++ b/act/24/07.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +तिरतुल्लुस फेलिक्स के आगे अपनी बात को जारी रखता है. + +# परन्तु पलटन के सरदार लूसियास + +“लूसियास” के लिए पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें + +# उसे बलपूर्वक हमारे हाथों से छीन लिया + +“उसे” अर्थात “पौलुस को”। “सिपाहियों ने आकर पौलुस को हमारे हाथों से बलपूर्वक छीन लिया।” "बलपूर्वक" का आशय यहाँ पूरी ताकत के ज़ोर से है। + +# उसको जांच करके + +“पौलुस से पूछताछ करके”या “उससे न्यायालय में पूछताछ करके” + +# जिन के विषय में हम उस पर दोष लगाते हैं + +“पौलुस पर दोष लगते है” या “जिन के विषय में हम पौलुस पर दोष लगाते हैं” diff --git a/act/24/10.md b/act/24/10.md new file mode 100644 index 0000000..264d89b --- /dev/null +++ b/act/24/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जब हाकिम ने पौलुस को बोलने का संकेत किया + +“जब हाकिम ने पौलुस को बोलने का इशारा किया” + +# अपना प्रत्युत्तर देता हूँ + +“अपनी बात समझाता हूँ” + +# तू आप जानता है + +“तू आप यह परख सकता है” + +# बारह दिन से + +“बारह दिन से” + +# न नगर में विवाद करते ....पाया + +“न नगर की शांति भंग करते.....पाया” या फिर, “न नगर को भड़काते...पाया” + +# दोष + +“गलत काम करने के आरोप” या फिर, “अपराध के आरोप” diff --git a/act/24/14.md b/act/24/14.md new file mode 100644 index 0000000..9aebfb7 --- /dev/null +++ b/act/24/14.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +हाकिम फेलिक्स के सामने पौलुस अपनी बात जारी रखता है। + +# यह मैं तेरे सामने मान लेता हूँ + +“मैं यह तेरे सामने स्वीकारता हूँ” या कि “मैं तेरे आगे अंगीकार करता हूँ” + +# जिस पंथ को वे कुपंथ कहते हैं + +“वे जिसे अधर्म कहते हैं” + +# “अपने बापदादों के परमेश्वर” + +इसका आशय यह है कि पौलुस एक प्राचीन धर्म का पालन करने का दावा कर रहा है, और इसलिए यह एक नया, बदनाम “कुपंथ” नही है। + +# धर्मी + +“धर्मी लोग” + +# यत्न करता हूँ + +"मैं व्यायाम करता हूं" या “मैं अभ्यास करता हूँ” + +# परमेश्वर की... और + +"परमेश्वर की .....उपस्थिति में" diff --git a/act/24/17.md b/act/24/17.md new file mode 100644 index 0000000..eb52989 --- /dev/null +++ b/act/24/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +हाकिम फेलिक्स के सामने पौलुस अपनी बात जारी रखता है। + +# अपने लोगों को दान पहुंचाने और भेंट चढ़ाने + +“अपने लोगों को दान और पैसों की भेंट चढाने” + +# बिना भीड़ के साथ + +“मैंने किसी गलत रीति से भीड़ नहीं जमा की” + +# उनकी कोई बात + +“एशिया के यहूदियों की” + +# कोई बात हो + +“कुछ कहना हो” diff --git a/act/24/20.md b/act/24/20.md new file mode 100644 index 0000000..7d69126 --- /dev/null +++ b/act/24/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +हाकिम फेलिक्स के सामने पौलुस अपनी बात जारी रखता है। + +# उन्होंने + +कैसरिया में हो रही पौलुस की सुनवाई में मौजूद परिषद् के सदस्य। diff --git a/act/24/22.md b/act/24/22.md new file mode 100644 index 0000000..1f2fa62 --- /dev/null +++ b/act/24/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जब पलटन का सरदार लूसियास आएगा + +“लूसियास जब भी आएगा” या फिर, “लूसियास के आने पर” + +# तुम्हारी बात का निर्णय करूँगा + +“तेरे विरुद्ध लगाए दोषों का निर्णय करूँगा” या फिर, “मैं न्याय करूँगा कि तू दोषी है या नहीं।” + +# कुछ छूट में + +पौलुस को कैद में थोड़ी छूट दी गयी जो अन्यथा कैदियों को नहीं दी जाती। diff --git a/act/24/24.md b/act/24/24.md new file mode 100644 index 0000000..b905046 --- /dev/null +++ b/act/24/24.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# कुछ दिनों के बाद + +“बहुत दिनों बाद” + +# फेलिक्स....आया + +फेलिक्स के अनुवाद के लिए पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें + +# पत्नी द्रुसिल्ला + +पत्नी द्रुसिल्ला एक स्त्री का नाम। + +# फेलिक्स ने भयभीत होकर + +फेलिक्स को संभवतः अपने पापों को लेकर अपराधबोध हो रहा हो + +# अभी तो जा + +“अभी के लिए तो जा” या "तब तक" diff --git a/act/24/26.md b/act/24/26.md new file mode 100644 index 0000000..33cf185 --- /dev/null +++ b/act/24/26.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसे पौलुस से कुछ रुपये मिलने की आशा थी + +“पौलुस फेलिक्स को कुछ धन देगा।” फेलिक्स को आशा थी कि पौलुस छूटने के लिए उसे कुछ घूंस वगैरह देगा। + +# इसलिए और भी बुला-बुलाकर उससे बातें किया करता था + +“इसलिए फेलिक्स अकसर पौलुस को बुलाकर उससे बातें किया करता था” + +# पुरकियुस फेस्तुस + +ये फेलिक्स के बदले आया न्य रोमन हकीम है diff --git a/act/25/01.md b/act/25/01.md new file mode 100644 index 0000000..0d7ade1 --- /dev/null +++ b/act/25/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# फेस्तुस उन प्रान्त में पहुंचकर + +संभावित अर्थ: 1) “फेस्तुस बस वहां पहुँच गया” या फिर, 2) “फेस्तुस अपने शासन की शुरुआत करने वहां पहुंचा।” (यूडीबी) + +# कैसरिया से यरूशलेम + +मूल भाषा में “केसरिया से (ऊपर) यरूशलेम की ओर” जैसा भाव है, जिसके संभावित आशय हैं कि 1) यरूशलेम को ऊंचा स्थान प्राप्त था; या फिर 2) यरूशलेम ऊंचे स्थान पर स्थित था। + +# पौलुस की नालिश की + +अदालत में औपचारिक तौर पर आरोप दायर किये गए। वैकल्पिक अनुवाद: “पौलुस पर व्यवस्था का उल्लंघन करने का आरोप लगाया,” + +# और उससे विनती की + +“और फेस्तुस से विनती की” या फिर, “उन्होंने फेस्तुस से आग्रह किया” + +# कि वह उसे यरूशलेम में बुलवाए.....वे उसे...मार डाले + +“कि फेस्तुस पौलुस को यरूशलेम में बुलवाए, क्योंकि वे उसे रास्ते ही में मार डालने की घात लगाए हुए थे" + +# यरूशलेम में बुलवाए + +“यरूशलेम में भिजवाए” + +# वे उसे रास्ते ही में मार डालने की घात लगाये हुए थे + +वे रस्ते ही में पौलुस को मार डालने वाले थे diff --git a/act/25/04.md b/act/25/04.md new file mode 100644 index 0000000..a0d6f02 --- /dev/null +++ b/act/25/04.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पौलुस कैसरिया में पहरे में है + +पौलुस कैसरिया में पहरे में है - वैकल्पिक अनुवाद: “पौलुस कैसरिया में बंदी है, और मैं स्वयं भी जल्द ही वहाँ लौटूंगा।” + +# इस मनुष्य ने कुछ अनुचित काम किया है + +“यदि पौलुस ने कुछ अनुचित काम किया है या नहीं” + +# उस पर दोष लगाए + +“उस पर आरोप लगाए” या फिर, “उस पर व्यवस्था का उल्लंघन करने का दोष लगाए” diff --git a/act/25/06.md b/act/25/06.md new file mode 100644 index 0000000..e843729 --- /dev/null +++ b/act/25/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# कोई आठ दस दिन रहकर + +“कोई आठ दस दिन रह कर फेस्तुस” + +# न्याय-आसन पर बैठकर + +“न्यायी की भूमिका निभाने न्याय-आसन पर बैठा” + +# पौलुस को लाने की आज्ञा दी + +“पौलुस को लाने को कहा” + +# और उसने पहुंचकर + +“पौलुस के आने पर वह फेस्तुस के समक्ष खड़ा हुआ” + +# न तो यहूदियों की व्यवस्था का + +"यहूदियों की व्यवस्था" यूडीबी के अनुसार + +# और न मंदिर का ....कोई अपराध किया है + +इसका आशय यह है कि यरूशलेम के मंदिर में प्रवेश को लेकर उसने कोई अपराध नहीं किया है। diff --git a/act/25/09.md b/act/25/09.md new file mode 100644 index 0000000..d6fbeb0 --- /dev/null +++ b/act/25/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यहूदियों को खुश करने की इच्छा से + +“यहूदियों को खुश करना चाहता था” + +# मेरे सामने तेरा मुकद्दमा तय किया जाए? + +“जहाँ मैं तुझ पर लगे आरोपों का न्याय करूँगा” + +# मेरे मुकद्दमे का फैसला यहीं होना चाहिए + +"यह स्थान कौन सा है जहाँ मेरा न्याय होना है।" diff --git a/act/25/11.md b/act/25/11.md new file mode 100644 index 0000000..f5579b9 --- /dev/null +++ b/act/25/11.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +फेस्तुस के समक्ष पौलुस अपने बचाव में बोलना जारी रखता है। + +# यदि अपराधी हूँ और मार डाले जाने योग्य कोई काम किया है + +“यदि मैंने कोई ऐसा अपराध किया है जिसके लिए मुझे मृत्यु दंड मिलना चाहिए” + +# परन्तु जिन बातों का वे मुझ पर दोष लगाते हैं, यदि उनमें से कोई सच न निकले” + +“परन्तु यदि मुझ पर लगाए गए आरोप सच न निकलें” + +# तो कोई मुझे उनके हाथ नहीं सौंप सकता + +संभावित आशय: 1)फेस्तुस के पास पौलुस को इन झूठे आरोप लगानेवालों को सौंपने का कानूनी अधिकार नहीं है, अथवा 2) पौलुस कह रहा था कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है, और हाकिम को उसे यहूदियों के हाथों नहीं सौंपना चाहिए। + +# मैं कैसर की दोहाई देता हूँ + +“मैं कैसर के सामने पेश होने की दुहाई देता हूँ” + +# तब फेस्तुस ने मंत्रियों की सभा के साथ बात करके + +“तब फेस्तुस ने अपने सलाहकारों से बातचीत की” diff --git a/act/25/13.md b/act/25/13.md new file mode 100644 index 0000000..0702fb9 --- /dev/null +++ b/act/25/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अग्रिप्पा राजा और बिरनीके ने + +अग्रिप्पा वर्तमान राज करने वाला राजा था और बिरनीके उसकी बहन थी। + +# फेस्तुस से भेंट की + +“आधिकारिक बातों के विषय में फेस्तुस से भेंट की” + +# एक मनुष्य है, जिसे फेलिक्स बंदी छोड़ गया है + +कार्यकाल पूरा होने पर कार्यालय छोड़ते समय उसने एक व्यक्ति को बंदीगृह में छोड़ दिया था। diff --git a/act/25/17.md b/act/25/17.md new file mode 100644 index 0000000..7d4021c --- /dev/null +++ b/act/25/17.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +फेस्तुस अपनी बात जारी रखता है + +# जब वे यहाँ इकट्ठे हुए + +“जब यहूदी अगुवे मुझसे मिलने यहाँ आये” + +# न्याय-आसन पर बैठकर + +“न्यायी के पद पर आसीन होकर” + +# उस मनुष्य को लाने की आज्ञा दी + +“मैं ने सिपाहियों से पौलुस को मेरे समक्ष लाने की आज्ञा दी” + +# परन्तु अपने मत के + +“मत” का आशय जीवन व आलौकिक बातों के प्रति लोगों की आस्था से है। + +# कि वहाँ इन बातों का फैसला हो + +“कि यहूदी परिषद् इन बातों का फैसला करे” diff --git a/act/25/21.md b/act/25/21.md new file mode 100644 index 0000000..17b1087 --- /dev/null +++ b/act/25/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +21वें पद में फेस्तुस अपनी बात जारी रखता है। + +# तो मैंने आज्ञा दी ... उसे हिरासत में रखा जाए. + +“तो आज्ञा दी.....उसे कैद में ही रखा जाए।” + +# तू कल सुन लेगा + +अर्थात “तू कल पौलुस को सुन लेगा” diff --git a/act/25/23.md b/act/25/23.md new file mode 100644 index 0000000..ea8b83c --- /dev/null +++ b/act/25/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जब अग्रिप्पा और बिरनीके बड़ी धूमधाम से आये + +नामों के अनुवाद के लिए पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें। + +# वे पौलुस को ले आये + +उन्होंने पौलुस को अपने सम्मुख पेश किया। + +# चिल्ला-चिल्लाकर मुझसे विनती की + +“ऊंची आवाज़ में मुझसे विनती की” diff --git a/act/25/25.md b/act/25/25.md new file mode 100644 index 0000000..7637218 --- /dev/null +++ b/act/25/25.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इसलिए मैं उसे तुम्हारे सामने और विशेष करके हे राजा अग्रिप्पा तेरे सामने लाया हूँ + +“इसलिए मैं पौलुस को तुम सबके सामने, और विशेषकर, हे राजा अग्रिप्पा, तेरे सामने लाया हूँ” + +# जांचने के बाद मुझे कुछ लिखने को मिले + +“जांचने के बाद मेरे पास कुछ लिखने को हो” अथवा, “जांचने के बाद मुझे पता चल सके कि मुझे क्या लिखना है” + +# जो उस पर दोष लगाए + +संभावित आशय: 1) यहूदी अगुओं द्वारा लगाए गए आरोप अथवा, 2) रोमी व्यवस्था के अंतर्गत आरोप लगाए diff --git a/act/26/01.md b/act/26/01.md new file mode 100644 index 0000000..6d7ac91 --- /dev/null +++ b/act/26/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पौलुस अपना हाथ बढ़ा कर + +“भीड़ का ध्यान खींचने के लिए पौलुस ने उनकी तरफ हाथ बढ़ा कर” + +# उत्तर देने लगा + +“स्वयं पर लगे आरोपों से अपना बचाव करने लगा” + +# मैं अपने को धन्य समझता हूँ + +अग्रिप्पा के समक्ष प्रस्तुत होने को पौलुस धन्य समझता था क्योंकि वह उसे सुसमाचार के विषय में बोलने का अवसर मानता था। diff --git a/act/26/04.md b/act/26/04.md new file mode 100644 index 0000000..2b5c048 --- /dev/null +++ b/act/26/04.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# सब यहूदी + +संभावित आशय: 1) पौलुस के साथ पले-बढे फरीसी उसे एक फरीसी के रूप में जानते थे, या फिर, 2) “पहले एक जोशीले फरीसी और अब एक विश्वासी के रूप में पौलुस विख्यात था” + +# अपनी जाति + +संभावित आशय: 1) संभावित रूप से यहाँ सभी यहूदियों की बात न होकर, उसके अपने यहूदी लोगों का सन्दर्भ हो, या फिर, 2) समस्त इस्राएल जाति से है। diff --git a/act/26/06.md b/act/26/06.md new file mode 100644 index 0000000..1f3d94d --- /dev/null +++ b/act/26/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# मुझ पर मुकद्दमा चल रहा है + +“मैं यहाँ पर हूँ, जहां मुझ पर मुकद्दमा चलाया जा रहा है” + +# उसी प्रतिज्ञा के पूरे होने आशा के कारण जो परमेश्वर ने हमारे बापदादों से की थी + +पौलुस को मसीह के आने की आशा है + +# उसी प्रतिज्ञा के पूरे होने की आशा लगाए हुए + +“परमेश्वर द्वारा की गयी प्रतिज्ञा के पूरे होने की आशा लगाए हुए” + +# जब कि परमेश्वर मरे हुओं को जिलाता है, तो तुम्हारे यहाँ यह बात क्यों विश्वास के योग्य नहीं समझी जाती + +ऐसा कहते हुए पौलुस परमेश्वर द्वारा लोगों को जिलाने की बात से जुडी अग्रिप्पा की आस्था से अपने द्वारा कही जा रही बातों को जोड़ने का प्रयास कर रहा है लो diff --git a/act/26/09.md b/act/26/09.md new file mode 100644 index 0000000..43618c9 --- /dev/null +++ b/act/26/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# यीशु नासरी के नाम के विरोध में + +“यीशु के अनुयायियों के विरोध में” + +# उन्हें ताड़ना दिला-दिला कर + +संभावित आशय: 1) पौलुस ने कुछ विश्वासियों को कई बार दण्डित किया या फिर, 2) पौलुस ने बहुत से विश्वासियों को सताया + +# अपनी सम्मति देता था + +“उन्हें ताड़ना देनेवालों को अपनी सम्मति देता था” diff --git a/act/26/12.md b/act/26/12.md new file mode 100644 index 0000000..6a0c8c8 --- /dev/null +++ b/act/26/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# अधिकार और आज्ञा-पत्र + +पौलुस के पास यहूदी अगुओं द्वारा जारी किये गए अधिकार पत्र थे जो उसे यहूदी विश्वासियों को ताड़ना देने की अनुमति देते थे। + +# पैने पर लात मारना तेरे लिए कठिन है + +पौलुस द्वारा परमेश्वर की योजना के विरोध की तुलना परमेश्वर किसान के बैल द्वारा छड़ी को लात मारने से करते हैं। यूडीबी देखें। इसका आशय है कि पौलुस के लिए परमेश्वर की योजना से बचना विकट है। diff --git a/act/26/15.md b/act/26/15.md new file mode 100644 index 0000000..a068746 --- /dev/null +++ b/act/26/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# पवित्र किये गए हैं + +“मेरे बनाए गए हैं” (यूडीबी) या फिर, “मेरे लिए अभिषिक्त किये गए हैं” + +# विश्वास करने से + +यहाँ पर आशय परमेश्वर द्वारा अलग किये गए लोगों के परमेश्वर में विश्वास से है diff --git a/act/26/19.md b/act/26/19.md new file mode 100644 index 0000000..86b7e38 --- /dev/null +++ b/act/26/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# मैंने उस स्वर्गीय दर्शन की बात न टाली + +“मैंने उस स्वर्गीय दर्शन में दिए सन्देश का पालन किया।” diff --git a/act/26/22.md b/act/26/22.md new file mode 100644 index 0000000..b3b6014 --- /dev/null +++ b/act/26/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# जो भविष्यद्वक्ताओं + +यहाँ पौलुस का आशय पुराने नियम में भविष्यदवक्ताओं द्वारा लिखी गयी सभी बातों से है। + +# कि मसीह को दुःख उठाना होगा + +“कि मसीह को दुःख उठाकर मरना होगा” + +# ज्योति का प्रचार करेगा + +अर्थात “सुसमाचार का प्रचार करेगा” diff --git a/act/26/24.md b/act/26/24.md new file mode 100644 index 0000000..26ebd62 --- /dev/null +++ b/act/26/24.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तू पागल है + +“तू बकवास कर रहा है” या फिर, “तू पगला गया है” + +# बुद्धि की + +“गंभीर बातें” अथवा “गंभीर विषय की” + +# मैं निडर होकर बोल रहा हूँ + +“मैं राजा अग्रिप्पा से खुल कर बोल रहा हूँ” + +# वह घटना तो कोने में नहीं हुई + +इसे सर्वविदित कर दिया गया। वैकल्पिक अनुवाद: “वह घटना चोरी-चुपके से नहीं हुई।” diff --git a/act/26/27.md b/act/26/27.md new file mode 100644 index 0000000..136ed1b --- /dev/null +++ b/act/26/27.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# क्या तू भविष्यद्वक्ताओं का विश्वास करता है? + +ऐसा पूछते हुए पौलुस अग्रिप्पा को याद दिलाना चाहता है कि अग्रिप्पा को तो पहले से भविष्यद्वक्ताओं की कही बातों का विश्वास करता है। इसलिए अग्रिप्पा को यीशु के विषय में कही बातों का भी विश्वास करना चाहिए। + +# तू थोड़े ही समझाने से मुझे मसीही बनाना चाहता है? + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/26/30.md b/act/26/30.md new file mode 100644 index 0000000..109a962 --- /dev/null +++ b/act/26/30.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तब राजा और हाकिम + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/27/01.md b/act/27/01.md new file mode 100644 index 0000000..0022385 --- /dev/null +++ b/act/27/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# निश्चित हो गया + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# इटली जाएँ + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# हम जहाज द्वारा इटली जाएं + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# यूलियुस नामक …..एक सूबेदार + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# औगुस्तुस की पलटन के + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# अद्रमुत्तियुम के एक जहाज पर + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# जाने पर था + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# उसे खोल दिया + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# अरिस्तर्खुस नामक थिस्स्लुनीके का एक मकदूनी + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/27/03.md b/act/27/03.md new file mode 100644 index 0000000..78c15a7 --- /dev/null +++ b/act/27/03.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# यूल्लियुस ने पौलुस पर कृपा करके + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# मित्रों के यहाँ जाने दिया कि उसका सत्कार किया जाए + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# हवा विरुद्ध होने के कारण हम साइप्रस की आड़ में होकर चले + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# और पम्फूलिया + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# लूसिया के मूरा में उतरे + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# लूसिया + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# सिकंदरिया का एक जहाज + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# इटली जाता हुआ + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/27/07.md b/act/27/07.md new file mode 100644 index 0000000..1dded52 --- /dev/null +++ b/act/27/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कनिदुस के सामने + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# लसया नगर निकट था + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# सलमोने के सामने + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# शुभ लंगरबारी + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/27/09.md b/act/27/09.md new file mode 100644 index 0000000..d103568 --- /dev/null +++ b/act/27/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जब बहुत दिन बीत गए + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# उपवास के दिन अब बीत चुके थे + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/27/12.md b/act/27/12.md new file mode 100644 index 0000000..81f98ce --- /dev/null +++ b/act/27/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वह बंदरगाह जाड़ा काटने के लिए अच्छा न था + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# फीनिक्स + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# लंगर उठाया + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/27/14.md b/act/27/14.md new file mode 100644 index 0000000..4e5d15f --- /dev/null +++ b/act/27/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जमीन की ओर से एक आंधी आयी + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# टापू की आड़ में + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# कौदा नामक एक छोटे टापू + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/27/17.md b/act/27/17.md new file mode 100644 index 0000000..7389311 --- /dev/null +++ b/act/27/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मल्लाहों ने उसे उठाकर + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# सुरतिस के चोरबालू + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# बहते चले गए + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/27/19.md b/act/27/19.md new file mode 100644 index 0000000..3448280 --- /dev/null +++ b/act/27/19.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# हमारे बचने की आशा न रही + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/27/21.md b/act/27/21.md new file mode 100644 index 0000000..417651e --- /dev/null +++ b/act/27/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उनके बीच खड़ा होकर कहा + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। + +# क्रेते से जहाज न खोलते और न यह विपत्ति आती और न यह हानि उठाते + +अग्रिप्पा स्पष्ट कर रहा है कि इतने संक्षिप्त भाषण के द्वारा पौलुस उसके भीतर मसीह के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता। diff --git a/act/27/23.md b/act/27/23.md new file mode 100644 index 0000000..986b10f --- /dev/null +++ b/act/27/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# सब को जो तेरे साथ यात्रा करते हैं, तुझे दिया है + +“सब को जो तेरे साथ यात्रा करते हैं, जीवित रहने दिया है” + +# हमें किसी टापू पर जा टिकना होगा + +हमें किसी टापू पर जा टिकना होगा “हमें अपना जहाज किसी टापू पर ले जाना होगा” diff --git a/act/27/27.md b/act/27/27.md new file mode 100644 index 0000000..57e5c1b --- /dev/null +++ b/act/27/27.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अद्रिया समुद्र + +अद्रिया समुद्र - इटली और यूनान के बीच स्थित समुद्र। + +# उन्होंने थाह लेकर + +समुद्र के पानी की गहराई माप कर। (यूडीबी) + +# बीस पुरसा गहरा पाया + +“20 बिरसा गहरा पाया” या फिर, “40 मीटर गहरा पाया)। बिरसा मापने की इकाई है। + +# पंद्रह पुरसा पाया + +“पंद्रह पुरसा पाया” या फिर “तीस मीटर पाया” + +# जहाज की पिछाडी + +“जहाज के पिछले हिस्से से” diff --git a/act/27/33.md b/act/27/33.md new file mode 100644 index 0000000..2676cdc --- /dev/null +++ b/act/27/33.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सिर का एक बाल भी न गिरेगा + +“सब लोग इस से बिना किसी हानि के बच निकलेंगे।” + +# रोटी ……….तोड़कर खाने लगा + +अर्थात “रोटी……….उसके टुकड़े करके खाने लगा” अथवा “रोटी…..का एक टुकड़ा तोडा” diff --git a/act/27/36.md b/act/27/36.md new file mode 100644 index 0000000..7e71c27 --- /dev/null +++ b/act/27/36.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दो सौ छिहत्तर जन थे + +“276 लोग” diff --git a/act/27/39.md b/act/27/39.md new file mode 100644 index 0000000..7e3e169 --- /dev/null +++ b/act/27/39.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उस देश को नहीं पहचाना + +“उस जगह को पहचान नहीं पाए” + +# उन्होंने लंगरों को खोल कर समुद्र में छोड़ दिया + +“रस्सियाँ काट कर लंगर को पीछे छोड़ दिया” + +# किनारे की ओर चले + +“जहाज को किनारे पर ले गए” diff --git a/act/27/42.md b/act/27/42.md new file mode 100644 index 0000000..b2b39b6 --- /dev/null +++ b/act/27/42.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तब सिपाहियों का विचार हुआ कि + +“तब सिपाही योजना बना रहे थे कि” + +# कूदकर किनारे पर निकल जाएं + +“जहाज से पानी में कूद कर किनारे पर निकल जाएं” diff --git a/act/28/01.md b/act/28/01.md new file mode 100644 index 0000000..5681727 --- /dev/null +++ b/act/28/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# पता चला + +“लोगों से पता चला” या फिर, “हमें वहां के निवासियों से पता चला कि”। यहाँ पौलुस और प्रेरितों के कार्य के लेखक, लूका की बात हो रही है। + +# यह टापू माल्टा कहलाता है + +“माल्टा,” आधुनिक सिसीली द्वीप के दक्षिण में स्थित एक टापू है। + +# वहां के निवासियों + +“निवासियों” का आशय उन लोगों से है जो न तो यूनानी भाषा में बोलते हैं और न ही उन्होंने यूनानी संस्कृति को अपनाया है। + +# अनोखी कृपा + +“बहुत बड़ी कृपा” + +# आग सुलगाकर + +“टहनियों और शाखाओं को इकठ्ठा करके जलाया” + +# हम सबको ठहराया + +संभावित आशय: 1) “जहाज के सभी लोगों का स्वागत किया” या फिर, 2) “पौलुस और उसके सभी साथियों का स्वागत किया।” diff --git a/act/28/03.md b/act/28/03.md new file mode 100644 index 0000000..aa5e554 --- /dev/null +++ b/act/28/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# एक सांप आंच पाकर निकला + +“एक ज़हरीला सांप लकडियों के ढेर से निकल आया” + +# उसक हाथ से लिपट गया + +“पौलुस के हाथ को काट कर वही लिपट गया” + +# सचमुच यह मनुष्य हत्यारा है + +“अवश्य ही, यह आदमी एक हत्यारा है” या फिर, “यह मनुष्य निश्चय ही एक हत्यारा है” + +# तौभी न्याय ने जीवित रहने न दिया + +“न्याय की देवी ने उसे मृत्यु से बचने न दिया” diff --git a/act/28/05.md b/act/28/05.md new file mode 100644 index 0000000..dee2e65 --- /dev/null +++ b/act/28/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तब उसने सांप को आग में झटक दिया + +“तब उसने अपना हाथ झटक कर सांप को आग में फ़ेंक दिया” + +# वह सूज जाएगा + +संभावित आशय : 1) “तेज़ बुखार हो जाएगा” या फिर, 2) “सूजन हो जाएगी।” + +# यह तो कोई देवता है + +ऐसा माना जाता था कि यदि ज़हरीले सांप द्वारा डसे जाने के बाद भी यदि कोई जीवित रहता है तो वह व्यक्ति एक देवता है diff --git a/act/28/07.md b/act/28/07.md new file mode 100644 index 0000000..49b49ac --- /dev/null +++ b/act/28/07.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# उस जगह के आसपास + +कहानी में नए व्यक्ति का आगमन होता है। + +# प्रधान + +संभावित आशय: 1) जन समुदाय का मुख्य अगुआ या फिर, 2) टापू का सबसे अमीर व प्रभावशाली व्यक्ति + +# हमें अपने घर ले जाकर मित्रभाव से पहुनाई की + +“पौलुस व उसके साथियों का स्वागत किया और पहुनाई की” + +# पहुनाई की + +“हम अजनबियों के प्रति मित्रभाव से पहुनाई की” + +# रोगी पड़ा था + +“का रोगी था” + +# ज्वर और आंव लहू पड़ा था + +“आंव लहू (पेचिश) आंतो का एक संक्रामक रोग है” + +# उस पर हाथ रखकर + +“अपने हाथों से छूकर” + +# और चंगे किये गए + +“और वे भी चंगे किये गए” diff --git a/act/28/11.md b/act/28/11.md new file mode 100644 index 0000000..92e5128 --- /dev/null +++ b/act/28/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# सिकंदरिया के एक जहाज + +संभावित आशय: 1) “सिकंदरिया की ओर से आया जहाज” या फिर, 2) “सिकंदरिया में पंजीकृत और वहाँ का लाइसेंसधारी जहाज। नाम के अनुवाद के लिए पिछले अनुवाद का सन्दर्भ लें। + +# जिसका चिन्ह दियुसकूरी था + +“दियुसकूरी” से आशय यूनानी देवता ज़ीअस के जुड़वाँ बेटों, कास्टर व पोलक्स से है। वे जहाज़ों के रक्षक माने जाते the। + +# सुरकूसा + +आधुनिक सिसीली द्वीप के दक्षिणपूर्वी तट पर, इटली के बस दक्षिणपश्चिम पर स्थित एक नगर। diff --git a/act/28/13.md b/act/28/13.md new file mode 100644 index 0000000..be221fa --- /dev/null +++ b/act/28/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# रेगियुम + +इटली के दक्षिणपश्चिमी छोर पर स्थित एक बंदरगाह नगर। + +# दक्षिणी हवा चली + +“दक्षिण की ओर से हवा चलने लगी” + +# पुतियुली + +“पुतियुली” आधुनिक नेपल्स में इटली के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। + +# इसी रीति से हम रोम को चले गए + +“उनके साथ सात दिन बिताने के बाद, हम रोम चले गए।” पुतियुली में पहुँचने के बाद की सारी यात्रा भूमि पर की गयी यात्रा है। + +# तीन-सराए + +रोम के दक्षिण में 50किमी पर अप्पियन वे नामक राजमार्ग पर स्थित के आरामगाह। diff --git a/act/28/16.md b/act/28/16.md new file mode 100644 index 0000000..dd203c8 --- /dev/null +++ b/act/28/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जब हम रोम पहुंचें, तो पौलुस को….की आज्ञा हुई + +“जब हम रोम पहुंचे, तो राज्य ने पौलुस को....अनुमति दी” + +# यहूदियों के प्रमुख लोगों + +रोम में मौजूद यहूदियों के नागरिक अथवा धार्मिक अगुवे + +# मुझमें मृत्यु के योग्य कोई दोष न था + +“मैंने मृत्यु दंड के योग्य कोई कार्य नहीं किया था” diff --git a/act/28/19.md b/act/28/19.md new file mode 100644 index 0000000..a2c7b31 --- /dev/null +++ b/act/28/19.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# जब यहूदी इसके विरोध में बोलने लगे + +“यरूशलेम के यहूदी इसके विरोध बोलने लगे” + +# इसके विरोध में बोलने लगे + +“रोमी अगुओं की इच्छा के विरुद्ध बोलने लगे” + +# मुझे कैसर की दोहाई देनी पडी + +“मेरे पास कैसर को दोहाई देने के अतिरिक्त कोई विकल्प न बचा।” + +# इस्राएल की आशा + +कि परमेश्वर इस्राएल में मसीह को भेजेगा diff --git a/act/28/21.md b/act/28/21.md new file mode 100644 index 0000000..97710c6 --- /dev/null +++ b/act/28/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परन्तु तेरा विचार क्या है? + +अर्थात, “इस स्वतंत्र समुदाय के विषय में तेरा क्या विचार है” + +# हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें करते हैं + +रोमी साम्राज्य में रहनेवाले वे यहूदी, जो सुसमाचार के सन्देश को नकार चुके थे, वे लोग “पंथ” की बुराई करते थे। रोम के यहूदियों को इन्हीं लोगों से सूचनाएं मिल रही थी। diff --git a/act/28/23.md b/act/28/23.md new file mode 100644 index 0000000..3ae59d0 --- /dev/null +++ b/act/28/23.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यीशु के विषय में समझा-समझकर + +वह ये बातें यहूदी अगुओं से कह रहा था + +# कुछ मान गए + +“पौलुस ने कुछ लोगों को विश्वास दिला दिया” diff --git a/act/28/27.md b/act/28/27.md new file mode 100644 index 0000000..7d4fb88 --- /dev/null +++ b/act/28/27.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +पौलुस यशायाह से बोलना जारी रखता है diff --git a/act/28/28.md b/act/28/28.md new file mode 100644 index 0000000..8fe2b16 --- /dev/null +++ b/act/28/28.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस अपनी बात जारी रखता है + +# और वे सुनेंगे + +“और उनमें से कुछ अवश्य सुनेंगे” + +# 29वां पद + +“और उसके ऐसा कहने के बाद, आपस में बहस करते हुए चले गए।” इस पद को शामिल नहीं किया गया था क्योंकि कुछ प्राचीन लेखों में यह नहीं है। diff --git a/col/01/01.md b/col/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..36c060a --- /dev/null +++ b/col/01/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यह पत्र पौलुस और तीमुथियुस ने कुलुस्से की कलीसिया को लिखा था।) + +# परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु का प्रेरित + +“मसीह यीशु का प्रेरित होने के लिए परमेश्वर ने चुना है”। + +# भाईयों + +सब विश्वासी पाठक + +# पवित्र + +निर्दोष और अभिषिक्त या पवित्र जन “पवित्र जन” + +# तुम्हें अनुग्रह... प्राप्त (हो) + +आशीर्वाद देना + +# तुम्हें अनुग्रह + +तुम्हें अर्थात् कुलुस्से के विश्वासी या निष्ठावान भाई + +# हम तुम्हारे लिए नित्य प्रार्थना करते है। + +“हम तुम्हारे लिए सदैव प्रार्थना करते हैं वरन् सच्चे दिल से करते हैं” diff --git a/col/01/04.md b/col/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..f6a5a40 --- /dev/null +++ b/col/01/04.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# हमने सुना है + +“हम” में पौलुस के पाठक नहीं हैं + +# मसीह यीशु पर तुम्हारा विश्वास + +“तुम्हारा मसीही विश्वास” + +# तुम्हारा” विश्वास + +“तुम्हारा” अर्थात कुलुस्से के विश्वासी + +# सब पवित्र लोगों से तुम प्रेम करते हो + +“तुम उन सबसे प्रेम रखते हों” (यू.डी.बी.) + +# पवित्र लोगों से + +अर्थात शुद्ध या पाप से मुक्त और परमेश्वर के लिए उपयोगी। “पवित्र जन” + +# इस आशा की हुई वस्तु के कारण जो तुम्हारे लिए स्वर्ग में रखी हुई है + +“जो तुम्हारे लिए परमेश्वर द्वारा स्वर्ग में आरक्षित वस्तु की निश्चित आशा का परिणाम है”। + +# आशा + +“जिस आशा को तुम संजोए हुए हो” + +# फल लाता और बढ़ता जाता है + +इस रूप में एक फलदायक एवं पल्लवित वृक्ष की तुलना मनुष्यों को बदलने वाले और संसार में विकासमान शुभ सन्देश में की गई है, क्योंकि अधिकाधिक मनुष्य उसमें विश्वास करते जा रहे हैं। + +# पुरे जगत में + +यह एक अतिशयोक्ति है। शुभ सन्देश उस समय के जाने हुए संसार में फैलता जा रहा था। (देखे: ) + +# सच्चाई से परमेश्वर का अनुग्रह + +“परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह” या “परमेश्वर की सच्ची कृपा” diff --git a/col/01/07.md b/col/01/07.md new file mode 100644 index 0000000..1fae72f --- /dev/null +++ b/col/01/07.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उसी की शिक्षा तुमने इपफ्रास से पाई + +“ठीक जैसा इपफ्रास ने तुम्हें सिखाया” या “तुमने इपफ्रास की शिक्षा को पूर्णतः समझ लिया” + +# उसी + +अर्थात् उनके जीवन में शुभ सन्देश के परिणाम या फल + +# शिक्षा तुमने...पाई + +कुलुस्से के विश्वासियों ने + +# इपफ्रास + +इपफ्रास ने कुलुस्से में शुभ सन्देश सुनाया था + +# हमारे प्रिय... हम पर + +“हमारे और हम पर” अर्थात् पौलुस और उसके सहकर्मी न कि कुलुस्से की कलीसिया + +# हम पर प्रगट किया + +“इपफ्रास ने हमें बताया” + +# तुम्हारे प्रेम को जो आत्मा में है + +“पवित्र आत्मा ने तुम्हें परस्पर प्रेम के योग्य बनाया है” diff --git a/col/01/09.md b/col/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..47ecd1d --- /dev/null +++ b/col/01/09.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# क्योंकि यह प्रेम + +“क्योंकि पवित्र आत्मा ने तुम्हें परस्पर प्रेम के योग्य बनाया है” + +# जिस दिन से हम ने तुम्हारे बारे में सुना + +“जिस दिन से इपफ्रास ने हमें तुम्हारे बारे में बताया है” + +# हम ने सुना है + +पौलुस और तीमुथियुस ने सुना है, कुलुस्से के विश्वासियों ने नहीं + +# प्रार्थना और विनती करना नहीं छोड़ते + +“हम परमेश्वर से बार-बार और सच्चे दिल से प्रार्थना करते हैं” + +# तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित + +यहां परमेश्वर से विनती करते हैं कि वह अपनी इच्छा पूर्ति को निमित्त तुम्हें ज्ञान से भर दे” + +# ज्ञान और समझ + +“पवित्र आत्मा प्रदत्त ज्ञान और समझ” + +# ताकि तुम्हारा चाल चलन प्रभु के योग्य हो + +“कि तुम्हारा जीवन प्रभु के अनुमोदन योग्य हो” + +# फल + +यहां फल की तुलना विश्वासी के भले कामों से की गई है। जिस प्रकार वृक्ष विकसित होकर फल लाता है उसी प्रकार विश्वासी परमेश्वर को जानने में विकसित हों तथा भले काम करके फल लाएं diff --git a/col/01/11.md b/col/01/11.md new file mode 100644 index 0000000..b80622c --- /dev/null +++ b/col/01/11.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# (हम तुमसे विनती करते हैं) + +“हम” पौलुस और तीमुथियुस, कुलुस्से को विश्वासी नहीं “विनती करते है।” (कुलुस्से के विश्वासियों से) + +# उसकी महिमा की शक्ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ्य + +“उसके अनुग्रह की शक्ति के अनुसार हर एक क्षमता में सामर्थी हो जाओ” + +# हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको + +“विश्वास करना और धीरज धरना कभी न छोड़ों + +# यहां तक कि आनन्द के साथ + +“जब तुम पिता को सहर्ष धन्यवाद कहते हो” + +# इस योग्य बनाया.... सहभागी हों + +“पिता ने हमें सहभागिता में स्वीकार किया” + +# हमें योग्य बनाया + +पौलुस कुलुस्से के विश्वासियों को भी गिन रहा है + +# मीरास में सहभागी हों + +“मीरास के भागी हों” + +# ज्योति में + +“उसकी उपस्थिति की महिमा में” + +# पवित्र लोगों + +“नैतिक दोषों से मुक्त” या “विशेष प्रयोजन हेतु चुने गए” अनुवादः पवित्र जन” + +# (उसके लिए) + +“पिता के लिए” diff --git a/col/01/13.md b/col/01/13.md new file mode 100644 index 0000000..caaacfd --- /dev/null +++ b/col/01/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसी ने हमें...छुड़ाकर + +“पिता परमेश्वर ने हमें छुड़ाया” + +# प्रवेश कराया + +“भीतर लाया”। “हम अर्थात् पौलुस तथा कुलुस्से के विश्वासी” + +# अपने प्रिय पुत्र + +“पिता परमेश्वर के प्रिय पुत्र, मसीह यीशु” + +# जिसमें हमें छुटकारा + +“उसके पुत्र ने हमें छुड़ा लिया” + +# पापों की क्षमा + +“उसका पुत्र हमारे पाप क्षमा करता है” diff --git a/col/01/15.md b/col/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..29f948b --- /dev/null +++ b/col/01/15.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप + +यीशु जो पुत्र है उसको देखकर हम जान सकते हें, कि पिता परमेश्वर कैसा है + +# पहिलौठा है + +“पुत्र पहलौठा है”। उससे पहले कुछ नहीं था + +# उसी के द्वारा + +“क्योंकि पुत्र के द्वारा” + +# क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई + +“क्योंकि पुत्र ने सब कुछ सृजा” + +# क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएं, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिए सृजी गई हैं। + +पुत्र ने सब कुछ अपने लिए रचा, सिंहासन, प्रभुताएं, प्रधानताएं तथा अधिकार + +# सिंहासन + +राजाओं के राज्य + +# वही सब वस्तुओं में प्रथम है + +“वह सबसे पहले था” + +# सब वस्तुएं उसी में स्थिर रही हैं + +“वह सब कुछ संयोजित रखता है (यू.डी.बी.) diff --git a/col/01/18.md b/col/01/18.md new file mode 100644 index 0000000..d649ffc --- /dev/null +++ b/col/01/18.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# वही... सिर है + +“मसीह यीशु, परमेश्वर का पुत्र, सिर है”। + +# वही देह, अर्थात् कलीसिया का सिर है + +इस रूपक में कलीसिया में मसीह के स्थान की तुलना मनुष्य के सिर से की गई है। जिस प्रकार सिर मानवीय देह का नियंत्रण है उसी प्रकार मसीह कलीसिया का नियंत्रक है + +# वही आदि है + +प्रथम प्रधान या संस्थापक। यीशु ने कलीसिया का आरंभ किया। + +# मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा + +यीशु पहला है जो मरकर जी उठा और अमर है। + +# पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उसमें सारी परिपूर्णता वास करे। + +“पिता परमेश्वर मसीह में सर्वस्व को निवेश करके प्रसन्न है” + +# के द्वारा + +यूनानी में इस शब्द का अभिप्राय है मार्ग जिससे प्रकट होता है कि परमेश्वर मनुष्यों के लिए शान्ति और मेल-मिलाप क्रूस पर बहे मसीह के लहू के मार्ग से उपलब्ध करवाता है। पद 20 में यह शब्द दो बार आया है। diff --git a/col/01/21.md b/col/01/21.md new file mode 100644 index 0000000..395be9b --- /dev/null +++ b/col/01/21.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# और तुम भी + +“तुम कुलुस्से के विश्वासी भी” + +# निकाले हुए थे + +इस यूनानी शब्द में चुनाव किए जाने का भाव है। अतः इसका अनुवाद होगा “परमेश्वर से विरक्त थे” या “परमेश्वर को अलग कर दिया था” या “परमेश्वर के साथ बैर रखते थे” + +# मन से बैरी थे + +“अपने बुरे विचारों और कामों के कारण परमेश्वर के बैरी थे” (यू.डी.बी.) + +# उसने अब उसकी शारीरिक देह में मृत्यु के द्वारा + +जब परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे साथ मेल किया तब उसने मसीह को नहीं तुम्हें क्रूस पर देखा कि जब मसीह मरा तो उसने तुम्हें मरते हुए देखा”। + +# निर्दोष निष्कलंक + +“दोषरहित” + +# निर्दोष + +“निरापराध” किसी पाप का दोषी नहीं + +# अपने सम्मुख + +“स्वयं परमेश्वर के समक्ष” + +# उपस्थित करे + +“दृढ़ खड़ा करे” या “अटल खड़ा करे” + +# विश्वास की नींव पर दृढ़ बने रहो + +“अटल” या “सुरक्षित” + +# सुसमाचार की आशा + +“सुसमाचार में दृढ़ निश्चय” + +# जिसका प्रचार आकाश के नीचे सारी सृष्टि में किया गया और जिसका मैं पौलुस सेवक बना। + +“मनुष्यों ने आकाश के नीचे संपूर्ण सृष्टि में शुभ सन्देश सुना दिया है। यह वही शुभ सन्देश है जिसकी चर्चा मैं पौलुस परमेश्वर की सेवा निमित्त कर चुका हूं”। diff --git a/col/01/24.md b/col/01/24.md new file mode 100644 index 0000000..8e4aa7f --- /dev/null +++ b/col/01/24.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# अब मैं.... आनन्द करता हूं + +“अब मैं, पौलुस आनन्द करता हूं + +# तुम्हारे लिए + +तब कुलुस्से वासियों के लिए + +# उन दुखों के कारण.... जो तुम्हारे लिए आता है। + +मैं तुम्हारे लाभ के लिए कष्ट वहन करता हूं” + +# मसीह के क्लेशों की घटी उसकी देह के लिए अपने शरीर में पूरी करता हूं। + +पौलुस अपने विरोध एवं कष्टों के बारे में कह रहा है जो कलीसिया के लिए वह भोग रहा है जब उसने मसीह को ग्रहण किया था। उसी समय प्रभु ने उस पर यह प्रकट कर दिया था। + +# कलीसिया के लिए + +“मैं पौलुस कलीसिया की आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रयास करता हूं”। + +# सच्चा भेद + +“वह गुप्त बात” + +# पीढ़ियों से गुप्त रहा + +यह उस समय के संदर्भ में है जो सृष्टि से अन्य जातियों में पतरस द्वारा शुभ सन्देश सुनाने का था। + +# उन पवित्र लोगों पर प्रगट हुआ है + +“उसके शिष्यों पर स्पष्ट किया” अर्थात् यहूदियों और अन्यजातियों पर + +# अन्यजातियों में उस भेद की महिमा का मूल क्या है। + +परमेश्वर चाहता है कि लोग जाने कि उसकी कितनी अद्भुत योजना है अन्यजातियों के लिए। + +# महिमा का विश्वास + +परमेश्वर की महिमा की सहभागिता का विश्वास diff --git a/col/01/28.md b/col/01/28.md new file mode 100644 index 0000000..4dd7dae --- /dev/null +++ b/col/01/28.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यह वह है जिसका हम प्रचार करते है। + +“यह वह मसीह है, जिसका हम पौलुस और तीमुथियुस प्रचार करते हैं”। + +# मनुष्य को चेतावनी देते है । + +“हम सबको कोमलता से सतर्क करते हैं” + +# हम हर एक व्यक्ति को प्रस्तुत करे + +“कि हम हर एक मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष प्रस्तुत करें” + +# सिद्ध करके + +“आत्मिक परिपक्वता में” + +# परिश्रम भी करता हूं + +“मैं, पौलुस परिश्रम करता हूं” + +# उस शक्ति के अनुसार जो मुझ में सामर्थ्य के काम के साथ प्रभाव डालती है। + +मसीह के उद्देश्य जो मुझ में क्रियाशील है। diff --git a/col/02/01.md b/col/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..aac83a3 --- /dev/null +++ b/col/02/01.md @@ -0,0 +1,47 @@ +# मैं चाहता हूं कि तुम जान लो + +“मैं पौलुस तुम कुलुस्से के विश्वासियों को बताना चाहता हूं” + +# मैं कैसा परिश्रम करता हूं + +पौलुस ने उनकी शुद्धता और सुसमाचार को समझाने में अत्यधिक परिश्रम किया है। + +# लौदिकिया में + +कुलुस्से के निकट का नगर। वहां की कलीसिया के लिए भी वह प्रार्थना करता था। + +# जिन्होंने मेरा शारीरिक मुंह नहीं देखा। + +“मैंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं देखा” या “उन्होंने मुझ से भेंट नहीं की” + +# उनके मनों में + +“वे सब विश्वासी जिन्होंने पौलुस को साक्षात नहीं देखा, उन सबके मन में” + +# आपस में गठे रहें + +सच्ची एकता में रहें। “एक जुट हों” या “घनिष्ठता में रहें” + +# पूरी समझ का सारा धन + +इन बातों को समझने का विश्वास + +# परमेश्वर पिता के भेद + +यह ज्ञान केवल परमेश्वर पिता द्वारा ही प्रकट होता है। + +# अर्थात् वह मसीह है। + +मसीह यीशु परमेश्वर द्वारा प्रकट भेद हैं + +# बुद्धि और ज्ञान के सारे भण्डार + +बुद्धि और ज्ञान के धन एवं भण्डार + +# बुद्धि और ज्ञान + +किसी बात के तथ्य एवं जानकारी को प्राप्त करना ज्ञान है और उस जानकारी को काम में लेना समझ है और बुद्धि का अर्थ है उस जानकारी को कब काम में लेना या उपयोगी बनाना। + +# जिसमें छिपे हुए हैं + +जिसमें अर्थात् मसीह में diff --git a/col/02/04.md b/col/02/04.md new file mode 100644 index 0000000..c93957e --- /dev/null +++ b/col/02/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यह मैं इसलिए कहता हूं + +“मैं पौलुस कहता हूं” + +# धोखा न दे + +“तुम कुलुस्से के विश्वासियों को पथभ्रष्ट करे या गलत निर्णय लेने के लिए भ्रमित करे” + +# लुभानेवाली बातों से + +तुम्हें विश्वास दिलानेवाली बात या किसी धारणा को विश्वासयोग्य बताने वाली बात। + +# शरीर के भाव से तुम से दूर हूं + +“तुम्हारे साथ साक्षात उपस्थित नहीं हूं” + +# आत्मिक भाव से तुम्हारे निकट हूं + +“मैं सदैव तुम्हारे बारे में सोचता रहता हूं” + +# व्यवस्थित रूप से + +उनकी एकता और विश्वास की दृढ़ता के लिए पौलुस या मसीह में विश्वास के लिए पौलुस उनकी प्रशंसा करता है। diff --git a/col/02/06.md b/col/02/06.md new file mode 100644 index 0000000..e7b0fc7 --- /dev/null +++ b/col/02/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उसी में चलते रहो + +एक विशेष शैली या अपरिवर्तनीय विधि में जीवन जीने की अभिव्यक्ति है। + +# ग्रहण कर लिया है + +“तुम कुलुस्से के विश्वासियों ने मसीह को ग्रहण कर लिया है” + +# जड़ पकड़ते + +जिस प्रकार वृक्ष को अच्छा विकास करने के लिए गहराई से जड़ों के जाने की आवश्यकता होती है वैसे ही विश्वासी को आत्मिक परिपक्वता के लिए दृढ़ विश्वास की आवश्यकता होती है। + +# दृढ़ होते जाओ + +इस रूपक का अर्थ है कि मसीही जीवन को मसीह पर आधारित होना है जिस प्रकार से भवन को दृढ़ नींव पर आधारित होना है। + +# विश्वास में दृढ़ होते जाओ + +मसीह यीशु में विश्वास पर आधारित जीवन जीते रहो। + +# अधिकाधिक धन्यवाद करते रहो। + +परमेश्वर के अत्यधिक आभारी बने रहो diff --git a/col/02/08.md b/col/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..b28c602 --- /dev/null +++ b/col/02/08.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# चौकस रहो + +सावधान रहो, इसका अनुवाद किया जा सकता है, “सतर्क रहो” या “जागते रहो” + +# अहेर न बना ले + +यह रूपक किसी व्यक्ति के झूठी शिक्षा द्वारा मानसिक एवं आत्मिक धोखे में बन्दी बनाने की तुलना मनुष्य के अकस्मात ही बलपूर्वक पकड़े जाने एवं बन्दी बनाने से तुलना करता है। + +# अहेर न बना ले + +“तुम कुलुस्से के विश्वासियों को बन्धी न बना लो” + +# तत्त्वज्ञान + +धार्मिक शिक्षाएं एवं मान्यताएं जो परमेश्वर के वचन की नहीं अपितु परमेश्वर एवं जीवन के बारे में मनुष्य के विचार हैं। + +# व्यर्थ धोखे + +पथभ्रष्ट करने वाले विचार जो मसीही जीवन के नहीं हैं उनसे कुछ लाभ नहीं वे निस्सार हैं और किसी काम के नहीं हैं। + +# मनुष्यों की परम्पराओं और संसार की आदि शिक्षाओं + +यहूदी परम्पराएं और अन्यजातीय आस्थाएं किसी काम की नहीं हैं। + +# मसीह के बाद + +“मसीह के अनुसार” अर्थात विश्वास को मसीह का है वही अर्थपूर्क है। + +# क्योंकि उसमें ईश्वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेह काम करती है। + +“मसीह की देह में परमेश्वर का संपूर्ण स्वभाव है। इसे मसीह में परमेश्वर के व्यापक स्वभाव के अन्तर्वास से भ्रमित न करें (यह सच नहीं है) diff --git a/col/02/10.md b/col/02/10.md new file mode 100644 index 0000000..49f92ad --- /dev/null +++ b/col/02/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उसमें + +“मसीह यीशु में” + +# तुम हो + +“तुम कुलुस्से के विश्वासी परिपूर्ति हो” + +# भरपूर + +“सिद्ध हो” + +# उसी में तुम्हारा ऐसा खतना हुआ + +इसका अर्थ है कि परमेश्वर ने विश्वासी के पाप इस प्रकार अलग कर दिए जैसे खतना में त्वचा अलग कर दी जाती है। + +# उसके साथ गाड़े गए + +मुनष्य का पुराना स्वभाव उसी प्रकार समाप्त हो गया जिस प्रकार कि मृतक को मिट्टी में गाड़ दिया जाता है। + +# उसके साथ जी भी उठे + +जैसे मृतक फिर जी उठे तो उसे नया जीवन प्राप्त होता है इसी प्रकार विश्वासियों को भी नया जीवन प्राप्त हुआ है। diff --git a/col/02/13.md b/col/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..92ce27e --- /dev/null +++ b/col/02/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जब तुम मुर्दा थे + +“जब तुम कुलुस्से के विश्वासी आत्मिकता में मृतक थे” + +# अपने अपराधों और अपने शरीर की खतनारहित दशा में मुर्दा थे + +तुम दो कारणों से मृतक थे 1) तुम मसीह के विरूद्ध जीवन जीते हुए मृतक थे। 2) तुम मूसा प्रदत्त विधान के अनुसार खतनारहित थे। + +# उसने तुम्हें बनाया + +“मसीह यीशु ने तुम कुलुस्से के विश्वासियों को भी बनाया” + +# हमारे सब अपराधों को क्षमा किया + +"मसीह यीशु ने हमें क्षमा किया, यहूदी और अन्यजातियों दोनों को।" + +# जो.... मुर्दा थे उसके साथ जिलाया + +इस रूपक से दर्शाया गया है कि पापी जीवन से आत्मिक जीवन में प्रवेश वैसा ही है जैसे मृतक का पुनःजीवित होना। + +# विधियों का वह लेखा जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला। + +इस रूपक द्वारा व्यक्त है और परमेश्वर के नियमो का उल्लंघन करने की क्षमा प्रदान करता है जैसे मनुष्य कुछ लिख कर मिटा देता है। + +# खुल्लम-खुल्ला तमाशा बनाया + +रोमी विजय यात्रा करते थे जिसमें वे युद्ध बन्दियों को और लूटे हुए माल का प्रदर्शन करते थे। diff --git a/col/02/16.md b/col/02/16.md new file mode 100644 index 0000000..a7b8357 --- /dev/null +++ b/col/02/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुम्हारा कोई फैसला न करे + +पौलुस यहूदियों के विरूद्ध अन्यजाति विश्वासियों को सतर्क कर रहा है क्योंकि वे अन्यजाति विश्वासियों को मूसा प्रदत्त विधान के पालन के लिए विवश करते थे। + +# खाने-पीने के विषय में + +मूसा के विधान के अनुसार खाने पीने के नियमों के संबन्ध में। “तुम क्या खाते हो और क्या पीते हो” + +# पर्व या नया चांद या सब्त के दिन के विषय में + +मूसा प्रदत्त विधान में उत्सव दिवस दर्शाए गए थे। आराधना दिवस और बलि चढ़ाने के दिन भी निर्दिष्ट थे। + +# पौलुस आनेवाली बातों की छाया किसे बताता हैं? + +जैसे छाया किसी वस्तु का अस्पष्ट आकार एवं प्रकृति दर्शाती है वैसी ही मूसा प्रदत्त विधान की धार्मिक परम्पराएं मसीह यीशु की वास्तविकता का अपूर्ण चित्रण करती हैं। diff --git a/col/02/18.md b/col/02/18.md new file mode 100644 index 0000000..351fe79 --- /dev/null +++ b/col/02/18.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# प्रतिफल से वंचित न करे + +“प्रतिफल पाने से कोई तुम्हें धोखा न दे” यहां झूठी आत्महीनता और स्वर्गदूतों की पूजा करने की शिक्षा देने वालों की तुलना कुलुस्से के विश्वासियों के उद्धार को चुराने वालों से की गई है। इसका अनुवाद कतृवाच्य में किया जा सकता है, किसी को अपना प्रतिफल चुराने मत दो” + +# आत्महीनता + +“स्वैच्छिक दीनता” ऐसे काम करने वाले मनुष्यों के समक्ष तुम्हें दीन दर्शाएं। इसका अनुवाद हो सकता है, “पावन आत्मत्याग” + +# व्यर्थ फूलता है + +ऐसे विचार जो सदैव मन को वश में रखते हैं या किसी बात में पहले से ही उलझे रहता है। + +# शारीरिक समझ + +एक प्राकृतिक एवं पापी मनुष्य के जैसा सोचना न कि आत्मिक मनुष्य के समान। + +# पकड़े रहता + +“दृढ़ता से नहीं पकड़ता” या “थामे नहीं रहता” जैसे बच्चा अपने माता-पिता को पकड़े रहता है। + +# शिरोमणि...जिससे सारी देह जोड़ों और पट्ठों के द्वारा पालन-पोषण पाकर और एक साथ गठ कर परमेश्वर की ओर से बढ़ती जाती है। + +जिस प्रकार सिर संपूर्ण देह को नियंत्रण में रखकर चलाता है उसी प्रकार मसीह यीशु कलीसिया पर संपूर्ण अधिकार रखता है। diff --git a/col/02/20.md b/col/02/20.md new file mode 100644 index 0000000..fa4e282 --- /dev/null +++ b/col/02/20.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जब कि तुम मसीह के साथ संसार की आदि शिक्षा की ओर से भर गए हो। + +जिस प्रकार एक मृतक मनुष्य संसार की मांग (श्वास, भोजन, निन्द्रा) के प्रति निश्चेष्ट है उसी प्रकार आत्मिकता में मसीह के साथ मृतक मनुष्य संसार की आत्मिक अंगों के प्रति निश्चेष्ट होता है। + +# तुम ऐसी विधियों के वश में क्यों रहते हो? + +तुम ऐसी विधियों के वश में क्यों रहते हो? पौलुस इस प्रश्न द्वारा कुलुस्से के विश्वासियों को संसार की झूठी आस्थाओं को मानने के लिए झिड़कता है। “सांसारिक आस्थाओं पर चलना छोड़ दो”। + +# ऐसी विधियों के वश में क्यों रहते हो + +“क्यों मानते हो” या “अधीन क्यों हो जाते हो” या “पालन क्यों करते हो” + +# नष्ट होता + +नष्ट हो जाएंगी + +# ये मनुष्यों की आज्ञाओं और शिक्षाओं के अनुसार हैं + +ये नियम मानवीय दृष्टिकोण से समझदारी के प्रतीत होते हैं जिनमें दीनता और शारीकि योगाभ्यास है। + +# योगाभ्यास + +“शरीर को कष्ट देना” “कठोरता करना” “भीषणता करना” + +# शारीरिक लालसाओं को रोकने में इनसे कुछ भी लाभ नहीं + +“इनसे शरीर की अभिलाषाओं पर विजयी होने में सहायता नहीं मिलती है।” diff --git a/col/03/01.md b/col/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..4f45bf1 --- /dev/null +++ b/col/03/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# मसीह के साथ जिलाए गए हो + +यहां कुलुस्से के विश्वासियों की तुलना मसीह के साथ की गई है। मसीह को मृतकों में से जीवित करने के कारण परमेश्वर उन्हें भी मृतकों में से जीवित मानता है। + +# तुम्हे जीवित किया + +"हम" मजदूरों के संदर्भ में है। + +# स्वर्गीय वस्तुओं + +“स्वर्ग की बातें” या “ईश्वरीय बातें” + +# पृथ्वी पर क्या है? + +“सांसारिक बातें” या “पृथ्वी की बातें” + +# हम तो मर गए + +जहां कुलुस्से के विश्वासियों की तुलना मसीह से की गई है जिस प्रकार मसीह वास्तव में मर गया था उसी प्रकार परमेश्वर उन्हें मसीह के साथ मरा हुआ मानता है। + +# उसके साथ महिमा सहित + +“उसके” अर्थात मसीह के साथ diff --git a/col/03/05.md b/col/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..8055c2b --- /dev/null +++ b/col/03/05.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# अपने अंशों को मार डालो + +यह एक रूपक है जिससे प्रकट होता है कि पाप की अभिलाषाओं का पूर्णतः एवं सदा के लिए दमन किया जाना है जैसे एक बुरे मनुष्य को मार डाला जाता है। + +# अशुद्धता + +“अनुचित व्यवहार” + +# दुष्कामना + +“प्रबल अभिलाषाएं” + +# लोग जो मूर्तिपूजक है + +लोग जो मूर्तिपूजा के बराबर है “और लालसा जो मूर्तिपूजा की है” या “लालच मत करो क्योंकि वह मूर्तिपूजा के तुल्य है” (यू.डी.बी.) + +# इन्हीं के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न मानने वालों पर पड़ता है। + +इन्हीं के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न मानने वालों पर पड़ता है - परमेश्वर का क्रोध ऐसे लाभ पानेवाले अविश्वासियों पर आता है “तुम उनमें सक्रियता से सहभागी थे”। + +# और तुम भी जब इन बुराइयों में जीवन बिताते थे तो इन्हीं के अनुसार चलते थे। + +तुम भी जब इन बुराइयों में जीवन बिताते थे तो इन्हीं के अनुसार चलते थे - “तुम भी तो इन बातों में सक्रिय सहभागी होकर ऐसा ही जीवन बिताते थे”। + +# क्रोध + +हिंसा + +# रोष + +“क्रोधावेश” + +# बैरभाव + +“बुरे काम का संकल्प” इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, “मन, जीवन एवं चरित्र की दुष्टता” + +# निन्दा + +“बुराई करना” या “नाम बदनाम करना” या “बुरी-बुरी बातें कहना” किसी को दुख पहुंचाना या “हानि करने वाली बातें”। + +# गालियां बकना + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, "अभ्रद भाषा का उपयोग करना" diff --git a/col/03/09.md b/col/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..04b2f02 --- /dev/null +++ b/col/03/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# तुमने उतार डाला है + +कुलुस्से के विश्वासी जिलाए गए। + +# तुमने अपने पुराने स्वभाव के आचार-विचार के साथ ही त्याग दिया है और नया मनुष्यत्व धारण कर लिया है। + +यहां एक विश्वासी की तुलना उस मनुष्य से की गई है जो गन्दे वस्त्र उतार कर नए वस्त्र धारण करता है। + +# स्वरूप + +यह यीशु के लिए लाक्षणिक उपयोग है। + +# इसके स्वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने + +मसीह यीशु को जानना और समझना + +# “उसमें न तो यूनानी रहा न यहूदी, न खतना न खतनारहित, न जंगली, न स्कूति, न दास और न स्वतंत्र। + +अर्थात् परमेश्वर की दृष्टि में सब बराबर हैं।, जाति, धर्म, नागरिकता, या जातिवर्ग (सामाजिक स्तर) कुछ नहीं। यहां जाति, धर्म, संस्कृति, सामाजिक स्तर आदि सब अर्थहीन हैं। + +# केवल मसीह सब कुछ था और सब में है। + +मसीह के अस्तित्व से बाहर कुछ नहीं है, “मसीह सर्वोच्च महत्वपूर्ण है” diff --git a/col/03/12.md b/col/03/12.md new file mode 100644 index 0000000..04416de --- /dev/null +++ b/col/03/12.md @@ -0,0 +1,51 @@ +# करूणा... धारण करो + +जिस प्रकार मनुष्य वस्त्र धारण करता है, विश्वासियों को करूणा और भलाई और दीनता, और नम्रता और सहनशीलता अपनाना है। आपस में ऐसा ही व्यवहार करो। + +# धारण करो + +पिछली परिचर्चा में या शिक्षा पर आधारित स्वभाव परिवर्तन या कार्य परिवर्तन को विशेष रूप से व्यक्त करने के लिए यहां उपदेश में स्पष्टता लाई गई है। + +# परमेश्वर चुने हुओं के समान पवित्र और प्रिय + +“परमेश्वर के पवित्र और प्रिय चयनित जनों के समान” + +# बड़ी करूणा और भलाई, और दीनता और नम्रता और सहनशीलता + +“अनुकंपा पूर्ण, दयालु, विनम्र, दीन और धीरजवन्त, आन्तरिक मनुष्य + +# अनुकंपा + +“सहानुभूति” या “आदर” + +# दया + +“भलाई” या “कोमलता” + +# विनम्रता + +“मन की दीनता”, “निरंकार या “निराभिमान” + +# दीनता + +“सज्जनता”, आत्मा की शान्ति दिखाने की नहीं परमेश्वर के समक्ष + +# धीरज + +“सहनशीलता” या “घृति” या “आत्म संयम” + +# एक दूसरे की सह लो + +मेल-मिलाप और प्रेम में रहो। एक दूसरे को सहन करो या आपसी मेल रखो + +# किसी पर दोष लगाने का कोई कारण हो + +“किसी से शिकायत हो” + +# सबसे ऊपर प्रेम को ... बान्ध लो + +“प्रेम रखो” + +# सिद्धता का कटिबन्ध + +“जो हमें पूर्णतः बांधता है” या “जो हमें सामजंस्य में संयोजित करता है” diff --git a/col/03/15.md b/col/03/15.md new file mode 100644 index 0000000..01b193b --- /dev/null +++ b/col/03/15.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तुम्हारे हृदय में राज करे + +“तुम्हारे मन पर अधिकार करे” + +# तुम्हारे मन में + +“तुमने अर्थात कुलुस्से के विश्वासियों ने + +# तुम में जीये + +“अन्तर्वास करे” “उपस्थित हो” + +# सिखाओ और चिताओ + +“एक दूसरे को सतर्क करो” + +# भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत + +“परमेश्वर की स्तुति में गीत गाओ” + +# ह्रदय से धन्यवादी रहो + +“आभारी मन” + +# उसके द्वारा + +“मसीह यीशु के द्वारा” diff --git a/col/03/18.md b/col/03/18.md new file mode 100644 index 0000000..d2faeba --- /dev/null +++ b/col/03/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# पत्नियों.... पति के अधीन हो + +“पत्नियों आज्ञाकारी बनो” + +# उचित है + +“न्यायोचित है” या “सही है” + +# कठोरता न करो + +“निर्दयी न हो” या क्रोध न करो” + +# प्रभु इससे प्रसन्न होता है + +प्रभु इससे प्रसन्न होता है, “माता-पिता की आज्ञा मानोगे तो परमेश्वर प्रसन्न होता है”। + +# बालकों को तंग न करो + +“कुपित न करो” या “क्रोध न दिलाओ” diff --git a/col/03/22.md b/col/03/22.md new file mode 100644 index 0000000..b4f4a2c --- /dev/null +++ b/col/03/22.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# जो तुम्हारे स्वामी हैं... उनकी आज्ञा का पालन करो + +“तुम्हारे” अर्थात कुलुस्से की कलीसिया में विश्वासी दास। + +# जो कुछ तुम करते हो + +“तुम” मुख्यताः दासों के संदर्भ में है परन्तु सब विश्वासियों के लिए हो सकता है। + +# जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं... उनकी आज्ञा का पालन करो + +अपने सांसारिक स्वामियों की आज्ञा का पालन करो + +# दिखाने के लिए नहीं + +“जब स्वामी देखता हो तब ही नहीं” + +# मनुष्यों को प्रसन्न करने पर लौ के समान + +ये वे लोग है जो प्रभु की नहीं मनुष्य की प्रशंसा खोजते हैं। (यू.डी.बी.) + +# प्राण को घात नहीं कर सकते + +“संपूर्ण मन से” (यू.डी.बी.) + +# प्रभु के लिए + +प्रभु के लिए - प्रभु की सेवा के निमित्त” (यू.डी.बी.) + +# प्रभु से मीरास + +“प्रभु की प्रतिज्ञानुसार हमारा भाग मिलेगा” (यू.डी.बी.) + +# जो बुरा करता है + +नैतिक, सामाजिक एवं शारीरिक बुराई करनेवाला। “पूरा करने वाला” या “अनुचित काम करनेवाला” + +# दण्ड पाएगा + +“दण्ड पाएगा” + +# पक्षपात नहीं + +“किसी का पक्ष नहीं लेता” या “उसके अपने पसन्द के कोई नहीं है” या उसके चहेते नहीं हैं” diff --git a/col/04/01.md b/col/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..f81dc7b --- /dev/null +++ b/col/04/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अपने दासों के साथ न्याय। + +अपने-अपने अर्थात दासों के स्वामी जो विश्वासी है + +# न्याय और ठीक-ठीक व्यवहार + +स्वामियों के लिए है कि वे अपने सेवकों के साथ उचित एवं निष्पक्ष व्यवहार करें। + +# स्वर्ग में तुम्हारा भी एक स्वामी है + +अर्थात 1) परमेश्वर उनके साथ भी वैसा ही व्यवहार करेगा जैसा वे अपने दासों के साथ करते हैं। या 2) जैसा तुम परमेश्वर से अपने प्रति व्यवहार चाहते हो वैसा ही अपने दासों के साथ करो”। diff --git a/col/04/02.md b/col/04/02.md new file mode 100644 index 0000000..a2d242d --- /dev/null +++ b/col/04/02.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# प्रार्थना में लगे रहो + +“निष्ठापूर्वक प्रार्थना करो” “लगातार प्रार्थना करते रहो” + +# हमारे लिए भी प्रार्थना करते रहो + +“हमारे” अर्थात पौलुस और तीमुथियुस के लिए, कुलुस्से के विश्वासी उसके नहीं गिने गए हैं। + +# परमेश्वर हमारे लिए.... द्वार खोल दे + +“परमेश्वर द्वारा अवसर प्रदान करने “हेतु यह एक मुहावरा है” + +# मसीह के उस भेद का + +मसीह के आगमन से पूर्व मसीह यीशु का सन्देश जो समझ से परे था। + +# जिसके कारण मैं कैद में हूं + +“मसीह का शुभ सन्देश सुनाने के कारण मैं कारागार में हूं” + +# ऐसा प्रगट करूं जैसा मुझे करना उचित है + +“प्रार्थना करो कि मैं मसीह यीशु का सन्देश यथासंभव स्पष्ट व्यक्त कर पाऊंगा।” diff --git a/col/04/05.md b/col/04/05.md new file mode 100644 index 0000000..8d47067 --- /dev/null +++ b/col/04/05.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# बुद्धिमानी से व्यवहार करो + +“चतुराई से काम लो” + +# बाहरवालों + +“अविश्वासियों के साथ” + +# अवसर को बहुमूल्य समझ कर + +कुलुस्से के विश्वासियों को निर्देश है + +# बहुमूल्य समझकर + +“बुद्धिमानी से काम करो” + +# तुम्हारा वचन सदा अनुग्रहसहित और सलोना हो + +तुम्हारा वचन सदा अनुग्रहसहित और सलोना हो - “तुम्हारा वार्तालाप सदैव अनुग्रह से पूर्ण एवं आकर्षक हो” + +# उचित रीति से उत्तर देना आ जाए + +“तुम मसीह यीशु के बारे में किसी को भी उचित उत्तर देने योग्य हो”। diff --git a/col/04/07.md b/col/04/07.md new file mode 100644 index 0000000..0fadab8 --- /dev/null +++ b/col/04/07.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# मेरी कुछ बातें तुम्हें बता देगा + +“मेरे साथ जो भी हो रहा है तुम्हें बता देगा”। (यू.डी.बी.) + +# तुम्हें....बता देंगे + +“तुम्हें” अर्थात कुलुस्से की कलीसिया को + +# सब कुछ जो मेरे विषय में है + +अर्थात् पौलुस की + +# सेवक + +पौलुस एक स्वतंत्र मनुष्य है परन्तु वह स्वयं को एक दास मानता है, मसीह का दास और तुखिकुस को सह सेवक। इसका अनुवाद हो सकता है, “साथी सेवक” + +# तुम्हें बता देगा। + +पौलुस और उसके सहकर्मियों की। + +# तुम्हारे हृदयों को शान्ति दे + +“तुम्हारे मन हृदयों को” अर्थात तुम्हें। “तुम्हें प्रोत्साहन प्रदान करेगा” + +# उनेसिमुस + +उनेसिमुस कुलुस्से में फिलेमोन का दास था। उसने फिलेमोन का पैसा चुराया और रोम भाग गया था। वहां पौलुस के प्रचार के द्वारा उसने मसीह को ग्रहण कर लिया था। तुखिकूस और उनेसिमुस पौलुस का पत्र लेकर कुलुस्से जा रहे हैं। + +# विश्वासयोग्य और प्रिय भाई + +पौलुस उनेसिमुस को सहविश्वासी और मसीह का सेवक मानता है। + +# ये तुम्हें यहां की सारी बातें बता देंगे। + +“ये” अर्थात तुखिकुस और उनेसिमुस + +# “जो कुछ यहां हो रहा है” + +वे पौलुस की वर्तमान स्थिति का वर्णन कुलुस्से की कलीसिया को सुनाएंगे। परम्परा के अनुसार पौलुस गृह कारावास में या कारागार में था। diff --git a/col/04/10.md b/col/04/10.md new file mode 100644 index 0000000..a913309 --- /dev/null +++ b/col/04/10.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अरिस्तर्खुस + +वह पौलुस के साथ इफिसुस के कारागार में था जब पौलुस यह पत्र लिख रहा था। + +# “यदि वह तुम्हारे पास आए” + +“यदि मरकुस आए।” + +# यीशु जो यूस्तुस कहलाता है + +यह वह मनुष्य है जिसने पौलुस के साथ भी कार्य किया। + +# जो कोई ..... परमेश्वर के राज्य के योग्य नहीं + +ये तीन पुरूष ही हैं जो मेरे साथ सेवारत यहूदी विश्वासी हैं जो मसीह के द्वारा परमेश्वर का प्रचार करते हैं कि यह राजा होगा। (यू.डी.बी.) + +# खतना किए हुए लोगों में से केवल यह ही + +अरिस्तर्खुस, मरकुस और येस्तूस मात्र ही खतनावाले diff --git a/col/04/12.md b/col/04/12.md new file mode 100644 index 0000000..7b43d41 --- /dev/null +++ b/col/04/12.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# इपफ्रास + +इपफ्रास कुलुस्से में शुभ सन्देश प्रचारक था + +# तुम में से एक + +“तुम्हारा सह नागरिक” या “तुम्हारा ही स्वेदशी” (यू.डी.बी.) + +# मसीह यीशु का दास है + +“मसीह यीशु का समर्पित दास” + +# सदा तुम्हारे लिए प्रार्थनाओं में प्रयत्न करता है + +सदा तुम्हारे लिए सच्चे दिल से प्रार्थना करता है + +# ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्छा पर स्थिर रहो + +"तुम परिपक्व और आत्मविश्वासी हो जाओ" + +# मैं उसका गवाह हूं कि वह तुम्हारे लिए बड़ा.... बड़ा परिश्रम करता रहता है + +“मैंने स्वयं देखा कि उसने तुम्हारे लिए कठोर परिश्रम किया है”। (यू.डी.बी.) + +# लौदिकिया + +लौदिकिया की कलीसिया। लौदिकिया कुलुस्से के परिवेश में एक नगर था। + +# हियरापुलिस वालों + +हियरापुलिस की कलीसिया यह स्थान भी कुलुस्से के परिवेश में था। + +# और देमास + +पौलुस का सहकर्मी + +# तुम्हें नमस्कार + +“तुम्हारा अभिवादन करते हैं” diff --git a/col/04/15.md b/col/04/15.md new file mode 100644 index 0000000..623f38b --- /dev/null +++ b/col/04/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# भाइयों को.... नमस्कार + +“विश्वासी भाई-बहन को नमस्कार”। + +# लौदिकिया में + +कुलुस्से से तथा एक नगर, वहां भी मसीही कलीसिया थी। + +# नुमफास और उसके घर की कलीसिया को नमस्कार + +नुमफास लौदिकिया में आवासीय कलीसिया की आयोजक थी। “नुमफास और उसके घर में आराधना हेतु एकत्र होने वाली कलीसिया” + +# कलीसिया में पढ़ा जाए + +कलीसिया अर्थात कुलुस्से के विश्वासी + +# अर्खिप्पुस + +पौलुस अर्खिप्पुस को उसके परमेश्वर प्रदत्त दायित्व का स्मरण करवा रहा है और वह परमेश्वर की ओर से इसकी पूर्ति का उत्तरदायी था। diff --git a/col/04/18.md b/col/04/18.md new file mode 100644 index 0000000..5dd5cf1 --- /dev/null +++ b/col/04/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मुझ पौलुस का अपने हाथ से लिखा नमस्कार + +पौलुस चाहता था कि कुलुस्से के विश्वासी जान लें कि यह पत्र पौलुस ही का है। + +# मेरी जंजीरों को स्मरण रखना + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मुझे स्मरण रखकर, मेरे लिए प्रर्थाना करना क्योंकि मैं कारागार में हूं”। diff --git a/eph/01/01.md b/eph/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..9436a0b --- /dev/null +++ b/eph/01/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यह पत्र पौलुस ने इफिसुस की कलीसिया को लिखा था + +# परमेश्वर की ओर से + +“परमेश्वर के चुने हुए” या “परमेश्वर की इच्छा से” + +# चुन लिया + +“नैतिकता में निर्दोष” या “पवित्र किए हुए” या “पवित्र जन” वैकल्पिक अनुवाद, “पवित्र जन” + +# तुम्हें अनुग्रह + +तुम्हें अर्थात इफिसुस के सब विश्वासी + +# तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे + +“तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे” - यह पौलुस के पत्रों में एक सामान्य अभिनंदन एवं आशीर्वाद है। diff --git a/eph/01/03.md b/eph/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..0a9c7e6 --- /dev/null +++ b/eph/01/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे। + +इसको कर्तृवाच्य रूप में व्यक्त किया जा सकता है, “हम अपने प्रभु यीशु मसीह के पिता और परमेश्वर की स्तुति करें।” + +# उसने जो हमें आशीष.... दी है + +“परमेश्वर ने हमें आशीष दी है” + +# आशीष दी है + +यह एक समावेशी सर्वनाम है जिसमें पौलुस और इफिसुस के सब विश्वासी हैं। + +# सब प्रकार की आत्मिक आशीष + +“परमेश्वर की आत्मा से प्रवाहित सब आशीषों से” + +# पवित्र और निर्दोष हों + +पौलुस दो गुणों की चर्चा करता है जो हम परमेश्वर में विकसित कर सकते हैं। diff --git a/eph/01/05.md b/eph/01/05.md new file mode 100644 index 0000000..ba10819 --- /dev/null +++ b/eph/01/05.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हमें अपने लिए पहले से हराया... कि उसके लेपालक पुत्र हों + +“परमेश्वर ने हमें ग्रहण करने का संकल्प पहले ही से कर लिया था।” + +# हमें अपने लिए पहले से ठहराया + +“परमेश्वर ने आदिकाल ही से योजना बना ली थी” (यू.डी.बी.) + +# हमें अपने लिए पहले से ठहराया + +पौलुस स्वयं की इफिसुस के विश्वासियों को तथा सब मसीही विश्वासियों को “हम” में सम्मलित करता है + +# लेपालक + +“लेपालक” अर्थात परमेश्वर के परिवार के सदस्य होना + +# मसीह के द्वारा + +परमेश्वर मसीह के काम के द्वारा विश्वासियों को अपने परिवार में लेता है। + +# इसके.... उसने.... इसमें.... उसके इस अनुग्रह + +ये सब सर्वनाम परमेश्वर के लिए हैं। + +# उस प्रिय में + +“परमेश्वर का प्रिय” अर्थात मसीह यीशु diff --git a/eph/01/07.md b/eph/01/07.md new file mode 100644 index 0000000..4990942 --- /dev/null +++ b/eph/01/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उस प्रिय में + +परमेश्वर का प्रिय मसीह यीशु + +# हमको....छुटकारा + +हम अर्थात सब विश्वासी + +# उसकी मीरास की महिमा का धन + +“परमेश्वर के अनुग्रह की महानता” या “परमेश्वर के अनुग्रह की अनिश्चियता” + +# सारे ज्ञान और समझ सहित + +परमेश्वर ने विश्वासियों को महान समझ और ज्ञान प्रदान किया है। वैकल्पिक अनुवाद “ज्ञान और समझ की बहुतायत” diff --git a/eph/01/09.md b/eph/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..56b4b76 --- /dev/null +++ b/eph/01/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# अपनी इच्छा का भेद + +“उसकी योजना का अप्रकट सत्य” + +# उस भले अभिप्राय + +“उसकी प्रसन्नता के अनुसार” (यू.डी.बी.) + +# समयों के पूरे होने का + +“जब सब कुछ होने लगे” + +# पूरे होने का प्रबन्ध + +“उसकी योजना पूर्ति के निमित्त” + +# प्रबन्ध करे + +“परमेश्वर की योजना”, “परमेश्वर की इच्छा” + +# मसीह में + +“मसीह के शासन के अधीन” diff --git a/eph/01/11.md b/eph/01/11.md new file mode 100644 index 0000000..4321b59 --- /dev/null +++ b/eph/01/11.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# ठहराए जाकर + +“हम परमेश्वर का उत्तराधिकार ठहराए गए” या “हम चुने गए कि परमेश्वर के उत्तराधिकार प्राप्त करें” + +# हम जिन्होंने पहले से + +यहां “हम” में केवल पौलुस और इसके यहूदी भाई हैं, अन्यजाति विश्वासी नहीं। + +# उसी की मनसा से + +“परमेश्वर की योजना से” + +# अपनी इच्छा के मत के अनुसार + +“परमेश्वर की इच्छा से” + +# हम जिन्होंने पहले से + +यहां भी पौलुस “हम” में अन्यजाति विश्वासियों को नहीं गिनता है। diff --git a/eph/01/13.md b/eph/01/13.md new file mode 100644 index 0000000..62f5ec0 --- /dev/null +++ b/eph/01/13.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उसी में तुम पर भी जब तुमने सत्य का वचन सुना + +वैकल्पिक अनुवाद, “मसीह में विश्वास के द्वारा ही तुमने सुना कि तुम उसके द्वारा उद्धार पाए हुए हो”। + +# तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार मसीह के द्वारा + +“मसीह तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है” + +# जिस पर तुमने विश्वास किया + +जिस पर तुमने विश्वास किया + +# प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी + +प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी जैसे किसी पत्र पर लाख लगाकर प्रेषक की मुहर लगाई जाती है उसी प्रकार परमेश्वर ने हम पर पवित्र आत्मा द्वारा उद्धार की मुहर लगाई है जिससे प्रकट होता है कि वह हमारा स्वामी है। + +# पूर्ण जिम्मेदारी + +“पवित्र आत्मा एक प्रण है” परमेश्वर ने हमें पवित्र आत्मा दिया जो समय पर उसके अनन्त जीवन के वरदान की प्रतिज्ञा है + +# छुटकारे के लिए हमारी मीरास का बयाना है + +परमेश्वर ने हमें अपनाने के लिए मोल लिया है। वैकल्पिक अनुवाद, “अर्थात, परमेश्वर हमें क्षमा करता है और हमें ग्रहण करता है। diff --git a/eph/01/15.md b/eph/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..f21fb45 --- /dev/null +++ b/eph/01/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इसी कारण + +“इस उद्देश्य निमित्त” + +# तुम्हारा प्रेम उन सब के लिए जो मसीह में अलग किए हुए + +मसीह के सब विश्वासियों के लिए तुम्हारे प्रेम “मसीह के सब पवित्र जनों के लिए तुम्हारा प्रेम” + +# मैं धन्यवाद करना नहीं छोड़ता + +इसका अनुवाद एक सकारात्मक वाक्य मे किया जा सकता है, मैं निरन्तर परमेश्वर को धन्यवाद कहता हूं”। diff --git a/eph/01/17.md b/eph/01/17.md new file mode 100644 index 0000000..7e92c1d --- /dev/null +++ b/eph/01/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अपनी पहचान में ज्ञान और प्रकाश की आत्मा दे + +“उसके प्रकाश की समझ हेतु आत्मिक ज्ञान” + +# तुम्हारे मन की आंखें ज्योतिमर्य हो + +“मन की आंखें अर्थात समझ प्राप्त करने के लिए किसी की क्षमता को बढ़ाना।” कि तुम्हें समझ प्राप्त हो और तुम इस प्रकाश से पूर्ण हो जाओ। + +# हमारी बुलाहट की आशा + +“हमारी बुलाहट की आशा” + +# उसकी मीरास की महिमा का धन + +“उसके महिमामय उत्तराधिकार की प्रचुरता” या “उसके वैभवशाली उत्तराधिकार की बहुतायत” + +# जो हम में अलग किए पवित्र लोगों + +“उसके पृथक किए गए लोगों में” इसमें नैतिकता में निर्दोष एवं पृथक किए हुए पवित्र लोगों का विचार निहित है। diff --git a/eph/01/19.md b/eph/01/19.md new file mode 100644 index 0000000..03ad607 --- /dev/null +++ b/eph/01/19.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उसकी सामर्थ्य... कितनी महान है + +परमेश्वर का सामर्थ्य व्यक्तियों के पार है + +# उसकी शक्ति के प्रभाव के उस कार्य के अनुसार + +“हमारे निमित्त क्रियाशील उसका महान सामर्थ्य ” + +# अपनी दाहिनी ओर उसे बैठाया” + +“मसीह को दाहिनी ओर बैठाया”। यह सम्मान का सर्वोच्च स्थान है। + +# इस लोक में + +“इस समय” + +# आनेवाले लोक में + +“भविष्य में” + +# सब प्रकार की प्रधानता, और अधिकार, और सामर्थ्य, और प्रभुता + +अलौकिक प्राणियों के ये विभिन्न पद है चाहे वे स्वर्गदूत हों या शैतानी शक्तियां हों। वैकल्पिक अनुवाद: सब प्रकार के अलौकिक प्राणियों के ऊपर। diff --git a/eph/01/22.md b/eph/01/22.md new file mode 100644 index 0000000..e4f69b3 --- /dev/null +++ b/eph/01/22.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# सब कुछ उसके पांवों तले कर दिया + +“परमेश्वर ने....” (यू.डी.बी.) या “परमेश्वर ने ऐसा किया कि....” + +# सब कुछ उसके पावों तले कर दिया + +यह मसीह प्रभुता, अधिकार और सामर्थ का वर्णन है। सब कुछ मसीह के सामर्थ के अधीन कर दिया” + +# शिरोमणि... यह उसकी देह है + +शिरोमणि... यह उसकी देह है जिस प्रकार की मानवीय देह में शरीर के सब कामों को सिर नियंत्रित करता है, ठीक उसी प्रकार मसीह देह का अर्थात कलीसिया का सिर है। + +# शिरोमणि ठहरा कर कलीसिया को दे दिया + +शिरोमणि का अर्थ है अगुआ या कर्ता-धर्ता। वैकल्पिक अनुवाद: “कलीसिया में सर्वोसर्व शासक” + +# यह उसकी देह है + +कलीसिया उसकी देह कहलाती है। + +# उसी की परिपूर्णता है जो सब में सब कुछ पूर्ण करता है। + +मसीह कलीसिया को उसके सामर्थ्य और जीवन से पूरिपूरित करता है।वैकल्पिक अनुवाद: “मसीह कलीसिया को अपने जीवन एवं सामर्थ्य से भर देता है ठीक वैसे ही जैसे वह सब को जीवन देता है और संभालता है” diff --git a/eph/02/01.md b/eph/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..4185607 --- /dev/null +++ b/eph/02/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अपने अपराधों एवं पापों के कारण मरे हुए थे। + +इससे समझ में आता है कि पापी मनुष्य कैसे परमेश्वर की आज्ञा मानने में असमर्थ थे, जैसे कोई मृतक मनुष्य शारीरिक प्रतिक्रिया नहीं दिखाते हैं। + +# अपने अपराधों और पापों के कारण + +इस उक्ति से प्रकट होता है मनुष्य परमेश्वर के विधान की अवज्ञा में कैसे धृष्ट थे। + +# जिनमें तुम बहके चलते थे + +“तुम चाहे इसी में जी रहे थे” यह मनुष्यों की जीवन शैली का वर्णन है। + +# इस संसार की रीति पर + +पौलुस “संसार” शब्द द्वारा इस संसार के मनुष्यों के स्वार्थी स्वभाव और भ्रष्ट मान्यताओं का संदर्भ देता है। वैकल्पिक अनुवाद: “संसार के मनुष्यों की सदाचार की मान्यताओं के अनुसार” या “इस संसार के सिद्धान्तों के अनुसार” + +# आकाश के अधिकार के हाकिम + +अर्थात शैतान + +# उसकी आत्मा + +अर्थात शैतान की आत्मा + +# अपने शरीर की लालसाओं.... और शरीर और मन की इच्छाएं पूरी करते थे + +ये दो शब्द “शरीर” और “मन” संपूर्ण देह के लिए लाक्षणिक उपयोग है। diff --git a/eph/02/04.md b/eph/02/04.md new file mode 100644 index 0000000..2714aeb --- /dev/null +++ b/eph/02/04.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# परमेश्वर जो दया का धनी है + +“परमेश्वर दया का सागर है” या “परमेश्वर हम पर दया दर्शाता है।” + +# अपने उस बड़े प्रेमी के कारण जिससे उसने हमसे प्रेम किया। + +“हमारे लिए उसके अपार प्रेम के कारण” या “क्योंकि वह उससे अत्यधिक प्रेम करता है” + +# जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे तो हमें मसीह के साथ जिलाया + +इससे प्रकट होता है कि एक पापी मनुष्य जब तक नया आत्मिक जीवन पाए, परमेश्वर की आज्ञा मानने में समर्थ नहीं जैसे एक मृतक शारीरिक प्रतिक्रिया नहीं दिखाता जब कि वह पुनः जीवित न हो। + +# उसने मसीह यीशु में उसके साथ उठाया + +परमेश्वर ने हमें मसीह में नया जीवन दिया है + +# अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है। + +परमेश्वर ने अपनी अपार दया के कारण हमारा उद्धार किया है। + +# और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। + +जिस प्रकार उसने मसीह को जीवित किया ठीक उसी प्रकार वह हमें भी पुनःजीवित करेगा और हम स्वर्ग में मसीह के साथ होंगे। + +# आनेवाले समयों में + +“भविष्य में” diff --git a/eph/02/08.md b/eph/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..7ee9ddd --- /dev/null +++ b/eph/02/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# क्योंकि विश्वास के द्वारा तुम्हारा उद्धार हुआ है + +परमेश्वर की दया ही है कि उसने हमें दण्ड से बचाने के लिए यह संभव किया परन्तु जब हम यीशु में विश्वास करें। + +# परन्तु वह + +“वह” अर्थात “अनुग्रह” विश्वास के द्वारा अनुग्रह से तुम्हारा उद्धार हुआ है”। + +# तुम्हारी ओर से नहीं + +“तुम्हारी” सर्वनाम शब्द पौलुस और इफिसुस के सब मसीही विश्वासियों के लिए है। + +# कर्मों के कारण + +“यह उद्धार हमारे कर्मों से प्राप्त नहीं है”। + +# क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं और मसीह यीशु में... सृजे गए है। + +“परमेश्वर ने हमें नए मनुष्य मनाया है जो मसीह यीशु से जुड़े हुए हैं”। हम परमेश्वर की रचना हैं। यहां “हम” सर्वनाम शब्द पौलुस और इफिसुस के सब विश्वासियों के लिए है + +# हमारे करने के लिए + +“जीवन के लिए” या “अनुसरण के लिए” diff --git a/eph/02/11.md b/eph/02/11.md new file mode 100644 index 0000000..1dad2a4 --- /dev/null +++ b/eph/02/11.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# शारीरिक रीति से अन्यजाति हो + +वे जो जन्म से यहूदी नहीं + +# खतनारहित + +अन्यजातियों का शिशु अवस्था में खतना नहीं किया जाता था, अतः उन्हें परमेश्वर के जन नहीं माना जाता था। + +# खतना + +यह शब्द यहूदियों के लिए काम में लिया गया है क्योंकि उनके हर एक बालक का जन्म के आठवें दिन खतना किया जाता था। + +# मसीह से अलग + +“अविश्वासी” + +# परदेसी + +“संबन्ध विच्छेदित” या “असम्म्लित” + +# इस्राएल की नागरिकता + +“इस्राएलियों” या इस्राएली समुदाय” + +# प्रतिज्ञा की वाचाओं के मार्ग न थे + +“तुम परमेश्वर की वाचा की प्रतिज्ञाओं से अनभिज्ञ थे” diff --git a/eph/02/13.md b/eph/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..7dc0459 --- /dev/null +++ b/eph/02/13.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# पर अब मसीह में + +पौलुस इफिसुस के विश्वासियों के पूर्वकालिन जीवन और वर्तमान जीवन में प्रकट अन्तर व्यक्त कर रहा है। + +# तुम जो पहले दूर थे.... निकट हो गए हो + +विश्वासी अपने पाप के कारण परमेश्वर से दूर थे, परन्तु अब मसीह उन्हें परमेश्वर के निकट ले आया है, अपने लहू के द्वारा + +# वही हमारा मेल है + +“यीशु हमें अपनी शान्ति देता है” + +# अपने शरीर में बैर + +“क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा” + +# “अलग करने वाली दीवार” + +“बुराई की दीवार” या “घृणा की दीवार” + +# जो बीच में थी + +“यहूदी एवं अन्यजाति विश्वासियों के मध्य उपस्थित दीवार + +# आज्ञाएं विधियों की रीति पर थी + +यीशु के लहू ने मूसा प्रदत्त विधान की अनिवार्यता पूरी की कि यहूदी और अन्यजाति उसमें शान्ति से जीएं + +# लोगो में आपस में मेल कराए + +“यहूदियो और अन्यजातियों में एकता उत्पन्न करा दे”। + +# बैर को नाश करके + +यीशु ने यहूदियों और अन्यजातियों के मध्य परस्पर बैर के कारण का निवारण कर दिया। अर्थात अब आवश्यक नहीं था कि वे मूसा प्रदत्त विधान के पालन का जीवन जीएं। diff --git a/eph/02/17.md b/eph/02/17.md new file mode 100644 index 0000000..c30fcaa --- /dev/null +++ b/eph/02/17.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# सुसमाचार सुनाया + +“शुभ सन्देश सुनाया” या “शुभ सन्देश का प्रचार किया” + +# मेल-मिलाप का सुसमाचार + +“शान्ति का शुभ सन्देश” + +# जो दूर थे + +अन्यजातियां या गैर यहूदी जन + +# जो निकट थे + +अर्थात् यहूदी के प्रति + +# इसी के द्वारा हम दोनों को... पिता के पास पहुंच होती है + +“हम दोनों.... अर्थात पौलुस विश्वासी यहूदी तथा विश्वासी अन्यजातियां। + +# एक आत्मा में पिता के पास पहुंच होती है + +सब विश्वासियों को पिता परमेश्वर की उपस्थिति में एक आत्मा या अधिकार में प्रवेश करने का अधिकार प्राप्त है। diff --git a/eph/02/19.md b/eph/02/19.md new file mode 100644 index 0000000..7d7e111 --- /dev/null +++ b/eph/02/19.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए हो + +यह अन्यजातियों के मसीही विश्वास में आने से पूर्व की और बाद की आत्मिक अवस्था का वर्णन है, जैसे एक विदेशी किसी देश का नागरिक बनता है। + +# अब विदेशी... नहीं रहे + +“बाहरी लोग नहीं रहे” + +# मुसाफिर + +“जो नागरिक नहीं हैं” + +# नींव पर ... बनाए गए हो + +पौलुस परमेश्वर के परिवार की तुलना एक भवन से करता है जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु है और प्रेरित उसकी नींव है और विश्वासी उसकी निर्माण सामग्री है। + +# जिसमें सारी रचनाएं साथ मिलकर प्रभु में एक पवित्र मन्दिर बनती जाती है। + +पौलुस मसीह के परिवार की तुलना भवन निर्माण से करता है जिसमें राज मिस्त्री पत्थरों को संयोजित करता है उसी प्रकार मसीह भी हमें संयोजित कर रहा है। + +# जिसमें तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवास स्थान होने के लिए एक साथ बनाए जाते हो। + +वह वर्णन करता है कि विश्वासी किस प्रकार एक साथ संयोजित किए जाकर एक स्थान बनते हैं जिनमें परमेश्वर स्थाई रूप से निवास करता है जैसे पृथ्वी पर मनुष्यों के निवास हेतु एक घर बनाया जाता है। diff --git a/eph/03/01.md b/eph/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..0ff13cd --- /dev/null +++ b/eph/03/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इसी कारण + +“परमेश्वर के अनुग्रह के कारण” + +# यदि तुमने परमेश्वर के उस अनुग्रह के प्रबंध के कारण सुना हो + +“परमेश्वर ने तुम्हारे लिए उसके अनुग्रह के प्रबन्ध को जो वरदान दिया है” diff --git a/eph/03/03.md b/eph/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..5925c39 --- /dev/null +++ b/eph/03/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यह भेद तुम पर प्रकाशन के द्वारा प्रकट हुआ। + +परमेश्वर ने मुझे प्रकाशन प्रदान किया” या “परमेश्वर ने मुझ पर प्रकट किया” + +# जैसा मैं पहले ही संक्षेप में लिख चुका हूं + +“मैंने पहले तुम्हें उस सत्य के बारे में संक्षेप में लिखा था जो पूर्वकाल में अज्ञात था”। + +# जिसे तुम पढ़कर जान सकते हो + +“जिसे” अर्थात वह गुप्त सत्य जिन्हें पौलुस इफिसुस के विश्वासियों पर प्रकट कर रहा है। + +# तुम जान सकते हो + +“तुम अंतर्ग्रहण करने योग्य हो जाओ” या “तुम उसका अनुभव करने पाओगे” + +# मैं मसीह का यह भेद कहां तक समझ सकता हूं + +“इस पूर्वकाल में अज्ञात इस सत्य के प्रति मेरी समझ” + +# जो अन्य समयों में मनुष्य की सन्तानों को सीखना नहीं बताया गया था। + +“जो पूर्वकाल में मनुष्यों पर प्रकट नहीं किया गया था” + +# जैसा कि.... अब... प्रगट किया गया है + +“परन्तु अब अनावृत किया गया है” या “परन्तु अब स्पष्ट किया गया है” diff --git a/eph/03/06.md b/eph/03/06.md new file mode 100644 index 0000000..e789fdd --- /dev/null +++ b/eph/03/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मसीह यीशु में सुसमाचार के द्वारा अन्यजाति लोग मीरास में स्वामी और एक ही देह के और प्रतिज्ञा के भागी है। + +यह एक गुप्त सत्य है जिसकी चर्चा पौलुस कर रहा है, वे उस पर तथा प्रेरितों पर प्रगट किया गया है। + +# एक ही देह... भागी हों + +मसीह के विश्वासियों की चर्चा करने के लिए पौलुस देह का रूपक काम में ले रहा है। + +# मैं... उस सुसमाचार का सेवक बना + +“मैं सुसमाचार शुभ सन्देश प्रसारण के निमित्त परमेश्वर की सेवा कर रहा हूं” diff --git a/eph/03/08.md b/eph/03/08.md new file mode 100644 index 0000000..b07453d --- /dev/null +++ b/eph/03/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह दान के अनुसार... मुझ पर जो सब पवित्र लोगों में से छोटे से छोटा हूं + +“यद्यपि मैं परमेश्वर के सब जनों में सबसे कम योग्य हूं, परमेश्वर ने मुझे यह अनूग्रहपूर्ण वरदान दिया है + +# सब पर यह बात प्रकाशित करूं कि उस भेद का प्रबन्ध करता है। + +“और सब को परमेश्वर की योजना से प्रगट कराऊं।" + +# जो सबके सृजनहार परमेश्वर में आदि से गुप्त था + +“जिस बात को परमेश्वर ने आदिकाल से अर्थात संसार की सृष्टि के समय से छिपा रखा था” diff --git a/eph/03/10.md b/eph/03/10.md new file mode 100644 index 0000000..aaf638f --- /dev/null +++ b/eph/03/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परमेश्वर विभिन्न प्रकार का ज्ञान उन प्रधानों और अधिकारियों पर... प्रगट किया जब + +“परमेश्वर का यह जटिल ज्ञान स्वर्गीय स्थानों में परमेश्वर के जटिल ज्ञान का प्रकाशन कलीसिया द्वारा हो”। + +# उस सनातन मनसा के अनुसार + +“अनन्त योजना के अनुरूप” या “अनन्त योजना से सुसंगत” + +# की भी + +“जिसे उसने पूरा किया” या “संपन्न किया” diff --git a/eph/03/12.md b/eph/03/12.md new file mode 100644 index 0000000..1e235ec --- /dev/null +++ b/eph/03/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# भरोसे के साथ परमेश्वर के निकट आने का + +“विश्वास के साथ परमेश्वर की उपस्थिति में आने का” या “परमेश्वर की उपस्थिति में विश्वास से प्रवेश करने का” + +# इस पर विश्वास करने से + +“मसीह में हमारे विश्वास के कारण” + +# इसलिए मैं विनती करता हूं कि... साहस न छोड़ो + +“अतः मेरा निवेदन है कि इसके कारण हिम्मत न हारो”। diff --git a/eph/03/14.md b/eph/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..4956740 --- /dev/null +++ b/eph/03/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इसलिए + +“क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हारे लिए यह सब किया है” + +# पिता के सामने घुटने टेकता हूं + +“मैं पिता के सामने घुटने टेक कर विनती करता हूं” या “मैं दीन मन से पिता से प्रार्थना करता हूं”। + +# "कि वह तुम्हें...दे” + +“कि वह तुम्हें प्रदान करे” diff --git a/eph/03/17.md b/eph/03/17.md new file mode 100644 index 0000000..170d34b --- /dev/null +++ b/eph/03/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे + +“द्वारा” यहां एक माध्यम का विचार है जिसका अर्थ है कि मसीह विश्वासियों के मन में परमेश्वर प्रदत्त विश्वास के वरदान द्वारा वास करता है। + +# कि तुम प्रेम में जड़ पकड़कर और नींव डाल कर + +पौलुस उनके विश्वास की तुलना एक वृक्ष से करता है जिसकी जड़े गहराई में है, और पत्थर पर नींव डाले हुए मकान से” + +# सब पवित्र लोगों + +अर्थात सब विश्वासी। इसका अनुवाद किया जा सकता है, “सब पृथक किए हुए लोगों” + +# मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से भरे है + +“कि तुम मसीह के प्रेम को समझ पाओ जो उस हर एक बात से बहुत ऊपर है जिसे हम अनुभव से अंतर्ग्रहण करते हैं। diff --git a/eph/03/20.md b/eph/03/20.md new file mode 100644 index 0000000..3b36348 --- /dev/null +++ b/eph/03/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अब जो ऐसा सामर्थी है + +“अब परमेश्वर जो” + +# कहीं अधिक काम कर सकता है + +हम जो मांगते हैं या कल्पना कर सकते हैं परमेश्वर उससे कहीं अधिक कर सकता है। + +# हमारी विनती और समझ + +“हम” अर्थात पौलुस और उसके पाठक diff --git a/eph/04/01.md b/eph/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..ad5a7f9 --- /dev/null +++ b/eph/04/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# प्रभु में बन्दी हूं + +प्रभु की सेवा करने का चुनाव करने के कारण एक बन्दी की नाई। + +# जिस बुलाहट से तुम बुलाये गये थे इसके योग्य चाल चलो + +“मैं तुमसे निवेदन करता हूं कि अपनी बुलाहट के योग्य जीवन जीओ” इन सब पदों में “तुम” इफिसुस के सब विश्वासियों के लिए काम में लिया गया है। + +# सारी दीनता और नम्रता सहित और धीरज धर कर प्रेम से एक दूसरे की सह लो। + +“तुम्हें दीन, कोमल, धीरजवन्त होना तथा एक दूसरे को प्रेम में ग्रहण करना सीखना है। + +# शान्ति के बन्धन में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो। + +“एक साथ शान्ति में निर्वाह करने की खोज में रहो कि आत्मा की एकता बनाए रहो” diff --git a/eph/04/04.md b/eph/04/04.md new file mode 100644 index 0000000..e599473 --- /dev/null +++ b/eph/04/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# एक ही देह + +परमेश्वर के परिवार में सब विश्वासी मानवीय शरीर के विभिन्न अंशों के सदृश्य है। + +# एक ही आत्मा + +पवित्र आत्मा एक ही है + +# (एक ही में बुलाये गये हो) + +“विशेष करके एक ही में चुने हुए हो” या “एक ही में नियुक्त हो” + +# एक ही आशा है + +“एक ही निश्चित आशा है” + +# जब वह एक ही परमेश्वर और पिता... और सबमें है + +“सब का पिता.... हृदय के ऊपर... सबके मध्य... सब में है” diff --git a/eph/04/07.md b/eph/04/07.md new file mode 100644 index 0000000..60d0fa9 --- /dev/null +++ b/eph/04/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हममें से हर एक को + +“हम” अर्थात पौलुस और इफिसस के विश्वासी” + +# हर एक को मसीह के दान के परिमाण के अनुसार अनुग्रह मिला है। + +“प्रत्येक विश्वासी को दान मिला है” या “परमेश्वर ने हममें से हर एक को दान दिया है” या “परमेश्वर ने हममें से हर एक को वरदान दिया है” + +# वह ऊंचे पर चढ़ा + +“जब मसीह स्वर्ग में गया” यहां “वह” शब्द पद के द्वारा मसीह के लिए है। diff --git a/eph/04/09.md b/eph/04/09.md new file mode 100644 index 0000000..4316a1e --- /dev/null +++ b/eph/04/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# (इसके चढ़ने से) + +“वह ऊपर गया” + +# पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा + +“वह नीचे भी गया” या “वह नीचे भी उतरा” + +# पृथ्वी की निचली जगहों में + +“पृथ्वी के नीचे के स्थानों में” या “पृथ्वी के नीचे के मार्गों में” + +# कि सब कुछ परिपूर्ण करे + +कि सब कुछ पूर्णता से भरो” या “सब इसके साथ परिपूरित हो जाएं” diff --git a/eph/04/11.md b/eph/04/11.md new file mode 100644 index 0000000..d76d8a4 --- /dev/null +++ b/eph/04/11.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# मसीह ने इस प्रकार वरदान + +“मसीह ने कलीसिया को ऐसे वरदान दिए” + +# पवित्र लोग + +सब विश्वासी + +# सेवा का काम + +“मनुष्यों की सेवा” + +# मसीह की देह उन्नति पाए + +यह रूपक आत्मिक विकास की तुलना शरीर के शक्तिवर्धन के लिए व्यायाम से करता है। + +# विश्वास में... एक हो जाएं + +“विश्वास में बराबर के शक्तिशाली हो जाएं” + +# पूरे डील-डौल तक + +“परिपक्व विश्वासी हो जाएं” diff --git a/eph/04/17.md b/eph/04/17.md new file mode 100644 index 0000000..204b845 --- /dev/null +++ b/eph/04/17.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# इसलिए मैं यह कहता हूं और प्रभु से आग्रह करता हूं। + +“इसलिए मैं तुम्हें प्रभु में प्रबल प्रोत्साहन देता हूं” + +# जैसे अन्यजाति अपने मन की अनर्थ रीति पर चलते हैं। + +“अन्य जातियों के निस्सार विचारों के अनुरूप जीवन निर्वाह त्याग दो” + +# उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है, परमेश्वर के जीवन से अलग हो गए क्योंकि वे आज्ञानता में जीने लगे थे + +उन्हें ईश्वरीय जीवन का बोध नहीं हो सकता क्योंकि उनके मन इच्छाओं से अंधे होकर कठोर हो गए है” + +# अज्ञानता के कारण + +वे न तो स्पष्ट सोच रखते हैं न ही तर्क कर सकते हैं + +# परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं + +“ईश्वर भक्ति के जीवन से दूर है” + +# उस अज्ञानता के कारण + +“क्योंकि उन्हें परमेश्वर का ज्ञान नहीं” + +# उनके मन की कठोरता के कारण + +“वे परमेश्वर की वाणी सुनने से इन्कार करते हैं और उसकी शिक्षाओं पर नहीं चलते है” + +# वे सुन्न होकर, लुच्चपन में लग गए है कि वह सब प्रकार के गंदे काम लालसा से किया करें + +उन्होंने अपना हर एक अभिलाषा के निमित्त चरित्रहीन व्यवहार के द्वारा भोग विलास की निरकुंश कामनाओं में जीवन लिप्त कर लिया है” diff --git a/eph/04/20.md b/eph/04/20.md new file mode 100644 index 0000000..ce200a7 --- /dev/null +++ b/eph/04/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# पर तुमने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पायी + +“परन्तु तुमने मसीह के अनुसरण की शिक्षा में यह सब नहीं सीखा है”। + +# वरन तुमने सचमुच उसी की सुनी और जैसा यीशु में सत्य है उसी में सिखाए भी गए। + +“तुमने तो मसीह यीशु के बारे में सुना और उसी के द्वारा सत्य का ज्ञान पाया है”। + +# पुराने मनुष्यत्व को... उतार डालो, जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होती जाती है। + +“तुम्हारी पुरानी जीवनशैली का आचरण तुम्हें त्याग देना है जो तुम्हारी बुरी अभिलाषाओं के कारण अधिकधिक भ्रष्ट होता जाता है”। + +# पुराने मनुष्यत्व को उतार डालो + +वस्त्र बदलने के सदृश्य जिन्हें फैंक दिया जाता है अपने संपूर्ण पापी व्यवहार से मुक्त हो जाओ। “तुम्हें अपने आचरण को बदल देना है” + +# पिछले चाल चलन के अनुसार + +“तुम्हारे पुराने स्वभाव का आचरण” या “तुम्हारे पुराने मनुष्यत्व के अनुरूप जो आचरण था” + +# भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता था। + +“जो शरीर की झूठी अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता था” diff --git a/eph/04/23.md b/eph/04/23.md new file mode 100644 index 0000000..fd5bd34 --- /dev/null +++ b/eph/04/23.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# नये बनते जाओ + +"बदल जाओ" या "मन को बदल डालो" + +# नए मनुष्यत्व को पहन ले + +यह दर्शाता है कि जब एक विश्वासी परमेश्वर के सामर्थ्य से मसीह में विश्वास करता है तब वह कैसे पूर्णतः एक नया मनुष्य हो जाता है ठीक वैसे ही जैसे मनुष्य नया वस्त्र धारण करके सर्वथा एक भिन्न मनुष्य दिखाई देता है। diff --git a/eph/04/25.md b/eph/04/25.md new file mode 100644 index 0000000..0f83de5 --- /dev/null +++ b/eph/04/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# झूठ बोलना छोड़कर + +“तुम्हें झूठ का त्याग करना है” + +# हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले + +“विश्वासी अपने पड़ोसियों से सच बोलें” + +# हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। + +“हम सब परमेश्वर के परिवार के सदस्य हैं” + +# क्रोध तो करो पर पाप मत करो + +“तुम क्रोधित हो सकते हो परन्तु पाप नहीं करना” + +# सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे + +“रात आने से पूर्व तुम्हारा क्रोध समाप्त होना है” diff --git a/eph/04/28.md b/eph/04/28.md new file mode 100644 index 0000000..260ff2d --- /dev/null +++ b/eph/04/28.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले + +“अपशब्दों का उपयोग मत करो” या “गन्दी बात मत करो”। + +# वही निकले जो उन्नति के लिए उत्तम है + +“ऐसे शब्द काम में लो जो विश्वासियों की उन्नति के लिए या बलवर्धन के लिए हों”। + +# सुननेवालों पर अनुग्रह हो + +“इस प्रकार तुम श्रोताओं पर अनुग्रह करो” + +# पवित्र आत्मा को खेदित मत करो + +“अपने शब्दों द्वारा परमेश्वर के पवित्र आत्मा को दुःखी मत करो” + +# जिसके द्वारा .... तुम पर छाप दी गई है + +“क्योंकि उसने तुम पर छाप लगा दी है” diff --git a/eph/04/31.md b/eph/04/31.md new file mode 100644 index 0000000..48d946b --- /dev/null +++ b/eph/04/31.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सब प्रकार की कड़वाहट + +“परमेश्वर तुममें से सब प्रकार का बैर भाव समाप्त कर दे” या “परमेश्वर घृणा को मिटा दे”। + +# प्रकोप और क्रोध + +“प्रकोप और क्रोध को साथ रखने पर क्रोध की पराकाष्ठा का बोध होता है”। “अनियंत्रित क्रोध”। + +# निन्दा + +“कठोर शाब्दिक अपमान” + +# एक दूसरे पर कृपालु और करूणामय हो + +“आपस में दया और कोमलता दर्शाओ” या “एक दूसरे के साथ अनुकंपा के साथ दया का व्यवहार करो” diff --git a/eph/05/01.md b/eph/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..f1d8037 --- /dev/null +++ b/eph/05/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# परमेश्वर का अनुकरण करो + +“तुम्हें परमेश्वर का स्वभाव आत्मसात करना है” + +# प्रिय बालकों के समान + +“हम परमेश्वर की सन्तान हैं इसलिए परमेश्वर चाहता है कि हम उसकी नकल करें”। + +# प्रेम में जीवन बिताओ + +“प्रेम आधारित जीवन जीओ” + +# सुखदायक सुगन्ध के लिए.... भेंट करके बलिदान कर दिया + +“परमेश्वर को प्रसन्न करने वाली सुगन्ध भेंट एवं बलिदान। diff --git a/eph/05/03.md b/eph/05/03.md new file mode 100644 index 0000000..893dc0a --- /dev/null +++ b/eph/05/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# व्यभिचार और किसी प्रकार के अशुद्ध काम या लोभ की चर्चा तक न हो... क्योंकि ये बातें शोभा नहीं देती। + +“परमेश्वर के लोगों में यौन संबन्धित अनाचार या कैसी भी अशुद्धता या लालच का नाम भी नहीं होना है क्योंकि उनमें यह अशोभनीय है” + +# व्यभिचार + +“यौन संबन्धित पाप” या “अनुचित यौन संबन्ध” + +# किसी प्रकार के अशुद्ध काम + +“कैसी भी अनैतिक बात” + +# लोभ + +“पराई वस्तु का लालच” + +# चर्चा तक न हो + +“तुममें इसका नाम भी न लिया जाए” या “तुम में दिखाई भी न दे” + +# शोभा नहीं देती + +“तुम्हारा आचरण परमेश्वर के पवित्र जनों का सा हो” + +# न निर्लज्जता न मूढ़ता, न ठट्ठे की... धन्यवाद ही सुना जाए + +“तुम्हारी बातों में धन्यवाद छलकता हो न कि चरित्रहीन मूर्खता की बातें या अभद्र चुटकुले हों” diff --git a/eph/05/05.md b/eph/05/05.md new file mode 100644 index 0000000..7f4a7c8 --- /dev/null +++ b/eph/05/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे + +“झूठे विवाद से कोई तुम्हें ठग न ले” या “कोई तुम्हें अर्थहीन शब्दों द्वारा पथ भ्रष्ट न करे” + +# इन ही कामों के कारण परमेश्वर का क्रोध... भड़कता है + +“ऐसे कामों के द्वारा मनुष्य परमेश्वर की अवज्ञा करता है तो उस पर परमेश्वर का क्रोध बरसता है”। + +# “इसलिए तुम उनके सहभागी न हो” + +“सुनिश्चित कर लो कि तुम उनके साथ बुरे आचरण के सहभागी न हो” diff --git a/eph/05/08.md b/eph/05/08.md new file mode 100644 index 0000000..3801f96 --- /dev/null +++ b/eph/05/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे + +जिस प्रकार मनुष्य अन्धकार में देख नहीं सकता उसी प्रकार पाप में जीवन जीने वाले आत्मिक समझ से वंचित होते हैं + +# परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो + +जिस प्रकार मनुष्य अन्धकार में देख नहीं सकता उसी प्रकार पाप में जीवन जीने वाले आत्मिक समझ से वंचित होते हैं + +# ज्योति के फल सब प्रकार की भलाई और धार्मिकता और सत्य है। + +विश्वासी के जीवन के काम (भलाई, सदाचार और सत्य) वैसे ही होते हैं जैसे एक अच्छे वृक्ष के उत्तम फल। + +# अन्धकार के निष्फल कामों में सहभागी ना हो” + +“पाप और अविश्वासियों के कुकर्मों में सहभागी ना हो” + +# अन्धकार के निष्फल कामों + +आत्मिक अन्धकार में वास करने वालों के काम ऐसे होते हैं जैसे अन्धकार में छिपे काम करने वालों के कार्य + +# उन पर असहमत हो + +“उन्हें प्रकट करो कि वे अनुचित हैं” diff --git a/eph/05/13.md b/eph/05/13.md new file mode 100644 index 0000000..15ebfdc --- /dev/null +++ b/eph/05/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वे सब ज्योति से प्रगट होते हैं + +संसार में अप्रकट वस्तुएं प्रकाश में दिखाई देती है, उसी प्रकार मसीह की ज्योति अविश्वासियों के आत्मिकता के दुष्ट कार्य आत्मिक संसार में प्रकट हो जाते है। + +# हे सोने वाले जागो और मुर्दों में से जी उठ + +अविश्वासियों को आत्मिक मृत्यु से जी उठना है ठीक वैसे ही जैसे एक मृतक को प्रतिक्रिया दिखाने के लिए जीवित होना पड़ता है। + +# “तो मसीह की ज्योति तुझ पर चमकेगी” + +मसीह अविश्वासी की इस योग्य बनाएगा कि वह क्षमादान और नवजीवन के प्रावधान को समझे, ठीक वैसे ही जैसे प्रकाश अदृश्य वस्तुओं को अन्धकार में से प्रकट करता है। diff --git a/eph/05/15.md b/eph/05/15.md new file mode 100644 index 0000000..5b436e4 --- /dev/null +++ b/eph/05/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इसलिए ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो + +“अतः तुम मूर्ख की अपेक्षा बुद्धिमान मनुष्य का सा जीवन जीओ”। मनुष्य पाप से बच तो नहीं सकता परन्तु बुद्धिमान मनुष्य पाप को पहचान कर उससे दूर भाग सकता है। + +# अवसर को बहुमूल्य समझो + +“समय का सुबुद्धि उपयोग करो”। हम पाप में जीवन जीने का चुनाव कर सकते है। जो समय का निर्बुद्धि पूर्ण उपयोग है। या हम वैसा जीवन जी सकते है जैसा प्रभु हमसे चाहता है तो हम अपना जीवन सुबुद्धि का उपयोग करते हैं + +# क्योंकि दिन बुरे हैं + +“दिन” अर्थात समय जिसमें वे वास कर रहे थे diff --git a/eph/05/18.md b/eph/05/18.md new file mode 100644 index 0000000..0170f2b --- /dev/null +++ b/eph/05/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# दाखरस से मतवाले न बनो + +“मदिरा पीकर बेसुध न हो” + +# पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ + +“इसकी अपेक्षा पवित्र आत्मा से भर जाना अच्छा है” + +# आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो” + +“परमेश्वर की स्तुति में विभिन्न गीत गाओ” + +# परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते रहो + +“सदैव धन्यवाद देते रहो” + +# अधीन रहो + +“दीनतापूर्वक अधीन रहो” diff --git a/eph/05/22.md b/eph/05/22.md new file mode 100644 index 0000000..f7240e8 --- /dev/null +++ b/eph/05/22.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# शरीर का दीया आंख है। + +“मसीह विश्वासियों की देह का उद्धारक है” या “मसीह सब विश्वासियों का मुक्तिदाता है” + +# पत्नियां भी हर बात में अपने-अपने पति के अधीन रहें + +“पत्नियां भी सब बातों में पति के अधीन रहें” diff --git a/eph/05/25.md b/eph/05/25.md new file mode 100644 index 0000000..2d21e4a --- /dev/null +++ b/eph/05/25.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# अपनी-अपनी पत्नी से प्रेम रखो + +“प्रेम” अर्थात निस्वार्थ, सेवाभावी परोपकारी प्रेम + +# अपने आपको उसके लिए दे दिया कि उसको...शुद्ध करके पवित्र बना है। + +“अपने आपको” अर्थात मसीह और “उसके” अर्थात कलीसिया के लिए (कलीसिया के सब विश्वासियों के लिए) + +# अपने आपको उसके लिए दे दिया + +“कलीसिया के लिए मसीह ने सर्वस्व त्याग दिया” + +# वचन के द्वारा जल के स्नान से शुद्ध करके + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) परमेश्वर के वचन और मसीह में जल के बपतिस्में द्वारा शोधन या 2) मसीह ने परामेश्वर के वचन द्वारा हमें आत्मिक पवित्रता प्रदान की जैसे हम जल से स्नान करके देह का शोधन करते हैं। + +# उसे ऐसी तेजस्वी कलीसिया बना कर अपने पास खड़ी करे + +“कि मसीह कलीसिया को अपने लिए तैयार करे” + +# न कलंक, न झुर्री + +एक ही विचार को दो शब्दों में व्यक्त किया गया है कि मसीह अपनी कलीसिया को सिद्ध बनायेगा। diff --git a/eph/05/28.md b/eph/05/28.md new file mode 100644 index 0000000..7fa2c01 --- /dev/null +++ b/eph/05/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अपनी देह के समान + +“जैसे वे अपनी देह से प्रेम करते हैं” + +# उसका पालन-पोषण करता है + +“वह उसकी सुधि लेता है” या “उसका स्मरण करता है” + +# इसलिए कि हम उसकी देह के अंग है + +“हम” अर्थात पौलुस और सब विश्वासी + +# इसलिए कि हम उसकी देह के अंग है + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) हम उसके विश्वासियों की देह के अंग हैं या 2) (अलौकिक अर्थ में) या 2) विश्वासी संगठित होकर मसीह की देह का निर्माण करते हैं जैसे शरीर के अंग संयोजित होकर मनुष्य की रचना करते है diff --git a/eph/05/31.md b/eph/05/31.md new file mode 100644 index 0000000..a4e5370 --- /dev/null +++ b/eph/05/31.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इसी कारण + +“यही कारण है कि” + +# अपनी-अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे + +“अपनी” एक पुरूष के संबन्ध में हैं। + +# पत्नी भी अपने पति का भय माने + +“पत्नी अपने पति का सम्मान करे” या “पत्नी अपने पति को श्रद्धा अर्पित करे” diff --git a/eph/06/01.md b/eph/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..d7aea4a --- /dev/null +++ b/eph/06/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# हे बालकों, प्रभु में अपने माता-पिता के आज्ञाकारी बनो + +पौलुस सन्तानों से कह रहा है कि अपने सांसारिक माता-पिता की आज्ञाओं का पालन करो। + +# कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे + +“तू” अर्थात इस्राएली जिन्हें मूसा संबोधित कर रहा था। “कि तू समृद्ध हो और पृथ्वी पर लम्बा जीवन पाए” diff --git a/eph/06/04.md b/eph/06/04.md new file mode 100644 index 0000000..56ccea7 --- /dev/null +++ b/eph/06/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# हे बच्चेवालों, अपने बच्चों को रिस न दिलाओ + +“पिता” ऐसे काम न करें कि सन्तान को क्रोध आए” या “पिता सन्तान को क्रोध न दिलाए” + +# प्रभु की शिक्षा और चेतावनी देते हुए उनका पालन-पोषण करे + +“उन्हें प्रभु की शिक्षा और प्रशिक्षण में बड़ा करो” diff --git a/eph/06/05.md b/eph/06/05.md new file mode 100644 index 0000000..11eabbd --- /dev/null +++ b/eph/06/05.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हे दासों... तुम्हारे स्वामी की .... आज्ञा मानो + +“हे दासों अपने सांसारिक स्वामियों की आज्ञाओं का पालन करो”। + +# अपने मन की सीधाई से डरते और कांपते हुए, जैसे मसीह की + +“दीनता में भय के साथ जैसे मसीह के प्रति” + +# डरते और कांपते हुए + +एक ही स्वामी को सम्मान देने के लिए ये दो शब्द हैं + +# मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों के समान दिखाने के लिए नहीं। + +“सदैव ऐसे काम करो जैसे तुम मसीह ही के लिए काम कर रहे हो चाहे तुम्हारे स्वामी तुम्हें देखते न हों”। + +# मसीह के दासों के समान + +“अपने सांसारिक स्वामी की ऐसी सेवा करो कि मानी वह मसीह स्वयं ही है”। + +# मनुष्यों को दिखाने के लिए सेवा न करो + +“सहर्ष सेवा करो क्योंकि तुम मनुष्यों मसीह के लिए सेवा करते हो” + +# तुम जानते हो कि जो कोई जैसा काम करेगा, प्रभु से वैसा ही पायेगा। + +“स्मरण रखो कि मनुष्य अपने अच्छे कामों का फल प्रभु से पायेगा। diff --git a/eph/06/10.md b/eph/06/10.md new file mode 100644 index 0000000..f7c8fb8 --- /dev/null +++ b/eph/06/10.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम प्रभु में और उसकी शक्ति के प्रभाव से बलवन्त बनो + +“प्रभु पर पूर्णतः निर्भर करो कि वह तुम्हें आत्मिक शक्ति दे” + +# परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो कि तुम शैतान की युक्तियों के सामने खड़े रह सको। + +विश्वासी परमेश्वर प्रदत्त सब संसाधनों का उपयोग करें कि शैतान के सामने दृढ़ता से खड़े रहें, जैसे एक सैनिक हथियार बान्ध कर बैरी के आक्रमण से अपना बचाव करता है। diff --git a/eph/06/12.md b/eph/06/12.md new file mode 100644 index 0000000..20a6e2a --- /dev/null +++ b/eph/06/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# इसलिए परमेश्वर के सारे हथियार बांध लो + +विश्वासी शैतान के साथ युद्ध करने के लिए परमेश्वर प्रदत्त सुरक्षात्मक सब संसाधनों का उपयोग जैसे एक सैनिक शत्रु से रक्षा के लिए हथियार बांधता है। diff --git a/eph/06/14.md b/eph/06/14.md new file mode 100644 index 0000000..dde4611 --- /dev/null +++ b/eph/06/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# सत्य से अपनी कमर कस कर + +सत्य विश्वासी के लिए सब कुछ संयोजित करता है जैसे कमर बन्ध सैनिक के सब वस्त्र एक साथ थामे रखता है + +# धार्मिकता की झिलम पहन कर + +धर्म का आचरण विश्वासी के सिर को वैसे ही सुरक्षित रखता है जैसे झिलम सैनिक के वक्ष को सुरक्षित रखती है। + +# सुसमाचार की तैयारी के जूते पहन कर + +जैसे सैनिक दृढ़ता से खड़े रहने के लिए जूते पहनता है वैसे ही विश्वासी भी शान्ति के शुभ सन्देश का ठोस ज्ञान रखता है कि वह सुनाने के लिए तैयार रहे। + +# विश्वास की ढाल + +परमेश्वर विश्वासी को विश्वास देता है कि शैतान के आक्रमण के समय उसका उपयोग ढाल के स्थान पर करें जैसे शत्रु के आक्रमण के समय एक सैनिक ढाल का उपयोग करता है। + +# जलते हुए तीरों से + +विश्वासी पर शैतान का आक्रमण वैसा ही होता है जैसा शत्रु विरोधी सैनिक पर अग्निबाण चलाता है diff --git a/eph/06/17.md b/eph/06/17.md new file mode 100644 index 0000000..39d6078 --- /dev/null +++ b/eph/06/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उद्धार का टोप + +परमेश्वर का उद्धार विश्वासी के मन की रक्षा करता है जैसे टोप सैनिक के सिर की रक्षा करता है। + +# आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है + +“पवित्र आत्मा प्रेरित, परमेश्वर का वचन, विश्वासी की शैतान से रक्षा तथा लड़ने के लिए काम में आता है जैसे एक सैनिक शत्रु लड़ने और आत्म रक्षा के लिए तलवार काम में लेता है। + +# हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना और विनती करे + +सदैव आत्मा में प्रार्थना करो और अपने विशेष निवेदन रखो” + +# कि सब पवित्र लोगों के लिए लगातार विनती किया करो + +“सब विश्वासियों के लिए लगातार सतर्कता के साथ प्रार्थना करो” diff --git a/eph/06/19.md b/eph/06/19.md new file mode 100644 index 0000000..b302ea4 --- /dev/null +++ b/eph/06/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मुझे.... प्रबल वचन दिया जाए + +“कि परमेश्वर मुझे अपना वचन दे” या “परमेश्वर मुझे सुनाने के लिए सन्देश दे” + +# कि मैं साहस के साथ सुसमाचार का भेद बता सकूं। + +“जब मैं प्रचार करूं तो साहसपूर्वक घोषणा करूं” + +# जिसके लिए मैं जंजीर में जकड़ा हुआ राजदूत हूं + +“मैं शुभ सन्देश का प्रतिनिधि होने के कारण कारागार में हूं” + +# कि मैं उसके विषय में.... साहस से बोलूं + +“कि मैं परमेश्वर का वचन कारागार में जैसा साहसपूर्वक वचन सुनाना है वैसे ही सुना पाऊं। diff --git a/eph/06/21.md b/eph/06/21.md new file mode 100644 index 0000000..fa32575 --- /dev/null +++ b/eph/06/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं कैसे रहता हूँ + +“मेरी परिस्थिति” या “मेरी दशा” + +# तुखिकुस + +पौलुस के साथ सेवा करने वालों में एक तुखिकुस भी था + +# सब बातें बताएगा + +“तुम्हें संपूर्ण समाचार देगा” (यू.डी.बी.) diff --git a/gal/01/01.md b/gal/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..be9fb8e --- /dev/null +++ b/gal/01/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जिसने उसको मरे हुओं में से जिलाया + +“जिसने मसीह यीशु को पुनःजीवित किया” + +# पौलुस....प्रेरित + +इसका अनुवाद हो सकता है, “प्रेरित पौलुस की ओर से” या “यह पत्र पौलुस की ओर से है जो एक प्रेरित है”। diff --git a/gal/01/03.md b/gal/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..54cf3a4 --- /dev/null +++ b/gal/01/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हमारे पापों के लिए + +“हमारे पापों का जो दण्ड हमारे लिए था उसे सहने के लिए” + +# कि वह इस वर्तमान बुरे संसार से छुड़ाए + +इस वर्तमान बुरे संसार से छुड़ाए -कि वह हमें आज के संसार में क्रियाशील बुरी शक्तियों से बचाए”। + +# हमारे परमेश्वर और पिता + +अर्थात “हमारे पिता परमेश्वर” वह हमारा परमेश्वर है और हमारा पिता भी है। diff --git a/gal/01/06.md b/gal/01/06.md new file mode 100644 index 0000000..ac20d7d --- /dev/null +++ b/gal/01/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# मुझे आश्चर्य होता है कि तुम इतनी जल्दी फिर गए + +इसका एक और संभावित अर्थ है, “मुझे आश्चर्य होता है कि तुम इतनी शीघ्र कैसे.... बदल गए”। + +# मुझे आश्चर्य होता है कि + +“यह देखकर मै चकित हूँ” + +# तुम फिर रहे हो + +फिर रहे हो -इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “तुम अपना मन बदलने लगे”। 2) “तुम अपनी स्वामिभक्ति बदलने लगे”। + +# जिसने तुम्हें बुलाया + +“परमेश्वर जिसने तुम्हें बुलाया” + +# मसीह के अनुग्रह में + +मसीह के अनुग्रह में - इसका अनुवाद हो सकता है, “मसीह के अनुग्रह के द्वारा” या “मसीह की अनुग्रहपूर्ण बलिदान के कारण” + +# पुरुष + +“मनुष्य” diff --git a/gal/01/08.md b/gal/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..0040e9f --- /dev/null +++ b/gal/01/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# सुसमाचार तुम्हें सुनाए + +“सुनाए” या “सुनाता हो” अर्थात यह कि ऐसा नहीं हुआ है और होना भी नहीं चाहिए। + +# कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए + +“शुभ सन्देश के अतिरिक्त” या “हमारे सन्देश के अतिरिक्त” + +# उसे शापित होना चाहिए + +“परमेश्वर झूठा सन्देश सुनाने वाले को सदा का दण्ड दे” (यू.डी.बी.) यदि आपकी भाषा में किसी को श्राप देने की विधि है तो उसका यहां उपयोग करें। + +# मैं क्या मनुष्यों को मनाता हूं या परमेश्वर को? या मैं मनुष्य को प्रसन्न करना चाहता हूँ? + +इन प्रभावोत्पादक प्रश्नों से अपेक्षा की गई है कि उत्तर नकारात्मक हो। इसका अनुवाद हो सकता है, “मैं मनुष्यों का नहीं” परमेश्वर का अनुमोदन खोजता हूं। मैं मनुष्यों को प्रसन्न करने की खोज में नहीं हूं”। + +# यदि मैं अब तक मनुष्यों को ही प्रसन्न करता रहता तो मसीह का दास न होता। + +“यदि” और “तो” दोनों ही तथ्यों के विपरीत है। इसका अनुवाद हो सकता है, “मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करने का प्रयास नहीं कर रहा हूं, मैं मसीह का सेवक हूं” या “यदि मैं मनुष्यों को प्रसन्न कर रहा हूं तो निश्चय ही मसीह का सेवक नहीं हूं”। diff --git a/gal/01/11.md b/gal/01/11.md new file mode 100644 index 0000000..da17079 --- /dev/null +++ b/gal/01/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वह मुझे मनुष्यों की ओर से नहीं पहुंचा और न मुझे सिखाया गया। + +“मैंने न तो सुसमाचार सुना और ना ही मनुष्यों ने मुझे उसकी शिक्षा दी”। + +# यह मुझे यीशु मसीह के प्रकाशन से मिला। + +इसका अर्थ हो सकता हैं 1) मसीह यीशु ने स्वयं मुझे यह शुभ सन्देश सौंपा” या 2) “परमेश्वर ने जब मुझे मसीह यीशु का दर्शन दिखाया तब उसने मुझे इस शुभ सन्देश से अवगत कराया। + +# मनुष्य की ओर से + +“मानवीय मूल से” diff --git a/gal/01/13.md b/gal/01/13.md new file mode 100644 index 0000000..379fb1e --- /dev/null +++ b/gal/01/13.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# बढ़ता जाता था। + +“उन्नति करता जा रहा था” या “आगे निकल रहा था” इस रूपक में पूर्व यहूदी होना है। पौलुस अपने युग के यहूदियों से आगे बढ़ता हुआ उस परिपूर्णता के स्थान की ओर अग्रसर था। + +# पहले का जीवन + +“एक समय का व्यवहार” या “पूर्व का जीवन” या “पूर्वकालिक जीवन”। + +# बहुत अधिक + +“अत्यधिक” या “अत्यन्त” या “सीमा के परे” + +# नष्ट करता था। + +“विनाश कर रहा था” + +# जातिवालों + +“समकालीन यहूदियों” + +# बाप दादों + +या “पूर्वजों” diff --git a/gal/01/15.md b/gal/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..ce6d7e7 --- /dev/null +++ b/gal/01/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसने मुझे अपने अनुग्रह से बुला लिया + +संभावित अर्थ “परमेश्वर ने मुझे सेवा हेतु बुलाया क्योंकि वह अनुग्रहकारी है” या 2) “अपने अनुग्रह के कारण मुझे बुलाया है”। + +# मुझ में अपने पुत्र को प्रगट करे + +संभावित अर्थ 1) “अपने पुत्र के ज्ञान की मुझे अनुभूति दे” या 2)“मेरे द्वारा संसार पर प्रकट करे कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है”। + +# उसका सुसमाचार सुनाऊं + +“परमेश्वर के पुत्र की घोषणा करूं” या “परमेश्वर के पुत्र का शुभ सन्देश सुनाऊं”। + +# तो न मैंने मांस और लहू से सलाह ली + +“शुभ सन्देश को समझने में मनुष्यों की सहायता नहीं ली” + +# चला गया + +“यात्रा की” diff --git a/gal/01/18.md b/gal/01/18.md new file mode 100644 index 0000000..00f2d63 --- /dev/null +++ b/gal/01/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# देखो, परमेश्वर को उपस्थित जानकर + +पौलुस गलातिया की कलीसियाओं पर स्पष्ट करना चाहता था कि वह पूर्णतः गंभीर है और कि परमेश्वर उसकी बातें सुन रहा है और यदि वह सत्य का बखान न करे तो दण्ड पायेगा। + +# जो बातें मैं तुम्हें लिखता हूं... वो झूठी नहीं + +“मैं जो लिख रहा हूं उसमें कुछ भी झूठ नहीं है” diff --git a/gal/01/21.md b/gal/01/21.md new file mode 100644 index 0000000..fdf706d --- /dev/null +++ b/gal/01/21.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# प्रान्तों में आया + +“उस समय के संसार में आया” + +# फिर भी + +"उस समय" + +# वे केवल यही सुना करते थे + +“परन्तु वे दूसरों से मेरे बारे में सुनते थे” + +# मेरा मुंह कभी नहीं देखा था + +“उन कलीसियाओं में किसी ने मुझे नहीं देखा था” diff --git a/gal/02/01.md b/gal/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..c113edc --- /dev/null +++ b/gal/02/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# गया + +“यात्रा की” यरूशलेम एक पहाड़ी प्रदेश है। यहूदी भी यरूशलेम को ऐसा स्थान मानते थे जो स्वर्ग के निकटतम है। अतः पौलुस अलंकृत भाषा काम में ले रहा है। + +# मुझे जाना चाहिए + +“यरूशलेम जाना” या “वहां जाना” + +# जो बड़े समझे जाते थे + +“विश्वासियो के अति महत्त्वपूर्ण अगुवे (यू.डी.बी.) + +# व्यर्थ + +“लाभ की न हो” या “निरर्थक परिश्रम” (यू.डी.बी.) diff --git a/gal/02/03.md b/gal/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..3c873dd --- /dev/null +++ b/gal/02/03.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# झूठे भाइयों के कारण हुआ जो चोरी से घुस आये थे + +“मसीही विश्वास का स्वांग रचते हुए गुप्त रूप से हानि करने आये थे”। + +# भेदिए + +“हानि पहुचाने के उद्देश्य से विश्वासियों की गतिविधियों का निरीक्षण करें। + +# स्वतंत्रता + +“मुक्त जीवन” (यू.डी.बी.) + +# व्यवस्था के दास बनाने के लिए + +“हमें विधान पालन के लिए विवश करें” यहां “विधान” का अर्थ है यहूदी रीति-रिवाज, विशेष करके खतना करवाना + +# एक घड़ी उनके अधीन होना + +“उनकी बात सुनना” या “उनकी शिक्षा के अधीन होना” + +# तुममें बनी रहे + +“तुम में अविनाशी रहे” या “तुम्हारे लिए अपरिवर्तनीय रहे”। + +# तुम्हारे लिए + +बहुवचन + +# वे चाहते थे + +“इन भेदियों की इच्छा थी” या “इन झूठे भाइयों की मनोकामना थी” diff --git a/gal/02/06.md b/gal/02/06.md new file mode 100644 index 0000000..e1bd1d8 --- /dev/null +++ b/gal/02/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# बजाए इसके वे + +“बजाए, अगुवे”। + +# “मुझे सौंपा गया” + +इसका अनुवाद कतृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है “परमेश्वर ने मुझे सौंपा”(देखें: ) + +# सुसमाचार सुनाने के लिए + +“शुभ सन्देश प्रसारण के लिए” diff --git a/gal/02/09.md b/gal/02/09.md new file mode 100644 index 0000000..07e9308 --- /dev/null +++ b/gal/02/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# संगति का दाहिना हाथ दिया + +“सहकर्मियों का स्वागत किया” या “सम्मानसहित स्वागत किया” + +# दाहिना हाथ + +इसका अनुवाद बहुवचन में किया जाए और स्पष्ट किया जाए कि किसके दाहिने हाथ, “उनके दाहिने हाथ” + +# कंगालों की सुधि लें + +“गरीबों की आवश्यकताओं की पूर्ति करें” diff --git a/gal/02/11.md b/gal/02/11.md new file mode 100644 index 0000000..8c79c4b --- /dev/null +++ b/gal/02/11.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उसके मुंह पर उसका सामना किया + +“व्यक्तिगत रूप में उसका सामना किया” या “मैंने स्वयं उसके कामों की आलोचना की” + +# पहले + +समय के परिप्रेक्षय में + +# वह पीछे हट गया + +“उनके साथ खाना खाना छोड़ दिया” + +# उनके डरके मारे + +“वह डरता था कि वे लोग उस पर अनुचित काम करने का दोष लगायेंगे” या “वह डरता था कि उसे गलत काम करने का दोष दिया जायेगा। + +# खतना किए हुए लोगों + +यहूदी + +# किनारा करने लगा + +“दूर हो गया” या “टालने लगा” diff --git a/gal/02/13.md b/gal/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..c9cb376 --- /dev/null +++ b/gal/02/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अन्य जाति को यहूदियों के समान चलने को तुम कैसे कह सकते हो? + +“अन्यजाति विश्वासियों को यहूदियों की प्रथाओं का पालन करने के लिए कहने में तू गलत है”। + +# विवश करता है + +कहता है diff --git a/gal/02/15.md b/gal/02/15.md new file mode 100644 index 0000000..6969c99 --- /dev/null +++ b/gal/02/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# शब्दों से + +(कुछ अनुवादकों के विचार में ये पद भी उस समय पौलुस द्वारा पतरस की आलोचना है)। + +# यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा + +"मसीह में विश्वास करके" + +# कोई प्राणी + +“कोई मनुष्य” diff --git a/gal/02/17.md b/gal/02/17.md new file mode 100644 index 0000000..5b7615d --- /dev/null +++ b/gal/02/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# कदापि नहीं + +“ऐसा कभी नहीं हो सकता” यह वाक्य पूर्वोक्त प्रभावोत्पादक प्रश्न का प्रबल नकारात्मक उत्तर देता है। आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका उपयोग करें। diff --git a/gal/02/20.md b/gal/02/20.md new file mode 100644 index 0000000..5d20b14 --- /dev/null +++ b/gal/02/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# व्यर्थ नहीं ठहराता + +“मैं निराकरण नहीं करता” (यू.डी.बी.) या “निरर्थक नहीं ठहराता” + +# यदि व्यवस्था के द्वारा धार्मिकता होती तो मसीह का मरना व्यर्थ होता + +अर्थात धार्मिकता विधान से नहीं प्राप्त होती है, इसलिए मसीह का मरना व्यर्थ नहीं है। + +# मसीह का मरना व्यर्थ होता + +“मसीह मर कर कुछ भी उपलब्ध नहीं कर पाता” diff --git a/gal/03/01.md b/gal/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..745364a --- /dev/null +++ b/gal/03/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# किसने तुम्हें मोह लिया? + +पौलुस कटाक्ष और प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा कह रहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि किसी ने उन पर जादू कर दिया है। वह यह तो नहीं मानता है कि किसी ने उन पर जादू कर दिया है। + +# मोह लिया + +यह शब्द मूल भाषा में जादू टोने और जादू करने का शब्द है। यहां इसे एक रूपक स्वरूप काम में लिया गया है। (यदि आपकी भाषा में जादू करने का अन्य कोई शब्द है तो यहां काम में लें।) + +# तुम्हारी मानों आंखों के सामने यीशु मसीह क्रूस पर दिखाया गया। + +यह भी एक प्रभावोत्पादक प्रश्न है। “मैंने तुम्हें स्पष्ट बताया कि उन्होंने मसीह यीशु को कैसे क्रूस पर चढ़ाया था”। (यू.डी.बी.) + +# मैं तुमसे केवल यह जानना चाहता हूं + +यह पद 1 का कटाक्ष है। पौलुस जो प्रभावोत्पादक पूछने जा रहा है, उसका उत्तर वह जानता है अपने अनुवाद में “यह” पर और केवल - पर बदल दें क्येांकि ये दो शब्द वाक्य में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण शब्द हैं। + +# यह + +अग्रिम तीन प्रश्नों के संदर्भ में है + +# तुमने आत्मा को क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के द्वारा पाया? + +“तुमने विधान का पालन करके नहीं परन्तु जो सुना उस पर विश्वास करके आत्मा पाया है” इस प्रश्न का अनुवाद यथासंभव एक प्रश्न ही में करें क्योंकि पाठक यहां एक प्रश्न पूछे जाने ही की अपेक्षा करेगा और यह भी सुनिश्चित करें कि पाठक जानता है कि इसका उत्तर है “जो सुना उस पर विश्वास करके” "न कि विधान का पालन करके।" + +# क्या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो? + +इस प्रभावोत्पादक प्रश्न में यही नहीं कहा गया है, “तुम (बहुवचन) बड़े मूर्ख हो” (यू.डी.बी.) वरन यह भी कि पौलुस उनकी मूर्खता पर चकित एवं क्रोधित है। + +# शरीर की रीति पर + +“अपने कामों पर” diff --git a/gal/03/04.md b/gal/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..d403c19 --- /dev/null +++ b/gal/03/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# क्या तुमने इतना दुःख व्यर्थ ही उठाया + +पौलुस उस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा गलातिया के विश्वासियों को उनके द्वारा कष्ट सहन कर स्मरण कराता है + +# इतना दुःख + +इसका अनुवाद हो सकता है, 1) “तुम्हारा संपूर्ण अनुभव अच्छा या बुरा” (यू.डी.बी.) 2) “इतना कष्ट सहा” क्योंकि मसीह को समर्पित हुए थे”। 3) “विधान के पालन में ऐसा परिश्रम किया”। + +# परन्तु कदाचित व्यर्थ नहीं + +इसका अनुवाद हो सकता है, 1) “किसी काम का नहीं, यदि तुम मसीह में विश्वास नहीं करते।”(यू.डी.बी.) 2) यह मानकर कि गलातिया प्रदेश के विश्वासी विधान पालन में परिश्रम करते थे, “यदि तुम्हारे काम निष्फल रहे” अर्थात वे कर्मों पर निर्भर थे मसीह पर नहीं, और परमेश्वर उन्हें विश्वासी नहीं मानेगा। + +# वह क्या व्यवस्था के कामों से या सुसमाचार पर विश्वास करने से ऐसा करता है। + +पौलुस गलातिया प्रदेश के विश्वासियों को पवित्र आत्मा ग्रहण करने का स्मरण कराते हुए एक और प्रभावोत्पादक प्रश्न पूछता है। “विधान पालन से नहीं विश्वास से सुनने के द्वारा ऐसा करता है”। + +# व्यवस्था के कामों से + +“अर्थात विधान में जो कहा गया है उसे करके” + +# विश्वास के समाचार से + +“जब हम शुभ सन्देश सुनकर यीशु में विश्वास करते हैं। diff --git a/gal/03/06.md b/gal/03/06.md new file mode 100644 index 0000000..8d0f14a --- /dev/null +++ b/gal/03/06.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उसके लिए धार्मिकता गिना गया + +परमेश्वर ने उसमें अब्राहम के विश्वास को देखा अतः उसे धार्मिकता ठहराया। + +# जो विश्वास करने वाले हैं + +“जो मनुष्य विश्वास करते हैं” + +# अब्राहम की सन्तान हैं। + +“अब्राहम के वंशज हैं” उससे उत्पन्न नहीं परन्तु अब्राहम के तुल्य धर्मनिष्ठ हैं। + +# पहले ही से + +“पूर्वज्ञान से” या “घटने से पूर्व देखा” क्योंकि परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की और उन्होंने उसे लिख लिया, इससे पूर्व की प्रतिज्ञा मसीह में पूरी हो। धर्मशास्त्र उस मनुष्य के सदृश्य है जो भावी घटना के होने से पहले जान लेता है। + +# तुझ में + +“तूने जो किया उसके कारण” (यू.डी.बी.) या “क्योंकि मैंने तुझे आशिष दी है”। + +# सब जातियां + +“संसार की सब जातियों” (यू.डी.बी.) परमेश्वर इस बात पर बल दे रहा था कि वह केवल यहूदियों को ही नहीं उसके चुने हुओं को ही नहीं अनुग्रह प्रदान कर रहा है। उसके उद्धार की योजना यहूदियों और अन्यजाति सब के लिए होगी। + +# विश्वास करने वाले हैं + +परमेश्वर पर विश्वास diff --git a/gal/03/10.md b/gal/03/10.md new file mode 100644 index 0000000..4deb254 --- /dev/null +++ b/gal/03/10.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते है, वे सब श्राप के अधीन हैं। + +विधान पर आधारित जीवन जीने वालों को सबको परमेश्वर सदाकालीन का दण्ड देगा। + +# यह बात प्रगट है कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहां कोई धर्मी नहीं ठहरता। + +“परमेश्वर ने स्पष्ट कह दिया है कि वह दण्ड देगा”। + +# वे + +“मनुष्य” + +# व्यवस्था के कामों को + +परमेश्वर के विधान + +# का पालन करेगा + +“के अनुसार जीवन जीएगा” या “उसके अधीन रहेगा” “निष्ठावान रहेगा” या “पालन करेगा” या “अनिवार्यता पूरी करेगा” + +# यह सब करने के लिए + +“संपूर्ण विधान की प्रत्येक आज्ञा मान लेगा” + +# धर्मी + +“मनुष्य जिन्हें परमेश्वर धर्मी मानता है” या “धर्मी मनुष्य” + +# विधान की बातें + +“विधान में लिखी हुई बातें” + +# उनके कारण जीवित रहेगा + +अर्थात 1) प्रत्येक बात का पालन करना था (यू.डी.बी.) 2) वह जीवित रहेगा क्योंकि वह विधान की अनिवार्यताओं का पालन करता है। diff --git a/gal/03/13.md b/gal/03/13.md new file mode 100644 index 0000000..d0b5fea --- /dev/null +++ b/gal/03/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हमारे लिए शापित बना + +“परमेश्वर ने हमारे स्थान पर उसे दण्ड दिया”। + +# जो कोई काठ पर लटकाया जाता है + +अर्थात जो मर गया उसे एक विशेष वृक्ष पर लटकाया जाता था। पौलुस अपने पाठकों से अपेक्षा करता था कि वे उसकी बात को समझ पाएं कि वह क्रूस पर लटकाया गए यीशु के विषय में कह रहा है। + +# हो चुके + +हो + +# हम + +समावेश, पौलुस स्वयं को भी अन्यजातियों के साथ गिन रहा था। diff --git a/gal/03/15.md b/gal/03/15.md new file mode 100644 index 0000000..67f3d67 --- /dev/null +++ b/gal/03/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मनुष्य की रीति पर + +“मनुष्य के विचार से” या “व्यक्ति रूप में” या “एक मनुष्य होने के नाते” + +# वंशों को + +“अनेक वंशजों को” + +# अब + +पौलुस एक सामान्य बात कह कर एक विशिष्ट बात कहता है। diff --git a/gal/03/17.md b/gal/03/17.md new file mode 100644 index 0000000..191bb17 --- /dev/null +++ b/gal/03/17.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जो वाचा परमेश्वर ने पहले से पक्की की थी उसकी व्यवस्था चार सौ तीस वर्ष के बाद आकर नहीं टाल सकती कि प्रतिज्ञा व्यर्थ ठहरे। + +“परमेश्वर ने वाचा बांधने के 430 वर्षों बाद विधान दिया परन्तु उसके द्वारा वाचा व्यर्थ नहीं हुई और इसी कारण प्रतिज्ञा अप्रभावी नहीं रही”। + +# से मिली + +“के माध्यम से” या “के द्वारा मिली” diff --git a/gal/03/19.md b/gal/03/19.md new file mode 100644 index 0000000..9923d82 --- /dev/null +++ b/gal/03/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तब फिर व्यवस्था क्यों दी गई? + +“तो विधान क्यों दिया गया” या “फिर परमेश्वर को विधान स्थापित करने की क्या आवश्यकता थी”? + +# बाद में दी गई + +“परमेश्वर ने बाद में दिया” + +# उस वंश + +“उन मनुष्यों” + +# वह स्वर्गदूतों के द्वारा एक मध्यस्थ के हाथ से ठहराई गयी। + +“स्वर्गदूत विधान लेकर आए और एक मध्यस्थ ने उसे कार्यकारी किया”। + +# बल से ठहराई गयी + +कार्यकारी करने का मार्ग तैयार किया + +# मध्यस्थ + +मूसा + +# मध्यस्थ में और लोग भी होते हैं + +“मध्यस्थ की उपस्थिति का अर्थ है कि मनुष्य एक से अधिक हैं” diff --git a/gal/03/21.md b/gal/03/21.md new file mode 100644 index 0000000..42eba99 --- /dev/null +++ b/gal/03/21.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# विरोध में + +“विरोधी है” या “स्पर्धा प्रतिवादी है” + +# यदि ऐसी व्यवस्था दी जाती जो जीवन दे सकती तो सचमुच धार्मिकता व्यवस्था से होती + +“यदि परमेश्वर प्रदत्त विधान उसके पालकों को जीवनक्षक बनाता तो हम विधान पालन द्वारा ही धर्मी ठहरते”। + +# परन्तु धर्मशास्त्र ने सबके पापों को अधीन कर दिया, तो वह प्रतिज्ञा जिसका आधार यीशु मसीह पर विश्वास करना है विश्वास करने वालों के लिए पूरी हो जाए। + +इसका अर्थ यह भी हो सकता है, क्योंकि हम पाप करते हैं, परमेश्वर ने सब बातें विधान के अधीन ऐसा कर दिया है जैसे कारागार में जिससे कि मसीह यीशु में विश्वास करने वालों से की गई प्रतिज्ञा परमेश्वर विश्वासियों को दे”। या “क्योंकि हम पाप करते हैं, परमेश्वर ने सब बातें विधान के अधीन बन्दी बना दी हैं। उसने ऐसा इसलिए किया कि उसने मसीह यीशु में विश्वास करने वालों से जो प्रतिज्ञा की है, उन्हें उनके लिए पूरी करे”। + +# धर्मशास्त्र + +धर्मशास्त्र का कर्ता परमेश्वर diff --git a/gal/03/23.md b/gal/03/23.md new file mode 100644 index 0000000..a0d3753 --- /dev/null +++ b/gal/03/23.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हम उसी के बन्धन में रहे + +विधान हमें कारागर के पहरूए के जैसा बन्धन में रखता था। + +# और विश्वास के प्रकाशन कि आने तक + +“जब तक परमेश्वर ने यह प्रकट नहीं कर दिया कि वह मसीह में विश्वास करनेवालों को धर्मी ठहराता है”। या “जब तक परमेश्वर ने यह स्पष्ट नहीं कर दिया कि वह मसीह में विश्वास करने वालों को धर्मी ठहराता है”। + +# मसीह तक पहुंचने के लिए + +“मसीह के आगमन तक” + +# ताकि हम धर्मी ठहरें + +“कि हमें धर्मी घोषित किया जाए”। परमेश्वर ने हमें धर्मी ठहराने की व्यवस्था मसीह तक पहुचने” से पूर्व ही तैयार कर ली थी। जब वह समय आ गया तब उसने हमें धर्मी ठहराने की योजना पूरी कर ली। + +# शिक्षक + +“यह मूल भाषा में एक शिक्षक से अधिक होता है। वह वास्तव में एक दास होता था जो सन्तान को नैतिक एवं फलदायी जीवन का प्रशिक्षण देता था। diff --git a/gal/03/27.md b/gal/03/27.md new file mode 100644 index 0000000..3cbc514 --- /dev/null +++ b/gal/03/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुम्हारे लिए + +इस गद्यांश में तुम सदैव बहुवचन में है। + +# तुमने मसीह को पहन लिया है + +इसके अर्थ हो सकते हें 1) “तुम वैसे ही मनुष्य हो गए हो जैसा मसीह है”, (यू.डी.बी.) या 2)“तुम्हारा संबन्ध परमेश्वर के साथ वैसा ही हो गया है जैसा मसीह का है”। + +# अब न कोई + +“अब” अन्तर नहीं रहा” या “परमेश्वर .... में कोई अन्तर नहीं देखता है। + +# यदि तुम मसीह के हो + +“यदि तुम मसीह के हो तो ....” diff --git a/gal/04/03.md b/gal/04/03.md new file mode 100644 index 0000000..2f06d21 --- /dev/null +++ b/gal/04/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हम + +सब विश्वासी, पौलुस के पाठक भी ) + +# संसार + +इसका संदर्भ सूर्य, चांद और सितारों से भी हो सकता है जो कुछ लोगों के विचार में पृथ्वी की सब गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं या यह अवैयक्तिक बातों के संदर्भ में भी हो सकता है जैसे नियम और नैतिक सिद्धान्त। + +# हो चुके + +या "क्या होगा" + +# भेजा + +“भेज दिया” या “पुत्र का अविर्भाव हुआ” diff --git a/gal/04/06.md b/gal/04/06.md new file mode 100644 index 0000000..ba1a19e --- /dev/null +++ b/gal/04/06.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अब्बा + +पौलुस की पारिवारिक भाषा में बच्चा अपने पिता को “अब्बा” कहता था परन्तु गलातिया वासियों की भाषा में नहीं। इस विदेशी भाषा के अभिप्राय को बनाए रखने के लिए अपनी भाषा में इस शब्द का अनुवाद आपसी भाषा में यथासंभव “अब्बा” का हो। + +# अपने पुत्र की आत्मा को... हमारे हृदयों में भेजा है। + +“अपने पुत्र की आत्मा को भेजा कि हमें सोचना एवं काम करना सिखाए”। + +# जो पुकारता है + +आत्मा पुकारता है + +# पुत्र.... पुत्र...पुत्रों + +पौलुस पुत्र शब्द का उपयोग करता है क्योंकि यहां उत्तराधिकार की बात हो रही है। इसकी और उसके पाठकों की संस्कृति में प्रायः सदैव नहीं, उत्तराधिकार पुत्रों का होता था। यहां पर पुत्रियों की विशेष चर्चा नहीं कर रहा है परन्तु उनके अलग भी नहीं कर रहा है। diff --git a/gal/04/08.md b/gal/04/08.md new file mode 100644 index 0000000..29d0153 --- /dev/null +++ b/gal/04/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# तुम्हारे लिए + +यहां तुम शब्द बहुवचन में है। + +# बातों को + +“वे बातें” या “वे आत्माएं” + +# परमेश्वर ने तुम को पहचाना + +“परमेश्वर तुम्हें जानता है”। + +# तुम क्यों फिर से फिरते हो? + +यह दो प्रभावोत्पादक प्रश्नों में पहला है इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम्हें लौटने की आवश्यकता नहीं...” + +# आदि शिक्षा + +इस उक्ति का अनुवाद वैसे ही करे जैसे अपने + +# क्या तुम दास होना चाहते हो? + +इस प्रभावोत्पादक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “या “ऐसा प्रतीत होता है कि तुम दास होना चाहते हो”। diff --git a/gal/04/10.md b/gal/04/10.md new file mode 100644 index 0000000..8fcdaee --- /dev/null +++ b/gal/04/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सावधानी से मनाते हो + +“पालन करते हो” या “मनाते हो” पौलुस उत्सवों एवं उपवासों के विषय में कह रहा है + +# जो परिश्रम मैंने तुम्हारे लिए किया + +“तुम्हें यीशु के बारे में शिक्षा देने में जो परिश्रम किया” यह शब्द नये नियम में बच्चों के लिए कभी काम में नहीं लिया गया है। + +# व्यर्थ ठहरे + +“निष्प्रभाव रहे” या “उद्देश्य प्राप्त न कर पाए” + +# तुम + +बहुवचन diff --git a/gal/04/12.md b/gal/04/12.md new file mode 100644 index 0000000..4aa6f1c --- /dev/null +++ b/gal/04/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# विनती करता हूं + +“निवेदन करता हूं” या “साग्रह अनुरोध करता हूं”। (यू.डी.बी.) यह शब्द पैसा या भोजन या सांसारिक वस्तुओं के निवेदन के लिए काम में नहीं लिया जाता था। + +# तुमने मेरा कुछ बिगाड़ा नहीं + +इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, “तुमने मेरा अच्छा सत्कार किया” तुमने मेरे साथ वैसा ही व्यवहार किया जैसा करना आवश्यक था”। + +# जो तुम्हारी परीक्षा का कारण थी + +इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, “तुम्हारे लिए मेरी देह में देखना जो कठिन था” + +# तुम्हारे लिए + +बहुवचन + +# तुच्छ समझा + +“उससे बहुत घृणा की” diff --git a/gal/04/15.md b/gal/04/15.md new file mode 100644 index 0000000..86786dd --- /dev/null +++ b/gal/04/15.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वह तुम्हारा आनन्द मनाने वहां गया?.... मैं तुम्हारा बैरी बन गया हूं? + +“परन्तु अब तुम प्रसन्न नहीं।”.... “तुम सोचते हो कि मैं तुम्हारा शत्रु हो गया हूं” (यू.डी.बी.) diff --git a/gal/04/17.md b/gal/04/17.md new file mode 100644 index 0000000..bef37d1 --- /dev/null +++ b/gal/04/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वे तुम्हें मित्र बनाना तो चाहते हैं.... तुम उन्हीं को मित्र बना लो... भली बात में हर समय मित्र बनाने का यत्न किया जाए। + +इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम्हारा पीछा करते हैं कि तुम उनके पीछे हो लो.... भली बातों का पीछा किया जाए”। इन तीनों स्थानों में पौलुस द्वारा एक ही शब्द के उपयोग पर ध्यान दें। + +# अलग करना + +स्वामिनिष्ठा में शारीरिक दूरी नहीं + +# उनके पीछे जाओ + +“जो वे कहते हैं, उसी को करो” + +# यह भी अच्छा है + +“यह भी अच्छा है कि वे ऐसा चाहते है”। diff --git a/gal/04/19.md b/gal/04/19.md new file mode 100644 index 0000000..af223b6 --- /dev/null +++ b/gal/04/19.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जब तक तुममें मसीह का रूप न बन जाए तब तक मैं तुम्हारे लिए फिर जच्चा की ही पीड़ाएं सहता हूं। + +जिस प्रकार प्रसव के समय एक स्त्री के प्रसव पीड़ा होती है उसी प्रकार पौलुस गलातिया प्रदेश के विश्वासियों के लिए कष्ट उठाता रहेगा कि वे मसीह के स्वरूप हो जाएं diff --git a/gal/04/21.md b/gal/04/21.md new file mode 100644 index 0000000..3704807 --- /dev/null +++ b/gal/04/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मुझे बताओ + +“मैं प्रश्न को सकारात्मक रूप में अनुवाद करना चाहता हूँ तो ऐसे अनुवाद को मैं तुमसे यह कहना चाहता हूं”। + +# क्या तुम व्यवस्था की नहीं सुनते? + +“क्या तुमने नहीं सुना कि विधान में क्या लिखा है”? या “तुम्हें सीखने की आवश्यकता है कि विधान वास्तव में क्या व्यक्त करता है”। पौलुस पद 22-23 में जो कहने जा रहा है उसकी भूमिका बांध रहा है। diff --git a/gal/04/24.md b/gal/04/24.md new file mode 100644 index 0000000..eda876c --- /dev/null +++ b/gal/04/24.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इन बातों को रूपात्मक रूप में व्यक्त किया जा सकता है। + +“इन दो पुत्रों की कहानी मैं जो कहने जा रहा हूं उसका प्रतिरूप है”। + +# सीनै पहाड़ की + +सीनै पर्वत वह स्थान था जहां मूसा ने इस्राएलियों को परमेश्वर का विधान सौंपा था + +# जिससे दास ही उत्पन्न होते हैं + +“इस वाचा के अधीन जो मनुष्य हैं वे दास के स्वरूप हैं जिन्हें विधान का पालन करना आवश्यक है। + +# दृष्टान्त + +“का प्रतिरूप है” + +# बालकों समेत दासत्व में है, + +हाजिरा दासी है और उसकी सन्तान भी दासी है, “हाजिरा के सदृश्य यरूशलेम भी एक दास है और उसके साथ उसकी सन्तान दास है”। (यू.डी.बी.) diff --git a/gal/04/26.md b/gal/04/26.md new file mode 100644 index 0000000..001f78c --- /dev/null +++ b/gal/04/26.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# स्वतंत्र + +बन्दी नहीं, दास नहीं + +# आनन्द कर + +“हर्षित हो” + +# गला खोलकर जय-जयकार कर + +चुप रहने की अपेक्षा अकस्मात ही पुकारने लगा diff --git a/gal/04/28.md b/gal/04/28.md new file mode 100644 index 0000000..0e666f5 --- /dev/null +++ b/gal/04/28.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# शरीर के अनुसार + +“मानवीय प्रयास से” या “मनुष्यों की रीति के अनुसार” अर्थात हाजिरा से अब्राहम ने इश्माएल को जन्म दिया। + +# आत्मा के अनुसार + +“आत्मा के कार्य द्वारा” diff --git a/gal/05/01.md b/gal/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..d1dbaaf --- /dev/null +++ b/gal/05/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हमें स्वतंत्र किया है + +आपके अनुवाद में “स्वतंत्र” शब्द का महत्त्व प्रकट होना है जो पिछले पदों में व्यक्त दासत्व के विपरीत हो। + +# अतः + +अतः - “हमारे लिए व्यक्त करो” + +# स्थिर रहो + +“जहां हो वही रहो” - चाहे कुछ मनुष्य तुम्हें पथभ्रष्ट होने पर विवश करें। + +# यदि तुम खतना कराओगे + +“यदि तुम यहूदी प्रथाओं में लौट कर आओगे” पौलुस “खतना” को यहूदी वाद के स्थान लें/काम में ले रहा है। diff --git a/gal/05/03.md b/gal/05/03.md new file mode 100644 index 0000000..235f925 --- /dev/null +++ b/gal/05/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जताए देता हूं + +“घोषणा करता हूं” या “गवाही देता हूं” + +# हर एक खतना कराने वाले के लिए + +“उस हर एक विश्वासी को जो यहूदी हो गया है” पौलुस “खतना को यहूदी के स्थान में काम में ले रहा है” + +# आभार मानेंगे + +“बन्धक” या “विवश है” या “दास है” + +# व्यवस्था द्वारा + +“आज्ञा पालन द्वारा” + +# तुम मसीह से अलग कर दिए गए हो + +“तुमने मसीह से संबन्ध विच्छेद किया” + +# व्यवस्था द्वारा धर्मी ठहरना चाहते हो + +संविधान पालन द्वारा परमेश्वर की दृष्टि में उचित घोषित किए जाने का मार्ग खोजते हो” + +# तुम अनुग्रह से गिर गये हो + +मसीह के अनुग्रह की आवश्यकता को स्वीकार न करने वाले मनुष्य की तुलना पौलुस उस मनुष्य से करता है जो ऊंचे स्थान से एक बुरे नीचे स्थान में गिर गया है। diff --git a/gal/05/05.md b/gal/05/05.md new file mode 100644 index 0000000..59435ec --- /dev/null +++ b/gal/05/05.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# क्योंकि + +“इसलिए कि” यह पद “मसीह से अलग” “गिर गए हो” का कारण दे रहा है। पद 4 + +# हम विश्वास से, आशा की हुई धार्मिकता की बाट जोहते हैं। + +इसका अर्थ 1) “हम विश्वास करके धर्मी होने के विश्वास की प्रतीक्षा में हैं” 2) हम विश्वास द्वारा प्राप्त धर्मी होने के आत्मविश्वास की प्रतीक्षा में हैं” + +# हम + +पौलुस और सब खतना विरोधी विश्वासी। वह संभवतः गलातिया प्रदेश के विश्वासियों को भी इसमें देखता है। + +# बाट जोहते हैं + +अपेक्षा में हैं, उत्साहित हैं, धीरज पाते हैं। + +# आशा की हुई धार्मिकता + +“हमें पूरा विश्वास है कि परमेश्वर हमें धर्मी घोषित कर देगा”। + +# न खतना और न खतनारहित + +यहूदी और गैर यहूदियों के लिए लाक्षणिक शब्द + +# पर केवल विश्वास, जो प्रेम के द्वारा प्रभाव डालता है + +“इसकी अपेक्षा परमेश्वर हमारे विश्वास की चिन्ता करता है जो मनुष्यों से प्रेम के द्वारा प्रकट होता है”। + +# तुम तो भली-भांति दौड़ रहे थे + +“तुम यीशु की शिक्षाओं पर चल रहे हो” + +# ऐसी सीख तुम्हारे बुलाने वाले की ओर से नहीं + +“जो तुम्हें ऐसी शिक्षा दे कर विवश करे वह परमेश्वर नहीं है, जिसने तुम्हें बुलाया” कि उसके हो। + +# सीख + +किसी को कुछ करने के लिए विवश करना कि वह जिस बात को सच मानता है उसके विमुख होकर भिन्न व्यवहार करे। diff --git a/gal/05/09.md b/gal/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..c87ad09 --- /dev/null +++ b/gal/05/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# मैं प्रभु पर तुम्हारे विषय में भरोसा रखता हूं + +“मुझे तुम पर भरोसा है क्योंकि परमेश्वर तुम्हारी सहायता करेगा”। + +# कि तुम्हारा कोई दूसरा विचार ना होगा + +कुछ लोग इसका अनुवाद करते हैं, “तुम मेरी बातों के अतिरिक्त और कुछ नहीं सोचोगे”। + +# विचार + +“विश्वास” + +# जो तुम्हें घबरा देता है....दण्ड पायेगा + +“मैं नहीं जानता कि तुम्हें भ्रमित करनेवाला कौन है परन्तु वह अवश्य दण्ड पाएगा”। + +# तुम्हें घबरा देता है + +“सत्य के विषय में तुम्हें डावांडोल करता है” (देखें यू.डी.बी.) या “तुम्हारे मध्य समस्या उत्पन्न करता है”। + +# अपना दण्ड पाएगा + +“परमेश्वर से दण्ड पाएगा” + +# कोई क्यों ना हो + +इसका अर्थ 1) पौलुस उन मनुष्यों के नाम नहीं जानता था जो गलातिया प्रदेश की कलीसियाओं को व्यवस्था का दास बनाना चाहते थे। 2) पौलुस चाहता था कि गलातिया के विश्वासी उन्हें भ्रमित करने वालों को नगण्य समझें चाहे वे धनवान या गरीब या बड़े या छोटे, या धर्मी या धर्मरहित हों diff --git a/gal/05/11.md b/gal/05/11.md new file mode 100644 index 0000000..bb07698 --- /dev/null +++ b/gal/05/11.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हे भाइयों यदि मैं अब तक खतना का प्रचार करता तो क्यों अब तक सताया जाता? + +“परन्तु जहां तक मेरी बात है, यदि मैं अब भी यह सिखाता कि उद्धार पाने के लिए खतना करवाना आवश्यक है तो वे मुझे सताते नहीं”। पौलुस प्रबल दावा करता है कि वह, पिछले पदों में चर्चित मनुष्यों के विपरीत गलातिया प्रदेश के विश्वासियों को खतना करवाने की शिक्षा नहीं दे रहा है + +# हे भाइयों + +“भाइयों और बहनों” यदि आपकी भाषा में ऐसा कोई शब्द है जिसमें स्त्री-पुरूष दोनों का भाव व्यक्त हो तो उसका यहां उपयोग करें। + +# फिर तो क्रूस की रुकावट जाती रही ? + +इसका अनुवाद कतृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है। “तब तो खतना क्रूस के रुकावट के कारण का निवारण कर देगा”। + +# क्रूस की ठोकर + +इस रूपक का अर्थ है कि क्रूस का सन्देश कुछ लोगों को विश्वास करने से रोकता है जैसे एक रुकावट का पत्थर किसी को मार्ग में चलने में बाधित करता है। + +# तुम्हारे लिए + +बहुवचन + +# अपना अंग ही काट डालें + +अर्थात 1) नपुंसक बन जाएं। 2) आत्मिक रूप से परमेश्वर के लोगों से पृथक हो जाएं। diff --git a/gal/05/13.md b/gal/05/13.md new file mode 100644 index 0000000..e1d1d87 --- /dev/null +++ b/gal/05/13.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# क्योंकि + +पौलुस (देखें: अपनी बात का यहां कारण देता है। + +# तुम स्वतंत्र होने के लिए बुलाए गए हो + +अर्थात 1) परमेश्वर ने तुम्हें अपना होने के लिए चुन लिया कि तुम स्वतंत्र हो” या 2) परमेश्वर ने तुम्हें स्वतंत्र होने की आज्ञा दी”। + +# हे भाइयों + +हे भाइयों - भाइयों और बहनों + +# केवल + +पौलुस कहता है कि स्वतंत्रता “शारीरिक कामों के लिए अवसर बने” ऐसा नहीं होना है। + +# शारीरिक कामों के लिए अवसर + +“तुम्हारे पापी स्वभाव को तुष्ट करने का अवसर विशेष करके स्वयं या पड़ोसियों को हानि पहुंचाने की बातें। + +# सारी व्यवस्था एक ही बात में पूरी हो जाती है + +अर्थात 1)“तुम संपूर्ण विधान को एक ही आज्ञा में रख सकते हो और वह है....” या 2) एक भी आज्ञा पालन द्वारा तुम सब आज्ञाओं का पालन कर सकते हो और वह है....” diff --git a/gal/05/16.md b/gal/05/16.md new file mode 100644 index 0000000..e60a5ed --- /dev/null +++ b/gal/05/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुम्हारे लिए + +बहुवचन + +# आत्मा के अनुसार चलो + +आत्मा के अनुसार चलो -चलना जीवन आचरण का रूपक है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने जीवन को पवित्र आत्मा के सामर्थ्य में जीओ या “आत्मा पर निर्भर होकर जीवन जीओ”। + +# तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे + +तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे - “तुम मानवीय प्रकृति की लालसा कि पाप को पूरी नहीं करोगे। + +# व्यवस्था के अधीन न रहे + +“मूसा के विधान पालन के लिए विवश न रहे” diff --git a/gal/05/19.md b/gal/05/19.md new file mode 100644 index 0000000..ba198e9 --- /dev/null +++ b/gal/05/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# शरीर के काम + +बुरे मानवीय स्वभाव के काम” + +# ऐसे-ऐसे काम करनेवालो परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे। + +“ऐसे-ऐसे काम करनेवालों को परमेश्वर प्रतिफल नहीं देता है” या “ऐसे काम करते रहने वालों को परमेश्वर प्रतिफल नहीं देता है”। diff --git a/gal/05/22.md b/gal/05/22.md new file mode 100644 index 0000000..cb6b1aa --- /dev/null +++ b/gal/05/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# आत्मा का फल + +आत्मा का फल - आत्मा जो उत्पन्न करता है। + +# ऐसे कामों के विरुद्ध में कोई व्यवस्था नहीं + +अर्थात 1) मूसा का विधान इनका विरोध नहीं करता है”, या 2) ऐसे विचार या कामों का विरोधी का नियम नहीं है। (यू.डी.बी.) + +# शरीर को उसकी लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है। + +“हमारे सांसारिक स्वभाव से उसकी लालसाओं और बुरी इच्छाओं के साथ मार डाला कि जैसे हमने उसे क्रूस पर कीलों से ठोक दिया” diff --git a/gal/05/25.md b/gal/05/25.md new file mode 100644 index 0000000..c4930cd --- /dev/null +++ b/gal/05/25.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित है + +“अगर हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं तो....”? “क्योंकि परमेश्वर के आत्मा ने हमें जीवित रखा है” + +# चलें भी + +यह शब्द सेना के साथ-साथ चलने का है और समुदाय में यीशु की शिक्षा का आचरण करने का रूपक है। (यू.डी.बी.) + +# चलें भी + +चलें भी - “हमें करना है” diff --git a/gal/06/01.md b/gal/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..daf3e05 --- /dev/null +++ b/gal/06/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यदि कोई मनुष्य + +यदि कोई मनुष्य - “यदि कोई” या “हम में से कोई” + +# किसी अपराध में पकड़ा भी जाए + +किसी अपराध में पकड़ा भी जाए - 1) किसी मनुष्य को उस कार्य में पकड़ा जाए, “पाप में देखा जाए”। या 2) किसी ने बुराई की इच्छा के बिना पाप किया, “हार कर पाप किया”। + +# तुम जो आत्मिक हो + +तुम जो आत्मिक हो - तुम (बहुवचन) में से जो आत्मा की अगुवाई में हो” + +# ऐसे को संभालो + +“पाप करने वाले का सुधार करो” या “पाप करने वाले को शिक्षा देकर सही मार्ग पर ले आओ” या परमेश्वर के साथ उचित संबन्ध में ले आओ। + +# नम्रता के साथ + +इसका अर्थ है कि सुधार करने वाले की अगुआई आत्मा कर रहा है। (देखें यू.डी.बी.) “नम्र स्वभाव के साथ” या “कोमलता के साथ” + +# अपनी भी चौकसी रखो कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो” + +इन शब्दों द्वारा पौलुस गलातिया के हर एक विश्वासी से बलपूर्वक कह रहा है कि वह सावधान रहे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “हर एक जन सतर्क रहे कि परीक्षा में न पड़े”। (यू.डी.बी.) “मैं तुम में से हर एक से कहता हूं कि अपने बारे में सावधान रहो...” + +# कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। + +कि तुम भी परीक्षा में न पड़ों - अन्यथा तुम भी पाप करने की परीक्षा में गिरो” या “कि तुम पाप करने के लिए प्रलोभित न हो”। यदि आप कतृवाच्य क्रिया काम में लेना चाहें तो “शैतान” शब्द का उपयोग नहीं करना ही उचित होगा क्योंकि इस पत्री में शैतान शब्द का उपयोग कहीं नहीं किया गया है। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “कि परीक्षा लेनेवाला तुम्हारी परीक्षा न ले”। diff --git a/gal/06/03.md b/gal/06/03.md new file mode 100644 index 0000000..734e312 --- /dev/null +++ b/gal/06/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# क्योंकि + +“क्योंकि” इसका अभिप्राय अग्रिम शब्द दर्शाते है कि गलातिया प्रदेश के विश्वासी क्यों 1) एक दूसरे का भार उठाओ”... या 2) “तुम परीक्षा में न पड़ो”। “अपने आपको कुछ समझता है”। + +# कुछ समझता है + +“महत्त्वपूर्ण मानता है” या “तुलना में अन्यों से कम है” + +# कुछ न होने पर + +“महत्त्वहीन होने पर” या “अन्यों से उत्तम नहीं” + +# हर एक व्यक्ति + +“प्रत्येक व्यक्ति” + +# हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाए + +“प्रत्येक विश्वासी अपने ही कामों से परखा जायेगा” या “प्रत्येक विश्वासी अपने ही कामों का लेखा देगा” + +# हर एक व्यक्ति + +“प्रत्येक व्यक्ति” diff --git a/gal/06/06.md b/gal/06/06.md new file mode 100644 index 0000000..72ca9bc --- /dev/null +++ b/gal/06/06.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# जो + +“जो व्यक्ति” + +# बोता है + +“विश्वासी द्वारा किए गए कामों के संदर्भ में है” + +# कटनी काटेगा + +यह रूपक मनुष्य के कामों के परिणाम का प्रतीक है + +# जो.... वह + +“जो मनुष्य.... वह मनुष्य” यहां पौलुस केवल पुरूषों के लिए नहीं कह रहा है। + +# शरीर के द्वारा.... बोता है + +“अपने पापी स्वभाव के काम करता है” + +# शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा + +“उसके पापी शरीर ने जो किया उसका दण्ड पाएगा”। + +# जो आत्मा के लिए बोता है + +“परमेश्वर के आत्मा को प्रसन्न करनेवाले काम करता है + +# जो आत्मा के लिए बोता है वह अनन्त जीवन की कटनी काटेगा। + +“परमेश्वर के आत्मा का प्रतिफल पाएगा अर्थात अनन्त जीवन पाएगा”। diff --git a/gal/06/09.md b/gal/06/09.md new file mode 100644 index 0000000..2431ef5 --- /dev/null +++ b/gal/06/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हम...साहस न छोड़ें + +हम... साहस न छोड़े” -इसका अनुवाद किया जा सकता है”, “हम करते रहें” + +# भले काम + +भले काम - मनुष्य के कल्याण के लिए, भले काम करना। + +# ठीक समय पर + +ठीक समय पर - “समय आने पर” या “परमेश्वर द्वारा निर्धारित समय पर” + +# इसलिए + +इसलिए - “इसके परिणाम स्वरूप” या “इसके कारण” + +# जैसे हमें अवसर मिले + +अवसर मिले - इसके अर्थ हो सकते है, 1) “हर समय अवसर मिलता है” या (यू.डी.बी.) 2) “प्रत्येक अवसर पर” + +# विशेष करके + +विशेष करके - “सबसे अधिक उनके साथ” या “विशेष करके उनके साथ” + +# विश्वासी भाइयों + +“जो मसीह में विश्वास के कारण परमेश्वर के परिवार के हैं” diff --git a/gal/06/11.md b/gal/06/11.md new file mode 100644 index 0000000..ea5938b --- /dev/null +++ b/gal/06/11.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# बड़े-बड़े अक्षरों में + +पौलुस 1) निम्नलिखित बातों पर बता देना चाहता है या 2) कि यह पत्र उसका ही है। + +# अपने हाथ से लिखा है + +इसके अर्थ हो सकते हैं 1) पौलुस ने किसी से यह पत्र लिखवाया परन्तु वह अन्तिम भाग पौलुस ने लिखा था। 2) संपूर्ण पत्र ही पौलुस ने लिखा। + +# शारीरिक दिखावा + +“मनुष्यों से प्रशंसा पाना चाहते है” या “मनुष्यों में अच्छी छवि बनाना चाहते हैं”। + +# शारीरिक + +“प्रकट प्रमाण” या “स्वयं के प्रयास द्वारा” + +# दबाव डालते हैं + +“विवश करते हैं” या “प्रबल प्रभाव डालते हैं” + +# ताकि वे मसीह के क्रूस के लिए सताए न जाए + +“कि वे इस गवाही के कारण यहूदियों द्वारा सताए न जाएं कि केवल क्रूस के द्वारा उद्धार है। + +# क्रूस + +“यीशु के क्रूस के काम” या “यीशु की मृत्यु एवं पुनरूत्थान” यहां अभिप्राय लकड़ी के क्रूस से नहीं है। + +# वे चाहते हैं + +“जो तुम्हें खतना करवाने के लिए विवश करते हैं वे चाहते है”। + +# कि तुम्हारी शारीरिक दशा पर घमण्ड करें + +कि तुम्हें खतना के लिए विवश करने वालों के पास गर्व का कारण हो। diff --git a/gal/06/14.md b/gal/06/14.md new file mode 100644 index 0000000..60b9118 --- /dev/null +++ b/gal/06/14.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# पर ऐसा न हो कि मैं अन्य किसी बात का घमण्ड करूं। + +“मैं केवल क्रूस पर घमण्ड करूं” + +# ऐसा न हो + +“मैं नहीं चाहता कि कभी ऐसा हो” या “परमेश्वर दया करे कि मैं ऐसा कभी न करूं। इस अभिव्यक्ति द्वारा पौलुस की प्रबल इच्छा प्रकट होती है कि ऐसा न हो। आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो यहां काम में ली जाए। + +# जिसके द्वारा + +जिसके द्वारा - इसका संदर्भ है 1) मसीह या 2) “क्रूस” “जिसके द्वारा” + +# संसार मेरी दृष्टि में .... क्रूस पर चढ़ाया गया + +“मैं संपूर्ण संसार को मृतक मानता हूं” या “मैं संसार को एक अपराधी मानता हूं जिसे परमेश्वर ने क्रूस पर मार डाला”। + +# मैं संसार की दृष्टि में + +“संसार मुझे मृतक समझता है” या “संसार मुझे एक अपराधी मानता है जिसे परमेश्वर ने क्रूस पर मार डाला। + +# यह संसार + +इसके अर्थ हैं 1) संसार के निवासी जो परमेश्वर की चिन्ता नहीं करते या 2) परमेश्वर को नहीं मानने वाले मनुष्यों के लिए महत्त्वपूर्ण बातें। + +# कुछ हैं + +परमेश्वर के लिए “महत्त्वपूर्ण” + +# एक नई सृष्टि + +इसके अर्थ हैं 1) मसीह में नया विश्वासी 2) विश्वासी का नया जीवन + +# जितनो ने + +“वे सब” + +# उन पर और परमेश्वर के इस्राएल पर शान्ति और दया होती रहे। + +इसके अर्थ हैं 1) विश्वासी सामान्यतः परमेश्वर का इस्राएल है (यू.डी.बी.) या 2) अन्य जाति विश्वासियों को परमेश्वर की दया और शान्ति प्राप्त हो तथा इस्राएल को भी परमेश्वर की दया और शान्ति प्राप्त हो। diff --git a/gal/06/17.md b/gal/06/17.md new file mode 100644 index 0000000..04403a9 --- /dev/null +++ b/gal/06/17.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# आगे को + +आगे को -इसके अर्थ हैं “अन्ततः” या “इस पत्र के अन्त में” + +# कोई मुझे दुःख न दे + +इसके अर्थ हैं 1) पौलुस गलातिया के विश्वासियों से कह रहा है कि वे अब उसे दुःखी न करें। “मैं अन्त में यही कहता हूं कि मुझे दुःख न दो”। या 2) पौलुस गलातिया प्रदेश के विश्वासियों को लिख रहा है कि वह सबसे कहता है कि वे उसके लिए दुःख का कारण न उत्पन्न करें”। या 3) पौलुस अपनी इच्छा प्रकट कर रहा है मैं नहीं चाहता कि कोई मुझे दुःख दे”। + +# मुझे कष्ट दे + +अर्थात 1) “मुझसे इन बातों की चर्चा करे” (यू.डी.बी.) या 2) मुझे कष्ट दे। या “मुझे परिश्रम के लिए विवश करे”। + +# क्योंकि मैं यीशु के दागों को अपनी देह में लिए फिरता हूं। + +क्योंकि मैं मसीह के दागों को अपनी देह में लिए फिरता हूं - “यीशु की सेवा के कारण मेरी देह पर घावों के दाग हैं। 2) या “मेरी देह पर घावों के दाग हैं क्योंकि मैं यीशु का हूं”। + +# दाग + +1) युद्ध में जो घाव हुए उनके दाग या किसी जोखिम भरे काम के कारण सेवक की देह पर जो घाव आए उनके दाग या 2) दास पर दागे गए दाग + +# हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे। + +हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारे आत्मा के साथ रहे -मैं प्रार्थना करता हूं कि प्रभु यीशु तुम्हारी आत्मा पर दया करे”। + +# हे भाइयों + +“भाइयों और बहनों” या “परमेश्वर के परिवार के सदस्यों” diff --git a/heb/01/01.md b/heb/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..fafd4ab --- /dev/null +++ b/heb/01/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# प्रकाश + +“ज्योति” + +# तत्त्व की छाप + +पुत्र को देखकर परमेश्वर का बोध होता है कि वह कैसा है + +# उसके सामर्थ्य का वचन + +“वचन के सामर्थ्य ” + +# पापों को धोकर + +“उसने हमें पापों से शुद्ध कर दिया है” diff --git a/heb/01/04.md b/heb/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..e0fb6bd --- /dev/null +++ b/heb/01/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# स्वर्गदूतों में से उसने कब किसी से कहा + +“क्योंकि परमेश्वर ने कब किसी भी स्वर्गदूत से नहीं कहा...” + +# और फिर यह + +“और फिर उसने स्वर्गदूतों में से किसी में से किसी ने नहीं कहा” diff --git a/heb/01/06.md b/heb/01/06.md new file mode 100644 index 0000000..7f87c83 --- /dev/null +++ b/heb/01/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अपने सेवकों + +स्वर्गदूत + +# आत्मा...धधकती आग + +संभावित अर्थ हैं 1) वह स्वर्गदूतों को आत्मा बताता है जो आग के सदृश्य उसकी सेवा करते हें। (यू.डी.बी.) वह हवा और आग को अपने सन्देशवाहक बनाता है। diff --git a/heb/01/08.md b/heb/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..5a6921a --- /dev/null +++ b/heb/01/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# पुत्र के विषय में वह कहता है + +“पुत्र के विषय परमेश्वर कहता है” + +# राजदण्ड + +राजा या रानी द्वारा अपना अधिकार दर्शाने का दण्ड + +# हर्षरूपी तेल से उसका अभिषेक किया + +“तुझे और अधिक आनन्द किया है” + +# हर्षरूपी तेल + +संभावित अर्थ हैं 1) वे लोग उत्सव के समय सुगन्धित तेल लगाते थे। (यू.डी.बी.) इसी तेल से राज्याभिषेक के समय राजाओं का अभ्यंजन किया जाता था और उस समय परमेश्वर प्रदत्त सम्मान से आनन्द प्राप्त होता था। diff --git a/heb/01/10.md b/heb/01/10.md new file mode 100644 index 0000000..f9c4ac2 --- /dev/null +++ b/heb/01/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +लेखक धर्मशास्त्र के संदर्भ से सिद्ध करता है, कि पुत्र स्वर्गदूतों से कहीं अधिक श्रेष्ठ है। + +# नष्ट हो जायेंगे + +जीर्णशीर्ण हो जायेंगे + +# वस्त्र + +कपड़ो + +# लपेटेगा + +जब पुराने वस्त्रों को काम में नहीं लेते तो उनके साथ क्या करते हैं, उस क्रिया शब्द का उपयोग करें। + +# वस्त्र + +बागा या बाहरी वस्त्र + +# अन्त ना होगा + +“कभी समाप्त नहीं होंगे” diff --git a/heb/01/13.md b/heb/01/13.md new file mode 100644 index 0000000..dbab11e --- /dev/null +++ b/heb/01/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पीढ़ी + +बैठते समय पावों को रखने की चौकी + +# जब तक कि + +वे जो + +# क्या वे सब आत्माएं नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: “सभी स्वर्ग दूत वे आत्माएं हैं जो....” diff --git a/heb/02/01.md b/heb/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..145ed1a --- /dev/null +++ b/heb/02/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# दूर चले जाएं + +"भरमाए गए" + +# स्थिर रह + +सत्य सिद्ध हुआ + +# हर एक अपराध और आज्ञा न मानने का ठीक-ठीक बदला मिला + +वैकल्पिक अनुवाद: “पाप करने वाला और आज्ञाकारी प्रत्येक मनुष्य न्यायोचित दण्ड पाएगा”। diff --git a/heb/02/02.md b/heb/02/02.md new file mode 100644 index 0000000..d189b4a --- /dev/null +++ b/heb/02/02.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# निश्चित रहकर + +“चिन्ता नहीं करते” या “स्वीकार नहीं करते” + +# बांटने के द्वारा + +वितरण के द्वारा + +# परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार + +“ठीक वैसे ही जैसे वह करना चाहता था” diff --git a/heb/02/07.md b/heb/02/07.md new file mode 100644 index 0000000..1c8d30d --- /dev/null +++ b/heb/02/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मनुष्य जाति + +मनुष्य जाति + +# अधिकार दिया + +वैकल्पिक अनुवाद: “उसने सब उसके अधीन कर दिया” diff --git a/heb/02/09.md b/heb/02/09.md new file mode 100644 index 0000000..60b454c --- /dev/null +++ b/heb/02/09.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# स्वर्गदूतों से कुछ ही कम + +इसका अनुवाद वैसा ही करे जैसा में किया है। diff --git a/heb/02/11.md b/heb/02/11.md new file mode 100644 index 0000000..d01f037 --- /dev/null +++ b/heb/02/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उन्हें भाई कहने से नहीं लजाता + +“वह उन्हें भाई कहने में प्रसन्न होता है” diff --git a/heb/02/13.md b/heb/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..7092189 --- /dev/null +++ b/heb/02/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# और वह कहता है + +वैकल्पिक अनुवाद: “एक भविष्यद्वक्ता ने धर्मशास्त्र में एक संदर्भ लिखा है कि मसीह ने परमेश्वर के बारे में क्या कहा है” (यू.डी.बी.) + +# लड़के मांस और लहू के भागी हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “सब मनुष्य हैं” (यू.डी.बी.) + +# जीवन भर दासत्व में फंसे थे + +यह एक रूपक है और मृत्यु के डर से दासत्व का द्योतक है। diff --git a/heb/02/16.md b/heb/02/16.md new file mode 100644 index 0000000..060a3c5 --- /dev/null +++ b/heb/02/16.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# छुड़ा ले + +वैकल्पिक अनुवाद: “प्राप्त कर ले” diff --git a/heb/03/01.md b/heb/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..699c4c2 --- /dev/null +++ b/heb/03/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अंगीकार करते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “जिसे हम अपना कहते है” या “जिसमें हम विश्वास करते हैं” diff --git a/heb/03/05.md b/heb/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..4c7138b --- /dev/null +++ b/heb/03/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परमेश्वर घर में + +परमेश्वर के परिवार के लोग + +# आशा के घमण्ड पर + +“जिसमें हम गर्व करते हैं कि हमें आशा है” diff --git a/heb/03/09.md b/heb/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..0f9c179 --- /dev/null +++ b/heb/03/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# क्रोधित रहा + +“अप्रसन्न रहा” + +# उनके मन सदा भटकते रहते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “वे मेरे अनुसरण से सदा इन्कार करते हैं” + +# वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएंगे + +“मैं उन्हें अपनी उपस्थिति में प्रवेश नहीं करने दूंगा”। diff --git a/heb/03/12.md b/heb/03/12.md new file mode 100644 index 0000000..fc790eb --- /dev/null +++ b/heb/03/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तुम में ऐसा बुरा और अविश्वासी मन न हो + +तुम में से किसी में भी बुरा और विश्वासविरोधी मन न हो”। + +# जो तुम्हें जीवते परमेश्वर से दूर हटा ले जाए + +“ऐसा मन जो तुम्हें विधर्मी बनाए” एक नया वाक्य बनाएं “विमुख न हो” + +# जीवते परमेश्वर + +संभावित अर्थ हैं 1) “सच्चा परमेश्वर जो जीवित है” (यू.डी.बी.) या 2) “जीवन दाता परमेश्वर” + +# जिस दिन तक आज का दिन कहा जाता है + +जब तक कि अवसर है + +# ना कोई पाप के छल में आकर कठोर हो जाए + +“हठीला होकर मनुष्य को धोखा देने दे और पाप करे” (यू.डी.बी.) या “तुम पाप करके स्वयं को धोखा दो और हठीले हो जाओ” diff --git a/heb/03/14.md b/heb/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..f7054f2 --- /dev/null +++ b/heb/03/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्योंकि हम + +लेखक एवं सब विश्वासी + +# भरोसे पर + +“पूर्ण विश्वास पर” + +# अन्त तक + +मृत्यु तक + +# उसका शब्द + +“परमेश्वर की वाणी” या “परमेश्वर जो कहता है” + +# कठोर + +देखें कि आपने इसका अनुवाद” में कैसे किया है। diff --git a/heb/03/16.md b/heb/03/16.md new file mode 100644 index 0000000..7995065 --- /dev/null +++ b/heb/03/16.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वे उसके विश्राम में प्रवेश न कर पाएंगे + +“परमेश्वर उन्हें अपने स्थान में विश्राम नहीं करने देगा”। + +# हम + +लेखक और उसके पाठक diff --git a/heb/04/01.md b/heb/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..1b9aab2 --- /dev/null +++ b/heb/04/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इसलिए + +क्योंकि परमेश्वर आज्ञा न मानने वालों को निश्चय ही दण्ड देगा + +# ऐसा न हो कि तुम में से कोई जन उससे वंचित रह जाए ([HEB 3:19](../03/16.md)) + +“परमेश्वर तुममें से किसी से न कहे कि वह उसके स्थान में विश्राम नहीं करेगा” या “परमेश्वर तुम सबके लिए कहे कि तुम उसके स्थान में प्रवेश करोगे” + +# हमें....चाहिए + +लेखक और पाठकों को + +# हमें + +लेखक और पाठकों को + +# सुनने वालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा + +वैकल्पिक अनुवाद: “जिन्होंने मसीह का शुभ सन्देश तो सुना पर विश्वास नहीं किया”। diff --git a/heb/04/03.md b/heb/04/03.md new file mode 100644 index 0000000..c5d0b15 --- /dev/null +++ b/heb/04/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जगत की उत्पत्ति के समय से उसके काम पूरे हो चुके थे। + +वैकल्पिक अनुवाद: “यह योजना उसके द्वारा ब्रह्माण्ड की रचना से पूर्व की पूर्णतः प्राप्त कर चुकी थी”। + +# ये मेरे विश्राम में प्रवेश न कर पाएंगे + +“ये मेरे स्थान में विश्राम करने नहीं पाएंगे”। diff --git a/heb/04/06.md b/heb/04/06.md new file mode 100644 index 0000000..1c662bd --- /dev/null +++ b/heb/04/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परमेश्वर के लोगों के लिए सब्त का विश्राम बाकी है। + +“परमेश्वर अब भी कुछ लोगों को अपने साथ विश्राम करने देता है” + +# उसका शब्द + +“परमेश्वर “ या “परमेश्वर जो कहता है” (देखे: ) + +# अपने मनों को कठोर न करे। + +वैकल्पिक अनुवाद: “हठ करके उसकी अवज्ञा मत करो” diff --git a/heb/04/08.md b/heb/04/08.md new file mode 100644 index 0000000..aab7139 --- /dev/null +++ b/heb/04/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है + +“जो परमेश्वर की उपस्थिति में उसके साथ विश्राम कर रहे हैं” + +# हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें + +“हमें परमेश्वर के साथ विश्राम करने का यथासंभव परिश्रम करना है”। + +# प्रयत्न करें + +“इच्छुक होना है” + +# आज्ञा न मानकर गिर पड़े + +वैकल्पिक अनुवाद: “उसी प्रकार आज्ञा न मानो” + +# उनके समान + +“जंगल में परमेश्वर की आज्ञा न मानने वालों के समान” diff --git a/heb/04/12.md b/heb/04/12.md new file mode 100644 index 0000000..171acdb --- /dev/null +++ b/heb/04/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# परमेश्वर का वचन + +परमेश्वर के लिखित और उच्चारित शब्द + +# जीवित और प्रबल + +परमेश्वर का वचन ऐसा है जैसे जीवित है और वह सामर्थी है। + +# हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है + +“परमेश्वर का वचन हमारे अन्तरतम भाग में प्रवेश करता है” + +# मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है + +परमेश्वर का वचन हमारे गुप्त विचारों को भी प्रकट करता है। and + +# उसकी आंखों के सामने सब वस्तुएं खुली और प्रकट हैं। + +“हमारे जीवन का न्याय करनेवाला परमेश्वर सब कुछ देख सकता है” diff --git a/heb/04/14.md b/heb/04/14.md new file mode 100644 index 0000000..2671a03 --- /dev/null +++ b/heb/04/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हमारा ऐसा महायाजक नहीं जो.... हमारे साथ दुःखी न हो सके + +“हमारे पास ऐसा महायाजक है जो हमसे सहानुभूति रखता है”। + +# निष्पाप निकला + +वैकल्पिक अनुवाद: “उसने पाप नहीं किया” + +# अनुग्रह के सिंहासन + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर का सिंहासन जहां अनुग्रह है” या “जहां अनुग्रहकारी परमेश्वर अपने सिंहासन पर बैठा है।” diff --git a/heb/05/01.md b/heb/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..ee82353 --- /dev/null +++ b/heb/05/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मनुष्यों ही के लिए.... ठहराया जाता था + +वैकल्पिक अनुवाद: “उनका प्रतिनिधित्व करता था” + +# उसे चाहिए कि + +वैकल्पिक अनुवाद: “उसके लिए आवश्यक था” diff --git a/heb/05/06.md b/heb/05/06.md new file mode 100644 index 0000000..65fd021 --- /dev/null +++ b/heb/05/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वह दूसरी जगह में भी कहता है + +परमेश्वर और एक स्थान में भी कहता है। diff --git a/heb/05/07.md b/heb/05/07.md new file mode 100644 index 0000000..9be0e8a --- /dev/null +++ b/heb/05/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अपनी देह में रहने के दिनों में + +वैकल्पिक अनुवाद: “जब वह पृथ्वी पर रहता था”। diff --git a/heb/05/09.md b/heb/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..95910ac --- /dev/null +++ b/heb/05/09.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम ऊंचा सुनने लगे हो + +तुम ऊंचा सुनने लगे हो - “तुम समझने में मन्दबुद्धि हो” (यू.डी.बी.) “तुम सुनना नहीं चाहते”। diff --git a/heb/05/12.md b/heb/05/12.md new file mode 100644 index 0000000..59b34b5 --- /dev/null +++ b/heb/05/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अब तक दूध ही चाहिए + +आत्मिक आधारभूत सत्य + +# अन्न + +“कठिन आत्मिक सत्य” diff --git a/heb/06/01.md b/heb/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..464fc7d --- /dev/null +++ b/heb/06/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# आगे बढ़ते जाएं + +वैकल्पिक अनुवाद: “हमें प्रगति करनी चाहिए” + +# हाथ रखने + +यह एक अभ्यास था जिसके द्वारा किसी विशेष सेवा या पद के लिए किसी को पृथक किया जाता था। diff --git a/heb/06/04.md b/heb/06/04.md new file mode 100644 index 0000000..02447c6 --- /dev/null +++ b/heb/06/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जो स्वर्गीय वरदान का स्वाद चख चुके हैं + +जो स्वर्गीय वरदान का स्वाद चख चुके हैं यह उन विश्वासियों के संदर्भ में है जिनका परमेश्वर ने उद्धार किया है। + +# जो परमेश्वर के उत्तम वचन का... स्वाद चख चुके हैं। + +यह उन विश्वासियों के संदर्भ में है जिन्होंने स्वयं परमेश्वर के वचन का अनुभव किया है। + +# वे परमेश्वर के पुत्र को अपने लिए फिर क्रूस पर चढ़ाते हैं। + +परमेश्वर से विमुख होने का अर्थ है यीशु को फिर से क्रूस पर चढ़ाना(देखन: ) + +# भटक गया + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर से विमुख हो जाएं” diff --git a/heb/06/09.md b/heb/06/09.md new file mode 100644 index 0000000..87afa38 --- /dev/null +++ b/heb/06/09.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# परमेश्वर अन्यायी नहीं कि.... भूल जाए + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर न्यायसंगत है और भूलता नहीं” diff --git a/heb/06/11.md b/heb/06/11.md new file mode 100644 index 0000000..e2ecba8 --- /dev/null +++ b/heb/06/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# विश्वासियों के लिए सलाह की उत्तरकथा + +यह निर्देश दिया जाता के विश्वासी इस सम्बन्ध में बने रहे। + +# बुद्धिमानी + +सावधानी के साथ परिश्रम + +# आलसी + +मन्दल + +# अनुकरण + +किसी के व्यवहार की नकल करना diff --git a/heb/06/13.md b/heb/06/13.md new file mode 100644 index 0000000..948ecdb --- /dev/null +++ b/heb/06/13.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# कहा + +परमेश्वर ने कहा diff --git a/heb/06/19.md b/heb/06/19.md new file mode 100644 index 0000000..8dc29e0 --- /dev/null +++ b/heb/06/19.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अगुआ के रूप में + +“जो हमसे पहले मरा” diff --git a/heb/07/01.md b/heb/07/01.md new file mode 100644 index 0000000..d12c408 --- /dev/null +++ b/heb/07/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जिसका न पिता.... है + +मलिकिसिदक का पिता नहीं था + +# जिसके दिनों का न आदि है और जीवन का अन्त है। + +मलिकिसिदक के न तो आरंभ की और न अन्त की जानकारी है। diff --git a/heb/07/04.md b/heb/07/04.md new file mode 100644 index 0000000..9fba507 --- /dev/null +++ b/heb/07/04.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# लेवी की सन्तान में से जो याजक का पद पाते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “लेवी के वंशज जो पुरोहित बने” लेवी की सब वंशज पुरोहित नहीं हुए थे। diff --git a/heb/07/07.md b/heb/07/07.md new file mode 100644 index 0000000..aae5adb --- /dev/null +++ b/heb/07/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# देह में था + +यहां संपूर्ण देह के लिए सामान्य शब्द का उपयोग करें diff --git a/heb/07/11.md b/heb/07/11.md new file mode 100644 index 0000000..478e015 --- /dev/null +++ b/heb/07/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तो फिर क्या आवश्यकता थी कि दूसरा याजक हारुन मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो? + +वैकल्पिक अनुवाद: “दूसरे पुरोहित की किसी को भी आवश्यकता नहीं थी जो मलिकिसिदक का सा हो न कि हारून का सा”। diff --git a/heb/07/15.md b/heb/07/15.md new file mode 100644 index 0000000..a02d686 --- /dev/null +++ b/heb/07/15.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# शारीरिक आज्ञा के अनुसार नहीं + +मसीह लेवी वंश के बिना पुरोहित है + +# तू मलिकिसिदक की रीति पर युगानयुग का याजक है + +वैकल्पिक अनुवाद: “मलिकिसिदक के समान” diff --git a/heb/07/18.md b/heb/07/18.md new file mode 100644 index 0000000..52b83be --- /dev/null +++ b/heb/07/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# व्यवस्था ने किसी बात को सिद्ध नहीं किया + +इससे स्पष्ट होता है कि “विधान अशक्त एवं व्यर्थ है” अतः उसका निराकरण किया जाए। + +# पास आनेवाला + +“निकट आ सकते हैं”। diff --git a/heb/07/20.md b/heb/07/20.md new file mode 100644 index 0000000..79402f9 --- /dev/null +++ b/heb/07/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मसीह की नियुक्ति बिना शपथ नहीं हुई + +किसी को तो शपथ खानी थी कि हमें और भी अधिक उत्तम कोई बात प्राप्त होती कि उसमें आशा बन्धी रहती” या “.... कि मसीह एक पुरोहित होता” + +# तू युगानयुग याजक है + +“तू एक पुरोहित है और शाश्वत है”। diff --git a/heb/07/22.md b/heb/07/22.md new file mode 100644 index 0000000..590f442 --- /dev/null +++ b/heb/07/22.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जामिन + +“आश्वासन” या “प्रतिज्ञा” + +# उसका याजक पद अटल है + +“वह शाश्वत पुरोहित है” diff --git a/heb/07/25.md b/heb/07/25.md new file mode 100644 index 0000000..5c4709d --- /dev/null +++ b/heb/07/25.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इसलिए + +“क्योंकि मसीह हमारा अनन्तकालीन याजक है”। + +# इसके स्थान + +“उसने हमारे लिए जो किया उसके कारण” diff --git a/heb/07/27.md b/heb/07/27.md new file mode 100644 index 0000000..c69fa3a --- /dev/null +++ b/heb/07/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसे आवश्यकता नहीं + +वैकल्पिक अनुवाद: “मसीह को आवश्यकता नहीं” + +# व्यवस्था.... नियुक्त करती है + +“परमेश्वर ने विधान में नियुक्ति की है” + +# उस शपथ का वचन, जो व्यवस्था के बाद खाई गई उस पुत्र को नियुक्त किया। + +“विधान देने के बाद परमेश्वर ने शपथ खाकर अपने पुत्र को नियुक्त किया।” + +# जो... सिद्ध किया गया है + +“जिसने परमेश्वर का पूर्ण आज्ञापालन किया और सिद्ध हुआ” diff --git a/heb/08/03.md b/heb/08/03.md new file mode 100644 index 0000000..445cd91 --- /dev/null +++ b/heb/08/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# प्रतिरूप और प्रतिबिम्ब + +“रूप रेखा” + +# नमूना + +“आरूप” diff --git a/heb/08/06.md b/heb/08/06.md new file mode 100644 index 0000000..aa7a8b0 --- /dev/null +++ b/heb/08/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यीशु को मिली + +“परमेश्वर ने मसीह को दी” + +# निर्दोष + +सिद्ध diff --git a/heb/08/08.md b/heb/08/08.md new file mode 100644 index 0000000..ead339e --- /dev/null +++ b/heb/08/08.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# देखो + +वैकल्पिक अनुवाद: “प्रतीति करो” या “सुनो” या “मैं जो कहने जा रहा हूं उस बात पर ध्यान दो”। diff --git a/heb/09/01.md b/heb/09/01.md new file mode 100644 index 0000000..1c368d5 --- /dev/null +++ b/heb/09/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +लेखक पहली और दूसरी वाचा में तुलना कर रहा है। + +# पहली वाचा + +इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। + +# नियम + +“विस्तृत निर्देश” या “नियमावली” या “उपदेश” + +# क्योंकि + +लेखक उसी परिचर्चा को आगे बढ़ा रहा है जो में की गई है। + +# पहले तम्बू में + +“इस्राएलियों ने तैयार किया” + +# भेंट की रोटियां + +“परमेश्वर के समक्ष भेंट की गई रोटियां” (यू.डी.बी.) diff --git a/heb/09/03.md b/heb/09/03.md new file mode 100644 index 0000000..703647b --- /dev/null +++ b/heb/09/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# दूसरा पर्दे के पीछे + +पहला पर्दा तम्बू का बाहरी भाग था। दूसरा पर्दा पवित्र स्थान और परम पवित्र स्थान को विभाजित करता था। + +# उसमें + +“वाचा के सन्दूक में” + +# फूल फल आ गए थे + +“फूल आ गये थे” या “कोपलें निकल आई थी” या “उग कर विकसित हो गई थी” + +# वाचा की पट्टियां + +“एक समतल पत्थर की पट्टी जिस पर लिखा हुआ था” + +# आकृति + +किसी की प्रतिमा + +# उसके ऊपर दोनों तेजोमय करूब थे + +“उस पर करूब छाया किए हुए थे” + +# प्रायश्चित के ढकने पर + +“वाचा के सन्दूक के ऊपर” diff --git a/heb/09/06.md b/heb/09/06.md new file mode 100644 index 0000000..14341e5 --- /dev/null +++ b/heb/09/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ये वस्तुएं इस रीति से तैयार हो चुकीं + +वैकल्पिक अनुवाद: “जब पुरोहितों ने यह सब तैयार कर लिया” + +# तैयार हो चुकी + +“पूरा कर लिया” + +# बिना लहू लिए नहीं + +“उसे सदैव चढ़ाना होता था” या “सदैव भेंट करना होता था”। diff --git a/heb/09/08.md b/heb/09/08.md new file mode 100644 index 0000000..cb15568 --- /dev/null +++ b/heb/09/08.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# मार्ग प्रगट नहीं हुआ + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने अब तक वह मार्ग प्रकट नहीं किया था” + +# पवित्र स्थान में + +संभावित अर्थ 1) “पृथ्वी पर मिलापवाले तम्बू का भीतरी कक्ष” (यू.डी.बी.) या 2) “स्वर्ग में परमेश्वर की उपस्थिति” + +# जब तक पहला तम्बू खड़ा है + +संभावित अर्थ हैं 1) “मिलापवाले तम्बू का बाहरी कक्ष” (देखें: यू.डी.बी.) या 2) “बलि की प्रथा चल रही है” + +# दिखाता है + +“चित्रण” + +# वर्तमान समय + +“अब” + +# आराधना करनेवालों के विवेक सिद्ध नहीं हो सकते + +“आराधकों को दोषमुक्ति प्रदान नहीं कर सकता” + +# स्नान विधि + +“नियम” या “प्रतिकात्मक मृत्यु” + +# शारीरिक नियम + +“शरीर से संबन्धित नियम” + +# सुधार के समय तक के लिए नियुक्त किए गए थे + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर के यह सब नियम शरीर से संबन्धित थे” + +# आनेवाली + +“नई वाचा” diff --git a/heb/09/11.md b/heb/09/11.md new file mode 100644 index 0000000..6621552 --- /dev/null +++ b/heb/09/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अपनी अच्छी वस्तुओं + +“नई व्यवस्था” + +# पवित्र स्थान + +स्वर्ग में परमेश्वर की उपस्थिति diff --git a/heb/09/13.md b/heb/09/13.md new file mode 100644 index 0000000..e02eda2 --- /dev/null +++ b/heb/09/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अपवित्र लोगों पर छिड़का जाना + +पुरोहित अपवित्र लोगों पर वह राख छिड़कता था + +# तो मसीह का लहू जिसने अपने आपको सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्वर के सामने निर्दोष चढ़ाया तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करो? + +मसीह ने स्वयं को परमेश्वर के सम्मुख शाश्वत पवित्र आत्मा के द्वारा निर्दोष बलि किया और उसका लहू हमें परमेश्वर की सेवा निमित्त मृतक कर्मो से शुद्ध करता है”। + +# मसीह का लहू ....विवेक को...शुद्ध करेगा + +क्योंकि यीशु जो स्वयं को बलि चढ़ा दिया इसलिए हमने जो पाप किए हैं उनके लिए हममें पाप को दोषी अन्तकरण नहीं होना है। + +# विवेक + +लेखक और पाठकों के विवेक + +# इसी कारण + +“परिणामस्वरूप” या “अतः” + +# प्रतिज्ञा + +“दण्ड” + +# बुलाए गए लोग + +जिन्हें परमेश्वर ने नियुक्त किया या अपनी सन्तान होने के लिए चुन लिया diff --git a/heb/09/16.md b/heb/09/16.md new file mode 100644 index 0000000..d5aea14 --- /dev/null +++ b/heb/09/16.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वाचा + +वैधानिक वसीयत। किसी के मरणोपरान्त किसी को वैधानिक उत्तराधिकार diff --git a/heb/09/18.md b/heb/09/18.md new file mode 100644 index 0000000..c2d0c1a --- /dev/null +++ b/heb/09/18.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इसीलिए पहली वाचा भी बिना लहू के नहीं बांधी गई थी + +वैकल्पिक अनुवाद: “अतः परमेश्वर ने पहली वाचा भी रक्त से बांधी थी” + +# लहू लेकर, पानी... उस पुस्तक पर और सब लोगों पर छिड़क दिया + +“पुरोहित जूफा रक्त और पानी में डूबाकर उसे हिलाता था कि रक्त और पानी की बूंदे पुस्तक पर और मनुष्यों पर गिरें। + +# जूफा + +जूफा एक पौधा होता था जिसे धार्मिक संस्कारों में काम में लिया जाता था। diff --git a/heb/09/21.md b/heb/09/21.md new file mode 100644 index 0000000..50a3713 --- /dev/null +++ b/heb/09/21.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# छिड़क दिया + +देखें कि इसका अनुवाद में कैसे किया है। + +# पात्र + +“जिसमें कुछ रखा जाए” या “बर्तन” + +# सेवा + +“पुरोहितों के द्वारा की गई सेवा” + +# सब वस्तुएं लहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं + +“याजक शोधन के लिए रक्त काम में लेता था” diff --git a/heb/09/23.md b/heb/09/23.md new file mode 100644 index 0000000..d323ba7 --- /dev/null +++ b/heb/09/23.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इसलिए अवश्य है कि स्वर्ग की वस्तुएं के प्रतिरूप इन बलिदानों के द्वारा शुद्ध किए जाएं + +“पुरोहितों के लिए आवश्यक था कि स्वर्ग की वस्तुओं की जो नकल यहां हैं उन्हें पशुओं के बलि द्वारा शुद्ध करें। + +# पर स्वर्ग में की वस्तुएं स्वयं इनसे उत्तम बलिदानों के द्वारा शुद्ध की जाती। + +वैकल्पिक अनुवाद: “जहां तक स्वर्गीय वस्तुओं की बात है, परमेश्वर को उन्हें कहीं अधिक उत्तम बलि से शुद्ध करना था जो पार्थिव प्रतिरूपों के शोधन साधन की अपेक्षा अति उत्तम था।” diff --git a/heb/09/25.md b/heb/09/25.md new file mode 100644 index 0000000..97c5146 --- /dev/null +++ b/heb/09/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# प्रवेश नहीं किया + +उसने स्वर्ग में प्रवेश नहीं किया, + +# पार्थिव तम्बू के पवित्र स्थान में नहीं + +यह नहीं वह अपने आप को बार-बार चढ़ाए + +# जगत की उत्पत्ति से लेकर + +"जब से परमेश्वर ने सृष्टि की रचना की" + +# प्रकट हुआ + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने अपने आप को प्रकट किया" ) diff --git a/heb/09/27.md b/heb/09/27.md new file mode 100644 index 0000000..17b9763 --- /dev/null +++ b/heb/09/27.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मसीह.... बलिदान हुआ + +वैकल्पिक अनुवाद: “मसीह ने स्वयं को बलि चढ़ाया” diff --git a/heb/10/01.md b/heb/10/01.md new file mode 100644 index 0000000..75d2cb8 --- /dev/null +++ b/heb/10/01.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# उनका असली स्वरूप + +“वास्तविक वस्तुएं नहीं” + +# पास आनेवाला + +“आराधना के लिए आनेवालों” (यू.डी.बी.) या “निकट आनेवालों” + +# नहीं तो उनका चढ़ाना बन्द क्यों न हो जाता + +“वे उन बलियों को चढ़ाना समाप्त कर देते” + +# बन्द क्यों न हो जाता + +“समाप्त हो जाता” + +# नहीं तो + +“परिस्थिति में” + +# एक ही बार शुद्ध हो जाते + +“उन्हें परमेश्वर शुद्ध कर देता” + +# विवेक + +“अस्तित्व का बोध” + +# पापों का स्मरण हुआ करता है + +“परमेश्वर मनुष्यों को उनके पापों का स्मरण कराता है” + +# प्रतिवर्ष + +“हर साल” + +# वह अनहोना है कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे। + +“बैलों और बकरों का रक्त पापमोचन नहीं हो सकता है”। diff --git a/heb/10/05.md b/heb/10/05.md new file mode 100644 index 0000000..3db7750 --- /dev/null +++ b/heb/10/05.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मेरे लिए एक देह तैयार की + +“तूने मेरे लिए शरीर तैयार किया है” diff --git a/heb/10/08.md b/heb/10/08.md new file mode 100644 index 0000000..01bdb70 --- /dev/null +++ b/heb/10/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# ऊपर तो वह कहता है + +वैकल्पिक अनुवाद: “जैसा मैंने अभी कहा, यीशु कहता है” + +# बलिदान और भेंट और होमबलियों + +इनका वैसा ही अनुवाद करें जैसा आपने + +# वे बलिदान + +वैकल्पिक अनुवाद: नया वाक्य बनाएं, ये सब वे बलिदान हैं जिन्हें मनुष्य चढ़ाता है। + +# देख + +“अब मैं जो बात कहने जा रहा हूं उस पर ध्यान दो” + +# इसी इच्छा से हम... पवित्र किए गए हैं + +“परमेश्वर चाहता था कि मसीह स्वयं की अपनी बलि चढ़ाए और उस बलि ने हमें पवित्र बना दिया है”। diff --git a/heb/10/11.md b/heb/10/11.md new file mode 100644 index 0000000..6460668 --- /dev/null +++ b/heb/10/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परन्तु + +यह अग्रिम शब्दों का संयोजक शब्द है + +# इसके बैरी उसके पांवों के नीचे की पीढ़ी बनें + +“परमेश्वर ने मसीह के बैरियों को नीचे गिराकर पूर्णतः लज्जित कर दिया है”। किसी को किसी के पावों के नीचे कर देना बड़ी लज्जा की बात होती है। + +# उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं + +“जिन्हें परमेश्वर पवित्र करता है” diff --git a/heb/10/15.md b/heb/10/15.md new file mode 100644 index 0000000..67761a8 --- /dev/null +++ b/heb/10/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पहला + +इससे पूर्व कि में उसने जो कहा। + +# उनसे + +जो पवित्र हो गए हैं + +# उन दिनों के बाद + +“प्रथम वाचा के संपन्न होने के बाद” diff --git a/heb/10/17.md b/heb/10/17.md new file mode 100644 index 0000000..d960f05 --- /dev/null +++ b/heb/10/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# फिर + +के बाद + +# फिर कभी स्मरण न करूंगा + +“मैं कभी स्मरण नहीं करूंगा” + +# क्षमा हो गई + +“परमेश्वर ने क्षमा कर दिया” diff --git a/heb/10/19.md b/heb/10/19.md new file mode 100644 index 0000000..59689a9 --- /dev/null +++ b/heb/10/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अति पवित्र स्थान + +परमेश्वर की उपस्थिति में + +# यीशु की देह + +वैकल्पिक अनुवाद: “उसकी मृत्यु” + +# परदे + +पार्थिव मन्दिर में परदा परमेश्वर की उपस्थिति और मनुष्यों को पृथक करता दर्शाता है। + +# परमेश्वर के घर का + +“सब विश्वासियों का” + +# पूरे विश्वास के साथ + +विश्वास की अनुभूति के साथ + +# हृदय पर छिड़काव करके + +वैकल्पिक अनुवाद: “जिन हृदयों पर परमेश्वर ने यीशु का रक्त छिड़क कर पवित्र कर दिया है” + +# छिड़क दिया + +देखें कि इसका अनुवाद आपने में कैसे किया है। diff --git a/heb/10/23.md b/heb/10/23.md new file mode 100644 index 0000000..a8485ba --- /dev/null +++ b/heb/10/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें + +“मनुष्यों में घोषणा करें कि हमें पूर्ण निश्चय है क्येांकि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा पूरी करेगा”। + +# इकट्ठा होना न छोड़ें + +“डावांडोल न हों” + +# उस दिन को निकट आते देखो + +वैकल्पिक अनुवाद: “यीशु के पुनः आगमन का दिन निकट आता दिखे” diff --git a/heb/10/26.md b/heb/10/26.md new file mode 100644 index 0000000..f3c234a --- /dev/null +++ b/heb/10/26.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जानबूझ कर + +“संपूर्ण समझ के साथ” + +# पापों के लिए फिर कोई बलिदान बाकी नहीं + +“परमेश्वर से पापों की क्षमा प्राप्त करने के लिए तब ऐसा कोई बलिदान नहीं कि हम चढ़ा पाएं”। diff --git a/heb/10/28.md b/heb/10/28.md new file mode 100644 index 0000000..69383f0 --- /dev/null +++ b/heb/10/28.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# दो या तीन + +“2 या 3” + +# वह और भी भारी दण्ड के योग्य ठहरेगा....? + +वैकल्पिक अनुवाद: “यह एक भयता का दण्ड था परन्तु .... के लिए दण्ड और भी अधिक भयानक होगा” + +# परमेश्वर के पुत्र को पावों से रौंदा + +मसीह के काम के अपमान की गंभीरता को दर्शाने का यह शाब्दिक चित्रण है। परमेश्वर के पुत्र के काम का तिरस्कार किया” + +# रौंदा + +“पांवों से कुचलना” + +# वाचा के लहू को जिसके द्वारा वह पवित्र ठहराया गया था। + +“जिस रक्त के द्वारा परमेश्वर ने उसे पवित्र किया था” + +# अनुग्रह के आत्मा + +“परमेश्वर का आत्मा जो अनुग्रह प्रदान करता है” diff --git a/heb/10/30.md b/heb/10/30.md new file mode 100644 index 0000000..260602e --- /dev/null +++ b/heb/10/30.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# हम जानते हैं। + +लेखक और सब विश्वासी जानते हैं। + +# जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना + +वैकल्पिक अनुवाद: “दण्ड के भागी होना” diff --git a/heb/10/32.md b/heb/10/32.md new file mode 100644 index 0000000..bff9d43 --- /dev/null +++ b/heb/10/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तुम ज्योति पाकर + +“सत्य की शिक्षा पाकर” + +# निन्दा और क्लेश सहते हुए तमाशा करे + +“मनुष्यों ने सबके सामने तुम्हारा अपमान करके और सताकर तुम्हारा ठट्ठा किया”। + +# तुम + +निन्दा करनेवालों, कारागार में डालने वालों और सम्पत्ति लूटनेवालों के विपरीत विश्वासी diff --git a/heb/10/35.md b/heb/10/35.md new file mode 100644 index 0000000..37a3aa3 --- /dev/null +++ b/heb/10/35.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# टल जायेंगे + +निकम्मी और निष्काम वस्तु की नाई + +# बहुत ही थोड़ा समय रह गया है + +“अतिशीघ्र” diff --git a/heb/10/38.md b/heb/10/38.md new file mode 100644 index 0000000..084605d --- /dev/null +++ b/heb/10/38.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +भविष्यद्वक्ता के वचन से चला रहे हैं। + +# मेरा धर्मी जन + +“मेरा निष्ठावान अनुयायी” diff --git a/heb/11/01.md b/heb/11/01.md new file mode 100644 index 0000000..6fb89df --- /dev/null +++ b/heb/11/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पुराने नियम के भक्त विश्वास का जीवन जीते थे। + +# विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का... प्रमाण है + +“जब कोई निश्चय के साथ आशा करता है तो उसका आधार विश्वास से होता है।” + +# इसी के विषय में + +“क्योंकि उन्हें उस बात का निश्चय था जो उन्होंने अभी तक देखी नहीं थी”। + +# प्राचीनों की अच्छी गवाही दी गई + +“परमेश्वर ने विश्वास के कारण हमारे पूर्वजों का अनुमोदन किया था” diff --git a/heb/11/04.md b/heb/11/04.md new file mode 100644 index 0000000..257a9ea --- /dev/null +++ b/heb/11/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उत्तम + +“कहीं अच्छा” + +# वह.... अब तक बातें करता है + +“हाबिल का काम आज तक हमें शिक्षा देता है” diff --git a/heb/11/05.md b/heb/11/05.md new file mode 100644 index 0000000..3806d34 --- /dev/null +++ b/heb/11/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया कि मृत्यु को न देखे + +वैकल्पिक अनुवाद: “विश्वास ही के साथ हनोक मरा नहीं वरन परमेश्वर ने उसे उठा लिया था”। + +# मृत्यु को न देखे + +“मरे नहीं” + +# यह गवाही दी गई थी कि उसने परमेश्वर को प्रसन्न किया। + +यह गवाही दी गई थी कि उसने परमेश्वर को प्रसन्न किया। -इसके संभावित अर्थ हैं 1) परमेश्वर ने कहा कि हनोक ने उसे प्रसन्न किया” (यू.डी.बी.) या 2) “मनुष्यों का कहना था कि हनोक ने परमेश्वर को प्रसन्न किया” + +# उसके उठाए जाने से पहले + +“इससे पहले कि परमेश्वर उसे उठाता” diff --git a/heb/11/07.md b/heb/11/07.md new file mode 100644 index 0000000..27f0130 --- /dev/null +++ b/heb/11/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +इब्रानियों की पुस्तक के लेखक ने अभी विश्वास पर और हनोक के विश्वास पर ध्यान केन्द्रित करवाया है। + +# चेतावनी पाकर + +“क्योंकि परमेश्वर ने उसे चेतावनी दी” + +# दिखाई न पड़ती थी + +वैकल्पिक अनुवाद: “जिन घटनाओं को मनुष्य ने पहले कभी नहीं देखा था” + +# संसार + +"उसी समय" diff --git a/heb/11/08.md b/heb/11/08.md new file mode 100644 index 0000000..bd64a94 --- /dev/null +++ b/heb/11/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +लेखक इस्राएल के पुराने नायकों की चर्चा कर रहा है + +# निकल गया + +“घर छोड़कर चल पड़ा” + +# तौभी निकल गया + +“अपना घर त्याग कर चला गया” + +# प्रतिज्ञा किए हुए देश में + +“जिस देश की परमेश्वर ने उससे प्रतिज्ञा की थी” + +# वारिस थे + +“सहवारिस थे” + +# रचनेवाला + +भवनों का नक्शा बनाने वाला diff --git a/heb/11/11.md b/heb/11/11.md new file mode 100644 index 0000000..869ec4b --- /dev/null +++ b/heb/11/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +लेखक अब्राहम के विश्वास की गाथा सुना रहा है + +# गर्भ धारण करने की सामर्थ्य + +“सन्तान जनने की शक्ति” + +# सच्चा जाना + +“परमेश्वर को जीवत माना” + +# अनगिनत वंश उत्पन्न हुआ + +असंख्य diff --git a/heb/11/13.md b/heb/11/13.md new file mode 100644 index 0000000..e8cb297 --- /dev/null +++ b/heb/11/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +परमेश्वर के लोगों के पुरातन अगुवों ने परमेश्वर के प्रतिज्ञाओं को भविष्य में साकार होने पर विश्वास किया था। + +# दूर से देखकर आनन्दित हुए। + +यह वाक्य भावी घटनाओं के बारे में भविष्यद्वक्ता की समझ की तुलना एक यात्री से करता है जिसे दूर से आता देख उसका स्वागत किया जा रहा है। “परमेश्वर के भावी काम को समझ कर” + +# मान लिया + +“स्वीकार किया” या “सहमत हुए” + +# परदेशी + +“विदेशी” या “बाहर के लोग” + +# स्वदेश + +“अपना देश” diff --git a/heb/11/15.md b/heb/11/15.md new file mode 100644 index 0000000..6268c4c --- /dev/null +++ b/heb/11/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +लेखक परमेश्वर के लोगों के पुरातन अगुओं और परमेश्वर की प्रतिज्ञा में उनके विश्वास का वर्णन करता है। + +# और + +“वास्तव में” या “निश्चय ही” या “इस पर ध्यान देते” + +# स्वर्गीय देश + +“स्वर्ग में देखा” या “स्वर्ग में स्थित एक देश” + +# परमेश्वर उनका परमेश्वर कहलाने में उनसे नहीं लजाता + +“परमेश्वर प्रसन्न होता है कि वे उसे अपना परमेश्वर कहते हैं।” या “लोग कहें कि वह उनका परमेश्वर है....” diff --git a/heb/11/17.md b/heb/11/17.md new file mode 100644 index 0000000..0e9874e --- /dev/null +++ b/heb/11/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# बलिदान चढ़ाया.... चढ़ाने लगा + +परमेश्वर के समक्ष भेंट या बलि करने लगा + +# इसहाक से तेरा वंश कहलाएगा + +इसहाक से तेरा वंश कहलाएगा "इसहाक के वंशजों को परमेश्वर तेरा वंश मानेगा" + +# वह उसे फिर मिला + +“अब्राहम को इसहाक पुनः प्राप्त हुआ” diff --git a/heb/11/20.md b/heb/11/20.md new file mode 100644 index 0000000..9244c5b --- /dev/null +++ b/heb/11/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +लेखक ने अभी-अभी अब्राहम का परखा जाना व्यक्त किया, पुत्र इसहाक की बलि द्वारा + +# दण्डवत किया + +“याकूब ने परमेश्वर की आराधना की” + +# मरने पर था + +“उसकी मृत्यु के समय” diff --git a/heb/11/23.md b/heb/11/23.md new file mode 100644 index 0000000..957bd93 --- /dev/null +++ b/heb/11/23.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# विश्वास ही से मूसा के माता-पिता ने उसको.... तीन महीने तक छिपा रखा + +वैकपिक अनुवाद: “मूसा के माता-पिता ने उसे जन्म के बाद तीन महीने तक छिपा कर रखा था।” + +# सयाना होकर + +“वयस्क” + +# परमेश्वर के लोगों के साथ दुःख भोगा, + +“परमेश्वर के लोगों के साथ अत्याचार सहा” + +# मसीह के कारण निन्दित होने + +“मसीह की इच्छा पूर्ति के कारण मनुष्यों के मन में उसके लिए जो तिरस्कार था” + +# उसकी आंखे फल पाने की ओर लगी थी + +“उसने वह काम किया जिसे वह जानता था कि उसका प्रतिफल उसे स्वर्ग में मिलेगा”। diff --git a/heb/11/27.md b/heb/11/27.md new file mode 100644 index 0000000..53f7fc6 --- /dev/null +++ b/heb/11/27.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# न डर कर... देखता हुआ + +मूसा + +# अनदेखे को मानो देखता हुआ + +“परमेश्वर के सहयोग पर निर्भर” + +# अनदेखे को + +“अदृश्य को” diff --git a/heb/11/29.md b/heb/11/29.md new file mode 100644 index 0000000..d614807 --- /dev/null +++ b/heb/11/29.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# पर ऐसे उतर गए + +“इस्राएलियों ने पार किया” + +# डूब गए + +वैकल्पिक अनुवाद:“वे जलमगन हो गए” या “पानी उन्हें निगल गया” + +# सात दिन तक उसका चक्कर लगा चुके + +वैकल्पिक अनुवाद:“इस्राएलियों ने सात दिन तक यरीहो का चक्कर काटा था” + +# उसने भेदियों को कुशल से रखा था + +वैकल्पिक अनुवाद: “भेदियों को छिपा कर सुरक्षित किया था” diff --git a/heb/11/32.md b/heb/11/32.md new file mode 100644 index 0000000..8e52d01 --- /dev/null +++ b/heb/11/32.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +लेखक इस्राएलियों के पूर्वजों के लिए किए गए परमेश्वर के महान कार्यों की गाथा सुना रहा है + +# अब क्या कहूं? + +वैकल्पिक अनुवाद:“उदाहरण तो अनेक है” + +# समय नहीं रहा + +वैकल्पिक अनुवाद: “मेरे पास समय नहीं है” + +# राज्य जीते + +“पराजित किए” + +# सिंहों के मुंह बन्द किए, आग की ज्वाला को ठंडा किया, तलवार की धार से बच निकले + +इस्राएलियों की मृत्यु से रक्षा। वैकल्पिक अनुवाद: “शेर उन्हें खा नहीं पाए, आग उन्हें जला नहीं पाई, तलवार उनका वध नहीं कर पाई” + +# फिर जीवित पाया + +परमेश्वर ने उन्हें हुष्ट-पुष्ट किया। diff --git a/heb/11/35.md b/heb/11/35.md new file mode 100644 index 0000000..c0a51af --- /dev/null +++ b/heb/11/35.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +लेखक ने अभी-अभी इस्राएल में परमेश्वर के लोगों के अगुओं के विश्वास की चर्चा की है + +# स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवित पाया + +परमेश्वर ने पुनर्जीवित किया तो स्त्रियों को उनके मृतक जन पुनः प्राप्त हुए + +# मार खाते-खाते मर गए.... ठट्ठों में उड़ाए जाने और कोड़े खाने....पथराव किए गए, आरे से चीरे गए.... तलवार से मारे गए + +वैकल्पिक अनुवाद: “मनुष्यों ने कुछ को उत्पीड़ित किया... मनुष्यों ने ठट्ठा करके, कोड़े मारकर.... मनुष्यों ने उन पर पथराव किया उन्हें आरे से चीरा, उनकी हत्या की।" + +# कष्ट पहुँचाना + +घोर कष्ट सहे + +# छुटकारा न चाहा + +वैकल्पिक अनुवाद: “कारागार से मुक्ति पाने के लिए मसीह के इन्कार को स्वीकार नहीं किया”। + +# वरन बांधे जाने और कैद में पड़ने + +"लोग उन्हें जंजीरों से बान्ध देते थे और कारागार में डालते थे" + +# भटकते फिरे + +“स्थान-स्थान भागते फिरते थे” या “वास करते थे”। + +# मारे-मारे फिरे + +“आवश्यकता के मारे” या “पूर्णरूपेण वंचित” या “कंगाली में” diff --git a/heb/11/39.md b/heb/11/39.md new file mode 100644 index 0000000..19fde56 --- /dev/null +++ b/heb/11/39.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +लेखक ने अभी-अभी अनेक उत्पीड़ित विश्वासियों की चर्चा की है + +# यद्यपि ये सब विश्वास के कारण परमेश्वर द्वारा अनुमोदित थे, उन्हें प्रतिज्ञा पूर्ति प्राप्त नहीं हुई + +वैकल्पिक अनुवाद:“परमेश्वर ने उनके विश्वास के कारण उनको प्रतिष्ठित किया परन्तु उन्होंने परमेश्वर द्वारा प्रतिज्ञात वस्तुएं प्राप्त नहीं की”। diff --git a/heb/12/01.md b/heb/12/01.md new file mode 100644 index 0000000..dd53057 --- /dev/null +++ b/heb/12/01.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +यीशु के अनुयायियों की तुलना दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेनेवालों से की गई है। + +# हम....हमें + +लेखक और पाठक + +# गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हमको घेरे हुए है + +“गवाहों पर ऐसा व्यापक बादल हमारे चारों ओर है” या “गवाहों का ऐसा विशाल बादल हमारे लिए उदाहरण है”। + +# गवाहों + +पुराने नियम के विश्वासी जो “दौड़” को देखते हैं। + +# रोकनेवाली वस्तु + +स्वभाव और अभ्यास जो हमें परमेश्वर पर भरोसा और विश्वास में बाधित करते है, वे भारी वस्त्रों और बोझ के तुल्य है। जो दौड़ने मे हमारे लिए असुविधा उत्पन्न करते हैं। + +# उलझाने वाले पाप + +“दौड़ में कठिनाई उत्पन्न करने वाले....” या “परमेश्वर की आज्ञा पालन कठिन बनाने वाले...” + +# ताकते रहे + +“निहारते रहे” या “के बारे में ही सोचें” + +# कर्ता और सिद्ध करनेवाले + +वैकल्पिक अनुवाद:“रचयिता और निष्पादक” + +# निराश होकर + +देर तक दौड़ने वाले के समान + +# साहस न छोड़ दो + +जैसे कोई अब दौड़ना न चाहता हो diff --git a/heb/12/04.md b/heb/12/04.md new file mode 100644 index 0000000..a6c1526 --- /dev/null +++ b/heb/12/04.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +लेखक मसीही जीवन की तुलना दौड़ से कर रहा है + +# पाप से लड़ते हुए.... लहू बहा हो + +कहने का अर्थ है कि लोगों ने पाठकों से कहीं अधिक कष्ट सहा है। + +# ऐसी मुठभेड़ नहीं की कि तुम्हारा लहू बहा हो + +चाहे मर जाएं वही करना है जो सही है + +# उपदेश जो तुम्हें पुत्रों के समान दिया जाता है + +पुराने नियम में सुलैमान के वचन जिसके द्वारा मनुष्य समझ पाता है कि जब प्रभु के अनुशासन के समय कैसे प्रोत्साहन पाए। + +# ताड़ना को हलकी बात न जान + +पाठकों द्वारा अनुशासन को गंभीरता से ग्रहण करने पर बल दिया गया है। + +# प्रभु की ताड़ना + +“जब प्रभु अनुशासित करता है”। + +# साहस न छोड़ दे + +वैकल्पिक अनुवाद: “निराश मत होना” diff --git a/heb/12/07.md b/heb/12/07.md new file mode 100644 index 0000000..3b1cfb4 --- /dev/null +++ b/heb/12/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# दुःख को ताड़ना समझ कर सह लो + +कठिन समयों को अनुशासन का समय मानों + +# वह कौन सा पुत्र है जिसकी ताड़ना पिता नहीं करता है? + +वैकल्पिक अनुवाद:“हर एक पिता सन्तान की ताड़ना करता है” + +# व्यभिचार की सन्तान + +विवाह के बिना उत्पन्न सन्तान diff --git a/heb/12/09.md b/heb/12/09.md new file mode 100644 index 0000000..f112e25 --- /dev/null +++ b/heb/12/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# आत्माओं के पिता + +परमेश्वर जिसने हमें सृजा और आत्मा दी और सब आत्माओं को सृजा है। + +# धर्म का प्रतिफल + +अनुशासन से धर्म उत्पन्न होता है जैसे पेड़ से फल। + +# पक्के हो गए हैं + +अनुशासन द्वारा प्रशिक्षित हो गए हैं diff --git a/heb/12/12.md b/heb/12/12.md new file mode 100644 index 0000000..93cce7c --- /dev/null +++ b/heb/12/12.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु के अनुयायी दौड़ प्रतियोगी हैं जो थक गए हैं + +# ढीले हाथों को और निर्बल घुटनों को सीधे करो + +जीवन में चुनौतियों का सामना करनेवाला मनुष्य एक थके हुए धावक के सदृश्य है जिसके हाथ और घुटने निर्बल हो गए हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “स्वयं को ऐसे बल दो जैसे धावक जब दौड़ जीतने के लिए संकल्प में अपनी देह को ऊर्जा प्रदान करता है”। + +# अपने पावों के लिए सीधे मार्ग बनाओ + +परमेश्वर की आज्ञा मानना समतल सीधे मार्ग पर चलने के समान है। वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर हमसे जो चाहता है, वही करो”। + +# लंगड़ा + +वैकल्पिक अनुवाद: “जो त्यागना चाहे” + +# भटक न जाए + +“उचित मार्ग पर किसी को पीछे नहीं ले” वैकल्पिक अनुवाद:“आसान कार्य जो परमेश्वर को प्रतिष्ठित नहीं करते उनको करने का निर्णय न ले” + +# पर भला चंगा हो जाए + +“इसकी अपेक्षा बलवन्त हो जाए” diff --git a/heb/12/14.md b/heb/12/14.md new file mode 100644 index 0000000..8d95063 --- /dev/null +++ b/heb/12/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# पवित्रता के खोजी + +पवित्रता का यत्न भी करो” + +# ऐसा न हो कि कोई... वंचित रह जाएगा कोई कड़वी जड़ फूटकर काट दे। + +पाठकों को तीन बातों में सावधान रहना है। वैकल्पिक अनुवाद:“कोई वंचित न हो जाए या कड़वी जड़ फूटकर काट दे...अशुद्ध हो जाएं।” + +# परमेश्वर के अनुग्रह से वंचित रह जाए + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्त करके उसे जाने दे” + +# कड़वी जड़ + +बुराई करने का कारण मनुष्य, जैसे कड़वी जड़ भोजन में आ गई हो। + +# एसाव के समान अधर्मी + +वैकल्पिक अनुवाद: तुम्हारे मध्य एसाव के समान जो है उनसे सावधान + +# आंसू बहा-बहा कर खोजने पर भी + +“रो-रोकर दिल से याचना करने पर भी” diff --git a/heb/12/18.md b/heb/12/18.md new file mode 100644 index 0000000..1a926dc --- /dev/null +++ b/heb/12/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम + +पाठकगण + +# वे इस आज्ञा को न सह सके + +परमेश्वर की आज्ञा मानना भारी बोझ उठाने के तुल्य है। वैकल्पिक अनुवाद: “इस्राएली परमेश्वर की आज्ञा को स्वीकार नहीं कर पाए थे”। diff --git a/heb/12/22.md b/heb/12/22.md new file mode 100644 index 0000000..7214a31 --- /dev/null +++ b/heb/12/22.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तुम + +पाठकगण + +# पास आए हो + +“पहुंचे हो” + +# लाखों स्वर्गदूतों + +वैकल्पिक अनुवाद: “असंख्य स्वर्गदूतों” + +# न्यायी परमेश्वर.... मध्यस्थ यीशु + +यीशु न्यायालय में एकवक्ता स्वरूप न्याय करने वाले परमेश्वर के समक्ष प्रतिवाद रखता है कि उसने मनुष्य के पापों के लिए कैसे अपने रक्त से भुगतान किया है। + +# छिड़काव के उस लहू के पास आए हो, जो हाबिल के लहू से उत्तम बातें कहता है। + +वैकल्पिक अनुवाद: "छिड़काव के उस लहू के पास आए हो, जो हाबिल के लहू से उत्तम बातें कहता है जिसकी हत्या कैन ने की थी" diff --git a/heb/12/25.md b/heb/12/25.md new file mode 100644 index 0000000..9ebd354 --- /dev/null +++ b/heb/12/25.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +सीनै पर्वत पर इस्राएलियों के अनुभव के साथ तुलना करके लेखक मसीह की मृत्यु के बाद विश्वासियों के अनुभव से निमित्त करता है। लेखक कहता है कि वही परमेश्वर आज भी हमें चेतावनी देता है। + +# पृथ्वी को हिला दिया.... हिला दूंगा। + +आप पृथ्वी के कंपन और घरों के गिरने के लिए अपनी भाषा का शब्द जैसे भूकम्प काम में लें। + +# तुम + +पाठकगण + +# वे लोग.... न बच सके + +वैकल्पिक अनुवाद: “यदि इस्राएल से दण्ड से न बच पाए” + +# हम + +लेखक एवं पाठक + +# चेतावनी देने वाले.... उसने फिर प्रतिज्ञा की है + +“परमेश्वर जो चेतावनी देता है... परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है”। diff --git a/heb/12/27.md b/heb/12/27.md new file mode 100644 index 0000000..d139749 --- /dev/null +++ b/heb/12/27.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हिलाई नहीं जाती + +देखें कि आपने “हिला” और “हिलाई” का अनुवाद में कैसे किया है। + +# हम.... कृतज्ञ हों + +“हम धन्यवाद दें” + +# हमारा परमेश्वर भस्म करनेवाली आग है। + +परमेश्वर अपने उद्देश्य विरोधी हर एक बात को आग के समान नष्ट करने में सामर्थ है diff --git a/heb/13/01.md b/heb/13/01.md new file mode 100644 index 0000000..2e027c2 --- /dev/null +++ b/heb/13/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +केवल यहूदी विश्वासियों के लिए रहा है। + +# भाईचारे की प्रीति बनी रहे + +वैकल्पिक अनुवाद: “विश्वासियों के लिए ऐसा प्रेम प्रकट करते रहो जैसे तुम अपने परिवार के किसी भी सदस्य के लिए दर्शाते हो।” + +# न भूलना + +“स्मरण रखना” + +# अतिथि सत्कार + +वैकल्पिक अनुवाद: “जो आपके परिचित नहीं उनकी भी सेवा करो” diff --git a/heb/13/03.md b/heb/13/03.md new file mode 100644 index 0000000..00ac1a5 --- /dev/null +++ b/heb/13/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मानों उनके साथ तुम भी थे... हमारी भी देह है + +इन दोनों वाक्यों में अन्य विश्वासियों के कष्टों को अपने ही कष्ट समझने के लिए प्रेरित किया गया है। वैकल्पिक अनुवाद: “तुम्हें ऐसी अनुमति हो कि तुम उनके साथ कारागार में हो और यातना सह रहे हो” + +# विवाह बिछौना + +पति-पत्नी का यौन संबन्ध। diff --git a/heb/13/05.md b/heb/13/05.md new file mode 100644 index 0000000..4d11d93 --- /dev/null +++ b/heb/13/05.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जो तुम्हारे पास है उसी पर सन्तोष करो + +“परमेश्वर ने जो तुम्हें दिया है” diff --git a/heb/13/07.md b/heb/13/07.md new file mode 100644 index 0000000..c2e3391 --- /dev/null +++ b/heb/13/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उनके चाल चलन का अन्त + +संभावित अर्थ हैं 1) उनका जीवन” देखें (यू.डी.बी.) उन्होंने कैसा जीवन जीया और कैसी मृत्यु को प्राप्त हुए”। या “उसका संपूर्ण जीवन कैसा था” तौभी यीशु में विश्वास से नहीं टले। diff --git a/heb/13/09.md b/heb/13/09.md new file mode 100644 index 0000000..fd75a4a --- /dev/null +++ b/heb/13/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# नाना प्रकार के विचित्र उपदेशों + +ऐसी शिक्षाएं जो हमारे शुभ सन्देश से अलग और अनेक हैं। + +# मन के अनुग्रह में दृढ़ रहना भला है, न कि उन खाने की वस्तुओं जिनसे काम रखने वाले को कुछ लाभ न हुआ + +वैकल्पिक अनुवाद: “हम परमेश्वर की दया को स्मरण रखकर बलवन्त होते हैं, परन्तु परमेश्वर के साथ संबन्ध बनाने में नियमों का पालन करके बलवन्त नहीं होते हैं” + +# पापबलि + +“परमेश्वर से पापों की क्षमा प्राप्त करने के लिए बलि चढ़ाना” + +# छावनी के बाहर + +मनुष्यों के निवास स्थान से दूर अलग diff --git a/heb/13/12.md b/heb/13/12.md new file mode 100644 index 0000000..66ab3f5 --- /dev/null +++ b/heb/13/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु के आत्म बलिदान और मन्दिर में चढ़ाए गए बलिदानों की तुलना की जा रही है। + +# इसलिए + +“इसी रीति से” (यू.डी.बी.) या “क्योंकि बलि के पशुओं की देह छावनी निवास स्थान क बाहर ले जाकर जलाई जाती थी” + +# इसलिए आओ + +“क्योंकि यीशु शहर द्वार के बाहर है”। + +# छावनी के बाहर + +देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। diff --git a/heb/13/15.md b/heb/13/15.md new file mode 100644 index 0000000..106aa49 --- /dev/null +++ b/heb/13/15.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसके नाम का अंगीकार करते हैं। + +वैकल्पिक अनुवाद: “जो सबके सामने कहते हैं कि हम यीशु में विश्वास करते हैं। diff --git a/heb/13/20.md b/heb/13/20.md new file mode 100644 index 0000000..18b6f8e --- /dev/null +++ b/heb/13/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सनातन वाचा के लहू + +संभावित अर्थ हैं 1) परमेश्वर ने अपनी शाश्वत वाचा रक्त के द्वारा हमारे साथ बांधी है” (यू.डी.बी.) या 2) यह “शाश्वत वाचा के रक्त के द्वारा है कि यीशु हमारा प्रभु” हुआ है या 3) “लहू के गुण से....” ही है कि परमेश्वर ने “यीशु को” मृतकों में से पुनः जीवित” किया। + +# तुम्हें सिद्ध करके.... हममें उत्पन्न करे + +पाठक और लेखक। (देखें: और ) diff --git a/jas/01/01.md b/jas/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..0817fd9 --- /dev/null +++ b/jas/01/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# याकूब + +याकूब प्रभु यीशु का भाई था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं, याकूब...” + +# परमेश्वर के और मसीह यीशु के दास + +यहाँ “मैं” अभिप्रेत है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं परमेश्वर का, और प्रभु यीशु मसीह का दास”। + +# उन बारह गोत्रों को तितर बितर होकर रहते हैं। + +याकूब यह पत्र उन बारह यहूदी गोत्रों को लिख रहा है जो यहूदिया प्रदेश के बाहर विभिन्न रोगी नगरों में भाग गये थे क्योंकि स्तिफनोस के पथराव के बाद मसीही विश्वासियों को सताया जाने लगा था। + +# बारहों गोत्रों + +अंकों को एकरूप लिखने का प्रयास करें। इसको इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है, “12 गोत्र” + +# नमस्कार पहुंचे + +यह एक मुख्य अभिवादन था जैसे “नमस्कार” या “शुभ दिवस”। + +# हे मेरे भाइयों जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनंद की बात समझो। + +“मेरे विश्वासी भाइयों, अपने सब संकटों को उत्सव की बात समझो।” + +# यह जानकर कि तुम्हारे विश्वास में परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। + +क्योंकि तुम तो जानते हो कि तुम्हारे विश्वास की कसौटी तुम्हारे विश्वास को दृढ़ ही करती है। diff --git a/jas/01/04.md b/jas/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..3cfab5f --- /dev/null +++ b/jas/01/04.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो। + +कठिन परिस्थितियों में दृढ़ता से खड़े रहो। “अपने कष्टों में भी दृढ़ रहो।” + +# कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ। + +“कि परमेश्वर तुम्हारे विश्वास को...” + +# कि तुम + +अर्थात यहूदी मत से निकले विश्वासी। + +# पूरे और सिद्ध + +“पूर्णतः सिद्धता प्राप्त कर लो।” + +# तुम में किसी बात की घटी न रहे। + +यह नकरात्मक वाक्य सकारात्मक बनाया जा सकता है। “तुम्हें सब कुछ प्राप्त हो।” + +# परमेश्वर से मांगे...उसको दी जाएगी। + +“देने वाले परमेश्वर से मांगो” परमेश्वर से मांगो। वही बुद्धि देता है। + +# जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता देता है। + +इस नकारात्मक वाक्य को सकारात्मक भी बनाया जा सकता है, “उदारता से सहर्ष देता है।” + +# उसको दी जायेगी। + +“परमेश्वर अवश्य करेगा”, “परमेश्वर तुम्हारी प्रार्थना का उत्तर अवश्य देगा।” diff --git a/jas/01/06.md b/jas/01/06.md new file mode 100644 index 0000000..31e1a59 --- /dev/null +++ b/jas/01/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# पर विश्वास से मांगे और कुछ सन्देह न करें। + +“सन्देह न करें” इसका अनुवाद सकारात्मक रूप में किया जा सकता है, “पूर्ण विश्वास के साथ कि परमेश्वर उत्तर देगा।” + +# सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है। + +यहाँ सन्देह करने वाले मनुष्य की तुलना पानी की लहर से की गई है जो एक स्थान में स्थिर नहीं रहती है। “वह विश्वास और अविश्वास में डांवाडोल रहता है।” या “वह विश्वास में “हां” या “नहीं” करता रहता है।” + +# प्रभु से कुछ मिलेगा। + +“प्रार्थना सुनी जायेगी।” + +# प्रभु से + +“प्रभु यीशु से” + +# वह दुचित्ता है। + +दुचित्ता अर्थात वह मनुष्य जो निर्णय नहीं ले सकता। अर्थात “वह निर्णय नहीं ले सकता कि उसे प्रभु यीशु का अनुसरण करना है या नहीं।” + +# सारी बातों में चंचल है। + +“वह किसी भी बात में निश्चय नहीं कर सकता है।” diff --git a/jas/01/09.md b/jas/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..8ad790c --- /dev/null +++ b/jas/01/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# दीन भाई + +दीन भाई -“वह विश्वासी भाई जो आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं।” + +# अपने ऊंचे पद पर घमंड करे। + +उसे प्रसन्न होना है कि परमेश्वर ने उसे प्रतिष्ठा प्रदान की है। + +# धनवान + +“और वह भाई जिसके पास धन सम्पदा है।” + +# अपनी नीच दशा पर + +“घमंड करे” इस वाक्य में यह उक्ति छोड़ दी गई है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसे प्रसन्न होना है कि परमेश्वर ने उसे नम्र होना सिखाया है।” + +# वह घास के फूल की तरह जाता रहेगा। + +इस उपमा का अर्थ है कि धनवान मनुष्य भी मर जायेगा जैसे हर एक जीवित प्राणी मरता है। उसके बल देने का अभिप्राय है कि धनवान मनुष्य को दीन होना सीखना है। + +# कड़ी धूप + +“तेज धूप” या “झुलसाने वाली गर्म हवा” (यू.डी.बी) + +# उसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते-चलते धूल में मिल जायेगा। + +धनवान धनोपार्जन में परिश्रम करते-करते ही मर जायेगा। diff --git a/jas/01/12.md b/jas/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..541e6ae --- /dev/null +++ b/jas/01/12.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# धन्य है वह मनुष्य + +“वह मनुष्य प्रसन्न है” + +# जो परीक्षा में स्थिर रहता है। + +“कष्टों के समय विश्वास में दृढ़ रहता है।” + +# खरा निकल कर + +“कष्टों को दृढ़ रहकर सहन कर लेता है।” + +# पायेगा + +“परमेश्वर उसे देगा” + +# जीवन का मुकुट पायेगा + +जीवन का मुकुट पाना, परमेश्वर से अनन्त जीवन पाने के लिए आलंकारिक उपयोग है। यह उसका पुरूस्कार है। “वह शाश्वत जीवन का प्रतिफल पायेगा।” + +# जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों से की है। + +“परमेश्वर ने उन लोगों के लिए जीवन के मुकुट की प्रतिज्ञा की है जो उससे प्रेम करते हैं।” + +# जब किसी की परीक्षा हो। + +“जब किसी में बुराई करने की इच्छा उत्पन्न हो।” + +# मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है। + +“परमेश्वर मुझे बुरा काम करने के लिए प्रेरित कर रहा है।” + +# न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है। + +“परमेश्वर में बुरा काम करने की इच्छा नहीं है।” + +# न वह किसी की परीक्षा आप करता है। + +“परमेश्वर किसी को भी बुरा काम करने के लिए प्रेरित नहीं करता है।” diff --git a/jas/01/14.md b/jas/01/14.md new file mode 100644 index 0000000..916cb26 --- /dev/null +++ b/jas/01/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मनुष्य अपनी ही अभिलाषा से...परीक्षा में पड़ता है। + +“बुरा काम करने की लालसा मनुष्य ही में है।” + +# खिंचकर और फंसकर + +“बुरी इच्छा उसे खींचती है और उसे फंसा लेती है।” + +# अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु उत्पन्न करता है। + +अभिलाषा, पाप और मृत्यु को मानवीय प्रकृति दी गई है। अभिलाषा को स्त्री रूप में व्यक्त किया गया है जो मनुष्य को यौन संबंध के लिए आकर्षित करती है। “पाप” उसका शिशु है। जब वह शिशु व्यस्क हो जाता है तब वह “मृत्यु” बन जाता है। इसकी तुलना अभिलाषाओं के सुमभोग से ली गई है। जो पाप में बदलकर अन्त में शारीरिक एवं आत्मिक मृत्यु लाता है। + +# धोखा न खाओ + +“किसी के धोखे में न आओ” या “स्वयं को धोखा न दो”। (यू.डी.बी) diff --git a/jas/01/17.md b/jas/01/17.md new file mode 100644 index 0000000..04f7aa2 --- /dev/null +++ b/jas/01/17.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# ऊपर ही से है। + +“स्वर्ग से ही है” + +# ज्योतियों के पिता + +परमेश्वर आकाश के सब प्रकाश पुंजों का सृजनहार है। (सूर्य, चांद, सितारे) + +# अदल-बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है। + +यह एक उपमा है जो अपरिवर्तनीय परमेश्वर जो एक शाश्वत ज्योति है, उसकी तुलना आकाश के परिवर्तनशील प्रकाश (सूर्य, चाँद, सितारे) से की गई है। वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर उन छायाओं के जैसा नहीं है जो कभी दिखाई देता है, कभी दिखाई नहीं देता है।” + +# हमें + +अर्थात याकूब और उसके पाठक + +# उत्पन्न किया + +“हमें आत्मिक जीवन दिया” (यू.डी.बी) + +# सत्य के वचन के द्वारा + +“शुभ सन्देश” या “यीशु की शिक्षायें” + +# एक प्रकार के प्रथम फल + +याकूब कह रहा है कि जैसे किसी फसल का प्रथम फल होता है, उसी प्रकार उसके पाठक प्रथम विश्वासी हैं जिनसे भविष्य में असंख्य विश्वासी उत्पन्न होंगे। + +# उसकी सृष्टि की हुई वस्तुओं में + +“उसके लोगों में” diff --git a/jas/01/19.md b/jas/01/19.md new file mode 100644 index 0000000..588badd --- /dev/null +++ b/jas/01/19.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# तुम जानते हो + +स्थापित अर्थ हैं 1) एक आज्ञा स्वरूप “जान लो” कि जो मैं कहने जा रहा हूं उस पर ध्यान दो या 2) इस बात को गांठ बांध लो मैं तुम्हें जो स्मरण कराने जा रहा हूं वह तुम जानते ही हो। + +# हर एक मनुष्य सुनने के लिए तत्पर और बोलने में धीर + +मनुष्य ध्यान से सुने और जो वे कहते हैं सोच समझ कर कहें। + +# क्रोध में धीमा हो। + +“आसानी से क्रोध न करो।” + +# मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता। + +क्रोध करने वाला मनुष्य परमेश्वर की इच्छा का आचरण नहीं रख सकता है। + +# सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके... + +ये भिन्नार्थक शब्द बल देने के लिए हैं। “हर प्रकार के बुरे काम करना छोड़ दो” + +# नम्रता + +“घमंड से मुक्त” या “अभिमान रहित” + +# वचन को + +परमेश्वर का वचन जो उनमें रोपित किया गया है “परमेश्वर द्वारा तुम्हारे लिए उच्चारित वचन का पालन करो।” + +# तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है। + +यहाँ “प्राणों” शब्द संपूर्ण मनुष्य का द्योतक है, मनुष्य का उद्धार किससे हुआ वह भी स्पष्ट किया जा सकता है। diff --git a/jas/01/22.md b/jas/01/22.md new file mode 100644 index 0000000..c76541e --- /dev/null +++ b/jas/01/22.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# वचन पर चलने वाले + +“परमेश्वर के वचन के अनुसार आचरण रखो” या “परमेश्वर के वचन का पालन करो।” + +# अपने आप को धोखा देते हैं। + +“स्वयं को धोखा देते” या “मूर्ख बनते हैं।” + +# जो कोई वचन का सुनने वाला हो और उस पर चलने वाला न हो तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुँह दर्पण में देखता है। + +याकूब परमेश्वर के वचन के श्रोता की तुलना दर्पण में चेहरा देखने वाले से करता है। जिस प्रकार दर्पण में चेहरा देखकर मनुष्य अतिशीघ्र अपने चेहरे को भूल जाता है उसी प्रकार वचन का आचरण नहीं करने वाला है। + +# अपने आप को देखकर...तुरन्त भूल जाता है। + +मनुष्य अपना चेहरा दर्पण में देखता है और तुरन्त भूल जाता है कि वह कैसा दिखता है वैसा ही वह मनुष्य है जो परमेश्वर का वचन सुनता है और भूल जाता है कि उसने क्या सुना। + +# स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था + +“विधान सिद्ध है तो स्वतंत्रता प्रदान करता है।” + +# सुनकर भूलता नहीं + +“सुनना और भूल जाना” + +# आशीष पायेगा + +इसका कतृवाच्य अनुवाद भी किया जा सकता है, “परमेश्वर उस मनुष्य को जो विधान का पालन करता है आशीषित करेगा।” diff --git a/jas/01/26.md b/jas/01/26.md new file mode 100644 index 0000000..6d51a92 --- /dev/null +++ b/jas/01/26.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# यदि कोई अपने आप को भक्त समझे + +“सोचता है कि वह परमेश्वर की उचित उपासना करता है।” + +# अपनी जीभ पर लगाम न दे। + +“जीभ” एक लाक्षणिक शब्द है जिसका अर्थ है, “वह क्या कहता है” + +# अपने हृदय को धोखा दे। + +“मूर्ख बनता है” या “प्रवंचना” या “पथभ्रष्ट” + +# अपने हृदय के + +यहाँ हृदय का अर्थ है संपूर्ण मनुष्यत्व इसका अनुवाद होगा, “अपने आप को धोखा देता है” + +# उसकी भक्ति व्यर्थ है। + +"उसकी उपासना निष्काम है।" + +# हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति + +ये दो शब्द “शुद्ध और निर्मल” जो परमेश्वर को ग्रहणयोग्य बात पर बल देते हैं। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यही वह भक्ति है जिसे परमेश्वर स्वीकार करेगा” + +# अनाथों + +अनाथों “जिनके माता-पिता नहीं” या “जिनका पिता नहीं है।” + +# विधवाओं के क्लेश + +विधवाओं के क्लेश - पति की मृत्यु के कारण कष्टिन स्त्री + +# अपने आप को संसार से निष्कलंक रखे + +संसार की बुरी बातों से पाप करने को विवश न हो diff --git a/jas/02/01.md b/jas/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..2355d3f --- /dev/null +++ b/jas/02/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# मेरे भाइयों + +मेरे भाइयों -याकूब अपने श्रोताओं को यहूदी मसीही विश्वासी मानता है। “मेरे विश्वासी भाइयों” या “मसीह में मेरे भाइयों और बहनों” + +# मसीह पर तुम्हारा विश्वास + +याकूब और उसके विश्वासी भाई-बहन + +# पक्षपात + +“विशेष व्यवहार” या “किसी के साथ अच्छा व्यवहार करना” या “किसी को अधिक सम्मान करना” + +# यदि कोई + +याकूब एक काल्पनिक स्थिति का आरंभ करता है जो पद 4 के अन्त तक है। वह एक ऐसी स्थिति की कल्पना करता है जिसमें विश्वासी किसी गरीब की अपेक्षा धनवान को अधिक मान प्रदान करते हैं। + +# सोने के छल्ले और सुन्दर वस्त्र पहने + +सोने के छल्ले और सुन्दर वस्त्र पहने - “धनवानों की वेशभूषा में” + +# “तू यहाँ अच्छी जगह बैठ + +“इस सम्मानित स्थान में बैठ” + +# तू यहाँ खड़ा रह या मेरे पांवों के पास बैठ + +“तू नीचे के स्थान में बैठ” + +# क्‍या तुम ने आपस में भेद भाव न किया और कुविचार से न्‍याय करनेवाले न ठहरे? + +क्‍या तुम ने आपस में भेद भाव न किया और कुविचार से न्‍याय करनेवाले न ठहरे? - याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा विश्वासियों को शिक्षा दे रहा है साथ ही साथ झिड़क भी रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तुम आपस में न्याय कर रहे हो और बुरे विचारों के साथ न्यायी बन रहे हो।” diff --git a/jas/02/05.md b/jas/02/05.md new file mode 100644 index 0000000..8496a8f --- /dev/null +++ b/jas/02/05.md @@ -0,0 +1,51 @@ +# हे मेरे प्रिय भाइयों, सुनो + +याकूब अपने विश्वासियों को अपना परिवार मानकर उपदेश दे रहा है। “मेरे प्रिय भाइयों, ध्यान दो।” + +# क्या परमेश्वर ने....नहीं चुना + +याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा अपने पाठकों को झिड़कता है। आप इस का अनुवाद इस प्रकार कर सकते हैं, “परमेश्वर ने...चुना” + +# कि विश्वास में धनी, + +“विश्वास बहुत हो”। “धनी” का अभिप्रेत अर्थ है, बहुत विश्वास हो। विश्वास के आधार को स्पष्ट किया जा सकता है, “मसीह में दृढ़ विश्वासी हो।” + +# राज्य के अधिकारी हों। + +“स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करें।” + +# पर तुमने + +याकूब सब पाठकों से कह रहा है। + +# कंगाल का अपमान किया + +“गरीब का मान नहीं रखा” या “गरीब के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया।” + +# क्या धनी तुम पर अत्याचार नहीं करते? + +याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा अपने पाठकों को झिड़कता है। “धनवान ही तो....” + +# धनी लोग + +“धनवान लोग” (यू.डी.बी) + +# तुम पर अत्याचार नहीं करते...? + +“तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार करते” या “तुम पर प्रभुता दिखाते हैं?” + +# वे ही + +यहाँ भी याकूब प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा अपने पाठकों को झिड़क रहा है। अनुवाद “वे ही तो हैं जो...” या “धनवान ही तो...” + +# तुम्हें कचहरियों में घसीट-घसीट कर नहीं ले जाते? + +“बलपूर्वक कचहरी में न्यायाधीश के सामने दोष लगाए” ) + +# क्या धनी ...नहीं करते + +याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा अपने पाठकों को झिड़कता है। “धनवान ही तो....” + +# उस उत्तम नाम की + +मसीह के नाम की diff --git a/jas/02/08.md b/jas/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..5b578e4 --- /dev/null +++ b/jas/02/08.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तुम यदि....पूरी करते हो। + +तुम अर्थात यहूदियों से आये विश्वासी + +# उस राज व्यवस्था को पूरी करते हो + +परमेश्वर ने मूसा को विधान सौंपा था जो पुराने नियम में निहित है। इसका अनुवाद होगा, “परमेश्वर प्रदत्त विधान का पालन करते हो” या “अपने महान राजा के नियमों का पालन करते हो।” + +# अपने पड़ोसी से + +अपने पड़ोसी से - “सब लोग” या “हर एक मनुष्य से” + +# अच्छा ही करते हो। + +“तुम अच्छा करते हो” या “तुम उचित काम करते हो।” + +# यदि तुम पश्चाताप करते हो। + +“विशेष व्यवहार” या “सम्मान देना” + +# पाप करते हो + +अर्थात विधान का पालन नहीं करते। इसका अनुवाद है, “पाप कर रहे हो।” + +# व्यवस्था तुम्हें अपराधी ठहराती है। + +यहाँ विधान को एक मानवीय न्यायाधीश के रूप में व्यक्त किया गया है। इसका अनुवाद होगा, “परमेश्वर के विधान के उल्लंघन के दोषी हो।” diff --git a/jas/02/10.md b/jas/02/10.md new file mode 100644 index 0000000..91252b7 --- /dev/null +++ b/jas/02/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जो कोई सारी व्यवस्था का पालन करता है। + +जो कोई सारी व्यवस्था का पालन करता है। -“जो विधान का पालन करता है।” + +# परन्तु एक ही बात में चूक जाये...दोषी ठहर चुका। + +परन्तु एक ही बात में चूक जाये...दोषी ठहर चुका। विधान के एक भी नियम के पालन में चूकने का अर्थ है संपूर्ण विधान का दोषी होना। + +# न करना + +अर्थात ऐसा काम न करना। + +# यदि तू ने...पर तूने...ठहरा + +यद्यपि याकूब अनेकों को लिख रहा था, उसने ऐसे व्यक्त किया कि मानों एक ही से कह रहा हो। diff --git a/jas/02/12.md b/jas/02/12.md new file mode 100644 index 0000000..67c9464 --- /dev/null +++ b/jas/02/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# बोलो और काम भी करो + +यह याकूब की आज्ञा है। “तुम्हें बोलना और करना भी है।” + +# जिनका न्याय स्वतंत्रता की व्यवस्था के अनुसार होगा। + +“जो जानते हैं कि स्वतंत्रता का विधान शीघ्र ही उनका न्याय करेगा” + +# व्यवस्था के अनुसार + +यहाँ विधान को मानवीय न्यायाधीश के सदृश्य रखा गया है। + +# स्वतंत्रता की व्यवस्था + +स्वतंत्रता की व्यवस्था -“हमें स्वतंत्र करने वाला विधान” + +# दया न्याय पर जयवन्त होती है। + +दया न्याय पर जयवन्त होती है। -“दया न्याय से उत्तम है” या “दया न्याय को पराजित करती है।” diff --git a/jas/02/14.md b/jas/02/14.md new file mode 100644 index 0000000..f00f4c8 --- /dev/null +++ b/jas/02/14.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# हे मेरे भाइयों, यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है, पर वह कर्म न करता हो, तो इससे क्या लाभ? + +याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा अपने पाठकों को शिक्षा दे रहा है। आप इसका अनुवाद इस प्रकार कर सकते हैं, “मेरे विश्वासी भाइयों, यदि कोई कहे, मुझे विश्वास है और वह उसके अनुकूल काम न करे तो सब व्यर्थ है।” + +# यदि कोई कहे + +याकूब किसी के कथन का सीधा उद्धरण दे रहा है। “मुझे” अर्थात कहने वाले को। + +# ऐसा विश्वास कभी उसका उद्धार कर सकता है? + +याकूब के पाठकों की शिक्षा हेतु यह एक प्रभावोत्पादक प्रश्न है। “ऐसा विश्वास उसका उद्धार नहीं कर सकता है।” + +# उसका उद्धार + +“परमेश्वर के दण्ड से बचा सकता है।” + +# यदि कोई भाई....तो क्या लाभ? + +पद 15-16 एक प्रभावोत्पादक प्रश्न है जो याकूब के पाठकों को शिक्षा के लिए है। “यदि कोई भाई...किसी काम का नहीं।” + +# भाई या बहन + +“मसीह में भाई या बहन” + +# तुममे से कोई उनसे कहे। + +तुममे से कोई उनसे कहे। “तुम उससे कहो” + +# मरा हुआ है। + +मरा हुआ है। - “व्यर्थ है” diff --git a/jas/02/18.md b/jas/02/18.md new file mode 100644 index 0000000..506c7b1 --- /dev/null +++ b/jas/02/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वरन कोई कह सकता है + +याकूब एक काल्पनिक स्थिति का वर्णन कर रहा है जिसमें कोई 2ः14-17 की उसकी शिक्षा पर आपत्ति व्यक्त कर रहा है। याकूब पद 20 में उसे “निकम्मे मनुष्य” कहता है। इसका काल्पनिक परिचर्चा का उद्देश्य उसके पाठकों को विश्वास और कर्म की समझ में मार्ग पर लाना है। + +# “तुझे विश्वास है और मैं कर्म करता हूं।” + +उसकी शिक्षा के संबंध में याकूब किसी की संभावित आपत्ति को व्यक्त करता है। “एक को विश्वास है और दूसरा भले काम करता है।” + +# तू अपना विश्वास....दिखा + +“मुझे” अर्थात याकूब को + +# दुष्टात्मा भी विश्वास...थरथराते हैं। + +दुष्टात्मा भी....थरथराते हैं। “भय से कांपते हैं।” + +# हे निकम्मे मनुष्य, क्या तू यह भी नहीं जानता कि कर्म बिना विश्वास व्यर्थ है? + +हे निकम्मे मनुष्य, क्या तू यह भी नहीं जानता कि कर्म बिना विश्वास व्यर्थ है? इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा या याकूब की बात नहीं मानने वाले को झिड़का जा रहा है। आप इसका अनुवाद कर सकते हैं, “हे मूर्ख, क्या तू मेरी बात को सुनना नहीं चाहता कि कर्म बिना विश्वास व्यर्थ है।” diff --git a/jas/02/21.md b/jas/02/21.md new file mode 100644 index 0000000..3452c0e --- /dev/null +++ b/jas/02/21.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# हमारा पिता अब्राहम...क्या वह कर्मों से धार्मिक न ठहरा था? + +याकूब द्वारा यह प्रभावोत्पादक प्रश्न उस मूर्ख मनुष्य के विवाद के प्रति उत्तर है। क्योंकि वह स्वीकार नहीं करता है कि विश्वास और कर्म साथ-साथ हैं। “हमारा पिता अब्राहम निश्चय ही कर्मों द्वारा न्यायोचित ठहराया” + +# तूने देख लिया कि विश्वास ने + +“तूने” एक वचन है जो उस काल्पनिक मनुष्य के लिए है, तथापि याकूब इस एक काल्पनिक मनुष्य के माध्यम से सब पाठकों से कह रहा है। + +# तूने देखा कि विश्वास + +“देख लिया” एक लाक्षणिक उपयोग है जिसका अनुवाद हो सकता है, “समझ लिया” + +# कर्मों से विश्वास सिद्ध हुआ + +“उसके कर्म ने विश्वास को पूर्ण किया” + +# और पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हुआ। + +इस कर्मवाच्य वाक्य का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “और पवित्र शास्त्र का वचन पूरा हुआ।” + +# यह उसके लिए धर्म गिना गया। + +यह उसके लिए धर्म गिना गया। -"परमेश्वर ने उसके विश्वास को धर्मनिष्ठा गिना" + +# इस प्रकार तुमने देख लिया कि मनुष्य....कर्मों से भी धर्मी ठहरता है। + +इस प्रकार तुमने देख लिया कि मनुष्य....कर्मों से भी धर्मी ठहरता है। याकूब अब फिर से अपने पाठकों को बहुवचन “तुम” द्वारा संबोधित कर रहा है। + +# मनुष्य....कर्मों से ही धर्मी ठहरता है। + +“कर्म और विश्वास मनुष्य को धर्मी ठहराते हैं।” diff --git a/jas/02/25.md b/jas/02/25.md new file mode 100644 index 0000000..d3eead8 --- /dev/null +++ b/jas/02/25.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# वैसे ही + +यह वैसे ही एक और उदाहरण के उल्लेख के लिए है। + +# राहाब वैश्या भी...कर्मों में धार्मिक न ठहरी? + +याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा अपने पाठकों को शिक्षा दे रहा है। इस कर्मवाच्य वाक्य का अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, “राहाब वैश्या के कर्म ही के द्वारा वह धर्मनिष्ठ ठहरी थी।” (देखें: और [[rc://*/ta/man/translate/figs-activepassive]]) + +# राहाब वैश्या + +याकूब अपने पाठकों से अपेक्षा करता था कि वे पुराने नियम की इस कहानी को जानते हैं। + +# दूतों को अपने घर में उतारा + +किसी और स्थान से आने वाले सन्देश वाहक + +# दूसरे मार्ग से विदा किया + +“नगर से बचकर भागने में सहायता की” + +# जैसे देह आत्मा के बिना मरी हुई है वैसे ही विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है। + +याकूब बल देकर कहता है कि जो व्यक्ति विश्वास के साथ काम नहीं करता है वह आत्मा रहित शरीर के जैसा है। दोनों ही मृतक एवं व्यर्थ है। diff --git a/jas/03/01.md b/jas/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..98f2b71 --- /dev/null +++ b/jas/03/01.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# तुम में से बहुत + +“तुम” अर्थात याकूब के पत्र के पाठक। + +# हे मेरे भाइयों + +हे मेरे भाइयों - “मेरे विश्वासी भाइयों-बहनों” + +# जानते हुए + +“क्योंकि” + +# और भी दोषी ठहरेंगे + +परमेश्वर उपदेशकों को अधिक दण्ड देगा, अतिरिक्त स्पष्ट जानकारी के साथ व्यक्त किया जा सकता है, “परमेश्वर हमें अधिक कठोर दण्ड देगा क्योंकि हमारे लिए पाप करने का बहाना नहीं क्योंकि हम अन्यों की तुलना में उसके वचन को अधिक समझते हैं।” + +# हम....स्वीकार करेंगे + +याकूब धर्मशास्त्र के शिक्षकों को अपने साथ बिन रहा है। ) + +# हम सब बहुत बार चूक जाते हैं। + +याकूब अपने सब पाठकों को गिन रहा है। + +# बहुत बार चूक जाते हैं। + +यह एक रूपक है जो मनुष्य की नैतिक चूक की तुलना चलने वालों के गिरने से करता है। इसका अनुवाद किया जा सकता है, “चूकना” या “पाप करना” + +# जो कोई वचन में नहीं चूकता + +“उच्चारित वचनों में पाप नहीं करता” + +# सिद्ध मनुष्य है। + +“वह आत्मिकता में परिपक्व है।” + +# सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है। + +याकूब का अभिप्राय मन, भावनाओं, कार्यों से है “उसके व्यवहार को वश में रख सकता है” या “कामों पर नियंत्रण रख सकता है।” ) diff --git a/jas/03/03.md b/jas/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..d66b6fb --- /dev/null +++ b/jas/03/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# घोड़ों के मुँह में लगाम लगाते हैं। + +याकूब मनुष्य की जीभ की तुलना घोड़े की लगाम से करता है। लगाम एक लोहे का टुकड़ा होता है जो घोड़े के मुंह में डालकर उसका चलना-फिरना निर्देशित करने के लिए काम में लिया जाता है। याकूब का कहना है कि मनुष्य के मुंह की बातें उसके और उसके परिचित मनुष्यों के जीवनों को प्रभावित करती हैं। + +# जब हम + +“यदि” या “जब” + +# घोड़े के मुँह में लगाम लगाते हैं। + +घोड़ा बोझ खींचने के लिए एक बड़ा पशु है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि हम घोड़े के मुँह में लगाम लगाते हैं।” + +# देखो जहाज भी....एक छोटी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार चलाये जाते हैं। + +देखो जहाज भी....एक छोटी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार चलाये जाते हैं। याकूब मनुष्य की जीभ की भी जहाज की पतवार से तुलना करता है। जहाज पानी पर चलने वाला बड़ा यान है। पतवार जहाज के अन्त में एक लोहे की पट्टी होती है जिसके द्वारा जहाज को दिशा दी जाती है। यहाँ याकूब का मुख्य विषय घोड़े की लगाम कसना ही है। कहने का अर्थ है कि एक छोटी वस्तु किसी विशाल वस्तु को वश में कर सकती है। + +# यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं। + +अर्थात जहाज + +# प्रचण्ड वायु से चलाये जाते हैं। + +इसका अनुवाद कतृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “प्रचण्ड वायु उसे चलाती है।” + +# एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार चलाये जाते हैं। + +इसका अनुवाद कतृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “एक छोटे से उपकरण द्वारा जहाज की दिशा बदल सकते हैं।” diff --git a/jas/03/05.md b/jas/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..bb357b8 --- /dev/null +++ b/jas/03/05.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# वैसे ही + +यह मनुष्य की जीभ की तुलना पिछले पदों में व्यक्त घोड़े की लगाम और जहाज की पतवार से की गई है। + +# बड़ी बड़ी डींगे मारती है + +“मनुष्य जीभ से बुरी-बुरी बातें कहता है” + +# देखो...कितने बड़े + +देखो...कितने बड़े “विचार करो कैसे बड़े” + +# थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में + +“चोटी सी चिंगारी बड़े वन के अनेक वृक्षों को जला देती है” + +# जीभ भी एक आग है + +जैसे आग सब कुछ भस्म कर देती है, वैसे ही मनुष्य के मुंह की बातें (जीभ- metonymy) मनुष्यों को बहुत हानि पहुंचाती है (metaphor) “जीभ आग के सदृश्य है” + +# जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है। + +वैकल्पिक अनुवाद: “यह देह का एक छोटा सा अंग है परन्तु यह हर प्रकार से पाप करने के योग्य है।” + +# सारी देह पर कलंक लगाती है। + +इसका एक नया वाक्य बनाया जा सकता है। “यह पूर्णतः परमेश्वर के लिए अप्रसन्नता का कारण हमें बना सकती है।” या “यह हमें परमेश्वर के ग्रहणयोग्य नहीं होने देती है।” + +# और जीवन गति में आग लगा देती है। + +“जीवन गति” एक रूपक है जो मनुष्य के संपूर्ण जीवन को व्यक्त करता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह मनुष्य के संपूर्ण जीवन को विनाश के गर्त में गिरा देती है।” + +# और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। + +यह “जीभ” के संदर्भ में है। यहाँ “नरक” लाक्षणिक उपयोग है जो शैतानी शक्तियों का संदर्भ देता है वरन् शैतान का। इसका अनुवाद कतृवाच्य में किया जा सकता है, “क्योंकि शैतान हमारी जीभ का उपयोग बुराई के निमित्त करता है।” diff --git a/jas/03/07.md b/jas/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..e7662ed --- /dev/null +++ b/jas/03/07.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हर प्रकार के वन-पशु, पक्षी और रेंगने वाले जन्तु और जनचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गये हैं। + +“हर प्रकार के” यह एक अतिशयोक्ति है जिसका अर्थ है, “नाना प्रकार के” इसका अनुवाद कतृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “मनुष्यों ने विभिन्न पशुओं, पक्षियों, सरीसृपों तथा जलचरों को अपने वश में कर लिया है।” + +# रेंगने वाले जन्तु + +भूमि पर रेंगने वाले जन्तु जैसे सांप, आदि। + +# जलचर + +पानी में रहने वाले जन्तु + +# पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता। + +यहाँ “जीभ” लाक्षणिक प्रयोग है जो मनुष्य के लिए काम में लिया गया है। इसका संपूर्ण अर्थ व्यक्त किया जा सकता है, “परमेश्वर के बिना कोई भी जीभ को वश में नहीं कर सकता है।” + +# वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं + +वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। diff --git a/jas/03/09.md b/jas/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..f62ea23 --- /dev/null +++ b/jas/03/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# इसी से + +अपनी जीभ ही के द्वारा हम ऐसे शब्दों का उच्चारण करते हैं.. + +# इसी से + +“और इसी के द्वारा शब्दों के उच्चारण से...” + +# श्राप देते हैं + +परमेश्वर से कहते हैं कि किसी की हानि करे।(यू.डी.बी) + +# परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं। + +“जिसे परमेश्वर ने अपने स्वरूप में सृजा है” + +# एक ही मुंह से + +“एक ही मुंह दोनों बातें कहता है” + +# हे मेरे भाइयों + +“मेरे विश्वासी भाई बहन” + +# ऐसा नहीं होना चाहिये + +“ऐसा अनुचित है।” diff --git a/jas/03/11.md b/jas/03/11.md new file mode 100644 index 0000000..6e360e5 --- /dev/null +++ b/jas/03/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +हमारी जीभ के द्वारा आशीर्वाद और शाप दोनों नहीं निकलना है। इसके बाद याकूब प्रकृति के उदाहरण देता है जिसमें ऐसे दो विपरीत काम नहीं होते हैं। + +# क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलता है? + +याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा पाठकों को प्रकृति के युक्ति युक्त क्रम की शिक्षा दे रहा है। इसका वैकल्पिक अनुवाद होगा, “सोता मीठा और खारा जल दोनों नहीं देता है।” + +# हे भाइयों + +“विश्वासी भाइयों और बहनों” + +# क्या अंजीर के पेड़ में जैतून और दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? + +याकूब एक और प्रभावोत्पादक प्रश्न पूछ कर प्रकृति के युक्ति युक्त क्रम को समझाता है। वैकल्पिक अनुवाद, “अंजीर के पेड़ में जैतून और दाख की लता में अंजीर नहीं उग सकते हैं।” diff --git a/jas/03/13.md b/jas/03/13.md new file mode 100644 index 0000000..d135849 --- /dev/null +++ b/jas/03/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तुममें ज्ञानवान और समझदार कौन है? जो ऐसा हो वह अपने..... + +याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा अपने पाठकों को उचित व्यवहार की शिक्षा देता है। “ज्ञानवान और समझदार” एक ही अर्थ व्यक्त करते हैं। “जो मनुष्य स्वयं को समझदार मानता है वह....” + +# अच्छे चाल-चलन को नम्रता सहित प्रकट करें। + +“अच्छा आचरण दिखायें” या “प्रकट करें” + +# अपने कामों को अच्छे चाल-चलन से उस नम्रता सहित प्रगट करें जो ज्ञान से उत्पन्न होती है। + +“सच्चे ज्ञान से उत्पन्न अच्छे काम एवं दीनता” + +# तुम अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो। + +“मन” अर्थात भावनायें एवं विचार “तुम मनुष्यों के साथ आपसी योगदान नहीं करते अपितु स्वार्थ को प्रथम स्थान देते हो।” + +# सत्य के विरोध में घमंड न करना और न तो झूठ बोलना। + +“सत्य को झूठा सिद्ध करके बुद्धिमानी का स्वांग मत रचो।” diff --git a/jas/03/15.md b/jas/03/15.md new file mode 100644 index 0000000..ad3229e --- /dev/null +++ b/jas/03/15.md @@ -0,0 +1,55 @@ +# वह नहीं, + +वह नहीं, - अर्थात निर्बुद्धि डाह तथा स्वार्थी लालसायें जिनकी चर्चा पिछले पदों में की गई हैं। + +# ऊपर से उतरता है। + +“परमेश्वर से प्राप्त होता है” या “स्वर्ग से आता है” + +# सांसारिक...है + +“सांसारिक” अर्थात जो परमेश्वर को नहीं मानते उनकी आचार संबंधित मान्यतायें एवं आचरण। “परमेश्वर का सम्मान नहीं करने वाला।” ) + +# शारीरिक + +शारीरिक “पवित्र आत्मा का नहीं है” या “आत्मिक नहीं है।” + +# शैतानी + +“शैतान से प्राप्त है।” + +# जहाँ डाह और विरोध होता है। + +क्योंकि जहाँ ऐसे मनुष्य हैं जो केवल अपने बारे में ही सोचते हैं, किसी और के बारे में नहीं। + +# वहाँ बखेड़ा + +“वहाँ अव्यवस्था” या “दुर्व्यवस्था” + +# दुष्कर्म + +“हर प्रकार का पापी व्यवहार” या “दुष्टता के सब काम” + +# पहले तो पवित्र होता है + +“सदाचार में शुद्ध” + +# मिलनसार + +“शान्ति पूर्ण” + +# कोमल + +“दयालु” या “निस्वार्थ” + +# और अच्छे फलों से लदा हुआ + +अच्छे फलों की तुलना अच्छे कामों से की गई है वैकल्पिक अनुवाद:“सद्कर्म” + +# कपटरहित + +“सत्यनिष्ठ” या “सच्चा” + +# धार्मिकता का फल मेल-मिलाप के साथ बोते हैं। + +इस रूपक के द्वारा हमारे जीवन के सदाचार की तुलना फसल उगाने और लवनी करने से की गई है। वैकल्पिक अनुवाद: “जो शान्ति में जीवन निर्वाह करते हैं वे परमेश्वर निर्देशित उचित जीवन जी रहे हैं।” diff --git a/jas/04/01.md b/jas/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..2e8951c --- /dev/null +++ b/jas/04/01.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# तुममें लड़ाईयां और झगड़े कहाँ से आ गये? + +याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा अपने पाठकों को शिक्षा दे रहा है और झिड़क भी रहा है। “लड़ाइयां और झगड़े” ये दोनों शब्द एक ही अर्थ के हैं। किसी बात पर बल देने के ये दो मार्ग हैं। इसका अनुवाद है, “मैं जानता हूं कि तुम आपस में सदैव विवाद क्यों करते रहते हो।” + +# तुम...तुम्हारे...तुम + +4:1-3 में ये सर्वनाम बहुवचन में है और याकूब के पाठकों के संदर्भ में है। + +# क्या उन सुख विलासों से नहीं...? + +क्या उन सुख विलासों से नहीं...? यह एक प्रभावोत्पादक प्रश्न है जिसके द्वारा याकूब अपने पाठकों को झिड़कता है। इसका अनुवाद कथनात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “यह तुम्हारी दुष्ट लालसाओं के कारण होता है” या “यह तुम्हारी अभिलाषाओं से उत्पन्न होता है क्योंकि वे बुरी हैं।” + +# सुख विलासों से + +यहाँ याकूब “सुख विलास को मानवीय रूप देता है जो एक सैनिक के समान विश्वासियों से युद्ध करता है। इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम जिन बातों की लालसा करते हो वे बुरी हैं और तुम अन्य विश्वासियों की घटी के विषय निश्चिन्त रहते हो।” + +# तुम्हारे अंगों में + +संभावित अर्थ हैं 1) स्थानीय विश्वासियों में झगड़े हैं या 2) तुम्हारे मनुष्यत्व में संघर्ष है- अच्छे और बुरे का युद्ध है। + +# लालसा रखते हो + +“तुम सदैव उसकी लालसा करते हो जो तुम्हारे पास नहीं है।” + +# हत्या करते हो + +यह एक अतिशयोक्ति है जो व्यक्त करती है कि उन विश्वासियों का स्वभाव कैसा बुरा है कि वे प्राप्त करने की लालसा करते हैं। “तुम जिन वस्तुओं को प्राप्त करने में सफल नहीं होते तो नाना प्रकार की बुराइयां करते हो।” + +# लड़ते भिड़ते + +बल देने हेतु यहाँ एक बात के लिए दो शब्दों का उपयोग किया गया है। “तुम लगातार लड़ते रहते हो।” + +# बुरी इच्छा से मांगते हो। + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) तुम्हारे उद्देश्य गलत हैं, तुम्हारा दृष्टिकोण उचित नहीं है। या “तुम अनुचित या बुरी वस्तु की याचना करते हो।” + +# भोग विलास में उड़ा दो। + +“गंवा दो” diff --git a/jas/04/04.md b/jas/04/04.md new file mode 100644 index 0000000..aa018a7 --- /dev/null +++ b/jas/04/04.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हे व्यभिचारिणियों + +यह रूपक परमेश्वर को न मानने वाले विश्वासियों की तुलना उस स्त्री से करता है जो अपने पति के विश्वासयोग्य नहीं और दूसरे पुरूषों से यौन संबंध बनाती है। “तुम परमेश्वर के स्वामीभक्त नहीं हो।” + +# क्या तुम नहीं जानती...? + +यह एक प्रभावोत्पादक प्रश्न है जिसके द्वारा याकूब अपने पाठकों को शिक्षा देना चाहता है। “तुम भली भान्ति अभिज्ञ हो।” + +# संसार का मित्र होना + +अर्थात संसार की सदाचार की मान्यताओं तथा आचरण के अनुरूप होना या उसमें सहभागी होना। + +# वह अपने आपको परमेश्वर का बैरी बनाता है। + +वह अपने आपको परमेश्वर का बैरी बनाता है। संसार की सदाचार की मान्यताओं के अनुरूप आचरण रखना परमेश्वर विरोधी है। “परमेश्वर का सम्मान न करने वालों के अनुरूप व्यवहार करना परमेश्वर का विरोध करना है।” + +# संसार का मित्र + +“परमेश्वर का सम्मान न करने वालों के अनुरूप होना” + +# क्या तुम यह समझते हो कि पवित्र शास्त्र व्यर्थ कहता है? + +इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा याकूब अपने पाठकों को शिक्षा देता है। इसका अनुवाद कथनात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “धर्मशास्त्र सच ही कहता है।” + +# जिस आत्मा को उसने हमारे भीतर बसाया है क्या वह ऐसी लालसा करता है + +इस पद में अनेक बातें स्पष्ट नहीं की गई हैं। “आत्मा” क्या पवित्र आत्मा है या मनुष्य की आत्मा है? क्या परमेश्वर या आत्मा अभिलाषाओं में लिप्त है? क्या यह लालसा अच्छी है या बुरी है? क्या यह प्रभावोत्पादक प्रश्न उत्तर में “हाँ” की अपेक्षा करता है या “नहीं” की। या 2) “हाँ” परमेश्वर उस पवित्र आत्मा की लालसा करता है जिसे परमेश्वर ने हममें अन्तर्वास करवाया है या 3) “हाँ” परमेश्वर ने हममें जो आत्मा फूंका है उसमें बुरी लालसायें हैं। या 4) “हाँ” पवित्र आत्मा जिसे परमेश्वर ने हमें अन्तर्वास करवाया है, वह हमारे लिए गहन लालसा करता है। 5) “नहीं” परमेश्वर ने जिस पवित्र आत्मा का हम में अन्तर्वास करवाया है, वह डाह नहीं करता है। “हमारा सुझाव है कि आपके पाठक जिन विभिन्न अनुवादों को पढ़ते हैं उनमें व्यक्त अर्थों को यहाँ काम में लें।” diff --git a/jas/04/06.md b/jas/04/06.md new file mode 100644 index 0000000..7930007 --- /dev/null +++ b/jas/04/06.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# वह और भी अधिक अनुग्रह देता है। + +यह वाक्य 4:5 से कैसे संबंधित है, स्पष्ट करें, “परन्तु यदि हमारी आत्मायें उन वस्तुओं की लालसा करें जिन्हें हम प्राप्त नहीं कर सकते तो परमेश्वर हमें और भी अधिक अनुग्रह प्रदान करता है परन्तु तब जब हम स्वयं को दीन बनायें।” + +# परमेश्वर....विरोध करता है + +“परमेश्वर विरोध करता है” + +# अभिमानियों + +“घमंडी लोग” + +# दीनों पर + +“विनम्र लोगों पर” + +# इसलिए + +“इस कारण” + +# परमेश्वर के अधीन हो जाओ + +“परमेश्वर के अधीन समर्पित हो जाओ” इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “परमेश्वर की आज्ञा मानो” + +# शैतान का सामना करो + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो शैतान चाहता है वैसा कभी नहीं करता” + +# तुम्हारे पास से भाग निकलेगा + +“शैतान भाग खड़ा होगा” diff --git a/jas/04/08.md b/jas/04/08.md new file mode 100644 index 0000000..5567be6 --- /dev/null +++ b/jas/04/08.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# तुम्हारे निकट आएगा + +“तुम्हारे” अर्थात याकूब के पाठक + +# हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्त लोगों अपने हृदय को पवित्र करो। + +“अपने हाथों को शुद्ध करो” अर्थात “अपने मन पवित्र करो” तथा “हे पापियों” अर्थात “दुचित्त लोगों” + +# अपने हाथ शुद्ध करो + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) मनुष्य का आचरण एवं कर्म या 2) मनुष्य अपने पापी स्वभाव एव कर्मों का प्रायश्चित करे। इसका अनुवाद होगा, “ऐसा आचरण रखो जिससे परमेश्वर का महिमान्वन हो।” + +# अपने हृदय को पवित्र करो। + +“हृदय” मनुष्य के विचारों और भावनाओं के लिए लाक्षणिक उपयोग है। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “अपने विचारों से परमेश्वर का महिमान्वन करो।” + +# दुचित्ते + +यह एक लाक्षणिक उपयोग है जो मनुष्य के निर्णय लेने में अस्थिरता को दर्शाता है। इसका अअनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “चंचल मन के मनुष्य” या “ऐसे मननुष्य जो परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने या न करने का निर्णय नहीं ले सकते।” + +# दुखी हो और शोक करो + +दो रूपों में एक ही बात पर बल देना। “गहरा दुख मनाओ।” + +# तुम्हारी हंसी शोक में और तुम्हारा आनंद उदासी में बदल जाये। + +बल देने के लिए एक ही बात को दो रूपों में व्यक्त करना। “अपना हर्षोल्लास तुरन्त समाप्त करके परमेश्वर से याचना करो कि तुम्हें दुख है।” + +# प्रभु के सामने दीन बनो। + +“परमेश्वर के समक्ष विनीत बनो।” + +# वह तुम्हें शिरोमणि बनायेगा + +इस मुहावरे का अनुवाद हो सकता है, “वह तुम्हें प्रतिष्ठित करेगा” diff --git a/jas/04/11.md b/jas/04/11.md new file mode 100644 index 0000000..4423e64 --- /dev/null +++ b/jas/04/11.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# बदनामी न करो + +“किसी के विषय बुरा कहना” या “विरोध करना” + +# हे भाइयों + +“विश्वासी भाइयों और बहनों” + +# तू.....तू + +4:11-12 में ये सर्वनाम बहुवचन हैं और याकूब के पाठकों का संदर्भ देते हैं। + +# दोष लगाता है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“तुम उस मनुष्य के सदृश्य काम करते हो जो नियम निर्धारित करता है।” + +# व्यवस्था देने वाला और हाकिम तो एक ही हैं। + +“नियमों का देने वाला और मनुष्यों का न्याय करने वाला केवल परमेश्वर है क्योंकि वही एकमात्र है।” + +# तू कौन है जो अपने पड़ोसी पर दोष लगाता है? + +याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा अपने पाठकों को झिड़कता है। इसका अनुवाद कथनात्मक रूप में किया जा सकता है, “तुम मात्र मनुष्य हो इसलिए मनुष्य का न्याय नहीं कर सकते।” diff --git a/jas/04/13.md b/jas/04/13.md new file mode 100644 index 0000000..9da1c7a --- /dev/null +++ b/jas/04/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# एक वर्ष बितायेंगे + +इस मुहावरे का अनुवाद होगा, “एक वर्ष ठहरेंगे।” + +# तुम जो यह कहते हो + +“कोई कहेगा” + +# यह नहीं जानते कल क्या होगा + +यह नहीं जानते कल क्या होगा यह एक प्रभावोत्पादक प्रश्न है जिसके द्वारा याकूब अपने पाठकों को झिड़कता है। इसका अनुवाद एक कथनात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा।” ) + +# तुम्हारा जीवन है ही क्या? + +इस प्रभावोत्पादक प्रश्न क्षरा याकूब अपने पाठकों को सांसारिक जीवन की शिक्षा देता है। इसका अनुवाद होगा, “अपनी इस पार्थिव जीवन पर तो ध्यान करो।” + +# तुम तो भाप के समान हो जो थोड़ी देर दिखाई देती है फिर गायब हो जाती है। + +यह एक उपमा है। ) diff --git a/jas/04/15.md b/jas/04/15.md new file mode 100644 index 0000000..3a18250 --- /dev/null +++ b/jas/04/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हम जीवित रहेंगे + +यहाँ “हम” का संदर्भ सीधा याकूब या उसके पाठकों से नहीं है। यह एक उदाहरण है कि याकूब के पाठक कैसे व्यवहार करें। + +# यह या वह काम करेंगे + +अर्थात “हमने जो सोचा है वह काम करेंगे” + +# जो.....जानता है। + +याकूब “जो” से किसी व्यक्ति विशेष को संबोधित नहीं करता है परन्तु वह हर एक मनुष्य जो भलाई करना जानता है पर करता नहीं। diff --git a/jas/05/01.md b/jas/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..3dd0d6f --- /dev/null +++ b/jas/05/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हे धनवानों + +यह 1:10 में वर्णित धनवान लोग नहीं हैं। याकूब उन धनवानों को संबोधित कर रहा है जो परमेश्वर को नहीं मानते। इसे स्पष्ट किया जा सकता है, “तुम धनवान जो परमेश्वर को नहीं मानते।” + +# आने वाले क्लेशों + +धनवानों पर क्लेश कब आयेंगे स्पष्ट किया जा सकता है, “जब परमेश्वर सबका न्याय करेगा तब धनवानों पर भयानक आपदायें आयेंगी।” + +# वह काई तुम पर गवाही देगी। + +“तुम पर गवाही देगी”। इस वाक्यांश द्वारा काई लगी हुई वस्तुओं का मानव स्वरूप दर्शाया जा रहा है जो न्यायधीश के सम्मुख किसी के विरूद्ध गवाही देता है कि उसने नियम का उल्लंघन किया है। इसका अनुवाद होगा, “जब परमेश्वर तुम्हारा न्याय करेगा तब तुम्हारी संपदा जो नष्ट हो गई, एक मनुष्य के सदृश्य तुम पर दोष लगाएगी।” + +# आग के समान तुम्हारा मांस खा जायेगी। + +यहाँ नष्ट हुई संपदा की तुलना उस आग से की गई है जो सब कुछ ध्वंस कर देती है। “आग” एक रूपक है जो परमेश्वर के दण्ड को दर्शाता है। इसका अनुवाद है, “और वह परमेश्वर के दण्ड का कारण है।” (देखें: और ) + +# धन बटोरा है। + +“तुमने अपने ही लिए सब कुछ संग्रह किया है, किसी के साथ बांटा नहीं।” + +# अंतिम युग में + +यह एक लाक्षणिक उपयोग है जो उस समय के लिए काम में लिया गया है जो मनुष्यों के न्याय हेतु परमेश्वर के आगमन से पूर्व का है। उस युग में जब परमेश्वर तुम्हारा न्याय करने आने वाला है। (यू.डी.बी) diff --git a/jas/05/04.md b/jas/05/04.md new file mode 100644 index 0000000..db12857 --- /dev/null +++ b/jas/05/04.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +याकूब धनवान यहूदियों को ही झिड़क रहा है। वे सोचते हैं कि वे विश्वासी हैं परन्तु यर्थाथ में वे विश्वासी नहीं है। + +# देखो + +यहाँ “देखो” शब्द आने वाली परिचर्चा पर बल दे रहा है। “इस बात पर विचार करो।” + +# उनकी यह मजदूरी...चिल्ला रही है। + +यहाँ “मजदूरी” को भी मानवरूप में प्रकट किया गया है जो चिल्ला रही है। इसका वास्तविक अनुवाद होगा, “मजदूर अर्तनांद कर रहे हैं।” + +# जिन मजदूरों ने तुम्हारे खेत काटे उनकी वह मजदूरी....चिल्ला रही है। + +वैकल्पिक अनुवाद: “तुमने खेत काटने वाले मजदूरों को मजदूरी नहीं दी। वे अपनी मजदूरी के लिए पुकार रहे हैं।” + +# लवने वालों की दोहाई सेनाओं के प्रभु के कानों तक पहुंचा दी गई है। + +“सेनाओं के प्रभु ने लवनी करने वालों का अंतर्नाद सुन लिया है।” + +# सेनाओं के प्रभु के कानों तक + +याकूब “कान” शब्द को प्रभु के काम में ले रहा है। इसका अनुवाद है, “सर्व शक्तिमान परमेश्वर ने लवने वालों की आह सुन ली है।” + +# तुम पृथ्वी पर भोग विलास में लगे रहे और बड़ा ही सुख भोगा + +“तुम्हारे पास आवश्यकता से कहीं अधिक धन संपदा है।” + +# तुमने इस वध के दिन के लिए अपने हृदय का पालन पोषण करके उसको मोटा ताजा किया है। + +यहाँ मनुष्य की अधिकाधिक पाने की लालसा की तुलना उस बछड़े से की गई है जो खा-खाकर मोटा ताजा हो जाता है। “तुम्हारी लालसा ने तुम्हें कठोर अनन्त दण्ड के लिए ही तैयार किया है।” + +# धर्मी को + +“न्यायोचित्त काम करने वाले मनुष्य का।” + +# वह तुम्हारा सम्मान नहीं करता + +“वह तुम्हारा सम्मान नहीं करता” diff --git a/jas/05/07.md b/jas/05/07.md new file mode 100644 index 0000000..5828509 --- /dev/null +++ b/jas/05/07.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# धीरज धरो + +“अतः धीरजधारक शान्त चित्त हो जाओ।” + +# प्रभु के आगमन तक + +अर्थात जब प्रभु यीशु अपना राज्य स्थापित करने इस पृथ्वी पर पुनः आयेगा और सबका न्याय करेगा। “मसीह के पुनः आगमन तक” + +# किसान + +याकूब विश्वासियों की तुलना किसानों से करता है कि धीरज के महत्व पर बल दे। + +# अपने हृदय को दृढ़ करो + +यह एक मुहावरा है जिसका अनुवाद हो सकता है, “समर्पित रहो” या “विश्वास दृढ़ रखो।” + +# प्रभु का आगमन निकट है। + +“मसीह शीघ्र ही आने वाला है।” diff --git a/jas/05/09.md b/jas/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..d21518f --- /dev/null +++ b/jas/05/09.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +याकूब अपने पाठकों में धनवान यहूदियों से सब यहूदी विश्वासियों को संबोधित कर रहा है। + +# हे भाइयों, एक दूसरे पर दोष न लगाओ + +याकूब पुनः सब विश्वासियों को संबोधित कर रहा है। + +# एक दूसरे पर + +“आपस में” + +# ताकि तुम दोषी न ठहरो + +इसका अनुवाद कतृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “ताकि मसीह तुम्हें दण्ड न दे।” + +# देखो हाकिम द्वार पर खड़ा है। + +याकूब यीशु की तुलना अब मनुष्य से कर रहा है जो द्वार में प्रवेश कर रहा है कि संसार का न्याय करने के लिए यीशु के पुनः आगमन पर बल दे। इसका अनुवाद होगा, “शीघ्र आने वाला है” + +# जिन भविष्यद्वक्ताओं ने प्रभु के नाम से बातें कीं उनको दुख उठाने और धीरज धरने का एक आदर्श समझो। + +“भविष्यद्वक्ताओं ने बहुत कष्ट उठाये परन्तु धीरज रखा।” + +# प्रभु के नाम से बातें कीं। + +“मनुष्यों को प्रभु के नाम का सन्देश सुनाया।” + +# देखो + +“देखो” शब्द द्वारा अग्रिम चर्चा पर बल दिया गया है। “अब ध्यान से सुनो” या “स्मरण रखो” + +# धीरज न धरने वालों को + +“जो सहनशील हैं” या “जो कष्टों में स्थिर रहते हैं।” + +# प्रभु की अत्यन्त करूणा और दया प्रकट होती है। + +“प्रभु सदैव अनुकंपा और दया दर्शाता है।” diff --git a/jas/05/12.md b/jas/05/12.md new file mode 100644 index 0000000..2a402f5 --- /dev/null +++ b/jas/05/12.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# सबसे श्रेष्ठ + +इस मुहावरे का अनुवाद हो सकता है, “सबसे महत्वपूर्ण बात है” या “विशेष बात तो यह है।” + +# हे मेरे भाइयों + +“मेरे भाइयों और बहनों” + +# शपथ न खाना + +किसी ऊंचे अधिकार के अधीन कुछ करने की वाचा देना। वैकल्पिक अनुवाद “शपथ नहीं खाना” या “वचन नहीं देना” + +# न स्वर्ग की, न पृथ्वी की + +“स्वर्ग” और “पृथ्वी” शब्द लाक्षणिक हैं जो स्वर्ग और पृथ्वी की शक्तियों का संदर्भ देते हैं। (यू.डी.बी) + +# हाँ की हाँ और नहीं की नहीं हो + +अर्थात “हाँ” कहते हो तो उसे करो शपथ खाने की आवश्यकता नहीं है। + +# कि तुम दण्ड के योग्य न ठहरो + +“कि परमेश्वर तुम्हें दण्ड न दे।” diff --git a/jas/05/13.md b/jas/05/13.md new file mode 100644 index 0000000..2b7c172 --- /dev/null +++ b/jas/05/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यदि तुम में से कोई दुखी है तो वह प्रार्थना करे। + +“यदि कोई कष्टों से घिरा है तो वह प्रार्थना करे।” + +# यदि आनंदित है तो वह स्तुति के भजन गाये। + +“यदि कोई आनंदित है तो वह गाकर स्तुति करे।” + +# यदि तुम में कोई रोगी है तो कलीसिया के प्राचीनों को बुलाये। + +“यदि कोई रोगग्रस्त है तो वह कलीसिया के धर्मवृद्धों को बुलाकर” + +# विश्वास की प्रार्थना के द्वारा रोगी बच जायेगा। + +विश्वासी रोगी के लिए प्रार्थना करते हैं तो परमेश्वर उनकी प्रार्थना सुनता है और रोगियों का रोग हर लेता है। “प्रभु विश्वासियों को विश्वास के साथ प्रार्थना करते सुनता है, वह रोगी का रोग हर लेता है।” diff --git a/jas/05/16.md b/jas/05/16.md new file mode 100644 index 0000000..c529524 --- /dev/null +++ b/jas/05/16.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# एक दूसरे के सामने + +“आपस में” + +# एक दूसरे के लिए + +“भाइयों के लिए” + +# जिससे चंगे हो जाओ + +इसका अनुवाद कतृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “कि परमेश्वर तुम्हें ज्ञवास्थ्य प्रदान करे।” + +# धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “परमेश्वर का आज्ञाकारी जन जब प्रार्थना करता है तब परमेश्वर बड़े-बड़े काम करता है।” + +# गिड़गिड़ाकर + +“यत्न से” या “प्रबल” या “मन की गहराई से” + +# तीन...छः + +"3....6" + +# आकाश से वर्षा हुई + +यहाँ आकाश का अभिप्राय परमेश्वर से है। “परमेश्वर ने वर्षा दी” diff --git a/jas/05/19.md b/jas/05/19.md new file mode 100644 index 0000000..6be6b7c --- /dev/null +++ b/jas/05/19.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हे भाइयों + +“मेरे विश्वासी भाइयों और बहनों” + +# यदि तुममें से कोई सत्य के मार्ग से भटक जाये और कोई उसको फेर लाये। + +यह एक रूपक है। परमेश्वर की आज्ञा न मानने वाले विश्वासी की यहाँ एक भटकी हुई भेड़ से तुलना की गई है। वह विश्वासी जो ऐसे पथभ्रष्ट विश्वासी को प्रभु में लौटा लाता है वह उस चरवाहे के समान है जो भेड़ को लौटा कर पुनः वृन्द में ले आता है। इसका अनुवाद होगा, “यदि कोई परमेश्वर की आज्ञा मानना छोड़ देता है और दूसरा विश्वासी उसे पुनः आज्ञा पालन में सहायता प्रदान करता है।” + +# तो वह यह जान ले + +“जो उस पथभ्रष्ट विश्वासी को लौटा लाया है यह जान ले” + +# भटके हुए पापी को फेर लायेगा। + +“विश्वासी को जो परमेश्वर के सम्मान का जीवन नहीं जी रहा है ऐसा करने से रोक ले।” + +# वह एक प्राण को मृत्यु से बचायेगा और अनेक पापों पर परदा डालेगा। + +याकूब “प्राण” शब्द के उपयोग द्वारा यह दर्शाना चाहता है कि मृत्यु इस जीवन की मृत्यु से अधिक है। “प्राण” पापी का द्योतक है। “मृत्यु” अर्थात आत्मिक मृत्यु। इसका अनुवाद होगा, “वह पापी को आत्मिक मृत्यु से बचायेगा और परमेश्वर उस पापी के सब पाप क्षमा कर देगा।” diff --git a/jhn/01/01.md b/jhn/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..ff16137 --- /dev/null +++ b/jhn/01/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# आदि में + +आकाश और पृथ्वी की रचना से भी बहुत पहले का समय + +# वचन + +अर्थात यीशु। यदि संभव होता तो "यह वचन" अनुवाद करें यदि आपकी भाषा में "वचन" स्त्रीलिंग शब्द है तो इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "वह जो वचन कहलाता है"। + +# सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, "परमेश्वर ने सब कुछ उसके द्वारा उत्पन्न किया है"। + +# और जो कुछ उत्पन्न है उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न नहीं हुई। + +"परमेश्वर ने उसके बिना कुछ नहीं सृजा" या "परमेश्वर ने सब कुछ उसके साथ सृजा है" (देखें: और ) diff --git a/jhn/01/04.md b/jhn/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..f34c334 --- /dev/null +++ b/jhn/01/04.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसमें जीवन था + +"यह वही है जिसे वचन कहा गया है, वही है जिसने हर एक प्राणी को जीवन दिया" + +# वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था + +"वह हम पर परमेश्वर के सत्य को वैसे ही प्रकट करता है जैसे ज्योति अन्धकार की वस्तुओं को प्रकट करती है।" + +# ज्योति अन्धकार में चमकती है, और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। + +"मनुष्य नहीं चाहते कि वह उनकी बुराइयों को प्रकट करे, ठीक वैसे ही जैसे अन्धकार बुराई है, परन्तु जिस प्रकार कि अन्धकार ज्योति को दबा नहीं सकता उसी प्रकार दुष्ट उस ज्योति स्वरूप व्यक्ति को परमेश्वर के सत्य के प्रकटीकरण से रोक नहीं पाता है"। diff --git a/jhn/01/09.md b/jhn/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..51c45fb --- /dev/null +++ b/jhn/01/09.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# प्रकाशित करती है + +प्रकाशित करती है, "प्रकाश देती है" diff --git a/jhn/01/10.md b/jhn/01/10.md new file mode 100644 index 0000000..44dd213 --- /dev/null +++ b/jhn/01/10.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहचाना। + +"यद्यपि वह इस संसार में था और परमेश्वर ने यहाँ पर जो कुछ है वह सब कुछ उसी के द्वारा सृजा मनुष्यों ने फिर भी उसे स्वीकार नहीं किया"। + +# वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया + +"वह अपने ही स्वदेश-वासियों में आया और उसके अपने ही स्वदेश-वासियों ने भी उसे स्वीकार नहीं किया"। diff --git a/jhn/01/12.md b/jhn/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..ec42490 --- /dev/null +++ b/jhn/01/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसने अधिकार दिया + +"उसने उन्हें अधिकार दिया" या "उसने उनके लिए संभव कर दिया"। diff --git a/jhn/01/14.md b/jhn/01/14.md new file mode 100644 index 0000000..d9ad813 --- /dev/null +++ b/jhn/01/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अनुग्रह से परिपूर्ण + +"हमसे सदैव दयालु व्यवहार करता है जिसके हम योग्य नहीं"। diff --git a/jhn/01/16.md b/jhn/01/16.md new file mode 100644 index 0000000..3273dbd --- /dev/null +++ b/jhn/01/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# परिपूर्णता + +यह शब्द परमेश्वर के अनुग्रह के संदर्भ में है जिसका कोई अन्त नहीं। + +# वरदान पर वरदान + +"आशिषों पर आशिषें" + +# एकमात्र मनुष्य, स्वयं परमेश्वर + +एकमात्र मनुष्य, स्वयं परमेश्वर, इसका अर्थ हो सकता है, (1) "एकमात्र परमेश्वर" या (2) "एकमात्र पुत्र" + +# जो पिता की गोद में है + +"जो सदैव पिता के पास रहता है", घनिष्ट संबन्ध का अभिप्राय प्रकट करता है। (देखेः ) diff --git a/jhn/01/19.md b/jhn/01/19.md new file mode 100644 index 0000000..cf5ad26 --- /dev/null +++ b/jhn/01/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# और इन्कार नहीं किया + +और उसने यह मान लिया, उसने उनसे सत्य कहा है और स्पष्ट व्यक्त किया। (देखें: और + +# तो फिर तू कौन है? + +"यदि तू मसीह नहीं तो सच क्या है"? या "तो फिर से क्या रहा है"? या "तो फिर तू क्या कह रहा है"? diff --git a/jhn/01/22.md b/jhn/01/22.md new file mode 100644 index 0000000..269967b --- /dev/null +++ b/jhn/01/22.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तब उन्होंने उससे पूछा? + +"याजकों और लेवियों ने यूहन्ना से पूछा" + +# हम अपने + +याजक और लेवी, यूहन्ना नहीं + +# उसने कहा + +"यहून्ना ने कहा" + +# "मैं जंगल में एक पुकारने वाले का शब्द हूँ"। + +"मैं उसके जैसा हूँ जो ऐसे स्थान में घोषणा कर रहा है जहाँ उसकी वाणी कोई न सुने"। + +# "तुम प्रभु का मार्ग सीधा करो" + +प्रभु के आगमन के लिए अपने आपको तैयार करो जैसे किसी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के आगमन के लिए लोग मार्ग तैयार करते हैं। diff --git a/jhn/01/24.md b/jhn/01/24.md new file mode 100644 index 0000000..169ef72 --- /dev/null +++ b/jhn/01/24.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यह वही है जो मेरे पीछे आता है + +"मेरे बाद यही तुम्हारे लिए प्रचार करेगा"। + +# जिसकी जूती का बन्ध मैं खोलने के योग्य नहीं + +जिसकी जूती का बन्ध मैं खोलने के योग्य नहीं, यहून्ना कह रहा है कि वह एक सेवक का सबसे तुच्छ कार्य उसके लिए करना चाहे तो भी योग्य नहीं है। diff --git a/jhn/01/29.md b/jhn/01/29.md new file mode 100644 index 0000000..fec2525 --- /dev/null +++ b/jhn/01/29.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# एक पुरूष मेरे पीछे आता है जो मुझसे श्रेष्ठ है। + +इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। diff --git a/jhn/01/32.md b/jhn/01/32.md new file mode 100644 index 0000000..ef9a294 --- /dev/null +++ b/jhn/01/32.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उतरना + +"नीचे आते" + +# परमेश्वर का पुत्र + +इस अभिलेख की कुछ प्रतिलिपियों में लिखा है, "परमेश्वर का पुत्र" और कुछ में लिखा है, "परमेश्वर का चुना हुआ"। diff --git a/jhn/01/37.md b/jhn/01/37.md new file mode 100644 index 0000000..00f5994 --- /dev/null +++ b/jhn/01/37.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दसवें घंटे + +दसों घंटे, यह समय दोपहर के बाद, अन्धेरा होने से पूर्व का है जो किसी दूसरे नगर जाने का समय नहीं था। diff --git a/jhn/01/40.md b/jhn/01/40.md new file mode 100644 index 0000000..48b4b38 --- /dev/null +++ b/jhn/01/40.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यूहन्ना + +यह यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला नहीं पर यूहन्ना उनमें एक प्रचलित नाम था। diff --git a/jhn/01/46.md b/jhn/01/46.md new file mode 100644 index 0000000..53931e2 --- /dev/null +++ b/jhn/01/46.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# क्या कोई अच्छी वस्तु भी नासरत से निकल सकती है? + +"नासरत से कोई भी अच्छी वस्तु नहीं निकल सकती है" + +# इसमें कपट नहीं + +"एक पूर्णतः सत्यवादी मनुष्य है" diff --git a/jhn/01/49.md b/jhn/01/49.md new file mode 100644 index 0000000..eaa9022 --- /dev/null +++ b/jhn/01/49.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सच-सच + +किसी महत्त्वपूर्ण एवं सत्य बात को व्यक्त करने के लिए आपकी भाषा में जो भी अभिव्यक्ति है उसका उपयोग यहाँ करें। diff --git a/jhn/02/03.md b/jhn/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..91d7e0e --- /dev/null +++ b/jhn/02/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# महिला + +पुत्र द्वारा अपनी माता को महिला कहना अभद्र प्रतीत होगा, अतः अपनी भाषा में ऐसा शब्द काम में लें जो विनम्र एवं औपचारिक हो। + +# मुझे तुमसे क्या काम? + +"इसका मुझ से क्या संबन्ध" या "मुझे मत कह कि क्या करना है"। + +# अभी समय नहीं आया + +"अभी समय नहीं है"। diff --git a/jhn/02/06.md b/jhn/02/06.md new file mode 100644 index 0000000..83f026c --- /dev/null +++ b/jhn/02/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# दो-दो तीन-तीन मन + +"80 से 120 लीटर" उनका जो नाप था टन वह लगभग 40 लीटर का होता था + +# मुँहामुँह + +अर्थात मुँह का या पूरा भर दो + +# भोज के प्रधान + +अर्थात भोजन पानी का प्रबन्धक diff --git a/jhn/02/09.md b/jhn/02/09.md new file mode 100644 index 0000000..ab8d97b --- /dev/null +++ b/jhn/02/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# (परन्तु जिन सेवकों ने पानी निकाला था वे जानते थे) + +यह अतिरिक्त जानकारी है। + +# छका हुआ + +दाखमधु के प्रभाव के कारण अच्छी और घटिया मय में अन्तर नहीं पहचान पाते हैं। diff --git a/jhn/02/12.md b/jhn/02/12.md new file mode 100644 index 0000000..c8bf634 --- /dev/null +++ b/jhn/02/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वे गए + +इसका मतलब यह है कि उन्होंने ऊँचे स्थान से नीचे स्थान की तरफ प्रस्थान किया। काना नगर कफरनहूम से ऊंचे पर स्थित था और दक्षिण-पश्चिम में था। + +# उसके भाई + +इस शब्द में भाई-बहन सब है। यीशु के सब भाई बहन उससे कम आयु के थे। diff --git a/jhn/02/13.md b/jhn/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..3e9ff48 --- /dev/null +++ b/jhn/02/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यरूशलेम को + +अर्थात वे नीचे से ऊपर की ओर गए यरूशलेम पहाड़ पर स्थित है। + +# मन्दिर में + +यह मन्दिर का बाहरी आंगन है जहाँ गैर यहूदियों के लिए आराधना करने की व्यवस्था थी। + +# बेचने वालों को + +"परमेश्वर के लिए बलि चढ़ाने के लिए पशु बेचे जाते थे।" + +# सर्राफों + +यहूदी अधिकारियों ने अनिवार्य किया हुआ था कि बाहर का पैसा मन्दिर के पैसों में बदल कर ही पशु-पक्षी खरीदे जाएं अतः सर्राफ मुद्रा विनिमय करते थे। diff --git a/jhn/02/15.md b/jhn/02/15.md new file mode 100644 index 0000000..bcdfcef --- /dev/null +++ b/jhn/02/15.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मेरे पिता के घर को + +यीशु इस अभिव्यक्ति द्वारा मन्दिर का संदर्भ देता था। diff --git a/jhn/02/17.md b/jhn/02/17.md new file mode 100644 index 0000000..8183bab --- /dev/null +++ b/jhn/02/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तेरे घर + +अर्थात परमेश्वर का मन्दिर-परमेश्वर का घर + +# खा जायेगी + +अर्थात पूर्णतः अभिभूत कर देगी। + +# ये बातें + +अर्थात मन्दिर के व्यापार को ध्वंस करता है diff --git a/jhn/02/20.md b/jhn/02/20.md new file mode 100644 index 0000000..69052ab --- /dev/null +++ b/jhn/02/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा है? + +"तीन दिन में इसका पुनः निर्माण करना तेरे लिए संभव नहीं है" + +# यह वचन + +इसका संदर्भ यूह. 02:17 में यीशु के वचन से है। 2:19 diff --git a/jhn/02/23.md b/jhn/02/23.md new file mode 100644 index 0000000..92d280c --- /dev/null +++ b/jhn/02/23.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# परन्तु + +यह एक संयोजक शब्द है जो प्रकट करता है कि एक अनापेक्षित घटना आने वाली है, वैकल्पिक अनुवाद, "तथापि" diff --git a/jhn/03/01.md b/jhn/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..8387b57 --- /dev/null +++ b/jhn/03/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# सदस्य + +फरीसी समुदाय का एक सदस्य + +# यहूदी महासभा + +महासभा, "सेनहेड्रिन" कहलाती थी जो एक यहूदी सभाओं में सर्वोपरि थी। + +# हम जानते हैं + +यहां "हम" विशिष्ट शब्द है जो केवल नीकेदेमुस और महासभा के सदस्यों के लिए है। diff --git a/jhn/03/03.md b/jhn/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..91c9dd7 --- /dev/null +++ b/jhn/03/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# सच-सच हूँ। + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। + +# नये सिरे से जन्में + +"स्वर्ग से जन्म ले" या "परमेश्वर से जन्म ले" + +# मनुष्य जब बूढ़ा हो गया तो कैसे जन्म ले सकता है? + +उसने इस प्रश्न द्वारा इसकी असंभावना पर बल दिया था। वैकल्पिक अनुवाद, "मनुष्य वृद्धावस्था में फिर से जन्म कभी नहीं ले सकता है।" + +# क्या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार फिर से जन्म ले सकता है? + +"वह निश्चय ही अपनी माता के गर्भ में प्रवेश नहीं कर सकता"। + +# दूसरी बार + +"फिर से" या "पुनः" + +# गर्भ + +स्त्री गर्भ के शरीर में भ्रूण विकास का स्थानं वैकल्पिक अनुवाद, "पेट" diff --git a/jhn/03/05.md b/jhn/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..f40bdc7 --- /dev/null +++ b/jhn/03/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सच-सच + +इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया गया है। + +# जल और आत्मा से जन्मा हुआ + +इसके तीन संभावित अर्थ हैं (1) पानी में बपतिस्मा लेना या (2) शारीरिक जन्म या (3) पवित्र आत्मा से जन्म लेना वैकल्पिक अनुवाद, "पवित्र आत्मा से आत्मिक जन्म लेना"।(देखें: और ) diff --git a/jhn/03/07.md b/jhn/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..19017df --- /dev/null +++ b/jhn/03/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु नीकुदेमुस से बातें कर रहा है। + +# तुझे नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है। + +"तुझे स्वार्गिक जन्म लेना है" या "परमेश्वर को तुझे जीवन दान देना है"। देखें पर टिप्पणी + +# हवा जिधर चाहती है उधर चलती है। + +इसके दो अर्थ हैं। मूल भाषा में हवा और आत्मा के लिए एक ही शब्द है। वैकल्पिक अनुवाद, "पवित्र आत्मा एक जैसा है वह जहाँ चाहता है वहाँ जाता है"। diff --git a/jhn/03/09.md b/jhn/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..adcb9e7 --- /dev/null +++ b/jhn/03/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# ये चीजे कैसे हो सकती हैं? + +यह प्रश्न कथन पर बल देता है। वैकल्पिक अनुवाद "ऐसा नहीं हो सकता" या "ऐसा होना संभव नहीं है"। + +# तू इस्राएलियों का गुरू होकर भी क्या इन बातों को नहीं समझता? + +यह प्रश्न उसके कथन को बल देने के लिए है। वैकल्पिक अनुवाद, "तू इस्राएलियों का शिक्षक है और मुझे आश्चर्य हो रहा है कि तू इन बातों को नहीं समझता।" + +# सच-सच + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। + +# हम कहते हैं + +जब यीशु ने कहा, "हम" तो उसमें वह नीकुदेमुस को नहीं गिन रहा है। diff --git a/jhn/03/12.md b/jhn/03/12.md new file mode 100644 index 0000000..6c5b978 --- /dev/null +++ b/jhn/03/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अगर तुमसे स्वर्ग की बातें कहूँ तो तुम कैसे विश्वास करोगे + +दोनों जगह में "तुम" एकवचन में है + +# अगर स्वर्ग की बातें कहूँ तो तुम कैसे विश्वास करोगे? + +"यदि मैं स्वर्ग की बातें कहूँगा" तो तुम निश्चय ही विश्वास नहीं करोगे"। + +# स्वर्ग की बातें + +आत्मिक बातें diff --git a/jhn/03/14.md b/jhn/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..6240672 --- /dev/null +++ b/jhn/03/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया + +वह वास्तविक सांप नहीं था। ताबें का बना सांप था। + +# जंगल में + +जंगल एक निर्जल, निर्जन स्थान था परन्तु यहाँ वह उस स्थान का उल्लेख कर रहा है जहां मूसा और इब्रानी 40 वर्ष तक जंगल में थे। + +# जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया था उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊंचे पर चढ़ाया जाए। + +x diff --git a/jhn/03/16.md b/jhn/03/16.md new file mode 100644 index 0000000..07700cf --- /dev/null +++ b/jhn/03/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा + +जगत अर्थात संसार का वह हर एक जन जो यीशु में विश्वास रखता है न कि हर एक जन जो संसार में है। + +# एकलौता पुत्र + +"एकमात्र पुत्र" + +# दण्ड की आज्ञा + +"दण्ड" diff --git a/jhn/03/19.md b/jhn/03/19.md new file mode 100644 index 0000000..4cd4052 --- /dev/null +++ b/jhn/03/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसके कामों पर दोष लगाया जाए। + +वैकल्पिक अनुवाद "कि ज्योति उसके कामों को उजागर न कर दे" या "कि ज्योति उसके कामों को प्रकट न कर दे"। (देखें: ) + +# वह जो करता है वह स्पष्ट दिखाई दे + +वैकल्पिक अनुवाद, "मनुष्य इसके कामों को स्पष्ट देख पाएं" या "वह जो करता है वह स्पष्ट दिखाई दे"। diff --git a/jhn/03/22.md b/jhn/03/22.md new file mode 100644 index 0000000..96c01d1 --- /dev/null +++ b/jhn/03/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# क्योंकि वहाँ जल बहुत था + +"क्योंकि उस स्थान में जल के सोते अनेक थे"। + +# आएनोन + +इसका अर्थ है जल का सोता + +# शालेम + +यरदन के निकट एक नगर + +# बपतिस्मा लेते थे + +"यूहन्ना उन्हें बपतिस्मा देता था" या "वह उन्हें बपतिस्मा देता था"। diff --git a/jhn/03/25.md b/jhn/03/25.md new file mode 100644 index 0000000..eba520b --- /dev/null +++ b/jhn/03/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तब यूहन्ना के चेलों का किसी यहूदी के साथ वाद-विवाद हुआ। + +"तब यूहन्ना के शिष्यों में और एक यहूदी में विवाद होने लगा"। + +# विवाद हुआ + +"विवाद आरंभ हुआ" या "होने लगा" + +# विवाद + +"शब्दों का झगड़ा" + +# देख, वह बपतिस्मा देता है। + +यहाँ "देख" शब्द एक आज्ञा है अर्थात "ध्यान दे" वैकल्पिक अनुवाद, ध्यान दे कि वह भी बपतिस्मा देता है" या "उसे तो देख, वह भी बपतिस्मा दे रहा है" diff --git a/jhn/03/27.md b/jhn/03/27.md new file mode 100644 index 0000000..e564da4 --- /dev/null +++ b/jhn/03/27.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जब तक उसे स्वर्ग से न दिया जाए तब तक वह कुछ नहीं पा सकता है। + +"किसी में सामर्थ्य नहीं जब तक कि" + +# तुम तो आप ही + +यहां "तुम" शब्द बहुवचन में है जिसका अर्थ है वे सब जिनसे यूहन्ना बातें कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम सब" या "तुम सब के सब"। + +# उसके आगे भेजा गया हूँ। + +"परमेश्वर ने मुझे पहले आने के लिए भेजा है" diff --git a/jhn/03/29.md b/jhn/03/29.md new file mode 100644 index 0000000..5146b2b --- /dev/null +++ b/jhn/03/29.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जिसकी दुल्हिन है वही दुल्हा है + +"दूल्हा दूल्हन से विवाह करता है" या "दूल्हे के पास ही दूल्हन होती है" + +# अब, मेरा यह, हर्ष पूरा हुआ है + +"अतः मैं बहुत आनन्दित हूँ" या "मेरा आनन्द बहुत है"। + +# मेरा हर्ष + +शब्द "मेरा" अर्थात यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला, वह जो कह रहा है + +# वह बढ़े + +"वह" अर्थात दुल्हा, यीशु diff --git a/jhn/03/31.md b/jhn/03/31.md new file mode 100644 index 0000000..cdf28b0 --- /dev/null +++ b/jhn/03/31.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वह जो पृथ्वी से है + +वैकल्पिक अनुवाद, "जो मनुष्य पृथ्वी पर है" या "पृथ्वी का मनुष्य" + +# जो स्वर्ग से आता है + +"जो" यीशु के संदर्भ में है। + +# कोई उसकी गवाही ग्रहण नहीं करता + +"बहुत कम लोग उसकी गवाही स्वीकार करते हैं"। + +# जिसने उसकी गवाही ग्रहण कर ली + +"जिसने" उस व्यक्ति का संदर्भ देता है जो "यीशु की बातें सुनने वाला मनुष्य" है। + +# छाप लगा दी है + +"सिद्ध करता है" या "सहमत होता है" diff --git a/jhn/03/34.md b/jhn/03/34.md new file mode 100644 index 0000000..0882a52 --- /dev/null +++ b/jhn/03/34.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# क्योंकि जिसे परमेश्वर ने भेजा है + +"यह यीशु, जिसे परमेश्वर ने अपना प्रतिनिधि होने के लिए भेजा है"। + +# क्योंकि वह आत्मा नाप कर नहीं देता है। + +"क्योंकि यह वही है जिसे परमेश्वर ने अपनी आत्मा का संपूर्ण सामर्थ्य दे दिया है" + +# जो विश्वास करता है + +"जो विश्वास करता है" या "विश्वास करने वाला कोई भी" + +# परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है + +"परमेश्वर का क्रोध उस पर बना रहता है" diff --git a/jhn/04/01.md b/jhn/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..a16ab58 --- /dev/null +++ b/jhn/04/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जब प्रभु को मालूम हुआ + +"जब" शब्द यहाँ कहानी में परिवर्तन का संकेतक है, कहानी में पूर्व के अध्याय में यूहन्ना के शब्दों से परिवर्तित होकर यीशु के कार्यों का वर्णन करती है। + +# यीशु स्वयं बपतिस्मा नहीं देते थे। + +"असलमे यीशु लोगों को बपतिस्मा नहीं दे रहा था"। "स्वयं" शब्द यीशु पर बल देने के लिए है। diff --git a/jhn/04/06.md b/jhn/04/06.md new file mode 100644 index 0000000..ef53d0c --- /dev/null +++ b/jhn/04/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मुझे पानी पिला + +एक विनम्र निवेदन है, आज्ञा नहीं। diff --git a/jhn/04/09.md b/jhn/04/09.md new file mode 100644 index 0000000..0fa35fd --- /dev/null +++ b/jhn/04/09.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते हैं + +"संबन्ध नहीं रखते हैं"। diff --git a/jhn/04/11.md b/jhn/04/11.md new file mode 100644 index 0000000..03d3883 --- /dev/null +++ b/jhn/04/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है? + +"तू हमारे पिता याकूब से बड़ा नहीं हो सकता" diff --git a/jhn/04/19.md b/jhn/04/19.md new file mode 100644 index 0000000..254546c --- /dev/null +++ b/jhn/04/19.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मुझे लगता है कि तू भविष्यद्वक्ता है + +"मैं समझ सकती हूं कि तू एक भविष्यद्वक्ता है" diff --git a/jhn/04/21.md b/jhn/04/21.md new file mode 100644 index 0000000..b332862 --- /dev/null +++ b/jhn/04/21.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# हम जिसे जानते हैं, उसकी आराधना करते हैं, क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है। + +हम उसे जानते हैं "क्योंकि जो मनुष्यों को परमेश्वर के दण्ड से बचाएगा वह जन्म से यहूदी है"। diff --git a/jhn/04/23.md b/jhn/04/23.md new file mode 100644 index 0000000..73cce81 --- /dev/null +++ b/jhn/04/23.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परन्तु, वह समय आता है, वरन् अब भी है + +वैकल्पिक अनुवाद, "परन्तु समय आ चुका है, जब" + +# आराधना आत्मा से करेंगे। + +"उसके आत्मा के निर्देशन में" diff --git a/jhn/04/28.md b/jhn/04/28.md new file mode 100644 index 0000000..75ecca3 --- /dev/null +++ b/jhn/04/28.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# कहीं यही तो मसीह नहीं? + +वैकल्पिक मनुष्य, "क्या यह मनुष्य मसीह हो सकता है"? diff --git a/jhn/04/34.md b/jhn/04/34.md new file mode 100644 index 0000000..bad9d07 --- /dev/null +++ b/jhn/04/34.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मेरा भोजन यह है कि अपने भेजने वाले वाले की इच्छा के अनुसार चलूं। + +"जिस प्रकार भोजन भूखे मनुष्य को सन्तुष्ट करता है उसी प्रकार परमेश्वर की इच्छा का पालन करना मुझे सन्तुष्ट करता है" + +# क्या तुम नहीं कहते + +"क्या यह तुम में प्रचलित कहावत नहीं"? + +# वे कटनी के लिए पक चुके हैं। + +जिस प्रकार खेत में पकी हुई फसल कटनी के लिए तैयार होती है वैसे ही मनुष्य मेरा सन्देश स्वीकार करने के लिए तैयार हैं“ diff --git a/jhn/04/37.md b/jhn/04/37.md new file mode 100644 index 0000000..e32fcc4 --- /dev/null +++ b/jhn/04/37.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम उसके परिश्रम के फल के भागी हुए। + +"तुम" शब्द "तुम" को पिछले उपयोग का फल प्रदान करने के लिए है। इसका अनुवाद अपनी भाषा में उस शब्द से करें जो किसी व्यक्ति को बल प्रदान करता है। diff --git a/jhn/04/43.md b/jhn/04/43.md new file mode 100644 index 0000000..c7e231a --- /dev/null +++ b/jhn/04/43.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यीशु ने आप ही साक्षी दी + +"आप" शब्द बल प्रदान करने के लिए काम में लिया गया है diff --git a/jhn/05/01.md b/jhn/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..9ef1dd7 --- /dev/null +++ b/jhn/05/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# इन बातों के पश्चात् + +राजा के कर्मचारी के पुत्र को जीवित करने के बाद + +# यरूशलेम को गया + +यरूशलेम पहाड़ पर बसा है। यरूशलेम का मार्ग छोटी पहाड़ियों पर ऊपर नीचे होता हुआ जाता है। यदि आपकी भाषा में ऐसा शब्द है जो समतल भूमि पर चलने की अपेक्षा पहाड़ पर चढ़ने को व्यक्त करता है तो उसका उपयोग करें। + +# कुण्ड + +भूमि में पानी का गड्डा + +# बैतहसदा + +"बैतहसदा" का अर्थ है दया का घर + +# ओसारे + +किसी इमारत से लगी छत जिसकी कम से कम एक दीवार नहीं होती है + +# बहुत से + +अनेक + +# पद 4 + +कुछ प्राचीन अभिलेखों में यह पद है परन्तु अन्यों में नहीं है, अतः हमारा सुझाव है कि आप वहां रिक्त स्थान छोड़ने की अपेक्षा पद 3 और पद 4 को जोड़ दें जैसा यू.एल.बी. और यू.डी.बी. में किया गया है। diff --git a/jhn/05/05.md b/jhn/05/05.md new file mode 100644 index 0000000..8ea97ad --- /dev/null +++ b/jhn/05/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वहाँ था + +"बैतहसदा के कुण्ड के पास।" + +# अड़तीस वर्ष से + +38 वर्षों से + +# यह जानकर + +"वह समझ गया" diff --git a/jhn/05/07.md b/jhn/05/07.md new file mode 100644 index 0000000..53e2ff3 --- /dev/null +++ b/jhn/05/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जब पानी हिलाया जाए + +"जब स्वर्गदूत पानी हिलाए" + +# दूसरा मुझसे पहले उतर जाता है। + +"मुझसे पहले कोई और ही कुण्ड में उतर जाता है" उस कुण्ड में जल तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों से उतर कर जाना होता था। + +# उठ + +"खड़ा हो" + +# अपनी खाट उठा + +"अपना बिछौना उठा" diff --git a/jhn/05/09.md b/jhn/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..dc43f97 --- /dev/null +++ b/jhn/05/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वह मनुष्य तुरन्त चंगा हो गया। + +"वह मनुष्य फिर से स्वस्थ हो गया" + +# अब + +अब मुख्य कहानी में अन्तराल आता है diff --git a/jhn/05/10.md b/jhn/05/10.md new file mode 100644 index 0000000..8f134f3 --- /dev/null +++ b/jhn/05/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जिसने मुझे चंगा किया + +जिस मनुष्य ने मुझे स्वास्थ्य प्रदान किया diff --git a/jhn/05/12.md b/jhn/05/12.md new file mode 100644 index 0000000..5e4a954 --- /dev/null +++ b/jhn/05/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उन्होंने उससे पूछा + +"यहूदी गुरूओं ने स्वास्थ्य लाभ उठाने वाले से पूछा" diff --git a/jhn/05/14.md b/jhn/05/14.md new file mode 100644 index 0000000..5c4642b --- /dev/null +++ b/jhn/05/14.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वह यीशु को मिला + +"यीशु को वह मनुष्य मिला जिसे उसने चंगा किया था" + +# देख + +वैकल्पिक अनुवाद, "देख" या "सुन" या "मैं जो कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दे"। diff --git a/jhn/05/16.md b/jhn/05/16.md new file mode 100644 index 0000000..a0703ec --- /dev/null +++ b/jhn/05/16.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अब + +यहाँ कहानी में अन्तराल आता है और यूहन्ना कहानी का एक नये परिदृश्य प्रस्तुत करता है। + +# अपने आप को परमेश्वर के तुल्य भी ठहराता है + +"कहता है कि वह परमेश्वर के समान है" या "कहता है कि उसके पास परमेश्वर के समान अधिकार है" diff --git a/jhn/05/19.md b/jhn/05/19.md new file mode 100644 index 0000000..a91fd2c --- /dev/null +++ b/jhn/05/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है . + +# सच-सच + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। + +# तुम अचम्भा करोगे + +"तुम चकित हो जाओगे" या "तुम भौंचक्के रह जाओगे”। diff --git a/jhn/05/21.md b/jhn/05/21.md new file mode 100644 index 0000000..b1e7e68 --- /dev/null +++ b/jhn/05/21.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से ही बातें कर रहा है . diff --git a/jhn/05/24.md b/jhn/05/24.md new file mode 100644 index 0000000..7df7f7b --- /dev/null +++ b/jhn/05/24.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से ही बातें कर रहा है . + +# सच-सच + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। diff --git a/jhn/05/25.md b/jhn/05/25.md new file mode 100644 index 0000000..c07e757 --- /dev/null +++ b/jhn/05/25.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है . + +# सच-सच + +यह बल देने के लिए है। इसका अनुवाद अपनी भाषा में किसी बात पर बल देने के शब्दों में करें diff --git a/jhn/05/26.md b/jhn/05/26.md new file mode 100644 index 0000000..f562d5f --- /dev/null +++ b/jhn/05/26.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है . diff --git a/jhn/05/28.md b/jhn/05/28.md new file mode 100644 index 0000000..2e23363 --- /dev/null +++ b/jhn/05/28.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है . + +# उसका शब्द सुन कर + +"मनुष्य के पुत्र की वाणी सुनकर" diff --git a/jhn/05/30.md b/jhn/05/30.md new file mode 100644 index 0000000..4bb4b7a --- /dev/null +++ b/jhn/05/30.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से ही बातें कर रहा है . + +# कुछ नहीं कर सकता + +इसका अनुवाद वैसा करें जैसा में किया है diff --git a/jhn/05/33.md b/jhn/05/33.md new file mode 100644 index 0000000..d2ecce7 --- /dev/null +++ b/jhn/05/33.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है . + +# मैं अपने विषय में मनुष्य की गवाही नहीं चाहता + +"मुझे मनुष्यों की गवाही की आवश्यकता नहीं" + +# युहन्ना तो जलता और चमकता हुआ दीपक था + +"यूहन्ना ने परमेश्वर की पवित्रता को इस प्रकार प्रकट किया जिस प्रकार दीपक ज्योति प्रकट करता है"। diff --git a/jhn/05/36.md b/jhn/05/36.md new file mode 100644 index 0000000..3ee43c7 --- /dev/null +++ b/jhn/05/36.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है . + +# उसके वचन को तुम में स्थिर नहीं रखते क्योंकि उसने भेजा है तुम उसका विश्वास नहीं करते। + +"तुम उसमें विश्वास नहीं करते जिसे उसने भेजा है, इसी से मैं जानता हूं कि उसका वचन तुममे नहीं है।" + +# तुम में + +"तुममें अवस्थित" diff --git a/jhn/05/39.md b/jhn/05/39.md new file mode 100644 index 0000000..908a8f7 --- /dev/null +++ b/jhn/05/39.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है . + +# उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है + +"यदि तुम धर्मशास्त्र पढ़ो तो तुम्हें अनन्त जीवन प्राप्त होगा" या "धर्मशास्त्र तुम्हें अनन्त जीवन पाने का मार्ग दिखाएगा"। diff --git a/jhn/05/41.md b/jhn/05/41.md new file mode 100644 index 0000000..7d7ce6b --- /dev/null +++ b/jhn/05/41.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से ही बातें कर रहा है . + +# मिलता है + +"ग्रहण कर पाओगे" + +# तुममें परमेश्वर का प्रेम नहीं + +इसके अर्थ हो सकते हैं (1) "तुम परमेश्वर से सच में प्रेम नहीं करते" (देखें यू.डी.बी.) या (2) "तुम्हें परमेश्वर का प्रेम वास्तव में मिला नहीं" diff --git a/jhn/05/43.md b/jhn/05/43.md new file mode 100644 index 0000000..274d0f1 --- /dev/null +++ b/jhn/05/43.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से ही बातें कर रहा है . + +# तुम जो एक दूसरे से आदर चाहते हो और वह आदर जो एकमात्र परमेश्वर की ओर से है, नहीं चाहते, किस प्रकार विश्वास कर सकते हो? + +"तुम किसी भी प्रकार विश्वास नहीं कर सकते क्योंकि तुम एक दूसरे से प्रशंसा पाना चाहते हो .... एकमात्र परमेश्वर की ओर से है" diff --git a/jhn/05/45.md b/jhn/05/45.md new file mode 100644 index 0000000..d9e33d0 --- /dev/null +++ b/jhn/05/45.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु यहूदी धर्म-गुरूओं से बातें कर रहा है . + +# यदि तुम उसकी लिखी हुई बातों पर विश्वास नहीं करते, तो मेरी बातों पर कैसे विश्वास करोगे? + +"तुम उसकी लिखी हुई बातों पर विश्वास करते नहीं तो मेरी बातों पर कैसे विश्वास करोगे"। + +# मेरी बातों पर + +"जो मैं कहता हूं" diff --git a/jhn/06/01.md b/jhn/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..60dd8c9 --- /dev/null +++ b/jhn/06/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इन बातों के बाद + +"इन बातों" अर्थात . की घटनाओं के बाद। वैकल्पिक अनुवाद, "कुछ समय बाद"। + +# यीशु चला गया + +"यीशु पार गया" (यू.डी.बी.) या "यीशु चलकर पहुंचा" + +# एक बड़ी भीड़ + +"विशाल जनसमूह" diff --git a/jhn/06/04.md b/jhn/06/04.md new file mode 100644 index 0000000..db7e16a --- /dev/null +++ b/jhn/06/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अब + +यह शब्द का उपयोग करके अब मुख्य कहानी में अन्तराल आता है + +# (यहूदियों के फसह पर्व निकट था) + +यूहन्ना कुछ समय कहानी को रोकता है कि कहानी की पृष्ठ भूमि की जानकारी दे कि वह क्या समय था जब ये सब घटनाएं हो रही थी। + +# (उसने यह बात उसको परखने के लिए कही थी, क्योंकि वह आप जानता था कि वह क्या करेगा।) + +यूहन्ना कुछ समय के लिए कहानी की घटनाओं का क्रम रोक देता है कि यीशु द्वारा फिलिप्पुस से रोटी का प्रबन्ध करने की बात की व्याख्या करे। + +# वह आप जानता था। + +यह शब्द "आप" स्पष्ट करता है कि "वह" शब्द यीशु के लिए काम में लिया गया है। यीशु जानता था कि वह क्या करेगा। diff --git a/jhn/06/07.md b/jhn/06/07.md new file mode 100644 index 0000000..af4fd38 --- /dev/null +++ b/jhn/06/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# दो सौ दीनार की रोटी + +दो सौ दिनों की मजदूरी के पैसों से खरीदी गई रोटी" + +# जौ की .... रोटी + +जौ के आटे से बनी रोटी + +# इतने लोगों के लिए वे क्या हैं? + +ये पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ इतने लोगों को भोजन कराने के लिए क्या हैं? diff --git a/jhn/06/10.md b/jhn/06/10.md new file mode 100644 index 0000000..fe57d2e --- /dev/null +++ b/jhn/06/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# बैठा दो + +"बैठा दो" आपकी भाषा में भोजन करने के लिए बैठने का शब्द काम में लें। + +# (उस जगह बहुत घास थी) + +मनुष्यों के बैठने के लिए वह एक सुविधाजनक स्थान था + +# लोग .... पुरूष + +जनसमूह + +# संख्या लगभग पांच हजार थी + +जनसमूह में संभवतः स्त्रियां और बच्चे भी थे , परन्तु गणना केवल पुरूषों की है। + +# धन्यवाद करके + +यीशु परमेश्वर से प्रार्थना करके रोटी और मछलियों के लिए उसे धन्यवाद दे रहा है। + +# बैठने वालों में बांट दीं। + +यीशु ने रोटियाँ और मछलियाँ तोड़ी और अपने शिष्यों को दे दीं कि वे उन्हें लोगों में बांट दें। diff --git a/jhn/06/13.md b/jhn/06/13.md new file mode 100644 index 0000000..d373010 --- /dev/null +++ b/jhn/06/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उन्होंने बटोरा + +"शिष्यों ने एकत्र किया" + +# बच रहे थे + +जो भोजन किसी ने नहीं खाया था + +# यह आश्चर्यकर्म हैं + +यीशु द्वारा पाँच हजार लोगों को पांच रोटियाँ और दो मछलियाँ से भोजन करने का। diff --git a/jhn/06/16.md b/jhn/06/16.md new file mode 100644 index 0000000..a20f154 --- /dev/null +++ b/jhn/06/16.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# (उस समय अन्धेरा हो गया था और यीशु अभी तक उनके पास आया नहीं था।) + +अपनी भाषा की अभिव्यक्ति द्वारा इसे व्यक्त करें कि यह जानकारी पृष्ठभूमि की है diff --git a/jhn/06/19.md b/jhn/06/19.md new file mode 100644 index 0000000..b9f1049 --- /dev/null +++ b/jhn/06/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# शिष्य नाव खे रहे थे + +नाव में प्रायः दो, चार, छः लोग पतवार चलाते थे। आपकी भाषा में पानी पर नाव चलाने के लिए भिन्न विधि हो सकती है। + +# तीन-चार मील + +भूल भाषा का शब्द है "स्टेडियम" अर्थात 185 मीटर। diff --git a/jhn/06/22.md b/jhn/06/22.md new file mode 100644 index 0000000..77d359b --- /dev/null +++ b/jhn/06/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# झील + +गलील सागर + +# "तब अन्य नावें निकट आई, जहाँ उन्होंने प्रभु के धन्यवाद करने के बाद ...." + +अपनी भाषा की अभिव्यक्ति द्वारा इसे व्यक्त करें कि यह जानकारी पृष्ठभूमि की है + +# नावें तिबरियास से उस जगह के निकट आई + +शिष्यों के चले जाने के बाद नावें आई परन्तु इससे पूर्व कि लोग देखते कि "वहाँ कोई नांव न थी"। diff --git a/jhn/06/26.md b/jhn/06/26.md new file mode 100644 index 0000000..770c238 --- /dev/null +++ b/jhn/06/26.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। diff --git a/jhn/06/32.md b/jhn/06/32.md new file mode 100644 index 0000000..6162ace --- /dev/null +++ b/jhn/06/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु लोगों से बातें कर रहा है . + +# मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। + +# जीवन की रोटी + +यीशु अपनी तुलना रोटी से कर रहा है। जैसे हमारे शरीर के लिए रोटी आवश्यक है, वैसे ही यीशु हमारे आत्मिक जीवन के लिए आवश्यक है। diff --git a/jhn/06/35.md b/jhn/06/35.md new file mode 100644 index 0000000..8dd7477 --- /dev/null +++ b/jhn/06/35.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु लोगों से बातें कर रहा है . + +# जीवन की रोटी मैं हूँ। + +यीशु अपनी तुलना रोटी से कर रहा है। जैसे हमारे शरीर के लिए रोटी आवश्यक है, वैसे ही यीशु हमारे आत्मिक जीवन के लिए आवश्यक है। + +# जो कोई मेरे पास आयेगा उसे मैं कभी न निकालूँगा। + +"जो मेरे पास आयेंगे उनमें से हर एक को मैं अपने पास रखूंगा"। diff --git a/jhn/06/38.md b/jhn/06/38.md new file mode 100644 index 0000000..4247bd1 --- /dev/null +++ b/jhn/06/38.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु लोगों से बातें कर रहा है . + +# उसने जिसने मुझे भेजा + +"मेरा पिता जिसने मुझे भेजा है" diff --git a/jhn/06/41.md b/jhn/06/41.md new file mode 100644 index 0000000..3b4ee60 --- /dev/null +++ b/jhn/06/41.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु जब लोगों से बातें कर रहा था तब यहूदी मनुष्यों ने विघ्न डाला . + +# कुड़कुड़ाने लगे + +अप्रसन्न होकर कुड़कुड़ाना लगे + +# जो रोटी स्वर्ग से उतरी वह मैं हूँ + +इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। diff --git a/jhn/06/43.md b/jhn/06/43.md new file mode 100644 index 0000000..a6d9795 --- /dev/null +++ b/jhn/06/43.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु लोगों से बातें कर रहा है परन्तु यहूदी अगुवे भी हैं। . + +# खींच + +इसके अर्थ हो सकते हैं, (1) "खींचता है" या (2) "आकर्षित करता है" + +# भविष्यद्वक्ता के लेखों में यह लिखा है + +"भविष्यद्वक्ताओं ने लिखा है" diff --git a/jhn/06/46.md b/jhn/06/46.md new file mode 100644 index 0000000..2bf1793 --- /dev/null +++ b/jhn/06/46.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +अब यीशु श्रोताओं से बातें कर रहा है . + +# यह नहीं कि किसी ने पिता को देखा है, ... उसी ने पिता को देखा है। + +संभावित अर्थ, (1) यूहन्ना अपने शब्दों को जोड़ रहा है आप अपने शब्दों में व्यक्त कर सकते हैं कि यह कहानी का महत्त्वपूर्ण भाग है। (देखें: [[rc://*/bible/team-info/training/quick-reference/discourse/background]]) यीशु यूह. 06:43/6:45) के संभावित भ्रम को दूर कर रहा है। + +# मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। diff --git a/jhn/06/48.md b/jhn/06/48.md new file mode 100644 index 0000000..c7e5c7c --- /dev/null +++ b/jhn/06/48.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु श्रोताओं से बातें कर रहा है। + +# जीवन की रोटी मैं हूँ। + +इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे .में किया है। diff --git a/jhn/06/50.md b/jhn/06/50.md new file mode 100644 index 0000000..1414b63 --- /dev/null +++ b/jhn/06/50.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु श्रोताओं से बातें कर रहा है। . + +# यह वह रोटी है + +देखें . + +# जीवन की रोटी + +इसके अर्थ हैं, (1) जैसा में जीवन की रोटी का है या (2) "रोटी जो जीवित है" जैसे मनुष्य और पशु जीवित है, मृतक का विपरित। diff --git a/jhn/06/52.md b/jhn/06/52.md new file mode 100644 index 0000000..65cc835 --- /dev/null +++ b/jhn/06/52.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32) + +# मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। + +# मनुष्य के पुत्र का मांस खाओ और उसका लहू पीओ + +मनुष्य के पुत्र को विश्वास के द्वारा ग्रहण करना ऐसा है जैसे जीवनदायक भोजन-पानी पीना diff --git a/jhn/06/54.md b/jhn/06/54.md new file mode 100644 index 0000000..62ff3ec --- /dev/null +++ b/jhn/06/54.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32) + +# वास्तव में खाने की वस्तु .... वास्तव में पीने की वस्तु + +यीशु को विश्वास के द्वारा ग्रहण करना अनन्त जीवन उसी प्रकार देता है जिस प्रकार भोजन-पानी शरीर का पोषण करते हैं। diff --git a/jhn/06/57.md b/jhn/06/57.md new file mode 100644 index 0000000..2fb3165 --- /dev/null +++ b/jhn/06/57.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32) + +# जीवते पिता + +इसके अर्थ हो सकते हैं, (1) "पिता जो जीवन देता है" (देखें यू.डी.बी.) या (2) "पिता जो जीवित है" जैसे मनुष्य और पशु जीवित हैं। मृतक का विपरित। (यूह. 06:50/6:51) diff --git a/jhn/06/60.md b/jhn/06/60.md new file mode 100644 index 0000000..aff4dc8 --- /dev/null +++ b/jhn/06/60.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32) + +# इसे कौन सुन सकता है? + +"इसे कोई नहीं सुन सकता है" या "यह ग्रहण-योग्य नहीं" + +# क्या इस बात से तुम्हें ठोकर लगती है? + +वैकल्पिक अनुवादः "मुझे आश्चर्य होता है कि इससे तुम्हें बुरा लगा"। + +# ठोकर लगी + +"विश्वास त्याग करने पर विवश करता है" diff --git a/jhn/06/62.md b/jhn/06/62.md new file mode 100644 index 0000000..d1bf5d4 --- /dev/null +++ b/jhn/06/62.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32) + +# यदि तुम मनुष्य के पुत्र को जहाँ वह पहले था, वहां ऊपर जाते देखोगे, तो क्या होगा? + +"संभवतः तुम मेरा सन्देश स्वीकार करोगे जब तुम मुझे, जो स्वर्ग से आया है, वहीं जाते देखोगे जहां मैं पहले था"। + +# बातें + +"सन्देश" संभावित अर्थ है, (1) यूह. 06:32/6:32-58) में उसके वचन/ या (2) उसकी सब शिक्षाएं + +# वे आत्मा हैं और जीवन भी हैं + +इन दोनों शब्दों का अर्थ अत्यधिक समान है। वैकल्पिक अनुवाद, "मैंने जो बातें तुमसे की हैं वे आत्मिक जीवन लाती हैं"। diff --git a/jhn/06/64.md b/jhn/06/64.md new file mode 100644 index 0000000..e3c7050 --- /dev/null +++ b/jhn/06/64.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु सब श्रोताओं से बातें कर रहा है। (यूह. 06:32/6:32) + +# मेरे पास आओ + +"मेरे पीछे आओ" diff --git a/jhn/06/66.md b/jhn/06/66.md new file mode 100644 index 0000000..08d31b8 --- /dev/null +++ b/jhn/06/66.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसके चेलों + +यहाँ चेलों से अर्थ है यीशु के पीछे चलने वालों का समूह + +# बारहों + +ये 12 शिष्यों का एक विशिष्ट समूह था जो उसकी संपूर्ण सेवा में उसके साथ था। इसका अनुवाद किया जा सकता है, "12 शिष्य" diff --git a/jhn/06/70.md b/jhn/06/70.md new file mode 100644 index 0000000..5e523f9 --- /dev/null +++ b/jhn/06/70.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या मैंने तुम बारहों को नहीं चुना? तौभी तुममें से एक व्यक्ति शैतान का दास है। + +"मैंने तुम सबको स्वयं चुना है, परन्तु एक शैतान का दास है"। diff --git a/jhn/07/03.md b/jhn/07/03.md new file mode 100644 index 0000000..b037899 --- /dev/null +++ b/jhn/07/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जगत + +"सब लोग" या "हर एक जन" diff --git a/jhn/07/08.md b/jhn/07/08.md new file mode 100644 index 0000000..26ecbbf --- /dev/null +++ b/jhn/07/08.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम + +बहुवचन diff --git a/jhn/07/10.md b/jhn/07/10.md new file mode 100644 index 0000000..498be70 --- /dev/null +++ b/jhn/07/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वह भी ऊपर चला गया + +यरूशलेम ऊंचे पर स्थित है diff --git a/jhn/07/14.md b/jhn/07/14.md new file mode 100644 index 0000000..0bce0e7 --- /dev/null +++ b/jhn/07/14.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसे बिन पढ़े विद्या कैसे आई + +"हो ही नहीं सकता कि वह धर्मशास्त्र का इतना ज्ञान रखे"। + +# मेरे भेजने वाले का है। + +"उसका" अर्थात यीशु के स्वर्गीय पिता परमेश्वर का diff --git a/jhn/07/17.md b/jhn/07/17.md new file mode 100644 index 0000000..3af048b --- /dev/null +++ b/jhn/07/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# परन्तु जो अपने भेजनेवाले की बड़ाई चाहता है वही सच्चा है और उसमें अधर्म नहीं। + +"परन्तु मैं इसलिए ये काम करता हूं कि लोग मेरे भेजनेवाले का आदर करें, और मैं वही हूँ जो सच बोलता हूं। मैं कभी झूठ नहीं बोलता।" diff --git a/jhn/07/19.md b/jhn/07/19.md new file mode 100644 index 0000000..125b49b --- /dev/null +++ b/jhn/07/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# "क्या मूसा ने तुम्हें व्यवस्था नहीं दी" + +"वह मूसा ही तो था जिसने तुम्हें व्यवस्था दी" + +# तुम क्यों मुझे मार डालना चाहते हो + +"तुम मुझे मार डालने की खोज में हो"। + +# तुममें दुष्टात्मा है + +"तू पागल है"। + +# कौन तुझे मार डालना चाहता है? + +"तुझे कोई भी मार डालना नहीं चाहता है"। diff --git a/jhn/07/21.md b/jhn/07/21.md new file mode 100644 index 0000000..2fe0a04 --- /dev/null +++ b/jhn/07/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# एक काम + +"एक आश्चर्यकर्म" या "एक चिन्ह" + +# (यह नहीं कि वह मूसा की ओर से है परन्तु बाप दादों से चली आई है।) + +यहाँ लेखक अतिरिक्त जानकारी दे रहा है। diff --git a/jhn/07/23.md b/jhn/07/23.md new file mode 100644 index 0000000..6a3e875 --- /dev/null +++ b/jhn/07/23.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम मुझ पर क्यों क्रोध करते हो इसलिए कि मैंने सब्त के दिन एक मनुष्य को पूरी रीति से चंगा किया। + +"तुम्हें मुझसे क्रोधित नहीं होना है कि मैंने एक मनुष्य को सब्त के दिन स्वास्थ्य प्रदान किया"। diff --git a/jhn/07/25.md b/jhn/07/25.md new file mode 100644 index 0000000..1c2274e --- /dev/null +++ b/jhn/07/25.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या यह वह नहीं जिसे मार डालने का प्रयत्न किया जा रहा है? + +"यह यीशु है जिसे मार डालने की खोज में वे हैं"। diff --git a/jhn/07/28.md b/jhn/07/28.md new file mode 100644 index 0000000..09d7d91 --- /dev/null +++ b/jhn/07/28.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम मुझे जानते हो और यह भी जानते हो कि मैं कहां का हूं + +"तुम" बहुवचन है + +# मेरा भेजनेवाला सच्चा है + +"जिसने मुझे भेजा है वह सच्चा गवाह है"। diff --git a/jhn/07/30.md b/jhn/07/30.md new file mode 100644 index 0000000..3ba84de --- /dev/null +++ b/jhn/07/30.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मसीह जब आयेगा तो क्या इससे अधिक आश्चर्यकर्म दिखायेगा, जो इसने दिखाए? + +जब मसीह आयेगा तो क्या इससे अधिक आश्चर्यकर्म दिखायेगा, जो इसने दिखाए? "जब मसीह आयेगा तब वह इस मनुष्य द्वारा किए गए आश्चर्यकर्मों से अधिक चिन्ह नहीं दिखा पायेगा"। diff --git a/jhn/07/37.md b/jhn/07/37.md new file mode 100644 index 0000000..b4eaa31 --- /dev/null +++ b/jhn/07/37.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अब + +"अब" शब्द का उपयोग यहाँ मुख्य कहानी में अन्तराल है + +# महान दिन + +यह "महान दिन" है क्योंकि यह पर्व का अन्तिम या सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण दिन है। + +# यदि कोई प्यासा हो + +परमेश्वर की बातों की लालसा करता हो, जैसे मनुष्य पानी की लालसा करता है या प्यासा होता है। + +# मेरे पास आए और पीए + +"कोई" शब्द का अर्थ है, "जो भी", "पीए" शब्द का अर्थ है, मसीह में आत्मिक पूर्ति पाना। + +# पवित्रशास्त्र + +"पवित्रशास्त्र" मसीह के बारे में भविष्यद्वाणियों का द्योतक है। यह एक पुराने नियम के किसी एक गद्यांश का उद्धरण नहीं है। + +# जीवित जल की नदियां बह निकलेंगी। + +मसीह आत्मिकता के प्यासों के लिए ऐसी राहत दिलाएगा कि वह प्रवाहित होकर आसपास के सब लोगों की सहायता करेगी। + +# जीवन के जल + +इसके अर्थ हैं, (1) "पानी जो जीवन देता है" या "पानी जिससे मनुष्यों को जीवन मिलता है" या (2) सोते से बहनेवाला प्राकृतिक जल, कुएं से निकलने वाले जल से भिन्न। diff --git a/jhn/07/39.md b/jhn/07/39.md new file mode 100644 index 0000000..0096fd2 --- /dev/null +++ b/jhn/07/39.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# लेकिन वह + +“वह”यीशु को दर्शाता है diff --git a/jhn/07/40.md b/jhn/07/40.md new file mode 100644 index 0000000..f7e65a7 --- /dev/null +++ b/jhn/07/40.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# क्या, मसीह गलील में से आयेगा? + +"मसीह गलील से नहीं आ सकता" (यू.डी.बी.) + +# क्या पवित्र शास्त्र में यह नहीं आया, कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गांव से आएगा जहां दाऊद रहता था? + +"धर्मशास्त्र सिखाता है कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गांव से आयेगा, दाऊद का गांव"। + +# क्या पवित्रशास्त्र में यह नहीं आया + +"भविष्यद्वक्ताओं ने धर्मशास्त्र में लिखा है" diff --git a/jhn/07/43.md b/jhn/07/43.md new file mode 100644 index 0000000..059a3b6 --- /dev/null +++ b/jhn/07/43.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# लोगों में फूट पड़ गई + +यीशु कौन और क्या है, इस पर जनसमूह एकमत नहीं हो पाया। + +# परन्तु किसी ने उस पर हाथ न डाला + +"परन्तु किसी ने उसे नहीं पकड़ा" diff --git a/jhn/07/45.md b/jhn/07/45.md new file mode 100644 index 0000000..e7cf616 --- /dev/null +++ b/jhn/07/45.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सिपाही + +मन्दिर के सुरक्षाकर्मी + +# तुम उसे क्यों नहीं लाए? + +तुम उसे क्यों नहीं लाए? "तुम" अर्थात मन्दिर के सुरक्षाकर्मी। diff --git a/jhn/07/47.md b/jhn/07/47.md new file mode 100644 index 0000000..5155006 --- /dev/null +++ b/jhn/07/47.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# फरीसियों ने उनको उत्तर दिया + +"उनको" अर्थात मन्दिर के सुरक्षाकर्मियों को। + +# क्या तुम भी भरमाए गए हो? + +"तुम भी धोखा खा गए" + +# "भरमाए गए" + +"भरमाए गए" - धोखा खा गए + +# "क्या सरदारों और फरीसियों में से किसी ने भी उस पर विश्वास किया है? + +"एक भी सरदार या फरीसी ने उस पर विश्वास नहीं किया है"। diff --git a/jhn/07/50.md b/jhn/07/50.md new file mode 100644 index 0000000..04c56df --- /dev/null +++ b/jhn/07/50.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को .... दोषी ठहराती है? + +नीकुदेमुस के कहने का अर्थ था कि व्यवस्था के अनुसार चलने वाले अभियोग के बिना किसी पर दोष नहीं लगाते + +# क्या हमारी व्यवस्था... दोषी ठहराती है? + +"हमारी व्यवस्था हमें अनुमति नहीं देती कि .... किसी को दण्ड दें"। + +# क्या तू भी गलील का है? + +"तू भी गलील के घटिया लोगों में से होगा"। diff --git a/jhn/07/53.md b/jhn/07/53.md new file mode 100644 index 0000000..9843939 --- /dev/null +++ b/jhn/07/53.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# 07-53-8:11 + +8:11 कुछ आरंभिक अभिलेखों में ये पद हैं तो कुछ में नहीं है। + +# एक-एक करके + +एक एक करके यह उन सब मनुष्यों के संदर्भ में है जिनका उल्लेख में किया गया है। diff --git a/jhn/08/01.md b/jhn/08/01.md new file mode 100644 index 0000000..854f4f8 --- /dev/null +++ b/jhn/08/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# 07-53-8:11 + +8:11 कुछ आरंभिक अभिलेखों में ये पद हैं परन्तु कुछ में नहीं। + +# सब लोग + +अनेक लोग + +# एक स्त्री .... व्यभिचार में पकड़ी गई थी + +"उन्होंने एक स्त्री को व्यभिचार करते पकड़ा था" diff --git a/jhn/08/04.md b/jhn/08/04.md new file mode 100644 index 0000000..44a81b5 --- /dev/null +++ b/jhn/08/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# 07-53-8:11 + +8:11 कुछ आरंभिक अभिलेखों में ये पद हैं परन्तु कुछ में नहीं। + +# ऐसी स्त्रियों + +"ऐसे मनुष्यों पर" या "जो ऐसे काम करते है" + +# अब व्यवस्था में + +यहां पृष्ठभूमि आधारित जानकारी दी गई है जिसे यीशु और यहूदी अधिकारी समझते थे। + +# तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है? + +इसका अनुवाद आदेश सूचक वाक्य में भी किया जा सकता है, "तू हमें बता कि इसके साथ क्या किया जाए"? + +# उसको परखने के लिए + +"उसे फंसाने के लिए" इसका अर्थ है, छल का प्रश्न पूछना + +# ताकि उस पर दोष लगाने के लिए कोई बात पाएं। + +कि उस पर दोष लगाने के लिए कोई विषय स्पष्ट सामने आए, जिससे कि वे उस पर किसी गलत बात का दोष लगा पाएं, या "जिससे कि वे उस पर मूसा की व्यवस्था या रोमी विधि के उल्लंघन का आरोप लगा पाएं" diff --git a/jhn/08/07.md b/jhn/08/07.md new file mode 100644 index 0000000..cb09ef4 --- /dev/null +++ b/jhn/08/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# 07-53-8:11 + +8:11 कुछ आरंभिक अभिलेखों में ये पद हैं परन्तु कुछ में नहीं। + +# जब वे उससे पूछते ही रहे + +"वे" का संदर्भ फरीसियों और शास्त्रियों से है (देखें यूह. 08:1/8:3) + +# तुममें जो निष्पाप हो। + +"यदि तुममें कोई निष्पाप हो" या "तुम में से किसी ने कभी पाप न किया हो" + +# तुम में + +यीशु शास्त्रियों और फरीसियों और संभवतः जनसमूह से भी कह रहा था। + +# उसे अनुमति दो + +"वही व्यक्ति" + +# उसने झुक कर + +"वह झुका कि भूमि पर ऊंगली से लिखे" diff --git a/jhn/08/09.md b/jhn/08/09.md new file mode 100644 index 0000000..a8f39e0 --- /dev/null +++ b/jhn/08/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# 07-53-8:11 + +8:11 कुछ आरंभिक अभिलेखों में ये पद हैं परन्तु कुछ में नहीं। + +# एक एक करके + +"एक के बाद एक" + +# हे नारी वे दोष लगानेवाले कहां गए? + +यीशु ने उसे नारी कह कर पुकारा तो उसका अर्थ यह नहीं कि वह उसे तुच्छ समझ रहा था या उसे लज्जित करना चाहता था। यदि कोई यह समझे कि वह ऐसा कर रहा था तो "नारी" शब्द को हटा दें। diff --git a/jhn/08/12.md b/jhn/08/12.md new file mode 100644 index 0000000..d49b27f --- /dev/null +++ b/jhn/08/12.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जगत की ज्योति मैं हूं। + +देखें आपने "ज्योति" का अनुवाद यूह में कैसे किया है। वैकल्पिक अनुवाद, "मैं ही हूं जो जगत को ज्योति देता हूँ।" + +# जगत + +"संसार के मनुष्यों" + +# जो मेरे पीछे हो लेगा + +"वह हर एक जन जो मेरा अनुसरण करेगा" यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, "वह हर एक जन जो मेरी शिक्षाओं पर चलता है“, या "मेरी आज्ञा मानने वाला हर एक जन" + +# वह अन्धकार में न चलेगा + +अन्धकार में न चलेगा, यह पाप के जीवन के लिए एक रूपक है। वैकल्पिक अनुवाद, "उसका जीवन ऐसा नहीं रहेगा कि मानो वह अन्धकार में जी रहा है" + +# तू अपनी गवाही आप देता है। + +"तू तो अपनी ही प्रशंसा कर रहा है"। + +# तेरी गवाही ठीक नहीं + +"तेरी गवाही उचित नहीं है", "तू स्वयं अपना गवाह नहीं हो सकता" या "जो तू अपने बारे में कहता है वह हो सकता है कि सच न हो"। diff --git a/jhn/08/14.md b/jhn/08/14.md new file mode 100644 index 0000000..3678aab --- /dev/null +++ b/jhn/08/14.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# भले ही मैं अपनी गवाही आप देता हूं + +"यद्यपि मैं ये बातें अपने पक्ष में कहता हूं" + +# शरीर + +मानवीय मानकों और मनुष्य की व्यवस्था(यु.डी.बी) + +# मैं किसी का न्याय नहीं करता + +संभावित अर्थ, (1) "मैं अभी किसी का न्याय नहीं करता हूं" या (2) "मैं इस समय किसी का न्याय नहीं कर रहा हूं"। + +# यदि मैं न्याय करूं + +"यदि मैं मनुष्यों का न्याय करूं", संभावित अर्थ है, (1) "जब मैं मनुष्यों का न्याय करूंगा" (भविष्य में) या (2) "मैं जब भी मनुष्यों का न्याय करूंगा" (अब) या (3) "मैं जब भी मनुष्यों का न्याय करूं" (अभी) + +# मेरा न्याय सच्चा है + +संभावित अर्थ हैं, (1) "मेरा न्याय उचित होगा या (2) मेरा न्याय सही है"। + +# मैं अकेला नहीं + +यहाँ सलंग्न जानकारी है कि न्याय करने में वह अकेला नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद "मैं न्याय करने में अकेला नहीं हूं" या "मैं अकेला न्याय नहीं करता हूं"। + +# मै पिता के साथ हूँ + +"पिता मेरे साथ न्याय करता है" या "जब मैं न्याय करता हूं तो पिता न्याय करता है"। + +# पिता है जिसने मुझे भेजा है + +"जिसने मुझे भेजा है", पिता के बारे में अधिक जानकारी देता है। वैकल्पिक अनुवाद, "पिता ही है जिसने मुझे भेजा है" (उक्तियों का भाग देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-sentences]]) diff --git a/jhn/08/17.md b/jhn/08/17.md new file mode 100644 index 0000000..65fd0b3 --- /dev/null +++ b/jhn/08/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु फरीसियों तथा अन्यों से बातें कर रहा है। + +# हाँ, और तुम्हारी व्यवस्था में + +"हाँ" यीशु ने पहले कहा है उसी संबन्ध में अब आगे कह रहा है + +# यह लिखा है + +"मूसा ने लिखा है" + +# दो जनों की गवाही मिलकर ठीक होती है + +"यदि दो मनुष्य एक ही बात कहे तो लोग मान लेते हैं कि वह सही है।" + +# एक तो मैं आप अपनी गवाही देता हूं + +"मैं अपनी गवाही देता हूं" या "मैं अपने बारे में तुम्हारे समक्ष प्रमाण रखता हूं"(यु.डी.बी) diff --git a/jhn/08/21.md b/jhn/08/21.md new file mode 100644 index 0000000..7cd13ab --- /dev/null +++ b/jhn/08/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अपने पाप में मरोगे + +"पाप की दशा में ही मरोगे" या "पाप करते-करते ही मर जाओगे" + +# तुम नहीं आ सकते + +"तुम योग्य नहीं कि आओ" + +# क्या वह अपने आपको मार डालेगा? + +इसका अनुवाद दो अलग-अलग प्रश्नों में किया जा सकता है। "क्या वह आत्म हत्या करेगा? उसने यही क्यों कहा क्या"? diff --git a/jhn/08/23.md b/jhn/08/23.md new file mode 100644 index 0000000..3fdf042 --- /dev/null +++ b/jhn/08/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु श्रोताओं के प्रश्नों का उत्तर दे रहा है + +# यदि तुम विश्वास न करोगे कि मैं वही हूं, तो अपने पापों में मरोगे। + +"यदि तुम विश्वास नहीं करोगें कि मैं हूं तो अपने पापों में मरोगे।" + +# मैं वही हूं + +"कि मैं परमेश्वर हूं" (यू.डी.बी.) diff --git a/jhn/08/25.md b/jhn/08/25.md new file mode 100644 index 0000000..d3c7327 --- /dev/null +++ b/jhn/08/25.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उन्होंने कहा + +"उन्होंने" अर्थात यहूदी अगुओं ने + +# पिता + +"उसका पिता" diff --git a/jhn/08/28.md b/jhn/08/28.md new file mode 100644 index 0000000..3e868bc --- /dev/null +++ b/jhn/08/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# ऊंचे पर चढ़ाओगे + +"जब तुम चढ़ाओगे", यह अभी तक नहीं हुआ है। + +# मेरे पिता ने मुझे सिखाया है + +"वैसे ही जैसे मेरे पिता ने मुझे सिखाया है" + +# जो मेरा भेजने वाला + +शब्द "वह" यीशु का पिता परमेश्वर + +# वह यह बातें कह ही रहा था + +"जब यीशु बातें कर ही रहा था" diff --git a/jhn/08/31.md b/jhn/08/31.md new file mode 100644 index 0000000..9e9f227 --- /dev/null +++ b/jhn/08/31.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम मेरे वचन में बने रहोगे + +"मैंने जो कहा है वैसा करोगे"। + +# सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा। + +सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा, "यदि तुम सत्य का पालन करोगे तो परमेश्वर तुम्हें स्वतंत्र करेगा"। diff --git a/jhn/08/34.md b/jhn/08/34.md new file mode 100644 index 0000000..583ac23 --- /dev/null +++ b/jhn/08/34.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। + +# पाप का दास है + +"पाप के दास के समान है" इसका अभिप्राय है कि पाप मनुष्य का स्वामि है + +# घर में + +"परिवार में" + +# यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे। + +उनकी प्रथा के अनुसार जेठा पुत्र पारिवारिक दास को स्वतंत्र कर सकता था। इसी प्रकार परमेश्वर का पुत्र मनुष्यों को स्वतंत्र कर सकता है। diff --git a/jhn/08/37.md b/jhn/08/37.md new file mode 100644 index 0000000..a1b10ff --- /dev/null +++ b/jhn/08/37.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वचन + +मेरी शिक्षाएं diff --git a/jhn/08/39.md b/jhn/08/39.md new file mode 100644 index 0000000..14c0880 --- /dev/null +++ b/jhn/08/39.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# ऐसा तो अब्राहम ने नहीं किया था। + +वैकल्पिक अनुवाद, "अब्राहम ने परमेश्वर का सत्य सुनाने वाले को कभी घात नहीं किया था।" diff --git a/jhn/08/42.md b/jhn/08/42.md new file mode 100644 index 0000000..12281fd --- /dev/null +++ b/jhn/08/42.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम मेरी बात क्यों नहीं समझते?" + +यीशु इस प्रश्न द्वारा मुख्यतः यहूदी अगुओं को झिड़क रहा है क्योंकि वे उसकी बात नहीं सुनते थे। diff --git a/jhn/08/45.md b/jhn/08/45.md new file mode 100644 index 0000000..04f8930 --- /dev/null +++ b/jhn/08/45.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है? + +"तुम में से कोई भी मुझे पापी नहीं कह सकता" यीशु ने इस प्रश्न द्वारा अपने निष्पाप होने पर बल दिया। + +# तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते? + +"मुझमें विश्वास न करने का तुम्हारे पास कोई कारण नहीं है"। यीशु इस प्रश्न द्वारा यहूदी अगुओं के अविश्वास को झिड़क रहा है। diff --git a/jhn/08/50.md b/jhn/08/50.md new file mode 100644 index 0000000..1e1861b --- /dev/null +++ b/jhn/08/50.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मेरे वचन पर चलेगा + +"मैं जो कहता हूं उसका पालन करेगा" diff --git a/jhn/08/57.md b/jhn/08/57.md new file mode 100644 index 0000000..94a86ef --- /dev/null +++ b/jhn/08/57.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अब तक तू पचास वर्ष का नहीं, फिर भी तूने अब्राहम को देखा है? + +"तू पचास वर्ष से कम आयु का है। तू अब्राहम को देख ही नहीं सकता" + +# मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। diff --git a/jhn/09/03.md b/jhn/09/03.md new file mode 100644 index 0000000..31f76c4 --- /dev/null +++ b/jhn/09/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हमें + +”हमें" का अर्थ है यीशु और उसके शिष्यों को जिनसे वह बातें कर रहा है। + +# दिन .... रात + +दिन .... रात यीशु मनुष्यों द्वारा परमेश्वर के काम करने के समय की तुलना दिन से कर रहा है। यीशु उस समय की तुलना रात से कर रहा है जब हम परमेश्वर का काम नहीं कर सकते। + +# जगत की ज्योति हूं + +"वह जो सत्य को उजागर करता है जैसे प्रकाश वास्तविकता को प्रकट करता है।" diff --git a/jhn/09/10.md b/jhn/09/10.md new file mode 100644 index 0000000..221aa53 --- /dev/null +++ b/jhn/09/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# आंखों पर लगाकर + +देखें कि आपने इसका अनुवाद यूह. 09:06/9:6 में कैसे किया है। diff --git a/jhn/09/16.md b/jhn/09/16.md new file mode 100644 index 0000000..e325a0d --- /dev/null +++ b/jhn/09/16.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वह सब्त का दिन मानता है + +सब्त के दिन के नियम का उल्लंघन नहीं करता है diff --git a/jhn/09/24.md b/jhn/09/24.md new file mode 100644 index 0000000..ecf5178 --- /dev/null +++ b/jhn/09/24.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उन्होंने उस मनुष्य को .... बुलाया + +यहूदियों ने उस मनुष्य को बुलाया (यूह. 09:16/9:18) + +# वह मनुष्य + +वे यीशु के लिए कह रहे हैं। + +# वह मनुष्य + +वह मनुष्य जो पहले अंधा था। + +# वह पापी है या नहीं, मै नहीं जानता + +"मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं" diff --git a/jhn/09/26.md b/jhn/09/26.md new file mode 100644 index 0000000..832ab46 --- /dev/null +++ b/jhn/09/26.md @@ -0,0 +1 @@ +यहूदी अगुवे यीशु के बारे में उस मनुष्य से पूछताछ कर रहे हैं जो जन्म से अंधा था (यूह. 09:16/9:18) diff --git a/jhn/09/28.md b/jhn/09/28.md new file mode 100644 index 0000000..38c413e --- /dev/null +++ b/jhn/09/28.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यहूदी अगुवे यीशु के बारे में उस मनुष्य से पूछताछ कर रहे हैं जो जन्म से अंधा था (यूह. 09:16/9:18) + +# हम मूसा के चेले हैं। हम जानते हैं .... इस मनुष्य को नहीं जानते... + +यहूदी अगुवे केवल अपने ही बारे में बातें कर रहे हैं। diff --git a/jhn/09/30.md b/jhn/09/30.md new file mode 100644 index 0000000..aaaa8f4 --- /dev/null +++ b/jhn/09/30.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता ... उसकी सुनता है + +पापियों की प्रार्थना का उत्तर नहीं देता है ..... उसकी प्रार्थना का उत्तर देता है। diff --git a/jhn/09/32.md b/jhn/09/32.md new file mode 100644 index 0000000..0afdf61 --- /dev/null +++ b/jhn/09/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह कभी सुनने में नहीं आया कि किसी ने जन्म के अंधे की आंखें खोली हों। + +"किसी ने कभी नहीं सुना कि .... आंखें खोली हैं" + +# जन्म के अंधे की आंखे खोली हों + +"दृष्टिदान दिया कि जन्म का अंधा देखने लगा हो" + +# तू तो बिलकुल पापों में जन्मा है, तू हमें क्या सिखाता है? + +"तू तो पूर्णतः पापों में जन्मा है। तू हमें शिक्षा देने योग्य है ही नहीं"। diff --git a/jhn/09/39.md b/jhn/09/39.md new file mode 100644 index 0000000..6038b60 --- /dev/null +++ b/jhn/09/39.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# ताकि जो नहीं देखते वे देखें और जो देखते है वे अन्धे हो जाएं। + +कि जो आंखों से नहीं देखते वे परमेश्वर को पहचानें और जो आंखों से देखते है वे परमेश्वर को नहीं पहचानें। diff --git a/jhn/10/01.md b/jhn/10/01.md new file mode 100644 index 0000000..5ad71a6 --- /dev/null +++ b/jhn/10/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु फरीसियों से बातें कर रहा है + +# मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। + +# भेड़शाला + +बाड़ा लगा हुआ वह सुरक्षित स्थान जहाँ चरवाहा भेड़ों को रखता है। + +# चोर और डाकू + +चोर और डाकू, इन दोनों शब्दों का अर्थ एक ही है परन्तु यह बल देने के लिए काम में लिए गए हैं। diff --git a/jhn/10/05.md b/jhn/10/05.md new file mode 100644 index 0000000..26e6192 --- /dev/null +++ b/jhn/10/05.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वे न समझे + +संभावित अर्थ (1) "शिष्य नहीं समझे" या 2)"जनसमूह नहीं समझा" अतः इसे ऐसे ही रहने दे तो ठीक होगा। diff --git a/jhn/10/07.md b/jhn/10/07.md new file mode 100644 index 0000000..81ac99f --- /dev/null +++ b/jhn/10/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है + +# मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। + +# भेड़ों का द्वार मैं हूँ + +"मुझ से होकर भेड़ें भेड़शाला में प्रवेश करती हैं," यीशु के कहने का अर्थ है कि वह प्रवेश की अनुमति देता है। यहां ”भेड़“ शब्द परमेश्वर के लोगों के लिए काम में लिया गया है। + +# जितने मुझसे पहले आए वे सब चोर और डाकू हैं। + +जितने मुझसे पहले आए वे सब चोर और डाकू है, "जितने मुझ से पहले आए", यह उक्ति उन उपदेशकों के संदर्भ में है जिन्होंने यीशु से पहले आकर शिक्षा दी। यीशु उन्हें "चोर और डाकू" कहता है। क्योंकि उनकी शिक्षा झूठी थी और वे परमेश्वर के लोगों को, सत्य की समझ से रहित होकर, पथभ्रष्ट करते थे। diff --git a/jhn/10/09.md b/jhn/10/09.md new file mode 100644 index 0000000..eea061e --- /dev/null +++ b/jhn/10/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है + +# द्वार मैं हूँ + +स्वयं को "द्वार" कहने में यीशु का अभिप्राय है कि वह सच्चा मार्ग दिखाता है कि भेड़शाला जिसका प्रतीक है वहां कैसे पहुंचे। + +# चारा + +चारा वह हरी घास है जिसे भेड़ें खाती है। + +# वे जीवन पाएं + +"वे" शब्द भेड़ों के संदर्भ में है, "जीवन" अर्थात अनन्त जीवन diff --git a/jhn/10/11.md b/jhn/10/11.md new file mode 100644 index 0000000..eb4a679 --- /dev/null +++ b/jhn/10/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अच्छे चरवाहे का दृष्टान्त ही सुना रहा है। + +# अच्छा चरवाहा मैं हूँ + +"मैं एक अच्छे चरवाहे के जैसा हूँ"। + +# अपना प्राण देता है + +अपना प्राण देता है //-// किसी बात को देने का अर्थ है उसको अपने वश से जाने देना। यह मृत्यु के लिए प्रयुक्त एक कोमल शब्द है, वैकल्पिक अनुवाद ”मर जाता है“। diff --git a/jhn/10/14.md b/jhn/10/14.md new file mode 100644 index 0000000..e93966f --- /dev/null +++ b/jhn/10/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अच्छे चरवाहे का दृष्टान्त ही सुना रहा है। + +# अच्छा चरवाहा मैं हूँ + +"मैं एक अच्छे चरवाहे के जैसा हूं"। + +# मैं अपनी भेड़ों के लिए अपना प्राण देता हूँ + +यह यीशु द्वारा कोमलता से कहता है कि वह अपनी भेड़ों की रक्षा करते हुए मर जायेगा। वैकल्पिक अनुवाद, मैं अपनी भेड़ों के लिए मर जाऊंगा“। + +# भेड़शाला + +चरवाहे की भेड़ों का वृंद। भेड़शाला का अर्थ है, भेड़ों के रहने का स्थान। diff --git a/jhn/10/17.md b/jhn/10/17.md new file mode 100644 index 0000000..3ab8db3 --- /dev/null +++ b/jhn/10/17.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है। + +# मैं अपना प्राण देता हूँ कि इसे फिर से ले लूँ + +यह यीशु के कोमल शब्द हैं जिनके द्वारा वह कह रहा है कि वह मर जायेगा और फिर स्वयं को मरने दूंगा कि फिर स्वयं को जीवित करूं"। diff --git a/jhn/10/19.md b/jhn/10/19.md new file mode 100644 index 0000000..52687db --- /dev/null +++ b/jhn/10/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम उसकी क्यों सुनते हो? + +वैकल्पिक अनुवाद, "उसकी बातें मत सुनो"। + +# क्या दुष्टात्मा अंधों की आंखें खोल सकती है? + +वैकल्पिक अनुवाद, "दुष्टात्मा अंधे को दृष्टिदान नहीं दे सकती है।" diff --git a/jhn/10/22.md b/jhn/10/22.md new file mode 100644 index 0000000..48d4938 --- /dev/null +++ b/jhn/10/22.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# स्थापन पर्व + +यह आठ दिवसीय शीतकालीन अवकाश था। उसमें यहूदी परमेश्वर के चमत्कार को स्मरण करते थे कि परमेश्वर ने आठ दिन तक दीपों में तेल समाप्त होने न दिया, जब तक कि वे और तेल का प्रबन्ध करते थे। दीपदान इसलिए जलते थे कि परमेश्वर के लिए लोगों का समर्पण दर्शाएं। किसी वस्तु के समर्पण का अर्थ है कि उसे किसी विशेष उद्देश्य के निमित्त ही में लिया जाए। + +# ओसारे + +ओसारे- इमारत से जुड़ी दीवार रहित छत diff --git a/jhn/10/25.md b/jhn/10/25.md new file mode 100644 index 0000000..dba59d9 --- /dev/null +++ b/jhn/10/25.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वे ही मेरे गवाह हैं + +चमत्कार उसके लिए प्रमाण प्रस्तुत करते हैं जिस प्रकार कि न्यायालय में गवाह प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। वैकल्पिक अनुवाद, "ये चमत्कार मेरे लिए प्रमाण प्रस्तुत करते हैं"। + +# मेरी भेड़ों + +वैकल्पिक अनुवाद "मेरे अनुयायी नहीं" या "मेरे शिष्य नहीं" या मेरे लोग नहीं। diff --git a/jhn/10/29.md b/jhn/10/29.md new file mode 100644 index 0000000..f748a51 --- /dev/null +++ b/jhn/10/29.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# पिता के हाथ + +"हाथ" का अर्थ है पिता की सम्पदा या उसका नियंत्रण एवं सुरक्षा diff --git a/jhn/10/32.md b/jhn/10/32.md new file mode 100644 index 0000000..0cf5de9 --- /dev/null +++ b/jhn/10/32.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# स्वयं को परमेश्वर बनाता है + +"परमेश्वर होने का दावा करता है" diff --git a/jhn/10/34.md b/jhn/10/34.md new file mode 100644 index 0000000..3285e49 --- /dev/null +++ b/jhn/10/34.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तुम ईश्वर हो + +"ईश्वर" शब्द प्रायः झूठे देवी-देवताओं के लिए काम में लिया जाता है। सच्चे परमेश्वर के लिए अंग्रेजी में बड़ा "जी" लगता है। यहां यीशु धर्मशास्त्र के संदर्भ द्वारा दर्शाता है कि परमेश्वर ने अपने अनुयायियों को ईश्वर कहता है क्योंकि उसने पृथ्वी पर उसके प्रति निधित्व हेतु उन्हें चुना है। + +# क्या .... नहीं लिखा है? + +यीशु ने यह प्रश्न इसलिए पूछा कि उस जानकारी के उजागर करे जिसे यहूदी धर्मगुरूओं के लिए जानना आवश्यक था, ”लिखा है“। + +# पवित्रशास्त्र की बात असत्य नहीं हो सकती। + +पवित्रशास्त्र की बात असत्य नहीं हो सकती, यह वाक्य धर्मशास्त्र को हमारा नियंत्रक दर्शाता है और वह नियंत्रण तोड़ा नहीं जा सकता या नियंत्रण मुक्त नहीं किया जा सकता कि हम उसके सत्यवचन से बच पाएं। वैकल्पिक अनुवाद, "धर्मशास्त्र की किसी भी बात को झूठा नहीं कहा जा सकता है" (यू.डी.बी.) या "धर्मशास्त्र सत्य है"। diff --git a/jhn/10/37.md b/jhn/10/37.md new file mode 100644 index 0000000..87a3ac9 --- /dev/null +++ b/jhn/10/37.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु अपने विरोधी यहूदी धर्मगुरूओं के समक्ष प्रतिवाद प्रस्तुत कर रहा है। diff --git a/jhn/10/40.md b/jhn/10/40.md new file mode 100644 index 0000000..4999ae4 --- /dev/null +++ b/jhn/10/40.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# निस्संदेह + +यह शब्द जो सच है उसे दर्शाने को उपयोग किया गया है, वैकल्पिक अनुवाद-”सत्यता में” अथवा “सच-सच” diff --git a/jhn/11/03.md b/jhn/11/03.md new file mode 100644 index 0000000..0ee3853 --- /dev/null +++ b/jhn/11/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जिससे तू प्रीति रखता है। + +यह वाक्यांश लाजर के साथ यीशु के घनिष्ठ संबन्ध को दर्शाता है। + +# यह बीमारी मृत्यु की नहीं + +"इस बीमारी का उद्देश्य उसकी मृत्यु नहीं है" diff --git a/jhn/11/08.md b/jhn/11/08.md new file mode 100644 index 0000000..8e642e7 --- /dev/null +++ b/jhn/11/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझ पर पत्थराव करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है? + +वैकल्पिक अनुवाद, "गुरू तू निश्चय ही वहां नहीं जाना चाहता है क्योंकि यहूदी तुझे पत्थराव करना चाहते हैं"। + +# यीशु ने उत्तर दिया + +"यीशु ने दृष्टान्त के द्वारा उत्तर दिया" + +# क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते? + +वैकल्पिक अनुवाद, "दिन में प्रकाश के बारह घंटे होते हैं।" diff --git a/jhn/11/10.md b/jhn/11/10.md new file mode 100644 index 0000000..0181297 --- /dev/null +++ b/jhn/11/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं + +संभावित अर्थ है, (1) "वह देख नहीं सकता" (यू.डी.बी.) या (2) "उसके पास प्रकाश नहीं"। + +# हमारा मित्र लाजर सो गया है + +"लाजर मर गया है, परन्तु कुछ समय के लिए" + +# मैं उसे जगाने जाता हूँ + +यीशु लाजर को जीवित करने का विचार व्यक्त कर रहा है। diff --git a/jhn/11/15.md b/jhn/11/15.md new file mode 100644 index 0000000..4875c06 --- /dev/null +++ b/jhn/11/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों से बैतनिय्याह जाने ही की बात कर रहा है + +# तुम्हारे कारण + +”तुम्हारे लाभ के लिए“ + +# दिद्मुस कहलाता है + +दिद्मुस एक पुलिंग शब्द है, अर्थात जुड़वा diff --git a/jhn/11/17.md b/jhn/11/17.md new file mode 100644 index 0000000..4289baa --- /dev/null +++ b/jhn/11/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दो मील + +”लगभग तीन किलोमीटर“। मूल भाषा में यह दूरी ”स्टेडियम“ में व्यक्त की गई है। एक स्टेडियम 185 मीटर का होता था। diff --git a/jhn/11/24.md b/jhn/11/24.md new file mode 100644 index 0000000..5c6660c --- /dev/null +++ b/jhn/11/24.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह अनन्तकाल तक न मरेगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "जो मुझ में विश्वास रखते है वे परमेश्वर से सदा के लिए अलग नहीं होंगे"। diff --git a/jhn/11/30.md b/jhn/11/30.md new file mode 100644 index 0000000..32dd64f --- /dev/null +++ b/jhn/11/30.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसके पांवों पर गिर पड़ी + +मरियम ने यीशु के चरणों में घुटने टेके, सम्मान का प्रतीक। diff --git a/jhn/11/36.md b/jhn/11/36.md new file mode 100644 index 0000000..d62677f --- /dev/null +++ b/jhn/11/36.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# क्या यह जिसने अंधे की आँखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता? + +वैकल्पिक अनुवाद, "यह एक अंधे को दृष्टिदान दे सकता है तो यह लाज़र को भी चंगा कर सकता था कि वह मरता नहीं"। + +# आँखें खोली + +चंगा किया diff --git a/jhn/11/38.md b/jhn/11/38.md new file mode 100644 index 0000000..d118a54 --- /dev/null +++ b/jhn/11/38.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या मैंने तुझसे नहीं कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी? + +वैकल्पिक अनुवाद, "स्मरण रख कि मैंने तुझ से कहा है, यदि तू मुझ में विश्वास रखेगी तो देखेगी कि परमेश्वर कैसा महान है"। diff --git a/jhn/11/43.md b/jhn/11/43.md new file mode 100644 index 0000000..f6dddff --- /dev/null +++ b/jhn/11/43.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# कफन से हाथ पांव बंधे हुए निकल गया + +उस समय की प्रथा थी कि शव को कपड़े की पट्टियों से बांधा जाए। + +# यीशु ने उन से कहा + +"उनसे" शब्द चमत्कार को देखने वालों के लिए है। diff --git a/jhn/11/49.md b/jhn/11/49.md new file mode 100644 index 0000000..816cb8d --- /dev/null +++ b/jhn/11/49.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम कुछ भी नहीं जानते + +काइफा ने ऐसा इसलिए नहीं कहा कि वे अज्ञानी थे परन्तु इसलिए कि उसके समाधान से वे अनभिज्ञ थे। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम तो ऐसे बातें कर रहे हो कि तुम जानते ही नहीं कि क्या करना चाहिए"। diff --git a/jhn/11/51.md b/jhn/11/51.md new file mode 100644 index 0000000..50b56a9 --- /dev/null +++ b/jhn/11/51.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यह बात उसने कही + +काइफा की योजना को भविष्यद्वाणी माना एवं समझा जा रहा था जबकि काइफा को स्वयं यह बोध नहीं था कि वह भविष्यद्वाणी कर रहा है। यह पृष्ठभूमि संबन्धित जानकारी है। इसे अपनी भाषा में स्पष्ट करने के लिए जो भी शब्द आवश्यक है उनका उपयोग करें। + +# उस जाति के लिए मरेगा + +"जाति" से अभिप्राय है संपूर्ण इस्राएल जाति। diff --git a/jhn/11/54.md b/jhn/11/54.md new file mode 100644 index 0000000..c382465 --- /dev/null +++ b/jhn/11/54.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु यरूशलेम के निकट के गाँव बैतनिय्याह से कूच करता है diff --git a/jhn/11/56.md b/jhn/11/56.md new file mode 100644 index 0000000..1e03431 --- /dev/null +++ b/jhn/11/56.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यदि पद 57 का पद 56 से पहले होने का तथ्य आपके पाठकों को उलझन में डाल देगा तो आप दोनों पदों को संयोजित करके पद 57 के पाठ को पद 56 के पहले लिखें। + +# वे यीशु को ढूंढ़ने लगे। + +"वे" अर्थात यरूशलेम आने वाले यहूदी धर्मगुरू + +# प्रधान याजको + +यह जानकारी पृष्ठभूमि आधारित है कि यहूदी आराधनालों द्वारा यीशु के मन्दिर में आने के विचार की व्याख्या की जाए। यदि आपकी भाषा में ऐसी पृष्ठभूमि गर्मित जानकारी को व्यक्त करने की विधि है तो उसे काम में लें। उसने आसपास के लोगों से उसका विचार पूछा। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हारे विचार में क्या यीशु पर्व में आने से डरेगा"। + +# तुम क्या सोचते हो? क्या वह पर्व में नहीं आयेगा? + +तुम क्या सोचते हो? क्या वह पर्व में नहीं आयेगा? - व्यक्ता विमूढ़ था कि यीशु पर्व में आयेगा या नहीं क्योंकि उसे वहां बन्दी बनाए जाने का खतरा था। उसने अन्य साथियों की राय जानना चाहा। वैकल्पिक अनुवाद: "तुम्हारे विचार में क्या यीशु पर्व में आने से नहीं डरेगा" diff --git a/jhn/12/01.md b/jhn/12/01.md new file mode 100644 index 0000000..7f7171d --- /dev/null +++ b/jhn/12/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# आध सेर + +यहां मूल भाषा का शब्द है, "लितरा" जो भार का माप है, रोम का एक पाऊंड लगभग बारह आऊंस या 327.5 ग्राम होता है। + +# इत्र + +सुगन्धित पौधों से प्राप्त तेल से बना द्रव्य + +# जटामांसी + +यह घंटी के आकार के गुलाबी रंग के फूलों से प्राप्त इत्र है, जो नेपाल, चीन और भारत में उगता है। + +# घर सुगंधित हो गया + +"इत्र की सुगन्ध संपूर्ण घर में फैल गई"। diff --git a/jhn/12/04.md b/jhn/12/04.md new file mode 100644 index 0000000..1e7a59b --- /dev/null +++ b/jhn/12/04.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +जब मरियम यीशु के चरणों पर इत्र लगा रही थी तब वह भोजन हेतु आसीन था। + +# जो उसे पकड़वाने पर था + +वैकल्पिक अनुवाद, "जिसने आगे चलकर यीशु को बन्दी बनाने में उसके बैरियों की सहायता की थी" + +# इसलिए कि वह चोर था ..... वह निकाल लेता था। + +यूहन्ना यहूदा के इस सुझाव का भेद खोलता है। इस पृष्ठभूमि गर्मित जानकारी को अपने ही प्रकार से अनुवाद करे यदि प्रबन्ध है। diff --git a/jhn/12/09.md b/jhn/12/09.md new file mode 100644 index 0000000..8963ad3 --- /dev/null +++ b/jhn/12/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +बैतनिय्याह में यीशु भोजन कर रहा है + +# अब + +यहाँ मुख्य कहानी में रूकावट है। यूहन्ना कहानी में एक नए समूह का प्रवेश करता है। + +# प्रधान याजकों ने...सम्मति की + +"प्रधान याजकों ने विचार विमर्श किया" या "प्रधान याजकों ने सुझाव खोजे"। + +# उसके कारण + +लाज़र के जी उठने के कारण अनेकों ने यीशु पर विश्वास किया था। diff --git a/jhn/12/12.md b/jhn/12/12.md new file mode 100644 index 0000000..02cb2a4 --- /dev/null +++ b/jhn/12/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# होशाना + +अर्थात "परमेश्वर बचाए"। + +# जो प्रभु के नाम में आता है + +किसी के नाम में आने का अर्थ है कि उसके अधिकार और सामर्थ्य के साथ आना, या उनका प्रतिनिधि या सन्देशवाहक होना। वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर के प्रतिनिधि रूप में आता है।" diff --git a/jhn/12/14.md b/jhn/12/14.md new file mode 100644 index 0000000..7f56c36 --- /dev/null +++ b/jhn/12/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# हे सिय्योन की बेटी + +"सिय्योन की बेटी", इस्त्राएल को व्यक्त करने का रूपक है, "इस्त्राएल की सन्तान" या "यरूशलेम के लोग" diff --git a/jhn/12/16.md b/jhn/12/16.md new file mode 100644 index 0000000..ba06905 --- /dev/null +++ b/jhn/12/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +लेखक पृष्ठभूमि गर्भित जानकारी देता है। + +# जब यीशु की महिमा प्रगट हुई + +वैकल्पिक अनुवाद, "जब परमेश्वर ने यीशु को महिमान्वन किया" + +# उन्हें स्मरण आया कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थी। + +लेखक, यूहन्ना यहाँ व्याख्या द्वारा पाठक को बताता है कि यह पृष्ठभूमि आधारित जानकारी है कि शिष्य इसे बाद में समझे। diff --git a/jhn/12/17.md b/jhn/12/17.md new file mode 100644 index 0000000..49f571d --- /dev/null +++ b/jhn/12/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# संसार उसके पीछे हो चला है + +वैकल्पिक अनुवाद, “ऐसा प्रतीत होता है कि सब ही उसके अनुयायी हो गए हैं” diff --git a/jhn/12/23.md b/jhn/12/23.md new file mode 100644 index 0000000..c26f394 --- /dev/null +++ b/jhn/12/23.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ + +मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि जब तक गेहूं का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है, परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है, वैकल्पिक अनुवाद, "इस दृष्टान्त पर ध्यान दो जो मैं तुम्हें सुनाता हूं। मेरा जीवन एक बीज के सदृश्य है जो भूमि में डाला गया और मर गया। जब तक वह बोया न जाए वह मात्र एक ही बीज रहता है, परन्तु जब उसे बोया जाता है तब वह बदलकर अनेक बीजों की फसल देने के लिए विकसित होता है।" diff --git a/jhn/12/25.md b/jhn/12/25.md new file mode 100644 index 0000000..44c8d27 --- /dev/null +++ b/jhn/12/25.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जो इस जगत में अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है,वह अनन्त जीवन के लिए उसकी रक्षा करेगा। + +जो इस जगत में अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है,वह अनन्त जीवन के लिए उसकी रक्षा करेगा। - वैकल्पिक अनुवाद, "इसी प्रकार जो अपनी इच्छा को प्रिय जानता है वह उसे नष्ट करता है और जो अपनी इच्छा को अनदेखा करता है, क्योंकि वह मेरे अधीन होता है, वह सदा परमेश्वर के साथ रहेगा"। diff --git a/jhn/12/27.md b/jhn/12/27.md new file mode 100644 index 0000000..1e1253f --- /dev/null +++ b/jhn/12/27.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अब मैं क्या कहूँ। हे पिता मुझे इस घड़ी से बचा। + +"मैं प्रार्थना में यह नहीं कहूँगा, हे पिता मुझे ऐसे समय में बचा ले"। diff --git a/jhn/12/32.md b/jhn/12/32.md new file mode 100644 index 0000000..a1930d1 --- /dev/null +++ b/jhn/12/32.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सबको अपने पास खींचूगा + +"मैं सब कुछ बाँध लूँगा... कि मैं सदा के लिए राज करूं" + +# उसने यह प्रगट कर दिया कि वह कैसी मृत्यु मरेगा। + +x diff --git a/jhn/12/34.md b/jhn/12/34.md new file mode 100644 index 0000000..63dac7a --- /dev/null +++ b/jhn/12/34.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यीशु ने उससे कहा, "ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो, ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है?" + +वैकल्पिक अनुवाद, तब यीशु ने उन्हें यह दृष्टान्त सुनाया, "मेरे वचन तुम्हारे लिए ज्योति के समान हैं, कि समझने में तुम्हारी सहायता करें कि परमेश्वर की इच्छा का जीवन जीओ। अब मैं अधिक समय तक तुम्हारे साथ नहीं रहूँगा। आवश्यक है कि जब तक मैं हूँ, तुम मेरे निर्देशों का पालन करो। यदि तुम मेरे वचनों को अस्वीकार करते हो तो वह ऐसा है जैसे अन्धकार अकस्मात ही तुम पर छा गया और तुम नहीं जानते कि कहाँ जा रहे हो"। diff --git a/jhn/12/37.md b/jhn/12/37.md new file mode 100644 index 0000000..5cb8dd2 --- /dev/null +++ b/jhn/12/37.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# "हे प्रभु हमारे समाचार का किसने विश्वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रकट हुआ है"? + +"हे प्रभु हमारे समाचार का किसने विश्वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रकट हुआ है"? -वैकल्पिक अनुवाद, "हे प्रभु हमारा सन्देश किसी ने नहीं सुना जबकि उन्होंने देखा है कि तू उन्हें सामथ्र्य के साथ बचाने में योग्य है"। + +# प्रभु का भुजबल + +परमेश्वर की उद्धारक पराक्रमी क्षमता के बारे में है। diff --git a/jhn/12/41.md b/jhn/12/41.md new file mode 100644 index 0000000..e68a9f0 --- /dev/null +++ b/jhn/12/41.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# आराधनालय में से निकाले जाएं + +"आराधनालय में उनका प्रवेश निषेध हो जाए" diff --git a/jhn/12/44.md b/jhn/12/44.md new file mode 100644 index 0000000..52d86f0 --- /dev/null +++ b/jhn/12/44.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है। + +वैकल्पिक अनुवाद, "जो मुझे देखता है वह मेरे भेजनेवाले परमेश्वर को देखता है"। diff --git a/jhn/12/46.md b/jhn/12/46.md new file mode 100644 index 0000000..c75f417 --- /dev/null +++ b/jhn/12/46.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं जगत में ज्योति होकर आया हूँ + +यीशु यहाँ भी स्वयं की तुलना संसार की अन्धकार विरोधी ज्योति से करता है। + +# अन्धकार में रहे + +"आत्मिक अन्धेपन में रहे" + +# यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिए नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिए आया हूं। + +वैकल्पिक अनुवाद, "यदि कोई मेरी शिक्षा को सुनकर अस्वीकार करे तो मुझे उसको दोष देने की आवश्यकता नहीं है। मेरी शिक्षा ही ने उसे दोषी ठहरा दिया है क्योंकि उसने उसे अस्वीकार किया। यहां तक मेरी बात है, मैं दोषी ठहराने नहीं, परन्तु मेरे विश्वासियों का उद्धार करने आया हूं"। diff --git a/jhn/12/48.md b/jhn/12/48.md new file mode 100644 index 0000000..fed3486 --- /dev/null +++ b/jhn/12/48.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पिछले दिन + +पिछले दिन, "जब परमेश्वर मनुष्यों को पापों का न्याय करेगा"। + +# उसकी आज्ञा अनन्तजीवन है। + +"मैं जानता हूं कि उसने मुझे जिन वचनों के आख्यान की आज्ञा दी है, वे अनन्तजीवन दायक वचन हैं। diff --git a/jhn/13/01.md b/jhn/13/01.md new file mode 100644 index 0000000..bfc1c8d --- /dev/null +++ b/jhn/13/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अब फसह के पर्व से पहले + +यह वाक्यांश परिदृश्य प्रकट करने के लिए पृष्ठभूमिगर्मित जानकारी है। आपकी भाषा में पृष्ठभूमिगर्मित जानकारी को व्यक्त करने के लिए जैसा भी प्रावधान है, उसका उपयोग करें। + +# शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती + +वैकल्पिक अनुवाद, "शमौन का पुत्र, कारियोथ निवासी यहूदा" diff --git a/jhn/13/03.md b/jhn/13/03.md new file mode 100644 index 0000000..8bd5587 --- /dev/null +++ b/jhn/13/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# भोजन पर से उठ कर अपने ऊपरी कपड़े उतार दिए + +वह स्थान धूल से भरा था इसलिए अतिथि सत्कार करने वाले को आन्तुकों के पांव धोने के लिए एक सेवक रखना होता था। diff --git a/jhn/13/06.md b/jhn/13/06.md new file mode 100644 index 0000000..c152f61 --- /dev/null +++ b/jhn/13/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# हे प्रभु, क्या तू मेरे पांव धोता है? + +वैकल्पिक अनुवाद, "हे प्रभु तू निश्चय ही मेरे पांव नहीं धोएगा" diff --git a/jhn/13/10.md b/jhn/13/10.md new file mode 100644 index 0000000..23ba95b --- /dev/null +++ b/jhn/13/10.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम .... सब के सब नहीं + +"तुम" अर्थात शिष्य? + +# तुम सब के सब शुद्ध नहीं। + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुम सब के सब अपराध से शुद्ध नहीं हो" diff --git a/jhn/13/12.md b/jhn/13/12.md new file mode 100644 index 0000000..49ed2fe --- /dev/null +++ b/jhn/13/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या तुम समझे कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है? + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें समझना है कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है"। diff --git a/jhn/13/19.md b/jhn/13/19.md new file mode 100644 index 0000000..94ee5e4 --- /dev/null +++ b/jhn/13/19.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मैं वही हूँ (मैं हूँ) + +परमेश्वर ने मूसा को अपना यही नाम बताया था। यह परमेश्वर का पवित्र नाम है जिसे सब यहूदी जानते थे। diff --git a/jhn/13/21.md b/jhn/13/21.md new file mode 100644 index 0000000..7391951 --- /dev/null +++ b/jhn/13/21.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# आत्मा में व्याकुल हुआ + +"परेशान, चिन्तित हुआ" diff --git a/jhn/13/23.md b/jhn/13/23.md new file mode 100644 index 0000000..ba23653 --- /dev/null +++ b/jhn/13/23.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मेज पर छाती की ओर झुका हुआ था + +उस संस्कृति में लोग अपने पाश्र्व पर आधा लेट कर भोजन करते थे। + +# यीशु की छाती + +यीशु के सीने की ओर + +# यीशु की छाती + +यीशु के सीने की ओर + +# जिससे यीशु प्रेम रखता था। + +यह यूहन्ना था diff --git a/jhn/13/26.md b/jhn/13/26.md new file mode 100644 index 0000000..3ef4886 --- /dev/null +++ b/jhn/13/26.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# इस्करियोती + +कारियोथ गांव का diff --git a/jhn/13/28.md b/jhn/13/28.md new file mode 100644 index 0000000..564d626 --- /dev/null +++ b/jhn/13/28.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# कि वह कंगालों को कुछ दे + +इसका कर्तृवाच्य में अनुवाद किया जा सकता है, "जाकर गरीबों को कुछ दान दे" diff --git a/jhn/13/31.md b/jhn/13/31.md new file mode 100644 index 0000000..e13764e --- /dev/null +++ b/jhn/13/31.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# हे बालकों + +यीशु "हे बालकों" का उपयोग करता है कि वह व्यक्त करे कि वह अपने शिष्यों से बच्चों के समान प्रेम करता था। diff --git a/jhn/13/34.md b/jhn/13/34.md new file mode 100644 index 0000000..34bd557 --- /dev/null +++ b/jhn/13/34.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सब लोग + +"सब" अर्थात शिष्यों के पारस्परिक प्रेम को देखने वाले सब लोग। diff --git a/jhn/13/36.md b/jhn/13/36.md new file mode 100644 index 0000000..796d554 --- /dev/null +++ b/jhn/13/36.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अपना प्राण भी दे दूँगा + +"जान दे दूँगा" या "मर जाउँगा" + +# क्या तू मेरे लिए अपना प्राण देगा? + +वैकल्पिक अनुवाद, "तू कहता है कि तू मेरे लिए मर भी जायेगा" देखें: ) diff --git a/jhn/14/08.md b/jhn/14/08.md new file mode 100644 index 0000000..518cb2b --- /dev/null +++ b/jhn/14/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# "हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ और क्या तू मुझे नहीं जानता?" + +वैकल्पिक अनुवाद, "मैं तुम्हारे (बहुवचन) साथ पहले ही बहुत समय रह चुका हूँ और प्रकट है कि तुम (एकवचन) मुझे नहीं जानते, फिलिप्पुस"। + +# तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? + +वैकल्पिक अनुवाद, "अतः तुझे (एकवचन) कहने की आवश्यकता नहीं, "पिता को हमें दिखा" diff --git a/jhn/14/10.md b/jhn/14/10.md new file mode 100644 index 0000000..ec60a8d --- /dev/null +++ b/jhn/14/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# क्या तू विश्वास नहीं करता + +"क्या तू (एकवचन) विश्वास नहीं करता" + +# ये बातें जो मैं तुमसे कहता हूँ + +"जो बातें मैं तुम से (बहुवचन) कहता हूँ"। + +# ये बातें जो मैं तुम से कहता हूं, अपनी ओर से नहीं कहता। + +"मेरे ये सन्देश जो मैं तुम्हें सुनाता हूँ, अपनी ओर से नहीं सुनाता हूँ।" diff --git a/jhn/14/15.md b/jhn/14/15.md new file mode 100644 index 0000000..4382d8f --- /dev/null +++ b/jhn/14/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# सहायक + +पवित्र आत्मा, "वह जो सहायता हेतु निकट आता है" या "जो ढ़ाढस बंधाता है" या "जो सहायता करता है" + +# सत्य का आत्मा + +पवित्र आत्मा + +# जगत + +वे लोग जो यीशु में विश्वास नहीं करते diff --git a/jhn/14/18.md b/jhn/14/18.md new file mode 100644 index 0000000..843b03c --- /dev/null +++ b/jhn/14/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जगत + +"जो परमेश्वर के लोग नहीं" diff --git a/jhn/14/28.md b/jhn/14/28.md new file mode 100644 index 0000000..b1771c1 --- /dev/null +++ b/jhn/14/28.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मुझसे बड़ा है + +"मुझसे अधिक अधिकार संपन्न है" diff --git a/jhn/14/80.md b/jhn/14/80.md new file mode 100644 index 0000000..4c37fda --- /dev/null +++ b/jhn/14/80.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# इस संसार का राजकुमार + +यह शैतान का नाम है diff --git a/jhn/15/01.md b/jhn/15/01.md new file mode 100644 index 0000000..ebb2d16 --- /dev/null +++ b/jhn/15/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# ले लेता है + +अधिकांश संस्करणों में इसका अर्थ व्यक्त किया गया है, "काट कर निकाल देता है" (यू.डी.बी.) एक अल्प संख्यक विचार यह भी है कि डालियों को भूमि से ऊपर उठाता है कि वे फल लाएं। diff --git a/jhn/15/03.md b/jhn/15/03.md new file mode 100644 index 0000000..b10b721 --- /dev/null +++ b/jhn/15/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम + +इस संपूर्ण गद्यांश "तुम" शब्द बहुवचन है और यीशु के शिष्यों का संदर्भ देता है। + +# तुम तो उस वचन के कारण जो मैंने तुमसे कहा है, स्वच्छ हो। + +वैकल्पिक अनुवाद, "यह ऐसा है कि मानों तुम पहले ही छांटे जा चुके हो और शुद्ध डालियां हो क्योंकि तुमने मेरी शिक्षाओं का अनुसरण किया है"। diff --git a/jhn/15/05.md b/jhn/15/05.md new file mode 100644 index 0000000..4fa37aa --- /dev/null +++ b/jhn/15/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मैं दाखलता हूँ, तुम डालियाँ हो + +वैकल्पिक अनुवाद, "मैं दाखलता स्वरूप हूँ और तुम शाखाओं के स्वरूप हो"। + +# वह डाली के समान फेंक दिया जाता है। + +"किसान उसे डाली के समान फेंक देता है" (देखें: और ) diff --git a/jhn/15/08.md b/jhn/15/08.md new file mode 100644 index 0000000..9bdf34f --- /dev/null +++ b/jhn/15/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम मेरे चेले ठहरोगे + +"दिखाओगे कि मेरे शिष्य हो" या "प्रकट करोगे कि मेरे शिष्य हो"। + +# मेरे प्रेम में बने रहोगे + +"मैं कितना प्रेम करता हूँ इसका बोध सदा तुम्हें रहेगा।" diff --git a/jhn/15/10.md b/jhn/15/10.md new file mode 100644 index 0000000..58cbacb --- /dev/null +++ b/jhn/15/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे; जैसा कि मैंने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूँ। + +यदि तुम मेरी शिक्षाओं का अनुसरण करोगे तो तुम्हें मेरे प्रेम का बोध होता रहेगा, ठीक वैसे ही जैसे मैं अपने पिता की आज्ञाओं का पालन करता हूँ और उसके प्रेम का बोध मुझे सदा होता रहता है“। diff --git a/jhn/15/18.md b/jhn/15/18.md new file mode 100644 index 0000000..999c0c1 --- /dev/null +++ b/jhn/15/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यदि संसार तुमसे बैर रखता है ..... इसलिए संसार तुमसे बैर रखता है। + +यीशु इस पद में "संसार" शब्द का उपयोग उन लोगों के संदर्भ में करता है जो परमेश्वर के नहीं हैं। diff --git a/jhn/15/23.md b/jhn/15/23.md new file mode 100644 index 0000000..5d96b1f --- /dev/null +++ b/jhn/15/23.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वचन पूरा हो + +"भविष्यद्वाणी पूरी हो" diff --git a/jhn/15/26.md b/jhn/15/26.md new file mode 100644 index 0000000..f8d7008 --- /dev/null +++ b/jhn/15/26.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सहायक + +पवित्र आत्मा, "प्रोत्साहन देने वाला" या जो "सहायता करता है" diff --git a/jhn/16/05.md b/jhn/16/05.md new file mode 100644 index 0000000..0103863 --- /dev/null +++ b/jhn/16/05.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसे तुम्हारे पास भेजूंगा + +सहायक या पवित्र आत्मा diff --git a/jhn/16/08.md b/jhn/16/08.md new file mode 100644 index 0000000..3ed0c50 --- /dev/null +++ b/jhn/16/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# धार्मिकता के विषय में इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूँ और तुम मुझे फिर न देखोगे। + +"वह मनुष्यों से ऐसा कहेगा क्योंकि मैं पिता के पास लौट रहा हूं, और तुम मुझे अब नहीं देखोगे, तुम जान लोगे कि मैं ही हूं जो सच्चा धर्मी हूँ"। + +# संसार का सरदार + +शैतान, संसार में भ्रष्ट बातों का शासक। इस "संसार का राजकुमार", का अनुवाद वैसे ही करना होगा जैसा )में किया है। diff --git a/jhn/16/19.md b/jhn/16/19.md new file mode 100644 index 0000000..73e8726 --- /dev/null +++ b/jhn/16/19.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या तुम आपस में मेरी इस बात के विषय में पूछताछ करते हो? + +यीशु ने यह प्रश्न इसलिए पूछा कि अपने शिष्यों का ध्यान उन बातों पर केन्द्रित करे जो उसने अभी-अभी उनसे की हैं कि वह और भी समझाए। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम आपस में यह पूछ रहो हो कि मैंने जो कहा उसका अर्थ क्या है"। diff --git a/jhn/16/22.md b/jhn/16/22.md new file mode 100644 index 0000000..3fbc96d --- /dev/null +++ b/jhn/16/22.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मेरे नाम से + +"मेरे अधिकार से" या "मेरी ओर से" diff --git a/jhn/16/29.md b/jhn/16/29.md new file mode 100644 index 0000000..14724fc --- /dev/null +++ b/jhn/16/29.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्याँ तुम अब विश्वास करते हो? + +वैकल्पिक अनुवाद, "अब तुम अन्ततः मुझमें विश्वास करने लगे हो" diff --git a/jhn/16/32.md b/jhn/16/32.md new file mode 100644 index 0000000..6fe31a3 --- /dev/null +++ b/jhn/16/32.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मैंने संसार को जीत लिया है + +"मैंने परमेश्वर के विरोधियों को हरा दिया है"। diff --git a/jhn/17/03.md b/jhn/17/03.md new file mode 100644 index 0000000..de6320a --- /dev/null +++ b/jhn/17/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु प्रार्थना कर रहा है + +# वे तुझे एकमात्र परमेश्वर को..... जानें + +परमेश्वर को अपने अनुभव से "जानें" न कि परमेश्वर के बारे में बातों को जानें"। + +# जो कार्य तूने मुझे करने को दिया था + +अर्थात यीशु संपूर्ण सांसारिक सेवा जिसमें उसने सुसमाचार सुनाया। diff --git a/jhn/17/06.md b/jhn/17/06.md new file mode 100644 index 0000000..d5b9971 --- /dev/null +++ b/jhn/17/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जगत में से + +परमेश्वर में विश्वास न करनेवाले सब लोग। + +# तेरे वचन को मान लिया है + +"तेरी शिक्षाओं का अनुसरण किया है"। diff --git a/jhn/17/12.md b/jhn/17/12.md new file mode 100644 index 0000000..351e500 --- /dev/null +++ b/jhn/17/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# की पवित्रशास्त्र की बाते पूरी हो + +धर्मशास्त्र में लिखी हुई बातें diff --git a/jhn/17/18.md b/jhn/17/18.md new file mode 100644 index 0000000..d76b4ee --- /dev/null +++ b/jhn/17/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जगत में + +संपूर्ण संसार में हर एक जगह और हर एक मनुष्य के पास। + +# उनके लिए + +"उनके लाभ के लिए" या "उनकी भलाई के लिए" diff --git a/jhn/17/25.md b/jhn/17/25.md new file mode 100644 index 0000000..2629236 --- /dev/null +++ b/jhn/17/25.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# संसार ने मुझे (तुझे) नहीं जाना, परन्तु मैंने तुझे जाना और इन्होंने भी जाना कि तू ही ने मुझे भेजा है। + +संसार ने तुझे नहीं पहचाना परन्तु मैंने तुझे जाना और इन्होंने भी जाना कि तूने मुझे भेजा है। - "इस संसार को तुझे जानने का मेरे जैसा अनुभव नहीं है; और इन शिष्यों ने जान लिया है कि तूने मुझे भेजा है" diff --git a/jhn/18/04.md b/jhn/18/04.md new file mode 100644 index 0000000..7fbd4e0 --- /dev/null +++ b/jhn/18/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# किसे ढूंढ़ते हो? + +"तुम किसकी खोज में हो"? + +# मैं हूँ + +यहाँ "वही" शब्द अभिलेख में नहीं है परन्तु उसका अभिप्राय यहां है। वैकल्पिक अनुवाद, "मैं ही वह हूं" या "वह व्यक्ति मैं हूँ"। diff --git a/jhn/18/06.md b/jhn/18/06.md new file mode 100644 index 0000000..3afe4d9 --- /dev/null +++ b/jhn/18/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मैं हूँ + +मूल लेख में "वही" शब्द नहीं है परन्तु अभिप्राय वही है। वैकल्पिक अनुवाद, "मैं ही वही हूँ" या "वह व्यक्ति मैं हूँ" diff --git a/jhn/18/10.md b/jhn/18/10.md new file mode 100644 index 0000000..60d43a3 --- /dev/null +++ b/jhn/18/10.md @@ -0,0 +1,13 @@ +# नाम मलखुस था + +# मयान में + +कटार या तलवार को रखने का उपकरण कि रखनेवाले को चोट न लगे। + +# कटोरा + +इसका संदर्भ हो सकता है, (1) यीशु को जो कष्ट उठाना है उसका परिणाम (देखें: यू.डी.बी.) या (2) परमेश्वर का प्रकोप जिसे उसके लोगों की मुक्ति के निमित्त यीशु को भोगना था। + +# क्या मैं उसे न पीऊं? + +यीशु इस प्रश्न के द्वारा कष्टों पर बल दे रहा है कि उसे निश्चय ही कष्ट भोगने हैं। वैकल्पिक अनुवाद, "मुझे पीना ही है"। diff --git a/jhn/18/15.md b/jhn/18/15.md new file mode 100644 index 0000000..3f941cc --- /dev/null +++ b/jhn/18/15.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# एक और चेला भी... यह चेला + +यह प्रेरित यूहन्ना है जो इस पुस्तक का लेखक है diff --git a/jhn/18/17.md b/jhn/18/17.md new file mode 100644 index 0000000..9542ea6 --- /dev/null +++ b/jhn/18/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# कहीं तू भी इस मनुष्य के चेलों में से तो नहीं। + +वैकल्पिक अनुवाद, "तू भी तो इस मनुष्य के शिष्यों में से एक है"। diff --git a/jhn/18/19.md b/jhn/18/19.md new file mode 100644 index 0000000..758fbc0 --- /dev/null +++ b/jhn/18/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# महायाजक + +यह काइफा था + +# मैंने संसार में खुलकर बातें की हैं। + +यीशु ने सार्वजनिक सेवा की थी। + +# यह लोग + +वे लोग जिन्होंने यीशु के उपदेश सुने थे diff --git a/jhn/18/22.md b/jhn/18/22.md new file mode 100644 index 0000000..77d7f92 --- /dev/null +++ b/jhn/18/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# क्या तू महायाजक को इस प्रकार उत्तर देता है? + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुझे महायाजक को इस प्रकार उत्तर नहीं देना है"। + +# बुराई की गवाही दे + +"बता कि मैंने जो कहा उसमें क्या बुराई है"? + +# यदि भला कहा, तो मुझे क्यों मारता है? + +"यदि मैं सच कहा है तो मुझे मारने की आवश्यकता नहीं है" diff --git a/jhn/18/28.md b/jhn/18/28.md new file mode 100644 index 0000000..37222b6 --- /dev/null +++ b/jhn/18/28.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यदि यह कुकर्मी नहीं होता तो हम उसे तेरे हाथ सौंपते। + +"यह मनुष्य कुकर्मी है और हमें इसे निश्चय ही दण्ड के लिए तेरे पास लाना है" diff --git a/jhn/18/38.md b/jhn/18/38.md new file mode 100644 index 0000000..61decd2 --- /dev/null +++ b/jhn/18/38.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सत्य क्या है? + +"कोई नहीं जान सकता कि सत्य क्या है"। और diff --git a/jhn/19/01.md b/jhn/19/01.md new file mode 100644 index 0000000..6d7247e --- /dev/null +++ b/jhn/19/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# हे यहूदियों के राजा, प्रणाम + +मूल भाषा में "चिरंजीव" शब्द है जो केवल हाथ उठाकर कैसर के लिए कहा जाता था। सैनिकों ने कांटों का मुकुट और बैंगनी वस्त्र पहनाकर यीशु का आहावन किया था, वे वास्तव में उसे राजा नहीं मान रहे थे। diff --git a/jhn/19/07.md b/jhn/19/07.md new file mode 100644 index 0000000..df3955c --- /dev/null +++ b/jhn/19/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तू कहाँ का है? + +"तू कहाँ का है"? पिलातुस ने यीशु से उसकी पहचान पूछी। आपकी भाषा/संस्कृति में किसी की पहचान पूछने की विशेष रीति हो सकती है। diff --git a/jhn/19/10.md b/jhn/19/10.md new file mode 100644 index 0000000..5dac6e1 --- /dev/null +++ b/jhn/19/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मुझसे क्यों नहीं बोलता? + +पिलातुस को आश्चर्य हुआ कि यीशु अपना प्रतिवाद का अवसर खो रहा है। "मुझे उत्तर दे"। diff --git a/jhn/19/12.md b/jhn/19/12.md new file mode 100644 index 0000000..8e59265 --- /dev/null +++ b/jhn/19/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अपने आपको राजा बनाता है + +राजा होने का दावा करता है + +# यीशु को बाहर लाया + +सैनिकों को आज्ञा दी कि यीशु को जनता के सामने बाहर लाएं। + +# बैठा दिया + +महत्त्वपूर्ण लोग बैठते थे जबकि साधारण जनता खड़ी रहती थी। + +# न्याय के आसन पर + +अधिकारिक निर्णय देने के लिए महत्त्वपूर्ण मनुष्य जिस आसन पर बैठता था। आपकी संस्कृति में इस कृत्य के लिए विशेष अभिव्यक्तियां होंगी। + +# एक चबूतरा था + +पत्थर का विशेष मंच जहाँ केवल महत्त्वपूर्ण लोग ही जा सकते थे। उसकी संस्कृति में ऐसे विशिष्ट स्थान होंगे। diff --git a/jhn/19/14.md b/jhn/19/14.md new file mode 100644 index 0000000..2f19e48 --- /dev/null +++ b/jhn/19/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तब उसने यहूदियों से कहा + +वैकल्पिक अनुवाद, "पिलातुस ने यहूदी अगुओं से कहा।" diff --git a/jhn/19/25.md b/jhn/19/25.md new file mode 100644 index 0000000..bbbfe50 --- /dev/null +++ b/jhn/19/25.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उस चेले को जिससे वह प्रेम रखता था + +इस सुसमाचार का लेखक यूहन्ना + +# हे नारी, देख यह तेरा पुत्र है + +वैकल्पिक अनुवाद, "हे नारी, देख इस व्यक्ति को अपने पुत्र जैसा स्वीकार कर"। + +# यह तेरी माता है + +वैकल्पिक अनुवाद, "इस नारी को अपनी माता स्वरूप ग्रहण कर"। diff --git a/jhn/19/28.md b/jhn/19/28.md new file mode 100644 index 0000000..f82c9e0 --- /dev/null +++ b/jhn/19/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सिरका + +दाखरस जिसे बहुत समय किण्वन के लिए रखा जाता था। + +# उन्होंने..... पर रखकर + +"रोमी सैनिकों ने रखकर" + +# स्पंज + +तरल पदार्थ को सोखने की वस्तु + +# प्राण त्याग दिए + +यीशु ने अपनी आत्मा परमेश्वर को दे दी और देह को मरने दिया। diff --git a/jhn/19/31.md b/jhn/19/31.md new file mode 100644 index 0000000..d2219c2 --- /dev/null +++ b/jhn/19/31.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तैयारी + +फसह के पूर्व का समय जब भोजन तैयार किया जाता था। diff --git a/jhn/19/34.md b/jhn/19/34.md new file mode 100644 index 0000000..4bb056e --- /dev/null +++ b/jhn/19/34.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जिसने यह देखा + +यह वाक्य कहानी से अलग है। लेखक (प्रेरित यूहन्ना) हमें बताता है कि वह कहां था और हम विश्वास कर सकते हैं कि जो उसने लिखा वह सच है। diff --git a/jhn/19/38.md b/jhn/19/38.md new file mode 100644 index 0000000..a067450 --- /dev/null +++ b/jhn/19/38.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यहूदियों के डर से + +"यहूदी अगुवों के डर से" + +# सेर + +देखें कि में आपने उसका अनुवाद कैसे किया है। diff --git a/jhn/20/01.md b/jhn/20/01.md new file mode 100644 index 0000000..39ab298 --- /dev/null +++ b/jhn/20/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु के दफन के बाद यह तीसरा दिन है + +# सप्ताह के पहले दिन + +वैकल्पिक अनुवाद, "रविवार के दिन" + +# दूसरे चेलें के पास जिससे यीशु प्रेम रखता था + +यह वाक्यांश, यूहन्ना द्वारा संपूर्ण पुस्तक में उसके स्वयं के बारे में कहने की विधि है। + +# वे प्रभु को कब्र से निकाल ले गए + +"किसी ने प्रभु को कब्र से निकाल लिया" diff --git a/jhn/20/03.md b/jhn/20/03.md new file mode 100644 index 0000000..fb2f8ff --- /dev/null +++ b/jhn/20/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +मरियम ने पतरस और यूहन्ना को बताया कि किसी ने यीशु का शव कब्र से निकाल लिया है। + +# दूसरा चेला + +स्पष्ट है कि यूहन्ना अपना नाम लिखने की अपेक्षा स्वयं को इस प्रकार करता है तो वह उसकी विनम्रता है। + +# कपड़े पड़े देखे + +यह यीशु का कफन था। दफन के लिए शव पर लपेटे गए कपड़े। diff --git a/jhn/20/06.md b/jhn/20/06.md new file mode 100644 index 0000000..d8f83e4 --- /dev/null +++ b/jhn/20/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +मरियम ने पतरस और यूहन्ना को अभी-अभी बताया कि यीशु का शव कब्र में नहीं है। + +# मलमल के कपड़े + +देखें कि आपने "कपड़े" का अनुवाद में कैसे किया है। + +# अंगोछा + +सामान्यतः चेहरे पर से पसीना पोंछने का कपड़ा परन्तु इससे मृतक का मुंह भी ढांका जाता था। diff --git a/jhn/20/08.md b/jhn/20/08.md new file mode 100644 index 0000000..92a5718 --- /dev/null +++ b/jhn/20/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पतरस और यूहन्ना आकर देखते हैं कि कब्र खाली है। + +# दूसरा चेला + +यूहन्ना स्वयं का नाम लिखने की अपेक्षा इस प्रकार संबोधित करता है वो यह उसकी विनम्रता है। + +# देखा + +पतरस ने देखा diff --git a/jhn/20/11.md b/jhn/20/11.md new file mode 100644 index 0000000..abc0668 --- /dev/null +++ b/jhn/20/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +पतरस और यूहन्ना घर लौट आए। diff --git a/jhn/20/14.md b/jhn/20/14.md new file mode 100644 index 0000000..bec0e60 --- /dev/null +++ b/jhn/20/14.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +पतरस और यूहन्ना के प्रस्थान के बाद मरियम मगदलीनी वहीं थी। + +# उसे उठा लिया है + +उसे अर्थात यीशु के शव को diff --git a/jhn/20/16.md b/jhn/20/16.md new file mode 100644 index 0000000..0853c0a --- /dev/null +++ b/jhn/20/16.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# रब्बूनी + +रब्बूनी का अर्थ रब्बी या गुरू ही है। यह मरियम की भाषा का शब्द है जो अरामी मिश्रित इब्रानी थी। diff --git a/jhn/20/19.md b/jhn/20/19.md new file mode 100644 index 0000000..4dbc5fa --- /dev/null +++ b/jhn/20/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसी दिन जो सप्ताह का पहला दिन था। + +यह रविवार था + +# तुम्हें शान्ति मिले + +यह एक सामान्य अभिवादन था। + +# अपना हाथ और अपना पंजर उन्हें दिखाया + +"उसने उन्हें अपने हाथ और पसलियों के घाव दिखाए"। diff --git a/jhn/20/21.md b/jhn/20/21.md new file mode 100644 index 0000000..94621bb --- /dev/null +++ b/jhn/20/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तुम्हें शान्ति मिले + +की टिप्पणियां देखें + +# उनके लिए क्षमा किए गए हैं + +"परमेश्वर क्षमा कर देगा"। + +# वे रखे गए हैं + +"परमेश्वर क्षमा नहीं करेगा" diff --git a/jhn/20/24.md b/jhn/20/24.md new file mode 100644 index 0000000..d9e179e --- /dev/null +++ b/jhn/20/24.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# दिद्मुस + +दिद्मुस - देखें इसका नाम का अनुवाद कैसे किया गया है, + +# जब अन्य चेले उससे कहने लगे + +उससे अर्थात थोमा से + +# उसके हाथों में + +उसके अर्थात यीशु के diff --git a/jhn/20/26.md b/jhn/20/26.md new file mode 100644 index 0000000..a1645ec --- /dev/null +++ b/jhn/20/26.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# चेले फिर + +उसके अर्थात यीशु के + +# तुम्हें शान्ति मिले + +की टिप्पणियां देखें + +# अविश्वासी + +"विश्वास रहित" या "विश्वास से वंचित" diff --git a/jhn/20/28.md b/jhn/20/28.md new file mode 100644 index 0000000..6e6b8b3 --- /dev/null +++ b/jhn/20/28.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुमने विश्वास किया है। + +वैकल्पिक अनुवाद, "तूने विश्वास किया कि मैं जीवित हूं" + +# बिन देखे + +वैकल्पिक अनुवाद, "जिन्होंने मुझे जीवित नहीं देखा है" diff --git a/jhn/20/30.md b/jhn/20/30.md new file mode 100644 index 0000000..ff4e8e3 --- /dev/null +++ b/jhn/20/30.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसके नाम में जीवन + +वैकल्पिक अनुवाद, "यीशु के द्वारा तुम्हें जीवन मिले" diff --git a/jhn/21/04.md b/jhn/21/04.md new file mode 100644 index 0000000..6b60059 --- /dev/null +++ b/jhn/21/04.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# भोर होते ही + +"उजाला होने लगा था" diff --git a/jhn/21/07.md b/jhn/21/07.md new file mode 100644 index 0000000..9902625 --- /dev/null +++ b/jhn/21/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# (क्योंकि वह नंगा था) + +यह अतिरिक्त जानकारी है। + +# (वे किनारे से अधिक दूर नहीं थे कोई दो सौ हाथ पर थे।) + +यह अतिरिक्त जानकारी है। + +# दो सौ हाथ + +"नब्बे मीटर" एक हाथ आधे मीटर से कुछ कम होता है। diff --git a/jhn/21/15.md b/jhn/21/15.md new file mode 100644 index 0000000..b5602e4 --- /dev/null +++ b/jhn/21/15.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मेरे मेमनों को चरा + +वैकल्पिक अनुवाद, "मेरे लोगों को जिनकी मैं सुधि लेता हूं, उनका पोषण कर"। + +# मेरी भेड़ों की रखवाली कर + +वैकल्पिक अनुवाद "जिन लोगों की मैं सुधि लेता हूं उनकी रखवाली कर" diff --git a/jhn/21/17.md b/jhn/21/17.md new file mode 100644 index 0000000..44e3bdd --- /dev/null +++ b/jhn/21/17.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मेरी भेड़ों को चरा + +वैकल्पिक अनुवाद "जिन लोगों की मैं सुधि लेता हूं उनकी रखवाली कर" + +# मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ + +उसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। diff --git a/jhn/21/20.md b/jhn/21/20.md new file mode 100644 index 0000000..b773d51 --- /dev/null +++ b/jhn/21/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# भोजन के समय + +अन्तिम भोज के समय (देखें: यूह. ) + +# उसे पतरस ने देखा + +"उसे" अर्थात जिस शिष्य से यीशु प्रेम रखता था उसे देखकर diff --git a/jhn/21/22.md b/jhn/21/22.md new file mode 100644 index 0000000..7a14e8a --- /dev/null +++ b/jhn/21/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वह ..... ठहरे रहे + +यूह. 21:20 में "वह" अर्थात जिस शिष्य से यीशु प्रेम करता था। + +# मेरे आने तक + +यीशु का पुनः आगमन स्वर्ग से उसका लौट आना + +# तुझे इससे क्या + +वैकल्पिक अनुवाद, "तू इसकी चिन्ता न कर" diff --git a/jhn/21/24.md b/jhn/21/24.md new file mode 100644 index 0000000..c3be8fd --- /dev/null +++ b/jhn/21/24.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह वही चेला है जो इन बातों की गवाही देता है और जिसने इन बातों को लिखा है। + +शिष्य यूहन्ना + +# हम जानते हैं + +हम कलीसिया में जानते हैं + +# पुस्तकें जो लिखी जाती हैं वे संसार में न समाती + +x diff --git a/jud/01/01.md b/jud/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..9563696 --- /dev/null +++ b/jud/01/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यहूदा, ... का दास + +यहूदा याकूब का भाई है। वैकल्पिक अनुवाद: "मैं यहूदा हूँ , का एक दास।" + +# और याकूब का भाई + +याकूब और यहूदा यीशु के सहोदर भाई थे। + +# परमेश्वर पिता में प्रिय + +"पिता परमेश्वर तुम्हें प्रेम करता है" + +# यीशु मसीह के लिए सुरक्षित है + +"और अब सुरक्षित हैं क्योंकि वे यीशु मसीह में विश्वास करते हैं" + +# दया और शांति और प्रेम तुम्हें बहुतायत से प्राप्त हो + +"तुम" उन सभी विश्वासियों के सन्दर्भ में है जिन्हें यह पत्र प्राप्त होना था। वैकल्पिक अनुवाद : "दया, शान्ति और प्रेम तुम्हारे लिए कई गुणा बढ़े।" diff --git a/jud/01/03.md b/jud/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..c0c4677 --- /dev/null +++ b/jud/01/03.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# मैं तुम्हें लिखने में अत्यंत परिश्रम कर रहा था + +"मैं तुम्हें लिखने के लिए अत्यंत आतुर था" + +# हमारा समान उद्धार + +"हम उद्धार में समान सहभागी हैं" + +# मुझे लिखना ही था + +"मुझे लिखने की अत्यन्त आवश्यकता अनुभव हुई" या "मुझे लिखना अति आवश्यक जान पड़ा" + +# ताकि मैं तुम्हें समझ सकूँ और तुम विश्वास के लिए पूरा प्रयत्न करो + +"ताकि सच्ची शिक्षा के बचाव के लिए तुम्हें प्रोत्साहित कर सकूँ" + +# सौंपा गया था + +"परमेश्वर ने यह सच्ची शिक्षा दी है" + +# क्योंकि कितने ऐसे मनुष्य चुपके से हम में आ मिले हैं + +"क्योंकि कुछ लोग विश्वासियों के बीच में बिना अपनी ओर ध्यान आकर्षित किए आ मिले हैं ।" + +# जिनके इस दण्ड का वर्णन पुराने समय में पहले से ही लिखा गया था + +"बहुत पहले यह लिखा गया था कि इन लोगों को दण्ड मिलेगा" + +# जो हमारे परमेश्वर के अनुग्रह को लुचपन में बदल डालते हैं + +"जो सिखाते हैं कि परमेश्वर का अनुग्रह व्यक्ति को शारीरिक पाप में बने रहने की अनुमति देता है" + +# जो हमारे एकमात्र स्वामी और प्रभु , यीशु मसीह का इन्कार करते हैं + +ये मनुष्य सिखाते हैं कि यीशु मसीह परमेश्वर की ओर एकलौता और सच्चा मार्ग नहीं है । + +# इन्कार + +कहना कि कुछ सत्य नहीं है diff --git a/jud/01/05.md b/jud/01/05.md new file mode 100644 index 0000000..a1d7fa6 --- /dev/null +++ b/jud/01/05.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# तुम्हें सुधि दिलाना चाहता हूँ + +"मैं चाहता हूँ कि तुम याद रखो" + +# तुम सब कुछ जानते हो + +यहूदा मुख्य रूप में मूसा की लिखी बातों के सन्दर्भ में कह रहा है जो कि इन्हें सिखाई गई हैं। वैकल्पिक अनुवाद: "तुम मूसा की लिखी बातें जानते हो।" + +# परमेश्वर ने एक कुल को मिस्र देश से छुड़ाया था + +"परमेश्वर ने बहुत पहले इस्राईलियों को मिस्र देश से छुड़ाया था" + +# पर इसके बाद + +"बाद में" या "कुछ होने के बाद" + +# ...उनका अपना राज्य + +जिन स्वर्गदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा या जिन उत्तरदायित्वों को उन्हें सौंपा गया था। + +# अपने निज निवास को छोड़ दिया + +"उन्होंने अपने आप को सौंपे गए स्थानों को त्याग दिया" + +# परमेश्वर ने उन्हें अन्धकार में सदा के बन्धनों में रखा है + +"परमेश्वर ने इन स्वर्गदूतों को अन्धकार में बंदी बना लिया है" + +# ...भीषण दिन के लिए + +न्याय का अंतिम दिन जब परमेश्वर सभी लोगों का न्याय करेगा। diff --git a/jud/01/07.md b/jud/01/07.md new file mode 100644 index 0000000..4112b7e --- /dev/null +++ b/jud/01/07.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# जिस रीति से + +यहाँ स्वर्गदूतों के द्वारा उन्हें सौंपे गए कार्यों को त्यागने की तुलना सदोम और अमोरा से की गई है। + +# और उनके आस-पास के नगर + +"और उनके समीप अन्य नगर" + +# जो इनके समान व्यभिचारी हो गए थे + +सदोम और अमोरा ने अपने आप को व्यभिचार के लिए समर्पित कर दिया था बिल्कुल उसी प्रकार जिस प्रकार स्वर्गदूतों ने अपने आप को बुराई को सौंप दिया था। + +# उन्होने व्यभिचार किया और अप्राकृतिक लालसा की। + +लोग विवाह के बाहर शारीरिक सम्बन्ध बना रहे थे। और पुरुष दूसरे पुरुषों के साथ और स्त्रियों दूसरी स्त्रियों के साथ शारीरिक सम्बन्ध स्थापित कर रहे थे। + +# उन्हें बनाया गया + +"सदोम और अमोरा के लोगों को ठहराया (बनाया) गया" + +# एक ऐसा उदाहरण जो अनंतकाल की आग के दण्ड को भुगतें + +सदोम और अमोरा के लोगों का विनाश उन सभी लोगों के भाग्य का जो परमेश्वर का इन्कार करते हैं एक उदाहरण बन गया। + +# ये भी अशुद्ध करते हैं + +"ये" का अभिप्राय उन लोगों से है जो परमेश्वर का इन्कार करते है जो अपने शरीर को व्यभिचार से अशुद्ध करते हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे नदी में कूड़ा डालने के पश्चात इसका पानी पीने लायक नहीं रहता। + +# ऊँचे पद वालों के विषय में + +"परमेश्वर के अद्भुत स्वर्गदूतों के विषय में diff --git a/jud/01/09.md b/jud/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..40a3ede --- /dev/null +++ b/jud/01/09.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# शव के विषय में वाद-विवाद किया + +वे वाद-विवाद कर रहे थे कि शव पर किसका अधिकार है। वैकल्पिक अनुवाद : "इस विषय पर विवाद किया कि कौन शव को ले कर जाएगा।" + +# (मीकाईल) ने दोष लगाने का साहस न किया + +मीकाईल ने शैतान को डांट लगाने से परहेज़ किया। वैकल्पिक अनुवाद : "से बचा" + +# बुरा-भला या दोष लगाने वाले शब्द + +"तीखी आलोचना या अनादर करने वाले शब्द" + +# पर ये लोग + +"ये लोग" अविश्वासी लोग हैं जिनका वर्णन पहले किया गया है। + +# जिन बातों को नहीं जानते उनको बुरा-भला कहते हैं + +" कोई भी बात जिसका अर्थ वे नहीं जानते उसके विषय में अनादर सहित बोलते हैं " + +# कैन की सी चाल + +कैन ने अपने भाई हाबिल को घात किया। + +# मज़दूरी के लिए बिलाम के समान भ्रष्ट + +बिलाम ने भविष्यवाणी करने के लिए पैसे की इच्छा की + +# कोरह का विद्रोह + +कोरह ने मूसा के नेतृत्व और हारुन के याजकपद का विरध किया diff --git a/jud/01/12.md b/jud/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..e2b242e --- /dev/null +++ b/jud/01/12.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# x + +यहूदा रूपकों की श्रृंखला जारी रखता है + +# ये मुख्य बातें हैं। + +"ये" का तात्पर्य अविश्वासी मनुष्यों से है। + +# जो छिपी हुई चट्टान सरीखे हैं + +जैसे कि समुन्द्र के नीचे छिपी चट्टान समुंद्री जहाजों को डुबो सकती है, इस प्रकार के लोग विश्वासियों के लिए ख़तरा हैं। वैकल्पिक अनुवाद: "जो डरावनी चट्टनों के समान हैं जो पानी के नीचे छिपी हैं।" + +# तुम्हारी प्रेम सभाओं में, जब वे तुम्हारे साथ खाते-पीते हैं + +"तुम्हारे संगति भोजों में, जब वे तुम्हारे साथ खाते हैं।" + +# निर्जल बादल हैं + +उन बादलों के समान जो बाग़ को पानी प्रदान नहीं कर सकता, ये लोग विश्वासियों की परवाह नहीं करते। + +# पतझड़ के निष्फल पेड़ + +जैसे कुछ पेड़ ग्रीष्म ऋतु के अंत में फल पैदा नहीं करते , वैसे ही इन अविश्वासी लोगों के पास विश्वास और धर्म के कार्य नहीं होते। + +# बिना फल, दो बार मृत + +ऐसे पेड़ों के समान जिन्हें दो बार मारा जा चुका है जैसे कि तुषार से वे फल नहीं देंगे, इसलिए अविश्वासी मनुष्य के कोई मूल्य नहीं होते और उनमें कोई जीवन नहीं होता। + +# जड़ से उखड़े हुए + +ऐसे पेड़ों के समान जिन्हें ज़मीन से पूरी तरह जड़ समेत निकाल लिया गया हो, अविश्वासी लोग परमेश्वर से अलग हो गए हैं जो कि जीवन का स्रोत है। (देखें: ) + +# समुद्र के प्रचंड लहरें + +जैसे समुन्द्र की लहरें तेज़ हवा के झोंके के साथ उड़ा ली जाती हैं, वैसे अविश्वासी लोगों में विश्वास की कोई नींव नहीं थी और बड़ी आसानी से विभिन्न दिशाओं की ओर आकर्षित हो जाते थे। + +# अपनी लज्जा का फेन उछालते हैं + +जिस प्रकार हवा के झोंके से लहरों के साथ गन्दला फेन उभर कर आता है, उसी प्रकार ये मनुष्य अपनी झूठी शिक्षाओं और कृत्यों से अपने आप को शर्मिंदा करते हैं। वैकल्पिक अनुवाद: "बिल्कुल जैसे लहरें झाग और गन्दगी उभारती हैं , ये लोग अन्य लोगों को अपनी शर्मिंदगी से गंदा करते हैं।" + +# डांवाडोल तारे जिनके लिए सदा काल तक घोर अन्धकार रखा गया है + +जैसे कुछ तारे अप्रत्याशित रूप में चलते हैं और उन पर पथ प्रदर्शन के लिए भरोसा नहीं किया जा सकता, इसलिए तुम्हें इन लोगों का अनुसरण नहीं करना चाहिए। diff --git a/jud/01/14.md b/jud/01/14.md new file mode 100644 index 0000000..1577a58 --- /dev/null +++ b/jud/01/14.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यहूदा अविश्वासी लोगों के विरुद्ध बोलना जारी रखता है + +# ये लोग...उनके काम...उनके पास हैं + +ये लोग...उनके काम...उनके पास हैं - इसका तात्पर्य अविश्वासी मनुष्यों से है। + +# आदम से सातवीं पीढ़ी में + +आदम से सातवीं पीढ़ी कुछ अनुवाद इसे छठी पीढ़ी भी कह सकते हैं जो कि इस तथ्य पर निर्भर करता है कि आदम को पहली पीढ़ी में गिना गया है या नहीं। + +# देखो, प्रभु... + +"ध्यान दो, प्रभु", या ध्यानपूर्वक देखो, प्रभु" + +# सभी कठोर बातें + +"सभी कड़े शब्द" + +# असंतुष्ट , कुढ़कुढ़ाने वाले + +लोग जिनके हृदय अवमानना करने वाली हैं , और हमेशा सही बात का विरोध करने पर ज़ोर डालते हैं। कुढ़कुढ़ाने वाले लोगों में इसे चुपके से करने की प्रवृति होती है जबकि शिकायत करने वाले इसे अधिक खुल कर करते हैं। + +# बड़ी-बड़ी डींगे हांकने वाले + +लोग जो दूसरों को सुनाने के लिए अपनी बढ़ाई करते हैं। diff --git a/jud/01/17.md b/jud/01/17.md new file mode 100644 index 0000000..2e84169 --- /dev/null +++ b/jud/01/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उन्होंने उनसे कहा, + +"प्रेरितों ने तुमसे कहा" + +# अपनी अभिलाषाओं के पीछे चलेंगे...ये वे हैं + +यहूदा यहां ठट्ठा करने वालों के विषय में कह रहा है + +# वे जो फूट डालते हैं + +"ठट्ठा उड़ाने वाले जो विश्वासियों के बीच में फूट डालते हैं" + +# वे शारीरिक लोग हैं + +"ठट्ठा उड़ाने वाले शारीरिक अभिलाषाओं के पीछे जाते हैं" diff --git a/jud/01/20.md b/jud/01/20.md new file mode 100644 index 0000000..404b52c --- /dev/null +++ b/jud/01/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जैसे तुम विश्वास में उन्नति करते हो + +जैसे तुम शारीरिक सेहत और शक्ति में बढ़ो, वैसे ही तुम परमेश्वर के ज्ञान के द्वारा अपने मन और आत्मा में मज़बूती और उन्नति प्राप्त करो + +# बाट जोहते रहो ... + +"बेसब्री से इंतज़ार करो..." diff --git a/jud/01/22.md b/jud/01/22.md new file mode 100644 index 0000000..d3b367a --- /dev/null +++ b/jud/01/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कुछ लोग जो शंका में हैं + +"कुछ लोग जो अभी भी विश्वास नहीं करते कि परमेश्वर परमेश्वर है" + +# आग में से झपट कर निकालना + +"ताकि वे आग की झील में न जाएं" + +# और बहुतों पर भय के साथ दया करो + +"और अन्यों पर दया करो पर उनके जैसे पाप करने से डरो।" + +# जैसे तुम उस वस्त्र से भी घृणा करते हो जो शरीर के द्वारा कलंकित हो गया है + +"यहां तक कि उनके कपड़ों से भी घृणा करो, क्योंकि वे पाप के द्वारा कलंकित किए गए हैं।" वे पाप से इतने भर गए हैं कि उनके कपड़ों को भी गंदा माना जाता है। diff --git a/jud/01/24.md b/jud/01/24.md new file mode 100644 index 0000000..d1ccd65 --- /dev/null +++ b/jud/01/24.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तुम्हें ठोकर खाने से बचाने के लिए + +वैसे जैसे एक व्यक्ति चलते समय पत्थर से ठोकर खा सकता है, वैसे ही वह पाप करके परमेश्वर के सम्मुख ठोकर खा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: "उस पर निरन्तर विश्वास करने में सहायता करने में।" + +# और तुम्हें उसकी महिमा की भरपूरी के सामने खड़ा करने के लिए + +उसकी महिमा एक चमकदार रौशनी है जो उसकी महानता को दर्शाती है। वैकल्पिक अनुवाद: "और तुम्हें उसकी महिमा का आनन्द उठाने और आराधना करने की अनुमति देने के लिए।" + +# बिना दाग अत्यधिक आनन्द में + +"बिना पाप के और अत्यधिक आनन्द में।" या "और तुम में कोई पाप नहीं होगा और तुम आनन्द से भरपूर होगे" + +# उस एकमात्र परमेश्वर और हमारे उद्धारकर्ता को, हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा + +"उस एकमात्र परमेश्वर को, जिसने क्योंकि जो यीशु ने किया उसके कारण हमें बचाया।" + +# महिमा और गौरव, और पराक्रम और अधिकार, जैसा सनातन काल से है, अब भी हो और युगानुयुग रहे। आमीन! + +परमेश्वर की महिमा, गौरव, पराक्रम और सभी चीज़ों पर अधिकार हमेशा से था, है और रहेगा । diff --git a/luk/01/01.md b/luk/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..c8cd268 --- /dev/null +++ b/luk/01/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# इतिहास + +“विवरण” या “वृत्तान्त” या “सच्ची कहानी” + +# हमारे + +हमारे यहाँ “हमारे” में थियुफिलुस नहीं आता है परन्तु अभिलेख इसे स्पष्ट नहीं करता है। + +# इन बातों के देखने वाले + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है इन बातों को उसी समय देखा जब वे पहले-पहले हुई थी। + +# वचन के सेवक थे + +इसके अन्य संभावित अर्थ हैं, “मनुष्यों में परमेश्वर का सन्देश सुनाने की सेवा की है” या “मनुष्यों को यीशु का शुभ सन्देश सुनाया है” + +# हम तक पहुंचाया + +इस वाक्य में “हम” एक अलग शब्द है जो थियुफिलुस को समाहित नहीं करता है। + +# ठीक-ठीक जांच करके + +अर्थात वह घटनाओं की यथा उचित जांच करने में अत्यधिक सावधान रहा है। उसने संभवतः अनेक अलग-अलग मनुष्यों से विचार-विमर्श किया, जिन्होंने इन घटनाओ को अपनी आंखों से देखा था, कि वह इन घटनाओं को लिखे तो वे सही हों। इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, हर एक घटना की सावधानीपूर्वक खोज की है”। + +# “अति श्रेष्ठ” + +लूका इस शब्द के उपयोग द्वारा थियुफिलुस के प्रति सम्मान एवं आदर व्यक्त कर रहा है। ऐसे संबोधन का अर्थ यह भी होता है कि थियुफिलुस एक महत्त्वपूर्ण सरकारी अधिकारी था। इसके अन्य अनुवाद हो सकते है, “माननीय” या “श्रेष्ठ” कुछ लोग ऐसे संबोधन को आरंभ में रखना अधिक उत्तम समझते है, “थियुफिलुस” या “प्रिय .... थियुफिलुस”। + +# थियुफिलुस + +इस नाम का अर्थ है, “परमेश्वर का मित्र” इससे उसका चरित्र प्रकट होता है या यह वास्तव में उसका नाम रहा होगा। अधिकांश अनुवादों में इस शब्द को उसका नाम माना गया है। diff --git a/luk/01/05.md b/luk/01/05.md new file mode 100644 index 0000000..cf60245 --- /dev/null +++ b/luk/01/05.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# यहूदिया के राजा हेरोदस के समय में + +“जिस समय राजा हेरोदेस यहूदिया में राज कर रहा था”। + +# यहूदिया + +इसका अनुवाद “यहूदिया के क्षेत्र में” किया जा सकता है या “यहूदिया प्रदेश” कुछ भाषाओं में अधिक उत्तम माना जाता है कि इसका अनुवाद “यहूदिया वासियों पर” किया जाता है। + +# एक .... था + +“नाम का एक" या "एक.. था" यह एक विशिष्ट नायक को प्रवेश कराने की विधि है। आपकी भाषा में यह कैसे हो” उस पर ध्यान दें। + +# दल + +इसको इस प्रकार अनुवाद कर सकते है “याजक मंडल” या “याजको का समूह” + +# अबिय्याह के दल में + +“अबिय्याह के वंशजों में हो” अबिय्याह इस याजक समूह का पूर्वज था। वे सब हारून के वंशज थे। हारून इस्राएल का सर्वप्रथम याजक था। + +# उसकी पत्नी + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जकरयाह की पत्नी” + +# के वंश की + +“वह .... वंशजों में से एक थी” या “वह हारून की वंशज थी” या इसको इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है। “जकरयाह और उसकी पत्नी दोनों हारून के वंश के थे”। + +# परमेश्वर के सामने + +“परमेश्वर की दृष्टि में” या “परमेश्वर के विचार में” + +# चलने वाले + +“आज्ञाकारी” + +# प्रभु की सारी आज्ञाओ और विधियों + +इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर की सब आज्ञाओं और अनिवार्यताओ”। + +# परन्तु + +इस विषमतासूचक शब्द का अर्थ है कि आगे जो आनेवाला है वह अपेक्षा के विपरीत है। मनुष्यों का मानना था कि यदि वे परमेश्वर की दृष्टि में उचित जीवन रखेंगे तो परमेश्वर उन्हें सन्तान देगा परन्तु यह दम्पत्ति यद्यपि धर्मी था, उनके पास सन्तान नहीं थी। diff --git a/luk/01/08.md b/luk/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..9468560 --- /dev/null +++ b/luk/01/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# परमेश्वर के सामने + +“परमेश्वर की उपस्थिति में” स्पष्टता के लिए कुछ अनुवादक सलंग्न जानकारी भी जोड़ देते हैं, “यरूशलेम के मन्दिर में”। + +# रीति के अनुसार + +“उनकी प्रथा के अनुसार” या “उनके द्वारा महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के अभ्यास के अनुसार”। + +# नाम पर चिट्ठी निकली + +यह वास्तव में एक पत्थर होता था जिस पर निशान होते थे। निर्णय लेने के लिए उसे फर्श पर डाला जाता था। उनका मानना था कि वह पत्थर परमेश्वर के नियन्त्रण में रहता था कि जिस याजक को वह चाहता है वह उसके नाम पर गिरे। + +# सारी मण्डली + +“बहुत लोग” या “लोगों की बड़ी संख्या” + +# बाहर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मन्दिर के बाहर” या “मन्दिर के बाहर परिसर में”। मन्दिर के बाहर का घिरा हुआ भाग परिसर था। diff --git a/luk/01/11.md b/luk/01/11.md new file mode 100644 index 0000000..6aafeb6 --- /dev/null +++ b/luk/01/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# प्रभु का + +“प्रभु की ओर से” या “जो प्रभु की सेवा करे” या “जिसे परमेश्वर ने भेजा था”। + +# उसको दिखाई दिया + +“अचानक ही उसके पास आया” या “अचानक ही जकरयाह के साथ प्रकट हुआ”। + +# “तेरी प्रार्थना सुन ली गई है”। + +“तेरी प्रार्थना सुन ली गई है” -“तूने परमेश्वर से जो मांगा है वह स्वीकार किया गया है” इसका संलग्न अर्थ है, “और वह करेगा” इसे अनुवाद में जोड़ा जा सकता है। परमेश्वर ने जकरयाह की प्रार्थना सुनी ही नहीं पूरी की है। + +# उसका नाम यूहन्ना रखना + +“उसे यूहन्ना नाम देगा” या “उसे यूहन्ना नाम से पुकारेगा”। diff --git a/luk/01/14.md b/luk/01/14.md new file mode 100644 index 0000000..a60b4e0 --- /dev/null +++ b/luk/01/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(स्वर्गदूत जकरयाह से बातें कर रहा है) + +# क्योंकि + +“इसका कारण है” या “इसके अतिरिक्त” कुछ अनुवादों में यह शब्द नहीं होगा। + +# वह प्रभु के सामने महान होगा। + +इसका अनुवाद हो सकता है, “वह परमेश्वर के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य करेगा।" + +# मदिरा + +“खमीर किया हुआ दाखरस” या “नशीला पेय” इसका संदर्भ उन पेय पदार्थों से है जिनसे नशा होता है। + +# पवित्र-आत्मा से परिपूर्ण हो जायेगा। + +“पवित्र-आत्मा उसे शक्ति देगा” या यदि आप अनुवाद में व्यक्त करते हैं कि “पवित्र-आत्मा उसे वश में रखेगा” तो ध्यान रखें कि इसका अर्थ यह न निकले कि दुष्टात्मा के सदृश्य वशीभूत होगा। + +# माता के गर्भ ही से + +“ही से” दर्शाता है कि यह एक विशेष आश्चर्य का समाचार है। मनुष्यों को पहले भी पवित्र-आत्मा मिला है परन्तु एक शिशु जिसका जन्म नहीं हुआ वह पवित्र-आत्मा से पूर्ण हो, कभी सुना नहीं गया है। diff --git a/luk/01/16.md b/luk/01/16.md new file mode 100644 index 0000000..496f1b9 --- /dev/null +++ b/luk/01/16.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(स्वर्गदूत जकरयाह से बातें कर रहा है) + +# इस्राएलियों में से बहुतेरों को + +यदि इससे अर्थ निकलता है कि जकरयाह उनमें से नहीं है तो इसका अनुवाद करें, “तुम इस्राएल के वंशजों में से अनेकों को” या “तुम परमेश्वर के लोगों में से अनेकों को यदि अनुवाद में द्वितीय पुरूष काम में ले रहे हैं तो सुनिश्चित करे कि” "उनके प्रभु" के स्थान पर "तुम्हारे (बहुवचन) प्रभु" का उपयोग करें। + +# उसके आगे आये + +वह पहले से घोषणा करेगा कि प्रभु उनके मध्य रहने के लिए आएगा। + +# एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ्य + +“वही आत्मा और सामर्थ्य जो एलिय्याह में था”। आत्मा का अर्थ या तो यह है की वह परमेश्वर का आत्मा है या एलिय्याह का स्वभाव अथवा या विचार विधा। यहाँ सुनिश्चित करें कि "आत्मा" शब्द का अभिप्राय "प्रेत" या “दुष्टात्मा” न हो। + +# पितरों का मन बाल बच्चों की ओर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पिताओं को सन्तान की फिर से सुधि लेने के लिए प्रेरित करेगा” या “पिताओं को विवश” करेगा कि अपनी-अपनी सन्तान के साथ संबन्धों का पुनः स्थापन करें”, इसका संदर्भ माताओं से भी है परन्तु केवल पिताओं का उल्लेख किया गया है। + +# प्रभु के लिए.... तैयार करे + +इसका अनुवाद हो सकता है “प्रभु का सन्देश सुनने के लिए तैयार करे” या “प्रभु की आज्ञा मानने के लिए तैयार करे”। (यह स्वर्गदूत की बातों का अन्त है) diff --git a/luk/01/18.md b/luk/01/18.md new file mode 100644 index 0000000..6041cc3 --- /dev/null +++ b/luk/01/18.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं कैसे जानूं यह होगा? + +इसका अनुवाद हो सकता है, “मैं कैसे निश्चित जान सकता हूँ कि तूने जो कहा है अवश्य होगा”? + +# मेरी बातों की .... प्रतीति न की + +“मेरा बातों का विश्वास नहीं किया” + +# अपने समय पर + +“सही समय पर” या यह भी हो सकता है, “नियुक्त समय पर”। diff --git a/luk/01/21.md b/luk/01/21.md new file mode 100644 index 0000000..f03f909 --- /dev/null +++ b/luk/01/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# बाट देखते रहे + +इसका अनुवाद, "और" हो सकता है या “जब स्वर्गदूत और जकरयाह में वार्तालाप हो रहा था”। + +# अचम्भा करने लगे कि उसे मन्दिर में इतनी देर क्यों लगी। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे चकित थे वह मन्दिर में इतना समय क्यों लगा रहा है”। + +# जब वह बाहर आया + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “जब वह मन्दिर से बाहर आया” diff --git a/luk/01/24.md b/luk/01/24.md new file mode 100644 index 0000000..1ccffaa --- /dev/null +++ b/luk/01/24.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसकी पत्नी + +“जकरयाह की पत्नी” + +# गर्भवती हुई + +“गर्भधारण किया” (यू.डी.बी.) यहाँ ऐसी अभिव्यक्ति काम में लें जो स्वीकार्य हो और मनुष्यों को लजाए नहीं। + +# प्रभु ने ... मेरे लिए ऐसा किया है। + +यह अभिव्यक्ति इस तथ्य का संदर्भ देती है कि परमेश्वर उसे गर्भ धारण की अनुमति दी है। + +# कृपा-दृष्टि करके + +एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “मुझे दया का पात्र समझा है” या “मुझ पर दया की” या “मुझ पर तरस खाया”। diff --git a/luk/01/26.md b/luk/01/26.md new file mode 100644 index 0000000..c9be66f --- /dev/null +++ b/luk/01/26.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# परमेश्वर की ओर से जिब्राइल स्वर्गदूत... भेजा गया। + +इसे कर्तृवाच्य में अनुवाद किया जा सकता है, “परमेश्वर ने जिब्राईल स्वर्गदूत से कहा कि वह जाये।” + +# मंगनी + +“विवाह करने की प्रतिज्ञा” या “शपथ” ली थी। अर्थात मरियम के माता पिता ने मरियम का विवाह युसूफ के साथ करने का वचन दे दिया था। + +# उसके पास भीतर आकर + +“जहाँ मरियम थी वहां आया" या “जहाँ मरियम थी वहां गया”। + +# आनन्द और जय तेरी हो + +“आनन्द” या “मगन हो” यह उस समय के सामान्य अभिवादन थे। + +# परमेश्वर का अनुग्रह हुआ है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तू जो अनुग्रह में सर्वोच्च है” या “तू जिसे अनुग्रह प्राप्त हुआ है" या “तू जिसने दया प्राप्त की है”। + +# बहुत घबरा गई + +“विचलित हुई” या “डर कर विमूढ़ हो गई” + +# यह किस प्रकार का अभिवादन है? + +मरियम शब्दों का अर्थ तो समझती थी परन्तु वह समझ नहीं पा रही थी कि वह स्वर्गदूत ऐसा अभिवादन क्यों कर रहा है diff --git a/luk/01/30.md b/luk/01/30.md new file mode 100644 index 0000000..b8ff61f --- /dev/null +++ b/luk/01/30.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# परमेश्वर का अनुग्रह “तुम पर हुआ है” + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “परमेश्वर ने तुझ पर अनुग्रह करने का निर्णय लिया है” या “परमेश्वर तुझ पर अनुग्रहकारी है” या “परमेश्वर तुझ पर दया प्रकट कर रहा है”। + +# वह .... परम प्रधान का पुत्र कहलायेगा। + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “मनुष्य उसे परम प्रधान का पुत्र कहेंगे” या “मनुष्य स्वीकार करेंगे फिर वह परम प्रधान परमेश्वर का पुत्र है”। + +# उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसे देगा। + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “उसके पूर्वज राजा दाऊद के समान राज करने का अधिकार देगा”। सिंहासन राजा के शासन का अधिकार प्रकट करता है + +# उसके पिता + +बाइबल में पूर्वजों के लिए सामान्यतः “पिता” शब्द का उपयोग किया गया है और वंशजों के लिए “पुत्र” शब्द का”। उसके शब्द का संदर्भ मरियम के पुत्र से है। diff --git a/luk/01/34.md b/luk/01/34.md new file mode 100644 index 0000000..026161c --- /dev/null +++ b/luk/01/34.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यह कैसे होगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह कैसे संभव हो सकता है”, यदि मरियम को समझ में नहीं आया कि ऐसा कैसे होगा, उसने उस पर सन्देह नहीं किया। + +# तुम पर उतरेगा। + +यह वाक्यांश और अगला भी यही अर्थ रखता है कि पवित्र-आत्मा अलौकिक कार्य द्वारा मरियम को कुंवारी होते हुए भी गर्भवती करेगा। यहाँ आपको स्पष्ट करना होगा कि यह एक चमत्कार था। इसमें किसी प्रकार का शारीरिक संबन्ध नहीं था। + +# सामर्थ्य + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “उसके सामर्थ्य द्वारा” + +# छाया करेगा। + +इसका अनुवाद हो सकता है “छाया के सदृश्य तुझे आच्छदित करेगा” या “तेरे साथ होगा” या “इसका कारण होगा”। यहाँ भी सावधान रहें कि शारीरिक संबन्ध भाव व्यक्त न हो। + +# वह पवित्र + +“पवित्र शिशु” या “पवित्र बालक” + +# कहलाएगा + +इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्य कहेंगे कि वह है” या “मनुष्य स्वीकार करेंगे कि वह है”। diff --git a/luk/01/36.md b/luk/01/36.md new file mode 100644 index 0000000..5898cda --- /dev/null +++ b/luk/01/36.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(स्वर्गदूत मरियम से बातें कर रहा है) + +# तेरी कुटुम्बिनी + +यदि आप अधिक स्पष्ट व्यक्त करना चाहते हैं तो इलीशिबा मरियम की मौसी या नानी थी। + +# बुढ़ापे में पुत्र होने वाला है + +“यद्यपि वह वृद्ध है उसने गर्भधारण किया है” या “यद्यपि वह वृद्ध है, उसने गर्भधारण किया है और पुत्र जनेगी”। यहाँ यह सुनिश्चित कीजिए कि पाठक को यह भ्रम न हो कि मरियम और इलीशिबा दोनों ही वृद्धावस्था में थी जब उन्होंने गर्भधारण किया था। + +# जो वचन परमेश्वर की ओर से होता है वह प्रभावरहित नहीं होता है। + +इसका अनुवाद हो सकता है, “क्योंकि परमेश्वर कुछ भी कर सकता है। परमेश्वर ने इलीशिबा के लिए जो किया वह एक कारण है कि परमेश्वर कुछ भी कर सकता है और वह बिना किसी शारीरिक संबन्ध के मरियम के लिए भी गर्भधारण संभव कर सकता है। + +# मैं प्रभु की दासी हूँ। + +इस वाक्यांश के लिए अपनी भाषा में ऐसे शब्दों को चयन करें जो उसकी दीनता एवं आज्ञाकारिता को स्पष्ट व्यक्त करें। वह परमेश्वर की दासी होने का घमण्ड नहीं कर रही थी। + +# तेरे वचन के अनुसार हो + +“मेरे साथ ऐसा ही हो” मरियम स्वर्गदूत की भविष्यद्वाणी के प्रति अपना स्वीकरण व्यक्त कर रही थी। diff --git a/luk/01/39.md b/luk/01/39.md new file mode 100644 index 0000000..bdddba0 --- /dev/null +++ b/luk/01/39.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अब + +`इन शब्दों के द्वारा कहानी में एक नया मोड़ लाया गया है। आपकी भाषा में इसे प्रकट करने की अभिव्यक्ति पर विचार करें। कुछ अनुवादों में यहाँ “अब” का प्रयोग है तो कुछ में नहीं है। + +# उठकर + +इसका अनुवाद हो सकता है “निकल पड़ी” या “तैयार होकर” + +# पहाड़ी देश + +“पर्वतीय क्षेत्र” या “पहाड़ी प्रदेश” या “इस्राएल के पहाड़ी भाग में”। + +# वह कहाँ गईं + +इसका अनुवाद हो सकता है “और वह गई” या “जब वह पहुंची, वह गई” + +# उछला + +“अकस्मात ही हिला” diff --git a/luk/01/42.md b/luk/01/42.md new file mode 100644 index 0000000..3a66082 --- /dev/null +++ b/luk/01/42.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उसने + +यहाँ इलीशिबा का नाम लेना अधिक स्पष्ट एवं स्वाभाविक होगा। यह निर्भर करेगा कि अपने पिछले पद का अनुवाद किस प्रकार किया है। + +# गर्भ का फल + +इसका अनुवाद हो सकता है “तेरे गर्भ में जो शिशु है” या “वह शिशु जिसे तू जन्म देगी”। (यू.डी.बी) (देखे: ) + +# यह अनुग्रह मुझे कहां से हुआ कि मेरे प्रभु की माता मेरे घर आई? + +इसका अनुवाद हो सकता है, “यह कैसी अद्भुत बात है कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आई है”। इलिशिबा यहाँ जानकारी प्राप्त करने के लिए नहीं कह रही है।वह तो मरियम के आगमन पर चकित थी वरन अत्यधिक आनन्दित थी कि प्रभु की माता उसके पास आई। + +# मेरे प्रभु की माता + +इसका अनुवाद हो सकता है, “तू मेरे प्रभु की माता” क्योंकि इसका संदर्भ मरियम से है। + +# उछला + +“अकस्मात ही उछला” या “प्रबल गतिविधि दिखाई” + +# धन्य है वह जिसने विश्वास किया + +इसका अनुवाद हो सकता है, “तूने विश्वास किया” इसलिए छाया है” या “क्योंकि तूने विश्वास किया है इसलिए तू आनन्दित होगी”। + +# जो बातें प्रभु की ओर से उससे कही गई + +इसका अनुवाद हो सकता है, “प्रभु का जो सन्देश उसे दिया गया था” या “परमेश्वर ने तुझसे जो कहा”। diff --git a/luk/01/46.md b/luk/01/46.md new file mode 100644 index 0000000..0fa406e --- /dev/null +++ b/luk/01/46.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मेरा प्राण.... मेरी आत्मा + +इसका अनुवाद हो सकता है, “ओह, मैं कैसे” या “मैं कैसे यहाँ गहरी भावनाएं व्यक्त की गई हैं। मरियम काव्य रूप में एक ही बात को दो भिन्न रूपों में व्यक्त कर रही है। “प्राण” और “आत्मा” दोनों मनुष्य के आत्मिक परिप्रेक्ष्य का संदर्भ देते हैं। उसके कहने का अर्थ है कि उसकी भक्ति उसके अन्तरतम भाग से उभर रही है। यदि संभव हो तो इनके अनुवाद में दो परस्पर भिन्न वस्तु संबन्धित शब्दों का उपयोग करे जिनका अर्थ एक ही हो। + +# बड़ाई करता है + +“सर्वोच्च सम्मान देता है” या “अत्यधिक स्तुति करता है”। + +# आनन्दित हुई + +“बहुत हर्षित हूँ” या “अत्याधिक प्रसन्न है” + +# मेरा उद्धार करने वाला परमेश्वर + +“परमेश्वर जो मेरा मोक्षदाता है” या “मेरा मुक्तिदाता परमेश्वर” diff --git a/luk/01/48.md b/luk/01/48.md new file mode 100644 index 0000000..2b198f1 --- /dev/null +++ b/luk/01/48.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(मरियम परमेश्वर की स्तुति कर रही है) + +# दीनता + +“महत्त्वहीन” या “साधारण” या “सामान्य” या “दरिद्र” मरियम का सामाजिक स्तर ऊंचा नहीं था। + +# दृष्टि की है + +“ध्यान दिया” या “स्मरण किया”, इसका अनुवाद यह भी हो सकता है “भूला नहीं” यहाँ परमेश्वर की स्मरण-शक्ति की बात नहीं है परन्तु यह कि उसने मरियम पर ध्यान देने का चुनाव किया। + +# अब से + +“अब और भविष्य में” + +# उस शक्तिमान + +यह परमेश्वर के संदर्भ में है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर जो सर्व-शक्तिमान है” + +# उसका नाम + +“वह” diff --git a/luk/01/50.md b/luk/01/50.md new file mode 100644 index 0000000..331e197 --- /dev/null +++ b/luk/01/50.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(मरियम परमेश्वर की स्तुति कर रही है) + +# और + +कुछ भाषाओं में इस संयोजक शब्द का उपयोग नहीं किया गया है जो निर्भर करता है कि पिछले पद का अनुवाद किस प्रकार किया गया है। + +# उसकी दया उन पर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर की दया उन पर” या “वह उन पर दया करता है” या “वह उन पर कृपालु है” + +# पीढ़ी से पीढ़ी तक + +इसका अनुवाद इस प्रकार होता है, “उन मनुष्यों की हर एक पीढ़ी तक” या “सब पीढ़ियों के मनुष्यों पर” या “हर एक युग के मनुष्यों पर” + +# जो उससे डरते हैं। + +इसका अर्थ मात्र भय से कही अधिक है। इसका अर्थ है, परमेश्वर का आदर करना, उसकी प्रतिष्ठा करना, उसकी आज्ञा मानना। + +# अपना भुजबल + +“उसकी भुजा के द्वारा” यह एक रूपक है जो परमेश्वर के सामर्थ्य का संदर्भ देता है। + +# तितर-बितर किया + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “(उन्हें) विभिन्न दिशाओं में भागने पर विवश किया” या “उन्हें खदेड़ा” diff --git a/luk/01/52.md b/luk/01/52.md new file mode 100644 index 0000000..28f2d35 --- /dev/null +++ b/luk/01/52.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(मरियम परमेश्वर की स्तुति कर रही है) + +# बलवानों को उनके सिंहासनों से गिरा दिया + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने राजाओं को उनके अधिकार से वंचित किया है” या “उसने शासकों को शासन करने से रोक दिया है”। सिंहासन राजा का आसन होता है और उसके अधिकार का द्योतक है। यदि किसी राजा को उसके सिंहासन से उतार दिया गया तो इसका अर्थ है कि उसके पास राज्य का अधिकार नहीं रहा”। + +# दीनों को ऊंचा किया। + +इस रूपक का अर्थ है, महत्त्वपूर्ण मनुष्य कम महत्त्व के मनुष्यों से बड़े नहीं हैं। यदि आपकी भाषा में इसके तुल्य कोई रूपक नहीं तो इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “विनम्र मनुष्यों को महत्त्व प्रदान किया” या “उन लोगों का सम्मान प्रदान किया जिन्हें मनुष्यों ने सम्मानित नहीं किया।” + +# अच्छी वस्तुओं से + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “अच्छे भोजन की बहुतायत” diff --git a/luk/01/54.md b/luk/01/54.md new file mode 100644 index 0000000..b76bf76 --- /dev/null +++ b/luk/01/54.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(मरियम परमेश्वर की स्तुति कर रही है) + +# संभाल लिया + +“परमेश्वर ने संभाल लिया” + +# अपने सेवक इस्राएल को + +यहाँ “इस्राएल” का अर्थ है इस्राएल राष्ट्र या इस्राएल की प्रजा। यदि पाठक इसे एक मनुष्य इस्राएल समझने की भूल करें तो इसका अनुवाद इस प्रकार करें, “अपने सेवक इस्राएल राष्ट्र को” या “उसके सेवकों इस्राएल को” + +# अपनी उस दया को स्मरण करे + +“क्योंकि उसने प्रतिज्ञा की थी” + +# उसके वंश + +“अब्राहम के वंश” (यह मरियम के स्तुतिगान का अंत है) diff --git a/luk/01/56.md b/luk/01/56.md new file mode 100644 index 0000000..807e33b --- /dev/null +++ b/luk/01/56.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अपने घर लौट आई + +“मरियम अपने घर लौट आई” + +# पुत्र को जन्म दिया + +“अपने शिशु को जन्म दिया” या “पुत्र उत्पन्न किया” + +# उसके पड़ोसियों और कुटुम्बियों + +“इलीशिबा के पड़ोसियों और परिजनों” diff --git a/luk/01/59.md b/luk/01/59.md new file mode 100644 index 0000000..fd67adf --- /dev/null +++ b/luk/01/59.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# आठवें दिन + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “शिशु के जन्म के आठ दिन बाद” या “जब शिशु आठ दिन का हो गया” + +# वे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जकरयाह और इलीशिबा के मित्र एवं परिजन” या केवल “लोग” + +# शिशु का खतना करना + +“शिशु के खतने के लिए” या “शिशु के खतने के संस्कार के लिए” शिशु का खतना तो एक ही व्यक्ति करता था परन्तु परिवार के साथ आनन्द मनाने के लिए लोग उपस्थित होते थे। + +# नाम .... रखने लगे + +“वे उसका नाम रखने लगे” या “वे उसे नाम देना चाहते थे”। + +# उसके पिता के नाम पर + +“उसके पिता के जैसा नाम” या “उसके पिता के नाम के अनुसार” + +# यह नाम + +इलीशिबा ने उसका नाम यूहन्ना बताया था इसलिए वे उससे कह रहे थे इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “उस नाम से हो” diff --git a/luk/01/62.md b/luk/01/62.md new file mode 100644 index 0000000..c12c8a8 --- /dev/null +++ b/luk/01/62.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उन्होंने .... संकेत करके + +“उन्होंने” अर्थात उन लोगों ने जो उसके खतना के समय वहां उपस्थित थे। + +# उसके पिता से + +“शिशु के पिता से” + +# तू उसका नाम क्या रखना चाहता है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कि जकरयाह शिशु का क्या नाम रखना चाहता है” या “वह अपने पुत्र को क्या नाम देना चाहता है”। + +# मंगा कर + +“जकरयाह ने मांगी” उसने संकेत करके समझाया होगा। + +# लिखने की पट्टी + +इसका अनुवाद इस प्रकार करें, “लिखने के लिए कुछ मंगाया” या कुछ अनुवादक यह भी जोड़ना चाहेंगे, “और जब उन्होंनें उसे वह दिया” + +# सभों को आश्चर्य हुआ + +विस्मित हुए diff --git a/luk/01/64.md b/luk/01/64.md new file mode 100644 index 0000000..a91b46c --- /dev/null +++ b/luk/01/64.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# तब उसका मुँह और जीभ तुरन्त खुल गए + +ये मुहावरे हैं जिनका अर्थ है कि वह अब बोलने लगा था। + +# आसपास के सब लोगों पर भय छा गया। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जकर्याह और इलीशिबा के आसपास जितने लोग रहते थे सब पर भय छा गया” या “उनके आसपास रहने वाले सब लोग विस्मय एवं भय से अभिभूत हो गए” क्योंकि उन्होंने देखा कि परमेश्वर सामर्थी है “उसके आसपास के सब रहनेवालों” का अर्थ उनके निकट पड़ोसियों से ही नहीं, उस क्षेत्र के सब लोगों से है। + +# उन सब बातों की चर्चा + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “सब लोग इन बातों की चर्चा कर रहे थे”। + +# सब सुनने वालों ने + +सब सुनने वालों ने सुननेवालों का अर्थ है, जो कुछ वहां हुआ था उसे सुनकर + +# विचार करके + +“सोचने लगे” + +# कहा + +“सोचने लगे” या “पूछने लगे” + +# यह बालक कैसा होगा? + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यह बालक बड़ा होकर कैसा महान मनुष्य होगा” या “यह बालक कैसा महान होगा।” इस प्रश्न से मनुष्यों का आश्चर्य व्यक्त होता है। उन्होंने शिशु के बारे में जो सुना उससे उन्हें यह अनुभूति हुई कि वह एक महापुरूष होगा। + +# प्रभु का हाथ उसके साथ था। + +“परमेश्वर का सामर्थ्य उस पर था” या “परमेश्वर उसमें सशक्ति कार्य कर रहा था” यह लाक्षणिक प्रयोग का एक उदाहरण है जिन्हें परमेश्वर के सामर्थ्य के स्थान में “प्रभु का हाथ” उपयोग किया गया है। diff --git a/luk/01/67.md b/luk/01/67.md new file mode 100644 index 0000000..ababcbf --- /dev/null +++ b/luk/01/67.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# भविष्यद्वाणी करने लगा। + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “भविष्यद्वाणी करके कहा” अपनी भाषा में अपरोक्ष कथनों को व्यक्त करने की विधि खोजें। + +# इस्राएल का परमेश्वर + +“इस्राएल पर राज करने वाला परमेश्वर” या “जिस परमेश्वर की इस्राएल उपासना करता है” यहाँ इस्राएल से अभिप्राय है, इस्राएल राष्ट्र जकरयाह और वे सब जिससे वह बात कर रहा है सब इस्राएलवासी है। + +# हमारे पास आया + +यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है “हमारी सहायता के लिए आया” + +# अपने लोगों पर + +“परमेश्वर के लोगों पर” diff --git a/luk/01/69.md b/luk/01/69.md new file mode 100644 index 0000000..111813c --- /dev/null +++ b/luk/01/69.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(जकरयाह भविष्यद्वाणी कर रहा है) + +# अपने सेवक दाऊद + +अपने सेवक दाऊद “राजा दाऊद जो उसकी सेवा करता था” + +# (जैसा परमेश्वर ने कहा) + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर ने यही करने की तो प्रतिज्ञा की थी”। + +# अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा + +अर्थात “अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं को प्रेरित किया कि कहें ”(यू.डी.बी.) जब परमेश्वर अपने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें करता था तब वाणी तो उनकी होती थी परन्तु सन्देश परमेश्वर देता था। + +# हमारे शत्रुओं से और हमारे सब बैरियों के हाथ से + +इन दोनों वाक्यांशों का अर्थ है, कि परमेश्वर के लोगों के विरोधी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो हमसे लड़ते और हमारी हानि करते हैं”। + +# हाथ से + +“अधिपत्य” या “नियंत्रण” यहाँ “हाथ” शब्द परमेश्वर के लोगों की हानि के लिए काम में लिया जानेवाला सामर्थ्य या नियंत्रण। diff --git a/luk/01/72.md b/luk/01/72.md new file mode 100644 index 0000000..d04268d --- /dev/null +++ b/luk/01/72.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(जकरयाह भविष्यद्वाणी कर रहा है) + +# दया करके + +“के प्रति दयालु” या “अपनी दया के अनुसार काम करना” + +# स्मरण करे + +यहाँ "स्मरण" का अर्थ यह नहीं कि वह भूला नहीं। इसका अर्थ है, “समर्पण को पूरा करना” या “किसी बात को निभाना” + +# शत्रुओं के हाथ से + +“हमारे बैरियों के अधिपत्य से” या “हमारे बैरियों द्वारा क्षतिग्रस्त किए जाने से या हमारे बैरियों द्वारा दासत्व में लिए जाने से”। + +# निडर रह कर + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “हमारे बैरियों के भय से रहित रह कर”। + +# पवित्रता और धार्मिकता से + +“पवित्र और धार्मिकता के मार्गों से (यू.डी.बी.) या “जब हम पवित्र और धर्म के मार्गों का जीवन जीयेंगे” या “जब हम पवित्र जीवन जीयेंगे और उचित काम करेंगे”। + +# उसके सामने + +“उसकी उपस्थिति में” या “उसकी इच्छा के अनुकूल”। + +# करते रहें + +“संपूर्ण जीवन” diff --git a/luk/01/76.md b/luk/01/76.md new file mode 100644 index 0000000..60c7523 --- /dev/null +++ b/luk/01/76.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(जकरयाह भविष्यद्वाणी कर रहा है परन्तु अब वह अपने नवजात शिशु से सीधा कह रहा है।) + +# भविष्यद्वक्ता कहलायेगा। + +वह वास्तव में एक भविष्यद्वक्ता होगा और लोग उसे भविष्यद्वक्ता मानेंगे भी। इसे स्पष्ट करने के लिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तू एक भविष्यद्वक्ता होगा”। + +# परम-प्रधान का + +इसका अनुवाद होगा “जो सर्वोच्च परमेश्वर की सेवा करेगा” या “जो सर्वोच्च परमेश्वर का वक्ता होगा”। + +# उसने लोगों का उद्धार का ज्ञान दे जो उनके पापों की क्षमा से प्राप्त होता है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर उनके पाप क्षमा करके उनका उद्धार कैसे करेगा।” diff --git a/luk/01/78.md b/luk/01/78.md new file mode 100644 index 0000000..6a8c7f5 --- /dev/null +++ b/luk/01/78.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +(जकरयाह अपने नवजात शिशु से ही भविष्यद्वाणी कर रहा है) + +# बड़ी करूणा से + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “क्योंकि वह हम पर कृपालु और दयालु है” + +# परमेश्वर की + +ध्यान दें कि इन सब पदों में “हमारे” और “हम” समाहित हैं। + +# जिसके कारण हम पर भोर का प्रकाश उदय होगा। + +“उगते हुए सूर्य के समान” या “भोर के समान” + +# उदय होगा + +यह एक उपमा है जिसका अर्थ है, “वह ज्ञान प्रदान करेगा”। उसका अनुवाद हो सकता है, “वह आत्मिक ज्योति प्रदान करेगा।” + +# अन्धकार में बैठनेवालों को + +इस रूपक का अर्थ है, “सत्य से अनभिज्ञ जनों को” + +# मृत्यु की छाया में बैठने वालों को + +इस पुस्तक का अर्थ है, “जो मरने पर है” या “जिन्हें भय है कि वे शीघ्र ही मर जायेंगे”। + +# मार्ग में सीधे चलायेगा + +यह रूपक शिक्षा देने को व्यक्त करता है। + +# पाँवों को + +यह एक अंग द्वारा दूसरे अंग का निर्देश है जो संपूर्ण मनुष्य का संदर्भ देता है, केवल पांव ही नहीं। इसका अनुवाद हो सकता है, “हमें” + +# कुशल के मार्ग में + +इस रूपक का अर्थ है, “शान्ति के जीवन में” या “परमेश्वर के साथ मेल के जीवन में”। इसका अनुवाद हो सकता है, “शान्ति में लाने वाले मार्ग में चलायेगा” या “ऐसे जीवन में निर्वाह करायेगा जिसके कारण परमेश्वर से मेल होता है। सुनिश्चित करें कि आपका अनुवाद “हमारे पांवों” के अनुवाद से सुसंगत हो। diff --git a/luk/01/80.md b/luk/01/80.md new file mode 100644 index 0000000..6927c0d --- /dev/null +++ b/luk/01/80.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# बढ़ता... गया + +“आयु और शरीर में विकसित होता गया” (वयस्क हो गया) इसके अनुवाद में स्पष्ट करना होगा कि वह अब बालक नहीं था जब वह निर्जन स्थान में रह रहा था। + +# आत्मा में बलवन्त होता गया + +“आत्मिकता में परिपक्व हो गया” या “दृढ़ नैतिक चरित्र का विकास किया” या “परमेश्वर के साथ संबन्ध में अधिकाधिक दृढ़ होता गया” + +# जब तक + +इसका अर्थ यह नहीं कि यूहन्ना अब निर्जन स्थान में नहीं रह रहा था। अपनी सार्वजनिक सेवा आरंभ करने के बाद भी यूहन्ना निर्जन स्थान में ही रहता था। अतः अर्थ स्पष्ट करने के लिए इसका अनुवाद इस प्रकार करे, “के समय भी” + +# प्रगट होने के समय + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “सबके सामने आने तक” या “आम जनता में प्रचार करने के समय” diff --git a/luk/02/01.md b/luk/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..5e1662f --- /dev/null +++ b/luk/02/01.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# अब + +इस वाक्यांश से प्रकट होता है कि केवल एक नये विषय का उल्लेख करने जा रहा है। + +# ऐसा हुआ + +इस वाक्यांश का अर्थ है कि यह एक वृत्तान्त का आरंभ है। यदि आपकी भाषा में किसी नये वृत्तान्त को आरंभ करने का प्रावधान है, तो आप उसका उपयोग करें। कुछ अनुवादों में इसे काम में नहीं लिया गया है। + +# औगुस्तुस कैसर + +“राजा औगस्तुस” या “सम्राट औगुस्तुस” औगुस्तुस रोम का सर्वप्रथम सम्राट था। + +# आज्ञा निकली + +आज्ञा का अर्थ है आदेश या अध्यादेश निकाला इसका अनुवाद हो सकता है, राजाज्ञा निकाली” या “आदेश दिया” या “आज्ञा दी” + +# नाम लिखे जाएं + +नाम लिखे जाएं अर्थात् सरकारी जनगणना। किसी क्षेत्र के सब लोगों के नाम लिखे जाएं कि कर भुगतान निर्धारित किया जाए। + +# सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं + +सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं - इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है "सम्पूर्ण रोमी साम्राज्य के निवासियों का पंजीकरण किया जाए" या “रोमी साम्राज्य के सब लोगों की गणना करके लेखा तैयार किया जाए।” + +# रोमी साम्राज्य + +इसका अनुवाद हो सकता है, “रोम के अधीन जो संसार था” या "रोमी सम्राट के अधीनस्थ देशों की जनता" या “रोमी साम्राज्य के”। + +# क्विरिनियुस + +क्विरिनियुस को सीरिया का प्रशासक नियुक्त किया गया था। + +# सब लोग... गए + +इसका अनुवाद हो सकता है, “हर एक जन निकल पड़ा” या “हर एक जन जा रहा था” + +# अपने अपने नगर को + +“उसके पूर्वजों के नगर को” + +# नाम लिखवाने के लिए + +“अपने अपने नाम का पंजीकरण करवाने के लिए” या “राजसी लेखे में नाम चढ़वाने के लिए” diff --git a/luk/02/04.md b/luk/02/04.md new file mode 100644 index 0000000..b20c23c --- /dev/null +++ b/luk/02/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यहूदिया में ..... बैतलहम को गया। + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यहूदिया में बैतलहम नगर गया” बैतलहम नासरत से ऊंचे पर था। + +# दाऊद के नगर + +दाऊद के नगर -बैतलहम को उसके महत्त्व के कारण नगर कहा जाता था न कि जनसंख्या के कारण। राजा दाऊद का जन्म वहां हुआ था और भविष्यद्वाणी थी कि मसीह का जन्म उस नगर में होगा। “दाऊद के नगर” का अनुवाद “राजा दाऊद के नगर” किया जा सकता है। + +# नाम लिखवाए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने नाम का पंजीकरण करवाने” या “जनगणना में लिखवाने”। + +# मरियम के साथ + +मरियम नासरत से यूसुफ के साथ गई। यह एक संभावना है कि स्त्रियों पर भी कर लगाया जाता था। अतः आवश्यक था कि मरियम भी जाकर अपने नाम का पंजीकरण करवाएं। + +# अपनी मंगेतर के साथ + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “होने वाली पत्नी” या “जो उसके साथ वचनबद्ध थी” वहां मंगनी के बाद दम्पत्ति को वैधानिक रूप से विवाहित माना जाता था परन्तु उनमें शारीरिक संबन्ध नहीं था। diff --git a/luk/02/06.md b/luk/02/06.md new file mode 100644 index 0000000..b19f0f4 --- /dev/null +++ b/luk/02/06.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# उनके वहां रहते हुए + +“जब यूसुफ और मरियम बैतलहम में थे” + +# दिन पूरे हुए + +“समय हो गया” + +# जनने के दिन पूरे हुए + +“शिशु के जन्म देने का समय” प्रचलित अभिव्यक्ति काम में लें कि पाठकों को संकोच न हो। + +# कपड़े में लपेटकर + +इसका अनुवाद किया जा सकता है “उसे सुविधापूर्वक चादर में लपेटा” या “उसको संभालकर चादर में लपेटा” यह कार्य नवजात शिशु के लिए प्रेम एवं चिन्ता की अभिव्यक्ति है। + +# चरनी + +यह एक पात्र होता था जिसमें पशुओं को खाने के लिए घास डाला जाता था। अति संभव है कि वह स्वच्छ था और उसमें शिशु के लिए गद्दे का काम करने के लिए सूखा चारा भी होगा। पशुओं को घर के पास ही रखा जाता था। कि वे सुरक्षित रहे और उन्हें चारा डालना आसान हो। स्पष्ट है कि यूसुफ और मरियम उस कक्ष में थे जहाँ पशुओं को रखा जाता था। + +# सराय + +यह अतिथियों या यात्रियों के लिए एक पृथक स्थान होता था। + +# उनके लिए सराय में जगह न थी। + +“उनके लिए धर्मशाला में ठहरने का स्थान नहीं था” इसका कारण था कि बैतलहम में जनगणना के लिए आने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक थी। + +# क्योंकि ... जगह न थी + +यह स्पष्ट नहीं है कि मरियम ने अपने प्रभु को चरनी में क्यों रखा। आप सलंग्न जानकारी को स्पष्ट व्यक्त कर सकते हैं कि वे पशुशाला में ठहरे हुए थे और पद 7 में जानकारी का क्रम बदल सकते हैं, उनके लिए सराय में स्थान उपलब्ध नहीं था। इसलिए उन्हें पशुशाला में ठहरना पड़ा। जब मरियम ने अपने पहिलौठे पुत्र को जन्म दिया तब उसने उसे कपड़े में अच्छी तरह लपेटा और चरनी में रख दिया। diff --git a/luk/02/08.md b/luk/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..aefbcac --- /dev/null +++ b/luk/02/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उस देश में + +“उसके परिवेश में” या “बैतलहम के पास” + +# पहरा देते थे + +“देखभाल कर रहे थे” या “उन्हें सुरक्षित रखने के लिए चौकसी कर रहे थे”। + +# भेड़ों का झुण्ड + +“भेड़ों के समूह की” + +# रात को + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सूर्यास्त के बाद जब अन्धेरा हो गया”। + +# प्रभु का एक दूत + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है “प्रभु की ओर से एक स्वर्गदूत” या “प्रभु का सेवक स्वर्गदूत” या “प्रभु का भेजा हुआ एक स्वर्गदूत” + +# पास आ खड़ा हुआ + +“उनके निकट प्रकट हुआ” diff --git a/luk/02/10.md b/luk/02/10.md new file mode 100644 index 0000000..d4e7523 --- /dev/null +++ b/luk/02/10.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# मत डरो + +“निडर रहो” + +# क्योंकि देखो मैं उन्हें बड़े आनन्द का समाचार सुनाता हूँ। + +“क्योंकि मैं तुम्हारे लिये शुभ सन्देश लाया हूँ” या "मैं तुम्हे आनन्द का समाचार सुनाता हूँ।" + +# जो सब लोगों के लिए बड़े आनन्द का कारण होगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “जिसे सुनकर सब लोग अति आनन्दित होंगे।” + +# सब लोग + +कुछ विचारकों के अनुसार इसका अर्थ है, “सब यहूदी” और कुछ के अनुसार “सब लोग” + +# दाऊद के नगर में + +इसका अनुवाद हो सकता है, “दाऊद के नगर बैतलहम में” + +# यह चिन्ह है जो तुम्हें दिया गया है + +इसका अनुवाद हो सकता है “परमेश्वर तुम्हें यह चिन्ह देता है” या “तुम परमेश्वर का यह चिन्ह देखोगे”। + +# चिन्ह + +यह या तो स्वर्गदूत की बात को सत्य सिद्ध करने का पता है या शिशु की पहचान का पता है। इसका अनुवाद “प्रमाण” किया जा सकता है, पहली समझ के लिए और दूसरी समझ के लिए “विशिष्ट चिन्ह”। + +# कपड़े में लिपटा + +इसका अनुवाद हो सकता है, “जिसे चादर में अच्छी तरह लपेटा गया है।" diff --git a/luk/02/13.md b/luk/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..6d83e8f --- /dev/null +++ b/luk/02/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# स्वर्गदूतों का दल + +इसका अर्थ “स्वर्गदूतों की सेना” या रूपक माने तो “व्यवस्थित समूह” हो सकता है। + +# परमेश्वर की स्तुति करते + +इसका अनुवाद हो सकता है, “वे परमेश्वर का गुणगान कर रहे थे।" + +# आकाश में परमेश्वर की महिमा + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “सर्वोच्च स्थान में परमेश्वर की स्तुति करते” या (2) “परमेश्वर की सर्वोत्तम स्थान में चर्चा करो” या “परमेश्वर की सर्वोत्तम स्थान में चर्चा करो” या “परमेश्वर की सर्वोत्तम स्तुति करो”। + +# पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है उनमें शान्ति हो + +“पृथ्वी पर जिन मनुष्यों से परमेश्वर प्रसन्न है उनमें शान्ति हो” diff --git a/luk/02/15.md b/luk/02/15.md new file mode 100644 index 0000000..82e4dc1 --- /dev/null +++ b/luk/02/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उनके पास से + +“चरवाहों के पास से” + +# आपस में + +“एक दूसरे से” + +# आओ, हम... हमें + +चरवाहे एक दूसरे से बातें कर रहे हैं, अतः जिन भाषाओं में “हम” और “हमें” के समावेशी रूप हैं तो उन रूपों का यहाँ प्रयोग करें। diff --git a/luk/02/17.md b/luk/02/17.md new file mode 100644 index 0000000..4369a4b --- /dev/null +++ b/luk/02/17.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# प्रगट की + +“चरवाहों ने मनुष्यों में चर्चा की” + +# जो बातें (इस बालक के विषय में) उनसे कही गई थी + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “स्वर्गदूत ने उन चरवाहों से जो कहा था”। + +# इस बालक + +“उस शिशु” + +# उन बातों से जो गड़ेरियों ने उनसे कही थी + +“चरवाहे ने उन्हें जो बातें बताई थी” + +# मरियम ने सब बातें अपने मन में रखकर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन सब बातों को सावधानीपूर्वक स्मरण रखा” या “उन्हें आनन्दपूर्वक स्मरण रखा” मन में रखने का अर्थ है, कि वह बात अत्यधिक महत्त्वपूर्ण समझा था। + +# लौट गए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे भेड़ों के चारागाहों में लौट गए”। + +# परमेश्वर की महिमा ... करते हुए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर की महानता का गुणगान करते हुए” diff --git a/luk/02/21.md b/luk/02/21.md new file mode 100644 index 0000000..77edf48 --- /dev/null +++ b/luk/02/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसका नाम यीशु रखा गया + +“उन्होंने उसे यीशु नाम दिया” या “उसे यीशु नाम से पुकारा”। + +# जो स्वर्गदूत ने ... कहा था। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “स्वर्गदूत ने उसे जो नाम दिया था" या "स्वर्गदूत ने उसे यही नाम दिया था”। diff --git a/luk/02/22.md b/luk/02/22.md new file mode 100644 index 0000000..31a81ef --- /dev/null +++ b/luk/02/22.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# दिन पूरे हुए + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “परमेश्वर ने जितने दिन निर्धारित किए थे वे पूरे हुए” + +# शुद्ध होने के + +“धार्मिक संस्कार के अनुसार शुद्ध होने के” या “परमेश्वर द्वारा उन्हें शुद्ध स्वीकार करने के दिन” + +# प्रभु के सामने लाएं + +“उसे प्रभु को समर्पित करें” या “उसे प्रभु की उपस्थिति में प्रस्तुत करें” यह एक संस्कार था जिसमें स्वीकार किया जाता था कि पहिलौठे पुत्र पर परमेश्वर का अधिकार है + +# व्यवस्था में लिखा है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्होंने ऐसा किया क्योंकि विधान में लिखा था।" + +# हर एक पहिलौठा + +“पहला पुत्र” विधान के अनुसार मनुष्य हो या पशु सबकी प्रथम नर सन्तान, परन्तु यहाँ अनुवाद इस प्रकार करें, “पहला जन्मा पुत्र” + +# पंडुकों + +ये साधारणतः पाये जाने वाले पक्षी है जो अन्न खाते हैं और खुले स्थानों में रहते हैं। वे छोटे होते हैं कि हाथों से पकड़ लिए जाए। वे खाए भी जाते हैं। + +# कबूतर के दो बच्चे + +ये भी अन्न-भक्षी पक्षी हैं, और अधिकतर पर्वतों में रहते है। ये छोटे पक्षी होते हैं कि हाथों में आ जाए और खाए भी जाते हैं। diff --git a/luk/02/25.md b/luk/02/25.md new file mode 100644 index 0000000..ca6e578 --- /dev/null +++ b/luk/02/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वह मनुष्य धर्मी और भक्त था + +“परमेश्वर का भक्त” या “परमेश्वर का निष्ठावान” + +# इस्राएल का शांतिदाता + +इसका अनुवाद हो सकता है, “इस्राएल के शान्तिदाता” यह “मसीह” या “ख्रीस्त का दूसरा नाम है। + +# पवित्र-आत्मा उस पर था + +“पवित्र आत्मा उसके साथ था”, परमेश्वर उसके साथ विशेष रूप से उपस्थित था और उसे जीवन में निर्देशन एवं बुद्धि देता था। + +# पवित्र-आत्मा द्वारा उस पर प्रगट हुआ। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पवित्र-आत्मा ने उस पर प्रकट किया था” या “पवित्र-आत्मा ने उससे कहा था”। + +# जब तक वह प्रभु के मसीह को देख न लेगा, तब तक मृत्यु को न देखेगा। + +इसका अनुवाद होगा “वह मरने से पहले परमेश्वर के मसीह को देखेगा” या “वह परमेश्वर के मसीह को देखने के बाद ही मरेगा”। यहाँ “प्रभु” शब्द परमेश्वर के लिए काम में लिया गया है। diff --git a/luk/02/27.md b/luk/02/27.md new file mode 100644 index 0000000..510f603 --- /dev/null +++ b/luk/02/27.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# आया + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “गया” + +# आत्मा के सिखाने से + +इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर के निर्देशानुसार” या “पवित्र-आत्मा की अगुवाई में” + +# माता-पिता + +“यीशु के माता-पिता” + +# व्यवस्था की रीति के अनुसार + +“परमेश्वर के विधान के अनुसार” + +# गोद में लिया + +“उसे लिया” + +# अब तू अपने दास को .... विदा करता है + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “मैं तेरा दास हूँ, मुझे शान्तिपूर्वक विदा होने दे, शमौन अपने बारे में कह रहा था। + +# विदा + +यह अलंकृत शैली है, विदा का अर्थ है मृत्यु। + +# अपने वचन के अनुसार + +इसका अनुवाद हो सकता है, “जैसा तूने कहा है” या “क्योंकि तूने कहा है कि तू करेगा” diff --git a/luk/02/30.md b/luk/02/30.md new file mode 100644 index 0000000..626bb5e --- /dev/null +++ b/luk/02/30.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# तेरे उद्धार को + +इसका संदर्भ यीशु से है, यीशु के द्वारा परमेश्वर मनुष्यों का उद्धार करेगा। + +# तैयार किया है + +“योजना बनाई है” या “होने का कारण बताया है” + +# लोगों के सामने + +“संपूर्ण मानवजाति के देखने के लिए” + +# वह होगा + +यह उद्धारकर्ता के संदर्भ में है। + +# प्रकाश देने के लिए ज्योति + +इसका अनुवाद किया जा सकता है “यह बालक मनुष्यों को समर्थ बनायेगा कि वे परमेश्वर के सत्य को अति उचित ग्रहण करें जैसे ज्योति मनुष्य को देखने में समर्थ बनाती है। + +# इस्राएल की महिमा हो + +इसका अनुवाद हो सकता है, “तेरी प्रजा इस्राएल में ज्योति के आगमन का कारण होगा”। diff --git a/luk/02/33.md b/luk/02/33.md new file mode 100644 index 0000000..f6e45e7 --- /dev/null +++ b/luk/02/33.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# बहुतों के गिरने और उठने के लिए + +इसका अनुवाद हो सकता है, “इस्राएल में अनेकों को परमेश्वर से विमुख होने या परमेश्वर के निकट आने के लिए ठहराया गया है” इस रूपक में परमेश्वर से विमुख होने तथा परमेश्वर के निकट आने के विचार को “गिरने” तथा “उठने” द्वारा व्यक्त किया गया है। इसका अनुवाद हो सकता है, “उसके लिए परमेश्वर की योजना है कि वह कुछ को परमेश्वर से दूर तथा कुछ को परमेश्वर के निकट लाए”। + +# तेरा प्राण भी तलवार के वार से छिद जाएगा + +यह भी एक रूपक है जो मरियम के अपार दुःख को दर्शाता है। इसका अनुवाद हो सकता है, “तेरी हार्दिक वेदना सहनशक्ति के परे होगी” या "तेरा दुःख ऐसा होगा जैसे तेरा हृदय तलवार से बेधा गया है" या “तेरा हृदय विदीर्ण होगा”। + +# बहुत हृदयों के विचार प्रगट होंगे + +इसका अनुवाद हो सकता है, “बहुत लोगों के विचार प्रकट होंगे” या “परमेश्वर के बारे में मनुष्य जो सोचते हैं वह प्रकट हो जायेगा” diff --git a/luk/02/36.md b/luk/02/36.md new file mode 100644 index 0000000..9e84838 --- /dev/null +++ b/luk/02/36.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# विवाह होने के बाद + +“अपने विवाह के बाद” + +# चौरासी वर्ष से विधवा थी + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) वह चौरासी वर्षों से विधवा थी, (2) वह चौरासी वर्ष की विधवा थी। + +# मन्दिर को नहीं छोड़ती थी + +यह एक अतिशयोक्ति है कि वह मन्दिर में इतना समय रहती थी कि जैसे वह वहां से कहीं जाती ही नहीं थी। इसका अनुवाद हो सकता है, “वह सदैव मन्दिर में रहती थी” या अतिशयोक्ति-रहित अर्थ व्यक्त किया जा सकता है, “वह प्रायः मन्दिर में ही रहती थी”। + +# उवपास और प्रार्थना करके + +“भोजन न करके प्रार्थना करती थी” + +# उस घड़ी वहां आकर + +“उनके पास आई” या “मरियम और यूसुफ के पास आई” + +# यरूशलेम के छुटकारे + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यरूशलेम को मुक्त कराने वाले की” या “यरूशलेम के लिए परमेश्वर की आशिषों और अनुग्रह को लौटा लाने वाले की” यहाँ “छुटकारा” शब्द उसके कर्ता के लिए काम में लिया गया है। diff --git a/luk/02/39.md b/luk/02/39.md new file mode 100644 index 0000000..28425ea --- /dev/null +++ b/luk/02/39.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# प्रभु की व्यवस्था के अनुसार सब कुछ पूरा कर चुके + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “परमेश्वर के विधान के अनुसार जो अनिवार्य था” या (2) “परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार उनके लिए जो आवश्यक था”। + +# बुद्धि से परिपूर्ण होता गया + +“अधिकाधिक बुद्धिमान होता गया” या “बुद्धिमान होना सीखता गया”। + +# परमेश्वर का अनुग्रह उस पर था + +इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर ने उसे आशीष दी” या “परमेश्वर उसके साथ विशेष रूप में था”। diff --git a/luk/02/41.md b/luk/02/41.md new file mode 100644 index 0000000..bfe0655 --- /dev/null +++ b/luk/02/41.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसके माता-पिता + +“यीशु के माता-पिता” + +# जाया करते थे + +यरूशलेम पहाड़ पर था, अतः उपासकों को ऊपर चढ़ना होता था। + +# उन दिनों को पूरा करके + +“जब पर्व के दिन पूरे हो गए” या “पर्व के जितने दिन थे, उसके बाद”। + +# यह समझकर + +“उन्होंने सोचा” + +# एक दिन का पड़ाव निकल गए + +“एक दिन की यात्रा कर चुके” या “एक दिन की पद यात्रा तक आगे निकल गए”। diff --git a/luk/02/45.md b/luk/02/45.md new file mode 100644 index 0000000..414ff4c --- /dev/null +++ b/luk/02/45.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# पर जब नहीं मिला + +“जब मरियम और यूसुफ को यीशु नहीं मिला” + +# (और ऐसा हुआ कि) + +इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# मन्दिर में + +इसका अनुवाद हो सकता है, “मन्दिर परिसर में” या “मन्दिर के द्वार” + +# के बीच + +इसका अर्थ उनके बीचों-बीच नहीं वरन “उनके साथ” या “उनकी संगति में” या “उनके मध्य” (यू.डी.बी.) + +# उपदेशकों + +“धर्म के शिक्षकों” या “परमेश्वर की शिक्षा देने वालों” + +# उसकी समझ + +इसका अनुवाद हो सकता है, “वह कितना अधिकार समझता था” या “कि वह परमेश्वर के बारे में इतनी समझ रखता है”। + +# उसके उत्तरों + +इसका अनुवाद हो सकता है, “उसके उचित उत्तरों” या “वह उनके प्रश्नों के ऐसे उचित उत्तर देता था।” diff --git a/luk/02/48.md b/luk/02/48.md new file mode 100644 index 0000000..3058f9c --- /dev/null +++ b/luk/02/48.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उसे देख कर + +“जब मरियम और यूसुफ ने यीशु को वहां देखा” + +# हमसे क्यों ऐसा व्यवहार किया? + +इसका अनुवाद हो सकता है, “तू ऐसा कैसे कर सकता है” यह एक प्रकार की अप्रत्यक्ष डांट है क्योंकि वह घर लौटने में उनके साथ नहीं था। + +# तुम मुझे क्यों ढूंढ़ते थे? + +इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम मुझे अन्यत्र क्यों खोज रहे थे?” + +# (देखो) + +यह शब्द एक नई घटना का सूचक है। इसके द्वारा कार्य का आरंभ भी दर्शाया जाता है। यदि आपकी भाषा में इसके लिए शब्द है तो देखें कि उनका उपयोग स्वभाविक होगा। + +# क्या नहीं जानते थे? + +यह एक ऐसा प्रश्न है, जो जानकारी के लिए नहीं, प्रभाव डालने के लिए पूछा जाता है। यीशु उनकी जानकारी नहीं चाहता था परन्तु उन पर कुछ प्रकट कर रहा था इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम्हें जानता था”। + +# अपने पिता के भवन में + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “मेरे पिता के भवन में” या (2) “मेरे पिता के काम में”, दोनों ही में यीशु जब कहता है, “मेरे पिता” तो वह परमेश्वर को संबोधित कर रहा है। “भवन” से उसका अभिप्राय था मन्दिर। “काम” से उसका तात्पर्य था, परमेश्वर प्रदत्त कार्य। क्योंकि अगले पद में कहा गया है कि उन्होंने उसे नहीं समझा इसलिए उचित होगा कि इसे व्यख्या द्वारा स्पष्ट करें। diff --git a/luk/02/51.md b/luk/02/51.md new file mode 100644 index 0000000..9276909 --- /dev/null +++ b/luk/02/51.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वह उनके साथ गया + +“यीशु मरियम और यूसुफ के साथ लौट गया” + +# उनके वश में रहा + +“उनकी आज्ञा मानता रहा” या “उनका आज्ञाकारी बना रहा”। + +# मने में रखी + +“सावधानीपूर्वक स्मरण रखा” या “आनन्द से विचार किया” मरियम ने अपने पुत्र के कामों और बातों को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण समझा था। + +# “बुद्धि और डील-डौल में .... बढ़ता गया” + +“अधिकाधिक बुद्धिमान और बलवन्त होता गया” + +# परमेश्वर और मनुष्य के अनुग्रह में बढ़ता गया + +इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्य उसे अधिकाधिक चाहने लगे थे और परमेश्वर भी उसे अधिकाधिक आशीष देता रहा था। diff --git a/luk/03/01.md b/luk/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..a7fdd29 --- /dev/null +++ b/luk/03/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# हन्ना और कैफा महायाजक थे + +वे दोनों प्रधान पुरोहित का कार्यभार उठा रहे थे। diff --git a/luk/03/03.md b/luk/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..9898aa3 --- /dev/null +++ b/luk/03/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# आकर + +आकर "यूहन्ना ने वहां पहुचकर” + +# मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “प्रचार करता था कि मनुष्यों को अपने पापों के त्याग के प्रमाण हेतु बपतिस्मा लेना आवश्यक है।” + +# पापों की क्षमा के लिए + +“कि उनके पाप क्षमा हों” या “कि परमेश्वर उनके पाप क्षमा करे”, “मन फिराव” पापों की क्षमा के लिए था। diff --git a/luk/03/04.md b/luk/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..9e6e21f --- /dev/null +++ b/luk/03/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जैसे यशायाह भविष्यद्वक्ता के कहे वचनों की पुस्तक में लिखा है + +इसका अनुवाद हो सकता है, “यह वैसा ही हुआ जैसा यशायाह भविष्यद्वक्ता ने अपनी पुस्तक में लिखा था”, पद 4-6 यशायाह की पुस्तक के उद्धरण हैं। . + +# मार्ग + +“पथ” या “सड़क” + +# मार्ग तैयार करो, उसकी सड़के सीधी करो + +यह अंश इब्रानी कविता का रूप है, जिसमें महत्त्वपूर्ण वाक्यांशों को पर्यायवाची शब्दों में दोहराया जाता है, अतः “प्रभु का मार्ग तैयार करो” को ही व्यक्त करने का दूसरा रूप है, “उसकी सड़के सीधी करो।” यहाँ मुख्य अन्तर है, पहला वाक्यांश प्रकट करता है कि ऐसा पहली बार हुआ है और दूसरा वाक्यांश प्रकट करता है कि ऐसा होते रहता है। + +# प्रभु का मार्ग तैयार करो + +मार्ग के इस रूपक का अर्थ है, “पापों से विमुख होकर प्रभु के आगमन के लिए तैयार करो।” + +# उसकी सड़के सीधी करो + +सड़क की यह उपमा भी एक रूपक है जिसका अर्थ है, “प्रभु के आगमन के लिए लगातार तैयारी करते रहो”। diff --git a/luk/03/05.md b/luk/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..a29b646 --- /dev/null +++ b/luk/03/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यशायाह की भविष्यद्वाणी का उद्धरण अभी समाप्त नहीं हुआ है) + +# हर एक घाटी भर दी जायेगी। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मार्ग का हर एक नीचा स्थान भर दिया जायेगा” एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के आगमन की तैयारी में जब वे सड़के तैयार करते हैं तब ऊंचे नीचे स्थानों में मलवा डालकर सड़क को समतल कर दिया जाता है। यह उस रूपक का ही अंश है जिसका आरंभ पिछले पद में हुआ था। + +# हर एक पहाड़ और टीला नीचा किया जायेगा + +इसका भी अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वे हर एक पर्वत एवं टीले को समतल कर देंगे” या “वे मार्ग के हर एक ऊंचे भाग को सीधा कर देंगे”। + +# परमेश्वर के उद्धार को देखेगा + +इसका अनुवाद होगा, “सीखेगा कि परमेश्वर मनुष्यों का कैसे उद्धार करता है”। diff --git a/luk/03/07.md b/luk/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..4a362a9 --- /dev/null +++ b/luk/03/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# बपतिस्मा लेने को + +“कि यूहन्ना उन्हें बपतिस्मा दे” + +# हे सांप के बच्चों + +यह भी एक रूपक है। विषैले सर्प खतरनाक होते है और बुराई के प्रतीक हैं। इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम दुष्ट विषैले सर्पों” या “तुम विषैले सर्पों के समान दुष्ट हो।” + +# तुम्हें किसने जता दिया + +यूहन्ना यह आलंकारिक प्रश्न पूछ रहा है, “क्योंकि वे बपतिस्मा इसलिए ले रहे थे कि परमेश्वर उन्हें पापों का दण्ड न दे परन्तु वे पाप करना नहीं छोड़ रहे थे”, इसलिये वह उन्हें झिड़क रहा है। इस संपूर्ण प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम इस प्रकार परमेश्वर के हाथ से बच नहीं पाओगे” या “क्या तुम यह सोच रहे हो कि बपतिस्मा लेकर तुम परमेश्वर के क्रोध से बच जाओगे”? + +# आनेवाले क्रोध से + +इसका अनुवाद हो सकता है, “आनेवाले दण्ड से” या “परमेश्वर के उस क्रोध से जिसे वह कार्य रूप देगा” या “क्योंकि परमेश्वर तुम्हें दण्ड देने वाला है” यहाँ “क्रोध” परमेश्वर के दण्ड का प्रतीक है क्योंकि दण्ड से पूर्व वह क्रोध करता है। diff --git a/luk/03/08.md b/luk/03/08.md new file mode 100644 index 0000000..a35e8da --- /dev/null +++ b/luk/03/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यूहन्ना जनसमूह को संबोधित करके कह रहा है) + +# मन फिराव के योग्य फल लाओ + +इसका अनुवाद ऐसे भी हो सकता है, “ऐसे फल लाओ कि तुम्हारा पाप त्याग प्रकट हो”, या “ऐसे भले काम करो जिससे प्रकट हो कि तुम पापों से विमुख हो गए थे” इस रूपक में मनुष्य के आचरण की तुलना फलों से की गई है। जिस प्रकार वृक्ष से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने फल उत्पन्न करे, उसी प्रकार मनुष्य जो पापों से विमुख होने का दावा करता है उससे अपेक्षा की जाती है कि वह धार्मिकता का जीवन जीये। + +# अपने-अपने मन में यह न सोचो + +“अपने आपसे यह न कहो” या “मन में यह न कहो” या “मत सोचो” + +# हमारा पिता अब्राहम है + +“अब्राहम हमारा पूर्वज है” या “हम अब्राहम की सन्तान हैं” यह स्पष्ट नहीं कि वे ऐसा क्यों सोचेंगे, आप सलंग्न जानकारी व्यक्त कर सकते हैं, “कि परमेश्वर हमें दण्ड न दे”। diff --git a/luk/03/09.md b/luk/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..919519b --- /dev/null +++ b/luk/03/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यूहन्ना जनसमूह से बातें कर रहा है) + +# कुल्हाडा पेड़ों की जड़ पर धरा है + +कुल्हाडा पेड़ों की जड़ों पर धरा है -, इस रूपक का अर्थ है कि दण्ड का आरंभ होने वाला है। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यह ऐसा है कि कुल्हाडा पेड़ों की जड़ो पर प्रहार के लिए तैयार है” या “परमेश्वर उस मनुष्य के समान है जो पेड़ को काटकर गिराने क लिए कुल्हाड़ा उठा चुका है”। + +# जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता वह काटा जाता है। + +यह कर्मवाच्य वाक्य है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “वह उस हर एक वृक्ष को काटकर गिरा देता है जो अच्छा फल नहीं लाता है।” + +# आग में झोंका जाता है + +आग में झोंका जाता है - इसका अनुवाद कतृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “उसे आग में झोंकता है।” diff --git a/luk/03/10.md b/luk/03/10.md new file mode 100644 index 0000000..6a0a752 --- /dev/null +++ b/luk/03/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उससे पूछा + +“उससे प्रश्न किया” या “यूहन्ना से पूछा” + +# उसने उन्हें उत्तर दिया + +“उनसे प्रत्युत्तर में कहा” या “उनसे कहा” या “कहा” + +# ऐसा ही करो + +“इसी प्रकार करो” यहाँ इसका अनुवाद किया जा सकता है, “जिसके पास भोजन नहीं है उसे भोजन दो”। diff --git a/luk/03/12.md b/luk/03/12.md new file mode 100644 index 0000000..12fa4bd --- /dev/null +++ b/luk/03/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# बपतिस्मा लेने आए + +“कि यूहन्ना उन्हें बपतिस्मा दे” + +# उससे अधिक न लेना + +“अधिक वसूली मत करो” या “निर्धारित से अधिक कर न लो” चुंगी लेने वाले यथार्थ चुंगी से अधिक वसूल करते थे। उन्हें अपने पाप त्याग के परिणामस्वरूप ऐसा करना था। + +# ठहराया गया है + +“जितना तुम्हें अधिकार दिया गया है” diff --git a/luk/03/14.md b/luk/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..9a41214 --- /dev/null +++ b/luk/03/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सिपाहियों + +“सेना में सेवारत” + +# हमारे बारे में क्या? हम क्या करें? + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तूने लोगों को और चुंगी लेने वालो को तो बताया कि वे क्या करें परन्तु हम सैनिकों के बारे में क्या, हम क्या करें”? “हम” और “हमारे” में यूहन्ना नहीं आता है। + +# न झूठा दोष लगाना + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इसी प्रकार किसी पर झूठा दोष लगाकर रिश्वत मत लो” या “किसी निर्दोष को अवैध काम का दोषी मत बनाओ” सैनिक झूठा दोष लगाकर रिश्वत लेते थे। + +# अपने वेतन पर सन्तोष करना + +“अपने वेतन से सन्तुष्ट रहो” या “जो तुम्हें दिया जाता है उसी में सन्तोष करो”। diff --git a/luk/03/15.md b/luk/03/15.md new file mode 100644 index 0000000..430869f --- /dev/null +++ b/luk/03/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जब लोग + +वही लोग जो यूहन्ना के पास आए थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “क्योंकि मनुष्य”। + +# मै तो तुम्हे पानी से बपतिस्मा देता हूँ + +“मैं बपतिस्में के लिए पानी काम में लेता हूँ” या “मैं पानी के माध्यम से बपतिस्मा देता हूँ” + +# मैं तो इस योग्य भी नहीं कि उसके जूतों का बन्ध खोल सकूं। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं तो उसके जूतों का बन्ध खोलने के लिए भी महत्त्व नहीं रखता”, जूतों का बन्ध खोलना दासों का काम होता था। यूहन्ना के कहने का तात्पर्य था कि वह ऐसा महान है कि यूहन्ना उसके लिए दास-योग्य भी नहीं। + +# जूतों + +उनके जूते ऐसे होते थे जिनको बन्ध पांव को जूते से बांधते थे जैसे आज की सैंडल। + +# वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा + +यह उपमा पानी के बपतिस्में की तुलना आत्मिक बपतिस्में से करते हैं जो मनुष्य को पवित्र-आत्मा और आग के संपर्क में लाता है। diff --git a/luk/03/17.md b/luk/03/17.md new file mode 100644 index 0000000..0d5eac4 --- /dev/null +++ b/luk/03/17.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यूहन्ना मसीह के बारे में ही चर्चा कर रहा था।) + +# उसका सूप + +इस रूपक द्वारा धर्मियों को अधर्मियों से चुन कर अलग करने की तुलना अन्न के दानों को भूसी से अलग करने के साथ की गई है। इसका अनुवाद उपमा रूप में किया जा सकता है कि संबन्ध को अधिक स्पष्ट व्यक्त किया जाए, “मसीह उस मनुष्य के सदृश्य है जिसके हाथ में ओसाई कांटा है”। + +# उसका सूप उसके हाथ में है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह ओसाई कांटा हाथ में लिए हुए है, क्योंकि वह तैयार है”। + +# सूप + +यह मूल में ओसाई कांटा है जिसके द्वारा दांवनी किए हुए गेहूँ को हवा में उछाला जाता है, अन्न भारी होने के कारण नीचे गिरता है और भूसी हवा में उड़ जाती है। + +# खलिहान + +यह वह स्थान है जहाँ किसान अन्न को भूसी से अलग करता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इसका स्थान” या “गेहूँ को भूसी से अलग करने का स्थान”। + +# गेहूँ को .... इकट्ठा करेगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तब वह अन्न एकत्र करेगा” + +# खत्ते + +“कोठार” या “अनाज भण्डार” यहाँ अन्न को भावी उपयोग के लिए सुरक्षित रखा जाता है। + +# भूसी को आग में .... डाल देगा + +भूसी किसी काम की नहीं होती थी इसलिए लोग उसे जला देते थे। diff --git a/luk/03/18.md b/luk/03/18.md new file mode 100644 index 0000000..b8654a5 --- /dev/null +++ b/luk/03/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# बहुत सी शिक्षा + +इसका अनुवाद हो सकता है, “उसके प्रबल प्रबोधनों” या “यूहन्ना ने अनेक बार मनुष्यों को पाप त्याग का प्रोत्साहन देकर और...” + +# चौथाई देश का राजा हेरोदेस + +“चौथाई क्षेत्र के राजा हेरोदेस को उसके पापों के बारे में बताया, हेरोदेस चौथाई प्रदेश का प्रशासक था, राजा नहीं। उसके हाथ में गलील का सीमित प्रशासन था। + +# उसके भाई फिलिप्पुस की पत्नी के विषय + +“क्योंकि हेरोदेस ने अपने सगे भाई की पत्नी से विवाह किया था”। + +# यूहन्ना को बन्दीगृह में डाल दिया + +“उसने अपने सैनिकों को आज्ञा देकर यूहन्ना को कारागार में डलवा दिया था।” diff --git a/luk/03/21.md b/luk/03/21.md new file mode 100644 index 0000000..09814e3 --- /dev/null +++ b/luk/03/21.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# (अब ऐसा हुआ) जब + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# जब सब लोगों ने बपतिस्मा लिया + +“सब लोगों का अर्थ है, यूहन्ना के साथ उपस्थित सब जन। इसका अनुवाद हो सकता है, “जब यूहन्ना सबको बपतिस्मा दे रहा था” + +# यीशु भी बपतिस्मा लेकर + +इसका अनुवाद हो सकता है, “यूहन्ना ने यीशु को भी बपतिस्मा दिया” + +# आकाश खुल गया + +“आकाश खुल गया” या “आकाश खुला हो गया” यह बादलों के हटने से कहीं अधिक है परन्तु इसका अर्थ स्पष्ट नहीं है। इसका संभावित अर्थ होगा, कि आकाश में एक छेद दिखाई दिया। + +# पवित्र आत्मा .... उस पर उतरा + +“पवित्र आत्मा यीशु पर उतरा” + +# कबूतर + +कबूतर एक छोटा पक्षी होता है जिसे वे मन्दिर में बलि चढ़ाने या खाने के काम में लेते थे। यह कबूतर जैसा है + +# शारीरिक रूप में कबूतर के समान + +“कबूतर के सदृश्य शारीरिक रूप में” diff --git a/luk/03/23.md b/luk/03/23.md new file mode 100644 index 0000000..ec73e77 --- /dev/null +++ b/luk/03/23.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अब + +यहाँ कहानी में परिवर्तन आता है। यीशु की आयु और उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि दी गई है। इसका समापन लूका 3:37 में होता है यदि आपकी भाषा में प्रावधान है कि अग्रिम भाग पृष्ठभूमि आधारित जानकारी है तो उसका उपयोग करें। + +# यीशु आप + +“यह यीशु” या “यह व्यक्ति यीशु” + +# (जैसा समझा जाता था) यूसुफ का पुत्र + +“वह भी यूसुफ का पुत्र कहलाता था” या “उसे यूसुफ का पुत्र माना जाता था” लोगों की समझ में वह यूसुफ का पुत्र था”। + +# एली का(पुत्र) + +कुछ अनुवादक यहाँ एक नया वाक्य आरंभ करना चाहेंगे, “यूसुफ एली का पुत्र था” या “एली यूसुफ का पिता था”। + +# वह एली का पुत्र और वह मतात का पत्र और वह लेवी का पुत्र + +“का पुत्र” संलग्न जानकारी है। सलंग्न में मात्र यही लिखा है, “एली का .... वह मतात का और वह लेवी का.... इस सूची का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,” वह एली का पुत्र था, और वह मतात का पुत्र था, और वह लेवी का पुत्र था....” या “यूसुफ एली का पुत्र था, एली मतात का पुत्र था, मतात लेवी का पुत्र था” या “एली का पिता मतात, मतात का पिता लेवी....” इस बात का ध्यान रखें कि आपकी भाषा में पूर्वजों की सूची कैसे बनाई जाती है। आप संपूर्ण सूची में वही भाषा काम में लें। diff --git a/luk/03/25.md b/luk/03/25.md new file mode 100644 index 0000000..eae0f6c --- /dev/null +++ b/luk/03/25.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +(यह यीशु के पूर्वजों की सूची है) + +# और वह मत्तियाह का, और वह आमोस का... + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह मत्तियाह का पुत्र था, और वह आमोस का पुत्र था ...” या “यूसुफ मत्तियाह का पुत्र और मत्तियाह आमोस का पुत्र था....” या "युसूफ का पिता मत्तियाह था, मत्तियाह का पिता आमोस..." शब्दावली वही काम में लें जो आपने पिछले पदों में काम में ली है। diff --git a/luk/03/27.md b/luk/03/27.md new file mode 100644 index 0000000..80b5023 --- /dev/null +++ b/luk/03/27.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +(यह यीशु के पूर्वजों की सूची है) + +# और वह यूहन्ना का, और वह रेसा का .... + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वह यूहन्ना का पुत्र था, और वह रेसा का पुत्र था.... “ या “योदाह यूहन्ना का पुत्र था, यूहन्ना रेसा का पुत्र था...” या “योह का पिता यूहन्ना था, यूहन्ना का पिता रेसा था....” शब्दावली वही काम में ले जो पिछले पदों में काम में ली है। diff --git a/luk/03/30.md b/luk/03/30.md new file mode 100644 index 0000000..87bd63b --- /dev/null +++ b/luk/03/30.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +(यह यीशु के पूर्वजों की सूची है) + +# वह शमौन का और वह यहूदा का... + +इसका अनुवाद हो सकता है, “वह शमौन का पुत्र था, और वह यहूदा का पुत्र था....” या “लेवी शमौन का पुत्र था, शमौन यहूदा का पुत्र था....” या “लेवी का पिता शमौन था, शमौन का पिता यहूदा था.....” शब्दावली वही काम में लें जो पिछले पदों में काम में ली है। diff --git a/luk/03/33.md b/luk/03/33.md new file mode 100644 index 0000000..d355f03 --- /dev/null +++ b/luk/03/33.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +(यह यीशु के पूर्वजों की सूची है) + +# और वह अम्मीनादाब का, और वह अरनी का.... + +इसका अनुवाद हो सकता है, “वह अम्मीनादाब का पुत्र था और वह अरनी का पुत्र था....” या “लेवी (नहशोन) अम्मीनादाब का पुत्र था, अम्मीनादाब अरनी का पुत्र था....” या “नहशोन का पिता अम्मीनादाब था, अम्मीनादाब का पिता अरनी था....” शब्दावली वही काम में ले जो पिछले पदों में काम में ली है। diff --git a/luk/03/36.md b/luk/03/36.md new file mode 100644 index 0000000..ddec68a --- /dev/null +++ b/luk/03/36.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +(यह यीशु के पूर्वजों की सूची है) + +# और वह कनान का, और वह अरफक्षद का... + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वह कनान का पुत्र था और वह अरफक्षद का पुत्र था....” या लेवी केनान का पुत्र था और केनान अरफक्षद का पुत्र था....” या “शिलह का पिता केनान या और केनान का पिता अरफक्षद था....” शब्दावली वही काम में लें जो पिछले पदों में काम में ली है। + +# आदम का और वह परमेश्वर का पुत्र था। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आदम परमेश्वर द्वारा सृजा गया था” या “आदम जो परमेश्वर से था” या “आदम, हम कह सकते हैं परमेश्वर का पुत्र था”। diff --git a/luk/04/01.md b/luk/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..1edfba4 --- /dev/null +++ b/luk/04/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# फिर + +अर्थात यूहन्ना द्वारा यीशु को बपतिस्मा देने के बाद। इसका अनुवाद हो सकता है, “फिर जब यीशु का बपतिस्मा हो गया”। + +# आत्मा के सिखाने में + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “आत्मा उसे ले गया” + +# शैतान उसकी परीक्षा करता रहा। + +इसका अनुवाद हो सकता है, “शैतान ने परमेश्वर की आज्ञा न मानने के लिए उसे परखा”। स्पष्ट नहीं है कि संपूर्ण समय शैतान उसकी परीक्षा ले रहा था या केवल समय के अन्त में उसकी परीक्षा ली। इसका भी अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है। “वहां शैतान ने उसकी परीक्षा ली”। + +# उसने कुछ न खाया + +“उसने” अर्थात यीशु ने। diff --git a/luk/04/03.md b/luk/04/03.md new file mode 100644 index 0000000..37937f0 --- /dev/null +++ b/luk/04/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यदि परमेश्वर का पुत्र है + +शैतान संभव है कि यीशु को चुनौती दे रहा था कि वह स्वयं को परमेश्वर का पुत्र सिद्ध करके दिखाए। + +# इस पत्थर + +शैतान या तो पत्थर हाथ में लिए हुए था या निकट में पड़े एक पत्थर की ओर संकेत कर रहा था। + +# लिखा है + +“धर्मशास्त्र में लिखा है” या “धर्मशास्त्र कहता है” या “धर्मशास्त्र में परमेश्वर ने कहा है” यह उद्धरण व्यवस्थाविवरण की पुस्तक से है। . + +# मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा। + +इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्य केवल रोटी ही से जीवित नहीं रहता है” या “मनुष्य को जीवित रहने के लिए भोजन मात्र की ही आवश्यकता नहीं है”। रोटी का अर्थ है भोजन। मुख्य बात यह है कि भोजन ही जीवन नही है कि मनुष्य का पोषण हो। मनुष्य को परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना है। यीशु धर्मशास्त्र के उद्धरण द्वारा कह रहा था कि वह पत्थर को रोटी क्यों नहीं बनाएगा। diff --git a/luk/04/05.md b/luk/04/05.md new file mode 100644 index 0000000..fdb4e91 --- /dev/null +++ b/luk/04/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसे ले गया + +“एक ऊंचे पर्वत पर ले गया” + +# पल भर में + +“पलक झपकते ही” या “तत्काल ही” + +# इसलिए + +“अतः” + +# यदि तू मुझे प्रणाम करे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तू मेरे सामने घुटने टेके” या “यदि तू झुक कर मेरी उपासना करे” या “यदि तू मुझे दण्डवत करके मेरी उपासना करे”। + +# यह सब तेरा हो जायेगा + +इसका अनुवाद हो सकता है,“मैं यह संपूर्ण साम्राज्य तुझे दे दूंगा”। diff --git a/luk/04/08.md b/luk/04/08.md new file mode 100644 index 0000000..3870da6 --- /dev/null +++ b/luk/04/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु ने उसे उत्तर दिया + +“प्रतिक्रिया में कहा” या “उसकी बात काटते हुए कहा” + +# लिखा है + +इसका अनुवाद ऐसा हो सकता है, “धर्मशास्त्र में लिखा है।” या “धर्मशास्त्र कहता है” या “धर्मशास्त्र में परमेश्वर ने कहा है” यीशु व्यवस्थाविवरण की पुस्तक से उद्धरण प्रस्तुत कर रहा है। + +# तू अपने प्रभु परमेश्वर को प्रणाम कर + +यीशु धर्मशास्त्र को एक विधान का संदर्भ दे रहा है, जो उसके लिए शैतान की उपासना न करने का कारण है। + +# तुम + +तू अर्थात पुराने नियम के लोग जिन्हें परमेश्वर का विधि-विधान दिया गया था। आप “तू” को एकवचन में काम में लें क्योंकि विधान का पालन करना प्रत्येक जन के लिए अनिवार्य था। + +# उसी की + +उसे अर्थात प्रभु परमेश्वर की diff --git a/luk/04/09.md b/luk/04/09.md new file mode 100644 index 0000000..ac156ef --- /dev/null +++ b/luk/04/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# कंगूरे पर + +यह मन्दिर की छत का कोना था यदि कोई वहां से गिरा या कूदा तो गंभीर रूप से घायल हो जाता या मर जाता। + +# यदि परमेश्वर का पुत्र है + +शैतान संभव है कि यीशु को चुनौती दे रहा था कि वह स्वयं को परमेश्वर का पुत्र सिद्ध करके दिखाए। + +# यहाँ से नीचे गिरा दे + +यहाँ से नीचे गिरा दे - “नीचे कूद जा” + +# लिखा है + +इसका अनुवाद होगा, “धर्मशास्त्र में लिखा है” या “धर्मशास्त्र क्या है” या “परमेश्वर ने धर्मशास्त्र में कहा है” शैतान ने भजनसंहिता का आधा ही उद्धरण दिया था कि यीशु को कूदने पर विवश करे। + +# वह .... आज्ञा देगा + +"वह" अर्थात परमेश्वर diff --git a/luk/04/12.md b/luk/04/12.md new file mode 100644 index 0000000..5ad4de0 --- /dev/null +++ b/luk/04/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह भी कहा गया है + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “धर्मशास्त्र कहता है”, या “लिखा है” यीशु व्यवस्थाविवरण की पुस्तक का उद्धरण दे रहा था। + +# तू अपने प्रभु परमेश्वर की परीक्षा न करना। + +इसका अनुवाद हो सकता है, “अपने प्रभु परमेश्वर को नहीं परखना” यीशु ने धर्मशास्त्र के संदर्भ से स्पष्ट कर दिया कि वह परमेश्वर को परखेगा नहीं कि नीचे कूद जाए। यह आज्ञा परमेश्वर के लोगों के लिए है। + +# कुछ समय के लिए + +“किसी और अवसर तक के लिए” diff --git a/luk/04/14.md b/luk/04/14.md new file mode 100644 index 0000000..ce7a185 --- /dev/null +++ b/luk/04/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# आत्मा की सामर्थ्य से भरा हुआ + +आत्मा की सामर्थ्य से भरा हुआ - इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “और आत्मा उसे सामर्थ्य प्रदान कर रहा था” परमेश्वर विशेष रूप में यीशु के साथ था और उसे ऐसे काम करने में समर्थ कर रहा था जो मनुष्य नहीं कर सकता था। + +# उसकी चर्चा आसपास के सारे देश में फैल गई + +इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्यों ने यीशु की चर्चा चारों ओर की” या “लोगों ने सबको यीशु के बारे में बता दिया” या “उसकी जानकारी मनुष्य से मनुष्य को मिल गई” जिन्होंने यीशु की बातें सुनी उन्होंने दूसरों को उसके बारे में बताया और उन लोगों ने औरों को बताया। + +# आसपास के सारे देश में + +गलील के परिक्षेत्र में सब स्थानों में + +# सब उसकी बड़ाई करते थे। + +“सब उसके बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते थे” या “सब उसके बारे में प्रशंसा करते थे”। diff --git a/luk/04/16.md b/luk/04/16.md new file mode 100644 index 0000000..db6df21 --- /dev/null +++ b/luk/04/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जहाँ पाला पोसा गया था + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “जहाँ उसके माता-पिता ने उसका पालन पोषण किया था” या “जहाँ वह बड़ा हुआ था” या “जहाँ उसका बाल्यकाल बीता था”। + +# अपनी रीति के अनुसार + +“जैसा वह सामान्यतः करता था” सब्त के दिन आराधनालय में जाना उसका अभ्यास था। + +# यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक उसे दी गई। + +उसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “किसी ने उसे यशायाह की पुस्तक दी” + +# यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक + +यशायाह ने वर्षों पूर्व अपनी भविष्यद्वाणियां लिखी थी जिनकी नकल कुंडलीग्रन्थ में की गई थी। अत: यह उक्ति उसी पुस्तक के सन्दर्भ में है। + +# वह जगह निकली जहाँ यह लिखा था। + +“उस कुंडलीग्रन्थ में वह स्थान जहाँ लिखा था” या “कुडलीग्रन्थ में जहाँ ये शब्द लिखे थे” diff --git a/luk/04/18.md b/luk/04/18.md new file mode 100644 index 0000000..35cf448 --- /dev/null +++ b/luk/04/18.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु ने यशायाह की पुस्तक से पढ़ा ) + +# प्रभु का आत्मा मुझ पर है + +“परमेश्वर विशेष रूप में मेरे साथ है” किसी के द्वारा ऐसा कहने का अर्थ है कि परमेश्वर के वचनों का कहने का दावा करना। + +# बन्दियों को छुटकारे का + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बन्दी मनुष्यों को मुक्ति का सन्देश सुनाने के लिए” या “युद्ध बंदियों को मुक्त कराने के लिए” + +# अन्धों को दृष्टि पाने का + +“घोषणा करने के लिए कि अन्धे देखेंगे” या “अन्धों को दृष्टिदान करने के लिए” या “अन्धों को देखने योग्य बनाने के लिए” + +# कुचले हुओं को छुड़ाया + +“अत्याचार सहनेवालों को मुक्ति दिलाने के लिए” + +# परमेश्वर के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूं + +इसका अनुवाद हो सकता है, “यह घोषणा करूं कि यही वह वर्ष है, जब परमेश्वर अपनी दया प्रकट करेगा” या “सबको बताऊं, कि परमेश्वर लोगों को आशिष देने के लिए तैयार है”। diff --git a/luk/04/20.md b/luk/04/20.md new file mode 100644 index 0000000..14b679c --- /dev/null +++ b/luk/04/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# तब उसने पुस्तक बन्द करके + +“तब यीशु ने कुंडलीग्रन्थ लपेट दिया” + +# सेवक + +आराधनालयों में ऐसे सेवक होते थे, जो सुनिश्चित करते थे कि धर्मशास्त्र आदि पवित्र वस्तुओं को उचित देखरेख में रखा जाए। + +# सब लोगों की आंखें उस पर लगी थी। + +“वे अपेक्षा से उसे देख रहे थे” या “उसे निहार रहे थे” + +# आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “धर्मशास्त्र में जो भविष्यद्वाणी की गई है वह आज तुम्हारे सुनते-सुनते पूरी हो गई है। यीशु के कहने का अर्थ था कि वह अपने कामों तथा वचनों के द्वारा उस समय ही इस भविष्यद्वाणी को पूरा कर रहा था। + +# अनुग्रह की बातें उसके मुंह से निकली थी, उनसे अचम्भा किया + +“उसकी अच्छी-अच्छी बातें सुनकर वे चकित थे” + +# क्या यह यूसुफ का पत्र नहीं? + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यह यूसुफ का ही तो पुत्र है”। या “यह उस यूसुफ का पुत्र नहीं है क्या? या “इसका पिता यूसुफ ही तो है”। वे उसे मानवीय स्तर पर आंक रहे थे कि वह एक साधारण मनुष्य यूसुफ का पुत्र है। यूसुफ एक धर्मगुरू नहीं या अतः वे आश्चर्य कर रहे थे कि उसका पुत्र ऐसा वचन सुना सकता है । diff --git a/luk/04/23.md b/luk/04/23.md new file mode 100644 index 0000000..e156faa --- /dev/null +++ b/luk/04/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यहाँ अपने देश में + +अर्थात नासरत में, उसके अधिवास में + +# भविष्यद्वक्ता अपने देश में सम्मान नहीं पाता है + +यीशु उन पर कटाक्ष कर रहा था, क्योंकि उन्होंने उसे अपने साथ का एक साधारण मनुष्य समझ कर विश्वास नहीं किया था। + +# अपने देश में + +इसका अनुवाद हो सकता है, “अपने नगर में” या “अपने गांव में” diff --git a/luk/04/25.md b/luk/04/25.md new file mode 100644 index 0000000..f729177 --- /dev/null +++ b/luk/04/25.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु आराधनालय में उपासकों से बातें कर रहा है) + +# मैं तुमसे सच कहता हूँ + +“मैं तुमसे यथातथ कहता हूँ” इस उक्ति का उपयोग कथा के महत्त्व, सत्य और यार्थता पर बल देने के लिये किया गया था। + +# विधवाएं + +जिस स्त्री का पति मर गया तो वह विधवा कहलाती थी + +# एलिय्याह के दिनों में + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “जब एलिय्याह इस्राएल में भविष्यद्वक्ता रूप में सेवा कर रहा था”, यीशु के श्रोता जानते थे कि एलिय्याह परमेश्वर का भविष्यद्वक्ता था। यदि आपके पाठकों को एलिय्याह के बारे में समझ नहीं है तो इस अभिप्रेत जानकारी को स्पष्ट करे। जैसा कि यू.डी.बी. में किया गया है। + +# आकाश बन्द रहा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब आकाश से वर्षा नहीं हुई थी” या “जब वर्षा नहीं हुई थी” यह एक रूपक है जिसका अर्थ है कि आकाश बन्द कर दिया गया था और वर्षा का जल ऊपर रोक दिया गया था कि पृथ्वी पर न आए। + +# बड़ा अकाल पड़ा + +“जब भोजन की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई थी” या “मनुष्य के पास खाने को भोजन नहीं था अकाल का अर्थ है फसल नष्ट हो जाना या फसल नहीं आना, जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य को भोजन की घटी हो जाती है। + +# सारफत में एक विधवा + +सारफत नगर के लोग यहूदी नहीं थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, सारफल नगर की एक गैरयहूदी विधवा (यीशु के श्रोता जानते थे कि सारफल निवासी यहूदी नहीं थे।) + +# सीरियावासी नामान + +सीरियावासी अर्थात सीरिया देश का नागरिक। सीरिया के नागरिक भी यहूदी नहीं थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सीरिया देश का नामान नामक एक गैर यहूदी” diff --git a/luk/04/28.md b/luk/04/28.md new file mode 100644 index 0000000..6269749 --- /dev/null +++ b/luk/04/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसे नगर से बाहर निकाला। + +अनुवाद हो सकता है, “उसे नगर छोड़ने पर विवश किया” + +# चोटी पर + +“चट्टान के सिरे पर” + +# उनके बीच में से + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “उनके मध्य से” या “जो उसे मार डालना चाहते थे उनके बीच में से”। इसका अर्थ है कि उसे कोई रोक नहीं पाया। + +# चला गया + +“कूच कर गया” यीशु जहाँ जाना चाहता था, वहां चला गया, न कि वहां गया जहाँ वे उसे बलपूर्वक ले जाना चाहते थे। diff --git a/luk/04/31.md b/luk/04/31.md new file mode 100644 index 0000000..cef966a --- /dev/null +++ b/luk/04/31.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कफरनहूम को गया + +कफरनहूम नासरत से नीचे है अतः यीशु पहाड़ पर से उतर कर कफरनहूम आ गया। + +# गलील के कफरनूहम + +यीशु गलील क्षेत्र ही में था। अतः यहाँ अनुवाद इस प्रकार किया जाए, “गलील के दूसरे नगर कफरनूहम” + +# चकित हो गए + +“आश्चर्यचकित थे” या “प्रभावित हुए” + +# उसका वचन अधिकार सहित था + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसके वचन में एक अधिकार प्रगट होता था” या “वह अधिकार के साथ कहता था”। diff --git a/luk/04/33.md b/luk/04/33.md new file mode 100644 index 0000000..f68762e --- /dev/null +++ b/luk/04/33.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जिनमें अशुद्ध आत्मा थी + +“जो अशुद्ध आत्मा के वश में थे” + +# वह ऊंचे स्वर से चिल्ला उठा + +“वह चिल्लाया” कुछ भाषाओं में इसके लिए मुहावरा भी है जैसे “दिल दहलाने वाली आवाज निकली”। + +# हमें तुझसे क्या काम + +इसका अनुवाद हो सकता है, “हममें क्या मेल”? या “हमें तुमसे कुछ नहीं लेना देना” यह एक झगड़ालू प्रतिक्रिया है जिसका अर्थ है, “हमें परेशान करने का तुझे अधिकार नहीं है” diff --git a/luk/04/35.md b/luk/04/35.md new file mode 100644 index 0000000..e0a67b6 --- /dev/null +++ b/luk/04/35.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु ने उसे डांटकर कहा + +“यीशु ने उस दुष्टात्मा को झिड़कर कर कहा” या “यीशु ने उसे कठोर आज्ञा दी” + +# इसमें से निकल जा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसे अकेला छोड़ दे” या “उसे परेशान करना छोड़ दे”। + +# यह कैसा वचन है? + +यह आलंकारिक प्रश्न है। लोग आश्चर्य व्यक्त कर रहे थे कि यीशु के पास दुष्टात्मा को निकल जाने की आज्ञा देने का अधिकार है। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “यह वचन आश्चर्यजनक है” या “उसका आदेश विस्मयकारी है”। + +# “वह अधिकार और सामर्थ्य के साथ अशुद्ध आत्माओं को आज्ञा देता है। + +“उसके पास अशुद्ध आत्माओं को आज्ञा देने का अधिकार एवं सामर्थ्य है”। + +# चारों ओर, हर जगह उसकी चर्चा होने लगी + +“यीशु का समाचार चारों और फैल गया” या “लोगों ने सर्वत्र उसकी चर्चा की” diff --git a/luk/04/38.md b/luk/04/38.md new file mode 100644 index 0000000..43db3af --- /dev/null +++ b/luk/04/38.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ज्वर चढ़ा हुआ था + +कुछ भाषाओं में कहा जाता है, “उसका शरीर तप रहा था”। + +# शमौन की सास + +“शमौन की पत्नी की माता” + +# ज्वर को डांटा + +“बुखार को कठोर आज्ञा दी” या “बुखार को उतर जाने की आज्ञा दी” (यू.डी.बी.) इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “आज्ञा दी कि उसके शरीर का ताप सामान्य हो जाए”, या “रोग को शरीर त्याग की आज्ञा दी”। diff --git a/luk/04/40.md b/luk/04/40.md new file mode 100644 index 0000000..dc47e31 --- /dev/null +++ b/luk/04/40.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# चिल्लाती + +“ऊंचे स्वर में” या “ऊंची आवाज में” + +# वह उन्हें डांटता + +“यह दुष्टात्माओं से कठोरता से कहता” + +# बोलने नहीं देता था + +“उन्हें अनुमति नहीं देता था” diff --git a/luk/04/42.md b/luk/04/42.md new file mode 100644 index 0000000..6705bb8 --- /dev/null +++ b/luk/04/42.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जब दिन हुआ + +“सूर्योदय के समय” या “भोर के समय” + +# सुनसान जगह + +“निर्जन स्थान में” या “जहाँ कोई नहीं रहता था” या “जहाँ मनुष्यों का आना जाना नहीं था” + +# अन्य नगरों में भी + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “अन्य नगरों में अनेक लोगों को” + +# मैं इसी लिए भेजा गया हूँ + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “मुझे परमेश्वर ने इसी लिए भेजा है” diff --git a/luk/05/01.md b/luk/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..4d0f285 --- /dev/null +++ b/luk/05/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तो ऐसा हुआ + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# जाल धो रहे थे + +वे अपने जाल धो रहे थे कि मछली पकड़ने के लिए फिर से डालें। + +# किनारे से थोड़ा हटा ले + +“पतरस से कहा कि नाव को झील में थोड़ा अन्दर कर ले”। + +# वह बैठकर लोगों को नाव पर से उपदेश देने लगा। + +बैठकर उपदेश देना गुरू की उचित मुद्रा थी। + +# नाव पर से उपदेश देने लगा + +“नाव में बैठकर लोगों को उपदेश दे रहा था” यीशु जिस नाव में बैठा था वह किनारे से कुछ ही दूर थी और जनसमूह किनारे पर खड़ा था। diff --git a/luk/05/04.md b/luk/05/04.md new file mode 100644 index 0000000..15b4958 --- /dev/null +++ b/luk/05/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जब वह बातें कर चुका, + +“मनुष्यों को शिक्षा देने के बाद” + +# हे स्वामी + +यहाँ "स्वामी" का अर्थ मूल भाषा यूनानी में मालिक नहीं है। इसका अर्थ है अधिकार संपन्न मनुष्य, न कि किसी का अधिकृत मालिक। आप इसका अनुवाद इस प्रकार भी कर सकते है, “साहब” या "अधिकर्मी" या किसी अधिकारी के लिए काम में लिया जानेवाला शब्द जैसे “श्रीमान जी” + +# तेरे कहने से + +“तू कहता है तो” या “तेरी बात रखने के लिए” + +# संकेत किया + +वे बहुत दूर थे अतः हाथ हिलाकर अन्य मछुवो को संकेत दिया कि नावें लाएं। + +# डूबने लगी + +“नावें डूबने लगी” यदि समझने में कठिनाई हो तो सलंग्न जानकारी व्यक्त करें, “मछलियों के बोझ के कारण नावें डूबने लगी थी। diff --git a/luk/05/08.md b/luk/05/08.md new file mode 100644 index 0000000..a36f4fd --- /dev/null +++ b/luk/05/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यीशु के पांवों पर गिरा + +इसके संभावित अर्थ हैं (1) यीशु के चरणों में झुका” या (2) यीशु के चरणों में लेट गया या (3) “यीशु के सामने घुटने टेक दिए”। पतरस गिर नहीं गया था वह दीन होकर यीशु का सम्मान कर रहा था। + +# मैं पापी मनुष्य हूँ + +यहाँ “मनुष्य” का अर्थ है, “वयस्क” न कि सामान्य मनुष्य। + +# मनुष्यों को जीवता पकड़ेगा। + +यहाँ “पकड़ेगा” एक रूपक है जिसका अर्थ है मसीह के लिए मनुष्यों को प्रेरित करेगा। इसका अनुवाद भी रूपक द्वारा ही किया जा सकता है, “मनुष्यों का मछुवा” या रूपक रहित अनुवाद होगा, “तू मनुष्यों को एकत्र करेगा” या “तू मनुष्यों को लेकर आयेगा”। diff --git a/luk/05/12.md b/luk/05/12.md new file mode 100644 index 0000000..8b49f30 --- /dev/null +++ b/luk/05/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कोढ़ से भरा हुआ एक मनुष्य था + +यहाँ कहानी में एक नया मनुष्य आता है। आपकी भाषा में इसकी अभिव्यक्ति हो सकती है। "एक सर्वांग कोढ़ी वहां था।" + +# मुंह के बल गिरा + +“उसने साष्टांग प्रणाम किया” (यू.डी.बी.) या “घुटने टेक कर भूमि पर माथा टेका” + +# विनती की + +“उससे भीख मांगी” या “याचना की”(यू.डी.बी.) + +# यदि तू चाहे + +“यदि तेरी इच्छा हो” diff --git a/luk/05/14.md b/luk/05/14.md new file mode 100644 index 0000000..4a1fbd4 --- /dev/null +++ b/luk/05/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# किसी से न कह + +यहाँ सलंग्न जानकारी है, तू रोगमुक्त हो गया है अपने शुद्ध होने के विषय में .....चढ़ावा.... चढ़ा. + +# शोधन की बलि चढ़ा + +यहूदी विधान के अनुसार कोढ़ी को शुद्ध होने पर विशेष बलि चढ़ाना होती थी कि वह सांसारिक रूप से शुद्ध माना जाए और धार्मिक अनुष्ठानों में सहभागी हो पाए। + +# उन पर गवाही हो + +“याजकों के लिए गवाही” या “याजक जान ले कि तू सच में शुद्ध हो गया है। मन्दिर में याजक इस तथ्य से अभिज्ञ होगा कि यीशु ने कोढ़ी को रोग मुक्त किया है। diff --git a/luk/05/15.md b/luk/05/15.md new file mode 100644 index 0000000..40781c0 --- /dev/null +++ b/luk/05/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसकी चर्चा + +“यीशु का समाचार” इसका अर्थ है, “उस कोढ़ी की रोग मुक्ति का समाचार” या “यीशु द्वारा रोगियों के निरोगीकरण का समाचार” + +# और भी फैलती गई + +“उसका समाचार दूर-दूर तक फैल गया” या “मनुष्य विभिन्न स्थानों में यीशु की चर्चा करने लगे”। + +# जंगलों में + +“निर्जन स्थानों में” या “शान्त स्थानों में” या “वहां कोई आता जाता नहीं था” diff --git a/luk/05/17.md b/luk/05/17.md new file mode 100644 index 0000000..fdbef17 --- /dev/null +++ b/luk/05/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# एक दिन ऐसा हुआ + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। diff --git a/luk/05/18.md b/luk/05/18.md new file mode 100644 index 0000000..6bcec8f --- /dev/null +++ b/luk/05/18.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# लोग एक मनुष्य को ..... खाट पर लाये + +ये कहानी में नए नायक है। आपकी भाषा में नए मनुष्यों के प्रवेश को दर्शाने की अभिव्यक्ति हो सकती है। “कुछ लोग एक मनुष्य को लेकर आए” या “... को उठाए हुए कुछ लोग आए” + +# खाट + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बिस्तर सहित” या “चोखट पर” या “तखत पर” + +# लकवे का रोगी + +“निष्क्रिय मनुष्य” + +# भीड़ के कारण उसे भीतर न ले जा सके + +कुछ भाषाओं में इसका रचना रूप बदलना आवश्यक होगा, “मनुष्यों की भीड़ के कारण वे उसे रोगी को भीतर ले जाने में सफल नहीं हुए, अतः....” + +# छत पर चढ़ कर + +उन घरों की छतें समतल होती थी और कुछ घरों की छत पर जाने के लिए बाहर सीढ़ियां होती थी। + +# यीशु के सामने + +“सीधे यीशु के सामने” या “यीशु के समक्ष” diff --git a/luk/05/20.md b/luk/05/20.md new file mode 100644 index 0000000..a54da78 --- /dev/null +++ b/luk/05/20.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हे मनुष्य + +यह एक ऐसा संबोधन है जो अनजान मनुष्य के लिए काम में लिया जाता था। यह अशिष्ट शब्द तो नहीं है परन्तु सम्मान का शब्द भी नहीं है, कुछ भाषाओं में इसके स्थान में “मित्र” या “भाई” या “श्रीमान” शब्दों का प्रयोग होता है। + +# तेरे पाप क्षमा हुए + +“तू क्षमा किया गया” या “मैं तेरे पाप क्षमा करता हूँ” (यू.डी.बी.) + +# विवाद करने लगे + +“रोष प्रकट करने लगे” या “तर्क करके कहने लगे”, इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “आपस में कहने लगे क्या यीशु को पाप क्षमा करने का अधिकार है”? + +# यह कौन है जो परमेश्वर की निन्दा करता है? + +इस आलंकारिक प्रश्न से स्पष्ट होता है कि वे यीशु की इस बात पर कैसे विस्मित एवं क्रोधित थे। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “यह मनुष्य परमेश्वर की निन्दा करता है”, या “यह अपने को क्या समझता है कि परमेश्वर की इस प्रकार निन्दा करे”? + +# परमेश्वर को छोड़ और कौन पाप क्षमा कर सकता है? + +इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “केवल परमेश्वर ही पाप क्षमा कर सकता है, अन्य कोई नहीं”, या “पाप क्षमा करने वाला केवल परमेश्वर है, यहाँ संलग्न विचार यह है कि यदि मनुष्य पाप क्षमा करने का दावा कर रहा है तो वह परमेश्वर होने का स्वांग रच रहा है”।(देखें: .) diff --git a/luk/05/22.md b/luk/05/22.md new file mode 100644 index 0000000..b6a8d1a --- /dev/null +++ b/luk/05/22.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# तुम अपने मन में क्या विवाद कर रहे हो? + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “तुम्हें मन में ऐसा विचार नहीं करना चाहिए” या “तुम्हें सन्देह नहीं करना है कि मैं पाप क्षमा करने का अधिकार रखता हूँ”। + +# अपने मनों में + +यह एक मुहावरा है जो मनुष्य के सोचने या विश्वास करने की इन्द्रियों की शक्ति का संदर्भ देता है। कुछ भाषाओं में इस उक्ति को काम में नहीं लेना और अधिक स्वाभाविक होता है। + +# सहज क्या है? + +यीशु इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा उन्हें तैयार कर रहा था कि वे पाप क्षमा के उसके अधिकार को उसके रोगमुक्ति के चमत्कार से जोड़ें। वह अब उस रोगी को स्वस्थ करेगा। यह संपूर्ण प्रश्न इस प्रकार अनुवाद किया जा सकता है, “यह कहना आसान है, तेरे पाप क्षमा किए गए, परन्तु परमेश्वर ही उस निश्चेष्ट मनुष्य को उठ कर चलने योग्य कर सकता है”। + +# कि तुम जानो + +यीशु विधि-शास्त्रियों और फरीसियों से बातें कर रहा था। यहाँ “तुम” शब्द बहुवचन में है। + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु अपरे बारे में कह रहा है + +# मैं तुम से कहता हूँ + +यीशु उस निष्क्रिय मनुष्य को संबोधित कर रहा था। यहाँ “तुम” एकवचन है diff --git a/luk/05/25.md b/luk/05/25.md new file mode 100644 index 0000000..81c1259 --- /dev/null +++ b/luk/05/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुरन्त + +“तत्काल ही” या “उसी समय” + +# सब चकित हुए + +“देखने वाले सब विस्मित हो गए” + +# बहुत डर कर + +“भयातुर होकर” या “श्रद्धापूर्ण भय से भर कर” + +# अनोखी बातें + +“आश्चर्यजनक बातें” या “विचित्र बातें” diff --git a/luk/05/27.md b/luk/05/27.md new file mode 100644 index 0000000..db49e35 --- /dev/null +++ b/luk/05/27.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इसके बाद + +पिछले पदों में व्यक्त घटनाओं के बाद + +# एक चुंगी लेने वाले को .... देखा + +“एक चुंगी लेने वाले पर ध्यान दिया” या “एक चुंगी लेने वाले को निहारा” + +# चुंगी की चौकी + +चुंगी कक्ष में” या “चुंगी स्थल में”, यह या तो एक प्रकार का कमरा था या सड़क के किनारे मेज़ लगा कर वे बैठा करते थे कि लोगों से सरकारी कर वसूल करें। + +# मेरे पीछे हो ले + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरा शिष्य हो जा” या “मुझे गुरू मान कर आजा” + +# सब कुछ छोड़कर + +“चुंगी लेने का काम त्याग कर” diff --git a/luk/05/29.md b/luk/05/29.md new file mode 100644 index 0000000..9179777 --- /dev/null +++ b/luk/05/29.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# बड़ा भोज + +यह इस प्रकार की दावत थी जिसमें अतिथियों के साथ खाना-पीना होता था। + +# अपने घर में + +लेवी के घर में + +# भोजन करने बैठा + +इसका अनुवाद हो सकता है, “भोजन हेतु आसन ग्रहण किया” या “भोजन आसन पर बैठा था।” यूनानी संस्कार में भोज में तखत पर बाई कोहनी के तकिए पर टिका कर आधा लेटकर भोजन किया जाता था। + +# कुड़कुड़ाने लगे + +“शिकायत करने लगे” या “असन्तोष व्यक्त कर रहे थे” + +# उसके चेलों से + +“यीशु के शिष्यों से” + +# क्यों खाते-पीते हो? + +विधि-शास्त्रियों और फरीसियों ने यह आलंकारिक प्रश्न द्वारा अपनी असहमति प्रकट की क्योंकि वे पापियों के साथ भोजन कर रहे थे। यह “तुम” शब्द बहुवचन में है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है। “तुम्हें पापियों के साथ भोजन नहीं करना है” + +# वैद्य + +“डाक्टर” या "हकीम" diff --git a/luk/05/33.md b/luk/05/33.md new file mode 100644 index 0000000..348d7b1 --- /dev/null +++ b/luk/05/33.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उन्होंने उनसे कहा, + +“धर्म गुरूओं ने यीशु से कहा” + +# क्या हम बरातियों से.... उपवास करवा सकते हो? + +यीशु इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा उनकी परिचित स्थिति पर विचार करवा रहा था। इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “दुल्हे के साथ विवाह में आनेवालों से उपवास करने के लिए कोई नहीं कहता है, क्योंकि दूल्हा उनके साथ है”। + +# बारातियों + +“अतिथि” या “मित्र”। ये वे लोग है जो विवाह करने वाले पुरूष के साथी हैं। + +# परन्तु वे दिन आएंगे + +“परन्तु एक दिन” (यू.डी.बी.) या “परन्तु शीघ्र ही” + +# दूल्हा उनसे अलग किया जायेगा + +यह एक रूपक है। यीशु अपने बारे में कहता था। इसे स्पष्ट करने के लिए इसमें जोड़ा जा सकता है, “इसी प्रकार जब तक मैं उनके साथ हूँ वे उपवास नहीं कर सकते”। diff --git a/luk/05/36.md b/luk/05/36.md new file mode 100644 index 0000000..f2ff844 --- /dev/null +++ b/luk/05/36.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# कोई भी मनुष्य नये वस्त्र में से फाड़कर + +“कोई नया वस्त्र काट कर” या “मनुष्य नया वस्त्र फाड़कर” (यू.डी.बी.) + +# पैबन्द नहीं लगाता + +"सुधारता नहीं है" + +# मेल भी नहीं खाएगा + +“उचित नहीं होगा” या “वैसा ही नहीं होगा” diff --git a/luk/05/37.md b/luk/05/37.md new file mode 100644 index 0000000..bdf3020 --- /dev/null +++ b/luk/05/37.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु धर्मगुरूओं को एक और शिक्षाप्रद कथा सुनाता है।) + +# कोई .... नहीं भरता + +“कोई.... नहीं रखता है” यू.डी.बी. या “मनुष्य कभी नहीं रखते” + +# नया दाखरस। + +“अंगूर का ताजा रस” अर्थात जिस दाखरस का खमीर नहीं उठा है। + +# मशकों + +ये पशुओं के चमड़े से बनी होती थी उन्हें "दाख रस के थैले" या "चमड़े के थैले"(यू.डी.बी.) भी कह सकते हैं। + +# नया दाखरस मशकों को फाड़ कर बह जायेगा। + +“नया दाखरस खमीर होकर फैलेगा तो पुरानी मशकें लचीली न होने के कारण फट जायेंगी” यीशु के श्रोतागण को दाखरस के किणवन की प्रक्रिया की जानकारी थी कि वह फैलता है। + +# दाखरस .... बह जाएगा + +“दाखरस मशकों से बाहर निकल जाएगा + +# नईं मशकें + +“नई मशकों” अर्थात जिन्हें पहले काम में नहीं लिया गया है। + +# पुराना दाखरस + +“जिस दाखरस का खमीर उठ गया है। + +# वह कहता है कि पुराना अच्छा है + +यहाँ अतिरिक्त जानकारी देना सहायक सिद्ध होगा। “अतः वह नया दाखरस पीना नहीं चाहता है”। यह एक रूपक है जिसके माध्यम से धर्म-गुरूओं की पुरानी शिक्षा की तुलना यीशु की नई शिक्षा से की गई है। कहने का अर्थ यह है कि जो पुरानी शिक्षाओं के अभ्यास थे वे यीशु की शिक्षा को स्वीकार नहीं करते थे, क्योंकि वे नई थी। diff --git a/luk/06/01.md b/luk/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..1861bb7 --- /dev/null +++ b/luk/06/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# (ऐसा हुआ कि) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# खेतों में से + +भूमि के खण्ड जहाँ गेहूँ के दाने विसर्जित किए जाते थे कि अधिक उपज हो। + +# बालें + +यह गेहूँ के पौधे का ऊपरी भाग है इसमें उस पौधे के बीज होते हैं, गेहूँ का पौधा बड़ी घास के जैसा होता है। + +# तुम वह काम क्यों करते हो जो सब्त के दिन करना उचित नहीं” + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम सब्त के दिन गेहूँ क्यों दांवते हो? इस आलंकारिक प्रश्न का तात्पर्य है सब्त के दिन वर्जित कार्य करना। यह परमेश्वर के विधान के विरूद्ध है। “तुम” बहुवचन में है और यीशु के शिष्यों के संदर्भ में है। diff --git a/luk/06/03.md b/luk/06/03.md new file mode 100644 index 0000000..7362325 --- /dev/null +++ b/luk/06/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# क्या तुमने यह नहीं पढ़ा...? + +यह आलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु उन्हें मीठा कटाक्ष कर रहा है कि उन्होंने धर्मशास्त्र पढ़ कर भी नहीं सीखा। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “निश्चय ही तुमने पढ़ा है” (यू.डी.बी.) या “तुम्हें पढ़ कर तो सीखना है”। + +# भेंट की रोटियां + +“पवित्र रोटियां” या “परमेश्वर को चढ़ाई हुई रोटियां” + +# मनुष्य का पुत्र + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं, मनुष्य का पुत्र हूँ”, यीशु अपने बारे में कह रहा था। + +# सब्त के दिन का भी प्रभु है + +“सब्त का स्वामी है” इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “उसके पास अधिकार है कि सब्त के दिन मनुष्य के लिए निर्धारित करे कि उसे क्या करना है”(यू.डी.बी.) diff --git a/luk/06/06.md b/luk/06/06.md new file mode 100644 index 0000000..bb5207e --- /dev/null +++ b/luk/06/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# (और ऐसा हुआ) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# हाथ सूखा था। + +उस मनुष्य का हाथ ऐसा क्षतिग्रस्त था कि वह उसे उठा नहीं सकता था। वह ऐसा मुड़ा हुआ था कि उसकी मुठ्ठी बन्द थी और सूखकर छोटा हो गया था। + +# ताक में थे + +“यीशु पर दृष्टि गड़ाए हुए थे” + +# कि देखें + +इसका अनुवाद इस प्रकार करें, “क्योंकि वे दोष खोजना चाहते थे।" + +# उठ, बीच में खड़ा हो + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सबके सामने” (यू.डी.बी.) यीशु चाहता था कि वह ऐसे स्थान में खड़ा हो जहाँ सब उसे देख सकते थे। diff --git a/luk/06/09.md b/luk/06/09.md new file mode 100644 index 0000000..afd5b0f --- /dev/null +++ b/luk/06/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उनसे + +“फरीसियों से” + +# क्या उचित है + +यह आलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु फरीसियों को सोचने पर विवश कर रहा था कि वे स्वीकार करे कि किसी को सब्त के दिन रोगमुक्त करना उचित है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “नियमोचित क्या है? “भला करना” या “मूसा का विधान किस बात की अनुमति देता है”? + +# अपना हाथ बढ़ा + +“अपना हाथ आगे कर” या “अपना हाथ उठा” + +# चंगा हो गया + +“स्वस्थ हो गया” diff --git a/luk/06/12.md b/luk/06/12.md new file mode 100644 index 0000000..a8894db --- /dev/null +++ b/luk/06/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# (और ऐसा हुआ) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# उन दिनों में + +“उसके कुछ ही समय बाद” या “इसके बाद अधिक समय नहीं हुआ था” “तब ही एक दिन” + +# प्रार्थना करने गया + +“यीशु प्रार्थना करने बाहर गया” + +# बारह चुन लिए + +“उनमें से बारह को चुन लिया” या “शिष्यों में से बारह को चुन लिया” + +# उनको 'प्रेरित' कहा + +“और उसने उन्हें प्रेरित कहा” या “जिन्हें उसने प्रेरित नियुक्त किया” या “जिन्हें उसने प्रेरित बनाया” diff --git a/luk/06/14.md b/luk/06/14.md new file mode 100644 index 0000000..a214c87 --- /dev/null +++ b/luk/06/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यह उन बारहों की सूची है जिन्हें यीशु ने अपने शिष्य होने के लिए चुना था) + +# और वे ये हैं + +नामों की यह सूची यू.एल.बी. में दी गई है कि सूची स्पष्ट की जाए। कुछ अनुवादक इसका उल्लेख करना आवश्क नहीं समझते। + +# इसका भाई अन्द्रियास + +"शमौन का भाई अन्द्रियास" + +# जेलोतेस + +इसके संभावित अर्थ हैं (1) जेलोतेस (2) जोशीला पहला अर्थ प्रकट करता है कि वह उस पंथ का सदस्य था जो यहूदियों को रोमी राज्य से मुक्त कराना चाहता था। इसका अनुवाद “देशभक्त” या “राष्ट्रवादी” किया जा सकता है। दूसरे का अर्थ है, वह परमेश्वर का सम्मान करने के लिए जोशीला था। इसका अनुवाद “उत्साही” किया जा सकता है। + +# पकड़वाने वाला बना + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने साथी से विश्वासघात किया” या “अपने मित्र को बैरियों के हाथों पकड़वाया” या “बैरियों को उसकी जानकारी देकर अपने मित्र को संकट में डाल दिया”। diff --git a/luk/06/17.md b/luk/06/17.md new file mode 100644 index 0000000..6ad4dcc --- /dev/null +++ b/luk/06/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उनके साथ + +“जिन बारहों को उसने चुना था उनके साथ” या “उसके बारह प्रेरितों के साथ” + +# चंगा होने के लिए + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “यीशु के हाथों रोगमुक्ति हेतु” यदि आपके पाठकों के लिए इससे स्पष्ट न हो कि यीशु ने उन्हें वास्तव में रोगमुक्त किया तो आप स्पष्ट करके लिख सकते हैं कि यीशु ने उन्हें रोगमुक्त किया”। + +# अशुद्ध आत्माओं के सताए हुए + +“अशुद्ध आत्माओं से परेशान” इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “अशुद्ध आत्माग्रस्त” या “अशुद्ध आत्माओं के बन्धन में थे” कर्तृवाच्य में अनुवाद करने हेतु देखें यू.डी.बी. + +# अच्छे किए जाते थे। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “यीशु ने उन्हें रोगमुक्त किया” अशुद्ध आत्माग्रस्त मनुष्यों के लिए “रोगमुक्त” शब्द का उपयोग अनुचित है इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जाए, “यीशु ने उन्हें मुक्ति प्रदान की” या “यीशु ने अशुद्ध आत्माओं को निकाला” + +# सामर्थ्य निकल कर सब को चंगा करती थी + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसमें लोगों को रोगमुक्त करने का सामर्थ्य था” जब यीशु में से सामर्थ्य प्रवाहित होता था तब वह सामर्थ्य में कम नहीं होता था। diff --git a/luk/06/20.md b/luk/06/20.md new file mode 100644 index 0000000..06db570 --- /dev/null +++ b/luk/06/20.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# धन्य हो तुम + +यह उक्ति तीन बार दोहराई गई है, प्रत्येक बार इसका अर्थ है कि परमेश्वर किसी को अनुग्रह प्रदान कर रहा है या उनकी स्थिति कपटरहित है या अच्छी है। + +# धन्य हो तुम जो दीन हो + +“तुम जो दीन हो परमेश्वर के अनुग्रहपात्र बनोगे” या “तुम जो दीन हो लाभ उठाओगे” या “तुम जो दीन हो, तुम्हारे लिए बहुत अच्छा है”। + +# परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है। + +“परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है” इसके अर्थ हो सकते हैं, (1) तुम परमेश्वर के राज्य के हो” या (2) परमेश्वर के राज्य में तुम्हारे पास अधिकार होगा”। जिन भाषाओं में राज्य के लिए शब्द नहीं है, वे कह सकते हैं, “परमेश्वर तुम्हारा राजा होगा” या “परमेश्वर तुम पर राज करेगा” + +# हंसोगे + +“तुम आनन्द से हंसोगे” या “तुम आनन्दित होंगे” diff --git a/luk/06/22.md b/luk/06/22.md new file mode 100644 index 0000000..eaf1e8a --- /dev/null +++ b/luk/06/22.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# धन्य हो तुम + +धन्य हो तुम, “तुम परमेश्वर के अनुग्रहपात्र होगे” या “तुम लाभ उठाओगे” या “तुम्हारे लिए कैसा भला है।” + +# तुम्हें निकाल देंगे + +“तुम्हारा बहिष्कार करेंगे” या “तुम्हारा परित्याग करेंगे” + +# तुम्हारी निन्दा करेंगे + +“तुम्हारा अपमान करके आलोचना करेंगे” + +# मनुष्य के पुत्र के कारण + +“मनुष्य के पुत्र के नाम पर” या “क्योंकि तुम मनुष्य के पुत्र से संबन्धित हो” या “क्योंकि वे मनुष्य के पुत्र का त्याग करते हैं”। + +# उस दिन + +“जब वे ऐसा करे” या “जब ऐसा हो” + +# बड़ा प्रतिफल + +“अच्छा लाभ” या “इसके कारण अच्छा उपहार है” diff --git a/luk/06/24.md b/luk/06/24.md new file mode 100644 index 0000000..d69141a --- /dev/null +++ b/luk/06/24.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# हाय तुम पर + +यह उक्ति तीन बार दोहराई गई है यह “धन्य हो तुम” के विपरीत है। हर बार यह प्रकट करती है कि परमेश्वर का क्रोध उन पर है या उनके लिए भविष्य में कुछ हानि या बुराई है। + +# हाय तुम पर जो धनवान हो + +“तुम धनवालों का कैसा दुर्भाग्य है। या तुम धनवानों पर संकट आएगा, इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम धनवानों के लिए कैसी दुःख की बात है” या “तुम धनवानों को कैसा दुःख होगा”। + +# तुम ... पा चुके + +“तुम्हें तो सब कुछ बहुतायत से मिल रहा है” या “तुम्हें तो सब कुछ मिल रहा है।” + +# अपनी शान्ति + +“तुम्हें सुख देनेवाली बात” या “तुम्हें सन्तोष प्रदान करनेवाली बात” या “तुम्हारा आनन्द” + +# तृप्त हो + +“जिनके पेट भरे हुए हैं”, या “वो जो खूब खाते हो” + +# अब हंसते हो + +“अब आनन्दित हो” diff --git a/luk/06/26.md b/luk/06/26.md new file mode 100644 index 0000000..b3a315b --- /dev/null +++ b/luk/06/26.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# हाय तुम पर + +“तुम्हारा कैसा दुर्भाग्य है”। या “तुम पर विपत्ति आएगी” या “तुम्हें कैसा दुःखी होना पड़ेगा” या “तुम्हें कैसा दुःख होगा”। + +# जब मनुष्य + +अर्थात “सब जन” या “हर एक जन” + +# झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी ऐसा ही करते थे + +झूठे भविष्यद्वक्ताओं की प्रशंसा करते थे। diff --git a/luk/06/27.md b/luk/06/27.md new file mode 100644 index 0000000..9248ed8 --- /dev/null +++ b/luk/06/27.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(स्पष्ट है कि यीशु जनसमूह से बाते कर रहा है जिनमें वे थे जो उसके शिष्य नहीं) + +# प्रेम रखो ...... भला करो ..... आशीष दो.... प्रार्थना करो + +इनमें से प्रत्येक आज्ञा को करते रहना है, न कि एक बार करके समाप्त कर दो। + +# अपने शत्रुओं से प्रेम रखो + +“अपने बैरियों की सुधि लो” या “अपने बैरियों के लिए जो भला है वह करो”। + +# जो तुम्हें श्राप दे + +“जिनमें तुम्हें श्राप देने का स्वभाव है” + +# जो तुम्हारा अपमान करें + +“जिनमें तुम्हारा अपमान करने का स्वभाव है” diff --git a/luk/06/29.md b/luk/06/29.md new file mode 100644 index 0000000..de18017 --- /dev/null +++ b/luk/06/29.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि वे अपने बैरी से प्रेम रखें।) + +# जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे + +“यदि कोई तेरे गाल पर मारे” + +# एक गाल पर + +“चेहरे के एक ओर” + +# दूसरा भी फेर दे + +इसका अनुवाद हो सकता है, “अपना चेहरा फेर दे कि वह दूसरी ओर भी मारे”। + +# न रोक + +“उसे लेने से मत रोक” + +# जो कोई तुमसे मांगे उसे दे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि कोई कुछ भी मांगे तो उसे दे” + +# उससे न मांग + +“उससे लौटाने को मत कह” या “मांग मत रख” diff --git a/luk/06/31.md b/luk/06/31.md new file mode 100644 index 0000000..1afec6e --- /dev/null +++ b/luk/06/31.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि वे अपने बैरी से प्रेम रखें।) + +# जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें तुम भी उनके साथ वैसा ही करो। + +कुछ भाषाओं में इसके क्रम को विपरीत करना अधिक स्वाभाविक होता है, “तुम मनुष्यों के साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा तुम चाहते हो कि वे तुम्हारे साथ करें” या “मनुष्यों के साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा तुम उनसे चाहते हो कि वे तुम्हारे साथ करें”। + +# तुम्हारी क्या बड़ाई? + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है। इसे कथन रूप में अनुवाद किया जा सकता है, “तुम्हें इसके लिए बड़ाई नहीं मिलेगी” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ऐसा करके तुम्हें क्या प्रशंसा प्राप्त होगी”? या “क्या कोई कहेगा कि तुमने प्रशंसनीय काम किया है”। इसका एक और संभावित अर्थ है, “तुम्हें क्या प्रतिफल मिलेगा”? diff --git a/luk/06/35.md b/luk/06/35.md new file mode 100644 index 0000000..2b1c88a --- /dev/null +++ b/luk/06/35.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि वे अपने बैरी से प्रेम रखें।) + +# तुम्हारे लिए बड़ा फल होगा + +“तुम्हें महान प्रतिफल मिलेगा”, या “तुम्हें अच्छा लाभ होगा” या “इस कारण तुम अच्छा उपहार पाओगे”। + +# परमप्रधान की सन्तान ठहरोगे + +यहाँ “... की सन्तान” एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है “” इसका तात्पर्य है कि अपने बैरियों से प्रेम करने वाले परमेश्वर के सदृश्य काम करते हैं। इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम परमेश्वर प्रधान के पुत्रों के सदृश्य व्यवहार करोगे” या “तुम परम प्रधान परमेश्वर के जैसे होंगे”, सुनिश्चित करे कि यदि पुत्र शब्द काम में ले रह हैं तो वह बहुवचन में हो कि पाठक उसे “परमेश्वर का पुत्र” यीशु न समझें। + +# जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर + +“जो मनुष्य उसे धन्यवाद नहीं करते और जो बुरे हैं” + +# तुम्हारा पिता + +अर्थात परमेश्वर। इसे अधिक स्पष्ट किया जा सकता है, “तुम्हारा स्वर्गीय पिता”। diff --git a/luk/06/37.md b/luk/06/37.md new file mode 100644 index 0000000..4b1da6e --- /dev/null +++ b/luk/06/37.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि वे दोष न लगाएं) + +# दोष मत लगाओ + +“किसी पर दोष मत लगाओ” या “किसी की आलोचना मत करो” + +# तो + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “और परिणाम स्वरूप” + +# तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाए + +यीशु ने यह स्पष्ट नहीं किया कि कौन दोष नहीं लगायेगा। इसके संभावित अर्थ हैं (1) “परमेश्वर तुम पर दोष नहीं लगायेगा”, (2) कोई तुम पर दोष नहीं लगायेगा” दोनों ही अनुवाद स्पष्ट करते हैं कि कौन दोष नहीं लगायेगा। + +# दोषी न ठहराओ + +“किसी को अपराधी मत ठहराओ” + +# तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे + +यीशु ने यह स्पष्ट नहीं किया कि कौन दोषी नहीं ठहराएगा। इसके संभावित अर्थ हैं (1) “परमेश्वर तुम्हें अपराधी नहीं ठहराएगा”, (2) कोई भी तुम्हें अपराधी नहीं ठहराएगा। दोनों अनुवादों में स्पष्ट है कि कौन अपराधी नहीं ठहराएगा। + +# तुम्हें भी क्षमा किया जायेगा + +यीशु ने स्पष्ट नहीं किया कि कौन क्षमा करेगा। इसके संभावित अर्थ हैं, (1) परमेश्वर क्षमा करेगा, (2) मनुष्य तुम्हें क्षमा करेंगे पहला अनुवाद स्पष्ट करता है कि कौन क्षमा करेगा। diff --git a/luk/06/38.md b/luk/06/38.md new file mode 100644 index 0000000..fc3b592 --- /dev/null +++ b/luk/06/38.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि दोष न लगाएं) + +# तुम्हें भी दिया जाएगा + +यहाँ भी यीशु स्पष्ट नहीं करता है कि कौन तुम्हें देगा। इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “कोई तुम्हें देगा”, या (2) “परमेश्वर तुम्हें देगा” इन दोनों अनुवादों में देने वाले स्पष्ट हैं। + +# दबा-दबा कर और हिला-हिलाकर + +“बहुत अधिक मात्रा में” + +# उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे + +इस वाक्य का क्रम बदला जा सकता है और कर्तृवाच्य रूप काम में लिया जा सकता है। “वे तुम्हारी गोद में इतना अधिक डालेंगे जो उन्होंने दबा-दबा कर और हिला-हिलाकर और उभरता हुआ डालेंगे”। यीशु ने अनाज भण्डार के एक व्यापारी की उदारता का रूपक काम में लिया है। इसका अनुवाद उपमा द्वारा भी किया जा सकता है, “एक अनाज के व्यापारी के सदृश्य जो अनाज को दबा-दबा कर और हिला-हिलाकर अधिक भरता है कि वह ऊपर से गिरने लगता है, वे तुम्हें बड़ी उदारता से देंगे। + +# उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जायेगा। + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वे तुम्हारे लिए भी इसी नाप से सब वस्तुएं नापेंगे” या “वे उसी मानक से तुम्हारे लिए भी वस्तुएं नापेंगे”। diff --git a/luk/06/39.md b/luk/06/39.md new file mode 100644 index 0000000..e8da206 --- /dev/null +++ b/luk/06/39.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि दोष न लगाएं) + +# क्या अन्धा अन्धे को मार्ग बता सकता है? + +यीशु इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा श्रोताओं को इस चिरपरिचित बात पर विचार करने के लिए उत्प्रेरित करता है। इसका अनुवाद हो सकता है, “अच्छा मनुष्य दूसरे अन्धे मनुष्य का पथ प्रदर्शन नहीं कर सकता है, कर सकता है क्या”? या “यह तो सब ही जानते हैं कि अन्धा अन्धे को रास्ता नहीं दिखा सकता है”। + +# (यदि वह ऐसा करे) + +कुछ भाषाओं के अनुवादक अधिक अच्छा समझते है कि इसका अनुवाद इस प्रकार करें, “यदि कोई करे”। + +# क्या दोनों गड्डे में नहीं गिरेंगे? + +यह एक और आलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद प्रकार किया जा सकता है, क्या वे दोनों खड्डे में नहीं गिरेंगे”? या "दोनों खड्ड में गिर जाएगे" (यू.डी.बी.) + +# चेला अपने गुरू से बड़ा नहीं होता + +इसका अर्थ हो सकता है (1) “शिष्य को अपने गुरू से अधिक ज्ञान नहीं होता” या (2) शिष्य के पास अपने गुरू से अधिक अधिकार नहीं होता है। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “शिष्य अपने गुरू से आगे नहीं निकल सकता है”। + +# परन्तु जो कोई सिद्ध होगा + +“हर एक शिष्य जो उचित प्रशिक्षण पा चुका है” इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में भी किया जा सकता है, “हर एक शिष्य जिसने अपने प्रशिक्षण में लक्ष्य प्राप्ति कर ली है” या “वह हर एक शिष्य जिसके गुरू ने उसे पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान कर दिया है”। diff --git a/luk/06/41.md b/luk/06/41.md new file mode 100644 index 0000000..496a5d1 --- /dev/null +++ b/luk/06/41.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि दोष न लगाएं) + +# क्यों देखता है + +यह मनुष्यों पर उंगली उठाने या उनका दोष देखने के संबन्ध में एक रूपक है। इसका अनुवाद एक उपमा द्वारा किया जा सकता है जैसे यू.डी.बी. “तुम उंगली क्यो उठाते हो .... जैसे कि .... + +# तिनके + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “कण” या “लेश” + +# भाई + +अर्थात यहूदी भाई या “यीशु में विश्वासी भाई” + +# लट्ठा + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “डंडा” या “फलक” diff --git a/luk/06/43.md b/luk/06/43.md new file mode 100644 index 0000000..1d09639 --- /dev/null +++ b/luk/06/43.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है कि दोष न लगाएं) + +# क्योंकि + +यह एक तथ्य दर्शाता है कि हमारा चरित्र तर्क रूप में प्रकट किया जाएगा कि हमें अपने भाई पर दोष क्यों नहीं लगाना है। + +# अच्छा पेड़ + +“पोषित वृक्ष” + +# निकम्मा + +"सड़ा गला", इसका अनुवाद हो सकता है, “बुरा” + +# प्रत्येक वृक्ष (अपने फल से) पहचाना जाता है। + +“उसकी पहचान” इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “मनुष्य वृक्ष को .... पहचानता है” या “मनुष्य .... वृक्ष को जान लेता है”। + +# अंजीर + +एक मीठा फल होता है। इस वृक्ष में कांटे नहीं होते हैं। + +# झाड़ियों + +“एक कंटीली झाड़ियां” + +# अंगूर + +लता में लगने वाले छोटे-छोटे फलों का गुच्छा। इसमें भी कांटे नहीं होते। + +# झड़बेरी + +कांटे वाली झाड़ी ये पद एक रूपक है जो मनुष्य के आचरण को व्यक्त करता है कि वे वास्तव में क्या है” (यदि आवश्यकता हो तो इसकी व्याख्या की जा सकती है, जैसी यू.डी.बी. के अन्तिम वाक्य में की गई है “उसी प्रकार” diff --git a/luk/06/45.md b/luk/06/45.md new file mode 100644 index 0000000..0f7d10b --- /dev/null +++ b/luk/06/45.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +ये पद एक रूपक है जो मनुष्य के विचारों की तुलना इस भण्डार (खजाने) से करता है जिसे मनुष्य छिपाकर सुरक्षित रखते हैं। + +# भला मनुष्य + +“एक सदाचारी मनुष्य”, यहाँ “भला” शब्द का अर्थ है, धार्मिक या नैतिक अच्छाई, “मनुष्य” अर्थ स्त्री/पुरूष। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सदाचारी मनुष्य” या “सदाचारी लोग”(यू.डी.बी) + +# मन के भले भण्डार से + +“उसके मन में जो अच्छाई है” या “उसकी सदाचार संबन्धित मान्यताएं” + +# निकालता है + +इसका अनुवाद रूपक रहित किया जा सकता है, “जीवन आचरण से” या “प्रकट करता है” या “दिखता है”(यू.डी.बी) + +# भली बातें + +“सदाचार की बातें” + +# मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है + +“इसके मन में जो है वही उसके मुंह से निकलता है” या “उसके मन में जो आचार संबन्धित मान्यताएं हैं वही उसके शब्दों को नियंत्रित करती है”। इसका अनुवाद “मन” और “मुंह” शब्दों के उपयोग के बिना भी किया जा सकता है। मनुष्य की बातें वही हैं जो उसके विचार हैं” या “उसके विचार उसके शब्दों पर प्रभाव डालते हैं”। diff --git a/luk/06/46.md b/luk/06/46.md new file mode 100644 index 0000000..3195be5 --- /dev/null +++ b/luk/06/46.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को आज्ञाकारिता के महत्त्व की शिक्षा दे रहा है) + +# वह उस मनुष्य के समान है जिसने घर बनाते समय + +यह रूपक दृढ़ नीव पर घर बनाने वाले मनुष्य की तुलना यीशु की शिक्षाओं का अनुसरण करने वाले मनुष्य से करता है। + +# नींव + +“आधार” या “अवलंब” + +# चट्टान + +यह भूमिगत एक बड़ी और दृढ़ चट्टान है। + +# चट्टान पर नींव डाली + +“घर की नींव डालने के लिए ऐसी गहरी खुदाई की कि” या “ठोस चट्टान पर घर बनाया” कुछ संस्कृतियों में चट्टान पर घर बनाने का विचार प्रचलित न हो। ऐसी परिस्थिति में अनुवाद अधिक सामान्य परिप्रेक्ष्य में किया जा सकता है, “घर की नींव ठोस भूमि में डाली”। + +# बाढ़ आई तो धारा + +“जल का प्रबल प्रवाह” या “नदी” + +# इस पर लगी + +“इससे टकराई” + +# क्योंकि वह पक्का बना था + +“क्योंकि उस मनुष्य ने उसे दृढ़ता से बनाया था” diff --git a/luk/06/49.md b/luk/06/49.md new file mode 100644 index 0000000..f9c34a7 --- /dev/null +++ b/luk/06/49.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को उसकी आज्ञाकारिता की शिक्षा दे रहा है) + +# उस मनुष्य के समान है जिसने .... घर बनाया + +* यह रूपक नींव रहित मकान बनाने वाले की तुलना यीशु की शिक्षा का अनुकरण नहीं करने वाले से करता है। + +# नींव + +“आधार” या “अवलंब” + +# बिना नींव + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने गहरी खुदाई करके नींव नहीं डाली” + +# बाढ़ आई तो धारा + +“जल का प्रबल प्रवाह” या “नदी” + +# इस पर लगी + +“इससे टकराई” + +# गिर पड़ा + +“टूट गया” या “बिखर गया” diff --git a/luk/07/01.md b/luk/07/01.md new file mode 100644 index 0000000..502f8d4 --- /dev/null +++ b/luk/07/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# लोगों से ये सारी बातें सुना चुका + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “श्रोताओं को” या "लोगो को" या “सुनने वाले लोगो को” diff --git a/luk/07/02.md b/luk/07/02.md new file mode 100644 index 0000000..c597a4e --- /dev/null +++ b/luk/07/02.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसका प्रिय था + +“जो उसके लिए मूल्यवान था” या “जिसे वह बहुत मानता था” + +# यीशु की चर्चा सुनाई + +“उसने यीशु के बारे में सुना तो ....” + +# आकर मेरे दास को चंगा कर + +“उसको मरने से बचा ले” या “कुछ कर कि वह न मरे” + +# इस योग्य है + +“वह शतपति इस योग्य है” + +# हमारी जाति + +“हमारे लोगों से” अर्थात यहूदियों से diff --git a/luk/07/06.md b/luk/07/06.md new file mode 100644 index 0000000..8e652a0 --- /dev/null +++ b/luk/07/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# दुख न उठा + +“मरे घर आने का कष्ट न कर” इसका अनुवाद ऐसे भी हो सकता है, “मैं तुझे कष्ट देना नहीं चाहता” वह शतपति यीशु से विनम्र निवेदन कर रहा था। + +# मेरी छत तले आए + +“मेरे घर में आए”, “छत तले आए” एक मुहावरा है। यदि आपकी भाषा में ऐसा कोई मुहावरा है तो यहाँ उसके उपयोग के औचित्य पर विचार करें। + +# वचन ही कह दे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बस आज्ञा दे”। वह शतपति समझता था कि यीशु कह कर ही उसके सेवक को बचा सकता है। + +# मेरा सेवक चंगा हो जायेगा। + +यहाँ जिस यूनानी शब्द का अनुवाद "सेवक" किया गया है उसका सामान्य अनुवाद “बालक” होता है। इसका अर्थ है कि वह सेवक या तो अल्पायु था या वह शतपति का अति प्रिय सेवक था। + +# दास (पद 8 ख) + +यहाँ दास के मूल यूनानी शब्द का अर्थ “सेवक” है, जो अधीनस्थ काम करने वाले के लिए एक विशिष्ट शब्द है। diff --git a/luk/07/09.md b/luk/07/09.md new file mode 100644 index 0000000..0805a80 --- /dev/null +++ b/luk/07/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं तुम से कहता हूँ + +यीशु यह कह कर अपनी आगे की आश्चर्यजनक बात पर बल दे रहा है। + +# मैंने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया + +कहने का अभिप्राय यह है कि यीशु को इस्त्राएलियों में ऐसे विश्वास की आशा थी परन्तु उनमें ऐसा विश्वास नहीं था। गैरयहूदियों से तो उसे विश्वास की आशा ही नहीं थी परन्तु इस मनुष्य में वह विश्वास था। आपको यह अभिप्रेत जानकारी देने की आवश्यकता होगी जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। + +# भेजे हुए लोगों ने + +“वे लोग जिनसे सूबेदार ने यीशु के पास जाकर निवेदन करने का आग्रह किया था”। diff --git a/luk/07/11.md b/luk/07/11.md new file mode 100644 index 0000000..96940c7 --- /dev/null +++ b/luk/07/11.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# (ऐसा हुआ कि) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# तो देखो, लोग एक मुरदे को + +“देखो” शब्द हमें सतर्क करता है कि कहानी में एक मृतक का उल्लेख किया जा रहा है। आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति हो सकती है। + +# नगर के फाटक + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “नगर के प्रवेश द्वार पर” + +# मां का एकलौता पुत्र + +“उस स्त्री का एक ही पुत्र” + +# विधवा + +उसका पति मर चुका था + +# तरस आया + +“उसके लिए उसे बहुत दुःख हुआ” + +# पास आकर + +कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद है, “आगे बढ़ कर” या “उस समूह के निकट आकर” + +# अर्थी + +यह एक प्रकार का चौखटा होता है जिस पर शव को रखकर कब्रिस्तान ले जाते थे, यह शव को दफन करने की वस्तु नहीं थी। + +# मैं तुझ से कहता हूँ + +यीशु अपने अधिकार को व्यक्त करने के लिए ऐसा कहा था। इसका अर्थ है, “सुन”। + +# मुरदा + +“वह मनुष्य जो मर चुका था”, वह अब मृतक न रहा, वह अब जीवित था। diff --git a/luk/07/16.md b/luk/07/16.md new file mode 100644 index 0000000..ba95608 --- /dev/null +++ b/luk/07/16.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# सब पर भय छा गया + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “सब भयातुर हो गए” या “सब भयभीत हो गए” + +# बड़ा भविष्यद्वक्ता + +वे यीशु के बारे में कह रहे थे न कि किसी अन्य भविष्यद्वक्ता के बारे में, अतः इसका अनुवाद होगा, “यह बड़ा भविष्यद्वक्ता” + +# उठा है + +“हमारे साथ रहने आया है” या “हम पर प्रकट हुआ है” या “हमने आज देखा है”। + +# कृपा दृष्टि की है + +हमारी सुधि ली है + +# यह बात + +"यह वचन" या “यह संदेश” या “यह समाचार” + +# फैल गई + +“पहुंच गई” या “प्रसारित हो गई” + +# उसके विषय में यह बात.... सारे देश में फैल गई + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “लोगों ने यीशु की इस बात को सबमें फैला दिया” या "लोगों ने सब लोगों में यीशु के इस काम की चर्चा की", "यह बात"अर्थात पद 16 में लोग यीशु के बारे में जो कह रहे थे। diff --git a/luk/07/18.md b/luk/07/18.md new file mode 100644 index 0000000..0a40a25 --- /dev/null +++ b/luk/07/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# समाचार दिया + +“यूहन्ना को सुनाया” + +# इन सब बातों का + +“यीशु के कामों का” + +# प्रभु के पास.... भेजा + +(यूहन्ना ने) उन्हें प्रभु के पास भेजा और उनसे कहा कि वे (प्रभु से) पूछें। + +# तेरे पास पूछने भेजा है कि क्या आनेवाला तू ही है? + +“(यूहन्ना) ने हमें तेरे पास भेजा है क्योंकि वह पूछता है, “क्या तू ही वह है जो आनेवाला है”? या “यूहन्ना ने हमें भेजा कि तुझसे पूछें 'क्या तू ही वह है जो आनेवाला है'”? (यू.डी.बी.) + +# किसी दूसरे की बाट देखें? + +“किसी दूसरे की प्रतीक्षा करें” या “किसी दूसरे के आने की आशा रखें” diff --git a/luk/07/21.md b/luk/07/21.md new file mode 100644 index 0000000..d6ba859 --- /dev/null +++ b/luk/07/21.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# दुष्टात्माओं से छुड़ाया + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने दुष्टात्माग्रस्त मनुष्यों को मुक्ति दिलाई” + +# “दी” + +“दिया” + +# कंगालो + +“गरीब लोगों को” + +# यूहन्ना से कह दो + +“यूहन्ना को बता दो” + +# धन्य है वह जो मेरे विषय में ठोकर न खाए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उस मनुष्य का कैसा सौभाग्य है जो मेरे कामों के कारण मुझमें विश्वास करने से टलता नहीं” + +# वह + +यह किसी मनुष्य विशेष के संदर्भ में नहीं है इसलिए इसका अनुवद होगा, “जो मनुष्य” या “जो कोई भी” या “जो भी” diff --git a/luk/07/24.md b/luk/07/24.md new file mode 100644 index 0000000..07f3506 --- /dev/null +++ b/luk/07/24.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के बारे में जनसमूह से कह रहा है) + +# तुम जंगल में क्या देखने गए थे? + +यीशु ने तीन आलंकारिक प्रश्न पूछे कि श्रोता यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के बारे में पूछें। इसका अनुवाद हो सकता है, “क्या तुम... देखने गए थे? कदापि नहीं”। या “तुम निश्चय ही देखने नहीं गए थे”। + +# हवा से हिलते हुए सरकण्डे को? + +इस रूपक का अनुवाद उपमा द्वारा भी किया जा सकता है, “हवा से हिलते हुए सरकण्डे सदृश्य मनुष्य को” इसकी दो संभावित व्याख्याएं हैं, (1) सरकण्डे हवा में आसानी से हिलते हैं, अतःऐसा मनुष्य जो आसानी से मनोदशा बदल लेते हैं, (2) हवा में सरकण्डे सरसराहट उत्पन्न करते हैं, अतः वह मनुष्य जो अधिक बातें करे परन्तु उसकी बातों का महत्त्वपूर्ण परिणाम न हो । + +# कोमल वस्त्र पहने हुए मनुष्य को + +“मूल्यवान वस्त्र धारण किए हुए मनुष्य को”, धनवान मनुष्य ऐसे वस्त्र पहनते हैं। + +# राजभवनों में + +राजभवन वह विशाल स्थान होता है जहाँ राजा रहता है। + +# परन्तु + +तो फिर क्या देखने गए थे? + +# मैं तुझ से कहता हूँ + +यीशु इस उक्ति द्वारा अपनी अगली बात के महत्त्व पर बल दे रहा है + +# भविष्यद्वक्ता से भी बड़े को + +“साधारण भविष्यद्वक्ता को नहीं” या “एक भविष्यद्वक्ता से भी कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण मनुष्य को”। diff --git a/luk/07/27.md b/luk/07/27.md new file mode 100644 index 0000000..6d72a73 --- /dev/null +++ b/luk/07/27.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह से यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के बारे में ही चर्चा कर रहा है) + +# यह वही है जिसके विषय में लिखा है + +“इसी भविष्यद्वक्ता के विषय में भविष्यद्वक्ताओं ने लिखा था” या “यूहन्ना ही के बारे में वर्षों पूर्व भविष्यद्वक्ताओं ने लिखा था” + +# देख + +उस पद में यीशु भविष्यद्वक्ता मलाकी का उद्धरण दे रहा है, और वह कह रहा है कि यूहन्ना ही वह व्यक्ति है, जिसके बारे में मलाकी ने भविष्यद्वाणी की थी। + +# तेरे आगे आगे + +“तुमसे पहले” या “तेरे आगे चलने के लिए” या “तेरे” एकवचन में है क्योंकि इस भविष्यद्वाणी में परमेश्वर मसीह के बारे में कह रहा है। + +# मैं तुझ से कहता हूँ + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा था इसलिए यहाँ “तुम” बहुवचन है। इस उक्ति के उपयोग द्वारा यीशु अपनी अगली बात के महत्त्व पर बल दे रहा था। + +# जो स्त्रियों से जन्मे हैं + +“जिन्हें कभी किसी स्त्री ने जन्म दिया” यह एक अलंकार है जो सब मनुष्यों के संदर्भ में है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जितने भी लोग इस दुनिया में आए है”, + +# यूहन्ना से बड़ा कोई नहीं + +इसका सकारात्मक अनुवाद किया जा सकता है, “यूहन्ना महानतम है”। + +# परमेश्वर के राज्य में छोटे से छोटा है + +यह उस मनुष्य के संदर्भ में है जो परमेश्वर द्वारा स्थापित राज्य का सदस्य है। इसका अनुवाद हो सकता है, “जो परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर चुका है। + +# उससे भी बड़ा है + +“यूहन्ना से भी बड़े आत्मिक स्तर पर” diff --git a/luk/07/29.md b/luk/07/29.md new file mode 100644 index 0000000..509fc9a --- /dev/null +++ b/luk/07/29.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(इस पुस्तक का लेखक लूका यूहन्ना और यीशु के प्रति मनुष्यों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी कर रहा है।) + +# परमेश्वर को सच्चा मान लिया था। + +“उन्होंने कहा कि परमेश्वर ने स्वयं को धर्मी सिद्ध कर दिया है” या “उन्होंने घोषणा की कि परमेश्वर ने अपनी धार्मिकता प्रकट की है” + +# यूहन्ना का बपतिस्मा ले कर + +“जिन्हें यूहन्ना ने बपतिस्मा दिया था” या “जिनका बपतिस्मा यूहन्ना के हाथों हुआ था” + +# बपतिस्मा न लेकर + +“जिन्हें यूहन्ना ने बपतिस्मा नहीं दिया था” या “जिन्होंने यूहन्ना से बपतिस्मा लेना स्वीकार नहीं किया था” या “जिन्होंने यूहन्ना के बपतिस्मे को तुच्छ जाना था” + +# परमेश्वर के अभिप्राय को + +“उनके लिए परमेश्वर के उद्देश्य को” या “उनके लिए परमेश्वर की योजना को” या “उनके लिए परमेश्वर की इच्छा को” + +# परमेश्वर के अभिप्राय को अपने विषय में टाल दिया + +“परमेश्वर की अवज्ञा की” या “परमेश्वर की इच्छा पर विश्वास न करने की ठानी” + +# उससे बपतिस्मा न लेकर परमेश्वर के अभिप्राय को अपने विषय में टाल दिया। + +इसका सलंग्न अर्थ हो सकता है, क्योंकि उन्होंने यूहन्ना के बपतिस्में को तुच्छ समझा था, वे अपने लिए परमेश्वर की इच्छा को स्वीकार करने के लिए आत्मिक परिप्रेक्ष्य में तैयार नहीं थे। diff --git a/luk/07/31.md b/luk/07/31.md new file mode 100644 index 0000000..eeb6788 --- /dev/null +++ b/luk/07/31.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु उन लोगों के बारे कह रहा है जिन्होंने उसे और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को परित्याग किया है) + +# इस युग के लोगों की उपमा किससे दूं + +यह आलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु यह प्रश्न पूछ कर तुलना कर रहा था जिसका उल्लेख वह अगले पद में करेगा। इस संपूर्ण प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार प्रकट किया जा सकता है, “मैं इस पीढ़ी की तुलना करते हुए कहता हूँ कि वे उन बालकों के जैसे हैं....” + +# इस युग के लोगों + +“आज के लोग” या “ये लोग” या “तुम जो इस पीढ़ी के हो”। + +# वे उन बालकों के समान हैं + +यह यीशु की तुलना का आरंभ है। यह एक उपमा है । यीशु कह रहा था कि उसकी पीढ़ी के लोग उन बालकों के सदृश्य हैं जो अन्य बालकों के खेल से सन्तुष्ट नहीं थे। + +# बाजार + +यह एक खुला मैदान होता या जहाँ व्यापारी अपना सामान बैचने आते थे। + +# बांसुरी + +यह एक लम्बा खोखला संगीत वाद्य़ है जिसमें एक सिरे से हवा फूंक कर बजाया जाता था। + +# पर तुम न नाचे + +“तुमने संगीत पर नृत्य नहीं किया” + +# और तुम न रोए + +“तुम हमारे साथ दुखी नहीं हुए” diff --git a/luk/07/33.md b/luk/07/33.md new file mode 100644 index 0000000..2795221 --- /dev/null +++ b/luk/07/33.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है। वह समझा रहा है कि उसने उनकी तुलना इन बालकों से क्यों की) + +# तुम कहते हो, उसमें दुष्टात्मा है + +यीशु लोगों की बातों का उद्धरण दे रहा है कि वे यूहन्ना के लिए ऐसा कहते थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम कहते हो कि उसमें दुष्टात्मा है,” या “तुम उसे दुष्टात्मा ग्रस्त होने का दोष देते हो”। + +# न रोटी खाता आया + +“खाना नहीं खाता था” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह अधिकतर उपवास रखता था” इसका अर्थ यह नहीं कि यूहन्ना खाना ही नहीं खाता था। + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु चाहता था कि उसके श्रोता जानें कि वह मनुष्य का पुत्र है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं, मनुष्य का पुत्र”। + +# तुम कहते हो, देखो, पेटू.... + +यीशु अपने मनुष्य के पुत्र के बारे में मनुष्यों की राय व्यक्त कर रहा है, इसका अनुवाद बिना उद्धरण चिन्ह के किया जा सकता है। “तुम कहते हो कि वह पेटू है” या “तुम उसे बहुत खाने का दोष देते हो”। यदि आप “मनुष्य के पुत्र” का “मैं, मनुष्य का पुत्र” लिखते हैं तो अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम कहते हो कि मैं पेटू हूँ” + +# देखो पेटू, + +“वह खाने का लोभी है”, या “उसे बहुत खाने की आदत है”। + +# पियक्कड़ मनुष्य + +“मद्यव्यसनी” या “पीने का आदि” + +# ज्ञान अपनी सब सन्तानों द्वारा सच्चा ठहराया गया है। + +यह संभवतः एक लोकोक्ति है जिसे यीशु इस परिस्थिति में प्रासंगिक बना रहा था, क्योंकि उसका और यूहन्ना का परित्याग करने वाले बुद्धिमान नहीं थे। diff --git a/luk/07/36.md b/luk/07/36.md new file mode 100644 index 0000000..ac18fc1 --- /dev/null +++ b/luk/07/36.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# किसी फरीसी ने + +यह एक नया वृत्तान्त का आरंभ है + +# भोजन करने बैठा + +“भोजन के लिए तख्त पर आधा लेटा” उनकी प्रथा में आराम से आधा लेट कर भोजन किया जाता था। + +# पापिनी स्त्री + +“जिसकी जीवनशैली पाप की थी” या “जिसकी छवि थी कि वह पापी है”। अति संभव है कि वह एक वैश्या थी। + +# यह जानकर + +यह एक लम्बा वाक्य है, कुछ भाषाओं में अधिक स्वभाविक होगा कि इसके छोटे-छोटे वाक्य बनाए जाएं। जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। + +# संगमरमर के पात्र में + +“मुलायम पत्थर का पात्र” संगमरमर एक मुलायम सफेद चट्टान होती है जिसमें सुराही आदि जैसे बर्तन बनते थे और लोग उनमें बहुमूल्य पदार्थ रखते थे। + +# इत्र + +“उसके सुगन्धित द्रव्य” इत्र एक तेल होता है जिसकी सुगन्ध मनमोहक होती हे। लोग उसे अपने शरीर पर या वस्त्रों में लगाते थे कि उनके आसपास अच्छी सुंगन्ध व्याप्त हो। + +# सिर के बालों से + +“अपने केश से” diff --git a/luk/07/39.md b/luk/07/39.md new file mode 100644 index 0000000..a62f32f --- /dev/null +++ b/luk/07/39.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अपने मन में सोचने लगा + +“अपने मन में कहा” + +# यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान जाता + +उस फरीसी ने सोचा कि यीशु भविष्यद्वक्ता नहीं है क्योंकि वह उस पापी स्त्री को स्पर्श करने दे रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “स्पष्ट है कि यीशु भविष्यद्वक्ता नहीं है यदि होता तो इस स्त्री को पहचान लेता”। + +# शमौन + +यह इस फरीसी का नाम है जिसने यीशु को भोजन के लिए अपने घर में आमंत्रित किया था। वह शमौन पतरस नहीं था। diff --git a/luk/07/41.md b/luk/07/41.md new file mode 100644 index 0000000..9496a79 --- /dev/null +++ b/luk/07/41.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु ने शमौन फरीसी को क्षमा प्राप्त मनुष्यों की एक कहानी सुनाई।) + +# किसी महाजन के दो देनदार थे। + +"एक महाजन के दो ऋणी थे" + +# पांच सौ दीनार + +“पांच सौ दिन की मजदूरी” अर्थात एक "दीनार" प्रति दिन + +# पचास दीनार + +"पचास दिन की मजदूरी" + +# पटाने को कुछ न रहा + +“ऋण चुकाने के लिए कुछ न था” + +# उसने दोनों को क्षमा कर दिया। + +उसने उनके ऋण क्षमा कर दिए। + +# मेरी समझ में + +शमौन ने बड़ी सावधानी से उत्तर दिया था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “संभवतः ....” + +# तूने ठीक विचार किया है + +“तू सही कहता है” diff --git a/luk/07/44.md b/luk/07/44.md new file mode 100644 index 0000000..0d4080a --- /dev/null +++ b/luk/07/44.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उस स्त्री की ओर फिर कर + +“उस स्त्री को देखकर”, उसकी ओर देखकर यीशु ने शमौन का ध्यान उसकी ओर आकर्षित किया। + +# मेरे पांव धोने के लिए पानी .... आंसुओं से भिगोए + +अतिथि के लिए शिष्टाचार व्यक्त करने की कुछ मुख्य विधियां थी। (यीशु शमौन में शिष्टाचार की कमी की तुलना उस स्त्री की आभार व्यक्ति से कर रहा है।) + +# उसने मेरे पांवों को चूमना न छोड़ा + +इसका सकारात्मक अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह मेरे पांवों को लगातार चूम रही है” diff --git a/luk/07/46.md b/luk/07/46.md new file mode 100644 index 0000000..96da18d --- /dev/null +++ b/luk/07/46.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु शमौन ही से बातें कर रहा है) + +# मेरे सिर पर तेल नहीं मला + +“मेरे सिर में तेल नहीं डाला” यह माननीय अतिथि के स्वागत की रीति थी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरे सिर पर तेल मल कर मेरा स्वागत नहीं किया” + +# मेरे पांवों पर इत्र मला + +यद्यपि यह एक आम अभ्यास नहीं था, उस स्त्री ने ऐसा करके यीशु को अति सम्मानित किया। + +# इसके पाप जो बहुत थे क्षमा हुए + +उसका अनुवाद भी कर्तृवाच्य रूप में किया जा सकता है। “जिसने अधिक क्षमादान प्राप्त किया”, या “परमेश्वर ने उसके अधिक पाप क्षमा किया है”। + +# बहुत प्रेम किया + +“इसे क्षमा करनेवाले से अधिक प्रेम किया है” या “परमेश्वर से अधिक प्रेम किया है”। कुछ भाषाओं में आवश्यकता होती है कि जिससे प्रेम किया गया उसका उल्लेख किया जाए। + +# जिसका थोड़ा क्षमा किया गया + +“जिसे कम क्षमादान प्राप्त है” या “जिसे कम पाप क्षमा हुए”, इस वाक्य में यीशु एक सामान्य सिद्धान्त व्यक्त करता है। तथापि शमौन को समझ जाना था कि उसने यीशु से कम प्रेम किया। diff --git a/luk/07/48.md b/luk/07/48.md new file mode 100644 index 0000000..d5d65fb --- /dev/null +++ b/luk/07/48.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तेरे पाप क्षमा हुए। + +“तू क्षमा की गई है” इसे भी कर्तृवाच्य रूप में अनुवाद किया जा सकता है, “मैं तेरे पाप क्षमा करता हूँ”। + +# तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है + +“तेरे विश्वास से तुझे उद्धार हुआ है”, विश्वास को विचार को क्रिया रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है, “क्योंकि तू विश्वास करती है, इसलिए तू उद्धार पाती है”। + +# कुशल से चली जा + +यह अलविदा करने का एक रूप है जिसमें आशीर्वाद भी है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जा और चिन्ता मत कर”, या “जा परमेश्वर तुझे शांति दे”।(यू.डी.बी) diff --git a/luk/08/01.md b/luk/08/01.md new file mode 100644 index 0000000..db9b6c9 --- /dev/null +++ b/luk/08/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# (और ऐसा हुआ) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# जो दुष्टात्मा से और बीमारियों से छुड़ाई गई थी। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य रूप में किया जा सकता है, “जिन्हें यीशु ने प्रेत मुक्ति और रोग मुक्ति दिलाई थी। + +# मरियम.... और .... बहुत सी अन्य स्त्रियां + +तीन स्त्रियों के नामों का उल्लेख किया गया है, मरियम, योअन्ना और सूसन्नाह। + +# हेरोदेस के भण्डारी खुज़ा की पत्नी योअन्ना + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “यूहन्ना जो हेरोदेस के प्रबन्धक खुज़ा की पत्नी थी।" यूअन्ना खुजा की पत्नी थी और खुजा हेरोदेस का प्रबन्धक था। diff --git a/luk/08/04.md b/luk/08/04.md new file mode 100644 index 0000000..7255b86 --- /dev/null +++ b/luk/08/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# एक बोने वाला बीज बोने निकला + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “एक किसान खेत में बीज डालने निकला” + +# मार्ग के किनारे + +“मार्ग पर” या “पगडंडी पर” मनुष्यों के आवागमन के कारण वह भूमि कठोर हो गई थी। + +# रौंदा गया + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पांवों तले दबते रहने के कारण उग नहीं पाए” या कतृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी में है । + +# पक्षियों ने उसे चुग लिया + +“पक्षी उसे खा गए” + +# सूख गया + +“पौधे सूख कर मर गए” + +# तरी न मिलने से + +इसका अनुवाद हो सकता है, “भूमि सूखी होने के कारण” diff --git a/luk/08/07.md b/luk/08/07.md new file mode 100644 index 0000000..5d2ae9c --- /dev/null +++ b/luk/08/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# झाड़ियों ने .... उसे दबा लिया + +झाड़ियों ने खाद, पानी और सूर्य का प्रकाश लेकर उन्हें बढ़ने नहीं दिया” + +# उगकर + +“फसल लाया” या “कई गुणा बीज लाया” + +# जिसके पास सुनने के लिए कान हों वह सुन ले + +कुछ भाषाओं में द्वितीय पुरूष काम में लेना अधिक स्वाभाविक होता है। + +# जिसके सुनने के कान हों + +“जो सुन रहा है” या “जो मेरी वाणी सुनता है” + +# वह सुन ले + +"वह ध्यान से सुन ले" या "वह मेरी बात पर ध्यान दे"। diff --git a/luk/08/09.md b/luk/08/09.md new file mode 100644 index 0000000..e03781b --- /dev/null +++ b/luk/08/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुमको ...समझ दी गई है। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य रूप में तथा अभिप्रेत जानकारी के साथ किया जा सकता है, “परमेश्वर ने तुम्हें समझने का वरदान दिया है” या “परमेश्वर ने तुम्हें समझने की क्षमता दी है”।(देखें: और ) + +# परमेश्वर के राज्य के भेदों + +ये सत्य छिपे हुए थे परन्तु यीशु ने उन्हें प्रकट किया है। + +# वे देखते हुए भी न देखें + +“यद्यपि वे देखते है, वे अंतर्ग्रहण नहीं कर पायंगे, यदि क्रिया को कर्म की आवश्यकता है तो उसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यद्यपि वे सब बातों को देखते हैं उन्हें समझेंगे नहीं” या “यद्यपि वे घटनाओं को देखेंगे, वे उनका अर्थ नहीं समझेंगे।”(देखें: the section about ) + +# सुनते हुए भी न समझें + +“यद्यपि वे सुनते हैं, वे समझेंगे नहीं, “यदि क्रिया को कर्म की आवश्यकता है तो इसकी रचना इस प्रकार की जाएगी, “यद्यपि वे निर्देशनों को सुनते हैं, वे सत्य को अंतर्ग्रहण नहीं कर पायेंगे”। diff --git a/luk/08/11.md b/luk/08/11.md new file mode 100644 index 0000000..2a07a75 --- /dev/null +++ b/luk/08/11.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों ही से बातें कर रहा है। वह उन्हें इस शिक्षाप्रद कथा का अर्थ समझा रहा है) + +# शैतान आकर उनके मन में से वचन उठा ले जाता है। + +अर्थात उन्होंने परमेश्वर का वचन सुना परन्तु शैतान ने उनसे वह भुला दिया। + +# “उठा ले जाता है” + +कथा में पक्षी द्वारा बीज चुगना एक रूपक है। अपनी भाषा में उन शब्दों का उपयोग करे जो इस रूपक को बनाए रखे। + +# कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करके उद्धार पाएं + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है। “वे विश्वास करें और परमेश्वर उनका उद्धार करे। क्योंकि यह शैतान की युक्ति है। इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “क्योंकि शैतान सोचता है, वे विश्वास न करें और उद्धार से वंचित हो जाएं”। + +# परीक्षा के समय बहक जाते हैं + +“कठिनाइयों के समय वे विश्वास से विमुख हो जाते हैं” या “कठिनाइयां आने पर वे विश्वास करना छोड़ देते हैं।” diff --git a/luk/08/14.md b/luk/08/14.md new file mode 100644 index 0000000..e2b91c5 --- /dev/null +++ b/luk/08/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु इस शिक्षाप्रद कथा का ही अर्थ समझा रहा है) + +# चिन्ता... में फंस जाते हैं + +“इस जीवन की चिन्ता, घर का लालच और सुखभोग उनके विश्वास को कुंठित कर देता है” या “जिस प्रकार झाड़ियां अच्छे पौधे को बढ़ने नहीं देती, उसी प्रकार चिन्ताए, धन, लोलुपता और विलासिता की चाह इन मनुष्यों को विश्वास में परिपक्व नहीं होने देते”। + +# चिन्ता + +“जिन बातों के लिए मनुष्य परेशान होता है,” + +# जीवन के सुखविलास + +“जीवन में मनुष्यों के सुख-भोग की बातें” + +# उनका फल नहीं पकता + +“वे पक्का फल नहीं लाते”, इस रूपक का अनुवाद उपमा द्वारा भी किया जा सकता है, “जैसे एक दृश्य परिपक्व होकर फल नहीं लाता, वे भी परिपक्व होकर भले काम नहीं करते”। + +# धीरज से फल लाते हैं + +“धीरज से फल लाते हैं”, इस रूपक का अनुवाद उपमा के उपयोग से भी किया जा सकता है, “ऐसे फल लाते हें जैसे एक अच्छा वृक्ष अच्छे फल लाता है, वे यत्न करके भले काम करते हैं” diff --git a/luk/08/16.md b/luk/08/16.md new file mode 100644 index 0000000..d8a49d4 --- /dev/null +++ b/luk/08/16.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को समझा रहा है) + +# दीया + +यह एक छोटी कटोरी होती थी जिसमें वे जैतून का तेल डाल कर उनमें बत्ती लगाकर जलाते थे। + +# दीवट + +“मेज” या “ताक” + +# कुछ छिपा नहीं जो प्रकट न हो + +इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में भी किया जा सकता है, “छिपी हुई हर एक बात प्रकट की जाएगी” + +# न कुछ गुप्त है जो जाना न जाए और प्रकट न हो + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “हर एक गुप्त बात जान ली जाएगी वरन प्रकाश में आएगी”। + +# किस रीति से सुनते हो + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम मेरी बातों को किस प्रकार सुनते हो” या “तुम परमेश्वर के वचन को कैसे सुनते हो”। + +# जिसके पास है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिसमें समझ है” या “जो मेरी शिक्षाओं को ग्रहण करता है”। + +# उसे दिया जाएगा + +“उसे और अधिक दिया जाएगा”,इसका अनुवाद कतृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “परमेश्वर उसे और अधिक देगा”। + +# जिसके पास नहीं है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिसमें समझ नहीं है” या “जो मेरी शिक्षा को ग्रहण नहीं करता है”। diff --git a/luk/08/19.md b/luk/08/19.md new file mode 100644 index 0000000..6a0dff0 --- /dev/null +++ b/luk/08/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसके भाई + +यीशु के अपने छोटे भाई + +# उससे कहा गया + +“लोगों ने उससे कहा”, या “किसी ने उससे कहा” + +# तुम से मिलना चाहते है + +“तुझसे भेंट करने की प्रतीक्षा में हैं”, या “वे तुझसे मिलना चाहते हैं” + +# मेरी माता और मेरे भाई ये ही हैं जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं। + +इस रूपक को उपमा देकर अनुवाद किया जा सकता है, “परमेश्वर का वचन सुनकर उसका पालन करनेवाले मेरे लिए माता और भाई स्वरूप हैं”। या “जो परमेश्वर के वचन को सुनकर उसका पालन करते वे मेरे लिए माता और भाई का स्थान रखते हैं”। diff --git a/luk/08/22.md b/luk/08/22.md new file mode 100644 index 0000000..de2e428 --- /dev/null +++ b/luk/08/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तो ऐसा हुआ + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# नाव चल रही थी + +“जब वे नाव में जा रहे थे” + +# वह सो गया + +“उसे नींद आ गई” + +# आंधी आई + +“अकस्मात की प्रचण्ड आंधी चलने लगी” diff --git a/luk/08/24.md b/luk/08/24.md new file mode 100644 index 0000000..4db5bc0 --- /dev/null +++ b/luk/08/24.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# स्वामी + +यहाँ "स्वामी" का अर्थ मूल भाषा यूनानी में मालिक नहीं है। इसका अर्थ है अधिकार संपन्न मनुष्य, न कि किसी का अधिकृत मालिक। आप इसका अनुवाद इस प्रकार भी कर सकते है, “साहब” या "अधिकर्मी" या किसी अधिकारी के लिए काम में लिया जानेवाला शब्द जैसे “श्रीमान जी” + +# डांटा + +“कठोरता से कहा” + +# थम गए + +“आंधी और विचलित पानी शान्त हो गए”। + +# तुम्हारा विश्वास कहां था? + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है, “यीशु उनकी मृदु ताड़ना कर रहा था क्योंकि उनमे विश्वास नहीं था कि वे उसके साथ सुरक्षित है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तुम्हें विश्वास करना था” या “तुम्हें मुझ पर तो विश्वास होना था” + +# यह कौन है? + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह कैसा मनुष्य है”? + +# जो आंधी और पानी को भी आज्ञा देता है! + +यह एक नये वाक्य का आरंभ हो सकता है, “यह आज्ञा देता है......” diff --git a/luk/08/26.md b/luk/08/26.md new file mode 100644 index 0000000..c79fac2 --- /dev/null +++ b/luk/08/26.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# गिरासेनियों के देश में + +गिरासेनी गिरासा नगर के निवासी थे + +# गलील के सामने + +“झील के पार गलील को देखता हुआ” + +# इस नगर का एक मनुष्य + +"गिरासा नगर का एक व्यक्ति" + +# जिसमें दुष्टातमाएं थी + +“वह दुष्टात्माओं के वश में था” + +# न कपड़े पहनता था + +“वह कपड़े नहीं पहनता था” + +# कब्रों + +जहाँ वे अपने मृतक रखते थे। संभवतः गुफाएं। वह उनमें रहता था, तो इससे प्रकट होता है कि वे कब्र भूमिगत नहीं थी। diff --git a/luk/08/28.md b/luk/08/28.md new file mode 100644 index 0000000..793fe1d --- /dev/null +++ b/luk/08/28.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# वह यीशु को देख कर + +"जब उस दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य ने यीशु को देखा।" + +# चिल्लाया + +“उसने ऊंची आवाज में कहा” या “चिल्लाया” + +# गिरकर + +“भूमि पर लेट गया” वह ठोकर खाकर नहीं गिरा था अपितु डर के कारण भूमि पर लेट गया था। + +# ऊंचे शब्द से कहा + +"ऊंचे स्वर में बोला" या “पुकार कर कहा” + +# मुझे तुमसे क्या काम + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तू मुझे कष्ट क्यों देता है”? + +# उस पर बार-बार प्रबल होती थी + +“वह उस व्यक्ति को वशीभूत करती थी” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह उसे दबाती रहती थी” यह वाक्य और अगला वाक्य स्पष्ट करते हैं कि यीशु के साक्षात्कार से पूर्व उन दुष्टात्माओं ने उस मनुष्य के माध्यम से क्या-क्या किया था। + +# लोग उसे सांकलों और बेड़ियों से बान्धते थे + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “यद्यपि लोग उसे वश में करने के लिए जज़ीरों से बान्धते थे” diff --git a/luk/08/30.md b/luk/08/30.md new file mode 100644 index 0000000..84ad2f4 --- /dev/null +++ b/luk/08/30.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सेना + +“इस शब्द का अनुवाद एक ऐसे शब्द से किया जाए जिसका अर्थ हो, बहुत संख्या में सैनिक या मनुष्य। इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, “सैन्य दल” या “टोली” + +# अथाह गड़हे में जाने की आज्ञा न दे। + +“उस व्यक्ति से निकल कर नरक में जाने की आज्ञा न दे”। diff --git a/luk/08/32.md b/luk/08/32.md new file mode 100644 index 0000000..efda27a --- /dev/null +++ b/luk/08/32.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वहां पहाड़ पर सुअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था + +“वहीं पास में पहाड़ पर बहुत से सुअर चर रहे थे” + +# झपटकर + +“तेजी से दौड़कर” diff --git a/luk/08/34.md b/luk/08/34.md new file mode 100644 index 0000000..0a2e737 --- /dev/null +++ b/luk/08/34.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# भागे + +“उन्होंने अतिशीघ्र जाकर” + +# जिस मनुष्य से दुष्टात्माएं निकली थी ..... सचेत बैठे हुए पाकर + +“जिस व्यक्ति से दुष्टात्माएं निकली थी उसे देखा + +# कपड़े पहने + +“वह कपड़े पहने हुए था” + +# सचेत + +“वह उचित मानसिक अवस्था में था” या “उसका व्यवहार सामान्य था” + +# यीशु के पावों के पास + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “भूमि पर बैठा यीशु की बातें सुन रहा था”। + +# डर मत + +“वे यीशु से डर गए” diff --git a/luk/08/36.md b/luk/08/36.md new file mode 100644 index 0000000..1e68cfb --- /dev/null +++ b/luk/08/36.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# देखनेवालों ने उनको बताया + +ये वे लोग थे जो उस मनुष्य की प्रेत मुक्ति के समय वहां थे। + +# अच्छा हुआ + +“बचाया गया” या “मुक्त किया गया” या “स्वस्थ किया गया” + +# गिरासेनियों के देश में + +“उस क्षेत्र के” या “गिरासेनियों के क्षेत्र के” + +# बड़ा भय छा गया + +“भयभीत हो गए” diff --git a/luk/08/38.md b/luk/08/38.md new file mode 100644 index 0000000..b0fcb38 --- /dev/null +++ b/luk/08/38.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जिस मनुष्य में से दुष्टात्माएं निकाली गई थी + +कुछ अनुवादक इस वाक्य का आरंभ इस प्रकार करना चाहते हैं, “यीशु और उसके शिष्यों के प्रस्थान से पूर्व, उस मनुष्य ने” या “यीशु और उसके शिष्यों के नाव में सवार होने से पूर्व” + +# उसे विदा करके + +“यीशु ने उसे घर भेज दिया” + +# अपने घर + +“अपने परिवार में” या “अपने कुटुम्ब में” diff --git a/luk/08/40.md b/luk/08/40.md new file mode 100644 index 0000000..1efa08c --- /dev/null +++ b/luk/08/40.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# लोग उससे आनन्द के साथ मिले + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जनसमूह ने बड़े आनन्द से उसका स्वागत किया” + +# इतने में याईर नामक एक मनुष्य + +“इतने में” कहानी में एक नये नायक, याईर की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है। आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति हो सकती है। + +# आराधनालय का सरदार था + +“स्थानीय आराधनालय का अगुआ” या “वहां के आराधनालय के सदस्यों का अगुआ” + +# यीशु के पावों पर गिर के + +(1) यीशु को दण्डवत किया” या (2) यीशु के चरणों में लेट गया” वह ठोकर खाकर नहीं गिरा था। उसने दीनता और श्रद्धा के साथ ऐसा किया था। + +# वह मरने पर थी। + +“वह मरनेवाली थी” या “वह मृत्यु के मुंह में थी” + +# जब वह जा रहा था + +कुछ अनुवादों में आवश्यक होगा कि पहले कहा जाए, “यीशु उसके साथ जाने के लिए तैयार हो गया” + +# लोग उस पर गिरे पड़ते थे + +"लोग यीशु को छूते हुए चल रहे थे" diff --git a/luk/08/43.md b/luk/08/43.md new file mode 100644 index 0000000..b42f2f9 --- /dev/null +++ b/luk/08/43.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यह घटना उस समय की है जब यीशु याईर की पुत्री को रोग-मुक्त करने जा रहा था)। + +# लहू बहने का रोग + +“रक्त बहता था” संभवतः लगातार रजोधर्म का स्राव। कुछ संस्कृतियों में इसके लिए मृदुभाषी शब्द होगा। + +# किसी के हाथ से चंगी ना हो सकी। + +“कोई उसका सफल उपचार नहीं कर पाया” + +# उसके वस्त्र के आंचल को छुआ + +“उसके चोगे के सिरे को छू लिया” यहूदी पुरूष अपने चोगे के सिरे पर झालन लगवाते थे जो उनके सांस्कारिक वस्त्र के द्योतक थे। यह परमेश्वर की ओर से आदेशित था। अति संभव है कि उसने वह झालन छू लिया था। diff --git a/luk/08/45.md b/luk/08/45.md new file mode 100644 index 0000000..5bd4ce7 --- /dev/null +++ b/luk/08/45.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु याईर की पुत्री के रोगहरण हेतु जा रहा था) + +# स्वामी + +यहाँ स्वामी का मूल शब्द है उसका अर्थ दास का स्वामी नहीं है। यह एक अधिकार संपन्न मनुष्य के लिए काम में लिया जाता था न कि किसी दास के मालिक के लिए। आप इसका अनुवाद इस प्रकार कर सकते हैं, “प्रधान जी” या “श्रीमान जी” + +# तुझे तो भीड़ दबा रही है और तुझ पर गिरी पडती है। + +पतरस के कहने का अर्थ है कि सब तो उसका स्पर्श कर रहे हैं। यह निहितार्थ आवश्यकता के अनुसार व्यक्त किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। + +# मुझमें से सामर्थ्य निकली है + +“मुझे अपने में से रोगहरण सामर्थ्य का प्रवाह होता प्रतीत हुआ है, “इसका अर्थ यह नहीं कि यीशु सामर्थ्य में कम या दुर्बल हुआ था। उसके सामर्थ्य से वह स्त्री रोग-मुक्त हो गयी थी। diff --git a/luk/08/47.md b/luk/08/47.md new file mode 100644 index 0000000..d4d0bea --- /dev/null +++ b/luk/08/47.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु याईर की पुत्री के रोगहरण हेतु जा रहा है) + +# उस स्त्री ने देखा कि मैं छिप नहीं सकती + +“उसने देखा कि उसके द्वारा यीशु को स्पर्श करना छिपा नहीं रह सकता” + +# सब लोगों के सामने + +“सबके समक्ष” या “सब के सुनते हुए” या “सबकी उपस्थिति में” + +# पावों पर गिरकर + +इसके संभावित अर्थ हें, (1) “यीशु को दण्डवत करके या (2) “वह यीशु के चरणों में नतमस्तक हुई” यहाँ गिरने का अर्थ ठोकर खाकर गिरना नहीं है। यह दीनता और श्रद्धा का चिन्ह है। + +# पुत्री + +यह किसी स्त्री को संबोधित करने का एक दया का शब्द था। आपकी भाषा में इस प्रकार के दयापूर्ण शब्द का पयार्यवाची शब्द हो सकता है। + +# तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है + +“यह तेरा विश्वास है जिसने रोग को हर लिया है” यहाँ विश्वास का अनुवाद क्रिया रूप में किया जा सकता है, “क्योंकि तू विश्वास करती है इसलिए तू निरोग हो गई है”। + +# कुशल से चली जा + +यह एक प्रकार से आशिषों के साथ विदा करना है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “निश्चिन्त होकर जा” या “जा परमेश्वर तुझे शान्ति दे”(यू.डी.बी)। diff --git a/luk/08/49.md b/luk/08/49.md new file mode 100644 index 0000000..abc80a5 --- /dev/null +++ b/luk/08/49.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु ने उस स्त्री को विदा किया ही था कि याईर के घर से एक सन्देशवाहक आया) + +# वह यह कह ही रहा था + +“यीशु उस स्त्री से अन्तिम वचन कह ही रहा था” + +# आराधनालय के सरदार + +अर्थात याईर के। वह स्थानीय आराधनालय के अगुवों में से एक था। + +# उसे उत्तर दिया + +यीशु ने याईर से कहा- यीशु सन्देशवाहक से नहीं आराधनालय के अगुवे से कह रहा था। + +# वह बच जाएगी + +“वह स्वस्थ होगी” “वह जिएगी”(यू.डी.बी) diff --git a/luk/08/51.md b/luk/08/51.md new file mode 100644 index 0000000..31e0da2 --- /dev/null +++ b/luk/08/51.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(उसकी पुत्री के मरने का समाचार सुनकर भी यीशु उसके घर जा रहा है) + +# घर में आकर + +यीशु के साथ अन्य लोग भी थे, अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब वे उसके घर पहुंचे तब यीशु .......” + +# पतरस, यूहन्ना, याकूब और लड़की के माता-पिता को छोड़कर + +“उसने केवल पतरस, यूहन्ना और याकूब तथा उस मृतक लड़की के माता पिता को भीतर आने दिया”। + +# सब उसके लिए रो-पीट रहे थे + +“सब लोग उस बालिका की मृत्यु पर दुःख मना रहे थे” diff --git a/luk/08/54.md b/luk/08/54.md new file mode 100644 index 0000000..a72f6e5 --- /dev/null +++ b/luk/08/54.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# हे लड़की, उठ। + +“हे बालिका उठ” + +# उसके प्राण लौट आए + +“प्राण” का अनुवाद “सांसें” या “जीवन” भी किया जा सकता है। इस वाक्याँश का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह जीवित हो गई” या “उसमें जान आ गई” diff --git a/luk/09/01.md b/luk/09/01.md new file mode 100644 index 0000000..bb739a7 --- /dev/null +++ b/luk/09/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# बारहों + +बारहों - उसके बारह शिष्य जिन्हें उसने चुनकर अलग कर लिया था कि वे उसके प्रेरित हों। + +# सामर्थ्य और अधिकार + +सामर्थ्य और अधिकार - इन दोनों शब्दों का उपयोग एक साथ इसलिए किया गया है कि उन बारहों को मनुष्यों के रोग हरण की क्षमता एवं अधिकार दिया गया था। इस वाक्यांश का अनुवाद इन दोनों शब्दों के अभिप्राय को एक साथ रख कर करें। + +# बिमारियों + +बिमारियों का अर्थ है मनुष्यों को दुर्बल बनाने के कारण + +# भेजा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्हें विभिन्न स्थानों में भेजा” या “उनसे कहा कि वे जाएं” diff --git a/luk/09/03.md b/luk/09/03.md new file mode 100644 index 0000000..5a35af9 --- /dev/null +++ b/luk/09/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# इसने उनसे कहा + +“यीशु ने उन बारहों से कहा” + +# कुछ न लेना + +कुछ न लेना - इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने साथ कुछ भी न लेना” या “कुछ भी साथ लेकर न चलना” + +# मार्ग के लिए + +“अपनी प्रचार यात्रा में” या “जब तुम जाओ” जब तक वे यीशु के पास लौट कर न आ जाएं, उन्हें अपने गांव-गांव भ्रमण करने में कुछ भी पहले से साथ लेकर नहीं चलना था। + +# लाठी + +लाठी - “डंडा” या “चलने के लिए लकड़ी” लाठी या डंडा ऊंचे-नीचे रास्तों पर चलने के लिए संतुलन बनाने हेतु और आत्मरक्षा के लिए साथ रखा जाता था। + +# जिस किसी घर में तुम उतरो + +“जिस घर में प्रवेश करो” + +# वहीं रहो + +"वहीं ठहरना" या "उसी परिवार का आतिथ्य स्वीकार करना" + +# वहां से + +“उस शहर से” या “उस स्थान से” diff --git a/luk/09/05.md b/luk/09/05.md new file mode 100644 index 0000000..5a75651 --- /dev/null +++ b/luk/09/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को निर्देश दे रहा है) + +# जो तुम्हें ग्रहण न करे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो लोग तुम्हारा स्वागत न करें उनके साथ जो व्यवहार तुम्हें करना है वह यह होगा.” + +# निकल कर + +“जहाँ यीशु था वहां से प्रस्थान किया।” + +# फिरते रहे + +“सर्वत्र भ्रमण किया” diff --git a/luk/09/07.md b/luk/09/07.md new file mode 100644 index 0000000..47edb3b --- /dev/null +++ b/luk/09/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# चौथाई देश का राजा हेरोदेस + +हेरोदेस एन्तिपास जो चौथाई इस्राएल का प्रशासक था। + +# घबरा गया + +“परेशान हो गया” या “समाचार सुनकर बेचैन हो गया” या “विमूढ़ था”(यू.डी.बी) + +# यूहन्ना को तो मेंने सिर कटवाया + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “यूहन्ना का तो सिर मैंने ही अपने सैनिकों से कटवाया था”। diff --git a/luk/09/10.md b/luk/09/10.md new file mode 100644 index 0000000..be3be7d --- /dev/null +++ b/luk/09/10.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# प्रेरितों + +“जिन बारहों को यीशु ने भेजा था”। + +# लौट गए + +“यीशु के पास लौटकर आए” + +# उसको बता दिया + +“उन प्रेरितों ने यीशु को ब्योरा सुनाया” + +# जो कुछ उन्होंने किया था + +विभिन्न स्थानों में उन्होंने जो शिक्षा दी और रोगियों को रोग-मुक्त किया, यह उसी के सन्दर्भ में है। + +# उन्हें अलग करके .... ले गया। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह उन्हें अकेले में ले गया”, यीशु और उसके शिष्य अकेले गए थे। diff --git a/luk/09/12.md b/luk/09/12.md new file mode 100644 index 0000000..84c9309 --- /dev/null +++ b/luk/09/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जब दिन ढलने लगा + +“सूर्यास्त के समय” या “दिन के अन्त में” या “संध्या समय” + +# भीड़ को विदा कर + +“जनसमूह को जाने दे” + +# जाकर इन लोगों के लिए भोजन मोल लें + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “या फिर हम जाकर भोजन मोल लें” या आप एक नया वाक्य रच सकते हैं, “यदि तू उन्हें भोजन करवाना चाहता है तो हमें जाकर भोजन मोल लेना पड़ेगा”। + +# वे लोग पांच हजार पुरूषों के लगभग थे + +स्त्रियों और बच्चों को जो उनके साथ थे नहीं गिना गया था। + +# उन्हें .... बैठा दो + +“उनसे बैठने के लिए कहो” diff --git a/luk/09/15.md b/luk/09/15.md new file mode 100644 index 0000000..c1ed190 --- /dev/null +++ b/luk/09/15.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उन्होंने ऐसा ही किया + +शिष्यों ने उन्हें पचास-पचास के समूह में बैठा दिया। + +# तब उसने + +यीशु ने + +# रोटियां + +ये सिकी हुई रोटियों की संख्या है,अर्थात “पूरी रोटियां” + +# स्वर्ग की ओर देखकर + +“स्वर्ग की ओर देखते हुए” या “स्वर्ग को देखकर” + +# स्वर्ग की ओर + +अर्थात आकाश की ओर देखकर। यहूदियों का मानना था कि स्वर्ग आकाश के पार है। + +# परोसें + +“उनको दें” या “उनमें बांटें” + +# तृप्त हुए + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “पेट भर कर खा लिया” diff --git a/luk/09/18.md b/luk/09/18.md new file mode 100644 index 0000000..6c10321 --- /dev/null +++ b/luk/09/18.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# (और ऐसा हुआ कि) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# वह एकान्त में प्रार्थना कर रहा था + +यह यीशु के सन्दर्भ में है + +# एकान्त में + +शिष्य यीशु के साथ थे परन्तु यीशु अपनी निज प्रार्थना कर रहा था + +# उन्होंने उत्तर दिया + +“उन्होंने उससे कहा” + +# यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला + +कुछ भाषाओं में कहा जाता है, “कुछ लोग कहते है”, “तू यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला है” + +# पुराने + +“प्राचीन काल के”, “बहुत समय पहले का” + +# जी उठा है + +“जीवित हुआ है” diff --git a/luk/09/20.md b/luk/09/20.md new file mode 100644 index 0000000..df00629 --- /dev/null +++ b/luk/09/20.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उसने उनसे पूछा + +“यीशु ने अपने शिष्यों से पूछा” + +# पतरस ने उत्तर दिया + +“पतरस ने कहा” या “इसका उत्तर पतरस ने दिया” + +# चिता कर कहा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परन्तु यीशु ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा” या “यीशु ने उन्हें कठोर चेतावनी दी” (यू.डी.बी.) + +# किसी से न कहना + +“अपने तक ही रखना” या “किसी से कहने की आवश्यकता नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद: परन्तु यीशु ने चेतावनी देते हुए कहा, 'किसी से इसकी चर्चा न करना' + +# मनुष्य के पुत्र के लिए आवश्यकता है कि वह बहुत दुःख उठाए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “लोग मनुष्य के पुत्र को घोर पीड़ा देंगे” पद 22 का अनुवाद भी यू.डी.बी. के सदृश्य प्रथम पुरूष में किया जा सकता है। + +# वह तीसरे दिन जी उठे + +“तीसरे दिन फिर जीवित हो” + +# तीसरे दिन + +“मरने के तीन दिन बाद” या “मृत्यु के बाद तीसरे दिन” diff --git a/luk/09/23.md b/luk/09/23.md new file mode 100644 index 0000000..1db1f7f --- /dev/null +++ b/luk/09/23.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# उसने + +यह यीशु के सन्दर्भ में है + +# सबसे + +अर्थात यीशु के साथ जो शिष्य थे, उन सबसे। + +# मेरे पीछे आना चाहे + +“मेरा अनुसरण करे” या “मेरा अनुयायी होना चाहता है” या “मेरे शिष्य होना चाहता है”। + +# अपने आपका इन्कार करे। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपनी लालसाओं के अधीन न रहे” या “अपनी लालसाओं का त्याग करे” + +# प्रतिदिन अपना क्रूस उठाए + +“अपना क्रूस उठाकर प्रतिदिन चले”, इसका अर्थ है, “प्रतिदिन दुःख उठाने को तैयार रहे” + +# मेरे पीछे हो ले + +“मेरे साथ चले” या “मेरे पीछे-पीछे चले और चलता रहे”। + +# उसे क्या लाभ + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य को क्या लाभ” यह आलंकारिक प्रश्न का एक भाग है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “उससे मनुष्य को लाभ नहीं होता है”, या “मनुष्य की भलाई नहीं है”। + +# सारे जगत को प्राप्त करे + +“वह संसार में सब कुछ पा ले” + +# अपना प्राण खो दे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह स्वयं ही भटक जाए या नष्ट हो जाए”। diff --git a/luk/09/26.md b/luk/09/26.md new file mode 100644 index 0000000..5643eac --- /dev/null +++ b/luk/09/26.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को ही समझा रहा है) + +# मेरी बातों से + +“सो मैं कहता हूँ उससे” या “मेरी शिक्षा से” + +# मनुष्य का पुत्र भी ... उससे लजाएगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य का पुत्र भी उससे लजाएगा” + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु अपने बारे में कह रहा है इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं मनुष्य का पुत्र” + +# अपनी महिमा सहित आएगा + +यीशु अपने लिए तृतीय पुरूष काम में ले रहा था। इसका अनुवाद प्रथम पुरूष में किया जा सकता है, “जब मैं अपनी महिमा में आऊंगा”। + +# जो यहाँ खड़े हैं उनमें से कुछ + +यहाँ यीशु अपने श्रोताओं में से कुछ के लिए कह रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम जो यहाँ खड़े हो उनमें से कुछ”।(यू.डी.बी) + +# जब तक परमेश्वर का राज्य न देख लें, तब तक मृत्यु का स्वाद न चखेंगे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मरने से पूर्व परमेश्वर का राज्य देखेंगे”। + +# मृत्यु का स्वाद न चखेंगे + +“उनकी मृत्यु नहीं होगी” या “मरेंगे नहीं”। + +# जब तक परमेश्वर का राज्य न देख लें + +आपका अनुवाद “कुछ” पर निर्भर करेगा। आप इसका अनुवाद इस प्रकार भी कर सकते हैं, “जब तक तुम परमेश्वर का राज्य न देख लो” diff --git a/luk/09/28.md b/luk/09/28.md new file mode 100644 index 0000000..aebf5dc --- /dev/null +++ b/luk/09/28.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# (और ऐसा हुआ) + +इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# इन बातों के + +अर्थात पिछले पद में यीशु ने अपने शिष्यों से जो कहा। + +# पहाड़ पर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पर्वत के ऊपर” यहाँ स्पष्ट नहीं है कि वह पर्वत पर कितना ऊपर गया था। + +# उसके चेहरे का रूप बदल गया + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसके मुखमण्डल की उपमा बदल गई”। + +# श्वेत होकर चमकने लगा + +“चमकीला सफेद और उज्जवल” या “चमकीला सफेद और बिजली की सी चमक का” (यू.डी.बी.) diff --git a/luk/09/30.md b/luk/09/30.md new file mode 100644 index 0000000..af0020d --- /dev/null +++ b/luk/09/30.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# और देखो ..... दो पुरूष उसके साथ बातें कर रहे थे + +“देखो” शब्द का उपयोग हमें अग्रिम जानकारी के लिए सतर्क करता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अकस्मात ही वहां दो पुरूष बातें करते दिखाई दिए” या “दो पुरूष अकस्मात ही उसकी बातें करते दिखाई दिए”। + +# ये महिमा सहित दिखाई दिए। + +यह संबन्धवाचक शब्द वाक्य मूसा और एलिय्याह के बारे में जानकारी देता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “और वे महिमामय दिख रहे थे” + +# उसके मरने की + +“इसके संसार से कूच करने की” या “वह इस संसार से कैसे कूच करेगा”, इसका अनुवाद किया जा सकता है, “उसकी मृत्यु की” diff --git a/luk/09/32.md b/luk/09/32.md new file mode 100644 index 0000000..c0ea9d0 --- /dev/null +++ b/luk/09/32.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसकी महिमा .... देखी + +उसके चारों और उपस्थित तीव्र ज्योति। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्होंने यीशु से निकलनेवाली तीव्र ज्योति को देखा” या “उन्होंने यीशु से निकलने वाले तेज को देखा” + +# और उन दो पुरूषों को जो उसके साथ खड़े थे + +यह मूसा और एलिय्याह हैं। + +# (और ऐसा हुआ कि) + +यह उक्ति गतिविधियों का आरंभ दर्शाती है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसे यहाँ काम में लें + +# स्वामी + +यहाँ "स्वामी" का मूल भाषा यूनानी शब्द सामान्यतः दासों के स्वामी के लिए काम में लिया जाने वाला सामान्य शब्द नहीं है यह शब्द अधिकार संपन्न मनुष्य के लिए काम में लिया जाता था न कि किसी दास के स्वामी के लिए। इसका अनुवाद “प्रधान जी” या “श्रीमान जी” किया जा सकता है या ऐसा शब्द काम में लिया जा सकता है जिसका अभिप्राय एक अधिकार सम्पन्न मनुष्य से हो जैसे "महोदय"। + +# मण्डप + +मण्डप -“तम्बू” या “झोपड़ी” diff --git a/luk/09/34.md b/luk/09/34.md new file mode 100644 index 0000000..f97f902 --- /dev/null +++ b/luk/09/34.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वह यह कह ही रहा था + +“पतरस यह कह रही रहा था” + +# डर गए + +ये वयस्क शिष्य बादल से नहीं डरे थे। इसका वाक्यांश से प्रकट होता है कि बादल के कारण उन पर विचित्र भय छा गया था। इसका अनुवाद, “भयभीत हो गए” हो सकता है। + +# बादल में से यह शब्द निकला + +यदि आकाशवाणी को व्यक्त करना अस्वाभाविक हो तो इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बादल में से परमेश्वर ने कहा” + +# मेरा चुना हुआ + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरा पुत्र, जिसे मैंने चुना है”, (यू.डी.बी.) या “मेरा पुत्र, मेरा चुना हुआ”। “चुना हुआ” शब्द परमेश्वर के पुत्र के बारे में अतिरिक्त जानकारी दे रहा है। इसका अर्थ यह नहीं कि परमेश्वर के पास एक से अधिक पुत्र हैं। (देखें: information about Adjectives on ) + +# उन दिनों में + +अर्थात पुनरुत्थान के बाद यीशु के स्वर्गारोहण तक या संभव है कि यीशु के कथन के बाद। diff --git a/luk/09/37.md b/luk/09/37.md new file mode 100644 index 0000000..f98471d --- /dev/null +++ b/luk/09/37.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# (ऐसा हुआ कि) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# देखों भीड़ में से एक मनुष्य + +“देखो” शब्द कहानी में एक नए मनुष्य का प्रवेश करवाता है। आपकी भाषा में इसके तुल्य कोई शब्द होगा। इस अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, "उस भीड़ में एक पुरुष था, उसने निवेदन किया" + +# और देख एक दुष्टात्मा + +“देख” शब्द उस मनुष्य की कहानी में दुष्टात्मा का विषय लाता है। आपकी भाषा में इसके तुल्य कोई शब्द होगा। इस अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, "इसमें एक दुष्टात्मा है...." + +# कठिनाई से छोड़ती है + +इसके संभावित अर्थ हैं (1) वह उसे कठिनाई से ही कभी छोड़ती है” (यू.डी.बी.) या (2) और जब वह उसे छोड़ती है तो मेरे पुत्र के लिए ऐसा कठिन हो जाता है कि” + +# मुंह में फेन भर लाता है + +जब मनुष्य के शरीर में अकड़न आती है तब उसे सांस लेने और निगलने में कठिनाई होती है। इसके कारण मनुष्य के मुंह से झाग निकलता है, यदि आपकी भाषा में इस स्थिति का वर्णन करने के लिए शब्द है तो उनका उपयोग करें। diff --git a/luk/09/41.md b/luk/09/41.md new file mode 100644 index 0000000..ae87ee6 --- /dev/null +++ b/luk/09/41.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यीशु ने उत्तर दिया + +“यीशु ने उन्हें संबोधित करके कहा” + +# हे अविश्वासी और हठीले लोगों + +यीशु ने जनसमूह से कहा था, अपने शिष्यों से नहीं + +# मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम्हारी सहूंगा? + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है। यीशु को इसके उत्तर की अपेक्षा नहीं थी। इसका अर्थ है, “मैंने तुम्हारे लिए इतना कुछ किया परन्तु तुम विश्वास नहीं करते”।(देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-rquestion]]) + +# अपने पुत्र को यहाँ ले आ + +यहाँ यीशु उस दुष्टात्माग्रस्त युवक के पिता से कह रहा है। + +# वह आ ही रहा था + +“यीशु के पास आते-आते” या “यीशु के निकट आते समय” + +# डांटा + +“कठोरता से कहा” diff --git a/luk/09/43.md b/luk/09/43.md new file mode 100644 index 0000000..f12ca91 --- /dev/null +++ b/luk/09/43.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# सब लोग परमेश्वर के महा-सामर्थ्य से चकित हुए + +प्रत्यक्ष में तो यीशु ने यह कार्य किया परन्तु दर्शकों ने समझ लिया था कि यह परमेश्वर का ही सामर्थ्य है। + +# वह करता था + +“यीशु करता था”। + +# ये बातें तुम्हारी कानों में पड़ी रहे + +यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “ध्यान से सुनो और स्मरण रखो” या “भूलना नहीं”। + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु स्वयं को तृतीय पुरूष में संबोधित कर रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं मनुष्य का पुत्र”। + +# मनुष्य के हाथों में पकड़वाया जाने को है + +“पकड़वाया” (यू.डी.बी.) इस संपूर्ण वाक्य का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य, मनुष्य के पुत्र को अधिकारियों के हाथों में दे देगे”। + +# परन्तु वे... न समझते थे + +परन्तु वे... न समझते थे , -इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “वे समझ नहीं पाए थे कि वह अपनी मृत्यु के बारे में कह रहा है। diff --git a/luk/09/46.md b/luk/09/46.md new file mode 100644 index 0000000..0102cad --- /dev/null +++ b/luk/09/46.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उनमें + +“शिष्यों में” + +# उनके मन का विचार + +“अपने-अपने मन में विचार करने लगे” या “सोच रहे थे” + +# मेरे भेजने वाले को + +“परमेश्वर को जिसने मुझे भेजा है”(यू.डी.बी) diff --git a/luk/09/49.md b/luk/09/49.md new file mode 100644 index 0000000..20f1168 --- /dev/null +++ b/luk/09/49.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यूहन्ना ने कहा + +“प्रति-उत्तर में यूहन्ना ने कहा” या “यूहन्ना ने यीशु से कहा” यीशु उन्हें समझा रहा था कि बड़ा कौन है तो यूहन्ना ने हस्तक्षेप करते हुए कहा। वह किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दे रहा है वरन वह जानना चाहता था कि वह मनुष्य जो यीशु के नाम से दुष्टात्माएं निकाल रहा था, उसका शिष्यों में क्या स्थान है। + +# स्वामी + +यहाँ "स्वामी" का अर्थ मूल भाषा यूनानी में मालिक नहीं है। इसका अर्थ है अधिकार संपन्न मनुष्य, न कि किसी का अधिकृत मालिक। आप इसका अनुवाद इस प्रकार भी कर सकते है, “साहब” या "अधिकर्मी" या किसी अधिकारी के लिए काम में लिया जानेवाला शब्द जैसे “श्रीमान जी” + +# जो तुम्हारे विरोध में नहीं वह तुम्हारी ओर है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो तुम्हारे लिए बाधक नहीं वह सहायक जैसा है”, या “जो तुम्हारे विपरीत काम न करे वह तुम्हारे पक्ष में काम करता है”। कुछ आधुनिक भाषाओं में ऐसे शब्द हैं जिनका अर्थ यही है। diff --git a/luk/09/51.md b/luk/09/51.md new file mode 100644 index 0000000..5d7168a --- /dev/null +++ b/luk/09/51.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# (और ऐसा हुआ कि) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे + +“उसके ऊपर जाने का समय आ रहा था” या “उसके ऊपर जाने का समय लगभग निकट था”। + +# विचार दृढ़ किया + +“संकल्प किया” या “इच्छा की” + +# (दिशा पकड़ी) + +यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “निश्चय किया” या “निर्णय लिया” या “दृढ़ संकल्प किया।” + +# जगह तैयार करें + +उसके आगमन की तैयारी करें। संभवतः प्रचार के लिए, ठहरने और भोजन के लिए व्यवस्था करें। + +# उतरने न दिया + +“उसका स्वागत नहीं किया” या “उसके ठहरने की इच्छा न की” diff --git a/luk/09/54.md b/luk/09/54.md new file mode 100644 index 0000000..421354a --- /dev/null +++ b/luk/09/54.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह देखकर + +“सामरियों का विरोध देख कर” + +# आकाश से आग गिरकर उन्हें भस्म कर दे + +याकूब और यूहन्ना ने ऐसा सुझाव दिया क्योंकि वे जानते थे कि एलिय्याह ने परमेश्वर विरोधियों के साथ ऐसा ही किया था। + +# उसने फिरकर उन्हें डांटा + +“यीशु ने याकूब और यूहन्ना को डांटा”। जैसा शिष्यों ने सोचा था, यीशु ने उसके विपरीत सामरियों को दोषी नहीं ठहराया। diff --git a/luk/09/57.md b/luk/09/57.md new file mode 100644 index 0000000..20b2d1f --- /dev/null +++ b/luk/09/57.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# किसी ने + +शिष्यों में से किसी एक ने नहीं + +# लोमड़ियों के भट.... हैं परन्तु मनुष्य के पुत्र को सिर धरने की भी जगह नहीं”। + +यीशु के कहने का तात्पर्य था कि यदि वह यीशु के साथ चलेगा तो वह भी बेघर जो जाएगा। यहाँ सलंग्न जानकारी स्पष्ट की जा सकती है, “यह आशा न कर कि तेरे पास घर होगा”। + +# लोमड़ियों + +यह कुत्ते जैसे पशु होते हैं। वे भूमि में छेद करके उसमें रहते हैं। + +# आकाश के पक्षियों + +“हवा में उड़ने वाले पक्षी” + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु स्वयं को तृतीय पुरूष में संबोधित कर रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मुझ, मनुष्य के पुत्र को” + +# सिर धरने की भी जगह नहीं + +“सिर टिकाने को भी नहीं” या “सोने के लिए भी जगह नहीं” यह अतिशयोक्ति है। यीशु इस तथ्य को समझाने के लिए बढ़ा चढ़ाकर कह रहा है कि उसके रहने के लिए कहीं भी उसका स्वागत नहीं है। diff --git a/luk/09/59.md b/luk/09/59.md new file mode 100644 index 0000000..fd2fbab --- /dev/null +++ b/luk/09/59.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मेरे पीछे हो ले + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरा अनुयायी हो जा” या “मेरा शिष्य होकर मेरे साथ चल” + +# मुझे पहले जाने दे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इससे पहले कि में तेरे साथ चलूं मुझे जाकर ....” वह व्यक्ति यीशु से निवेदन कर रहा था। + +# मरे हुओं को अपने मुर्दे गाड़ने दे + +“मुर्दे गाड़ने का काम मुर्दों के लिए छोड़ दे” मृतक तो कुछ करते नहीं अतः यहाँ अभिप्रेत अर्थ स्पष्ट दिया जा सकता है, “आत्मिकता में मृतकों को मृतक गाड़ने दे” diff --git a/luk/09/61.md b/luk/09/61.md new file mode 100644 index 0000000..d7303b0 --- /dev/null +++ b/luk/09/61.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हे प्रभु मैं तेरे पीछे हो लूंगा + +हे प्रभु मैं तेरे पीछे हो लूंगा - “मैं तेरा शिष्य बनूंगा” या “मैं तेरे साथ चलने को तैयार हूँ” या “मैं तेरे साथ चलने का प्रण करता हूँ” + +# अपने... लोगों से विदा हो आऊं + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तेरे साथ चलने से पहले में अपने परिजनों से विदा ले लूं”, या “मैं उन्हें बता दूं कि मैं तेरे साथ जा रहा हूँ”। + +# घर के लोगों से + +“मेरे कुटुम्ब से” या “परिजनों से” + +# जो कोई ..... परमेश्वर के राज्य के योग्य नहीं + +यीशु सबके लिए लागू होने वाला एक सामान्य सिद्धान्त व्यक्त कर रहा था, तथापि उस मनुष्य के लिए अभिप्रेत जानकारी यह है, “यदि तू मेरे अनुसरण की अपेक्षा अपने अतीत के लोगों पर ध्यान देगा तो तू मेरे राज्य के योग्य नहीं है”। + +# अपना हाथ हल पर रखकर + +“खेत जोतना आरंभ करके”, किसान बीज डालने से पहले खेत में हल चलाते है। जिन समुदायों को खेती का ज्ञान नहीं उनके लिए अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपना खेत तैयार करना आरंभ कर दे और....” + +# पीछे देखता है + +हल चलानेवाला यदि पीछे देखेगा तो वह हल को यथास्थान नहीं चला पाएगा और वह बैल के पांवों को भी चोट पहुंचायेगा। अतः उनका पूरा ध्यान आगे की ओर होना है। + +# योग्य + +“कामना” या “उचित” diff --git a/luk/10/01.md b/luk/10/01.md new file mode 100644 index 0000000..f5873a8 --- /dev/null +++ b/luk/10/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सत्तर + +कुछ अनुवादों में “बहत्तर” का उल्लेख किया गया है। आपको इसके लिए पद टिप्पणी लिखनी होगी। + +# दो-दो करके + +“दो को एक साथ” या “दो-दो के दल में” + +# उसने उनसे कहा + +उनके प्रस्थान से पूर्व। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने उनसे जो कहा वह यह था” या “उनके प्रस्थान से पूर्व उसने उनसे कहा”। + +# पक्के खेत बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं + +“फसल तो बहुतायत से खड़ी है परन्तु काटने वालों की कमी है।” इस रूपक का अर्थ है कि परमेश्वर के राज्य में लाने के लिए बहुत लोग हैं। ) diff --git a/luk/10/03.md b/luk/10/03.md new file mode 100644 index 0000000..1d31a5b --- /dev/null +++ b/luk/10/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को निर्देश दे रहा है जिन्हें वह भेजने पर है)। + +# जाओ + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “विभिन्न नगरों में जाओ” या “मनुष्यों में जाओ” या “जाकर मनुष्यों को लाओ”। + +# मैं तुम्हें भेड़ो के समान भेड़ियों के बीच में भेजता हूँ + +यह एक आज्ञा है जिसका अर्थ है कि जिन मनुष्यों के मध्य यीशु उन्हें भेज रहा था, वे उनको हानि पहुंचा सकते हैं। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “मैं तुम्हें भेज तो रहा हूँ परन्तु मनुष्य तुम्हें ऐसे हानि पहुंचा सकते हैं जैसे भेड़िये मेमनों को पहुंचाते हैं। + +# भेड़ों (मेमने) + +“भेड़ के बच्चे” वे हिसंक पशुओं से अपनी रक्षा करने में समर्थ नहीं होते हैं। + +# भेड़ियों + +भेड़िये जंगली कुत्तों के समान बड़े हिंसक मांसाहारी पशु होते है जो छोटे पशुओं को मारकर खाते हैं। “भेड़ियों” का अनुवाद उसी जाति के, “जंगली कुत्ते” या हिंसक कुत्ते किया जा सकता है या कुत्ते जैसे किसी विशेष पशु का नाम रखा जा सकता है, जिससे पाठक परिचित है, जैसे सियार”। + +# न बटुआ... लो + +“अपने साथ पैसों की थैली नहीं रखता” + +# न मार्ग में किसी को नमस्कार करो + +यीशु जिस बात पर बल देता है, वह है, कि वे शीघ्र-अतिशीघ्र नगरों में जाकर प्रचार करें, न कि किसी के साथ रूष्ठ व्यवहार करें। diff --git a/luk/10/05.md b/luk/10/05.md new file mode 100644 index 0000000..0520ed3 --- /dev/null +++ b/luk/10/05.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को निर्देश दे रहा है जिन्हें वह भेजने पर है)। + +# इस घर का कल्याण हो + +“इस परिवार को शान्ति मिले” यह अभिवादन और आशीर्वाद दोनों है। + +# कोई कल्याण के योग्य + +“शान्तिप्रिय मनुष्य” ऐसा मनुष्य परमेश्वर के साथ और मनुष्यों के साथ मेल करता है। + +# तुम्हारा कल्याण उस पर ठहरेगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “आपका आशीर्वाद उसे शान्ति दिलाएगा” + +# नहीं तो + +“यदि वहां कोई शान्तिप्रिय नहीं है” या “यदि गृहस्वामी शान्तिप्रिय नहीं है” + +# तुम्हारे पास लौट आएगा + +“वह शान्ति तुम्हारे पास ही रह जाएगी” + +# उसी घर में रहो + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वहीं रातें बिताना” यीशु के कहने का अर्थ है कि दिन भर प्रचार करके वहीं “लौट आना, यह नहीं कि उस घर से बाहर नहीं जाना। + +# मजदूर को अपनी मजदूरी मिलनी चाहिए। + +यीशु एक सामान्य सिद्धान्त अपने द्वारा भेजे जाने वालों पर लागू कर रहा था। क्योंकि वे उनको शिक्षा देंगे और रोगियों को रोगमुक्ति प्रदान करेंगे इसलिए उनके ठहरने और भोजन-पानी का उत्तरदायित्व उन लोगों का है। + +# घर-घर न फिरना + +इसका अर्थ है कि हर रात एक नये परिवार में नहीं ठहरना। diff --git a/luk/10/08.md b/luk/10/08.md new file mode 100644 index 0000000..9d4d6ae --- /dev/null +++ b/luk/10/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को निर्देश दे रहा है जिन्हें वह भेजने पर है)। + +# वहां के लोग तुम्हें उतारें + +“यदि वे तुम्हारा स्वागत करें” + +# जो कुछ तुम्हारे सामने रखा जाए वही खाओ + +“वे जैसा भी भोजन दें उसे खाना” + +# परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुंचा है + +इसका संदर्भ इस तथ्य से है कि शिष्यों द्वारा रोगमुक्ति के कार्य तथा यीशु की शिक्षाओं के माध्यम से परमेश्वर के राज्य का कार्य सर्वत्र हो रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तुम इसी समय अपने चारों ओर परमेश्वर के राज्य को देख सकते हो”। diff --git a/luk/10/10.md b/luk/10/10.md new file mode 100644 index 0000000..6bbde6d --- /dev/null +++ b/luk/10/10.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को निर्देश दे रहा है जिन्हें वह भेजने पर है)। + +# वहां के लोग तुम्हें ग्रहण करें + +“यदि वे तुम्हारा तिरस्कार करें” + +# तुम्हारे नगर की धूल भी, जो हमारे पांवों में लगी है, हम तुम्हारे सामने झाड़ देते हैं। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जैसे तुम हमारा तिरस्कार करते हो वैसे ही हम भी तुम्हें पूर्णतः त्याग देते हैं। हम अपने पांवों से तुम्हारे नगर की धूल तक झाड़ रहे हैं, क्योंकि यीशु ने दो को साथ भेजा था इसलिए वे दोनों एक साथ कहेंगे। अतः जिन भाषाओं में प्रथम पुरूष (मैं) का द्विवचन है, उसका प्रयोग किया जाए। + +# तौभी यह जान लो कि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुंचा है। + +यह एक चेतावनी है जिसका अर्थ है, “यद्यपि तुम हमें स्वीकार नहीं इसका अर्थ यह नहीं कि परमेश्वर के राज्य के आ जाने के तथ्य का इन्कार होता है।” + +# परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुंचा है + +“परमेश्वर का राज्य तुम्हारे चारों ओर है,” + +# मैं तुझ से कहता हूँ + +यीशु उन सत्तर मनुष्यों से कह रहा था। जिन्हें वह भेज रहा था उसने ऐसा इसलिए कहा कि उसकी अग्रिम महत्त्वपूर्ण बात की ओर उनका ध्यान आकर्षित हो। + +# उस दिन + +शिष्य समझ गए थे कि इसका संदर्भ "उस दिन" से है जब पापियों का न्याय किया जाएगा। + +# उस नगर की दशा से सदोम की दशा अधिक सहने योग्य होगी। + +“सदोम को उस नगर के तुल्य कठोर दण्ड नहीं दिया जाएगा, “इसका अर्थ हुआ कि वह नगर सदोम से अधिक कठोर दण्ड पाएगा। diff --git a/luk/10/13.md b/luk/10/13.md new file mode 100644 index 0000000..0e096ac --- /dev/null +++ b/luk/10/13.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# x + +(यीशु अब अपने उन सत्तर शिष्यों से हट कर तीन नगरों के निवासियों से कह रहा है) + +# हाय खुराजीन। हाय बैतसैदा + +यीशु इस प्रकार संबोधन कर रहा है कि मानों खुराजीन और बैतसदा के नगरवासी सुन रहे हैं जबकि वे सुन नहीं रहे थे। + +# इसी सामर्थ्य के काम तुममें किए गए। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है, “जो सामर्थ्य के काम मैंने तुम्हारे मध्य किए”। + +# यदि वे सूर और सैदा में किए जाते + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “यदि सूर और सैदा में कोई ऐसे कार्य करता” + +# वे कब के मन फिरा लेते। + +“वहां के दुष्ट निवासी अपने पापों का दुख प्रकट करते”(यू.डी.बी) + +# टाट ओढ़कर और राख में बैठकर + +उस युग में दुःख की अति को प्रकट करने के लिए लोग टाट के बने वस्त्र पहनते थे जो शरीर में चुभते थे और वे राख सिर में डालते थे वरन राख पर बैठते भी थे। जब उन्हें परमेश्वर के विरूद्ध पाप का बोध होता तब भी वे ऐसा ही करते थे। + +# तुम्हारी दशा से सूर और सैदा की दशा अधिक सहने योग्य होगी। + +“परमेश्वर तुम्हें सूर और सैदा के निवासियों से अधिक दण्ड देगा” इसका कारण यू.डी.बी में अधिक स्पष्ट किया जा सकता है, “क्योंकि तुमने मेरे सामर्थ्य के काम देखकर भी मुझ में विश्वास नहीं किया” + +# न्याय के दिन + +“उस दिन जब परमेश्वर सब मनुष्यों का न्याय करेगा”। (यू.डी.बी.) + +# हे कफरनहूम + +अब यीशु कफरनहूम के निवासियों को संबोधित कर रहा है जैसे कि वे सुन रहें हों, जबकि यथास्थिति यह थी कि वे उसके समक्ष नहीं थे। + +# क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा किया जाएगा? + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है, जिसके द्वारा यीशु कफरनूहम के निवासियों के घमण्ड पर कटाक्ष कर रहा है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा उठेगा”? या “तू क्या सोचता है कि परमेश्वर तेरा मान रखेगा”? + +# ऊंचा किया जाएगा + +“ऊंचा किया जाना एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “प्रतिष्ठा पाना”। diff --git a/luk/10/16.md b/luk/10/16.md new file mode 100644 index 0000000..3cc0080 --- /dev/null +++ b/luk/10/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को शिक्षा देना समाप्त करता है।) + +# जो तुम्हारी सुनता है वह मेरी सुनता है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो तुम्हारी बात सुने वह वास्तव में मेरी बात सुनता है”। + +# जो तुम्हें तुच्छ जानता है वह मुझे तुच्छ जानता है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कोई तुम्हें तुच्छ समझे तो वह वास्तव में मुझे तुच्छ समझता है”। + +# जो मुझे तुच्छ जानता है वह मेरे भेजनेवाले को तुच्छ जानता है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मुझे तुच्छ जानने का अर्थ है परमेश्वर को तुच्छ जानना” + +# मेरे भेजने वाले को + +अर्थात पिता परमेश्वर को। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर को जिसने मुझे भेजा है”। (यू.डी.बी.) diff --git a/luk/10/17.md b/luk/10/17.md new file mode 100644 index 0000000..835adc8 --- /dev/null +++ b/luk/10/17.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(कुछ समय बाद वे सत्तर शिष्य यीशु के पास लौट आते है) + +# सत्तर + +यहाँ आप पद टिप्पणी लिखना चाहोगे, “कुछ संस्करणों में सत्तर के स्थान पर बहत्तर हैं”। + +# वे सत्तर आनन्द करते हुए लौटे + +कुछ भाषाओं में आवश्यक होगा कि पहले सत्तर शिष्यों के जाने का उल्लेख किया जाए जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। यह एक अन्तर्निहित जानकारी है जिसे स्पष्ट करना आवश्यक है। + +# मैं शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरा हुआ देख रहा था। + +यीशु उपमा देकर वर्णन कर रहा था कि जब वे सत्तर शिष्य प्रचार कर रहे थे तब परमेश्वर शैतान को हरा रहा था। + +# मैंने तुम्हें सांपों और बिच्छुओं को रौंदने का अधिकार दिया है। + +“सांपों को कुचलने और बिच्छुओं को नष्ट करने का अधिकार। इसके संभावित अर्थ हैं (1) यथार्थ में सांपों और बिच्छुओं को रौंदने का अधिकार या (2) सांप और बिच्छु दुष्टातमाओं के लिए रूपक हैं। यू.डी.बी. में इससका अनुवाद दुष्टात्माओं को रौंदना किया गया है, “मैंने तुम्हें दुष्टात्माओं पर वार करने का अधिकार दिया है। + +# सांप और बिच्छुओं को रौंदना + +इसका अभिप्राय है कि ऐसा करने पर उन्हें हानि नहीं होगी। आप इसे सुस्पष्ट कर सकते हें, “सांप और बिच्छुओं पर चल कर भी सुरक्षित रहोगे”। + +# शत्रु की सारी सामर्थ्य पर + +“मैंने तुम्हें बैरी के सामर्थ्य का दमन करने का अधिकार दिया है” या “मैंने तुम्हें शत्रु को पराजित करने का अधिकार दे दिया है”बैरी शैतान है। + +# इससे आनन्दित मत हो + +“इससे” अर्थात अगले वाक्यांश से, कि आत्मा तुम्हारे वश में हैं”। + +# तुम्हारे नाम स्वर्ग पर लिखे हैं + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर ने तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिख लिए हैं” या “तुम्हारे नाम स्वर्ग के नागरिकों की सूची में हैं”। diff --git a/luk/10/21.md b/luk/10/21.md new file mode 100644 index 0000000..558cc4f --- /dev/null +++ b/luk/10/21.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों की उपस्थिति में अपने स्वर्गीय पिता से बातें कर रहा है) + +# स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु + +“स्वर्ग और पृथ्वी की सब वस्तुओं के स्वामी” + +# इन बातों को + +इसका संदर्भ शिष्यों के अधिकार के संबन्ध में यीशु की पिछली शिक्षाओं से है। अति-उत्तम होगा कि मात्र यही कहा जाए, “इन बातों को” और पाठक पर इसका अर्थ निर्धारण छोड़ दिया जाए। + +# ज्ञानियों और समझदारों + +“बुद्धिमान और समझ रखनेवालों से” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन लोगों से छिपा रखा है जो स्वयं को बुद्धिमान समझते हैं” + +# बालकों पर प्रकट किया + +यूनानी भाषा में बालक का मूल शब्द छोटे लड़के का बोध कराता है। इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “अशिक्षित बालक” (यू.डी.बी.) या (2) “जो तेरे सत्य को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेते हैं”। + +# बालकों + +यह निर्बुद्धि एवं अज्ञानियों के लिए उपमा है, या वे मनुष्य जो जानते हैं कि वे बुद्धिमान एवं ज्ञानवान नहीं हैं। + +# क्योंकि तुझे यही अच्छा लगा + +“क्योंकि तूने देखा कि यह अच्छा है” diff --git a/luk/10/22.md b/luk/10/22.md new file mode 100644 index 0000000..6ac7511 --- /dev/null +++ b/luk/10/22.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(अब यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है) आपको यहाँ टिप्पणी करने की आवश्यकता होगी, (यीशु ने अपने शिष्यों से कहा) (यू.डी.बी.) + +# मेरे पिता ने सब कुछ मुझे सौंप दिया है + +यह कर्तृवाच्य में अनुवाद किया जा सकता है:"मेरे पिता ने सारा अधिकार मुझे दे दिया"। + +# पुत्र + +यीशु स्वयं को तृतीय पुरूष में व्यक्त कर रहा है। + +# नहीं जानता कि पुत्र कौन है + +जिस शब्द का अनुवाद “जानता” किया गया है, उसका मूल अर्थ है व्यक्तिगत अनुभव द्वारा जानना। पिता परमेश्वर यीशु को ऐसी गहनता से जानता था। + +# केवल पिता + +इसका अर्थ है कि केवल परमेश्वर पिता जानता है कि पुत्र कौन है। + +# पिता कौन है यह भी कोई नहीं जानता केवल पुत्र के + +यहाँ जिस मूल शब्द का अनुवाद “जानता” किया गया है, इसका अर्थ है, व्यक्तिगत अनुभव से जानना। यीशु अपने पिता परमेश्वर को ऐसी गहनता में जानता था। + +# केवल पुत्र + +इसका अर्थ है कि केवल पुत्र जानता है कि पिता कौन है। + +# और वह जिसे पुत्र उस पर प्रकट करना चाहे। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य पिता परमेश्वर को तब ही जान सकते हैं जब पुत्र उन पर पिता को प्रकट करना चाहे”। diff --git a/luk/10/23.md b/luk/10/23.md new file mode 100644 index 0000000..963ffcf --- /dev/null +++ b/luk/10/23.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अकेले में कहा + +“निजि रूप में कहा”, यह संभवतः कुछ समय बाद की बात है। यू.डी.बी. इसे स्पष्ट करती है, “जब उसके शिष्य उसके साथ अकेले थे” + +# धन्य हैं वे आंखें, जो ये बातें जो तुम देखते हो देखती हैं। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "कैसा अहोभाग्य उनका जो उन बातों को देखते हैं जिन्हें तुम देखते हो", संभवतः वे सब जो यीशु की शिक्षाओं को सुनने आते थे। + +# जो बातें तुम देखते हो। + +"बातें तुमने मुझे करते देखा।" + +# जो बातें तुम सुनते हो। + +“जो बातें तुमने मुझसे सुनी हैं” diff --git a/luk/10/24.md b/luk/10/24.md new file mode 100644 index 0000000..9be0d60 --- /dev/null +++ b/luk/10/24.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# उसने + +उस धनवाद मनुष्य ने जो अब राजा बन गया था। इसका अनुवाद ऐसे शब्दों में करें कि आपके पाठक समझ पाएं। + +# जो लोग उसके निकट खड़े थे” + +“जो लोग उसके पास खड़े थे” + +# मुहर + +देखें इसका अनुवाद अपने 19:13 में इसका अनुवाद कैसे किया है। diff --git a/luk/10/25.md b/luk/10/25.md new file mode 100644 index 0000000..02e4093 --- /dev/null +++ b/luk/10/25.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# देखो + +यह कुछ समय बाद की घटना है। आप इसे पाठकों के लिए स्पष्ट कर सकते है। जैसा यू.डी.बी. में है। “एक दिन जब यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा था”, + +# और देखो एक व्यवस्थापक + +“देखो” शब्द हमारा ध्यान आकर्षित कराता है कि कहानी में एक नया मनुष्य है। आपकी भाषा में ऐसा शब्द या अभिव्यक्ति हो सकती है। इसका अनुवाद ऐसा भी हो सकता है," यहाँ एक विधिशास्त्री था..." + +# उसकी परीक्षा करने लगा + +“यीशु को परखने का प्रयास किया” + +# व्यवस्था में क्या लिखा है? + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “मूसा ने विधान में क्या लिखा है”? या “धर्मशास्त्र क्या कहता है”? + +# तू कैसे पढ़ता है? + +“तूने उसमें क्या पढ़ा है”। या “तू उससे क्या-क्या समझता है”? + +# प्रेम रख + +उस मनुष्य ने व्यवस्थाविवरण और लैव्यव्यवस्था की पुस्तकों का उद्धरण सुनाया। + +# अपने पड़ोसी + +इसका संदर्भ समुदाय के सदस्य से है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने स्वदेशी नागरिक से” या “अपने समुदाय के लोगों से”। diff --git a/luk/10/29.md b/luk/10/29.md new file mode 100644 index 0000000..585194d --- /dev/null +++ b/luk/10/29.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसने अपने आपको धर्मी ठहराने की इच्छा से + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परन्तु वह स्वयं को धर्मी सिद्ध करना चाहता था, अतः उसने कहा......” या “धार्मिकता का स्वांग रचते हुए उसने कहा”, + +# यीशु ने उत्तर दिया + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “प्रतिक्रिया में यीशु ने उसे एक कहानी सुनाई” + +# डाकुओं ने घेर कर + +“लुटेरों में घिर गया” इसका अनुवाद कर्तृवाच्य रूप में किया जा सकता है, “उस पर लुटेरों ने आक्रमण कर दिया”। + +# उसके कपड़े उतार लिए + +“उसका सब कुछ लूट लिया” या “उसका सब कुछ चुरा लिया”। diff --git a/luk/10/31.md b/luk/10/31.md new file mode 100644 index 0000000..07cd50f --- /dev/null +++ b/luk/10/31.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु उसी मनुष्य के प्रश्न, "मेरा पड़ोसी कौन है?" के उत्तर में कहानी सुना रहा है) + +# ऐसा हुआ कि + +इसका अर्थ है कि यह योजना के अनुसार नहीं था। + +# एक याजक + +इस अभिव्यक्ति कहानी में किसी मनुष्य को लाती है परन्तु उसका नाम नहीं बताती है। + +# परन्तु उसे देख + +“जब उस याजक ने इस घायल मनुष्य को देखा” याजक एक धर्मी जन होता है, इसलिए श्रोताओं का पूर्वानुमान था कि वह उस घायल मनुष्य की सहायता अवश्य करेगा। क्योंकि उसने उसकी सहायता नहीं की इसलिए इसका अनुवाद हो सकता है, “परन्तु जब उसने उसे देखा” अप्रत्याशित परिणाम की ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु। + +# कतराकर चला गया + +“वह मार्ग की दूसरी ओर होकर चला गया” + +# चला गया + +निहितार्थ यह है कि उसने उस घायल मनुष्य की सहायता नहीं की। इसे स्पष्ट किया जा सकता है, “वह उस पागल मनुष्य की सहायता किए बिना चला गया”। diff --git a/luk/10/33.md b/luk/10/33.md new file mode 100644 index 0000000..b4ff431 --- /dev/null +++ b/luk/10/33.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु उसी मनुष्य के प्रश्न, "मेरा पड़ोसी कौन है?" के उत्तर में कहानी सुना रहा है) + +# एक सामरी + +कहानी में एक नया मनुष्य प्रवेश करता है। उसका भी नाम नहीं दिया गया है। हमें केवल यही बताया गया है कि वह एक सामरियावासी है। यहूदी सामरियों से घृणा करते थे अतः उन्होंने यही सोचा कि वह उस घायल यहूदी की सहायता नहीं करेगा। + +# उसे देख कर + +“उस घायल व्यक्ति को देखकर उस सामरियावासी” + +# तरस खाया + +“उसे देखकर उसे तरस आया” + +# उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियां बांधी। + +उसने पहले तेल और दाखरस डाला होगा, इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने उस मनुष्य के घावों पर दाखरस डालकर और तेल लगाकर पट्टियां बान्धी” दाखरस संक्रमण से बचाने के लिए काम में लिया जाता था। + +# अपनी सवारी पर चढ़ा कर। + +“अपनी सवारी के पशु पर” समान ढोने के लिए वह जिस पशु को लाया था, संभवतः गधा। + +# दो दीनार + +दो दिन की मजदूरी के तुल्य पैसा देकर + +# भटियारे + +“सराय का स्वामी” या “प्रबन्धक” diff --git a/luk/10/36.md b/luk/10/36.md new file mode 100644 index 0000000..57019b8 --- /dev/null +++ b/luk/10/36.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु उसी मनुष्य को कहानी सुना रहा है जिसने पूछा था, वे मेरा पड़ोसी कौन है)? + +# तेरी समझ में.... इन तीनों में से + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तेरे विचार में इन तीनों में से ....” + +# उसका पड़ोसी कौन ठहरा? + +“किसने सच्चा पड़ोसी सिद्ध किया”?(यू.डी.बी) + +# जो डाकुओं में घिर गया था + +“लुटेरों का शिकार होने वाले का” diff --git a/luk/10/38.md b/luk/10/38.md new file mode 100644 index 0000000..2c2b284 --- /dev/null +++ b/luk/10/38.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जब वे जा रहे थे + +“जब यीशु और उसके शिष्य मार्ग में अग्रसर थे।” क्योंकि कहानी में नया परिदृश्य आता है इसलिए कुछ भाषाओं में “वे” को स्पष्ट करना अधिक स्वाभाविक होगा। आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति होगी जो प्रकट करे कि यह कहानी का नया परिदृश्य है। + +# एक गांव में गया + +यहाँ गांव को एक नया स्थान दर्शाया गया है परन्तु उस गांव का नाम नहीं दिया गया है। + +# मार्था नामक एक स्त्री + +यहाँ मार्था एक नई नायिका है। आपकी भाषा में नए मनुष्यों को दर्शाने के लिए अभिव्यक्तियां होंगी। + +# प्रभु के चरणों में बैठकर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “फर्श पर बैठकर यीशु की शिक्षाप्रद बातें सुन रही थी”। उस युग में सीखने वाले के द्वारा ऐसा स्थान ग्रहण करना सम्मान प्रदर्शन की मुद्रा थी। diff --git a/luk/10/40.md b/luk/10/40.md new file mode 100644 index 0000000..98cb47a --- /dev/null +++ b/luk/10/40.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुझे कुछ भी चिन्ता नहीं + +मार्था शिकायत कर रही थी कि प्रभु मरियम को वहां बैठाकर उससे बातें करने के लिए मना नहीं कर रहा है जब कि उसे घर में कितना काम करना है। वह प्रभु का बहुत सम्मान करती थी, अतः उसने आलंकारिक प्रश्न पूछा कि उसकी शिकायत में विनम्रता आए। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ऐसा लगता है कि तुझे ज्ञात नहीं कि....” + +# जो उससे छीना न जायेगा + +इसके संभावित अर्थ हैं (1) “मैं उसे इस सौभाग्य से वंचित नहीं करूँगा” या (2) मेरी बातें सुनकर उसने जो लाभ उठाया है, वह कभी नहीं खोएगा”। diff --git a/luk/11/01.md b/luk/11/01.md new file mode 100644 index 0000000..9f286dc --- /dev/null +++ b/luk/11/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# (और ऐसा हुआ) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# जब वह प्रार्थना कर चुका + +कुछ भाषाओं में सर्वनाम शब्द के स्थान में यीशु का नाम काम में लेना अधिक स्वाभाविक होगा कि “जब वह प्रार्थना कर चुका” से पहले कहा जाए, “यीशु प्रार्थना कर रहा था”। (देखें यू.डी.बी.) diff --git a/luk/11/02.md b/luk/11/02.md new file mode 100644 index 0000000..0951a10 --- /dev/null +++ b/luk/11/02.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसने उनसे कहा + +"यीशु ने अपने शिष्यों से कहा" + +# तेरा नाम पवित्र माना जाए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य तेरे नाम का सम्मान करें” या “हर एक तेरे नाम का सम्मान करें”। इसका अर्थ "हम चाहते है कि सब तेरे नाम का सम्मान करे" + +# तेरा राज्य आए + +“अपना राज्य स्थापित कर” या “हम यह विनती करते हैं कि अपने लोगों पर राज कर”। diff --git a/luk/11/03.md b/luk/11/03.md new file mode 100644 index 0000000..3d29173 --- /dev/null +++ b/luk/11/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखा रहा है) + +# हमारी दिन भर की रोटी + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “हमारी दैनिक आवश्यकता का भोजन” रोटी मनुष्यों का दैनिक साधारण भोजन था। रोटी का अर्थ है भोजन। + +# हमारे पापों को क्षमा कर + +“तेरे विरूद्ध हमारे पापों को क्षमा कर” या “हमारे पापों को क्षमा कर” + +# “क्योंकि हम भी अपने हर एक अपराधियों को क्षमा करते हैं” + +“क्योंकि हम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं” + +# अपने हर एक अपराधी को + +“जिसने हमारे विरूद्ध पाप किया है” या “जिसने हमारी बुराई की है” + +# हमें परीक्षा में न ला + +यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “हमें परीक्षा से बचा” diff --git a/luk/11/05.md b/luk/11/05.md new file mode 100644 index 0000000..0d5e6b3 --- /dev/null +++ b/luk/11/05.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखा रहा है) + +# तुममें से कौन है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मान लो कि तुम्हारा” या “तुम में से किसी का”। यीशु आलंकारिक प्रश्न द्वारा मनुष्यों का ध्यान आकर्षित करवाता था कि वे किसी परिस्थिति में हो तो क्या होगा। + +# मुझे तीन रोटियां दे + +“मुझे तीन रोटियां उधार दे” या “मुझे तीन रोटियां दे दे, मैं लौटा दूंगा”। उसके पास अपने अतिथि को खिलाने के लिए घर में भोजन तैयार नहीं है। + +# तीन रोटियां + +यदि आपके पाठक को यह बात विचित्र लगे कि कोई रोटी मांग रहा है तो इस प्रकार अनुवाद करें, “पका हुआ भोजन” या “तैयार भोजन” + +# एक यात्री मित्र + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यात्रा करते हुए मेरे घर आया है” + +# उसके आगे रखने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है + +“परोसने के लिए भोजन तैयार नहीं है” + +# मै उठकर तुझे दे नहीं सकता + +“मेरे लिए उठना आसान नहीं है” + +# मैं तुझ से कहता हूँ + +यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन में है + +# उसे उठ कर देगा + +यीशु अपने शिष्यों को इस प्रकार सम्बोधित कर रहा था कि जैसे वे ही रोटी मांगने के लिए गए। यदि आपके पाठकों को इससे उलझन उत्पन्न हो तो इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “मित्र होने के कारण उसे रोटी दे देगा” + +# लज्जा छोड़कर मांगने के कारण + +इसका अर्थ है कि रोटी मांगने वाला इस तथ्य को अनदेखा कर रहा है कि उसके मित्र के लिए मध्य रात्रि के समय उठ कर उसे रोटियां देना कष्टकारी है। diff --git a/luk/11/09.md b/luk/11/09.md new file mode 100644 index 0000000..ac4788d --- /dev/null +++ b/luk/11/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखा रहा है) + +# मांगो.... ढूंढ़ो खटखटाओ + +यीशु ने अपने शिष्यों को यह आज्ञा इसलिए दी कि वे लगातार प्रार्थना करने के लिए उत्साहित रहें। इस प्रसंग में तुम का सर्वाधिक उचित रूप काम में लें। . इन आज्ञाओं का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मांगते रहो.... ढूंढ़ते रहो..... खटखटाते रहो” + +# मांगो + +कुछ भाषाओं में इस क्रिया के साथ अधिक जानकारी की आवश्यकता होगी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपनी आवश्यकता परमेश्वर से मांगो”, “परमेश्वर से जो चाहते हो उसे ढूंढ़ो”, और “द्वार पर दस्तक दो”। + +# तुम्हें दिया जाएगा + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “परमेश्वर तुम्हें देगा”, या “तुम प्राप्त करोगे।” + +# खटखटाओ + +खटखटाने का अर्थ है, द्वारा पर आकर आवाज करना कि भीतर कोई सुन कर जान ले कि आप बाहर खड़े हैं, इसका अनुवाद आपकी संस्कृति के व्यवहार के अनुसार किया जा सकता है जैसे “पुकारना” या “खांसना” या “ताली बजाना”। + +# तुम्हारे लिए खोला जाएगा + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “परमेश्वर तुम्हारे लिए द्वार खोल देगा” या “परमेश्वर तुम्हें भीतर लेकर एकमत करेगा” diff --git a/luk/11/11.md b/luk/11/11.md new file mode 100644 index 0000000..ab866c6 --- /dev/null +++ b/luk/11/11.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# (यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना के बारे में ही शिक्षा दे रहा है) + +यीशु एक अर्थ के तीन आलंकारिक प्रश्न पूछ रहा है। जिस प्रकार कि एक पिता अपनी सन्तान को मांगने पर भली वस्तु देता है, उसी प्रकार हम मांगते हैं तो परमेश्वर हमें भली वस्तु ही देगा। . + +# तुममें ऐसा कौन पिता है कि जब उसका पुत्र रोटी मांगे तो उसे पत्थर दे। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तुम्हारा पुत्र रोटी मांगे तो क्या तुम उसे पत्थर दोगे”? या “यदि तुम्हारी सन्तान खाने को रोटी मांगे तो निश्चय ही तुम उसे पत्थर नहीं दोगे”! + +# रोटी + +यदि आपके पाठक रोटी नहीं खाते हैं तो आप इसका अनुवाद इस प्रकार कर सकते हैं, “पका हुआ भोजन” या “सब्जी” यीशु एक परिस्थिति सुझा रहा है, वह रोटी की विशेष चर्चा नहीं कर रहा है। + +# मछली के बदले उसे सांप दे? + +“या वह मछली मांगे तो क्या तुम उसे सांप दोगे”? + +# बिच्छू + +बिच्छू मकड़ी से मिलता जुलता कीट है परन्तु उसकी पूंछ लम्बी होती है और उसकी पूंछ पर विषैला डंक होता है। यदि उनके स्थान में बिच्छू नहीं होते तो आप कह सकते हैं, “विषैली मकड़ी” या “काटनेवाली मकड़ी” + +# तुम बुरे होकर + +“तुम बुरे होकर भी” या “तुम पापी होकर भी” + +# तो स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र-आत्मा क्यों न देगा? + +“तो यह कितना और अधिक निश्चित है कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता तुम्हें पवित्र-आत्मा देगा”। इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तुम निश्चित जान लो कि तुम्हारा पिता जो स्वर्ग में है, पवित्र-आत्मा देगा”। diff --git a/luk/11/14.md b/luk/11/14.md new file mode 100644 index 0000000..e469afc --- /dev/null +++ b/luk/11/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# फिर उसने एक गूंगी दुष्टात्मा को निकाला + +“फिर यीशु ने एक मनुष्य से दुष्टात्मा को निकाला” या “और उसने एक मनुष्य से दुष्टात्मा निकाली” + +# गूंगी दुष्टात्मा + +यह तो संभव नहीं कि दुष्टात्मा गूंगी थी। पाठक शायद यह समझें कि उस दुष्टात्मा में किसी को गूंगा बनाए रखने की क्षमता थी। आप इस अभिप्रेत जानकारी को स्पष्ट कर सकते हें। “उस दुष्टात्मा ने उस मनुष्य को बोलने की क्षमता से वंचित किया हुआ था”। + +# (और ऐसा हुआ कि) + +इस शब्द के द्वारा मनुष्यों की प्रतिक्रिया का आरंभ होता है। यदि आपकी भाषा में यहाँ उपयुक्त अभिव्यक्ति लग सकती है तो उसे काम में लें। उस मनुष्य में से दुष्टात्मा के निकल जाने पर कुछ लोग यीशु की आलोचना करने लगे तो यीशु दुष्टात्माओं के बारे में शिक्षा देने पर विवश हुआ। + +# जब दुष्टात्मा निकल गई + +“उस मनुष्य में से दुष्टात्मा के निष्कासन पर” या “दुष्टात्मा द्वारा उस मनुष्य को त्याग देने पर” + +# गूंगा बोलने लगा + +“वह मनुष्य जो अब तक गूंगा था बोलने लगा” + +# शैतान..... दुष्टात्मा निकालता है + +“वह बालजबूल, दुष्टात्माओं के प्रधान, की शक्ति से दुष्टात्माओं को निकालता है”। diff --git a/luk/11/16.md b/luk/11/16.md new file mode 100644 index 0000000..7754b42 --- /dev/null +++ b/luk/11/16.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# औरों ने उसकी परीक्षा करने के लिए + +“कुछ और भी लोग थे जिन्होंने यीशु को परखने के लिए”, वे परमेश्वर के अधिकार को सिद्ध करने के लिए उससे प्रमाण मांग रहे थे। + +# उससे आकाश का एक चिन्ह मांगा + +“उससे अलौकिक चिन्ह मांगा” या “उससे कहा कि वह कोई स्वर्गीय चिन्ह दिखाए” वे चाहते थे कि यीशु अपने ईश्वरीय अधिकार को इस प्रकार सिद्ध करे + +# जिस-जिस राज्य में फूट होती है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब किसी राज्य की प्रजा में गृह युद्ध करे” + +# वह राज्य उजड़ जाता है + +“तो वह नष्ट हो जाता है” + +# जिस घर में फूट होती है + +“जिस परिवार के सदस्यों में आपसी कलह हो, वह विभाजित हो जाता है” या “जिस परिवार के सदस्य एक दूसरे से लड़ते रहें तो वह अखंड परिवार नहीं रहता है”। यहाँ “घर” का अर्थ है, “परिवार” या “घर के सदस्य” + +# नष्ट हो जाता है + +“बिखर कर नष्ट हो जाता है” घर के नष्ट हो जाने की उपमा परिवार के विभाजन को दर्शाती है जब उसके सदस्य आपस में कलह करते हैं। diff --git a/luk/11/18.md b/luk/11/18.md new file mode 100644 index 0000000..8f96d22 --- /dev/null +++ b/luk/11/18.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को दुष्टात्माओं के बारे में भी शिक्षा दे रहा है) + +# यदि शैतान अपना ही विरोधी हो जाए + +यदि शैतान और उसके राज्य की आत्माएं आपस में लड़ें” + +# तो उसका राज्य कैसे बना रहेगा? + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “शैतान का राज्य स्थिर नहीं रह सकता है” या “शैतान का राज्य नष्ट हो जाएगा”। + +# यह शैतान की सहायता से दुष्टात्माएं निकालता है + +“तुम कहते हो कि मैं बालजबूल की सहायता से दुष्टात्माएं निकालता हूँ”, विवाद का अगला चरण स्पष्ट व्यक्त किया जाए, “इसका अर्थ यह हुआ कि शैतान अपने ही विरोध में काम करता है” + +# तुम्हारी सन्तान किसकी सहायता से निकालते हैं? + +“तुम्हारे अनुयायी किसकी सहायता से दुष्टात्माएं निकालते हैं? “यह एक आलंकारिक प्रश्न है जिसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तो तुम्हें मानना होगा कि तुम्हारे अनुयायी भी बाजजबूल की सहायता से दुष्टात्माएं निकालते हैं। इस कथन का अभिप्रेत मूल्यांकन स्पष्ट किया जाए, “हम जानते हैं कि यह सच नहीं है”। + +# वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएंगे + +तुम्हारे अनुयायी जो परमेश्वर के सामर्थ्य से दुष्टात्माएं निकालते हैं, मुझ पर बालजबूल की सहायता से दुष्टात्माएं निकालने के तुम्हारे दोष का न्याय करेंगे”। + +# परमेश्वर की सामर्थ्य + +“परमेश्वर की सहायता से” (देखें Metonymy) + +# परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुंचा है + +“इसका अर्थ है कि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे मध्य आ गया है”। diff --git a/luk/11/21.md b/luk/11/21.md new file mode 100644 index 0000000..f2dd28e --- /dev/null +++ b/luk/11/21.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को दुष्टात्माओं के बारे में भी शिक्षा दे रहा है) + +# जब एक बलवन्त मनुष्य + +यह कहानी एक रूपक है। उस बलवन्त मनुष्य को जिस पर बाहर से आक्रमण करने की तुलना यीशु से की गई है जो दुष्टात्माएं निकालता है तो वह बाहर से शैतान पर आक्रमण करता है। + +# उसकी सम्पत्ति बची रहती है + +“उसका सामान कोई चुरा नहीं सकता है” + +# उसकी सम्पत्ति लूट कर बांट लेता है + +इसका अनुवादक इस प्रकार किया जा सकता है, “उसका सामान अपने अधिकार में कर लेता है” या “जो वह चाहता है ले जाता है”। + +# “जो मेरे साथ नहीं” + +“जो मेरा सहयोगी नहीं” या “जो मेरा सहकर्मी नहीं” + +# “जो मेरे विरोध में है + +“मेरे विरूद्ध है” यह उन लोगों के सदंर्भ में है, जो यीशु पर बालजबूल की सहायता से काम करने का दोष लगा रहे थे। diff --git a/luk/11/24.md b/luk/11/24.md new file mode 100644 index 0000000..7e38fa1 --- /dev/null +++ b/luk/11/24.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को दुष्टात्माओं के बारे में भी शिक्षा दे रहा है) + +# सूखी जगहों में + +अर्थात् निर्जन स्थानों में, जहाँ दुष्टात्मा भटकती है। + +# जब नहीं पाती + +“जब वह दुष्टात्मा कहीं विश्राम नहीं पाती है” + +# मैं अपने उसी घर में जहाँ से मैं निकली थी + +यह एक रूपक है जो उस मनुष्य का संदर्भ देता है जिसमें से वह दुष्टात्मा निकली थी। इसका अनुवाद होगा, “वह मनुष्य जिसमें मैं अन्तर्वास करती थी”। (यू.डी.बी. पद 26 को यू.डी.बी. में उपमा देकर अनुवाद किया गया है। + +# आकर उसे झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “आकर देखते है कि किसी ने उस घर को झाड़कर साफ कर दिया है और सब कुछ यथास्थान में रखा हुआ है” + +# झाड़ा-बुहारा + +“खा लो” यह रूपक उस मनुष्य को दर्शाता है जिसमें से दुष्टात्मा निकल गई थी परन्तु उसने उसमें पवित्र-आत्मा का अन्तर्वास नहीं होने दिया। diff --git a/luk/11/27.md b/luk/11/27.md new file mode 100644 index 0000000..e5dfc9a --- /dev/null +++ b/luk/11/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# (और ऐसा हुआ कि) + +इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# ऊँचे शब्द से कहा + +“जनसमूह के कोलाहल से और भी ऊँचे स्वर में” + +# धन्य है वह गर्भ जिसमें तू रहा और वे स्तन जो तूने चूसे। + +“सौभाग्य उस स्त्री का जिसने तुझे स्तनपान करवाया” “सौभाग्यवती है वह स्त्री जिसने तुझे जन्म दिया और दूध पिलाया”। कहने का अर्थ है कि वह स्त्री जो उसकी माता है। . + +# धन्य है + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, कैसी आनन्दित” या “परमेश्वर से आशिषित” diff --git a/luk/11/29.md b/luk/11/29.md new file mode 100644 index 0000000..455796f --- /dev/null +++ b/luk/11/29.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# इस युग के लोग + +“इस समय के लोग” (यू.डी.बी.) + +# चिन्ह ढूंढ़ते हैं + +“वे मुझसे चिन्ह देखना चाहते हैं” या “तुम में से अनेक जन चाहते हैं कि मैं चिन्ह दिखाऊं” वे कैसा चिन्ह देखना चाहते थे इसका अभिप्रेत जानकारी यू.डी.बी. के जैसे स्पष्ट की जा सकती है। (देखें: ) + +# चिन्ह उनको न दिया जाएगा। + +“परमेश्वर उन्हें कोई चिन्ह नहीं देगा” + +# योना के चिन्ह + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “योना के साथ जो हुआ” या “योना के लिए परमेश्वर ने जो चमत्कार किया” (यू.डी.बी.) + +# जैसा योना चिन्ह ठहरा.... वैसे ही + +अर्थात उस युग के यहूदियों के लिए यीशु परमेश्वर का वही चिन्ह होगा जो योना नीनवे के लोगों के लिए परमेश्वर का चिन्ह था। + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु स्वयं को संबोधित कर रहा है diff --git a/luk/11/30.md b/luk/11/30.md new file mode 100644 index 0000000..4ce20ef --- /dev/null +++ b/luk/11/30.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# दक्षिण की रानी + +अर्थात् शीबा की रानी। शीबा इस्त्राएल के दक्षिण में एक राज्य था। + +# न्याय के दिन... उन्हें दोषी ठहराएगी + +“खड़ी होकर उन्हें दोष देगी” + +# पृथ्वी की छोर से आई थी + +“वह बहुत दूर से आई थी”। “पृथ्वी की छोर एक मुहावरा है जिसका अर्थ है “बहुत दूर से”। + +# सुलैमान से भी बड़ा है + +यीशु उन्हें झिड़की द्वारा जो समझाना चाहता था, “परन्तु तुमने मेरी बातें नहीं सुनी”। diff --git a/luk/11/32.md b/luk/11/32.md new file mode 100644 index 0000000..9637232 --- /dev/null +++ b/luk/11/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उन्होंने योना का प्रचार सुनकर उन्हें दोषी ठहराया + +“नीनवे के लोगों ने पश्चाताप किया” + +# योना से भी बड़ा है + +यीशु अपने बारे में कह रहा था। + +# यहाँ वह है जो योना से भी बड़ा है + +यीशु उन्हें झिड़क रहा था, “परन्तु तुमने पश्चाताप नहीं किया”। diff --git a/luk/11/33.md b/luk/11/33.md new file mode 100644 index 0000000..513c332 --- /dev/null +++ b/luk/11/33.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# (यीशु जनसमूह को ही शिक्षा दे रहा है) + +यीशु को जनसमूह में सबसे आशा नहीं थी कि वे यीशु की शिक्षा को समझें। अतः यही उचित है कि रूपकों की व्याख्या करने की अपेक्षा उनका ज्यों का त्यों अनुवाद किया जाए। + +# दीया + +एक कटोरे में जैतून का तेल डालकर उसमें बत्ती लगाकर जलाया जाता था परन्तु यहाँ मुख्य बात यह है कि उससे प्रकाश फैलता था। + +# तल घर में या पैमाने के नीचे नहीं रखता + +“छिपा कर नहीं रखता है” + +# दीवट पर + +“दीपदान पर” या “मेज पर” या “उपले में” + +# दीया तेरी आँख है + +इसके अनेक अलंकार हैं। आँख का लाक्षणिक उपयोग देखने के लिए भी किया जाता है जो समझ का रूपक है। देह मनुष्य के जीवन का भी द्योतक है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तेरी आँख का दीपक है”। (देखें और और ) क्योंकि यीशु सबके लिए एक सत्य की चर्चा कर रहा था इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आँख मानवीय देह का दीपक है। + +# तेरी आँख निर्मल है + +“जब तेरी दृष्टि उत्तम है” या “जब तू स्पष्ट देख सकता है”, + +# तेरा सारा शरीर भी उजियाला है। + +उजियाला सत्य का रूपक है जिसका अर्थ है, “तेरा संपूर्ण जीवन सत्य ज्योति से पूर्ण है” या “उसका संपूर्ण जीवन सत्य से पूर्ण है” + +# वह बुरी है तो तेरा शरीर भी अन्धेरा है + +अन्धेरा झूठ का रूपक है। इसका अर्थ है, “यदि तेरी दृष्टि अच्छी नहीं तो तेरा संपूर्ण जीवन झूठ से भरा है”। diff --git a/luk/11/37.md b/luk/11/37.md new file mode 100644 index 0000000..0f7656c --- /dev/null +++ b/luk/11/37.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# भोजन करने बैठा + +“भोजन तख्त पर बैठा” उनकी प्रथा में भोजन करते समय आधा लेटकर भोजन किया जाता था। + +# धोना + +“हाथ नहीं धोए” या “संस्कारिक रीति से हाथ नहीं धोए”, फरीसियों का एक नियम था कि परमेश्वर के समक्ष संस्कारिक शुद्धता के लिए हाथ धोना आवश्यक है। diff --git a/luk/11/39.md b/luk/11/39.md new file mode 100644 index 0000000..769feb3 --- /dev/null +++ b/luk/11/39.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुम कटोरे और थाली को ऊपर-ऊपर से मांझते हो + +बर्तनों को बाहर से धोना फरीसियों का सांस्कारिक अभ्यास था। + +# परन्तु तुम्हारे भीतर अन्धेरा और दुष्टता भरी है + +इस रूपक द्वारा पात्रों के भीतर की शुद्धता की तुलना उनके मन की दशा से की गई है। + +# जिसने बाहर का भाग बनाया क्या उसने भीतर का भाग नहीं बनाया? + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यीशु उस फरीसी को झिड़क रहा था कि वह समझता नहीं कि परमेश्वर मन को देखता है। इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। + +# भीतर वाली वस्तुओं को दान कर दो + +“भीतर जो है उसे गरीबों में बांट दो” इसका अर्थ है, “अपने भीतर के भाग को परमेश्वर पर केन्द्रित कर अपेक्षा इसके कि केवल बाहरी सफाई करे”। diff --git a/luk/11/42.md b/luk/11/42.md new file mode 100644 index 0000000..18c7159 --- /dev/null +++ b/luk/11/42.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु फरीसी ही से बातें कर रहा है) + +# तुम पोदीने और सुदाब का और सब भांति के साग-पात का दशमांश देते हो। + +“तुम अपने पोदीने, ब्राहमी और सब्जियों का दसवां भाग परमेश्वर को देते हो”। यीशु एक उदाहरण दे रहा था कि फरीसी अपनी आय का दसवां भाग परमेश्वर को देने में कैसे कट्टर थे। + +# पोदीने अैर सुदाब + +ये पत्ते हैं सुगन्ध के लिए भोजन में डाले जाते है। यदि आपके पाठक पोदीना और ब्राहमी नहीं जानते तो आप किसी मसाले के नाम काम में लें या केवल सुगन्धित पत्ते कहें। + +# सब भांति के साग-पात + +इसके संभावित अर्थ हैं (1) हर एक सब्जी का” या (2) बगीचे के हर एक पौधे का” + +# उन्हें भी न छोड़ते + +यह दोहरी नकारात्मकता को सकारात्मक वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, “अन्य उचित कार्य भी करते” diff --git a/luk/11/43.md b/luk/11/43.md new file mode 100644 index 0000000..2711f21 --- /dev/null +++ b/luk/11/43.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु फरीसियों ही से बातें कर रहा है) + +# मुख्य-मुख्य आसन + +“सम्मानित स्थान” + +# छिपी कब्रों के समान हो जिन पर लोग चलते हैं परन्तु नहीं जानते + +यह एक उपमा है। फरीसी छिपी हुई कब्रों के सदृश्य थे क्योंकि वे सांसारिक रूप से शुद्ध दिखते थे परन्तु उनके कारण मनुष्य अशुद्ध होता था। यह समानता यू.डी.बी. में अधिक स्पष्ट की गई है। + +# छिपी कब्रें । + +ये कब्रें भूमि में खोद कर मृतकों को गाड़ने की थी। उन्हें सफेद पत्थरों से ढांका नहीं जाता था कि लोग उन्हें देख पाएं। यदि कोई कब्र पर चढ़ जाए तो वह अशुद्ध हो जाता था। diff --git a/luk/11/45.md b/luk/11/45.md new file mode 100644 index 0000000..e48ce61 --- /dev/null +++ b/luk/11/45.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम ऐसे बोझ.... मनुष्यों पर लादते हो + +“तुम मनुष्यों पर ऐसा बोझ डालते हो कि वे उठा नहीं सकते, यह एक रूपक है। मनुष्यों को नियमों के अधीन करना ऐसा है जैसा उन पर भारी बोझ डालना। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम मनुष्यों को पालन करने के लिए बहुत नियम देते हो”। + +# उन बोझों को एक उँगली से भी नहीं छूते + +“परन्तु तुम उँगली लगा कर भी बोझ उठाने में उनकी सहायता नहीं करते”। इसका अर्थ है, “परन्तु उन नियमों का पालन करने में तुम मनुष्यों की लेशमात्र भी सहायता नहीं करते। diff --git a/luk/11/47.md b/luk/11/47.md new file mode 100644 index 0000000..7e2bf20 --- /dev/null +++ b/luk/11/47.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +(यीशु विधि शिक्षकों से ही बातें कर रहा है) + +# (और यह भी) + +इस उक्ति द्वारा भविष्यद्वक्ताओं के प्रति उनके सम्मान ओर उनके पूर्वजों द्वारा भविष्यद्वक्ताओं की हत्या के मध्य विषमता की ओर ध्यान आकर्षित करवाया गया है। + +# तुम गवाह हो और अपने बाप दादों के कामों से सहमत हो। + +यहाँ झिड़की निहित है, “तुमने उनके कामों को अनुचित नहीं कहा”। वे भविष्यद्वक्ताओं की हत्याओं के बारे में जानते थे परन्तु उन्हें दोषी नहीं ठहराते थे। diff --git a/luk/11/49.md b/luk/11/49.md new file mode 100644 index 0000000..0db6e59 --- /dev/null +++ b/luk/11/49.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु धर्म गुरूओं से ही बातें कर रहा है) + +# इसलिए + +यह उंगली अभिव्यक्ति से संबन्धित है। परमेश्वर और भविष्यद्वक्ताओं को भेजेगा कि सिद्ध करे कि वह पीढ़ी अपने पूर्वजों के सदृश्य उनकी हत्या करेगी। + +# परमेश्वर की बुद्धि + +“परमेश्वर ने अपनी बुद्धि के द्वारा कहा” या “परमेश्वर ने बुद्धिमानी से कहा” + +# “मैं.... भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को भेजूंगा + +“मैं” अपने लोगों में भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को भेजूंगा”। + +# वे उनमें से कुछ को मार डालेंगे + +“मेरे लोग कुछ भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को मार डालेंगे”। + +# जितने भी भविष्यद्वक्ताओं का लहू.... बहाया गया है सब का लेखा इस युग के लोगों से लिया जाएगा। + +लहू बहाने का संदर्भ भविष्यद्वक्ताओं की हत्या से है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जितने भी भविष्यद्वक्ताओं की आज तक हत्या की गई है उनके लहू का लेखा लिया जाएगा। + +# जकर्याह + +वह संभवतः 2 इतिहास में वर्णित भविष्यद्वक्ता है, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का पिता नहीं। diff --git a/luk/11/52.md b/luk/11/52.md new file mode 100644 index 0000000..04e47a9 --- /dev/null +++ b/luk/11/52.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु विधि शिक्षकों से ठीक कह रहा है कि वे परमेश्वर के विरूद्ध कैसे पाप करते हैं।) + +# कुंजी ले तो ली + +इस रूपक का अर्थ है, “तुमने मनुष्यों को परमेश्वर के सत्य में प्रवेश करने से बाधित किया है”। इसका अनुवाद उपमा देकर भी किया जा सकता है जैसे यू.डी.बी. में किया गया है। + +# कुंजी + +यह पहुंचने का साधन दर्शाता है जैसे किसी घर में या भण्डारगृह में पहुँचना है। + +# आप ही प्रवेश नहीं किया + +“तुम स्वयं ज्ञान ग्रहण करने हेतु प्रवेश नहीं करते” इस रूपक का अर्थ है, “तुम स्वयं ज्ञान का उपयोग करते हो। diff --git a/luk/11/53.md b/luk/11/53.md new file mode 100644 index 0000000..c1b99b5 --- /dev/null +++ b/luk/11/53.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जब वह वहां से निकला + +“जब यीशु उस फरीसी के घर से चला गया” + +# उसके मुंह की कोई बात पकड़ें + +यह एक रूपक है। वे चाहते थे कि यीशु कोई अनुचित बात कहे और वे उस पर दोष लगाएं। इसका अनुवाद रूपक के बिना किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। diff --git a/luk/12/01.md b/luk/12/01.md new file mode 100644 index 0000000..50bfa74 --- /dev/null +++ b/luk/12/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# इतने में + +जब वे षड्यंत्र रच रहे थे + +# हजारों की भीड़ + +“हजारों लोग” या “विशाल जनसमूह” + +# एक दूसरे पर गिरे पड़ते थे + +यह एक अतिशयोक्ति है जो दर्शाती है कि वहां बहुत अधिक लोग थे। इसका अर्थ है कि वे धक्का-मुक्की कर रहे थे। + +# सबसे पहले अपने शिष्यों से कहने लगा + +यीशु ने सबसे पहले अपने शिष्यों से कहा + +# चौकस रहना + +“अनर्थ से सतर्क रहना” या “अपने को सुरक्षित रखना + +# फरीसियों के कपट रूपी खमीर से + +यह एक रूपक है। इसका अनुवाद उपमा देकर भी किया जा सकता है, “फरीसियों के पाखंड से जो खमीर जैसा है”। जिस प्रकार कि खमीर संपूर्ण आटे में फैल जाता है उसी प्रकार उनका पाखंड भी संपूर्ण समुदाय में फैल रहा है इस संपूर्ण चेतावनी का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सावधान रहो कि तुम भी फरीसियों के सदृश्य पाखंडी नहीं बन जाओ”। उनका कपटी व्यवहार सबको प्रभावित करता है जिस प्रकार कि खमीर आटे को पूर्णतः प्रभावित कर देता है”। diff --git a/luk/12/02.md b/luk/12/02.md new file mode 100644 index 0000000..25127d6 --- /dev/null +++ b/luk/12/02.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को पाखंड के प्रति चेतावनी दे रहा है) + +# कुछ ढका नहीं जो खोला न जाएगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “हर एक छिपी वस्तु प्रगट होगी” या “मनुष्य के गुप्त कामों को लोग जान लेंगे”। + +# न कुछ छिपा है जो जाना न जाएगा + +यह वाक्यांश भी वही बात कहता है जो उपरोक्त वाक्यांश में कही गई है, इसलिए कि उसके तथ्य का महत्त्व प्रकट हो। + +# कानों कान कहा है + +अर्थात “कानों में फुसफुसाया गया है” + +# कोठरियों में + +“बन्द कमरों में” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बन्द दरवाजों के पीछे” या “अकेले में” या “गुप्त रूप से”। + +# प्रचार किया जाएगा। + +“चिल्ला-चिल्लाकर कहा जाएगा” या “मनुष्य उसका प्रचार करेंगे”। + +# छत पर + +इस्त्राएल के घरों की छतें समतल होती थी। लोग वहां जाकर खड़े हो सकते थे। यदि पाठकों को इसकी कल्पना करने में असुविधा हो तो इसका अनुवाद अधिक सामान्य अभिव्यक्ति द्वारा किया जा सकता है, “ऊंचे स्थान से जहाँ से सबके लिए सुनना संभव हो”। diff --git a/luk/12/04.md b/luk/12/04.md new file mode 100644 index 0000000..45cd3f5 --- /dev/null +++ b/luk/12/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से ही बातें कर रहा है) + +# कुछ नहीं कर सकते + +“उससे अधिक और कुछ नहीं कर सकते” या “वे इससे अधिक हानि नहीं पहुंचा सकते” या “वे तुम्हें और अधिक कष्ट नहीं दे सकते”, + +# किससे डरना चाहिए + +“परमेश्वर से डरो” या “जिसको” या “परमेश्वर से डरो क्योंकि” + +# घात करने के बाद + +“तुम्हें मारने के बाद” या “किसी को मार डालने के बाद” + +# नरक में डालने का अधिकार है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसके पास मनुष्य को नरक में डालने का अधिकार है” diff --git a/luk/12/06.md b/luk/12/06.md new file mode 100644 index 0000000..deb5014 --- /dev/null +++ b/luk/12/06.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को समझा रहा है) + +# क्या दो पैसे की पांच गौरेयां नहीं बिकती” + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “गौरेयों पर ध्यान दो। उनका मूल्य कितना कम है कि वे पैसे में पांच मिलती हैं” + +# गौरेयां + +ये छोटी-छोटी दाना चुगने वाली चिड़ियाँ होती हैं। + +# परमेश्वर उनमें से एक को भी नहीं भूलता + +“परमेश्वर उनमें से एक को भी नहीं भूलता है। (यू.डी.बी.) या “परमेश्वर एक भी गौरेया की सुधि लेने से नहीं चूकता है” + +# तुम्हारे सिर के बाल भी गिने हुए है + +“परमेश्वर जानता है कि तुम्हारे सिर पर कितने बाल हैं” + +# इसलिए डरो नहीं + +“इसलिए मनुष्यों से डरो नहीं” या “इसलिए तुम्हें हानि पहुंचाने वाले मनुष्यों से मत डरो”। + +# तुम बहुत गौरेयों से बढ़ कर हो + +“परमेश्वर तुम्हें अनेक गौरेयों से अधिक मूल्यवान समझता है”। diff --git a/luk/12/08.md b/luk/12/08.md new file mode 100644 index 0000000..2ed0a5a --- /dev/null +++ b/luk/12/08.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को समझा रहा है) + +# जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा + +“जो लोगों से कहेगा कि वह मेरा शिष्य है” या “जो कोई मनुष्यों के समक्ष मेरे प्रति स्वामी-भक्ति स्वीकार करेगा”। + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु स्वयं को संबोधित कर रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं, मनुष्य का पुत्र” + +# जो मनुष्यों के सामने मेरा इनकार करे + +“जो मनुष्यों के समक्ष मेरा त्याग करे”, इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो मनुष्यों के समक्ष मेरा शिष्य होना स्वीकार न करे” या “जो मेरे प्रति स्वामी-भक्ति से इन्कार करे” + +# इन्कार किया जायेगा + +“त्याग किया जायेगा”। इसका अनुवाद इस प्रकार यिा जा सकता है, “परमेश्वर का पुत्र भी उसका इन्कार करेगा” या “मैं उसे अपना शिष्य स्वीकार नहीं करूंगा” + +# जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात करे + +“जो कोई मनुष्य के पुत्र की बुराई करे” + +# उसका वह अपराध क्षमा किया जाएगा। + +“वह क्षमा किया जाएगा” या “परमेश्वर उसके लिए उसे क्षमा कर देगा”। + +# जो पवित्र-आत्मा की निन्दा करे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसे पवित्र-आत्मा के विरूद्ध बुरी बात कहे” या पवित्र-आत्मा को दुष्ट कहे”। diff --git a/luk/12/11.md b/luk/12/11.md new file mode 100644 index 0000000..85e61f5 --- /dev/null +++ b/luk/12/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से ही बातें कर रहा है) + +# सभाओं में + +आराधनालयों में धर्म-गुरूओं के समक्ष पूछताछ के लिए” (यू.डी.बी.) + +# अधिकारियों + +“देश में जो अधिकार के पद पर नियुक्त हैं” + +# तो + +“उस समय” या “तब” diff --git a/luk/12/13.md b/luk/12/13.md new file mode 100644 index 0000000..90d6b9a --- /dev/null +++ b/luk/12/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हे मनुष्य + +कुछ अनुवाद इस व्यक्ति को एक अनजान मनुष्य को संबोधित करने की विधि मानते हैं। कुछ के विचार में यीशु किस विशेष मनुष्य को झिड़क रहा था। आपकी भाषा में इन दोनों अभिव्यक्तियों को व्यक्त करने के शब्द होंगे। कुछ लोग इसका अनुवाद ही नहीं करते हैं। + +# किसने मुझे तुम्हारा न्यायी नियुक्त किया है? + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “मैं तुम्हारा न्यायी या मध्यस्थ नहीं हूँ। जिन भाषाओं में द्विवचन है, वे यहाँ इसका उपयोग करें। + +# बांटनेवाला + +बांटनेवाला अर्थात् समस्या का समाधान खोजने वाला। + +# उसने उनसे पूछा + +यहाँ “उनसे” का संदर्भ संभवतः जनसमूह से है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यीशु ने जनसमूह से कहा” + +# हर प्रकार के लोगों से अपने आप को बचाए रखो + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “सम्पदा प्राप्ति की लालसा मन में न आने दो” या “और अधिक पाने की लालसा के अधीन न हो जाओ”। + +# किसी का जीवन + +यह एक सामान्य तथ्य है। यह किसी व्यक्ति विशेष का बोध नहीं कराता है। कुछ भाषाओं में इसे व्यक्त करने की उक्तियां हैं। + +# सम्पत्ति की बहुतायत + +“उसके पास कितना है” या “उसके पास कितनी धन-सम्पदा है”। diff --git a/luk/12/16.md b/luk/12/16.md new file mode 100644 index 0000000..40b130e --- /dev/null +++ b/luk/12/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसने उनसे .... कहा + +संभवतः यीशु अब भी जनसमूह से बातें कर रहा है + +# बड़ी उपज हुई + +“बहुत अधिक फसल आई” + +# बखारियां + +बखारियां वे पक्के गोदाम होते है यहाँ किसान अपनी फसल और भोजन की वस्तुएं सुरक्षित रखते हैं। + +# सम्पत्ति + +“सब सामान” + +# अपने प्राण से कहूंगा + +“अपने आपसे कहूंगा” (यू.डी.बी.) diff --git a/luk/12/20.md b/luk/12/20.md new file mode 100644 index 0000000..01f5969 --- /dev/null +++ b/luk/12/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु उसी धनवान मनुष्य की कहानी सुना रहा है) + +# इसी रात तेरा प्राण तुझसे ले लिया जाएगा। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तू आज रात ही मर जाएगा” या “तेरी जान आज रात तुझसे ले ली जाएगी”। + +# “वह किसका होगा”? + +“तेरा धन संचय किसका होगा”? या “तेरा एकत्र किया हुआ किसके पास जाएगा”? इस अलंकारिक प्रश्न का उद्देश्य है कि उस मनुष्य को यह बोध हो कि उसकी धन-सम्पदा अन्ततः उसकी नहीं रहेगी। + +# जो अपने लिए धन बटोरता है + +“मूल्यवान वस्तुएं एकत्र करता है” + +# धनी नहीं + +“आशीष या “कृपया” या “उदारतारहित” + +# परमेश्वर की दृष्टि में + +इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर के विचार में” या “परमेश्वर के संबध में, इसका अर्थ है कि उस मनुष्य ने परमेश्वर के लिए जो महत्त्वपूर्ण है उसमें निवेश नहीं किया है या परमेश्वर जिसका प्रतिफल देगा उसमें निवेश नहीं किया है। diff --git a/luk/12/22.md b/luk/12/22.md new file mode 100644 index 0000000..e10b9c7 --- /dev/null +++ b/luk/12/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ + +“अतः” या “इस कारण” या “इस कहानी की शिक्षा के द्वारा” + +# मैं तुझ से कहता हूँ + +मैं तुम्हें एक महत्त्वपूर्ण बात बताता हूँ” या “तुम्हें ध्यान से सुनने की आवश्यकता है” + +# अपने प्राण की चिन्ता न करो कि हम क्या खाएंगे + +इसका अनुवाद हो सकता है, “अपने प्राण और भोजन की चिन्ता न करो” या “जीने के लिए पर्याप्त भोजन की” + +# न शरीर की, कि क्या पहनेंगे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपने शरीर की और वस्त्रों की” या “शरीर के लिए वस्त्रों की” diff --git a/luk/12/24.md b/luk/12/24.md new file mode 100644 index 0000000..9578a76 --- /dev/null +++ b/luk/12/24.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# कौवों + +इसका संदर्भ या तो (1) कौवों से है जो दाना खाने वाली चिडियां हैं या (2) काले कौवों से है जो मृतकों का मांस खाते हैं। यीशु के श्रोता कौवों को व्यर्थ समझते थे क्योंकि उन्हें खाया नहीं जा सकता। + +# तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है। + +यह संबोधन कारक है जो इस तथ्य पर बल देता है कि परमेश्वर के लिए मनुष्य पक्षियों से अधिक मूल्यवान हैं। + +# एक घड़ी + +“यह एक रूपक है। मनुष्य का जीवन बढ़ाया नहीं जा सकता है। diff --git a/luk/12/27.md b/luk/12/27.md new file mode 100644 index 0000000..9a91876 --- /dev/null +++ b/luk/12/27.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# सोसनों + +सोसन जंगलों में उगनेवाले जंगली फूल होते हैं। यदि आपकी भाषा में सोसन का फूल नहीं है तो आप इसी प्रकार के किसी और का नाम ले सकते हैं पर केवल “फूल” शब्द का उपयोग कर सकते हैं। + +# न कातते + +“ ना ही वे वस्त्र तैयार करने के लिए धागा बनाते हैं” या “वे धागा नहीं बनाते हैं। + +# सुलैमान भी अपने सारे वैभव में + +“सुलैमान जो बहुत ही अधिक धनवान था” या “सुलैमान जो अनमोल वस्त्र पहनता था”। + +# यदि परमेश्वर मैदान की घास को .... ऐसा पहनाता है + +“यदि परमेश्वर मैदान में उगने वाली घास को ऐसा विभूषित करता है” या “परमेश्वर मैदान की घास को ऐसा सुसज्जित करता है”। घास को पहनाना एक रूपक है जिसका अर्थ है “घास को सौंदर्य प्रदान करना” + +# वह तुम्हें क्यों न पहिनाएगा? + +यह संबोधन कारक है कि परमेश्वर घास की तुलना में मनुष्य की अधिक सुधि लेगा diff --git a/luk/12/29.md b/luk/12/29.md new file mode 100644 index 0000000..7acd99c --- /dev/null +++ b/luk/12/29.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# इस बात की खोज में न रहो कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे। + +“खाने-पीने पर ध्यान मत दो” या “बहुत खाने पीने की लालसा मत करो” + +# संसार की जातियां + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “संसारिक लोग” या “संसार में अविश्वासी जातियां” यहाँ अविश्वासियों के लिए लाक्षणिक प्रयोग है। diff --git a/luk/12/31.md b/luk/12/31.md new file mode 100644 index 0000000..446943d --- /dev/null +++ b/luk/12/31.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# उसके राज्य की खोज में रहो + +“परमेश्वर के राज्य में ध्यान लगाओ या “परमेश्वर के राज्य की लालसा करो”। + +# ये वस्तुएं भी तुम्हें मिल जायेंगी + +“ये सब कुछ तुम्हें मिल जाएगा”, “ये वस्तुएं” अर्थात भोजन ओर वस्त्र। + +# हे छोटे झुण्ड + +यीशु अपने शिष्यों को भेड़ों का झुण्ड कह रहा था। भेड़ों के या बकरियों के झुण्ड की रखवाली चरवाहा करता है जिस प्रकार चरवाहा अपनी भेड़ों की रखवाली करता है उसी प्रकार परमेश्वर यीशु के शिष्यों की रखवाली करेगा। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “छोटे समूह” या “प्रिय समूह” diff --git a/luk/12/33.md b/luk/12/33.md new file mode 100644 index 0000000..5dc24a9 --- /dev/null +++ b/luk/12/33.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# दान कर दो + +“अपनी सम्पत्ति को बेच कर जो धनराशि प्राप्त हो वह गरीबों में बांट दो” + +# अपने लिए ऐसे बटुए बनाओ.... अर्थात स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इस प्रकार तुम अपने लिए ऐसे बटुए बनाओगे....” स्वर्ग में बटुए और धन एक ही बात हैं। दोनों ही परमेश्वर की आशिषों को द्योतक हैं। + +# ऐसे बटुएं बनाओ जो पुराने नहीं होते + +“जिन बटुओं में छेद नहीं होता है” + +# पुराने नहीं होते + +“घटता नहीं” या “कम नहीं होता” diff --git a/luk/12/35.md b/luk/12/35.md new file mode 100644 index 0000000..83457ff --- /dev/null +++ b/luk/12/35.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# तुम्हारी कमरें बंधी रहें + +वे लम्बा चोगा पहनते थे और काम करते समय उसे ऊपर करके कमर पर बान्ध लेते थे कि उससे रुकावट उत्पन्न न हो। इस निहितार्थ को स्पष्ट करने के लिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सेवा में तत्पर रहने के लिए वस्त्रों को कमर में कस लो” या “वस्त्र धारण करके सेवा के लिए तैयार हो जाओ। + +# तुम्हारे दीये जलते रहें + +“अपने दीये जलते हुए रखो”। + +# दीये + +ये छोटे कटोरे होते थे जिनमें जैतून का तेल डालकर एक बत्ती लगाई जाती थी जिसे जलाते थे। + +# उन मनुष्यों के समान बनों जो अपने स्वामी की बाट देख रहे हैं। + +यह एक उपमा है जो यीशु के शिष्यों को यीशु के पुनः आगमन के लिए तैयार रहने की तुलना उन सेवकों से करती है जो अपने स्वामी के लौटने की प्रतीक्षा में खड़े हैं। यह एक शिक्षाप्रद कथा का आरंभ है। + +# विवाह से कब लौटेगा + +“विवाह उत्सव से कब लौटेगा” diff --git a/luk/12/37.md b/luk/12/37.md new file mode 100644 index 0000000..d559c6b --- /dev/null +++ b/luk/12/37.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को एक शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# धन्य है + +कैसा सौभाग्य है + +# जिन्हें स्वामी आकर जागते पाए + +“अपने आगमन पर उनका स्वामी उनकी प्रतीक्षा कर रहा था” या “जो अपने स्वामी के लिए आगमन पर तैयार पाए जाएं”। + +# वह कमर बांध कर उन्हें भोजन करने को बैठाएगा + +यह पिछले पद का विपरीत है। क्योंकि सेवक अपने स्वामी के प्रति निष्ठावान थे इसलिए उन पर स्वामी उन्हें अपनी सेवा द्वारा प्रतिफल देगा। + +# वह कमर बांध कर + +इसके अनुवाद में निहितार्थ को स्पष्ट किया सकता है, “वह कमर कसकर उनकी सेवा करेगा” या “तैयार होकर उनकी सेवा करेगा” + +# रात के दूसरे पहर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “रात में बहुत देर से” या “मध्य रात्री से कुछ ही समय पूर्व” दूसरा पहर रात 9 बजे से 12 बजे के बीच का होता था। + +# या तीसरे पहर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि वह रात में बहुत देर से आए” तीसरा यह रात 12 बजे से सुबह 3 बजे तक का होता था। diff --git a/luk/12/39.md b/luk/12/39.md new file mode 100644 index 0000000..ca8e2fe --- /dev/null +++ b/luk/12/39.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को एक शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# तुम सोचते भी नहीं, उसी समय मनुष्य का पुत्र आ जाएगा। + +एक चोर और मनुष्य के पुत्र में एकमात्र समानता यह है कि मनुष्य दोनों ही के आगमन के बारे में नहीं जानते हैं इसलिए उन्हें सदैव तैयार रहना है। + +# मनुष्य का पुत्र आ जायेगा + +यीशु अपने बारे में कह रहा था। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “जब मैं, मनुष्य का पुत्र आऊंगा diff --git a/luk/12/41.md b/luk/12/41.md new file mode 100644 index 0000000..a50c86e --- /dev/null +++ b/luk/12/41.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तू हम ही से या सबसे कहता है + +यह अलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु ने पतरस के प्रश्न का सीधा उत्तर नहीं दिया परन्तु यह अपेक्षा की कि जो विश्वासयोग्य प्रबन्धक होना चाहते थे वे इस शिक्षाप्रद कथा को समझें। इसका आरंभ एक सरकारी व्यवस्था से किया जा सकता है, “मैंने उन सबके लिए कहा जो ....” + +# विश्वासयोग्य और बुद्धिमान भण्डारी + +यीशु एक और शिक्षाप्रद कथा सुनाता है कि सेवक को अपने स्वामी के आगमन की प्रतीक्षा में कैसा विश्वासयोग्य होना है। + +# जिसका स्वामी उसे नौकरों पर सरदार ठहराए + +“जिसे उसका स्वामी अपने अन्य सेवकों का व्यवस्थापक नियुक्त करे” + +# धन्य है वह दास + +“उस सेवक का कैसा सौभाग्य है” + +# जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करता पाए” + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिसका स्वामी उसे अपना कर्तव्य निष्ठापूर्वक निभाता पाएं” diff --git a/luk/12/45.md b/luk/12/45.md new file mode 100644 index 0000000..b23f187 --- /dev/null +++ b/luk/12/45.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को एक शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# वह दास + +अर्थात जिस सेवक को उसके स्वामी ने अपने अन्य सेवकों पर व्यवस्थापक नियुक्त किया था। + +# मेरा स्वामी आने में देर कर रहा है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरा स्वामी तो शीघ्र नहीं लौटेगा” + +# दासों और दासियों को + +इन शब्दों का मूल अर्थ है “लड़कों” और “लड़कियों” को अर्थात या तो वे युवा थे या स्वामी के प्रिय थे। + +# इसका भाग अविश्वासियों के साथ पाएगा + +“इसे अविश्वासियों में रखेगा”, या “उसे वहां भेज देगा जहाँ उसने अविश्वासियों को रखा है। diff --git a/luk/12/47.md b/luk/12/47.md new file mode 100644 index 0000000..570f401 --- /dev/null +++ b/luk/12/47.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को एक शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# बहुत मार खाएगा + +“उसकी बहुत” पिटाई होगी” या “कोड़ों की मार खाएगा” + +# जिसे बहुत दिया गया है, उससे बहुत मांगा जाएगा + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “उसका स्वामी उसे बहुत मारेगा” या “उसका स्वामी उसे कठोर दण्ड देगा”। + +# जिसे बहुत सौंपा गया उससे बहुत लिया जाएगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “स्वामी ने जिसे बहुत सौंपा है, उससे बहुत लेगा। यदि आपने पिछले वाक्य को कर्मवाच्य वाक्य में अनुवाद किया है तो यू.डी.बी. के अनुसार अनुवाद करने का विचार करें। + +# जिसे बहुत सौंपा गया है + +“जिसे बहुत सम्पदा का उत्तरदायित्व सौंपा गया है” या “जिसको अधिक उत्तरदायित्व सौंपा गया है। diff --git a/luk/12/49.md b/luk/12/49.md new file mode 100644 index 0000000..9615b4d --- /dev/null +++ b/luk/12/49.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# मैं पृथ्वी पर आग लगाने आया हूँ + +“मैं पृथ्वी पर आग उगलने आया हूँ” या “मैं पृथ्वी पर आग लगाने आया हूँ” + +# चाहता हूँ.... कि अभी सुलग जाती + +इस वाक्य से प्रकट होता है कि यीशु कैसा चाहता है कि ऐसा हो। इसका अनुवाद ऐसे किया जा सकता है, “मेरी गहन इच्छा है कि आग लग चुकी होती” या अधिक सामान्य रूप में कहें तो “मेरी तो बड़ी इच्छा है कि ऐसा हो चुका होता”, (वाक्यों के प्रकार का अध्याय देखें) + +# मुझे तो एक बपतिस्मा लेना है + +यहाँ बपतिस्मा, “ कष्ट सहने" रूपक स्वरूप काम में लिया गया है। जिस प्रकार बपतिस्में में मनुष्य जल मग्न हो जाता है उसी प्रकार यीशु कष्टों में मग्न हो जाएगा। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं कष्टों का बपतिस्मा लूंगा” या उपमा देकर, “मुझे कष्ट ऐसे डुबा देंगे जैसे बपतिस्मे में पानी मनुष्य को डुब देता है”। + +# परन्तु + +यहाँ “परन्तु” शब्द का अर्थ है कि वह अपने कष्टों के बपतिस्में के लिए पृथ्वी पर आग नहीं लगा पाएगा। + +# जब तक यह न हो ले, तब तक मैं कैसी व्यवस्था में रहूंगा + +इस वाक्य में उसकी मनोदशा पर बल देता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं अत्यधिक व्याकुल हूं और रहूंगा भी जब तक कि मेरे कष्ट पूरे न हों”। diff --git a/luk/12/51.md b/luk/12/51.md new file mode 100644 index 0000000..d6972b5 --- /dev/null +++ b/luk/12/51.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# क्या तुम समझते हो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने आया हूँ? + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। मनुष्यों ने मसीह से अपेक्षा की थी कि वह उन्हें बैरियों से शान्ति दिलाए। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम यह न सोचो कि मैं पृथ्वी पर शान्ति स्थापित करने आया हूँ। + +# वरन् अलग कराने आया हूँ + +“इसकी अपेक्षा मैं विभाजन कराने आया हूँ” + +# दल + +“विरोध” या “कलह” + +# एक घर में पाँच जन आपस में विरोध रखेंगे + +यह एक उदाहरण है कि परिवारों में भी विभाजन होगा। diff --git a/luk/12/54.md b/luk/12/54.md new file mode 100644 index 0000000..634b36d --- /dev/null +++ b/luk/12/54.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वर्षा होगी + +“वर्षा होने वाली है” या “पानी बरसेगा” (यू.डी.बी.) + +# धरती और आकाश + +मौसम को देखकर + +# इस युग के विषय में क्यों भेद करना नहीं चाहते। + +यह अलंकारिक प्रश्न झिड़की के लिए है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम्हें इस समय का भी अर्थ निर्धारण करना चाहिए”। diff --git a/luk/12/57.md b/luk/12/57.md new file mode 100644 index 0000000..6bb5297 --- /dev/null +++ b/luk/12/57.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है) + +# तुम आप ही निर्णय क्यों नहीं कर लेते कि उचित क्या है? + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है जो झिड़की है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम्हें तो सत्य को स्वयं ही अन्तर्ग्रहण कर लेना चाहिए” यहाँ भी सत्य के विषय यीशु की शिक्षा आरंभ होती है। + +# आप ही + +“स्वयं ही पहल करके” या “जब तुम्हारे पास समय है” (यू.डी.बी.) इसका सलंग्न अर्थ है कि श्रोताओं को अपनी रूचि एवं बुद्धि के आधार पर काम करना है कोई उन्हें विवश न करे। + +# जब तू अपने मुद्दई के साथ हाकिम के पास जा रहा है + +यह एक नई शिक्षाप्रद कथा का आरंभ है। यीशु परमेश्वर के आनेवाले दण्ड के लिए एक काल्पनिक परिस्थिति रच रहा है + +# मार्ग ही में + +यद्यपि यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है, ऐसी परिस्थिति में मनुष्य अकेला ही होता है। अतः आपकी भाषा में “तू” शब्द एकवचन में होना चाहिए। + +# छूटने का यत्न कर ले + +“अपने विरोधी के साथ समझौता कर ले” + +# हाकिम + +न्यायाधीश, परन्तु मूल शब्द अधिक विशिष्ट एवं भयावह है। diff --git a/luk/13/01.md b/luk/13/01.md new file mode 100644 index 0000000..208bf24 --- /dev/null +++ b/luk/13/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उस समय + +इस उक्ति द्वारा यह घटना अध्याय 12 के अन्त से जोड़ी गई है जिसमें यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा था। + +# जिनका लहू पिलातुस ने उन्हीं के बलिदानों के साथ मिला दिया था। + +यह एक रूपक है जिसमें उनकी मृत्यु को लहू कहा गया है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब जो बलिदान चढ़ाते समय पिलातुस द्वारा मार डाले गए थे”। पिलातुस ने स्वयं नहीं अपने सैनिकों को आज्ञा देकर उनकी हत्या करवाई थी। (देखें: Metonymy) + +# क्या तुम समझते हो कि ये गलीली और सब गलातियों से अधिक पापी थे? + +“क्या वे गलीलवासी अधिक पापी थे”? या “इससे क्या यह सिद्ध होता है कि ये गलीली अधिक पापी थे”? यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यह सकारात्मक वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, “तुम सोचते हो कि ये गलीली अधिक पापी थे” या आदेशात्मक वाक्य में, “यह न सोचों कि ये गलीली अधिक पापी थे”। + +# मैं तुमसे कहता हूँ कि नहीं + +यीशु ने कहा, “मैं तुमसे कहता हूँ” तो वह “नहीं” पर बल देने के लिए था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “निश्चय ही नहीं”। इसके संभावित अर्थ है, “निश्चय ही वे अधिक पापी नहीं थे” या “उनका पीड़ित अन्त निश्चय ही सिद्ध नहीं करता कि वे पापी थे”। इसका अनुवाद हो सकता है, “तुम्हारा यह विचार अनुचित है। + +# तुम सब इसी रीति से नष्ट होगे + +“तुम सब भी मरोगे”, यहाँ “इसी रीति से” का अर्थ है, “परिणाम यही होगा”, न कि “इसी रूप में घात किए जाओगे” + +# नष्ट होगें + +“तुम्हारे जीवन का अन्त” या “मरोगे” diff --git a/luk/13/04.md b/luk/13/04.md new file mode 100644 index 0000000..f4ca382 --- /dev/null +++ b/luk/13/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है) + +# या वे + +यीशु ऐसे ही दुर्भाग्य का दूसरा उदाहरण दे रहा है। इसका आरंभ इस प्रकार हो सकता है, “या उन अठारह जनों को ही देख लो” या “उन अठारह जनों पर विचार करो” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम सोचते हो कि वे अधिक पापी थे” या आदेशात्मक वाक्य में + +# “यह मत सोचो कि वे अधिक पापी थे”। + +“क्या वे अधिक पापी थे” या “क्या यह सिद्ध होता है कि वे अधिक पापी है?” यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यह एक कथन द्वारा अनुवाद किया जा सकता है: “आपको लगता है कि वे अधिक पापी है” या एक आदेश के रूप में “क्या आप को लगता है कि वे अधिक पापी हैl” + +# यरूशलेम के सब रहनेवालों से + +“अन्य नागरिकों से” + +# मैं तुमसे कहता कि कि नहीं + +यहाँ यीशु, “मैं तुमसे कहता हूँ” कह कर “नहीं” पर बल डाल रहा है। इसका अनुवाद किया जा सकता है, “निश्चय ही नहीं”? इसके संभावित अर्थ हैं, “वे निश्चय ही अधिक पापी नहीं थे” या “उनका अनुवाद दुर्भाग्य निश्चय ही को सिद्ध नहीं करता है”, इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम ऐसा सोचते हो तो तुम गलत हो”। + +# नष्ट होगें + +“तुम्हारे जीवन का अन्त” या “मरोगे” diff --git a/luk/13/06.md b/luk/13/06.md new file mode 100644 index 0000000..c59638f --- /dev/null +++ b/luk/13/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है) + +# यीशु ने यह शिक्षाप्रद कथा सुनाई + +यीशु ने पिछले पद में कही गई अपनी बात को समझाने के लिए यह कथा सुनाई कि वे या तो अपने पापों से विमुख हों या नष्ट हों। + +# यह भूमि को भी क्यों रोके + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद विधान वाचक वाक्य में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है या आदेशात्मक वाक्य में, “इसे भूमि रोकने न दे”। diff --git a/luk/13/08.md b/luk/13/08.md new file mode 100644 index 0000000..7c4b02c --- /dev/null +++ b/luk/13/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# रहने दे + +“इस वृक्ष को अभी छोड़ दे”या “इसे अभी मत काट” + +# खाद डालूँ + +“इसकी जड़ों की मिट्टी में खाद डालूँ” खाद पशुओं का गोबर होता था जिसे वे मिट्टी में मिलाते थे कि पेड़-पौधों का भोजन हो। + +# उसे काट डालना + +इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “तब मुझे काटने दे” या “तब मुझसे काटने को कहना। वह सेवक सुझाव दे रहा था। वह अपने स्वामी को आज्ञा नहीं दे रहा था। diff --git a/luk/13/10.md b/luk/13/10.md new file mode 100644 index 0000000..2376cdf --- /dev/null +++ b/luk/13/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# सब्त के दिन + +कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद “सब्त पर” किया गया है क्योंकि हम नहीं जानते कि वह सब्त कौन सा था। + +# देखो + +यहाँ “देखो” कहानी में एक नए मनुष्य के प्रवेश की सूचना देता है। आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति हो सकती है। + +# दुर्बल करनेवाली दुष्टात्मा + +“दुर्बल दुष्टात्मा ने उसे दुर्बल कर दिया था” diff --git a/luk/13/12.md b/luk/13/12.md new file mode 100644 index 0000000..303e9ce --- /dev/null +++ b/luk/13/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तू अपनी दुर्बलता से छूट गई + +“तू विकारमुक्त हो गई” यह कह कर यीशु उसकी मुक्ति ला रहा था। इसका अनुवाद आदेशात्मक वाक्य या विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है। (यू.डी.बी.) + +# उसने उस पर हाथ रखे + +“उसने उसे छुआ” + +# आराधनालय के सरदार रिसियाकर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आराधनालय का प्रधान कुपित हुआ “क्योंकि यीशु ने उपचार कार्य किया था” + +# लोगों से कहने लगा + +“निर्देश दिया” या “प्रतिक्रिया दिखाई” + +# आकर चंगे हों + +“उन दिनों में रोगमुक्ति हेतु आओ” diff --git a/luk/13/15.md b/luk/13/15.md new file mode 100644 index 0000000..456b087 --- /dev/null +++ b/luk/13/15.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# प्रभु ने उत्तर दिया + +प्रभु ने आराधनालय के प्रधान से कहा। + +# हर एक अपने ..... गदहे को स्थान से खोलकर + +यह एक अलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु ने इस प्रकार उनकी परिचित बात की और ध्यान आकर्षित करवाया। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है, “तुम अपना गधा खोलते हो। + +# अपने बैल या गधे को + +ये पालतू पशु थे जिन्हें वे पानी पिलाने ले जाते थे। + +# अब्राहम की बेटी है + +“अब्राहम की वंशज है” + +# जिसे शैतान ने बांध रखा था + +यह एक रूपक है। इसका अर्थ है, “जिसे शैतान ने कूबड़ा करके रखा हुआ था”। रूपक के साथ अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है। + +# अठारह वर्ष से + +यीशु के कहने का तात्पर्य था कि अठारह वर्ष उसके कष्टों का बहुत लम्बा समय था। अन्यों भाषाओं में इस बात पर बल देने की अपनी-अपनी अभिव्यक्ति होगी। + +# क्या यह उचित न था + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यीशु ने यह प्रश्न इसलिए किया था कि श्रोता स्वीकार करें कि सब्त के दिन उसे स्वस्थ करने का कार्य उचित था। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है, “तुम निश्चय ही स्वीकार करोगे कि यह उचित है” + +# बन्धन से छुड़ाई जाती + +यह एक रूपक है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इसे शैतान से छुड़ाना या इस विकृति के बन्धन से मुक्त कराना” diff --git a/luk/13/17.md b/luk/13/17.md new file mode 100644 index 0000000..4f5ae3d --- /dev/null +++ b/luk/13/17.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जब उसने ये बातें कहीं + +“जब यीशु ने ये बातें कहीं” + +# इस महिमा के कामों से + +“इस महिमा के कामों से जो यीशु ने किए” diff --git a/luk/13/18.md b/luk/13/18.md new file mode 100644 index 0000000..f503d0a --- /dev/null +++ b/luk/13/18.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु आराधनालय में शिक्षा दे रहा है) + +# परमेश्वर का राज्य किसके समान है? + +यह अलंकारिक प्रश्न यीशु के चर्चा विषय का आरंभ करता है। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है, “मैं तुम्हें बताता हूँ कि परमेश्वर का राज्य कैसा है”। + +# मैं उसकी उपमा किससे दूं? + +यह प्रश्न भी पिछले प्रश्न जैसा ही है। यीशु इस प्रश्न द्वारा अपनी चर्चा का आरंभ करता है। कुछ भाषाओं में दोनों का उपयोग किया जा सकता है और कुछ में केवल एक का। + +# राई के एक दाने के समान है + +राई का दाना बहुत ही छोटा होता है परन्तु इसका वृक्ष बहुत बड़ा होता है। यदि राई अपरिचित है तो किसी और बहुत छोटे बीज का नाम लिया जा सकता है या केवल “एक छोटा बीज” कहा जा सकता है। + +# अपनी बारी में बोया + +“उसे उसने अपने बगीचे में डाला” लोग कभी-कभी बीजों को बोने के लिए उन्हें छित्तरा देते है कि वे भूमि में विसर्जित होकर उगें। + +# बढ़कर पेड़ हो गया + +यह अतिशयोक्ति है। इसका अनुवाद किया जा सकता है, “वह झाड़ी बन गया”। + +# आकाश के पक्षियों ने + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “आकाश में उड़ने वाले पक्षी या मात्र “पक्षियों ने” diff --git a/luk/13/20.md b/luk/13/20.md new file mode 100644 index 0000000..de8989e --- /dev/null +++ b/luk/13/20.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु आराधनालय में ही शिक्षा दे रहा है) + +# मैं परमेश्वर के राज्य की उपमा किससे दूं? + +यह भी एक अलंकारिक प्रश्न है जो प्रकट करता है कि यीशु इसके बारे में क्या कहेगा। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है, जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। + +# वह खमीर के समान है + +आटा कितना भी हो थोड़ा सा ही खमीर उसके लिए पर्याप्त होता है। इसे स्पष्ट किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। + +# तीन पसेरी आटे में मिलाया + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “बहुत आटे में” या “आपकी संस्कृति में बहुत आटे को जो भी कहते हैं उसे लिखें। diff --git a/luk/13/22.md b/luk/13/22.md new file mode 100644 index 0000000..fd2f888 --- /dev/null +++ b/luk/13/22.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो + +“संकीर्ण द्वार से प्रवेश करने के लिए परिश्रम करो” यह परमेश्वर के राज्य का रूपक है इस रूपक में परमेश्वर के राज्य के घर से तुलना की गई है। यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है, अतः “तुम” बहुवचन है। + +# सकेत द्वार + +परमेश्वर के राज्य का नागरिक बनने का अर्थ है संकीर्ण द्वारा से प्रवेश करना। यह तथ्य कि द्वारा संकीर्ण है, बहुत ही कम मनुष्य एक बार में उसमें से प्रवेश कर पाएंगे। अतः इस सीमित अभिप्राय को व्यक्त करते हुए अनुवाद करें। diff --git a/luk/13/25.md b/luk/13/25.md new file mode 100644 index 0000000..8c041b8 --- /dev/null +++ b/luk/13/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के बारे में ही चर्चा कर रहा है) + +# घर का स्वामी + +यह परमेश्वर के संदर्भ में है इसलिए इसका अनुवाद “परमेश्वर” करें + +# बाहर खड़े हुए + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा था। अतः “तुम” शब्द बहुवचन में है। वह उनसे कह रहा है कि मानो वे उस द्वार से परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे। + +# मुझ से दूर हो + +“मेरे पास से चले जाओ” + +# कुकर्म करनेवालों + +“अनुचित काम करनेवालों” diff --git a/luk/13/28.md b/luk/13/28.md new file mode 100644 index 0000000..9dd9c03 --- /dev/null +++ b/luk/13/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के विषय पर ही आख्यान कर रहा है) + +# बाहर निकाले हुए देखोगे + +“जब तुम स्वयं ही बाहर किए हुए होंगे” + +# लोग आकर + +“मनुष्य राज्य में आकर” + +# कुछ पिछले हैं वे पहले होंगे + +यह सम्मान और महत्त्व के बारे में है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कुछ लोग जो महत्त्व में नगण्य है वे सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण होंगे” या “कुछ लोगों का यहाँ मान नहीं है उनका वहां सम्मान होगा”। diff --git a/luk/13/31.md b/luk/13/31.md new file mode 100644 index 0000000..e5dd050 --- /dev/null +++ b/luk/13/31.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसी घड़ी के बाद + +“यीशु की बात समाप्त होने के शीघ्र बाद ही” + +# यहाँ से निकल कर चला जा क्योंकि हेरोदेस तुझे मार डालना चाहता है + +इसका अनुवाद यीशु के लिए चेतावनी स्वरूप करें। वे उसे परामर्श दे रहे थे कि वह वहां से कहीं चला जाये कि सुरक्षित रहे। + +# हेरोदेस तुझे मार डालना चाहता है + +“हेरोदेस तेरी हत्या करवाना चाहता है” या “हेरोदेस तेरी हत्या का आदेश देने जा रहा है” + +# उस लोमड़ी + +यीशु हेरोदेस को लोमड़ी कह रहा था। लोमड़ी कुत्ते के समान एक छोटा जानवर होती है। यह एक रूपक है। इसके संभावित अर्थ हैं, (1) हेरोदेस की धमकी उसके लिए महत्त्वहीन थी। या (2) हेरोदेस धोखा करने वाला मनुष्य था। + +# हो नहीं सकता कि कोई भविष्यद्वक्ता यरूशलेम के बाहर मारा जाए। + +यहूदियों ने भविष्यद्वक्ताओं को यरूशलेम में मारा था और यीशु जानता था कि उसकी हत्या भी यरूशलेम ही में होगी। इसके अनुवाद का एक विकल्प है, “यरूशलेम ही में यहूदी अगुवे परमेश्वर के सन्देश वाहकों को मार डालते हैं”। diff --git a/luk/13/34.md b/luk/13/34.md new file mode 100644 index 0000000..054133b --- /dev/null +++ b/luk/13/34.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु यरूशलेम जाने से पूर्व फरीसियों से बातें कर रहा है) + +# हे यरूशलेम, हे यरूशलेम। + +यीशु इस प्रकार कह रहा है कि मानों यरूशलेमवासी सुन रहे हैं। यीशु ने दो बार यरूशलेम को पुकारा जिससे प्रकट होता है कि वह कितना दुःखी था। + +# तू जो भविष्यद्वक्ताओं को मार डालता है और .....पथराव करता है + +यदि शहर का नाम लेना आपके पाठकों को असामान्य लगता है तो आप स्पष्ट कर सकते हैं कि यीशु उस शहर के निवासियों से कह रहा था, “तुम जो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या करते हो ओर जिन्हें परमेश्वर के भेजे हुओं पर पथराव करते हो” + +# तेरे बालकों को इकट्ठा करूं + +“तेरे निवासियों को इकट्ठा करूं” या “तुम्हें इकट्ठा करूं” + +# जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठा करती है। + +यह रूप दर्शाता है कि मुर्गी अपने बच्चों को पंखों तले छिपा कर सुरक्षित करती है। + +# तुम्हारा घर तुम्हारे लिए उजाड़ छोड़ा जाता है। + +इस रूपक के संभावित अर्थ हैं, (1) “परमेश्वर ने तुम्हें त्याग दिया है” या (2) तुम्हारा नगर निर्जन है”। इसका अर्थ है कि परमेश्वर ने यरूशलेम की प्रजा की सुरक्षा त्याग दी है। आज बैरी उन पर आक्रमण करके उन्हें खदेड़ सकते हैं। यह एक अवश्यंभावी घटना की भविष्यद्वाणी है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम्हारा घर त्यागा जाएगा” या “परमेश्वर तुम्हें त्याग देगा” + +# तुम मुझे फिर कभी न देखोगे + +“तुम मुझे उस समय तक नहीं देखोगे जब तक कि तुम यह न कहोगे....” या “अगली बार जब तुम मुझे देखोगे तक कहोगे....” diff --git a/luk/14/01.md b/luk/14/01.md new file mode 100644 index 0000000..e99fe2a --- /dev/null +++ b/luk/14/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# रोटी खाने गया + +“भोजन करने” या “खाना खाने गया” रोटी भोजन का मुख्य भाग होती है अतः इसका अर्थ है, भोजन। + +# वे उसकी घात में थे। + +वे प्रतीक्षा में थे कि यीशु से कोई चूक हो और वे उस पर दोष लगाएं। + +# वहां एक मनुष्य उसके सामने था + +कुछ भाषाओं में इस वाक्य के आरंभ में “देखो” शब्द है जिसका अभिप्राय है कि कहानी में एक नाम मनुष्य है। आपकी भाषा में भी ऐसी अभिव्यक्ति हो सकती है। + +# जिसे जलन्धर का रोग था। + +जलन्धर एक ऐसा रोग है जिसमें शरीर का पानी विभिन्न अंगों में रुक जाता है और परिणामस्वरूप शरीर में सूजन आ जाती है। कुछ भाषाओं में इस विकार का निश्चित नाम है। + +# क्या सब्त के दिन अच्छा करना उचित है या नहीं? + +“क्या मूसा का विधान हमें सब्त के दिन उपचार की अनुमति देता है”? diff --git a/luk/14/04.md b/luk/14/04.md new file mode 100644 index 0000000..730a0d0 --- /dev/null +++ b/luk/14/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# परन्तु वे चुपचाप रहे + +धर्मगुरूओं ने यीशु को उत्तर नहीं दिया + +# उसने उसे छूकर + +“यीशु ने उसको स्पर्श किया” + +# तुममें से ऐसा कौन है जिसका गधा या बैल कुएं में गिर जाए और वह सब्त के दिन उसे तुरन्त बाहर न निकाले? + +यह एक अलंकारिक प्रश्न था जिसके द्वारा यीशु उनसे स्वीकार करवाना चाहता था कि वे सब्त के दिन अपने पशु को कुएं से खींचकर निकालने में परिश्रम करते थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, यदि तुम में से किसी का बैल या गधा सब्त के दिन कुंएं में गिर जाए तो तुम अतिशीघ्र उसे खींचकर बाहर निकालोगे” + +# वे..... कुछ उत्तर न दे सके + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उनके पास इसका प्रत्युत्तर नहीं था”। इसका अर्थ यह नहीं कि उनके पास यीशु के प्रश्न का उत्तर नहीं था, वे जानते थे कि यीशु का कहना सत्य है परन्तु वे अपने मुंह से कहना नहीं चाहते थे। diff --git a/luk/14/07.md b/luk/14/07.md new file mode 100644 index 0000000..dabbb86 --- /dev/null +++ b/luk/14/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +(यीशु उस फरीसी के घर में उपस्थित जनों से बातें कर रहा है) + +# मुख्य-मुख्य जगह + +माननीय अतिथियों के स्थान + +# तुझे लज्जित होकर + +“तब तुझे लज्जित होना पड़ेगा” diff --git a/luk/14/10.md b/luk/14/10.md new file mode 100644 index 0000000..1a44035 --- /dev/null +++ b/luk/14/10.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु उस फरीसी के घर में उपस्थित जनों से बातें कर रहा है) + +# सबसे नीची जगह + +“जो स्थान एक नगण्य मुनष्य हो” + +# आगे बढ़कर बैठ + +“सम्मानित स्थान पर बैठ” + +# जो अपने आपको बड़ा बनाएगा + +“महत्त्वपूर्ण होना चाहेगा” या “जो महत्त्वपूर्ण स्थान लेगा” + +# वह छोटा किया जाएगा + +“वह उसे महत्त्वहीन दर्शाया जाएगा” या “उसे महत्त्वहीन स्थान दिया जाएगा” + +# जो कोई अपने आपको छोटा बनाएगा + +“जो स्वयं को दीन हीन बनाएगा” या “जो छोटा स्थान लेगा” + +# ऊंचा किया जाएगा + +“वह सम्मानित किया जाएगा” या “उसे महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाएगा” diff --git a/luk/14/12.md b/luk/14/12.md new file mode 100644 index 0000000..c17b879 --- /dev/null +++ b/luk/14/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# कहीं ऐसा न हो + +“क्योंकि वे” diff --git a/luk/14/13.md b/luk/14/13.md new file mode 100644 index 0000000..00bd2e5 --- /dev/null +++ b/luk/14/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +(यीशु उस फरीसी से कह रहा है जिसने उसे भोजन हेतु आमंत्रित किया था) + +# उनके पास तुझे बदलना देने को कुछ नहीं + +वे बदले में तुझे अपने घर भोज हेतु आमंत्रित नहीं कर सकते हैं। + +# धर्मियों के जी उठने पर + +“जब धर्मी मृतकों में से जी उठेंगे diff --git a/luk/14/15.md b/luk/14/15.md new file mode 100644 index 0000000..1a112c2 --- /dev/null +++ b/luk/14/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# धन्य है वह + +वह किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं कह रहा था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “धन्य है वह हर एक जन” या “कैसा सौभाग्यशाली है वह हर एक जन” + +# वह जो परमेश्वर के राज्य में रोटी खाए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह जो परमेश्वर के राज्य में भोज पर बैठे”। यहाँ रोटी से अभिप्राय है, भोजन। + +# जब भोजन तैयार हो गया + +“भोजन का समय हुआ तब” या “जब भोजन आरंभ करने का समय आया” + +# आमंत्रित लोगों को + +“जिन्हें उसने भोज में आमंत्रित किया था” diff --git a/luk/14/18.md b/luk/14/18.md new file mode 100644 index 0000000..253ed76 --- /dev/null +++ b/luk/14/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# क्षमा मांगने लगे + +अर्थात वे भोज में न आने का कारण बताने लगे” + +# मैं तुझसे विनती करता हूँ, मुझे क्षमा कर + +“कृपया मुझे क्षमा कर” या “कृपया मेरी क्षमायाचना स्वीकार कर” + +# पांच जोड़े बैल + +बैल नर गाय होते हैं जो बोझ खींचने या कठिन काम करने के लिए काम में लिए जाते है और उन्हें सामान्यतः जोड़े में काम में लिया जाता है। + +# मैंने विवाह किया है + +इसके लिए अपनी भाषा में कोई व्यावहारिक अभिव्यक्ति काम में लें। कुछ भाषाओं में कहा जाएगा, “मेरा विवाह हुआ है” या “पत्नी ब्याही है” diff --git a/luk/14/21.md b/luk/14/21.md new file mode 100644 index 0000000..e800dd3 --- /dev/null +++ b/luk/14/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# स्वामी ने क्रोध में आकर + +“अपने अतिथियों से क्रोधित होकर” + +# दास ने फिर कहा + +यहाँ सलंग्न जानकारी को स्पष्ट करना आवश्यक है कि उस सेवक ने अपने स्वामी की आज्ञा के अनुसार किया जैसा यू.डी.बी. में है, “सेवक ने जाकर वैसा ही किया और आकर अपने स्वामी से कहा”, diff --git a/luk/14/23.md b/luk/14/23.md new file mode 100644 index 0000000..a5caed1 --- /dev/null +++ b/luk/14/23.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# सड़कों पर और बाड़ों की ओर जा + +इसका संदर्भ नगर को बाहर की सड़कों और पगडंडिओं से है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “नगर के बाहर मुख्य मार्गों और पगडंडियों में जा” + +# उन आमंत्रित लोगों में से + +यहाँ लोगों शब्द का मूल अर्थ है “वयस्क पुरूष” न कि साधारण जनता। + +# आमंत्रित + +“जिन्हें मैंने निमंत्रण भेजा था” + +# मेरे भोज को न चखेगा + +“मेरे द्वारा तैयार किए गए भोजन का आनन्द नहीं लेने पाएगा” diff --git a/luk/14/28.md b/luk/14/28.md new file mode 100644 index 0000000..d5c4298 --- /dev/null +++ b/luk/14/28.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है) + +# तुममें से कौन है + +यह एक अलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। यीशु इस प्रश्न द्वारा श्रोताओं को सोचने पर विवश कर रहा था कि वे ऐसी परिस्थिति में क्या करेंगे। इसका अनुवाद विधानवाचयक वाक्य बनाकर भी किया जा सकता है, यदि तुममें से कोई गढ़ बनाना चाहे तो वह पहले बैठकर उसकी लागत का लेखा अवश्य तैयार करेगा”। + +# गढ़ + +यह संभवतः दाख की बारी में चौकीदारी का गुम्मट होगा। कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ऊंची ईमारत” या “चौकसी का मचान”। + +# कहीं ऐसा न हो + +“यदि वह पहले लागत को न गिने” + +# जब वह नींव डाल ले + +“जब वह उसकी नींव तैयार कर ले” या “जब वह निर्माण कार्य आरंभ कर दे” diff --git a/luk/14/31.md b/luk/14/31.md new file mode 100644 index 0000000..2ac7a30 --- /dev/null +++ b/luk/14/31.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है) + +# या + +यीशु इस शब्द के द्वारा दूसरी परिस्थिति का वर्णन कर रहा है जिसमें निर्णय लेने से पहले परिणाम सोचना पड़ता है। + +# कौन ऐसा राजा है.... पहले बैठकर विचार न कर ले। + +यह एक और अलंकारिक प्रश्न है।इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तुम जानते हो कि राजा ... पहले बैठता है और फिर विचार करता है + +# विचार कर ले + +इसके संभावित अर्थ हैं (1) “सावधानीपूर्वक विचार करे” या (2) “अपने परामर्शदाताओं की बात पर ध्यान दें। + +# नहीं तो + +उसे यह समझ में आ जाए कि वह शत्रु की सेना को नहीं हरा सकता” “वह यह मान ले कि उसकी सेना शत्रु की सेना का सामना नहीं कर सकती है। (यू.डी.बी.) + +# दूत + +“सन्देशवाहक” या “प्रतिनिधि” + +# तुममें से जो कोई अपना सब कुछ त्याग दे + +इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में भी किया जा सकता है, “तुममें से जो अपना सब कुछ त्याग दे वही मेरा शिष्य हो सकता है”। + +# अपना सब कुछ त्याग दे + +“अपना सर्वास्व छोड़ कर” diff --git a/luk/14/34.md b/luk/14/34.md new file mode 100644 index 0000000..cdf86bf --- /dev/null +++ b/luk/14/34.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने पीछे आ रहे जनसमूह से बातें कर रहा है) + +# नमक तो अच्छा है + +“नमक उपयोगी है” + +# वह किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “वह फिर नमकीन नहीं किया जा सकता है” या “कोई नहीं है जो उसे फिर से नमकीन कर दे”। + +# वह न तो भूमि के और न खाद के काम में आता है + +खाद का अनुवाद “कूड़े की खाद” या “उर्वरक” किया जा सकता है। खाद खेतों और बगीचों में डाली जाती थी। खाना खराब हो जाए तो उसे खाद में मिलाया जाता था परन्तु नमक के साथ ऐसा भी नहीं किया जा सकता है। वह पूर्णतः व्यर्थ है। + +# जिसके सुनने के काम हां वह सुन ले। + +इसे आदेशसूचक वाक्य में बदला जा सकता है, “तुम्हारे पास सुनने के लिए कान हैं तो ध्यान से सुनो”। या “यदि तुम मेरी बात सुन रहे हो तो ध्यान दो”। + +# जिसके सुनने के कान हों + +“जो सुन सकता है” जो मेरी बात सुन रहा है” + +# वह सुन ले + +“वह ध्यान से सुने” या “मेरी बात पर ध्यान दे”, diff --git a/luk/14/35.md b/luk/14/35.md new file mode 100644 index 0000000..9d94cbe --- /dev/null +++ b/luk/14/35.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यदि कोई मेरे पास आए और अपने पिता... को भी अप्रिय न जाने तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता। + +इसे विधानवाचक वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, यदि कोई मेरे पास आए तो वह मेरा शिष्य तब ही हो सकता है जब वह अपने पिता से लगाव न रखे”। + +# अप्रिय + +यह एक अतिशयोक्ति है जो प्रकट करती है कि सबसे अधिक यीशु से प्रेम रखना कितना महत्त्वपूर्ण है। यदि इस अतिशयोक्ति को गलत समझा जाए तो इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि कोई मेरे पास आए और अपने पिता से अधिक मुझसे प्रेम न रखे तो वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता है” या “यदि कोई मेरे पास आए तो वह मेरा शिष्य तब ही हो सकता है जब वह अपने पिता से अधिक मुझसे प्रेम रखे”। + +# वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय जाने + +“और अपने प्राण को भी” + +# और जो कोई अपना क्रूस न उठाए और मेरे पीछे न आए, वह भी मेरा चेला नहीं हो सकता” + +इसका विधानवाचक वाक्य बनाया जा सकता है, “यदि कोई मेरा शिष्य होना चाहता है तो उसे अपना क्रूस उठा कर मेरे साथ चलना होगा” + +# अपना क्रूस .... उठाए + +इसका अर्थ है मरने के लिए तैयार रहे। उस युग में जिन्हें मृत्यु दण्ड दिया जाता था उन्हें अपना वह क्रूस उठाकर ले जाना होता था जिस पर उन्हें लटकाया जाना होता था। यीशु के अनुयायियों को भावी कष्टों को सहने के लिए तैयार होना था। diff --git a/luk/15/01.md b/luk/15/01.md new file mode 100644 index 0000000..82bd624 --- /dev/null +++ b/luk/15/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वह तो पापियों से मिलता है + +“वह पापियों को पास आने देता है”, या “वह पापियों की संगति करता है” + +# यह + +वे यीशु के बारे में कह रहे थे + +# उनके साथ खाता भी है + +“भी” शब्द दर्शाता है कि उनके विचार में यीशु का पापियों से संपर्क रखना बहुत बुरा था और उनके साथ भोजन करना तो और भी बुरा था। diff --git a/luk/15/03.md b/luk/15/03.md new file mode 100644 index 0000000..c81f9ac --- /dev/null +++ b/luk/15/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसने उनसे यह दृष्टान्त कहा + +उनसे अर्थात धर्म-गुरुओं से + +# तुममें से कौन है.... जो निन्यानवे को जंगल में छोड़कर उस खोई हुई को .... खोजता न रहे। + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यीशु उन्हें स्मरण करवा रहा है कि वे अपनी एक खोई हुई भेड़ को अवश्य खोजेंगे। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। कुछ भाषाओं में इस काल्पनिक परिस्थिति को व्यक्त करने का प्रावधान है। यह किसी मनुष्य की कहानी नहीं कि उसकी भेड़ खो गई है। + +# तुममें से कौन है जिसकी सौ भेड़ें हों + +इस शिक्षाप्रद कथा का आरंभ होता है, “तुममें” से कौन है, “इसलिए कुछ भाषाओं में द्वितीय पुरूष ही काम में लिया गया है, “यदि तुम्हारे पास सौ भेड़ें हों”। diff --git a/luk/15/06.md b/luk/15/06.md new file mode 100644 index 0000000..846391e --- /dev/null +++ b/luk/15/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु वही शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# और घर में आकर + +“जब वह चरवाहा घर पहुंचता है” या “जब तुम घर पहुंचों” (यू.डी.बी.) भेड़ के मालिक को वैसे ही संबोधित करें जैसे आपने पिछले पद में किया है। + +# मैं तुझ से कहता हूँ + +यहाँ “मैं” यीशु के लिए है। वह जनसमूह से बातें कर रहा है इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन में है। + +# इसी रीति से + +“इसी प्रकार” या “जैसे वह चरवाहा ओर उसके मित्र एवं पड़ोसी उसके साथ आनन्द करते हैं”। + +# स्वर्ग में ऐसा ही आनन्द होगा + +“स्वर्ग में हर एक प्राणी आनन्द करेगा” + +# निन्यानवे ऐसे धर्मियों.... जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं + +“निन्यानवे मनुष्य जो सोचते हैं कि वे धर्मी हैं और उन्हें मन परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। “यीशु के कहने का अर्थ यह नहीं है कि कोई धर्मी जन है। इसकी अपेक्षा वह अर्थालंकार काम में ले रहा है या जिसे कटाक्ष कहते हैं क्योंकि उसके श्रोता स्वयं को धर्मी समझते थे जबकि वे थे नहीं। diff --git a/luk/15/08.md b/luk/15/08.md new file mode 100644 index 0000000..5346e50 --- /dev/null +++ b/luk/15/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु धर्म-गुरूओं ही से बातें कर रहा है) + +# कौन ऐसी स्त्री होगी... वह दीया जलाकर... जब तक मिल न जाएं जी लगाकर खोजती रहेगी। + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। यीशु अपने श्रोताओं को स्मरण करवा रहा है कि उनका चांदी का सिक्का खो जाए तो वे किसी भी प्रकार उसे खोज कर ही सांस लेंगे। इस वाक्य का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम जानते हो कि यदि कोई स्त्री अपने दस चांदी के सिक्कों में से एक को खो दे तो वह दीया जलाकर घर को पूर्णरूपेण झाड़कर उस सिक्के को खोज कर निकालेगी”। + +# कौन ऐसी होगी + +यह एक काल्पनिक परिस्थिति है न कि किसी स्त्री की वास्तविक कहानी है। कुछ भाषाओं में इसे ज्यों का त्यों व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# इसी रीति से + +“इसी प्रकार” या जैसे लोग उसके साथ आनन्द मनाते हैं”। + +# एक मन फिराने वाले पापी + +इसका अनुवाद होगा, “जब एक पापी पापों से विमुख होता है” diff --git a/luk/15/11.md b/luk/15/11.md new file mode 100644 index 0000000..d275c8d --- /dev/null +++ b/luk/15/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# किसी मनुष्य के + +यह एक शिक्षाप्रद कथा का आरंभ है। इसका अपनी भाषा में व्यावहारिक रूप में प्रस्तुतिकरण करें। कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद मात्र ऐसा होगा, “एक मनुष्य के .....” + +# मुझे दे दीजिए + +पुत्र चाहता था कि उसका पिता उसका भाग उसी समय उसे दे दे। जिन भाषाओें में आज्ञासूचक वाक्य रचना हो कि किसी काम का तुरन्त किया जाना दर्शाया जाए तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# सम्पत्ति में से जो भाग मेरा है + +“सम्पत्ति का वह भाग जो तू मरते समय मेरे नाम पर करेगा” diff --git a/luk/15/13.md b/luk/15/13.md new file mode 100644 index 0000000..d5960d2 --- /dev/null +++ b/luk/15/13.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# इकट्ठा करके + +“अपना सामान बांध कर” या “झोले में अपना समान ले कर”। + +# कुकर्म में + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपना सारा पैसा व्यर्थ में गवां दिया” + +# उस देश में बड़ा अकाल पड़ा + +“वहां भयंकर अकाल पड़ा” (यू.डी.बी.) या “भोजन की कमी हो गई” + +# अकाल + +अकाल के समय भोजन की कमी हो जाती है। वर्षा की कमी और फसल नष्ट होने के कारण ऐसा होता है। + +# वह कंगाल हो गया + +“आवश्यकता पूर्ति की कमी” या “कमी हो गई” diff --git a/luk/15/15.md b/luk/15/15.md new file mode 100644 index 0000000..17ff2de --- /dev/null +++ b/luk/15/15.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# एक के यहाँ जा पड़ा + +“वह” अर्थात वह युवक + +# जा पड़ा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसने नौकरी पकड़ी” या “काम करने लगा” + +# एक के यहाँ + +उस देश के एक नागरिक के पास + +# सूअर चराने के लिए + +“सूअरों को खाना देने के लिए” + +# वह चाहता था कि उन फलियों से जिन्हें सुअर खाते थे अपना पेट भरे + +“बहुत चाहता था कि उन फलियों को खाए + +# फलियों को + +यह फलियों के छिलके थे। अतः इनका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “फलियों के छिलके” या “फलियों का भूसा” diff --git a/luk/15/17.md b/luk/15/17.md new file mode 100644 index 0000000..2c4d429 --- /dev/null +++ b/luk/15/17.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु अपनी कहानी सुना रहा है) + +# अपने आपे में आया + +“इसकी बुद्धि सही हुई” या “अपनी परिस्थिति को समझा” या “उसकी बुद्धि से पर्दा हटा” + +# मेरे पिता के कितने ही मजदूरों के भोजन से अधिक रोटी मिलती है। + +यह संबोधन वाक्य है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरे पिता के सब मजदूरों को आवश्यकता से अधिक भोजन मिलता है” + +# भूखा मर रहा हूँ + +यह अतिशयोक्ति नहीं है। वह युवक वास्तव में भूखा मर रहा था। + +# मैंने स्वर्ग के विरोध में.... पाप किया है + +“मैंने परमेश्वर के विरोध में पाप किया है” यहूदी परमेश्वर शब्द को जीभ पर लाना नहीं चाहते थे। इसलिए उसके स्थान पर स्वर्ग शब्द का उपयोग करते थे। + +# इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं + +“मैं तेरा पुत्र कहलाने योगय नहीं” पुत्र को अपने पिता की धन-सम्पत्ति का उत्तराधिकार पाने का अधिकार था। + +# इस योग्य नहीं + +“अब इस योग्य नहीं रहा” (यू.डी.बी.) इसका अर्थ है कि पहले तो वह था परन्तु अब नहीं है। + +# मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले + +“मुझे कर्मी के समान नौकरी पर रख ले” या “मुझे एक नौकर की नौकरी दे दे” diff --git a/luk/15/20.md b/luk/15/20.md new file mode 100644 index 0000000..b8e6d31 --- /dev/null +++ b/luk/15/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# जब वह उठकर अपने पिता के पास चला। + +“उस देश से कूच करके वह अपने पिता के पास चल पड़ा” + +# तरस खाया + +“उस पर दया आई” या “उसके दिल में गहरा प्रेम उभरा” + +# गले लगाया और बहुत चूमा + +पिता के इस व्यवहार का अर्थ था कि पुत्र समझ ले कि पिता उससे प्रेम करता है और वह अति प्रसन्न है कि पुत्र घर लौट आया है। यदि पाठकों के विचार में पिता द्वारा पुत्र को गले लगाना और चूमना उचित नहीं तो आप अपनी संस्कृति में पुरूष द्वारा पुरूष के प्रति स्नेह प्रदर्शन की विधि का उपयोग करें, या आप इसका अधिक सामान्य अनुवाद कर सकते हैं, “इसका स्नेह पूर्ण स्वागत किया”। + +# मैंने स्वर्ग के विरोध मे .... पाप किया है + +“परमेश्वर के विरूद्ध पाप किया है” + +# तेरी दृष्टि में + +“तेरे सम्मुख” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तूने देखा है कि मैंने पाप किया है” या “तू जानता है”। diff --git a/luk/15/22.md b/luk/15/22.md new file mode 100644 index 0000000..6fef5b3 --- /dev/null +++ b/luk/15/22.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# अच्छा वस्त्र + +“घर में जो सबसे अच्छा चोगा है” चोगा एक लम्बा वस्त्र होता था जो कपड़ों के ऊपर से पहना जाता था। जिन स्थानों में चोगा अपरिचित्र वस्त्र है, वहां अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सर्वोत्तम वस्त्र” + +# हाथ में अंगूठी + +अंगूठी अधिकार का प्रतीक थी जिसे पुरूष अपनी उंगली में पहनते थे। + +# जूतों + +वे वास्तव में सैंडल पहनते थे परन्तु सैंडल अपरिचित हो तो जूतियां ही उचित है। + +# पाला हुआ बछड़ा + +बछड़ा गाय का युवा नर बच्चा होता था। वे एक बछड़े को अच्छा भोजन खिलाकर मोटा करते थे कि जब विशेष भोज का अवसर आए तब उसे वध करें। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सबसे अच्छा बछड़ा” या “जिस बछड़े को हमने विशेष तैयार किया है”। + +# “या” जिस बछड़े को हमने खूब खिलाया है मारो + +यहाँ निहितार्थ स्पष्ट किया जा सकता है कि वे उसे पकाएंगे, “मारकर पकाओ”। + +# मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी उठा है + +यह एक रूपक है। इसका अनुवाद उपमा देकर किया जा सकता है, “जैसे कि मेरा पुत्र मर कर जी उठा, या “मुझको ऐसा लगा कि मेरा पुत्र मर गया परन्तु वह जीवित है” + +# खो गया था, अब मिल गया है + +यह भी एक रूपक है। इसका अनुवाद उपमा देकर किया जा सकता है, “यह ऐसा है जैसे कि मेरा पुत्र खो गया था और अब मिल गया है” या “मुझे ऐसा लगा कि मेरा पुत्र खो गया है परन्तु वह मिल गया है”, या “मेरा पुत्र भटक गया था और अब घर लौट आया है”। diff --git a/luk/15/25.md b/luk/15/25.md new file mode 100644 index 0000000..94fbf9c --- /dev/null +++ b/luk/15/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# दास + +जिस शब्द का अनुवाद यहाँ दास किया गया है उसका मूल अर्थ है, “बालक” इसका अर्थ है कि वह सेवक एक युवक था। + +# यह क्या हो रहा है? + +“यह क्या हो रहा है”? (यू.डी.बी.) + +# पला हुआ बछड़ा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा कसता है, “सबसे अच्छा बछड़ा” या “बहुत चारा खिलाया हुआ बछड़ा” या “वह बछड़ा जिसे हम मोटा कर रहे थे” diff --git a/luk/15/28.md b/luk/15/28.md new file mode 100644 index 0000000..63cd1cc --- /dev/null +++ b/luk/15/28.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली + +“सदैव तेरा आज्ञापालन किया है” या “तूने जो भी कहा वही किया है”। + +# आनन्द करता + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उत्सव मनाऊं” + +# तेरा यह पुत्र + +“यह तेरा पुत्र”, बड़ा पुत्र इस प्रकार रोष प्रकट करता है। + +# तेरी सम्पत्ति वैश्याओं में उड़ा दी + +“तेरी सारी सम्पत्ति वैश्याओं पर गवां दी” या “तेरी सारी सम्पत्ति वैश्याओं में लुटा दी” + +# पाला हुआ बछड़ा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा कसता है, “सबसे अच्छा बछड़ा” या “बहुत चारा खिलाया हुआ बछड़ा” या “वह बछड़ा जिसे हम मोटा कर रहे थे” diff --git a/luk/15/31.md b/luk/15/31.md new file mode 100644 index 0000000..ec5541c --- /dev/null +++ b/luk/15/31.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# यह तेरा भाई + +पिता बड़े पुत्र को स्मरण करवा रहा है कि घर लौट कर आने वाला उसका भाई है। + +# मर गया था, फिर जी उठा है + +यह एक रूपक है। वह पुत्र बहुत समय तक घर से बाहर था इसलिए उसकी तुलना मृतक से की गई है ओर उसका घर लौट आना जी उठने के तुल्य है। इसका अनुवाद उपमा देकर किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में है। + +# खो गया था अब मिल गया है + +यह एक रूपक है। छोटा पुत्र लम्बे समय तक घर से बाहर था इसलिए उसकी तुलना खोए हुए मनुष्य से की गई है और उसका घर लौट आना ऐसा है कि जैसे खोया हुआ पुत्र मिल गया। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह ऐसा है जैसे वह खो गया था और अब मिल गया है”, (यू.डी.बी.) या “वह खो गया था और अब घर लौट आया है” diff --git a/luk/16/01.md b/luk/16/01.md new file mode 100644 index 0000000..fed48cc --- /dev/null +++ b/luk/16/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु श्रोताओं से ही बातें कर रहा है) + +# उसने चेलों से भी कहा + +पिछला भाग फरीसियों और विधि-शास्त्रियों के लिए था जबकि यीशु के शिष्य भी श्रोताओं में थे। + +# दोष लगाया + +“लोगों ने उस धनवान मनुष्य से शिकायत की” + +# तेरी सारी सम्पत्ति उड़ाए देता है + +“तेरी सम्पत्ति को गवां रहा है” या “उस धनवान की सम्पत्ति को मूर्खता से व्यर्थ कर रहा है” + +# यह क्या है जो मैं तेरे विषय में सुन रहा हूँ + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। उस धनवान के कहने का अर्थ था, “मैंने तेरे कामों के बारे में सुना है + +# अपने भण्डारीपन का लेखा दे + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “अपना दायित्व दूसरे को सौंपने के लिए बही खाता तैयार कर ले” या “किसी और को लेखा देने के लिए तैयार हो जा” या “मेरी सम्पत्ति का लेखा बही तैयार कर”। diff --git a/luk/16/03.md b/luk/16/03.md new file mode 100644 index 0000000..3f027d7 --- /dev/null +++ b/luk/16/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# अब मैं क्या करूं? + +वह प्रबन्धक अपने आप से कह रहा है, अपने विकल्पों पर विचार करने के लिए। + +# मेरा स्वामी + +वह धनवान मनुष्य इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “मेरा नियोजक” यह प्रबन्धक इसका दास नहीं था। + +# मिट्टी तो मुझसे खोदी नहीं जाती + +“मुझमें गड्डा खोदने की तो शक्ति नहीं है”, या “मैं मजदूरी करने योग्य नहीं” + +# जब मैं भण्डारी के काम से छुड़ाया जाऊं + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “जब मेरा प्रबन्धन कार्य चला जाए” diff --git a/luk/16/05.md b/luk/16/05.md new file mode 100644 index 0000000..f768326 --- /dev/null +++ b/luk/16/05.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# अपने स्वामी के देनदारों + +“उसके स्वामी के जो ऋणी थे” या “जिन लोगों ने उसके स्वामी से समान उधार लिया था” यहाँ देनदार वे हैं जिन्होंने उसके स्वामी से तेल और अन्न उधार लिया था। + +# एक-एक करके बुलाया .... पूछा + +“प्रबन्धक ने बुलाया” और “प्रबन्धक ने पूछा” + +# सौ मन तेल + +“लगभग 340 लीटर जैतून का तेल” + +# उसने ..... उसने उससे कहा + +“ऋणी ने कहा .... प्रबन्धक ने ऋणी से कहा” + +# सौ मन गेहूँ + +“लगभग 22,000 सूखा लीटर गेहूँ” + +# उसने ....पूछा....उसने कहा....उसने ....कहा + +प्रबन्धक ने पूछा... ऋणी ने कहा.... प्रबन्धक ने कहा diff --git a/luk/16/08.md b/luk/16/08.md new file mode 100644 index 0000000..8d502b6 --- /dev/null +++ b/luk/16/08.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# स्वामी ने उस अधर्मी भण्डारी को सराहा + +जिन ऋणियों के ऋण कम कर दिए गए थे, उन्होंने सोचा कि यह साहूकार का प्रबन्ध है अतः वे उस धनवान मनुष्य की प्रशंसा करते थे। + +# सराहा + +“प्रशंसा की” या “इसके लिए अच्छी बातें की” या “अनुमोदन किया” + +# उसने चतुराई से काम किया + +“उसने समझदारी से काम किया” या “उसने बुद्धिमानी का काम किया” + +# इस संसार के लोग + +अर्थात परमेश्वर को न समझने और जानने वाले लोग जो उस धर्मी प्रबन्धक के जैसे हैं। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इस संसार के लोग” या “सांसारिक जन” + +# ज्योति के लोगों + +अर्थात धर्मी जन जो कुछ नहीं छिपाते। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ज्योति की सन्तान” या “ज्योति में निर्वाह करने वाले मनुष्य” + +# मैं तुमसे कहता हूँ + +“मैं” यीशु के लिए है। यीशु की कहानी समाप्त हो गई है। “मैं तुम से कहता हूँ” इस उक्ति द्वारा उसकी बात में परिवर्तन आता है। वह श्रोआतों को समझा रहा है कि इस कहानी की शिक्षा को अपने जीवन में कैसे प्रासंगिक बनाएं। + +# अधर्म के धन से + +भौतिक सम्पदा से अर्थात वस्त्र, भोजन, पैसा, बहुमूल्य समान से + +# अनन्त निवासों में + +इसका संदर्भ स्वर्ग से है जहाँ परमेश्वर रहता है। diff --git a/luk/16/10.md b/luk/16/10.md new file mode 100644 index 0000000..a331697 --- /dev/null +++ b/luk/16/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को शिक्षा दे रहा है) + +# इसलिए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिससे कि” या “अतः इस सिद्धान्त के अनुसार”। + +# सच्चा धन तुम्हें कौन देगा + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “सच्ची सम्पदा के लिए तुम पर कोई विश्वास नहीं करेगा” या “प्रबन्धन हेतु सच्ची सम्पदा तुम्हें कोई नहीं देगा” + +# जो तुम्हारा है, उसे तुम्हें कौन देगा + +यह भी एक अलंकारिक प्रश्न है। “तुम्हारे अपने लिए तुम्हें सम्पदा कोई नहीं देगा” diff --git a/luk/16/13.md b/luk/16/13.md new file mode 100644 index 0000000..334d803 --- /dev/null +++ b/luk/16/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह को ही शिक्षा दे रहा है) + +# कोई दास + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “एक सेवक.... नहीं कर सकता है” + +# प्रेम रखेगा + +“समर्पित होगा” “स्वामी-भक्ति दिखाएगा”। + +# तुच्छ जानेगा + +“घृणा करेगा” या “मान में कम समझेगा” या “गिरा हुआ समझेगा”। + +# सेवा नहीं कर सकते + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है, इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन में रखें। + +# सेवा + +“दासता” + +# तुच्छ जानेगा + +वह सेवक घृणा करेगा” diff --git a/luk/16/14.md b/luk/16/14.md new file mode 100644 index 0000000..8cc1471 --- /dev/null +++ b/luk/16/14.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# लोभी थे + +“वे धन के लालची थे” या “उन्हें धन सम्पदा को एकत्र करना आता था” या “धन लोभियों” + +# उसे ठट्ठो में उड़ाने लगे + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “फरीसियों ने यीशु का उपहास किया” + +# उसने उनसे पूछा + +“यीशु ने फरीसियों से कहा” + +# तुम तो मनुष्यों के सामने अपने आपको धर्मी ठहराते हो + +“तुम मनुष्यों की दृष्टि में अच्छे बनते हो” + +# परमेश्वर तुम्हारे मन को जानता है + +“परमेश्वर तुम्हारी लालसाओं को जानता है” या “परमेश्वर तुम्हारे मनोरथ जानता है” + +# जो वस्तु मनुष्यों की दृष्टि में महान है + +“मनुष्य की समझ में जो महत्त्वपूर्ण है” + +# परमेश्वर के निकट घृणित है + +इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर घृणा करता है” या “परमेश्वर के लिए घृणित वस्तु है”। diff --git a/luk/16/16.md b/luk/16/16.md new file mode 100644 index 0000000..32d1c45 --- /dev/null +++ b/luk/16/16.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु फरीसियों को उपदेश दे रहा है) + +# व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता + +परमेश्वर का संपूर्ण लिखित वचन + +# यूहन्ना तक रहे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यूहन्ना के आगमन और प्रचार करने तक” + +# इस समय परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाया जा रहा था। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “हम मनुष्यों को परमेश्वर के राज्य का शुभ सन्देश सुना रहे थे”। + +# हर कोई उसमें प्रबलता से प्रवेश करता है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अनेक मनुष्य उसमें प्रवेश करने का यथासंभव प्रयास कर रहे थे”, ये उन मनुष्यों के बारे में है जो यीशु की शिक्षाओं को सुनकर उनका पालन करते थे। + +# आकाश और पृथ्वी का टल जाना.... सहज है + +“तुम जानते हो कि आकाश और पृथ्वी नहीं टल सकते, अतः निश्चित जान लो” + +# व्यवस्था का एक बिन्दु + +“व्यवस्था का छोटे से छोटा अंश भी” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मूसा के विधान की सबसे छोटी बात” + +# मिट जाने + +“विधान से हटना” diff --git a/luk/16/18.md b/luk/16/18.md new file mode 100644 index 0000000..98381da --- /dev/null +++ b/luk/16/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# (यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है) + +क्योंकि यह एक नियम का उदाहरण है जो बदला नहीं है, इस पाठ का आरंभ इस प्रकार किया जा सकता है, “उदाहरणार्थ” + +# जो कोई अपनी पत्नी को त्याग कर + +“जो पुरूष अपनी पत्नी से विवाह विच्छेद करके” या “अपनी पत्नी को तलाक देकर” या “यदि पुरूष अपनी पत्नी को तलाक देकर” + +# वह व्यभिचार करता है + +वह व्यभिचार का दोषी है” + +# जो कोई ऐसी त्यागी हुई स्त्री से विवाह करता है + +“ऐसी स्त्री से विवाह करनेवाला पुरूष” या “यदि कोई पुरूष ऐसी स्त्री से विवाह करे” diff --git a/luk/16/19.md b/luk/16/19.md new file mode 100644 index 0000000..8c96056 --- /dev/null +++ b/luk/16/19.md @@ -0,0 +1,47 @@ +# x + +(यीशु का चर्चा विषय चल रहा है) + +# एक धनवान मनुष्य था + +यहाँ स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में ऐसा कोई पुरूष था या यीशु ने काल्पनिक कथा सुनाई थी कि उसकी बात समझ में आए। + +# जो बैंजनी कपड़े और मलमल पहनता + +“वह बैंजनी रंग में रंगा हुआ उत्तम कोटी का मलमल पहनता था” या “वह बहुत कीमती वस्त्र पहनता था” बैंजनी रंग में रंगा हुआ मलमल बहुत मंहगा होता था। + +# प्रतिदिन सुख विलास और धूमधाम में रहता था + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसका दैनिक भोजन उत्सव स्वरूप होता था” या “प्रतिदिन मंहगे भोजन का आनन्द होता था” या “अपनी लालसा पूर्ति के लिए बहुत पैसा खर्च करता था”। + +# लाजर नाम का एक कंगाल... उसकी डेवड़ी पर छोड़ दिया जाता था। + +“लोग लाजर नामक एक कंगाल को उसे फाटक पर छोड़ जाते थे” + +# कंगाल + +“भीख मांग कर भोजन खाने वाला गरीब मनुष्य”। + +# उसकी डेवड़ी पर + +“उस धनवान के द्वार पर” या “उस धनवान के घर के फाटक पर” + +# घावों से भरा हुआ + +“उसके पूरे शरीर पर घाव थे” + +# वह चाहता था कि .... पेट भरे + +“खाना चाहता था” या “की लालसा करता था” + +# धनवान की मेज पर की जूठन + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “धनवान जब खाना खाता था तब जो चूरचार उसकी मेज से नीचे गिरता था” या “उस धनवान की मेज से जो बचा हुआ भोजन फेंका जाता था” + +# यहाँ तक कि + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “इसके अतिरिक्त” या “यह भी कि”, इससे प्रकट होता है कि लाजर के लिए जो कहा गया है उससे भी बुरी दशा उसकी अब आगे है। + +# कुत्ते + +कुत्तों को अशुद्ध माना जाता था। लाजर इतना दुर्बल एवं लाचार था कि वह कुत्तों को भगा भी नहीं पाता था। diff --git a/luk/16/22.md b/luk/16/22.md new file mode 100644 index 0000000..f6fce57 --- /dev/null +++ b/luk/16/22.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# ऐसा हुआ कि + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# स्वर्गदूतों ने उसे लेकर अब्राहम की गोद में पहुंचाया + +“स्वर्गदूत उसे ले गए और अब्राहम की गोद में डाल दिया” + +# अब्राहम की गोद + +स्पष्ट है कि अब्राहम और लाजर भोज में एक दूसरे के संपर्क में थे और लाजर का सिर अब्राहम की छाती पर था। यह अतिथियों के भोज की यूनानी विधि थी। इस वाक्यांश का अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “अब्राहम के पास में” या “अब्राहम के ऊपर झुका हुआ” या “अब्राहम के साथ बैठा हुआ” + +# पीड़ा में पड़े हुए + +“जब उसे अविराम पीड़ा हो रही थी” या “घोर पीड़ा में” + +# अपनी आंखें उठाई + +यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “ऊपर देखा” + +# अब्राहम की गोद में लाजर को देखा + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “और लाजर को अब्राहम की छाती पर लेटे देखा”, या “और लाजर को उसके निकट बैठे देखा” या “ लाजर को उसके साथ देखा diff --git a/luk/16/24.md b/luk/16/24.md new file mode 100644 index 0000000..66d7af6 --- /dev/null +++ b/luk/16/24.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# उसने पुकार कर कहा + +“उस धनवान मनुष्य ने पुकारा” या “उसने अब्राहम से चिल्ला कर कहा” + +# मुझ पर दया कर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कृपया मुझ पर तरस खा” या “कृपया मुझ पर दया कर” + +# लाजर को भेज + +“लाजर को भेज कर” या “कृपया लाजर को मेरे पास भेज दे” या “लाजर से कह कि वह मेरे पास आए” + +# अपनी उंगली का सिरा पानी में भिगोकर + +इससे प्रकट होता है कि पानी की मात्रा कितनी कम थी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह अपनी उंगली पानी में स्पर्श करके”। + +# मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूँ + +"मैं इस आग में असहनीय पीड़ा भोग रहा हूँ" या "मैं इस आग में भयानक कष्ट उठा रहा हूँ" diff --git a/luk/16/25.md b/luk/16/25.md new file mode 100644 index 0000000..c6a9e15 --- /dev/null +++ b/luk/16/25.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# हे पुत्र + +वह धनवान मनुष्य भी अब्राहम वंशज था। + +# अच्छी वस्तुएं + +“सर्वोत्तम वस्तुएं” या “मनभावन वस्तुएं” + +# वैसे ही लाजर, बुरी वस्तुएं + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “लाजर को सब कुछ बुरा ही मिला” या “उसे वही मिला जिससे उसे कष्ट हुआ”। + +# तड़प + +“घोर पीड़ा” + +# इन सब बातों को छोड़ + +“इस सत्य के अतिरिक्त” + +# एक भारी गड़हा ठहराया गया है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर ने तुम्हारे और हमारे मध्य बहुत गहरी खाई रखी है” (यू.डी.बी.) + +# भारी गड़हा + +“गहरी और चौड़ी खाई” या “बहुत बड़ा विभाजन” या “विशाल खाई”। + +# तुम्हारे पास जाना चाहें + +“जो इस खाई को पार करना चाहे” या “यदि कोई पार आना जाना चाहे” diff --git a/luk/16/27.md b/luk/16/27.md new file mode 100644 index 0000000..39ad949 --- /dev/null +++ b/luk/16/27.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# उसे मेरे पिता के घर भेज + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “लाजर से कह कि वह मेरे पिता के परिवार में जाकर” या “कृपया उसे मेरे पिता के परिवार में भेज” + +# मेरे पिता के घर + +“मेरे परिवार में”, यह ईमारत नहीं है। वह धनवान व्यक्ति चाहता था कि लाजर जाकर उसके परिजनों को चेतावनी दे यद्यपि वे एक ही आवास में नहीं रहते थे। + +# इन बातों की गवाही दे + +“लाजर से कह कि उन्हें चेतावनी दे” + +# ऐसा न हो कि वे भी इस पीड़ा की जगह में आएं। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कि वे भी यहाँ न आएं” (यू.डी.बी.) या “यदि उन्हें चेतावनी न दी गई तो वे भी यही आयेंगे”। यहाँ अभिप्रेत अर्थ है, कि यहाँ आने से बचने के लिए उन्हें पापों से विमुख होना है। इस अभिप्रेत अर्थ को स्पष्ट व्यक्त किया जा सकता है, “कि वे पापों से विमुख हो जाएं और यहाँ न आएं। + +# इस पीड़ा की जगह में + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह स्थान जहाँ हमें पीड़ा होती है” या “यह स्थान जहाँ कष्ट असहनीय है” या “इस स्थान में जहाँ हमें पीड़ित किया जाता है”। diff --git a/luk/16/29.md b/luk/16/29.md new file mode 100644 index 0000000..4049086 --- /dev/null +++ b/luk/16/29.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उनके पास तो मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें हैं + +“तेरे भाइयों के पास मूसा और भविष्यद्वक्ताओं के लेख है” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्होंने मूसा और भविष्यद्वक्ताओं के लेखों को सुना है”। + +# वे उनकी सुनें + +“तेरे भाई मूसा और भविष्यद्वक्ताओं पर मनन करें”। + +# यदि कोई मरे हुओं में से उन के पास जाए + +इसका अनुवाद हो सकता है,"यदि कोई मरे हुओं में से उन के पास जाए" या "यदि मरे हुओं में से उन्हें चेतावनी दे." + +# जब वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की नहीं सुनते + +"यदि वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं द्वारा लिखी बातों पर ध्यान न दे" + +# उन्हें पाप का बोध नहीं होगा + +“ तौभी उसकी नहीं मानेंगे, वे विश्वास नहीं करेंगे” diff --git a/luk/17/01.md b/luk/17/01.md new file mode 100644 index 0000000..de7bc51 --- /dev/null +++ b/luk/17/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हो नहीं सकता कि ठोकरें न लगें + +इसका अनुवाद हो सकता है, “मनुष्य को पाप में ललचाने, बातें तो निश्चय ही होंगी” (यू.डी.बी.) या “परीक्षाओं को रोकना असंभव है” या पाप के प्रलोभनों को रोकना असंभव है”। + +# उस मनुष्य पर जिसके कारण वे आती हैं + +“उस पर जिसके द्वारा परीक्षाएं आती हैं” या “उस हर एक मनुष्य पर जिसके द्वारा परीक्षाएं आती हैं। + +# भला होता कि चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता और वह समुद्र में डाल दिया जाता। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “उसके गले में चक्की का पाट बान्धकर उसे समुद्र में डाल दिया जाता + +# चक्की का पाट + +यह बहुत बड़ा चक्राकार पत्थर होता था जिससे गेहूँ पीसा जाता था। इसका अनुवाद हो सकता है, “बहुत भारी पत्थर” + +# इन छोटों में से + +इसका अनुवाद हो सकता है, “छोटे बच्चों में से” या “इन छोटे विश्वास के मनुष्यों में से”। + +# ठोकर खिलाता है + +इसका अनुवाद हो सकता है, “पाप करवाता है” diff --git a/luk/17/03.md b/luk/17/03.md new file mode 100644 index 0000000..3d85c6d --- /dev/null +++ b/luk/17/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तेरा भाई + +सामान्यतः “तेरा विश्वासी” तथा “वास्तविक भाई” जो तेरे माता-पिता की सन्तान है। + +# इसे समझा + +“उसे कठोर चेतावनी दे” या “दृढ़ता से उससे कह कि उसने अनुचित काम किया है” या “उसे सुधार” + +# अपराध करे + +यह एक परिस्थिति आधारित वाक्य है जो संभवतः किसी भावी घटना की चर्चा करता है + +# सात बार तेरा अपराध करे + +यह एक काल्पनिक भावी परिस्थिति है। ऐसा हो नहीं सकता परन्तु यदि हो तो यीशु कहता है क्षमा करो। + +# दिन भर में वह सात बार + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “दिन में अनेक बार”, बाइबल में संख्या 7 पूर्णता का प्रतीक है। diff --git a/luk/17/05.md b/luk/17/05.md new file mode 100644 index 0000000..f61b89c --- /dev/null +++ b/luk/17/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हमारा विश्वास बढ़ा + +“कृपया हमारे विश्वास में बडोतरी कर” या कृपया हमारे विश्वास में अधिक विश्वास उत्पन्न कर” + +# यदि तुमको राई के दाने के बराबर भी विश्वास होता + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर थोड़ा सा हो” या “तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर हो परन्तु है नहीं”। वाक्य की रचना का सलंग्न अर्थ व्यक्त करती है कि उनका विश्वास वास्तव में राई के दाने के बाराबर भी नहीं था। + +# जड़ से उखाड़ कर समुद्र में लग जा + +इसका अनुवाद हो सकता है, यहाँ से उखड़ जा और समुद्र में उग जा” या “भूमि से जड़ें उखाड़ कर समुद्र में जड़ पकड़ ले” + +# तो वह तुम्हारी मान ले + +“वह वृक्ष तुम्हारी आज्ञा मानता” परिणाम शर्त आधारित है। ऐसा तब ही होगा जब उनमें विश्वास होगा। diff --git a/luk/17/07.md b/luk/17/07.md new file mode 100644 index 0000000..114d331 --- /dev/null +++ b/luk/17/07.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# तुममें से ऐसा कौन है + +“तुम में ऐसा कोई है” या “परन्तु तुममें से कौन”, यह आलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। इसका अनुवाद विधानवाचक वाक्य में किया जा सकता है, “यदि तुम में से किसी का” या “मान लो कि तुममें से किसी का” इसके उदाहरण हेतु यू.डी.बी. देखें। + +# तुममें से ऐसा कौन है जिसका दास + +यीशु जनसमूह से पूछ रहा था कि यदि ऐसी परिस्थिति आ जाए तो उनमें से कोई क्या करेगा। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परन्तु तुममें ऐसा कौन है जिसका सेवक” + +# जिसका दास हल जोतता या भेड़ें चराता हो + +“तुम्हारे खेत जोतने वाला या भेड़ों को चराने वाला सेवक” + +# हल जोतता + +हल जोतने का अर्थ है खेत की मिट्टी को हल की सहायता से पलटना कि बीज डालने के लिए तैयार हो। + +# तो उससे कहे + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद हो सकता है, “इसकी अपेक्षा तुम उससे कहोगे” + +# कमर कस और मझे भोजन परोस + +“कमर कस कर मुझे भोजन परोस” या “उचित वस्त्र पहन कर मेरी सेवा कर” वे अपने वस्त्र को उठाकर कमर पर बान्ध लेते थे कि काम करते समय वस्त्र बाधा उत्पन्न न करें। + +# इसके बाद + +“मेरी सेवा करने के बाद” diff --git a/luk/17/09.md b/luk/17/09.md new file mode 100644 index 0000000..773bae7 --- /dev/null +++ b/luk/17/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# क्या वह उस पाप का अहसान मानेगा? + +पिछले दो पदों के अनुवाद के आधार पर इसका अनुवाद भी इस प्रकार होगा, “वह धन्यवाद नहीं कहेगा” या “तुम धन्यवाद नहीं कहोगे”। + +# जिसकी आज्ञा दी गई थी + +“जो आज्ञा तुमने दी थी” + +# क्या उसका अहसान मानेगा? + +इसका अनुवाद हो सकता है, “ठीक”? या “क्या यह सच नहीं । इस आलंकारिक प्रश्न के द्वारा यीशु अपने शिष्यों को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करता है कि उसने जो कहा वह स्पष्टतः सच है। + +# तुम भी + +यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है इसलिए जिन भाषाओं में “तुम” शब्द बहुवचन में है, उसका उपयोग किया जाए। + +# तो कहो + +“परमेश्वर से कहो” + +# हम निकम्मे दास हैं + +इसका अनुवाद हो सकता है, “हम साधारण दास हैं” हम सेवक तेरी प्रशंसा के योग्य नहीं हैं”। diff --git a/luk/17/11.md b/luk/17/11.md new file mode 100644 index 0000000..ca906d6 --- /dev/null +++ b/luk/17/11.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# (और ऐसा हुआ कि) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# वह यरूशलेम जाते हुए + +“जब वे यरूशलेम के मार्ग पर जा रहे थे + +# उसे दस कोढ़ी मिले + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “इसका साक्षात्कार दस पुरूषों से हुआ जो कोढ़ी थे” या “दस कोढ़ के रोगी उसे मिले” + +# उन्होंने.... ऊँचे शब्द से कहा + +“उन्होंने पुकार कर कहा” या “वे चिल्लाए” + +# स्वामी + +यहाँ "स्वामी" का मूल भाषा यूनानी शब्द सामान्यतः दासों के स्वामी के लिए काम में लिया जाने वाला सामान्य शब्द नहीं है यह शब्द अधिकार संपन्न मनुष्य के लिए काम में लिया जाता था न कि किसी दास के स्वामी के लिए। इसका अनुवाद “प्रधान जी” या “श्रीमान जी” किया जा सकता है या ऐसा शब्द काम में लिया जा सकता है जिसका अभिप्राय एक अधिकार सम्पन्न मनुष्य से हो जैसे "महोदय"। + +# हम पर दया कर + +इसका अनुवाद हो सकता है, “कृपया रोग-मुक्त करने की दया हम पर कर”। diff --git a/luk/17/14.md b/luk/17/14.md new file mode 100644 index 0000000..9470f79 --- /dev/null +++ b/luk/17/14.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अपने आपको याजकों को दिखाओ + +यहाँ निहितार्थ को स्पष्ट किया जा सकता है, “कि वे तुम्हारा परीक्षण करें” + +# (और ऐसा हुआ कि) + +इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण बात का होना प्रकट होता है। इसका अनुवाद हो सकता है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसे यहाँ काम में लें। + +# वे शुद्ध हो गए + +यही वह महत्त्वपूर्ण बात है जिसको प्रकट करने के लिए “और ऐसा हुआ कि” कहा गया है, इसका अनुवाद हो सकता है, “वे कोढ़ से रोगमुक्त होकर शुद्ध हो गए” या “वे कोढ़ से रोगमुक्त हो गए” + +# यह देखकर कि वह चंगा हो गया + +“रोग मुक्ति देखकर” या “उसे यीशु द्वारा रोगमुक्ति की अनुभूति हुई” + +# लौटा + +“वह फिर से यीशु के पास आया” + +# ऊँचे शब्द से परमेश्वर की बढ़ाई करता हुआ + +“पुकार-पुकार कर परमेश्वर की स्तुति की” + +# यीशु के पावों पर मुँह के बल गिरकर + +“वह यीशु के चरणों में नतमस्तक होकर” उसने यीशु को सम्मान में ऐसा किया था। diff --git a/luk/17/17.md b/luk/17/17.md new file mode 100644 index 0000000..f48f4fe --- /dev/null +++ b/luk/17/17.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यीशु ने कहा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यीशु ने जनसमूह से कहा” यीशु ने .... उसके प्रतिक्रिया दिखाते हुए जनसमूह से कहा। + +# क्या दसों शुद्ध न हुए? + +यह तीन आलंकारिक प्रश्नों में से कहता है। यीशु ने इन प्रश्नों द्वारा जनसमूह में विस्मय और निराशा प्रकट की कि दस में से एक ही परमेश्वर की स्तुति करने लौटा। इसका अनुवाद हो सकता है, “दस कोढ़ी रोग-मुक्त किए गए थे” या “परमेश्वर ने दस को रोगमुक्त किया है” + +# नौ कहाँ हैं? + +इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद किया जा सकता है, “अन्य नौ को भी तो आना था” या “अन्य नौ क्यों नहीं लौटे”? + +# क्या इस परदेशी को छोड़कर कोई और न निकला जो परमेश्वर की बड़ाई करता? + +इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इस विजातीय पुरूष की अपेक्षा परमेश्वर की स्तुति के लिए अन्य कोई नहीं है? या “दस पुरूष रोगमुक्त किए गए परन्तु केवल यह परदेशी परमेश्वर की स्तुति करने लौटा है” या “क्या यह सब हो सकता है कि इस परदेशी पुरूष के अतिरिक्त परमेश्वर की स्तुति के लिए अन्य कोई नहीं लौटा”? + +# इस परदेशी + +सामरियों के पूर्वज गैरयहूदी थे और उनकी परमेश्वर की आराधना विधि यहूदियों से भिन्न थी। + +# तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है + +“तेरे विश्वास के कारण तेरा रोग दूर हुआ है” यहाँ विश्वास को क्रिया रूप में अनुवाद किया जा सकता है, “क्योंकि तू विश्वास करता है इसलिए तू रोग-मुक्त हो गया है” diff --git a/luk/17/20.md b/luk/17/20.md new file mode 100644 index 0000000..4cfe91a --- /dev/null +++ b/luk/17/20.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जब फरीसियों ने उससे पूछा + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है “फरीसियों ने यीशु से पूछा” यहाँ कहानी का नया वृत्तान्त आरंभ होता है। कुछ अनुवादक इसका आरंभ इस प्रकर करते हैं, “एक दिन” (यू.डी.बी.) या “एक बार” + +# परमेश्वर का राज्य कब आएगा + +इसे उद्धरण चित्रों में रखा जा सकता है, “परमेश्वर का राज्य कब आएगा”? + +# परमेश्वर का राज्य दृष्य रूप में नहीं आता है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तुम परमेश्वर के राज्य को प्रत्यक्ष रूप में देखना चाहते हो, परन्तु तुम देखोगे नहीं”। वे देखते नहीं थे कि यीशु राजा रूप में उनके मध्य उपस्थित है, क्योंकि वे एक सांसारिक राज्य की प्रतीक्षा में थे। + +# परमेश्वर का राज्य तुम्हारे बीच में है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर का राज्य तो आ गया है” या “परमेश्वर ने तो तुम्हारे मध्य राज करना आरंभ कर दिया है। diff --git a/luk/17/22.md b/luk/17/22.md new file mode 100644 index 0000000..7fce1d6 --- /dev/null +++ b/luk/17/22.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# वे दिन आयेंगे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “एक समय ऐसा आयेगा” या “एक दिन + +# देखना चाहोगे + +“तुम देखने की लालसा करोगे” या “तुममें उसका अनुभव करने की मनोकामना होगी”। उसके शिष्य तो चाहते थे कि वह राज करे। परन्तु सताव का समय आएगा और वे यही चाहेंगे कि यीशु राज कर रहा हो।” + +# मनुष्य के पुत्र के दिनों में से एक दिन + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य के पुत्र के राज के समय एक दिन” + +# उनके पीछे हो लेना + +“उनका अनुसरण नहीं करना” + +# जैसे बिजली.... चमकती है + +यह एक उपमा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जैसे बिजली चमकती है तो सबको दिखाई देती है और” या “जिस प्रकार बिजली आकस्मात ही चमकती है”। + +# वैसै ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “मनुष्य का पुत्र जब राज करने आएगा उस दिन भी ऐसा ही होगा”। diff --git a/luk/17/25.md b/luk/17/25.md new file mode 100644 index 0000000..b64cda8 --- /dev/null +++ b/luk/17/25.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु अपने चेलों से ही बातें कर रहा है) + +# परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुख उठाए + +“परन्तु मनुष्य के पुत्र को पहले पीड़ित होना आवश्यक है” यीशु स्वयं को तृतीय पुरूष में संबोधित कर रहा है। + +# जैसा नूह के दिनों में हुआ था + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “नूह के दिनों में मनुष्य का जैसा जीवन था” या “नूह के जीवनकाल में जैसा लोग करते थे”। “नूह के दिनों में” अर्थात उस समय से पूर्व जब परमेश्वर ने संसार को दण्ड दिया था। + +# वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य के पुत्र के समय भी लोग ऐसा ही जीवन जी रहे होंगे”। या “जब मनुष्य के पुत्र को पुन आगमन का समय होगा तब मनुष्यों का जीवन आचरण वैसा ही होगा”। “मनुष्य के पुत्र के दिनों में जब मनुष्य का पुत्र आनेवाला होगा। + +# लोग खाते-पीते थे, और उनमें विवाह होते थे + +वे सामान्य जीवन जी रहे थे और परमेश्वर के आने वाले दण्ड की उन्हें चिन्ता नहीं थी। + +# जहाज़ + +“बड़ी नाव” diff --git a/luk/17/28.md b/luk/17/28.md new file mode 100644 index 0000000..095e11f --- /dev/null +++ b/luk/17/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु बातें कर रहा है) + +# और जैसा लूत के दिनों में हुआ + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “एक और उदाहरण है, लूत के युग में जैसा था” या “लूत के जीवनकाल में लोगों पर जो व्यवहार था”। “लूत के दिनों में अर्थात सदोम और अमोरा नगरों पर परमेश्वर के दण्ड से पूर्व। + +# खाते-पीते + +“सदोम के लोग खाते-पीते थे” + +# आग और गन्धक आकाश से बरसी + +“आकाश से आग और गन्धक ऐसे गिरे जैसे बरसात”। diff --git a/luk/17/30.md b/luk/17/30.md new file mode 100644 index 0000000..01fc9f7 --- /dev/null +++ b/luk/17/30.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु बातें कर रहा है) + +# ऐसा ही होगा + +अर्थात “ठीक ऐसा ही तब भी होगा” लूत के युग के लोग क्या करते थे स्पष्ट व्यक्त किया जाए जैसा यू.डी.बी. में है, “मनुष्य तैयार नहीं रहेगा” + +# मनुष्य के पुत्र के प्रकट होने के दिन + +“जब मनुष्य का पुत्र प्रकट होगा” या “जब मनुष्य का पुत्र आएगा” + +# जो छत पर हो .... वह .... न उतरे + +“जो घर की छत पर हो वह नीचे न आए” या “यदि कोई अपने घर की छत पर हो तो वह उतर कर नीचे न आए। + +# छत पर + +उनके घरों की छतें समतल होती थी। मनुष्य वहां बैठ सकते थे। + +# उसका सामान + +“उसकी सम्पदा” या “उसकी वस्तुऍ” + +# पीछे न लौटे + +यहाँ अभिप्रेत अर्थ है कि वे घर लौटने की अपेक्षा जान बचाकर भागें, यू.डी.बी. में स्पष्ट व्यक्त किया गया है। diff --git a/luk/17/32.md b/luk/17/32.md new file mode 100644 index 0000000..83477a9 --- /dev/null +++ b/luk/17/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# लूत की पत्नी को स्मरण रखो + +यह एक चेतावनी है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “लूत की पत्नी जैसा मत करना”। उसने मुड़कर सदोम को देखा और सदोम की जनता के साथ दण्ड पाया”। + +# जे कोई अपना प्राण बचाना चाहे वे उसे खोएगा”। + +“अपना जीवन सुरक्षित रखने की खोज करने वाले, अपने प्राण खो देंगे” या “जो अपनी पुरानी जीवनशैली को सुरक्षित रखना चाहेगा उसका प्राण जाएगा” + +# जो कोई उसे खोए वह उसे जीवित रखेगा। + +“मनुष्य को अपना प्राण खाएँगे वे सुरक्षित रहेंगे”। या “जो अपनी पुरानी जीवनशैली का त्याग कर देगा वह जीवित रहेगा”। diff --git a/luk/17/34.md b/luk/17/34.md new file mode 100644 index 0000000..c0b2629 --- /dev/null +++ b/luk/17/34.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु अपने चेलों से ही बातें कर रहा है) + +# उस रात + +अर्थात, जिस रात मनुष्य का पुत्र आयेगा उस समय क्या होगा। + +# दो मनुष्य एक खाट पर होंगे + +यह एक काल्पनिक परिस्थिति है कि उस समय दो मनुष्य क्या कर रहे होंगे। इसका अनुवाद हो सकता है, “दो मनुष्य एक दीवान पर होंगे”। + +# खाट + +“दीवान” या “पलंग” + +# एक ले लिया जाएगा दूसरा छोड़ दिया जाएगा + +इसका अनुवाद कर्तवाच्य क्रियावाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “परमेश्वर एक व्यक्ति को उठा लेगा और दूसरे को यही छोड़ देगा” या “स्वर्गदूत एक व्यक्ति को उठा लेंगे परन्तु दूसरे को छोड़ देंगे”। + +# दो स्त्रियाँ एक साथ चक्की पीसती होंगी + +यह एक काल्पनिक दृश्य है कि दो स्त्रियाँ क्या कर रही होंगी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “दो स्त्रियाँ एक साथ गेहूँ पीस रही होंगी”। कुछ संस्करणों में इस प्रकार अनुवाद किया गया है, “खेत में दो मनुष्य होंगे, एक उठा लिया जाएगा और दूसरा रह जाएगा”। यह वाक्य लूका रचित सुसमाचार के सर्वोत्तम अभिलेखों में नहीं है। + +# हे प्रभु, यह कहाँ होगा? + +“हे प्रभु, ऐसा कहाँ होगा”? (यू.डी.बी.) + +# जहाँ लोथ है, वहां गिद्ध इकट्ठे होंगे + +यह स्पष्टतः एक लोकोक्ति है जिसका अर्थ है, “यह स्पष्ट होगा”, या “जब ऐसा होगा तब तुम जान लोगे”। “यह अनुवाद उपमा देकर भी किया जा सकता है”, गिद्धों के आने से स्पष्ट है कि वहां शव है, इसी प्रकार इन बातों से प्रकट होगा कि मनुष्य का पुत्र प्रकट होने वाला है”। + +# गिद्ध + +गिद्ध बड़े पक्षी हैं जो मृतक पशुओं का मांस खाते हैं। आप पक्षियों को इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं या आपके यहाँ ऐसे पक्षियों का नाम लिख सकते हैं। diff --git a/luk/18/01.md b/luk/18/01.md new file mode 100644 index 0000000..0678f34 --- /dev/null +++ b/luk/18/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से ही बातें कर रहा है) + +# फिर उसने + +“फिर यीशु ने” + +# कहा + +“सुनाया” (यू.डी.बी.) + +# हियाव न छोड़ना चाहिए + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “प्रार्थना करने में क्लांत न हों”। या “विश्वास करना न छोड़ें” + +# किसी नगर में एक न्यायी रहता था + +“किसी” शब्द का उपयोग घटना के वर्णन हेतु किया गया है जिसमें न तो न्यायी का नाम है और न नगर का नाम है। + +# न परमेश्वर से डरता था + +“परमेश्वर का भय नहीं मानता था” (यू.डी.बी.) + +# न किसी मनुष्य की परवाह करता था + +“न मनुष्यों का ही मान रखता था” diff --git a/luk/18/03.md b/luk/18/03.md new file mode 100644 index 0000000..5c9078d --- /dev/null +++ b/luk/18/03.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# विधवा + +विधवा वह स्त्री होती है जिसका पति मर गया। यीशु के शिष्य उसे आरक्षित नारी समझे होंगे। + +# मेरा न्याय चुका कर + +इसका अनुवाद हो सकता है, “उसे दण्ड दे” या “मेरा बदला चुका” + +# मेरा विरोधी + +“मेरे शत्रु से” या “मुझे हानि पहंुचाने वाले से” यह कोर्ट केस में बंधी है। यह स्पष्ट नहीं कि उसने इस विधवा पर केस डाला है या इस विधवा ने उस पर केस डाला है। + +# परमेश्वर से डरता + +“परमेश्वर का भय नहीं मानता” + +# मनुष्यों + +“सामान्यतः मनुष्य” + +# मुझे सताती रहती है + +इसका अनुवाद हो सकता है, “मुझे परेशान करती है” + +# मेरी नाक में दम कर दे + +“मेरा जीना दुश्वार कर दे” + +# घड़ी-घड़ी आकर + +“बार-बार आकर” diff --git a/luk/18/06.md b/luk/18/06.md new file mode 100644 index 0000000..ac9713d --- /dev/null +++ b/luk/18/06.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखा रहा है) + +# सुनो, वह अधर्मी न्यायी क्या कहता है? + +“विचार करो कि उस अधर्मी न्यायी क्या कहता है” इसका अनुवाद इस प्रकार करें कि पाठकों को समझ में आ जाए कि यीशु ने अपनी बात उस न्यायी के शब्दों में कह दी है। + +# क्या परमेश्वर.... न्याय न चुकाएगा? + +यीशु ने इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा यह संकेत दिया कि उसके श्रोताओं को उसकी शिक्षा को समझ लेना चाहिए। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “परमेश्वर निश्चय ही चुकाएगा” या “अतः तुम निश्चित जानो कि परमेश्वर न्याय चुकाएगा” + +# अपने चुने हुओं का + +“जिन मनुष्यों को उसने चुन लिया है” + +# क्या वह उनके विषय में देर करेगा? + +यीशु इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा श्रोताओं को स्मरण कराना चाहता था कि परमेश्वर का यह गुण तो उन्हें पहले ही से जानना आवश्यक था। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “और तुम जानते हो कि वह उनके साथ देर नहीं करता है”। + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु स्वयं को संबोधित कर रहा है + +# क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा? + +इस शिक्षाप्रद कथा का उद्देश्य था कि शिष्यों को विश्वास के साथ प्रार्थना करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। यीशु का यह एक और आलंकारिक प्रश्न है जिसके द्वारा यीशु नकारात्मक उत्तर पाना चाहता था। इस प्रश्न का अर्थ है, “मैं जानता हूँ कि जब मैं, मनुष्य का पुत्र लौटकर आऊंगा तब मैं ऐसे मनुष्यों को भी देखूंगा जो मुझ में विश्वास नहीं रखते हैं”। diff --git a/luk/18/09.md b/luk/18/09.md new file mode 100644 index 0000000..dfa5fa2 --- /dev/null +++ b/luk/18/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# फिर उसने + +“फिर यीशु ने” + +# उनसे + +“उन कुछ लोगों से” + +# जो अपने ऊपर भरोसा रखते थे कि हम धर्मी है + +“जो पाखंडी थे” या “जो सोचते थे कि वे धर्मी है” + +# तुच्छ जानते थे + +“हीन समझते थे” + +# मन्दिर में + +“मन्दिर परिसर में” diff --git a/luk/18/11.md b/luk/18/11.md new file mode 100644 index 0000000..26ca662 --- /dev/null +++ b/luk/18/11.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा + +इस वाक्यांश की मूल यूनानी भाषा स्पष्ट नहीं है। इसके संभावित अर्थ हैं, (1) फरीसी ने खड़े होकर अपने बारे में इस प्रकार प्रार्थना की” या (2) “फरीसी ने अकेले खड़े होकर प्रार्थना की”। + +# अन्धेर करनेवाला + +अन्धेर करनेवाला मनुष्यों को विवश करके उनका समान ले लेता है, या “उन्हें डराकर” + +# उपवास + +उपवास का अर्थ है, भोजन नहीं करना। फरीसी सप्ताह में दो दिन उपवास रखते थे। + +# कमाई का + +आमदनी का diff --git a/luk/18/13.md b/luk/18/13.md new file mode 100644 index 0000000..f0a8dec --- /dev/null +++ b/luk/18/13.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है) + +# स्वर्ग की ओर आँखें उठाना + +यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “स्वर्ग की ओर देखना” या “ऊपर देखना” + +# अपनी छाती पीट-पीटकर + +यह शोक प्रकट करने का प्रतीक है ओर उस मनुष्य के पश्चाताप एवं दीनता को दर्शाता है। + +# मुझ पापी पर दया कर + +इसका अनुवाद हो सकता है, “हे परमेश्वर मुझ पर दया कर क्योंकि मैं एक भयानक पापी हूँ”। या “हे परमेश्वर मुझ पर दया कर, में एक भयानक पापी हूँ”। + +# यही मनुष्य + +“वह चुंगी लेनेवाला” + +# वह दूसरा नहीं + +“उस पहले वाले की अपेक्षा” या “उसकी अपेक्षा” या “वह मनुष्य नहीं” इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “परन्तु वह दूसरा व्यक्ति धर्मी नहीं ठहराया गया” + +# क्योंकि जो कोई अपने आपको बड़ा बनाएगा, + +इस वाक्यांश द्वारा यीशु कहानी से हटकर उस सामान्य सिद्धान्त पर आता है जो इस कहानी द्वारा दर्शाया गया है। + +# बड़ा किया जाएगा + +“महान समझा जाएगा” diff --git a/luk/18/15.md b/luk/18/15.md new file mode 100644 index 0000000..27b528d --- /dev/null +++ b/luk/18/15.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# उन पर हाथ रखे, परन्तु + +इसे एक अलग वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, “उन्हें छूएं परन्तु” + +# डांटा + +शिष्यों ने उन माता-पिता के इस कार्य पर कठोर आपत्ति उठाई + +# आने दो + +“उन्हें अनुमति दो” + +# बालकों + +यह शब्द “शिशु” नहीं है। जिन बच्चों को लोग ला रहे थे, वे बालक थे अर्थात शिशु नहीं थे, उनसे बड़े थे। + +# उन्हें मना मत करो + +“उन्हें बाधित मत करो” या “बच्चों को मत रोको” + +# ऐसों ही का है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ऐसे मनुष्यों का है जो इन बच्चों के स्वभाव के हैं”। + +# मैं तुमसे सच कहता हूँ। + +“मैं तुमसे निश्चय कहता हूँ” यीशु इस अभिव्यक्ति द्वारा अपने आगामी कथन के महत्त्व पर बल दे रहा था। + +# बालक के समान + +यह एक उपमा है जिसके द्वारा परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करनेवालों के स्वभाव की तुलना बच्चों के स्वभाव से की गई है। समानता के विषय हैं, दीनता एवं विश्वास करना। इस उपमा का अर्थ है, वे परमेश्वर के राज्य को जिस विनम्रता से स्वीकार करते हैं वह ठीक वैसी ही है जैसी एक बच्चे में होती है और विश्वास भी। + +# प्रवेश + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर के राज्य में प्रवेश” diff --git a/luk/18/18.md b/luk/18/18.md new file mode 100644 index 0000000..d0d5cb8 --- /dev/null +++ b/luk/18/18.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उत्तम + +“सुनने और आज्ञा मानने योग्य” + +# मैं क्या करूं? + +“मुझे क्या करने की आवश्यकता है” या “मेरे लिए क्या आवश्यक है”? + +# उत्तराधिकार + +“अधिकृत स्वामी होने के लिए” यह शब्द सामान्यतः किसी मृतक की सम्पदा के लिए काम में लिया जाता था। लूका इस उपमा के उपयोग द्वारा दर्शाना चाहता है कि वह प्रधान समझ गया था कि अनन्त जीवन कर्मों से नहीं है और हर एक जन को अनन्त जीवन प्राप्त नहीं है। + +# कोई उत्तम नहीं, केवल एक, अर्थात परमेश्वर, + +इसका अनुवाद दो वाक्यों में किया जा सकता है। “मनुष्य तो कोई भी नहीं जो उत्तम हो सकता है। केवल परमेश्वर ही है जो उत्तम है। + +# हत्या न करना + +“कत्ल न करना” + +# यह सब बातें + +“इन सब आज्ञाओं को” diff --git a/luk/18/22.md b/luk/18/22.md new file mode 100644 index 0000000..955e61f --- /dev/null +++ b/luk/18/22.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यह सुन यीशु ने + +“यीशु ने उसकी यह बात सुनकर” + +# यीशु ने उससे कहा + +“यीशु ने उसे उत्तर दिया” + +# तुममें अब भी एक बात की घटी है। + +“तुम्हें एक और काम करने की आवश्यकता है”। या “एक काम तूने अभी तक नहीं किया है” + +# अपना सब कुछ बेच कर + +“अपनी संपूर्ण सम्पदा बेच कर” या “तेरे पास जो कुछ है सब बेच दे” + +# बांट दे + +“दे दे” + +# कंगालों में बांट दे + +“यह पैसा गरीबों को दे दे” diff --git a/luk/18/24.md b/luk/18/24.md new file mode 100644 index 0000000..5dab973 --- /dev/null +++ b/luk/18/24.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वह बहुत उदास हुआ + +यह वाक्य अनेक यूनानी पुरालेखों में नहीं है, इसलिए अंग्रेजी अनुवादों में प्रायः इसे छोड़ दिया गया है। + +# ऊंट का सुई के नाके में से निकल जाना + +ऊंट के लिए सूई के छिद्र से पार निकलना असंभव है। ऐसा प्रतीत होता है कि यीशु अतिशयोक्ति के उपयोग द्वारा यह कहना चाहता था कि “धनवान मनुष्य के लिए उद्धार पाना बहुत ही कठिन है”। + +# ऊंट + +यह एक बहुत बड़ा पशु है, गाय और घोड़े से भी बड़ा + +# सूई के नाके + +सूई का छिद्र जिसमें सिलाई करने का धागा डाला जाता है। diff --git a/luk/18/26.md b/luk/18/26.md new file mode 100644 index 0000000..fb07b34 --- /dev/null +++ b/luk/18/26.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सुननेवालों ने + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यीशु की इस बात को सुननेवालों ने” + +# तो फिर किसका उद्धार हो सकता है? + +संभव है कि वे उत्तर पाना चाहते थे। परन्तु अति संभव है कि यह एक अलंकारिक प्रश्न है जिसका अर्थ है, “तब तो किसी का भी उद्धार नहीं हो सकता है”। + +# उद्धार + +“पापों से मुक्ति” + +# परमेश्वर से ही हो सकता है + +“परमेश्वर ही है जो यह कर सकता है” diff --git a/luk/18/28.md b/luk/18/28.md new file mode 100644 index 0000000..e216dce --- /dev/null +++ b/luk/18/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# घर बार + +“अपनी धन सम्पत्ति” या “अपना सब कुछ” + +# मैं तुमसे सच कहता हूँ + +यीशु इस वाक्य द्वारा अपने अग्रिम बात पर बल दे रहा था। + +# ऐसा कोई नहीं जिसने .... कई गुणा अधिक न पाया हो + +इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “जिसने भी .... छोड़ दिया हो.... वह पाएगा। + +# आनेवाले युग में अनन्त जीवन + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आने वाले संसार में अनन्त जीवन” diff --git a/luk/18/31.md b/luk/18/31.md new file mode 100644 index 0000000..3242a91 --- /dev/null +++ b/luk/18/31.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# देख + +यह शब्द यीशु की सेवा में गंभीर परिवर्तन दर्शाता है जब वह अन्तिम समय के लिए यरूशलेम जा रहा है। + +# भविष्यद्वक्ताओं + +पुराने नियम के भविष्यद्वक्ता + +# सब पूरी होंगी + +“अवश्य घटेंगी” या “होकर रहेंगी” + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु स्वयं को मनुष्य का पुत्र कहता है या और अपने लिए “वह” सर्वनाम का उपयोग करता था। + +# तीसरे दिन + +मरणोपरान्त तीसरे दिन। परन्तु शिष्यों की समझ में यह बात न आई। अतः इस पद के अनुवाद में इस व्याख्या को निहित न करना ही अच्छा है। diff --git a/luk/18/34.md b/luk/18/34.md new file mode 100644 index 0000000..8a9315c --- /dev/null +++ b/luk/18/34.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वह उनकी समझ में न आया + +“वे कुछ भी समझ न पाए” + +# इन बातों को + +यरूशलेम में यीशु के कष्टों और मृत्यु का वर्णन और तीसरे दिन उसका पुनरुत्थान। + +# ये बातें उनसे छिपी रही + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “परमेश्वर ने उन्हें यीशु की बातें समझने से रोक दिया” (यू.डी.बी.) + +# जो कहा गया था + +इसका अनुवाद भी कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “यीशु ने जो कहा था” diff --git a/luk/18/35.md b/luk/18/35.md new file mode 100644 index 0000000..fea9c3d --- /dev/null +++ b/luk/18/35.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# निकट पहुंचा + +“पास आया” + +# एक अन्धा सड़क के किनारे बैठा + +“वहां एक अंधा मनुष्य बैठा था” यहाँ केवल वह व्यक्ति महत्त्वपूर्ण है, उसका नाम जानने की आवश्यकता नहीं है। + +# भीख मांग रहा था.... सुनकर + +इसका अनुवाद भी दो वाक्य में किया जा सकता है, “भीख मांग रहा था” जब उसने यीशु के चलने की आहट सुनी तो” + +# उन्होंने उसको बताया + +लोगों ने उसे बताया + +# यीशु नासरी + +यीशु नासरत का रहनेवाला था। नासरत गलील का एक नगर था। + +# जा रहा है + +“उसके पास से जा रहा है” diff --git a/luk/18/38.md b/luk/18/38.md new file mode 100644 index 0000000..951377a --- /dev/null +++ b/luk/18/38.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उसने पुकार के कहा + +“चिल्लाया” या “पुरजोर आवाज दी” + +# दाऊद की सन्तान + +यीशु दाऊद का वंशज था। दाऊद इस्राएल का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण राज्य था। + +# मुझ पर दया कर + +“मुझ पर तरस खा” या “मुझ पर कृपा कर” + +# आगे-आगे जा रहे थे + +“जनसमूह में लोग” + +# चुप रहे + +“शान्त रहे” या “चिल्लाए नहीं” + +# वह और भी चिल्लाने लगा + +अर्थात वह और ऊँचे स्वर में चिल्लाने लगा या वह अविराम चिल्लाता जा रहा था। diff --git a/luk/18/42.md b/luk/18/42.md new file mode 100644 index 0000000..39f3e28 --- /dev/null +++ b/luk/18/42.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैंने तुझे दृष्टिदान दिया क्योंकि तूने मुझमें विश्वास किया है”। + +# उसके पीछे हो लिया + +इसका अनुवाद हो सकता है, “उसके पीछे चलने लगा” + +# परमेश्वर की बड़ाई करता हुआ + +“परमेश्वर की स्तुति करता हुआ” या “परमेश्वर को महान कहता हुआ” diff --git a/luk/19/01.md b/luk/19/01.md new file mode 100644 index 0000000..cfdb401 --- /dev/null +++ b/luk/19/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# एक मनुष्य था + +अब कहानी में एक नया मनुष्य आता है, आपकी भाषा में किसी नए मनुष्य का प्रवेश व्यक्त करने की अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। diff --git a/luk/19/03.md b/luk/19/03.md new file mode 100644 index 0000000..287aba2 --- /dev/null +++ b/luk/19/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वह यीशु को देखना चाहता था + +“जक्कई देखना चाहता था कि यीशु कौन है” + +# गूलर के पेड़ + +गूलर एक छोटा गोल फल होता है, लगभग 2. से.मी. का। इसका अनुवाद केवल “अंजीर का वृक्ष” या “वृक्ष” मात्र ही किया जा सकता है। + +# वह नाटा था + +“वह कद में छोटा था” diff --git a/luk/19/05.md b/luk/19/05.md new file mode 100644 index 0000000..396c477 --- /dev/null +++ b/luk/19/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उस जगह + +“उस वृक्ष के नीचे” या “जहाँ जक्कई था” + +# वह तो एक पापी मनुष्य के यहाँ जा उतरा है + +“यीशु एक पापी के घर में गया है” + +# एक पापी + +“एक प्रकट पापी” या “वास्तव में एक पापी” (यू.डी.बी.) या “एक सन्देहरहित पापी” diff --git a/luk/19/08.md b/luk/19/08.md new file mode 100644 index 0000000..755b445 --- /dev/null +++ b/luk/19/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# प्रभु + +यह यीशु के सन्दर्भ में है + +# आज इस घर में उद्धार आया है + +इस भाववाचक संज्ञा “उद्धार” का अनुवाद “उद्धार करना” क्रिया में किया जा सकता है, “परमेश्वर ने इस परिवार का उद्धार किया है” + +# इस घर में + +यहाँ जिस शब्द का अनुवाद “घर” किया गया है उसका अर्थ है घर में रहने वाले लोग या परिवार (देखें: Metonymy) + +# यह भी + +“यह मनुष्य भी” या “जक्कई भी” + +# अब्राहम का पुत्र + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) “अब्राहम का वंशज” या (2) “जिस व्यक्ति का विश्वास अब्राहम के जैसा है” + +# खोए हुओं को + +“परमेश्वर से दूर हो गए मनुष्यों को” या “जो पाप करके परमेश्वर से दूर हो गए हैं” diff --git a/luk/19/11.md b/luk/19/11.md new file mode 100644 index 0000000..b304cad --- /dev/null +++ b/luk/19/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परमेश्वर का राज्य अभी प्रकट होनेवाला है + +“कि यीशु उसी समय परमेश्वर के राज्य पर राज करेगा” + +# एक धनी मनुष्य + +“शासक वर्ग का एक मनुष्य” या “किसी महत्त्वपूर्ण परिवार का एक सदस्य”। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “एक महत्त्वपूर्ण मनुष्य” या “ऊँचा पद रखनेवाला एक मनुष्य” + +# राज पद पाकर लौटे + +“राजा बनकर” या “अपने प्रदेश का राजा बनकर” diff --git a/luk/19/13.md b/luk/19/13.md new file mode 100644 index 0000000..31ec02e --- /dev/null +++ b/luk/19/13.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# उसने .... बुलाकर + +उसने शब्द उस धनवान मनुष्य के लिए काम में लिया गया है। + +# दस मुहरें + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “एक-एक मुहर दी” + +# दस मुहरें + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “दस कीमती मुहरें” या “बहुत पैसा दिया”। एक मुहर लगभग चार महीनों की मजदूरी होती थी। + +# लेनदेन करना + +“इससे व्यापार करना” या “इससे और अधिक धन कमाना” + +# नगर के रहने वाले + +“उसके देश के नागरिक” + +# दूतों + +“प्रतिनिधियों” या “सन्देशवाहकों” + +# (और ऐसा हुआ) + +इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# राजपद पाकर + +“राजा बन कर” + +# क्या-क्या कमाया + +“उन्होंने कितना पैसा और बनाया” diff --git a/luk/19/16.md b/luk/19/16.md new file mode 100644 index 0000000..11a9a51 --- /dev/null +++ b/luk/19/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# पहले ने + +“पहले सेवक ने” + +# आकर + +इस धनवान मनुष्य के समक्ष आकर + +# मुहर + +देखें इसका अनुवाद अपने 19:13 में इसका अनुवाद कैसे किया है। + +# धन्य + +“तूने बहुत अच्छा काम किया है” आपकी भाषा में नियोजक अनुमोदन दर्शाने के शब्द काम में लेता होगा जैसे “अच्छा काम किया” diff --git a/luk/19/18.md b/luk/19/18.md new file mode 100644 index 0000000..e51494d --- /dev/null +++ b/luk/19/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# तेरी मुहर से पाँच और मुहरें कमाई हैं + +इसका अनुवाद किया जा सकता है “हे प्रभु तूने मुझे जो मुहरें दी थी उनसे मैंने पाँच और अधिक अर्जित की हैं। + +# मुहर + +देखें इसका अनुवाद अपने 19:13 में इसका अनुवाद कैसे किया है। + +# तू पाँच नगरों पर हाकिम हो + +“तू पाँच नगरों पर अधिकारी होगा” diff --git a/luk/19/20.md b/luk/19/20.md new file mode 100644 index 0000000..582797c --- /dev/null +++ b/luk/19/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# मुहर + +देखें इसका अनुवाद अपने 19:13 में इसका अनुवाद कैसे किया है। + +# तू कठोर मनुष्य है + +“तू निर्दयी है” या “तू एक ऐसा मनुष्य है जो सेवकों से अनावश्यक अपेक्षा करता है”। या “एक निष्ठुर मनुष्य है” (यू.डी.बी.) + +# जो तूने नहीं रखा उसे उठा लेता है + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “तूने जहाँ निवेश नहीं किया वहां से पाना चाहता है” या “जो तेरा नहीं उसे पाना चाहता है” यह एक लोकोक्ति है जो लालची मनुष्य का चरित्र दर्शाती है। + +# काटता है + +काटता है अर्थात “फसल उठाता है” या “एकत्र करता है” या “उठाता है” + +# जो तूने नहीं बोया उसे काटता है + +“जो फसल तेरी नहीं, उसे काटता है” यह एक रूपक है। वह सेवक अपने स्वामी की तुलना एक ऐसे किसान से कर रहा था जो दूसरों की खेती से अपना भोजन लेता है। diff --git a/luk/19/22.md b/luk/19/22.md new file mode 100644 index 0000000..75c7f46 --- /dev/null +++ b/luk/19/22.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# तू कठोर मनुष्य है + +“निष्ठुर मनुष्य” + +# कठोर मनुष्य हूँ... उठा लेता + +वह अपने सेवक के शब्दों को दोहरा रहा था वह स्वीकार नहीं कर रहा था कि यह सत्य है। + +# तूने मेरे रुपये... क्यों नहीं रख दिए? + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है जो झिड़की के लिए है। इसका अनुवाद हो सकता है, “तुझे मेरी मुहर सर्राफों के पास क्यों नहीं रख दी”। + +# सर्राफों के पास क्यों नहीं रख दिए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बैंक में क्यों नहीं डाल दिया। जिन संस्कृतियों में बैंक नहीं है वहां अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ब्याज पर क्यों नहीं चढ़ा दिया”? + +# सर्राफ + +सर्राफ ब्याज पर पैसा चलाते हैं। वे आपके पैसों को किसी को ब्याज पर देंगे और ब्याज का एक भाग आपको दे देंगे + +# ब्याज समेत ले लेता + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं” आकर अपनी मुहरें और उसका ब्याज वसूल कर लेता” (यू.डी.बी.) या “मैं आकर उसका लाभ उठाता” + +# ब्याज + +पैसों पर कमाया हुआ अतिरिक्त धन। diff --git a/luk/19/26.md b/luk/19/26.md new file mode 100644 index 0000000..c670b39 --- /dev/null +++ b/luk/19/26.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# मैं तुझ से कहता हूँ + +यह राजा के वचन हैं। कुछ अनुवादक इसका आरंभ इस प्रकार करते हैं, “और राजा ने कहा, “मैं तुमसे कहता हूँ”, या “परन्तु राजा ने कहा,मैं यह कहता हूँ”। + +# जिसके पास + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो दी हुई सम्पत्ति का उचित उपयोग करता है” या “जो मेरी दी हुई सम्पत्ति लाभकारी उपयोग करता है” + +# उसे दिया जाएगा + +इसका अनुवाद कर्तृवाय वाक्य में किया जा सकता है, “मैं उसे और दूंगा” + +# जिसके पास नहीं है + +इसका अनुवाद हो सकता है, “जो दी हुई सम्पत्ति का लाभकारी उपयोग नहीं करता है”। + +# मेरे उन बैरियों को + +क्योंकि उसके बैरी वहां उपस्थित नहीं हैं इसलिए कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद इस प्रकार किया गया है, “मेरे वे बैरी” (यह शिक्षाप्रद कथा का समापन है और जक्कई के घर में होने वाले संवाद का अनत है)। diff --git a/luk/19/28.md b/luk/19/28.md new file mode 100644 index 0000000..81ea914 --- /dev/null +++ b/luk/19/28.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# ये बातें कह कर वह + +“वह” यीशु के लिए प्रयुक्त सर्वनाम है न कि पिछले गद्यांश में राजा के लिए। कुछ अनुवादों में स्पष्ट किया गया है, “जब यीशु ये बातें कह चुका” + +# यरूशलेम की ओर उनके आगे-आगे चला। + +यरूशलेम यरीहो से लगभग 975 मीटर की ऊंचाई पर है। diff --git a/luk/19/29.md b/luk/19/29.md new file mode 100644 index 0000000..730a801 --- /dev/null +++ b/luk/19/29.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# (और ऐसा हुआ कि) + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# पास पहुंचा + +“वह” अर्थात यीशु। उसके शिष्य उसके साथ थे। + +# बैतफगे + +बैतफगे जैतून पर्वत पर स्थित एक गांव था। जैतून पर्वत यरूशलेम से किद्रोन नाले के पास था। + +# जैतून नामक पहाड़ + +“जैतून पर्वत कहलाने वाला पर्वत” या “जैतून के पेड़ों का पर्वत” diff --git a/luk/19/32.md b/luk/19/32.md new file mode 100644 index 0000000..fd3cd98 --- /dev/null +++ b/luk/19/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जो भेजे गए थे + +इसका कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “जिन्हें यीशु ने भेजा था” या “यीशु ने जिन दो शिष्यों को भेजा था”। + +# अपने -अपने कपड़े..... डालकर + +“गधे के बच्चे पर अपने बाहरी वस्त्र डालकर” + +# अपने कपड़े मार्ग में बिछाते जाते थे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “लोगों ने अपने वस्त्र मार्ग में बिछाए” या “अन्य जनों ने अपने चोगे मार्ग में बिछाए” diff --git a/luk/19/37.md b/luk/19/37.md new file mode 100644 index 0000000..d17b503 --- /dev/null +++ b/luk/19/37.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# निकट आते हुए + +“जब यीशु निकट आ रहा था” या “जब यीशु पहुंच रहा था”, “यीशु के शिष्य उसके साथ चल रहे थे। + +# उन सब सामर्थ्य के कामों + +इसका अनुवाद हो सकता है, “उन्होंने यीशु के उन आश्चर्य के कामों को देखा था”। + +# धन्य है वह राजा + +वे यीशु के लिए ऐसा नारा लगा रहे थे + +# प्रभु + +परमेश्वर + +# आकाश मण्डल में महिमा हो + +इसका अनुवाद हो सकता है, “सर्वोच्च परमेश्वर की स्तुति हो”, या “परम-प्रधान की स्तुति हो”। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है जिसमें कहा जा सकता है कि कौन स्तुति करेगा, जैसा यू.डी.बी में है। diff --git a/luk/19/39.md b/luk/19/39.md new file mode 100644 index 0000000..6d419bc --- /dev/null +++ b/luk/19/39.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अपने चेलों को डांट + +इसका अनुवाद हो सकता है, “अपने अनुयायियों को ऐसा करने से रोक”। + +# मैं तुमसे कहता हूँ + +यीशु ने अपनी अगली बात पर बल देने के लिए इस उक्ति का उपयोग किया था। + +# यदि ये चुप रहे + +यह एक काल्पनिक परिस्थिति है। कुछ अनुवादकों के लिए आवश्यक होगा कि यीशु के अभिप्रेत अर्थ को प्रकट करें, “नहीं, मैं उन्हें डांटूँगा नहीं क्योंकि यदि ये चुप हो गए तो ....” + +# पत्थर चिल्ला उठेंगे + +“पत्थर स्तुति करने लगेंगे” diff --git a/luk/19/41.md b/luk/19/41.md new file mode 100644 index 0000000..65f2a23 --- /dev/null +++ b/luk/19/41.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जब वह निकट आया + +“पहुंचा” या “पास में आया” + +# नगर + +यरूशलेम नगर + +# उस पर रोया + +“उस” यरूशलेम के लिए सर्वनाम है परन्तु इसका अभिप्राय वहां के नागरिकों से है। (देखें: Metonymy) + +# बातें जानता + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं कैसे चाहता हूँ कि तुम जानते” या “मैं अत्यधिक दुखी हूँ क्योंकि तुम नहीं जानते” यह एक दुहाई है। वह अपना दुःख प्रकट कर रहा था कि यरूशलेमवासी इन बातों को नहीं जानते थे। इस वाक्य के अन्त में सलंग्न जानकारी जोड़ी जा सकती हे, “तो तुम कुशल से रहते”। + +# तुम + +यहाँ “तुम” शब्द एकवचन में है क्योंकि यीशु एक नगर से बातें कर रहा है परन्तु यदि आपकी भाषा में एकवचन सामान्य हो तो बहुवचन ही काम में लें जो नगरवासियों के संदर्भ में होगा। + +# वे तेरी आंखों से छिप गई हैं + +इसका अनुवाद होगा, “तुम देख नहीं सकते”। या “तुम उसे समझने में असमर्थ हो” diff --git a/luk/19/43.md b/luk/19/43.md new file mode 100644 index 0000000..4f46ba3 --- /dev/null +++ b/luk/19/43.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु यरूशलेम नगर के बाहर बातें कर रहा है) + +# क्योंकि + +आगे की बातें यीशु के दुःख का कारण प्रकट करेंगी। + +# वे दिन तुझ पर आएंगे + +इससे उनके कठिन समय का बोध होता है। कुछ भाषाओं में आनेवाले समय को व्यक्त नहीं किया जा सकता है। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “भविष्य में तेरे साथ ऐसा होगा” या “तू शीघ्र ही कष्ट का समय देखेगा”। + +# तुम + +“तुझे” एकवचन है क्योंकि यीशु एक नगर से बातें कर रहा है। परन्तु यदि आपकी भाषा में एकवचन असामान्य प्रतीत हो तो बहुवचन ही का उपयोग करें जो नगरवासियों के संदर्भ में होगा। + +# मोर्चा बांधकर + +घेराव करके जिससे कि नगरवासियों का बाहर आना जाना बन्द हो जाए। + +# मिट्टी में मिलाएंगे + +क्योंकि यीशु एक नगर से बातें कर रहा है इसलिए यह अपनी शहरपनाह और ईमारतों के संदर्भ में है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे तेरी शहरपनाह को नाश कर देंगे और तेरी ईमारतों को तेरे नगर को नष्ट कर देंगे। + +# तेरे बालकों को जो तुझ में हैं। + +अर्थात नगरवासियों को। यदि आपने “तुझ” का बहुवचन काम में लिया है तो इसका अनुवाद होगा “वे नगर में तुम लोगों को घात करेंगे”। + +# पत्थर पर पत्थर भी न छोड़ेंगे + +यह अतिशयोक्ति है जिसके द्वारा उस पत्थरों के नगर का सर्वनाश की भविष्यद्वाणी की गई है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे स्वामी पत्थर यथास्थान नहीं रहने देंगे।” + +# तूने.... न पहचाना + +“तूने समझा नहीं” या “तूने स्वीकार नहीं किया”। diff --git a/luk/19/45.md b/luk/19/45.md new file mode 100644 index 0000000..de87964 --- /dev/null +++ b/luk/19/45.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# बाहर निकालने लगा + +“बाहर फेंकने लगा” या “खदेड़ने लगा” या “हटने पर विवश करने लगा”। + +# लिखा है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “धर्मशास्त्र कहता है” या “धर्मशास्त्र में भविष्यद्वक्ताओं ने लिखा है। यह यशायाह की पुस्तक का उद्धरण है। + +# मेरा घर + +“मेरा” शब्द परमेश्वर के लिए है। + +# प्रार्थना का घर + +“मनुष्यों के लिए मुझ से प्रार्थना करने का स्थान” + +# डाकुओं की खोह + +“डाकुओं कि छिपने का स्थान” यह एक रूपक है। इसका अनुवाद उपमा देकर भी किया जा सकता है, “डाकुओं की गुफा के समान” diff --git a/luk/19/47.md b/luk/19/47.md new file mode 100644 index 0000000..e94c7de --- /dev/null +++ b/luk/19/47.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मन्दिर में + +“मन्दिर परिसर में” या “मन्दिर + +# प्रधान याजक + +“सबसे बड़ा पुरोहित” या “सर्व प्रतिष्ठित पुरोहित” + +# सब लोग बड़ी चाह से उसकी सुनते थे + +“यीशु की बातों पर कान लगाते थे” diff --git a/luk/20/01.md b/luk/20/01.md new file mode 100644 index 0000000..841a5ae --- /dev/null +++ b/luk/20/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# ऐसा हुआ कि + +यह कहानी में नए मोड़ का प्रतीक है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। diff --git a/luk/20/03.md b/luk/20/03.md new file mode 100644 index 0000000..5e703a0 --- /dev/null +++ b/luk/20/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसने उनको उत्तर दिया + +यीशु ने कहा + +# यूहन्ना का बपतिस्मा स्वर्ग की ओर से था या मनुष्यों की ओर से था? + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्यों को बपतिस्मा देने का अधिकार यूहन्ना को स्वर्ग से मिला था या मनुष्यों से? या “परमेश्वर ने यूहन्ना को बपतिस्मा देने के लिए कहा था या मनुष्यों ने”? + +# स्वर्ग से + +“परमेश्वर से” यहूदी परमेश्वर का नाम, “यहोवा” अपने मुंह पर नहीं लाते थे। वे परमेश्वर के लिए स्वर्ग शब्द का उपयोग करते थे। (देखें: metonymy) diff --git a/luk/20/05.md b/luk/20/05.md new file mode 100644 index 0000000..e883670 --- /dev/null +++ b/luk/20/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वे आपस में कहने लगे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्होंने आपस में विचार किया” या “उन्होंने उत्तर खोजा” + +# स्वर्ग से + +“परमेश्वर से”, यह निर्भर करता है कि पिछले पद में प्रश्न का अनुवाद कैसे किया गया है। इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर ने दिया” या “परमेश्वर ने अधिकार दिया” कुछ भाषाओं में परोक्ष अभिव्यक्ति अधिक उचित होती हे। इस वाक्य के आरंभ का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि हम कहते हैं कि परमेश्वर ने उसे अधिकार दिया है”। + +# वो वह कहेगा + +“तो यीशु कहेगा” + +# पथराव करेंगे + +“पत्थर मारकर हमारी हत्या कर देंगे। परमेश्वर के विधान में एक आज्ञा थी कि यदि कोई परमेश्वर की या उसके भविष्यद्वक्ताओं की निन्दा करे तो उसे पत्थरवाह किया जाए। diff --git a/luk/20/07.md b/luk/20/07.md new file mode 100644 index 0000000..3b89ffd --- /dev/null +++ b/luk/20/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अतः उन्होंने उत्तर दिया + +“प्रधान पुरोहित, विधि-शास्त्रियों तथा पुरनियों ने कहा” + +# हम नहीं जानते कि वह किसकी ओर से था + +कुछ भाषाओं में अपरोक्ष उद्धरण उचित होता है, “उन्होंने कहा, हम नहीं जानते” + +# वह किसकी ओर से था + +“यूहन्ना का बपतिस्मा किसके अधिकार से था” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यूहन्ना को बपतिस्मा देने का अधिकार किसने दिया था” या “यूहन्ना किसके अधिकर से बपतिस्मा देता था”। + +# मैं भी तुमको नहीं बताता + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं भी नहीं बताऊंगा” या “तुम मुझे बताना नहीं चाहते तो मैं भी तुम्हें नहीं बताऊंगा”। diff --git a/luk/20/09.md b/luk/20/09.md new file mode 100644 index 0000000..75dcdbe --- /dev/null +++ b/luk/20/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# किसानों को उसका ठेका दे दिया + +“किसानों को किराए पर दे दिया” या “किसानों को सौंप दिया कि उसकी फसल संभालें ओर उसे लाभ का अंश दें”। + +# किसान + +दाख की बारी को संभालने और दाख की उपज उठाने वाले लोग, “दाख उत्पादक” + +# दाख की बारी के कुछ फलों का भाग + +“कुछ दाख” या “दाख की फसल का अंश” इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि दाख का उत्पाद या उसकी आय का पैसा। + +# छूछे हाथ लौटा दिया + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसे कुछ नहीं दिया और भगा दिया” या “उसे दाख दिए बिना भेज दिया”। diff --git a/luk/20/11.md b/luk/20/11.md new file mode 100644 index 0000000..39e58ab --- /dev/null +++ b/luk/20/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु वही कथा सुना रहा है) + +# उसका आगमन करके + +“उसके साथ बुरा व्यवहार करके” + +# घायल करके + +“मार पीट कर” + +# तीसरा भेजा + +यहाँ अनुवाद में “तौ भी” शब्द नहीं है जिसका अर्थ है कि उस दाख की बारी के स्वामी को दूसरा सेवक भेजने की आवश्यकता नहीं थी परन्तु उसने दूसरा ही नहीं तीसरा सेवक भी भेजा। diff --git a/luk/20/13.md b/luk/20/13.md new file mode 100644 index 0000000..ee5bf98 --- /dev/null +++ b/luk/20/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +(यीशु वही शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# किसानों ने उसे देखा + +“जब उन किसानों ने स्वामी के पुत्र को देखा” diff --git a/luk/20/15.md b/luk/20/15.md new file mode 100644 index 0000000..5f6c5f8 --- /dev/null +++ b/luk/20/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु वही शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है) + +# दाख की बारी के बाहर निकाला + +“किसानों ने उसके पुत्र को दाखकी बारी के बाहर ले जाकर मार डाला” + +# दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा? + +यीशु इस अलंकारिक प्रश्न द्वारा दाख की बारी के स्वामी की प्रतिक्रिया पर श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करवाना चाहता था। इसका अनुवाद आज्ञा सूचक वाक्य में किया जा सकता है, “अब सुनो कि दाख की बारी का स्वामी उसके साथ क्या करेगा”। + +# परमेश्वर करे ऐसा न हो। + +“परमेश्वर ऐसा न होने दे” या “ऐसा कभी न हो” श्रोता समझ गए थे कि परमेश्वर उन्हें यरूशलेम से विस्थापित करेगा क्योंकि उन्होंने मसीह को त्याग दिया था। अतः उन्होंने अपनी प्रबल इच्छा व्यक्त की कि ऐसा दुर्भाग्य उन पर आए। diff --git a/luk/20/17.md b/luk/20/17.md new file mode 100644 index 0000000..c306bc6 --- /dev/null +++ b/luk/20/17.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु जनसमूह से ही बातें कर रहा है) + +# उसने उनकी ओर देख कर + +“यीशु ने उन्हें घूर कर” या “सीधा उनकी ओर देखकर”, यीशु ने ऐसा इसलिए किया कि वह उन्हें अपनी बात को समझने का लेखादायी माने। + +# फिर यह क्या लिखा है + +इस अलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “धर्मशास्त्र का यह संदर्भ क्या अर्थ रखता है”? या “तुम्हें धर्मशास्त्र को समझना है”। + +# जिस पत्थर को राज-मिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था वही कोने का सिरा हो गया। + +यह रूपक भजनसंहिता की भविष्यद्वाणी है कि मनुष्य मसीह का परित्याग करेंगे। + +# जिस पत्थर को राज-मिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया। + +“जिस पत्थर को राज-मिस्त्रियों ने किसी काम का नहीं” कहा या “उस युग में गृह-निर्माण के लिए पत्थर काम में आते थे। + +# कोने का सिरा + +यह ईमारत को दृढ़ता प्रदान करने के लिए लगाया जाता था। इसका उनुवाद हो सकता है, “प्रमुख पत्थर” या “सबसे अधिक महत्वपूर्ण पत्थर” + +# जो कोई उस पत्थर पर गिरेगा + +“जो भी उस पत्थर पर गिरेगा” यह एक रूपक भी एक भविष्यद्वाणी है कि मसीह का त्याग करनेवाले हर एक मनुष्य का क्या होगा। + +# चकनाचूर हो जायेगा + +“टुकड़े-टुकड़ें हो जायेगा, “उस पत्थर पर गिरने का परिणाम ऐसा होगा। + +# जिस पर वह गिरेगा + +यह मसीह का त्याग करनेवालों को दण्ड देने की भविष्यद्वाणी के लिए काम में लिया गया एक रूपक है। diff --git a/luk/20/19.md b/luk/20/19.md new file mode 100644 index 0000000..de9a463 --- /dev/null +++ b/luk/20/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उसे पकड़ना चाहा + +“यीशु को बन्दी बनाने का उपाए खोजा” पकड़े का अर्थ है बन्दी बनाना। + +# उसी घड़ी + +“तुरन्त” + +# लोगों से डरे + +यीशु को उसी पल न पकड़ने का कारण यही था। लोग यीशु को मान प्रदान करते थे। जिसके कारण धर्म के अगुवे डरते थे कि यदि वे यीशु को बन्दी बनायेंगे तो जनता उसका क्या करेगी। कुछ अनुवादकों को इसे स्पष्ट करना होगा”, उन्होंने उसे बन्दी नहीं बनाया क्योंकि वे जनता से डरते थे। + +# भेदिए भेजे + +“विधि-शास्त्रियों और प्रधान पुरोहितों ने यीशु की गतिविधियों की निगरानी हेतु गुप्त में मनुष्य नियुक्त किए” + +# उसकी कोई न कोई बात पकड़ें + +“वे यीशु की किसी ऐसी बात को पकड़े जो नियम विरोधी हो”। + +# ताकि उसे हाकिम के हाथ और अधिकार में सौंप दें। + +“उसे प्रशासक के समक्ष उपस्थित करने हेतु” या “कि वे उसे प्रशासक को सौंप दें” + +# हाकिम के हाथ और अधिकार में + +“हाथ” ओर “अधिकार” एक ही बात को कहने की दो विधियां हैं। इसके अनुवाद में एक ही रखें। यीशु को प्रशासक के समक्ष उपस्थित करने का कारण स्पष्ट करने की आवश्यकता है, “कि प्रशासक यीशु को दण्ड दे”। diff --git a/luk/20/21.md b/luk/20/21.md new file mode 100644 index 0000000..b4ad5d9 --- /dev/null +++ b/luk/20/21.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तू ठीक कहता और सिखाता भी है + +उस भेदिए ने यीशु के बारे में प्रचलित विचार व्यक्त किया + +# किसी का पक्षपात नहीं करता + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) चाहे बड़े से बड़ा मनुष्य पसन्द न करे तू सच्ची बात ही बोलता है” (यू.डी.बी.) या “तू किसी एक का पक्ष नहीं लेता है” + +# क्या हमें कैसर को कर देना उचित है, या नहीं? + +वे सोच रहे थे कि यीशु, “हाँ” कहेगा तो यहूदी उसके विरुद्ध हो जायेंगे कि वह विदेशी सरकार का समर्थ है। यदि वह “नहीं” कहेगा तो धर्मगुरू रोमियों से कह देंगे कि वह रोमी नियम तोड़ने के लिए लोगों को भड़काता है। + +# क्या उचित है + +वे परमेश्वर के विधान के अनुसार उचित जानना चाहते थे कैसर के विधान के अनुसार नहीं। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “क्या हमारा विधान अनुमति देता है”? + +# कैसर + +कैसर रोमी राज्य का सम्राट था। वे रोम के लिए मात्र कैसर का नाम लेते थे। diff --git a/luk/20/23.md b/luk/20/23.md new file mode 100644 index 0000000..eacf0b4 --- /dev/null +++ b/luk/20/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसने उनकी चतुराई को ताड़ कर + +“यीशु उनकी धूर्तता को समझ गया” या “यीशु समझ गया कि वे उसे फसाना चाहते थे” + +# एक दीनार + +एक दिन की मजदूरी के बराबर मूल्य का एक सिक्का + +# छाप और नाम + +“चित्र एवं नाम” diff --git a/luk/20/25.md b/luk/20/25.md new file mode 100644 index 0000000..dc84e93 --- /dev/null +++ b/luk/20/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसने उनसे कहा + +यीशु ने उन भेदियों से कहा + +# कैसर + +कैसर का अर्थ है रोमी सरकार + +# उसे पकड़ न सके + +“उसकी बात में कोई गलती न पकड़ पाए” + +# अचम्भित होकर + +“चकित हुए” या “हैरान हो गए” (यू.डी.बी.) diff --git a/luk/20/27.md b/luk/20/27.md new file mode 100644 index 0000000..9bd8829 --- /dev/null +++ b/luk/20/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जो कहते थे कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं। + +इस वाक्यांश से सदूकियों को यहूदियों का एक पंथ माना जाता है जो कहता था कि पुनरुत्थान नहीं होता है। इसका अर्थ यह नहीं समझा जाए कि सदूकियों में कुछ पुनरुत्थान को नहीं मानते थे और कुछ मानते थे। + +# किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते बिना सन्तान मर जाए + +“यदि किसी का भाई विवाह पश्चात निःसन्तान मर जाए” + +# बिना सन्तान + +“सन्तान न उत्पन्न करने से पहले” + +# उसका भाई उसकी पत्नी से विवाह कर ले + +“अपने मृतक भाई की पत्नी से विवाह करे” diff --git a/luk/20/29.md b/luk/20/29.md new file mode 100644 index 0000000..bcf7ec3 --- /dev/null +++ b/luk/20/29.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(सदूकी यीशु को एक काल्पनिक कथा सुना रहे हैं) + +# सात भाई थे + +ऐसा होना संभव था परन्तु यह संभवतः यीशु को परखने के लिए एक काल्पनिक कहानी थी। + +# बिना सन्तान मर गए + +“निःसन्तान मर गए” या “मर गए परन्तु सन्तान उत्पन्न नहीं कर पाए”। + +# दूसरे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “दूसरे ने उससे विवाह किया और ऐसा ही हुआ” या “दूसरे ने अपने मृतक भाई की पत्नी से विवाह किया परन्तु वह भी निःसन्तान मर गया”। + +# तीसरे ने भी उस स्त्री से विवाह किया + +“तीसरे भाई ने उस स्त्री से विवाह किया” + +# इसी रीति से सातों बिना सन्तान मर गए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इसी प्रकार सातों भाई उस स्त्री के पति होकर निःसन्तान मर गए” + +# जी उठने पर + +“जब मृतक जी उठेंगे” (यू.डी.बी.) या “पुनरुत्थान के दिन” कुछ भाषाओं में सदूकियों द्वारा पुनरुत्थान में विश्वास न करने को और स्पष्ट किया गया है जैसे “तथाकथित पुनरुत्थान के दिन”, (मृतकों का जी उठना माना जाता है) diff --git a/luk/20/34.md b/luk/20/34.md new file mode 100644 index 0000000..75ca825 --- /dev/null +++ b/luk/20/34.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# इस युग की सन्तानों में + +“इस संसार के लोगों में” या इस युग के मनुष्यों में” यह स्वर्गिक प्राणियों या पुनरूत्थान के बाद के मनुष्यों में अन्तर प्रकट करता है। + +# विवाह होता है + +उस संस्कृति में कहा जाता था कि पुरूष स्त्री से विवाह करता है और स्त्री विवाह में पुरूष को दी जाती है। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “विवाह करते है” + +# जो लोग इस योग्य ठहरेंगे + +“जिन्हें परमेश्वर ने योग्य स्वीकार किया है” + +# मरे हुओं के जी उठने को प्राप्त करें + +“पुनरुत्थान प्राप्त करे” या “फिर जी उठें”। + +# वे न विवाह करेंगे ओर न विवाह में दिए जाएंगे + +“विवाह नहीं करेंगे”, यह पुनरूत्थान के बाद है + +# वे फिर मरने के भी नहीं + +इसका अनुवाद हो सकता है, “वे फिर कभी नहीं मरेंगे”, पुनरूत्थान के बाद। + +# परमेश्वर की भी सन्तान होंगे + +“परमेश्वर की सन्तान” + +# पुनरुत्थान की सन्तान + +“मृतकों में से जी उठे लोग” + +# पुनरुत्थान की सन्तान होने से परमेश्वर की भी सन्तान होंगे + +इसका अनुवाद हो सकता है, “मृतकों में से जी उठने के द्वारा वे परमेश्वर की सन्तान होंगे”। diff --git a/luk/20/37.md b/luk/20/37.md new file mode 100644 index 0000000..4cc0e06 --- /dev/null +++ b/luk/20/37.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(यीशु अपने चेलों से ही बातें कर रहा है) + +# इस बात को कि मरे हुए जी उठते है, मूसा ने भी ... प्रकट की है। + +“परन्तु मूसा ने भी सिद्ध किया है कि मृतक जी उठते है”, यहाँ “भी” शब्द का उपयोग किया गया है क्योंकि सदूकियों के लिए धर्मशास्त्र में मृतकों के जी उठने का उल्लेख कोई आश्चर्य की बात नहीं थी परन्तु उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि मूसा ऐसा कुछ कहेगा। + +# झाड़ी की कथा में + +“धर्मशास्त्र में जहाँ उसने जलती हुई भस्म न होने वाली झाड़ी का उल्लेख किया है” या “धर्मशास्त्र में अविनाशी जलती हुई झाड़ी की चर्चा करते समय” + +# परमेश्वर को प्रभु को + +“जब मूसा परमेश्वर को” + +# अब्राहम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर कहता है + +“अब्राहम, इसहाक और मूसा का परमेश्वर” कहता है” + +# परमेश्वर तो मुर्दों का नहीं + +“परमेश्वर मृतकों का परमेश्वर नहीं है” या “परमेश्वर मृतकों का परमेश्वर नहीं” जिनकी आत्माएं मर चुकी हैं”। + +# जीवतों का परमेश्वर है + +“जीवित मनुष्यों का परमेश्वर है” या “उन मनुष्यों का परमेश्वर है जिनकी आत्माएं अमर हैं”। यदि यह स्पष्ट न हो तो आपको संलग्न जानकारी व्यक्त करने की आवश्यकता होगी, “यद्यपि उनका शरीर मृतक है। + +# उसके निकट सब जीवित हैं + +“क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में वे सब जीवित हैं” इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “क्योंकि परमेश्वर जानता है कि उनकी आत्माएं जीवित हैं” diff --git a/luk/20/39.md b/luk/20/39.md new file mode 100644 index 0000000..e7b19e6 --- /dev/null +++ b/luk/20/39.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# शास्त्रियों में से कुछ ने यह कहा + +“कुछ विधि-शास्त्रियों ने यीशु से कहा” + +# उससे कुछ और पूछने का हियाव न हुआ + +“वे उससे पूछने में डरे” या “उससे पूछने का साहस न किया” प्रश्नों के उद्देश्य का निहितार्थ और प्रश्न न पूछने का कारण स्पष्ट किया जा सकता है, “उन्होंने उससे और अधिक चतुराई के प्रश्न नहीं पूछे क्योंकि उन्हें डर था कि उसके उत्तर उन्हें मूर्ख सिद्ध कर देंगे”। diff --git a/luk/20/41.md b/luk/20/41.md new file mode 100644 index 0000000..9c33aa4 --- /dev/null +++ b/luk/20/41.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# वे कैसे कहते हैं + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे क्यों कहते हैं कि” या “मैं उनकी इस बात पर चर्चा करूंगा” + +# दाऊद की सन्तान + +“राजा दाऊद का वंशज”, यहाँ सन्तान शब्द का अर्थ है, वंशज। यह परमेश्वर के राज्य में राज करनेवाले के विषय में कहा गया है। + +# प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “प्रभु परमेश्वर ने मेरे प्रभु कहा” या “परमेश्वर ने मेरे प्रभु से कहा। यह एक भजन का उद्धरण है, “यहोवा ने मेरे प्रभु से कहा, परन्तु यहूदी “यहोवा” शब्द का उपयोग नहीं करते थे। वे इसके स्थान में “प्रभु” शब्द का उपयोग करते थे। + +# मेरे प्रभु से + +दाऊद मसीह को अपना प्रभु कह रहा हथा + +# मेरे दाहिने बैठ + +दाहिनी ओर सम्मान का स्थान होता है। परमेश्वर मसीह को सम्मान देने के लिए कहता है, “मेरे दाहिने बैठ” + +# जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों के तले न कर दूँ। + +यह एक रूपक है। इसका अनुवाद किया जा सकता है, “जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों की चौकी सा न कर दूँ”, या “जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे लिए जीत न लूँ”। + +# पाँवों के तले + +“पाँवों के नीचे” + +# फिर वह उसका पुत्र कहां से ठहरा? + +“तो मसीह दाऊद का वंशज कैसे हुआ”? यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इससे स्पष्ट होता है कि मसीह दाऊद की सन्तान मात्र नहीं है”। diff --git a/luk/20/45.md b/luk/20/45.md new file mode 100644 index 0000000..5952bf4 --- /dev/null +++ b/luk/20/45.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# चौकस रहो + +“सावधान रहो”। + +# जिनको लम्बे-लम्बे वस्त्र पहने हुए फिरना अच्छा लगता है। + +लम्बे वस्त्र उनके महत्त्व का प्रतीक थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिनको सम्मानसूचक वस्त्र धारण करके बाहर निकलना अच्छा लगता है”। + +# वे विधवाओं के घर खोजते हैं + +“वे विधवाओं के घर लूटते हैं”। यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “वे विधवाओं की सम्पदा हड़पते हैं”। + +# घर + +यहाँ “घर” का अर्थ है, सम्पदा। + +# दिखाने के लिए बड़ी देर तक प्रार्थना करते हैं। + +“वे धर्मी होने का ढोंग रखकर देर तक प्रार्थना की मुद्रा में रहते है” या “वे देर तक प्रार्थना की मुद्रा में खड़े रहते हैं कि लोग उन्हें धर्मी समझें। + +# दिखाने के लिए + +“कि मनुष्य उन्हें वह समझे जो वे नहीं हैं” या “कि मनुष्य उन्हें अपने से अधिक अच्छा समझें” + +# वे बहुत ही दण्ड पाएंगे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वे अन्यों से अधिक दण्ड पाएंगे” या “परमेश्वर उन्हें दूसरों की तुलना में अधिक कठोर दण्ड देगा” diff --git a/luk/21/01.md b/luk/21/01.md new file mode 100644 index 0000000..d5493ad --- /dev/null +++ b/luk/21/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# दान + +“पैसों का दान” + +# भण्डार + +“दान पात्र” या “मन्दिर में दान देने का पात्र” (यू.डी.बी.) यह मन्दिर में एक पात्र था जिसमें श्रद्धालु धन डालते थे। + +# दो दमड़ियाँ + +“दो सबसे छोटे सिक्के” या “ताम्बे के दो सिक्के” उस समय की मुद्रा में इन सिक्कों का मूल्य सबसे कम था। इसका अनुवाद आपके पैसों में सबसे कम कीमत के सिक्कों में किया जा सकता है, जैसे दो पैसा” + +# मैं तुझ से कहता हूँ + +यीशु अपने शिष्यों से कह रहा है इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन है। + +# सबने अपनी-अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अपनी बहुतायत में से थोड़ा डाला है” + +# उसने अपनी घटी में से “अपनी जीविका डाल दी है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उसके पास बहुत थोड़ा ही था और उसने वह सब डाल दिया है” + +# अपनी घटी में से + +“अपनी आवश्यकता में से” या “उसके पास जो थोड़ा सा था उसमें से” diff --git a/luk/21/05.md b/luk/21/05.md new file mode 100644 index 0000000..d121d98 --- /dev/null +++ b/luk/21/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# भेंट की वस्तुओं + +“मनुष्यों ने जो परमेश्वर को जो भेंट चढ़ाई” + +# वे दिन आयेंगे + +“एक समय ऐसा आयेगा” या “एक दिन” + +# पत्थर पर पत्थर भी छूटेगा + +इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “हर एक पत्थर उखाड़ा जाएगा” इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “शत्रु पत्थर के ऊपर पत्थर नहीं रहने देंगे। + +# जो ढाया न जाएगा + +इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “पूर्णतः नाश किया जाएगा”, इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में भी किया जा सकता है, “शत्रु एक पत्थर को उखाड़ फेंकेंगे” diff --git a/luk/21/07.md b/luk/21/07.md new file mode 100644 index 0000000..f1cb688 --- /dev/null +++ b/luk/21/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उन्होंने उससे पूछा + +“शिष्यों ने यीशु से पूछा” या “यीशु के शिष्यों से उससे पूछा” + +# इन बातों को + +जिन बातों के विषय यीशु ने अभी-अभी कहा था। यीशु ने मन्दिर के विनाश के बारे में कहा था। + +# भरमाए न जाओ + +“कि झूठ पर विश्वास न करो”, यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा था, अतः “तुम” शब्द बहुवचन में है। + +# मेरे नाम से + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरे होने का दावा करेंगे” या “मेरे अधिकार का दावा करेंगे”। + +# समय निकट आ पहुंचा है + +“संसार का अन्त” या “सब बातों का अन्त” + +# इस समय तुरन्त अन्त न होगा + +“लड़ाइयों” और बलवों के समय तुरन्त अन्त न होगा”। संज्ञा शब्द “अन्त” का अनुवाद क्रिया रूप में भी किया जा सकता है, “इन बातों के साथ संसार समाप्त नहीं होगा” diff --git a/luk/21/10.md b/luk/21/10.md new file mode 100644 index 0000000..95e40b7 --- /dev/null +++ b/luk/21/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# तब उसने उनसे कहा + +“तब यीशु ने अपने शिष्यों से कहा” क्योंकि यह पिछले पद में यीशु की बातों का ही अग्रिम भाग है इसलिए कुछ अनुवादक उचित समझते हैं कि इसका प्रस्तुतिकरण इस प्रकार किया जाए, “तब उसने उनसे कहा”। + +# जाति पर जाति चढ़ाई करेगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “एक जाति दूसरी जाति पर आक्रमण करेगी”। + +# राज्य + +यह देश नहीं जाति है। + +# राज्य पर राज्य + +एक राज्य दूसरे राज्य के विरूद्ध उठेगा, या “एक राजा दूसरे पर आक्रमण करेगा” + +# अकाल और महामारियां + +“अकाल पड़ेगे” और बीमारियां फैलेंगी” या “भूख से और बीमारियों से बहुत लोग मर जायेंगे” + +# भयंकर बातें + +“मनुष्यों को भयभीत करने वाली बातें या “ऐसी घटनाएं घटेंगी कि मनुष्य डर से कांप उठेगा” diff --git a/luk/21/12.md b/luk/21/12.md new file mode 100644 index 0000000..95757c9 --- /dev/null +++ b/luk/21/12.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है) + +# इन बातों को + +यीशु ने जो भयानक भावी घटनाएं सुनाई। + +# तुम्हें पकड़ेंगे + +“तुम्हें बन्दी बनाएंगे” या “तुम्हें दबोच लेंगे” कुछ भाषाओं में कर्ता का उल्लेख करना आवश्यक होता है, “लो तुम्हें बन्दी बनाएंगे” या “बैरी तुम्हें बन्दी बनाएंगे” + +# तुम + +यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन में है। + +# पंचायतों में सौंपेगे + +“तुम्हें आराधनालयों के अगुओं के हाथों में सौंपेगें”। आराधनालयों के अगुवे यीशु के शिष्यों से संबन्ध रखने से यहूदियों का संबन्ध विच्छेद करवा देंगे क्योंकि ये यीशु के शिष्य हैं। + +# बन्दीगृह में डलवाएंगे + +“कारावास में डलवा देंगे” या “कारावास में डाल देंगे” + +# तुम्हारे लिए गवाही + +“मेरे बारे में अपनी गवाही देने” diff --git a/luk/21/14.md b/luk/21/14.md new file mode 100644 index 0000000..9d20086 --- /dev/null +++ b/luk/21/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है) + +# अपने-अपने मन में ठान लो + +“निश्चय कर लो” या दृढ़ संकल्प कर लो” + +# हम पहले से उत्तर देने की चिन्ता न करेंगे + +“आरोपों के लगाए जाने पर प्रतिवाद में अपनी सुरक्षा हेतु कुछ कहने के लिए समय से पूर्व चिन्ता नहीं करें” + +# बोल और बुद्धि + +“बुद्धि के वचन” या “बुद्धिमानी की बातें” + +# मैं तुम्हें ऐसा बोल और बुद्धि दूंगा + +“मैं तुम्हें बताऊंगा कि बुद्धि की कैसी बातें करो” + +# कि तुम्हारे सब विरोधी सामना या खण्डन न कर सकेंगे + +इसका अर्थ है, “तुम्हारे विरोधी निरूत्तर हो जाएंगे या तुम्हारी बात को गलत सिद्ध नहीं कर पाएंगे। diff --git a/luk/21/16.md b/luk/21/16.md new file mode 100644 index 0000000..6077203 --- /dev/null +++ b/luk/21/16.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है) + +# तुम्हें पकड़वायेंगे + +“तुम्हें अधिकारियों के हाथों में सौंपा जायेंगा” या “तुम्हारे साथ विश्वासघात किया जाएगा”। + +# कुछ को मरवा भी डालेंगे + +“तुममें से कुछ को तो वे मार भी डालेंगे” इसके संभावित अर्थ हैं (1) अधिकारी तुममें से कुछ को मरवा डालेंगे” या (2) जो तुम्हें पकड़वाएंगे वे कुछ को तो मार ही डालेंगे”, पहला अर्थ अधिक उचित है। + +# मेरे नाम के कारण + +“मेरे कारण” या “क्योंकि तुम मेरे अनुयायी हो” + +# परन्तु तुम्हारे सिर का एक बाल भी बांका न होगा + +इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “तुम्हारे सिर का एक-एक बाल सुरक्षित रहेगा”। यह एक अलंकार है जिसका अर्थ है, “तुम्हें कोई हानि न होगी” मनुष्य के सबसे छोटे भाग का संदर्भ देते हुए इस बात पर बल दिया जाता है कि मनुष्य पूरा का पूरा सुरक्षित रहेगा। यीशु ने पहले ही कह दिया है कि कुछ को मार डाला जाएगा। अतः कुछ विचारकों का मानना है कि इसका अभिप्राय आत्मिक सुरक्षा से है जैसा “इनसे तुम्हें वास्तव में कोई हानि न होगी” में है। + +# अपने धीरज से + +“दृढ़ रहने के द्वारा” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तुमने विश्वास न किया” + +# अपने प्राणों को बचाए रखोगे + +“तुम जीवन पाओगे” या “सदा जीवित रहोगे”। diff --git a/luk/21/20.md b/luk/21/20.md new file mode 100644 index 0000000..c1cc228 --- /dev/null +++ b/luk/21/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है) + +# जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “जब तुम देखो कि सेनाओं ने यरूशलेम को घेर लिया है” + +# तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है + +“कि वह शीघ्र ही उजड़ जाएगा” या “वे शीघ्र ही उसे नष्ट कर देंगे”। + +# भाग जाएं + +“संकट से दूर भाग जाएं” + +# ये बदला लेने के ऐसे दिन होंगे + +“यह दण्ड के दिन होंगे” या “उन दिनों में मनुष्य को दण्ड दिया जाएगा” या “उस समय परमेश्वर इस नगर को दण्ड देगा”। + +# लिखी हुई सब बातें + +“धर्मशास्त्र में जो बातें लिखी है”। diff --git a/luk/21/23.md b/luk/21/23.md new file mode 100644 index 0000000..f4f8f5a --- /dev/null +++ b/luk/21/23.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है) + +# देश में बड़ा क्लेश + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) देशवासियों पर विपत्ति आएगी” या (2) देश में शारीरिक कष्ट का समय होगा” + +# इन लोगों पर बड़ा प्रकोप होगा + +इन लोगों पर क्रोध उगला जाएगा, इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ये लोग परमेश्वर के क्रोध का अनुभव करेंगे” या “परमेश्वर इन लोगों से बहुत क्रोधित होगा”। यहाँ दण्ड का सलंग्न अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है, “इन लोगों को दण्ड दिया जाएगा” या “परमेश्वर इन लोगों को दण्ड देगा” + +# वे तलवार के कौर हो जाएंगे + +“वे तलवार से मारे जाएंगे” शत्रु के सैनिक उन्हें मार डालेंगे। + +# सब देशों के लोगों में बन्दी बनाकर पहुंचाए जाएंगे। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है। उनके बैरी उन्हें बन्दी बनाकर अन्य देशों में ले जाएंगे। + +# यरूशलेम अन्य जातियों से रौंदा जाएगा + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) अन्य जातियाँ यरूशलेम को जीतकर उसमें वास करेगी या (2) अन्य जातियां यरूशलेम के निवासियों को नष्ट कर देंगी। diff --git a/luk/21/25.md b/luk/21/25.md new file mode 100644 index 0000000..5e3bc85 --- /dev/null +++ b/luk/21/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है) + +# देश-देश के लोगों को संकट होगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सब जातियों के लोगों पर विपत्ति आएगी” या “सब जातियों में जिज्ञासा उत्पन्न होगी” + +# वे समुद्र के गरजने से घबरा जाएंगे + +“क्योंकि वे समुद्र की गर्जन और लहरों की ध्वनि से घबरा जाएंगे” या “वे समुद्र की प्रबल ध्वनि एवं लहरों की तीव्र गति देख कर डर से भर जाएंगे। यह समुद्री तूफान और विनाशकारी गति के संबन्ध में है। + +# संसार पर आनेवाली घटनाओं + +“संसार में होने वाली घटनाओं” या “संसार पर घटनाओं के घटने के कारण” + +# आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी + +“आकाश की शक्तिशाली वस्तुएं हिल जायेंगी” इसके संभावित अर्थ है, (1) सूर्य, चाँद, सितारे अपनी सामान्य गति से विचलित हो जाएंगे या (2) आकाश की शक्तिशाली आत्माएं घबरा जाएंगी। पहला अर्थ अधिक उत्तम है। diff --git a/luk/21/27.md b/luk/21/27.md new file mode 100644 index 0000000..644ff02 --- /dev/null +++ b/luk/21/27.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से भविष्यद्वाणी कर रहा है) + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु स्वयं को संबोधित कर रहा है + +# बादल पर आते देखेंगे + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “बादल पर सवार उतरते देखेंगे” + +# सामर्थ्य और महिमा के साथ + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “सामर्थ्य ओर महिमा से पूर्ण” या “वह सामर्थी एवं महिमामय होगा” यहाँ सामर्थ्य का अर्थ उसके अधिकार से है कि वह संसार का न्याय करेगा। “महिमा” का यहाँ अर्थ है, तीव्र प्रकाश से आवृत्त। परमेश्वर कभी-कभी अपनी महानता तीव्र प्रकाश द्वारा दर्शाता है। + +# सीधे होकर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आत्म-विश्वास के साथ खड़े होकर”। जब मनुष्य डरता है तब वह झुक कर खड़ा होता है कि देखा न जाए या क्षतिग्रस्त न हो। जब वे निडर होते है तब सीना तानकर खड़े होते हैं। + +# अपने सिर ऊपर उठाना + +यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “ऊपर देखना”। आप देखने पर उन्हें अपना उद्धारक आता दिखाई देगा। + +# तुम्हारा छुटकारा निकट होगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम्हारा उद्धारक तुम्हारे पास आ रहा है” या “तुम शीघ्र ही बचाए जाओगे”। diff --git a/luk/21/29.md b/luk/21/29.md new file mode 100644 index 0000000..b4f495a --- /dev/null +++ b/luk/21/29.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# ज्यों ही उनमें कोपले निकलती हैं। + +“जब उनमें नए पत्ते आते है” + +# तुम देखकर आप ही जान लेते हो + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य स्वयं ही देखकर समझ जाता है”, + +# ग्रीष्मकाल निकट है + +“ग्रीष्मकाल का आरंभ होने वाला है”। इस्त्राएल में ग्रीष्मकाल बहुत सूखा होता है। अतः फसल ग्रीष्मकाल के आगमन से पूर्व ही काट ली जाती है। इसका अर्थ है, “कटनी का समय आ गया है” यह सलंग्न जानकारी है जो वे देखकर समझ जाते हैं। + +# परमेश्वर का राज्य निकट है। + +परमेश्वर का राज्य शीघ्र ही स्थापित होगा” या “परमेश्वर अपने राज्य पर शासन करेगा” diff --git a/luk/21/32.md b/luk/21/32.md new file mode 100644 index 0000000..9168929 --- /dev/null +++ b/luk/21/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इस पीढ़ी + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) वह पीढ़ी जो यीशु द्वारा बताए गए चिन्हों में से पहला देखेगी या (2) जिस पीढ़ी से यीशु बातें कर रहा था। पहला अधिक संभव है। + +# आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे + +“आकाश और पृथ्वी का अन्त हो जाएगा” यहाँ आकाश का अर्थ है ब्रह्माण्ड और उसके परे सब कुछ” + +# मेरी बातें कभी न टलेंगी + +“मैंने जो कहा है वह अटल है”, या “मेरे वचन अचूक हैं”। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “मेरा कहा पूरा होकर रहेगा” या “मैंने जो कह दिया वह अवश्य होगा”। diff --git a/luk/21/34.md b/luk/21/34.md new file mode 100644 index 0000000..9cf2347 --- /dev/null +++ b/luk/21/34.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# ऐसा न हो कि तुम्हारे मन सुस्त हो जाएं + +“कि तुम व्यस्त न हो जाओ” + +# मतवालेपन + +“असंयम भोग-विलास” या “अच्छी लगनेवाली बातों में लीन हो जाएं” इसका अनुवाद विशिष्ट उदाहरण देकर किया जा सकता है, जैसे अत्यधिक सुखभोग”। + +# जीवन की चिन्ताओं + +“इस जीवन में बहुत चिन्ता करने में” + +# वह दिन.... अकस्मात आ पड़े + +कुछ अनुवादकों को निहितार्थ व्यक्त करने की आवश्यकता पड़ेगी, “यदि तुम सतर्क नहीं रहे तो वह दिन अचानक आ जाएगा” जो सतर्क न रहें और प्रतीक्षारत न रहें उनके लिए वह दिन अचानक ही होगा। + +# वह दिन + +इसका अनुवाद अधिक निश्चित रूप में किया जा सकता है, “वह दिन जब मनुष्य का पुत्र आएगा” + +# फन्दे के समान अचानक + +यह एक उपमा है जिसका अर्थ है, जब तुम्हें उसकी आशा न हो जैसे कि फन्दा अचानक ही पशु को फंसा लेता है। + +# सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा। + +“वह सब पर प्रभावी होगा” या “उस दिन की घटनाएं सबके लिए होंगी। + +# सारी पृथ्वी पर + +“संपूर्ण धरातल पर” या “संपूर्ण पृथ्वी पर” diff --git a/luk/21/36.md b/luk/21/36.md new file mode 100644 index 0000000..177c188 --- /dev/null +++ b/luk/21/36.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इन सब आनेवाली घटनाए से बचने... योग्य हो + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) इन सब बातों को सहने योग्य शक्तिशाली हो”, (2) इनसे बचने में सामर्थ हो” + +# इन सब आनेवाली घटनाओं से + +“जो बातें होने वाली हैं” यीशु ने अभी-अभी उन्हें होनेवाली भयानक बातों के बारे में बताया जैसे सताव, युद्ध और बन्दीकरण। + +# मनुष्य के पुत्र के सामने खड़े होने के योग्य बनो + +“मनुष्य के पुत्र के समक्ष आत्म-विश्वास से खड़े होने योग्य हो” यह संभवत‘ मनुष्य के पुत्र द्वारा सबका न्याय करने के संदर्भ में है। जो मनुष्य तैयार नहीं होगा वह मनुष्य के पुत्र से डरेगा और आत्म-विश्वास के साथ खड़ा नहीं होगा। diff --git a/luk/21/37.md b/luk/21/37.md new file mode 100644 index 0000000..d218039 --- /dev/null +++ b/luk/21/37.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# दिन को मन्दिर में उपदेश करता था + +“दिन के समय वह मन्दिर में उपदेश देता था” आगे के पदों से ज्ञात होगा कि यीशु और अन्य लोग यीशु की मृत्यु से पूर्व उस सप्ताह प्रतिदिन क्या-क्या करते थे। + +# मन्दिर में + +इसका अर्थ है, “मन्दिर परिसर में” + +# रात को बाहर जाकर + +“रात में वह नगर से बाहर चला जाता था” या “प्रतिदिन रात में वह नगर से बाहर चला जाता था। + +# सब लोग + +यह एक अतिशयोक्ति है। इसका अर्थ है “बहुत बड़ी संख्या में मनुष्य” या “लगभग सब ही” + +# भोर को तड़के + +“दिन तड़के ही लोग आ जाते थे” या “प्रतिदिन सुबह भोर को ही” + +# उसकी सुनने + +“उसकी शिक्षा सुनने” diff --git a/luk/22/01.md b/luk/22/01.md new file mode 100644 index 0000000..da86606 --- /dev/null +++ b/luk/22/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अखमीरी रोटी का पर्व + +इस पर्व को अखमीरी रोटी का पर्व इसलिए कहते हैं कि उस दिन यहूदी खमीर किए हुए आटे की रोटी नहीं खाते थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह पर्व का दिन जब वे अखमीरी रोटी खाते थे” + +# अखमीरी रोटी + +जिस रोटी में आटे को फुलानेवाला खमीर नहीं मिलाया जाता थां इसे “खमीररहित रोटी” भी कह सकते हैं। + +# जब वह निकट आया + +“आरंभ होने पर था” + +# उसको कैसे मार डालें + +“वे यीशु को मार डालने का उपाय खोज रहे थे” याजकों और विधि-शास्त्रियों को अधिकार नहीं था कि यीशु की हत्या करें परन्तु वे उसकी हत्या करवाने के लिए किसी को खोज रहे थे। + +# वे लोगों से डरते थे + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) मनुष्य क्या करेंगे, इसका उन्हें डर था। या (2) डरते थे कि लोग यीशु को राजा बनाएंगे। diff --git a/luk/22/03.md b/luk/22/03.md new file mode 100644 index 0000000..6a7fc58 --- /dev/null +++ b/luk/22/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# शैतान यहूदा में समाया + +यह लगभग दुष्टात्माग्रस्त होने जैसा था + +# प्रधान याजक + +याजकों के प्रधान + +# पहरूओं के सरदारों + +“मन्दिर के सुरक्षाकर्मियों के कप्तानों + +# उसको किस प्रकार उनके हाथ पकड़वाए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यीशु को पकड़ने में कैसे उनकी सहायता कर सकता है”। diff --git a/luk/22/05.md b/luk/22/05.md new file mode 100644 index 0000000..8689466 --- /dev/null +++ b/luk/22/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वे + +“प्रधान पुरोहित और सुरक्षा अधिकारी” + +# उसे रुपये देने का वचन दिया + +अर्थात यहूदा को + +# उसने मान लिया + +“सहमत हो गया” यद्यपि यह आवृत्तिमय है। + +# उसे उनके हाथ पकड़वा दे + +“यीशु को पकड़ने में उनकी सहायता करे” + +# जब भीड़ न हो + +“अकेले में” या “जब वह भीड़ में न हो” diff --git a/luk/22/07.md b/luk/22/07.md new file mode 100644 index 0000000..bd8e39a --- /dev/null +++ b/luk/22/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# अखमीरी रोटी के पर्व का दिन + +“खमीररहित रोटी का दिन” या “इस दिन यहूदी अपने घर में से खमीरी रोटी यहूदी अपने घर में से खमीरी रोटी का पूरा निशान मिटा देते थे तदोपरान्त सात दिन तक वे अखमीरी रोटी का पर्व मनाते थे। + +# फसह का मेम्ना बलि करना आवश्यक था। + +“फसह के भोज के लिए मेम्ना वध करना आवश्यक था” प्रत्येक परिवार या कुछ लोग मिलकर एक मेमना मारकर एक साथ खाते थे, बहुत मेम्ने वध किए जाते थे। + +# हमारे खाने के लिए + +हमारे अर्थात उस समय पतरस और यूहन्ना उसके साथ थे। पतरस और यूहन्ना यीशु के फसह भोज के सहभागियों में थे। + +# तैयार करो + +यीशु के कहने का अर्थ यह नहीं था कि वे खाना पकाएं परन्तु यह कि उसकी तैयारी करें। + +# तू कहाँ चाहता है कि हम इसे तैयार करें + +हममें यीशु सम्मिलित नहीं है। यीशु भोज तैयार करने वाले दल में नहीं था। + +# तैयारी करें + +“भोज की तैयारी करें” या “भोज तैयार करें”। diff --git a/luk/22/10.md b/luk/22/10.md new file mode 100644 index 0000000..3419f57 --- /dev/null +++ b/luk/22/10.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उसने उनसे कहा + +उसने अर्थात यीशु ने + +# एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए हुए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम एक मनुष्य को जल का घड़ा लेकर जाते हुए देखोगे” + +# जल का घड़ा उठाए हुए + +“पानी से भरा घड़ा लेकर जाते हुए” वह संभवतः अपने कंधे पर घड़ा उठाए हुए होगा + +# उसके पीछे चले जाना + +इसका अनुवाद हो सकता है, “उसके पीछे-पीछे उस घर में चले जाना” + +# गुरू तुम से कहता है + +शिष्यों को यीशु का निर्देश उद्धरणों में है। यू.डी.बी. में उद्धरणरहित रचना है, “हमारा गुरू कहता है कि हमें वह कक्ष दिखा”। + +# गुरू + +यह यीशु के सन्दर्भ में है + +# फसह खाऊं + +“फसह का भोज खाऊं” diff --git a/luk/22/12.md b/luk/22/12.md new file mode 100644 index 0000000..a6ece2e --- /dev/null +++ b/luk/22/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु पतरस और यूहन्ना को निर्देश दे रहा है) + +# वह... दिखा देगा + +“उस मकान का स्वामी तुम्हें दिखाएगा” + +# अटारी + +“ऊपर का कक्ष” यदि आपके यहाँ घर के ऊपर कमरे नहीं होते है तो आपको शहरों के घरों का वर्णन करना होगा। + +# उन्होंने जाकर + +“पतरस और यूहन्ना ने जाकर” diff --git a/luk/22/14.md b/luk/22/14.md new file mode 100644 index 0000000..f10a5ab --- /dev/null +++ b/luk/22/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मुझे बड़ी लालसा थी कि + +मुझे हार्दिक इच्छा थी कि” (यू.डी.बी.) + +# मैं तुमसे कहता हूँ + +यह उक्ति यीशु की आगे की बात को महत्त्व पर बल देती है। + +# पूरा न हो + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) जब तक फसह के पर्व का उद्देश्य पूरा न हो”, (2) जब तक हम अन्तिम फसह भोज को न मनाएं”, इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “जब तक परमेश्वर इसे पूरा न करे” या “जब तक परमेश्वर फसह के पर्व का उद्देश्य पूरा न करे” diff --git a/luk/22/17.md b/luk/22/17.md new file mode 100644 index 0000000..7afbf38 --- /dev/null +++ b/luk/22/17.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# धन्यवाद किया + +“उसने परमेश्वर को धन्यवाद दिया” + +# और कहा + +“अपने शिष्यों से कहा” + +# आपस में बांट लो + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इस दाखरस को आपस में बांट लो” या “सब इसमें से पीओ” + +# मैं तुमसे कहता हूँ + +यह उक्ति यीशु की आगे की बात को महत्त्व पर बल देती है। + +# दाख का रस + +“अंगूर का रस” अंगूर के रस को खमीर करके यह दाखरस बनाया जाता था। + +# जब तक परमेश्वर का राज्य न आए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब तक परमेश्वर के राज्य की स्थापना न हो” या जब तक परमेश्वर अपना राज्य स्थापित न करे” या जब तक परमेश्वर अपने राज्य में शासन न करे” diff --git a/luk/22/19.md b/luk/22/19.md new file mode 100644 index 0000000..b4ac1be --- /dev/null +++ b/luk/22/19.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# रोटी + +यह खमीररहित रोटी थी। + +# तोड़ी + +उसके दो या अधिक टुकड़े किए होंगे और शिष्य में बांट दी। संभव हो तो दोनों ही परिस्थितियों को व्यक्त करने का प्रयास करें। + +# यह मेरी देह है + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) यह रोटी मेरी देह है”, या (2) यह रोटी मेरी देह का प्रतीक है”। + +# जो तुम्हारे लिए दी जाती है + +“मेरी देह जो मैं तुम्हारे लिए दूंगा” या “मेरी देह जिसे मैं तुम्हारे लिए बलि चढ़ाऊंगा, जिन भाषाओं में प्राप्तिकर्ताओं को प्रकट करना आवश्यक हो, उनमें अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरी देह है जो मैं तुम्हारे लिए घात किए जाने हेतु अधिकारियों को देता हूँ”। + +# यही किया करो + +“यह रोटी खाया करो” + +# मेरे स्मरण के लिए + +“मुझे याद करने के लिए” + +# कटोरा + +कटोरा अर्थात उसमें जो दाखरस था। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “इस कटोरे का दाखरस” या “यह दाखरस”। + +# मेरे उस लहू में.... नई वाचा है + +“नई वाचा जो मेरे लहू से प्रभावी होगी” या “नई वाचा जो मेरे लहू से विधिवत ठहरेगी”। या “उस नई वाचा का प्रतीक है जो जिसे परमेश्वर मेरे बहाए गए लहू से स्थापित करेगा”। + +# जो तुम्हारे लिए बहाया जाता है। + +“मेरा लहू जो मेरी मृत्यु में तुम्हारे लिए बहाया जाएगा” या “मेरा लहू जो मेरे मरते समय मेरे घावों से तुम्हारे ही लिए बहेगा”। diff --git a/luk/22/21.md b/luk/22/21.md new file mode 100644 index 0000000..de16011 --- /dev/null +++ b/luk/22/21.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों से ही बातें कर रहा है) + +# मेरे पकड़वाने वाले का हाथ + +“जो मुझसे विश्वासघात करेगा” + +# मनुष्य का पुत्र तो.... जाता ही है + +“निःसन्देह मनुष्य का पुत्र तो जाएगा” या “मनुष्य का पुत्र तो मरेगा ही” + +# हाय उस मनुष्य पर जिसके द्वारा वह पकड़वाया जाता है + +“परन्तु हाय उस पर जो मनुष्य के पुत्र के साथ विश्वासघात करे” या “मनुष्य के पुत्र से विश्वासघात करने वाले का कैसा दुर्भाग्य है”। diff --git a/luk/22/24.md b/luk/22/24.md new file mode 100644 index 0000000..3e4edc5 --- /dev/null +++ b/luk/22/24.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# उनमें यह विवाद भी हुआ + +“शिष्य आपस में विवाद करने लगे” + +# कौन बड़ा समझा जाता है + +“सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण समझा जाता है” + +# उसने उनसे कहा + +“यीशु ने अपने शिष्यों से कहा” + +# उन पर प्रभुता करते हैं + +“उन पर कठोर निर्दयता से शासन करते हैं” या “उन पर अधिकार का उपयोग करना चाहते हैं” + +# कहलाते हैं + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कहलाना चाहते हैं” या “स्वयं को कहते है।” मनुष्य ऐसे शासकों को संभवतः माननीय शासक नहीं समझते थे। + +# आधारक + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “संरक्षक” या “मनुष्यों के सहायक अगुवे” diff --git a/luk/22/26.md b/luk/22/26.md new file mode 100644 index 0000000..72c7877 --- /dev/null +++ b/luk/22/26.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# तुम ऐसे न होना + +“तुम्हारी मानसिकता ऐसी न हो” + +# छोटे के समान + +“सबसे कम महत्त्व का” अगुवे अधिकतर आयु में अधिक होते थे जिन्हें “पुरनिये” कहते थे। “सबसे छोटा मनुष्य के लिए अगुआई के पद की संभावना सबसे कम थी”। + +# क्योंकि + +यह संपूर्ण पद 26-27 में दी गई यीशु की आज्ञा से संबन्धित है। यहाँ मुख्य विचार है कि सबसे बड़ा सेवा करे क्योंकि मैं एक सेवक हूं। यीशु जो सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मनुष्य था उसकी सेवा करता था, अतः उनमें जो सबसे बड़ा था उसे उन सबकी सेवा करना आवश्यक था। + +# वह जो सेवा करता है + +“सेवक” + +# बड़ा कौन है? + +“बड़ा कौन है” या “कौन अधिक महत्त्वपूर्ण है”? यीशु ने यह आलंकारिक प्रश्न पूछ कर परदेश में महानता के विषय में शिष्यों के प्रश्न का उत्तर दिया। इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं चाहता हूं कि तुम विचार करो कि कौन बड़ा है”। + +# वह जो भोजन पर बैठा है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह जो भोजन कर रहा है” + +# वह जो सेवा करता है + +“वह जो भोजन परोसता है” या “जो भोजन पर बैठनेवाले की सेवा करता है” यह सेवक का संदर्भ है। + +# क्या वह नहीं जो भोजन पर बैठा है? + +यह भी एक आलंकारिक प्रश्न है। इसका संलग्न उत्तर है, “निश्चय ही जो भोजन पर बैठा है, वह सेवक से बड़ा है”। + +# परन्तु मैं तुम्हारे बीच में सेवक के समान हूं। + +“परन्तु” शब्द यहाँ इसलिए है कि मनुष्य जो यीशु से अपेक्षा करते थे और जो वह वास्तव में थे दोनों में विषमता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तथापि मैं तुम्हारी सेवा कर रहा हूं”। diff --git a/luk/22/28.md b/luk/22/28.md new file mode 100644 index 0000000..c165eb2 --- /dev/null +++ b/luk/22/28.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है) + +# मेरी परीक्षाओं में लगातार मेरे साथ रहें + +“मेरे संघर्षों में सदा मेरे साथ रहें” + +# जैसे मेरे पिता ने मेरे लिए एक राज्य ठहराया है वैसे ही मैं भी तुम्हारे लिए ठहराता हूं। + +कुछ भाषाओं में अनुवाद के लिए इसका क्रम बदलने की आवश्यकता होगी, “जैसे मेरे पिता ने मुझको एक राज्य दिया है, ठीक वैसे ही मैं भी तुम्हें एक राज्य देता हूं + +# मैं भी तुम्हारे लिए ठहराता हूं + +“मैं तुम्हें परमेश्वर के राज्य के प्रशासक नियुक्त करता हूं”। (यू.डी.बी.) या “मैं तुम्हें इस राज्य में शासन करने का अधिकार देता हूं” या “मैं तुम्हें राजा बनाऊंगा”। + +# जैसे मेरे पिता ने मेरे लिए एक राज्य ठहराया है + +“जिस प्रकार कि मेरे पिता ने मुझे अपने राज्य में राजा होकर राज करने का अधिकार दिया है” + +# सिंहासनों पर बैठकर + +सिंहासनों पर बैठकर एक लाक्षणिक प्रयोग है जो राजा के उत्तरदायित्वों को निभाते के लिए उपयोग किया गया है। इसका अर्थ है, “तुम राजाओं का कार्यभार देखोगे” या राजाओं के सदृश्य काम करोगे”। (देखें: metonymy) + +# सिंहासनो + +इसका अनुवाद हो सकता है, “राजाओं के आसन” diff --git a/luk/22/31.md b/luk/22/31.md new file mode 100644 index 0000000..c157189 --- /dev/null +++ b/luk/22/31.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(यीशु अब सीधा शमौन से बात करता है) + +# शमौन, हे शमौन! + +यीशु ने दो बार उसका नाम लिया जिसका अर्थ है कि यीशु जो कहने जा रहा है, वह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बात है। + +# तुम लोगों को माँग लिया है कि गेहूँ के समान काट के + +“तुम” शब्द सब शिष्यों के लिए है। जिन भाषाओं में तुम के अलग-अलग वचन है उनमें बहुवचन काम में लिया जाए। + +# गेहूँ के समान कट के + +यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “तुम्हें परख कर दोष निकाले” इसका अर्थ स्पष्ट किया जाए जैसा यू.डी.बी. में किया गया है, “तुम्हें परखे”। इसका अनुवाद उपमा देकर भी किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है “जैसे कोई सूप में गेहूँ फटकता है” + +# परन्तु मैंने तेरे लिए विनती की + +यहाँ “तुम” शब्द केवल शमौन के लिए है। जिन भाषाओं में “तुम” के अलग-अलग वचन हैं, उनमें एकवचन काम में लिया जाए। + +# तेरा विश्वास जाता न रहे + +इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “कि तू विश्वास में बना रहे” या “तू मुझ में विश्वास करता रहे” + +# अपने भाइयों को + +यह अन्य शिष्यों के संदर्भ में है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तेरे सहविष्वासियों को” या “विश्वास में तेरे भाइयों को” या “अन्य शिष्यों को” diff --git a/luk/22/33.md b/luk/22/33.md new file mode 100644 index 0000000..22a445a --- /dev/null +++ b/luk/22/33.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(यीशु के कथन पर कि शैतान उन्हें परखेगा, पतरस प्रतिक्रिया दिखाता है) + +# मुर्ग बांग न देगा + +यहाँ मुर्ग का बांग देना दिन के एक निश्चित समय के लिए लाक्षणिक प्रयोग है। मुर्ग प्रायः भोर के समय बांग देता है। + +# मुर्ग बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा। + +इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में किया जा सकता है, “मुर्ग के बांग देने से पूर्व तू तीन बार मेरा इन्कार कर चुका होगा” इसका क्रम बदला जा सकता है, “आज मुर्ग के बांग देने से पहले तू तीन बार कहेगा कि मुझे नहीं जानता” + +# आज + +यहूदियों का नया दिन सूर्यास्त से आरंभ होता था। यीशु सूर्यास्त के बाद उनसे बातें कर रहा था। मुर्ग भोर के समय बांग देगा। भोर का समय उसी दिन का भाग था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आज रात” या “सुबह” diff --git a/luk/22/35.md b/luk/22/35.md new file mode 100644 index 0000000..45c011f --- /dev/null +++ b/luk/22/35.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जब मैंने तुम्हें ..... भेजा था + +यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है अतः जिस भाषाओं में “तुम्हें” बहुवचन में है उनमें “तुम्हें” का बहुवचन काम में लें। + +# बटुए + +पैसे रखने का थैला परन्तु यहाँ इसका अर्थ है पैसा। + +# झोली + +इसका अनुवाद, “यात्री की झोली” या “भोजन” किया जा सकता है क्योंकि यदि वे झोली लेंगे तो उसमें भोजन लेकर भी चलेंगे। + +# क्या तुमको किसी वस्तु की घटी हुई? + +“क्या तुम्हें किसी भी वस्तु की आवश्यकता पड़ी थी कि वह तुम्हारे पास नहीं है”? यह एक अलंकारिक प्रश्न है कि शिष्य सोचें कि जहाँ वे गए उन्होंने उनकी कैसी सेवा की थी। + +# किसी वस्तु की नहीं + +“हमें किसी बात की कमी नहीं हुई” + +# कपड़े + +“वस्त्रों के ऊपर पहनने वाला चोगा + +# जिसके पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेचकर एक मोल ले ले। + +यीशु किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं कह रहा था कि यदि उसके पास तलवार न हो तो वह एक खरीद ले। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जाए, “यदि किसी के पास तलवार नहीं है तो वह अपने वस्त्र बेचकर एक मोल ले ले”। diff --git a/luk/22/37.md b/luk/22/37.md new file mode 100644 index 0000000..2857d2e --- /dev/null +++ b/luk/22/37.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जो लिखा है + +“मेरे बारे में भविष्यद्वक्ता ने धर्मशास्त्र में जो लिखा है” (यू.डी.बी.) + +# मुझमें पूरा होना अवश्य है + +उसके शिष्य यह तो जानते थे कि धर्मशास्त्र में जो भी लिखा है, उसे परमेश्वर पूरा करेगा। + +# वह अपराधियों के साथ गिना गया। + +“मनुष्यों ने उसे भी अपराधियों में से एक माना” कुछ भाषाओं में इसे स्पष्ट व्यक्त करने की आवश्यकता होगी, “धर्मशास्त्र में यह लिखा है, “वह अपराधियों में गिना गया”। + +# अपराधी + +“नियमों का पालन नहीं करनेवाला” या “अपराधी” + +# मेरे विषय में लिखी बातें पूरी होने पर हैं + +यूनानी अभिलेखों में यह वाक्य स्पष्ट नहीं है। इसका संभावित अर्थ है, “मेरे जीवन का अन्त होने को है” + +# उन्होंने कहा + +यह कम से कम यीशु के दो शिष्यों के संदर्भ में है। + +# बहुत है + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) इतनी तलवारें पर्याप्त हैं” या (2) इनके विषय इतना कहना भी बहुत है”। जब यीशु ने उनसे तलवारें खरीदने के लिए कहा था तो इसका अर्थ था कि उनके लिए अब संकट उत्पन्न होगा। वह वास्तव में तलवारें लेकर युद्ध करने का विचार नहीं कर रहा था। diff --git a/luk/22/39.md b/luk/22/39.md new file mode 100644 index 0000000..22279c4 --- /dev/null +++ b/luk/22/39.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वह बाहर निकल कर + +फसह के भोजन खाने के बाद वहां से बाहर निकला + +# तुम परीक्षा में न पड़ो + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम पर परीक्षा न आए” या “जब तुम पर परीक्षा आए तो पाप में न गिरो” या “तुम पर ऐसी घोर परीक्षा न आए कि पाप करो” diff --git a/luk/22/41.md b/luk/22/41.md new file mode 100644 index 0000000..9e72f08 --- /dev/null +++ b/luk/22/41.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ढेला फेंकने की दूरी भर + +यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है, “इतनी दूर कि कोई वहां तक पत्थर फेंक दे”। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “कुछ ही दूर” या अनुमानित दूरी जैसे, “लगभग 30 मीटर दूर”। (यू.डी.बी.) + +# इस कटोरे को मेरे पास से हटा लो + +यह एक रूपक है। यीशु अपने आनेवाले कष्टों के बारे में कह रहा है कि माना वह एक कटोरा है और उसमें भरे कष्ट उसे पीने पड़ेंगे। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “कष्टों का यह कटोरा मुझ से दूर कर दे”। या “मेरे इन कष्टों का निवारा कर” या “मुझे इन कष्टों से छुड़ा ले”। + +# तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परन्तु मैं चाहता हूं कि मेरी नहीं तेरी ही इच्छा पूरी हो” diff --git a/luk/22/43.md b/luk/22/43.md new file mode 100644 index 0000000..c8b6c4e --- /dev/null +++ b/luk/22/43.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसको दिखाई दिया + +“यीशु को एक स्वर्गदूत दिखाई दिया”। + +# जो उसे सामर्थ्य देता था + +“उसे ढाढ़स बँधाता था” + +# हार्दिक वेदना से प्रार्थना करने लगा + +“मनोव्यथा में प्रार्थना करने लगा + +# उसका पसीना मानों लहू की बड़ी-बड़ी बूंदों के समान भूमि पर गिर रहा था। + +“उसका पसीना भूमि पर इस प्रकार टपक रहा था कि जैसे लहू टपक रहा हो”। diff --git a/luk/22/45.md b/luk/22/45.md new file mode 100644 index 0000000..9b3500f --- /dev/null +++ b/luk/22/45.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तब वह प्रार्थना से उठा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब यीशु प्रार्थना करके उठा” या “प्रार्थना करने के बाद यीशु उठा और” + +# उदासी के मारे सोता पाया + +“देखा कि वे सो रहे थे क्योंकि वे बहुत दुखी थे” + +# क्यों सोते हो? + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है जिसके संभावित अर्थ हैं, (1) तुम्हें ऐसे समय सोता हुआ देखकर मुझे आश्चर्य होता है”, या (2) इस समय तो तुम्हें सोना नहीं चाहिए”। + +# परीक्षा में न पड़ो + +“परीक्षा में न गिरो” या “परीक्षा में पाप न करो” diff --git a/luk/22/47.md b/luk/22/47.md new file mode 100644 index 0000000..f1966a8 --- /dev/null +++ b/luk/22/47.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# एक भीड़ आई + +यहाँ कहानी में एक जनसमूह प्रवेश करता है। अपनी भाषा में ऐसे दृश्य परिवर्तन को व्यक्त करने के लिए शब्द होंगे। + +# उनके आगे-आगे आ रहा था + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वह उनको लेकर यीशु के पास आ रहा था यहूदा उन्हें दिखा रहा था कि यीशु कहां है, वह उन्हें कार्य निर्देशन नहीं दे रहा था। + +# उसका चूमा ले + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “उसे चूम कर उसका अभिवादन करे” जब पुरूष अपने परिवार के पुरूषों या मित्रों से भेंट करते थे तब वे उन्हें एक गाल पर या दोनों गालों पर चूमते थे। यदि आपके पाठकों को पुरूषों द्वारा एक दूसरे को चूमने के वर्णन से कि कर्तव्य विमूढ़ हों तो इसका अनुवाद सामान्य अभिवादन में करें, “मित्रतापूर्ण अभिवादन करने आया” + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु स्वयं के लिए इस उक्ति का उपयोग करता था। + +# क्या चूमा लेकर मनुष्य के पुत्र को पकड़वाता है? + +यीशु इस आलंकारिक प्रश्न द्वारा यहूदा को झिड़क रहा है, “मनुष्य के प्रभु को पकड़वाने के लिए चूमा का दुरूपयोग कर रहा है”। यहूदा हाथ के संकेत से यह यह कहकर बता सकता था कि यीशु कौन है” वह जो उस चट्टान के पास खड़ा है वही यीशु है” परन्तु उसने प्रेम के प्रतीक चुम्बन को धोखे के लिए काम में लिया। diff --git a/luk/22/49.md b/luk/22/49.md new file mode 100644 index 0000000..7320ee1 --- /dev/null +++ b/luk/22/49.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसके साथियों ने + +“यीशु के शिष्यों ने” + +# क्या होने वाला है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “याजक और सैनिक यीशु को बन्दी बनाने आए हैं”। + +# महायाजक के दास पर तलवार चलाकर उसका दाहिना कान उड़ा दिया। + +“प्रधान पुरोहित के दास पर तलवार से वार किया तो उसका दाहिना कान कट गया”। + +# उसका कान छूकर उसे अच्छा किया + +“उसका कटा हुआ कान छूकर अच्छा कर दिया” diff --git a/luk/22/52.md b/luk/22/52.md new file mode 100644 index 0000000..52f0a19 --- /dev/null +++ b/luk/22/52.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियां लिए हुए निकले हो + +“तुम लोग तलवारें और लाठियां लेकर आए हो, क्या मैं डाकू हूं? “यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यह जानते हुए भी कि मैं डाकू नहीं तुम तलवार और लाठियां लेकर मेरे पास आए हो”। + +# जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था + +“मैं तो प्रतिदिन तुम्हारे बीच में रहाता था” + +# मन्दिर में + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मन्दिर परिसर में”। + +# तुमने मुझ पर हाथ न डाला + +इस मुहावरे का अर्थ है, “मुझे बन्दी नहीं बनाया” + +# अन्धकार का अधिकार है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “अन्धकार के शासक का समय” या “शैतान की इच्छा के अनुसार दुष्ट के कार्यों का पूरा करने का समय है”, (यू.डी.बी.) “अन्धकार का अधिकार एक लाक्षणिक प्रयोग है जिसका अर्थ है, दुष्ट शासक, शैतान। diff --git a/luk/22/54.md b/luk/22/54.md new file mode 100644 index 0000000..699dae1 --- /dev/null +++ b/luk/22/54.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पकड़कर ले चले + +“यीशु को बन्दी बनाकर उस वाटिका से ले कर चले” + +# आग सुलगा कर + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कुछ लोगों ने वहां आग जलाई हुई थी” गर्म करने के लिए आग जलाई थी। + +# आंगन में + +यह प्रधान पुरोहित के महल का परिसर था।। चारों ओर दीवारें थी परन्तु छत नहीं थी। diff --git a/luk/22/56.md b/luk/22/56.md new file mode 100644 index 0000000..43483a5 --- /dev/null +++ b/luk/22/56.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसकी ओर ताक कर कहने लगी + +“पतरस को घूरकर देखा और लोगों से कहा। + +# यह भी तो उसके साथ था। + +वह उपस्थित जनों को पतरस के बारे में कह रही थी। वह पतरस का नाम नहीं जानती थी। + +# उसने यह कह कर इन्कार किया + +“परन्तु पतरस ने कहा, यह सच नहीं है”। + +# हे नारी, मैं उसे नहीं जानता + +पतरस उस स्त्री का नाम नहीं जानता था वह उसे “नारी” कह कर उसका अपमान नहीं कर रहा था। आप अपनी संस्कृति में नारी शब्द के स्थान पर उपयुक्त शब्द का प्रयोग करें या इस शब्द को छोड़ दें। + +# हे मनुष्य मैं नहीं हूं + +स्त्री शब्द के बारे में उपरोक्त टिप्पणी देखें diff --git a/luk/22/59.md b/luk/22/59.md new file mode 100644 index 0000000..23c516a --- /dev/null +++ b/luk/22/59.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# दृढ़ता से कहने लगा + +“बलपूर्वक कहा” या “ऊंचे शब्द में कहा” (यू.डी.बी.) + +# निश्चय यह भी + +यह अर्थात पतरस। वह संभवतः पतरस का नाम नहीं जानता था। + +# यह गलीली है + +मत्ती लिखता है कि पतरस की भाषा-शैली से लोग समझ जाते थे कि वह गलीली है। + +# मैं नहीं जानता कि तू क्या कहता है + +इस उक्ति का अभिप्राय है, घोर विरोध के साथ कहना, “तू जो कहता है वह कदापि सच नहीं है”। या “तू जो कह रहा है वह झूठ है”। + +# वह कह ही रहा था कि + +“अभी पतरस की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि” diff --git a/luk/22/61.md b/luk/22/61.md new file mode 100644 index 0000000..4204670 --- /dev/null +++ b/luk/22/61.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# प्रभु की वह बात याद आई + +“यीशु के वचन” या “यीशु ने कहा था” + +# आज + +यीशु ने पिछली रात पतरस से कहा था कि दिन तड़कने से पूर्व क्या होगा। अतः इसका अनुवाद “आज राज” किया जा सकता है। diff --git a/luk/22/63.md b/luk/22/63.md new file mode 100644 index 0000000..2331990 --- /dev/null +++ b/luk/22/63.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# आंखें ढांक कर + +“उसकी आंखों पर कपड़ा बान्ध कर कि वह देख न पाए” + +# भविष्यद्वाणी करके बता कि तुझे किसने मारा है + +सुरक्षाकर्मी विश्वास नहीं करते थे कि यीशु भविष्यद्वक्ता बिना देखे बता सकता था कि उसे किसने मारा है। वे यीशु को भविष्यद्वक्ता तो कहते थे परन्तु वे सिद्ध करना चाहते थे कि वह भविष्यद्वक्ता नहीं है। इसका दूसरा अनुवाद है, “हमें बता कि तुझे किसने मारा और सिद्ध कर कि तू भविष्यद्वक्ता है” या “हे भविष्यद्वक्ता तुझे किसने मारा है, बता”? + +# भविष्यद्वाणी करके + +“परमेश्वर का वचन सुना” कहने का अर्थ है कि परमेश्वर बताएगा कि यीशु को किसने मारा है क्योंकि यीशु की आंखें तो बन्द थी। diff --git a/luk/22/66.md b/luk/22/66.md new file mode 100644 index 0000000..c95b0c1 --- /dev/null +++ b/luk/22/66.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यहाँ सभा में लाकर + +इसके संभावित अर्थ हैं, (1) पुरनियों ने यीशु को परिषद में बुलवाया या (2) सुरक्षाकर्मी यीशु को पुरनियों की सभा में लाए। कुछ भाषाओं में कर्ताओं के लिए केवल सर्वनाम का उपयोग किया गया है, “वे लाए” या कर्मवाच्य वाक्य में अनुवाद किया गया है, “यीशु परिषद के सम्मुख लाया गया” + +# कहा + +“पुरनियों ने पूछा यीशु से पूछा” + +# हमसे कह दे + +यदि तू मसीह है + +# यदि मैं तुमसे कहूं तो प्रतीति न करोगे + +यह यीशु के दो काल्पनिक कथनों में पहला है, यीशु ईश-निन्दा का दोषी कहलाने का अवसर उन्हें नहीं देना चाहता था। आपकी भाषा में ऐसी सांकेतिक अभिव्यक्ति होगी जिससे प्रकट हो कि कार्य वास्तव में हुआ नहीं। + +# यदि मैं पूछूँ तो उत्तर न दोगे + +यह दूसरा काल्पनिक कथन है + +# कहूं तो.... पूछूं तो + +यीशु के कहने का अर्थ था कि यदि वह स्वयं कुछ कहे या उनसे कहने को कहे तो भी कोई लाभ नहीं। वे सही उत्तर तो देंगे नहीं। यह दो वाक्य यीशु के विचारों को प्रकट करते हें कि उनकी परिषद सत्य की खोज में नहीं थी। diff --git a/luk/22/69.md b/luk/22/69.md new file mode 100644 index 0000000..b3aa149 --- /dev/null +++ b/luk/22/69.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(यीशु पुरनियों की परिषद से बातें कर रहा है) + +# अब से + +“आज से” या “आज से आरंभ करके” + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु इस उक्ति द्वारा मसीह का संदर्भ दे रहा था। उसका अभिप्राय था कि वह स्वयं के बारे में कह रहा था परन्तु पुरनियों को पूछ कर पता लगाना था कि वह क्या वास्तव में यही कह रहा था। + +# सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठा रहेगा। + +यहूदी मानते थे कि कोई भी उस स्थान को ग्रहण नहीं कर सकता है। उनके लिए ऐसा कहने का अर्थ था “परमेश्वर के साथ परमेश्वर तुल्य होना”। + +# सर्वशक्तिमान परमेश्वर + +“महाप्रतापी परमेश्वर”, यहाँ परमेश्वर के सर्वोच्च अधिकार का विचार है। + +# तो क्या तू परमेश्वर का पुत्र है + +परिषद के सदस्यों ने यीशु से यह प्रश्न किया क्योंकि वे चाहते थे कि यीशु स्पष्ट कहे कि वह परमेश्वर का पुत्र है जैसा उन्होंने उसकी बातों से अनुमान लगाया था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तूने ऐसा कहा तो क्या तू वास्तव में परमेश्वर का पुत्र है”? + +# तुम आप ही कहते हो, क्योंकि मैं हूं + +“हां, ठीक वैसे ही जैसे तुम कहते हो”। + +# अब हमें गवाहों की क्या आवश्यकता है? + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है। इसका अर्थ है, “हमें और अधिक गवाही नहीं चाहिए। + +# उसके मुंह से सुन लिया है + +इस मुहावरे में मनुष्य के लिए उसके एक अंग (मुंह) का उपयोग किया जाता है। इसका अर्थ है “सीधा उसी से” इससे इस तथ्य पर बात पर बल है कि यीशु ने स्वयं ही वह बात कह दी जिसका वे उस पर दोष लगा रहे थे। diff --git a/luk/23/01.md b/luk/23/01.md new file mode 100644 index 0000000..8704a91 --- /dev/null +++ b/luk/23/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# सारी सभा + +“सब यहूदी अगुवे” + +# उठ कर + +“खड़े होकर” या “अपने पांवों पर खड़े होकर” + +# पिलातुस के पास + +“पिलातुस के समक्ष” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पितलातुस के सामने खड़ा किया” + +# लोगों को बहकाते + +“हमारे लोगों को झूठ बोलकर समस्याएं उत्पन्न कर रहा है” + +# कैसर को कर देने से मना करने + +“उनसे कहता है कि कैसर को कर मत दो” diff --git a/luk/23/03.md b/luk/23/03.md new file mode 100644 index 0000000..24dc9f7 --- /dev/null +++ b/luk/23/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# पिलातुस ने उससे पूछा + +“पिलातुस ने यीशु से पूछा” + +# तू आप ही कह रहा है। + +इस मुहावरे का अर्थ है, “तू जो कहता है वह सच है”। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “ जो तू पूछता है वही है” + +# लोगों से + +“जनसमूह से” + +# मैं इस मनुष्य में कोई दोष नहीं पाता + +“मैं इसे किसी भी अपराध का दोषी नहीं पाता हूं + +# लोगों को भड़काता है + +“समस्याएं उत्पन्न करता है” + +# गलील से लेकर यहाँ तक + +“इसने गलील में समस्याएं उत्पन्न करना आरंभ किया था ओर अब यहाँ भी समस्याएं उत्पन्न कर रहा है” diff --git a/luk/23/06.md b/luk/23/06.md new file mode 100644 index 0000000..d78bb0c --- /dev/null +++ b/luk/23/06.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# यह सुनकर + +“यह सुनकर कि यीशु ने गलील में शिक्षा देना आरंभ की” + +# क्या यह + +“यदि यह” + +# मनुष्य + +यह यीशु के सन्दर्भ में है + +# यह जानकर + +“पिलातुस ने जब जाना कि” + +# हेरोदेस की रियासत + +इस वाक्य में सलंग्न जानकारी नहीं दी गई है कि हेरोदेस गलील का प्रशासक था। आप इसे स्पष्ट व्यक्त कर सकते हैं, “यीशु हेरोदेस के न्यायिक क्षेत्र में था क्योंकि गलील पर हेरोदेस का प्रशासन था। + +# भेज दिया + +पिलातुस ने भेज दिया + +# वह + +अर्थात हेरोदेस + +# उन दिनों में + +“फसह के पर्व के समय” diff --git a/luk/23/08.md b/luk/23/08.md new file mode 100644 index 0000000..ef53405 --- /dev/null +++ b/luk/23/08.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# बहुत ही प्रसन्न हुआ + +“हेरोदेस बहुत प्रसन्न हुआ” + +# उसे देखना चाहता था + +“हेरोदेस यीशु को देखना चाहता था” + +# उसके विषय में सुना था। + +“हेरोदेस ने यीशु के बारे में सुना था” + +# आशा रखता था + +“हेरोदेस को आशा थी” + +# उससे कुछ चिन्ह + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है “वह उससे आश्चर्यकर्म देखना चाहता था” + +# उसने उसको कुछ भी उत्तर न दिया + +“उत्तर नहीं दिया” (यू.डी.बी.) या “हेरोदेस को कोई उत्तर नहीं दिया” + +# खड़े हुए + +“वहां खड़े होकर” + +# तन मन से उस पर दोष लगाते रहे + +“प्रबलता से दोष लगा रहे थे” या “कड़वाहट भरे दोष लगा रहे थे” diff --git a/luk/23/11.md b/luk/23/11.md new file mode 100644 index 0000000..507fa5f --- /dev/null +++ b/luk/23/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# भड़कीला वस्त्र पहनाकर + +आपका अनुवाद इसे यीशु का सम्मान प्रकट न करे। उन्होंने यीशु का ठट्ठा करने और तमाशा बनाने के लिए ऐसा किया था। + +# उसी दिन पिलातुस और हेरोदेस मित्र हो गए। + +यहाँ संलग्न अर्थ है कि पिलातुस ने हेरोदेस को यीशु का न्याय करने का अवसर दिया जिससे हेरोदेस प्रसन्न था। आप इसे स्पष्ट कर सकते हैं, “और हेरोदेस और पिलातुस ने यीशु को न्याय के लिए हेरोदेस के पास भेजा था। + +# इससे पहले + +“उस दिन से पूर्व” diff --git a/luk/23/13.md b/luk/23/13.md new file mode 100644 index 0000000..4f44b95 --- /dev/null +++ b/luk/23/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# प्रधान याजकों और सरदारों और लोगों को बुलाकर + +“प्रधान पुरोहितो, प्रधानों ओर जनसमूह को एकत्र किया”। + +# मैंने तुम्हारे सामने इसकी जांच की + +“मैंने तुम्हारे सामने यीशु से पूछताछ की” इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “मैंने यीशु से पूछताछ की जिसके तुम भी गवाह हो”। + +# मैंने उसमें कुछ भी दोष नहीं पाया + +“मेरे विचार में वह दोषी नहीं है”, (यू.डी.बी.) diff --git a/luk/23/15.md b/luk/23/15.md new file mode 100644 index 0000000..042f72a --- /dev/null +++ b/luk/23/15.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# हेरोदेस ने + +“हेरोदेस भी इसे दोषी नहीं मानता है” (यू.डी.बी.) + +# क्योंकि + +“हम यह जानते हैं क्योंकि” + +# उसने उसे हमारे पास लौटा दिया है। + +“हेरोदेस ने यीशु को हमारे पास पुनः भेज दिया है”, “हमारे” शब्द विशिष्ट है। उसका संदर्भ पिता पुत्र और उसके सैनिकों से है, न कि याजकों और विधि-शास्त्रियों से, न ही जनसमूह से है जो हेरोदेस के पास गए थे। + +# उससे ऐसा कुछ नहीं हुआ कि मृत्यु-दण्ड के योग्य ठहराया जाए। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “इसने मृत्यु-दण्ड योग्य कोई अपराध नहीं किया है”। + +# इसलिए मैं उसे पिटवा कर + +पिलातुस ने यीशु में कोई दोष नहीं पाया इसलिए उसे यीशु को पिटाई किए बिना मुक्त कर देना चाहिए था। इस वाक्य के अनुवाद में तर्क सम्मत बनाने की आवश्यकता नहीं है। पिलातुस ने यीशु को कोड़े मारने का प्रस्ताव रखा। जबकि वह जानता था कि यीशु निर्दोष है क्योंकि वह जनसमूह से डरता था। + +# अब + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पिलातुस ने ऐसा इसलिए कहा” + +# उनके लिए एक बन्दी को छोड़ने पर विवश था + +यह एक राजनीतिक प्रथा थी। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है कि उसमें यह सलंग्न जानकारी दी जा सके, “वह प्रथा के कारण विवश था कि उनके लिए फसह के पर्व पर एक अपराधी को मुक्त करे”। diff --git a/luk/23/18.md b/luk/23/18.md new file mode 100644 index 0000000..053e59e --- /dev/null +++ b/luk/23/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सब मिलकर चिल्ला उठे + +“जनसमूह में से सब चिल्लाने लगे” + +# इसका काम तमाम कर + +“इसे दूर कर” जनसमूह का अभिप्राय था “इसे ले जाकर मार डाल” + +# क्योंकि + +“उसके अपराध में हाथ बटाने के कारण” या “के अपराध के कारण” + +# बलवे के कारण + +“जनता को रोम के विरुद्ध भड़काने के कारण” (यू.डी.बी.) diff --git a/luk/23/20.md b/luk/23/20.md new file mode 100644 index 0000000..9254fe6 --- /dev/null +++ b/luk/23/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# फिर समझाया + +“उनसे फिर कहा” या “जनसमूह को समझाया” + +# यीशु को छोड़ने की इच्छा से + +“वह यीशु को मुक्त कर देना चाहता था” + +# उसने तीसरी बार उनसे कहा + +“पिलातुस ने जनसमूह से तीसरी बार कहा” diff --git a/luk/23/23.md b/luk/23/23.md new file mode 100644 index 0000000..3784edb --- /dev/null +++ b/luk/23/23.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# पीछे पड़ गए + +“जनसमूह बलपूर्वक चिल्लाने लगा” + +# चिल्ला-चिल्लाकर + +“बहुत ऊंचे स्वर में” + +# वह क्रूस पर चढ़ाया जाए + +“यीशु को क्रूस का दण्ड दे” + +# चिल्लाना प्रबल हुआ + +“जनसमूह चिल्लाकर कह रहा था” + +# उनकी विनती के अनुसार + +“जनसमूह की इच्छा पूरी की जाए”। (यू.डी.बी.) + +# उसने उस मनुष्य को.... छोड़ दिया + +“पिलातुस ने जनसमूह की मांग के अनुसार बरअब्बा को छोड़ दिया” + +# यीशु को उनकी इच्छा के अनुसार सौंप दिया + +“पिलातुस ने यीशु को जनसमूह की इच्छा के अनुसार सौंप दिया” या “पिलातुस ने यीशु को जनसमूह के निर्णय पर क्रूसीकरण हेतु दे दिया” diff --git a/luk/23/26.md b/luk/23/26.md new file mode 100644 index 0000000..20cb5a8 --- /dev/null +++ b/luk/23/26.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जब वे उसे लिए जा रहे थे + +“जब सैनिक यीशु को पिलातुस की उपस्थिति से लेकर चले” + +# उन्होंने शमौन नामक एक कुरैनी को ....पकड़ कर + +रोमी सैनिकों को अधिकार था कि वे किसी से भी अपना बोझ उठवा सकते थे। आपके अनुवाद से ऐसा प्रकट न हो कि शमौन कुरैनी को बन्दी बनाया गया था या उसने अपराध किया था। + +# एक + +“एक मनुष्य जो कुरेनवासी था” + +# गांव से आ रहा था + +"वह ग्रामीण क्षेत्र से यरूशलेम में आ रहा था "(यू.डी.बी) + +# उस पर क्रूस लाद दिया + +“उसके कंधे पर क्रूस रख दिया” diff --git a/luk/23/27.md b/luk/23/27.md new file mode 100644 index 0000000..84181aa --- /dev/null +++ b/luk/23/27.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# विलाप करती थी + +“यीशु के लिए दुःख मना रही थी” + +# उसके पीछे हो ली + +“यीशु के पीछे चल रही थी” + +# हे यरूशलेम की पुत्रियों + +“तुम यरूशलेम की स्त्रियों” + +# मेरे लिए मत रोओ + +“मेरी दशा पर मत रोओ” + +# अपने और अपने बालकों के लिए रोओ + +“तुम्हारे और तुम्हारी सन्तान के साथ जो होने वाला है, उस पर रोओ” diff --git a/luk/23/29.md b/luk/23/29.md new file mode 100644 index 0000000..c47a9d7 --- /dev/null +++ b/luk/23/29.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# जिनमें लोग कहेंगे + +“सब लोग कहेंगे” + +# बांझ + +“जिस स्त्री ने सन्तान को जन्म नहीं दिया” + +# फिर + +“उस दिन” + +# पहाड़ों से कहने लगेंगे + +“वे पहाड़ों से कहेंगे” + +# क्योंकि जब वे हरे पेड़ के साथ ऐसा करते हैं तो सूखे के साथ क्या कुछ न किया जाएगा? + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम देख सकते हो कि वे वृक्ष के हरे रहते हुए ऐसा बुरे काम कर सकते हैं तो निश्चय जान लो कि वृक्ष के सूख जाने पर वे कितना अधिक बुरा करेंगे। “इसका अर्थ है”, तुम देख सकते हो कि अच्छे समय में वे ऐसा बुरा काम कर रहे है तो निश्चय ही भविष्य में जब बुरा समय आएगा तब वे और कहीं अधिक बुरा करेंगे”। + +# हरे पेड़ + +हरा पेड़ वर्तमान में अच्छाई के लिए काम में लिया गया रूपक है। यदि आपकी भाषा में ऐसा कोई रूपक है तो उसे काम में लें। + +# सूखे + +सूखी लकड़ी भावी बुराई के लिए प्रयुक्त रूपक है। + +# वे + +अर्थात रोमी या यहूदी अगुवे या विशेष रूप में किसी के लिए नहीं। diff --git a/luk/23/32.md b/luk/23/32.md new file mode 100644 index 0000000..1422a4e --- /dev/null +++ b/luk/23/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अन्य दो मनुष्यों को जो कुकर्मी थे। + +“दो अन्य मनुष्यों को जो अपराधी थे” (यू.डी.बी.) + +# उसके साथ घात करने ले चले + +“यीशु को साथ लेकर चले” या “सैनिकों ने यीशु के साथ दो अपराधियों को भी लिया”। + +# घात करने के लिए + +“मारने के लिए” या “मृत्युदण्ड हेतु” diff --git a/luk/23/33.md b/luk/23/33.md new file mode 100644 index 0000000..200acb5 --- /dev/null +++ b/luk/23/33.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# जब वे उस जगह... पहुंचे + +वे अर्थात सैनिक, अपराधी और यीशु + +# क्रूसों पर चढ़ाया + +“सैनिकों ने उन्हें क्रूस पर चढ़ाया” + +# एक को दाहिनी + +“एक अपराधी को यीशु के दाहिनी ओर क्रूस पर चढ़ाया” + +# दूसरे को बाईं ओर + +“दूसरे अपराधी को यीशु की बाई ओर क्रूस पर चढ़ाया”। + +# इन्हें क्षमा कर + +“इन्हें”, क्षमा कर” + +# ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं + +“क्योंकि उन्हें बोध नहीं कि वे क्या करते हैं” + +# चिट्ठियां डालकर + +यह एक प्रकार का जुआ था। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन्होंने जुआ खेला + +# उसके कपडे़ं बांट लिए + +“कि कौन यीशु का कौन सा वस्त्र ले जाएगा” diff --git a/luk/23/35.md b/luk/23/35.md new file mode 100644 index 0000000..0de21ff --- /dev/null +++ b/luk/23/35.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# खड़े हुए + +“वहां खड़े होकर” + +# उसी की + +यह यीशु के सन्दर्भ में है + +# अपने आपको बचा ले + +“यीशु अपने आपको बचा ले” या “हम देखना चाहते हैं कि वह क्रूस पर से अपनी रक्षा करके सिद्ध करे कि वह कौन है”। + +# चुना हुआ + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “वह है जिसे परमेश्वर ने चुना है” diff --git a/luk/23/36.md b/luk/23/36.md new file mode 100644 index 0000000..a4513d2 --- /dev/null +++ b/luk/23/36.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसी की + +“यीशु का” + +# पास आकर + +“यीशु के निकट आकर” + +# सिरका देकर + +“यीशु को पीने के लिए सिरका देकर”। अनेक बाइबल विद्वान मानते हैं कि सैनिक यीशु का ठट्ठा कर रहे थे। वे जानते थे क यीशु प्यासा है परन्तु वे सिरका उसके होंठों तक लाकर उसे चूसने नहीं देते थे। + +# दोष पत्र + +“यीशु के सिर के ऊपर क्रूस पर एक तख्ती पर लिखा था”। diff --git a/luk/23/39.md b/luk/23/39.md new file mode 100644 index 0000000..1a6783e --- /dev/null +++ b/luk/23/39.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उसकी निन्दा करके + +“यीशु का ठट्ठा करते हुए” + +# क्या तू मसीह नहीं? + +इस प्रश्न का उद्देश्य उत्तर पाना नहीं परन्तु यीशु के मसीह होने पर सन्देह प्रकट करना था। + +# दूसरे ने उसे डांट कर कहा + +“दूसरे अपराधी ने कहा” + +# उसे डांट कर + +“उस अपराधी को डांटकर कहा” + +# तू भी तो वही दण्ड पा रहा है + +“तू इस दण्ड के योग्य ठहराया गया है” (यू.डी.बी.) + +# हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं + +“हम तो इस दण्ड के योग्य है”। + +# वह मनुष्य + +वह यीशु के बारे में कह रहा था diff --git a/luk/23/42.md b/luk/23/42.md new file mode 100644 index 0000000..5fa3625 --- /dev/null +++ b/luk/23/42.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तब उसने कहा + +“उस अपराधी ने कहा” + +# जब तू अपने राज्य में आए + +“राजा होकर शासन करे” (यू.डी.बी.) + +# मैं तुमसे सच कहता हूं। + +“सच कहता हूं” यीशु की बात पर बल देता है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता हे, “मैं चाहता हूं कि तू जान ले” + +# स्वर्गलोक + +यह वह स्थान था जहाँ धर्मी जन मर कर जाते थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आनन्द लोक में” या “धर्मियों के लोक में” या “सुखलोक में” यीशु उसे विश्वास दिला रहा था कि वह परमेश्वर के पास होगा और परमेश्वर उसे ग्रहण करेगा” diff --git a/luk/23/44.md b/luk/23/44.md new file mode 100644 index 0000000..4c9ba80 --- /dev/null +++ b/luk/23/44.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# दोपहर से तीसरे पहर तक + +“लगभग दोपहर के समय” यह उनके समय गिनने की विधि थी। उनका दिन का आरंभ सुबह छः बजे से गिना जाता था। + +# सारे देश में अन्धियारा छाया रहा + +“संपूर्ण प्रदेश में अन्धेरा हो गया” + +# तीसरे पहर तक + +“तीन बजे तक” वे सुबह छः बजे से दिन गिनते थे” + +# मन्दिर का पर्दा + +“मन्दिर के भीतर जो पर्दा था” + +# बीच से फट गया + +“फट कर दो भाग हो गया” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर ने मन्दिर के पर्दे को फाड़ कर दो भाग कर दिया”। diff --git a/luk/23/46.md b/luk/23/46.md new file mode 100644 index 0000000..72a2b74 --- /dev/null +++ b/luk/23/46.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# बड़े शब्द से पुकार कर + +“चिल्लाकर” + +# “हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं” + +“मैं अपनी आत्मा तेरी देखरेख में सौंपता हूं”, “इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में देता हूं और जानता हूं कि तू संभालेगा”। + +# यह कह कर + +“यीशु ने यह कह कर” + +# प्राण छोड़ दिए + +“यीशु मर गया” + +# जो कुछ हुआ था + +“सब घटनाओं को” diff --git a/luk/23/48.md b/luk/23/48.md new file mode 100644 index 0000000..825fea3 --- /dev/null +++ b/luk/23/48.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# लोगों से + +“जनसमूह” + +# यह देखने को + +“जो हो रहा था वह देखने को” + +# इकट्ठी हुई थी + +“एकत्र थी” + +# इस घटना को + +“सब घटनाओं को” + +# लौट गए + +“घर चली गई” + +# छाती पीटती हुई + +यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, “दुःख प्रकट करने के लिए छाती पीटना” + +# जान पहचान + +“जो यीशु को जानते थे” या “जिन्होंने यीशु से भेंट की थी” + +# उसके साथ + +“यीशु के पीछे आई थी” + +# दूर खड़ी हुई + +“यीशु से कुछ दूर खड़े होकर” + +# इन बातों को + +“जो हो रहा था देख रही थी” diff --git a/luk/23/50.md b/luk/23/50.md new file mode 100644 index 0000000..b50a895 --- /dev/null +++ b/luk/23/50.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# देखो + +यह शब्द कहानी में एक नये मनुष्य के आगमन का बोध कराता है। अपनी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका उपयोग करें। + +# महासभा का एक सदस्य था + +“वह यहूदी परिषद का सदस्य था” + +# सज्जन और धर्मी पुरूष था + +“वह एक भला एवं सदाचारी मनुष्य था” + +# उनकी योजना और उनके इस काम से प्रसन्न नहीं था + +“यूसुफ परिषद के निर्णय से और उनके इस काम से कि यीशु को मृत्यु-दण्ड दिया जाए प्रसन्न नहीं था। + +# अरिमतिया का रहनेवाला + +“यूसुफ अरिमतिया नामक यहूदी नगर का निवासी था + +# बाट जोहनेवाली + +“यूसुफ प्रतीक्षारत था” diff --git a/luk/23/52.md b/luk/23/52.md new file mode 100644 index 0000000..a3c7039 --- /dev/null +++ b/luk/23/52.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यह + +यूसुफ ने + +# पिलातुस के पास जाकर + +“पिलातुस के पास जाकर याचना की” + +# उसे उतार कर + +“यीशु के शव को क्रूस से उतार कर” + +# मलमल की चादर में लपेटा + +“यीशु के शव को उत्तम मलमल में लपेटा” + +# कब्र में रखा + +“यीशु के शव को कब्र में रखा” + +# चट्टान में खुदी हुई थी + +“किसी ने चट्टान काट कर कब्र बनाई थी” + +# उसमें कभी कोई न रखा गया था + +“उस कब्र में कभी किसी ने शव नहीं रखा था”। diff --git a/luk/23/54.md b/luk/23/54.md new file mode 100644 index 0000000..0238c5e --- /dev/null +++ b/luk/23/54.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# वह तैयारी का दिन था + +“जिस दिन यहूदी अपने विश्राम दिवस सब्त के लिए तैयारी करते थे” + +# सब्त का दिन आरंभ होने पर था + +“शीघ्र ही सूर्यास्त होने वाला था अर्थात सब्त का दिन आरंभ होने वाला था”। (यू.डी.बी.) यहूदियों का नया दिन सूर्यास्त से आरंभ होता था। + +# उसके साथ गलील से आई थी + +“जो यीशु के साथ गलील से यात्रा करके आई थी” + +# पीछे-पीछे जाकर + +यूसुफ और उसके साथ के लोगों के पीछे जाकर + +# कब्र को देखा + +“उन स्त्रियों ने कब्र को देखा” + +# इसका शव किस रीति से रखा गया है + +“उन स्त्रियों ने देखा कि उन पुरूषों ने यीशु का शव कब्र में कैसे रखा है”। + +# लौट कर + +“वे जहाँ ठहरी हुई थी वहां लौट गई”, (यू.डी.बी.) + +# सुगन्धित वस्तुएं और इत्र + +“यीशु की देह के दफन हेतु तैयार सामग्री” + +# विश्राम किया + +“उन स्त्रियों ने कोई काम नहीं किया” + +# आज्ञा के अनुसार + +“यहूदी विधान के अनुसार” या यहूदी विधान की अनिवार्यता के अनुसार” या “मूसा द्वारा दिए गए विधान की अनिवार्यता के अनुसार” diff --git a/luk/24/01.md b/luk/24/01.md new file mode 100644 index 0000000..e00d5fe --- /dev/null +++ b/luk/24/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सप्ताह के पहले दिन बड़े भोर की + +“रविवार को दिन तड़के ही” + +# कब्र पर आईं + +“कब्र पर पहुंची” यू.एल.बी. इस प्रकार लिखी गई है कि जैसे लेखक कब्र पर ही था और स्त्रियों को वहां आते देख रहा था। यू.डी.बी. इस प्रकार लिखी गई है कि जैसे लेखक स्त्रियों को उस नामरहित स्थान से कूच करके कब्र पर जाते देख रहा था। + +# कब्र + +यह कब्र एक चट्टान काट कर बनाई गई थी। + +# पत्थर को कब्र पर से लुड़का हुआ देखा + +एक बड़ा चट्टान का पत्थर, जो कब्र के द्वार को बन्द करने के लिए रखा गया था। उसे लुड़काने के लिए बहुत लोगों की आवश्यकता पड़ती थी। diff --git a/luk/24/04.md b/luk/24/04.md new file mode 100644 index 0000000..6edd89d --- /dev/null +++ b/luk/24/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# (ऐसा हुआ कि) + +इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# झलकते वस्त्र + +“ज्योतिमय चमकते हुए वस्त्र” (यू.डी.बी.) + +# बहुत डर कर + +“भयभीत हो गई” + +# जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूंढ़ती हों? + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम जीवित मनुष्य को मृतकों में खोज रही हो” या “तुम्हें जीवित मनुष्य को मृतकों के स्थान में नहीं खोजना चाहिए”। (यू.डी.बी.) + +# “तुम ... क्यों ढूंढ़ती हो”? + +यहाँ “तुम” बहुवचन है क्योंकि स्त्रियां एक से अधिक हैं। diff --git a/luk/24/06.md b/luk/24/06.md new file mode 100644 index 0000000..1465c98 --- /dev/null +++ b/luk/24/06.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +(स्वर्गदूत उन स्त्रियों से बातें कर रहे हैं) + +# स्मरण करो + +“स्मरण करो कि” + +# तुमसे कहा था + +यीशु ने कम से कम एक सप्ताह पहले उससे कहा था। + +# तुमसे + +“तुम” बहुवचन में है। तुम अर्थात ये स्त्रियां और शिष्य” + +# मनुष्य का पुत्र + +यह परोक्ष उद्धरणों में है और इसका अनुवाद अपरोक्ष उद्धरणों में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। + +# अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र + +“मनुष्य के पुत्र के लिए आवश्यक था कि” यह निश्चित था क्योंकि परमेश्वर निर्णय ले चुका था। + +# हाथ में पकड़वाया जाए + +“सौंपा जाए” या “दे दिया जाए” इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “उन्हें मुझे, मनुष्य के पुत्र को पापी मनुष्यों के हाथों में सौंपना आवश्यक है”। (यू.डी.बी.) “कोई तो निश्चय ही पापियों के हाथों मनुष्य के पुत्र को पकड़वाएगा” diff --git a/luk/24/08.md b/luk/24/08.md new file mode 100644 index 0000000..7c81677 --- /dev/null +++ b/luk/24/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तब उसकी बातें उनको स्मरण आई + +“तब यीशु की बातें उन्हें स्मरण आई” + +# कब्र से लौटकर + +लेखक आ अवलोकन क्षेत्र कब्र और शिष्यों के मध्य का मार्ग है। (यू.डी.बी.) जबकि यू.डी.बी. का अवलोकन क्षेत्र कब्र के पास का है। अतः वह कहता है कि स्त्रियां लौट गई। दोनों ही परिस्थितियों में स्त्रियां कब्र से चलकर शिष्यों के पास गई। + +# अन्य सब + +“ग्यारह शिष्यों के साथ जितने भी अनुयायी थे सब” diff --git a/luk/24/11.md b/luk/24/11.md new file mode 100644 index 0000000..28e1223 --- /dev/null +++ b/luk/24/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उनकी बातें उन्हें कहानी सी जान पड़ी” + +“परन्तु शिष्यों ने सोचा कि उन स्त्रियों की बात तर्कहीन है”। + +# उठ कर + +यह एक इब्रानी शब्द है जिसका अर्थ है क्रियाशील होना अब पतरस बैठा था या खड़ा था, महत्त्व नहीं रखता है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “निकल पड़ा” + +# झुक कर + +“कब्र में देखने के लिए झुका” + +# कपड़े पड़े देखे + +“केवल मलमल की चादर पड़ी थी” diff --git a/luk/24/13.md b/luk/24/13.md new file mode 100644 index 0000000..bb20bc8 --- /dev/null +++ b/luk/24/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# देखो + +यह एक सर्वथा भिन्न घटना का आरंभ दर्शाता है, जो उन स्त्रियों और पतरस की घटना से भिन्न है। + +# उसी दिन + +“उसी दिन” (यू.डी.बी.) + +# साठ मील + +“ग्यारह किलोमीटर” (मूल भाषा में यह दूरी 60 स्टेडिया है। एक स्टेडियम, 185 मीटर का होता था”। diff --git a/luk/24/15.md b/luk/24/15.md new file mode 100644 index 0000000..cf75d56 --- /dev/null +++ b/luk/24/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# (और ऐसा हुआ कि) + +इस उक्ति द्वारा कार्य का आरंभ होना दर्शाया गया है। यीशु के प्रकट होने से कार्य आरंभ होता है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# यीशु आप + +“आप” शब्द यीशु पर और उसके प्रकट होने के विस्मय पर ध्यान केन्द्रित कराता है, क्योंकि अभी तक किसी ने पुनरूत्थित यीशु को नहीं देखा था उन स्त्रियों ने केवल स्वर्गदूतों को देखा था। + +# परन्तु उनकी आंखें ऐसी बन्द कर दी गई थी कि उसे पहचान न सके। + +“उनकी आंखें यीशु को पहचानने से रोकी गई थी” उनकी क्षमता को उनकी आंखे कहा गया है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “उसे पहचानने से उन्हें रोका गया” या “किसी रुकावट के कारण वे उसे पहचान न सके”। diff --git a/luk/24/17.md b/luk/24/17.md new file mode 100644 index 0000000..56b0f46 --- /dev/null +++ b/luk/24/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है? + +“तू” अर्थात यीशु (एकवचन) यह एक आलंकारिक प्रश्न का आरंभ है। क्लियोपास ने अपना आश्चर्य व्यक्त किया कि यीशु यरूशलेम की इस घटना से अनभिज्ञ था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तू ही एक ऐसा मनुष्य है” diff --git a/luk/24/19.md b/luk/24/19.md new file mode 100644 index 0000000..a8ee66e --- /dev/null +++ b/luk/24/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कौन सी बातें? + +“क्या हुआ है” या “क्या घटना घटी है”? + +# काम और वचन में सामर्थी + +“सामर्थ्य के काम करता था और सामर्थी वचन सुनाता था” + +# परमेश्वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता था। + +इसका अर्थ है कि परमेश्वर ने यीशु को सामर्थी बनाया और लोगों ने देखा कि वह सामर्थी था। इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर ने उसे महान कार्य करने और महान शिक्षा देने का सामर्थ्य दिया था। और मनुष्य अचम्भा करते थे”। + +# उसे पकड़वा दिया कि ... मृत्यु की आज्ञा दी जाए + +उसे रोमी प्रशासक के समक्ष पकड़वा दिया कि उसे मृत्युदण्ड दिया जाए”। diff --git a/luk/24/21.md b/luk/24/21.md new file mode 100644 index 0000000..b50ea5e --- /dev/null +++ b/luk/24/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यही इस्त्राएल को छुटकारा देगा + +यहूदियों पर रोमियों का राज था। उन शिष्यों के कहने का अर्थ था कि वह रोमियों से स्वतंत्रता दिलाएगा, “इस्त्राएल को उनके बैरी, रोमियों से मुक्ति दिलाएगा”। + +# इस घटना को हुए + +“उसकी मृत्यु के बाद” diff --git a/luk/24/22.md b/luk/24/22.md new file mode 100644 index 0000000..ce93437 --- /dev/null +++ b/luk/24/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ने भी + +उन पुरूषों ने उन स्त्रियों के समाचार को एक अच्छी बात समझा था, न कि यीशु की मृत्यु के अतिरिक्त एक ओर बुरा समाचार। + +# जो भोर को कब्र पर गई थी + +“ये स्त्रियां भोर के समय कब्र पर गई थी” + +# स्वर्गदूतों का दर्शन पाया + +“स्वर्गदूत देखे” diff --git a/luk/24/25.md b/luk/24/25.md new file mode 100644 index 0000000..a8bb375 --- /dev/null +++ b/luk/24/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु ने उनसे कहा + +“उनसे का द्विवचन काम में लें। + +# मन्दमतियों + +“तुम्हारे मन सुस्त हो गए हैं और प्रतिक्रिया में मन्द है” + +# क्या यह अवश्य न था + +यह एक आलंकारिक प्रश्न है। “यीशु का कष्ट उठाना उचित था। यदि वह कष्ट नहीं उठाता तो अनुचित होता”। + +# अपनी महिमा में प्रवेश करे + +यह समय की बात है जब यीशु सबको अपना सौंदर्य और महानता दिखाएगा” और आदर और उपासना का पात्र होगा। + +# अर्थ उन्हें समझाया + +“उनसे का द्विवचन काम में लें। diff --git a/luk/24/28.md b/luk/24/28.md new file mode 100644 index 0000000..9e17d89 --- /dev/null +++ b/luk/24/28.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# गाँव के पास पहुंचे + +“जब वे उस गांव के निकट आए” (यू.डी.बी.) + +# उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा कि वह आगे जाना चाहता है + +वे दोनों शिष्य उसके व्यवहार से यही समझे कि वह आगे कहीं ओर जाना चाहता था। संभवतः जब वे गांव के द्वार में प्रवेश करने को मुड़े तब वह सीधा आगे जा रहा था क्योंकि यीशु के शब्दों से तो ऐसा कुछ प्रकट नहीं होता है। + +# उन्होंने यह कह कर उसे रोका + +“रोका” के मूल यूनानी शब्द का अर्थ है शारीरिक बल देर तक लगाए रखना परन्तु यह एक अतिशयोक्ति प्रतीत होती है। उन्हें उसे विवश करने में समय लगा। + +# भीतर गया + +“यीशु ने उनके घर में प्रवेश किया” + +# उनके साथ रहने के लिए + +“उनसे का द्विवचन काम में लें। diff --git a/luk/24/30.md b/luk/24/30.md new file mode 100644 index 0000000..a3bcf2c --- /dev/null +++ b/luk/24/30.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# (ऐसा हुआ कि) + +इस उक्ति द्वारा कहानी में एक महत्त्वपूर्ण घटना का बोध करवाया गया है। यदि आपकी भाषा में ऐसी अभिव्यक्ति है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# उनकी आंखें खुल गई + +“तब वे उसे पहचान गए” या “उन्हें समझ में आ गया” + +# रोटी + +यह खमीररहित रोटी है, न कि साधारण भोजन है। + +# धन्यवाद किया + +“रोटी के लिए धन्यवाद दिया” या “परमेश्वर को उसके लिए धन्यवाद दिया” + +# आंखों से छिप गया + +विलोप हो गया। वह अदृश्य नहीं हुआ था। + +# क्या हमारे मन में उत्तेजना उत्पन्न हुई + +“हमारे मन भीतर ही भीतर उत्तेजित हो रहे थे” (यू.डी.बी.) यह एक अलंकारिक प्रश्न है। + +# हमारे मन में उत्तेजना + +यह एक रूपक है जो यीशु से बातें करते समय उनकी प्रबल भावनाओं का वर्णन करता है। इस प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब वह हमसे बातें कर रहा था तब हमारी भावनाएं कैसी विचलित हो रही थी”। + +# हमारे मन में + +वे दो जन बातें कर रहे हैं इसलिए “हमारे” को द्विवचन में रखें यदि आपकी भाषा में ऐसा अन्तर दर्शाया जा सकता है। + +# पवित्रशास्त्र का अर्थ हमें समझाता था + +“जब वह धर्मशास्त्र की व्याख्या कर रहा था” diff --git a/luk/24/33.md b/luk/24/33.md new file mode 100644 index 0000000..90a9872 --- /dev/null +++ b/luk/24/33.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# वे उसी घड़ी उठ कर + +“वे” अर्थात वे दोनों शिष्य जिन भाषाओं में द्विवचन है, उनमें द्विवचन काम में लिया जाए। + +# उठ कर + +“खड़े होकर” + +# ग्यारहों + +यीशु के शिष्य जिनमें यहूदा नहीं था + +# वे कहते थे, प्रभु सचमुच जी उठा है + +यीशु के ग्यारह शिष्य तथा उनके साथ जो अन्य अनुयायी थे यह कहते थे। + +# बता दी + +“उन दोनों ने बताई” + +# मार्ग की बातें + +जब वे इम्माऊस जा रहे थे तब यीशु के साक्षात्कार की चर्चा की। + +# उन्होंने उसे रोटी तोड़ते समय कैसे पहचाना + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “उन्होंने यीशु को कैसे पहचाना”। + +# रोटी तोड़ते समय + +“जब यीशु ने रोटी तोड़ी” diff --git a/luk/24/36.md b/luk/24/36.md new file mode 100644 index 0000000..3289f6a --- /dev/null +++ b/luk/24/36.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यीशु आप + +“आप” यीशु के लिए और उन्हें वास्तव में दर्शन देने के आश्चर्य पर ध्यान केन्द्रित कराता है। उनमें से अधिकांश ने यीशु के पुनरुत्थान के बाद नहीं देखा था। + +# उनके बीच में + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “उन सबकी आंखों के सामने”। + +# तुम्हें शान्ति मिले + +“तुम शान्ति पाओ”। या “परमेश्वर तुम्हें शान्ति दे”। (यू.डी.बी.) “तुम्हें” शब्द बहुवचन है। + +# वह घबरा गए और डर गए + +“वे विस्मित होकर डर गए”। + +# समझे कि हम किसी भूत को देख रहे हैं। + +उन्हें अभी तक यीशु के जीवित होने की बात समझ में नहीं आई थी। + +# भूत + +यहाँ भूत का अर्थ है किसी मृतक की आत्मा diff --git a/luk/24/38.md b/luk/24/38.md new file mode 100644 index 0000000..e4de0a0 --- /dev/null +++ b/luk/24/38.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# क्यों घबराते हो + +यह एक अलंकारिक प्रश्न है जो उन्हें ढांढ़स बंधाने के लिए था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मत डरो”। + +# तुम्हारे मन में क्यों सन्देह उठते हैं? + +“तुम्हारे मन में शंका क्यों है”? यह आलंकारिक प्रश्न मृदु झिड़की है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मन में सन्देह न होने दो”। यीशु उनसे कह रहा था कि उसके जीवित होने पर सन्देह न करो। यह यू.डी.बी. में स्पष्ट किया जा सकता है। + +# हड्डी मांस + +यह देह को सिद्ध करने के लिए था। diff --git a/luk/24/41.md b/luk/24/41.md new file mode 100644 index 0000000..f831c8e --- /dev/null +++ b/luk/24/41.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जब आनन्द के मारे + +“वे तब भी विश्वास न कर पाए कि यह सच है”। वे अत्यधिक उत्साहित थे परन्तु साथ ही विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि वह जीवित है। + +# आश्चर्य करते थे + +“और विस्मित थे” (यू.डी.बी.) या “सोच रहे थे कि यह कैसे संभव है”। + +# उनके सामने + +“उनकी आंखों के सामने” या “उनके देखते हुए” diff --git a/luk/24/44.md b/luk/24/44.md new file mode 100644 index 0000000..090c9ea --- /dev/null +++ b/luk/24/44.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुम्हारे साथ रहते है + +“पहले जब मैं तुम्हारे साथ था”। + +# मूसा की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं और भजनों की पुस्तकों में मेरे विषय में लिखी हैं। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है। + +# सब पूरी हों + +परमेश्वर सब बातें पूरी करेगा। + +# जितनी बातें... लिखी हैं + +“मेरे विषय जो कुछ लिखा है सब” diff --git a/luk/24/45.md b/luk/24/45.md new file mode 100644 index 0000000..3947daa --- /dev/null +++ b/luk/24/45.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उनकी समझ खोल दी + +“उसने उन्हें समझने की बुद्धि दी” (यू.डी.बी.) + +# यों लिखा है + +“वर्षों पूर्व लोगों ने यही लिखा था” + +# मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “मसीह के अनुयायी प्रचार करेंगे कि मनुष्यों को पापों से विमुख होकर परमेश्वर से पापों की क्षमा प्राप्त करना है”। + +# तीसरे दिन + +“दो रातों के बाद” + +# सब जातियों में + +“मनुष्यों की सब जातियों में” या “सब जनसमुदायों में” diff --git a/luk/24/48.md b/luk/24/48.md new file mode 100644 index 0000000..323a279 --- /dev/null +++ b/luk/24/48.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# गवाह हो + +“तुम्हें सबको बताना है कि तुमने मेरे बारे में जो कुछ देखा है, सब सच है। शिष्यों ने यीशु का जीवन उसकी मृत्यु और उसका पुनरूत्थान देखा था और उसने मनुष्यों के लिए क्या किया, इन सबका वर्णन करना है। + +# जिसकी प्रतिज्ञा मेरे पिता ने की है, मैं उसको तुम पर उतारूंगा + +“मेरे पिता ने जो प्रतिज्ञा की है वह मैं तुम्हें दूंगा। + +# तब तक स्वर्ग से सामर्थ्य न पाओ + +“सामर्थ्य से पूर्ण हो” या “सामर्थ्य प्राप्त करो” परमेश्वर का सामर्थ्य उन्हें वैसे ही ढाँप करेगा जैसे वस्त्र शरीर को करते हैं। + +# स्वर्ग से + +“परमेश्वर से” diff --git a/luk/24/50.md b/luk/24/50.md new file mode 100644 index 0000000..6db2e6c --- /dev/null +++ b/luk/24/50.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# (ऐसा हुआ कि) + +“यह हुआ कि” + +# उन्हें आशीष देते हुए + +“यीशु उनकी भलाई के लिए परमेश्वर से कह रहा था” + +# उसे लिया गया + +लूका नहीं बताता है कि यीशु को किसने स्वर्ग में उठा लिया। हम नहीं जानते कि वह परमेश्वर स्वयं था या एक स्वर्गदूत था या अनेक स्वर्गदूत थे। यदि आपकी भाषा में आवश्यक हो कि यीशु को स्वर्ग में उठाने वाले का नाम व्यक्त करें तो यू.डी.बी. के जैसा अनुवाद सर्वोत्तम है, “चला गया” diff --git a/luk/24/52.md b/luk/24/52.md new file mode 100644 index 0000000..4747a3e --- /dev/null +++ b/luk/24/52.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसको दण्डवत करके + +इसका अर्थ है, दीनता एवं श्रद्धा के साथ झुकना, या घुटने टेकना या किसी के चरणों में मुंह के बल लेटना। + +# लगातार मन्दिर में उपस्थित होकर + +वे प्रतिदिन मन्दिर परिसर में जाते थे। + +# परमेश्वर की स्तुति किया करते थे + +परमेश्वर की स्तुति उपासना करते थे। (यू.डी.बी.) diff --git a/manifest.yaml b/manifest.yaml new file mode 100644 index 0000000..94c34f0 --- /dev/null +++ b/manifest.yaml @@ -0,0 +1,234 @@ +dublin_core: + conformsto: 'rc0.2' + contributor: + - 'Acsah Jacob' + - 'Shojo John' + creator: 'Door43 World Missions Community' + description: 'Notes to help translators of the Bible' + format: 'text/markdown' + identifier: 'tn' + issued: '2021-01-29' + language: + identifier: 'hi' + title: 'हिन्दी, हिंदी (Hindi)' + direction: 'ltr' + modified: '2021-01-29' + publisher: 'Wycliffe Associates' + relation: + - 'hi/glt' + - 'hi/gst' + - 'hi/udb' + - 'hi/ulb' + - 'hi/iev' + - 'hi/irv' + - 'hi/ta' + - 'hi/tw' + - 'hi/tq' + - 'hi/obs' + - 'hi/obs-tn' + rights: 'CC BY-SA 4.0' + source: + - identifier: 'tn' + language: 'en' + version: '2' + subject: 'Translation Notes' + title: 'translationNotes' + type: 'help' + version: '2.2' + +checking: + checking_entity: + - 'Jobby Prasannan' + - 'BCS' + checking_level: '3' + +projects: + - + title: 'Matthew translationNotes' + versification: '' + identifier: 'mat' + sort: 40 + path: './mat' + categories: [] + - + title: 'Mark translationNotes' + versification: '' + identifier: 'mrk' + sort: 41 + path: './mrk' + categories: [] + - + title: 'Luke translationNotes' + versification: '' + identifier: 'luk' + sort: 42 + path: './luk' + categories: [] + - + title: 'John translationNotes' + versification: '' + identifier: 'jhn' + sort: 43 + path: './jhn' + categories: [] + - + title: 'Acts translationNotes' + versification: '' + identifier: 'act' + sort: 44 + path: './act' + categories: [] + - + title: 'Romans translationNotes' + versification: '' + identifier: 'rom' + sort: 45 + path: './rom' + categories: [] + - + title: '1 Corinthians 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रही हैं। "दाऊद का पुत्र" एक पदनाम स्वरूप काम में लिया गया है, तथा अन्य स्थानों में परन्तु यह केवल उसकी वंशावली को दर्शाने के लिए काम में लिया गया है। + +# अब्राहम इसहाक का पिता था। + +वैकल्पिक अनुवाद, "अब्राहम इसहाक का पिता था" या अब्राहम का पुत्र था इसहाक"। इसमें से एक अनुवाद को काम में लेने से आपके पाठकों के लिए अधिक स्पष्ट होगा और इसी को शेष सूची में काम में लें। + +# तामार + +जिस भाषा में इस शब्द के पुल्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों शब्द है उसमें स्त्रीलिंग शब्द ही काम में लें। diff --git a/mat/01/04.md b/mat/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..7b1aed5 --- /dev/null +++ b/mat/01/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु के पूर्वजों की सूची अभी समाप्त नहीं हुई है, आपने मत्ती .में जो शब्दावली काम में ली है उसी को आगे भी काम में लें। + +# सलमोन और राहाब से बोअज उत्पन्न हुआ। + +"सलमोन बोअज का पिता था और बोअज की माता राहाब थी"। या "बोअज के माता-पिता राहाब और सलमोन थे"। + +# बोअज ओबेद का पिता था और माता रूत थी। + +बोअज ओबेद का पिता था और माता रूत थी "या ओबेद के माता-पिता रूत और बोअज थे।" + +# राहाब..... रूत + +जिन भाषाओं में इन शब्दों के पुल्लिंग और स्त्रीलिंग शब्द हैं। उनमें इन शब्दों के केवल स्त्रीलिंग रूप ही काम में लिए जाए। + +# उरिय्याह की पत्नी से सुलैमान दाऊद का पुत्र हुआ। + +"दाऊद का पुत्र सुलैमान था और सुलैमान की माता उरिय्याह की पत्नी थी। या दाऊद और उरिय्याह की पत्नी सुलैमान के माता-पिता थे"। + +# उरिय्याह की पत्नी। + +"उरिय्याह की विधवा।" diff --git a/mat/01/07.md b/mat/01/07.md new file mode 100644 index 0000000..5ca6c2b --- /dev/null +++ b/mat/01/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु के पूर्वजों की सूची अभी समाप्त नहीं हुई है, आपने मत्ती में जो शब्दावली काम में ली है उसी को आगे भी काम में लें। + +# आसा + +कभी-कभी उसके नाम का अनुवाद "आसाप" किया जाता है। + +# योराम से उज्जियाह उत्पन्न हुआ। + +योराम वास्तव में उज्जियाह के दादा का दादा था। अतः दादा के स्थान पर "पूर्वज" लिखा जा सकता है।(यू.डी.बी) diff --git a/mat/01/09.md b/mat/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..02125a9 --- /dev/null +++ b/mat/01/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु के पूर्वजों की सूची अभी समाप्त नहीं हुई है, आपने मत्ती .में जो शब्दावली काम में ली है उसी को आगे भी काम में लें। + +# आमोन + +कहीं-कहीं इसका अनुवाद आमोस किया गया है। + +# योशिय्याह यकुन्याह का पिता था। + +योशिय्याह वास्तव में यकुन्याह का दादा था।(देखें: यू.डी.बी) + +# बेबीलोन जाने के समय। + +जब वे बेबीलोन ले जाए गए। या "जब बेबीलोन की सेना ने उन्हें बेबीलोन में बसने पर विवश किया"। यदि आपकी भाषा में स्पष्ट करना है कि कौन बेबीलोन ले जाए गए तो आप कह सकते हैं, "इस्राएली" या यहूदा के रहने वाले इस्राएली"। diff --git a/mat/01/12.md b/mat/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..d3a667b --- /dev/null +++ b/mat/01/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु के पूर्वजों की सूची अभी समाप्त नहीं हुई है, आपने मत्ती .में जो शब्दावली काम में ली है उसी को आगे भी काम में लें। + +# बेबीलोन की बन्धुआई के बाद। + +शब्दावली वही काम में ले जो में काम में ली गई है। + +# शालतिएल जरूब्बाबिल का पिता था। + +शालतिएल वास्तव में जरूब्बाबिल का दादा था।(देखे: यू.डी.बी.) diff --git a/mat/01/15.md b/mat/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..0113204 --- /dev/null +++ b/mat/01/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु के पूर्वजों की सूची अभी समाप्त नहीं हुई है, आपने मत्ती में जो शब्दावली काम में ली है उसी को आगे भी काम में लें। + +# मरियम जिससे यीशु का जन्म हुआ। + +मरियम जिससे यीशु का जन्म हुआ। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य रूप में किया जा सकता है, "मरियम ने यीशु को जन्म दिया"। + +# बेबीलोन ले जाया जाना + +शब्दावली वही काम में ले जो में काम में ली गई है। diff --git a/mat/01/18.md b/mat/01/18.md new file mode 100644 index 0000000..ea4153b --- /dev/null +++ b/mat/01/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यहाँ उन घटनाओं का वर्णन है जो यीशु के जन्म से सम्बन्धित हैं। यदि आपकी भाषा में विषय परिवर्तन दिखाने की विधि है तो उसे यहाँ काम में लें। + +# मरिमय की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई थी। + +मरिमय की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई थी। "विवाह की प्रतिज्ञा कर चुकी थी" (यू.डी.बी.) या "विवाह के लिए समर्पित की जा चुकी थी"। माता-पिता सामान्यतः सन्तान के विवाह का प्रबन्ध करते हैं। + +# उनके इकट्ठा होने से पहले। + +इस शिष्टोक्ति का अर्थ है, "इससे पूर्व कि उनमें यौन सम्बन्ध होता"। + +# वह गर्भवती पाई गई। + +"उन्हें पता चला कि वह शिशु को जन्म देने वाली है"।(देखें:: ) + +# पवित्र आत्मा से। + +"पवित्र आत्मा ने मरियम को शिशु जनने योग्य किया"। diff --git a/mat/01/20.md b/mat/01/20.md new file mode 100644 index 0000000..06d1a0a --- /dev/null +++ b/mat/01/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यहाँ यीशु के जन्म से संबन्धित घटनाओं का वर्णन है। + +# प्रकट हुआ। + +अचानक से ही एक स्वर्गदूत यूसुफ के पास आया। + +# जो उसके गर्भ में है वह पवित्र आत्मा की ओर से है। + +"मरियम के गर्भ में जो शिशु है वह पवित्र आत्मा से है।" + +# वह पुत्र जनेगी। + +क्योंकि परमेश्वर ने अपने स्वर्गदूत को भेजा था इसलिए वह जानता था कि वह शिशु पुत्र है। + +# तू उसका नाम रखना। + +यह एक आज्ञा हैः "तू उसका नाम रखना" या "उसे नाम देना" या "उसे पुकारना"। + +# वह अपने लोगों का पाप से उद्धार करेगा। + +"अपने लोगों का" यहूदियों से संदर्भ है। diff --git a/mat/01/22.md b/mat/01/22.md new file mode 100644 index 0000000..54d1c18 --- /dev/null +++ b/mat/01/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +मत्ती उस भविष्यद्वाणी का संदर्भ देता है जिसे यीशु पूरी करेगा। + +# जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा कहा था वह पूरा हो। + +जो कर्तृवाच्य रूप में व्यक्त किया जा सकता है, "प्रभु ने भविष्यद्वक्ता यशायाह को बहुत पहले से लिखने को कहा था।" + +# देखो + +वैकल्पिक अनुवाद, "देखो" या "सुनो" या "जो मैं कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दो"। + +# एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी। + +यह पद यशायाह का उद्धरण है। diff --git a/mat/01/24.md b/mat/01/24.md new file mode 100644 index 0000000..a4683aa --- /dev/null +++ b/mat/01/24.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यह अंश यीशु के जन्म से संबन्धित घटनाओं की चर्चा करता है। + +# आज्ञा + +स्वर्गदूत ने उसे आज्ञा दी कि वह मरियम को अपने यहाँ ले आए और उस पुत्र का नाम यीशु रखे। (पद 20-21) + +# वह उसके पास न गया। + +उसके पास न गया "उसके साथ यौन सम्बन्ध नहीं बनाए"। + +# और उसका नाम यीशु रखा। + +यूसुफ ने अपने पुत्र का नाम यीशु रखा। diff --git a/mat/02/01.md b/mat/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..f07a09e --- /dev/null +++ b/mat/02/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +इस अध्याय में यहूदियों के राजा के रूप में यीशु के जन्म का वर्णन है। + +# यहूदिया के बैतलहम में। + +यहूदिया के बैतलहम में , "यहूदिया क्षेत्र के बैतलहम नगर में"।(यु.डी.बी) + +# ज्योतिषी + +"ज्योतिषी - सितारों का ज्ञान रखने वाले"। (यू.डी.बी.) + +# हेरोदेस + +हेरोदेस यह हेरोदेस महान है। + +# "यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, कहाँ है"? + +वे जानते थे कि जो राजा होगा उसका जन्म हो चुका है। वे जानने का प्रयत्न कर रहे थे कि वह कहाँ है। "एक शिशु जो यहूदियों का राजा होगा, उसका जन्म हुआ है, वह कहाँ है"? + +# उसका तारा। + +"तारा जो उसके बारे में प्रकट करता है", या "उसके जन्म से संबन्धित तारा", उनके कहने का अर्थ यह नहीं था वह शिशु उस तारे का स्वामी है। + +# प्रणाम + +इस शब्द के संभावित अर्थ हैं, (1) उनका प्रयोजन था कि उस दिव्य शिशु को प्रणाम करें", या (2) वे उसे मानवीय राजा के रूप में "सम्मान" देना चाहते थे। यदि आपकी भाषा में ऐसा शब्द है जिसका अर्थ इन दोनों अर्थों से निकलता है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# वह घबरा गया। + +"वह चिन्तित हो गया" कि उसके स्थान पर किसी और को यहूदियों का राजा बनाया जायेगा। + +# सारा यरूशलेम + +"यरूशलेम में अधिकांश जन" (यू.डी.बी.) भयभीत हो गये कि हेरोदेस अब क्या करेगा। diff --git a/mat/02/04.md b/mat/02/04.md new file mode 100644 index 0000000..59377e1 --- /dev/null +++ b/mat/02/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ। + +# यहूदिया के बैतलहम में। + +वैकल्पिक अनुवाद "बैतलहम नगर में जो यहूदिया प्रदेश में है"। + +# भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा यों लिखा गया है। + +इसे क्रियाशील रूप में व्यक्त किया जा सकता है, "भविष्यद्वक्ता ने लिखा है।" + +# भविष्यद्वक्ता के द्वारा यों लिखा गया है। + +भविष्यद्वक्ता के द्वारा यों लिखा गया है , वैकल्पिक अनुवाद, "भविष्यद्वक्ता मीका द्वारा यह लिखा गया है"। + +# "हे बैतलहम, तू किसी भी रीति से यहूदा के अधिकारियों में सबसे छोटा नहीं।" + +"तुम जो बैतलहम में निवास करते हो, तुम्हारा नगर निश्चय ही बहुत महत्त्वपूर्ण है।" (यू.डी.बी.) या "हे बैतलहम तू सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण नगरों में से एक है"। (देखें ) diff --git a/mat/02/07.md b/mat/02/07.md new file mode 100644 index 0000000..050ac7e --- /dev/null +++ b/mat/02/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ। + +# हेरोदेस ने ज्योतिषियों को चुपके से बुलाकर पूछा। + +इसका अर्थ है कि हेरोदेस ने ज्योतिषियों से अकेले में बात की। + +# बालक + +बालक अर्थात शिशु यीशु। + +# प्रणाम + +यहाँ अनुवाद में वही शब्द काम में लें जो आपने में काम में लिया है। diff --git a/mat/02/09.md b/mat/02/09.md new file mode 100644 index 0000000..d65582c --- /dev/null +++ b/mat/02/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ। + +# राजा की बात सुन कर। + +राजा की बात सुनकर , "तब" (यू.डी.बी.) या "राजा की बात सुनने के बाद ज्योतिषी"। + +# उनके आगे-आगे चल। + +वैकल्पिक अनुवाद, "उनका मार्गदर्शन किया"। + +# ठहर गया। + +ठहर गया, वैकल्पिक अनुवाद, "रूक गया"। diff --git a/mat/02/11.md b/mat/02/11.md new file mode 100644 index 0000000..b2f119d --- /dev/null +++ b/mat/02/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ। + +# उन्होंने + +ज्योतिषियों ने + +# प्रणाम + +यहाँ अनुवाद में वही शब्द काम में लें जो आपने में काम में लिया है। diff --git a/mat/02/13.md b/mat/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..e1f55ca --- /dev/null +++ b/mat/02/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ। + +# वे ..... चले गए। + +"ज्योतिषी चले गए"। + +# उठ लेकर.... भाग जा .... तुझ .... रहना। + +परमेश्वर यूसुफ से बात कर रहा है अतः ये एक वचन शब्द है । + +# हेरोदेस के मरने तक वहीं रहा + +जब तक हेरोदेस की मृत्यु नहीं हो जाती । इस वाक्य द्वारा उनके मिस्र में रहने का समय प्रकट होता है परन्तु यह नहीं कहा गया है कि इस समय हेरोदस की मृत्यु हुई। + +# मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया। + +यह होशे का उद्धरण है मत्ती में यूनानी अभिलेख के शब्द होशे की इब्रानी भाषा के शब्दों से भिन्न हैं क्योंकि यहाँ "मिस्र से" पर बल दिया गया है, अन्य किसी देश को नहीं: "मिस्र से ही मैंने अपने पुत्र को बुलाया।" diff --git a/mat/02/16.md b/mat/02/16.md new file mode 100644 index 0000000..586734c --- /dev/null +++ b/mat/02/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ। + +# जब हेरोदेस ने + +यूसुफ मरियम और यीशु को लेकर चला गया तब हेरोदेस ने क्या किया, इसका यहाँ वर्णन है अब तक हेरोदेस की मृत्यु नहीं हुई है। + +# धोखा किया है। + +"ज्योतिषियों ने उसे धोखा देकर क्रोधित किया"। (देखें यू.डी.बी.) + +# उसने सब बालकों को मरवा डाला। + +उसने सब बालकों को मरवा डाला, वैकल्पिक अनुवादः "उसने सब बालाकों की हत्या करने की आज्ञा दी" या "उसने सब बालकों को मार डालने के लिए सैनिक भेजे"(यू.डी.बी.)। diff --git a/mat/02/17.md b/mat/02/17.md new file mode 100644 index 0000000..daf16f8 --- /dev/null +++ b/mat/02/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ। + +पद 18 यिर्मयाह का उद्धरण है। मत्ती में यूनानी अभिलेख यिर्मयाह के इब्रानी अभिलेख से कुछ भिन्न है। diff --git a/mat/02/19.md b/mat/02/19.md new file mode 100644 index 0000000..7ae6324 --- /dev/null +++ b/mat/02/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ। + +# देख + +यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# जो बालक के प्राण लेना चाहते थे। + +जो बालक के प्राण लेना चाहते थे - "जो उस बालक को मार डालना चाहते थे"। diff --git a/mat/02/22.md b/mat/02/22.md new file mode 100644 index 0000000..9c65139 --- /dev/null +++ b/mat/02/22.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यहाँ वर्णन है कि जब यीशु, यहूदियों के राजा का जन्म हुआ तब क्या हुआ। + +# परन्तु यह सुनकर। + +परन्तु यह सुनकर, "परन्तु जब यूसुफ ने सुना"। + +# अपने पिता हेरोदेस + +अपने पिता हेरोदेस अरखिलाउस का पिता + +# वहाँ जाने से डरा। + +वहाँ जाने से डरा , यूसुफ का संदर्भ है। + +# वह नासरी कहलाएगा। + +वह नासरी कहलाएगा , यहाँ "वह" अर्थात यीशु है। diff --git a/mat/03/01.md b/mat/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..bcd5ca9 --- /dev/null +++ b/mat/03/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यह बाइबल अंश अनेक वर्ष बाद का वृत्तान्त है जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला व्यस्क हो गया था और उसने अपनी प्रचार सेवा आरंभ कर दी थी। + +# यह वही है। + +सर्वनाम "वही" यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले की पहचान है। + +# यह वही है जिसकी चर्चा यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा की गई। + +वैकल्पिक अनुवाद, "यशायाह भविष्यद्वक्ता यूहन्ना ही के बारे में कह रहा था जब उसने कहा"। + +# प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसकी सड़कें सीधी करो। + +प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसकी सड़कें सीधी करो। - यह यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के सन्देश में उदाहरण का प्रयोग है, वह लोगों को मन फिराव के लिए तैयार होने की पुकार करता था। वैकल्पिक अनुवाद, "अपनी जीवनशैली को बदलने के लिए तैयार हो जाओ कि तुम्हारा जीवन परमेश्वर को ग्रहण योग्य हो"। diff --git a/mat/03/04.md b/mat/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..9b4b6a3 --- /dev/null +++ b/mat/03/04.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यूहन्ना की प्रचार सेवा आरंभ है। + +# उन्होंने .... उससे बपतिस्मा लिया। + +उन्होंने उससे बपतिस्मा लिया, "यूहन्ना ने उन्हें बपतिस्मा दिया"। + +# वे + +यरूशलेम, यहूदिया और यरदन नदी के आस-पास के क्षेत्र के लोग। diff --git a/mat/03/07.md b/mat/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..b908a3c --- /dev/null +++ b/mat/03/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यूहन्ना की प्रचार सेवा आरंभ है। + +# हे साँप के बच्चों। + +यह एक उपमा है जहरीले साँप खतरनाक होते हैं और बुराई का प्रतीक हैं। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम दुष्ट जहरीले सांपों" या "तुम जहरीले सांपों के समान दुष्ट हो"। + +# तुम्हें किसने जता दिया कि आने वाले क्रोध से भागो? + +इस प्रश्न के द्वारा यूहन्ना उन लोगों को झिड़क रहा था क्योंकि वे उससे बपतिस्मा इसलिए लेना चाहते थे कि परमेश्वर उन्हें दण्ड न दे, परन्तु वे पाप करना छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। "तुम इस प्रकार परमेश्वर के क्रोध से बच नहीं सकते", या "यह न सोचो कि बपतिस्मा लेकर तुम परमेश्वर के क्रोध से बच जाओगे"। + +# आने वाले क्रोध से + +वैकल्पिक अनुवाद, "आने वाले दण्ड से" या "परमेश्वर के क्रोध से जिसे वह कार्य रूप देने वाला है"। यहाँ "क्रोध" शब्द को काम में लिया गया है जो परमेश्वर के दण्ड को दर्शाता है क्योंकि उसका क्रोध दण्ड से पहले है। + +# हमारा पिता अब्राहम है। + +"अब्राहम हमारा पूर्वज है", या "हम अब्राहम का वंश हैं"। + +# परमेश्वर इन पत्थरों से अब्राहम के लिए सन्तान उत्पन्न कर सकता है। + +"परमेश्वर इन पत्थरों से सन्तान उत्पन्न करके अब्राहम को दे सकता है"। diff --git a/mat/03/10.md b/mat/03/10.md new file mode 100644 index 0000000..1f5b520 --- /dev/null +++ b/mat/03/10.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# x + +यूहन्ना की प्रचार सेवा आरंभ है। + +# कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा है, इसलिए जो-जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है + +कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा है, इसलिए जो-जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है, - यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, "परमेश्वर तुम्हें दण्ड देने के लिए तैयार है यदि तुम अपने पाप के व्यवहार से मन नहीं फिराओगे, जैसे मनुष्य जिस पेड़ को काटना चाहता है उसकी जड़ पर कुल्हाड़ा रखता है"। + +# मैं तो पानी से बपतिस्मा देता हूँ। + +यूहन्ना मन फिराने वालों को बपतिस्मा देता था। + +# परन्तु जो मेरे बाद आने वाला है। + +यीशु ही है जो यूहन्ना के बाद आनेवाला था। + +# वह पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा। + +यह एक रूपक है जिसका अर्थ है, "परमेश्वर तुममें पवित्र आत्मा का अन्तर्वास करायेगा और तुम्हें आग से लेकर चलेगा कि परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने वालों का न्याय करो और उनका शोधन करो"। + +# वह तुम्हें बपतिस्मा देगा। + +यीशु तुम्हें बपतिस्मा देगा। + +# उसका सूप उसके हाथ में है और वह अपना खलिहान अच्छी रीति से साफ करेगा। + +यह रूपक यीशु द्वारा धर्मियों और अधर्मियों को अलग करने की रीति की तुलना गेहूँ और भूसे को अलग करने से करती है। संबन्ध को स्पष्ट करने के लिए इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, "मसीह उस मनुष्य के समान है जिसके हाथ में सूप है"। + +# उसका सूप उसके हाथ में है। + +वैकल्पिक अनुवाद, "मसीह के हाथ में सूप है क्योंकि वह तैयार है।" + +# सूप + +इससे गेहूँ को उछाला जाता है कि दाना भूसे से अलग हो। गेहूँ का दाना भारी होने के कारण नीचे गिर जाता है और भूसा हवा में उड़ जाता है। ये वैसा ही है जैसा लोहे का पंजा। + +# अपना खलिहान + +भूसे से गेहूँ अलग करने का स्थान। वैकल्पिक अनुवाद, "उसका स्थल" या "वह स्थान जहाँ वह गेहूँ को भूसे से अलग करता है।" + +# गेहूँ को खत्ते में इकट्ठा करेगा परन्तु भूसी को उस अन्य में जलायेगा जो बुझने की नहीं। + +गेहूँ को खत्ते में इकट्ठा करेगा परन्तु भूसी को उस आग में जलायेगा जो बुझने की नहीं। -यह एक रूपक है जिसके द्वारा सचित्र वर्णन किया जा रहा है कि परमेश्वर धर्मियों को अधर्मियों से कैसे अलग करेगा। धर्मी जन स्वर्ग में जाएगे जैसे गेहूँ किसान के खत्ते में सुरक्षित रख दिया जाए और परमेश्वर उन अधर्मियों को जिनकी तुलना भूसी से की गयी है, उन्हें अनंत आग में जलने के लिए डाल देगा। diff --git a/mat/03/13.md b/mat/03/13.md new file mode 100644 index 0000000..8b23a76 --- /dev/null +++ b/mat/03/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यहाँ यूहन्ना द्वारा यीशु के बपतिस्मे का वृत्तान्त है। + +# मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है। + +मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है , "मुझे" यूहन्ना के लिए है और "तेरे" यीशु के लिए है। + +# तू मेरे पास आया है? + +यह एक प्रश्न हैजिसके उत्तर की अपेक्षा नहीं की जा रही है। वैकल्पिक अनुवाद, "क्योंकि तू पापी नहीं है, इसलिए तुझे मेरे पास आने की आवश्यकता नहीं कि बपतिस्मा ले"। ध्यान दे कि "तू" यीशु के लिए काम में लिया गया है और "मेरे" यूहन्ना के लिए diff --git a/mat/03/16.md b/mat/03/16.md new file mode 100644 index 0000000..145a7a7 --- /dev/null +++ b/mat/03/16.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यहाँ यूहन्ना द्वारा यीशु के बपतिस्मे का वर्णन किया गया है। + +# यीशु बपतिस्मा लेकर.... ऊपर आया। + +यीशु बपतिस्मा लेकर , इसका अनुवाद किया जा सकता है, "यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा दे दिया तब"। + +# उसके लिए आकाश खुल गया। + +वैकल्पिक अनुवाद, "उसने आकाश को खुला देखा" या उसने "उसने स्वर्ग को खुला देखा" + +# कबूतर के समान उतरते। + +कबूतर समान उतरते, (1) यह एक सरल वाक्य हो सकता है कि परमेश्वर का आत्मा कबूतर के रूप में था। (2) यह एक उपमा हो सकती है कि आत्मा की तुलना कबूतर से की जाए जो यीशु पर बड़ी कोमलता से उतरा। + +# देखो + +यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। diff --git a/mat/04/01.md b/mat/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..d483a8f --- /dev/null +++ b/mat/04/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +इस अंश में शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा का वर्णन है। + +# परखने वाले ने (शैतान ने) + +यह उसी व्यक्तित्व के संदर्भ में है, आपको दोनों अनुवाद में वही शब्द काम में लेने होंगे। + +# वह....निराहार रहा, तब उसे भूख लगी। + +यह यीशु के संदर्भ में है। + +# यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे। + +(1) यह अपने लाभ के लिए आश्चर्यकर्म करने की परीक्षा है, "तू परमेश्वर का पुत्र है इसलिए आज्ञा दे सकता है"। या (2) चुनौती या दोषारोपण, "आज्ञा देकर सिद्ध कर कि तू परमेश्वर का पुत्र है"। (देखें यू.डी.बी.) उत्तम तो यही होगा कि माना जाए कि शैतान जानता था कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है। + +# कह दे कि पत्थर रोटियाँ बन जाएं। + +"इन पत्थरों से कह कि वे रोटियाँ बन जाएं।" diff --git a/mat/04/05.md b/mat/04/05.md new file mode 100644 index 0000000..c31844c --- /dev/null +++ b/mat/04/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा की चर्चा चल रही है। + +# यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो अपने आपको नीचे गिरा दे। + +(1) या तो यह उसके अपने लाभ के निमित्त आश्चर्यकर्म की परीक्षा है, "क्योंकि तू सच में परमेश्वर का पुत्र है तो अपने आपको नीचे गिरा सकता है", या (2) एक चुनौती या दोषारोपण है, "अपने आप को नीचे गिराकर परमेश्वर का सच्चा पुत्र होना सिद्ध कर"। (देखें यू.डी.बी.) यह मानना उत्तम होगा कि शैतान जानता था कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है। + +# नीचे + +भूमि पर + +# वह.... आज्ञा देगा। + +वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा वह तुझे हाथों-हाथ उठा लेंगे"। या "परमेश्वर अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा कि तुझे संभाल लें। diff --git a/mat/04/07.md b/mat/04/07.md new file mode 100644 index 0000000..a44953f --- /dev/null +++ b/mat/04/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा की चर्चा चल रही है। + +# यह भी लिखा है। + +यह भी लिखा है , इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, "मैं तुझ से फिर कहता हूँ कि धर्मशास्त्र में लिखा है"। + +# उससे कहा। + +उससे कहा , "शैतान ने यीशु से कहा"। + +# मैं सब कुछ तुझे दे दूंगा। + +मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा , "मैं तुझे यह सब दे दूंगा"। परीक्षा लेने वाले का कहने का अर्थ है कि उसमें से कुछ भाग नहीं परन्तु पूरा का पूरा। diff --git a/mat/04/10.md b/mat/04/10.md new file mode 100644 index 0000000..71f3812 --- /dev/null +++ b/mat/04/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा की चर्चा चल रही है। + +यह तीसरी बार है कि यीशु ने धर्मशास्त्र के संदर्भ से शैतान को झिड़का। + +# इबलीस + +मत्ती शैतान के लिए एक भिन्न शब्द काम में लेता है परन्तु उसका अर्थ भी शैतान ही है। + +# देख + +"देखो" शब्द यहाँ हमें सतर्क करता है कि आगे जो नई महत्त्वपूर्ण जानकारी दी गई है उस पर ध्यान दें। diff --git a/mat/04/12.md b/mat/04/12.md new file mode 100644 index 0000000..44dc3de --- /dev/null +++ b/mat/04/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +इस अंश में गलील क्षेत्र में यीशु की सेवा का वर्णन है। + +# यूहन्ना बन्दी बना लिया गया है। + +"यूहन्ना बन्दी बना लिया गया है"। diff --git a/mat/04/14.md b/mat/04/14.md new file mode 100644 index 0000000..b31eb57 --- /dev/null +++ b/mat/04/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +गलील क्षेत्र में यीशु के प्रचार सेवा ही की चर्चा कर रहा है। diff --git a/mat/04/17.md b/mat/04/17.md new file mode 100644 index 0000000..8f31a53 --- /dev/null +++ b/mat/04/17.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +गलील क्षेत्र में यीशु के प्रचार सेवा ही की चर्चा कर रहा है। + +# स्वर्ग का राज्य निकट आया है। + +इसका अनुवाद आप वैसे ही करेंगे जैसे आपने इस विचार का अनुवाद में किया है। diff --git a/mat/04/18.md b/mat/04/18.md new file mode 100644 index 0000000..f6dc822 --- /dev/null +++ b/mat/04/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +गलील क्षेत्र में यीशु के प्रचार सेवा ही की चर्चा कर रहा है। + +# जाल डालते देखा। + +"जाल डालते देखा।" + +# मेरे पीछे चले आओ। + +यीशु ने अन्द्रियास और शमौन को अपने अनुसरण हेतु आंमन्त्रित किया कि उसके साथ रहें और उसके शिष्य बन जायें। वैकल्पिक अनुवाद, "मेरे शिष्य हो जाओ"। + +# मैं तुमको मनुष्यों के पकड़़ने वाले बनाऊंगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "जिस प्रकार तुम मछलियां पकड़ते हो वैसे ही मैं तुम्हें परमेश्वर के लिए मनुष्यों को लाना सिखाऊंगा"। diff --git a/mat/04/21.md b/mat/04/21.md new file mode 100644 index 0000000..c4adc4a --- /dev/null +++ b/mat/04/21.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +गलील क्षेत्र में यीशु के प्रचार सेवा ही की चर्चा कर रहा है। + +# वे... अपने जालों को सुधार रहे थे। + +वे... अपने जालों को सुधार रहे थे। "वे"अर्थात जबदी और उसके दो पुत्र या केवल ये दोनों भाई। + +# उसने उन्हें भी बुलाया। + +"यीशु याकूब और यूहन्ना को बुलाता है", इस वाक्यांश का अर्थ भी यही है कि यीशु ने उन्हें अपने साथ रहकर और शिष्य बनने का निमंत्रण दिया। + +# तुरन्त + +तुरन्त , "उसी पल"। + +# नाव छोड़कर उसके पीछे हो लिए। + +यहाँ स्पष्ट किया जाता है कि यह जीवन परिवर्तन है। ये लोग अब मछुवे नहीं रहेंगे, अब वे अपने पारिवारिक व्यवसाय को त्याग कर आजीवन यीशु के अनुयायी होंगे। diff --git a/mat/04/23.md b/mat/04/23.md new file mode 100644 index 0000000..d8a7f75 --- /dev/null +++ b/mat/04/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +गलील क्षेत्र में यीशु के प्रचार सेवा ही की चर्चा कर रहा है। + +# हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर कर ले। + +"हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता", "बीमारी" और "दुर्बलता" संबन्धित शब्द है परन्तु संभव हो तो इन्हें दो अलग-अलग शब्दों में ही अनुवाद करना है। "बीमारी" मनुष्य को रोगी बनाती है। दुर्बलता शारीरिक विकार या कष्ट है जो बीमारी के परिणाम स्वरूप होती है। + +# दिकापुलिस + +"दस नगरों" (देखें यू.डी.बी.) गलील सागर के दक्षिण पूर्व में बसा एक क्षेत्र। diff --git a/mat/05/01.md b/mat/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..a53eca1 --- /dev/null +++ b/mat/05/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +अध्याय 5-7 एक ही घटना है। यीशु एक पहाड़ पर चढ़कर अपने शिष्यों को शिक्षा देने के लिए बैठ गया। + +# अपना मुँह खोलकर। + +"यीशु ने कहना आरंभ किया"। + +# उन्हें उपदेश देने लगा। + +"उन्हें" अर्थात शिष्यों को। + +# मन के दीन। + +"वे जो समझते थे कि उन्हें परमेश्वर की आवश्यकता है।" + +# जो लोग शोक करते हैं। + +जो शोक करते थे क्योंकि (1) संसार पापी था या (2) उनके अपने पाप थे या (3) किसी की मत्यु। जब तक आपकी भाषा में शोक के कारण की आवश्यकता नहीं तब तक कारण स्पष्ट न करें। + +# वे शान्ति पाएंगे। + +वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर उन्हें शान्ति देगा"। diff --git a/mat/05/05.md b/mat/05/05.md new file mode 100644 index 0000000..3a10bec --- /dev/null +++ b/mat/05/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# धर्म के भूखे और प्यासे। + +"जितनी उन्हें भोजन-पानी की लालसा थी उतनी ही धर्मी जीवन की आवश्यकता थी।" + +# वे तृप्त किए जायेंगे। + +"परमेश्वर उन्हें परिपूर्ण करेगा"। + +# जिनके मन शुद्ध हैं। + +"जिन मनुष्यों के मन साफ हैं"। + +# वे परमेश्वर को देखेंगे। + +"उन्हें परमेश्वर के साथ रहने की अनुमति दी जाएगी" या "परमेश्वर उनके साथ रहने की अनुमति देगा"। diff --git a/mat/05/09.md b/mat/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..c3333dd --- /dev/null +++ b/mat/05/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# मेल कराने वाले। + +ये वे लोग हैं जो मनुष्यों को आपस में मेल मिलाप से रहना सिखाते हैं। + +# परमेश्वर के पुत्र। + +ये परमेश्वर की अपनी सन्तान हैं + +# जो सताए जाते हैं। + +वैकल्पिक अनुवाद, "जिनके साथ मनुष्य अनुचित व्यवहार करता है।" + +# धर्म के कारण + +"क्योंकि वे परमेश्वर की इच्छा पर चलते हैं।" + +# स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। + +"परमेश्वर उन्हें स्वर्ग के राज्य में रहने देगा"। वे स्वर्ग के राज्य के स्वामी तो नहीं हैं परन्तु परमेश्वर उन्हें अपनी उपस्थिति में रहने का अधिकार देता है। diff --git a/mat/05/11.md b/mat/05/11.md new file mode 100644 index 0000000..3259be2 --- /dev/null +++ b/mat/05/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की झूठी बातें कहें। + +"जो तुम्हारे बारे में सच नहीं परन्तु मेरे अनुसरण के कारण" या मुझमें विश्वास करने की अपेक्षा तुम्हारा कोई दोष नहीं है। + +# आनन्दित और मगन होना। + +"आनन्दित और मगन" का अर्थ लगभग एक ही है। यीशु चाहता था कि उसके अनुयायी आनन्दित ही नहीं कही अधिक आनन्दित हों। diff --git a/mat/05/13.md b/mat/05/13.md new file mode 100644 index 0000000..bfac796 --- /dev/null +++ b/mat/05/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# तुम पृथ्वी के नमक हो। + +"तुम पृथ्वी के निवासियों के लिए नमक के समान हो"। या जैसा नमक भोजन में वैसा ही तुम संसार में हो"। इसके अर्थ हो सकते हैं (1) ठीक वैसे ही जैसे नमक भोजन को स्वादिष्ट बनाता है, तुम्हें संसार में लोगों को प्रभावित करना है कि वे भले मनुष्य हों" या (2) जिस प्रकार नमक भोजन को परिरक्षित करता है वैसे ही तुम भी मनुष्य को भ्रष्ट होने से बचाए रखो"। + +# यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए। + +इसका अर्थ है "यदि नमक की नमकीन करने की क्षमता चली जाए" (जैसा यू.डी.बी. में है) या (2) यदि नमक अपने स्वाद से वंचित हो जाए"। + +# वह फिर किस वस्तु से नमकीन हो सकता है? + +"वह उपयोगी कैसे किया जाए"? या "उसे उपयोगी बनाने का कोई उपाय नहीं" + +# बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंधा जाए। + +"वह एक काम का रह जाता है कि सड़क पर फेंक दिया जाए जहाँ लोग चलते हैं"। + +# तुम जगत की ज्योति हो। + +"तुम संसार में लोगों के लिए ज्योति के समान हो"। + +# जो नगर पहाड़ पर बसा है वह छिप नहीं सकता। + +"पहाड़ पर बसे नगर की बत्तियां रात में छिप नहीं सकती है"। या "पहाड़ पर बसे नगर की बत्तियां सब देख सकते हैं"। (देखें: और ) diff --git a/mat/05/15.md b/mat/05/15.md new file mode 100644 index 0000000..1e0ed5e --- /dev/null +++ b/mat/05/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# नाही मनुष्य दीया जलाते। + +"मनुष्य दीया नहीं जलाते।" + +# दीया + +यह एक छोटी कटोरी है जिसमें जैतून के तेल में एक बत्ती डूबी हुई रहती है। महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि वह प्रकाश देता है। + +# टोकरी के नीचे नहीं रखते। + +"दीया टोकरी के नीचे रखें" यह एक कहावत है कि प्रकाश उत्पन्न करके उसे छिपाएँ कि लोग दीये का प्रकाश नहीं देख पाएँ। diff --git a/mat/05/17.md b/mat/05/17.md new file mode 100644 index 0000000..00c0f6d --- /dev/null +++ b/mat/05/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# एक मात्रा या एक बिन्दु। + +"छोटे से छोटा लिखित अक्षर या अक्षर का "छोटे से छोटा अंश" या ”वे नियम जो महत्त्वहीन प्रतीत होते हैं"। + +# आकाश और पृथ्वी + +"वह सब जो परमेश्वर ने सृजा है"। + +# बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। + +"व्यवस्था में जो कुछ लिखा था वह सब परमेश्वर ने कर दिया है"। diff --git a/mat/05/19.md b/mat/05/19.md new file mode 100644 index 0000000..f7d7b1b --- /dev/null +++ b/mat/05/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े। + +"जो एक भी आज्ञा तोड़े चाहे वह महत्त्व में सबसे कम क्यों न हो"। + +# सबसे छोटा कहलाएगा। + +"परमेश्वर भी कहेगा कि वे सबसे कम महत्त्व के हैं।" + +# सबसे छोटा + +"महत्त्व में सबसे कम" + +# उन्हें सिखाएगा। + +परमेश्वर की कोई आज्ञा सिखाएगा। + +# महान + +महत्त्वपूर्ण + +# तुम.... तुम्हारी... तुम्हें + +ये शब्द बहुवचन हैं। diff --git a/mat/05/21.md b/mat/05/21.md new file mode 100644 index 0000000..2acbfa0 --- /dev/null +++ b/mat/05/21.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु लोगों के समूह से बातें कर रहा है कि उनके साथ व्यक्तिगत रूप में क्या होगा, "तुम सुन चुके हो", "मैं तुमसे कहता हूँ" ये वाक्यांश जनसमूह से कहे गए हैं अतः बहुवचन में हैं, "हत्या न करना" एक वचन है परन्तु आप इसे बहुवचन में अनुवाद कर सकते हैं। + +# परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ। + +यहाँ "मैं" पर बल दिया गया है अर्थात यीशु जो कह रहा है वह परमेश्वर की आज्ञाओं के बराबर महत्त्वपूर्ण है। अतः इस वाक्यांश को इस प्रकार अनुवाद करें कि यह बल उभर आए। + +# हत्या + +यह शब्द हत्या करने के लिए है हत्या के हर एक रूप के लिए नहीं है। + +# भाई + +यह शब्द सहविश्वासी के लिए है, न कि भाई या पड़ोसी के लिए है। + +# निकम्मा... मूर्ख + +यह उन लोगों के लिए अपमान के शब्द हैं जो उचित रूप में सोच नहीं सकते "निकम्मा" शब्द निर्बुद्धि के निकट है जबकि "मूर्ख" में परमेश्वर की अवज्ञा का विचार है। + +# कचहरी + +यह स्थानीय सभा है, न कि यरूशलेम की महासभा। diff --git a/mat/05/23.md b/mat/05/23.md new file mode 100644 index 0000000..f8e8355 --- /dev/null +++ b/mat/05/23.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# तू + +यीशु जनसमूह से कह रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनका क्या होगा। "तू" और "तेरा" सब शब्द एकवचन में हैं परन्तु आपकी भाषा में इन्हें बहुवचन में अनुवाद करने की आवश्यकता होगी। + +# अपनी भेंट वेदी पर लाएं। + +"भेंट चढाएं" या "भेंट लेकर आएं"। + +# तू स्मरण करे + +"वेदी के निकट खड़ा हो और तुझे याद आये।" + +# तेरे भाई के मन में तेरे लिए कुछ विरोध है। + +"यदि किसी को तेरे द्वारा की गई हानि स्मरण हो"। + +# पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर ले। + +"अपनी भेंट चढ़ाने से पहले अपने भाई से मेल कर।" diff --git a/mat/05/25.md b/mat/05/25.md new file mode 100644 index 0000000..77b07ef --- /dev/null +++ b/mat/05/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से कह रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनका क्या होगा। "तू" और "तेरा" सब शब्द एकवचन में हैं परन्तु आपकी भाषा में इन्हें बहुवचन में अनुवाद करने की आवश्यकता होगी। + +# कहीं ऐसा न हो कि दोष लगानेवाला तुझे न्यायी को सौंपे। + +"इसका परिणाम हो सकता है कि तेरा दोष लगानेवाला तुझे न्यायी को सौंप दे" या "क्योंकि तेरा दोष लगानेवाला तुझे पकड़वा दे"। + +# न्यायी को सौंपे + +"तुझे न्यायालय में पेश करे"। + +# अधिकारी + +हाकिम जिस व्यक्ति को न्यायाधीश के निर्णय लेने का अधिकार है। + +# वहाँ + +बन्दीगृह। diff --git a/mat/05/27.md b/mat/05/27.md new file mode 100644 index 0000000..e25a02f --- /dev/null +++ b/mat/05/27.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम सुन चुके हो" और "मैं तुम से यह कहता हूँ", बहुवचन में हैं। "न करना" एकवचन में है परन्तु आपको इसका अनुवाद बहुवचन में करने की आवश्यकता होगी। + +# करना + +इस शब्द का अर्थ है कार्य रूप देना या कुछ करना। + +# परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ। + +यहाँ "मैं" पर बल दिया गया है, अर्थात यीशु जो कह रहा है वह परमेश्वर की आज्ञा के बराबर है। इस वाक्यांश को अपनी भाषा में इस प्रकार अनुवाद करें कि उसमें यह बल उभर आए। जैसा में है। + +# जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उससे व्यभिचार कर चुका है। + +इस रूपक से प्रकट होता है कि किसी स्त्री पर कुदृष्टि डालने वाला पुरूष उतना ही दोषी है जितना कि वास्तव में व्यभिचार करने वाला। + +# स्त्री पर कुदृष्टि डाले + +मन में अन्य स्त्री का लालच करने वाला। diff --git a/mat/05/29.md b/mat/05/29.md new file mode 100644 index 0000000..9a3b269 --- /dev/null +++ b/mat/05/29.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है, "तुम" और "तू" के सब शब्द एकवचन हैं परन्तु आपकी भाषा में उनका अनुवाद बहुवचन में करने की आवश्यकता हो सकती है। + +# दाहिनी आँख .... दाहिना हाथ। + +बाएँ हाथ या बाईं आँख की तुलना में दाहिनी आँख और हाथ अधिक महत्त्वपूर्ण है। आपको इसका अनुवाद करना होगा "दाहिना" या "सबसे अच्छा" या "एकमात्र" + +# यदि तेरी दाहिनी आँख तुझे ठोकर खिलाए। + +"यदि तू जो देखता है, वह तुझे ठोकर खिलाए" या "यदि तू जो देखता है उसके कारण तू पाप करना चाहे"। ठोकर खाना एक रूपक है जो "पाप करने के लिए काम में लिया जाता है। यीशु यहाँ व्यंग का उपयोग कर रहा है क्योंकि मनुष्य ठोकर खाने से बचने के लिए आंखें काम में लेता है। (देखें: , [[rc://*/ta/man/translate/figs-irony]]) + +# उसे निकालकर फेंक दे। + +"उसे बलपूर्वक निकाल दे" या "उसे नष्ट कर दे" (देखें यू.डी.बी.) यदि दाहिनी आँख विशेष करके व्यक्त की जाए तो आपको अनुवाद करना होगा, "उसे निकाल दे", यदि "आँखों" शब्द काम में लिया गया है तो आपको अनुवाद करना होगा, "उन्हें निकाल दे"। (देखें यू.डी.बी.) + +# निकाल कर फेंक दे + +"उससे छुटकारा पा ले"। + +# तेरे अंगों में से एक नष्ट हो जाए। + +"तुझे अपनी देह का एक अंग नष्ट होने देना होगा"। + +# यदि तेरा दाहिना हाथ। + +यह लाक्षणिक प्रयोग संपूर्ण व्यक्तित्व के कार्यों से हाथ का संबन्ध जताने के लिए हैं। diff --git a/mat/05/31.md b/mat/05/31.md new file mode 100644 index 0000000..fe8bbd7 --- /dev/null +++ b/mat/05/31.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# यह भी कहा गया था। + +परमेश्वर ने "कहा" था (देखें यू.डी.बी.) यीशु यहाँ कर्मवाच्य वाक्य काम में ले रहा है, वह स्पष्ट करना चाहता है कि न तो परमेश्वर से और न ही परमेश्वर के वचन के से असहमत है, इसकी अपेक्षा वह कह रहा है कि तलाक का कारण उचित है तो वह मान्य है। तलाक देना अन्याय है चाहे पुरूष ने लिखित रूप दिया हो। + +# वह अपनी पत्नी को तलाक दे दे। + +यह तलाक के लिए शिष्टोक्ति है। + +# उसे देने दो। + +यह एक आज्ञा है, "उसे देना है"। + +# परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ। + +यदि संकेत दे रहा है कि वह "जो कहा गया है" उससे अलग कुछ कहना चाहता है। यहाँ "मैं" पर बल दिया गया है क्योंकि वह दावा करता है कि वह उससे अधिक महत्त्वपूर्ण है जिसने पहले "कहा" है। + +# उससे व्यभिचार करवाता है। + +जो पुरूष स्त्री को अनुचित तलाक देता है, वह "उससे व्यभिचार करवाता है" (यहाँ व्यभिचार के लिए वही शब्द काम में ले जो ). में काम में लिए हैं। अनेक संस्कृतियों में उसके लिए दूसरे पुरूष से विवाह करना सामान्य बात है परन्तु यदि तलाक अनुचित है तो ऐसा पुनः विवाह व्यभिचार है। (देखें यू.डी.बी.) diff --git a/mat/05/33.md b/mat/05/33.md new file mode 100644 index 0000000..cf9bec3 --- /dev/null +++ b/mat/05/33.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनका क्या हो सकता है। "तुम सुन चुके हो" में "तुम" और "मैं तुम से यह कहता हूँ" में "मैं" बहुवचन हैं। + +# तुम सुन चुके हो। + +"तुम्हारे धर्मगुरूओं ने तुमसे कहा है, पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था, झूठी शपथ न खाना, यीशु यहाँ कर्मवाच्य वाक्य काम में ले रहा है कि स्पष्ट कर दे कि वह न तो परमेश्वर न ही परमेश्वर के वचन से असहमत है। इसकी अपेक्षा वह अपने श्रोताओं को कह रहा है कि जो उनका नहीं उसे काम में लेने के लिए मनुष्यों को अपने शब्दों पर विश्वास दिलाएं। + +# कहा गया + +कहा गया या इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में किया गया है। + +# शपथ + +इसका अर्थ है (1) परमेश्वर और मनुष्यों से कहें कि आप वही करेंगे जो परमेश्वर चाहता है (देखें: यू.डी.बी.) या (2) मनुष्यों से कहें कि परमेश्वर जानता है कि आपने जो देखा है उसके बारे में आप जो कह रहे हैं वह सच है। + +# परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ। + +परन्तु मैं तुमसे कहता हूँ , इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा आपने में किया है। + +# कभी शपथ न खाना न तो स्वर्ग की क्योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है, न धरती की क्योंकि वह उसके पाँवों की चौकी है... न यरूशलेम की क्योंकि वह महाराजा का नगर है। + +और भ. से लिया गया यह रूपक परमेश्वर के लिए है कि वह "महाराजा" है जिस प्रकार यीशु के श्रोता नहीं सोच सकते कि सांसारिक राजा का सुन्दर सिंहासन या उसके पाँवों की चौकी या उसके निवासनगर को उसका अपना नहीं सोच सकते कि उसके शब्दों को महत्त्वपूर्ण बनाए, अतः उन्हें स्वर्ग या पृथ्वी या यरूशलेम की शपथ खाकर अपने शब्दों को विश्वासयोग्य बनाएं। + +# कभी शपथ न खाना। + +यदि आपकी भाषा में आज्ञा का बहुवचन है तो उसे यहाँ काम में लें। "तू झूठी शपथ न खाना" (पद 33) इससे श्रोता को शपथ खाने की अनुमति है परन्तु झूठी शपथ की नहीं। "कभी शपथ न खाना" किसी भी शपथ का विरोध करता है। + +# शपथ न खाना। + +इसका अनुवाद वैसा करें जैसा पद 33 में किया है। diff --git a/mat/05/36.md b/mat/05/36.md new file mode 100644 index 0000000..b6f558e --- /dev/null +++ b/mat/05/36.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। यहाँ "तू" का उपयोग एकवचन में है परन्तु आपको इसका अनुवाद बहुवचन में करने की आवश्यकता हो सकती है, "तुम्हारी बात" में "तुम्हारी" शब्द बहुवचन है। में यीशु ने अपने श्रोताओं से कहा है कि परमेश्वर का सिंहासन, पाँवों की चौकी, उसका निवास स्थान उनका अपना नहीं कि उसकी शपथ खाएं। वह तो यहाँ तक कहता है कि हमारे सिर भी हमारे नहीं कि उनकी शपथ खाएं। + +# शपथ। + +इसके अनुवाद में वही शब्द काम में ले जो में काम में लिया है। + +# तुम्हारी बात ‘हाँ’ की ‘हाँ’ या ‘नहीं’ की ‘नहीं’ हो। + +"यदि तुम हाँ कहना चाहते हो तो "हाँ" कहो और यदि नहीं कहना चाहते हो तो "नहीं" कहो। diff --git a/mat/05/38.md b/mat/05/38.md new file mode 100644 index 0000000..c6eef41 --- /dev/null +++ b/mat/05/38.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनका क्या हो सकता है। + +# तुम सुन चुके हो कि कहा गया था। + +इसका अनुवाद वैसा ही करे जैसा में किया है। + +# तुम सुन चुके हो। + +यहाँ "तुम" एकवचन में है। + +# आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत। + +उन्हें बदला लेने की अनुमति थी परन्तु हानि की सीमा तक ही। + +# परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ। + +इसका अनुवाद वैसा ही करे जैसा में किया है। + +# वो जो बुरा है + +"बुरा जन" या "तुम्हें हानि पहुंचाने वाला"। (यू.डी.बी.) + +# जो तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे। + +यह सब बहुवचन में हैं। + +# तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे। + +यीशु की संस्कृति में किसी को थप्पड़ मारना अपमानजनक था। जिस प्रकार आँख और हाथ उपमा दी गई है उसी प्रकार दाहिना गाल रूपक स्वरूप अधिक महत्त्वपूर्ण गाल है और उस पर थप्पड़ मारना अत्यधिक संभावित अपमान था। + +# थप्पड़ मारे। + +क्रिया शब्द से स्पष्ट होता है कि थप्पड़ हथेली के पीछे वाले भाग से मारा गया है। + +# उसकी ओर दूसरा भी फेर दे। + +"उसे दूसरे गाल पर भी मारने दे"। diff --git a/mat/05/40.md b/mat/05/40.md new file mode 100644 index 0000000..34af502 --- /dev/null +++ b/mat/05/40.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनका क्या हो सकता है। "तुम" तुझ, "तेरे" आदि सब एकवचन हैं जैसे "दे" "जा" "मुँह न मोड़" परन्तु आपको इनका अनुवाद बहुवचन में करना होगा। + +# कुरता... दोहर + +कुरता ऊपरी शरीर पर पहना जाता था जैसे शर्ट या बनियान। दोहर इन दोनों में अधिक कीमती थी जो कुर्ते के ऊपर पहना जाता था कि शरीर गर्म रहे, रात में गर्मी के लिए भी इसका उपयोग कम्बल स्वरूप किया जाता था। + +# ले लेने दे। + +"उस मनुष्य को दे दे"। + +# जो कोई + +जो कोई - कोई भी मनुष्य + +# कोस भर + +कोस भर - एक हज़ार कदम, रोमी सैनिक को कानूनी अधिकार प्राप्त था कि किसी को भी अपना समान उठाकर एक कोस चलने के लिए विवश कर सकता था। + +# उसके साथ + +वह जो किसी को समान उठाकर चलने के लिए विवश करता है । + +# दो कोस चला था। + +"एक मील चलने के लिए उसने तुझे विवश किया परन्तु एक मील और चला जा"। diff --git a/mat/05/43.md b/mat/05/43.md new file mode 100644 index 0000000..38dc80f --- /dev/null +++ b/mat/05/43.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना आरंभ में हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि उनके साथ क्या हो सकता है। "अपने पड़ोसी से प्रेम रखना और अपने बैरी से बैर" यह एकवचन में है परन्तु आपको इसका अनुवाद बहुवचन में करना होगा। "तुम" के सब उदाहरण तथा आज्ञाएं "प्रेम करना" "प्रार्थना करो", बहुवचन में हैं। + +# तुम सुन चुके हो कि कहा गया था। + +इसका अनुवाद वैसा ही करे जैसा में किया है। यहाँ "पड़ोसी" शब्द का अर्थ है समुदाय के सदस्य या वह जनसमूह जिसके साथ उदारता प्रकट करने की इच्छा हो या सहायता करना आवश्यक हो। इसका संदर्भ पास में रहनेवालों से नहीं है। आपको इसका अनुवाद बहुवचन में करना होगा। + +# परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ। + +परन्तु मैं तुमसे कहता हूँ , इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा आपने में किया है। + +# तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे। + +"तुम्हारा चरित्र अपने पिता का सा होगा"। diff --git a/mat/05/46.md b/mat/05/46.md new file mode 100644 index 0000000..47fc439 --- /dev/null +++ b/mat/05/46.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम", "तुमसे" के सब उदाहरण बहुवचन में हैं। + +# नमस्कार करो। + +यह एक सामान्य शब्द है जो श्रोता के कल्याण की मनोकामना प्रकट करता है। इन पदों में चार प्रश्न हैं। यू.डी.बी. में दिखाया गया है कि उन्हें अभिकथन कैसे बनाया गया है। diff --git a/mat/06/01.md b/mat/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..4d21997 --- /dev/null +++ b/mat/06/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम", "तू", "तेरा" सब बहुवचन में हैं। + +# अपने आगे तुरही न बजवा। + +अपने आगे तुरही न बजवा - आकर्षण का केन्द्र नहीं बनना जैसे भीड़ के बीच तुरही बजाने वाला करता है। + +# बड़ाई + +वही शब्द काम में ले जो में काम में लिए हैं। diff --git a/mat/06/03.md b/mat/06/03.md new file mode 100644 index 0000000..2b76cb9 --- /dev/null +++ b/mat/06/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि उसके साथ व्यक्तिगत रूप में क्या हो सकता है। "तू", "तेरा" बहुवचन में हैं। + +# जो तेरा दाहिना हाथ करता है उसे तेरा बायाँ हाथ न जानने पाए। + +यह पूर्ण गोपनीयता का रूपक है। जिस प्रकार कि हाथ एक साथ काम करते है और कहा जा सकता है कि वे सदैव एक दूसरे के काम जानते हैं। तुम्हें अपने निकटतम व्यक्ति पर भी प्रकट नहीं होने देना है कि तुम गरीबों को कब दान देते हो। + +# तेरा दान गुप्त रहे। + +"तू गरीबों को दान दे तो कोई भी जान न पाए"। diff --git a/mat/06/05.md b/mat/06/05.md new file mode 100644 index 0000000..2af5608 --- /dev/null +++ b/mat/06/05.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि उनके साथ व्यक्तिगत रूप में क्या हो सकता है। पद 5 और 7 में "तू" "तुम" बहुवचन में हैं। पद 6 में वे एकवचन में है परन्तु आपको उनका अनुवाद बहुवचन में करने की आवश्यकता पड़ सकती है। + +# मैं तुमसे सच कहता हूँ। + +वैकल्पिक अनुवाद, "मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ"। + +# अपनी कोठरी में जा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "किसी एकान्तवास में जा" या "भीतरी कमरे में जा" + +# तेरा पिता जो गुप्त में देखता है। + +इसका अनुवाद ऐसे किया जा सकता है, "तेरा पिता देखता है कि मनुष्य गुप्त में क्या करते हैं।" + +# बक बक न करो। + +अर्थहीन शब्दों को दोहराना। + +# बहुत बोलने से। + +"लम्बी प्रार्थनाएं" या "अनेक शब्द" diff --git a/mat/06/08.md b/mat/06/08.md new file mode 100644 index 0000000..6dfb871 --- /dev/null +++ b/mat/06/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि उनके साथ व्यक्तिगत रूप में क्या हो सकता है। वह उनके साथ सामूहिक वार्तालाप कर रहा है, जहाँ तक "इस रीति से प्रार्थना करने का विषय है, "पिता" के साथ जुड़े "तुम्हारा" शब्द सब एकवचन में है। + +# तेरा नाम पवित्र माना जाए। + +"हम चाहते हैं कि सबको ज्ञात हो कि तू पवित्र है"। + +# तेरा राज्य आए। + +तेरा राज्य आए -देखना चाहते हैं कि तू सब मनुष्यों और सब वस्तुओं पर राज करे। diff --git a/mat/06/11.md b/mat/06/11.md new file mode 100644 index 0000000..712edf4 --- /dev/null +++ b/mat/06/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +"हम", "हमारे" के सब उपयोग उस जनसमूह से संदर्भित हैं जिनसे यीशु बातें कर रहा है। (देखें: : ) + +# अपराध + +अपराध के लिए "कर्ज़" शब्द को भी रूपक स्वरूप काम में लिया गया है जबकि कर्ज़ का अर्थ है किसी से कुछ उधार लेना। + +# अपराधियों। + +जो किसी का ऋणी है। पापियों के लिए रूपक है। diff --git a/mat/06/14.md b/mat/06/14.md new file mode 100644 index 0000000..dc35d0a --- /dev/null +++ b/mat/06/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। "तू" और "तेरा" के सब संदर्भ बहुवचन में हैं। diff --git a/mat/06/16.md b/mat/06/16.md new file mode 100644 index 0000000..278272d --- /dev/null +++ b/mat/06/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। पद 17 और 18में "तू", "तेरा" तुझ के सब संदर्भ एकवचन है। आप संभवतः इनका अनुवाद बहुवचन में करना चाहेंगे कि पद 16 में "तुम" से सुसंगत हो। + +# इसके अतिरिक्त। + +"यह भी।" + +# सिर पर तेल मल। + +"वैसे ही दिखाई दो जैसे सामान्यतः दिखते थे"। तेल मलने का अर्थ है सामान्य रूप से केश संवारना। इसका अर्थ "मसीह" अर्थात "अभिषिक्त जन" से कुछ नहीं है। diff --git a/mat/06/19.md b/mat/06/19.md new file mode 100644 index 0000000..dbb9e31 --- /dev/null +++ b/mat/06/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है।"तेरा" एकवचन में है। + +# धन इकट्ठा करो। + +धन मौलिक वस्तुएं है जिनसे हम प्रसन्न होते हैं। diff --git a/mat/06/22.md b/mat/06/22.md new file mode 100644 index 0000000..436b814 --- /dev/null +++ b/mat/06/22.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। "तेरी", "तेरा" एकवचन में है परन्तु आपको इनका अनुवाद बहुवचन में करने की आवश्यकता हो सकती है। + +# शरीर का दीया आँख है। + +"दीये के सदृश्य आँख आपको स्पष्ट देखने में सहायक होती है"। + +# यदि तेरी आँख निर्मल हो तो सारा शरीर भी उजियाला होगा। + +यदि आपकी आंखें स्वस्थ हैं, यदि आप देख सकते है तो आपका संपूर्ण शरीर उचित रूप से काम करेगा, अर्थात आप चल सकते हैं, काम कर सकते हैं आदि। यह एक रूपक है जो परमेश्वर के समान देखने के लिए काम में लिया गया है, विशेष करके उदारता और लालसा के संबन्ध में। (देखें यू.डी.बी.) + +# आँख + +इसका अनुवाद बहुवचन में करना होगा। + +# प्रकाश से भर जाओं। + +यह समझ के लिए रूपक है। + +# यदि तेरी आँख बुरी है। + +यह जादू नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद, "तू वैसे नहीं देख सकता जैसे परमेश्वर देखता है"। यह लालसा के लिए भी रूपक हो सकता है। देखें यू.डी.बी., "तू कैसा लालची हो गया" और ). + +# जो ज्योति तुममें है वह वास्तव में अन्धकार है। + +"जिसे तू ज्योति समझता है वह वास्तव में अन्धकार है।" यह एक रूपक है जिसका अभिप्राय है कि मनुष्य सोचता है कि उसका समझना ऐसा ही है जैसा परमेश्वर का समझना है जबकि वह वास्तव में वैसा समझता नहीं हैं। + +# वह अन्धकार कैसा बड़ा होगा? + +अन्धकार में रहना बुरा है। अन्धकार में रहकर सोचना कि ज्योति में हैं तो वह और भी अधिक बुरा है। + +# वह एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा या एक के प्रति स्वामिभक्ति निभाएगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा। + +ये दो वाक्यांश एक ही बात का संदर्भ देते हैं, परमेश्वर और धन दोनों ही से प्रेम एवं भक्ति दिखाने में अयोग्य होना। + +# तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते। + +"तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा एक साथ नहीं कर सकते।" diff --git a/mat/06/25.md b/mat/06/25.md new file mode 100644 index 0000000..0545930 --- /dev/null +++ b/mat/06/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है। + +# क्या प्राण भोजन से और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं? + +भोजन और वस्त्र जीवन में सर्वाधिक महत्त्व के नहीं हैं यह अलंकृत प्रश्न का अभिप्राय है, "तुम्हारा जीवन तुम्हारे खाने से और वेशभूषा से बढ़कर है"। वैकल्पिक अनुवाद, "जीवन भोजन से बढ़कर है, नहीं है क्या? और देह वेशभूषा से बढ़कर है, नहीं है क्या"? + +# खत्तों + +फसल रखने का स्थान + +# क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते? + +इस अलंकृत प्रश्न का अभिप्राय है, "तुम आकाश के पक्षियों से अधिक मूल्यवान हो"। वैकल्पिक अनुवाद: "तुम चिड़ियों से अधिक मूल्यवान हो, नहीं हो क्या"? diff --git a/mat/06/27.md b/mat/06/27.md new file mode 100644 index 0000000..b6ae333 --- /dev/null +++ b/mat/06/27.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है। + +# तुममें कौन है जो चिन्ता करके अपनी आयु में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है? + +इस प्रश्न का अभिप्राय है कि मनुष्य चिन्ता करके अधिक नहीं जी सकता। देखें: + +# एक घड़ी + +एक घड़ी यहाँ रूपक स्वरूप काम में ली गई है यह जीवन का समय बढ़ाने के लिए काम में लिया गया है। (देखें: और ) + +# और वस्त्र के लिए क्यों चिंता करते हो? + +इस प्रश्न का अभिप्राय है, "तुम्हें चिन्ता नहीं करना है कि क्या पहनेंगे।" + +# ध्यान दो। + +"विचार करो"। + +# सोसनों + +यह जंगल का एक फूल है diff --git a/mat/06/30.md b/mat/06/30.md new file mode 100644 index 0000000..8768812 --- /dev/null +++ b/mat/06/30.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है। + +# घास + +यदि आपकी भाषा में घास के लिए शब्द है और में आने सोसन के लिए जो शब्द काम में लिया है, उन्हें यहाँ काम में लें। + +# आग में झोंकी जायेगी। + +यीशु के समय यहूदी खाना पकाने के लिए घास जलाते थे। (देखें यू.डी.बी.) वैकल्पिक अनुवाद "आग में डाली जायेगी" या "जलाई जायेगी"। + +# हे अल्प-विश्वासियों। + +यीशु उन्हें झिड़क रहा था क्योंकि उनको परमेश्वर पर पूरा भरोसा नहीं था। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम जिनका विश्वास ऐसा कम है“ या एक नया वाक्य, ”तुम्हारा विश्वास इतना कम क्यों है"? + +# इसलिए + +वैकल्पिक अनुवाद "इन बातों के कारण"। diff --git a/mat/06/32.md b/mat/06/32.md new file mode 100644 index 0000000..fe2e0bd --- /dev/null +++ b/mat/06/32.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है। + +# क्योंकि.... इसलिए + +प्रत्येक शब्द एक नये वाक्य का आरंभ करता है तो का वर्णन करता है। अर्थात अन्यजातीय इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, अतः "चिन्ता न करना", "तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है "अतः चिन्ता न करना"। + +# इसलिए + +वैकल्पिक अनुवाद "इन बातों के कारण"। + +# "कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा।" + +दिन का व्यक्तिवाचक संबोधन वास्तव में उस मनुष्य का प्रतीक है जो "कल के दिन के लिए जीता है।" (देखें यू.डी.बी.) + +# आज के लिए आज ही का दुःख बहुत है। + +इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, "आज के दिन के लिए आज की परेशनियाँ ही बहुत हैं"। diff --git a/mat/07/01.md b/mat/07/01.md new file mode 100644 index 0000000..a069cce --- /dev/null +++ b/mat/07/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यकितगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है "तुम", "तुम्हारे" और आज्ञाएं बहुवचन में है। + +# तुम पर भी दोष लगाया जायेगा। + +तुम पर भी दोष लगाया जायेगा, इसे कर्तृवाच्य रूप में व्यक्त किया जा सकता है, "परमेश्वर तुम पर दोष लगायेगा"। (यू.डी.बी.) या "मनुष्य तुम पर दोष लगायेंगे"। + +# क्योंकि + +इससे सुनिश्चित होता है कि पाठक को समझना है कि पद 2 पद 1 पर निर्भर है। + +# नाप + +इसका संदर्भ (1) दण्ड के परिमाण से (देखें यू.डी.बी.) या (2)दण्ड के मानदण्ड से हो सकता है। diff --git a/mat/07/03.md b/mat/07/03.md new file mode 100644 index 0000000..75fb46f --- /dev/null +++ b/mat/07/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। "तू", "तेरी" एकवचन में हैं परन्तु आपको उनका अनुवाद बहुवचन में करना होगा। + +# तुम क्यों देखते हो ... कैसे कह सकता है? + +यीशु उन्हें चुनौती दे रहा है कि पहले अपने ही दोष/पाप पर ध्यान दें। + +# तिनका .... लट्ठा + +ये दोनों रूपक है जो मनुष्य के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े दोष के लिए काम में लिए गए हैं। + +# भाई + +यह शब्द सहविश्वासी के लिए है, न कि भाई या पड़ोसी के लिए है। + +# आँख + +यह रूपक जीवन के लिए काम में लिया गया है। + +# तिनका + +"तिनका" (यू.डी.बी.) या "किरच" या "धूल" सामान्यतः आँख में जो कुछ चला जाता है उसका शब्द काम में लें। + +# लट्ठा + +पेड़ का सबसे बड़ा भाग। एक ऐसी बड़ी वस्तु जो आँख में नहीं जा सकती। diff --git a/mat/07/06.md b/mat/07/06.md new file mode 100644 index 0000000..7ba44fd --- /dev/null +++ b/mat/07/06.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है। + +# कुत्तों ..... सूअरों.... रौंदे .... पलटकर .... फाड़ डालें। + +संभव है कि सूअर "रौदेगें" और कुत्ते "फाड़ डालेगे"(यू.डी.बी) + +# कुत्ते ..... सूअर। + +इन जानवरों को अशुद्ध माना जाता था और परमेश्वर ने उन्हें खाना मना किया था। ये उन अधर्मियों के लिए रूपक है जो पवित्र वस्तुओं को मान प्रदान नहीं करते है। इन शब्दों को अनुवाद में ज्यों का त्यों रखना ही उचित होगा। + +# मोती + +ये अनमोल नगीने हैं। ये परमेश्वर के ज्ञान (देखें यू.डी.बी.) या सामान्यतः बहुमूल्य वस्तुओं के लिए काम में लिए जाते हैं। diff --git a/mat/07/07.md b/mat/07/07.md new file mode 100644 index 0000000..e1cd582 --- /dev/null +++ b/mat/07/07.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है। + +# मांगो.... ढूँढ़ो ....खटखटाओ + +ये तीन रूपक लगातार प्रार्थना करने के लिए हैं। यदि आपकी भाषा में बार-बार करने के लिए कोई शब्द है तो उसका उपयोग करें। + +# मांगो + +परमेश्वर से विनती करना (देखें यू.डी.बी.) + +# ढूँढ़ो + +"अपेक्षा" (यू.डी.बी.) या "खोज करो"। + +# खटखटाओ + +खटखटाना एक नम्र निवेदन है कि घर में उपस्थित जन द्वार खोल दे। यदि खटखटाना आपकी भाषा में अभद्र शब्द है तो आपकी भाषा में द्वार खोलने के नम्र निवेदन के लिए जो शब्द है उसे काम में ले या अनुवाद करें, "परमेश्वर से कहें कि आप उससे द्वार खोलने का निवेदन करते हैं"। + +# या .... या + +यीशु अपनी बातों को दूसरे शब्दों में कहने जा रहा है इन्हें छोड़ा जा सकता है। (यू.डी.बी.) + +# तुममें ऐसा कौन मनुष्य है? + +इस अलंकृत प्रश्न का अभिप्राय है कि "ऐसा कोई भी नहीं है" (देखें यू.डी.बी. ) + +# रोटी .... पत्थर .... मछली .... साँप + +इनको ज्यों का त्यों रखें। + +# रोटी + +"भोजन" diff --git a/mat/07/11.md b/mat/07/11.md new file mode 100644 index 0000000..f5943c3 --- /dev/null +++ b/mat/07/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है। + +# तुम चाहते हो कि मनुष्य तुम्हारे साथ करे। + +"तुम अपने लिए मनुष्यों से जैसा व्यवहार चाहते हो"(यू.डी.बी.)। diff --git a/mat/07/13.md b/mat/07/13.md new file mode 100644 index 0000000..a053f0b --- /dev/null +++ b/mat/07/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +यीशु जनसमूह से बातें कर रहा है कि व्यक्तिगत रूप में उनके साथ क्या हो सकता है। "तुम" बहुवचन में है। अनुवाद करने में "चौड़ा" और "बड़ा" के लिए उचित शब्दों का उपयोग करें जो "सकरा" के विपरीत हैं। यथासंभव इन दोनों फाटकों में गहन अन्तर को उभारें। + +# सकेत फाटक से प्रवेश करो। + +आपके लिए इस वाक्यांश को पद 14 के अन्त में रखने की आवश्यकता हो सकती है, "इसलिए सकेत फाटक से प्रवेश करो"। + +# फाटक .... मार्ग + +यह रूपक, अति संभव है कि उन मनुष्यों के लिए है जो "मार्ग" में चलकर "फाटक" तक पहुचते हैं और "जीवन" या "विनाश" में प्रवेश करते हैं (देखें यू.डी.बी. ))। अतः आपको संभवतः अनुवाद इस प्रकार करना होगा, "चौड़ा मार्ग वह है जो विनाश की ओर ले जाता है और चौड़ा फाटक वह है जिससे होकर मनुष्य उसमें प्रवेश करता है"। कुछ लोग "फाटक" और "मार्ग" को hendiadys मानते हैं जिसके उल्लेख की आवश्यकता नहीं है। + +# चौड़ा है वह फाटक और सरल है वह मार्ग .... सकेत है वह फाटक और कठिन है वह मार्ग। + +यू.एल.बी. में क्रियाओं से पहले विशेषणों का उपयोग किया गया है कि विशेषणों में विरोधाभास प्रकट हो। अपनी अनुवाद की रचना इस प्रकार करें कि आपकी भाषा में विशेषणों का विरोधाभास प्रकट हो। + +# विनाश + +यह मनुष्यों के संहार के लिए एक सामान्य शब्द है। यहाँ संदर्भ के आधार पर यह वास्तव में शारीरिक मृत्यु है। (देखें यू.डी.बी.) जो सदाकालीन मृत्यु का रूपक है। यह शारीरिक "जीवन" का विलोम है, "जीवन" अनन्त जीवन का रूपक है। diff --git a/mat/07/15.md b/mat/07/15.md new file mode 100644 index 0000000..1bc70d0 --- /dev/null +++ b/mat/07/15.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# सावधान रहो। + +"बचे रहो" + +# उनके फलों से + +यीशु भविष्यद्वक्ताओं के कार्यों की तुलना पेड़ के फलों से करता है। वैकल्पिक अनुवाद "उनके कामों से"। + +# क्या लोग.....तोड़ते हैं? + +"मनुष्य .... से नहीं तोड़ते हैं" यीशु जिन लोगों से बातें कर रहा है वे जानते हैं कि उसके प्रश्न का उत्तर "नहीं" है। + +# अच्छा पेड़ .... अच्छा फल लाता है। + +यीशु फल के रूपक द्वारा सच्चे भविष्यद्वक्ताओं का चित्रण करता है जो अच्छे काम और अच्छे शब्द उत्पन्न करते हैं। + +# निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है। + +यीशु फल के रूपक द्वारा ही झूठे भविष्यद्वक्ताओं के कामों और शब्दों का चित्रण प्रस्तुत करता है। diff --git a/mat/07/18.md b/mat/07/18.md new file mode 100644 index 0000000..f109f0e --- /dev/null +++ b/mat/07/18.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता वह काटा और आग में डाला जाता है। + +यीशु फल के वृक्ष की उपमा द्वारा झूठे भविष्यद्वक्ताओं का अनावरण करता है, यहाँ वह मात्र इतना ही कहता है कि निकम्मे वृक्ष का क्या होता है। यहाँ अभिप्राय अन्तर्निहित हे कि झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी ऐसा ही होगा। + +# उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे। + +"उनके फलों से" या तो भविष्यद्वक्ता या पेड़ों के संदर्भ में है। इस रूपक का अभिप्राय है कि पेड़ों के फल और भविष्यद्वक्ताओं के काम दोनों ही से प्रकट होता है कि वे अच्छे हैं या बुरे। यदि संभव हो तो इसका अनुवाद इस प्रकार करें कि उसका संदर्भ दोनों ही से हो। diff --git a/mat/07/21.md b/mat/07/21.md new file mode 100644 index 0000000..f59f2bf --- /dev/null +++ b/mat/07/21.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। + +"मेरे पिता की इच्छा को पूरा करनेवाला"। + +# हम + +इसमें यीशु नहीं है। + +# उस दिन + +यीशु ने केवल "उस दिन" कहा क्योंकि उसके श्रोता समझते थे कि उसके कहने का अर्थ है, न्याय के दिन। आपको इस तथ्य को उजागर करना है (जैसा यू.डी.बी. में है) यदि आपके पाठक नहीं समझें कि यीशु के श्रोता समझते थे कि यीशु किस दिन की चर्चा कर रहा है। diff --git a/mat/07/24.md b/mat/07/24.md new file mode 100644 index 0000000..c0165bc --- /dev/null +++ b/mat/07/24.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# इसलिए + +"इस कारण" + +# बुद्धिमान मनुष्य ने .... अपना घर चट्टान पर बनाया। + +यीशु उसके वचनों पर चलने वालों की तुलना उस व्यक्ति से करता है जिसने पक्का घर बनाया। ध्यान दें कि वर्षा, आँधी और बाढ़ उस घर को ढा नहीं पाए। + +# चट्टान + +भूमि की अपनी सतह के नीचे की ठोस पत्थरीली परत है, न कि एक चट्टान जो उभरी हुई हो। diff --git a/mat/07/26.md b/mat/07/26.md new file mode 100644 index 0000000..f988fb1 --- /dev/null +++ b/mat/07/26.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी। + +# इस निर्बुद्धि मनुष्य के समान ठहरा जिसने अपना घर बालू पर बनाया। + +यीशु उसी उपमा को काम में ले रहा है जो उसने में काम में ली है। वह उन लोगों की तुलना एक मूर्ख गृह निर्माता से कर रहा है जो उसके वचनों पर नहीं चलते। केवल एक मूर्ख ही बालू पर मकान खड़ा करेगा कि वर्षा, बाढ़, आंधी बालू को बहा ले जाए। + +# गिरकर सत्यानाश हो गया। + +सामान्य उपयोग का शब्द काम में ले जो यह दर्शाता है कि मकान के गिर जाने पर क्या होता है। + +# सत्यानाश हो गया। + +वर्षा, बाढ़ और आंधी से घर बिखर गया। diff --git a/mat/07/28.md b/mat/07/28.md new file mode 100644 index 0000000..7f4a21e --- /dev/null +++ b/mat/07/28.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# ऐसा हुआ। + +यदि आपकी भाषा में कहानी के नए मोड़ को दर्शाने का प्रवाधान है तो उसे यहाँ काम में लें। (देखें:TAlink:Discourse)) diff --git a/mat/08/01.md b/mat/08/01.md new file mode 100644 index 0000000..ba1f20f --- /dev/null +++ b/mat/08/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु द्वारा अनेकों की चमत्कारी चंगाई का वृत्तान्त यहाँ आरंभ होता है। + +# जब वह पहाड़ से उतरा तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। + +वैकल्पिक अनुवादः "यीशु पहाड़ से उतर कर नीचे आ गया तो एक विशाल जनसमूह उसके पीछे चलने लगा"। यहाँ जनसमूह शब्द से अभिप्राय यह हो सकता है कि जो लोग पहाड़ पर उसके साथ थे और जो यहाँ नीचे थे सब उसके पीछे चलने लगे। + +# देखो + +यह शब्द "देखो" कहानी में नए मोड़ की हमें सूचना देता है। आपकी भाषा में इसका प्रावधान होगा। + +# एक कोढ़ी + +"कोढ़ रोग से पीड़ित मनुष्य" या "चर्म रोग से ग्रस्त मनुष्य" (यू.डी.बी.) + +# यदि तू चाहे + +वैकल्पिक अनुवाद, "यदि तेरी इच्छा है" या "यदि तू उचित समझे"। वह रोगी जानता था कि यीशु में चंगाई का सामर्थ्य था परन्तु यीशु उसे स्पर्श करेगा उसका विश्वास उसे नहीं था। + +# मुझे शुद्ध कर सकता है। + +वैकल्पिक अनुवाद, "मुझे निरोग कर सकता है" या "कृपया मेरा रोग निवारण कर"(यू.डी.बी.)। + +# तुरन्त + +"तत्काल" + +# कोढ़ से शुद्ध हो गया। + +यीशु ने कहा, "शुद्ध हो जा" परिणाम स्वरूप वह रोग मुक्त हो गया। वैकल्पिक अनुवाद, "वह चंगा हो गया" या "उसका कोढ़ चला गया" या "कोढ़ का अन्त हो गया"। diff --git a/mat/08/04.md b/mat/08/04.md new file mode 100644 index 0000000..73edd81 --- /dev/null +++ b/mat/08/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यह भी यीशु द्वारा कोढ़ी की चंगाई का वृत्तान्त है। + +# उससे + +रोग मुक्त कोढ़ी से। + +# किसी से न कहना। + +चढ़ावा चढ़ाते समय तो उसे याजकों से कहना ही था (देखें यू.डी.बी.) यीशु के कहने का अर्थ था सबको नहीं बताना। इसका अनुवाद ऐसा हो सकता है, "सार्वजनिक चर्चा नहीं करना" या "यह और किसी से नहीं नहीं कहना कि मैंने तुझे रोग मुक्त किया है"। + +# अपने आप को याजक को दिखला + +यहूदियों की व्यवस्था के अनुसार रोग मुक्त मनुष्य याजक को अपनी त्वचा दिखाए जो उसे जन संपर्क की अनुमति दे। + +# जो चढ़ावा मूसा ने ठहराया है उसे चढ़ा कि लोगों के लिए गवाही हो। + +मूसा की व्यवस्था में था कि जब मनुष्य कोढ़ से मुक्ति पाए तब वह याजक के पास धन्यवाद की बली चढ़ाए। याजक उस भेंट को स्वीकार करेगा तो सब जान लेंगे कि वह रोग मुक्त हो चुका है। + +# लोगों के लिए + +यह (1) याजकों के लिए हो सकता है या (2) सबके लिए या (3) यीशु के आलोचकों के लिए। यदि संभव हो तो ऐसा सर्वनाम काम में लें जो वर्ग विशेष का द्योतक हो। diff --git a/mat/08/05.md b/mat/08/05.md new file mode 100644 index 0000000..4662d0b --- /dev/null +++ b/mat/08/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा अनेकों की चंगाई का वृत्तान्त है। + +# उसके ... उससे + +यीशु + +# लकवा + +रोग के कारण असमर्थ + +# उसने उससे कहा "मैं आकर उसे चंगा करूँगा"। + +"यीशु ने उस सूबेदार से कहा, "मैं तेरे घर आकर उसे निरोग करूँगा"। diff --git a/mat/08/08.md b/mat/08/08.md new file mode 100644 index 0000000..f4ef676 --- /dev/null +++ b/mat/08/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यह अनेकों की चंगाई का ही वृत्तान्त है। + +# मेरी छत तले आए। + +"मेरे घर में प्रवेश करे"। + +# मुख से कह दे। + +"आज्ञा दे दे" + +# सैनिक + +"प्रशिक्षित योद्धा" + +# मैंने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया। + +यीशु के श्रोता सोचते थे कि इस्राएल के यहूदी जो परमेश्वर की सन्तान होने का दावा करते थे, उनका विश्वास सबसे अधिक था। यीशु कहता है कि उनका सोचना गलत है, इस सूबेदार का विश्वास उनसे अधिक है। diff --git a/mat/08/11.md b/mat/08/11.md new file mode 100644 index 0000000..737d7f4 --- /dev/null +++ b/mat/08/11.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा रोमी सेना के सूबेदार के सेवक की रोग मुक्ति का ही वृत्तान्त है। + +# तू + +यह यीशु के पीछे चल रहे लोगों के संदर्भ में है अतः बहुवचन है। + +# पूर्व और पश्चिम से + +यह उक्ति एक रूपक है जो सम्पूर्णता को प्रकट करती हैः हर जगह से,अर्थात दूर दूर से, न की पूर्व में किसी एक स्थान से और न पश्चिम में किसी एक स्थान से। इसका अनुवाद हो सकता है, "सब जगहों से" या "दूर-दूर से"। + +# राज्य में बैठेंगे। + +उस संस्कृति में भोजन करते समय मनुष्य आधा लेटकर खाता था। यह प्रथा परिवार और मित्रों की घनिष्ठता को दर्शाने का लाक्षणिक शब्द है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "उसके साथ परिवार और घनिष्ठ मित्रों के समान रहेंगे"। + +# राज्य के सन्तान बाहर अन्धकार में डाल दिए जायेंगे। + +"परमेश्वर राज्य के संतान को बाहर डाल देगा"। + +# राज्य की सन्तान + +"के सन्तान" किसी के होने को दर्शाता है यहाँ परमेश्वर के राज्य के होने को दर्शाता है। यहाँ व्यंग भी है कि सन्तान बाहर की जा रही है और परदेशियों का स्वागत किया जा रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "वे जिन्होंने परमेश्वर को अपने जीवन में राज करने दिया होता" (देखें यू.डी.बी.) (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-idiom]]) + +# बाहर अन्धकार में + +यह अभिव्यक्ति परमेश्वर को अस्वीकार करने वालों की अनन्त नियति को दर्शाती है। "परमेश्वर से अलग अन्धकार का स्थान"। + +# वैसा ही तेरे लिए हो। + +"मैं वैसा ही तेरे लिए करता हूँ"। + +# उसका सेवक उसी घड़ी चंगा हो गया। + +सेवक उसी घड़ी चंगा होगा, "यीशु ने उसे चंगा कर दिया"। + +# उसी घड़ी + +"ठीक उसी पल जब यीशु ने कहा कि वह उसे चंगा करता है"। diff --git a/mat/08/14.md b/mat/08/14.md new file mode 100644 index 0000000..52b254c --- /dev/null +++ b/mat/08/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यह अनेकों की चंगाई का ही वृत्तान्त है। + +# यीशु जब पतरस के घर आया। + +यीशु के साथ संभवतः उसके शिष्य थे (जिन्हें उसने "निर्देश दिए" देखें: यू.डी.बी.) यहाँ मुख्य बात है यीशु ने क्या कहा और किया, अतः शिष्यों का उल्लेख तब ही करें जब गलत अर्थ से बचना हो। + +# पतरस की सास + +"पतरस की पत्नी की माता" + +# उसका ज्वर उतर गया। + +यदि आपकी भाषा में इसका अर्थ यह समझा जाए कि ज्वर सोचने और करने की क्षमता रखता है तो इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "वह स्वस्थ हो गई" या "यीशु ने उसे चंगा किया"। + +# उठ कर + +"बिस्तरा छोड़ कर" diff --git a/mat/08/16.md b/mat/08/16.md new file mode 100644 index 0000000..eb3eaab --- /dev/null +++ b/mat/08/16.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +इसके साथ ही यीशु द्वारा अनेकों की चंगाई का वृत्तान्त समाप्त होता है। + +# जब संध्या हुई। + +यू.डी.बी. अनुवाद में और से निष्कर्ष निकाला गया है कि जब यीशु कफरनहूम में आया तब वह सब्त का दिन था क्योंकि यहूदी उस दिन न तो काम करते थे और न ही यात्रा करते थे, वे शाम तक रूके रहे कि यीशु के पास रोमियों को लेकर आएं। आपका सब्त के दिन का उल्लेख नहीं करता है जब तक कि गलत अर्थ से बचना न हो। + +# उसने उन आत्माओं को अपने वचन से निकाल दिया। + +यह अत्युक्ति है, यीशु ने एक से अधिक शब्दों का उपयोग किया होगा। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "यीशु को एक ही बार कहने की आवश्यकता पड़ी और दुष्टात्माएं निकल गईं"। + +# जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा कहा गया था वह पूरा हो। + +"यीशु ने उस भविष्यद्वाणी को पूरा किया जो परमेश्वर ने यशायाह को इस्त्राएल पर प्रकट करने हेतु दी थी"। + +# यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा कहा गया था। + +"जो यशायाह ने कहा था" + +# हमारी दुर्बलताओं को ले लिया और हमारी बीमारियों को उठा लिया। + +"मनुष्यों को रोगमुक्त किया और स्वाथ्य प्रदान किया"। diff --git a/mat/08/18.md b/mat/08/18.md new file mode 100644 index 0000000..d08b1a4 --- /dev/null +++ b/mat/08/18.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को समझाता है कि वह उनसे क्या अपेक्षा करता है। + +# वह, उसके + +ये शब्द यीशु के लिए हैं, और + +# आज्ञा दी। + +उसने उन्हें बताया कि क्या करना है। + +# तब + +चेलों को आज्ञा देने के बाद परन्तु नाव में चढ़ने से पूर्व (देखें यू.डी.बी.) + +# जहाँ कहीं + +"जिस जिस स्थान में" + +# लोमड़ियों के भट और आकाश के पक्षियों के बसेरे होते है। + +कहने का अर्थ है कि सब पशु पक्षियों के अपने अपने घर होते है। + +# लोमड़ियों + +लोमड़ियों, कुत्तों जैसी दिखती है और चिड़ियों के बच्चे तथा अन्य छोटे जानवरों को खाती हैं। यदि आपके यहाँ लोमड़ी नहीं हैं तो कुत्ते जैसे जानवर या अन्य किसी मांसाहारी छोटे जानवर का शब्द काम में लें। + +# भट + +लोमड़ियाँ धरती में छेद करके उसमें रहती हैं। आप यदि लोमड़ियों के स्थान पर दूसरे कोई जानवर का नाम लिख रहें हैं तो उसके रहने के स्थान का नाम लिखें। + +# सिर धरने की जगह नहीं। + +"सोने के लिए भी अपनी जगह नहीं" (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-idiom]]) diff --git a/mat/08/21.md b/mat/08/21.md new file mode 100644 index 0000000..88e6b73 --- /dev/null +++ b/mat/08/21.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों से क्या अपेक्षा करता है उसी का वृत्तान्त चल रहा है। + +# मुझे पहले जाने दे कि अपने पिता को गाड़ दूं। + +यह एक नम्र निवेदन है। यहूदियों की प्रथा में मृतक को उसी दिन गाड़ने की प्रथा थी। अतः उस पुरूष का पिता संभवतः जीवित था। अतः उसने "गाड़ देना" एक अस्पष्ट (या गोल मोल वचन) स्वरूप काम में लिया कि जब तक उसका पिता जीवित है, कुछ दिन या कुछ वर्ष तब तक उसकी सेवा करे। (देखें यू.डी.बी.) यदि उसका पिता मृतक होता तो वह कुछ ही समय की अनुमति मांगता। पिता के मरने या जीवित रहने का उल्लेख तब ही करें जब गलत अर्थ निकल रहा हो। + +# मुर्दों को अपने मुर्दे गाड़ने दे। + +यह सार गर्भित है, पूर्ण कथन नहीं है। अत: कम से कम शब्दों को काम में लें और कम से कम व्याख्या करें। यहाँ "गाड़ने" के लिए वही शब्द काम में ले जो उस युवक के निवेदन में काम में लिया है। + +# अपने मुर्दे गाड़ने दे। + +यह पिता की सेवा के उसके उत्तरदायित्व का इन्कार करने के प्रबल शब्द है। "मृतकों को गाड़़ने दे" से भी अधिक प्रबल या "मृतकों को गाड़ने दे"। इसका अर्थ अधिक स्पष्टता में है, "मृतकों को किसी बात का चुनाव नहीं करने दे, केवल अपने मृतकों को स्वयं गाड़ें।" + +# मुरदों को अपने मुरदे गाड़ने दे + +"मुरदों" परमेश्वर के राज्य से अलग जनों का रूपक है, उनके पास अनन्त जीवन नहीं है। (देखें यू.डी.बी. ; [[rc://*/ta/man/translate/figs-metaphor]]) "अपने मुरदे" का अर्थ है परमेश्वर के राज्य से अलग जनों के परिजन जो सचमुच में मर जाते हैं। diff --git a/mat/08/23.md b/mat/08/23.md new file mode 100644 index 0000000..0bca0c4 --- /dev/null +++ b/mat/08/23.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +अब यीशु द्वारा आंधी को शान्त करने का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# जब वह नाव पर चढ़ा। + +जब वह नाव पर चढ़ा , "यीशु नाव में प्रवेश कर गया " + +# उसके चेले उसके पीछे हो लिए। + +"शिष्य" और "पीछे हो लिए" के लिए वही शब्द काम में लें जो आपने और में काम में लिए हैं। + +# देखो + +यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# झील में एक ऐसा बड़ा तूफान उठा। + +"झील में तूफान उठा"। + +# कि नाव लहरों से ढंकने लगी। + +"कि लहरें नाव में आने लगी।" + +# चेलों ने ... उसे जगाया और कहा "हे प्रभु हमें बचा" + +उन्होंने "हमें बचा" कह कर उसे नहीं जगाया था परन्तु जगा कर कहा, "हमें बचा"। + +# हम नष्ट हुए जाते हैं। + +"हम मरने पर हैं।" diff --git a/mat/08/26.md b/mat/08/26.md new file mode 100644 index 0000000..2c8d701 --- /dev/null +++ b/mat/08/26.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु द्वारा आँधी को शान्त करने का वृत्तान्त यहाँ समाप्त होता है। + +# उन्हें + +चेले + +# तू ... तू + +बहुवचन + +# क्यों डरते हो? + +इस प्रश्न के द्वारा यीशु शिष्यों को झिड़क रहा था। इसका अर्थ है "तुम्हें डरने की आवश्यकता नहीं है"। (देखें यू.डी.बी.) या "तुम्हें डरने की कोई बात नहीं है"। (देखें: : [[rc://*/ta/man/translate/figs-rquestion]]) + +# हे अल्प विश्वासियों + +यह बहुवचन है। इसका अनुवाद भी वैसा ही करे जैसा में किया है। + +# यह कैसा मनुष्य है कि आंधी और पानी भी इसकी आज्ञा मानते हैं। + +इस प्रश्न से प्रकट होता है कि शिष्य आश्चर्यचकित थे। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, यह कैसा मनुष्य है"? या "हमने ऐसा मनुष्य नहीं देखा"। कि आंधी पानी भी उसकी आज्ञा मानें"। + +# आंधी और पानी भी इस आज्ञा को मानते हैं। + +मनुष्य और जानवर आज्ञा माने या न माने, आश्चर्य की बात नहीं है परन्तु आँधी और पानी आज्ञा माने, यह तो वास्तव में आश्चर्यजनक है। मानव फिर से प्राकृतिक बातों को मनुष्य के सदृश्य सुनने और आज्ञा मानने वाला दर्शाता है। diff --git a/mat/08/28.md b/mat/08/28.md new file mode 100644 index 0000000..341c2b1 --- /dev/null +++ b/mat/08/28.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +अब दो दुष्टात्माग्रस्त मनुष्यों की चंगाई का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# उस पार + +"गलील सागर के दूसरी ओर" + +# गदरेनियों के देश में, + +गदरेनियों के देश में, गदरेनियों का अर्थ है गदारा नगर के निवासी। + +# वे इतने प्रचण्ड थे कि कोई उस मार्ग से जा नहीं सकता था। + +उनमें अन्तर्वासी दुष्टात्माएं ऐसी भयंकर थी कि मनुष्यों का वहाँ से आना जाना असंभव हो गया था। + +# देखो + +यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# हे परमेश्वर के पुत्र, हमारा तुझ से क्या काम? + +यह पहला प्रश्न प्रतिरोधी है। (देखें यू.डी.बी. [[rc://*/ta/man/translate/figs-rquestion]]) + +# परमेश्वर के पुत्र + +दुष्टात्माएं उसके इस नाम से प्रकट करती हैं कि यीशु का स्वागत नहीं है क्योंकि वह जो है सो है। + +# क्या तू समय से पहले हमें दुःख देने यहाँ आया है? + +यह दूसरा प्रश्न भी विरोधी है जिसका अर्थ है "तू हमसे परमेश्वर द्वारा निर्धारित समय से पूर्व दण्ड देकर परमेश्वर की अवहेलना नहीं कर सकता"। diff --git a/mat/08/30.md b/mat/08/30.md new file mode 100644 index 0000000..409345b --- /dev/null +++ b/mat/08/30.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +यीशु द्वारा दो दुष्टात्मा ग्रस्त मनुष्यों की चंगाई का वृत्तान्त चल रहा है। + +# अब + +इसका अर्थ है कि लेखक पाठकों को कहानी को आगे बढ़ाने से पूर्व कुछ जानकारी देना चाहता है। यीशु के आगमन से पूर्व वहाँ सूअर चर रहे थे। + +# यदि तू हमें निकालता है + +इसका अर्थ यह भी हो सकता है, "क्योंकि तू हमें निकालने जा रहा है" + +# हमें + +विशेषता सूचक शब्द + +# उन्हें + +दुष्टात्माओं से जो उन मनुष्यों में थी। + +# वे निकल कर सुअरों में पैठ गई। + +"दुष्टात्माएं उन पुरूषों में से निकल कर उन जानवरों में प्रवेश कर गई।" + +# देखो + +यहाँ "देखो" शब्द हमें अग्रिम जानकारी के प्रति सचेत करता है। + +# सारा झुण्ड कड़ाड़े पर से झपटकर + +"पहाड़ी ढलान पर से भागे" + +# डूब मरा + +"डूब गया"। diff --git a/mat/08/33.md b/mat/08/33.md new file mode 100644 index 0000000..e0c1aef --- /dev/null +++ b/mat/08/33.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +दुष्टात्मा ग्रस्त दोनों पुरूषों की मुक्ति का वृत्तान्त वहाँ समाप्त होता है। + +# उनके चरवाहे + +"सूअरों को संभालने वाले सेवक" + +# जिनमें दुष्टात्माएं थी उनका सारा हाल कह सुनाया। + +जिनमें दुष्टात्माएं थी उनका सारा हाल कह सुनाया , यीशु ने उन दुष्टात्माग्रस्त पुरूषों के साथ क्या किया। + +# देखो + +यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# सारे नगर के लोग। + +इसका अर्थ यह नहीं कि नगर का हर एक जन परन्तु यह कि अधिकांश जन। + +# सीमा + +सीमा , "नगर और आसपास का क्षेत्र।" diff --git a/mat/09/01.md b/mat/09/01.md new file mode 100644 index 0000000..5a9abe7 --- /dev/null +++ b/mat/09/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +अब यीशु द्वारा लकवे के रोगी की चंगाई का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# यीशु नाव पर चढ़कर पार गया। + +यीशु नाव पर चढ़कर सम्भवतः उसके चेले भी साथ थे। + +# नाव + +वही नाव जो में थी। यदि उलझन दूर करना हो तब ही स्पष्ट करें। + +# अपने नगर में आया। + +"जिस नगर में वह ठहरा हुआ था" (यू.डी.बी.) + +# देखो + +यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# लोग.... रोगी को + +जो लकवे के रोगी को यीशु के पास लाए। उनमें लकवे का रोगी भी था। + +# हे पुत्र + +वह यीशु का पुत्र नहीं था। यीशु उसके साथ कोमलता का व्यवहार कर रहा था। यदि इससे उलझन उत्पन्न हो तो अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "मेरे मित्र", "हे युवक" या इसे छोड़ा भी जा सकता है। + +# तेरे पाप क्षमा हुए। + +"परमेश्वर ने तेरे पाप क्षमा किए" या "मैंने तेरे पाप क्षमा किए"। diff --git a/mat/09/03.md b/mat/09/03.md new file mode 100644 index 0000000..28bc82a --- /dev/null +++ b/mat/09/03.md @@ -0,0 +1,51 @@ +# x + +यीशु द्वारा लकवे के रोगी की चंगाई का ही वृत्तान्त चल रहा है। + +# देखो + +यह कहानी के अगले भाग का आरंभ है। इसमें पिछली घटना की अपेक्षा अन्य जन हैं। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# अपने-अपने मन में। + +इसका अर्थ है, "आपस में" अपने विचारों में या "एक दूसरे से" कहने लगे। यीशु का दावा प्रकट है कि वह ऐसे काम कर सकता है जो शास्त्रियों की समझ में केवल परमेश्वर ही करता है। + +# उनके मन की बातें जानकर + +यीशु उनके मन की बातें दिव्य शक्ति से जान गया था या उनकी काना पूसी के कारण समझ गया था। + +# बुरा विचार क्यों कर रहे हो? + +इस प्रश्न द्वारा यीशु शास्त्रियों को झिड़कता है। + +# तुम ... अपने + +बहुवचन + +# बुरा + +यह नैतिक बुराई या दुष्टता है न कि मात्र गलती। + +# सहज क्या है? + +यीशु ने शास्त्रियों को स्मरण कराने के लिए यह प्रश्न पूछा था क्योंकि उनके विचार में वह अपने पापों के कारण रोगी हो गया था और पाप क्षमा द्वारा वह फिर से चलने फिरने लगेगा, अतः जब वह उस रोगी को चंगा करेगा तो शास्त्री जान लेंगे कि वह पाप भी क्षमा कर सकता है। + +# सहज क्या है? यह कहना, "तेरे पाप क्षमा हुए"। या यह कहना, उठ और चल फिर? + +यह कहना आसान है, "तेरे पाप क्षमा हुए, या यह कहना, उठ और चल फिर"? + +# तेरे पाप क्षमा हुए। + +इसका अर्थ हो सकता है (1) "मैं तेरे पाप क्षमा करता हूँ"। (यू.डी.बी.) या (2) "परमेश्वर तेरे पास क्षमा कर रहा है"। + +# परन्तु इसलिए कि तुम जान लो। + +"मैं सिद्ध करता हूँ" "तुम" बहुवचन में है। + +# अपनी .... आपने + +एकवचन + +# अपने घर चला जा। + +यीशु उसे अन्य कहीं जाने से मना नहीं कर रहा है, वह उसे घर जाने का अवसर प्रदान कर रहा है। diff --git a/mat/09/07.md b/mat/09/07.md new file mode 100644 index 0000000..86e5b9f --- /dev/null +++ b/mat/09/07.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यह लकवे के रोगी की चंगाई के वृत्तान्त का अन्त है। यीशु चूंगी लेने वाले को अपना शिष्य होने के लिए बुलाता है। + +# बड़ाई + +वही शब्द काम में ले जो में काम में लिए हैं। + +# ऐसा अधिकार + +पाप क्षमा का अधिकार। + +# मत्ती .... वह .... उसके + +कलीसिया की परम्परा के अनुसार यही मत्ती, मत्ती रचित सुसमाचार का लेखक है परन्तु अभिलेख में ऐसा कोई कारण प्रकट नहीं होता की "वह" और "उसके" को "मुझे" और "मै" में बदला गया है। + +# उससे कहा। + +"यीशु ने मत्ती से कहा"। + +# यीशु वहाँ से आगे बढ़कर। + +यहाँ इस वाक्यांश द्वारा घटना का आरंभ वैसे ही होता है जैसे "देखो" से होता है में। यदि आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान है तो उसे यहाँ काम में लें। + +# आगे बढ़़। + +जाने के लिए कोई सामान्य उपयोग का शब्द काम में लें। यहाँ यह स्पष्ट नहीं है कि यीशु पहाड़ पर चढ़ रहा था या उतर रहा था या कफरनहूम की ओर जा रहा था या उसकी विपरीत दिशा में जा रहा था। + +# वह उठकर उसके पीछे हो लिया। + +"मत्ती उठा और यीशु के पीछे चलने लगा", यीशु के शिष्य रूप में,(देखें यू.डी.बी) न कि उसके साथ तक कहीं जाने के लिए। diff --git a/mat/09/10.md b/mat/09/10.md new file mode 100644 index 0000000..699719e --- /dev/null +++ b/mat/09/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यह घटना चूंगी लेने वाले मत्ती के घर की है। + +# घर + +संभवतः मत्ती का घर (देखें यू.डी.बी.) परन्तु यह यीशु का घर भी हो सकता है (भोजन करने के लिए बैठा) आवश्यकता पड़ने पर ही स्पष्ट करें। + +# देख + +यह शब्द "देखो" हमें कहानी में नए लोगों के प्रति सचेत करता है। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान हो सकता है। अंग्रेजी में है "देयर वॉज़ ए मॅन हू वज़..." + +# यह देखकर फरीसियों ने + +वे "जब फरीसियो ने देखा कि यीशु चुंगी लेने वालों और पापियों के साथ भोजन कर रहा है"। diff --git a/mat/09/12.md b/mat/09/12.md new file mode 100644 index 0000000..cea135b --- /dev/null +++ b/mat/09/12.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यह घटना चूंगी लेने वाले मत्ती के घर की है। + +# यह सुनकर यीशु ने कहा। + +"यह" अर्थात फरीसियों का प्रश्न सुनकर, चूंगी लेने वालों और पापियों के साथ भोजन करना। + +# भले चंगों + +"स्वस्थ मनुष्यों" + +# वैद्य + +डॉक्टर (यू.डी.बी.) + +# बीमारों के लिए आवश्यक है। + +"रोगियों को डॉक्टर की आवश्यकता होती है।" + +# जाकर इसका अर्थ सीख लो। + +"तुम्हारे लिए इसका अर्थ समझना आवश्यक है।" + +# तुम जाकर.... + +"तुम" सर्वनाम शब्द फरीसियों के लिए है। diff --git a/mat/09/14.md b/mat/09/14.md new file mode 100644 index 0000000..4afff32 --- /dev/null +++ b/mat/09/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यूहन्ना के चेलों ने उसके पास आकर कहा, "तेरे चेले उपवास नहीं करते"। + +# क्या बराती ....शोक कर सकते हैं? + +दुल्हें के साथ हाने पर कोई भी बरातियों से उपवास के लिए नहीं कहेगा। + +# बराती। + +यीशु के शिष्यों के लिए एक रूपक का प्रयोग है। + +# जब तक दुल्हा उनके साथ है.... जब दुल्हा उनसे अलग किया जायेगा। + +"दुल्हा" यीशु है, जीवित होने के कारण वह "उनके साथ है"। + +# जब दुल्हा उनसे अलग किया जायेगा। + +"जब कोई दुल्हें को उनसे अलग कर देगा"। यह मारे जाने के लिए रूपक है। + +# शोकित हो + +"विलाप करना... दुःख मनाना"। (यू.डी.बी.) diff --git a/mat/09/16.md b/mat/09/16.md new file mode 100644 index 0000000..009b89b --- /dev/null +++ b/mat/09/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु यूहन्ना के शिष्यों द्वारा पूछे गए प्रश्न का ही उत्तर दे रहा है। + +# कोरे कपड़े का पैबन्द पुराने वस्त्र पर नहीं लगाता। + +पुरानी परम्पराओं का पालन करने वाले नई परम्परा को स्वीकार करने के लालायित नहीं होते हैं। + +# वस्त्र + +वस्त्र , "परिधान" + +# पैबन्द + +"कपड़े का टुकड़ा, जो फटे कपड़े पर लगाया जाता है"। diff --git a/mat/09/17.md b/mat/09/17.md new file mode 100644 index 0000000..f0ba231 --- /dev/null +++ b/mat/09/17.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +यीशु यूहन्ना के शिष्यों द्वारा पूछे गए प्रश्न का ही उत्तर दे रहा है। + +# लोग नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं। + +यूहन्ना के शिष्यों के प्रश्न का उत्तर देने के लिए यह रूपक या दृष्टान्त का उपयोग है, हम और फरीसी इतना उपवास करते हैं पर तेरे चेले उपवास नहीं करते। + +# नहीं भरते। + +"नहीं कोई.... मैं डालता हूँ" (यू.डी.बी.) "लोग नहीं डालते"। + +# नया दाखरस। + +"अंगूर का रस" वह बस जिसका किंणवन नहीं हुआ है। यदि आपके क्षेत्र में अंगूर उगाए जाते हैं तो वहीं नाम काम में ले जो प्रचलित है। + +# पुरानी मशकें। + +वे मशकें जो कई बार काम में ली जा चुकी हैं। + +# मशकें + +ये पशुओं के चमड़े से बनी होती थी उन्हें "दाख रस के थैले" या "चमड़े के थैले"(यू.डी.बी.) भी कह सकते हैं। + +# मशकें नष्ट हो जाती है। + +दाखरस जब किंणवन होता है तब वह फैलता है जिससे पुरानी मशकें जो और अधिक नहीं फैल सकती फट जाती है। + +# नष्ट हो जाती है। + +"फट जाती है"। (यू.डी.बी) + +# नईं मशकें + +"दाखरस के नये थेले" जो कभी काम में नहीं लिए गए। diff --git a/mat/09/18.md b/mat/09/18.md new file mode 100644 index 0000000..70b9175 --- /dev/null +++ b/mat/09/18.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यहूदी सरदार की पुत्री की चंगाई के वृत्तान्त का आरंभ। + +# ये बातें + +अर्थात यूहन्ना के शिष्यों को दिए गए उत्तर के बाद समय। + +# देख + +"देखो" शब्द हमें कहानी में एक नए व्यक्ति को प्रवेश के प्रति सतर्क करता है। अपनी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# प्रणाम किया। + +यह यहूदी संस्कृति में सम्मान प्रकट करने की रीति थी। + +# अपना हाथ उस पर रख तो वह जीवित हो जायेगी। + +इसका अर्थ यह हुआ कि वह यहूदी उस पर विश्वास करता था कि यीशु उसकी पुत्री को पुनजीर्वित कर सकता है। + +# चेले। + +यीशु के शिष्य। diff --git a/mat/09/20.md b/mat/09/20.md new file mode 100644 index 0000000..0d6e298 --- /dev/null +++ b/mat/09/20.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यहाँ यहूदी सरदार के घर जाते समय यीशु द्वारा एक स्त्री की चंगाई का वर्णन है। + +# देखो + +"देखो" शब्द हमें कहानी में एक नए व्यक्ति को प्रवेश के प्रति सतर्क करता है। अपनी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# लहू बहने का रोग। + +"उस का बहुत लहू बहता था" संभवतः लगातार मासिक धर्म का स्राव। कुछ संस्कृतियों में इसको व्यक्त करने की भद्र शब्दावली होगी। (देखें: ) + +# यदि मैं उसके वस्त्र को छू लूंगी तो चंगी हो जाऊंगी। + +उसका विश्वास वस्त्र में नहीं यीशु में था कि वह चंगा करेगा। + +# वस्त्र + +"बागा" + +# परन्तु + +"इसकी अपेक्षा" इस स्त्री ने जो सोचा था वैसा हुआ नहीं। + +# पुत्री + +वह यीशु की पुत्री नहीं थी, यीशु उसको कोमलता दिखा रहा था। यदि इससे उलझन होती है तो "युवती" काम में लें या छोड़ दें। diff --git a/mat/09/23.md b/mat/09/23.md new file mode 100644 index 0000000..d07333f --- /dev/null +++ b/mat/09/23.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यहाँ भी यहूदी सरदार की पुत्री को जीवित करने का ही वृत्तान्त चल रहा है। + +# उस सरदार के घर। + +यह उस यहूदी सरदार का घर है। + +# बाँसुरी + +यह एक खोखले बांस का वाद्य यन्त्र है जिसको बजाने के लिए एक सिरे से हवा फूंकी जाती है। + +# बाँसुरी बजाने वाले। + +" बाँसुरी बजाने वाले लोग"। + +# हट जाओ। + +यीशु अनेकों से कह रहा है अतः बहुवचन काम में लें यदि आपकी भाषा में है। + +# लड़की मरी नहीं पर सोती है। + +यीशु सोने का रूपक काम में ले रहा है क्योंकि उसकी मृत्यु अधिक है। वह उसे मृतकों में से जीवित करेगा। diff --git a/mat/09/25.md b/mat/09/25.md new file mode 100644 index 0000000..8dcc1b9 --- /dev/null +++ b/mat/09/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु द्वारा यहूदी सरदार की पुत्री की चंगाई का वृत्तान्त इसके साथ समाप्त होता है + +# जब भीड़ निकाल दी गई। + +"जब यीशु ने भीड़ को हटा दिया" या "जब परिवार वालों ने लोगों को बाहर भेज दिया"। + +# उठ कर + +"बिस्तर छोड़ दिया" यह भावार्थ वही है जो में है। + +# इस बात की चर्चा उस सारे देश में फैल गई। + +यहाँ चर्चा का मानवीकरण का अर्थ है कि जो वहाँ थे उन लोगों ने सबको बता दिया। "उस संपूर्ण क्षेत्र के निवासियों को इसका समाचार प्राप्त हुआ" (यू.डी.बी.) या "जिन लोगों ने उस बालिका को जीवित देखा जाकर उस क्षेत्र में सबको इसके बारे में सुनाया"। diff --git a/mat/09/27.md b/mat/09/27.md new file mode 100644 index 0000000..42f58e0 --- /dev/null +++ b/mat/09/27.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +अब यीशु द्वारा दो अंधे मनुष्यों की चंगाई का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# वहाँ से आगे बढ़कर। + +यीशु उस क्षेत्र से निकल रहा था। + +# आगे बढ़़। + +स्पष्ट नहीं है कि यीशु ऊपर की ओर जा रहा था या नीचे की ओर जा रहा था, इसलिए जाने के लिए साधारण शब्द का उपयोग करें। + +# हे दाऊद की सन्तान + +यीशु यथार्थ में दाऊद का पुत्र नहीं था। अतः इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "हे दाऊद के वंशज" (यू.डी.बी.) परन्तु "दाऊद की सन्तान" यीशु को दिया गया पदनाम है। संभव है कि वे यीशु को इसी पदनाम से पुकार रहे थे। + +# जब वह घर में पहुंचा। + +यह या तो यीशु का अपना घर था (यू.डी.बी.) या का घर था। + +# हाँ प्रभु। + +"हाँ प्रभु, हमें विश्वास है कि तू हमें चंगा कर सकता है।" diff --git a/mat/09/29.md b/mat/09/29.md new file mode 100644 index 0000000..b16fece --- /dev/null +++ b/mat/09/29.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +इसके साथ ही उन दोनों अंधों की चंगाई का वृत्तान्त समाप्त होता है। + +# उनकी आंखें छूकर कहा। + +यहाँ स्पष्ट नहीं है कि उसने दोनों की आंखों को एक साथ स्पर्श किया या अपने दाहिने हाथ से एक को स्पर्श किया फिर दूसरे को, क्योंकि बायां हाथ अशुद्ध काम में लिया जाता था। अतः अति संभव है कि उसने केवल दाहिना हाथ काम में लिया। यह भी स्पष्ट नहीं है कि उसने उन्हें स्पर्श करते समय कहा या पहले स्पर्श किया फिर कहा। + +# उनकी आंखें खुल गई। + +"परमेश्वर ने उनकी आंखें स्वस्थ कर दीं" या "वे दोनों अंधे देखने लगे" + +# परन्तु + +"इसके विपरीत" उन्होंने यीशु के आदेशानुसार नहीं किया। + +# यश फैला दिया। + +"बहुतों को बता दिया कि उनके साथ क्या हुआ"। diff --git a/mat/09/32.md b/mat/09/32.md new file mode 100644 index 0000000..c36d2e9 --- /dev/null +++ b/mat/09/32.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु द्वारा उसके अधिवास में चंगाई का वृत्तान्त चालू है। + +# देख + +"देखो" शब्द हमें कहानी में एक नए व्यक्ति को प्रवेश के प्रति सतर्क करता है। अपनी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# गूंगा + +जो बात नहीं कर सकता है। + +# गूंगा बोलने लगा। + +"वह गूंगा व्यक्ति बोलने लगा" या "वह व्यक्ति जो गूंगा था बोलने लगा" या "वह व्यक्ति जो अब गूंगा नहीं था बोलने लगा"। + +# भीड़ ने अचम्भा करके कहा। + +"लोग अचम्भा करने लगे"। + +# इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया। + +इसका अर्थ हो सकता है, "ऐसा कभी नहीं हुआ" या "किसी ने ऐसा कभी नहीं किया"। + +# दुष्टात्माओं को निकालता है। + +"वह दुष्टात्माओं को निकलने पर विवश करता है"। यहाँ सर्वनाम "वह" यीशु के लिए है। diff --git a/mat/09/35.md b/mat/09/35.md new file mode 100644 index 0000000..1703071 --- /dev/null +++ b/mat/09/35.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यह अंश गलील क्षेत्र में यीशु शिक्षा, उपदेश और चंगाई की सेवा का सारांश है। + +# सब नगरों + +"अनेक नगरों में" + +# नगरों और गाँवों + +"बड़े गाँवों और छोटे गाँवों" या "बड़े नगरों और छोटे नगरों" + +# हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर कर ले। + +"हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता", "बीमारी" और "दुर्बलता" संबन्धित शब्द है परन्तु संभव हो तो इन्हें दो अलग-अलग शब्दों में ही अनुवाद करना है। "बीमारी" मनुष्य को रोगी बनाती है। दुर्बलता शारीरिक विकार या कष्ट है जो बीमारी के परिणाम स्वरूप होती है। + +# वे उन भेड़ों के समान जिनका कोई रखवाला न हो .... थे। + +"उन लोगों का कोई अगुआ न था"। diff --git a/mat/09/37.md b/mat/09/37.md new file mode 100644 index 0000000..701041d --- /dev/null +++ b/mat/09/37.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु कटनी रूपक द्वारा उन्हें समझाता है कि उन्हें पिछले अंश में दर्शाए गए लोगों की आवश्यकता के प्रति कैसा व्यवहार करना है। + +# खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं। + +यह रूपक मनुष्यों की एक बहुत बड़ी संख्या को दर्शाता है, वे जो परमेश्वर में विश्वास करके उसके राज्य में प्रवेश करेंगे। ये लोग खेतों के सदृश्य हैं और जो परमेश्वर का प्रचार करते हैं वे मजदूर हैं। इस रूपक का अर्थ है कि इतने अधिक लोगों को परमेश्वर के बारे में बताने वाले बहुत कम हैं + +# खेत काटने के लिए + +"पक्का फल एकत्र करने के लिए" + +# मजदूर + +"कर्मी" + +# खेत के स्वामी से विनती करो। + +खेत के स्वामी से विनती करो वही कर्ताधर्ता है। diff --git a/mat/10/01.md b/mat/10/01.md new file mode 100644 index 0000000..84e8648 --- /dev/null +++ b/mat/10/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यहाँ यीशु द्वारा शिष्यों को सेवा में भेजने का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# उसने अपने बारह चेलों को बुलाकर + +"अपने बारह चेलों को एकत्र किया" + +# अधिकार दिया। + +सुनिश्चित करें कि अनुवाद में यह अधिकार स्पष्ट हो (1) अशुद्ध आत्माओं को निकालना और (2) बीमारियों और दुर्बलताओं को चंगा करना। + +# उन्हें निकाले + +अशुद्ध आत्माओं का निष्कासन करें + +# हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर कर ले। + +"हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता", "बीमारी" और "दुर्बलता" संबन्धित शब्द है परन्तु संभव हो तो इन्हें दो अलग-अलग शब्दों में ही अनुवाद करना है। "बीमारी" मनुष्य को रोगी बनाती है। दुर्बलता शारीरिक विकार या कष्ट है जो बीमारी के परिणाम स्वरूप होती है। diff --git a/mat/10/02.md b/mat/10/02.md new file mode 100644 index 0000000..e1a9629 --- /dev/null +++ b/mat/10/02.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु द्वारा अपनी सेवा के निमित्त बारह चेलों को भेजने का वृत्तान्त ही चल रहा है जिसका आरंभ में हुआ था। + +# पहला + +क्रम में न कि पद में। + +# जेलोतेस (शमौन) + +इसके संभावित अर्थ हैं (1) "जेलोतेस" या (2) "जोशीला"। जेलोतेस का अर्थ है कि वह उस समूह का सदस्य था जो यहूदियों को रोमी साम्राज्य से मुक्त करना चाहते थे। वैकल्पिक अनुवाद, "देशभक्त" या "राष्ट्रवादी" या "स्वतंत्रता सेनानी"। दूसरा अर्थ, "जोशीला" से समझ में आता है कि वह परमेश्वर के सम्मान के लिए जोशीला था, इसका वैकल्पिक अनुवाद हो सकता है, "उत्साही"। + +# महसूल लेने वाला मत्ती + +"मत्ती जो चूंगी लेनेवाला था"। + +# जिसने उसे पकड़वाया। + +"जो यीशु के साथ विश्वासघात करेगा"। diff --git a/mat/10/05.md b/mat/10/05.md new file mode 100644 index 0000000..af8dfcf --- /dev/null +++ b/mat/10/05.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु द्वारा अपनी सेवा के निमित्त बाहर शिष्यों के भेजने का वृत्तान्त चल रहा है। + +# इन बारहों को यीशु ने .... भेजा। + +"यीशु ने इन बारह शिष्यों को भेजा", या "यीशु ने जिन बारहों शिष्यों को भेजा वे ये हैं"। + +# भेजा + +यीशु ने इन बारहों को एक विशेष उद्देश्य से भेजा था। "भेजा" "प्रेरित" का क्रियारूप है जिस शब्द का उपयोग में किया गया है। + +# यीशु ने यह आज्ञा देकर + +यीशु ने यह आज्ञा देकर ,"उसने उन्हें कहा कि उन्हें क्या करना होगा" इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, "उसने उन्हें आदेश दिया"। + +# इस्राएल के घराने ही की खोई हुई भेड़ें। + +यह एक रूपक है जो इस्राएल राष्ट्र की तुलना ऐसी भेड़ों से करता है जो चरवाहे से अलग होकर भटक गई हैं। (देखें यू.डी.बी.) (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-metaphor]]) + +# इस्राएल के घराने + +यह निर्देश इस्त्राएल जाति से संबन्धित है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "इस्त्राएलियों" या "इस्राएलवंशियों" + +# चलते-चलते + +यह बारह शिष्यों के संदर्भ में है। + +# स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। + +इसका अनुवाद आप वैसे ही करेंगे जैसे आपने इस विचार का अनुवाद में किया है। diff --git a/mat/10/08.md b/mat/10/08.md new file mode 100644 index 0000000..3be65ab --- /dev/null +++ b/mat/10/08.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +यीशु द्वारा अपने सेवाकार्य के निमित्त बारह शिष्यों को भेजने का वृत्तान्त ही चल रहा है जिसका आरंभ में हुआ है। + +# तुम.... तुम्हारा + +अर्थात बारह प्रेरित (शिष्य) + +# न तो सोना, और न रूपा और न ताँबा रखना। + +"सोना, चाँदी, ताँबा कुछ नहीं रखना"। + +# रखना + +"प्राप्त करना", "ग्रहण करना" या "लेना” + +# न सोना, न चाँदी, न तांबा। + +ये वे धातु थी जिनसे मुद्रा बनती थी। यह पैसों के लिए लाक्षणिक प्रयोग है। यदि आपके लिए ये धातुएं अनजान है तो इनका अनुवाद "पैसा" करें। (यू.डी.बी.) + +# पटुका + +पटुका का अर्थ है "पैसा रखने वाले कमरबंध" या इसका अभिप्राय पैसा रखने की थैली से भी हो सकता है। "पटुका" कम में बांधने का कपड़े या चमड़े का पट्टा होता था। वह काफी चौड़ा होता था कि यदि उसे मोड़ लें तो उसमें पैसा रखा जा सकता था। + +# झोली + +झोली , यात्रा में सामान लेकर चलने के लिए थैला या भोजन या पैसा मांगने के लिए झोली। + +# दो कुरते + +यहाँ कुरते के लिए वही शब्द काम में ले जो में काम में लिया गया है। + +# मजदूर + +"कर्मी" + +# भोजन + +"आवश्यकता की वस्तुएं" diff --git a/mat/10/11.md b/mat/10/11.md new file mode 100644 index 0000000..a6057ba --- /dev/null +++ b/mat/10/11.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# x + +यीशु द्वारा अपने सेवाकार्य के निमित्त बारह शिष्यों को भेजने का वृत्तान्त ही चल रहा है जिसका आरंभ में हुआ है। + +# तुम.... तुम्हारा + +यह सर्वनाम प्रेरितों के लिए काम में लिया गया है। + +# जिस किसी नगर या गाँव में जाओ। + +जिस किसी नगर या गाँव में आओ , "जब किसी नगर या गाँव में प्रवेश करो", या "उस हर एक नगर या गाँव जिसमें तुम प्रवेश करो"। + +# नगर.... गाँव + +"बड़ा गाँव.... छोटा गाँव" या "बड़ा नगर.... छोटा नगर" ये शब्द वही हैं जिसको में काम में लिया गया है। + +# जब तक वहाँ से न निकलो उसी के यहाँ रहो। + +"उसी मनुष्य के घर में रहना जब तक कि नगर या गाँव से प्रस्थान न करो"। + +# घर में प्रवेश करते हुए उसको आशिष देना। + +"घर में प्रवेश करते ही वहाँ रहनेवालों को आशिष देना"। उस समय का प्रचलित आशीर्वाद था, "इस परिवार को शान्ति मिले"। + +# यदि उस घर के लोग योग्य होंगे। + +"यदि उस घर के लोग तुम्हारा अच्छा स्वागत करें" (यू.डी.बी.) या "उस घर के लोग तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार करें"। + +# तो तुम्हारा कल्याण उन पर पहुँचेगा। + +"उन्हें शान्ति मिलेगी" या "उस घर के लोग शान्ति में जीएंगे"।(देखें: यू.डी.बी.) + +# तुम्हारा कल्याण + +वह शान्ति जिसके लिए प्रेरित परमेश्वर से विनती करें कि वह उस परिवार को दे। + +# यदि वे योग्य न हों। + +"यदि वे तुम्हारा अच्छा स्वागत न करें" (यू.डी.बी.) या "यदि वे तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार न करें"। + +# तुम्हारा कल्याण तुम्हारे पास लौट आयेगा। + +इसका अर्थ दो में से एक हो सकता है, (1) यदि वह परिवार योग्य न हुआ तो परमेश्वर अपनी शान्ति या आशिष उस परिवार से रोक लेगा, जैसा यू.डी.बी में व्यक्त किया गया है या (2) यदि वह परिवार योग्य न हुआ तो प्रेरितों से कुछ करने की अपेक्षा की गई है, जैसे, परमेश्वर से विनती करना कि उनका अभिवादन स्वीकार न करे। यदि आपकी भाषा में आशिष को वापस लेने का या उसके प्रभाव को निष्फल करने का शब्द है, जो उसे काम में लें। diff --git a/mat/10/14.md b/mat/10/14.md new file mode 100644 index 0000000..3a14aaa --- /dev/null +++ b/mat/10/14.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +यीशु द्वारा अपने सेवाकार्य के निमित्त बारह शिष्यों को भेजने का वृत्तान्त ही चल रहा है जिसका आरंभ में हुआ है। + +# जो कोई तुम्हें ग्रहण न करे और तुम्हारी बातें न सुने। + +"यदि उस नगर में तुम्हें कोई ग्रहण न करे या तुम्हारी बातें न सुने।" + +# तुम ... अपने + +अर्थात बारह प्रेरित (शिष्य) + +# तुम्हारी बातें न सुने + +"तुम्हारा सन्देश न सुने" (यू.डी.बी.) या "तुम्हें जो कहना है, न सुने"। + +# नगर + +इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। + +# अपने पाँवों की धूल झाड़ डालो। + +"उस घर या नगर की धूल अपने पाँवों में से झाड़ दो" यह एक चिन्ह है कि परमेश्वर ने उस घर या नगर के लोगों को त्याग दिया है। (देखें यू.डी.बी.) + +# अधिक सहने योग्य होगी। + +पीड़ा कम होगी। + +# सदोम और अमोरा के देश + +"सदोम और अमोरा के निवासियों से" जिन्हें परमेश्वर ने स्वर्ग से आग गिराकर भस्म कर दिया था। + +# उस नगर + +जिस नगर के लोग प्रेरितों को ग्रहण न करें या उनका सन्देश न सुने। diff --git a/mat/10/16.md b/mat/10/16.md new file mode 100644 index 0000000..83c8ec6 --- /dev/null +++ b/mat/10/16.md @@ -0,0 +1,59 @@ +# x + +यीशु अपने बारह शिष्यों के उस सताव के बारे में चर्चा करता है जो अपने सेवाकार्य को करने के कारण उन्हें सहना होगा। + +# देखो + +"देखो" शब्द यहाँ अग्रिम चर्चा पर बल डालता है, इसका वैकल्पिक अनुवाद होगा, "ध्यान दो" या "सुनो" या "जो मैं कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दो"। (देखें यू.डी.बी.) + +# मैं तुम्हें .... भेजता हूँ। + +यीशु उन्हें एक उद्देश्य विशेष के निमित्त भेज रहा है। + +# भेड़ों के समान भेड़ियों के बीच। + +यीशु अपने शिष्यों को जिन्हें वह भेज रहा है उनकी तुलना असुरक्षित भेड़ों से करता है, जो ऐसी जगह जाएंगी जहाँ उन पर वन पशुओं के आक्रमण की संभावना है। (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-simile]]) + +# भेड़ों के समान + +असुरक्षित + +# भेड़ियों के बीच + +आप इस उपमा को स्पष्ट करके कह सकते है, "ऐसे मनुष्यों के मध्य जो खतरनाक भेड़ियें हैं"। या "ऐसे मनुष्यों के मध्य जो खतरनाक पशुओं का सा व्यवहार करते हैं", या सादृश्य व्यक्त करें "उन लोगों के मध्य जो तुम पर आक्रमण करेंगे।" + +# इसलिए सांपों के समान बुद्धिमान और कबूतरों के समान भोले बनो। + +यहाँ इस उपमा को काम में नहीं लेना ही अच्छा है, "समझदारी और सावधानी से काम करना साथ ही साथ भोलेपन एवं सद्गुणों का प्रदर्शन करना"। + +# लोगों से सावधान रहो, क्योंकि वे तुम्हें महा सभाओं में सौंपेंगे। + +"सावधान रहना क्योंकि वे तुम्हें पकड़वाएंगे"। + +# सावधान रहो। + +"चौकस रहो", "सतर्क रहो",या "अत्यधिक सोच समझ कर चलना", + +# सौपेगें + +यीशु के साथ यहूदा ने जो किया उसके लिए यही शब्द है (देखें यू.डी.बी.) वैकल्पिक अनुवादः "धोखे से पकड़वायेंगे" या "तुम्हें पकड़वायेंगे", या "तुम्हें बन्दी बनवाकर मुकदमा चलाएंगे"। + +# पंचायत + +पंचायत , अर्थात स्थानीय धार्मिक अगुवे या जो अगुवे समुदाय में शान्ति बनाए रखते हैं। वैकल्पिक अनुवाद है, "न्यायालयों"। + +# कोड़े मारेंगे। + +"कोड़ों से पीटेंगे"। + +# पहुँचाए जाओगे। + +"तुम्हें लाएंगे" या "तुम्हें घसीटेंगे" + +# मेरे लिए + +"क्योंकि तुम मेरे हो" (यू.डी.बी.) या "क्योंकि तुम मेरा अनुकरण करते हो"। + +# उन पर और अन्य जातियो पर + +सर्वनाम "उन" से अभिप्राय है "हाकिमों और राजाओं" या यहूदी दोष लगाने वाले। (10:17) diff --git a/mat/10/19.md b/mat/10/19.md new file mode 100644 index 0000000..7529bb1 --- /dev/null +++ b/mat/10/19.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है। + +# जब वे तुम्हें पकड़वाएंगे। + +"जब मनुष्य तुम्हें पकड़वाए" यहाँ वे अर्थात मनुष्य वही है जो में हैं। + +# पकड़वाएं + +इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में "पकड़वाने" का किया है। + +# तू + +इस संपूर्ण गद्यांश में "तुम" और "तुम्हारे" का संदर्भ प्रेरितों से है। + +# चिन्ता न करना। + +"विचलित न होना" + +# हम किस रीति से या क्या कहेंगे। + +"तुम्हें कैसे और क्या कहना है; दोनों विचारों को जोड़ा जा सकता है", "तुम्हें क्या कहना होगा"। + +# उसी घड़ी + +"उसी समय" + +# तुम्हारे पिता का आत्मा + +यदि आवश्यक हो तो इसका अनुवाद हो सकता है, "तुम्हारे स्वर्गीय पिता की आत्मा" या पद-टिप्पणी लिखी जाए कि यह परमेश्वर पिता का पवित्र आत्मा है, न कि सांसारिक पिता की आत्मा। + +# तुम में + +"तुम्हारे माध्यम से" diff --git a/mat/10/21.md b/mat/10/21.md new file mode 100644 index 0000000..f74b724 --- /dev/null +++ b/mat/10/21.md @@ -0,0 +1,47 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है। + +# भाई- भाई को और पिता पुत्र को घात के लिए सौंपेंगे। + +वैकल्पिक अनुवाद "भाई-भाई को मरवाने के लिए पकड़़वाएगा और पिता अपनी सन्तान को मरवाने के लिए पकड़वाएगा"। + +# सौंपेगे + +इसका अनुवाद वैसा ही करना होगा जैसा में "सौपेंगे" का किया है। + +# विरोध में उठकर + +"विद्रोह करेंगे" (यू.डी.बी.) या "विरूद्ध हो जायेंगे" + +# उन्हें मरवा डालेंगे। + +"उन्हें घात करवाएंगे" या "अधिकारियों द्वारा उन्हें मृत्यु दण्ड दिलवाएंगे।" + +# सब लोग तुमसे बैर करेंगे। + +वैकल्पिक अनुवाद, "सब तुमसे घृणा करेंगे" या "मनुष्य तुमसे घृणा करेंगे"। + +# तुम्हें.... तुम + +अर्थात बारह प्रेरित (शिष्य) + +# मेरे नाम के कारण + +"मेरे कारण" या "क्योंकि तुम मुझमें विश्वास करते हो"।(यू.डी.बी.) + +# जो धीरज धरे रहेगा + +"जो विश्वासी बना रहेगा"। + +# उसी का उद्धार होगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर उसे बचा लेगा"। + +# दूसरे को भाग जाना। + +"दूसरे नगर में चले जाना" + +# आ जायेगा + +"पहुँच जायेगा"। diff --git a/mat/10/24.md b/mat/10/24.md new file mode 100644 index 0000000..1ccca02 --- /dev/null +++ b/mat/10/24.md @@ -0,0 +1,51 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है। + +# चेला अपने गुरू से बड़ा नहीं होता। + +यह एक सामान्य तथ्य है न कि किसी शिष्य विशेष या उसके गुरू के बारे में है। शिष्य अपने गुरू से अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं होता है। इसका कारण है कि वह "गुरू से अधिक ज्ञान नहीं रखता है" या उसका "पद बड़ा नहीं है" या "अधिक उत्तम नहीं है"। वैकल्पिक अनुवाद है, "शिष्य सदैव ही गुरू से कम महत्त्वपूर्ण होता है" या "गुरू सदैव ही शिष्य से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।" + +# न दास अपने स्वामी से। + +"दास अपने स्वामी पर अधिकारी नहीं होता है"यह भी एक सामान्य तथ्य है, न कि किसी दास विशेष या उसके स्वामी से संबन्धित है। दास अपने स्वामी से न तो "अधिक बड़ा" होता है न ही "अधिक महत्त्वपूर्ण" होता है। वैकल्पिक अनुवाद, "दास सदैव ही अपने स्वामी से कम महत्त्वपूर्ण होता है", या "स्वामी सदैव ही दास से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है"। + +# दास + +"दास" + +# स्वामी + +"स्वामी" + +# चेले का गुरू के बराबर होना ही बहुत है। + +"शिष्य" को अपने गुरू के जैसा होने में ही सन्तोष करना है"। + +# गुरु के समान + +"अपने गुरु के तुल्य ज्ञानवान" या "जैसा गुरू वैसा चेला" होना ही पर्याप्त है। + +# दास का अपने स्वामी के बराबर। + +.... और दास को अपने स्वामी के तुल्य महत्त्वपूर्ण होना ही पर्याप्त है“। + +# उन्होंने घर के स्वामी को शैतान कहा तो उसके घरवालों को क्या कुछ न कहेंगे। + +यीशु के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा था अतः यीशु के शिष्यों को भी वैसे ही व्यवहार वरन् उससे भी बुरे की अपेक्षा करना है।(देखें यू.डी.बी) + +# यदि उन्होंने.... कहा + +वैकल्पिक अनुवाद, "क्योंकि उन्होंने... कहा है।" + +# घर के स्वामी को + +यीशु "घर के स्वामी" को अपने लिए उपमा स्वरूप काम में ले रहा है। + +# शैतान + +मूल भाषा में इसका अर्थ हो सकता है, (1) बालज़बूल (2) या इसका अभिप्रेत अर्थ शैतान होता है। + +# उसके घरवालों को + +यीशु "घरवालों को" रूपक स्वरूप शिष्यों के लिए काम में ले रहा है। diff --git a/mat/10/26.md b/mat/10/26.md new file mode 100644 index 0000000..6e371d3 --- /dev/null +++ b/mat/10/26.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है। + +# मनुष्यों से मत डरना। + +"वे" सर्वनाम उन मनुष्यों का बोध करती है जो यीशु के शिष्यों को सताते थे। + +# कुछ ढका नहीं, जो खोला न जायेगा, और न कुछ छिपा है जो जाना न जायेगा। + +इस सादृश्य का अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, "परमेश्वर मनुष्यों की गुप्त बातों को प्रकट कर देगा"। (देखें: : ) + +# जो मैं तुमसे अन्धियारे में कहता हूँ, उसे तुम उजियाले में कहो, और जो कानों-कान सुनते हो, उसे छतों पर से प्रचार करो। + +इस सादृश्य का अनुवाद हो सकता है, "मैं जो अन्धेरे में कहा उसका दिन में प्रचार करो और जो कान में धीमे स्वर में सुनते हो उसका छतों पर से प्रचार करो"। + +# जो मैं तुमसे अन्धियारे में कहता हूँ + +“जो मैं तुमसे गुप्त रूप से कहता हूँ“ या ”जो बातें मैं तुमसे अकेले में कहता हूँ” । + +# उजियाले में कहो + +"खुलकर कहो" या "सबको सुनाओं" (देखें यू.डी.बी.) + +# जो कानों में सुनते हो। + +"मैं तुम्हारे कानों में जो मन्द स्वर में कहता हूँ।" + +# उसे छतों पर से प्रचार करो। + +"सबको ऊंचे शब्दों में सुनाओ" यीशु के युग में घर की छतें समतल होती थी और यदि वहाँ से कोई कुछ कह ले सब सुन सकते थे। diff --git a/mat/10/28.md b/mat/10/28.md new file mode 100644 index 0000000..c634c03 --- /dev/null +++ b/mat/10/28.md @@ -0,0 +1,59 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है। + +# जो शरीर को घात करते हैं पर आत्मा को घात नहीं कर सकते उनसे मत डरना। + +"मनुष्यों से मत डरना क्योंकि वे शरीर को घात करते हैं आत्मा को नहीं"। + +# शरीर को घात करते हैं। + +शरीर को मार सकते हैं यदि ये शब्द अनुचित प्रतीत हों तो इसका अनुवाद हो सकता है, "जो तुम्हारी हत्या करते हैं" या "मनुष्यों की हत्या करते हैं"। + +# शरीर + +मनुष्य का वह भाग जो हुआ जा सकता है। + +# आत्मा को घात नहीं कर सकते + +मनुष्य के मरने के बाद हानि नहीं पहुंचा सकते। + +# आत्मा + +मनुष्य का वह भाग जिसको स्पर्श नहीं किया जा सकता और जो मरणोपरान्त जीवित रहता है। + +# क्या पैसो में दो गौरैयें नहीं बिकतीं? + +इस प्रश्न का अनुवाद हो सकता है, "गौरैयों को देखो। उनका मूल्य कितना कम है कि एक पैसे में दो खरीदी जा सकती हैं"(यू.डी.बी.)। + +# गौरैयें + +इन छोटे दाना चुगने वाले पक्षियों को रूपक स्वरूप उन वस्तुओं के लिए काम में लिया जाता है जिन्हें महत्त्वहीन समझा जाता है। + +# पैसा + +इसका अनुवाद लक्षित भाषा में सबसे छोटी मुद्रा के लिए किया जाए। यह एक ताँबे का सिक्का था जो मजदूर की एक दिन की मजदूरी सौलहवें भाग के बराबर था। इसका अनुवाद "बहुत कम पैसों में" भी हो सकता है। + +# तौभी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उनमें से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। + +इस अभिव्यक्ति का अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, "उनमें से एक भी मरेगी तो पिता को उसकी जानकारी होगी"। या "केवल पिता की जानकारी से ही एक भी मरेगी"। + +# एक भी। + +"एक भी गौरैया" + +# भूमि पर नहीं गिर सकती। + +"नहीं मर सकती" + +# तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं। + +"परमेश्वर जानता है कि तुम्हारे सिर पर कितने बाल हैं।" + +# गिने हुए हैं। + +"गणना की हुई है"। + +# तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो। + +परमेश्वर तुम्हें बहुत अधिक गौरैयों से बढ़कर मानता है। diff --git a/mat/10/32.md b/mat/10/32.md new file mode 100644 index 0000000..bfc6b20 --- /dev/null +++ b/mat/10/32.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है। + +# जो कोई मनुष्यों के आगे मुझे मान लेगा। + +“जो मनुष्यों के सामने प्रकट करे कि वह मेरा शिष्य है” या “जो कोई मनुष्यों के समक्ष मेरे प्रति स्वामि-भक्ति स्वीकार करेगा”। + +# मान लेगा। + +"स्वीकार करेगा" (यू.डी.बी.) + +# मनुष्यों के सामने + +"मनुष्यों के समक्ष" या "दूसरों के समक्ष" + +# अपने स्वर्गीय पिता + +यीशु स्वर्गीय पिता परमेश्वर के बारे में कह रहा है। + +# जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इन्कार करेगा। + +जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इंकार करेगा "जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा त्याग करेगा" या "जो मनुष्यों के समक्ष तुमसे विमुख होगा" या "जो मनुष्य के समक्ष मेरा शिष्य होना स्वीकार नहीं करेगा" या "जो मेरे प्रति स्वामिभक्ति का इन्कार करेगा"। diff --git a/mat/10/34.md b/mat/10/34.md new file mode 100644 index 0000000..3d37346 --- /dev/null +++ b/mat/10/34.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों से उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है। + +# यह न समझो + +"ऐसा नहीं सोचना" या "यह नहीं मानना" + +# तलवार + +इस रूपक का अर्थ हो सकता है, (1) हिंसक मृत्यु (देखें क्रूस 10:37/10:38) या (2) विभाजन कारी कलह + +# कर दूँ। + +"बदल दूँ", या "विभाजित कर दूं" या "पृथक कर दूँ"। + +# मनुष्य को उसके पिता से + +"पुत्र को पिता के विरूद्ध" + +# मनुष्य के बैरी + +मनुष्य के बैरी या "मनुष्य के सबसे बड़े दुश्मन" + +# उसके घर ही के लोग होंगे। + +"उसके परिवार के अपने सदस्य" diff --git a/mat/10/37.md b/mat/10/37.md new file mode 100644 index 0000000..4b5b584 --- /dev/null +++ b/mat/10/37.md @@ -0,0 +1,55 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है। + +# जो अपने माता-पिता को मुझसे अधिक प्रिय जानता है वह मेरे योग्य नहीं। + +वैकल्पिक अनुवाद, "जो .... प्रिय जानते हैं वे .... योग्य नहीं" या "यदि तुम.... प्रेम करते हो तो .... योग्य नहीं।" + +# जो + +इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, "जो कोई" या "वह जो" या "जो मनुष्य"। (देखें यू.डी.बी.) + +# प्रिय जानते हैं। + +यहाँ "प्रिय" का अर्थ है "भाईचारे का प्रेम" "या" "मित्र का प्रेम" इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, "चिन्ता करता है" या "समर्पित है” या "लगाव रखता है"। + +# मेरे योग्य नहीं। + +इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, "मेरा होने के योग्य नहीं" या "मेरा होने के योग्य नहीं" या "मेरा शिष्य होने के योग्य नहीं" या "मेरा होने का नहीं"।(देखें यू.डी.बी.) + +# जो अपना क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले। + +वैकल्पिक अनुवाद, "जो अपना क्रूस न उठाएं वे .... योग्य नहीं" या "यदि तुम अपना क्रूस न उठाओ तो ...योग्य नहीं" या जब तक तुम अपना क्रूस न उठाओ तब तक ... योग्य नहीं"। + +# क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले। + +यह मरने के लिए तैयार रहने का रूपक है। आपको सामान उठाकर किसी के पीछे चलने का कोई साधारण शब्द काम में लेना होगा। (देखें: Metaphor) + +# उठाकर + +"लेकर" या "उठाकर चलना"। + +# जो.... बचाता है .... खोएगा, जो खोता है वह उसे पायेगा। + +इनका अनुवाद यथा संभव कम से कम शब्दों में करना होगा। वैकल्पिक अनुवादः "जो खोज में रहेंगे....खोएंगे और जो खोएंगे.... पाएंगे" या "यदि तुम खोजते हो तो खोओगे.... खोओगे तो .... पाओगे"। + +# पायेगा + +यह "रखने" या "बचाने" के लिए लाक्षणिक प्रयोग है। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, "रखने का प्रयास करता है" या "सुरक्षा करने का प्रयास करता है"। + +# खोएगा। + +इसका अर्थ यह नहीं कि मनुष्य मर जायेगा। यह "सच्चा जीवन नहीं पाएगा" के लिए प्रयुक्त रूपक है। + +# खोता है। + +वैकल्पिक अनुवाद हैः "त्यागता है" या "त्यागने के लिए तैयार हैं"। + +# मेरे लिए + +"क्योंकि वह मुझ में विश्वास करता है" (देखें यू.डी.बी.) या "मेरे लिए", या "मेरे लिए"। यह वही विचार है जो में व्यक्त है। + +# उसे पाएगा + +इस रूपक का अर्थ है "सच्चा जीवन पाएगा" diff --git a/mat/10/40.md b/mat/10/40.md new file mode 100644 index 0000000..3c633fa --- /dev/null +++ b/mat/10/40.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु अब अपने शिष्यों से कहना आरंभ करता है कि जब वे निकलेंगे तब उनकी सहायता करने वालों को वह प्रतिफल देगा। + +# वह जो + +इसका अनुवाद हो सकता है, "जो कोई" या "हर एक जो" या "वह जो"। (देखें: यू.डी.बी.) + +# ग्रहण करता है। + +यह वही शब्द है, जो में आया है, "ग्रहण" जिसका अर्थ है अतिथि स्वरूप ग्रहण करना। + +# तू + +"तुम्हें" सर्वनाम का अर्थ है वे शिष्य जिनसे यीशु बातें कर रहा है।" + +# मेरे भेजने वाले को ग्रहण करता है। + +"मेरे पिता परमेश्वर को ग्रहण करता है जिसने मुझे भेजा है"। diff --git a/mat/10/42.md b/mat/10/42.md new file mode 100644 index 0000000..ebe4ac7 --- /dev/null +++ b/mat/10/42.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +इसके साथ ही यीशु अपने प्रेरितों को ग्रहण करने वालों के प्रतिफल की चर्चा समाप्त करता है। + +# पिलाए + +"जो कोई भी पिलाए" + +# इन छोटों में से एक को मेरा चेला जानकर एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए। + +इन छोटों में से एक को मेरा चेला जानकर एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए । इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, "क्योंकि वह मेरा शिष्य है इन छोटों में से किसी एक को भी" या "मेरे शिष्यों में छोटे से छोटे को भी ठंडा पानी पिलाए"। + +# वह किसी रीति से अपना प्रतिफल न खोएगा। + +"वह मनुष्य निश्चय ही अपना प्रतिफल पाएगा"। + +# खोएगा। + +"इन्कार किया जाएगा" अधिकार से इसका कोई संबन्ध नहीं है। diff --git a/mat/11/01.md b/mat/11/01.md new file mode 100644 index 0000000..55777e0 --- /dev/null +++ b/mat/11/01.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +यह भाग यूहन्ना के चेलों को दिए गए यीशु के उत्तर का वृत्तान्त है। + +# जब उसके बारे में आया + +इस शब्द का उत्तरार्थ यह दिखाने के लिए है कि यह एक वृत्तान्त का आरंभ है। यदि आपकी भाषा में किसी वृत्तान्त को आरंभ करने का प्रावधान है तो उसका प्रयोग करें। इसका अनुवाद हो सकता है, "तब" या "इसके बाद" + +# आज्ञा + +इस शब्द का अनुवाद "शिक्षा" या "आदेश" भी हो सकता है। + +# बारह चेलों को + +यीशु के बारह चयनित शिष्य। + +# अब + +"उस समय" इसको छोड़ा जा सकता है। (देखें यू.डी.बी.) + +# यूहन्ना ने बन्दीगृह में .... सुना। + +वैकल्पिक अनुवाद, "यूहन्ना जो बन्दीगृह में था, उसने सुना कि" या "किसी ने यूहन्ना को बन्दीगृह में इसके बारे में बताया"। + +# उसने अपने चेलों को उससे यह पूछने भेजा। + +यूहन्ना ने अपने शिष्यों को सन्देश के साथ यीशु के पास भेजा। + +# उससे यह पूछने भेजा। + +"उससे" सर्वनाम यीशु के लिए काम में लिया गया है। + +# क्या आनेवाला तू ही है? + +अनुवाद कैसे भी करें, "आनेवाला" या "जिसकी हम प्रतीक्षा कर रहे हैं" यह मसीह (ख्रीस्त यू.डी.बी.) के लिए शिष्टोक्ति ही है। + +# बाट जोहें + +"आशा करें" यहाँ सर्वनाम "हम" केवल यूहन्ना और उसके शिष्यों के लिए नहीं है परन्तु सब यहूदियों के लिए है। diff --git a/mat/11/04.md b/mat/11/04.md new file mode 100644 index 0000000..e2f2093 --- /dev/null +++ b/mat/11/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +इसके साथ ही यूहन्ना के शिष्यों को दिया गया यीशु का उत्तर समाप्त होता है। + +# यूहन्ना से कह दो। + +"यूहन्ना को सुना दो"। diff --git a/mat/11/07.md b/mat/11/07.md new file mode 100644 index 0000000..cf2bd3e --- /dev/null +++ b/mat/11/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु जनसमूह से यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के बारे में चर्चा करता है। + +# तुम जंगल में क्या देखने गए थे? + +यीशु इस वाक्यांश को तीन प्रश्नों में व्यक्त करता है कि लोग सोचें कि यूहन्ना कैसा मनुष्य था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "क्या तुम देखने गए थे कि...? कदापि नहीं"। या "निश्चय ही तुम... देखने नहीं गए थे"। + +# क्या हवा में हिलते हुए सरकण्डे को? + +इसका अर्थ हो सकता है (1) यरदन नदी के किनारे पर उगने वाले पौधे (देखें यू.डी.बी.) या (2) मनुष्य के लिए एक रूपक, "एक मनुष्य जो सरकण्डे के समान हवा में हिलता था"। इस उपमा के दो संभावित अर्थ हैं, ऐसा मनुष्य (1) हवा द्वारा आसानी से हिलाया जा सकता है, आसानी से विचार बदलने वाला मनुष्य, या (2) हवा चलने पर बहुत आवाज करता है, महत्त्व की बात तो कम पर व्यर्थ की बातें अधिक करने वाला, + +# सरकण्डा + +एक लम्बी घास + +# कोमल वस्त्र पहनते + +"मंहगे वस्त्र पहने हुए" धनवान लोग ऐसे वस्त्र पहनते थे। + +# वास्तव में + +इस शब्द का अनुवाद प्रायः "देखो" किया जाता है कि अग्रिम बात पर बल दिया जाए। वैकल्पिक अनुवाद होगा, "निश्चय ही" diff --git a/mat/11/09.md b/mat/11/09.md new file mode 100644 index 0000000..750048b --- /dev/null +++ b/mat/11/09.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +यीशु यूहन्ना जनसमूह से बपतिस्मा देने वाले ही की चर्चा करता है। + +# क्या देखने गए थे? + +यहाँ भी यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से संबन्धित प्रश्नों का क्रम चल रहा है। + +# क्या किसी भविष्यद्वक्ता को देखने को? + +यहाँ सर्वनाम बहुवचन में है और जनसमूह के लिए है। + +# भविष्यद्वक्ता से भी बड़े को। + +"एक साधारण भविष्यद्वक्ता को नहीं", या "एक साधारण भविष्यद्वक्ता से भी अधिक महत्त्वपूर्ण मनुष्य को" + +# यह वही है। + +"यह" अर्थात यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला। + +# जिसके विषय में लिखा है। + +यहाँ "जिसके" वह संदर्भ अगले वाक्यांश में "अपने दूत" से है। + +# देख मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूँ जो तेरे आगे तेरा मार्ग तैयार करेगा। + +यीशु भविष्यद्वक्ता मलाकी का उद्धरण देते हुए कह रहा है यूहन्ना वही दूत है जिसकी चर्चा मलाकी की पुस्तक में की गई है । + +# मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूँ। + +यहाँ सर्वनाम "मैं" परमेश्वर के लिए काम में लिया गया है। पुराने नियम की भविष्यद्वाणी का लेखक परमेश्वर के शब्दों को ज्यों का त्यों व्यक्त कर रहा है। + +# तेरे आगे + +"तेरे सामने" या "तुम से आगे चलने के लिए" यहाँ "तेरे" एक वचन में है क्योंकि परमेश्वर मसीह से बातें कर रहा है। diff --git a/mat/11/11.md b/mat/11/11.md new file mode 100644 index 0000000..feb2df5 --- /dev/null +++ b/mat/11/11.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु यूहन्ना जनसमूह से बपतिस्मा देने वाले ही की चर्चा करता है। + +# जो स्त्रियों से जन्मे हैं। + +"जितनों को स्त्रियों ने जन्म दिया है," उनमें या "जितने मनुष्य अब तक रहे हैं उनमें" (देखें यू.डी.बी.) + +# उनमें से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ। + +वैकल्पिक अनुवाद, "यूहन्ना सबसे बड़ा है"। + +# स्वर्ग के राज्य में। + +जिस राज्य की परमेश्वर स्थापना करेगा उसके एक भाग में वैकल्पिक अनुवाद होगा, "जो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे" + +# वह उससे बड़ा है। + +"वह यूहन्ना से भी अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।" + +# यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के दिनों से अब तक। + +"जब से यूहन्ना ने प्रचार करना आरंभ किया है" + +# स्वर्ग के राज्य में बलपूर्वक प्रवेश होता रहा है। + +इसके संभावित अर्थ हैं (1) उग्रवादी वहाँ निरंकुश व्यवहार करते हैं (देखें यू.डी.बी.) या (2) मनुष्य स्वर्ग के राज्य की प्रजा को सताते है, या (3) स्वर्ग के राज्य बल के साथ बढ़ रहा है और बलवान लोग उसमें प्रवेश करना चाहते हैं। diff --git a/mat/11/13.md b/mat/11/13.md new file mode 100644 index 0000000..2bb34c1 --- /dev/null +++ b/mat/11/13.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु यूहन्ना जनसमूह से बपतिस्मा देने वाले ही की चर्चा करता है। + +# व्यवस्था + +व्यवस्था मूसा की व्यवस्था + +# यूहन्ना + +यूहन्ना , यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला। + +# चाहो तो + +यह जनसमूह के संदर्भ में है। + +# एलिय्याह यही है। + +"यही" अर्थात यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, यह वाक्य लाक्षणिक प्रयोग है कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला पुराने नियम में की गई एलिय्याह की भविष्यद्वाणी की पूर्ति है परन्तु वह यह नहीं कहता कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला ही एलिय्याह है। (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-metonymy]]) + +# जिसके सुनने के कान हो वह सुन ले। + +कुछ भाषाओं में द्वितीय पुरूष काम में लेना अधिक स्वाभाविक होगा। "सुनने के लिए तुम्हारे पास काम हों तो सुन लो"। (देखें [[rc://*/ta/man/translate/figs-123person]]) + +# जिसके सुनने के कान हों + +"जो सुन सकता है“ या "जो भी मेरी बात सुनता है" + +# वह सुन ले + +"वह ध्यान से सुन ले" या "वह मेरी बात पर ध्यान दे"। diff --git a/mat/11/16.md b/mat/11/16.md new file mode 100644 index 0000000..a2577d3 --- /dev/null +++ b/mat/11/16.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +यीशु यूहन्ना जनसमूह से बपतिस्मा देने वाले ही की चर्चा करता है। + +# उपमा किससे दूँ? + +यह प्रश्न का आरंभ है। यीशु इससे अपने युग के मनुष्यों की तुलना करना आरंभ करता है और बाजार में बैठे हुए बालकों से करता है। वह प्रश्न पूछ कर आरंभ करता है (देखें ) + +# वे उन बालकों के समान हैं जो बाजरों में बैठे हुए एक दूसरे से पुकार कर कहते हैं। + +इस उपमा का अर्थ हो सकता है (1) यीशु ने बाँसुरी बजाई और यूहन्ना ने ”विलाप किया“ परन्तु ”इस पीढ़ी न तो नाची और न विलाप किया, आज्ञाकारिता की आलोचना की कि वे व्यवस्था का पालन नहीं करते। व्यवस्था में जोड़े गए उनके अपने नियम + +# इस समय के लोगों + +"आज जो लोग हैं", या "ये लोग", या "इस पीढ़ी के तुम लोग" (देखें यू.डी.बी.) + +# बाजार + +यह एक खुला मैदान होता या जहाँ व्यापारी अपना सामान बेचने आते थे। + +# हमने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजाई। + +"हमने" अर्थात बाजार में बैठे बालक "तुम्हारे" अर्थात वह पीढ़ी या वह जनसमूह जो संगीत सुनकर प्रतिक्रिया नहीं दिखाता है। + +# बाँसुरी + +यह एक लम्बा खोखला वा़द्य यन्त्र है जिसे एक सिरे से फूंक कर बजाया जाता था। + +# पर तुम न नाचे + +"परन्तु तुम संगीत के अनुसार नहीं नाचे" + +# तुमने छाती नहीं पीटी। + +"तुम हमारे साथ रोए नहीं" diff --git a/mat/11/18.md b/mat/11/18.md new file mode 100644 index 0000000..b43ee89 --- /dev/null +++ b/mat/11/18.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# x + +यीशु जनसमूह से यूहन्ना की चर्चा समाप्त करता है। + +# न खाता आया + +"भोजन नहीं करता था", "बहुधा उपवास रखता था" या सामान्य उत्तम भोजन नहीं खाता था (यू.डी.बी.) इसका अर्थ यह नहीं कि यूहन्ना भोजन ही नहीं करता था। + +# वे कहते हैं "उसमें दुष्टात्मा है।" + +यीशु यूहन्ना के विषय लोगों की बातों का उद्धरण दे रहा है इसका अनुवाद परोक्ष वाक्य में किया जा सकता है, "वे कहते हैं कि उसमें दुष्टात्मा है" या "वे उस पर दुष्टात्माग्रस्त होने का दोष लगाते हैं।" + +# उन्होंने + +"वे" अर्थात वह पीढ़ी (पद 16) + +# मनुष्य का पुत्र + +क्योंकि यीशु उन लोगों से अपेक्षा करता था कि वे उसे पहचान लें कि वह मनुष्य का पुत्र है, अतः इसका अनुवाद किया जा सकता है, "मैं, मनुष्य का पुत्र"। + +# वे कहते हैं देखो पेटू.... मनुष्य। + +यीशु लोगों की बातों का उद्धरण दे रहा है कि वे उसके अर्थात मनुष्य के पुत्र के बारे में क्या कहते हैं। इसका अनुवाद परोक्ष वाक्य में किया जा सकता है, "वे कहते हैं कि वह पेटू मनुष्य है", या "वे उस पर खाते रहने का दोष लगाते हैं।" यदि आप "मनुष्य के पुत्र" का अनुवाद "मैं, मनुष्य का पुत्र" करते हैं तो परोक्ष उद्धरण को अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "वे कहते हैं कि मैं पेटू मनुष्य हूँ"। + +# वह पेटू मनुष्य है + +"वह खाने का लालची है" या "वह स्वभाव से ही बहुत खाता है"। + +# पियक्कड़ + +"पियक्कड़" या "बहुत मदिरा पीने वाला" + +# पर ज्ञान अपने कामों से सच्चा ठहराया जाता है। + +यह संभवतः एक नीतिवचन है जिसे यीशु इस परिस्थिति में प्रासंगिक बना रहा है क्योंकि जिन मनुष्यों ने यीशु को और यूहन्ना को ग्रहण नहीं किया वे बुद्धिमान नहीं हैं। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है जैसा यू.डी.बी. में है। + +# ज्ञान अपने कामों से सच्चा ठहराया जाता है। + +ज्ञान को मानव रूप देने की इस अभिव्यक्ति का अभिप्राय यह नहीं कि ज्ञान परमेश्वर के समक्ष उचित ठहरे परन्तु इस अभिप्राय में कि वह सच्चा ठहराया जाता है। (देखें: )) + +# अपने कामों से + +"अपने" सर्वनाम शब्द के मानवीकरण के संदर्भ में है। diff --git a/mat/11/20.md b/mat/11/20.md new file mode 100644 index 0000000..d2b0dc8 --- /dev/null +++ b/mat/11/20.md @@ -0,0 +1,55 @@ +# x + +यीशु उन नगरों की आलोचना करना आरंभ करता है जहाँ उसने पहले चमत्कार किए थे। + +# नगरों को उलाहना देने लगा। + +यीशु लाक्षणिक प्रयोग द्वारा उन नगरों के निवासियों को गलत काम के विषय ठहराते हैं। + +# नगर + +शहरी क्षेत्र + +# जिनमें उसने बहुत से सामर्थ्य के काम किए। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है। + +# सामर्थ्य के काम। + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, "आश्चर्यकर्म" या "शक्ति प्रदर्शन के काम" या "चमत्कार" (यू.डी.बी.) + +# क्योंकि उन्होंने अपना मन नहीं फिराया। + +"उन्होंने" उन लोगों के संदर्भ में है जिन्होंने उन नगरों में पश्चाताप नहीं किया था। + +# हाय, खुराजीन! हाय, बैतसैदा! + +यीशु इस प्रकार बोल रहा है कि मानों खुराजीन और बैतसैदा के निवासी सुन रहे हों परन्तु वे वहाँ नहीं हैं। (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-metonymy]]) + +# खुराजीन.... बैतसैदा... सूर और सैदा + +इन नगरों के नामों का लाक्षणिक प्रयोग किया गया है जो वास्तव में उनके निवासियों ने संदर्भ में है। + +# जो सामर्थ्य के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्यों में किया जा सकता है, "यदि मैं सूर और सैदा में चमत्कार दिखाता" + +# हाय। + +यहाँ एकवचन काम में लिया गया है। + +# वे कब के मन फिरा लेते। + +"वे" सर्वनाम सूर और सैदा के लोगों के संदर्भ में है। + +# मन फिरा लेते + +"वे पापों का दुःख प्रकट करते“ + +# न्याय के दिन तेरी दशा से सदोम की दशा अधिक सहने योग्य होगी। + +"न्याय के दिन परमेश्वर तुम्हारी अपेक्षा सूर और सैदा पर अधिक दया दिखाएगा" या "परमेश्वर, न्याय के दिन तुम्हें सूर और सैदा के निवासियों से अधिक दण्ड देगा" (देखें यू.डी.बी.) यहाँ सलंग्न जानकारी है, "क्योंकि तुमने मन फिराकर मुझमें विश्वास नहीं किया है जबकि तुमने तो मेरे चमत्कारों को देखा है"। + +# तेरी .... दशा से + +"तेरी" सर्वनाम एक वचन में है और खुराजीन या बैतसैदा के लिए काम में लिया गया है। diff --git a/mat/11/23.md b/mat/11/23.md new file mode 100644 index 0000000..04c162c --- /dev/null +++ b/mat/11/23.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +यीशु उन नगरों के विरोध में ही कह रहा है जिसमें उसने पहले चमत्कार दिखाए थे। + +# हे कफरनहूम + +अब यीशु कफरनहूम के निवासियों को संबोधन कर रहा है जैसे कि मानों वे सुन रहे हैं परन्तु वे सुन नहीं रहे हैं। (देखें /उत्संबोधन) "तू" सर्वनाम यहाँ एकवचन में है और इन दोनों पदों में हर जगह कफरनहूम का बोध कराता है। + +# कफरनहूम .... सदोम + +इन नगरों कें नाम लाक्षणिक प्रयोग हैं जिसका अर्थ है वहाँ के निवासी (देखें: /लाक्षणिक प्रयोग) + +# क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा किया जायेगा? + +इस प्रश्न के द्वारा यीशु कफरनहूम के निवासियों को उनके घमण्ड के लिए झिड़कता है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, "क्या तू स्वर्ग तक जायेगा"? या "क्या तू सोचता है कि परमेश्वर तुझे सम्मानित करेगा"? + +# ऊँचा किया जायेगा। + +ऊँचा किया जायेगा "सम्मानित किया जायेगा" (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-idiom]]) + +# तू तो अधोलोक तक नीचे जायेगा। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, "परमेश्वर तुझे अधोलोक में गिराएगा"। + +# जो सामर्थ्य के काम तुझमें किए गए हैं, यदि सदोम में किए जाते + +जो सामर्थ्य के काम तुझ में किए गए हैं, यदि सदोम में किए जाते इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, "यदि मैं उन सामर्थी कार्यों को करता जो मैंने तुझ में किए हैं"। + +# सामर्थ्य के काम। + +सामर्थ्य के काम, "बड़े-बड़े काम", "शक्ति प्रदर्शन के काम" या "चमत्कार"। (यू.डी.बी.) + +# तो वह आज तक बना रहता। + +"वह" सर्वनाम सदोम का बोध कराता है। + +# न्याय के दिन तेरी दशा से सदोम की दशा अधिक सहनेयोग्य होगी। + +इसका अनुवाद हो सकता है, "न्याय के दिन परमेश्वर तेरी अपेक्षा सदोम को अधिक दया दिखाएगा" या "न्याय के दिन परमेश्वर तुझे सदोम के निवासियों से अधिक दण्ड देगा" (देखें यू.डी.बी.) यहाँ सलंग्न जानकारी है, "क्योंकि तूने मन फिराकर मुझमें विश्वास नहीं किया है जबकि तूने मेरे आश्चर्यकर्म देखे हैं"। (देखें [[rc://*/ta/man/translate/figs-explicit]]) diff --git a/mat/11/25.md b/mat/11/25.md new file mode 100644 index 0000000..d8fff7d --- /dev/null +++ b/mat/11/25.md @@ -0,0 +1,75 @@ +# x + +जनसमूह के मध्य रहते हुए यीशु स्वर्गीय पिता से विनती करता है। + +# यीशु ने कहा। + +इसका अर्थ हो सकता है, (1) 10:05/10:5 में यीशु ने जिन शिष्यों को भेजा था वे लौट आए (देखें 12:01/12:1) और यीशु उनमें से किसी की बात पर प्रतिक्रिया दिखा रहा है या (2) यीशु उन मन न फिराने वाले नगरों के दोषारोपण का समापन कर रहा हैः उसी समय यीशु ने कहा। + +# हे पिता + +हे पिता , यह पिता परमेश्वर है न कि उसका सांसारिक पिता। + +# स्वर्ग और पृथ्वी के पुत्र + +इसका अनुवाद लाक्षणिक प्रयोग स्वरूप किया जा सकता है, "स्वर्ग और पृथ्वी की सब वस्तुओं के स्वामी" या स्वरूप "जगत के स्वामी", + +# तूने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रकट किया है। + +"इन बातों" से यीशु का तात्पर्य क्या था स्पष्ट नहीं है। यदि आपकी भाषा में इसका अर्थ स्पष्ट करने की आवश्यकता पड़े तो वैकल्पिक अनुवाद सर्वोत्तम होगा, "तूने अज्ञानियों पर उस सत्य का प्रकाशन किया है जो तूने ज्ञानियों और समझदारों को सीखने नहीं दिया"। + +# छिपा रखा + +यह क्रिया "प्रकट" का विशेष शब्द है। + +# ज्ञानवान एवं समझदार + +"जो मनुष्य ज्ञानवान और समझदार हैं" इसका वैकल्पिक अनुवाद है, "अपने आपको ज्ञानवान और समझदार मानने वाले"। (देखें यू.डी.बी., ) + +# प्रकट किया + +"उन बातों को प्रकट किया।" + +# वे जो बालकों के सदृश्य अज्ञानी हैं। + +संपूर्ण वाक्यांश में एक शब्द का अनुवाद किया गया है जिसका अर्थ है, "छोटे बच्चे", "अबोध" या "अज्ञानी", इसका वैकल्पिक अनुवाद है, "अबोध छोटे बच्चे"। + +# बालक (अबोध बालक स्वरूप) + +बालक , यह उन लोगों के लिए उपमा का प्रयोग है जो स्वयं को ज्ञानवान और अधिक शिक्षित नहीं समझते हैं। + +# तुझे यही अच्छा लगा। + +"क्योंकि तूने देखा कि ऐसा करना अच्छा है"। + +# मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से किया जा सकता है, "मेरे पिता ने सब कुछ मुझे सौंप दिया है" या "मेरे पिता ने सब कुछ मेरे हाथों में कर दिया है"। + +# कोई पुत्र को नहीं जानता केवल पिता। + +"केवल पिता ही पुत्र को जानता है"। + +# पुत्र को जानता है। + +व्यक्तिगत अनुभव से जानता है। + +# पुत्र + +यीशु स्वयं के अन्य पुरूष के रूप में व्यक्त कर रहा है। + +# कोई पिता को नहीं जानता केवल पुत्र + +केवल पुत्र ही पिता को जानता है। + +# पिता को ... जानता है। + +"व्यक्तिगत" अनुभव से जानता है। + +# और वह जिसे पुत्र उस पर प्रकट करना चाहे। + +वैकल्पिक अनुवादः "मनुष्य पिता को तब ही जान सकता है जब केवल पुत्र पिता को उस पर प्रकट करना चाहे"। + +# जिस पर पुत्र उसे प्रकट करना चाहे। + +"उसे" पिता परमेश्वर के लिए काम में लिया गया सर्वनाम है। diff --git a/mat/11/28.md b/mat/11/28.md new file mode 100644 index 0000000..39c8784 --- /dev/null +++ b/mat/11/28.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु जनसमूह से बातें करना समाप्त करता है। + +# हे सब परिश्रम करने वालो और बोझ से दबे हुए लोगो। + +यह रूपक यहूदियों की व्यवस्था में जूए का संदर्भ देता है + +# मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। + +"मैं तुम्हें तुम्हारे परिश्रम और बोझ से विश्राम करने दूँगा"। + +# "मेरा जुआ" अपने ऊपर उठा लो। + +इस पद में सर्वनाम "अपने", "सब परिश्रम करनेवालों और बोझ से दबे हुए लोगों" का बोध कराता है। इस रूपक का अर्थ है, "जो काम मैं तुम्हें दूं उसे स्वीकार कर लो", (देखें यू.डी.बी.) या "मेरे साथ काम करो"। + +# मेरा बोझ हल्का है। + +यहाँ "हल्का" शब्द भारी का विलोम शब्द है। diff --git a/mat/12/01.md b/mat/12/01.md new file mode 100644 index 0000000..c6ce936 --- /dev/null +++ b/mat/12/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को फरीसियों के आरोप से बचाता है क्योंकि उन्होंने भूख मिटाने के लिए सब्त के दिन गेहूँ की बालें तोड़कर खाई थी। + +# खेतों + +गेहूँ उगने का स्थान। यदि गेहूँ अपरिचित है और "अन्न" अत्यधिक सामान्य शब्द है तो "रोटी के लिए काम में आनेवाले अन्न का खेत" काम में लें। + +# वे बालें तोड़कर खाने लगे.... तेरे चेले वह काम कर रहे हैं जो सब्त के दिन करना उचित नहीं। + +किसी के खेत से गेहूँ तोड़कर खाना चोरी नहीं माना जाता था (देखें यू.डी.बी.) प्रश्न तो यह था कि यह विधि सम्मत कार्य सब्त के दिन एक विधि सम्मत काम है। + +# उन्हें + +गेहूँ की बालें + +# गेहूँ की बालें + +यह गेहूँ के पौधे का ऊपरी भाग है इसमें उस पौधे के बीज होते हैं, गेहूँ का पौधा बड़ी घास के जैसा होता है। + +# देख + +वैकल्पिक अनुवाद, "देखो" या "सुनो" या "जो मैं कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दो"। diff --git a/mat/12/03.md b/mat/12/03.md new file mode 100644 index 0000000..ace1874 --- /dev/null +++ b/mat/12/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को बचा रहा है जब फरीसी उन पर दोष लगा रहे थे कि वे सब्त के दिन गेहूँ कि बालें तोड़कर खा रहे थे। + +# उनसे ... तुम + +फरीसियों से + +# क्या तुमने यह कभी नहीं पढ़ा + +यीशु फरीसियों को कोमलता से झिड़क रहा है कि उन्होंने पढ़कर भी नहीं सीखा। वैकल्पिक अनुवाद, "तुमने जो पढ़ा है उससे सीखना तो आवश्यक है"। + +# वह ... उसके + +दाऊद + +# भेंट की रोटी + +जो रोटी परमेश्वर को चढ़ाई जाती थी और मेज पर रखी रहती थी(यू.डी.बी) + +# उसके साथी + +"जो पुरूष दाऊद के साथ थे"। + +# केवल याजकों को उचित था। + +"केवल याजक ही उन्हें खा सकते थे।" diff --git a/mat/12/05.md b/mat/12/05.md new file mode 100644 index 0000000..1f99358 --- /dev/null +++ b/mat/12/05.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को बचा रहा है जब फरीसी उन पर दोष लगा रहे थे कि वे सब्त के दिन गेहूँ कि बालें तोड़कर खा रहे थे। + +# तुम ... तुम + +फरीसियों से + +# क्या तुमने व्यवस्था में नहीं पढ़ा? + +"तुमने व्यवस्था पढ़ी है इसलिए तुम जानते हो कि वहाँ लिखा है" + +# विधि को तोड़ने पर + +"सब्त के दिन दैनिक काम करना" + +# निर्दोष ठहरते हैं + +"परमेश्वर उन्हें दण्ड नहीं देगा" + +# वह है जो मन्दिर से भी बड़ा है। + +"वह जो मन्दिर से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है" यीशु स्वयं को मन्दिर से भी बड़ा बता रहा है। diff --git a/mat/12/07.md b/mat/12/07.md new file mode 100644 index 0000000..221bef1 --- /dev/null +++ b/mat/12/07.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को बचा रहा है जब फरीसी उन पर दोष लगा रहे थे कि वे सब्त के दिन गेहूँ कि बालें तोड़कर खा रहे थे। + +# यदि तुम इसका अर्थ जानते, + +"तुम नहीं जानते" + +# तुम ... तुम + +फरीसियों से + +# मैं दया से प्रसन्न होता हूँ बलिदान से नहीं। + +बलिदान अच्छे हैं पर दया अधिक अच्छी है। + +# इसका अर्थ क्या है? + +"परमेश्वर ने धर्मशास्त्र में क्या कहा है"? + +# मैं .... प्रसन्न होता हूँ। + +"मैं" परमेश्वर का संदर्भ देता है। diff --git a/mat/12/09.md b/mat/12/09.md new file mode 100644 index 0000000..79d8b38 --- /dev/null +++ b/mat/12/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु की फरीसियों के प्रति प्रतिक्रिया क्योंकि वे सब्त के दिन यीशु द्वारा चंगाई के कार्य की आलोचना कर रहे थे। + +# वहाँ से चलकर वह + +"यीशु खेतों से निकलकर" + +# उनके + +उन फरीसियों के आराधनालय में जिनसे वह बातें कर रहा था। + +# देखो + +यह शब्द "देखो" कहानी में नए मोड़ की हमें सूचना देता है। आपकी भाषा में इसका प्रावधान होगा। + +# हाथ सुखा हुआ था + +"कुम्भलाया हुआ" या "मुड़ा हुआ" diff --git a/mat/12/11.md b/mat/12/11.md new file mode 100644 index 0000000..13aae8d --- /dev/null +++ b/mat/12/11.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु की फरीसियों के प्रति प्रतिक्रिया क्योंकि वे सब्त के दिन यीशु द्वारा चंगाई के कार्य की आलोचना कर रहे थे। + +# तुम में ऐसा कौन है... वह उसे पकड़ कर न निकाले। + +"तुम्हारे मध्य ऐसा कोई है जो सब्त के दिन खड्डे में गिरी अपनी भेड़ को पकड़ कर बाहर न निकाले"? वैकल्पिक अनुवाद, "तुममें से हर एक ... उसे पकड़कर बाहर निकाले"। + +# उनसे ... तुम + +फरीसियों से + +# जिसकी + +"यदि उसके पास .... हो" + +# बाहर न निकले? + +उसे पकड़ कर न निकाले? + +# सब्त के दिन भलाई करना उचित है। + +"जो भलाई करते है वे सब्त की अवज्ञा नहीं करते" या "जो भलाई करते हैं वे सब्त पालन ही करते हैं"। diff --git a/mat/12/13.md b/mat/12/13.md new file mode 100644 index 0000000..c333984 --- /dev/null +++ b/mat/12/13.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +यीशु की फरीसियों के प्रति प्रतिक्रिया क्योंकि वे सब्त के दिन यीशु द्वारा चंगाई के कार्य की आलोचना कर रहे थे। + +# उस मनुष्य से + +वह मनुष्य जिसका हाथ सूखा हुआ था। + +# अपना हाथ बढ़ा। + +"अपना हाथ उठा" या "अपना हाथ आगे कर" + +# उसने + +उस मनुष्य से + +# वह + +उसका हाथ + +# अच्छा हो गया + +"पूरा चंगा हो गया" या "फिर से स्वस्थ होगा" + +# सम्मति की + +"उसे घात करने की योजना बनाई" + +# उसे किस प्रकार + +"मार्ग खोजने लगे" + +# उसे .... नष्ट करें + +"यीशु को घात करें" diff --git a/mat/12/15.md b/mat/12/15.md new file mode 100644 index 0000000..7901686 --- /dev/null +++ b/mat/12/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +इस वृत्तान्त में दर्शाया गया है कि यीशु के कामों से यशायाह की भविष्यद्वाणी कैसे पूरी हुई है। + +# यह + +"कि फरीसी इसे घात करने की योजना बना रहे हैं।" + +# निकल गया + +"प्रस्थान किया" + +# प्रगट न करना। + +"उसके बारे में किसी से न कहना"। + +# ताकि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा कहा गया था वह पूरा हो। + +"यशायाह के लिखे हुए वचनों द्वारा परमेश्वर ने जो कहा था"। diff --git a/mat/12/18.md b/mat/12/18.md new file mode 100644 index 0000000..1805fdb --- /dev/null +++ b/mat/12/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस वृत्तान्त में भी वही दर्शाया गया है कि यीशु के कामों से भविष्यद्वक्ता यशायाह की एक भविष्यद्वाणी कैसे पूरी होती है। यशायाह ने परमेश्वर के शब्दों को ही लिखा था। diff --git a/mat/12/19.md b/mat/12/19.md new file mode 100644 index 0000000..3a2ad3c --- /dev/null +++ b/mat/12/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +इस वृत्तान्त में भी वही दर्शाया गया है कि यीशु के कामों से भविष्यद्वक्ता यशायाह की एक भविष्यद्वाणी कैसे पूरी होती है। यशायाह ने परमेश्वर के शब्दों को ही लिखा था। + +# वह .... उसके + +"सेवक" . + +# वह कुचले हुए सरकण्डे को न कुचलेगा। + +"वह दुर्बलों को तुच्छ न जानेगा।" + +# कुचले हुए + +"थोड़ा टूटा या क्षतिग्रस्त" + +# धुआं देती हुई बत्ती + +धुआं देती हुई बत्ती, बुझाने के बाद जब दीपक की बत्ती धुआं देती है। इसका अर्थ है जो मनुष्य असहाय और बदकिस्मत हैं + +# जब तक + +इसके लिए एक नया वाक्य लिखा जा सकता है, "वह ऐसा ही करेगा जब तक" + +# न्याय को प्रबल कराए। + +"वह मनुष्यों को विश्वास दिलाता है कि वह न्यायी है"। diff --git a/mat/12/22.md b/mat/12/22.md new file mode 100644 index 0000000..a110d66 --- /dev/null +++ b/mat/12/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त यहाँ से आरंभ होता है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है। + +# अंधे-गूंगे को + +"जो न देख सकता था न बोल सकता था"। + +# सब लोग चकित होकर + +"लोगों ने देखा कि यीशु ने उसे चंगा किया तो सब चकित हो गए।" diff --git a/mat/12/24.md b/mat/12/24.md new file mode 100644 index 0000000..0af8de4 --- /dev/null +++ b/mat/12/24.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है। + +# इस पर (आश्चर्यकर्म) + +अंधे गूंगे और दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य की चंगाई का आश्चर्यकर्म + +# बालज़बूल की सहायता के बिना दुष्टात्माओं को नहीं निकाल सकता। + +बालज़बूल की सहायता के बिना दुष्टात्माओं को नहीं निकाल सकता। यह बालज़बूल का सेवक होने के कारण ही दुष्टात्मा निकाल सकता है। + +# यह + +फरीसी यीशु का नाम नहीं लेते थे कि उनके द्वारा यीशु का इन्कार प्रकट हो। + +# उनके .... उनसे + +उनके .... उनसे .... फरीसियों diff --git a/mat/12/26.md b/mat/12/26.md new file mode 100644 index 0000000..53ab130 --- /dev/null +++ b/mat/12/26.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है। + +# शैतान ही शैतान को निकाले। + +"यदि शैतान अपने ही राज्य के विरूद्ध काम करे" + +# उसका राज्य कैसे बना रहेगा? + +"शैतान का राज्य कैसे स्थिर रहेगा" या "शैतान के राज्य का पतन हो जायेगा"। + +# निकाले + +"बाहर निकलने पर विवश करे", या "बहिष्कार करे", या "निकाल दे", या "निष्काषित करे"। + +# तुम्हारे वंश किस की सहायता से निकालते हैं? + +वैकल्पिक अनुवादः बालज़बूल की ही सहायता से तुम्हारे वंश भी दुष्टात्माएं निकालते होंगे“। (देखें यू.डी.बी.)। + +# वे ही तुम्हारा न्याय करेंगे। + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हारा वंश परमेश्वर के सामर्थ्य से दुष्टामाएं निकालता है तो वही तुम्हारा न्याय करे जब तुम कहते हो कि मैं बालज़बूल की सहायता से दुष्टात्माएं निकालता हूँ।" diff --git a/mat/12/28.md b/mat/12/28.md new file mode 100644 index 0000000..1b82ec1 --- /dev/null +++ b/mat/12/28.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है। + +# तुम्हारे पास + +फरीसियों के पास + +# उस बलवन्त को न बाँध ले। + +"उस बलवन्त मनुष्य को वंश में किए बिना।" + +# मेरे साथ नहीं। + +"जो मेरा साथ नहीं देता" या "जो मेरे साथ काम नहीं करता"। + +# मेरे विरोध में है। + +"मेरे विरूद्ध काम करता है" या "मेरा काम नष्ट करता है।" + +# बटोरता + +यह फसल काटने के लिए एक प्रचलित शब्द था। diff --git a/mat/12/31.md b/mat/12/31.md new file mode 100644 index 0000000..e3c2a51 --- /dev/null +++ b/mat/12/31.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है। + +# तुम से + +फरीसियों से + +# अपराध क्षमा किया जाएगा। + +"परमेश्वर मनुष्य का हर एक पाप या निन्दा क्षमा करेगा" या "परमेश्वर हर पाप या निन्दा करने वाले हर एक मनुष्य को क्षमा कर देगा"। + +# पवित्र-आत्मा के विरोध में .... अपराध.... ... क्षमा नहीं किया जाएगा। + +"परमेश्वर पवित्र आत्मा विरोधी पाप कभी क्षमा नहीं करेगा।" + +# मनुष्य पुत्र के विरोध में कोई बात कहेगा वह क्षमा किया जायेगा। + +"मनुष्य के पुत्र का विरोध क्षमा किया जायेगा।" + +# न तो इस लोक में और न परलोक में। + +वैकल्पिक अनुवाद, "इस समय.... आनेवाले समय में" diff --git a/mat/12/33.md b/mat/12/33.md new file mode 100644 index 0000000..4fee8d5 --- /dev/null +++ b/mat/12/33.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है। + +# यदि पेड़ को अच्छा कहो, तो उसके फल को भी अच्छा कहो, या पेड़ को निकम्मा कहो तो उसके फल को भी निकम्मा कहो। + +"या तो कहो कि फल अच्छा है तो पेड़ अच्छा है, या यह कहो कि फल निकम्मा है तो पेड़ भी निकम्मा है"। + +# अच्छा .... निकम्मा + +इसका अर्थ है (1) स्वस्थ ... अस्वस्थ या (2) खाने योग्य... खाने योग्य नहीं। + +# पेड़ अपने फल ही से पहचाना जाता है। + +इसका अर्थ है, (1) मनुष्य फल को देखकर कह सकते हैं कि पेड़ स्वस्थ है या नहीं या (2) मनुष्य फल को देख कर पेड़ की प्रजाति को बता सकता है। + +# तुम ....तुम + +फरीसियों से + +# जो मन में भरा है वही मुँह पर आता है। + +"मनुष्य वही कहता है जो उसके मन में है" + +# भले भण्डार.... बुरे भण्डार + +भले भण्डार .... बुरे भण्डार ... अच्छे विचार .... बुरे विचार diff --git a/mat/12/36.md b/mat/12/36.md new file mode 100644 index 0000000..a215dda --- /dev/null +++ b/mat/12/36.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +फरीसियों द्वारा यीशु पर दोष लगाने का वृत्तान्त है कि वह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है। + +# तुम.... उसका + +फरीसियों से + +# लेखा देंगे। + +"परमेश्वर उनसे पूछेगा" या "परमेश्वर महत्त्व का मूल्यांकन करेगा" + +# निकम्मा + +"निकम्मा" वैकल्पिक अनुवाद "हानिकारक" (देखें: यू.डी.बी.) + +# उन्होंने + +"मनुष्य" + +# निर्दोष .... दोषी + +"परमेश्वर निर्दोष ठहराया .... परमेश्वर दोषी ठहराया।" diff --git a/mat/12/38.md b/mat/12/38.md new file mode 100644 index 0000000..8ba7c82 --- /dev/null +++ b/mat/12/38.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अविश्वासी फरीसियों और शास्त्रियों को झिड़कता है, क्योंकि उन्होंने उस अंधे दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य की चंगाई के बाद चिन्ह मांगा था। + +# इच्छा रखते हैं। + +"ढूँढ़ते" + +# बुरे और व्यभिचारी लोग + +"इस समय के लोग बुराई से प्रेम करते हैं और परमेश्वर के निष्ठावान नहीं हैं"। + +# चिन्ह उनको न दिया जाएगा। + +"परमेश्वर इस समय के बुरे और व्यभिचारी लोगों को कोई चिन्ह नहीं देगा।" + +# योना के चिन्ह + +इसका अनुवाद हो सकता है, "जो योना के साथ हुआ" या "परमेश्वर ने योना के साथ जो चमत्कार किया" + +# पृथ्वी के भीतर + +कब्र के भीतर diff --git a/mat/12/41.md b/mat/12/41.md new file mode 100644 index 0000000..a531985 --- /dev/null +++ b/mat/12/41.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अविश्वासी फरीसियों और शास्त्रियों को झिड़कता है क्योंकि उन्होंने अंधे दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य की चंगाई पर उससे चिन्ह माँगा। + +# नीनवे के लोग... इस युग के लोगों के साथ.... उन्हें दोषी ठहरायेंगे। + +वैकल्पिक अनुवाद; "नीनवे के लोग इस पीढ़ी को दोष देंगे... और परमेश्वर उनका दोषारोपण सुनकर तुम्हें दण्ड देगा" या "परमेश्वर नीनवे के लोगों पर तथा इस पीढ़ी को पाप का दण्ड देगा परन्तु उन्होंने मन फिराया और तुमने नहीं इसलिए वह तुम्हें ही दण्ड देगा"। + +# इस समय के लोगों + +यीशु के सेवाकाल के समय के लोग। + +# से भी बड़ा + +"कोई अधिक महत्त्वपूर्ण" diff --git a/mat/12/42.md b/mat/12/42.md new file mode 100644 index 0000000..0c5ec36 --- /dev/null +++ b/mat/12/42.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु फरीसियों तथा शास्त्रियों को झिड़कता है क्योंकि उन्होंने उससे चिन्ह माँगा। + +# दक्षिण की रानी इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहरायेगी। + +वैकल्पिक अनुवादः "दक्षिण की रानी इस पीढ़ी को दोष देगी ... और परमेश्वर उसका दोषारोपण सुनकर तुम्हें दण्ड देगा"। या "परमेश्वर दक्षिण की रानी ... और उस पीढ़ी दोनों को पाप का दण्ड देगा परन्तु क्योंकि उसने सुलैमान के वचन सुने और तुमने मेरे वचन नहीं सुने, वह केवल तुम्हें दण्ड देगा"। + +# दक्षिण की रानी + +वह शीबा की रानी थी, अन्य जाति राज्य की + +# पृथ्वी के छोर से आई + +"वह बहुत दूर से आई थी" (देखें )) + +# इस समय के लोगों + +वे लोग जो यीशु के सेवाकाल के समय थे + +# से भी बड़ा + +"कोई अधिक महत्त्वपूर्ण" diff --git a/mat/12/43.md b/mat/12/43.md new file mode 100644 index 0000000..da0c473 --- /dev/null +++ b/mat/12/43.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु फरीसियों तथा शास्त्रियों को झिड़कता है क्योंकि उन्होंने उससे चिन्ह मांगा। + +# सूखी जगहों + +"निर्जन जगह" या "जहाँ लोग नहीं रहते"।(देखें यू.डी.बी) + +# पाती नहीं + +"विश्राम नहीं पाती है" + +# कहती है + +"वह दुष्टात्मा कहती है।" + +# झाड़ा-बुहारा और सजाया पाती है। + +वैकल्पिक अनुवाद, "वह दुष्टात्मा देखती है कि किसी ने घर को साफ करके सब कुछ यथा स्थान सजा दिया है।" diff --git a/mat/12/46.md b/mat/12/46.md new file mode 100644 index 0000000..b6d6149 --- /dev/null +++ b/mat/12/46.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु के माता और भाइयों के आने पर उसे अपने आत्मिक परिवार को प्रकट करने का अवसर मिलता है। + +# उसकी माता + +यीशु की सांसारिक माता + +# यीशु के भाई + +इसका अर्थ हो सकता है, (1) उसी परिवार या कुटुम्ब के भाई (देखें यू.डी.बी.) या (2) इस्राएल में उसके मित्र या निकट संबन्धी। + +# चाहते हैं + +"इच्छा रखते हैं" diff --git a/mat/12/48.md b/mat/12/48.md new file mode 100644 index 0000000..05ecef8 --- /dev/null +++ b/mat/12/48.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु के माता और भाइयों के आने पर उसे अपने आत्मिक परिवार को प्रकट करने का अवसर मिलता है। + +# कहने वाले को + +जिसने यीशु को सन्देश दिया कि उसकी माता और उसके भाई उससे मिलना चाहते हैं। + +# कौन है मेरी माता? और कौन है मेरा भाई? + +वैकल्पिक अनुवाद, "मैं बताता हूँ कौन मेरी सच्ची माता है और कौन मेरा सच्चा भाई है"। + +# जो कोई + +"वह हर एक जन" diff --git a/mat/13/01.md b/mat/13/01.md new file mode 100644 index 0000000..ccfaed0 --- /dev/null +++ b/mat/13/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +इस अध्याय में यीशु नाव पर चढ़कर प्रचार कर रहा है और जनसमूह के दृष्टान्तों द्वारा समझा रहा है कि परमेश्वर का राज्य क्या है और कैसा है। + +# उसी दिन + +पिछले अध्याय की घटनाओं के ही दिन + +# घर से निकलकर + +यह स्पष्ट नहीं है कि यीशु किसके घर में था। + +# नाव पर चढ़ गया। + +यह संभवतः पाल वाली लकड़ी की नाव थी। diff --git a/mat/13/03.md b/mat/13/03.md new file mode 100644 index 0000000..91837d7 --- /dev/null +++ b/mat/13/03.md @@ -0,0 +1,47 @@ +# x + +यह वृत्तान्त वही है यीशु जन समूह को परमेश्वर के राज्य के बारे में सम्मान के लिए दृष्टान्त सुना रहा है। + +# उनसे दृष्टान्तों में बहुत सी बातें कहीं। + +यीशु ने उन्हें बहुत सी बातें दृष्टान्तों में समझाई "यीशु ने उन्हें अनेक बाते दृष्टान्तों में सुनाई " + +# लोगों के लिए + +जनसमूह से + +# देखो + +वैकल्पिक अनुवाद, "देखो" या "सुनो", "मैं जो कहने जा रहा हूँ उसे ध्यान से सुनो"। + +# एक बोने वाला बीज बोने निकला। + +"एक किसान खेत में बीज विसर्जन करने निकला" + +# बोते समय + +"जब बीज बोने वाले ने बीज विसर्जन किया" + +# सड़क के किनारे + +"खेत के किनारे मार्ग पर" वह मार्ग लोगों के चलने के कारण कठोर हो गया होगा। + +# उन्हें चुन लिया। + +"बीजों को खा लिया" + +# पथरीली भूमि पर गिरे। + +चट्टानों में जो थोड़ी बहुत मिट्टी थी उसमें + +# जल्द उग आए। + +"अंकुर निकल आए" + +# सूर्य निकलने पर जल गए। + +"सूर्य की गर्मी के कारण वे झुलस गए और गर्मी से जल गए"। (देखें: Active or Passive) + +# सूख गए + +"अंकुर सूख कर नष्ट हो गए"। diff --git a/mat/13/07.md b/mat/13/07.md new file mode 100644 index 0000000..5bec513 --- /dev/null +++ b/mat/13/07.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है। + +# कुछ बीज झाड़ियों में गिरे। + +जहाँ झाड़ियां उग रही थी वहाँ गिरे + +# उन्हें दबा दिया। + +"नई पौध को दबा दिया" जंगली घास द्वारा पौधों के नष्ट हो जाने का शब्द काम में लें। + +# फल लाए + +"फसल उगी", या "अधिकाधिक बीज उगे" या "फलदायी हुए"। + +# जिसके कान हो वह सुन ले। + +कुछ भाषाओं में अधिक स्वाभाविक अनुवाद होगा द्वितीय पुरूष में, "तुम्हारे कान हों तो सुन लो।" + +# जिसके कान हों + +"जो सुन सकता है“ या "जो भी मेरी बात सुनता है" + +# वह सुन ले। + +"वह ध्यान से सुन ले" या "वह मेरी बात पर ध्यान दे"। diff --git a/mat/13/10.md b/mat/13/10.md new file mode 100644 index 0000000..16f336c --- /dev/null +++ b/mat/13/10.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है। + +# लोगों के लिए + +शिष्यों को + +# तुम को स्वर्ग के राज्य के भेदों की समझ दी गई है पर उनको नहीं। + +इसका अनुवाद सलंग्न जानकारी के साथ कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, "परमेश्वर ने तुम्हें स्वर्ग के राज्य के भेद को समझने की बुद्धि दी है परन्तु परमेश्वर ने इन लोगों को नहीं दी है।" या "परमेश्वर ने तुम्हें स्वर्ग के भेद समझने योग्य बनाया है परन्तु उसने इन्हें इस योग्य नहीं बनाया है" + +# तुम्हें + +चेले + +# भेद + +जो सत्य अब तक छिपा हुआ था उसे यीशु अब प्रकट कर रहा है, वैकल्पिक अनुवादः "रहस्य" या "गुप्त सत्य" (देखें यू.डी.बी.) + +# जिसके पास + +"जिसमें समझ है" या "जो मेरी शिक्षा ग्रहण करता है"। + +# उसे दिया जायेगा। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जाए, "परमेश्वर उसे और समझ देगा", + +# उसके पास बहुत हो जाएगा। + +"वह स्पष्ट समझ लेगा"। + +# जिसके पास कुछ नहीं है। + +"जिसे समझ नहीं" या "जो मेरी शिक्षा को ग्रहण नहीं करता" + +# "जो कुछ उसके पास है वह भी ले लिया जाएगा" + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है। "परमेश्वर उससे वह भी ले लेगा जो उसके पास है" diff --git a/mat/13/13.md b/mat/13/13.md new file mode 100644 index 0000000..b852fcc --- /dev/null +++ b/mat/13/13.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है। + +# मैं उनसे... बातें करता हूँ। + +"उनसे" इन दोनों पदों में जनसमूह के लिए प्रयुक्त सर्वनाम है। + +# वे देखते हुए नहीं देखते और सुनते हुए नहीं सुनते, यद्यपि वे देखते है परन्तु वास्तव में देख नहीं पाते और वे सुनते तो है परन्तु वास्तव में सुन नहीं पाते। + +यीशु इस सदृश्यता द्वारा शिष्यों से कह रहा है कि जनसमूह समझने से इन्कार करता है। + +# वे देखते तो हैं परन्तु वास्तव में देख नहीं पाते। + +"यद्यपि वे देखते हैं वे ग्रहण नहीं कर पाते" यदि क्रिया को "कर्म" की आवश्यकता हो तो अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, "यद्यपि वे वस्तुओं को देखते हैं वे उन्हें समझते नहीं"। या "यद्यपि वे घटनाओं को घटते देखते हैं, वे समझ नहीं पाते कि उनका अर्थ क्या है"। + +# सुनते हुए नहीं सुनते और नहीं समझते + +"यद्यपि वे सुनते हैं वे समझ नहीं पाते" यदि क्रियाओं का "कर्म" की आवश्यकता है तो इसका अनुवाद होगा, "यद्यपि वे निर्देश सुनते हैं, वे सत्य को समझ नहीं पाते।" + +# तुम कानों से तो सुनोगे पर समझोगे नहीं। देखने से तो तुम देखोगे परन्तु ग्रहण नहीं कर पाओगे। + +यह यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा उद्धरण है जो उसके युग में अविश्वासी लोगों के लिए कहा गया था। यीशु इस उद्धरण द्वारा उसके श्रोताओं का वर्णन कर रहा है। यह एक और दृष्टांत है। + +# तुम सुनोगे परन्तु किसी भी प्रकार समझ नहीं पाओगे। + +इसका अनुवाद हो सकता है, "तुम सुनोगे परन्तु समझोगे नहीं"। यदि क्रिया के लिए "कर्म" की आवश्यकता हो तो इसका अनुवाद इस प्रकार होगा, "तुम बातों को सुनोगे परन्तु उन्हें समझोगे नहीं"। + +# आँखों से तो देखोंगे पर तुम्हे न सूझेगा + +"तुम देखोगे परन्तु ग्रहण नहीं कर पाओगे"। यदि क्रिया के लिए "कर्म" की आवश्यकता हो तो अनुवाद इस प्रकार होगा, "तुम बातों को देखोंगे परन्तु अंतर्ग्रहण नहीं कर पाओगे।" diff --git a/mat/13/15.md b/mat/13/15.md new file mode 100644 index 0000000..9654589 --- /dev/null +++ b/mat/13/15.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। वह में दिए गए यशायाह के उद्धरण को ही सुन रहा है। + +# इन लोगों का मन मोटा हो गया है। + +"यह लोग अब सीख नहीं सकते" (देखें यू.डी.बी.) + +# वे कानों से ऊँचा सुनते हैं। + +"वे सुनने की इच्छा ही नहीं रखते" (देखें यू.डी.बी.) + +# उन्होंने अपनी आँखें मूँद ली हैं। + +"उन्होंने आँखें बंद कर ली हैं", या "वे देखने से इन्कार करते है" + +# कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें और कानों से सुनें और मन से समझें और फिर जायें। + +"कि वे आँखों से देख पाएं, कानों से सुन पाएं, मन से समझ पाएं और परिणाम यह हो कि वे मन फिराएँ"। + +# फिर जाएँ + +"लौट आएँ" या "मन फिराएँ" + +# मैं उन्हें चंगा करूं। + +"और मुझसे चंगाई पाएँ"। वैकल्पिक अनुवाद होगा, "और मैं उन्हें फिर से अपना लूँ" diff --git a/mat/13/16.md b/mat/13/16.md new file mode 100644 index 0000000..bb6a0fa --- /dev/null +++ b/mat/13/16.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है। + +# तुम्हारी .... तुम्हारे + +यीशु अपने शिष्यों से बातें कर रहा है। + +# देखें + +"कि वे देख पाएँ" या "वे देखने योग्य हों"। + +# सुनें + +"कि वे सुन पाएँ" या "वे सुनने योग्य हों" + +# जो बातें तुम देखते हो। + +"बातें तुमने मुझे करते देखा।" + +# जो बातें तुम सुनते हो। + +"जो बातें तुमने मुझे कहते सुनी" diff --git a/mat/13/18.md b/mat/13/18.md new file mode 100644 index 0000000..8a2a423 --- /dev/null +++ b/mat/13/18.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्तों द्वारा जनसमूह को परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। यहाँ वह में सुनाए गा दृष्टान्त की व्याख्या कर रहा है। + +# उसके मन में जो कुछ बोया गया है उसे वह दुष्ट आकर छीन ले जाता है। + +"शैतान उसे परमेश्वर के वचन को भूल जाने पर विवश करता है", जो उसने सुना। + +# छीन ले जाता है। + +ऐसा शब्द काम में लेने का प्रयास करें जो किसी अधिकृत स्वामी से उसकी किसी वस्तु को छीनने को व्यक्त करता है। + +# उसके मन में जो कुछ बोया गया। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में भी किया जा सकता है, "परमेश्वर ने उसके मन में जो वचन बोया।" (देखें: + +# उसके मन में + +श्रोता के मन में + +# यह वही है जो मार्ग के किनारे बोया गया। + +यदि शाब्दिक अनुवाद से अर्थ स्पष्ट नहीं होता तो अनुवाद इस प्रकार करें, कि पाठक को स्पष्ट समझ में आए कि यीशु बीज बोने वालों और सुनने वाले मार्ग के किनारे की भूमि है। संभावित अनुवाद, "जो मार्ग के किनारे बोया गया वह ऐसा ही है"। (देखें: और ) + +# मार्ग के किनारे + +मार्ग के किनारे "मार्ग" या "पगडंडी" इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में किया गया है। diff --git a/mat/13/20.md b/mat/13/20.md new file mode 100644 index 0000000..16a7db8 --- /dev/null +++ b/mat/13/20.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्तों द्वारा जनसमूह को परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। यहाँ वह में सुनाए गा दृष्टान्त की व्याख्या कर रहा है। + +# पथरीली भूमि पर बोया गया, यह वह है। + +यदि मूल अर्थ आधारित अनुवाद समझने में कठिन है तो अनुवाद इस प्रकार करें कि पाठकों को स्पष्ट समझ में आए कि यीशु बीज बोने वाला है और सन्देश बीज है और सुनने वाला पथरीली भूमि है। संभावित अनुवाद हैः "जो पथरीली भूमि में बोया गया वह ऐसा ही है"। + +# जड़ न रखने के कारण + +"उसकी जड़ें गहराई में नहीं गई", या "वह इस अंकुर को जड़ें फैलाने का स्थान नहीं देता है" + +# वचन के कारण + +"सन्देश के कारण" + +# वह तुरन्त ठोकर खाता है। + +"वह तुरन्त ही पथभ्रष्ट हो जाता है" या "वह तुरन्त ही विश्वास का त्याग कर देता है"। diff --git a/mat/13/22.md b/mat/13/22.md new file mode 100644 index 0000000..cc8c4fd --- /dev/null +++ b/mat/13/22.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्तों द्वारा जनसमूह को परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। यहाँ वह में सुनाए गए दृष्टान्त की व्याख्या कर रहा है। + +# जो झाड़ियाँ में बोया गया ... जो अच्छी भूमि में बोया गया। + +यदि मूल अर्थ आधारित अनुवाद समझने में कठिन हो तो अनुवाद इस प्रकार करें कि पाठक को समझ में आ जाए कि यीशु बीज बोने वाला है, सन्देश बीज है और श्रोता झाड़ियों वाली भूमि है। संभावित अनुवाद, "झाड़ियो में बोया गया बीज ऐसा ही है... अच्छी भूमि बोया गया बीज ऐसा ही है।" (देखें: और ) + +# वचन + +"सन्देश" + +# संसार की चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबाता है और वह फल नहीं लाता। + +इसका अनुवाद हो सकता है, "जिस प्रकार झाड़ियाँ अच्छे पौधे को बढ़ने नहीं देती उसी प्रकार सांसारिक चिन्ताएँ और धन का धोखा इस व्यक्ति को फल लाने से रोकते हैं" + +# संसार की चिन्ताएँ + +"वे सांसारिक बातें जिनकी चिन्ता मनुष्य करता है।" + +# फल नहीं लाता है। + +निष्फल हो जाता है। + +# यह वह है जो वचन को सुनकर समझता है और फल लाता है। + +"ये वे लोग हें जो फलवन्त एवं उत्पादक होते हैं" या "स्वस्थ पौधों के समान अच्छा फल लाते हैं", ये लोग बहुत फलते हैं। diff --git a/mat/13/24.md b/mat/13/24.md new file mode 100644 index 0000000..e56524a --- /dev/null +++ b/mat/13/24.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है। + +# यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया। + +यीशु ने जनसमूह को एक और दृष्टान्त सुनाया। + +# स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है। + +आपका अनुवाद स्वर्ग के राज्य को मनुष्य के तुल्य न दर्शाए, इसकी अपेक्षा स्वर्ग का राज्य उस परिस्थिति के अनुसार है जिसका वर्णन यहाँ किया गया है। + +# अच्छा बीज बोया + +"भोज्य पदार्थों का अच्छा बीज" या "अन्न का अच्छा बीज"। जनसमूह ने सोचा कि यीशु गेहूँ के बीज की चर्चा कर रहा है। + +# उसके शत्रु आकर + +उसका शत्रु खेत में आया + +# जंगली बीज + +इसका अनुवाद "बुरे बीज" या "जंगली घास के बीज" किया जा सकता है। उगने पर वे एक से दिखते हैं परन्तु होते हैं विष। + +# जब अंकुर निकले और बालें लगी। + +"जब गेहूँ के बीज उगे" या "जब पौधा निकले" + +# जब .... बालें लगी + +"अन्न उत्पन्न हुआ" या "गेहूँ की उपज तैयार हुई" + +# जंगली दाने के पौधे भी दिखाई दिए। + +वैकल्पिक अनुवाद होगा, "उन्होंने देखा कि खेत में जंगली पौधे भी हैं"। diff --git a/mat/13/27.md b/mat/13/27.md new file mode 100644 index 0000000..0b7b776 --- /dev/null +++ b/mat/13/27.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्तों द्वारा जनसमूह को परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। इन पदों में जंगली पौधों का दृष्टान्त ही चल रहा है। + +# गृहस्थ + +यह वही व्यक्ति है जिसने खेत में अच्छे बीज डाले थे। + +# क्या तू ने खेत में अच्छा बीज नहीं बोया था? + +"तूने तो खेत में अच्छा बीज डाला था", खेत के स्वामी ने मजदूरों से अच्छा डलवाया था। (देखें: यू.डी.बी.) + +# उसने उनसे कहा + +खेत के स्वामी ने मजदूरों से कहा + +# क्या तेरी इच्छा है कि हम + +"हम" मजदूरों के संदर्भ में है। + +# उनको बटोर लें + +"खरपतवार उखाड़ दें" कि फेंकी जाएँ। diff --git a/mat/13/29.md b/mat/13/29.md new file mode 100644 index 0000000..a685e6d --- /dev/null +++ b/mat/13/29.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्तों द्वारा जनसमूह के परमेश्वर के राज्य की शिक्षा दे रहा है। इस पद के साथ जंगली पौधों का दृष्टान्त समाप्त होता है। + +# उसने कहा + +"खेत के स्वामी ने मजदूरों से कहा" + +# मैं काटनेवालों से कहूगा कि पहले जंगली पौधों को बटोर कर जलाने के लिए उनके गट्ठे बांध लो। + +इसका अनुवाद परोक्ष उद्धरण में रखा जा सकता है, "मैं कटनी करने वालों से कहूँगा कि वे पहले जंगली पौधों को एकत्र करके जलाने के लिए उनके गट्ठे बाँध लें और फिर गेहूँ को मेरे खत्तों में इकट्ठा करें।" + +# मेरे खत्तों में + +खत्ता वह गोदाम है जहाँ अन्न रखा जाता है। diff --git a/mat/13/31.md b/mat/13/31.md new file mode 100644 index 0000000..484a00d --- /dev/null +++ b/mat/13/31.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है। + +# यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया। + +"यीशु ने जनसमूह को एक और दृष्टान्त सुनाया" + +# स्वर्ग का राज्य। + +देखें कि आपने में इसका अनुवाद कैसे किया है + +# राई के एक दाने + +एक बहुत ही छोटा बीज जो बड़ा पौधा बनता है। + +# यह बीज निश्चय ही सबसे छोटा बीज है। + +मूल श्रोताओं के लिए राई का दाना सबसे छोटा बीज था + +# जब बढ़ जाता है। + +"परन्तु जब पौधा पूर्ण विकसित हो जाता है" + +# और पेड़ हो जाता है। + +"एक बड़ी झाड़ी हो जाता है" + +# आकाश के पक्षी + +चिड़िएं diff --git a/mat/13/33.md b/mat/13/33.md new file mode 100644 index 0000000..1deffec --- /dev/null +++ b/mat/13/33.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है। + +# उसने एक और दृष्टान्त उन्हें सुनाया। + +"यीशु ने जनसमूह को एक और दृष्टान्त सुनाया।" + +# स्वर्ग का राज्य...के समान है। + +देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। राज्य तो खमीर के समान नहीं है परन्तु उसका फैलना खमीर के समान है। + +# तीन पसेरी आटे में मिलाया + +"बहुत से आटे में" या आपकी भाषा में इस नाप के लिए कोई शब्द है तो उसका प्रयोग करें। (देखें: यू.डी.बी.) + +# वह खमीरा हो गया + +"जब आटा पूरा खमीर हो गया" यहाँ सलंग्न अर्थ है कि आटा तन्दूरी रोटी के लिए तैयार हो गया था। (: ) diff --git a/mat/13/34.md b/mat/13/34.md new file mode 100644 index 0000000..94f8278 --- /dev/null +++ b/mat/13/34.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु जनसमूह को दृष्टान्तों द्वारा परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है। + +# ये सब बातें यीशु ने दृष्टान्तों में लोगों से कहीं और बिना दृष्टान्त वह उनसे कुछ न कहता था। + +यहाँ क्रम है, "दृष्टान्तों .... कहीं.... दृष्टान्तों .... कहता था। + +# यह सब बातें + +वे सब शिक्षाएं जो यीशु ने से देता आ रहा है। + +# बिना दृष्टान्त वह उनसे कुछ न कहता था। + +"उसने उन्हें दृष्टान्तों के बिना कोई शिक्षा नहीं दी"। वैकल्पिक अनुवाद, "उनसे उन्हें जो भी शिक्षा दी वह केवल दृष्टान्तों के द्वारा थी"। (देखें: )) + +# कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो। + +जो वचन भविष्यद्वक्ता द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो, इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से किया जा सकता है, "उसने वह भविष्यवाणी सच सिद्ध कर दी जो एक भविष्यद्वक्ता ने बहुत पहले की थी"। (यू.डी.बी.) + +# द्वारा कहा गया था + +"जो भविष्यद्वक्ता ने कहा था"। + +# उन बातों को जो .... गुप्त रहीं। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से किया जा सकता है, "जिन बातों को परमेश्वर ने गुप्त रखा था"। + +# जगत की उत्पत्ति से + +"जगत के आरंभ से" या "जबसे परमेश्वर ने जगत की रचना की"। diff --git a/mat/13/36.md b/mat/13/36.md new file mode 100644 index 0000000..21cb73f --- /dev/null +++ b/mat/13/36.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु घर में आया कि अपने शिष्यों को परमेश्वर के राज्य के संबन्ध में सुनाए गए दृष्टान्तों का अर्थ समझाए। + +# घर में आया + +"घर के भीतर गया" या "जिस घर में रह रहा था उसमें गया"। + +# अच्छे बीज का बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है। + +"बीज बोने वाला" + +# मनुष्य का पुत्र + +यीशु स्वयं के सन्दर्भ में कह रहा है। + +# राज्य की सन्तान + +"राज्य के लोग" + +# दुष्ट की सन्तान + +"शैतान के लोग" + +# जिस शत्रु ने उनको बोया वह शैतान है। + +जंगली बीज डालने वाला शैतान है। + +# जगत का अन्त + +"युगों का अन्त" diff --git a/mat/13/40.md b/mat/13/40.md new file mode 100644 index 0000000..68858e9 --- /dev/null +++ b/mat/13/40.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों के साथ घर के भीतर गया और उन्हें परमेश्वर के राज्य से संबन्धित दृष्टान्तों का अर्थ समझा रहा है। + +# जैसे जंगली दाने बटोरे और जलाए जायेगे। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है। "अतः जिस प्रकार मनुष्य जंगली पौधे को एकत्र करके जलाता है"। + +# जगत का अन्त + +"युगों का अन्त" + +# मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा। + +यीशु स्वयं के बारे में कह रहा है इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, "मैं, मनुष्य का पुत्र, अपने स्वर्गदूतों को भेजूंगा"। + +# कुकर्म करने वालों को + +"जो अव्यवस्था फैलाते है" या "दुष्ट जन" + +# आग के कुण्ड में + +आग के कुण्ड में "आग के कुण्ड" का अनुवाद हो सकता है, "आग की भट्ठी"। यदि भट्ठी शब्द अपरिचित हो तो "आग" काम में लिया जा सकता है। + +# सूर्य के समान चमकेंगे। + +"देखने में सूर्य के समान आसान होंगे" + +# जिसके कान हो वह सुन ले। + +"कुछ भाषाओं में द्वितीय पुरूष काम में लेना अधिक आसान होगा", "तुम जो वचन रखते हो, सुनो" या "तुम्हारे वचन हैं तो सुनो"। diff --git a/mat/13/44.md b/mat/13/44.md new file mode 100644 index 0000000..e583b61 --- /dev/null +++ b/mat/13/44.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु घर के भीतर गया और अपने शिष्यों को परमेश्वर के राज्य से संबन्धित दृष्टान्तों के अर्थ समझाने लगा। इन दोनों दृष्टान्तों में यीशु दो उपमाओं के द्वारा अपने शिष्यों को समझा रहा है कि स्वर्ग का राज्य कैसा है। + +# स्वर्ग का राज्य...के समान है। + +देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। (देखें: )) + +# खेत में छिपे हुए धन + +धन अत्यधिक मूल्यवान एवं अनमोल वस्तु है या वस्तुओं का संग्रह है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से किया जा सकता है, "किसी ने खेत में धन गाड़ कर छिपाया था।" + +# छिपा दिया + +"उसे मिट्टी से ढांक दिया" + +# अपना सब कुछ बेच दिया। + +यहाँ स्पष्ट जानकारी यह है कि वह मनुष्य छिपे हुए धन को प्राप्त करने के लिए अपना सब कुछ बेच देता है + +# व्यापारी + +व्यापारी का अर्थ है दूर से समान लाने वाला विक्रेता। + +# अच्छे मोतियों की खोज + +यहाँ स्पष्ट जानकारी यह है कि वह व्यापारी अनमोल मोतियों की खोज में था कि उन्हें खरीद ले। + +# बहुमूल्य मोती + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, "उत्तम मोती" या "सुन्दर मोती"। "मोती" एक चिकना, कठोर, चमकीला, सफेद या हल्के रंग का मोती होता है जो समुद्र में सीपियों में बनता है और नगीने के रूप में उसका मूल्य बहुत होता है, उससे मंहगे आभूषण बनते हैं। diff --git a/mat/13/47.md b/mat/13/47.md new file mode 100644 index 0000000..d3c9b77 --- /dev/null +++ b/mat/13/47.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों के साथ घर के भीतर गया और उन्हें परमेश्वर के राज्य से संबन्धित दृष्टान्त का अर्थ समझाने लगा। इस दृष्टान्त में भी यीशु उपमा द्वारा ही अपने शिष्यों को समझा रहा है कि स्वर्ग का राज्य कैसा है।(देखें: Simile) + +# स्वर्ग वह राज्य ... के समान है + +देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। राज्य जाल के समान नहीं है परन्तु जाल के समान सब मनुष्यों को घेर लेता है। + +# बड़े जाल के समान है, जो समुद्र में डाला गया। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, "जाल के समान जिसे मछुवे समुद्र में डालते हैं"। + +# जाल.. समुद्र में डाला गया। + +"जाल जो झील में डाला गया" + +# हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया। + +"नाना प्रकार की मछलियाँ घेर लीं"। + +# उसको किनारे पर खींच लाए। + +"जाल को किनारे पर लाए" या "जाल खींचते हुए तट पर आए"। + +# अच्छी अच्छी + +"अच्छी मछलियाँ" + +# निकम्मी-निकम्मी + +निकम्मी-निकम्मी -"अयोग्य मछलियाँ" या "जो मछलियाँ खाने योग्य नहीं थी"। + +# फेंक दीं + +"नहीं रखीं" diff --git a/mat/13/49.md b/mat/13/49.md new file mode 100644 index 0000000..647759c --- /dev/null +++ b/mat/13/49.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों के साथ घर के भीतर गया और उन्हें परमेश्वर के राज्य से संबन्धित दृष्टान्तों का अर्थ समझा रहा है। + +# जगत का अन्त + +"युगों का अन्त" + +# आकर + +"निकल आएंगे" या "निकलेंगे" या "स्वर्ग से उतरेंगे"। + +# डालेंगे + +"दुष्टों को डाल देंगे" + +# आग के कुण्ड में + +इसका अनुवाद किया जा सकता है "आग की भट्ठी में" यह नरक की आग के लिए रूपक है जो पुराने नियम से दानिय्येल 3:6 से लिया गया है। यदि "भट्ठी" शब्द लक्षित भाषा में नहीं है तो "तन्दूर" शब्द काम में लिया जा सकता है। + +# जहाँ रोना और दांत पीसना होगा। + +"वहाँ दुष्ट दांत पीसेंगे और रोएंगे"। diff --git a/mat/13/51.md b/mat/13/51.md new file mode 100644 index 0000000..b56d376 --- /dev/null +++ b/mat/13/51.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों के साथ घर के भीतर गया और उन्हें परमेश्वर के राज्य से संबन्धित दृष्टान्तों का अर्थ समझा रहा है। + +# "क्या तुमने ये सब बातें समझीं"? "उन्होंने उससे कहा, हाँ" + +आवश्यक हो तो इसे विरोधी उद्धरण में भी लिखा जा सकता है, "यीशु ने उनसे पूछा कि क्या वे इन सब बातों को समझ गए तो उन्होंने कहा कि वे समझ गए"। + +# चेला बना है + +"सीख गया है" + +# भण्डार + +भण्डार मूल्यवान एवं बहुमूल्य वस्तु है या वस्तुओं का संग्रह है। यहाँ उसका संदर्भ उनके भण्डार गृह से है, "कोषागार" या "गोदाम"। diff --git a/mat/13/54.md b/mat/13/54.md new file mode 100644 index 0000000..84e1fc4 --- /dev/null +++ b/mat/13/54.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु के निवास-स्थान के लोगों द्वारा उसके और उसकी शिक्षाओं के परित्याग का यह वृत्तान्त है, जब वह आराधनालय में शिक्षा दे रहा था। + +# अपने नगर + +"निवास-स्थान" (देखें यू.डी.बी.) + +# उनके आराधनालयों में + +"उनके" अर्थात वहाँ के लोगों का + +# वे चकित होकर + +"वे विस्मित थे" + +# सामर्थ्य के काम + +"उसे ऐसे चमत्कारों का सामर्थ्य कहाँ से मिला"। + +# क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं? + +बढ़ई अर्थात लकड़ी का सामान बनाने वाला। यदि आपकी भाषा में बढ़ई शब्द अपरिचित है तो "मिस्त्री" शब्द काम में ले सकते हैं। diff --git a/mat/13/57.md b/mat/13/57.md new file mode 100644 index 0000000..8f10be9 --- /dev/null +++ b/mat/13/57.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु के निवास-स्थान के लोगों ने उनके आराधनालय में दी गई, यीशु की शिक्षाओं का त्याग किया था, उसका वृत्तान्त चल रहा है। + +# उन्होंने उसके कारण ठोकर खाई। + +"यीशु के निवास-स्थान के लोगों ने यीशु के कारण ठोकर खाई" या "उसे ग्रहण नहीं किया"। + +# भविष्यद्वक्ता का .... निरादर नहीं होता है। + +"भविष्यद्वक्ता सब जगह सम्मान पाता है" या "भविष्यद्वक्ता सर्वत्र सम्मानित होता है" या "मनुष्य हर जगह भविष्यद्वक्ता को सम्मान देते हैं" + +# अपने देश + +"उसके अपने स्थान में" या "अपने ही निवास स्थान में"। + +# अपने घर + +"अपने निवास-स्थान" + +# बहुत से सामर्थ्य के काम नहीं किए" + +"यीशु ने अपने निवास-स्थान में अनेक आश्चर्यकर्म नहीं किए"। diff --git a/mat/14/01.md b/mat/14/01.md new file mode 100644 index 0000000..170b39b --- /dev/null +++ b/mat/14/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यहाँ वर्णित घटनाओं से पूर्व की घटनाओं का वर्णन करता है। + +# उस समय + +"उन दिनों" या "जब यीशु गलील में उपदेश करता था"। + +# चौथाई देश का राजा हेरोदेस + +हेरोदेस एन्तिपास’, चौथाई इस्राएल का शासक था (देखें: )) + +# यीशु की चर्चा सुनी + +"यीशु का समाचार सुना" या "यीशु की ख्याति सुनी" + +# कहा + +"हेरोदेस ने कहा" diff --git a/mat/14/03.md b/mat/14/03.md new file mode 100644 index 0000000..71f25f5 --- /dev/null +++ b/mat/14/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यह हेरोदेस द्वारा यूहन्ना की हत्या का वृत्तान्त है। + +# यूहन्ना को पकड़कर बाँधा और जेलखाने में डाल दिया था। + +हेरोदेस ने आज्ञा देकर ऐसा करवाया था। + +# हेरोदेस ने ... यूहन्ना को पकड़कर + +"हेरोदेस ने यूहन्ना को पकड़वाया"। + +# क्योंकि यूहन्ना ने उससे कहा था कि इसको रखना तेरे लिए उचित नहीं। + +"क्योंकि यूहन्ना ने उससे कहा था कि उसे रखना नियम विरोधी है"। + +# क्योंकि यूहन्ना ने उससे कहा था। + +"क्योंकि यूहन्ना कहता था" (देखें यू.डी.बी.) + +# उचित नहीं + +यू.डी.बी. के अनुसार हेरोदियास से हेरोदेस के विवाह के समय फिलिप्पुस जीवित था। मूसा की व्यवस्था के अनुसार भाई की पत्नी से विवाह करना वर्जित था। diff --git a/mat/14/06.md b/mat/14/06.md new file mode 100644 index 0000000..251af29 --- /dev/null +++ b/mat/14/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यह हेरोदेस द्वारा यूहन्ना की हत्या का वृत्तान्त है। + +# में + +जन्मदिवस के उत्सव में उपस्थित अतिथियों के सामने" diff --git a/mat/14/08.md b/mat/14/08.md new file mode 100644 index 0000000..441ffa4 --- /dev/null +++ b/mat/14/08.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यह हेरोदेस द्वारा यूहन्ना की हत्या का वृत्तान्त है। + +# वह अपनी माता के उकसाने से बोली + +वैकल्पिक अनुवाद, "उसकी माता की शिक्षा के कारण वह बोली" + +# उकसाने + +"सिखाया" + +# किस की माँग रखूँ + +इसका अनुवाद होगा "क्या मांगू" ये शब्द मूल यूनानी में नहीं हैं। ये शब्द स्पष्ट हैं। + +# वह... बोली + +वह अर्थात हेरोदियास की पुत्री + +# थाल + +"बड़ी थाली" + +# राजा दुःखी हुआ + +"उसके आग्रह ने राजा को बहुत दुःखी किया" + +# राजा + +चौथाई देश का राजा हेरोदेस एन्तिपास . diff --git a/mat/14/10.md b/mat/14/10.md new file mode 100644 index 0000000..67a9c3c --- /dev/null +++ b/mat/14/10.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यह हेरोदेस द्वारा यूहन्ना की हत्या का वृत्तान्त है। + +# उसका सिर थाल में लाया गया और उस लडकी को दिया गया। + +"किसी ने कटा हुआ सिर लाकर उस लड़की को दे दिया" + +# थाल + +यह एक बड़ी थाली है + +# लड़की + +अविवाहित स्त्री, युवती के लिए शब्द काम में लें। + +# चेले। + +"यूहन्ना के शिष्य" + +# शव + +उसकी पार्थिव देह + +# यीशु को समाचार दिया। + +"यूहन्ना के शिष्यों ने जाकर यीशु को बताया कि यूहन्ना के साथ क्या हुआ था" diff --git a/mat/14/13.md b/mat/14/13.md new file mode 100644 index 0000000..2d9b383 --- /dev/null +++ b/mat/14/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +जब यीशु ने यह सुना तो नाव में चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को एकान्त में चला गया। + +# यह सुना + +"यूहन्ना के साथ जो हुआ उसे सुनकर" या "यूहन्ना के बारे में समाचार सुनकर" + +# एकान्त में चला गया + +"वह लोगों से दूर चला गया" + +# वहाँ से + +"उस स्थान से" + +# लोग यह सुनकर + +"जब लोगों ने सुना कि वे कहाँ चले गए" (देखें यू.डी.बी.) या "जब लोगों ने सुना कि वे चले गए"। + +# लोग + +"जनसमूह" या "जनता" + +# उसने निकलकर एक बड़ी भीड़ देखी + +"जब यीशु किनारे पर पहुंचा तो एक विशाल जनसमूह वहाँ देखा"। diff --git a/mat/14/15.md b/mat/14/15.md new file mode 100644 index 0000000..9c448fa --- /dev/null +++ b/mat/14/15.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +इस निर्जन स्थान में उसके पीछे आने वाले को यीशु भोजन करवाता है। + +# चेलों ने उसके पास आकर + +"यीशु के शिष्य उसके पास आए" diff --git a/mat/14/16.md b/mat/14/16.md new file mode 100644 index 0000000..4abc0c4 --- /dev/null +++ b/mat/14/16.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +इस निर्जन स्थान में उसके पीछे आने वाले को यीशु भोजन करवाता है। + +# आवश्यक नहीं + +जनसमूह के लिए आवश्यक नहीं + +# तुम ही इन्हें खाने को दो + +"तुम" बहुवचन सर्वनाम का संदर्भ शिष्यों से है + +# उन्होंने उससे कहा + +"शिष्यों ने यीशु से कहा" + +# पाँच रोटी और दो मछलियाँ + +"पांच रोटियाँ और दो मछलियाँ" (देखें: )) + +# उनको यहाँ मेरे पास ले आओ। + +"वे रोटियाँ और मछली यहाँ ले आओ" diff --git a/mat/14/19.md b/mat/14/19.md new file mode 100644 index 0000000..dfac8d2 --- /dev/null +++ b/mat/14/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +इस निर्जन स्थान में उसके पीछे आने वाले को यीशु भोजन करवाता है। + +# बैठने को कहा + +"लेटने को कहा" आपकी संस्कृति में खाना खाते समय जैसे बैठते हैं, वैसे ही अभिव्यक्ति काम में लें। + +# को लिया + +"अपने हाथों में लिया" चोरी नहीं की। + +# रोटियाँ + +"रोटियों के टुकड़े" या "पूरी रोटियाँ" + +# देखकर + +इसका अर्थ हो सकता है (1) देखते हुए या (2) देखने के बाद + +# उठाईं + +"शिष्यों ने एकत्र किए" + +# खाने वाले + +"जिन्होंने रोटी और मछली खाई थी" diff --git a/mat/14/22.md b/mat/14/22.md new file mode 100644 index 0000000..0889e33 --- /dev/null +++ b/mat/14/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु पानी पर चलता है। + +# तुरन्त + +"पाँच हजार को भोजन कराने के तुरन्त बाद" + +# साँझ को + +"अन्धेरा होने के समय" या "अन्धेरा हो जाने तक" + +# लहरों से डगमगा रही थी + +"लहरे नाव को नियंत्रण से बाहर कर रही थी" diff --git a/mat/14/25.md b/mat/14/25.md new file mode 100644 index 0000000..7db1c85 --- /dev/null +++ b/mat/14/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु पानी पर चलता है। + +# "वह झील के पानी पर चलकर आया" + +"यीशु पानी के ऊपर चल कर आया" + +# घबरा गए + +"शिष्य बहुत डर गए" + +# भूत + +मृतक की आत्मा diff --git a/mat/14/28.md b/mat/14/28.md new file mode 100644 index 0000000..f82c16c --- /dev/null +++ b/mat/14/28.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु पानी पर चलता है। + +# पतरस ने उसको उत्तर दिया + +"पतरस ने यीशु से कहा" diff --git a/mat/14/31.md b/mat/14/31.md new file mode 100644 index 0000000..a155a22 --- /dev/null +++ b/mat/14/31.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु पानी पर चलता है। + +# "हे अल्पविश्वासी" + +देखें आप इसका अनुवाद कैसे करते हैं . + +# तूने क्यों सन्देह किया? + +"तुझे सन्देह नहीं करना था"। diff --git a/mat/14/34.md b/mat/14/34.md new file mode 100644 index 0000000..9909cd8 --- /dev/null +++ b/mat/14/34.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +उस निर्जन स्थान से लौट कर यीशु गलील में प्रचार कर रहा है। + +# पार उतरकर + +"जब यीशु और उसके शिष्य झील के पार पहुंच गए" + +# गन्नेसरत में + +गलील सागर के उत्तर-पश्चिमी छोर पर एक छोटा नगर + +# समाचार भेजा + +"उस नगर के लोगों ने समाचार भेजा" + +# विनती करने लगे + +"रोगियों ने उससे निवेदन किया" + +# वस्त्र + +"बागा" या "जो भी वह पहने हुए था"। diff --git a/mat/15/01.md b/mat/15/01.md new file mode 100644 index 0000000..a079672 --- /dev/null +++ b/mat/15/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु और धर्म गुरूओं में विवाद का आरंभ होता है। + +# पूर्वजों की परम्पराओं को क्यों टालते हैं? + +"पूर्वकाल में धर्म के अगुओं द्वारा स्थापित नियमों का पालन नहीं करते है" + +# बिना हाथ धोए + +"बिना हाथ धोए," - हमारी व्यवस्था में दी गई शोधन विधि के अनुसार हाथ नहीं धोते हैं। diff --git a/mat/15/04.md b/mat/15/04.md new file mode 100644 index 0000000..33f3694 --- /dev/null +++ b/mat/15/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु और शास्त्रिों तथा फरीसियों में विवाद चल रहा है। + +# जो कोई + +"वह हर एक जो" या "यदि कोई" + +# पिता का आदर करना + +"पिता की सुधि लेकर उसका आदर करना"। + +# तुमने अपनी परम्परा के कारण परमेश्वर का वचन टाल दिया। + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुमने परम्परा को परमेश्वर की वचन से बड़ा बना दिया"। diff --git a/mat/15/07.md b/mat/15/07.md new file mode 100644 index 0000000..383182e --- /dev/null +++ b/mat/15/07.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु तथा फरीसियों एवं शास्त्रियों में विवाद चल रहा है। + +# यशायाहः ने यह भविष्यद्वाणी ठीक ही की है। + +वैकल्पिक अनुवाद, "यशायाह ने भविष्यद्वाणी में सच ही कहा है।" + +# द्वारा कहा गया था + +वैकल्पिक अनुवाद, "जब उसने परमेश्वर का वचन सुनाया" + +# "ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं।" + +वैकल्पिक अनुवाद, "ये लोग उचित शब्दों का उपयोग तो करते हैं।" + +# पर उनका मन मुझसे दूर रहता है। + +वैकल्पिक अनुवाद, "ये मुझे सच में प्रेम नहीं करते हैं" + +# वे व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं। + +वैकल्पिक अनुवाद, "उनकी उपासना का मुझ पर प्रभाव नहीं पड़ता है" या "वे उपासना का केवल नाटक रचते हैं"। + +# "मनुष्यों की विधियों" + +"मनुष्यों द्वारा बनाए गए नियम" diff --git a/mat/15/10.md b/mat/15/10.md new file mode 100644 index 0000000..9ec2cf3 --- /dev/null +++ b/mat/15/10.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्तों द्वारा शिक्षा देता है। + +# सुनो और समझो + +यीशु अग्रिम अभिकथन का महत्त्व प्रकट कर रहा है। diff --git a/mat/15/12.md b/mat/15/12.md new file mode 100644 index 0000000..5fd4429 --- /dev/null +++ b/mat/15/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु इस दृष्टान्त का अर्थ अपने शिष्यों को समझाता है, + +# फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई? + +वैकल्पिक अनुवाद, "यीशु की यह बात सुनकर फरीसी क्रोधित हुए"? या "इस कथन ने फरीसियों को नाराज़ किया"? diff --git a/mat/15/15.md b/mat/15/15.md new file mode 100644 index 0000000..f1617c4 --- /dev/null +++ b/mat/15/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को इस दृष्टान्त का अर्थ समझा रहा है, + +# हमें + +"हमें तेरे शिष्यों को" + +# जाता + +"प्रवेश करता है" + +# सण्डास + +मल त्याग के स्थान के लिए भद्र शब्द diff --git a/mat/15/18.md b/mat/15/18.md new file mode 100644 index 0000000..d02a2d4 --- /dev/null +++ b/mat/15/18.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को इस दृष्टान्त का अर्थ समझा रहा है, . + +# जो कुछ मुँह से निकलता है + +"मनुष्य के मुख के द्वारा" + +# वह मन से निकलता है + +"मनुष्य की सच्ची भावनाओं और विचारों का परिणाम हैं।" + +# हत्या + +निर्दोषों की हत्या + +# निन्दा + +"मनुष्यों को चुभने वाली बातें" + +# हाथ बिना धोए + +विधिपूर्वक हाथ को नहीं धोना diff --git a/mat/15/21.md b/mat/15/21.md new file mode 100644 index 0000000..8857720 --- /dev/null +++ b/mat/15/21.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु द्वारा एक कनानी स्त्री की पुत्री को रोग-मुक्त करने का वृत्तान्त अब आरंभ होता है। + +# उस प्रदेश से एक कनानी स्त्री निकली + +उस स्त्री ने इस्राएली सीमा के बाहर अपने देश से आकर इस्राएल में प्रवेश किया और यीशु को खोजा। + +# कनानी स्त्री + +कनान देश तो उस समय था नहीं, "कनानी समुदाय की एक स्त्री" + +# मेरी बेटी को दुष्टात्मा बहुत सता रही है। + +"मेरी बेटी को दुष्टात्मा के उत्पीड़न से बहुत परेशान है"। + +# उसने कुछ उत्तर नहीं दिया। + +"कुछ नहीं कहा" diff --git a/mat/15/24.md b/mat/15/24.md new file mode 100644 index 0000000..4558b44 --- /dev/null +++ b/mat/15/24.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु द्वारा उस कनानी स्त्री की पुत्री की चंगाई का वृत्तान्त चल रहा है। + +# वह आई + +"वह कनानी स्त्री आई" + +# लड़कों की रोटी.... कुत्तों के आगे + +"जो वास्तव में यहूदियों से कह रहा है.... अन्य जातियों को" diff --git a/mat/15/27.md b/mat/15/27.md new file mode 100644 index 0000000..bfff78f --- /dev/null +++ b/mat/15/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु द्वारा उस कनानी स्त्री की पुत्री की चंगाई का वृत्तान्त चल रहा है। + +# पर कुत्ते भी चूरचार खाते हैं जो उनके स्वामियों की मेज से गिरते हैं। + +"अन्य जातियों को भी इस योग्य समझा जाए कि वे यहूदियों द्वारा त्यागी गईं भली वस्तुएँ पाएँ"। + +# और उसकी बेटी उसी घड़ी से चंगी हो गई। + +"यीशु ने उसकी पुत्री को रोगमुक्त कर दिया" या "यीशु ने उसकी पुत्री को स्वस्थ कर दिया" + +# उसी घड़ी + +"ठीक उसी समय" या "तुरन्त" diff --git a/mat/15/29.md b/mat/15/29.md new file mode 100644 index 0000000..7b01b1a --- /dev/null +++ b/mat/15/29.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यह गलील क्षेत्र में यीशु द्वारा जनसमूह में रोगियों की चंगाई का वृत्तान्त है। + +# गूंगे, टुण्डे, लंगड़े, अंधे + +"जो लोग चल नहीं सकते थे, जो देख नहीं सकते थे, जो बोल नहीं सकते थे, और जिनके हाथ और पैर बेकार हो गए थे"। कुछ आरंभिक अभिलेखों में इनका क्रम भिन्न है। + +# उन्हें उसके पाँवों पर डाल दिया। + +"जनसमूह रोगियों को यीशु के पास लाया" diff --git a/mat/15/32.md b/mat/15/32.md new file mode 100644 index 0000000..23b4c4f --- /dev/null +++ b/mat/15/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा गलील में जनसमूह को भोजन कराने का ही वृत्तान्त है। + +# मार्ग में थक कर रह जाएँ + +संभावित अर्थ हैः (1)"कहीं वे थककर बेहोश न हो जाएं" या (2) "कहीं वे निर्बल न हो जाएँ" + +# बैठने + +लोग अब खाने के लिए आपके यहाँ कैसे बैठते हैं, टेबल न होने पर उसी शब्द का उपयोग करें, बैठकर या लेटना। diff --git a/mat/15/36.md b/mat/15/36.md new file mode 100644 index 0000000..34ffca2 --- /dev/null +++ b/mat/15/36.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा गलील में जनसमूह को भोजन कराने का ही वृत्तान्त है। + +# उसने किया + +"यीशु ने लिया" इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया गया है। + +# देता गया + +"रोटी और मछलियाँ देता गया" + +# टोकरे उठाए + +"शिष्यों ने एकत्र किए" + +# खाने वाले + +"जिन मनुष्यों ने भोजन किया था" + +# सीमा में + +"प्रदेश के एक भाग" + +# मगदन + +कभी-कभी मगदाला भी कहलाता है diff --git a/mat/16/01.md b/mat/16/01.md new file mode 100644 index 0000000..bb06422 --- /dev/null +++ b/mat/16/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु और धर्म गुरूओं में विवाद का आरंभ होता है। + +# स्वर्ग .... आकाश + +यहूदी अगुवे परमेश्वर से चिन्ह की माँग कर रहे थे यीशु ने उनसे कहा कि वे आकाश को देखें, दोनों ही शब्दों के लिए वही शब्द काम में ले जहाँ परमेश्वर वास करता है, आकाश शब्द तब ही काम में ले जब पाठक इन भिन्न अर्थों को समझ पाएं। + +# साँझ को + +सूर्यास्त का समय + +# मौसम अच्छा होगा + +स्वच्छ, शान्त मनभावन + +# आकाश लाल है + +सूर्यास्त की लाल किरणों की लालिमा diff --git a/mat/16/03.md b/mat/16/03.md new file mode 100644 index 0000000..3060302 --- /dev/null +++ b/mat/16/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यह भी यीशु और धर्म-गुरुओं के मध्य विवाद का ही वृत्तान्त है। + +# आँधी आयेगी। + +"बादल और आँधी का मौसम" + +# धुमला + +"धूमिल और चिंताजनक" + +# चिन्ह उनको न दिया जाएगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर तुम लोगों को कोई चिन्ह नहीं देगा" diff --git a/mat/16/05.md b/mat/16/05.md new file mode 100644 index 0000000..ff8fef3 --- /dev/null +++ b/mat/16/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु धर्म-गुरुओं से विवाद के बाद अपने शिष्यों को सतर्क करता है। + +# खमीर + +बुरे विचार और अनुचित शिक्षा + +# विचार करने लगे + +"विवाद" या "मतभेद" diff --git a/mat/16/09.md b/mat/16/09.md new file mode 100644 index 0000000..6ba5c27 --- /dev/null +++ b/mat/16/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु धर्म-गुरुओं से विवाद के बाद अपने शिष्यों को सतर्क करता है। + +# क्या तुम अब तक नहीं समझे? क्या तुम्हें उन पाँच हजार की पाँच रोटियाँ स्मरण नहीं, और न यह कि तुमने कितनी टोकरियाँ उठायी थी? न उन चार हज़ार की सात रोटियाँ, और न यह कि तुमने कितने टोकरे उठाए थे? + +यीशु उन्हें झिड़क रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें पांच हजार के लिए पाँच रोटियाँ और तुमने बचे टुकड़ों की कितनी टोकरियाँ उठाईं थी स्मरण रखना था। और चार हज़ार के लिए सात रोटियाँ और कितने टोकरे उठाए यह भी स्मरण रखना था।" diff --git a/mat/16/11.md b/mat/16/11.md new file mode 100644 index 0000000..b752dcd --- /dev/null +++ b/mat/16/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु धर्म-गुरुओं से विवाद के बाद अपने शिष्यों को सतर्क करता है। + +# तुम क्यों नहीं समझते कि मेंने तुमसे रोटियों के विषय में नहीं कहा? + +"तुम्हें समझ लेना था कि मैं वास्तव में रोटी के बारे में नहीं कह रहा था"। (यू.डी.बी.) + +# खमीर + +बुरे विचार और अनुचित शिक्षा + +# उनको + +"शिष्यों को" diff --git a/mat/16/13.md b/mat/16/13.md new file mode 100644 index 0000000..c2cd1a7 --- /dev/null +++ b/mat/16/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +पतरस मानता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है। + +# तुम मुझे क्या कहते हो? + +"परन्तु मैं तुमसे पूछ रहा हूँ, तुम मुझे क्या कहते हो"? diff --git a/mat/16/17.md b/mat/16/17.md new file mode 100644 index 0000000..6a5818c --- /dev/null +++ b/mat/16/17.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु पतरस के स्वीकरण पर कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है प्रतिक्रिया दिखाता है। + +# हे शमौन योना के पुत्र + +"योना के पुत्र शमौन" + +# माँस और लहू ने नहीं + +"यह बात मनुष्य ने प्रकट नहीं की है" + +# अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। + +संभावित अर्थ हैं: (1) "मृत्यु का सामर्थ्य जयवन्त नहीं होगा" (यू.डी.बी.) या (2) वह मृत्यु में सामर्थ्य को ऐसे ढा देगी जैसे सेना नगर में प्रवेश करती है diff --git a/mat/16/19.md b/mat/16/19.md new file mode 100644 index 0000000..97346f0 --- /dev/null +++ b/mat/16/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु पतरस के अंगीकार, कि वह परमेश्वर पुत्र है, अपनी प्रतिक्रिया दिखाता है। + +# स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ + +मनुष्यों के परमेश्वर के लोग होने के लिए मार्ग तैयार करने की योग्यता, जैसे एक दास अपने स्वामी के घर में अतिथियों का स्वागत करता है। + +# पृथ्वी पर बाँधेगा वह स्वर्ग में बंधेगा। + +मनुष्य को क्षमा देना या दण्ड देना जैसा वैसा ही स्वर्ग में होगा diff --git a/mat/16/21.md b/mat/16/21.md new file mode 100644 index 0000000..73f26de --- /dev/null +++ b/mat/16/21.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उसके अनुसरण का मूल्य समझाना आरंभ करता है। + +# उस समय से + +जिस समय यीशु ने अपने शिष्यों को सतर्क किया कि वे किसी से न कहें कि वह मसीह है, उस समय वह उन्हें अपने बारे में परमेश्वर की योजना बताने लगा। + +# मार डाला जाऊँ + +वैकल्पिक अनुवाद, "वे उसे मार डालेंगे" + +# तीसरे दिन जी उठूँ। + +"तीसरे दिन फिर जीवित हो जाऊँ" या "तीसरे दिन परमेश्वर उसे फिर जीवित करेगा"। diff --git a/mat/16/24.md b/mat/16/24.md new file mode 100644 index 0000000..aa95633 --- /dev/null +++ b/mat/16/24.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उसके अनुसरण का मूल्य समझा रहा है। + +# मेरे पीछे आना चाहे। + +"मेरा शिष्य होने के लिए अनुसरण करना चाहता है"। + +# अपने आपका इन्कार करे। + +"अपनी इच्छाओं के अधीन न रहें" या "अपनी इच्छाओं का त्याग करें।" + +# अपना क्रूस उठाए और मेरे पीछे हो ले। + +"अपना क्रूस उठा कर उसे लेकर मेरे पीछे चले" यीशु के समान मरने के लिए तैयार हो जाए। + +# जो.... चाहे + +"किस की इच्छा से" + +# सारे जगत को प्राप्त करे। + +"संसार में जो कुछ है सब प्राप्त कर ले" + +# अपने प्राण की हानि उठाए। + +"स्वयं नष्ट हो जाए या भटक जाए" diff --git a/mat/16/27.md b/mat/16/27.md new file mode 100644 index 0000000..c6dd13a --- /dev/null +++ b/mat/16/27.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उसके अनुसरण का मूल्य समझा रहा है। + +# जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे। + +"अपने मरने से पूर्व मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आता देखेंगे"। + +# मृत्यु का स्वाद न चखेंगे। + +"मृत्यु का अनुभव नहीं करेंगे" या "मरेंगे नहीं" + +# मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए + +"जब तक वे मुझे अपने राज्य में आते न देखेंगे" diff --git a/mat/17/01.md b/mat/17/01.md new file mode 100644 index 0000000..fece740 --- /dev/null +++ b/mat/17/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु तीन शिष्यों को अपनी महिमा दिखाता है। + +# पतरस और याकूब और उसके भाई यूहन्ना + +"पतरस, याकूब और याकूब का भाई यूहन्ना" + +# उसका रूपान्तर हुआ + +"परमेश्वर ने यीशु के रूप को पूर्णरूपेण बदल दिया था" या + +# वस्त्र + +"कपड़े" + +# ज्योति के समान उजला हो गया। + +"प्रकाश की नाईं चमकने लगा"। diff --git a/mat/17/03.md b/mat/17/03.md new file mode 100644 index 0000000..8707a0d --- /dev/null +++ b/mat/17/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यह यीशु के तीनो शिष्यों पर उसकी महिमा के प्रदर्शन का ही वृत्तान्त है। + +# देखो + +यह हमें सतर्क करने के लिए है कि अग्रिम जानकारी आश्चर्यजनक है। + +# लोगों के लिए + +यीशु के साथ जो शिष्य थे + +# कहा + +"कहा" पतरस किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दे रहा है। + +# यहाँ रहना अच्छा है। + +संभावित अर्थः (1) "यह तो अच्छा है कि हम शिष्य यहाँ मूसा, एलिय्याह और तेरे साथ हैं" या (2) "यह अच्छा है कि तू, मूसा, एलिय्याह और शिष्य एक साथ हैं" + +# मण्डप + +संभावित अर्थः (1) मनुष्यों के लिए आकर आराधना करने के लिए (देखें यू.डी.बी.) या (2) मनुष्य के सोने के लिए अस्थाई स्थान। diff --git a/mat/17/05.md b/mat/17/05.md new file mode 100644 index 0000000..c647294 --- /dev/null +++ b/mat/17/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यह यीशु के तीनो शिष्यों पर उसकी महिमा के प्रदर्शन का ही वृत्तान्त है। + +# देख + +यह पाठक को सतर्क करने के लिए है कि आगे आश्चर्यजनक जानकारी दी गई है। + +# मूँह के बल गिर गए। + +"शिष्यों ने मुँह के बल गिरकर दण्डवत किया"। diff --git a/mat/17/09.md b/mat/17/09.md new file mode 100644 index 0000000..43f3d2c --- /dev/null +++ b/mat/17/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यह यीशु के तीनो शिष्यों पर उसकी महिमा के प्रदर्शन का ही वृत्तान्त है। + +# जब वे + +"जब यीशु और उसके चेलों" diff --git a/mat/17/11.md b/mat/17/11.md new file mode 100644 index 0000000..5f09b4f --- /dev/null +++ b/mat/17/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु द्वारा अपने तीन शिष्यों पर उसकी महिमा के प्रदर्शन का वृत्तान्त चल रहा है। यीशु के प्रश्न का उत्तर दे रहा है। + +# सब कुछ सुधारेगा + +"व्यवस्थित करेगा" + +# उन्होंने... + +सम्भावित अर्थ है : 1)यहूदी अगुवे (देखें:यू.डी.बी) या 2) सब यहूदी। diff --git a/mat/17/14.md b/mat/17/14.md new file mode 100644 index 0000000..0618225 --- /dev/null +++ b/mat/17/14.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा दुष्टात्माग्रस्त युवक की चंगाई का वृत्तान्त है। + +# मिर्गी आती है। + +अचेत होकर अनियन्त्रित व्यवहार करने लगता है। diff --git a/mat/17/17.md b/mat/17/17.md new file mode 100644 index 0000000..5a86dd7 --- /dev/null +++ b/mat/17/17.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा दुष्टात्माग्रस्त युवक की चंगाई ही का वृत्तान्त है + +# मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? कब तक तुम्हारी सहूँगा? + +यीशु उन लोगों से अप्रसन्न है। वैकल्पिक अनुवाद, "मैं तुम्हारे साथ रहते रहते थक चुका हूँ। मैं तुम्हारे अविश्वास और भ्रष्टाचार से ऊब गया हूँ"। diff --git a/mat/17/19.md b/mat/17/19.md new file mode 100644 index 0000000..368af51 --- /dev/null +++ b/mat/17/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा दुष्टात्माग्रस्त युवक की चंगाई ही का वृत्तान्त है + +# हम + +बोलने वाले, न कि सुनने वाले (देखेः ) + +# निकल गई + +दुष्टात्मा को निकाल दिया + +# कोई बात तुम्हारे लिए असंभव न होगी + +"तुम कुछ भी कर पाओगे"। (देखेः ) diff --git a/mat/17/22.md b/mat/17/22.md new file mode 100644 index 0000000..0afab39 --- /dev/null +++ b/mat/17/22.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु गलील में अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है। + +# में थे + +"शिष्य और यीशु गलील में थे" + +# मनुष्य का पुत्र.... पकड़वाया जायेगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "कोई मनुष्य के पुत्र को पकड़वा देगा" + +# वे उसे मार डालेंगे + +"अधिकारी मनुष्य के पुत्र को मरवा देंगे"। + +# वह .... जी उठेगा। + +"परमेश्वर उसे जीवित करेगा" या "वह फिर जीवित हो जाएगा" diff --git a/mat/17/24.md b/mat/17/24.md new file mode 100644 index 0000000..1dc1a30 --- /dev/null +++ b/mat/17/24.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा मन्दिर के कर भुगतान का वृत्तान्त है। + +# जब वे + +जब यीशु और उसके शिष्य + +# अर्ध शेकेल कर (सिक्का) + +सह यहूदी पुरूषों पर कर था जो पहले परमेश्वर के लिए भेंट चढ़ाया जाता था। + +# घर + +यीशु के रहने का स्थान + +# पृथ्वी के राजा + +सामान्यतः शासक + +# परायों से + +शासक या राजा की प्रजा diff --git a/mat/17/26.md b/mat/17/26.md new file mode 100644 index 0000000..222a617 --- /dev/null +++ b/mat/17/26.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा मन्दिर के कर भुगतान का वृत्तान्त है। + +# परायों से + +प्रजा से + +# उसके मुँह + +"मछली का मुँह" + +# लेकर + +"उस सिक्के को लेकर" diff --git a/mat/18/01.md b/mat/18/01.md new file mode 100644 index 0000000..e3f118a --- /dev/null +++ b/mat/18/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु शिष्यों को उदाहरण देने के लिए एक बच्चे को खड़ा करता है। + +# बालकों के समान बनो। + +"बच्चों के समान सोच समझ न रखो" (देखें: और ) diff --git a/mat/18/04.md b/mat/18/04.md new file mode 100644 index 0000000..d3f699f --- /dev/null +++ b/mat/18/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है। + +# इस बालक के समान छोटा करेगा। + +"जो कोई इस बालक के सदृश्य दीन बनेगा"। + +# बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता और वह गहरे समुद्र में डुबाया जाता। + +"यदि वे उसके गले में चक्की का पाट बाँधकर उसे गहरे समुद्र में डाल दें"। + +# चक्की का पाट। + +एक गोल बड़ा पत्थर जो गेहूँ पीसने के काम आता है। वैकल्पिक अनुवादः "बहुत भारी पत्थर" diff --git a/mat/18/07.md b/mat/18/07.md new file mode 100644 index 0000000..ada2014 --- /dev/null +++ b/mat/18/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है। + +# तेरा हाथ + +यीशु अपने श्रोताओं से इस प्रकार बात करता है कि मानो वे एक ही व्यक्ति हैं। diff --git a/mat/18/09.md b/mat/18/09.md new file mode 100644 index 0000000..c8beaa8 --- /dev/null +++ b/mat/18/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है। + +# निकाल कर फेंक दे + +यह अविश्वास की गंभीरता और उससे हर कीमत पर बचने की आवश्यकता दर्शाता है। + +# जीवन में प्रवेश करना + +"अनन्त जीवन में प्रवेश करना" diff --git a/mat/18/10.md b/mat/18/10.md new file mode 100644 index 0000000..daa0911 --- /dev/null +++ b/mat/18/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है। + +# तुच्छ न जानना + +तुच्छ जानना , "प्रबल घृणा करना" या "महत्त्वहीन समझना" + +# उनके दूत + +"बच्चों के स्वर्गदूत" + +# मुँह सदा देखते हैं + +"सदैव निकट रहते हैं"। diff --git a/mat/18/12.md b/mat/18/12.md new file mode 100644 index 0000000..7bf6384 --- /dev/null +++ b/mat/18/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है। + +# तुम क्या सोचते हो? + +"मनुष्यों के व्यवहार के बारे में क्या सोचते हो? ("देखें: ) + +# निन्यानवे को छोड़कर ... ढूंढ़ेगा? + +"वह सदा ही निन्यानवे को छोड़ कर उसे खोजने निकलेगा" + +# निन्यानवे + +निन्यानवे + +# तुम्हारे पिता की... यह इच्छा नहीं कि इन छोटों में से एक भी नष्ट हो। + +"तुम्हारा स्वर्गीय पिता इन सब छोटों को जीवित देखना चाहता है।" diff --git a/mat/18/15.md b/mat/18/15.md new file mode 100644 index 0000000..0d84200 --- /dev/null +++ b/mat/18/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु मन फिराव और क्षमा की शिक्षा देना आरंभ करता है। + +# भाई को पा लिया + +"तूने अपने भाई के साथ अच्छे संबन्ध बना लिए"। + +# मुँह से + +"मुँह से निकली" गवाही diff --git a/mat/18/17.md b/mat/18/17.md new file mode 100644 index 0000000..f193984 --- /dev/null +++ b/mat/18/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु मन फिराव और क्षमा की ही शिक्षा दे रहा है। + +# उनकी भी न माने। + +गवाहों की बात भी न माने + +# इसे अन्य जाति और महसूल लेने वाले जैसा जान + +"उसके द्वारा ऐसा व्यवहार कर जैसा अन्यजातियां चुंगी लेने वाले के साथ करती है। diff --git a/mat/18/18.md b/mat/18/18.md new file mode 100644 index 0000000..af80029 --- /dev/null +++ b/mat/18/18.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है। + +# बाँधोगे... बंधेगा... खोलोगे .... खुलेगा + +देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। + +# बंधेगा .... खुलेगा + +वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर भी बांधेगा... परमेश्वर खोलेगा"। + +# उनको + +"तुम में से दो" + +# दो या तीन + +"दो या दो से अधिक" या "कम से कम दो" + +# इकट्ठा होते हैं + +"इकट्ठा होते हैं" diff --git a/mat/18/21.md b/mat/18/21.md new file mode 100644 index 0000000..6388291 --- /dev/null +++ b/mat/18/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु मन फिराव और क्षमा की ही शिक्षा दे रहा है। + +# सात बार + +"7 बार" + +# सात बार के सत्तर गुने तक + +संभावित अर्थ, (1) "7 का 70 बार" (यू.एल.बी.) या (2) 77 बार"(यू.डी.बी..) यदि आंकड़े काम में लेने से उलझन उत्पन्न हो तो आप कह सकते है, "जितना गिन सके उससे अधिक" (देखें यू.डी.बी. और ) diff --git a/mat/18/23.md b/mat/18/23.md new file mode 100644 index 0000000..0d6c887 --- /dev/null +++ b/mat/18/23.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है। + +# एक जन उसके सामने लाया गया। + +वैकल्पिक अनुवाद, "किसी ने राजा के सेवकों में से एक को लाकर उसके समक्ष उपस्थित किया" ) + +# दस हज़ार तोड़े + +"10,000 तोड़े" या इतना अधिक ऋण कि वह कभी चुका नहीं पाता" + +# उसके स्वामी ने कहा,"यह और .... जो कुछ इसका है सब बेचा जाए, और कर्जा चुका दिया जाए। + +"राजा ने सेवको को आज्ञा दी कि उसे उस मनुष्य और उसका सब कुछ बेचकर उस पैसे से उसका ऋण चुकाया जाए"। diff --git a/mat/18/26.md b/mat/18/26.md new file mode 100644 index 0000000..fd1de02 --- /dev/null +++ b/mat/18/26.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है। + +# गिरकर उसे प्रणाम किया। + +"घुटनों पर गिरकर सिर झुकाया" + +# उसे + +"राजा को" + +# छोड़ दिया + +"उसे मुक्त कर दिया" diff --git a/mat/18/28.md b/mat/18/28.md new file mode 100644 index 0000000..39bfcfa --- /dev/null +++ b/mat/18/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है। + +# सौ दीनार + +"100 दीनार" या " सौ दिनों की मजदूरी" + +# पकड़कर + +"पकड़ा" या "झपटा" (यू.डी.बी) + +# गिरकर ..... धीरज धर मैं सब कुछ भर दूँगा। + +इसका अनुवाद वैसा ही करे जैसा गिरकर ... धीरज धर मैं सब कुछ भर दूँगा का अनुवाद . में किया गया है। diff --git a/mat/18/30.md b/mat/18/30.md new file mode 100644 index 0000000..6ec332d --- /dev/null +++ b/mat/18/30.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है। diff --git a/mat/18/32.md b/mat/18/32.md new file mode 100644 index 0000000..550037c --- /dev/null +++ b/mat/18/32.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है। + +# उसके स्वामी ने उसको बुलवाकर + +"राजा ने उस पहले दास को बुलवाया" + +# तुझे भी ....दया करना नहीं चाहिए था? + +"आवश्यक था कि तू भी दया करता" diff --git a/mat/18/34.md b/mat/18/34.md new file mode 100644 index 0000000..6ec332d --- /dev/null +++ b/mat/18/34.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्त द्वारा मन फिराव और क्षमा की शिक्षा दे रहा है। diff --git a/mat/19/01.md b/mat/19/01.md new file mode 100644 index 0000000..daf4126 --- /dev/null +++ b/mat/19/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु गलील से प्रस्थान करके यहूदिया में शिक्षा दे रहा है। + +# और ऐसा हुआ + +यदि आपकी भाषा में कहानी को नए मन का आरंभ करने का प्रावधान है तो उसे काम में लें। + +# ये बातें + +के वचन + +# चला गया + +"प्रस्थान किया" या "कूच किया" + +# प्रदेश + +"क्षेत्र में" diff --git a/mat/19/03.md b/mat/19/03.md new file mode 100644 index 0000000..54e73a2 --- /dev/null +++ b/mat/19/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु विवाह और तलाक के विषय में शिक्षा देना आरंभ करता है। + +# पास आकर + +"यीशु के निकट आकर" + +# क्या तुमने नहीं पढ़ा? + +यीशु फरीसियों को लज्जित करना चाहता था। diff --git a/mat/19/05.md b/mat/19/05.md new file mode 100644 index 0000000..06d15e6 --- /dev/null +++ b/mat/19/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु विवाह और तलाक के बारे में ही शिक्षा दे रहा है। + +# इस कारण + +यह के प्रश्न का ही अगला अंश है, "तुमने नहीं पढ़ा कि वह कहता है ...?" + +# पत्नी के साथ रहेगा + +"पत्नी के निकट रहेगा" + +# एक तन + +"एक जीव" diff --git a/mat/19/07.md b/mat/19/07.md new file mode 100644 index 0000000..dd98b65 --- /dev/null +++ b/mat/19/07.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु विवाह और तलाक के बारे में ही शिक्षा दे रहा है। + +# उन्होंने उससे कहा + +"फरीसियों ने यीशु से कहा" + +# क्यों यह ठहराया + +"हम यहूदियों को यह आज्ञा क्यों दी" + +# त्याग पत्र देकर + +विवाह विच्छेद का वैध पत्र + +# परन्तु आरंभ से ऐसा नहीं था। + +"जब परमेश्वर ने नर और नारी को बनाया था तब तलाक का योजना नहीं थी" + +# व्यभिचार को छोड़कर + +"यौनाचार में अविश्वास को छोड़ कर"। + +# उस छोड़ी हुई से विवाह करे, वह भी व्यभिचार करता है + +अनेक आरंभिक अभिलेखों में यह शब्द नहीं हैं। diff --git a/mat/19/10.md b/mat/19/10.md new file mode 100644 index 0000000..f6f7eb9 --- /dev/null +++ b/mat/19/10.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु विवाह और तलाक के बारे में ही शिक्षा दे रहा है। + +# कुछ नपुंसक ऐसे हैं जो माता के गर्भ ही से ऐसे जन्मे हैं। + +"यौन अंगों के बिना जन्मे पुरूष" + +# अपने आपको नपुंसक बनाया + +संभावित अर्थ हैं, (1) "जिन्होंने अपना लिंग काट दिया" (2) "जो मनुष्य अविवाहित रहकर यौनाचार में शुद्ध रहना चाहते हैं।" + +# स्वर्ग के राज्य के लिए + +"कि वे परमेश्वर की अधिक अच्छी सेवा कर पाएँ" + +# जो इसको ग्रहण कर सकता है, ग्रहण करे। + +देखें कि आपने "इसको ग्रहण कर सकता है ग्रहण करे" का अनुवाद 19:11 में कैसे किया है। diff --git a/mat/19/13.md b/mat/19/13.md new file mode 100644 index 0000000..75abb2a --- /dev/null +++ b/mat/19/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +लोग बच्चों को यीशु के पास लाते हैं। + +# तब लोग बालकों को उसके पास लाए। + +वैकल्पिक अनुवाद, "कुछ लोग बच्चों को लेकर यीशु के पास आए" + +# आने दो + +"अनुमति दो" + +# मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो + +"उन्हें मेरे पास आने से मत रोको" + +# क्योंकि स्वर्ग का राज ऐसों ही का है। + +"स्वर्ग का राजा उन लोगों का है जो इनके समान हैं" या "केवल इन बच्चों के समान मनुष्य ही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं"। diff --git a/mat/19/16.md b/mat/19/16.md new file mode 100644 index 0000000..7ae3a8c --- /dev/null +++ b/mat/19/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की शिक्षा देना आरंभ करता है। + +# देखो + +लेखक कहानी में एक नए चरित्र को ला रहा है। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# भला काम + +परमेश्वर के प्रसन्न करने वाला काम + +# भला तो एक ही है। + +"केवल परमेश्वर की पूर्णरूपेण भला है" diff --git a/mat/19/18.md b/mat/19/18.md new file mode 100644 index 0000000..9ac2f3d --- /dev/null +++ b/mat/19/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की शिक्षा दे रहा है। diff --git a/mat/19/20.md b/mat/19/20.md new file mode 100644 index 0000000..4971cf5 --- /dev/null +++ b/mat/19/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की शिक्षा दे रहा है। + +# इच्छा रखते हैं। + +"ढूँढ़ते" diff --git a/mat/19/23.md b/mat/19/23.md new file mode 100644 index 0000000..f97236c --- /dev/null +++ b/mat/19/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की शिक्षा दे रहा है। + +# परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट को सूई के नाके में से निकल जाना सहज है। + +धनवानों के लिए परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना बहुत ही कठिन है + +# सूई के नाके + +"सूई के पीछे का छिद्र जिसमें धागा डाला जाता है"। diff --git a/mat/19/25.md b/mat/19/25.md new file mode 100644 index 0000000..62cdd09 --- /dev/null +++ b/mat/19/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की शिक्षा दे रहा है। + +# चेलों ने बहुत चकित होकर + +"शिष्य चकित हो गए" + +# फिर किसका उद्धार हो सकता है? + +संभावित अर्थ, "वे उत्तर खोज रहे थे" या (2) वैकल्पिक अनुवाद, "फिर तो किसी का उद्धार संभव नहीं" + +# हम तो सब कुछ छोड़ के + +"हमने तो अपनी संपूर्ण सम्पत्ति का त्याग कर दिया है" या "हमने अपना घर-बार सब छोड़ दिया है" + +# हमें क्या मिलेगा? + +"परमेश्वर हमें क्या अच्छी वस्तु देगा"? diff --git a/mat/19/28.md b/mat/19/28.md new file mode 100644 index 0000000..c97f852 --- /dev/null +++ b/mat/19/28.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को संसार में धन और स्वर्ग में प्रतिफल की ही शिक्षा दे रहा है। + +# नई सृष्टि में + +"जब सब कुछ नया हो जायेगा" या "नये युग में" + +# बारह सिंहासनों पर बैठ कर ..... न्याय करोगे + +"उन पर राजा और न्यायी होगे" diff --git a/mat/20/01.md b/mat/20/01.md new file mode 100644 index 0000000..d3810f9 --- /dev/null +++ b/mat/20/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु मजदूरों को मजदूरी देने वाले के दृष्टान्त आरंभ करता है। + +# स्वर्ग का राज्य किसी गृहस्वामी के समान है। + +परमेश्वर पर राज करता है जैसे गृहस्वामी अपनी भूमि पर राज करता है। + +# स्वर्ग का राज्य ... के समान है + +देखें कि आपने में इसका अनुवाद कैसे किया है + +# ठहराकर + +"जब गृहस्वामी सहमत हो गया" + +# एक दीनार + +"एक दिन की मज़दूरी" diff --git a/mat/20/03.md b/mat/20/03.md new file mode 100644 index 0000000..4d28a98 --- /dev/null +++ b/mat/20/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु गृहस्वामी द्वारा मज़दूरों को मजदूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है। + +# फिर .... निकल कर + +"वह गृहस्वामी फिर गया" + +# बेकार खड़े देखा + +"कुछ नहीं कर रहे थे" या "जिनके पास काम नहीं था" diff --git a/mat/20/05.md b/mat/20/05.md new file mode 100644 index 0000000..c437c2a --- /dev/null +++ b/mat/20/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु गृहस्वामी द्वारा मज़दूरों को मज़दूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है। + +# फिर .... निकलकर + +"गृहस्वामी फिर बाहर गया" + +# बेकार खड़े देखा + +"कुछ नहीं कर रहे थे" या "उनके पास काम नहीं था" diff --git a/mat/20/08.md b/mat/20/08.md new file mode 100644 index 0000000..5464d16 --- /dev/null +++ b/mat/20/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु गृहस्वामी द्वारा मजदूरों को मजदूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है। + +# उन्हें + +"जिन्होंने दिन समाप्त होने से एक घंटा पहले आए थे" + +# एक दीनार + +"एक दिन की मज़दूरी" + +# उन्होंने यह समझा + +"जिन मज़दूरों ने सबसे अधिक काम किया था उन्होंने सोचा" diff --git a/mat/20/11.md b/mat/20/11.md new file mode 100644 index 0000000..a961396 --- /dev/null +++ b/mat/20/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु गृहस्वामी द्वारा मज़दूरों को मज़दूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है। + +# जब मिला तो + +"जब सबसे अधिक काम करने वाले मजदूरों को मज़दूरी मिली तो" + +# गृहस्वामी पर + +"भू स्वामि पर" या "दाख की बारी के स्वामी पर" + +# दिन भर का भार उठाया और धूप सही + +"हमने पूरा दिन धूप में काम किया" diff --git a/mat/20/13.md b/mat/20/13.md new file mode 100644 index 0000000..3b805f4 --- /dev/null +++ b/mat/20/13.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु गृहस्वामी द्वारा मज़दूरों को मज़दूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है। + +# उनमें से एक + +"पूरा दिन काम करने वाले मज़दूरों में से एक" + +# मित्र + +किसी को कोमलता से झिड़कने का शब्द काम में लें। + +# क्या तूने ही मुझसे एक दीनार न ठहराया था? + +वैकल्पिक अनुवाद, "हम सहमत थे कि मैं तुझे एक दीनार दूं।" + +# एक दीनार + +"एक दिन की मज़दूरी" + +# मेरी इच्छा यह है + +"मैं देने में प्रसन्न हूँ" या "मैं देकर प्रसन्न हूँ" diff --git a/mat/20/15.md b/mat/20/15.md new file mode 100644 index 0000000..fc2f7d5 --- /dev/null +++ b/mat/20/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु गृहस्वामी द्वारा मज़दूरों को मज़दूरी देने का दृष्टान्त सुना रहे है। + +# क्या यह उचित ही नहीं कि मैं अपने माल से जो चाहूं सो करूं? + +वैकल्पिक अनुवाद, "मैं अपने माल के साथ जैसा चाहूंगा वैसा ही करूंगा" कर सकता हूँ। + +# उचित + +"विधि सम्मत" या "निष्पक्ष" या "सही" + +# क्या मेरे भले होने के कारण तू बुरी दृष्टि से देखता है? + +"तुझे निराश नहीं होना चाहिए कि मैं उनके साथ भलाई कर रहा हूँ, जिन्होंने कमाया नहीं"। diff --git a/mat/20/17.md b/mat/20/17.md new file mode 100644 index 0000000..30ea7a9 --- /dev/null +++ b/mat/20/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यरूशलेम की यात्रा के समय यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है + +# हम .... जाते हैं + +यीशु शिष्यों को भी जोड़ रहा है। + +# मनुष्य का पुत्र .... पकड़वाया जाएगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "कोई है जो मनुष्य के पुत्र को पकड़वायेगा" + +# उसको घात के योग्य ठहराऍगे और इसके अन्य जातियों के हाथ सौंपेगे कि उसे ठट्ठों में उडाऍ। + +"महायाजक और शास्त्री उसे मृत्युदण्ड के योग्य कहकर अन्यजातियों के समक्ष रखेंगे जो उसका ठट्ठा करेंगे"। + +# वह .... जी उठेगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर उसे जीवित करेगा" diff --git a/mat/20/20.md b/mat/20/20.md new file mode 100644 index 0000000..f8765de --- /dev/null +++ b/mat/20/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +दो शिष्यों की माता यीशु से एक निवेदन करती है + +# एक तेरे दाहिने ओर एक तेरे बाएँ बैठे। + +अधिकार के स्थानों पर diff --git a/mat/20/22.md b/mat/20/22.md new file mode 100644 index 0000000..59fb50b --- /dev/null +++ b/mat/20/22.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु उन दोनों शिष्यों की माता को उत्तर देता है + +# तुम्हें + +वे दोनों शिष्य और उनकी माता + +# पी सकते हो? + +"क्या तुम्हारे लिए संभव है कि ..." यीशु केवल पुत्रों से कह रहा है + +# जो कटोरा मैं पीने पर हूँ क्या तुम पी सकते हो? + +"जिस कष्ट को मैं उठाने जा रहा हूँ तुम उठा सकते हो"? + +# वे + +दोनों शिष्यों ने + +# जिनके लिए मेरे पिता की ओर से तैयार किया गया है, उन्हीं के लिए है" + +"मेरे साथ बैठने का सम्मान उन्हीं के लिए है जिनके लिए मेरे पिता ने यह सम्मान रखा है" + +# तैयार किया + +"निश्चित किया है" diff --git a/mat/20/25.md b/mat/20/25.md new file mode 100644 index 0000000..dae76ee --- /dev/null +++ b/mat/20/25.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु ने उनकी माता से जो कहा उसके द्वारा शिष्यों को शिक्षा देता है + +# अन्य जातियों के शासक उन पर प्रभुता करते हैं + +"अन्य जातियों के शासक उनसे अपनी इच्छा पूरी करवाते हैं" + +# बड़े हैं + +जिन्हें शासकों ने अधिकार दिया है + +# अधिकार जताते हैं + +"उनके नियंत्रण में रखते है" + +# चाहे + +"इच्छा रखे" या "लालसा करे" + +# अपने प्राण दे + +"मरने के लिए तैयार रहे" diff --git a/mat/20/29.md b/mat/20/29.md new file mode 100644 index 0000000..a8c4679 --- /dev/null +++ b/mat/20/29.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु द्वारा वे अंधों को दृष्टि दान का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# निकल रहे थे + +यह यीशु और उसके शिष्य के बारे में है + +# पीछे हो लो + +"यीशु का अनुसरण करने लगी" + +# देखो + +परमेश्वर पाठक का ध्यान आकर्षित करता है कि कोई विस्मयकारी जानकारी आगे है। आपकी भाषा में इसको व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# जा रहा है + +"उनके पास से निकल रहा है" + +# और भी चिल्लाकर बोले + +"अंधों ने पहले से भी अधिक चिल्लाना आरंभ कर दिया" या "वे और ऊंचे शब्द में चिल्लाए" diff --git a/mat/20/32.md b/mat/20/32.md new file mode 100644 index 0000000..c039e57 --- /dev/null +++ b/mat/20/32.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु द्वारा दो अंधों को दृष्टि दान का वृत्तान्त चल रहा है। + +# उन्हें बुलाया + +"उन अंधे मनुष्यों को बुलाया" + +# इच्छा रखते हैं। + +"ढूँढ़ते" + +# हमारी आँखें खुल जाएं + +वैकल्पिक अनुवाद, "हमारी इच्छा है कि तू हमें देखने योग्य बना दे" या "हम देखने के योग्य होना चाहते है"। (देखें: + +# तरस खाकर + +"अनुकंपा से" या "उनके लिए करूणा से भरकर" diff --git a/mat/21/01.md b/mat/21/01.md new file mode 100644 index 0000000..b9aa889 --- /dev/null +++ b/mat/21/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों के साथ यरूशलेम जा रहा है। + +# बैतफगे + +एक गाँव + +# गदही का बच्चा + +"युवा नर गधा" diff --git a/mat/21/04.md b/mat/21/04.md new file mode 100644 index 0000000..5655cd7 --- /dev/null +++ b/mat/21/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा गधे की सवारी करके यरूशलेम जाने का वृत्तान्त है + +# यह इसलिए हुआ कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो। + +"परमेश्वर ने वर्षों पूर्व अपने भविष्यद्वक्ता के माध्यम से कहा था कि ऐसा होगा"। + +# "जो वचन से पहले ही भविष्यद्वक्ता ने कह दिया था" + +"जो होने से पहले ही भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था" + +# सिय्योन की बेटी + +इस्राएल + +# गदेह + +गरीबों की सवारी का पशु + +# गदही का बच्चा + +युवा गधा diff --git a/mat/21/06.md b/mat/21/06.md new file mode 100644 index 0000000..6f02f16 --- /dev/null +++ b/mat/21/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा गधे की सवारी करके यरूशलेम जाने का वृत्तान्त है + +# वस्त्र + +बाहरी वस्त्र या कुर्ता + +# वह उस पर बैठ गया + +"यीशु उन कपड़ों पर बैठ गया जो गधे पर डाले गए थे।" diff --git a/mat/21/09.md b/mat/21/09.md new file mode 100644 index 0000000..b4c0333 --- /dev/null +++ b/mat/21/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यह यीशु द्वारा गधे की सवारी करके यरूशलेम जाने का वृत्तान्त है + +# होशाना + +यह एक इब्रानी शब्द है जिसका अर्थ है, "हमें बचा" परन्तु अन्ततः इसका अर्थ हो गया, "याह की स्तुति करो" + +# सारे नगर में हलचल मच गई। + +"नगर में हर एक जन उसे देखने के लिए उत्सुक था" + +# सारे नगर के लोग। + +"नगर के बहुत से लोगों में" (देखें: और diff --git a/mat/21/12.md b/mat/21/12.md new file mode 100644 index 0000000..f1d0a8f --- /dev/null +++ b/mat/21/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यह वृत्तान्त मन्दिर में यीशु के प्रवेश का है। + +# उसने उनसे कहा + +"यीशु ने उनसे कहा जो पैसों का विनिमय कर रहे थे और लेन -देन कर रहे थे"। + +# प्रार्थना का घर + +"लोगों के लिए प्रार्थना करने का स्थान" + +# डाकुओं की गुफा + +"डाकुओं के छिपने का स्थान" + +# लंगड़े + +वे जो चलने योग्य नहीं थे या जिनके पैर बेकार थे diff --git a/mat/21/15.md b/mat/21/15.md new file mode 100644 index 0000000..2e368b9 --- /dev/null +++ b/mat/21/15.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यह वृत्तान्त मन्दिर में यीशु की उपस्थिति का है। + +# होशाना + +देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया था। + +# हे दाऊद की सन्तान + +देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया था। + +# वे क्रोधित हुए + +"वे यीशु से घृणा करके क्रोधित हुए" + +# क्या तू सुनता है कि ये क्या कहते हैं? + +"तू लोगों को अपने लिए ऐसा कहने न दे"। + +# क्या तुमने यह कभी नहीं पढ़ा + +"हाँ मैं सुन रहा हूँ परन्तु तुम्हें धर्मशास्त्र की पढ़ी हुई बातें स्मरण रखना है" + +# वह उन्हें छोड़कर + +"यीशु महायाजकों और शास्त्रियों को छोड़कर" diff --git a/mat/21/18.md b/mat/21/18.md new file mode 100644 index 0000000..ae6c83c --- /dev/null +++ b/mat/21/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यह वृत्तान्त यीशु द्वारा अंजीर के पेड़ को श्राप देने का है। + +# सूख गया + +"मर गया" diff --git a/mat/21/20.md b/mat/21/20.md new file mode 100644 index 0000000..2536ee8 --- /dev/null +++ b/mat/21/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु अंजीर के वृक्ष के श्राप की व्याख्या करता है। + +# सूख गया + +सूख कर मर गया। diff --git a/mat/21/23.md b/mat/21/23.md new file mode 100644 index 0000000..707146c --- /dev/null +++ b/mat/21/23.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +धर्मगुरूओं द्वारा यीशु से प्रश्न करने के वृत्तान्त का आरंभ होता है। diff --git a/mat/21/25.md b/mat/21/25.md new file mode 100644 index 0000000..a4d4fd2 --- /dev/null +++ b/mat/21/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +धर्मगुरूओं द्वारा यीशु से प्रश्न करने का वृत्तान्त चल रहा है। + +# स्वर्ग की ओर से + +"स्वर्ग में परमेश्वर से" + +# वह हमसे कहेगा + +"यीशु हमसे कहेगा" + +# हमें भीड़ का डर है + +"हमें डर है कि भीड़ क्या कहेगी या हमारे साथ क्या करेगी" + +# वे सब यूहन्ना को भविष्यद्वक्ता मानते हैं + +"उनको विश्वास था कि यूहन्ना एक भविष्यद्वक्ता था" diff --git a/mat/21/28.md b/mat/21/28.md new file mode 100644 index 0000000..53d9a01 --- /dev/null +++ b/mat/21/28.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु एक दृष्टान्त द्वारा धर्मगुरूओं को उत्तर दे रहा है। diff --git a/mat/21/31.md b/mat/21/31.md new file mode 100644 index 0000000..1b8efc5 --- /dev/null +++ b/mat/21/31.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं को दृष्टान्त द्वारा उत्तर दे रहा है + +# उन्होंने कहा + +"महायाजक और पुरनियों ने कहा" + +# यीशु ने उनसे कहा + +"यीशु ने महायाजकों और पुरनियों से कहा" + +# यूहन्ना .... तुम्हारे पास आया + +"यूहन्ना ने आकर धर्म-गुरूओं और साधारण जनता में प्रचार किया" + +# धर्म के मार्ग + +यूहन्ना ने दिखाया कि मनुष्य परमेश्वर के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखाए और जीवन जीए। diff --git a/mat/21/33.md b/mat/21/33.md new file mode 100644 index 0000000..84df383 --- /dev/null +++ b/mat/21/33.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु एक और वृत्तान्त द्वारा धर्मगुरूओं को उत्तर दे रहा है + +# एक गृहस्वामी था जिसने दाख की बारी लगाई। + +"एक भूस्वामी जिसके पास बहुत बड़ा खेत था" + +# किसानों को उसका ठेका देकर + +"अपनी दाख की बारी किसानों की देखरेख में रखकर वह अब भी उसका स्वामी है। + +# किसान + +जो दाखलता और दाख को संभालना जानते हैं diff --git a/mat/21/35.md b/mat/21/35.md new file mode 100644 index 0000000..cea8fe2 --- /dev/null +++ b/mat/21/35.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु एक और दृष्टान्त द्वारा धर्मगुरूओं को उत्तर दे रहा है। + +# दासों को + +उस गृहस्वामी के सेवक" diff --git a/mat/21/38.md b/mat/21/38.md new file mode 100644 index 0000000..dc04df7 --- /dev/null +++ b/mat/21/38.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु एक और दृष्टान्त द्वारा धर्मगुरूओं को उत्तर दे रहा है। diff --git a/mat/21/40.md b/mat/21/40.md new file mode 100644 index 0000000..c3ebb87 --- /dev/null +++ b/mat/21/40.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु एक और दृष्टान्त द्वारा धर्मगुरूओं को उत्तर दे रहा है। + +# उन्होंने उससे कहा + +"श्रोताओं ने यीशु को उत्तर दिया" diff --git a/mat/21/42.md b/mat/21/42.md new file mode 100644 index 0000000..b28f6ba --- /dev/null +++ b/mat/21/42.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से उस दृष्टान्त का अर्थ समझाता है। + +# यीशु ने उनसे कहा + +"यीशु ने श्रोताओं से कहा" + +# जिस पत्थर को राज मिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया। + +वैकल्पिक अनुवाद, "जिस पत्थर को राज मिस्त्रियों ने व्यर्थ कहा था वही सबसे महत्त्वपूर्ण ठहरा" अधिकारी यीशु का परित्याग करेंगे परन्तु परमेश्वर उसे अपने राज्य का सिर बनाएगा। + +# यह प्रभु की ओर से हुआ + +"परमेश्वर ने इस महान परिवर्तन को किया" diff --git a/mat/21/43.md b/mat/21/43.md new file mode 100644 index 0000000..489481c --- /dev/null +++ b/mat/21/43.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु उस दृष्टान्त का अर्थ समझा रहा है। + +# मैं तुम से कहता हूँ + +यीशु महायाजकों एवं पुरनियों से कह रहा है। + +# उसका फल लाए + +"जो सही है वह करे" + +# फल + +"परमेश्वर के राज्य के फल" + +# जो इस पत्थर पर गिरेगा। + +"जो इस पत्थर से टकराएगा" /रूपक + +# जिस पर वह गिरेगा + +"जिस पर दण्ड आएगा" /रूपक diff --git a/mat/21/45.md b/mat/21/45.md new file mode 100644 index 0000000..fe3453f --- /dev/null +++ b/mat/21/45.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +धर्मगुरू यीशु का दृष्टान्त सुनकर प्रतिक्रिया दिखा रहे हैं। + +# उसके दृष्टान्त + +"यीशु का दृष्टान्त" + +# पकड़ना चाहा + +"बन्दी बनाना चाहा" diff --git a/mat/22/01.md b/mat/22/01.md new file mode 100644 index 0000000..be77a79 --- /dev/null +++ b/mat/22/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु ने धर्मगुरूओं को विवाह भोज दृष्टान्त सुनाना आरंभ किया। + +# स्वर्ग का राज्य...के समान है। + +देखें कि आपने में इसका अनुवाद कैसे किया है + +# निमंत्रित लोगों को + +वैकल्पिक अनुवाद, "राजा के द्वारा आमंत्रित जन" diff --git a/mat/22/04.md b/mat/22/04.md new file mode 100644 index 0000000..aca9242 --- /dev/null +++ b/mat/22/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं को विवाह भोज का ही दृष्टान्त सुना रहा है। + +# देख + +वैकल्पिक अनुवाद, "सुनो" या "देखो" या "मैं जो कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दो" diff --git a/mat/22/05.md b/mat/22/05.md new file mode 100644 index 0000000..3e239ad --- /dev/null +++ b/mat/22/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं को विवाह भोज का ही दृष्टान्त सुना रहा है। + +# वे उपेक्षा करके चल दिए + +"आमंत्रित अतिथि + +# निमन्त्रण का मान नहीं रखा + +"उसकी निमन्त्रण को गम्भीरता से नहीं लिया" diff --git a/mat/22/08.md b/mat/22/08.md new file mode 100644 index 0000000..b15c44d --- /dev/null +++ b/mat/22/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं को विवाह भोज का ही दृष्टान्त सुना रहा है। + +# चौराहे + +जहाँ दो रास्ते एक दूसरे को काटते हैं। + +# विवाह का घर + +एक बड़ा कक्ष diff --git a/mat/22/11.md b/mat/22/11.md new file mode 100644 index 0000000..92809de --- /dev/null +++ b/mat/22/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं को विवाह भोज का ही दृष्टान्त सुना रहा है। diff --git a/mat/22/13.md b/mat/22/13.md new file mode 100644 index 0000000..92809de --- /dev/null +++ b/mat/22/13.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं को विवाह भोज का ही दृष्टान्त सुना रहा है। diff --git a/mat/22/15.md b/mat/22/15.md new file mode 100644 index 0000000..8738c84 --- /dev/null +++ b/mat/22/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यहाँ धर्मगुरूओं द्वारा यीशु को फसाने के प्रयास का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# उसको किस प्रकार बातों में फसाऍ + +"उससे कुछ ऐसा कहलवाऍ जिसे हम उसके विरूद्ध काम में ले पाएं" + +# हेरोदियों + +यहूदी राजा हेरोदेस के कर्मचारी तथा अनुयायी, हेरोदेस को भी साम्राज्य का मित्र था। + +# तू मनुष्यों का मुँह देखकर बातें नहीं करता है। + +"तू कुछ लोगों को विशेष मान प्रदान नहीं करता है" या "तू बड़े लोगों की चिन्ता नहीं करता है"। diff --git a/mat/22/18.md b/mat/22/18.md new file mode 100644 index 0000000..9a44915 --- /dev/null +++ b/mat/22/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +धर्मगुरू कर देने के संबन्ध में यीशु को फसाने का प्रयास करते हैं। + +# एक दीनार + +रोमी सिक्का जो एक दिन की मज़दूरी था। diff --git a/mat/22/20.md b/mat/22/20.md new file mode 100644 index 0000000..253fa64 --- /dev/null +++ b/mat/22/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +धर्मगुरू कर देने के संबन्ध में यीशु को फसाने का प्रयास करते हैं। + +# जो कैसर का है + +"जो वस्तुएं कैसर की हैं" + +# जो परमेश्वर का है। + +"जो वस्तुएं परमेश्वर की हैं" diff --git a/mat/22/23.md b/mat/22/23.md new file mode 100644 index 0000000..cfa3973 --- /dev/null +++ b/mat/22/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यहूदी धर्मगुरू यीशु को तलाक के संबन्ध में फसाने का प्रयास कर रहे हैं। + +# "हे गुरू,मूसा ने कहा था ....." + +वे उससे धर्मशास्त्र में मूसा के लेख के बारे में प्रश्न कर रहे थे। यदि आपकी भाषा में उद्धरण के भीतर उद्धरण देने का प्रावधान नहीं है तो आप परोक्ष वाक्य का उपयोग कर सकते हैं, "मूसा ने कहा है कि यदि कोई पुरूष ...." (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-quotations]] + +# उसका भाई .... उसकी पत्नी .... भाई + +उसका भाई ..... उसकी पत्नी .... उसका भाई मृतक का diff --git a/mat/22/25.md b/mat/22/25.md new file mode 100644 index 0000000..f52f75b --- /dev/null +++ b/mat/22/25.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यहूदी धर्मगुरू यीशु को तलाक के संबन्ध में फसाने का प्रयास कर रहे हैं। + +# सबके बाद + +"जब सब भाई उससे विवाह कर चुके" या "जब सब भाई मर गए" diff --git a/mat/22/29.md b/mat/22/29.md new file mode 100644 index 0000000..c86749c --- /dev/null +++ b/mat/22/29.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# परमेश्वर की सामर्थ + +"परमेश्वर जो कर सकता है" यहूदी धर्मगुरू यीशु को तलाक के संबन्ध में फसाने का प्रयास कर रहे हैं। diff --git a/mat/22/31.md b/mat/22/31.md new file mode 100644 index 0000000..8f48dc2 --- /dev/null +++ b/mat/22/31.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यहूदी धर्मगुरू यीशु को तलाक के संबन्ध में फसाने का प्रयास कर रहे हैं। + +# क्या तुमने यह वचन नहीं पढ़ा .... याकूब। + +क्या तुमने यह वचन नही पढ़ा .... याकूब , वैकल्पिक अनुवाद, "मैं जानता हूँ कि तुमने यह वचन पढ़ा है परन्तु तुम समझ नहीं पाए .... याकूब"। + +# जो परमेश्वर ने तुम से कहा + +जो परमेश्वर ने तुम से कहा , वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर ने जो तुमसे कहा" (देखें: : ) + +# परमेश्वर ने तुम से कहा, मैं ... याकूब का परमेश्वर हूँ? + +यह उद्धरण में उद्धरण है, "परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह, परमेश्वर, अब्राहम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर है" diff --git a/mat/22/34.md b/mat/22/34.md new file mode 100644 index 0000000..6e55a8b --- /dev/null +++ b/mat/22/34.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +धर्मगुरू यीशु को व्यवस्था के संबन्धों में फसाने का प्रयास कर रहें हैं। + +# व्यवस्थापक + +मूसा की व्यवस्था को समझने में योग्य फरीसी diff --git a/mat/22/37.md b/mat/22/37.md new file mode 100644 index 0000000..6e579ac --- /dev/null +++ b/mat/22/37.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +धर्मगुरू यीशु को व्यवस्था के संबन्धों में फसाने का प्रयास कर रहें हैं। diff --git a/mat/22/39.md b/mat/22/39.md new file mode 100644 index 0000000..3140a02 --- /dev/null +++ b/mat/22/39.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +धर्मगुरू यीशु को व्यवस्था के संबन्धों में फसाने का प्रयास कर रहें हैं। + +# उसी के समान + +उसी आज्ञा के समान . diff --git a/mat/22/41.md b/mat/22/41.md new file mode 100644 index 0000000..6447bbd --- /dev/null +++ b/mat/22/41.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं से मसीह के बारे में प्रश्न कर रहा है diff --git a/mat/22/43.md b/mat/22/43.md new file mode 100644 index 0000000..b423c51 --- /dev/null +++ b/mat/22/43.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं से मसीह के बारे में प्रश्न पूछ रहा है + +# मेरे दाहिने बैठ + +मेरे दाहिने बैठ , दाहिनी ओर प्रायः सम्मान का स्थान दर्शाती है। + +# जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों के नीचे न कर दूँ + +"जब तक कि मैं तेरे बैरियों को जीत न लूं" diff --git a/mat/22/45.md b/mat/22/45.md new file mode 100644 index 0000000..0ffb219 --- /dev/null +++ b/mat/22/45.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं से मसीह के बारे में प्रश्न पूछ रहा है diff --git a/mat/23/01.md b/mat/23/01.md new file mode 100644 index 0000000..6a2ec6c --- /dev/null +++ b/mat/23/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने अनुयायियों को सतर्क करता है कि वह धर्मगुरूओं के जैसे न हों। + +# मूसा की गद्दी पर बैठे हैं + +"उनके पास मूसा का अधिकार है" या "उन्हें मूसा की व्यवस्था का अर्थ समझाने का अधिकार है" + +# जो कुछ + +"कुछ भी" या "सब कुछ" diff --git a/mat/23/04.md b/mat/23/04.md new file mode 100644 index 0000000..ce13ee8 --- /dev/null +++ b/mat/23/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने अनुयायियों को सतर्क कर रहा है कि वे धर्मगुरूओं के समान न हों। + +# वे ऐसे भारी बोझ को जिनको उठाना कठिन है। + +वे ऐसे भारी बोझ को जिनको उठाना कठिन है , "वे तुम पर अनेक नियम लागू करते हैं जिनका पालन करना कठिन है" + +# स्वयं अपनी उँगली से भी सरकाना नहीं चाहते। + +"वह थोड़ी सी भी सहायता करना नहीं चाहते" + +# ताबीजों + +छोटी-छोटी चमड़े की थैलियों में धर्मशास्त्र के पद को रखकर शरीर पर बाँधा जाता था diff --git a/mat/23/06.md b/mat/23/06.md new file mode 100644 index 0000000..adc783a --- /dev/null +++ b/mat/23/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु अपने अनुयायियों को सतर्क कर रहा है कि धर्मगुरूओं के समान व्यवहार न करें। diff --git a/mat/23/08.md b/mat/23/08.md new file mode 100644 index 0000000..9260a7e --- /dev/null +++ b/mat/23/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु अपने अनुयायियों को सतर्क कर रहा है कि वे धर्मगुरूओं के समान न हों। + +# किसी को अपना पिता न कहना + +"पृथ्वी पर किसी को भी पिता न कहना" या "कभी न कहें कि पृथ्वी पर कोई तुम्हारा पिता है" diff --git a/mat/23/11.md b/mat/23/11.md new file mode 100644 index 0000000..8ca66d3 --- /dev/null +++ b/mat/23/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने अनुयायियों को सतर्क कर रहा है कि धर्मगुरूओं के समान व्यवहार न करें। + +# बड़ा हो + +"अपने आपको महत्त्वपूर्ण बनाए" + +# बड़ा बनाएगा + +"महत्त्व में ऊंचा उठेगा" diff --git a/mat/23/13.md b/mat/23/13.md new file mode 100644 index 0000000..231f09c --- /dev/null +++ b/mat/23/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं को पाखंड के कारण उनके विरूद्ध कह रहा है। + +# न तो स्वयं उसमें प्रवेश करते हो + +"तुम परमेश्वर को स्वयं पर अधिकार नहीं करने देता" + +# तुम विधवाओं के घरों को खा जाते हो + +"जिन स्त्रियों के पास सुरक्षा हेतु पुरूष नहीं उन्हें तुम लूटते हो" + +# नरक पुत्र + +"जो व्यक्ति नरक का है" या "जिस व्यक्ति को नरक जाना चाहिए" diff --git a/mat/23/16.md b/mat/23/16.md new file mode 100644 index 0000000..1f0e8ae --- /dev/null +++ b/mat/23/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है। + +# अंधे अगुवो .... हे मूर्खों + +यद्यपि अगुवे शरीर से अंधे नहीं थे, वे समझ नहीं सकते हैं कि वे गलत हैं। + +# उससे बंध जाएगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "उसने जो प्रतिज्ञा की है उसे करना अनिवार्य है" + +# कौन बड़ा है, सोना या मन्दिर जिससे सोना पवित्र होता है। + +यीशु इस प्रश्न द्वारा फरीसियों को झिड़कता है। diff --git a/mat/23/18.md b/mat/23/18.md new file mode 100644 index 0000000..eac0ea0 --- /dev/null +++ b/mat/23/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है। + +# हे अंधों + +आत्मिक अंधे + +# कौन बड़ा है, भेंट या वेदी जिससे भेंट पवित्र होती है? + +यीशु इस प्रश्न से उस बात को प्रकट कर रहा है जिसे वे पहले से ही जानते हैं + +# भेंट + +पशु की बलि या परमेश्वर के समक्ष लाया गया आटा जो वेदी पर रखने से पूर्व के हैं, एक बार वेदी पर रख दिए गए तो वे बलि होते हैं। diff --git a/mat/23/20.md b/mat/23/20.md new file mode 100644 index 0000000..403db49 --- /dev/null +++ b/mat/23/20.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है। diff --git a/mat/23/23.md b/mat/23/23.md new file mode 100644 index 0000000..06ca3fa --- /dev/null +++ b/mat/23/23.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है। + +# हाय। + +देखें कि आपने इसका अनुवाद + +# पोदीने, सौंफ, जीरे + +भोजन में स्वाद के लिए काम आने वाले पत्ते और बीज + +# हे अंधे अगुवों + +ये लोग शरीर से तो अंधे नहीं है परन्तु यीशु आत्मिक अंधेपन की तुलना शारीरिक अंधेपन से करता है। + +# तुम मच्छर को तो छान डालते हो, परन्तु ऊँट को निगल जाते हो। + +कम महत्त्व के नियमों के पालन में अत्यधिक सावधान रहना और अधिक महत्त्वपूर्ण नियमों को अनेदखा करना ऐसी मूर्खता है कि जैसे सबसे छोटे अशुद्ध पशु का मॉस खा लेना चाहे वह जानबूझ कर हो या अनजाने में हो। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम उस मूर्ख के समान हो जो अपने पेय पदार्थ में गिरनेवाले कीट को तो सावधानीपूर्वक निकाल देता है, परन्तु ऊँट को निगल जाता है"। (देखें: और ) + +# मच्छर को तो छान देते हो + +कपड़ा लगाकर पीते हो कि मच्छर मुँह में न चला जाए। + +# मच्छर + +एक छोटा उड़ने वाला कीट diff --git a/mat/23/25.md b/mat/23/25.md new file mode 100644 index 0000000..a58952e --- /dev/null +++ b/mat/23/25.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है। + +# हाय। + +देखें इसका अनुवाद में कैसे किया गया है। + +# तुम कटोरे और थाली के ऊपर से मांझते हो। + +"शास्त्री" और "फरीसी" बाहर से बड़े पवित्र दिखाई देते हैं। + +# भीतर अंधेरे और असंयम से भरे हुए हो + +"वे लोगों से उनकी वस्तुएं बलपूर्वक छीन लेते हैं कि उनके पास आवश्यकता से अधिक हो जाए।" + +# हे अंधे फरीसी + +फरीसी सत्य को नहीं समझते। वे आँखों से तो अंधे नहीं हैं। + +# पहले कटोरे और थाली के भीतर से मांझ कि वे बाहर से भी स्वच्छ हों। + +उनके मन परमेश्वर के साथ उचित संबन्ध में होंगे तो उनके जीवन से प्रकट होगा। diff --git a/mat/23/27.md b/mat/23/27.md new file mode 100644 index 0000000..403db49 --- /dev/null +++ b/mat/23/27.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है। diff --git a/mat/23/29.md b/mat/23/29.md new file mode 100644 index 0000000..403db49 --- /dev/null +++ b/mat/23/29.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है। diff --git a/mat/23/32.md b/mat/23/32.md new file mode 100644 index 0000000..fa409b2 --- /dev/null +++ b/mat/23/32.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है। + +# तुम अपने बाप-दादों के पाप का घड़ा पूरी तरह भर दो + +"तुम अपने पूर्वजों के द्वारा आरंभ किए गए पाप को पूरा करते हो।" + +# हे साँपों, हे करैतों + +"तुम खतरनाक एवं विषैले सर्पों के जैसे हो" + +# तुम नरक के दण्ड से कैसे बचोगे? + +"नरक के दण्ड से बचने का तुम्हारे लिए कोई मार्ग नहीं है" diff --git a/mat/23/34.md b/mat/23/34.md new file mode 100644 index 0000000..56e5486 --- /dev/null +++ b/mat/23/34.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु धर्मगुरूओं के पाखण्ड के कारण उनके विरूद्ध है। + +# धर्मी हाबिल से लेकर .... जकरयाह तक + +हाबिल हत्या का पहला शिकार था और ऐसा माना जाता है कि मन्दिर में घात किया जाने वाला जकरयाह अन्तिम था। + +# जकरयाह + +यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का पिता नहीं diff --git a/mat/23/37.md b/mat/23/37.md new file mode 100644 index 0000000..4a1106d --- /dev/null +++ b/mat/23/37.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु कहता है कि यरूशलेमवासियों द्वारा उसके परित्याग के कारण वह दुःखी है। + +# हे यरूशलेम, हे यरूशलेम। + +हे यरूशलेम, हे यरूशलेम यीशु यरूशलेमवासियों को नगर के नाम से संबोधित करता है (देखें: और ) + +# तेरे बालकों को + +संपूर्ण इस्राएल को + +# तुम्हारा घर तुम्हारे लिए उजाड़ छोड़ा जाता है + +वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर तुम्हारे घर को त्याग देगा और वह उजड़ा पड़ा रहेगा"। (देखेः ) + +# तुम्हारा घर + +संभावित अर्थः (1) यरूशलेम नगर (देखें यू.डी.बी.) या (2) मन्दिर (देखेः ) diff --git a/mat/24/01.md b/mat/24/01.md new file mode 100644 index 0000000..696fb6c --- /dev/null +++ b/mat/24/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु अब अपने शिष्यों के साथ उसके पुनः आगमन की घटनाओं की चर्चा आरंभ करता है। + +# तुम यह सब देख रहे हो न! + +संभावित अर्थः (1) यीशु मन्दिर के बारे में कह रहा है (वैकल्पिक अनुवाद, "इन इमारतों के बारे में मैं तुमसे कहता हूँ") या (2) यीशु अभी-अभी व्यक्त किए गए विनाश के संदर्भ में कह रहा है। ("तुम्हें समझ लेना था कि मैंने अभी-अभी तुम से क्या कहा था, परन्तु तुम नहीं समझे!") (देखेः ) diff --git a/mat/24/03.md b/mat/24/03.md new file mode 100644 index 0000000..6b0ea3b --- /dev/null +++ b/mat/24/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# सावधान रहो कि कोई तुम्हें न भरमाने पाए। + +"सावधान रहना कि कोई तुम्हें इन बातों के बारे में झूठ न कहे"। diff --git a/mat/24/06.md b/mat/24/06.md new file mode 100644 index 0000000..54cc10b --- /dev/null +++ b/mat/24/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों से अन्त समय संबन्धित घटनाओं की चर्चा करता है। + +# घबरा न जाना + +"ये घटनाएं तुम्हें परेशान न कर दें" diff --git a/mat/24/09.md b/mat/24/09.md new file mode 100644 index 0000000..fb2de52 --- /dev/null +++ b/mat/24/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अन्त समय संबन्धित घटनाओं की ही चर्चा कर रहा है। + +# तुम्हें पकड़वाएंगे + +तुम्हें पकड़वाएंगे "जो तुम्हें सताना चाहते है वे तुम्हें बन्दी बनवाएंगे" + +# पकड़वाएं + +इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में किया गया है। diff --git a/mat/24/12.md b/mat/24/12.md new file mode 100644 index 0000000..0e2f7bf --- /dev/null +++ b/mat/24/12.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों से अन्त समय की घटनाओं की ही चर्चा कर रहा है। + +# बहुतों का प्रेम ठंडा पड़ जायेगा। + +संभावित अर्थः (1) "लोग आपस में प्रेम नहीं रखेंगे" (देखें यू.डी.बी.) या (2) "अधिकांश जन परमेश्वर से प्रेम नहीं रखेंगे"। + +# सब जातियों पर + +वैकल्पिक अनुवाद, "सब जगहों में सब लोग" diff --git a/mat/24/15.md b/mat/24/15.md new file mode 100644 index 0000000..de1a86b --- /dev/null +++ b/mat/24/15.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# जिसकी चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी + +वैकल्पिक अनुवाद, "जिसके बारे में भविष्यद्वक्ता दानिय्येल ने लिखा है"। diff --git a/mat/24/19.md b/mat/24/19.md new file mode 100644 index 0000000..bf8ccf6 --- /dev/null +++ b/mat/24/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# जो गर्भवती + +जो गर्भवती "गर्भवती स्त्रियाँ" + +# जाड़े में + +"शीत ऋतु" + +# प्राणी + +लोग diff --git a/mat/24/23.md b/mat/24/23.md new file mode 100644 index 0000000..8230226 --- /dev/null +++ b/mat/24/23.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# तो विश्वास न करना + +"उनकी झूठी बातों पर विश्वास नहीं करना" diff --git a/mat/24/26.md b/mat/24/26.md new file mode 100644 index 0000000..eab8af1 --- /dev/null +++ b/mat/24/26.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती जाती है, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा। + +उसका आगमन बड़ी तेजी से होगा और सब उसे देखेंगे। + +# जहाँ लोथ हो वहाँ गिद्ध इकट्ठे होंगे। + +संभावित अर्थः (1) जब मनुष्य का पुत्र आयेगा तब सब उसे देखेंगे और जान लेंगे कि वह आ गया है। (देखें यू.डी.बी.) या (2) जहाँ आत्मिकता में मृतक हो, झूठे भविष्यद्वक्ता वहाँ अवश्य होंगे कि उन्हें झूठी बातें सुनाएँ (देखें + +# गिद्ध + +मृतक मनुष्यों या जानवरों को खाने वाले बड़े पक्षी। diff --git a/mat/24/29.md b/mat/24/29.md new file mode 100644 index 0000000..e62bc69 --- /dev/null +++ b/mat/24/29.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# शीघ्र ही + +"तत्काल ही" + +# उन दिनों + +में चर्चित दिन + +# सूर्य अन्धियारा हो जाएगा + +"परमेश्वर सूर्य को अन्धेरा कर देगा।" (देखें: Active/Passive) + +# आकाश की शक्तियाँ हिलाई जायेंगी। + +आकाश की शक्तियाँ हिलाई जायेंगी ।"परमेश्वर आकाश और उसके परे उथल-पुथल करेगा"।(देखें: Active/Passive) diff --git a/mat/24/30.md b/mat/24/30.md new file mode 100644 index 0000000..87f216d --- /dev/null +++ b/mat/24/30.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# छाती पीटेंगे + +वे आनेवाले दण्ड के भय से छाती पीटेंगे। + +# इकट्ठा करेंगे। + +"उसके स्वर्गदूत चुने हुओं को एकत्र करेंगे"। + +# उसके चुने हुओं को + +जिन्हें मनुष्य के पुत्र ने चुना है। + +# चारों दिशाओं से + +वैकल्पिक अनुवाद, "पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण से" (देखें यू.डी.बी.) या "सब जगहों से" (देखें: ) diff --git a/mat/24/32.md b/mat/24/32.md new file mode 100644 index 0000000..795db89 --- /dev/null +++ b/mat/24/32.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# प्रवेश द्वारा के निकट है + +आक्रमण करने वाली सेना के समान जो नगर में प्रवेश करने ही वाली है diff --git a/mat/24/34.md b/mat/24/34.md new file mode 100644 index 0000000..5cdc9ab --- /dev/null +++ b/mat/24/34.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# इस पीढ़ी का अन्त नहीं होगा। + +"जो लोग इस समय हैं उनके मर जाने तक" + +# जब तक ये सब बातें पूरी न हों। + +वैकल्पिक अनुवाद, "जब तक परमेश्वर यह सब न कर दे" + +# आकाश और पृथ्वी टल जायेंगे। + +"आकाश और पृथ्वी भले ही न रहें" diff --git a/mat/24/36.md b/mat/24/36.md new file mode 100644 index 0000000..844ed6d --- /dev/null +++ b/mat/24/36.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# न पुत्र + +"पुत्र भी नहीं" diff --git a/mat/24/37.md b/mat/24/37.md new file mode 100644 index 0000000..75c8c59 --- /dev/null +++ b/mat/24/37.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# जैसे नूह के दिन थे वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "जिस दिन मनुष्य के पुत्र पुन: आयेगा वह दिन ऐसा समय होगा जैसा नूह के दिनों में था" क्योंकि कोई नहीं जानता था कि विनाश आनेवाला है। + +# जैसे जल प्रलय से पहिले के दिनों में, ... लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह-शादी होती थी। और जब तक जल प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया... वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "मनुष्य के पुत्र के आने से पूर्व का समय वैसा ही होगा जैसा जल प्रलय से पूर्व का समय था जब सब खाते-पीते थे... सबको बहा न ले गया"। diff --git a/mat/24/40.md b/mat/24/40.md new file mode 100644 index 0000000..5b510aa --- /dev/null +++ b/mat/24/40.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु शिष्यों से अपने आगमन की चर्चा कर रहा है। + +# तब + +जब मनुष्य का पुत्र आएगा + +# एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। + +संभावित अर्थ, (1) परमेश्वर एक को स्वर्ग ले जाएगा और दूसरे को दण्ड के लिए पृथ्वी पर छोड़ देगा। (देखें यू.डी.बी.) या (2) स्वर्गदूत एक को दण्ड के लिए ले जायेंगे और दूसरे को आशिष के लिए रख देंगे। . + +# चक्की पीसती + +गेहूँ पीसने का साधन + +# इसलिए + +"मैंने जो कहा है, इस कारण" + +# जागते रहो + +"ध्यान दो" diff --git a/mat/24/43.md b/mat/24/43.md new file mode 100644 index 0000000..43559d9 --- /dev/null +++ b/mat/24/43.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को समझा रहा है कि उसके पुनः आगमन के लिए कैसे तैयार रहें। + +# चोर + +यीशु के कहने का अर्थ है कि वह अचानक ही आयेगा, चोरी करने नहीं। + +# तो जागता रहता + +"वह अपने घर की चौकसी करता" कि सुरक्षित रहे। + +# घर में सेंध लगने न देता + +"वह चोरी के लिए किसी को भी घर में घुसने नहीं देता"। diff --git a/mat/24/45.md b/mat/24/45.md new file mode 100644 index 0000000..0005be3 --- /dev/null +++ b/mat/24/45.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को पुनः आगमन की तैयारी ही की शिक्षा दे रहा है। + +# अतः वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान सेवक कौन है? + +वैकल्पिक अनुवाद, "विश्वासयोग्य और बुद्धिमान सेवक कौन है? जिसे स्वामी ने.... " + +# उन्हें भोजन दे + +"अपने स्वामी के कुटुम्ब के सदस्यों को भोजन दे"। diff --git a/mat/24/48.md b/mat/24/48.md new file mode 100644 index 0000000..690ed85 --- /dev/null +++ b/mat/24/48.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को पुनः आगमन की तैयारी ही की शिक्षा दे रहा है। + +# सोचने लगे + +सोचने लगे "अपने मन में विचार करे" + +# भाग... ठहराएगा + +"उसके साथ व्यवहार करेगा" diff --git a/mat/25/01.md b/mat/25/01.md new file mode 100644 index 0000000..b7d0838 --- /dev/null +++ b/mat/25/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु बुद्धिमान और मूर्ख कुंवारियाँ का दृष्टान्त सुनाता है। + +# मशालें + +मशालें , (1) बत्तियाँ (यू.डी.बी.) या (2) लकड़ी की छोर पर कपड़ा लपेट कर तेल में तर करके जलाई जानेवाली बत्ती। + +# उनमें से पांच + +उनमें से पाँच "पाँच कुवारियाँ" + +# अपने साथ तेल नहीं लिया। + +"उसके पास केवल मशालों में ही तेल था" diff --git a/mat/25/05.md b/mat/25/05.md new file mode 100644 index 0000000..ebecd59 --- /dev/null +++ b/mat/25/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु बुद्धिमान और मूर्ख कुंवारियों ही का दृष्टान्त सुना रहा है। + +# वे सब ऊँघने लगीं + +"दसों कुवारियां सोने लगी।" diff --git a/mat/25/07.md b/mat/25/07.md new file mode 100644 index 0000000..6933363 --- /dev/null +++ b/mat/25/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु बुद्धिमान और मूर्ख कुंवारियों ही का दृष्टान्त सुना रहा है। + +# मशालें ठीक करने लगी + +मशालें ठीक करने लगी "जलाने के लिए अपनी मशालों को ठीक किया कि अधिक प्रकाश दें" + +# मूर्खों ने समझदारों से कहा + +"मूर्ख कुंवारियों ने बुद्धिमान कुंवारियों से कहा" + +# हमारी मशालें बुझी जा रही हैं। + +"हमारी मशालें पूरी रोशनी नहीं दे रही हैं" diff --git a/mat/25/10.md b/mat/25/10.md new file mode 100644 index 0000000..cf44dbf --- /dev/null +++ b/mat/25/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को बुद्धिमान और मूर्ख कुंवारियों का ही दृष्टान्त सुना रहा है। + +# जा रही थी + +"पाँच मूर्ख कुंवारियां जब तेल लेने जा रही थी" + +# जो तैयार थी + +"जिनके पास पूरा तेल था" + +# द्वार बन्द किया गया + +वैकल्पिक अनुवाद, "किसी ने द्वार बन्द कर दिया" + +# हमारे लिए द्वार खोल दे + +"द्वार खोल दे कि हम भीतर आ जाएँ" + +# मैं तुम्हें नहीं जानता + +"मैं नहीं जानता कि तुम कौन हो" diff --git a/mat/25/14.md b/mat/25/14.md new file mode 100644 index 0000000..d334e39 --- /dev/null +++ b/mat/25/14.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का दृष्टान्त सुनाता है। + +# की सी दशा है + +"स्वर्ग का राज्य उसके समान है" + +# जाते समय + +"जाने के लिए तैयार था" या "शीघ्र ही जाने वाला था" + +# अपनी सम्पत्ति उनको सौंप दी + +"उन्हें अपनी सम्पत्ति का अधिकारी ठहराया" + +# अपनी सम्पत्ति + +"अपनी सम्पदा" + +# पाँच तोड़े + +एक "तोड़ा" लगभग बीस वर्ष की मजदूरी थी। इसे आज की मुद्रा में अनुवाद न करें। यह दृष्टान्त पांच, दो और एक की आपेक्षिक तुलना का है तथा बड़ी सम्पदा का। (देखें यू.डी.बी."सोने के पांच बोरे") ) + +# तब परदेश चला गया। + +"वह स्वामी यात्रा पर निकल गया" + +# पाँच तोड़े और कमाए + +"पाँच तोड़े और कर लिए" diff --git a/mat/25/17.md b/mat/25/17.md new file mode 100644 index 0000000..da3918b --- /dev/null +++ b/mat/25/17.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है। + +# दो और कमाए + +"दो तोड़े और कमाए" diff --git a/mat/25/19.md b/mat/25/19.md new file mode 100644 index 0000000..50b1f2e --- /dev/null +++ b/mat/25/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है। + +# मैंने पांच तोड़े और कमाए। + +"मैंने पाँच और कर लिए"। + +# तोड़े + +देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। + +# धन्य है + +धन्य है - "तूने अच्छा किया है" या "तूने सही काम किया है"। आपकी भाषा में प्रावधान होगा कि किसी स्वामी (या अधिकारी) द्वारा सेवक (या कनिष्ठ कर्मी) के काम की सराहना को व्यक्त कैसे करें। diff --git a/mat/25/22.md b/mat/25/22.md new file mode 100644 index 0000000..9099fe3 --- /dev/null +++ b/mat/25/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है। + +# मैंने .... और कमाए + +देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। + +# धन्य ...... आपने स्वामी के आनन्द + +देखें आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है diff --git a/mat/25/24.md b/mat/25/24.md new file mode 100644 index 0000000..cab31c7 --- /dev/null +++ b/mat/25/24.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है। + +# तू जहाँ कहीं बोता वहाँ काटता है और जहाँ नहीं छोड़ता वहाँ से बटोरता है। + +वैकल्पिक अनुवाद, "तू उस खेत से फल बटोरता है जहाँ तूने पैसा देकर बीज डलवाया है"। + +# छींटता + +छींटता , उस युग में वे उपकरणों द्वारा बीज डालने की अपेक्षा बीजों को बिखेर दिया करते थे। + +# जो तेरा है वह यह है + +"देख तूने जो दिया था वह यह है"। diff --git a/mat/25/26.md b/mat/25/26.md new file mode 100644 index 0000000..299c083 --- /dev/null +++ b/mat/25/26.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है। + +# दुष्ट और आलसी दास + +"तू एक दुष्ट सेवक है जो परिश्रम करना नहीं चाहता है"। + +# जहाँ मैंने नहीं बोया वहाँ से काटता हूँ, और जहाँ मैंने नहीं छींटा वहाँ से बटोरता हूँ। + +देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। + +# अपना धन ब्याज समेत ले लेता। + +"अपना सोना ले लेता" + +# ब्याज + +ब्याज , स्वामी के पैसों को काम में लेने का अतिरिक्त भुगतान diff --git a/mat/25/28.md b/mat/25/28.md new file mode 100644 index 0000000..ddcdb8a --- /dev/null +++ b/mat/25/28.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु विश्वासयोग्य और विश्वासघाती दासों का ही दृष्टान्त सुना रहा है। + +# बहुत हो जायेगा + +"कहीं अधिक हो जायेगा"। + +# जहाँ रोना और दांत पीसना होगा। + +"जहाँ मनुष्य रोता रहेगा और दांत पीसता रहेगा" diff --git a/mat/25/31.md b/mat/25/31.md new file mode 100644 index 0000000..87d5761 --- /dev/null +++ b/mat/25/31.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अब अपने शिष्यों को बताना आरंभ करता है कि अन्त समय में वह कैसे न्याय करेगा। + +# सब जातियां उसके सामने इकट्ठा की जायेंगी + +वैकल्पिक अनुवाद, "वह सब जातिया को एकत्र करेगा।" + +# उसके सामने + +"उसके समक्ष" + +# सब जातियों पर + +सब जातियाँ , "हर एक देश के लोग" + +# बकरियों + +बकरियाँ भी भेड़ों के जैसी ही होती है, उन्हें भी भेड़ों के समान पाला जाता है। + +# खड़ा करेगा + +"मनुष्य का पुत्र उन्हें खड़ा करेगा"। diff --git a/mat/25/34.md b/mat/25/34.md new file mode 100644 index 0000000..b7f904e --- /dev/null +++ b/mat/25/34.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को बता रहा है कि अन्त समय वह कैसे न्याय करेगा। + +# राजा + +राजा "मनुष्य का पुत्र" + +# दाहिनी ओर वालों से + +"भेड़ों से" + +# हे मेरे पिता के धन्य लोगों आओ + +वैकल्पिक अनुवाद, "आओ, तुम्हें मेरे पिता ने आशिषित किया है" + +# उस राज्य के अधिकारी हो जाओ + +वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर ने तुम्हारे लिए जो राज्य तैयार किया है उसके अधिकारी हो जाओ" diff --git a/mat/25/37.md b/mat/25/37.md new file mode 100644 index 0000000..6d054c2 --- /dev/null +++ b/mat/25/37.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को बता रहा है कि अन्त समय वह कैसे न्याय करेगा + +# राजा + +"परमेश्वर का पुत्र" + +# उनसे कहेगा। + +"उसके दाहिनी ओर वालों से कहेगा" + +# भाइयों + +यदि आपकी भाषा में स्त्री-पुरूष दोनों के लिए एक शब्द है तो यहाँ काम में लें। + +# वह मेरे ही साथ किया + +"मैं उसे मेरी ही सेवा मानता हूँ"। diff --git a/mat/25/41.md b/mat/25/41.md new file mode 100644 index 0000000..2e4706a --- /dev/null +++ b/mat/25/41.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को बता रहा है कि अन्त समय वह कैसे न्याय करेगा। + +# हे श्रापित लोगों + +"तुम, जिन्हें परमेश्वर ने श्राप दिया है" + +# अनन्तः भाग .... तैयार की गई है। + +वैकल्पिक अनुवादः "अनन्त भाग जो परमेश्वर ने तैयार किया है"। + +# उसके दूतों के लिए + +उसके सहायकों के लिए + +# तुमने मुझे कपड़े नहीं पहनाए + +"तुमने मुझे पहनने के लिए कपड़े नहीं दिए" + +# बीमार और बन्दीगृह में था + +"मैं बीमार था और बन्दीगृह में था" diff --git a/mat/25/44.md b/mat/25/44.md new file mode 100644 index 0000000..4c48740 --- /dev/null +++ b/mat/25/44.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को बता रहा है कि अन्त समय वह कैसे न्याय करेगा। + +# वे उत्तर देंगे। + +"जो उसक बाई ओर हैं "वे भी कहेंगे" (देखें + +# इन छोटे से छोटों + +"मेरे लोगों में सबसे कम महत्त्व के जन के साथ" + +# मेरे साथ भी नहीं किया + +"मैं यही मानता हूँ कि तुमने मेरे साथ नहीं किया" या "जिसकी तुमने सहायता नहीं की वह वास्तव में मैं ही था" + +# अनन्त दण्ड + +"दण्ड जिसका कभी अन्त नहीं होगा"। + +# धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे + +"धर्मी जन अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे" diff --git a/mat/26/01.md b/mat/26/01.md new file mode 100644 index 0000000..117b905 --- /dev/null +++ b/mat/26/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु अब अपने शिष्यों को बताता है कि वह कैसे कष्ट उठाएगा और मरेगा। + +# और ऐसा हुआ + +यदि आपकी भाषा में कहानी को नए मन का आरंभ करने का प्रावधान है तो उसे काम में लें। + +# ये सब बातें + +की बातें + +# मनुष्य का पुत्र क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाया जायेगा। + +"कुछ लोग मनुष्य के पुत्र को ऐसे लोगों को सौंपेगे जो उसे क्रूस पर चढ़ायेंगे"। diff --git a/mat/26/03.md b/mat/26/03.md new file mode 100644 index 0000000..cb8746d --- /dev/null +++ b/mat/26/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यहूदी अगुवे यीशु को पकड़ने और घात करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। + +# इकट्ठा हुए। + +गुप्त रूप से + +# पर्व के समय + +वार्षिक फसह के पर्व के समय diff --git a/mat/26/06.md b/mat/26/06.md new file mode 100644 index 0000000..b97b672 --- /dev/null +++ b/mat/26/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु की मृत्यु से पूर्व एक स्त्री यीशु का अभिषेक करती है। + +# भोजन करने बैठा + +"वह अपने सहारे पर आधा लेटा था"। आपकी भाषा में भोजन करते समय जो भी आराम दायक होता है उसका शब्द काम में लें। + +# एक स्त्री.... उसके पास आई। + +एक स्त्री यीशु के पास आई + +# संगमरमर के पात्र में + +कोमल पत्थर का पात्र जो महंगा होता है + +# इत्र + +"सुगन्धित द्रव्य" + +# इसका क्यों सत्यानाश किया गया? + +"इस स्त्री ने इत्र को व्यर्थ गवांकर अच्छा नहीं किया" diff --git a/mat/26/10.md b/mat/26/10.md new file mode 100644 index 0000000..ea33f21 --- /dev/null +++ b/mat/26/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +अपनी मृत्यु से पूर्व अभिषेक करने वाली स्त्री की यीशु प्रशंसा करता है। + +# स्त्री को क्यों सताते हो? + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें इस स्त्री को परेशान करने की आवश्यकता थी" + +# तुम्हारे... तुम.... तुम्हारे + +चेले diff --git a/mat/26/12.md b/mat/26/12.md new file mode 100644 index 0000000..d81f61c --- /dev/null +++ b/mat/26/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु अपनी मृत्यु से पूर्व अभ्यंजन करने वाली स्त्री की प्रशंसा कर रहा है। diff --git a/mat/26/14.md b/mat/26/14.md new file mode 100644 index 0000000..44af6de --- /dev/null +++ b/mat/26/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +शिष्यों में से एक यहूदी अगुओं के हाथ यीशु को पकड़वाने में सहायता करने के लिए तैयार हो जाता है। + +# तुम्हारे हाथ पकड़वा दूँ + +"यीशु को तुम्हारे हाथों में कर दूँ" या "यीशु को बन्दी बनाने में तुम्हारी सहायता करूं" + +# तीस चाँदी के सिक्के + +क्योंकि ये शब्द वही है जो पुराने नियम की भविष्यद्वाणी में हैं इसलिए इसे ज्यों का त्यों रखें, आज की मुद्रा में नहीं बदलें। + +# उसे पकड़वाने का + +"यीशु को महायाजकों के हाथों पकड़वाने के लिए" diff --git a/mat/26/17.md b/mat/26/17.md new file mode 100644 index 0000000..6d3f9e4 --- /dev/null +++ b/mat/26/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों के साथ फसह का भोज खाने की तैयारी कर रहा है। + +# उसने कहा, "नगर में आमुक व्यक्ति के पास जाकर उससे कहो, "गुरू कहता है कि मेरा समय निकट है। मैं अपने चेलों के साथ तेरे यहाँ पर्व मनाऊँगा"। + +यीशु अपने शिष्यों के साथ किसी मनुष्य को सन्देश भिजवाता है। वैकल्पिक अनुवाद, "यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि नगर में एक व्यक्ति है उसके पास जाकर कहें कि गुरू कहता है, मेरा समय निकट आ गया है, मैं तेरे घर में अपने शिष्यों के साथ तेरे घर में फसह मनाऊँगा" "उसने अपने शिष्यों से कहा कि वे नगर में उस मनुष्य के पास जाकर कहें कि गुरू कहता है कि उसका समय निकट आ गया है और वह उसके घर में अपने शिष्यों के साथ पर्व मनाएगा"। + +# मेरा समय + +संभावित अर्थ, (1) "जिस समय के बारे में मैंने तुमसे कहा था" (यू.डी.बी.) या (2) "परमेश्वर ने जो समय मेरे लिए ठहराया है"। + +# निकट है + +निकट है , संभावित अर्थः (1) "निकट है" (यू.डी.बी.) या (2) "आ गया है" + +# पर्व मनाऊँ + +"फसह का भोज खाऊँ" या "फसह का पर्व मनाने के लिए विशेष भोजन खाऊँ" diff --git a/mat/26/20.md b/mat/26/20.md new file mode 100644 index 0000000..8c5e626 --- /dev/null +++ b/mat/26/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +फसह का भोज खाते समय यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है। + +# भोजन करने के लिए बैठा + +यहाँ वही शब्द काम में ले जो आपकी संस्कृति में भोजन करते समय काम में लिया जाता है। + +# क्या वह मैं हूँ + +"निश्चय ही वह मैं नहीं, प्रभु मैं हूँ क्या"? diff --git a/mat/26/23.md b/mat/26/23.md new file mode 100644 index 0000000..63877d0 --- /dev/null +++ b/mat/26/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +फसह के भोजन के समय यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है। + +# वही मुझे पकड़वाएगा। + +"जो मनुष्य के पुत्र के साथ विश्वासघात करेगा"। + +# तू कह चुका है + +"तूने कहा है, तू ही है" या "तूने अभी-अभी स्वीकार किया है"। diff --git a/mat/26/26.md b/mat/26/26.md new file mode 100644 index 0000000..7aa063f --- /dev/null +++ b/mat/26/26.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +फसह के भोजन के समय यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है। + +# रोटी ली और आशीष माँग कर तोड़ी + +इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में किया है। diff --git a/mat/26/27.md b/mat/26/27.md new file mode 100644 index 0000000..554ca34 --- /dev/null +++ b/mat/26/27.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +फसह के भोजन के समय यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है। + +# को लिया + +इसका अनुवाद वैसा ही करें जैसा में किया है। + +# चेलों को देकर + +"शिष्यों को दी" + +# वाचा का मेरा वह लहू है + +"लहू जो वाचा के प्रभाव को सिद्ध करता है" या "लहू जो वाचा को संभव बनाता है"। + +# बहाया जाता है + +"मृत्यु द्वारा बहाया जाता है" या "शीघ्र ही मेरी देह से बहेगा" या "मेरे मरते समय मेरे घावों से बहेगा" + +# दाख का यह रस + +"दाख रस" diff --git a/mat/26/30.md b/mat/26/30.md new file mode 100644 index 0000000..56cd14b --- /dev/null +++ b/mat/26/30.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +यीशु जैतून पर्वत की ओर अग्रसर अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है। + +# भजन + +भजन , परमेश्वर का स्तुतिगान + +# ठोकर खाओगे + +ठोकर खाओगे , "मुझे छोड़ कर भाग जाओगे" + +# भेड़ें तितर-बितर हो जायेंगी + +वैकल्पिक अनुवाद, (1) "वे झुण्ड की भेड़ों को तितर-बितर कर देंगे" या (2) "झुण्ड की भेड़ें चारों ओर भाग जायेंगी"। + +# झुण्ड की भेडें + +शिष्य + +# अपने जी उठने के बाद + +वैकल्पिक अनुवाद, "जब परमेश्वर मुझे जीवित करेगा तब" + +# मैं अपने जी उठने के बाद + +वैकल्पिक अनुवाद, "परमेश्वर मुझे मृतकों में से जिलाएगा" diff --git a/mat/26/33.md b/mat/26/33.md new file mode 100644 index 0000000..70ca732 --- /dev/null +++ b/mat/26/33.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु जैतून पर्वत की ओर अग्रसर अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है। + +# ठोकर खाओगे + +ठोकर खाओगे इसका अनुवाद जैसा ही करें। + +# मुर्गे की बाँग देने से पहले + +वैकल्पिक अनुवाद, "सूर्योदय से पूर्व" + +# मुर्गे + +सूर्योदय से पूर्व यह चिड़िया आवाज़ करती है। + +# बाँग + +मुर्गे की आवाज़ diff --git a/mat/26/36.md b/mat/26/36.md new file mode 100644 index 0000000..f5c5e0d --- /dev/null +++ b/mat/26/36.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु जैतून पर्वत की ओर अग्रसर अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है। + +# उदास + +बहुत दुखी diff --git a/mat/26/39.md b/mat/26/39.md new file mode 100644 index 0000000..579ac40 --- /dev/null +++ b/mat/26/39.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यह गतसमनी की वाटिका में यीशु की प्रार्थना का वृत्तान्त है। + +# मुँह के बल गिरा + +मुँह के बल गिरा , प्रार्थना के लिए भूमि पर मुंह रखा diff --git a/mat/26/42.md b/mat/26/42.md new file mode 100644 index 0000000..56f4083 --- /dev/null +++ b/mat/26/42.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +गतसमनी की वाटिका में यीशु की प्रार्थना का वृत्तान्त चल रहा है। + +# जाकर + +"यीशु ने जाकर" + +# मेरे पीए बिना + +"जब तक मैं कष्ट का यह कटोरा न पी लूँ" + +# आँखें नींद से भरी थी + +"वे बहुत नींद में थे" diff --git a/mat/26/45.md b/mat/26/45.md new file mode 100644 index 0000000..4e8cffa --- /dev/null +++ b/mat/26/45.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +गतसमनी की वाटिका में यीशु की प्रार्थना का वृत्तान्त चल रहा है। + +# घड़ी आ पहुँची है। + +"समय आ गया है" + +# पापियों के हाथ + +"पापी लोगों के हाथ" + +# देखो + +"ध्यान न दो कि मैं क्या कहने जा रहा हूँ" diff --git a/mat/26/47.md b/mat/26/47.md new file mode 100644 index 0000000..39562ec --- /dev/null +++ b/mat/26/47.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +गतसमनी की वाटिका में यीशु की प्रार्थना का वृत्तान्त चल रहा है। + +# वह यह कह ही रहा था। + +वह यह कह रहा था , "यीशु अभी बातें ही कर रहा था" + +# "जिसको मैं चूम लूँ वही है", उसे पकड़ लेना + +"उसने कहा कि जिसे वह चूमे उसी को उन्हें पकड़ना है" + +# जिसको मैं चूम लूँ + +"वह जिसे मैं चूमूँ" या "जिस व्यक्ति को मैं चूमूँगा" (यू.डी.बी.) + +# चूम लूँ, + +चूम लूँ , अपने गुरू का सम्मान पूर्वक अभिवादन करना diff --git a/mat/26/49.md b/mat/26/49.md new file mode 100644 index 0000000..92325d8 --- /dev/null +++ b/mat/26/49.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +गतसमनी की वाटिका में यीशु को पकड़ने का वृत्तान्त + +# यीशु के पास आकर + +यीशु के पास आकर , "यहूदा यीशु के पास आया" + +# उसको बहुत चूमा + +उसको बहुत चूमा , "चूमकर उसका अभिवादन किया" + +# यीशु पर हाथ डाले + +यीशु की हानि के लिए उसे पकड़ा + +# उसे पकड़ लिया + +उसे बन्दी बना लिया diff --git a/mat/26/51.md b/mat/26/51.md new file mode 100644 index 0000000..fed697d --- /dev/null +++ b/mat/26/51.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +गतसमनी की वाटिका में यीशु को बन्दी बनाने का वृत्तान्त + +# देखो + +लेखक कहानी में एक नए चरित्र को ला रहा है। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# क्या तू नहीं जानता कि मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा। + +क्या तू सोचता है कि मैं अपने पिता से कहूँ और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक न भेजे? वैकल्पिक अनुवाद, "तू यह जान ले कि मैं अपने पिता से कह सकता हूँ और वह मेरे लिए स्वर्गदूतों की बारह पलटनों से अधिक भेज देगा"। + +# स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक + +स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक - स्वर्गदूतों की यथार्थ संख्या महत्त्वपूर्ण नहीं है। + +# पलटन + +रोमी सेना की एक ईकाई जिसमें छः हज़ार सैनिक होते थे। diff --git a/mat/26/55.md b/mat/26/55.md new file mode 100644 index 0000000..dea3f8f --- /dev/null +++ b/mat/26/55.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +गतसमनी की वाटिका में यीशु को बन्दी बनाने का वृत्तान्त + +# क्या तुम तलवारें और लाठियाँ लेकर मुझे डाकू के समान पकड़ने निकले हो? + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुम तो जानते हो कि मैं डाकू नहीं अतः तलवारें और लाठियाँ लेकर आना गलत है"। + +# लाठियाँ + +लोगों पर वार करने के लिए बड़ी ठोस लकड़ी + +# उसे छोड़कर भाग गए। + +यदि आपकी भाषा में कोई ऐसा शब्द है जो व्यक्त करे कि जब किसी के साथ होना चाहिए तब उसका साथ छोड़ दिया तो उस शब्द को यहाँ काम में लें। diff --git a/mat/26/57.md b/mat/26/57.md new file mode 100644 index 0000000..66dffe3 --- /dev/null +++ b/mat/26/57.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यहाँ महायाजक द्वारा यीशु से पूछ-ताछ करने का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# महायाजक के आंगन + +महायाजक के घर के बाहर खुला स्थान diff --git a/mat/26/59.md b/mat/26/59.md new file mode 100644 index 0000000..d6308b7 --- /dev/null +++ b/mat/26/59.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +महायाजकों द्वारा यीशु से पूछताछ का वृत्तान्त ही चल रहा है। + +# दो जन आए। + +दो जन आए , "दो जन सामने आए" (यू.डी.बी.) या "दो गवाह उपस्थित हुए" + +# और कहा, "इसने कहा है कि मैं परमेश्वर के मन्दिर को ढा सकता हूँ और उसे तीन दिन में बना सकता हूँ"। + +वैकल्पिक अनुवाद, "उन्होंने गवाही दी कि उन्होंने यीशु को कहते सुना है कि वह परमेश्वर के मन्दिर को ढा देने में और तीन दिन में उसका पुनः निर्माण करने में समर्थ है"। + +# इसने कहा + +इसने कहा , "इसने, यीशु ने कहा" diff --git a/mat/26/62.md b/mat/26/62.md new file mode 100644 index 0000000..5eb3ef9 --- /dev/null +++ b/mat/26/62.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +महायाजकों द्वारा यीशु से पूछताछ का वृत्तान्त ही चल रहा है। + +# ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं। + +ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं , "ये गवाह तेरे विरूद्ध कह रहे हैं"। + +# यदि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है तो हमसे कह दे + +यदि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है तो हमसे कह दे , "यदि तू मसीह है तो हमारे सामने कह"। + +# तू कह चुका है + +"जैसा तूने कहा, मैं हूँ"। या "तूने अभी स्वयं स्वीकार किया है"। + +# वरन मैं तुमसे यह भी कहता हूँ कि अब से तुम + +यीशु महायाजक एवं उपस्थित गण से कह रहा है। + +# अबसे तुम मनुष्य के पुत्र को .... देखोगे + +अब से तुम परमेश्वर के पुत्र को ... देखोगे , संभावित अर्थः (1) वे मनुष्य के पुत्र को भविष्य में कभी देखेंगे (देखें यू.डी.बी.) या (2) "अब से" से यीशु का अर्थ है उसकी मृत्यु, उसका पुनरूत्थान और स्वर्गारोहण का समय। + +# सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर + +"सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दाहिनी ओर" + +# आकाश के बादलों पर आते + +"आकाश के बादलों पर सवार पृथ्वी पर उतरते" diff --git a/mat/26/65.md b/mat/26/65.md new file mode 100644 index 0000000..57a6c4a --- /dev/null +++ b/mat/26/65.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +महायाजकों द्वारा यीशु से पूछताछ का वृत्तान्त ही चल रहा है। + +# महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़े + +वस्त्र फाड़ना क्रोध और दुख का प्रतीक था। + +# उन्होंने उत्तर दिया + +"यहूदी अगुओं ने उत्तर दिया" diff --git a/mat/26/67.md b/mat/26/67.md new file mode 100644 index 0000000..e84283f --- /dev/null +++ b/mat/26/67.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +महायाजकों द्वारा यीशु से पूछताछ का वृत्तान्त ही चल रहा है। + +# तब उन्होंने + +संभावित अर्थः (1) "कुछ लोगों ने" या "सैनिकों ने" + +# उसके मुँह पर थूका + +अपमान करने के लिए diff --git a/mat/26/69.md b/mat/26/69.md new file mode 100644 index 0000000..e1eb6b0 --- /dev/null +++ b/mat/26/69.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +पतरस द्वारा यीशु के इन्कार का वृत्तान्त है + +# मैं नहीं जानता तू क्या कह रही है + +पतरस भली भांति समझ रहा था कि वह क्या कह रही थी, परन्तु उसने इन शब्दों द्वारा यीशु का इन्कार किया। diff --git a/mat/26/71.md b/mat/26/71.md new file mode 100644 index 0000000..402754b --- /dev/null +++ b/mat/26/71.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यह पतरस द्वारा यीशु के इन्कार का वृत्तान्त चल रहा है। + +# जब वह + +जब पतरस + +# डेवढ़ी + +आँगन की दीवार का द्वार diff --git a/mat/26/73.md b/mat/26/73.md new file mode 100644 index 0000000..c7c2dbd --- /dev/null +++ b/mat/26/73.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यह पतरस द्वारा यीशु के इन्कार का वृत्तान्त चल रहा है। + +# उनमें से एक + +उनमें से एक "जो यीशु के साथ थे उनमें से एक" + +# क्योंकि तेरी बोली तेरा भेद खोल देती है + +क्योंकि तेरी बोली तेरा भेद खोल देती है तेरी बोली से हम निश्चित कह सकते है की तू गलीली है। + +# धिक्कारने लगा + +धिक्कारने लगा "अपने आपको कोसने लगा" + +# शपथ खाने लगाः "मैं उस मनुष्य को नहीं जानता" + +वैकल्पिक अनुवाद, "कि वह उस व्यक्ति को नहीं जानता है" diff --git a/mat/27/01.md b/mat/27/01.md new file mode 100644 index 0000000..1570639 --- /dev/null +++ b/mat/27/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यहाँ यीशु के अभियोग और मृत्यु का वृत्तान्त आरंभ होता है। diff --git a/mat/27/03.md b/mat/27/03.md new file mode 100644 index 0000000..0799dec --- /dev/null +++ b/mat/27/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +लेखक ने यीशु को बन्दी बनाए जाने की कहानी में अन्तराल रखा कि यहूदा द्वारा आत्म हत्या का उल्लेख करे।(27:3- ). + +# जब .... यहूदा ने देखा + +यदि आपकी भाषा में कहानी के अन्तराल में किसी वृत्तान्त के आने को व्यक्त करने का प्रावधान है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# तीस चाँदी के सिक्के + +यीशु के साथ विश्वासघात करने की कीमत जो उसे महायाजकों ने दी थी + +# निर्दोष को + +"वह मनुष्य जो मृत्युदण्ड के योग्य नहीं" diff --git a/mat/27/06.md b/mat/27/06.md new file mode 100644 index 0000000..1073685 --- /dev/null +++ b/mat/27/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यह यहूदा द्वारा आत्महत्या करने का वृत्तान्त है + +# भण्डार में रखना उचित नहीं + +उचित नहीं , "हमारी व्यवस्था इसे उचित नहीं ठहराती है" + +# रखना + +इस चाँदी को रखना + +# लहू का दाम + +मनुष्य को मरवाने की कीमत (देखें: और यू.डी.बी.) + +# कुम्हार का खेत + +यह खेत यरूशलेम में मरने वाले परदेशियों के दफन के लिए हुआ (देखें यू.डी.बी.) + +# आज तक + +लेखक द्वारा वृत्तान्त लिखने के समय तक diff --git a/mat/27/09.md b/mat/27/09.md new file mode 100644 index 0000000..4e36bdf --- /dev/null +++ b/mat/27/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यह यहूदा द्वारा आत्महत्या करने का वृत्तान्त है + +# जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था। + +"भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह ने यह भविष्यद्वाणी की थी और वह सच हुई"। + +# इस्राएल की सन्तान + +इस्राएल के धर्मगुरू + +# आज्ञा दी थी + +"यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को आज्ञा दी थी।"(27:9) diff --git a/mat/27/11.md b/mat/27/11.md new file mode 100644 index 0000000..d9f6de3 --- /dev/null +++ b/mat/27/11.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +अब रोमी शासक के समक्ष यीशु के अभियोग का आरंभ होता है । + +# अब + +यदि आपकी भाषा में कहानी अन्तराल के बाद पुनः आरंभ हो तो उसे व्यक्त करने के लिए आपकी भाषा में प्रावधान है तो उसका उपयोग यहाँ करें। + +# शासक + +शासक - पिलातुस + +# तू आप ही कह रहा है। + +"तू ही तो स्वीकार कर रहा है" + +# प्रधान याजक और पुरनिये उस पर दोष लगा रहे थे + +वैकल्पिक अनुवाद, "जब महायाजक और पुरनियों उसका दोषारोपण कर रहे थे" + +# क्या तू नहीं सुनता कि ये तेरे विरोध में कितनी गवाहियाँ दे रहे हैं + +"मुझे आश्चर्य हो रहा है कि तू इन लोगों को उत्तर नहीं दे रहा है जबकि ये तुझ पर बुरी-बुरी बातों का दोष लगा रहे हैं।" + +# एक बात का भी उत्तर नहीं दिया यहाँ तक कि हाकिम को बड़ा आश्चर्य हुआ। + +एक बात का भी उत्तर नहीं दिया यहाँ तक कि शासक को बड़ा आश्चर्य हुआ । वैकल्पिक अनुवाद, "एक दोष का भी प्रतिवाद नहीं, इस पर प्रशासक चकित हुआ"। diff --git a/mat/27/15.md b/mat/27/15.md new file mode 100644 index 0000000..63897e6 --- /dev/null +++ b/mat/27/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +रोमी शासक के समक्ष यीशु के अभियोग का ही वृत्तान्त चल रहा है। + +# अब + +यहाँ कहानी में अन्तराल है कि लेखक में आरंभ की दी गई जानकारी को समझने में पाठक की सहायता करे + +# पर्व + +जिस पर्व में फसह मनाया जाता था। + +# बन्दी को जिसे वे चाहते थे + +वैकल्पिक अनुवाद, "जिस बन्दी को जनसमूह चुनें" + +# माना हुआ + +कुख्यात diff --git a/mat/27/17.md b/mat/27/17.md new file mode 100644 index 0000000..1129353 --- /dev/null +++ b/mat/27/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +रोमी प्रशासक के समक्ष यीशु के अभियोग का ही वृत्तान्त चल रहा है। + +# पकड़वाया है + +यीशु को पिलातुस के समक्ष लाए कि वह उनका न्याय करे + +# जब वह न्याय की गद्दी पर बैठा हुआ था + +"जब पिलातुस न्यायासन पर बैठा था" + +# न्याय की गद्दी पर बैठा था + +अपने कर्तव्य का पालन करने के दायित्व से + +# कहला भेजा + +"सन्देश भेजा" diff --git a/mat/27/20.md b/mat/27/20.md new file mode 100644 index 0000000..6fc26e5 --- /dev/null +++ b/mat/27/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +रोमी प्रशासक के समक्ष यीशु के अभियोग का ही वृत्तान्त चल रहा है। + +# उनसे पूछा + +"जनसमूह से पूछा" diff --git a/mat/27/23.md b/mat/27/23.md new file mode 100644 index 0000000..7b59ed0 --- /dev/null +++ b/mat/27/23.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +रोमी प्रशासक के समक्ष यीशु के अभियोग का ही वृत्तान्त चल रहा है। + +# उसने क्या बुराई की है? + +<उसने क्या बुराई की है? - "यीशु ने क्या बुराई की है" + +# वे चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगे + +"जनसमूह ने चिल्लाकर कहा" + +# लहू से + +"मृत्यु" diff --git a/mat/27/25.md b/mat/27/25.md new file mode 100644 index 0000000..da65b32 --- /dev/null +++ b/mat/27/25.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +रोमी प्रशासक के समक्ष यीशु के अभियोग का ही वृत्तान्त चल रहा है। + +# उसका लहू हम पर और हमारी सन्तान पर हो + +"हाँ, हम और हमारे वंशज उसकी हत्या के दोषी होने में प्रसन्न हैं"। diff --git a/mat/27/27.md b/mat/27/27.md new file mode 100644 index 0000000..c3b20ce --- /dev/null +++ b/mat/27/27.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +अब रोमी सैनिकों द्वारा यीशु का ठट्ठा करने का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# किले में + +संभावित अर्थ है, (1) सैनिकों के रहने के स्थान में (यू.डी.बी.) या (2) प्रशासक के निवास में + +# कपड़े उतार कर + +"उसके वस्त्र खींच कर उतारे" + +# लाल रंग + +गहरा लाल रंग + +# नमस्कार + +"हम तेरा सम्मान करते हैं" या "दीर्घायु हो" diff --git a/mat/27/30.md b/mat/27/30.md new file mode 100644 index 0000000..781f3e2 --- /dev/null +++ b/mat/27/30.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +रोमी सैनिको द्वारा यीशु का ठट्ठा करना चल रहा है। + +# वे + +पिलातुस के सैनिक + +# उस .... उसके .... उसका .... उस + +यीशु diff --git a/mat/27/32.md b/mat/27/32.md new file mode 100644 index 0000000..e6a8767 --- /dev/null +++ b/mat/27/32.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यहाँ यीशु के क्रूसीकरण का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# बाहर जाते हुए + +"जब वे यरूशलेम से बाहर निकले" + +# बलपूर्वक पकड़ा कि उसका क्रूस उठा कर ले चले + +"उसे विवश किया कि वह उनके साथ यीशु का क्रूस उठा कर चले।" + +# गुलगुता + +"जिस स्थान को वहाँ के लोग गुलगुता कहते थे"। + +# पित्त + +पीले रंग का कडवा द्रव्य जो पाचन क्रिया में काम में आता है diff --git a/mat/27/35.md b/mat/27/35.md new file mode 100644 index 0000000..b54a064 --- /dev/null +++ b/mat/27/35.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु के क्रुसीकरण का ही वृत्तान्त चल रहा है। + +# वस्त्र + +जो वस्त्र यीशु पहना हुआ था diff --git a/mat/27/38.md b/mat/27/38.md new file mode 100644 index 0000000..b286ccc --- /dev/null +++ b/mat/27/38.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु का क्रूसीकरण और मृत्यु का वृत्तान्त चल रहा है। + +# उसके साथ दो डाकू भी क्रूस पर चढाये गये + +वैकल्पिक अनुवाद: "सैनिकों ने दो डाकुओं को भी यीशु के साथ ही क्रूस पर चढाया" + +# सिर हिला हिला कर + +यीशु का ठट्ठा करने के लिए diff --git a/mat/27/41.md b/mat/27/41.md new file mode 100644 index 0000000..e3e807f --- /dev/null +++ b/mat/27/41.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु का क्रूसीकरण और मृत्यु का वृत्तान्त चल रहा है। + +# इसने औरों को बचाया और अपने आपको नहीं बचा सकता + +संभावित अर्थ, (1) यहूदी अगुवे विश्वास नहीं करते थे कि यीशु ने मनुष्यों को बचाया था (देखें: और यू.डी.बी.) या वह स्वयं को बचा सकता है, या (2) वे मानते थे कि उसने मनुष्यों को बचाया परन्तु वे उसका ठट्ठा कर रहे थे कि वह अपने आपको नहीं बचा सकता था। + +# यह यहूदियों का राजा + +अगुवे स्वीकार करने को तैयार नहीं थे कि यीशु इस्राएल का राजा है diff --git a/mat/27/43.md b/mat/27/43.md new file mode 100644 index 0000000..c2ed2dd --- /dev/null +++ b/mat/27/43.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु का क्रूसीकरण और मृत्यु का वृत्तान्त चल रहा है। + +# डाकू भी जो उसके साथ क्रूस पर चढ़ाए गए थे + +"और जिन डाकूओं को सैनिकों ने यीशु के साथ क्रूस पर चढ़ाया था" diff --git a/mat/27/45.md b/mat/27/45.md new file mode 100644 index 0000000..5836153 --- /dev/null +++ b/mat/27/45.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु का क्रूसीकरण और मृत्यु का वृत्तान्त चल रहा है। + +# बड़े शब्द से पुकार कर + +"ऊँची आवाज में कहा" या "चिल्लाया" + +# एली, एली, लमा, शबकतनी + +अनुवादक इन शब्दों को प्रायः मूल भाषा में ही रहने देते हैं diff --git a/mat/27/48.md b/mat/27/48.md new file mode 100644 index 0000000..226124c --- /dev/null +++ b/mat/27/48.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु का क्रूसीकरण और मृत्यु का वृत्तान्त चल रहा है। + +# उनमें से एक + +संभावित अर्थ, (1) सैनिकों में से एक या 2) दर्शकों में से एक + +# स्पंज + +समुद्री जीव का घर जिसे तरल पदार्थों को सोखने के लिए काम में लिया जाता था कि बाद में उसे निचोड़ कर निकाल लें। + +# उसे चुसाया + +"यीशु को दिया" diff --git a/mat/27/51.md b/mat/27/51.md new file mode 100644 index 0000000..873d944 --- /dev/null +++ b/mat/27/51.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +अब यीशु की मृत्यु के समय की घटनाओं का वृत्तान्त आरंभ होता है। + +# देखो + +लेखक पाठक का ध्यान अग्रिम आश्चर्यजनक जानकारी की ओर आकर्षित कर रहा है। + +# कब्रें खुल गई और सोए हुए पवित्र लोगों के बहुत से शव जी उठे। + +कब्रें खुल गई और सोए हुए पवित्र लोगों के बहुत से शव जी उठे । "परमेश्वर ने कब्रों को खोलकर अनेक पवित्र जनों को जो मर गए थे, मृतक देह को जीवित किया"। + +# सो गए थे + +"मर गए थे" + +# कब्रें खुल गई ...... बहुतों को दिखाई दिए + +घटनाओं का क्रम अस्पष्ट है। संभावित क्रम हैः यीशु के मरने के बाद भूकम्प आया और कब्रें खुल गई (1) पवित्र जन जी उठे, यीशु जी उठा और पवित्र जन नगर में गए और अनेकों ने उन्हें देखा, या (2) यीशु जी उठा, पवित्र जन भी जी उठे, नगर में गए, अनेकों ने उन्हें देखा। diff --git a/mat/27/54.md b/mat/27/54.md new file mode 100644 index 0000000..e136d7d --- /dev/null +++ b/mat/27/54.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु की मृत्यु पर चमत्कारी घटनाओं का वृत्तान्त चल रहा है diff --git a/mat/27/57.md b/mat/27/57.md new file mode 100644 index 0000000..6b78a18 --- /dev/null +++ b/mat/27/57.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु के दफन का वृत्तान्त आरंभ होता है + +# पिलातुस ने दे देने की आज्ञा दी + +"पिलातुस ने सैनिकों को आज्ञा दी कि यीशु का शव यूसुफ को दे दें" diff --git a/mat/27/59.md b/mat/27/59.md new file mode 100644 index 0000000..b1e1025 --- /dev/null +++ b/mat/27/59.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु के दफन का वृत्तान्त चल रहा है + +# चादर + +चादर -महंगी चादर + +# कब्र के द्वार पर + +"कब्र के सामने" diff --git a/mat/27/62.md b/mat/27/62.md new file mode 100644 index 0000000..7f37613 --- /dev/null +++ b/mat/27/62.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु दफन के बाद की घटनाओं का वृत्तान्त चल रहा है। + +# तैयारी का दिन + +फसह के लिए तैयार होने का दिन + +# उस भरमाने वाले ने जब वह जीवित था + +"जब भरमाने वाला, यीशु जीवित था" diff --git a/mat/27/65.md b/mat/27/65.md new file mode 100644 index 0000000..ec11ecb --- /dev/null +++ b/mat/27/65.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु दफन के बाद की घटनाओं का वृत्तान्त चल रहा है। + +# रखवाली + +4 से 16 रोमी सैनिक + +# पत्थर पर मोहर लगाकर + +संभावित अर्थ, (1) उन्होंने रस्सी लेकर पत्थर के चारों ओर से कब्र के द्वार की दोनों ओर की दीवारों पर जड़ दी (देखें यू.डी.बी.) या (2) उन्होंने पत्थर और कब्र के बीच मुहर लगा दी। + +# रखवाली की + +"सैनिकों को ऐसे खड़ा किया कि वे किसी को कब्र के निकट न आने दें" diff --git a/mat/28/01.md b/mat/28/01.md new file mode 100644 index 0000000..9db09ea --- /dev/null +++ b/mat/28/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +अब यीशु के पुनरूत्थान का वृत्तान्त आरंभ होता है + +# सब्त के दिन के बाद सप्ताह के पहले दिन पौ फटते ही + +"सब्त के दिन सप्ताह होने के बाद रविवाद सूर्योदय से पूर्व" + +# दूसरी मरियम + +"मरियम नाम की एक और महिला" या "याकूब और यूसुफ और यूसुफ की माता मरियम" + +# देखो + +लेखक पाठकों को सूचित कर रहा है कि कोई आश्चर्यजनक बात होने जा रही है, आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने की विधि होगी। + +# एक बड़ा भूकम्प हुआ, क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया। + +संभावित अर्थ, (1) स्वर्गदूत ने आकर पत्थर को हटाया तो भूकम्प हुआ" (यू.डी.बी.) या (2) ये सब घटनाएं एक साथ हुई (यू.डी.बी.) + +# भूकम्प + +भूकम्प अचानक ही भूमि हिलने लगी। diff --git a/mat/28/03.md b/mat/28/03.md new file mode 100644 index 0000000..9427330 --- /dev/null +++ b/mat/28/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यह भी यीशु के पुनरुत्थान का ही वृत्तान्त है + +# उसका रूप + +उसका रूप "स्वर्गदूत का रूप" + +# बिजली का सा + +"ऐसा चमत्कार की आकाश की बिजली से" + +# पाले के समान उज्जवल + +"अत्यधिक श्वेत" + +# मृतक समान + +"निश्चेष्ट" diff --git a/mat/28/05.md b/mat/28/05.md new file mode 100644 index 0000000..78cd13b --- /dev/null +++ b/mat/28/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यह भी यीशु के पुनरुत्थान का ही वृत्तान्त है + +# स्त्रियों से + +"मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम" + +# जो क्रूस पर चढ़ाया गया था + +"जिसे लोगों ने और सैनिकों ने क्रूस पर चढ़ाया था" + +# जी उठा है + +"परन्तु परमेश्वर ने उसे जीवित कर दिया है" (देखें: Active/Passive) diff --git a/mat/28/08.md b/mat/28/08.md new file mode 100644 index 0000000..80bae67 --- /dev/null +++ b/mat/28/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यह भी यीशु के पुनरुत्थान का ही वृत्तान्त है + +# वे + +वे - मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम + +# देखो + +लेखक पाठकों को सूचित कर रहा है कि कोई आश्चर्यजनक बात होने जा रही है, आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने की विधि होगी। + +# उसके पाँव पकड़कर + +उसके पाँव पकड़कर "अपने घुटनों पर गिरकर उसका चरण स्पर्श किया"। + +# मेरे भाइयों से + +मेरे भाइयों से , "यीशु के शिष्यों से diff --git a/mat/28/11.md b/mat/28/11.md new file mode 100644 index 0000000..4e812ef --- /dev/null +++ b/mat/28/11.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +अब यीशु के पुनरूत्थान पर अधिकारियों की प्रतिक्रिया का आरंभ होता है। + +# स्त्रियों से + +मरियम मगदनीनी और दूसरी मरियम + +# देख + +कहानी में घटना के परिवर्तन का संकेत जो वर्णित घटनाओं के नामों से अलग अन्य नायकों का आने की सूचना देता है। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने का प्रावधान होगा। + +# सम्मति की + +"आपस में योजना बनाई" याजकों और पुरनियों ने सैनिकों को रिश्वत देने का निर्णय लिया। + +# यह कहना कि रात को जब हम सो रहे थे, तो चेले आकर उसे चुरा ले गए। + +"यदि कोई पूछे तो कहना कि यीशु के शिष्यों ने आकर ... जब हम सो रहे थे"। diff --git a/mat/28/14.md b/mat/28/14.md new file mode 100644 index 0000000..e67bc78 --- /dev/null +++ b/mat/28/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +अधिकारियों द्वारा सैनिकों को निर्देश का वृत्तान्त चल रहा है + +# शासक + +पिलातुस + +# जैसा सिखाए गए थे वैसा ही किया + +"जैसा याजकों ने कहा था वैसा ही किया" + +# आज तक + +मत्ती द्वारा पुस्तक लिखे जाने तक diff --git a/mat/28/16.md b/mat/28/16.md new file mode 100644 index 0000000..070cd80 --- /dev/null +++ b/mat/28/16.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +पुनरूत्थान के बाद यीशु द्वारा शिष्यों से भेंट करने का वृत्तान्त आरंभ होता है। diff --git a/mat/28/18.md b/mat/28/18.md new file mode 100644 index 0000000..348b774 --- /dev/null +++ b/mat/28/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +पुनरूत्थान के बाद यीशु द्वारा शिष्यों से भेंट का वृत्तान्त चल रहा है। + +# के नाम में + +"के अधिकाराधीन" diff --git a/mat/28/20.md b/mat/28/20.md new file mode 100644 index 0000000..51b6c36 --- /dev/null +++ b/mat/28/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पुनरूत्थान के बाद यीशु द्वारा शिष्यों से भेंट का वृत्तान्त चल रहा है। + +# मानना सिखाओ + +"जिन्हें तुम बपतिस्मा दोगे उन्हें सिखाना" + +# देखो + +वैकल्पिक अनुवाद, "सुनो" या "देखो" या "मैं जो कहने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दो" diff --git a/mrk/01/01.md b/mrk/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..b01f462 --- /dev/null +++ b/mrk/01/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तेरे... तेरे + +एकवचन + +# प्रभु का मार्ग + +इन दोनों आज्ञाओं का अर्थ एक ही हैः "तैयार करो" अर्थात किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से भेंट करने की तैयारी करो। यदि आपकी भाषा में ये दोनों उक्तियाँ एक ही हैं तो आप दूसरी उक्ति को छोड़ सकते हैं जैसा यू.डी.बी. में किया गया है। diff --git a/mrk/01/04.md b/mrk/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..75441f7 --- /dev/null +++ b/mrk/01/04.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यूहन्ना आया + +सुनिश्चित करें कि यह वही यूहन्ना है जिसकी चर्चा में की गई है। + +# उसके... उससे + +यूहन्ना + +# सारे यहूदिया प्रदेश... और यरूशलेम + +यहूदिया और यरूशलेम से बहुत से लोग diff --git a/mrk/01/07.md b/mrk/01/07.md new file mode 100644 index 0000000..9428a60 --- /dev/null +++ b/mrk/01/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यह प्रचार करता था + +यूहन्ना प्रचार करता था। + +# मैं इस योग्य नहीं कि झुककर उसके जूतों का बन्ध खोलूं। + +यूहन्ना कहता है कि वह एक दास का सबसे तुच्छ कार्य करने योग्य भी नहीं है। + +# झुककर + +"झुककर" + +# वह तुम्हें पवित्र-आत्मा से बपतिस्मा देगा। + +पवित्र-आत्मा का बपतिस्मा मनुष्य को पवित्र-आत्मा के संपर्क में लाता है जैसे जल का बपतिस्मा मनुष्यों को पानी के संपर्क में लाता है। diff --git a/mrk/01/12.md b/mrk/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..fed2f4a --- /dev/null +++ b/mrk/01/12.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसको जंगल की ओर जाने को विवश किया + +यीशु को जाने के लिए विवश किया। + +# वह वन पशुओं के साथ रहा + +वह जंगल में रहा + +# चालीस दिन + +"40 दिन" + +# के साथ + +"के मध्य" diff --git a/mrk/01/14.md b/mrk/01/14.md new file mode 100644 index 0000000..07c6d80 --- /dev/null +++ b/mrk/01/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यूहन्ना के पकड़वाए जाने के बाद + +"यूहन्ना के बन्दीगृह में डाले जाने के बाद" वैकल्पिक अनुवाद, "जब उन्होंने यूहन्ना को बन्दी बना लिया।" + +# परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया। + +"परमेश्वर से आने वाले सुसमाचार का प्रचार किया" + +# समय पूरा हुआ है + +"अब समय आ गया है" diff --git a/mrk/01/16.md b/mrk/01/16.md new file mode 100644 index 0000000..3b90f62 --- /dev/null +++ b/mrk/01/16.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# शमौन और उसके भाई अन्द्रियास ... देखा + +"यीशु ने शमौन और अन्द्रियास को देखा" + +# जाल डालते + +"जाल फैलाते" + +# क्योंकि वे मछुवे थे + +"क्योंकि वे मछली पकड़ने वाले थे" + +# मेरे पीछे आओ + +"मेरा अनुसरण करो" + +# मैं तुमको मनुष्यों के मछुवे बनाऊँगा। + +वह उन्हें सिखाएगा कि मनुष्यों को कैसे एकत्र करें जैसे वे मछलियों को एकत्र करते हैं। + +# वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए। + +"उन्होंने अपने मछली पकड़ने के व्यवसाय का त्याग कर यीशु का अनुसरण किया।" diff --git a/mrk/01/19.md b/mrk/01/19.md new file mode 100644 index 0000000..c9f3edd --- /dev/null +++ b/mrk/01/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उनकी नाव पर + +"उनकी नाव में" + +# जालों को सुधारते + +"जाल सुधार रहे थे" + +# किराए के मजदूर + +"उनके लिए काम करने वाले" + +# उसके पीछे हो लिए + +"याकूब और यूहन्ना यीशु के साथ चले गए" diff --git a/mrk/01/23.md b/mrk/01/23.md new file mode 100644 index 0000000..e697283 --- /dev/null +++ b/mrk/01/23.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# आराधनालय + +यीशु और शिष्य आराधनालय में गए, यह वही स्थान है जहाँ उसने उपदेश देना आरंभ किया था। + +# क्या तू हमें नष्ट करने आया है? + +वैकल्पिक अनुवाद, "हमें नष्ट नहीं करना" diff --git a/mrk/01/29.md b/mrk/01/29.md new file mode 100644 index 0000000..babb840 --- /dev/null +++ b/mrk/01/29.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# निकलकर + +यीशु, शमौन और अन्द्रियास के प्रस्थान के बाद + +# उसका ज्वर उतर गया + +वैकल्पिक अनुवाद, "शमौन की सास को ज्वर से चंगाई प्राप्त हुई" + +# वह उनकी सेवा टहल करने लगी + +वैकल्पिक अनुवाद, "उसने उन्हें भोजन पानी करवाया" diff --git a/mrk/01/32.md b/mrk/01/32.md new file mode 100644 index 0000000..d8080e1 --- /dev/null +++ b/mrk/01/32.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसके...उसने...उसे + +यीशु + +# सारा नगर द्वार पर इकट्ठा था + +"उस नगर के बहुत से लोग द्वार पर एकत्र थे" diff --git a/mrk/01/35.md b/mrk/01/35.md new file mode 100644 index 0000000..50bca59 --- /dev/null +++ b/mrk/01/35.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सुनसान जगह + +"एक ऐसा स्थान जहाँ वह अकेला रह सकता था" + +# सब लोग तुम्हें ढूंढ रहे हैं। + +वैकल्पिक अनुवाद, "लोग तेरी प्रतीक्षा में हैं" diff --git a/mrk/01/38.md b/mrk/01/38.md new file mode 100644 index 0000000..316ce90 --- /dev/null +++ b/mrk/01/38.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसने...वह + +यीशु + +# हम और कहीं... जाएं + +"हमें कहीं और जाना चाहिए" + +# सारे गलील में + +"वह गलील में अनेक स्थानों में गया" diff --git a/mrk/01/40.md b/mrk/01/40.md new file mode 100644 index 0000000..4b48025 --- /dev/null +++ b/mrk/01/40.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# एक कोढ़ी उसके पास आया, उसने विनती की और उसके सामने घुटने टेककर उससे कहा। + +"एक कोढ़ी यीशु के पास आया, वह कोढ़ी घुटने टेककर यीशु से विनती करने लगा, उस कोढ़ी ने यीशु से कहा।" + +# यदि तू चाहे + +"यदि तू मुझे शुद्ध करना चाहे" + +# मुझे शुद्ध कर सकता है। + +"मुझे निरोग कर सकता है" कोढ़ियों को अशुद्ध माना जाता था। उन्हें समाज से बहिष्कृत किया गया था परन्तु रोग मुक्त होने पर वह समाज में रह सकता था। + +# मैं चाहता हूँ + +"मैं तुझे शुद्ध करने की इच्छा रखता हूँ" diff --git a/mrk/01/43.md b/mrk/01/43.md new file mode 100644 index 0000000..45c0af3 --- /dev/null +++ b/mrk/01/43.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उससे...वह + +उस कोढ़ी से जो शुद्ध हुआ था + +# अपने को दिखा + +"अपनी त्वचा दिखा" diff --git a/mrk/01/45.md b/mrk/01/45.md new file mode 100644 index 0000000..843a3df --- /dev/null +++ b/mrk/01/45.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वह जाकर... प्रचार करने लगा + +"वह मनुष्य बाहर गया और प्रचार किया" + +# प्रचार करने...वचन फैलाने लगा + +"लोगों को वचन बताने लगा" + +# (हर एक से) + +वह जिससे भी भेंट करता था + +# यीशु फिर खुल्लम-खुल्ला नगर में न जा सका + +"जनसमूह ने यीशु का नगर प्रवेश कठिन कर दिया" + +# चारों ओर से + +"संपूर्ण क्षेत्र से" (देखें: यू.डी.बी.) diff --git a/mrk/02/01.md b/mrk/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..7a580bc --- /dev/null +++ b/mrk/02/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सुना गया कि वह घर में है + +वहाँ लोगों ने सुना कि वह उस घर में है + +# जगह नहीं थी + +"किसी के लिए भी स्थान नहीं था" diff --git a/mrk/02/03.md b/mrk/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..aecf6a6 --- /dev/null +++ b/mrk/02/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# लकवे के रोगी को... उसके पास ले आए + +"एक मनुष्य को लाए जो चलने में असमर्थ और उसके हाथ-पाव काम नहीं करते थे" + +# चार मनुष्यों + +"4 मनुष्य" + +# उसके निकट न पहुंच सके + +"यीशु जहाँ था वहाँ नहीं पहुंच सके" diff --git a/mrk/02/05.md b/mrk/02/05.md new file mode 100644 index 0000000..e519810 --- /dev/null +++ b/mrk/02/05.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# उनका विश्वास देखकर + +"यह देखकर कि उनमें विश्वास है" इसके अर्थ हो सकते हैं; (1) उस लकवे के रोगी को लाने वालों का विश्वास या (2) लकवे के रोगी और उसे लाने वालों का विश्वास। + +# लकवे के रोगी + +"उस मनुष्य से जो चल नहीं सकता था" + +# हे पुत्र + +यीशु एक पिता के समान सुधि लेते हुए जैसे एक पिता अपने बेटे की सुधि लेता है। + +# तेरे पाप क्षमा हुए + +इसका अर्थ है, (1) परमेश्वर ने तेरे पाप क्षमा किए (देखें: 2:7) या (2) "मैंने तेरे पाप क्षमा किए" + +# मन में विचार करने लगे + +"सोचने लगे" + +# यह मनुष्य क्यों ऐसा कहता है? + +"इस व्यक्ति को ऐसा नहीं कहना चाहिए" + +# परमेश्वर को छोड़ और कौन पाप क्षमा कर सकता है? + +"केवल परमेश्वर पाप क्षमा कर सकता है" diff --git a/mrk/02/08.md b/mrk/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..9851a6b --- /dev/null +++ b/mrk/02/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वे अपने-अपने मन में ऐसा विचार कर रहे थे + +शास्त्री एक-दूसरे से बातें नहीं कर रहे थे परन्तु अपने मनों में सोच रहे थे। + +# तुम अपने-अपने मन में यह विचार क्यों कर रहे हो? + +यीशु शास्त्रियों को झिड़क रहा है क्योंकि उन्होंने उसके अधिकार पर सन्देह किया। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम शास्त्रियों ने मेरे अधिकार पर प्रश्न उठाया।" + +# सहज क्या है? + +यीशु ने यह प्रश्न इसलिए पूछा कि शास्त्रियों को स्मरण कराए कि उन्हें उस मनुष्य के लकवाग्रस्त होने का विश्वास था कि वह पाप का परिणाम है और यदि उसके पाप क्षमा हो जाएं तो चलने योग्य हो जाएगा अतः जब उसने उस लकवाग्रस्त मनुष्य को चंगा किया तो शास्त्रियों को समझ में आ जाए कि उसे पाप क्षमा करने का अधिकार है। + +# सहज क्या है?... यह कहना कि तेरे पाप क्षमा हुए "या यह कहना कि उठ अपनी खाट उठाकर चल फिर"? + +"क्या यह कहना आसान है... ‘तेरे पाप क्षमा हुए’? या यह कहना आसान है, ‘उठ... चल फिर’?" diff --git a/mrk/02/10.md b/mrk/02/10.md new file mode 100644 index 0000000..84c1859 --- /dev/null +++ b/mrk/02/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जिससे तुम जान लो + +"मैं तुम पर सिद्ध करूंगा" + +# तुम + +शास्त्री और जनसमूह + +# उसने लकवे के रोगी से कहा + +"उसने उस मनुष्य से जो चलने योग्य न था, उससे कहा" + +# सबके सामने + +"वहाँ उपस्थित जनसमूह की आँखों के सामने" diff --git a/mrk/02/13.md b/mrk/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..7ceb1b9 --- /dev/null +++ b/mrk/02/13.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सारी भीड़ उसके पास आई + +"लोग वहाँ आ गए जहाँ वह था" diff --git a/mrk/02/15.md b/mrk/02/15.md new file mode 100644 index 0000000..c41de1b --- /dev/null +++ b/mrk/02/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# लेवी के घर + +"लेवी के घर" + +# बहुत से चुंगी लेने वाले और पापी यीशु और उसके चेलों के साथ भोजन करने बैठे क्योंकि वे बहुत से थे। + +"अनेक चुंगी लेने वाले और पापी जन जो यीशु के पीछे आए थे, उसके और उसके शिष्यों के साथ भोजन करने बैठे थे।" + +# वह तो चुंगी लेने वालों और पापियों के साथ खाता-पीता है। + +शास्त्री और फरीसी प्रकट कर रहे थे कि वे यीशु के इस कार्य को स्वीकार नहीं करते हैं।(देखें: वैकल्पिक अनुवाद, "उसे पापियों और चुंगी लेने वालों के साथ खाना-पीना नहीं चाहिए।" diff --git a/mrk/02/17.md b/mrk/02/17.md new file mode 100644 index 0000000..ad5feb1 --- /dev/null +++ b/mrk/02/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसने उनसे कहा + +"उसने फरीसियों से कहा" + +# "भले चंगों को वैध की आवश्यकता नहीं; परन्तु बीमारों को है + +यीशु एक रूपक काम में ले रहा है जिसकी व्याख्या वह अगले अध्याय में करेगा। यीशु उन लोगों के लिए आया है जो स्वीकार करते हैं कि वे पापी हैं, उनके लिए नहीं जो अपने आपको धर्मी मानते हैं। + +# मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ। + +"मैं उन लोगों के लिए आया हूँ जो अपने को पापी मानते हैं, उनके लिए नहीं जो अपने को धर्मी मानते हैं।" diff --git a/mrk/02/18.md b/mrk/02/18.md new file mode 100644 index 0000000..12b83d9 --- /dev/null +++ b/mrk/02/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जब तक दूल्हा बरातियों के साथ रहता है, क्या वे उपवास कर सकते हैं? + +यीशु अपने प्रश्न द्वारा कटाक्ष कर रहा है। "जब कोई पुरुष किसी स्त्री से ब्याह करता है तब उसके मित्र निश्चय ही भोजन का त्याग नहीं करेंगे, जब वह उनके साथ है।" (यू.डी.बी.) diff --git a/mrk/02/20.md b/mrk/02/20.md new file mode 100644 index 0000000..dbaba2f --- /dev/null +++ b/mrk/02/20.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जब दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा। + +यीशु अपनी मृत्यु, पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण के संदर्भ में पूछ रहा है, परन्तु न तो उसके हत्यारे न ही उसे पुनर्जीवित करने वाला परमेश्वर जो उसे स्वर्ग ले जाएगा। दूल्हे को अलग करने वाले नहीं हैं। यदि आपकी भाषा में नायक को स्पष्ट करने की आवश्यकता है वो यथासंभव साधारण भाषा का उपयोग करें। वैकल्पिक अनुवाद, "वे दूल्हे को अलग कर देंगे" या "मनुष्य दूल्हे को ले जाएंगे" या "दूल्हा चला जाएगा।" (देखें: और ) + +# उस समय वे + +बराती + +# कोरे कपड़े का पैबन्द पुराने वस्त्र पर कोई नहीं लगाता है। + +पुराने वस्त्र पर नए कपड़े का पैबन्द लगाने से वस्त्र और अधिक फट जाता है, यदि पैबन्द का कपड़ा पहले से सिकोड़ा हुआ न हो। पैबन्द और वस्त्र दोनों नष्ट हो जाएंगे। diff --git a/mrk/02/22.md b/mrk/02/22.md new file mode 100644 index 0000000..00c9399 --- /dev/null +++ b/mrk/02/22.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# नये दाखरस को पुरानी मशकों में कोई नहीं रखता है। + +यह एक रूपक या दृष्टान्त है जो उनके प्रश्न का उत्तर देता है, "यूहन्ना के चेले और फरीसियों के चेले क्यों उपवास रखते हैं, परन्तु तेरे चेले उपवास नहीं रखते?" ( ; देखें: ) + +# नये दाखरस को + +"अंगूर के रस को" अर्थात जिस दाखरस का नहीं हुआ है यदि आपके यहाँ अंगूर हैं तो वही शब्द काम में लें। + +# पुरानी मशकों में + +अर्थात जिन मशकों को पहले काम में लिया जा चुका है + +# मशकें + +पशुओं के चमड़े से बनाए गए थैले। इन्हें दाखरस के थैले या "चमड़े के थैले" (यू.डी.बी.) भी कहा जा सकता है। + +# मशके... नष्ट हो जाएंगी। + +जब नया दाखरस के कारण फैलता है तब वे फट जाएंगी। क्योंकि उनकी फैलने की क्षमता समाप्त हो चुकी है। + +# नष्ट हो जाएंगे + +"व्यर्थ चले जाएंगे"(यू.डी.बी.) + +# नई मशकों में + +"नए दाखरस के थैलों में" जिन मशकों को कभी काम में नहीं लिया गया है। diff --git a/mrk/02/23.md b/mrk/02/23.md new file mode 100644 index 0000000..8ffac73 --- /dev/null +++ b/mrk/02/23.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# देखा, ये सब्त के दिन वह काम क्यों करते हैं जो उचित नहीं? + +"देख वे सब्त के यहूदी कानून का उल्लंघन कर रहे हैं।" + +# बालें तोड़ने और खाने लगे जो सब्त के दिन उचित नहीं + +किसी के खेत से गेहूं तोड़कर खाना चोरी नहीं मानी जाती थी (देखें यू.डी.बी.) परन्तु प्रश्न इस बात का था कि क्या सब्त के दिन ऐसा विधि-सम्मत काम किया जा सकता है। + +# ये + +गेहूं की बालें + +# गेहूं की बालें + +गेहूं के पौधे का सबसे ऊपर का भाग जिसमें उस पौधे के पके हुए बीज होते हैं। + +# देख + +वैकल्पिक अनुवाद, "ध्यान दो कि मैं क्या कहने जा रहा हूँ" diff --git a/mrk/02/25.md b/mrk/02/25.md new file mode 100644 index 0000000..0c421dd --- /dev/null +++ b/mrk/02/25.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यीशु शास्त्रियों और फरीसियों को सब्त के दिन के बारे में शिक्षा दे रहा है। + +# क्या तुमने यह कभी नहीं पढ़ा कि जब दाऊद और उसके साथी? उसने कैसे परमेश्वर के भवन में जाकर रोटियां खाई + +यीशु जानता था कि शास्त्रियों और फरीसियों ने यह वृत्तान्त पढ़ा है। वह उन्हें दोष दे रहा है कि वे जानबूझकर इसे गलत समझ रहे हैं। वैकल्पिक अनुवाद "तुम्हें स्मरण है कि दाऊद...उसके साथी...जाकर" या "यदि तुम समझ गए कि दाऊद... उसके साथी- और वह कैसे मन्दिर में गया" + +# अबियातार + +यहूदियों के इतिहास में दाऊद के युग में एक महायाजक था। + +# "उसने कैसे... परमेश्वर के भवन में जाकर + +"दाऊद परमेश्वर के भवन में गया" (यू.डी.बी.) diff --git a/mrk/02/27.md b/mrk/02/27.md new file mode 100644 index 0000000..df09cdd --- /dev/null +++ b/mrk/02/27.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु शास्त्रियों और फरीसियों को सब्त के दिन के बारे में शिक्षा दे रहा था। diff --git a/mrk/03/01.md b/mrk/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..17322cb --- /dev/null +++ b/mrk/03/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वह फिर आराधनालय में गया। + +"यीशु ने आराधनालय में प्रवेश किया।" + +# एक मनुष्य था जिसका हाथ सूख गया था + +"हाथों से विकलांग एक मनुष्य" + +# वे... उसकी घात में लगे थे कि देखें, वह सब्त के दिन उसे चंगा करता है कि नहीं। + +"फरीसी यीशु की प्रतीज्ञा में थे कि वह हाथों से विकलांग उस मनुष्य को चंगा करे" diff --git a/mrk/03/03.md b/mrk/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..e2aa2b1 --- /dev/null +++ b/mrk/03/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अबके बीच में खड़ा हो + +"भीड़ के बीच में खड़ा हो" + +# क्या... उचित है? + +क्योंकि लेखक लिखता है कि वे चुप रहे, इसका अर्थ है कि यीशु उन्हें चुनौती देकर उत्तर की प्रतीक्षा में था। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें जानना है कि सब्त के दिन भलाई करना व्यवस्था-सम्मत है, जीवन बचाना, हत्या न करना।" + +# उचित है + +मूसा की व्यवस्था के अनुसार उचित diff --git a/mrk/03/05.md b/mrk/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..735af4a --- /dev/null +++ b/mrk/03/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# "अपना हाथ बढ़ा" + +"अपने हाथ आगे कर" + +# उसका हाथ अच्छा हो गया + +"यीशु ने उसके हाथ को स्वस्थ कर दिया" या "यीशु ने उसका हाथ वैसा ही कर दिया जैसा पहले था" + +# हेरोदियों के साथ उसके विरोध में सम्मति करने लगे। + +वैकल्पिक अनुवाद, "हेरोदियों के साथ सभा की" या "हेरोदियों से भेंट करके षड्यन्त्र रचा" diff --git a/mrk/03/07.md b/mrk/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..5ea5207 --- /dev/null +++ b/mrk/03/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यह सुनकर + +"यीशु द्वारा किए गए आश्चर्यकर्मों की चर्चा सुनकर।" + +# वे उनके पास आए + +"जनसमूह वहाँ पहुंचा जहाँ यीशु था" diff --git a/mrk/03/09.md b/mrk/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..8cd603f --- /dev/null +++ b/mrk/03/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उस ने अपने चेलों से कहा, भीड़ के कारण एक छोटी नाव मेरे लिये तैयार रहे + +यीशु ने शिष्यों से कहा, "मेरे लिए नाव तैयार करो" + +# भीड़ के कारण + +"भीड़ उसका स्पर्श करने के लिए आगे आ रही थी।" + +# जितने लोग रोग-ग्रस्त थे...उस पर गिरे पड़ते थे। + +"सब रोगी उसके स्पर्श हेतु धक्का दे रहे थे।" diff --git a/mrk/03/11.md b/mrk/03/11.md new file mode 100644 index 0000000..5929092 --- /dev/null +++ b/mrk/03/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दुष्टात्माएं भी + +"दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य भी" diff --git a/mrk/03/13.md b/mrk/03/13.md new file mode 100644 index 0000000..7cfa5c1 --- /dev/null +++ b/mrk/03/13.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# कि वे उसके साथ-साथ रहें और वह उन्हें भेजे कि प्रचार करें + +"कि वे उसके साथ रहेंगे और वह उन्हें प्रचार के लिए भेजेगा" या, "उसके साथ रहने और उसके द्वारा प्रचार के लिए भेजे जाने के लिए" (यू.डी.बी.) diff --git a/mrk/03/20.md b/mrk/03/20.md new file mode 100644 index 0000000..af83b13 --- /dev/null +++ b/mrk/03/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# "ऐसी भीड़ इकट्ठी हो गई कि वे रोटी भी न खा सके" + +"भीड़ इतनी अधिक हो गई थी कि उन्हें भोजन करने का समय भी नहीं मिला" या "जहाँ वह रह रहा था वहाँ बहुत भीड़ एकत्र हो गई। लोगों ने उसे घेर लिया था। उसे और उसके चेलों को खाना खाने का समय भी नहीं मिला।" (यू.डी.बी.) + +# वे उसे पकड़ने के लिए निकले + +"उसके परिजन उस स्थान पर गए जहाँ वह था कि उसे पकड़ कर घर ले आएं।" diff --git a/mrk/03/23.md b/mrk/03/23.md new file mode 100644 index 0000000..9770a30 --- /dev/null +++ b/mrk/03/23.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# शैतान कैसे शैतान को निकाल सकता है + +"शैतान अपने आपको कैसे निकाल सकता है" या "शैतान अपनी ही दुष्टात्मा के विरुद्ध काम नहीं करेगा।" diff --git a/mrk/03/31.md b/mrk/03/31.md new file mode 100644 index 0000000..1eae198 --- /dev/null +++ b/mrk/03/31.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उन्होंने उसे बुलवा भेजा + +"यीशु की माता और छोटे भाइयों ने किसी को भीतर भेजा कि उससे कहें कि वे बाहर है और उसे उनके पास बाहर ले आएं।" diff --git a/mrk/04/01.md b/mrk/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..2fff9a1 --- /dev/null +++ b/mrk/04/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# कि वह झील में एक नाव पर चढ़कर + +"कि वह नाव में चढ़कर झील में चला गया" + +# बैठ गया + +"नाव में बैठ गया" diff --git a/mrk/04/03.md b/mrk/04/03.md new file mode 100644 index 0000000..e378d51 --- /dev/null +++ b/mrk/04/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +उन्हें दृष्टान्तों में बहुत सी बातें सिखाने लगा diff --git a/mrk/04/06.md b/mrk/04/06.md new file mode 100644 index 0000000..c3d10e4 --- /dev/null +++ b/mrk/04/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्त में सुना रहा था + +# सूर्य निकला, तो जल गया + +"झुलस गया" diff --git a/mrk/04/08.md b/mrk/04/08.md new file mode 100644 index 0000000..5844948 --- /dev/null +++ b/mrk/04/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्त सुना रहा है + +# जिसके पास सुनने के लिए कान हों वह सुन ले + +"जो ध्यान से सुनेगा वह इस दृष्टान्त का अर्थ समझेगा" diff --git a/mrk/04/10.md b/mrk/04/10.md new file mode 100644 index 0000000..cb51f88 --- /dev/null +++ b/mrk/04/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +जब यीशु दृष्टान्त सुना चुका + +# तुम को... समझ दी गई है + +"परमेश्वर ने तुम्हें समझ दी है" या "मैंने तुम्हें समझ दी है" + +# वे देखते हुए देखें और उन्हें सुझाई न पड़े + +वे देखते तो हैं परन्तु अन्तर्ग्रहण नहीं करते "देखते हैं परन्तु देखना नहीं चाहते" या "वे देखते हैं परन्तु समझते नहीं" diff --git a/mrk/04/13.md b/mrk/04/13.md new file mode 100644 index 0000000..fee2a7d --- /dev/null +++ b/mrk/04/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उस दृष्टान्त का अर्थ समझाता है। + +# क्या तुम यह दृष्टान्त नहीं समझते? तो फिर और सब दृष्टान्तों को क्योंकर समझोगे? + +"यदि तुम इस दृष्टान्त को समझ नहीं सकते तो अन्य दृष्टान्तों को भी नहीं समझ पाओगे।" diff --git a/mrk/04/16.md b/mrk/04/16.md new file mode 100644 index 0000000..5a256ba --- /dev/null +++ b/mrk/04/16.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उस दृष्टान्त का अर्थ समझाता है। diff --git a/mrk/04/18.md b/mrk/04/18.md new file mode 100644 index 0000000..5a256ba --- /dev/null +++ b/mrk/04/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को उस दृष्टान्त का अर्थ समझाता है। diff --git a/mrk/04/21.md b/mrk/04/21.md new file mode 100644 index 0000000..ecb13c3 --- /dev/null +++ b/mrk/04/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु दृष्टान्त का अर्थ समझाना समाप्त करता है और उन्हें एक और दृष्टान्त सुनाता है। + +# क्या दीये को इसलिए लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? + +"आप दीया घर में इसलिए नहीं लाते कि उसे पैमाने या खाट के नीचे रखें" + +# यदि किसी के सुनने के कान हों तो वह सुन ले + +इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे आपने में किया है। diff --git a/mrk/04/24.md b/mrk/04/24.md new file mode 100644 index 0000000..7f31103 --- /dev/null +++ b/mrk/04/24.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को दृष्टान्त सुना रहा है + +# जिस नाप से तुम नापते हो उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा, और तुमको अधिक दिया जाएगा + +तुम जिस नाप को काम में लेते हो उसी के अनुसार तुम प्राप्त करोगे वरन् अधिक पाओगे तुम जितना अधिक अच्छा सुनोगे, परमेश्वर उतनी ही अधिक समझ तुम्हें देगा।" + +# जिसके पास है + +जिसके पास है "जिसने मेरे वचनों को समझ लिया है" diff --git a/mrk/04/26.md b/mrk/04/26.md new file mode 100644 index 0000000..46ca3d2 --- /dev/null +++ b/mrk/04/26.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को दृष्टान्त सुना रहा है + +# जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे + +"जैसे किसान बीज बोता है" + +# हंसिया + +कटनी में काम में आने वाली अर्धचन्द्रकार कतरनी diff --git a/mrk/04/30.md b/mrk/04/30.md new file mode 100644 index 0000000..a815e06 --- /dev/null +++ b/mrk/04/30.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु अपने शिष्यों को दृष्टान्त सुना रहा है + +# हम परमेश्वर के राज्य की उपमा किससे दें और किस दृष्टान्त से उसका वर्णन करें? + +"इस दृष्टान्त से मैं वर्णन कर सकता हूँ कि परमेश्वर का राज्य कैसा है।" diff --git a/mrk/04/33.md b/mrk/04/33.md new file mode 100644 index 0000000..ea506ba --- /dev/null +++ b/mrk/04/33.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उनकी समझ के अनुसार वचन सुनाता है + +"वे जितना समझ सकते थे उतना ही" diff --git a/mrk/04/38.md b/mrk/04/38.md new file mode 100644 index 0000000..0647e0b --- /dev/null +++ b/mrk/04/38.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +यीशु और उसके शिष्य झील पार कर रहे थे जब आंधी आई। + +# क्या तुझे चिन्ता नहीं कि हम नष्ट हुए जाते हैं? + +"परिस्थिति पर ध्यान दें: हम मरने वाले हैं!"- + +# हम नष्ट हुए जाते हैं। + +"हम" अर्थात यीशु और शिष्य + +# डांटा + +"कठोरता से सुधारा" या "झिड़कना" + +# शान्त रह, थम जा + +"शान्त रह" और "थम जा" समानार्थक शब्द है। diff --git a/mrk/04/40.md b/mrk/04/40.md new file mode 100644 index 0000000..a724989 --- /dev/null +++ b/mrk/04/40.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु और उसके शिष्य झील पार कर रहे थे जब आंधी आई। + +# तुम क्यों डरते हो? + +"तुम्हें डरता हुआ देखकर मैं निराश हूँ" + +# यह कैसा है? + +"हमें सावधानी-पूर्वक समझाना है कि यह मनुष्य है कौन!" diff --git a/mrk/05/03.md b/mrk/05/03.md new file mode 100644 index 0000000..1dadb94 --- /dev/null +++ b/mrk/05/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# बेड़ियों और सांकलों से बांधा गया था + +"उसके पांवों को लोहे की जंजीर से बांधा गया" + +# वश में नहीं कर सकता था + +"नियन्त्रण में रख सकता था" diff --git a/mrk/05/07.md b/mrk/05/07.md new file mode 100644 index 0000000..7e4dba1 --- /dev/null +++ b/mrk/05/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# ऊँचे शब्द से चिल्लाकर कहा + +"उस दृष्टात्मा ने चिल्लाकर कहा।" + +# मुझे तुझसे क्या काम? + +वैकल्पिक अनुवाद, "मुझे तुझसे कोई काम नहीं है" + +# मुझे पीड़ा न दे + +"मुझे कष्ट मत दे" diff --git a/mrk/05/09.md b/mrk/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..a949d8d --- /dev/null +++ b/mrk/05/09.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसने उससे कहा, "मेरा नाम सेना है, क्योंकि हम बहुत है" + +उस मनुष्य में उपस्थित दुष्टात्मा ने यीशु से कहा कि उस मनुष्य में एक ही नहीं, अनेक दुष्टात्माएं हैं। diff --git a/mrk/05/11.md b/mrk/05/11.md new file mode 100644 index 0000000..8a58352 --- /dev/null +++ b/mrk/05/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसने उन्हें आज्ञा दे दी + +"यीशु ने उन दुष्टात्माओं को अनुमति दे दी।" + +# कोई दो हजार का था + +"लगभग 2000 सूअर थे।" diff --git a/mrk/05/14.md b/mrk/05/14.md new file mode 100644 index 0000000..453888c --- /dev/null +++ b/mrk/05/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सचेत + +"सामान्य मानसिक अवस्था" diff --git a/mrk/05/16.md b/mrk/05/16.md new file mode 100644 index 0000000..e70683b --- /dev/null +++ b/mrk/05/16.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जिसमें दुष्टात्माएं थीं + +"जिस व्यक्ति पर दुष्टात्माओं का अधिकार था।" diff --git a/mrk/05/18.md b/mrk/05/18.md new file mode 100644 index 0000000..9a5fa82 --- /dev/null +++ b/mrk/05/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दिकापुलिस + +गलील सागर के दक्षिण पूर्व का क्षेत्र diff --git a/mrk/05/25.md b/mrk/05/25.md new file mode 100644 index 0000000..031ecba --- /dev/null +++ b/mrk/05/25.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# बारह वर्ष से + +"बारह वर्ष से" diff --git a/mrk/05/30.md b/mrk/05/30.md new file mode 100644 index 0000000..9c0c132 --- /dev/null +++ b/mrk/05/30.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तू कहता है कि किसने मुझे छुआ? + +वैकल्पिक अनुवाद, "हमें आश्चर्य हो रहा है कि तू कहता है, किसने मुझे छुआ।" diff --git a/mrk/05/33.md b/mrk/05/33.md new file mode 100644 index 0000000..ee3995f --- /dev/null +++ b/mrk/05/33.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# पुत्री + +यीशु उस विश्वासी स्त्री के लिए इस शब्द को रूपक स्वरूप काम में ले रहा है। diff --git a/mrk/05/35.md b/mrk/05/35.md new file mode 100644 index 0000000..9faccce --- /dev/null +++ b/mrk/05/35.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अब गुरु को क्यों दुःख देता है + +वैकल्पिक अनुवाद, "हमें गुरु को अब कष्ट नहीं देना है" diff --git a/mrk/05/36.md b/mrk/05/36.md new file mode 100644 index 0000000..be60694 --- /dev/null +++ b/mrk/05/36.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# रोते और चिल्लाते देखना + +"दुःख के कारण विलाप करते देखा" diff --git a/mrk/05/39.md b/mrk/05/39.md new file mode 100644 index 0000000..07600d6 --- /dev/null +++ b/mrk/05/39.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम क्यों हल्ला मचाते और रोते हो? + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें दुःखी नहीं होना है, न ही रोना है" diff --git a/mrk/05/41.md b/mrk/05/41.md new file mode 100644 index 0000000..d5562a6 --- /dev/null +++ b/mrk/05/41.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वह बारह वर्ष की थी + +"वह 12 वर्ष की थी" + +# उसने उन्हें चिताकर आज्ञा दी + +"उसने उन्हें कठोरता से कहा" diff --git a/mrk/06/01.md b/mrk/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..e9ad5de --- /dev/null +++ b/mrk/06/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या यह वही बढ़ई नहीं जो मरियम का पुत्र, और याकूब, योसेस, यहूदा और शमौन का भाई है? क्या उसकी बहनें यहाँ हमारे बीच में नहीं रहतीं? + +"यह तो एक साधारण बढ़ई है। हम तो इसे और इसके परिवार को जानते हैं! हम इसकी माता मरियम को जानते हैं। हम इसके छोटे भाइयों याकूब, योसेस, यहूदा और शमौन को भी तो जानते हैं! और इसकी छोटी बहनें यहाँ हमारे बीच में ही तो रहती हैं!" (यू.डी.बी.) यह सन्देह का प्रश्न है कि यीशु ऐसे काम कैसे कर सकता है। diff --git a/mrk/06/04.md b/mrk/06/04.md new file mode 100644 index 0000000..7d5452f --- /dev/null +++ b/mrk/06/04.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# भविष्यद्वक्ता अपने देश और अपने कुटुम्ब और अपने घर को छोड़ और कहीं भी निरादर नहीं होता। + +"यह निश्चय ही सच है कि मनुष्य अन्य स्थानों में मेरा और अन्य भविष्यद्वक्ताओं का सम्मान करते हैं। परन्तु अपने ही जन्म-स्थान में नहीं करते! यहाँ तक कि हमारे परिजन और घर के सदस्य हमारा सम्मान नहीं करते" (यू.डी.बी.) diff --git a/mrk/06/07.md b/mrk/06/07.md new file mode 100644 index 0000000..5915152 --- /dev/null +++ b/mrk/06/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# दो-दो करके + +"एक साथ दो दो" या "जोड़े में" + +# दो-दो कुरते न पहनो + +"अतिरिक्त कुरता भी नहीं लेना" diff --git a/mrk/06/10.md b/mrk/06/10.md new file mode 100644 index 0000000..9dd697b --- /dev/null +++ b/mrk/06/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जब तक वहाँ से विदा न हो तब तक उसी घर में ठहरे रहो। + +"उस नगर से प्रस्थान करने तक उसी घर में रहना।" diff --git a/mrk/06/14.md b/mrk/06/14.md new file mode 100644 index 0000000..97f6441 --- /dev/null +++ b/mrk/06/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला मरे हुओं में से जी उठा है। + +"परमेश्वर ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले को जीवित किया है।" diff --git a/mrk/06/16.md b/mrk/06/16.md new file mode 100644 index 0000000..0a28df4 --- /dev/null +++ b/mrk/06/16.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी + +"उसके भाई फिलिप्पुस की पत्नी" + +# उससे बैर रखती थी + +"उसके विरुद्ध थी" diff --git a/mrk/06/18.md b/mrk/06/18.md new file mode 100644 index 0000000..465c9a4 --- /dev/null +++ b/mrk/06/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उससे बैर रखती थी + +"उसके विरुद्ध थी" + +# बहुत घबराता था + +"वह विमूढ़ था" diff --git a/mrk/06/23.md b/mrk/06/23.md new file mode 100644 index 0000000..d7bc5f2 --- /dev/null +++ b/mrk/06/23.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# एक थाल में + +"एक परात में" diff --git a/mrk/06/26.md b/mrk/06/26.md new file mode 100644 index 0000000..3d849f6 --- /dev/null +++ b/mrk/06/26.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अपनी शपथ... और साथ बैठने वालों के कारण + +"क्योंकि उसके अतिथियों ने उसे शपथ खाते सुना था" + +# थाल + +"एक परात में" diff --git a/mrk/06/37.md b/mrk/06/37.md new file mode 100644 index 0000000..72b8acf --- /dev/null +++ b/mrk/06/37.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# पाँच रोटियों और दो मछलियाँ + +"पाँच रोटियों और दो मछलियाँ" diff --git a/mrk/06/39.md b/mrk/06/39.md new file mode 100644 index 0000000..4615f00 --- /dev/null +++ b/mrk/06/39.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# सौ-सौ और पचास-पचास करके + +"सौ और पचास की संख्या में" + +# उसने पाँच रोटियों को और दो मछलियों को लिया + +"5 रोटियां और 2 मछलियाँ" + +# दो मछलियों को + +"2 मछलियाँ" (देखें: : [[rc://*/ta/man/translate/translate-numbers]]) diff --git a/mrk/06/42.md b/mrk/06/42.md new file mode 100644 index 0000000..500dbfe --- /dev/null +++ b/mrk/06/42.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# बारह टोकरियाँ + +"12 टोकरिया" + +# पाँच हजार पुरुष + +वैकल्पिक अनुवादः "पाँच हजार पुरुष और उनके परिवार" diff --git a/mrk/06/45.md b/mrk/06/45.md new file mode 100644 index 0000000..5a20026 --- /dev/null +++ b/mrk/06/45.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# बैतसैदा + +गलील सागर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित एक नगर diff --git a/mrk/06/51.md b/mrk/06/51.md new file mode 100644 index 0000000..26bb95f --- /dev/null +++ b/mrk/06/51.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उनके मन कठोर हो गए थे। + +"उन्हें समझना था कि वह कैसा सामर्थी है परन्तु वे समझ नहीं पाए।" diff --git a/mrk/06/53.md b/mrk/06/53.md new file mode 100644 index 0000000..88b7e1c --- /dev/null +++ b/mrk/06/53.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# खाटों पर + +"रोगियों को उठाकर लाने के लिए दरी" diff --git a/mrk/06/56.md b/mrk/06/56.md new file mode 100644 index 0000000..4d1d980 --- /dev/null +++ b/mrk/06/56.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वस्त्र के आंचल ही को + +"उसके वस्त्र का छोर" या "उसके बागे का सिरा" diff --git a/mrk/07/02.md b/mrk/07/02.md new file mode 100644 index 0000000..2cba754 --- /dev/null +++ b/mrk/07/02.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तांबे के बरतनों को + +खाते समय उस युग के यहूदी आधा लेटकर खाना खाते थे। वैकल्पिक अनुवाद, "पात्र और यहाँ तक कि खाने के लिए बैठने के आसन भी।" diff --git a/mrk/07/05.md b/mrk/07/05.md new file mode 100644 index 0000000..0decfd1 --- /dev/null +++ b/mrk/07/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# क्यों पुरनियों की परम्परा पर नहीं चलते, और बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं? + +"तेरे शिष्य पूर्वजों की परम्परा पर नहीं चलते हैं। उन्हें हमारी रीति के अनुसार हाथ धोना चाहिए।" + +# रोटी + +भोजन diff --git a/mrk/07/06.md b/mrk/07/06.md new file mode 100644 index 0000000..91cbacf --- /dev/null +++ b/mrk/07/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# "यशायाह ने तुम कपटियों के विषय में बहुत ठीक भविष्यद्वाणी की है।" + +यशायाह के वचन... diff --git a/mrk/07/08.md b/mrk/07/08.md new file mode 100644 index 0000000..ce865aa --- /dev/null +++ b/mrk/07/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अच्छी तरह + +प्रभावी रूप से + +# बुरा कहे + +मान-हर शब्दों का उपयोग करने वाला diff --git a/mrk/07/11.md b/mrk/07/11.md new file mode 100644 index 0000000..404c6a2 --- /dev/null +++ b/mrk/07/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जो कुछ तुझे मुझसे लाभ पहुंच सका था वह कुर्बान... हो चुका + +शास्त्रियों की परम्परा के अनुसार मन्दिर को यदि कुछ भेंट कर दिया गया (पैसा या वस्तु) तो उसका उपयोग किसी और बात में नहीं किया जा सकता। + +# कुर्बान + +लेखक चाहता था कि पाठक को इस शब्द का उच्चारण समझ में आए, अतः अपनी भाषा में इस शब्द के उच्चारण हेतु अक्षरों का उपयोग करें। diff --git a/mrk/07/14.md b/mrk/07/14.md new file mode 100644 index 0000000..024ede6 --- /dev/null +++ b/mrk/07/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तुम सब मेरी सुनो, और समझो। + +"सुनो" और "समझो" अर्थ में समरूप हैं, यीशु बल देने के लिए इन दोनों शब्दों का उपयोग करता है + +# जो वस्तुएं मनुष्य के भीतर से निकलती है + +"यह मनुष्य का आन्तरिक व्यक्तित्व है" या "यह मनुष्य का सोचना, बोलना और करना है।" + +# पद 16: अनेक प्राचीन विद्वान इस अभिलेख की अन्तर्विष्टी करते हैं, "यदि किसी के सुनने के कान हों तो वह सुन ले" + +इस वाक्य का उद्देश्य है यीशु के कट्टर सिद्धान्त के अधिकार को दर्शाने तथा प्रत्येक निष्ठावान अनुयायी उसके अभी-अभी सिखाई गई बात को समझने की अवश्यकरणीयता पर बल देता है। diff --git a/mrk/07/17.md b/mrk/07/17.md new file mode 100644 index 0000000..5b51a48 --- /dev/null +++ b/mrk/07/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या तुम अब भी ऐसे नासमझ हो? + +वैकल्पिक अनुवाद, "मैंने जो कुछ कहा और किया, मैं तुमसे उसे समझने की अपेक्षा करता हूँ।" diff --git a/mrk/07/24.md b/mrk/07/24.md new file mode 100644 index 0000000..ee05e66 --- /dev/null +++ b/mrk/07/24.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसके पांवों पर गिर पड़ी + +"घुटने टेके" + +# सुरुफिनीकी जाति + +वह सीरिया के फिनिके नगर में जन्मी थी। diff --git a/mrk/07/27.md b/mrk/07/27.md new file mode 100644 index 0000000..271b7d8 --- /dev/null +++ b/mrk/07/27.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# पहले लड़कों को तृप्त होने दे + +"बच्चों को पहले भोजन करना है" या "मुझे पहले बच्चों को भोजन देना है।" + +# बच्चों + +यहूदियों को वैकल्पिक अनुवाद, "मुझे पहले यहूदियों की सेवा करना है।" + +# रोटी + +भोजन + +# कुत्तों को + +अन्य जातियों को + +# कुत्ते भी तो मेज़ के नीचे बालकों की रोटी का चूर-चार खा लेते थे। + +"तू मुझ, अन्य जाति को इस प्रकार तुच्छ जानकर सेवा का पात्र बना दे" + +# चूरचार + +रोटी के छोटे टुकड़े diff --git a/mrk/07/31.md b/mrk/07/31.md new file mode 100644 index 0000000..45c3f07 --- /dev/null +++ b/mrk/07/31.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# होता हुआ + +"से चलता हुआ" + +# दिकापुलिस + +"दस नगर" (देखें: यू.डी.बी.) गलील सागर के दक्षिण-पूर्वक का क्षेत्र। + +# बहिरे को + +"सुनने में असमर्थ था" + +# हकला भी था + +"स्पष्ट बोल नहीं पाता था" diff --git a/mrk/07/33.md b/mrk/07/33.md new file mode 100644 index 0000000..4fb602d --- /dev/null +++ b/mrk/07/33.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# "इफ्फतह" + +लेखक चाहता था कि पाठक इस शब्द का उच्चारण समझें। अतः अपनी भाषा के अक्षरों द्वारा इस शब्द का निकटतम् उच्चारण लिखें। + +# आह भरी + +दुःख के कारण लम्बी सांस लेना + +# जीभ की गांठ भी खुल गई + +"उसकी जीभ में जो भी रुकावट का कारण था उसे यीशु ने दूर कर दिया" या "स्पष्ट बोलने में जो भी रुकावट का कारण था उसे यीशु ने चंगा किया।" diff --git a/mrk/08/01.md b/mrk/08/01.md new file mode 100644 index 0000000..9021e95 --- /dev/null +++ b/mrk/08/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तीन दिन से + +"3 दिन से" + +# बेहोश हो जाएंगे + +संभावित अर्थः (1) "वे बेहोश हो जाएंगे" या (2) "वे थककर चूर हो जाएंगे" + +# इतनी रोटी कहाँ से लाएं कि ये तृप्त हों? + +चेले आश्चर्य व्यक्त कर रहे थे कि यीशु उसे इतने भोजन का प्रबन्ध करने के लिए कह रहा था। वैकल्पिक अनुवाद, "यह स्थान तो ऐसा निर्जन प्रदेश है कि हम इन लोगों के भोजन का प्रबन्ध कहाँ से करें!" (यू.डी.बी.) diff --git a/mrk/08/05.md b/mrk/08/05.md new file mode 100644 index 0000000..11edd18 --- /dev/null +++ b/mrk/08/05.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# बैठा दो + +मेज़ न होने पर आपकी संस्कृति में लोग भोजन करने कैसे बैठते हैं, उसे व्यक्त करें। diff --git a/mrk/08/07.md b/mrk/08/07.md new file mode 100644 index 0000000..3093084 --- /dev/null +++ b/mrk/08/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दलमनूता + +गलील सागर के उत्तर-पश्चिमी तट का प्रदेश diff --git a/mrk/08/11.md b/mrk/08/11.md new file mode 100644 index 0000000..1ac859b --- /dev/null +++ b/mrk/08/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मांगा + +"ढूंढते हैं" + +# आह भरी + +देखें कि आपने इस अनुवाद में कैसे किया है। + +# इस समय के लोग क्यों चिन्ह ढूंढते हैं? + +यीशु उनको झिड़क रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, "इस पीढ़ी को चिन्ह खोजने की आवश्यकता नहीं है" + +# इस समय के लोगों को क्या? + +"क्या तुम सबको" diff --git a/mrk/08/14.md b/mrk/08/14.md new file mode 100644 index 0000000..9bb0e61 --- /dev/null +++ b/mrk/08/14.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# "चौकस रहो + +इसका उद्देश्य बल देना है। + +# फरीसियों के खमीर और हेरोदेस के खमीर + +वैकल्पिक अनुवाद "फरीसियों की झूठी शिक्षा और हेरोदेस की झूठी शिक्षा।"(देखें: ) diff --git a/mrk/08/16.md b/mrk/08/16.md new file mode 100644 index 0000000..a84296a --- /dev/null +++ b/mrk/08/16.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम क्यों आपस में यह विचार कर रहे हो कि हमारे पास रोटी नहीं है? + +यीशु उनके न समझने के कारण निराश है। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम यह न सोचो कि मैं रोटी के बारे में कह रहा हूँ।" diff --git a/mrk/08/18.md b/mrk/08/18.md new file mode 100644 index 0000000..22aeb34 --- /dev/null +++ b/mrk/08/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# आँखें रखते हुए भी तुम नहीं देखते और कान रखते हुए भी नहीं सुनते? और तुम्हे स्मरण नहीं। + +यीशु उनके न समझने के कारण निराश है। वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हारे पास आँखें है परन्तु तुम जो देखते हो उसे समझते नहीं! तुम्हारे पास कान हैं परन्तु तुम जो सुनते हो उसे नहीं समझते! तुम्हें स्मरण रखना है।"(देखें: diff --git a/mrk/08/20.md b/mrk/08/20.md new file mode 100644 index 0000000..ee6852c --- /dev/null +++ b/mrk/08/20.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# "क्या तुम अब तक नहीं समझते?" + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें अब तक समझने योग्य हो जाना था कि मैं रोटी के बारे में नहीं कर रहा हूँ।"(देखें: और ) diff --git a/mrk/08/22.md b/mrk/08/22.md new file mode 100644 index 0000000..ddd167c --- /dev/null +++ b/mrk/08/22.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# बैतसैदा + +यरदन नदी के पूर्व में स्थित एक नगर diff --git a/mrk/08/31.md b/mrk/08/31.md new file mode 100644 index 0000000..c744fc7 --- /dev/null +++ b/mrk/08/31.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मनुष्य के पुत्र के लिए अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और पुरनियों और प्रधान-याजक, और शास्त्री उसे तुच्छ समझकर मार डालें, और वह तीन दिन के बाद जी उठे। + +वैकल्पिक अनुवाद, "पुरनिये और प्रधानयाजक और शास्त्री मनुष्य के पुत्र को त्यागकर उसे मार डालें और परमेश्वर उसे फिर जीवित कर दे।" + +# तीन दिन से + +"3 दिन से" diff --git a/mrk/08/33.md b/mrk/08/33.md new file mode 100644 index 0000000..9a826ad --- /dev/null +++ b/mrk/08/33.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु पतरस की भर्त्सना का उत्तर दे रहा है। diff --git a/mrk/08/35.md b/mrk/08/35.md new file mode 100644 index 0000000..9c3c335 --- /dev/null +++ b/mrk/08/35.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्योंकि + +यीशु अपने शिष्यों को कारण समझा रहा है कि उन्हें क्यों स्वयं को मृत्यु-दण्ड प्राप्त अपराधी के समान समझना है । diff --git a/mrk/08/38.md b/mrk/08/38.md new file mode 100644 index 0000000..cde0840 --- /dev/null +++ b/mrk/08/38.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु ने अपने शिष्यों को और जनसमूह को अभी-अभी बताया है कि उसका अनुसरण करना संपूर्ण संसार से अधिक मूल्यवान क्यों है। diff --git a/mrk/09/01.md b/mrk/09/01.md new file mode 100644 index 0000000..419e68e --- /dev/null +++ b/mrk/09/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु अभी-अभी अपने शिष्यों और श्रोताओं से अपने अनुसरण की चर्चा कर रहा था। + +# उज्जवल + +"बहुत अधिक श्वेत" + +# कोई धोबी भी वैसा उज्जवल नहीं कर सकता था। + +कपड़ों पर से दाग हटाने और उन्हें उज्जवल बनाने के लिए एक रसायन काम में लिया जाता है। धोबी कपड़ों में से धाग को हटाता है। diff --git a/mrk/09/04.md b/mrk/09/04.md new file mode 100644 index 0000000..57b3b97 --- /dev/null +++ b/mrk/09/04.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# बहुत डर गए + +"अत्यधिक भयभीत हो गए" diff --git a/mrk/09/07.md b/mrk/09/07.md new file mode 100644 index 0000000..d5897c6 --- /dev/null +++ b/mrk/09/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को अपने साथ एक ऊँचे पहाड़ पर ले गया जहाँ यीशु के वस्त्र उज्जवल हो गए थे। diff --git a/mrk/09/09.md b/mrk/09/09.md new file mode 100644 index 0000000..60422a8 --- /dev/null +++ b/mrk/09/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को एक ऊँचे पहाड़ पर ले गया जहाँ वह मूसा और एलिय्याह के साथ उज्जवल वस्त्रों में दिखाई देने लगा था। + +# उन्होंने इस बात को स्मरण रखा + +उन्होंने इस घटना की चर्चा किसी से नहीं की, जिन्होंने इसे देखा नहीं था। + +# मरे हुओं में से जी उठने + +"मरकर जी उठने तक" diff --git a/mrk/09/11.md b/mrk/09/11.md new file mode 100644 index 0000000..278abb4 --- /dev/null +++ b/mrk/09/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को एक ऊँचे पहाड़ पर ले गया जहाँ यीशु मूसा और एलिय्याह के साथ उज्जवल वस्त्रों में दिखाई देने लगा था। + +# एलिय्याह सचमुच... तुच्छ गिना जाएगा + +भविष्यद्वाणी थी कि एलिय्याह फिर से स्वर्ग से उतरेगा तब मसीह, मनुष्य का पुत्र, राज करने आएगा। अन्य भविष्यद्वाणियां भी थी कि मनुष्य का पुत्र बहुत दुःख उठाएगा और तुच्छ गिना जाएगा। शिष्य विमूढ़ थे कि ये दोनों बातें कैसे होंगी। + +# एलिय्याह तो आ चुका है। + +भविष्यद्वाणी में प्रायः दो पूर्तियां होती हैं। diff --git a/mrk/09/14.md b/mrk/09/14.md new file mode 100644 index 0000000..cf4698a --- /dev/null +++ b/mrk/09/14.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को एक ऊँचे पहाड़ पर ले गया जहाँ यीशु मूसा और एलिय्याह के साथ उज्जवल वस्त्रों में दिखाई देने लगा था। + +# विवाद + +"तर्क-वितर्क", या "झगड़ा" या "पूछताछ करना" diff --git a/mrk/09/17.md b/mrk/09/17.md new file mode 100644 index 0000000..b184e4b --- /dev/null +++ b/mrk/09/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु वहां पहुंचता है जहां उसके अन्य शिष्य विधि शास्त्रियों के साथ विवाद में उलझे हुए थे। + +# इस दुष्टात्मा को निकाल दे + +"मेरे पुत्र से इस दुष्टात्मा को निकाल दे", या "इस दुष्टात्मा को बाहर कर दे"। + +# मैं तब तक तुम्हारी सहूंगा? + +"सहन करूंगा" या "तुम्हारे साथ निर्वाह करूंगा"। diff --git a/mrk/09/20.md b/mrk/09/20.md new file mode 100644 index 0000000..30edac8 --- /dev/null +++ b/mrk/09/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +उस बालक का पिता यीशु से कहता है कि उसके शिष्य उसके पुत्र को चंगा नहीं कर पाए। + +# तरस खाकर + +"दया कर" या "कृपा कर" diff --git a/mrk/09/23.md b/mrk/09/23.md new file mode 100644 index 0000000..3a3b086 --- /dev/null +++ b/mrk/09/23.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यीशु ने उससे कहा, "यदि तू कर सकता है।" + +यीशु उस मनुष्य के सन्देह की भर्त्सना कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, "यीशु ने उससे कहा", तू क्यों कहता है, यदि तू कर सकता है?...विश्वास करने वाले के लिए सब कुछ हो सकता है" या "यीशु ने उससे कहा", तुझे ऐसा नहीं कहना था, यदि तू कर सकता है?.... सब कुछ संभव है।" diff --git a/mrk/09/26.md b/mrk/09/26.md new file mode 100644 index 0000000..4bb9d88 --- /dev/null +++ b/mrk/09/26.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु ने उस बालक में से अभी-अभी दुष्टात्मा को निकाला है। + +# बालक मरा हुआ सा हो गया। + +"वह बालक मृतक सा प्रतीत होने लगा" या "वह बालक मरा हुआ सा हो गया"। diff --git a/mrk/09/28.md b/mrk/09/28.md new file mode 100644 index 0000000..0988ea6 --- /dev/null +++ b/mrk/09/28.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु ने उस दुष्टात्माग्रस्त बालक को चंगा किया जिसे उसके शिष्य चंगा न कर पाये थे। diff --git a/mrk/09/30.md b/mrk/09/30.md new file mode 100644 index 0000000..3470a7f --- /dev/null +++ b/mrk/09/30.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +उस दुष्टात्माग्रस्त बालक को चंगा करने के बाद यीशु और उसके शिष्य उस स्थान से कूच करते हैं। + +# होकर जा रहे थे + +"निकल रहे थे" या "आगे जा रहे थे" + +# तीन दिन से + +"3 दिन से" diff --git a/mrk/09/33.md b/mrk/09/33.md new file mode 100644 index 0000000..9b3583d --- /dev/null +++ b/mrk/09/33.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु और उसके शिष्य गलील से निकल आये कि वह उन्हें जनसमूह की अनुपस्थिति में शिक्षा दे पायें। diff --git a/mrk/09/38.md b/mrk/09/38.md new file mode 100644 index 0000000..0891db8 --- /dev/null +++ b/mrk/09/38.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु न अपने शिष्यों को शिक्षा दी कि वे स्वयं को उसमें विश्वास करने वाले बालकों से अधिक न समझें। + +# दुष्टात्माओं को निकालते देखा + +"दुष्टात्माओं को बहिष्कृत करते देखा है।" diff --git a/mrk/09/42.md b/mrk/09/42.md new file mode 100644 index 0000000..5e52da8 --- /dev/null +++ b/mrk/09/42.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# चक्की का पाट + +अन्न का आटा पीसने वाली चक्की + +# आग नहीं बुझती + +"आग बुझाई नहीं जा सकती" + +# 9:44 + +कुछ प्राचीन लेखों में यह पद है परन्तु कुछ में नहीं है। diff --git a/mrk/09/45.md b/mrk/09/45.md new file mode 100644 index 0000000..e13c8ed --- /dev/null +++ b/mrk/09/45.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# नरक में डाला जाये + +"परमेश्वर तुझे नरक में डाले"। + +# 9:46 + +कुछ प्राचीन लेखों में यह पद है परन्तु कुछ में नहीं है। diff --git a/mrk/09/47.md b/mrk/09/47.md new file mode 100644 index 0000000..d791675 --- /dev/null +++ b/mrk/09/47.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जहां उनका कीड़ा नहीं मरता + +"उनकी मृतक देह को खाने वाले कीड़े" diff --git a/mrk/10/01.md b/mrk/10/01.md new file mode 100644 index 0000000..b57598f --- /dev/null +++ b/mrk/10/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु और उसके शिष्यों ने कफरनहूम से कूच किया। diff --git a/mrk/10/05.md b/mrk/10/05.md new file mode 100644 index 0000000..bef38ae --- /dev/null +++ b/mrk/10/05.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तुम्हारे मन की कठोरता के कारण + +"तुम्हारे हठ के कारण" diff --git a/mrk/10/07.md b/mrk/10/07.md new file mode 100644 index 0000000..6dc2559 --- /dev/null +++ b/mrk/10/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वे अब दो नहीं पर एक तन होंगे। + +यह रूपक पति-पत्नी की शारीरिक एकता को व्यक्त करता है। diff --git a/mrk/10/17.md b/mrk/10/17.md new file mode 100644 index 0000000..26c6215 --- /dev/null +++ b/mrk/10/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? + +वैकल्पिक अनुवाद, "तेरे कहने का अभिप्राय क्या है उस पर ध्यान दे (या तेरे कहने का अभिप्राय है कि मैं परमेश्वर हूं), मुझे उत्तम कह रहा है, उत्तम तो केवल परमेश्वर ही है।" देखें: diff --git a/mrk/10/23.md b/mrk/10/23.md new file mode 100644 index 0000000..484adb0 --- /dev/null +++ b/mrk/10/23.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है! + +ऊंट का सूई के छिद्र में से निकल जाना असंभव होता है। धनवानों के लिए अपने जीवन को परमेश्वर के अधीन रखना उतना ही कठिन है। + +# सूई के नाके + +"सूई के नाके" अर्थात सूई के छिद्र। diff --git a/mrk/10/26.md b/mrk/10/26.md new file mode 100644 index 0000000..8272467 --- /dev/null +++ b/mrk/10/26.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तो फिर किसका उद्धार हो सकता है? + +"तब तो किसी का भी उद्धार नहीं हो सकता"! diff --git a/mrk/10/29.md b/mrk/10/29.md new file mode 100644 index 0000000..314ba7e --- /dev/null +++ b/mrk/10/29.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# ऐसा कोई नहीं जिसने....छोड़ दिया हो...न पाए। + +"जिसने भी छोड़ दिया है....वह पाएगा"। + +# मेरे....लिए + +"मेरे लाभ के लिए" या "मेरे कारण" + +# घर या भाइयों या बहिनों या माता या पिता या बाल-बच्चों या खेतों को + +"इस जीवन को" या "इस वर्तमान युग को" + +# परलोक + +"आने वाले जीवन" या "आने वाले युग" diff --git a/mrk/10/32.md b/mrk/10/32.md new file mode 100644 index 0000000..896fe53 --- /dev/null +++ b/mrk/10/32.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मनुष्य का पुत्र....पकड़वाया जायेगा + +"लोग मनुष्य के पुत्र को पकड़वायेंगे" या "लोग मनुष्य के पुत्र को....हाथों में दे देंगे"। diff --git a/mrk/10/39.md b/mrk/10/39.md new file mode 100644 index 0000000..970176f --- /dev/null +++ b/mrk/10/39.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +याकूब और यूहन्ना ने यीशु से निवेदन किया कि जब वह पृथ्वी पर राज करे तब क्या वे उसे दाहिने बाएं बैठाएं जाएगे। + +# जो कटोरा मैं पीने पर हूं। + +यीशु इस वाक्यांश में अपनी आने वाली पीड़ा का संदर्भ दे रहा है। + +# जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूँ + +यीशु इस वाक्यांश में अपनी आने वाली पीड़ा का संदर्भ दे रहा है। diff --git a/mrk/10/41.md b/mrk/10/41.md new file mode 100644 index 0000000..87247c9 --- /dev/null +++ b/mrk/10/41.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हाकिम समझे जाते हैं + +"वे जो शासक माने जाते हैं" + +# प्रभुता करते हैं + +"अधीन रखते हैं" या "उन पर अधिकार होता है" + +# अधिकार जताते हैं। + +"अधिकार का उपयोग करते हैं" diff --git a/mrk/10/43.md b/mrk/10/43.md new file mode 100644 index 0000000..0914f83 --- /dev/null +++ b/mrk/10/43.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# बड़ा होना चाहे + +"सम्मान पाना चाहे" या "प्रशंसा पाना चाहे" + +# जो कोई + +कोई भी + +# क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिए नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए। + +"क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिए नहीं आया कि लोगों से अपनी सेवा करवाए।" diff --git a/mrk/10/46.md b/mrk/10/46.md new file mode 100644 index 0000000..e087f59 --- /dev/null +++ b/mrk/10/46.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु और उसके शिष्य यरूशलेम की ओर अग्रसर है। + +# बरतिमाई + +एक व्यक्ति का नाम + +# तिमाई + +उस अन्धे भिखारी का नाम diff --git a/mrk/10/49.md b/mrk/10/49.md new file mode 100644 index 0000000..ce19534 --- /dev/null +++ b/mrk/10/49.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु और उसके शिष्य यरूशलेम की ओर अग्रसर हैं और यरीहो के बाहर एक अंधा व्यक्ति यीशु को पुकारता है। + +# उसे बुलाओ + +"उसे बुलाने के लिए लोगों से कहा" + +# ढाढ़स बाँध + +"डर मत" diff --git a/mrk/10/51.md b/mrk/10/51.md new file mode 100644 index 0000000..8f2d0c6 --- /dev/null +++ b/mrk/10/51.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु और उसके शिष्य यरूशलेम के लिए अग्रसर हैं। + +# मैं देखने लगूं + +"देखने की क्षमता प्राप्त करूं" + +# तुरन्त देखने लगा + +"तत्काल" या "अविलम्ब" diff --git a/mrk/11/01.md b/mrk/11/01.md new file mode 100644 index 0000000..fb9281d --- /dev/null +++ b/mrk/11/01.md @@ -0,0 +1 @@ +यीशु और उसके शिष्य यरूशलेम के लिए अग्रसर हैं। diff --git a/mrk/11/17.md b/mrk/11/17.md new file mode 100644 index 0000000..7d6de47 --- /dev/null +++ b/mrk/11/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# "क्या यह नहीं लिखा है कि मेरा घर सब जातियों के लिए प्रार्थना का घर कहलाएगा?" + +"धर्मशास्त्र में लिखा है कि परमेश्वर ने कहा, "मैं चाहता हूँ कि मेरा घर वह स्थान कहलाए जहाँ सब जातियों के लोग प्रार्थना करने आ सकें, "परन्तु तुम डाकुओं ने इसे एक ऐसी गुफा बना दिया जहाँ तुम छिप सकते हो! तुम जानते ही हो।" (: ) diff --git a/mrk/11/20.md b/mrk/11/20.md new file mode 100644 index 0000000..4588879 --- /dev/null +++ b/mrk/11/20.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उस अंजीर के पेड़ को जड़ तक सूखा हुआ देखा। + +वैकल्पिक अनुवाद, "वह अंजीर का पेड़ जड़ तक सूख कर नष्ट हो गया था।" diff --git a/mrk/11/27.md b/mrk/11/27.md new file mode 100644 index 0000000..17cd990 --- /dev/null +++ b/mrk/11/27.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तू ये काम किस अधिकार से करता है? + +"ये काम" अर्थात यीशु द्वारा विक्रेताओं की चौकियां उलटना और उनके द्वारा सिखाई गई और की गई बातों के विरुद्ध बोलेगा। + +# तू ये काम किस अधिकार से करता है? और यह अधिकार तुझे किसने दिया है कि तू ये काम करे। + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुझे इसका अधिकार नहीं है क्योंकि हमने तुझे यह अधिकार नहीं दिया है।" diff --git a/mrk/11/29.md b/mrk/11/29.md new file mode 100644 index 0000000..f80987e --- /dev/null +++ b/mrk/11/29.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यूहन्ना का बपतिस्मा क्या स्वर्ग की ओर से था या मनुष्यों की ओर से था? + +यद्यपि यीशु इस प्रश्न का उत्तर जानता था परन्तु वह धर्म-गुरुओं द्वारा उससे प्रश्न करने के तर्क को परखना चाहता था। diff --git a/mrk/12/01.md b/mrk/12/01.md new file mode 100644 index 0000000..2d2653e --- /dev/null +++ b/mrk/12/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# किसानों को उसका ठेका देकर + +उस स्वामी ने दाख को संभालने के लिए लोगों का प्रबन्ध किया। diff --git a/mrk/12/08.md b/mrk/12/08.md new file mode 100644 index 0000000..e4fa111 --- /dev/null +++ b/mrk/12/08.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# इसलिए दाख की बारी का स्वामी क्या करेगा? + +वैकल्पिक अनुवाद, "इसलिए मैं तुम्हें बताता हूँ कि दाख की बारी का स्वामी क्या करेगा..." diff --git a/mrk/12/10.md b/mrk/12/10.md new file mode 100644 index 0000000..87c1cce --- /dev/null +++ b/mrk/12/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या तुमने पवित्र-शास्त्र में यह वचन नहीं पढ़ा? + +वैकल्पिक अनुवाद, "अब इन शब्दों पर सावधानी-पूर्वक ध्यान दो, जिन्हें तुमने धर्मशास्त्र में पढ़ा है।" diff --git a/mrk/12/13.md b/mrk/12/13.md new file mode 100644 index 0000000..779465e --- /dev/null +++ b/mrk/12/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तुम मुझे क्यों परखते हो? + +"मैं जानता हूँ कि तुम मेरे मुंह से कुछ गलत निकलवाने का प्रयास कर रहे हो कि मुझ पर दोष लगा पाओ।" + +# दीनार + +दिन भर की मजदूरी में मिलने वाला सिक्का। diff --git a/mrk/12/20.md b/mrk/12/20.md new file mode 100644 index 0000000..990bd77 --- /dev/null +++ b/mrk/12/20.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जी उठने पर वह किसकी पत्नी होगी? + +वैकल्पिक अनुवाद "पुनरूत्थान के समय जब वे फिर जी उठेंगे तब उसका सातों भाइयों की पत्नी होना संभव नहीं।" diff --git a/mrk/12/24.md b/mrk/12/24.md new file mode 100644 index 0000000..fe2b1f3 --- /dev/null +++ b/mrk/12/24.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# क्या तुम इस कारण भूल में नहीं पड़े हो....परमेश्वर की सामर्थ्य को? + +वैकल्पिक अनुवाद "तुम भ्रमित हो क्योंकि....परमेश्वर का सामर्थ्य" diff --git a/mrk/12/26.md b/mrk/12/26.md new file mode 100644 index 0000000..489e1c0 --- /dev/null +++ b/mrk/12/26.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मरे हुओं के जी उठने + +"परमेश्वर उन्हें जीवित करेगा" diff --git a/mrk/12/35.md b/mrk/12/35.md new file mode 100644 index 0000000..d4e333b --- /dev/null +++ b/mrk/12/35.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# शास्त्री कैसे कहते हैं कि मसीह दाऊद का पुत्र है? + +वैकल्पिक अनुवाद, "यहूदी व्यवस्था के ये शिक्षक यीशु को मात्र दाऊद का वंशज कहते हैं तो वे गलती करते हैं।" + +# दाऊद की सन्तान। + +"पुत्र" शब्द यहां वंश के संदर्भ में काम में लिया गया है। + +# फिर वह उसका पुत्र कहां से ठहरा? + +वैकल्पिक अनुवाद, "तो वह दाऊद का पुत्र नहीं हो सकता!" diff --git a/mrk/12/41.md b/mrk/12/41.md new file mode 100644 index 0000000..067c9fb --- /dev/null +++ b/mrk/12/41.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दो दमड़ियां + +"सबसे कम मूल्य के दो सिक्के"-मुद्रा में सबसे कम मूल्य के दो सिक्के diff --git a/mrk/12/43.md b/mrk/12/43.md new file mode 100644 index 0000000..52fc942 --- /dev/null +++ b/mrk/12/43.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# "मैं तुम से सच कहता हूं।" + +देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। + +# दान पात्र + +यह मन्दिर का एक दान पात्र था जो सबके लिए था। + +# धन की बढ़ती में से + +बहुतायात में से + +# दरिद्रता में से + +"कमी" या "दरिद्रता में से" diff --git a/mrk/13/01.md b/mrk/13/01.md new file mode 100644 index 0000000..8f99162 --- /dev/null +++ b/mrk/13/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# कैसे भव्य भवन? + +वैकल्पिक अनुवाद, "तू देख सकता है कि यह कैसे विशाल भवन हैं।" diff --git a/mrk/13/07.md b/mrk/13/07.md new file mode 100644 index 0000000..0c47788 --- /dev/null +++ b/mrk/13/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# चर्चा + +"झूठा समाचार" या "इधर-उधर की बात" diff --git a/mrk/13/14.md b/mrk/13/14.md new file mode 100644 index 0000000..ddd936c --- /dev/null +++ b/mrk/13/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उजाड़ने वाली की घृणित वस्तु + +"घृणित मूर्ति पूजा" या "दुष्टता की निरर्थकता" diff --git a/mrk/13/24.md b/mrk/13/24.md new file mode 100644 index 0000000..0a64e10 --- /dev/null +++ b/mrk/13/24.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सूरज अन्धेरा हो जायेगा + +"परमेश्वर सूर्य को अंधकारपूर्ण कर देगा" + +# आकाश की शक्तियां हिलाई जायेंगी + +"परमेश्वर आकाश की शक्तियों को हिला देगा" diff --git a/mrk/13/30.md b/mrk/13/30.md new file mode 100644 index 0000000..233f2a8 --- /dev/null +++ b/mrk/13/30.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मैं तुमसे सच कहता हूं। + +यीशु बल देकर कह रहा है कि वह उन्हें जो भी शिक्षा दे रहा है, वह वास्तव में होकर रहेंगी, ठीक वैसे ही जैसा उसने वर्णन किया है। + +# टल जायेंगे + +"समाप्त हो जायेंगे" diff --git a/mrk/13/35.md b/mrk/13/35.md new file mode 100644 index 0000000..05b16db --- /dev/null +++ b/mrk/13/35.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मुर्गे + +सामान्यतः भोर के समय सबसे पहले बोलने वाली चिड़िया + +# बांग देने के समय + +"बोलने के समय" "या" diff --git a/mrk/14/03.md b/mrk/14/03.md new file mode 100644 index 0000000..e526d96 --- /dev/null +++ b/mrk/14/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# शमौन कोढ़ी + +इस व्यक्ति को पहले कोढ़ था परन्तु अब वह स्वस्थ था। + +# संगमरमर + +यह एक नर्म "सफेद पत्थर" होता है। + +# इस इत्र का क्यों सत्यानाश किया गया? + +वैकल्पिक अनुवाद, "ऐसा बहुमूल्य इत्र को व्यर्थ गंवाने में तर्क की कोई बात नहीं है।" + +# इस इत्र को...बेचा जा सकता था। + +"हम इस इत्र को बेच सकते थे" या "वह इसे बेच सकती थी" diff --git a/mrk/14/06.md b/mrk/14/06.md new file mode 100644 index 0000000..fc3b8da --- /dev/null +++ b/mrk/14/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसे क्यों सताते हो? + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुम्हें उसे दुःख नहीं देना है।" diff --git a/mrk/14/10.md b/mrk/14/10.md new file mode 100644 index 0000000..185bbc8 --- /dev/null +++ b/mrk/14/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यहूदा इस्करियोती + +देखें आपने इसका अनुवाद कैसे किया है। diff --git a/mrk/14/17.md b/mrk/14/17.md new file mode 100644 index 0000000..2ebd735 --- /dev/null +++ b/mrk/14/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जब वे बैठे भोजन कर रहे थे। + +उनकी प्रथा में भोजन तख्त नीचे होते थे और अतिथियों के लिए भोजन करने हेतु आधा लेटने की स्थिति में गद्दियाँ रखी होती थी। + +# एक एक करके + +अर्थात् प्रत्येक शिष्य ने एक के बाद एक उससे पूछा + +# क्या वह मैं हूँ? + +"निश्चय ही वह मैं तो नहीं जो तुझे पकड़वाने में तेरे बैरियों की सहायता करेगा!" (देखें: और ) diff --git a/mrk/14/26.md b/mrk/14/26.md new file mode 100644 index 0000000..11daf27 --- /dev/null +++ b/mrk/14/26.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# भजन गाकर + +भजन भी एक गीत ही होता है। ऐसे समय पर भजन संहिता में से एक भजन गाना उनकी परम्परा थी। diff --git a/mrk/14/35.md b/mrk/14/35.md new file mode 100644 index 0000000..839bfa1 --- /dev/null +++ b/mrk/14/35.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +जैतून पर्वत पर गतसमनी की वाटिका में यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को सतर्क रहकर प्रार्थना के लिए छोड़ देता है। + +# हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए। + +"उसे जिस कष्ट का अनुभव हो रहा था उसे सहन करने की शक्ति उसे मिले।" + +# हे अब्बा + +"अब्बा" एक यूनानी शब्द है जिसका उपयोग बच्चे अपने पिता के लिए करते थे। यह घनिष्ठ सम्बन्ध को दर्शाता है। क्योंकि पिता ही को संबोधित करता है, इस यूनानी शब्द का ही उपयोग करना महत्वपूर्ण है, "अब्बा" + +# इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले। + +कटोरा परमेश्वर के प्रकोप का संदर्भ देता है जिसे यीशु को सहन करना है। diff --git a/mrk/14/37.md b/mrk/14/37.md new file mode 100644 index 0000000..af04401 --- /dev/null +++ b/mrk/14/37.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +यीशु यहूदा को छोड़ अपने सब शिष्यों के साथ गतसमनी की वाटिका ही में है। + +# उन्हें सोते पाकर + +"पतरस, याकूब और यूहन्ना को उसने सोते पाया।" + +# हे शमौन तू सो रहा है? + +"शमौन, मैंने तुम्हें जागते रहने को कहा और तू सो रहा है" + +# तू एक घड़ी भी न जाग सका + +"तू सजग न रह पाया।" + +# आत्मा तो तैयार है पर शरीर दुर्बल है। + +"तुम्हारा शरीर तुम्हारे मन के अनुसार नहीं चल सकता है।" + +# शरीर + +"देह" diff --git a/mrk/14/40.md b/mrk/14/40.md new file mode 100644 index 0000000..a415009 --- /dev/null +++ b/mrk/14/40.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु यहूदा को छोड़ अपने सब शिष्यों के साथ गतसमनी की वाटिका ही में है। + +# सोते पाया + +उन्हें देखा कि वे सो रहे हैं "पतरस, यूहन्ना और याकूब को सोते पाया।" + +# अब सोते रहो और विश्राम करो। + +वैकल्पिक अनुवाद, "तुम अब भी सो रहे हो! विश्राम कर रहे हो।" diff --git a/mrk/14/43.md b/mrk/14/43.md new file mode 100644 index 0000000..adc0959 --- /dev/null +++ b/mrk/14/43.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु यहूदा को छोड़ अन्य सब शिष्यों के साथ गतसमनी में है। + +# उस पर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया। + +"बन्दी बना लिया" diff --git a/mrk/14/47.md b/mrk/14/47.md new file mode 100644 index 0000000..5ba4b2a --- /dev/null +++ b/mrk/14/47.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +महायाजक को, शास्त्रियों और फरीसियों द्वारा भेजी गई भीड़ ने यीशु को गतसमनी में पकड़ लिया है। + +# क्या तुम डाकू जानकर मुझे पकड़ने के लिए तलवारें और लाठियां लेकर निकले हो? + +"तुम मुझे पकड़ने के लिए तलवारें और लाठियां लेकर आए हो जैसे कि किसी डाकू को पकड़ने आए हो।" diff --git a/mrk/14/51.md b/mrk/14/51.md new file mode 100644 index 0000000..e22e854 --- /dev/null +++ b/mrk/14/51.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +महायाजकों, शास्त्रियों और पुरनियों द्वारा भेजे गए दल ने यीशु को बन्दी बना लिया है। + +# चादर + +सन की चादर diff --git a/mrk/14/55.md b/mrk/14/55.md new file mode 100644 index 0000000..ed73984 --- /dev/null +++ b/mrk/14/55.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +महायाजकों, शास्त्रियों और पुरनियों द्वारा भेजे गए दल ने यीशु को बन्दी बना लिया है। diff --git a/mrk/14/57.md b/mrk/14/57.md new file mode 100644 index 0000000..4789211 --- /dev/null +++ b/mrk/14/57.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +यीशु बन्दी बनाकर यहूदी महायाजक के समक्ष उपस्थित किया गया। + +# हमने इसे यह कहते सुना है। + +"हम" अर्थात वे जो यीशु के विरुद्ध झूठी गवाही दे रहे थे diff --git a/mrk/14/60.md b/mrk/14/60.md new file mode 100644 index 0000000..0d84ace --- /dev/null +++ b/mrk/14/60.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु को बन्दी बनाकर महायाजक के समक्ष लाया गया है। + +# बीच में खड़े होकर + +"महायाजकों, शास्त्रियों और पुरनियों के मध्य खड़े होकर" + +# मैं हूं + +पुराने नियम में परमेश्वर स्वयं को यही कहता था। diff --git a/mrk/14/63.md b/mrk/14/63.md new file mode 100644 index 0000000..7d8bb77 --- /dev/null +++ b/mrk/14/63.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यीशु को बन्दी बनाकर महायाजक के समक्ष लाया गया है। + +# महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़कर कहा + +यीशु की बात सुनकर क्रोधित होने का संकेत- निन्दा समझा। + +# सबने कहा कि वह वध के योग्य है। + +"महासभा के सब सदस्यों ने यीशु को दोषी ठहराया।" diff --git a/mrk/14/66.md b/mrk/14/66.md new file mode 100644 index 0000000..c6bf6f4 --- /dev/null +++ b/mrk/14/66.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यीशु को बन्दी बनाकर महायाजक के समक्ष लाया गया है। diff --git a/mrk/14/69.md b/mrk/14/69.md new file mode 100644 index 0000000..9fe0a68 --- /dev/null +++ b/mrk/14/69.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +अब तक पतरस एक बार यीशु का इन्कार कर चुका है। + +# उनमें से एक है + +"शिष्यों में से एक" diff --git a/mrk/14/71.md b/mrk/14/71.md new file mode 100644 index 0000000..b1bb885 --- /dev/null +++ b/mrk/14/71.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +आग में ताप रहे लोगों ने पतरस को देखकर कहा कि वह भी पतरस यीशु के साथ था। + +# रोने लगा + +रोने का अर्थ है कि वह शोकातुर या "पूर्णतः सदमें में था" diff --git a/mrk/14/80.md b/mrk/14/80.md new file mode 100644 index 0000000..fc6964f --- /dev/null +++ b/mrk/14/80.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मैं तुमसे सच कहता हूं। + +देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। + +# मुझसे मुकर जाएगा + +"कहेगा कि मुझे नहीं जानता" diff --git a/mrk/15/01.md b/mrk/15/01.md new file mode 100644 index 0000000..dbee71d --- /dev/null +++ b/mrk/15/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तू आप ही कह रहा है। + +"तू ने तो स्वयं ही कह दिया है" diff --git a/mrk/15/09.md b/mrk/15/09.md new file mode 100644 index 0000000..2f46121 --- /dev/null +++ b/mrk/15/09.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# छोड़ दूँ? + +"मुक्त कर दूँ" या "क्षमा कर दूँ" या "जाने दूँ" diff --git a/mrk/15/16.md b/mrk/15/16.md new file mode 100644 index 0000000..f4dd0ec --- /dev/null +++ b/mrk/15/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# किले + +सैनिकों के ठहरने का स्थान + +# पलटन + +"बहुत से सैनिक" या "अनेक सैनिक" + +# उन्होंने उसे बैंजनी वस्त्र पहनाया। + +यह ठट्ठा करने का एक स्वांग था। बैंजनी वस्त्र राजसी वस्त्र था और यीशु को पहनाने का अभिप्राय था, उसका उपहास करना कि वह "यहूदियों का राजा है।" + +# और यह कहकर उसे नमस्कार करने लगे, "हे यहूदियों के राजा नमस्कार!" + +सैनिक यीशु का ठट्ठा कर रहे थे क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह यहूदियों का राजा है diff --git a/mrk/15/25.md b/mrk/15/25.md new file mode 100644 index 0000000..57a32e7 --- /dev/null +++ b/mrk/15/25.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# डाकू + +"हथियार-बन्द चोर" diff --git a/mrk/15/36.md b/mrk/15/36.md new file mode 100644 index 0000000..530d87e --- /dev/null +++ b/mrk/15/36.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# खट्टा दाखरस + +सिरका + +# मन्दिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया था। + +परमेश्वर ने मन्दिर के पर्दे को दो भाग कर दिया। diff --git a/mrk/15/39.md b/mrk/15/39.md new file mode 100644 index 0000000..b6ac5f0 --- /dev/null +++ b/mrk/15/39.md @@ -0,0 +1 @@ +# सलोमी diff --git a/mrk/15/45.md b/mrk/15/45.md new file mode 100644 index 0000000..7d5ee4f --- /dev/null +++ b/mrk/15/45.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# एक कब्र जो चट्टानों में खोदी गई थी + +"किसी ने एक कब्र को खोदा हुआ था।" + +# चादर + +मलमल का कपड़ा (देखें इसका अनुवाद 14:51-52 में कैसे किया है) + +# वह कहाँ रखा गया है + +यूसुफ और उसके साथ जो थे उन्होंने यीशु के शव को कहाँ रखा था। diff --git a/mrk/16/05.md b/mrk/16/05.md new file mode 100644 index 0000000..dcb758d --- /dev/null +++ b/mrk/16/05.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# वह जी उठा है + +"वह जी उठा है" या "परमेश्वर ने उसे मृतकों में से जीवित कर दिया है" या "वह स्वयं जी उठा है" diff --git a/mrk/16/09.md b/mrk/16/09.md new file mode 100644 index 0000000..ff8bf75 --- /dev/null +++ b/mrk/16/09.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सप्ताह के पहले दिन + +"रविवार को" diff --git a/phm/01/01.md b/phm/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..67c6c6e --- /dev/null +++ b/phm/01/01.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# x + +यह पत्र पौलुस ने फिलेमोन नामक एक विश्वासी को लिखा था। + +# मसीह यीशु का कैदी है और हमारे भाई तीमुथियुस की ओर से हमारे प्रिय सहकर्मी फिलेमोन को। + +आपकी भाषा में पत्र के लेखक का परिचय देने को अपनी विशिष्ट विधि होगी इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मसीह यीशु का कैदी पौलुस और भाई तीमुथियुस, हमारे प्रिय सहकर्मी फिलेमोन को यह पत्र लिखते हैं।” + +# मसीह यीशु का कैदी + +“जो मसीह यीशु की शिक्षाओं के प्रसारण के कारण आज कारागार में है”। जिन लोगों के मन में प्रभु यीशु के लिए स्थान नहीं था उन्होंने पौलुस को दण्ड देने के लिए कारागार में डाल दिया था। + +# हमारे प्रिय भाई + +“हमारा प्रिय विश्वासी भाई” या “हमारा आत्मिक भाई जिससे हम प्रेम करते हैं” + +# और सहकर्मी + +“जो हमारे जैसे सुसमाचार को बढ़ाने वाली है” + +# बहन अफिया + +“अफिया हमारी सहकर्मी” या “ अफिया हमारी आत्मिक बहन” + +# अरखिप्पुस + +एक विश्वासी भाई का नाम है + +# साथी योद्धा + +यहां “योद्धा” एक रूपक है जो शुभ सन्देश प्रसारण में परिश्रम करनेवाले का द्योतक है। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “आत्मिक युद्ध में हमारा सहयोद्धा” या “जो हमारे साथ आत्मिकता में सहभागी है।” + +# फिलेमोन के घर की कलीसिया + +“तुम्हारे आवास में आराधना हेतु एकत्र होने वाले विश्वासियों के नाम”। (यू.डी.बी.) + +# तुम्हारा घर + +यह फिलेमोन के घर के संदर्भ में है + +# हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह और शान्ति तुम्हें मिलती रहे। + +“हमारा पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह तुम्हें अनुग्रह और शान्ति प्रदान करे”। यह आशीर्वाद है यहां “तुम” शब्द बहुवचन में है और पद 1 और 2 में पौलुस ने जितने विश्वासियों के नाम लिए हैं सबके संदर्भ में है। diff --git a/phm/01/04.md b/phm/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..3bbfd01 --- /dev/null +++ b/phm/01/04.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# मैं सदा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं और अपनी प्रार्थनाओं में भी तुम्हें स्मरण करता हूं। + +“अपनी प्रार्थनाओं में में सदैव तेरे लिए परमेश्वर को धन्यवाद देता हूं”। (यू.डी.बी.) + +# मैं + +यह पत्र पौलुस ने लिखा था। “मैं” और अपने इस पत्र में पौलुस के लिए है। + +# तुझे + +यहां और पत्र में अधिकांश स्थानों में तू शब्द फिलेमोन के लिए काम में लिया गया है। + +# विश्वास में तेरा सहयोगी होना.... मसीह के लिए प्रभावशाली हो। + +“कि हमारे जैसा तेरा मसीही विश्वास तुझे भलाई की पहचान के योग्य बनायेगा”। + +# विश्वास में तेरा सहभागी होना + +“क्योंकि तू मसीह में वैसा ही विश्वास करता है जैसा हम करते हैं।”(यू.डी.बी) + +# प्रभु यीशु पर है। + +इसका संभावित अर्थ है, “जो मसीह के कारण हममें हैं। + +# तेरे द्वारा पवित्र लोगों के मन हरे भरे हो गए हैं। + +“ह्रदय” शब्द विश्वासियों के साहस का प्रतीक है। “हरे भरे हो गए हैं यह कर्मवाच्य वाक्य है। इसका अनुवाद कतृवाच्य में भी किया जा सकता है” तूने विश्वासियों को ढांढ़स बंधा दिया है”। + +# हे भाई + +पौलुस फिलेमोन को भाई कहा है क्योंकि वे दोनों विश्वासी थे। वह अपनी मित्रता पर भी बल दे रहा है। इसका अनुवाद ऐसे भी हो सकता है, “प्रिय भाई” या “प्रिय मित्र” diff --git a/phm/01/08.md b/phm/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..3c9f8ec --- /dev/null +++ b/phm/01/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मसीह में बड़ा साहस + +इसके संभावित अर्थ हैं, “मसीह के कारण अधिकार” या “मसीह के कारण साहस”। इसका अनुवाद ऐसे भी हो सकता है, “मसीह का प्रेरित होने के कारण अधिकार” + +# प्रेम से विनती करूं + +“परन्तु प्रेम के कारण मैं तुझ से कहता हूं”। + +# प्रेम से + +संभावित अर्थ हैं, 1) “क्योंकि मैं जानता हूं कि तू परमेश्वर के लोगों से प्रेम करते हो” या (यू.डी.बी.) 2) “क्योंकि तू मुझसे प्रेम करता है” या 3) क्योंकि तुझसे प्रेम करता हूं”। + +# तौभी मुझ बूढ़े पौलुस को जो अब मसीह यीशु के लिए कैदी है। + +इन कारणों से फिलेमोन को पौलुस का निवेदन स्वीकार करना आवश्यक है। diff --git a/phm/01/10.md b/phm/01/10.md new file mode 100644 index 0000000..bda9817 --- /dev/null +++ b/phm/01/10.md @@ -0,0 +1,47 @@ +# उनेसिमुस + +यह एक पुरूष का नाम है। + +# अपने बच्चे उनेसिमुस + +पौलुस उनेसिमुस के साथ अपने घनिष्ठ सम्बन्ध की तुलना एक पिता-पुत्र के सम्बन्ध से करता है। + +# जन्मा है + +“जो मेरा पुत्र बन गया है” या “जो मेरे पुत्र जैसा हो गया है उनेसिमुस पौलुस के लिए पुत्र जैसा कैसे है इसको स्पष्ट किया जा सकता है” + +# मेरी कैद में + +अर्थात “जब मैं कारागार में हूं” उस समय कैदियों को अधिकतर जंजीरों से बांध कर रखा होता था। पौलुस अपने कारागार में ही उनेसिमुस को मसीही शिक्षा दे रहा था। इस पत्र को लिखते समय भी वह कारागार में था। + +# पहले... कुछ काम का नहीं + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “पहले तो वह किसी काम का नहीं था” + +# पर अब.... बड़े काम का है + +अनुवाद इस नाम का अनुवाद भी पद टिप्पणी में व्यक्त कर सकते हैं। “उपयोगी” या “लाभकारी” + +# तेरे पास लौटा दिया है + +“मैंने उनेसिमुस को तेरे पास पुनः भेज दिया है।। संभव है कि पौलुस उनेसिमुस से प्रस्थान के कुछ समय पहले ही यह पत्र लिख रहा है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है “मैं उसे तेरे पास फिर से भेज रहा हूं”(यू.डी.बी.) + +# जो मेरे हृदय का टुकड़ा है + +हृदय का टुकड़ा अर्थात अतिप्रिय। इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, “जिससे में बहुत अधिक प्रेम रखता हूं”। पौलुस उनेसिमुस के लिए ऐसा लिख रहा है। + +# उसे मैं अपने पास ही रखना चाहता था + +“मैं” तो उसे अपने पास ही रखना चाहता था” + +# कि वह तेरी ओर से.... मेरी सेवा करे + +“क्योंकि तू तो यहां नहीं है, वही मेरी सेवा करे” + +# इस कैद में + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जब कि मैं कारागार में हूं” या “क्योंकि मैं कारागार में हूं” + +# सुसमाचार के कारण + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “क्योंकि में शुभ सन्देश सुनाता हूं”। diff --git a/phm/01/14.md b/phm/01/14.md new file mode 100644 index 0000000..2c74306 --- /dev/null +++ b/phm/01/14.md @@ -0,0 +1,51 @@ +# मैंने तेरी इच्छा बिना कुछ भी करना न चाहा + +“परन्तु तेरी अनुमति बिना मैं उसे यहां रखना नहीं चाहता हूं” या “यदि तू अनुमति देता तो ही मैं उसे यहां रखता” + +# तेरी... तेरी + +पद 14-16 में ये सर्वनाम एकवचन में है और फिलेमोन के संदर्भ में है। + +# तेरा यह इन्कार दबाव से नहीं + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “कि तू वह करे जो सही है परन्तु बिना दबाव के” + +# आनन्द से हो + +“परन्त इसलिए कि तू चाहता है” या “परन्तु इसलिए कि तू उचित काम करने की अपनी इच्छा रखता है।” + +# तुझ से कुछ दिन तक के लिए इसी कारण अलग हुआ। + +इसका अनुवाद कतृवाच्य में भी किया जा सकता है, “परमेश्वर ने संभवतः उनेसिमुस को तुम से इसलिए अलग किया।” + +# क्या जाने + +“संभवतः” + +# कुछ समय तक + +“इस समय” + +# दास की तरह नहीं + +“दास से अधिक अच्छा” या “दास से अधिक महत्त्व का” + +# भाई के समान + +“प्रिय भाई” या “एक प्रिय भाई के स्वरूप” + +# भाई + +“मसीह में भाई” + +# तेरा भी प्रिय हो + +“और निश्चय ही तेरे लिए और भी अधिक” + +# शरीर में + +“मनुष्य के तुल्य” या “तेरे मानवीय सम्बन्ध में” इस मानवीय सम्बंध को अधिक स्पष्ट किया जा सकता है, “क्योंकि वह तेरा दास है” + +# प्रभु में भी + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “प्रभु में भाई स्वरूप” या “क्योंकि वह भी मसीह का है” diff --git a/phm/01/17.md b/phm/01/17.md new file mode 100644 index 0000000..691434f --- /dev/null +++ b/phm/01/17.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# यदि तू मुझे अपना सहभागी समझता है। + +“यदि तू मुझे मसीह के लिए सहकर्मी समझता है” + +# मेरे नाम पर लिख ले + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“मुझ से ले” या “मान ले कि मैं तेरा ऋणी हूं” + +# मैं पौलुस अपने हाथ से लिखता हूं” + +“मैं पौलुस, स्वयं लिख रहा हूं” पौलुस द्वारा इस उक्ति का अभिप्राय था कि फिलेमोन उसे सच माने और कि पौलुस वास्तव में क्षति की पूर्ति करेगा। + +# मैं आप भर दूंगा + +“उस पर तेरा जो भी ऋण है, मैं उसकी पूर्ति करूंगा” + +# उसके कहने की कुछ आवश्यकता नहीं + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मुझे आवश्यकता नहीं कि तुझे स्मरण कराऊ” या “तू स्वयं जानता है”। + +# मेरा कर्ज जो तुझ पर है वह तू ही है। + +“तू अपने जीवन के लिए मेरा ऋणी है”। फिलेमोन अपने जीवन के लिए पौलुस का ऋणी कैसे है, इसे स्पष्ट किया जा सकता है। “तू मेरा अत्यधिक ऋणी है क्येांकि मैंने तेरे जीवन को बचा लिया है” या “तू जीवन के लिए मेरा ऋणी है क्योंकि मैंने जो शिक्षा दी उससे तेरा जीवन नाश होने से बच गया”। पौलुस के कहने का अभिप्राय था कि फिलेमोन यह नहीं कह सकता कि पौलुस या उनेसिमुस उसके ऋणी हें क्योंकि उनेसिमुस फिलेमोन पौलुस का और भी अधिक ऋणी था + +# मसीह में मेरे जी को हरा भरा कर दे। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरा दिल खुश कर दे” या “मुझे प्रसन्न कर दे” या “मुझे शान्ति प्रदान कर दे” पौलुस कैसे चाहता था कि फिलेमोन यह करे तो उसे स्पष्ट करें कि कैसे। “उनेसिमुस को दया करके ग्रहण करके मेरा मन हर्षित कर दे”। diff --git a/phm/01/21.md b/phm/01/21.md new file mode 100644 index 0000000..c227663 --- /dev/null +++ b/phm/01/21.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# मैं तेरे आज्ञाकारी होने का भरोसा रखकर + +“क्योंकि मुझे पूरा भरोसा है कि तू मेरी बात मानेगा” + +# मेरे आज्ञाकारी होने....तुझे लिखता हूं... तू.... करेगा + +पौलुस फिलेमोन को लिख रहा है। + +# मैं जानता हूं + +“मुझे विश्वास है” + +# जो कुछ मैं कहता हूं। + +“मैं” मेरी बात + +# यह भी + +"यह भी।" + +# मेरे लिए ठहरने की जगह तैयार रख + +“तेरे घर में मेरे ठहरने का कक्ष तैयार कर” पौलुस फिलेमोन से कह रहा है + +# तुम्हारी प्रार्थनाओं के द्वारा मैं तुम्हें दे दिया जाऊंगा + +“तुम्हारी” और “तुम्हें” फिलेमोन और उसकी आवासीय कलीसिया के लिए हैं। + +# तुम्हारी प्रार्थनाओं के द्वारा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम्हारी प्रार्थनाओं के परिणामस्वरूप” या “तुम सब मेरे लिए प्रार्थना कर रहे इसलिए” + +# मैं तुम्हें दे दिया जाऊंगा + +इसका अनुवाद कतृवाच्य में किया जा सकता है, “परमेश्वर मुझे तुम्हारे पास आने देगा” या “परमेश्वर मुझे कारागार में रखनेवालों को प्रेरित करेगा कि मुझे मुक्त कर दें और मैं तुम्हारे पास आ जाऊं diff --git a/phm/01/23.md b/phm/01/23.md new file mode 100644 index 0000000..8436b7b --- /dev/null +++ b/phm/01/23.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# इपफ्रास.... मरकुस....अरिस्तर्खुस... देमास... लूका + +ये सब पुरूषों के नाम हैं। + +# जो मसीह यीशु में मेरे साथ कैदी हैं + +“मसीह की सेवा हेतु वह मेरे साथ कारागार में हैं” + +# तुझे नमस्कार + +“तुझे” फिलेमोन के संदर्भ में है। + +# मरकुस और अरिस्तर्खुस और देमास और लूका जो मेरे सहकर्मी हैं। + +“मेरे सहकर्मी प्रचारक मरकुस, अरिस्तर्खुस, देमास और लूका तुझे नमस्कार कहते हैं। + +# मेरे सहकर्मी + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मेरे साथ काम करने वाले” या “ये सब जो मेरे सहकर्मी हैं” + +# हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा पर होता रहे। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “हमारा प्रभु यीशु तुम्हारी आत्मा पर दया करे।" + +# तुम्हारी आत्मा + +“तुम्हारी” फिलेमोन और उसकी आवासीय कलीसिया के संदर्भ में है” diff --git a/php/01/01.md b/php/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..e5aab90 --- /dev/null +++ b/php/01/01.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# पौलुस और तीमुथियुस + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “पौलुस और तीमुथियुस की ओर से” या “हम, पौलुस और तीमुथियुस यह लिखते हैं” यदि आपकी भाषा में पत्र के लेखक का परिचय देने की अपनी विशेष विधि है तो काम में ले। + +# यीशु के दास + +“हम मसीह यीशु के दास है” यहां “हम” अभिप्रेत है। + +# सब पवित्र लोगों के नाम जो मसीह यीशु में होकर फिलिप्पी में रहते हैं। + +“मसीह के सब विश्वासियों के नाम” + +# अध्यक्षों और सेवकों + +“कलीसिया के अगुवे” + +# अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे + +मनुष्यों को आशीर्वाद देने की यह एक विधि थी + +# तुम्हें + +अर्थात फिलिप्पी की कलीसिया + +# हमारे पिता परमेश्वर + +“हमारे” अर्थात मसीह के सब विश्वासी पौलुस, तीमुथियुस और संपूर्ण फिलिप्पी की कलीसिया diff --git a/php/01/03.md b/php/01/03.md new file mode 100644 index 0000000..d79be8a --- /dev/null +++ b/php/01/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# मैं धन्यवाद करता हूं... विनती करता हूं + +“मैं” अर्थात पौलुस + +# तुम्हें + +अर्थात फिलिप्पी का विश्वासीगण + +# सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे + +पौलुस परमेश्वर को धन्यवाद दे रहा था कि फिलिप्पी के विश्वासी भी उसमें जैसे शुभ सन्देश प्रसारण कर रहे थे। “तुम शुभ सन्देश का जो प्रसारण कर रहे थे उसके लिए मैं परमेश्वर को धन्यवाद कहता हूं”। + +# मुझे... भरोसा है + +“मैं निश्चित हूं” + +# जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया + +“परमेश्वर जिसने... आरंभ किया” या “परमेश्वर जिसने आरंभ किया” + +# वही उसे... पूरा करेगा + +“पूरा करने का काम करता रहेगा” diff --git a/php/01/07.md b/php/01/07.md new file mode 100644 index 0000000..70f1a3d --- /dev/null +++ b/php/01/07.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उचित है कि मैं + +“मेरे लिए उचित है” या “मेरे लिए अच्छा होगा” + +# तुम मेरे मन में आ बसे हो + +यह एक मुहावरा है जिसका अनुवाद होगा “मैं तुमसे अत्यधिक प्रेम रखता हूं”। + +# तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो + +“मेरे साथ अनुग्रह के भागी हो” या “मेरे साथ अनुग्रह के' भागी हो” + +# परमेश्वर मेरा गवाह है + +“परमेश्वर जानता है” या “परमेश्वर समझता है” + +# मसीह यीशु की सी प्रीति करके + +“मसीह यीशु की सी प्रीति” यह एक मुहावरा है जो हमारे भीतर एक स्थान के संदर्भ में है जहां से हमारी भावनाओं का उदय होता है। इस का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मसीह यीशु ने मुझे जो प्रेम दिया उसकी संपूर्णता में” diff --git a/php/01/09.md b/php/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..e6f8e12 --- /dev/null +++ b/php/01/09.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# और भी बढ़ता जाए + +“छलकता जाए” + +# ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित + +आप उनके जलने योग्य बातों को स्पष्ट कर सकते हैं, “जब हम परमेश्वर को प्रसन्न करनेवाली बातों को अधिकाधिक स्पष्टता में सीखते और समझते हो” + +# मै यह प्रार्थना करता हूं + +“मेरी प्रार्थना है कि” + +# उत्तम से उत्तम बातें + +“परमेश्वर को प्रसन्न करनेवाली सर्वोत्तम बातें” + +# मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो और ठोकर न खाओ + +“सच्चे बने रहो और ठोकर न खाओ” यह मनुष्य की नैतिकता को बल देने के लिए एक ही धातु के दो शब्द हैं। + +# “यीशु के पुनः आगमन पर तुम पूर्णत: निर्दोष रहो” + +“प्रभु का दिन” या “न्याय का दिन” + +# और + +“मैं” यह भी प्रार्थना करता हूं + +# भरपूर होते जाओ + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में भी किया जा सकता है, “मसीह यीशु तुम्हें परमेश्वर का अधिकाधिक आज्ञाकारी बनाए” + +# धार्मिकता के फल से + +यहां विश्वासी द्वारा परमेश्वर को अधिकाधिक आज्ञापालन की तुलना वृक्ष के फलों से की गई है + +# परमेश्वर की महिमा और स्तुति + +इसका अनुवाद एक पृथक वाक्य में किया जा सकता है, “तुम्हारे भले कामों को देखकर मनुष्य परमेश्वर का गुणगान एवं सम्मान करें। diff --git a/php/01/12.md b/php/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..2e8515e --- /dev/null +++ b/php/01/12.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# मैं चाहता हूं + +यह पत्र के एक नए भाग का आरंभ है + +# मुझ पर जो बीता है + +पौलुस अपने कारागार के समय की चर्चा कर रहा है। आप इसे स्पष्ट कर सकते हैं, “यीशु के बारे में सार्वजनिक चर्चा करने के कारण मैं जो कष्ट उठा रहा हूं”। + +# सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है + +“इससे अधिक जनों ने यीशु के बारे में सुना है” + +# कैद हूं + +कैसर के राजभवन की सारी पलटन... मैं मसीह के लिए कैद में हूं। + +# मेरा कारागार में होना मसीह के लिए है, राजभवन को एक रक्षक जान गए हैं। + +इसका कतृवाच्य अनुवाद होगा, “राजभवन के रक्षक जानते हें कि मैं मसीह के प्रचार के कारण कारागार में हूं” + +# राजभवन की सारी पलटन + +रोमी सम्राट की सुरक्षा हेतु सैनिकों का झुण्ड। + +# और शेष सब लोग + +“रोम में और भी लोग हैं जो जानते हैं कि मैं कारागार में क्यों हूं? + +# प्रभु में जो भाई हैं, उन में से अधिकांश मेरे कैद होने के कारण हियाव बांधकर परमेश्वर का वचन निधड़क सुनाने का और भी साहस करते हैं। + +“मेरे बन्दी बनाए जाने के कारण भाइयों में से अनेक विश्वासी परमेश्वर का वचन अधिक आत्मविश्वास, साहस और निर्भीकता से सुन रहें हैं” + +# हियाव बांधकर ....निधड़क + +“पूर्ण आत्म विश्वास के साथ” diff --git a/php/01/15.md b/php/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..d524bcd --- /dev/null +++ b/php/01/15.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# मसीह का प्रचार करते हैं + +“कुछ लोग मसीह का शुभ सन्देश सुनाते हैं” + +# डाह और झगड़े के कारण + +“क्योंकि वे नहीं चाहते कि लोग मेरा प्रचार सुनें और वे परेशानी उत्पन्न करना चाहते हैं। + +# और कुछ भली इच्छा से + +“कुछ लोग इसलिए प्रचार करते हैं कि वे दयालु है और सहायता करना चाहते हैं” + +# कई एक तो + +“प्रचारक” + +# उत्तर देने को ठहराया गया हूं + +इसका कतृवाच्य अनुवाद होगा, “परमेश्वर ने मुझे चुना है”। + +# प्रेम से प्रचार करते हैं + +“सिखाते हैं कि यीशु का सन्देश सच है”। + +# विरोध से मसीह की कथा सुनते हैं + +“परन्तु अन्य जन मसीह की चर्चा करते हैं” + +# सीधाई से नहीं विरोध से... मेरे लिए क्लेश उत्पन्न करें। + +“इसलिए नहीं कि वे मसीह से प्रेम करते हैं, परन्तु यह सोच कर कि इस प्रकार वे मेरे लिए कारागार में कष्ट उत्पन्न करेंगे”। diff --git a/php/01/18.md b/php/01/18.md new file mode 100644 index 0000000..fe04de2 --- /dev/null +++ b/php/01/18.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# तो क्या हुआ? + +पौलुस कहता है कि यीशु के बारे में कोई शिक्षा दे तो कोई विशेष बात नहीं। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मुझे इसकी चिन्ता नहीं” + +# चाहे बहाने से चाहे सच्चाई से, मसीह की कथा सुनाई जाती है + +प्रचारकों का उद्देश्य भलाई का हो या बुराई का हो, उससे अन्तर नहीं पड़ता, मनुष्य मसीह का प्रचार तो करता है। + +# मैं इससे आनन्दित हूं + +“मुझे तो प्रसन्नता होती है कि वे मसीह का प्रचार तो करते हैं” + +# और + +“निश्चय ही” या “वास्तव में” + +# आनन्दित रहूंगा + +“मैं खुशी मनाऊंगा” या “मैं प्रफुल्लित होऊंगा” + +# इसका प्रतिफल मेरा उद्धार होगा + +“परमेश्वर मुझे कारागार से मुक्ति दिलायेगा” + +# तुम्हारी विनती के द्वारा और यीशु मसीह के आत्मा के दान के द्वारा + +क्योंकि तुम मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हो और मसीह यीशु का आत्मा मेरी सहायता कर रहा है” + +# मसीह का आत्मा + +इसका अनुवाद, “पवित्र आत्मा” भी किया जा सकता है diff --git a/php/01/20.md b/php/01/20.md new file mode 100644 index 0000000..70e9601 --- /dev/null +++ b/php/01/20.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मैं तो यही हार्दिक लालसा और आशा रखता हूं + +यह एक ही बात को दो भिन्न-भिन्न भावों में वक्त करना है कि पौलुस का जीवन मसीह यीशु को सम्मानित करने का है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, मैं निष्क्रिय ही विश्वास करता हूं” + +# मेरे प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है वैसी ही अब भी हो + +“परन्तु मुझे अब भी वैसा ही साहस है जैसा पहले था” + +# मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है + +पौलुस अपने जीवन या अपनी जीवनशैली के लिए “देह” शब्द काम में लेता है। “कि मैं जो कुछ करता हूं उस से मसीह की प्रतिष्ठा बढ़े” + +# चाहे मैं जीवित रहूं या मर जाऊं + +“मेरे जीवन से या मेरी मृत्यु से भी” + +# मेरे लिए जीवित रहना मसीह है और मर जाना लाभ है + +यदि मैं जीवित रहूंगा तो मसीह के लिए और यदि मर गया तो और भी अच्छा है। diff --git a/php/01/22.md b/php/01/22.md new file mode 100644 index 0000000..20ddc29 --- /dev/null +++ b/php/01/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# यदि शरीर से जीवित रहना ही मेरे काम के लिए लाभदायक है + +यह पौलुस की सेवा के अच्छे परिणाम के संदर्भ में है। इसका अनुवाद होगा “यदि इस सांसारिक देह में रहना मनुष्यों को मसीह के विश्वास हेतु प्रोत्साहित करने का अवसर है। + +# मैं दोनों के बीच में अधर में लटका हूं + +“मैं दुविधा में हूं कि मरूं या जीवित रहूं” + +# जी तो चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जा रहूं। + +“कूच करके” अर्थात “मर कर”। “मैं मर जाना अधिक चाहता हूं क्योंकि मैं अपने मसीह के पास रहूंगा” + +# परन्तु शरीर में रहना तुम्हारे कारण और भी आवश्यक है + +“परन्तु जीवित रहना तुम्हारे लाभ के लिए है” diff --git a/php/01/25.md b/php/01/25.md new file mode 100644 index 0000000..de34fbd --- /dev/null +++ b/php/01/25.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# इसलिए कि मुझे इसका भरोसा है + +“इसलिए मुझे पूरा विश्वास है”। + +# मैं जानता हूं कि मैं जीवित रहूंगा + +“मैं जानता हूं कि मैं मरूंगा नहीं” या “मैं जानता हूं कि मैं अभी जीवित रहूंगा”। + +# वरन तुम सबके साथ रहूंगा। + +“मैं तुम्हारी सेवा करता रहूंगा” + +# और जो घमण्ड तुम मेरे विषय में करते हो यह मेरे फिर तुम्हारे पास आने से मसीह यीशु में अधिक बढ़ जाएं। + +“कि जब मैं तुम्हारे मध्य फिर उपस्थित हो जाऊं तो तुम इस बात पर गर्व करो कि मैंने मसीह यीशु के लिए कैसी सेवा की। + +# केवल इतना करो कि तुम्हारा चाल-चलन मसीह के सुसमाचार के योग्य हो। + +“अपना जीवन आचरण योग्य बनाओ” + +# तुम एक आत्मा में स्थिर हो और एक चित्त होकर + +इन दोनों उक्तियों द्वारा एक ही बात व्यक्त की गई है कि उनका आपस में सहमत होना और संगठित रहना कैसा महत्त्वपूर्ण है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “एकता में बने रहो” या “ऐसा जीवन रखो कि तुम सब एक हो” + +# एक चित्त होकर सुसमाचार के विश्वास के लिए परिश्रम करते रहो। + +“शुभ सन्देश की शिक्षा में सहकारी हो कि मनुष्य मसीह में विश्वास करे। diff --git a/php/01/28.md b/php/01/28.md new file mode 100644 index 0000000..6520f94 --- /dev/null +++ b/php/01/28.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# और किसी बात में विरोधियों से भय नहीं खाते + +यह फिलिप्पी के विश्वासियों को दी गई आज्ञा है। + +# विरोधियों + +जो तुम्हारा विरोध करते हैं” + +# यह उनके लिए विनाश का स्पष्ट चिन्ह है परन्तु तुम्हारे लिए उद्धार का और यह परमेश्वर की ओर से है। + +“तुम्हारा साहस उन पर प्रकट करेगा कि परमेश्वर उन्हें नाश कर देगा परन्तु तुम्हारा उद्धार करेगा। + +# क्योंकि मसीह के कारण तुम पर यह अनुग्रह प्रकट हुआ कि न केवल उस पर विश्वास करो पर उसके लिए दुःख भी उठाओ। + +इसका अनुवाद कतृवाच्य में भी किया जा सकता है “क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें मसीह में विश्वास करने का मान प्रदान ही नहीं किया, उसके लिए कष्ट उठाने को भी दिया है”। + +# तुम्हें वैसा ही परिश्रम करना है जैसा तुम ने मुझे करते देखा और अब भी सुनते हो कि मैं वैसा ही करता हूं। + +“तुम भी वैसे ही कष्ट उठाते हो जैसे तुमने मुझे उठाते देखा है और तुम सुनते भी हो कि मैं इस समय भी कष्ट उठा रहा हूं”। diff --git a/php/02/01.md b/php/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..6a04058 --- /dev/null +++ b/php/02/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यदि... है.. + +पौलुस “यदि” के उपयोग द्वारा यह सिद्ध करना चाहता है कि ऐसा होता है। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “क्योंकि” + +# आत्मा की सहभागिता + +“आत्मा के साथ चलना” diff --git a/php/02/03.md b/php/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..2bddb45 --- /dev/null +++ b/php/02/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# विरोध या झूठी बड़ाई + +“ऐसा काम कभी न करो जिससे केवल तुम ही प्रसन्न हो या तुम अन्यों से अधिक महत्त्वपूर्ण प्रकट हो”। + +# दीनता + +दीनता अर्थात हमारा स्वभाव और मनुष्यों के बारे में हमारी मानसिकता। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “विनम्रता पूर्वक ध्यान दो”। + +# अपने ही हित की नहीं + +अर्थात “अपनी ही चिन्ता नहीं” या “अपनी ही स्वार्थ सिद्धि नहीं” इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, अपनी ही आवश्यकताओं पर ध्यान न दो” diff --git a/php/02/05.md b/php/02/05.md new file mode 100644 index 0000000..93ab747 --- /dev/null +++ b/php/02/05.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जैसा मसीह का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा स्वभाव भी हो + +“यहां” स्वभाव से अभिप्राय है, व्यवहार या सोचने विचारने की शक्ति। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यीशु का सा स्वभाव” या “जिस प्रकार यीशु काम करता था उस पर ध्यान दो”। diff --git a/php/02/09.md b/php/02/09.md new file mode 100644 index 0000000..bf5a2bb --- /dev/null +++ b/php/02/09.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस यीशु के स्वभाव का वर्णन करता है + +# परमेश्वर ने इसको अति महान किया + +“परमेश्वर ने यीशु को बहुत ऊंचा उठाया” + +# उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है + +“नाम” अर्थात पद या प्रतिष्ठा। इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “किसी भी पद से बड़ा पद” या “सर्वोच्च सम्मान” + +# सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। + +“घुटना” अर्थात संपूर्ण मनुष्य। इसका अनुवाद है, “प्रत्येक मनुष्य” या “प्रत्येक प्राणी” + +# पृथ्वी के नीचे + +अर्थात वह स्थान जहां मनुष्य मरने के बाद जाते है जिसे “अधोलोक” कहा गया है। यही पर दुष्टात्माओं का वास है जिसे “अथाहकुण्ड” कहा गया है। + +# हर एक जीभ + +यहां जीभ का अर्थ भी संपूर्ण मनुष्य है, इसका अनुवाद, “प्रत्येक मनुष्य” या “प्रत्येक प्राणी” किया जा सकता है। diff --git a/php/02/12.md b/php/02/12.md new file mode 100644 index 0000000..494bed6 --- /dev/null +++ b/php/02/12.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# मेरे प्रियों + +मेरे प्रिय विश्वासी भाइयों-बहनों + +# केवल मेरे साथ रहते हो + +“जब मैं तुम्हारे साथ हूं” + +# मेरे दूर रहने पर भी + +“जब मैं तुम्हारे मध्य उपस्थित नहीं हूं” + +# अपने उद्धार का कार्य पूरा करते जाओ + +“परमेश्वर की आज्ञाएं मानते रहो” + +# डरते और कांपते हुए + +इन दोनों शब्दों का अर्थ मूल में एक ही है और परमेश्वर के समक्ष श्रद्धा पर बल दिया गया है, “गहन श्रद्धा” या “पूर्ण भय के साथ” + +# इच्छा और काम दोनों + +परमेश्वर हमें प्रेरित करता है और काम करने योग्य भी बनाता है। diff --git a/php/02/14.md b/php/02/14.md new file mode 100644 index 0000000..ff1dbb9 --- /dev/null +++ b/php/02/14.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# बिना कुड़कुड़ाए + +“बिना कोसे” + +# निर्दोष और भोले + +इस प्रकार काम करो कि मनुष्य यह न कहे कि तुम ने गलत काम किया। + +# निष्कलंक + +अर्थात विश्वासी नैतिकता में ऐसा सिद्ध हो जैसा पुराने नियम में परमेश्वर को बलि चढ़़ाए जाने वाला एक सर्वांग सिद्ध पशु। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “परमेश्वर की सर्वथा भोली सन्तान”। + +# जगत में जलते दीपकों के समान + +यह विश्वासियों की तुलना है कि परमेश्वर न मानने वाले मनुष्यों के मध्य परमेश्वर को सम्मानित करनेवाला जीवन जीना जो अन्धकार में प्रकाश स्वरूप हो। “ऐसा जीवन जीओ जो परमेश्वर की महिमा प्रकट करता है”। + +# जगत में + +परमेश्वर को न मानने वालों की मान्यताएं तथा आचरण। + +# टेढ़े और हठीले लोगों के बीच + +दोनों शब्दों द्वारा वर्तमान पीढ़ी की दुष्टता का वर्णन किया गया है। “परमेश्वर को न मानने वाले दुष्टों के मध्य + +# घमण्ड करने का कारण + +“आनन्द” या “हर्षित होने का” + +# मसीह के दिन + +जब मसीह पुनः आएगा और पृथ्वी पर राज करेगा “जब मसीह लौट कर आयेगा” + +# न मेरा दौड़ना और न मेरा परिश्रम करना व्यर्थ हुआ + +यहां “दौड़ना.... परिश्रम करना” एक ही भाव को व्यक्त करने के दो रूप है। जिनसे प्रकट होता है कि मनुष्यों को मसीह के विश्वास में लाने के लिए पौलुस ने कैसे परिश्रम किया था। इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “मैंने व्यर्थ परिश्रम नहीं किया” इस नकारात्मक वाक्य और सकारात्मक वाक्य में भी बदला जा सकता है, “मेरा परिश्रम उद्देश्य के साथ था।" diff --git a/php/02/17.md b/php/02/17.md new file mode 100644 index 0000000..bc365b1 --- /dev/null +++ b/php/02/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मुझे तुम्हारे विश्वास रूपी बलिदान और सेवा के साथ अपना लहू भी बहाना पड़े, तौभी मैं आनन्दित हूं” + +पौलुस अपनी मृत्यु की तुलना पुराने नियम के बलिदान के साथ कर रहा है जिस में आराधक बलि पशु के ऊपर या पास में दाखमधु या जैतून का तेल डालता था। पौलुस के कहने का अर्थ है कि वह फिलिप्पी के विश्वासियों के लिए सहर्ष जान दे देगा यदि इससे वे परमेश्वर को अधिक ग्रहणयोग्य हो जाएं। यहां “लहू बहाना पड़े कर्तृवाच्य में है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “यदि रोमी लोग मुझे मृत्युदण्ड देने का निर्णय भी लें तो मैं आनन्द मनाऊंगा, यदि मेरी मृत्यु तुम्हारे विश्वास और आज्ञा पालन को परमेश्वर के समक्ष अधिक ग्रहणयोग्य बना दे”। + +# वैसे ही तुम भी + +“इसी प्रकार तुम भी” + +# मेरे साथ आनन्द करो + +“मेरे साथ आनन्द करो” का उपयोग बल देने के लिए किया गया है”। मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ बहुत आनन्द मनाओ”। diff --git a/php/02/19.md b/php/02/19.md new file mode 100644 index 0000000..fd82e12 --- /dev/null +++ b/php/02/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मुझे प्रभु यीशु में आशा है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“यदि प्रभु की इच्छा हो तो मैं आशा करता हूं”। + +# सब + +अर्थात वे विश्वासी जिन पर पौलुस को भरोसा नहीं कि उन्हें फिलिप्पी की कलीसिया में भेजे पौलुस अपनी असहमति भी दर्शा रहा है कि आने वालों को सेवा हेतु वह विश्वासयोग्य नहीं समझता था। diff --git a/php/02/22.md b/php/02/22.md new file mode 100644 index 0000000..b514aec --- /dev/null +++ b/php/02/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसको तो तुमने परखा और जान भी लिया है + +तीमुथियुस कैसे योग्य सिद्ध हुआ, स्पष्ट किया जा सकता है, “तीमुथियुस ने स्पष्ट प्रकट किया है कि वह मसीह की बातों में रूचि रखता है”। + +# जैसा पुत्र, पिता के साथ करता है, वैसा... ही उसने मेरे साथ परिश्रम किया। + +पौलुस उसके साथ तीमुथियुस की सेवा की तुलना एक पिता के लिए युवा पुत्र की सेवा से करता है। पौलुस दर्शा रहा है कि मसीह की सेवा में उन दोनों का संबन्ध पिता-पुत्र का सा है। + +# सुसमाचार के फैलाने में + +“मनुष्यों में शुभ सन्देश सुनाने में” + +# मुझे प्रभु में भरोसा है कि मैं आप भी शीघ्र आऊंगा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“मुझे पूरा विश्वास है कि प्रभु की इच्छा हुई तो मैं शीघ्र ही आऊंगा”। diff --git a/php/02/25.md b/php/02/25.md new file mode 100644 index 0000000..7efb475 --- /dev/null +++ b/php/02/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इपफ्रुदीतुस + +इस व्यक्ति को फिलिप्पी की कलीसिया ने पौलुस के पास भेजा था कि वह कारागार में पौलुस की सेवा करे। + +# मेरा भाई और सहकर्मी और संगी-योद्धा + +यहां युद्ध करने वाले के साथ एक आत्मिक योद्धा की तुलना की गई है। पौलुस इस बात को उजागर कर रहा है कि विश्वासी को शुभ सन्देश में संघर्ष करना पड़ता है। “मेरा विश्वासी भाई जो मेरे साथ काम करता है वरन संघर्ष करता है” + +# तुम्हारा दूत और आवश्यक बातों में मेरी सेवा करने वाला। + +“और जो तुम्हारा सन्देश ले कर मेरे पास आया और मेरी आवश्यकताओं में मेरी सहायता की”। वह व्याकुल रहता था। + +# उसका मन तुम सब में लगा हुआ था इस कारण वह व्याकुल रहता था। + +“वह बहुत चिन्तित रहता था और तुम्हारे पास आना चाहता था”। + +# शोक पर शोक + +इस उक्ति का अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है। “मेरे कारागार के दुःख पर और अधिक दुःख।" diff --git a/php/02/28.md b/php/02/28.md new file mode 100644 index 0000000..7c2423d --- /dev/null +++ b/php/02/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उस से बहुत आनन्द के साथ भेंट करना + +“उस से भेंट कर के आनन्दित होना” + +# तुम प्रभु में + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “मसीह में एक विश्वासी भाई के साथ सहर्ष “। या 2) उस महान आनन्द के साथ क्योंकि प्रभु यीशु उस से प्रेम करता है”। + +# मसीह के काम के लिए + +“मसीह की सेवा के निमित्त” (यू.डी.बी.) + +# मेरी सेवा में + +“मुझे जो आवश्यकता है उसे पूरी करे” diff --git a/php/03/01.md b/php/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..77dc1c5 --- /dev/null +++ b/php/03/01.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# इसलिए, हे मेरे भाइयों + +“अब आगे यह है मेरे भाइयों” या “अन्य बातें ये है मेरे भाइयों” + +# “प्रभु में आनन्दित रहो” + +“प्रभु ने जो कुछ किया उसमें आनन्द करो” + +# “तुम्हें बार-बार लिखने में मुझे तो कोई कष्ट नहीं होता” + +“मैं सहर्ष इन्हीं शिक्षाओं को पुनः लिख रहा हूं”। + +# इसमें तुम्हारी कुशलता है + +“इसमें” अर्थात पौलुस की शिक्षाओं में। “वे कैसे उनकी कुशलता के लिए हैं अधिक स्पष्ट व्यक्त की जा सकती हैं” क्योंकि ये शिक्षाएं तुम्हें उन लोगों से सुरक्षित रखेंगी जो अनुचित शिक्षाएं देते है”। + +# चौकस रहो + +“सावधान” या “सतर्क रहो” + +# कुत्तों से.... बुरे काम करनेवालों से... काट कूट करनेवालों से + +यह झूठे शिक्षकों का वर्णन है। + +# कुत्तों + +यहूदी गैर यहूदियों को कुत्ता कहते थे। वे अशुद्ध माने जाते थे। पौलुस झूठे शिक्षकों की निन्दा के लिए कुत्ता शब्द काम में लेता है। इसकी अपेक्षा आप अन्य किसी पशु का नाम ले सकते है। + +# काट-कूट करने वालों + +इसका अर्थ है तीव्रता से काटना। पौलुस खतना के लिए अतिशयोक्ति काम में लेते हुए झूठे शिक्षकों की निन्दा कर रहा है। उनकी शिक्षा थी कि परमेश्वर केवल खतना कर पाने वालों ही का उद्धार करेगा। + +# क्योंकि... हम ही हैं + +“हम” से पौलुस का अभिप्राय है, वह तथा सब मसीही विश्वासी फिलिप्पी के विश्वासी भी। + +# खतना वाले + +पौलुस इस शब्द द्वारा उन लोगों का संदर्भ दे रहा है जो शारीरिक नहीं आत्मिक खतना करवाए हुए हैं। अर्थात उन्होंने विश्वास करके पवित्र आत्मा पाया है। इसका अनुवाद किया जा सकता है, “वास्तव में परमेश्वर के लोग” + +# शरीर पर भरोसा नहीं रखते + +“विश्वास नहीं करते कि शरीर को काटना परमेश्वर को प्रसन्न करना होगा” diff --git a/php/03/04.md b/php/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..48a06ac --- /dev/null +++ b/php/03/04.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# इसी रीति से + +“और भी अधिक” या “तथापि” + +# पर मैं तो शरीर पर भी भरोसा रख सकता हूं। यदि किसी और को शरीर पर भरोसा रखने का विचार हो, तो मैं उससे भी बढ़कर रख सकता हूं। + +यह एक काल्पनिक अवस्था है जिसे पौलुस संभव नहीं मानता है। पौलुस के कहने का अर्थ है कि यदि परमेश्वर मनुष्य को कर्मों से उसका उद्धार करेगा तो उसका उद्धार तो निश्चित था। “यदि कोई परमेश्वर को प्रसन्न करने के पर्याप्त कर्म करता तो वह मैं ही हूं। (यू.डी.बी.) + +# तो मैं + +यहां पौलुस स्वयं पर बल दे रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “निश्चिय ही मैं” + +# मेरा खतना हुआ + +इसका कर्तृवाच्य अनुवाद किया जा सकता है, “याजक ने मेरा खतना किया” + +# आठवें दिन + +“मेरे जन्म के सात दिन बाद” (यू.डी.बी.) + +# इब्रानियों का इब्रानी + +“इब्रानी माता-पिता का इब्रानी पुत्र” + +# व्यवस्था के विषय में.... फरीसी + +“फरीसी होने के कारण मै कट्टर व्यवस्था पालक था” diff --git a/php/03/06.md b/php/03/06.md new file mode 100644 index 0000000..057757e --- /dev/null +++ b/php/03/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# कलीसिया का सताने वाला + +“मै मसीही विश्वासियो को हानि के निमित्त दृढ़ संकल्प था” + +# व्यवस्था की धार्मिकता के विषय में....निर्दोष + +“पूर्णतः व्यवस्था का अनुपालन करने वाला” + +# हानि समझ लिया है + +“पौलुस अपने सब धार्मिक कृत्यों को मसीह के समक्ष हानि मानता है। diff --git a/php/03/08.md b/php/03/08.md new file mode 100644 index 0000000..4296ab9 --- /dev/null +++ b/php/03/08.md @@ -0,0 +1,63 @@ +# जिससे + +“कि मैं” या “यथार्थ में” + +# समझता हूं + +फरीसी से मसीही विश्वासी होने पर पौलुस में जो परिवर्तन आया यह उस पर बल देता है। इसकी व्याख्या की जा सकती है, “अब मसीह में विश्वास करके...” + +# सब बातों को हानि समझता हूं + +पौलुस कहता है कि मसीह की अपेक्षा किसी भी बात में विश्वास करना व्यर्थ है। इसका अनुवाद होगा, “मैं सब बातों को अर्थहीन समझता हूं” + +# प्रभु मसीह यीशु की पहचान की उत्तमता के कारण + +“क्योंकि मेरे प्रभु यीशु मसीह को जानना कहीं अधिक मूल्यवान है” + +# सब वस्तुओं की हानि उठाई + +इसका अनुवाद इस प्रकार करें, “उसके कारण मैंने सब कुछ त्याग दिया है” + +# मैं कूड़ा समझता हूं + +मनुष्य जिन बातों में विश्वास करता है पौलुस उन सब को गन्दगी समझता है। यह उनकी निस्सारता पर बल है, “मैं उन्हें कचरा समझता हूं” या “मैं उन्हें पूर्णतः अर्थहीन समझता हूं” + +# जिससे मैं मसीह को प्राप्त करूं + +“कि मुझे केवल मसीह मिले” + +# उसमें पाया जाऊं + +पाया जाऊं” अर्थात घनिष्ठ संबन्ध में या उसमें एक हो जाऊं। इसका कतृवाच्य अनुवाद होगा, “और अब मेरा संबन्ध मसीह से है” या “अब मैं मसीह से जुड़ गया हूं” + +# अपनी उस धार्मिकता के साथ + +“मैं विधान के पालन द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करना नहीं चाहता हूं”। + +# उस धार्मिकता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है + +“इसकी अपेक्षा मेरी धार्मिकता” या “इसके विपरीत मेरी धार्मिकता” + +# धार्मिकता जो.... मसीह पर विश्वास करने के कारण है + +“परमेश्वर ने मुझे स्वीकार कर लिया क्योंकि मैंने मसीह में विश्वास किया” + +# विश्वास करने पर मिलती है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“मैं जीवित मसीह को चाहता हूं कि उसे जानूं” + +# मृत्युंजय की सामर्थ + +“जीवनदायक उसका सामर्थ्य” + +# दुखों में सहभागी होने के मर्म + +“और उसके कष्टों में सहभागी होऊं” + +# उसकी मृत्यु की समानता को प्राप्त करूं। + +यीशु की मृत्यु का परिणाम हुआ अनन्त जीवन। अब पौलुस चाहता है कि उसकी मृत्यु यीशु जैसी हो। कि उसे भी अनन्त जीवन प्राप्त हो। इसका कतृवाच्य अनुवाद होगा, “और मसीह ने मुझे उसकी मृत्यु की समानता में बदल दिया है” + +# किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुंचू। + +“किसी भी तरह” अर्थात पौलुस नहीं जानता कि इस जीवन में उसका क्या होगा परन्तु जो भी हो उससे उसे अनन्त जीवन प्राप्त हो। “अतः इस जीवन में मेरे साथ कुछ भी हो, में मर कर फिर जीवित होऊंगा” diff --git a/php/03/12.md b/php/03/12.md new file mode 100644 index 0000000..150b088 --- /dev/null +++ b/php/03/12.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# मैं पा चुका हूं + +मसीह की पहचान उसके पुनरूत्थान का सामर्थ्य, मसीह के कष्टों में सहभागिता और उसकी मृत्यु एवं पुनरूत्थान में एकता। + +# सिद्ध हो चुका हूं + +“मैं अभी तक पूर्ण” या “परिपक्व नहीं हूं” + +# दौड़ा चला जाता हूं + +“मैं प्रयास करता जाता हूं”। (यू.डी.बी.) + +# पकड़ने के लिए + +“कि इन बातों को प्राप्त करूं” + +# जिसके लिए मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था” + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में किया जा सकता है, “यही कारण है कि यीशु ने मुझे अपना कहा है” + +# हे भाइयों + +अर्थात फिलिप्पी के विश्वासी। “विश्वासी भाइयों एवं बहनों” + +# मैं पकड़ चुका हूं। + +“यह सब मेरा हो गया है”। + +# जो बातें पीछे रह गई हैं उनको भूल कर आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। + +“जिस प्रकार कि एक धावक पार की हुई दूरी को नहीं आगे की दूरी पर ध्यान केन्द्रित करता है। उसी प्रकार पौलुस भी अपनी धार्मिकता के कामों पर ध्यान देते हुए उस दौड़ पर ध्यान केन्द्रित करता है जो मसीह ने उसके समक्ष रखी है”। मैं पिछली बातों की चिन्ता किए बिना आगे बढ़ रहा हूं”। + +# निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं + +पौलुस यहाँ भी एक धावक के साथ तुलना कर रहा है कि वह लक्ष्य की ओर बढ़ता जाता है कि जीते उसी प्रकार पौलुस भी मसीही की सेवा और आज्ञापालन की ओर बढ़ता जाता है, “मैं मसीह में विश्वास करता हूं कि उसका होऊं और मरने के बाद परमेश्वर के पास चला जाऊं। diff --git a/php/03/15.md b/php/03/15.md new file mode 100644 index 0000000..dff7f4d --- /dev/null +++ b/php/03/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# हम में से जितने सिद्ध है, यही विचार रखें + +“मैं सब विश्वासियों को प्रोत्साहित करता हूं जो विश्वासियों में दृढ़ हैं ऐसा भी विचार रखें”। पौलुस सब विश्वासियों से यही लालसा चाहता है जिसकी उसने सूची दी है। + +# तुम्हारे विचार से + +“तुम” अर्थात जो पौलुस से सहमत नहीं + +# परमेश्वर भी तुम पर प्रगट कर देगा + +“परमेश्वर तुम्हें स्पष्ट दर्शन देगा” + +# जो भी हो + +पौलुस अपने पत्र के इस भाग का अन्त कर रहा है और मुख्य बात पर बल दे रहा है। इसका अनुवाद यह भी हो सकता है, “चाहे कुछ भी हो” + +# जहां तक हम पहुंचे हैं उसी के अनुसार चलें + +“हमने जो सत्य सुना है उसी का अनुपालन करें” diff --git a/php/03/17.md b/php/03/17.md new file mode 100644 index 0000000..0dcda91 --- /dev/null +++ b/php/03/17.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# हे भाइयों तुम सब मिलकर। + +पौलुस फिलिप्पी के विश्वासियो को अपना मसीही भाई मानता है। + +# मेरी सी चाल चलो + +“जैसा मेरा स्वभाव है वैसे अपना स्वभाव भी रखो” या “मेरे जैसा जीवन जीओ” + +# पहचान रखो + +“सावधानी से अवलोकन करो” + +# जिसका उदाहरण तुम हम में पाते हो + +“जो मेरे जैसा जीवन जी रहे हैं” या “जो मेरे जैसे काम करते है” + +# जिनकी चर्चा मैंने तुमसे बार-बार की है। + +“मैंने अनेक बार तुमसे कहा है”। + +# अब भी रो-रोकर कहता हूं + +“और अब तक बड़े दुःख से कहता हूं” + +# वे अपने चाल चलन से मसीह के क्रूस के बैरी हैं” + +यहां “मसीह के क्रूस” का अर्थ है मसीह के कष्ट और उसकी मृत्यु। बैरी वे है जो कहते हैं कि वे मसीह यीशु में विश्वास करते हैं परन्तु उसके जैसे कष्ट एवं मृत्यु भोगना नहीं चाहते हैं”। अनेकों का दावा है कि वे यीशु में विश्वास करते हैं परन्तु उनके व्यवहार से प्रकट होता है कि वे वास्तव में यीशु के विरोधी हैं जो कष्ट उठाकर क्रूस पर मरने के लिए भी तैयार था”। + +# उनका अन्त विनाश है + +“एक दिन परमेश्वर उनको नष्ट कर देगा” + +# उनका ईश्वर पेट है + +यहां “पेट” का अर्थ है भौतिक सुख विलास की लालसा। इसका अनुवाद हो सकता है, “वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने से अधिक खाना-पीना और अन्य सांसारिक सुख की लालसा करते हैं। + +# वे अपनी लज्जा की बातों पर घमण्ड करते है। + +“वे उन बातों पर गर्व करते हैं जो लज्जा की हैं” + +# पृथ्वी की वस्तुओं पर मन लगाए रहते हैं। + +यहां “पृथ्वी की बातों” का अर्थ है सांसारिक सुख की बातें जिनसे परमेश्वर का सामना नहीं होता है”, वे केवल अपने सुख को खोजते हैं परमेश्वर को प्रसन्न करने की खोज नहीं करते “हम” diff --git a/php/03/20.md b/php/03/20.md new file mode 100644 index 0000000..e1d9a9a --- /dev/null +++ b/php/03/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# पर हमारा + +“हम” में पौलुस अपने पाठकों को गिनता है + +# हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है + +“हमारा परिवार स्वर्ग में है” + +# हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहां से आने की बाट जोह रहे हैं। + +“और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के वहां से लौट कर पृथ्वी पर आने की प्रतीक्षा में हैं”। + +# वह.... हमारी दीनहीन देह का रूप बदल कर + +“वह.... हमारी दुर्बल पार्थिव देह को बदल देगा” + +# अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा + +“जैसी उसकी महिमा की देह है वैसी बना देगा” + +# अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार + +“इसका अनुवाद एक नए कतृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “वह हमारी देह का रूपान्तर उसी शक्ति से करेगा जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में रखता है”। diff --git a/php/04/01.md b/php/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..4d6835c --- /dev/null +++ b/php/04/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# इसलिए हे मेरे प्रिय भाइयों, जिनमें मेरा जी लगा रहता है। + +“मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, मैं तुमसे प्रेम करता हूं और तुमसे भेंट करने की लालसा करता हूं” + +# जो मेरे आनन्द और मुकुट हो + +पौलुस “आनन्द” शब्द से प्रकट करता है कि फिलिप्पी की कलीसिया उसको प्रसन्नता का कारण है। “मुकुट” पत्तियों का बना होता था और जब कोई खिलाड़ी जीत जाता था तो उसके सम्मान में उसके सिर पर पहनाया जाता था यहां पौलुस के कहने का अर्थ है कि उन विश्वासियों ने उसे परमेश्वर के समक्ष सम्मान प्रदान किया है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “तुम मसीह में विश्वास करके मुझे आनन्द प्रदान करते हो और मेरी सेवा का प्रतिफल एवं सम्मान हो”। + +# हे प्रिय भाइयों, प्रभु में इसी प्रकार स्थिर रहो + +इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “अतः जैसा मैंने सिखाया है उसी प्रकार प्रभु के लिए जीवन जीओ, मेरे मित्रों। + +# मैं यूओदिया को भी समझाता हूं और सुन्तुखे को भी + +“ये दो स्त्रियां विश्वासी थी और कलीसिया में सेवारत थी। इसका अनुवाद होगा, “मैं यूओदिया और सुन्तुखे दोनों से विनती करता हूं” + +# प्रभु में एक मन रहें + +“एक मन रहें” का अर्थ है, एक ही स्वभाव और एक ही विचार से रहो। इसका अनुवाद होगा, “एक दूसरे से सहमत रहो क्योंकि तुम सब एक ही प्रभु में विश्वास करते हो”। + +# हे सच्चे सहकर्मी मैं तुम से विनती करता हूं + +यहां “तुम से” एक कथन है। पौलुस उस व्यक्ति का नाम नहीं लेता है। वह उसे केवल “सच्चे सहकर्मी” कहता है। वह सुसमाचार प्रसार में किसी निष्ठावान को संबोधित कर रहा है। “हां मेरे सच्चे सहकर्मी मैं तुम से भी कहता हूं”। + +# क्लेमेंस + +वह कलीसिया में एक विश्वासी एवं सेवक था। + +# जिनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे हुए हैं + +“उनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे जा चुके हैं” diff --git a/php/04/04.md b/php/04/04.md new file mode 100644 index 0000000..c877009 --- /dev/null +++ b/php/04/04.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# प्रभु में सदा आनन्दित रहो, मैं फिर कहता हूं आनन्दित रहो” + +पौलुस सब विश्वासियों से कह रहा है वह आनन्द की आज्ञा को दोहरता है क्योंकि यह एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बात है। “प्रभु के काम के कारण आनन्दित रहो। मैं फिर से कहता हूं, आनन्दित रहो”। + +# तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो + +“सब पर प्रगट होना है कि तुम कैसे दयालु हो” + +# प्रभु निकट है + +इसको संभावित अर्थ हैं, 1) प्रभु यीशु आत्मा में विश्वासियों के निकट है। या 2) प्रभु का आना इस पृथ्वी पर निकट है। + +# तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना, विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ + +“अपनी हर एक आवश्यकता प्रार्थना और धन्यवाद के साथ परमेश्वर के समक्ष रखो” + +# जो सारी समझ से परे है। + +“जो हमारी मानवीय समझ के बाहर है” + +# तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी। + +यहाँ परमेश्वर की शान्ति को एक रक्षक सैनिक से तुल्य माना गया है जो हमारी भावना और विचारों को चिन्ता से सुरक्षित रखती है। इसका पूर्ण अर्थ स्पष्ट व्यक्त किया जा सकता है, “वह एक सैनिक के जैसे इस जीवन की चिन्ताओं ओर परेशानियों से तुम्हारे मन मस्तिष्क को सुरक्षित रखेगी”। diff --git a/php/04/08.md b/php/04/08.md new file mode 100644 index 0000000..4df39a8 --- /dev/null +++ b/php/04/08.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# इसलिए + +यहाँ पत्र का यह भाग समाप्त होता है। अब पौलुस सारांश में व्यक्त करता है कि विश्वासी परमेश्वर के साथ मेल का जीवन कैसे व्यतीत करें। + +# जो-जो बातें सुहावनी हैं। + +“जो बातें सुखदायक हैं” + +# “जो बातें सुखद हैं” + +“मनुष्य जिन बातों को सराहते हैं” या “मनुष्य मान प्रदान करें” + +# सद्गुण... की बातें + +“जो नैतिकता में उचित हैं।” + +# प्रशंसा की बातें + +“जो प्रशंसा के योग्य हैं” + +# उन पर ध्यान लगाया करो + +“उन बातों पर चिन्तन करो” + +# जो बातें तुम ने मुझ से सीखी, और ग्रहण की और सुनी और मुझ में देखी” + +“जो मैंने सिखाई और दिखाई” diff --git a/php/04/10.md b/php/04/10.md new file mode 100644 index 0000000..e1124c5 --- /dev/null +++ b/php/04/10.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# निश्चय तुम्हें आरंभ में भी इसका विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला। + +“मैं जानता हूं कि तुम पहले मेरे बारे में सोचते थे परन्तु मेरी सहायता भेजने का कोई कारण उत्पन्न न हुआ” + +# उसी में सन्तोष करूं + +“सन्तुष्ट हो जाऊं” या “प्रसन्न रहूं”। + +# सब दशाओं में + +“जो भी मेरी परिस्थिति हो” + +# बढ़ना घटना सीखा है + +वैकल्पिक अनुवाद: “मैं” ने सीखा है कि उचित दृष्टिकोण कैसे रखूं” + +# घटना + +“जब मेरे पास सब आवश्यकताओं की शर्तें न हो” + +# बढ़ना + +“जब मेरे पास आवश्यकता से अधिक हो” + +# हर एक बात और सब दशाओं में तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। + +“भूखा रहना और बढ़ना घटना” इनका अर्थ एक ही है उक्तियों से पौलुस का अर्थ है, “सब परिस्थितियों में” वैकल्पिक अनुवाद:“सब परिस्थितियों में सन्तोष करने का मार्ग” + +# जो मुझे सामर्थ्य देता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूं। + +“मैं सब कुछ कर सकता हूं क्योंकि मसीह मुझे शक्ति देता है” diff --git a/php/04/18.md b/php/04/18.md new file mode 100644 index 0000000..97f972d --- /dev/null +++ b/php/04/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी हैं। + +“मेरे पास आवश्यकता की साड़ी वस्तुएं वरन उससे अधिक है” + +# सुखदायक सुगन्ध, ग्रहण करने योग्य बलिदान है जो परमेश्वर को भाता है। + +फिलिप्पी की कलीसिया की भेंट की तुलना पौलुस पुराने नियम के बलिदानों से करता है। पुरोहित उन भेंटों को आग में डालते थे और उनकी सुगन्ध से परमेश्वर प्रसन्न होता था। “मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं कि तुम्हारी ये भेंट परमेश्वर को प्रसन्न करती हैं”। + +# तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा + +“तुम्हें जो भी आवश्यकता है, उसे परमेश्वर पूरी करेगा” + +# उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“अपने उस महिमामय भण्डार से जिसमें से वह मसीह यीशु के द्वारा देता है” + +# हमारे परमेश्वर + +यह अन्तिम प्रार्थना और समापन है diff --git a/php/04/21.md b/php/04/21.md new file mode 100644 index 0000000..28bffd8 --- /dev/null +++ b/php/04/21.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# हर एक पवित्र जन को जो यीशु मसीह में है नमस्कार। + +“वहां जो भी मसीह यीशु का है उसे नमस्कार कहना” + +# भाई + +भाई के सहकर्मी या पौलुस की सेवा करने वाले। वैकल्पिक अनुवाद“साथी विश्वासी”। + +# जो कैसर के घराने के हैं + +कैसर (राजा) के महल के परिचारक व विशेष करके वे विश्वासी जो राज महल में सेवारत हैं”। + +# तुम्हारी आत्मा के साथ रहें + +पौलुस विश्वासियों के लिए आत्मा शब्द काम में लेता है जिसके द्वारा विश्वासी परमेश्वर से संबन्ध स्थापित कर पाता है। “तुम्हारे साथ” diff --git a/rev/01/01.md b/rev/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..9f6259f --- /dev/null +++ b/rev/01/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अपने दासों + +मसीह में विश्वासी + +# जिसका शीघ्र होना अवश्य है + +वैकल्पिक अनुवाद: "घटनाएं जो शीघ्र ही अवश्य होंगी" + +# दिखाए + +"बताया" + +# समय निकट है + +वैकल्पिक अनुवाद: "जिन बातों का होना अवश्य है शीघ्र घटित होंगी" diff --git a/rev/01/04.md b/rev/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..4f407a6 --- /dev/null +++ b/rev/01/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसकी ओर से शान्ति मिले जो है + +"परमेश्वर की ओर से शान्ति मिले, जो है" + +# आत्माओं + +आत्माओं - - का अभिप्राय स्वर्गदूतों से है क्योंकि वे उसके सिहांसन के सामने हैं. + +# हमें छुड़ा लिया है + +वैकल्पिक अनुवाद : "हमें स्वतंत्र कर दिया है" + +# हमें एक राज्य बनाया है + +" हमें अलग कर लिया और हमारे ऊपर राज्य करना शुरू किया" diff --git a/rev/01/07.md b/rev/01/07.md new file mode 100644 index 0000000..d484584 --- /dev/null +++ b/rev/01/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +* + +# आदि और अन्त + +इसको सांस्कृतिक रूप में समझाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, यदि किसी को यूनानी लिपि का ज्ञान नहीं है तो अल्फ़ा और ओमेगा का उसके लिए कोई अर्थ नहीं है , इसलिए उन्हें अपनी भाषा और संस्कृति के अनुसार एक सटीक शब्द जो इसके समान है ढूंढना चाहिए. diff --git a/rev/01/09.md b/rev/01/09.md new file mode 100644 index 0000000..41b33a9 --- /dev/null +++ b/rev/01/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तुम्हारा ...तुम + +सात कलीसियाओं में विश्वासी + +# जो तुम्हारे क्लेश और राज्य और धीरज में जो यीशु में हैं सहभागी है + +वैकल्पिक अनुवाद: "जो परमेश्वर के राज्य में तुम्हारा सहभागी है. मैं भी तुम्हारे साथ क्लेश सहता और धीरज धरता हूँ क्योंकि हम यीशु से सम्बन्ध रखते हैं" + +# परमेश्वर के वचन के कारण + +वैकल्पिक अनुवाद : "क्योंकि मैंने परमेश्वर के वचन के विषय में बताया" + +# आत्मा में + +इसका अर्थ है परमेश्वर की आत्मा से भरपूर हुआ. + +# प्रभु के दिन + +विश्वासियों के लिए मसीह में आराधना का दिन. + +# तुरही का सा बड़ा शब्द + +आवाज़ इतनी ऊंची थी कि तुरही के समान सुनाई दी. + +# स्मुरना को, पिरगमुन को, थूआतीरा को, सरदीस को, फिलदिलफिया को, और लौदीकिया को + +यह एशिया के शहरों के नाम है जो आज के समय का तुर्की है. diff --git a/rev/01/12.md b/rev/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..3667aa9 --- /dev/null +++ b/rev/01/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जिसकी आवाज़ + +यहाँ "आवाज़" से अभिप्राय जो व्यक्ति बोल रहा है उससे है. + +# पटुका + +कपड़े का एक टुकड़ा जिसे कमर या छाती के इर्द-गिर्द पहना जाता है diff --git a/rev/01/14.md b/rev/01/14.md new file mode 100644 index 0000000..297fb1d --- /dev/null +++ b/rev/01/14.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सिर और बाल ऊन के समान श्वेत - पाले के समान उज्जवल + +इन दोनों वाक्यों का एक साथ प्रयोग इस बात पर ज़ोर डालने के लिए किया गया है कि उनके बाल और सिर कितने सफ़ेद थे. + +# बहुत जल के शब्द के समान + +यह आवाज़ एक विशाल, तेज़ गति से बहती सफ़ेद पानी की नदी की आवाज़ से मिलती-जुलती है. diff --git a/rev/01/17.md b/rev/01/17.md new file mode 100644 index 0000000..f218ac2 --- /dev/null +++ b/rev/01/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यूहन्ना का दीवटों के मध्य मनुष्य की सन्तान के विषय में निरन्तर दर्शन + +# उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखा + +उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखा - वैकल्पिक अनवाद : "उसने मुझे अपने दाएं हाथ से छुआ" + +# मैं प्रथम और अंतिम हूँ + +इसका सन्दर्भ पहला और अन्तिम जीवित रहने वाला होने से है जिसका तात्पर्य उसके अनन्त व्यक्तित्व से है. diff --git a/rev/01/19.md b/rev/01/19.md new file mode 100644 index 0000000..42798e4 --- /dev/null +++ b/rev/01/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +मनुष्य का पुत्र जो तारों के बीच खड़ा था उसने बोलना जारी रखा. + +# सोने की दीवटों + +सोने की दीवटों - इसका अनुवाद वैसे ही करो जैसे तुमने . + +# सात कलीसियाएं + +इसका अनुवाद वैसे ही करो जैसे तुमने diff --git a/rev/02/01.md b/rev/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..19f7ed1 --- /dev/null +++ b/rev/02/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जो अपने प्रेरित होने का दावा करते हैं + +"जो कहते हैं कि वे प्रेरित हैं" diff --git a/rev/02/03.md b/rev/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..369a60b --- /dev/null +++ b/rev/02/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यह इफ़िसुस में विश्वासियों को मनुष्य के पुत्र का सन्देश देना जारी रखता है. + +# पहला प्रेम + +इसका अर्थ है "तुम्हारा यीशु के लिए वास्तविक प्रेम." + +# तुम्हारे दीवट को हटा दूंगा + +प्रत्येक दीवट सात कलीसियाओं में से एक का प्रतिनिधित्व करता है. । का सन्दर्भ लें। diff --git a/rev/02/06.md b/rev/02/06.md new file mode 100644 index 0000000..db31c91 --- /dev/null +++ b/rev/02/06.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +यहाँ से मनुष्य की सन्तान का इफिसियों में विश्वासियों को सन्देश जारी रहता है. + +# नीकुलइयों + +लोग जो निकुलस नामक व्यक्ति की शिक्षाओं पर चलते थे. + +# यदि तुम्हारे कान हैं, तो सुन लो + +आत्मिक कान. इसका अर्थ वह व्यक्ति जो परमेश्वर की आवाज़ सुन और उसका सन्देश समझ सकता है. + +# मैं खाने दूंगा + +"मैं उन्हें खाने दूंगा" diff --git a/rev/02/08.md b/rev/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..d94f9a8 --- /dev/null +++ b/rev/02/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# स्मुरना + +देखें कि तुमने में इसका अनुवाद किस प्रकार किया है. + +# प्रथम और अन्तिम + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था. diff --git a/rev/02/10.md b/rev/02/10.md new file mode 100644 index 0000000..fd980eb --- /dev/null +++ b/rev/02/10.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# शैतान तुम में से कुछ को जेलखाने में डालने वाला है + +वैकल्पिक अनुवाद : " शैतान तुम में से कुछ को जेल भेजने का कारण बनेगा" + +# यदि तुम्हारे कान हैं + +इसका अनुवाद में देखें. diff --git a/rev/02/12.md b/rev/02/12.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/02/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/02/14.md b/rev/02/14.md new file mode 100644 index 0000000..4866fcb --- /dev/null +++ b/rev/02/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# बालाक + +यह एक राजा का नाम है. + +# जिसने बालाक को इस्राएलियों के आगे ठोकर का कारण रखना सिखाया + +वैकल्पिक अनुवाद: " जिसने बालाक को दिखाया कि किस प्रकार इस्राइल के लोगों के पाप करने का कारण बने" + +# मूर्तियों को चढ़ाई वस्तुएं खाएं + +वैकल्पिक अनुवाद : " मूर्तियों को खाने की वस्तुएं चढाएं और फिर उन्हें खाएं" (देखें : सक्रिय- निष्क्रिय) + +# व्यभिचार करें + +वैकल्पिक अनुवाद: "शारीरिक पाप करें" या " शरीर के द्वारा व्यभिचार करें" diff --git a/rev/02/18.md b/rev/02/18.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/02/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/02/20.md b/rev/02/20.md new file mode 100644 index 0000000..7713f63 --- /dev/null +++ b/rev/02/20.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# पर मुझे तेरे विरुद्ध ये कहना है + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया है. diff --git a/rev/02/22.md b/rev/02/22.md new file mode 100644 index 0000000..59a23c9 --- /dev/null +++ b/rev/02/22.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उसे रोगशैय्या पर डालता हूँ + +वैकल्पिक अनुवाद: मैं उसे रोगी बना डालूँगा" या "मैं उसे रोग के द्वारा दंड दूंगा" + +# व्यभिचार करते + +"व्यभिचार करने के आदि" + +# वे उसके कामों से मन फिराएंगे + +वैकल्पिक अनुवाद : वे उसके जैसा बनने से पछतावा करेंगे" + +# मैं उसके बच्चों को मार डालूंगा + +वैकल्पिक अनुवाद: मैं उसके बच्चों को मार डालूँगा + +# मैं हृदय और मन का परखने वाला हूँ + +वैकल्पिक अनुवाद: "मैं विचारों और इच्छाओं को परखता हूँ" या "मैं मन और हृदय को परखता हूँ" diff --git a/rev/02/24.md b/rev/02/24.md new file mode 100644 index 0000000..d38052e --- /dev/null +++ b/rev/02/24.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# शैतान की गहरी बातें + +वैकल्पिक अनुवाद: "शैतान के गलत कार्य" या "शैतान के झूठ" diff --git a/rev/02/26.md b/rev/02/26.md new file mode 100644 index 0000000..305ed17 --- /dev/null +++ b/rev/02/26.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जो जय पाए + +वैकल्पिक अनुवाद: "कोई भी जो हराता है" + +# मैं उसे भी दूंगा + +यहाँ "उसे" का सन्दर्भ जीतने वाले से है + +# भोर का तारा + +यह एक चमकदार तारा है जो एकदम भोर से पहले आता है. diff --git a/rev/03/01.md b/rev/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..1916b9b --- /dev/null +++ b/rev/03/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग में कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/03/03.md b/rev/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..ca9bf12 --- /dev/null +++ b/rev/03/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अपने वस्त्रों को अशुद्ध नहीं किया + +अशुद्ध वस्त्रों का अभिप्राय उनके जीवन में पाप से है. + +# श्वेत वस्त्र पहने + +श्वेत वस्त्र शुद्ध जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं. diff --git a/rev/03/05.md b/rev/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..d403868 --- /dev/null +++ b/rev/03/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जो जय पाए + +जो जय पाए - वैकल्पिक अनुवाद: "कोई भी जो हराता है" + +# यदि तुम्हारे कान हैं ......... कलीसियाएं + +यदि तुम्हारे कान हैं ......... कलीसियाएं - देखो तुमने इसका अनुवाद में किस प्रकार किया था। diff --git a/rev/03/07.md b/rev/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..b112fe9 --- /dev/null +++ b/rev/03/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दाऊद की कुंजी + +"कुंजी" आत्मिक अधिकार या सामर्थ का प्रतिनिधित्व करती है. (देखें: ) diff --git a/rev/03/09.md b/rev/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..3897a1d --- /dev/null +++ b/rev/03/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# शैतान के उन सभावालों ... यहूदी... पर हैं नहीं + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था. + +# पैरों पर गिरेंगे + +यह अधीनता स्वीकार करने का चिन्ह है न कि आराधना करने का. + +# उनकी परीक्षा करने का + +वैकल्पिक अनुवाद : "इससे उनकी परीक्षा होगी" diff --git a/rev/03/12.md b/rev/03/12.md new file mode 100644 index 0000000..154a8f3 --- /dev/null +++ b/rev/03/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वह जो जय पाए + +वैकल्पिक अनुवाद: "कोई भी जो हराता है" + +# परमेश्वर के मन्दिर में एक खम्भा + +"खम्भा" बनने का अर्थ परमेश्वर के राज्य में एक महत्त्वपूर्ण और स्थाई भाग बनने से है. diff --git a/rev/03/14.md b/rev/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..6c003f8 --- /dev/null +++ b/rev/03/14.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# आमीन के शब्द + +आमीन के शब्द - पर : "उस व्यक्ति के शब्द जो आमीन कहलाता है" diff --git a/rev/03/17.md b/rev/03/17.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/03/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/03/19.md b/rev/03/19.md new file mode 100644 index 0000000..e75963a --- /dev/null +++ b/rev/03/19.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# सरगर्म हो और मन फिरा + +" गंभीर हो और पश्चाताप कर" + +# मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ + +"द्वार" हमारे जीवन या आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें मसीह प्रवेश करना चाहता है. + +# मेरा शब्द सुनता है + +"शब्द" मसीह की पुकार का प्रतिनिधित्व करता है. + +# द्वार खोलता है + +इसका तात्पर्य मसीह का अपने जीवन में और इसमें उसका स्वागत करने से है. + +# उसके साथ भोजन करूँगा + +इसका अर्थ सम्बन्ध, मित्रता और संगति से है. diff --git a/rev/03/21.md b/rev/03/21.md new file mode 100644 index 0000000..b415ae8 --- /dev/null +++ b/rev/03/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जो जय पाए + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था. पर: "कोई भी व्यक्ति जो हराता है". + +# यदि तुम्हारे कान हैं + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था. diff --git a/rev/04/01.md b/rev/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..b4f2500 --- /dev/null +++ b/rev/04/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इन बातों के बाद + +यीशु के सात कलीसियाओं को सम्बोधित करने के पश्चात् यूहन्ना ने जो देखा । + +# जिसका स्वर्ग में एक द्वार खुला हुआ है + +जिसका स्वर्ग में एक द्वार खुला हुआ है - वैकल्पिक अनुवाद: "स्वर्ग में प्रवेशद्वार" + +# यशब और माणिक्य + +अर्द्ध -कीमती पत्थर. हमें उनके रंगों के विषय में निश्चित कुछ नहीं पता. + +# मेघधनुष + +वे रंग जो लोग तब देख सकते हैं जब उनके पीछे सूर्य चमक रहा हो और सामने वर्षा हो रही हो + +# मरकत (पन्ना) + +एक हरे रंग का अर्द्ध - कीमती पत्थर diff --git a/rev/04/04.md b/rev/04/04.md new file mode 100644 index 0000000..e09e3fe --- /dev/null +++ b/rev/04/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# बिजलियां और गर्जन + +अपनी भाषा के अनुसार उस शब्द का प्रयोग करें जो हर बार बिजली के चमकने के समय की व्याख्या करे + +# गड़गड़ाहट, और बिजली की गर्जन की आवाज़ + +"जैसी आवाज़ बिजली के गरजने के समय होती है" diff --git a/rev/04/07.md b/rev/04/07.md new file mode 100644 index 0000000..29beaab --- /dev/null +++ b/rev/04/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जो था, और जो है, और जो आने वाला है + +परमेश्वर हर समय उपस्थित है. diff --git a/rev/04/09.md b/rev/04/09.md new file mode 100644 index 0000000..f9ce995 --- /dev/null +++ b/rev/04/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# युगानुयुग बनी रहे + +इन शब्दों का अर्थ समान है और इन्हें ज़ोर डालने के लिए जोड़ा गया है . + +# हमारे प्रभु और परमेश्वर + +वक्ता , पर श्रोता नहीं + +# वे अस्तित्व रखते थे और सृजे गए थे + +शब्द "थे (अस्तित्व)" और "सृजे" का समान अर्थ है और इन्हें ज़ोर डालने के लिए जोड़ा गया है . diff --git a/rev/05/01.md b/rev/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/05/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/05/03.md b/rev/05/03.md new file mode 100644 index 0000000..204b3e6 --- /dev/null +++ b/rev/05/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दाऊद का मूल + +दाऊद का मूल - "राजा दाऊद का वंशज और उत्तराधिकारी" (युडीबी) diff --git a/rev/05/06.md b/rev/05/06.md new file mode 100644 index 0000000..f4a0687 --- /dev/null +++ b/rev/05/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं। diff --git a/rev/05/08.md b/rev/05/08.md new file mode 100644 index 0000000..4272ad3 --- /dev/null +++ b/rev/05/08.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जब उसने पुस्तक ले ली + +शब्द "उसने" का प्रयोग यहाँ मेम्ने के सन्दर्भ में किया गया है. diff --git a/rev/05/09.md b/rev/05/09.md new file mode 100644 index 0000000..b27a262 --- /dev/null +++ b/rev/05/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वे + +"वे" शब्द यहाँ चारों प्राणियों और चौबीस प्राचीनों के सन्दर्भ में है. + +# क्योंकि तेरा वध किया गया था - + + वैकल्पिक अनुवाद: "क्योंकि उन्होंने तेरा वध किया" diff --git a/rev/05/13.md b/rev/05/13.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/05/13.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/06/01.md b/rev/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..c089751 --- /dev/null +++ b/rev/06/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मैं ने + +यहाँ सभी "मैं ने" का तात्पर्य यूहन्ना से है, जो कि इसका लेखक है. + +# सात मुहरों में से एक को खोला + +सात मुहरों में से सबसे पहली मुहर को खोला diff --git a/rev/06/03.md b/rev/06/03.md new file mode 100644 index 0000000..4d61b0a --- /dev/null +++ b/rev/06/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# दूसरी मुहर खोली + +दूसरे स्थान की मुहर खोली + +# लाल रंग + +वैकल्पिक अनुवाद : "सुर्ख लाल" + +# इसके सवार को अधिकार दिया गया + +वैकल्पिक अनुवाद : "परमेश्वर ने इसके सवार को अधिकार दे दिया..." diff --git a/rev/06/05.md b/rev/06/05.md new file mode 100644 index 0000000..883bb1f --- /dev/null +++ b/rev/06/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तीसरी मुहर खोली + +तीसरे स्थान की मुहर खोली + +# माप (choenix) + +choenix (माप) - इसका अभिप्राय एक विशेष माप से है जो लगभग एक सेर के बराबर है. + +# एक सेर भर गेहूं + +इसका अभिप्राय एक विशेष माप से है जो एक लीटर के बराबर था. + +# एक दीनार + +इस सिक्के का मूल्य एक दिन की मज़दूरी के बराबर था. diff --git a/rev/06/07.md b/rev/06/07.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/06/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/06/12.md b/rev/06/12.md new file mode 100644 index 0000000..14754bb --- /dev/null +++ b/rev/06/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सूर्य कम्बल के समान काला हो गया + +सूर्य अत्यधिक काला हो गया diff --git a/rev/06/15.md b/rev/06/15.md new file mode 100644 index 0000000..00a7088 --- /dev/null +++ b/rev/06/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# और सरदार + +इस शब्द का तात्पर्य युद्ध में अगुवाई करने वाले योद्धाओं से है, + +# खोहों में जा छिपे + +खोहों में जा छिपे - वैकल्पिक अनुवाद: "पहाड़ों में बने बड़े छिद्रों में छिप गए" या "ज़मीन में खोदे गए गड्ढों में छिप गए" + +# उसके मुँह से + +सर्वनाम "उसके" का अभिप्राय परमेश्वर से है. diff --git a/rev/07/01.md b/rev/07/01.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/07/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/07/04.md b/rev/07/04.md new file mode 100644 index 0000000..607d089 --- /dev/null +++ b/rev/07/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जिन पर मुहर दी गई + +जिन पर मुहर दी गई - वैकल्पिक अनुवाद: जिनके ऊपर परमेश्वर का चिन्ह था" + +# बारह हज़ार + +बारह हज़ार - प्रत्येक गोत्र में 12, 000 (देखें : ) + +# 144, 000 + +12, 000 के प्रत्येक गोत्र में से ये बारह झुण्ड हैं. + +# इस्राएल के सन्तानों के सब गोत्र + +इस्राएल के सन्तानों के सब गोत्र - इस्राएल में बारह गोत्र थे, प्रत्येक का नाम याकूब की प्रत्येक सन्तान के नाम पर रखा गया था। diff --git a/rev/07/07.md b/rev/07/07.md new file mode 100644 index 0000000..0565660 --- /dev/null +++ b/rev/07/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यहाँ से इस्राएल के गोत्रों में से चुनाव जारी रहता है. diff --git a/rev/07/09.md b/rev/07/09.md new file mode 100644 index 0000000..f3a2c94 --- /dev/null +++ b/rev/07/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# सिंहासन के सामने और मेम्ने के सम्मुख खड़ा है + +वैकल्पिक अनुवाद': "सिंहासन और मेम्ने के सामने खड़ा है" + +# श्वेत वस्त्र + +यहाँ "श्वेत" रंग पवित्रता का प्रतीक है. + +# उद्धार मेंम्ने का है (से संबध रखता है) + +वैकल्पिक अनुवाद: "हमारा परमेश्वर, जो सिंहासन पर बैठा है, और मेंम्ने ने हमें बचाया है" या "उद्धार परमेश्वर और मेंम्ने की ओर से, आता है जो सिंहासन पर बैठता है " diff --git a/rev/07/11.md b/rev/07/11.md new file mode 100644 index 0000000..56e8e94 --- /dev/null +++ b/rev/07/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# सारे स्वर्गदूत ...जीवते प्राणी + +वैकल्पिक अनुवाद : "और सारे स्वर्गदूत उस सिंहासन और प्राचीनों और चारों प्राणियों के चारों ओर खड़े हैं " + +# चारों जीवित प्राणी + +इन चार प्राणियों का . में वर्णन है. + +# हमारे परमेश्वर की ...स्तुति, महिमा हो + +वैकलिपक अनुवाद: हमारा परमेश्वर सब स्तुति, महिमा, ज्ञान, धन्यवाद, सामर्थ और शक्ति के योग्य है" + +# युगानुयुग बनी रहे + +इन दोनों शब्दों का (अंग्रेजी शब्दों फॉरएवर एंड एवर) का एकसाथ प्रयोग ज़ोर डालने के लिए किया गया है. diff --git a/rev/07/13.md b/rev/07/13.md new file mode 100644 index 0000000..4d824cf --- /dev/null +++ b/rev/07/13.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# इन्होनें अपने वस्त्र मेंम्ने के लहू में धोकर श्वेत किए हैं + +"श्वेत" रंग पवित्रता का प्रतीक है, और "लहू" की तुलना पानी से की गई है, जो आम तौर पर वस्तुओं को साफ़ बनाता है. पवित्रता को "शुद्ध" होकर या मसीह के लहू द्वारा प्राप्त किया जा सकता है . diff --git a/rev/07/15.md b/rev/07/15.md new file mode 100644 index 0000000..88f821d --- /dev/null +++ b/rev/07/15.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वे, उन्हें, उनके + +इन सभी सर्वनामों का तात्पर्य उन सब से है जो महा क्लेश से निकल कर आए हैं. + +# धूप की तपन नहीं पड़ेगी + +इसका अर्थ यह है कि सूर्य की गर्मी लोगों को और अधिक नहीं सहनी पड़ेगी. diff --git a/rev/08/01.md b/rev/08/01.md new file mode 100644 index 0000000..4164a32 --- /dev/null +++ b/rev/08/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उन्हें सात तुरहियाँ दी गईं + +संभावित अर्थ : 1) परमेश्वर ने उन्हें सात तुरहियाँ दी या 2) मेंम्ने ने उन्हें सात तुरहियाँ दी. diff --git a/rev/08/03.md b/rev/08/03.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/08/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/08/06.md b/rev/08/06.md new file mode 100644 index 0000000..e657640 --- /dev/null +++ b/rev/08/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इसे पृथ्वी पर डाला गया + +वैकल्पिक अनुवाद: "स्वर्गदूत ने इसे पृथ्वी पर फेंका." + +# पृथ्वी की एक तिहाई जल गई, पेड़ों की एक तिहाई जल गई , और सब हरी घास भी जल गई + +वैकल्पिक अनुवाद: "इसने पृथ्वी का एक तिहाई हिस्सा जला दिया , इसने पेड़ों का एक तिहाई भाग जला दिया, और इसने सारी हरी घास जला दी" diff --git a/rev/08/08.md b/rev/08/08.md new file mode 100644 index 0000000..f7bfc99 --- /dev/null +++ b/rev/08/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# आग सा जलता हुआ एक बड़ा पहाड़ समुन्द्र में डाला गया + +" स्वर्गदूत ने एक बड़े जलते हुए पहाड़ के समान कुछ फेंका" + +# समुन्द्र का एक तिहाई लहू हो गया, समुन्द्र के एक तिहाई प्राणी मर गए, और एक तिहाई जहाज़ नष्ट हो गए + +वैकल्पिक अनुवाद : "इसके कारण समुन्द्र का एक तिहाई भाग लहू हो गया, एक तिहाई प्राणी मर गए और एक तिहाई जहाज़ नष्ट हो गए" + +# लहू बन गए + +संभावित अर्थ : 1) "लहू जैसे लाल हो गए" (युडीबी) 2) वास्तव में "लहू बन गए." diff --git a/rev/08/10.md b/rev/08/10.md new file mode 100644 index 0000000..36fbe46 --- /dev/null +++ b/rev/08/10.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# और एक बड़ा तारा जो मशाल के समान जलता था स्वर्ग से टूटा + +"और एक बड़ा तारा जो मशाल के समान जलता था स्वर्ग से टूटा ." बड़े तारे की आंच मशाल की आंच से मिलती- जुलती थी. + +# मशाल + +एक छड़ी जिसके एक और आग लगी होती है ताकि रौशनी मिल सके + +# उस तारे का नाम नागदौना है + +तारे का नाम "नागदौना" एक कड़वे पौधे के नाम पर रखा गया है। + +# नागदौना + +तारे के द्वारा ज़हरीला हो गया. पर : "कड़वा" (युडीबी) या "ज़हरीला" diff --git a/rev/08/12.md b/rev/08/12.md new file mode 100644 index 0000000..c88c700 --- /dev/null +++ b/rev/08/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# सूर्य के एक तिहाई पर आपत्ति आई + +वैकल्पिक अनुवाद: "सूर्य के एक तिहाई भाग पर अन्धेरा छा गया" diff --git a/rev/08/13.md b/rev/08/13.md new file mode 100644 index 0000000..9b21c62 --- /dev/null +++ b/rev/08/13.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उन तीन स्वर्गदूतों की तुरही शब्दों के कारण, जिनका फूंकना अभी बाकी है + +वैकल्पिक अनुवाद: "क्योंकि जिन तीन स्वर्गदूतों ने अपनी तुरही को अभी नहीं फूंका है वे उन्हें अब फूंकने वाले हैं" diff --git a/rev/09/01.md b/rev/09/01.md new file mode 100644 index 0000000..7bfce33 --- /dev/null +++ b/rev/09/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# कुण्ड + +पृथ्वी के नीचे एक लम्बा और गहरा मार्ग + +# गहरा और अंतहीन + +वैकल्पिक अनुवाद: " अंतहीन गहराई" + +# धुआं उठा + +आग में से धुंए की एक लम्बी लकीर उठी diff --git a/rev/09/03.md b/rev/09/03.md new file mode 100644 index 0000000..62ff680 --- /dev/null +++ b/rev/09/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# टिड्डियाँ + +कीड़े जो एक साथ बड़े झुण्डों में उड़ते हैं + +# बिच्छुओं की सी शक्ति + +बिच्छुओं में अन्य जानवरों को डसने और ज़हर फ़ैलाने की क्षमता होती है. + +# बिच्छु + +मधुमक्खियों के से ज़हरीले डंक वाले छोटे जन्तु + +# माथे + +आँखों के ऊपर , चेहरे का ऊपरी भाग diff --git a/rev/09/05.md b/rev/09/05.md new file mode 100644 index 0000000..f0817c0 --- /dev/null +++ b/rev/09/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वे + +टिड्डियाँ + +# उन मनुष्यों + +वे लोग जिन्हें टिड्डियाँ डंक मार रही थीं + +# लालसा + +अभिलाषा diff --git a/rev/09/07.md b/rev/09/07.md new file mode 100644 index 0000000..360b1da --- /dev/null +++ b/rev/09/07.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# टिड्डियाँ + +टिड्डियों का वर्णन उनकी तुलना जानी- पहचानी चीज़ों से किया गया है। diff --git a/rev/09/10.md b/rev/09/10.md new file mode 100644 index 0000000..4a9f0a6 --- /dev/null +++ b/rev/09/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यूहन्ना टिड्डियों का वर्णन करना जारी रखता है। + +# गहरा और अंतहीन + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था। + +# अब्द्दोन ...अपुल्लयोन + +दोनों नामों का अर्थ है "तबाही." diff --git a/rev/09/13.md b/rev/09/13.md new file mode 100644 index 0000000..d3ad799 --- /dev/null +++ b/rev/09/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सोने की वेदी के सींग + +वस्तुएं जिनका आकार सींगों जैसा था और जो सबसे ऊपर की वेदी के चारों कोनों पर थीं. + +# उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिए + +इन शब्दों का प्रयोग उस सटीक समय को दिखाने के लिए प्रयोग किया गया है, न कि इसका अर्थ सामान्य समय से है. वैकल्पिक अनुवाद: "उस सटीक समय के लिए" diff --git a/rev/09/16.md b/rev/09/16.md new file mode 100644 index 0000000..2bc64db --- /dev/null +++ b/rev/09/16.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# 200,000,00 + +देखें इसका अनुवाद आपने । diff --git a/rev/09/18.md b/rev/09/18.md new file mode 100644 index 0000000..4720db9 --- /dev/null +++ b/rev/09/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उनकी पूँछें सांपों के जैसी थीं + +घोड़ों की पूँछें की तुलना सांपों से की गई है. संभावित अर्थ : 1) "उनकी पूँछें के सिरे सांपों के सिरों के समान थे" (युडीबी) या 2) "उनकी पूँछें पतली थीं जिनके सिरे चौड़े थे और सांप के समान लगते थे." diff --git a/rev/09/20.md b/rev/09/20.md new file mode 100644 index 0000000..9a88b50 --- /dev/null +++ b/rev/09/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# बाकी मनुष्य जो महामारियों के द्वारा नहीं मारे गए थे + +"उन्हें जिन्हें महामारी ने नहीं मारा था" + +# वस्तुएं जो न देख, सुन और चल सकती हैं + +मूर्तियाँ. वैकल्पिक अनुवाद: "वस्तुएं जो जीवित नहीं हैं" diff --git a/rev/10/01.md b/rev/10/01.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/10/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/10/03.md b/rev/10/03.md new file mode 100644 index 0000000..1916b9b --- /dev/null +++ b/rev/10/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग में कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/10/05.md b/rev/10/05.md new file mode 100644 index 0000000..ebb6a50 --- /dev/null +++ b/rev/10/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# वह जो युगानुयुग जीवता है + +"वह" का अभिप्राय परमेश्वर से है. + +# और जो कुछ उस पर है (3 बार) + +इसका तात्पर्य सभी पौधों, जन्तुओं, और मनुष्यों से है जो हवा में, पानी में या पृथ्वी पर निवास करते हैं. + +# और देर न होगी + +"होने वाला है" diff --git a/rev/10/10.md b/rev/10/10.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/10/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/11/01.md b/rev/11/01.md new file mode 100644 index 0000000..51ae042 --- /dev/null +++ b/rev/11/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मुझे दिया गया ... मुझे बताया गया + +शब्द "मुझे" और "मैं" यूहन्ना के सन्दर्भ में हैं. + +# रौंदेगी + +किसी वस्तु को इतना अधिक तुच्छ समझना कि उसको पैरों तले रौंद दिया जाए. + +# बयालीस महीने + +वैकल्पिक अनुवाद: "बयालीस महीने" diff --git a/rev/11/03.md b/rev/11/03.md new file mode 100644 index 0000000..9345844 --- /dev/null +++ b/rev/11/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# ये गवाह दो जैतून के पेड़ और दो दीवटें हैं + +इन दो गवाहों का सन्दर्भ पहले जैतून के पेड़ और दीवटों के रूप में दिया गया है. diff --git a/rev/11/06.md b/rev/11/06.md new file mode 100644 index 0000000..329721c --- /dev/null +++ b/rev/11/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पृथ्वी पर हर प्रकार की विपत्ति लाएं + +पृथ्वी पर हर प्रकार की विपत्ति लाएं - इस वाक्य का अर्थ है कि पृथ्वी पर हर प्रकार का कष्ट आ सकें. + +# गहरा और अंतहीन + +शब्द "अंतहीन" का अर्थ अथाह जिसका अंत न हो. इन दोनों शब्दों का तात्पर्य कुण्ड की अत्यंत गहराई से है. diff --git a/rev/11/08.md b/rev/11/08.md new file mode 100644 index 0000000..f317d00 --- /dev/null +++ b/rev/11/08.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# साढ़े तीन दिन + +साढ़े तीन दिन - " 3 सम्पूर्ण दिन और आधा दिन : या "3.5 दिन" या "3 1/2 दिन" (देखें : TranslateNumbers) diff --git a/rev/11/10.md b/rev/11/10.md new file mode 100644 index 0000000..149742a --- /dev/null +++ b/rev/11/10.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# साढ़े तीन दिन + +साढ़े तीन दिन - " 3 सम्पूर्ण दिन और आधा दिन : या "3.5 दिन" या "3 1/2 दिन" (देखें : TranslateNumbers) diff --git a/rev/11/15.md b/rev/11/15.md new file mode 100644 index 0000000..1916b9b --- /dev/null +++ b/rev/11/15.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग में कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/11/16.md b/rev/11/16.md new file mode 100644 index 0000000..fc35bae --- /dev/null +++ b/rev/11/16.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# चौबीस प्राचीनों + +"चौबीस प्राचीनों " + +# मुँह के बल + +मुँह के बल गिरकर - सारे शरीर के सामने के भाग का तात्पर्य उनके "मुँह" से है (देखें: ) diff --git a/rev/11/18.md b/rev/11/18.md new file mode 100644 index 0000000..c7bd54f --- /dev/null +++ b/rev/11/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तेरा प्रकोप ... तेरे दासों...तेरा नाम + +शब्द "तेरा" का अभिप्राय परमेश्वर से है. + +# महत्त्वहीन + +वैकल्पिक अनुवाद : "दास" या "छोटे" या "नम्र" (कम प्रतिष्ठा के) diff --git a/rev/11/19.md b/rev/11/19.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/11/19.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/12/01.md b/rev/12/01.md new file mode 100644 index 0000000..9dfd9cf --- /dev/null +++ b/rev/12/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# स्वर्ग में एक बड़ा चिन्ह दिखाई दिया + +वैकल्पिक अनुवाद : "स्वर्ग में एक बड़ा चिन्ह प्रगट हुआ" या "मैंने , यूहन्ना ने, स्वर्ग में एक बड़ा चिन्ह देखा" + +# एक स्त्री जो सूर्य ओढ़े हुए थी + +वैकल्पिक अनुवाद: "एक स्त्री जो सूर्य ओढ़े हुए थी " + +# बारह तारे + +"12 तारे" diff --git a/rev/12/03.md b/rev/12/03.md new file mode 100644 index 0000000..0b40105 --- /dev/null +++ b/rev/12/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# अजगर + +एक बड़ा, छिपकली के जैसा, भयंकर रेंगनेवाला जन्तु. यहूदी लोगों के लिए यह बुराई और अराजकता का चिन्ह था. diff --git a/rev/12/05.md b/rev/12/05.md new file mode 100644 index 0000000..bbbbdc1 --- /dev/null +++ b/rev/12/05.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसका बच्चा परमेश्वर के पास पहुंचा दिया गया + +वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर ने जल्दी से उसका बच्चा अपने पास ले लिया." diff --git a/rev/12/07.md b/rev/12/07.md new file mode 100644 index 0000000..b8bb4bf --- /dev/null +++ b/rev/12/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अजगर + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था. अजगर की नौंवे पद में "शैतान" के रूप में पहचान की गई है। + +# बड़ा अजगर ...पृथ्वी पर गिरा दिया गया... + +वैकल्पिक अनुवाद : परमेश्वर ने बड़े अजगर और उसके दूतों को स्वर्ग से निकाल दिया और पृथ्वी पर फेंक दिया. diff --git a/rev/12/13.md b/rev/12/13.md new file mode 100644 index 0000000..1feb04b --- /dev/null +++ b/rev/12/13.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अजगर + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था। + +# अजगर ने देखा कि वह पृथ्वी पर गिरा दिया गया है + +अजगर ने देखा कि वह पृथ्वी पर गिरा दिया गया है - वैकल्पिक अनुवाद: "अजगर ने देखा कि परमेश्वर ने उसे स्वर्ग से निकाल दिया है और पृथ्वी पर फेंक दिया है" + +# एक समय, समयों, और आधे समय + +पर: "3.5 वर्ष" या "3 1/2 वर्ष" या "तीन सम्पूर्ण वर्ष और एक आधा वर्ष" diff --git a/rev/13/01.md b/rev/13/01.md new file mode 100644 index 0000000..5c72091 --- /dev/null +++ b/rev/13/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# तब मैंने देखा + +यहाँ "मैंने" का तात्पर्य यूहन्ना से है + +# अजगर + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था। diff --git a/rev/13/05.md b/rev/13/05.md new file mode 100644 index 0000000..6006032 --- /dev/null +++ b/rev/13/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पशु को दिया गया...उसे अधिकार दिया गया + +वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर ने पशु को दिया ... परमेश्वर ने पशु को अधिकार दिया" + +# बयालीस महीने + +"42 महीने" + +# उसकी निन्दा करते हुए + +वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर की प्रतिष्ठा और चरित्र की निन्दा करते हुए" (देखें: ) diff --git a/rev/13/07.md b/rev/13/07.md new file mode 100644 index 0000000..bcd483f --- /dev/null +++ b/rev/13/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसे अधिकार दिया गया था + +वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर ने पशु को अधिकार दे दिया था" + +# प्रत्येक जिसका नाम नहीं लिखा गया था + +वैकल्पिक अनुवाद: "वे जिनका नाम मेंम्ने ने नहीं लिखा था" या "वे जिनका नाम यीशु ने नहीं लिखा" + +# भेड़ों (मेमने) + +इसका अभिप्राय यीशु से है. देखो इसका अनुवाद में किस प्रकार किया था. + +# जिसका घात हुआ है + +वैकल्पिक अनुवाद: "जिसको लोगों ने घात किया है" diff --git a/rev/13/09.md b/rev/13/09.md new file mode 100644 index 0000000..8fade43 --- /dev/null +++ b/rev/13/09.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जिसके कान हों वह सुने + +इसका अर्थ है जिसमें सुनने और परमेश्वर का सन्देश सुनने की क्षमता है. diff --git a/rev/13/11.md b/rev/13/11.md new file mode 100644 index 0000000..2ea59f7 --- /dev/null +++ b/rev/13/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अजगर + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था। + +# और पृथ्वी को और इसमें रहने वाले जीवों को बनाया + +"और पृथ्वी पर सबको बनाया" + +# जिसका प्राणघातक घाव अच्छा हो गया था + +वैकल्पिक अनुवाद: "वह जिसको एक प्राणघातक घाव था जो भर गया" diff --git a/rev/13/13.md b/rev/13/13.md new file mode 100644 index 0000000..e1bfc1d --- /dev/null +++ b/rev/13/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वह दिखाता + +"पृथ्वी का पशु बड़े-बड़े चिन्ह दिखाता" + +# जिसको तलवार से घायल किया गया था + +वैकल्पिक अनुवाद: "वह जिसे किसी ने तलवार से घायल कर दिया था" देखें: diff --git a/rev/13/15.md b/rev/13/15.md new file mode 100644 index 0000000..22b85a8 --- /dev/null +++ b/rev/13/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसे अधिकार दे दिया गया + +वैकल्पिक अनुवाद : "परमेश्वर ने पृथ्वी के पशु को अधिकार दे दिया" + +# मूर्ति में प्राण डालने का + +वैकल्पिक अनुवाद : "मूर्ति में प्राण डालने का" + +# जितने लोग उस पशु की मूर्ति की पूजा न करें उन्हें मरवा डाले + +वैकल्पिक अनुवाद: "जो कोई भी उस पशु की पूजा करने से इन्कार करे उसे मरवा डाला जाए" diff --git a/rev/14/01.md b/rev/14/01.md new file mode 100644 index 0000000..fa4dd3d --- /dev/null +++ b/rev/14/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मैंने देखा + +यहाँ "मैंने" का तात्पर्य यूहन्ना से है + +# मेम्ना + +इसका अभिप्राय यीशु से है. देखो इसका अनुवाद में किस प्रकार किया था. + +# 144, 000 + +देखो में तुमने इसका अनुवाद किस प्रकार किया था। + +# जिनके माथे पर उसका और उसके पिता का नाम लिखा हुआ है + +वैकल्पिक अनुवाद: "जिनके माथों पर मेंम्ने और उसके पिता ने अपने नाम लिखे हुए हैं." diff --git a/rev/14/03.md b/rev/14/03.md new file mode 100644 index 0000000..05af47e --- /dev/null +++ b/rev/14/03.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वे गा रहे थे + +"144,000 जनों ने गीत गाया " + +# ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए + +वैकल्पिक अनुवाद: "वे 144, 000 जन वे हैं जो आत्मिक रीति से शुद्ध हैं, जिस प्रकार कुंवारे सदाचार से शुद्ध होते हैं. उन्होंने अपने आप को किसी झूठे देवता की आराधना करके अशुद्ध नहीं किया है." diff --git a/rev/14/06.md b/rev/14/06.md new file mode 100644 index 0000000..0c1a8e3 --- /dev/null +++ b/rev/14/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इस भाग के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/14/09.md b/rev/14/09.md new file mode 100644 index 0000000..99bbe45 --- /dev/null +++ b/rev/14/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# परमेश्वर के कोप की मदिरा पिएंगे + +यहाँ "मदिरा पीने" का अर्थ परमेश्वर के कोप का अनुभव करना है. + +# जिसे तैयार किया गया है + +वैकल्पिक अनुवाद: "जिसे परमेश्वर ने तैयार किया है" + +# उसके कोप का प्याला + +प्याला उस मदिरा से भरा है जो परमेश्वर के गुस्से का प्रतिनिधित्व करती है। + +# बिना मिलावट के उंडेला + +इसका सन्दर्भ उस मदिरा से है जिसमें पानी नहीं मिलाया गया. इसका अर्थ यह है कि वे परमेश्वर के पूर्ण कोप का सामना करेंगे. + +# उसके पवित्र स्वर्गदूत + +"परमेश्वर के पवित्र स्वर्गदूत" diff --git a/rev/14/11.md b/rev/14/11.md new file mode 100644 index 0000000..745ba3b --- /dev/null +++ b/rev/14/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उनकी पीड़ा से + +"उनकी निरन्तर पीड़ा से" diff --git a/rev/14/13.md b/rev/14/13.md new file mode 100644 index 0000000..20548a9 --- /dev/null +++ b/rev/14/13.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उनके कार्य उनके साथ जाएंगे + +वैकल्पिक अनुवाद : "परमेश्वर उनके कार्यों के लिए उन्हें उपहार देगा" diff --git a/rev/14/17.md b/rev/14/17.md new file mode 100644 index 0000000..92b5d04 --- /dev/null +++ b/rev/14/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यहाँ से पृथ्वी के लोगों पर परमेश्वर के न्याय का रूपक जारी रहता है . diff --git a/rev/14/19.md b/rev/14/19.md new file mode 100644 index 0000000..27a591c --- /dev/null +++ b/rev/14/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +यहाँ से पृथ्वी के लोगों पर परमेश्वर के न्याय का रूपक जारी रहता है . + +# बड़ा रसकुंड ....दाख रौंदे गए + +इसका अभिप्राय उसी रसकुंड से है. + +# लगाम + +एक ऐसा साधन जो घोड़े के सिर के चारों ओर बाँधा जाता है जिससे कि उसे नियन्त्रित किया जा सके diff --git a/rev/15/01.md b/rev/15/01.md new file mode 100644 index 0000000..904d3cd --- /dev/null +++ b/rev/15/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# फिर मैंने देखा...अन्त है + +यहाँ 15:1 में 15:2 -16: 21 जो होने वाला है उसका निचोड़ है। + +# बड़ा और अद्भुत + +वैकल्पिक अनुवाद: "कुछ ऐसा जिसने मुझे अत्यधिक हैरान कर दिया" + +# क्योंकि उनके समाप्त हो जाने पर परमेश्वर के प्रकोप का अंत है + +वैकल्पिक अनुवाद: "क्योंकि ये विपत्तियाँ परमेश्वर के प्रकोप का अन्त हैं." diff --git a/rev/15/03.md b/rev/15/03.md new file mode 100644 index 0000000..9ea8f96 --- /dev/null +++ b/rev/15/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# तेरे न्याय के काम प्रगट हो गए हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: "हर किसी ने तेरे न्याय के कामों को देख और समझ लिया है." diff --git a/rev/15/05.md b/rev/15/05.md new file mode 100644 index 0000000..c7a4914 --- /dev/null +++ b/rev/15/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इसके बाद + +"जब लोगों ने गाना बंद कर दिया" + +# पट्टियां + +कपड़े का एक सजावटी भाग जिसे शरीर के उपरी हिस्से पर पहना जाता है diff --git a/rev/16/01.md b/rev/16/01.md new file mode 100644 index 0000000..a0d2259 --- /dev/null +++ b/rev/16/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मैंने सुना + +लेखक यूहन्ना ने सुना + +# परमेश्वर के प्रकोप के कटोरे + +देखो तुमने इसी प्रकार के वाक्य का में किस प्रकार किया है diff --git a/rev/16/02.md b/rev/16/02.md new file mode 100644 index 0000000..415bb6c --- /dev/null +++ b/rev/16/02.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अपना कटोरा उंडेल दिया + +वैकल्पिक अनुवाद : "अपने कटोरे के दाखरस को उंडेल दिया" या "परमेश्वर के प्रकोप को उंडेल दिया जो उसके कटोरे में था" (देखें: ) + +# दुःखदायी फोड़े + +"दुःखदायी घाव." ये उन रोगों या चोटों के संक्रमण हो सकते हैं जो नहीं भरे। + +# पशु की छाप + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया है। diff --git a/rev/16/03.md b/rev/16/03.md new file mode 100644 index 0000000..1a53518 --- /dev/null +++ b/rev/16/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अपना कटोरा उंडेल दिया + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया है + +# समुन्द्र + +इसका अभिप्राय संसार के सभी समुन्द्रों से है. (देखें: ) + +# मरे हुए व्यक्ति के लहू के समान + +इसका अर्थ यह है कि पानी लाल और गाढ़ा हो गया और उसमें से बदबू आने लगी. diff --git a/rev/16/04.md b/rev/16/04.md new file mode 100644 index 0000000..069067f --- /dev/null +++ b/rev/16/04.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# अपना कटोरा उंडेल दिया + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया है + +# नदियों और पानी के सोतों + +इसका अभिप्राय ताज़े पानी के सभी स्त्रोतों से है. + +# पानी के स्वर्गदूत + +इसका अभिप्राय तीसरे स्वर्गदूत से है. परमेश्वर के प्रकोप को नदियों और पानी के सोतों पर उंडेलने का कार्यभार उस पर था. + +# तू न्यायी है + +"तू" का अभिप्राय परमेश्वर से है. + +# जो है और जो था + +देखो इसी प्रकार के वाक्य का अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया है। + +# उन्होंने पवित्र लोगों और भविष्यद्वक्ताओं का लहू बहाया था। + +वैकल्पिक अनुवाद: "बुरे लोगों ने पवित्र लोगों और भविष्यद्वक्ताओं को मार डाला था." + +# तू ने उन्हें लहू पिलाया + +परमेश्वर बुरे लोगों को जिस पानी को उसने लहू में बदल दिया है पीने को देगा। + +# मैंने वेदी से यह शब्द सुना + +संभावित अर्थ हो सकते हैं 1) "मैंने वेदी के निकट खड़े स्वर्गदूतों से सुना" या 2) "मैंने पवित्र लोगों की आत्माओं को वेदी के नीचे कहते सुना" diff --git a/rev/16/08.md b/rev/16/08.md new file mode 100644 index 0000000..891023b --- /dev/null +++ b/rev/16/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अपना कटोरा उंडेल दिया + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया है। + +# क्योंकि इसे उन्हें झुलसाने का अधिकार दे दिया गया था। + +यूहन्ना सूर्य के विषय में इस प्रकार बोलता है जैसे कि वह कोई मनुष्य हो. वैकल्पिक अनुवाद: "और सूर्य के द्वारा लोगों को अत्यधिक जलन दी" + +# वे अत्यंत गर्मी से झुलस गए थे + +वैकल्पिक अनुवाद: "अत्यधिक गर्मी ने उन्हें बुरी तरह झुलसा दिया" + +# उन्होंने परमेश्वर के नाम की निन्दा की + +वैकल्पिक अनुवाद: "उन्होंने परमेश्वर के नाम की निन्दा की" diff --git a/rev/16/15.md b/rev/16/15.md new file mode 100644 index 0000000..960e490 --- /dev/null +++ b/rev/16/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मैं चोर के समान आता हूँ + +देखो इसके समान वाक्य का अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया है + +# वे उसका नंगापन देखते हैं + +यहाँ "वे" शब्द का तात्पर्य अन्य लोगों से है। + +# वे उन्हें एक साथ ले आए + +"दुष्टात्माओं ने राजाओं और उनकी सेनाओं को इकट्ठा किया" + +# उस जगह जो कहलाता है + +"वह जगह जिसे लोग कहते हैं" + +# हर - मगिदोन + +यह जगह का नाम है. diff --git a/rev/17/03.md b/rev/17/03.md new file mode 100644 index 0000000..6873f03 --- /dev/null +++ b/rev/17/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# मोती + +एक चिकना, सख्त , और सफ़ेद मनका diff --git a/rev/17/06.md b/rev/17/06.md new file mode 100644 index 0000000..71f558a --- /dev/null +++ b/rev/17/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# लहू पीने से मतवाली + +इसका अर्थ यह है कि उसने मसीह में विश्वासियों में से अनेक को दुःखी किया और घात किया है. (देखें: ) + +# शहीद + +ये वे विश्वासी हैं जो यीशु में अपने विश्वास के लिए मारे गए। + +# तू चकित क्यों हुआ? + +"तुझे हैरान नहीं होना चाहिए." diff --git a/rev/17/08.md b/rev/17/08.md new file mode 100644 index 0000000..c79019f --- /dev/null +++ b/rev/17/08.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +स्वर्गदूत यूहन्ना से बात करना जारी रखता है. + +# वे जिनका नाम लिखा नहीं गया + +वैकल्पिक अनुवाद: "वे नाम जिन्हें यीशु ने नहीं लिखा है " diff --git a/rev/17/09.md b/rev/17/09.md new file mode 100644 index 0000000..c2b4587 --- /dev/null +++ b/rev/17/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +स्वर्गदूत यूहन्ना से बात करना जारी रखता है. + +# सात पहाड़ जिन पर वह स्त्री बैठी है + +यहाँ, "बैठी है" का अर्थ यह है कि उसका इन स्थानों और लोगों पर आधिपत्य है. diff --git a/rev/17/11.md b/rev/17/11.md new file mode 100644 index 0000000..5543f08 --- /dev/null +++ b/rev/17/11.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +स्वर्गदूत यूहन्ना से बात करना जारी रखता है. diff --git a/rev/17/12.md b/rev/17/12.md new file mode 100644 index 0000000..5543f08 --- /dev/null +++ b/rev/17/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +स्वर्गदूत यूहन्ना से बात करना जारी रखता है. diff --git a/rev/17/15.md b/rev/17/15.md new file mode 100644 index 0000000..fbef33a --- /dev/null +++ b/rev/17/15.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जो पानी तूने देखा, जिस पर वेश्या बैठी है + +देखो तुमने में इसी प्रकार के वाक्य का अनुवाद कैसे किया है। + +# लोग, भीड़, जातियां, भाषाएँ + +इन सभी शब्दों के समान अर्थ हैं और इनकी सूची ज़ोर डालने के लिए दी गई है. वैकल्पिक अनुवाद: "संसार के सभी लोग." diff --git a/rev/17/16.md b/rev/17/16.md new file mode 100644 index 0000000..f638a35 --- /dev/null +++ b/rev/17/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +स्वर्गदूत यूहन्ना से बात करना जारी रखता है. + +# उसे लाचार और नंगी कर देंगे + +"उसके पास जो कुछ भी है चुरा कर उसके पास कुछ भी नहीं छोड़ेंगे" + +# वे उसका मांस खा जाएंगे और उसे आग में जला देंगे + +इन दोनों वाक्यांशों का अर्थ है कि वे उसे पूर्ण रूप से नष्ट कर देंगे. + +# जब तक परमेश्वर के वचन पूरे न हों + +वैकल्पिक अनुवाद: "जब तक परमेश्वर पूरा न कर दे जो उसने कहा कि होगा" diff --git a/rev/17/18.md b/rev/17/18.md new file mode 100644 index 0000000..5543f08 --- /dev/null +++ b/rev/17/18.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +स्वर्गदूत यूहन्ना से बात करना जारी रखता है. diff --git a/rev/18/01.md b/rev/18/01.md new file mode 100644 index 0000000..04b0ffc --- /dev/null +++ b/rev/18/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# घृणित पक्षी + +"घिनौना पक्षी" या "अरुचिकर पक्षी" + +# क्योंकि सभी जातियां + +इस वाक्य का तात्पर्य सभी राष्ट्रों के लोगों से है + +# मदिरा पी है ...उसके व्यभिचार की + +इसका अर्थ यह है कि अन्य राष्ट्रों के लोगों ने बेबीलोन के नगर के साथ मिल कर उनके पापों में सहभागिता की है. + +# जिसके कारण उस पर विपत्तियां आ पड़ीं हैं + +"जो उसके लिए परमेश्वर के दंड का कारण बनी हैं" + +# व्यापारी + +वह व्यक्ति जो वस्तुएं बेचता है + +# की बहुतायत के कारण + +वैकल्पिक अनुवाद: "क्योंकि उसने बहुत सा धन अपने भोग-विलास पर खर्च किया" diff --git a/rev/18/07.md b/rev/18/07.md new file mode 100644 index 0000000..dc90de0 --- /dev/null +++ b/rev/18/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +स्वर्ग से शब्द बात करना जारी रखता है. + +# उसने अपनी बड़ाई की + +"बेबीलोन ने लोगों ने अपनी बड़ाई की" + +# वह आग में भस्म कर दी जाएगी + +वैकल्पिक अनुवाद: "आग उसे पूर्ण रूप से भस्म कर देगी" diff --git a/rev/18/09.md b/rev/18/09.md new file mode 100644 index 0000000..2dcb0e8 --- /dev/null +++ b/rev/18/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जिन्होंने उसके साथ व्यभिचार किया और सारी हदें पार कर दीं + +इसका अर्थ है कि राजाओं और उनके लोगों ने पाप किए और बेबीलोन के लोगों के समान परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया। + +# हाय, हाय + +इसको ज़ोर डालने के लिए दोहराया गया है। diff --git a/rev/18/11.md b/rev/18/11.md new file mode 100644 index 0000000..efec3ad --- /dev/null +++ b/rev/18/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसके लिए रोएंगे + +"बेबीलोन के लोगों के अपनी बड़ाई की" + +# संगमरमर + +एक कीमती पत्थर जिसका प्रयोग इमारतों के निर्माण में होता है + +# मसाले + +एक पदार्थ जिसका प्रयोग खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है diff --git a/rev/18/14.md b/rev/18/14.md new file mode 100644 index 0000000..651a130 --- /dev/null +++ b/rev/18/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# फल जिन्हें तू + +यहां "तू" का अभिप्राय बेबीलोन के लोगों से है. + +# पूरे मन से इच्छा की है + +"अत्यधिक लालायित था" + +# फिर कदापि न मिलेंगी + +वैकल्पिक अनुवाद: "तुझे फिर कभी न मिल पाएंगी" diff --git a/rev/18/15.md b/rev/18/15.md new file mode 100644 index 0000000..5106d6d --- /dev/null +++ b/rev/18/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# और सजाया गया था + +वैकल्पिक अनुवाद: "और उन्होंने अपने आप को सजाया" या "और उन्होंने पहने" + +# कीमती रत्न + +"कीमती पत्थर" या "अनमोल जवाहरात" + +# मोती + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था. diff --git a/rev/18/18.md b/rev/18/18.md new file mode 100644 index 0000000..c1ee756 --- /dev/null +++ b/rev/18/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उसके जलने का + +शब्द "उसके" का अभिप्राय बेबीलोन नगर से है। + +# कौन सा नगर इस बड़े नगर के समान है? + +वैकल्पिक अनुवाद: "कोई और नगर इस बड़े नगर बेबीलोन के समान नहीं है." diff --git a/rev/18/23.md b/rev/18/23.md new file mode 100644 index 0000000..f4bb06d --- /dev/null +++ b/rev/18/23.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +स्वर्गदूत बेबीलोन के लोगों से बात करना जारी रखता है। diff --git a/rev/19/01.md b/rev/19/01.md new file mode 100644 index 0000000..a7e3edd --- /dev/null +++ b/rev/19/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मैंने सुना + +यहाँ "मैंने" का तात्पर्य यूहन्ना से है + +# हल्लिलूयाह ! + +इस शब्द का अर्थ है "परमेश्वर की स्तुति हो" या "आओ हम परमेश्वर की स्तुति करें." + +# बड़ी वेश्या + +इसका तात्पर्य दुष्ट लोगों से है जो पृथ्वी के लोगों पर राज्य करते हैं , उन्हें झूठे देवताओं की आराधना करने में अगुवाई करते हैं. + +# जिसने पृथ्वी को भ्रष्ट किया + +वैकल्पिक अनुवाद: "जिसने पृथ्वी के लोगों को भ्रष्ट किया" diff --git a/rev/19/03.md b/rev/19/03.md new file mode 100644 index 0000000..1094099 --- /dev/null +++ b/rev/19/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हल्लिलूयाह ! + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था. + +# उससे युगानुयुग + +"मूर्तिपूजकों से युगानुयुग." वैकल्पिक अनुवाद: "उनसे जिन्होंने व्यभिचार किया है युगानुयुग कष्ट उठाएंगे" + +# चौबीस प्राचीनों + +24 प्राचीनों diff --git a/rev/19/05.md b/rev/19/05.md new file mode 100644 index 0000000..a7c690e --- /dev/null +++ b/rev/19/05.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# हमारे परमेश्वर की स्तुति करो + +यहाँ "हमारे" का तात्पर्य वक्ता और परमेश्वर के सभी दासों से है. + +# दोनों, क्या छोटे और क्या बड़े + +वक्ता इन शब्दों का एक साथ प्रयोग करता है जिसका अर्थ है परमेश्वर के सभी जन. diff --git a/rev/19/07.md b/rev/19/07.md new file mode 100644 index 0000000..7ca03e2 --- /dev/null +++ b/rev/19/07.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +जिस गीत का आरम्भ पिछले पदों में किया गया था वह यहाँ जारी रहता है + +# आओ हम आनन्दित हों + +यहाँ "हम" से अभिप्राय परमेश्वर के दासों से है। + +# उसकी स्तुति करो + +"परमेश्वर की स्तुति करो" + +# मेंम्ने के विवाह का समारोह .....उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है + +इसका अभिप्राय यीशु और उसके लोगों के हमेशा के मिलन से है. + +# मेम्ना + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था. diff --git a/rev/19/09.md b/rev/19/09.md new file mode 100644 index 0000000..1d6d0cd --- /dev/null +++ b/rev/19/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मेंम्ने का विवाह भोज + +विवाह का अभिप्राय यीशु और उसके लोगों के हमेशा के लिए मिलन से है. + +# मैं उसको दण्डवत् करने के लिए उसके पांवो पर गिर पड़ा + +दण्डवत् करने का अर्थ अपने आप को ज़मीन पर मुँह के बल लेटाना, सम्मान और सेवा भाव दिखाने के लिए. 19:3 पर नोट देखें diff --git a/rev/19/11.md b/rev/19/11.md new file mode 100644 index 0000000..7334bbe --- /dev/null +++ b/rev/19/11.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# फिर मैंने स्वर्ग को खुला हुआ देखा + +इस कल्पना का प्रयोग एक नए दर्शन के आरम्भ को प्रकट करने के लिए किया गया है. देखो इस विचार का अनुवाद तुमने 4:1, 11:19 और 15:5 में किस प्रकार किया था। + +# वह लहू छिड़का हुआ वस्त्र पहने है + +वैकल्पिक अनुवाद: "वह ऐसा वस्त्र पहने है जिस पर लहू के धब्बे हैं" या "उसने ऐसे वस्त्र पहने हैं जिनसे लहू टपक रहा है" diff --git a/rev/19/14.md b/rev/19/14.md new file mode 100644 index 0000000..f98a5a8 --- /dev/null +++ b/rev/19/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उसके मुंह से एक चोखी तलवार निकलती है + +देखो इसी प्रकार के वाक्य का अनुवाद तुमने 1:16 में किस प्रकार किया था। + +# जाति-जाति को मार गिराता है + +"राष्ट्रों को नष्ट करता है" या "राष्ट्रों को अपने अधीन करता है" + +# लोहे के राजदण्ड से उन पर राज्य करता + +देखो इसका अनुवाद तुमने 12:5 में किस प्रकार किया था. + +# उसके वस्त्र और जांघ पर एक नाम लिखा है + +वैकल्पिक अनुवाद: उसके वस्त्र और जांघ पर नाम लिखा है" diff --git a/rev/19/17.md b/rev/19/17.md new file mode 100644 index 0000000..88087c5 --- /dev/null +++ b/rev/19/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दोनों स्वतंत्र और दास, छोटे और बड़े + +स्वर्गदूत द्वारा इन सभी शब्दों का प्रयोग एक साथ करने का अर्थ है सभी लोग. diff --git a/rev/19/19.md b/rev/19/19.md new file mode 100644 index 0000000..3f962ac --- /dev/null +++ b/rev/19/19.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इन पदों के लिए कोई नोट्स नहीं हैं. diff --git a/rev/19/21.md b/rev/19/21.md new file mode 100644 index 0000000..b2da94f --- /dev/null +++ b/rev/19/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# शेष लोग + +"पशु की सेना के बाकी लोग" + +# तलवार जो उसके मुंह से निकलती थी + +देखो इसी प्रकार के वाक्य का अनुवाद तुमने 1:16 में किस प्रकार किया था. diff --git a/rev/20/01.md b/rev/20/01.md new file mode 100644 index 0000000..99d01da --- /dev/null +++ b/rev/20/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तब मैंने देखा + +यहाँ "मैंने" का तात्पर्य यूहन्ना से है + +# अथाह कुण्ड + +देखो इसका अनुवाद तुमने 9:1 में किस प्रकार किया था. + +# अजगर + +देखो इसका अनुवाद तुमने 12:3 में किस प्रकार किया था। + +# हज़ार वर्ष + +"1,000 वर्ष" + +# उसे खोला जाना चाहिए + +वैकल्पिक अनुवाद : "परमेश्वर स्वर्गदूत को उसे खोलने की आज्ञा देगा" diff --git a/rev/20/05.md b/rev/20/05.md new file mode 100644 index 0000000..11935f5 --- /dev/null +++ b/rev/20/05.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# शेष मरे हुए + +"सभी मरे हुए लोग" + +# हज़ार वर्ष पूरे हुए थे + +"1,000 वर्षों का अंत" + +# ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं + +यहाँ यूहन्ना "मृत्यु" का एक ऐसे व्यक्ति के रूप में वर्णन कर रहा है जिसके पास अधिकार हैं. वैकल्पिक अनुवाद: "ये लोग दूसरी मृत्यु का अनुभव नहीं करेंगे" + +# दूसरी मृत्यु + +देखो इसका अनुवाद तुमने 2:11 में किस प्रकार किया था। diff --git a/rev/20/07.md b/rev/20/07.md new file mode 100644 index 0000000..f5d97d6 --- /dev/null +++ b/rev/20/07.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# पृथ्वी के चारों ओर + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था। + +# गोग और मागोग + +ये वे नाम हैं जिनका प्रयोग भविष्यद्वक्ता यहेजकेल ने दूर-दराज़ के देशों का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया था. + +# जिनकी गिनती समुन्द्र के बालू के बराबर होगी + +यह शैतान की सेना में अत्यधिक सैनिकों की गिनती पर ज़ोर डालने के लिए है. diff --git a/rev/20/09.md b/rev/20/09.md new file mode 100644 index 0000000..fbc848a --- /dev/null +++ b/rev/20/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वे निकल गए + +"शैतान की सेना गई" + +# जलती हुई गन्धक की झील में + +देखो इसका अनुवाद तुमने 19:20 में किस प्रकार किया था. diff --git a/rev/20/11.md b/rev/20/11.md new file mode 100644 index 0000000..06b5c62 --- /dev/null +++ b/rev/20/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसके सामने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उनके लिए जगह न मिली + +यूहन्ना पृथ्वी और आकाश का वर्णन एक मनुष्य के रूप में करता है जो कि परमेश्वर के न्याय से बचने की कोशिश कर रहे हैं. इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर की उपस्थिति में पुराने आकाश और पृथ्वी पूर्ण रूप से नष्ट हो गए. + +# बड़े और छोटों + +यूहन्ना दोनों शब्दों का प्रयोग एक साथ यह बताने के लिए करता है कि सभी मृत व्यक्ति. + +# पुस्तकें खोली गईं + +वैकल्पिक अनुवाद: "और पुस्तकें खोली गईं" diff --git a/rev/20/13.md b/rev/20/13.md new file mode 100644 index 0000000..bc7339d --- /dev/null +++ b/rev/20/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मरे हुओं का न्याय किया गया + +वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर ने मरे हुओं का न्याय किया" + +# दूसरी मृत्यु + +देखो इसका अनुवाद तुमने 2:11 में किस प्रकार किया था। diff --git a/rev/21/01.md b/rev/21/01.md new file mode 100644 index 0000000..1e30aa1 --- /dev/null +++ b/rev/21/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मैंने देखा + +यहाँ "मैंने" का तात्पर्य यूहन्ना से है + +# उस के समान जो अपने पति के लिए श्रृंगार किए हो + +यह इस बात पर ज़ोर डालता है कि नया यरूशलेम बहुत सुन्दर था. diff --git a/rev/21/03.md b/rev/21/03.md new file mode 100644 index 0000000..ffbe9f7 --- /dev/null +++ b/rev/21/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +इन पदों के लिए कोई नोट्स नहीं हैं। diff --git a/rev/21/05.md b/rev/21/05.md new file mode 100644 index 0000000..1174586 --- /dev/null +++ b/rev/21/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अल्फ़ा और ओमेगा, आदि और अन्त + +इन दोनों वाक्यों का अर्थ समान है और इनको इसलिए जोड़ा गया है ताकि इस बात पर ज़ोर दिया जा सके की परमेश्वर अनन्त है. + +# अल्फ़ा और ओमेगा + +देखो इसका अनुवाद तुमने 1:8 में किस प्रकार किया था। + +# प्यासे को...जीवन का जल + +इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर बहुतायत से किसी को भी अनन्त जीवन देगा जो वास्तव में इसका इच्छुक होगा. diff --git a/rev/21/07.md b/rev/21/07.md new file mode 100644 index 0000000..2238c64 --- /dev/null +++ b/rev/21/07.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# डरपोकों + +"वे जो सही है उसे करने से डरते है" + +# घिनौनों + +"वे जो भयानक चीज़ें करते हैं" + +# जलती हुई आग और गन्धक की झील + +देखो इसका अनुवाद तुमने 19:20 में किस प्रकार किया था। + +# दूसरी मृत्यु + +देखो इसका अनुवाद तुमने 2:11 में किस प्रकार किया था। diff --git a/rev/21/09.md b/rev/21/09.md new file mode 100644 index 0000000..3e723d0 --- /dev/null +++ b/rev/21/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# दुल्हिन, मेंम्ने की पत्नी + +यहाँ इस विवाह की कल्पना यीशु के उसके लोगों के साथ हमेशा के लिए पवित्र नगर में होने का प्रतिनिधित्व करती है. + +# मेम्ना + +देखो इसका अनुवाद तुमने 5:6 में किस प्रकार किया था। + +# तब वह मुझे आत्मा में ले गया + +देखो इसका अनुवाद तुमने 17:3 में किस प्रकार किया था। diff --git a/rev/21/11.md b/rev/21/11.md new file mode 100644 index 0000000..b767a8b --- /dev/null +++ b/rev/21/11.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यरूशलेम + +"स्वर्गिक यरूशलेम" या "नया यरूशलेम" + +# बिल्लौर + +देखो इसका अनुवाद तुमने 4:6 में किस प्रकार किया था। + +# यशब + +देखो इसका अनुवाद तुमने 4:3 में किस प्रकार किया था। + +# बारह फाटक + +"12 फाटक" + +# लिखे थे + +वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर ने लिखा था" diff --git a/rev/21/18.md b/rev/21/18.md new file mode 100644 index 0000000..b7af5da --- /dev/null +++ b/rev/21/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# यशब...मरकत...लालड़ी + +देखो इसका अनुवाद तुमने में किस प्रकार किया था। + +# नीलमणि...गोमेदक....लहसुनिया....माणिक्य ...पीतमणि...पेरोज़....पुखराज...धूम्रकांत...याकूत + +ये सभी बहुमूल्य पत्थर हैं. diff --git a/rev/21/21.md b/rev/21/21.md new file mode 100644 index 0000000..98948be --- /dev/null +++ b/rev/21/21.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मोती + +देखो इसका अनुवाद तुमने 17:4 में किस प्रकार किया था। + +# प्रभु परमेश्वर....और मेंम्ना उसका मन्दिर हैं + +मन्दिर परमेश्वर की उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करता है. इसका अर्थ यह है कि नए यरूशलेम को मन्दिर की आवश्यकता नहीं क्योंकि परमेश्वर और मेंम्ना वहां रहते हैं . diff --git a/rev/22/01.md b/rev/22/01.md new file mode 100644 index 0000000..dfd1f48 --- /dev/null +++ b/rev/22/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मुझे दिखाई + +यहाँ "मुझे" का अभिप्राय यूहन्ना से है। + +# बिल्लौर की सी झलकती + +देखो इसका अनुवाद तुमने 4:6 में किस प्रकार किया था। + +# मेम्ना + +देखो इसका अनुवाद तुमने 5:6 में किस प्रकार किया था। + +# बारह प्रकार के फल + +"12 प्रकार के फल" diff --git a/rev/22/03.md b/rev/22/03.md new file mode 100644 index 0000000..0535955 --- /dev/null +++ b/rev/22/03.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# उसके दास उसकी सेवा करेंगे + +"उसके" और "उसकी" के संभावित अर्थ हैं 1) इसका अभिप्राय पिता परमेश्वर से है, या 2) इसका अभिप्राय मेंम्ने परमेश्वर से है, या 3) इसका तात्पर्य दोनों पिता परमेश्वर और और मेंम्ने दोनों से है जो एक रूप में राज्य करेंगे। diff --git a/rev/22/06.md b/rev/22/06.md new file mode 100644 index 0000000..0ab1734 --- /dev/null +++ b/rev/22/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# ये बातें विश्वास के योग्य और सत्य हैं + +देखो इसी प्रकार के वाक्य का अनुवाद तुमने 21:5 में किस प्रकार किया था। + +# देख, मैं शीघ्र आने वाला हूँ + +इस वाक्य से पहले उद्धरण चिन्ह का होना यह दिखाता है कि पद 6 और 7 के बीच में वक्ता बदल जाते हैं . सातवें पद में अब यीशु बोल रहा है, जैसा की युडीबी में लिखा है। diff --git a/rev/22/08.md b/rev/22/08.md new file mode 100644 index 0000000..ab8b7b3 --- /dev/null +++ b/rev/22/08.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# दण्डवत किया + +दण्डवत् करने का अर्थ अपने आप को ज़मीन पर मुंह के बल लेटाना. सम्मान और सेवा भाव दिखाने के लिए यह आराधना का एक महत्त्वपूर्ण भाग था. diff --git a/rev/22/12.md b/rev/22/12.md new file mode 100644 index 0000000..1409766 --- /dev/null +++ b/rev/22/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जो सिंहासन पर बैठा था उसने स्वयं को अल्फा और ओमेगा, आदि और अनन्त कहा। + +इन तीनों वाक्यों का समान अर्थ है और इन्हें इस बात पर ज़ोर डालने के लिए जोड़ा गया है कि यीशु हमेशा से यहाँ है. (देखें: और )। + +# अल्फ़ा और ओमेगा + +देखो इसका अनुवाद तुमने 1:8 में किस प्रकार किया था। + +# आदि और अन्त + +इसको सांस्कृतिक रूप में समझाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, यदि किसी को यूनानी लिपि का ज्ञान नहीं है तो अल्फ़ा और ओमेगा का उसके लिए कोई अर्थ नहीं है , इसलिए उन्हें अपनी भाषा और संस्कृति के अनुसार एक सटीक शब्द जो इसके समान है ढूंढना चाहिए। + +# पहला और अन्तिम + +देखें कि तुमने 1:17 में इसका अनुवाद किस प्रकार किया है। + +# आदि और अन्त + +देखो इसका अनुवाद तुमने 21:6 में किस प्रकार किया था। diff --git a/rev/22/14.md b/rev/22/14.md new file mode 100644 index 0000000..3fcbb8b --- /dev/null +++ b/rev/22/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अपने वस्त्र धो लेते हैं.....जीवन के वृक्ष से खाते हैं + +वे लोग जो आत्मिक रीति से शुद्ध हैं वे ही अनन्त जीवन के फलों को खाने में सक्षम हैं - परमेश्वर के साथ हमेशा रहते हुए. + +# बाहर + +इसका अर्थ यह है कि वे नगर के बाहर हैं और उन्हें अन्दर आने की आज्ञा नहीं है। + +# कुत्ते हैं। + +उस संस्कृति में कुत्ता एक अशुद्ध और तिरस्कृत जानवर था। यह दुष्ट लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। diff --git a/rev/22/16.md b/rev/22/16.md new file mode 100644 index 0000000..3184a38 --- /dev/null +++ b/rev/22/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तुम्हें गवाही दूँ + +यहाँ "तुम्हें" बहुवचन है। + +# दाऊद का मूल और वंश + +शब्द "मूल" और "वंश" का मूलतः समान अर्थ है. वे इस बात पर ज़ोर देते हैं कि यीशु दाऊद के परिवार से सम्बंधित है. (देखें: और ). + +# भोर का चमकता हुआ तारा + +इसका अभिप्राय उस चमकते हुए तारे से है जो भोर के समय दिखाई देता है और इस बात का चिन्ह है कि सुबह होने वाली है. यह यीशु का मसीहा के रूप में भी प्रतिनिधित्व करता है. diff --git a/rev/22/17.md b/rev/22/17.md new file mode 100644 index 0000000..5fd9e5d --- /dev/null +++ b/rev/22/17.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जो प्यासा हो...जीवन का जल + +इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर बहुतायत से किसी को भी अनन्त जीवन देगा जो वास्तव में इसका इच्छुक होगा. diff --git a/rev/22/18.md b/rev/22/18.md new file mode 100644 index 0000000..6edf010 --- /dev/null +++ b/rev/22/18.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं गवाही देता हूँ + +यहाँ " मैं" का तात्पर्य यूहन्ना से है। + +# यदि कोई इन बातों में कुछ बढ़ाएगा ....यदि कोई निकालेगा + +यह इस भविष्यवाणी के विषय में कुछ भी न बदलने की कड़ी चेतावनी है। + +# जिसका वर्णन इस पुस्तक में है। + +वैकल्पिक अनुवाद: "जिसके विषय में मैंने इस पुस्तक में लिखा है" diff --git a/rev/22/20.md b/rev/22/20.md new file mode 100644 index 0000000..8bad0a3 --- /dev/null +++ b/rev/22/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मैं शीघ्र आने वाला हूँ + +यहाँ "मैं" का तात्पर्य यीशु से है। + +# प्रत्येक + +"तुम में से हर एक." diff --git a/rom/01/01.md b/rom/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..c860872 --- /dev/null +++ b/rom/01/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# पौलुस + +पौलुस की ओर से आपकी भाषा में पत्र के लेखक का अपना परिचय देने की अपनी ही विधि होगी। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, मैं पौलुस इस पत्र को लिख रहा हूँ। आपको यह भी दर्शाने की आवश्यकता हो सकती है कि पत्र किसे लिखा जा रहा है। ( देखें यू.डी.बी + +# प्रेरित होने के लिए बुलाया गया और परमेश्वर के उस सुसमाचार के लिए अलग किया गया है। + +इसका अनुवाद एक नये वाक्य में कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है। “परमेश्वर ने मुझे एक प्रेरित होने के लिए बुलाया और मनुष्यों में शुभ सन्देश सुनाने के लिए मुझे चुन लिया है”। + +# जिसको उसने पहले ही से अपने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा पवित्रशास्त्र में + +परमेश्वर ने अपनी प्रजा से प्रतिज्ञा की थी कि वह अपना राज्य स्थापित करेगा। उसने भविष्यद्वक्ताओं से कह दिया था कि वे इन प्रतिज्ञाओं को धर्मशास्त्र में लिख लें। + +# अपने पुत्र के विषय में। + +यह “परमेश्वर के शुभ सन्देश” के संदर्भ में है। शुभ सन्देश यह है कि परमेश्वर अपने पुत्र को इस संसार में भेजने पर था। + +# वह शरीर के भाव से तो राजा दाऊद के वंश में जन्म लेगा। + +यहाँ “शरीर” का अर्थ है यह पार्थिव शरीर। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “जो प्राकृतिक रूप से दाऊद का वंशज होगा” या “जिसका जन्म दाऊद के परिवार में होगा”। diff --git a/rom/01/04.md b/rom/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..e885359 --- /dev/null +++ b/rom/01/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वह घोषित हुआ था। + +“वह” अर्थात मसीह यीशु। “ठहरा” को कर्तृवाच्य क्रिया में व्यक्त किया जा सकता है”। परमेश्वर ने उसे घोषित किया है। + +# पवित्रता की आत्मा + +अर्थात पवित्र आत्मा से + +# मरे हुओं में से जी उठने के कारण + +“मरने के बाद उसे फिर जीवित करने के द्वारा” + +# हमें अनुग्रह और प्रेरिताई मिली + +“परमेश्वर ने अति करूणामय होकर मुझे एक वरदान दिया कि मुझे प्रेरित नियुक्त करे”। वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर ने मुझे प्रेरित होने का यह करूणामय वरदान दिया है”। यहाँ “हमें” का अर्थ है, पौलुस और यीशु के 12 शिष्य। इसमें रोम की कलीसिया को नहीं गिना गया है। + +# सब जातियों के लोग विश्वास करके उसकी मानें + +पौलुस यीशु के लिए “नाम” शब्द भी काम में लेता है। वैकल्पिक अनुवाद, “कि सब जातियों को उसमें विश्वास करने के कारण आज्ञा मानना सिखाएं”। diff --git a/rom/01/07.md b/rom/01/07.md new file mode 100644 index 0000000..a4a0397 --- /dev/null +++ b/rom/01/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उन सब के नाम जो रोम में परमेश्वर के प्यारे हैं और पवित्र होने के लिए बुलाए गए हैं। + +उन सबके नाम जो रोम में परमेश्वर के प्यारे हैं और पवित्र होने के लिए बुलाए गए हैं। - इसका अनुवाद एक नए वाक्य में कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “मैं तुम सबको जो रोम में है यह पत्र लिख रहा हूँ, क्योंकि परमेश्वर तुमसे प्रेम करता है और तुम्हें अपने लोग होने के लिए चुन लिया है”। + +# तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे + +तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जाता है “मेरा अनुग्रह और शान्ति तुम्हें मिलती रहे”। diff --git a/rom/01/08.md b/rom/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..82536d3 --- /dev/null +++ b/rom/01/08.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# सारा जगत + +यह अतिशयोक्ति है जिसका अर्थ है उनका परिचित संसार अर्थात रोमी साम्राज्य + +# परमेश्वर मेरा गवाह है + +पौलुस इस बात पर बल देता है कि वह उनके लिए सच्चे दिल से प्रार्थना करता है और परमेश्वर उसे प्रार्थना करते हुए देखता भी है, यहाँ “क्योंकि” शब्द के अनुवाद में प्रार्थना को छोड़ दिया है। + +# मैं तुम्हें जिस प्रकार लगातार स्मरण करता रहता हूँ + +“मैं तुम्हारे लिए परमेश्वर से बातें करता हूँ”। + +# और नित्य अपनी प्रार्थनाओं में विनती करता हूँ कि किसी रीति से अब तुम्हारे पास आने की यात्रा परमेश्वर की इच्छा से सफल हो + +“मैं जब भी प्रार्थना करता हूँ तब परमेश्वर से यही माँगता हूँ कि मेरा तुम्हारे पास आना संभव हो जाए”। + +# किसी रीति से + +“परमेश्वर कैसे भी करे” + +# अब + +“अन्ततः”, अन्त में” या “अन्ततोगत्वा” + +# परमेश्वर की इच्छा से + +“क्योंकि परमेश्वर चाहता है” diff --git a/rom/01/11.md b/rom/01/11.md new file mode 100644 index 0000000..f7c1a69 --- /dev/null +++ b/rom/01/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तुमसे मिलने की लालसा करता हूँ + +“क्योंकि मैं तुमसे भेंट करने की उत्कट अभिलाषा रखता हूँ” + +# इसलिए + + + +# अर्थात तुम्हारे साथ एक दूसरे को आपसी विश्वास के द्वारा- तुम्हारे और मेरे विश्वास के द्वारा- प्रोत्साहित करें। + +“मेरे कहने का अर्थ है कि हम यीशु में विश्वास के अनुभवों को बाँटते हुए एक दूसरे को प्रोत्साहित करें।” diff --git a/rom/01/13.md b/rom/01/13.md new file mode 100644 index 0000000..a4326e8 --- /dev/null +++ b/rom/01/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मैं नहीं चाहता कि तुम इससे अनभिज्ञ रहो + +पौलुस उन्हें यह जानकारी देने पर बल देता है वैकल्पिक अनुवाद “मैं चाहता हूँ कि तुम निम्नलिखित बातें जान लोः + +# परन्तु अब तक रोका गया + +“कोई न कोई बात मुझे रोकती रही” + +# वैसा ही (फल) तुम में भी मिले + +"फल" से पौलुस का अभिप्राय है रोम के निवासी जिन्हें पौलुस शुभ सन्देश में विश्वास करने के लिए प्रेरित करना चाहता था। + +# जैसा मुझे दूसरी अन्यजातियों से फल मिला + +"जैसा अन्य स्थानों में विजातीय लोगों ने शुभ सन्देश में विश्वास किया।" + +# मे दोनों का कर्जदार हूँ + +“मुझे शुभ सन्देश सुनाना है” diff --git a/rom/01/16.md b/rom/01/16.md new file mode 100644 index 0000000..f616dbc --- /dev/null +++ b/rom/01/16.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# मैं लजाता नहीं + +पौलुस रोम में शुभ सन्देश सुनाने का कारण बताता है। + +# मैं सुसमाचार से नहीं लजाता + +इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, “चाहे कितने भी लोग मेरे द्वारा सुनाए गए इस सन्देश का तिरस्कार कर दें, मैं आत्म-विश्वास के साथ सुनाता हूँ।” ) + +# इसलिए कि वह + +पौलुस समझता है कि वह आत्म-विश्वास से शुभ सन्देश क्यों सुनाता है। + +# “वह हर एक विश्वास करने वालों के लिए उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ्य है। + +“शुभ सन्देश के द्वारा परमेश्वर मसीह में विश्वास करने वाले हर एक मनुष्य का बड़े सामर्थ्य से उद्धार करता है”। + +# पहले तो यहूदी फिर यूनानी + +“यहूदियों को” और यूनानियों को” + +# पहले + +यूनानियों से पूर्व यहूदियों को यह शुभ सन्देश सुनाया गया था। अतः यहाँ इसका मूल हो सकता है, 1) समय के क्रम में पूर्व परन्तु इसका अर्थ यह भी हो सकता है, 2) “अत्यधिक महत्त्व में”। + +# परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिए प्रगट होती है। + +“परमेश्वर ने प्रकट कर दिया है कि आरंभ से अन्त तक विश्वास ही के द्वारा मनुष्य धर्मी ठहरता है”। दूसरा अनुवाद, “परमेश्वर ने अपनी न्यायनिष्ठा विश्वास करनेवाले पर प्रकट की है और इसका परिणाम यह हुआ कि उनका विश्वास और अधिक हो गया है”। या “क्योंकि परमेश्वर विश्वासयोग्य है, वह अपनी धार्मिकता प्रकट करता है जिससे मनुष्यों का विश्वास बढ़ता है”। + +# विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा। + +“परमेश्वर में विश्वास करनेवालों को परमेश्वर अपने साथ उचित संबन्ध में मानता है और वे सदा जीवित रहेंगे”। diff --git a/rom/01/18.md b/rom/01/18.md new file mode 100644 index 0000000..132638e --- /dev/null +++ b/rom/01/18.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# प्रकोप के लिए + +पौलुस समझाता है कि मनुष्य को यह शुभ समाचार सुनना क्यों आवश्यक है। + +# परमेश्वर का क्रोध...प्रकट होता है + +दूसरा अनुवाद, “परमेश्वर अपना क्रोध प्रकट करता है, + +# विरुद्ध में + +“के लिए” + +# लोगों की सब अभक्ति और अधर्म + +वैकल्पिक अनुवाद, “मनुष्य जो भी अभक्ति और अधर्म के काम करते हैं”। + +# सत्य को.... दबाए रखते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “वे परमेश्वर के बारे में सच्ची जानकारी को छिपाते हैं”। + +# परमेश्वर के विषय का ज्ञान उनके मनों में प्रकट है, + +वैकल्पिक अनुवाद, “वे परमेश्वर को जान सकते हैं क्योंकि वे देख सकते हैं” + +# इसलिए कि परमेश्वर + +पौलुस स्पष्ट करता है कि ये लोग परमेश्वर का ज्ञान कैसे रखते हैं। + +# क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया। + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने उन्हें दिखाया है” diff --git a/rom/01/20.md b/rom/01/20.md new file mode 100644 index 0000000..3796d83 --- /dev/null +++ b/rom/01/20.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# (क्योंकि) + +पौलुस समझाता है कि परमेश्वर स्वयं को मनुष्यों पर कैसे प्रकट किया है। + +# उसके अनदेखे गुण देखने में आते हैं + +“अनदेखे” का अर्थ जो दिखाई देता है वह सब “देखने में आते हैं” क्योंकि मनुष्य अब समझ गए हैं कि दिखाई न देते हुए भी वे हैं। + +# संसार + +आकाश और पृथ्वी एवं सब कुछ जो उनमें है। + +# दैविक स्वभाव + +वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर के सब गुण एवं लक्षण” या "परमेश्वर की वे बातें जो उसे परमेश्वर बताता है।” + +# सृष्टि को ... देखने से समझ में आता है + +विकल्प, “मनुष्य परमेश्वर की सृष्टि को देखकर उसके बारे में ज्ञान ग्रहण कर सकता है”। + +# वे निरूत्तर हैं + +वैकल्पिक अनुवाद: “वे कभी नहीं कह सकते कि वे नहीं जानते। + +# वे + +“मानवजाति” + +# व्यर्थ विचार करने लगे + +“मूर्खता की बातों में मन लगाया” (यू.डी.बी.) + +# उनका निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया। + +इस अभिव्यक्ति में मन का अन्धेरा होने का अर्थ है उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई, विकल्प, “उनके मन में समझ ही नहीं रही”। diff --git a/rom/01/22.md b/rom/01/22.md new file mode 100644 index 0000000..5d010e1 --- /dev/null +++ b/rom/01/22.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अपने आप को बुद्धिमान जता कर, मूर्ख बन गए + +“बुद्धिमान होने का दावा करके, वे वास्तव में मूर्ख ही बने।” + +# अपने आपको ... (वे) + +“मानवजाति” + +# अविनाशी परमेश्वर की महिमा को ... बदल डा़ला + +वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर महिमा से पूर्ण है और अविनाशी है इस सत्य को बदल डाला” या “परमेश्वर को महिमामय एवं अविनाशी मानना त्याग दिया” + +# समानता के अनुरूप + +वैकल्पिक अनुवाद, “इसकी अपेक्षा मूर्तियों की उपासना करने का चुनाव किया ... जैसी दिखती थी” + +# नाशवान मनुष्य + +“कुछ मनुष्य मर जायेंगे” diff --git a/rom/01/24.md b/rom/01/24.md new file mode 100644 index 0000000..bec0cba --- /dev/null +++ b/rom/01/24.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# इस कारण + +इसके लिए + +# परमेश्वर ने उन्हें....छोड़ दिया + +“परमेश्वर ने उन्हें करने दिया” (देखें: “परमेश्वर ने अनुमति दे दी) + +# उन्हें उनके .... वे.... अपने + +“मानवजाति” + +# उनके मन की अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिए + +“जिन अनैतिक बातों की उनके मन में अभिलाषा थी” + +# वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें + +“उन्होंने यौन संबन्धित अनाचार एवं अनादर के काम किए” + +# इसके बदले + +इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “कि अपेक्षा” या “अन्यथा” या 2.) “इसके साथ” diff --git a/rom/01/26.md b/rom/01/26.md new file mode 100644 index 0000000..94dde67 --- /dev/null +++ b/rom/01/26.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# (इस) + +“मूर्तिपूजा और यौन संबन्धित पाप”। + +# परमेश्वर ने उन्हें ... छोड़ दिया + +“परमेश्वर ने उन्हें अनुमति दी” + +# नीच कामनाओं + +“लज्जाजनक यौन अभिलाषाएँ” + +# यहाँ तक कि उनकी स्त्रियों ने भी + +“उनकी स्त्रियों ने भी” + +# उनकी स्त्रियाँ + +मनुष्यों की स्त्रियाँ + +# स्वाभाविक व्यवहार को उससे जो स्वभाव के विरुद्ध है, बदल डाला + +“यौनाचार को वैसा बना दिया जैसा परमेश्वर ने नहीं रचा था। + +# कामातुर होकर जलने लगे + +“यौन वासना से जलने लगे” + +# भ्रम + +“अपमानजनक” या “लज्जाजनक” या “पापी” + +# अपने भ्रम का ठीक फल पाया + +इसे एक नए वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, “उन्होंने अपने इस भ्रष्टाचार का परमेश्वर से उचित दण्ड पाया है” + +# बिगाड़ + +व्यवहार जो बुरा और घृणित हो diff --git a/rom/01/28.md b/rom/01/28.md new file mode 100644 index 0000000..5ea6a5d --- /dev/null +++ b/rom/01/28.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उन्होंने परमेश्वर को पहचानना न चाहा + +“उन्होंने परमेश्वर को मानना उचित नहीं समझा” + +# उन्होंने... उन्हें.... उनके + +“मानवजाति” + +# उनके निकम्मे मन पर छोड़ दिया + +उनके निकम्मे मन पर छोड़ दिया “परमेश्वर ने उनके मन को अनाचार से भर जाने के लिए छोड़ दिया” + +# अनुचित + +“नीच” या “निर्लज्ज” या “पापी” diff --git a/rom/01/29.md b/rom/01/29.md new file mode 100644 index 0000000..43fd5a8 --- /dev/null +++ b/rom/01/29.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वह भर गए + +“उनके मन में उत्कट अभिलाषाएं भरी हुई थी” या “ऐसे काम करने की लालसा में लिप्त थे”। + +# वे + +“मानवजाति” diff --git a/rom/01/32.md b/rom/01/32.md new file mode 100644 index 0000000..6fa97ad --- /dev/null +++ b/rom/01/32.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# वे तो परमेश्वर की यह विधि जानते हैं + +वे जानते हैं कि परमेश्वर उनसे धर्मनिष्ठा की अपेक्षा करता है + +# ऐसे काम करने वाले + +“दुष्टता के काम करने वाले” + +# मृत्यु के दण्ड के योग्य + +“वह मृत्यु के योग्य है” + +# न केवल आप ही ऐसे काम करते हैं + +इसे एक नए वाक्य में अनुवाद किया जा सकता है, “परन्तु वे ही ऐसे काम करते हैं।” diff --git a/rom/02/01.md b/rom/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..7f776a9 --- /dev/null +++ b/rom/02/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +पौलुस यहाँ एक काल्पनिक यहूदी से विवाद करता है + +# इसलिए वे निरूत्तर हैं + +यहाँ मूल भाषा में “अतः” का जो शब्द है वह एक नया अंश का आरंभ दर्शाता है साथ ही जो कहा जा चुका है उसका समाप्त भी दर्शाता है वैकल्पिक अनुवाद“क्योंकि परमेश्वर पाप करने वाले को दण्ड देता है, इसलिए वह निश्चय ही तेरे पापों को क्षमा नहीं करेगा”। + +# तू + +यहाँ “तू” शब्द एक वचन में है। पौलुस यहां किसी वास्तविक मनुष्य से बातें नहीं कर रहा है, परन्तु वह विवाद करने वाले एक काल्पनिक मनुष्य से प्रतिवाद कर रहा है। पौलुस अपने श्रोतागण को सिखाने के लिए ऐसा विवाद कर रहा है कि परमेश्वर पाप करने वाले को अवश्य दण्ड देता है, वह चाहे यहूदी हो या अन्यजाति + +# तू जो दूसरों पर दोष लगाता है + +यहाँ मूल भाषा में “तू” के स्थान में है मनुष्य तू जो उसकी झिड़की का संकेत देता है क्योंकि मनुष्य परमेश्वर का स्थान लेकर मनुष्य पर दोष लगाता है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “तू केवल एक मनुष्य है, परन्तु तू फिर भी मनुष्यों का न्याय करके कहता है कि वे परमेश्वर के दण्ड के योग्य हैं।” + +# जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है। + +यहाँ एक नया वाक्य आरंभ किया जा सकता है, “सच तो यह है कि तू इस प्रकार अपना ही न्याय करता है क्योंकि तू भी तो वैसे ही दुष्टता के काम करता है”। + +# हम जानते हैं + +यहाँ “हम” में मसीही विश्वासी एवं अविश्वासी यहूदी दोनों आते हैं। + +# परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रगट होगा। + +“परमेश्वर सच्चा एवं निष्कपट न्याय करता है” + +# ऐसे-ऐसे काम करने वाले + +“जो दुष्टता के ऐसे काम करते हैं” diff --git a/rom/02/03.md b/rom/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..f0f96d7 --- /dev/null +++ b/rom/02/03.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +पौलुस एक काल्पनिक यहूदी से विवाद कर रहा है, जिसे वह प्रभावजनक प्रश्नों के द्वारा झिड़कता है। + +# तो + +“अतः” (यू.डी.बी.) + +# समझाता है + +“विचार कर कि मैं क्या कह रहा हूँ” + +# हे मनुष्य + +यहाँ मनुष्य के लिए सामान्य शब्द का उपयोग करें।वैकल्पिक अनुवाद, “तू जो भी है” + +# तू जो ऐसे-ऐसे काम करने वालों पर दोष लगाता है और आप वे ही काम करता है। + +“जो ऐसा कहता है कि कोई परमेश्वर” जो किसी को परमेश्वर के दण्ड का दोषी ठहराता है परन्तु स्वयं ही ऐसे काम करता है”। + +# तू परमेश्वर के दण्ड से क्या बच सकता है? + +वैकल्पिक अनुवाद, “तू भी परमेश्वर के दण्ड से नहीं बचेगा”। + +# क्या तू उसकी कृपा और सहनशीलता और धीरज रूपी धन को तुच्छ जानता है? + +वैकल्पिक अनुवाद, “तू तो ऐसा दिखाता है जैसे परमेश्वर का भला होना अर्थहीन है और कि वह दण्ड देने से पहले बहुत प्रतीक्षा करता है। + +# उसकी कृपा और सहनशीलता और धीरज रूपी धन + +“उनके धन .... धीरज को महत्त्वहीन समझता है” या “उनको किसी काम का नहीं समझता” + +# क्या यह नहीं समझता कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है। + +यहाँ एक नया वाक्य आरंभ किया जा सकता है, “तुझे समझ लेना है कि परमेश्वर तुझे दिखाता है कि वह भला है जिससे कि तू पापों से विमुख हो जाए”। diff --git a/rom/02/05.md b/rom/02/05.md new file mode 100644 index 0000000..9027cf7 --- /dev/null +++ b/rom/02/05.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है। + +# तू अपनी कठोरता और हठीले मन के कारण + +पौलुस परमेश्वर की वाणी नहीं सुनने वाले और उसकी आज्ञा नहीं मानने वाले की तुलना एक कठोर पत्थर से करता है। मन संपूर्ण व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि तू सुनना नहीं चाहता, पापों से विमुख होना नहीं चाहता है”। + +# अपने लिए क्रोध कमा रहा है + +“कमा रहा है” अर्थात धन सम्पदा एकत्र करके सुरक्षित करना। पौलुस के कहने का अर्थ है धन-संग्रह के स्थान पर परमेश्वर के दण्ड का भण्डारण करना। वे मन फिराव में जितना विलम्ब करेंगे उतना ही अधिक उनका दण्ड कठोर होता जाएगा, वैकल्पिक अनुवाद , “तू अपने दण्ड को अधिकाधिक कठोर बनाता जा रहा है”। + +# क्रोध के दिन के लिए जिसमें परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रकट होगा। + +ये एक ही दिन होगा विकल्प, “जब परमेश्वर सब पर प्रकट करेगा कि वह क्रोधित है और सबका निष्पक्ष न्याय करेगा” (यू.डी.बी.) + +# बदला देगा + +“निष्पक्षता के साथ प्रतिफल देगा या दण्ड देगा” + +# हर एक को उसके कामों के अनुसार + +“मनुष्यों ने जैसे काम किए हैं उसके अनुसार हर एक को बदला देगा”। + +# जो सुकामों में स्थिर रहकर महिमा और आदर और अमरता की खोज में हैं + +“जिन्होंने सदैव भले कामों के द्वारा दर्शाया है कि वे महिमा, प्रतिष्ठा और शाश्वत जीवन के खोजी है, उन्हें वह सदा का जीवन देगा”। + +# खोज में हैं + +इसका अर्थ है कि उनके काम ऐसे हैं कि न्याय के दिन उनके लिए परमेश्वर का निर्णय सकरात्मक होगा। + +# महिमा, और आदर और अमरता + +वे परमेश्वर से सुनाम और महिमा पाना चाहते हैं, तथा अमर हो जाना चाहते हैं। + +# अमरता + +शारीरिक अनश्वरता, न कि नैतिक, क्षय diff --git a/rom/02/08.md b/rom/02/08.md new file mode 100644 index 0000000..e726101 --- /dev/null +++ b/rom/02/08.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +उसी काल्पनिक यहूदी से पौलुस का विवाद चल रहा है। + +# खुदगर्ज़ + +“स्वार्थी” या “केवल अपनी प्रसन्नता के खोजी हैं” + +# क्रोध और कोप पड़ेगा + +परमेश्वर के क्रोध को व्यक्त करने के दो रूप हैं वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर अपना भयानक क्रोध प्रकट करेगा + +# और क्लेश और संकट + +यहाँ भी दो रूपों में एक ही बात कही गई है कि परमेश्वर के अति भयानक क्रोध को प्रकट करे। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “और अतिभयानक क्रोध दण्ड दिया जायेगा” + +# हर एक मनुष्य के प्राण पर + +यहाँ पौलुस संपूर्ण मनुष्य को दर्शाने के लिए “प्राण” शब्द का उपयोग करता है विकल्प “प्रत्येक मनुष्य” + +# जो बुरा करता है + +“जो सदैव बुराई में लिप्त रहता है” + +# पहले यहूदी को, फिर यूनानी को + +एक नए वाक्य में दूसरा अनुवाद: "परमेश्वर यहूदियों को पहले दण्ड देगा तदोपरान्त गैर यहूदियों को" + +# पहले + +क्योंकि शुभ सन्देश अन्यजातियों से पूर्व यहूदियों को सुनाया गया था। यहाँ मूल अर्थ है, 1) समय के क्रम में प्रथम, या 2) “निश्चय ही” (यू.डी.बी.) diff --git a/rom/02/10.md b/rom/02/10.md new file mode 100644 index 0000000..ddaa6cd --- /dev/null +++ b/rom/02/10.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# x + +पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है। + +# परन्तु महिमा और आदर और कल्याण + +“परन्तु परमेश्वर की महिमा, सम्मान और शान्ति के पात्र होंगे + +# जो भला करता है + +“जो भलाई करने से चूकता नहीं है” + +# पहले यहूदी को, फिर यूनानी को + +यह एक नया वाक्य बनाया जा सकता है, “परमेश्वर पहले यहूदियों को प्रतिफल देगा उसके बाद अन्यजातियों को प्रतिफल मिलेगा”। + +# पहले + +इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे + +# परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता + +“परमेश्वर एक जाति को दूसरी जाति से बड़ा या छोटा नहीं मानता है” विकल्प, “परमेश्वर सबके साथ समता का व्यवहार करता है” + +# जिन्होंने ... पाप किए + +इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “क्योंकि जिन्होंने... पाप किए”। + +# जिन्होंने बिना व्यवस्था पाए पाप किया, वे बिना व्यवस्था के नष्ट होंगे” + +“बिना व्यवस्था “ पौलुस इसे दोहराता इसलिए है कि वे परमेश्वर प्रदत्त मूसा के नियमों को नहीं जानते हैं। यदि वे पाप करेंगे तब परमेश्वर उन्हें भी दण्ड देगा। विकल्प, “मूसा द्वारा दिए गए नियमों को नहीं जानने वाले फिर भी आत्मिक मृत्यु के वारिस होते हैं।” + +# और जिन्होंने व्यवस्था पाकर पाप किया है + +इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “और वे सब जिन्होंने मूसा के नियमों के रहते हुए पाप किया” + +# व्यवस्था पाकर पाप किया उनका दण्ड व्यवस्था के अनुसार होगा। + +“जो मूसा के नियमों को जानते हैं, उनका न्याय उन नियमों के पालन के आधार पर किया जाएगा।” diff --git a/rom/02/13.md b/rom/02/13.md new file mode 100644 index 0000000..4fff27f --- /dev/null +++ b/rom/02/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है। + +# (क्योंकि) + +“अतः” यदि आपकी भाषा में पद 14 का आरंभ दर्शाने की विधि है और पौलुस के प्रमुख विवाद की व्यवस्था करने में, पाठक को अतिरिक्त जानकारी देने का प्रावधान है। हो सकता है कि आपको 2:14-15 या तो 2:13 के पहले या 2:16 के बाद व्यक्त करने की आवश्यकता हो। + +# व्यवस्था के सुननेवाले नहीं + +“मूसा के नियमों को सुननेवाले नहीं” + +# कौन हैं जो परमेश्वर के सामने धर्मी ठहराए जाएंगे + +“जो परमेश्वर को प्रसन्न करेंगे” + +# पर व्यवस्था पर चलने वाले + +“परन्तु मूसा प्रदत्त नियमों का पालन करने वाले” + +# जो धर्मी ठहराए जाएंगे + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “परमेश्वर उन्हें ग्रहण करेगा” (देखें: + +# अपने लिए आप ही व्यवस्था है + +“उनके मन में परमेश्वर प्रदत्त नियम रहते हैं” diff --git a/rom/02/15.md b/rom/02/15.md new file mode 100644 index 0000000..44e55aa --- /dev/null +++ b/rom/02/15.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है। + +# दिखाते हैं + +“स्वभाविक रूप से ही वे जो नियम दर्शाते हैं उनका पालन करते हैं” + +# नियमों का पालन करना उनके मन में अंकित है + +वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर ने उनके मन में अंकित कर दिया है कि नियमों का कैसे पालन करें” या “वे भलिभांति जानते हैं कि नियम उन्हें क्या करने की आज्ञा देते हैं”। + +# विवेक भी गवाही देते हैं + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से ही किया जाए, “नियम अनिवार्यता प्रकट करते है” या “नियमों के अनुसार परमेश्वर क्या चाहता है” + +# गवाही देते हैं, और उनके विचार पर परस्पर दोष लगाते या उन्हें निर्दोष ठहराते हैं। + +“उनके मन विवेक में प्रकट करते हैं कि वे गलत कर रहे हैं या सही” + +# जिस दिन परमेश्वर न्याय करेगा + +यहाँ पौलुस के विचारों का अन्त होता है एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “जिस दिन परमेश्वर न्याय करेगा तब ऐसा होगा”। diff --git a/rom/02/17.md b/rom/02/17.md new file mode 100644 index 0000000..67050d5 --- /dev/null +++ b/rom/02/17.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# x + +पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है। + +# यदि तू यहूदी कहलाता है + +अब इस पत्र का एक नया भाग आरंभ होता है। यहाँ “यदि” का अर्थ यह नहीं है कि पौलुस को सन्देह है या वह अनिश्चित है। वह इस कथन की यर्थाथता पर बल दे रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “तुम स्वयं को यहूदी समुदाय का सदस्य मानते हो” + +# व्यवस्था पर भरोसा रखता है, और यहोवा के विषय में घमण्ड करता है। + +“और तू मूसा प्रदत्त नियमों पर निर्भर करता है तथा परमेश्वर पर घमण्ड करता है।” + +# उसकी इच्छा जानता है + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “पथ-भ्रष्ट किए गए थे” + +# व्यवस्था की शिक्षा पाकर + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “क्योंकि तू जानता है कि मूसा ने जो नियम दिए उनकी शिक्षा क्या है” + +# अगर अपने पर भरोसा रखता है... और सत्य का भी + +यदि आपकी भाषा में 2:19-20 को पौलुस का मुख्य विचार दर्शाने की सुविधा है तो इसका यहाँ उपयोग करें। 2:17/17/18 और 02:21 (21) हो सकता है कि आपके अनुवाद में 2:19-20 को 2:17 के पहले रखने की आवश्यकता हो। + +# अगर भरोसा रखता है + +“तू निश्चय है” + +# कि तू अपने आप अंधों का अगुवा और अंधकार में पड़े हुओं की ज्योति है + +इन दोनों उक्तियों का तात्पर्य एक ही है। एक यहूदी किसी को जो देख नहीं सकता, सहायता के लिए उसे यहूदी नियम बताता है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तू उस मार्गदर्शक के तुल्य है जो किसी अंधे मनुष्य को मार्ग दिखाता है, और तू अन्धकार में भटके हुए मनुष्य के लिए प्रकाश जैसा है। + +# बुद्धिहीनों का सिखाने वाला + +इसका अनुवाद एक नये वाक्य में किया जा सकता है, “तू अनुचित कार्य करने वालों को सुधारता है” + +# बालकों का शिक्षक + +परमेश्वर प्रदत्त मूसा के नियमों के अज्ञानियों को पौलुस बालक कहता है। वैकल्पिक अनुवाद, “तू उनको शिक्षा देता है जो मूसा द्वारा लाए गए नियमों को नहीं जानते हैं।” + +# और ज्ञान और सत्य का नमूना जो व्यवस्था में है + +“क्योंकि तुझे विश्वास है कि तू मूसा द्वारा लाए गए नियमों में निहित सत्य को समझता है।” diff --git a/rom/02/21.md b/rom/02/21.md new file mode 100644 index 0000000..7fce9d1 --- /dev/null +++ b/rom/02/21.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस एक काल्पनिक यहूदी से विवाद कर रहा है जिसे वह प्रभावजनक प्रश्नों के द्वारा झिड़कता है। + +# अतः क्या तू दूसरों को सिखाता है, अपने आपको नहीं सिखाता? + +पौलुस अपने श्रोता को झिड़कने के लिए इस प्रश्न का उपयोग कर रहा है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “परन्तु तू दूसरों को शिक्षा देता है स्वयं को क्यों नहीं सिखा पाता” + +# तू जो चोरी न करने का उपदेश देता है क्या आप ही चोरी करता है? + +पौलुस अपने श्रोता को प्रश्न के माध्यम से झिड़कता है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “तू चोरी न करने की शिक्षा देकर स्वयं चोरी करता है”। + +# तू जो कहता है, “व्यभिचार न करना”, क्या आप ही व्यभिचार करता है? + +पौलुस अपने श्रोता को झिड़कने के लिए प्रश्न का उपयोग कर रहा है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “तू व्यभिचार न करने की शिक्षा देकर स्वयं व्यभिचार करता है”। + +# तू जो मूरतों से घृणा करता है, आप ही मन्दिरों को लूटता है। + +पौलुस अपने श्रोता को प्रश्न के माध्यम से झिड़कता है। इसके अनुवाद में एक नया वाक्य बनाया जा सकता है, “तू कहता है कि तुझे मूर्तियों से घृणा है परन्तु स्वयं मन्दिरों में चोरी करता है।” + +# मन्दिरों को लूटता है + +इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “स्थानीय मन्दिरों का सामान चुराकर बेचता है।" 2) "यरूशलेम के मन्दिर में जो पैसा परमेश्वर के लिए है उसे पूरा नहीं भेजता है।" 3)“स्थानीय देवताओं का उपहास करता है” diff --git a/rom/02/23.md b/rom/02/23.md new file mode 100644 index 0000000..be285a3 --- /dev/null +++ b/rom/02/23.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस एक काल्पनिक यहूदी से विवाद कर रहा है जिसे वह प्रभावजनक प्रश्नों द्वारा झिड़कता है। + +# तू जो व्यवस्था के विषय में घमण्ड करता है, क्या व्यवस्था न मानकर परमेश्वर का अनादर करता है? + +पौलुस प्रश्न के माध्यम से अपने श्रोता को झिड़कता है। “तू व्यवस्था पर घमण्ड करता है तो वह तेरी दुष्टता है क्योंकि तू उसका उल्लंघन करके अन्यजातियों के मन में परमेश्वर के लिए लज्जा उत्पन्न करवाता है। + +# क्योंकि तुम्हारे कारण अन्य जातियों में परमेश्वर के नाम की निन्दा होती है। + +यहाँ “नाम” शब्द परमेश्वर की पूर्णता का प्रतीक है केवल नाम का ही नहीं। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “तुम्हारे ऐसी दुष्टता के काम अन्यजातियों के मन में परमेश्वर के लिए निन्दा उत्पन्न करते हैं। diff --git a/rom/02/25.md b/rom/02/25.md new file mode 100644 index 0000000..b1237c4 --- /dev/null +++ b/rom/02/25.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +पौलुस एक काल्पनिक यहूदी से विवाद कर रहा है जिसे वह प्रभावजनक प्रश्नों द्वारा झिड़कता है। + +# खतने से लाभ हो + +“मैं यह सच कहता हूँ, क्योंकि खतना करवाना निश्चय ही तुझे लाभ पहुँचाता है।” + +# यदि तू व्यवस्था को न माने + +यदि तू व्यवस्था न माने - “यदि तू उन नियमों का पालन करे जो विधान में निहित हैं” + +# तो तेरा खतना, बिना खतना की दशा ठहरा + +यह नियमों के उल्लंघन करनेवाले की तुलना उस मनुष्य से करता है जिसका शारीरिक खतना हो गया परन्तु वह इस विधि को विपरीत कर देता है। वह चाहे यहूदी हो, वह वास्तव में एक अन्यजाति ही हुआ। “यह तो ऐसा है जैसे तेरा खतना नहीं हुआ” + +# खतनारहित मनुष्य + +“जिस मनुष्य का खतना नहीं हुआ” + +# व्यवस्था की विधियों को माना करे + +“विधान में जो आज्ञाएं हैं उनका पालन करे” + +# तो क्या उसकी बिना खतना की दशा खतने के बराबर नहीं गिनी जायेगी? + +पौलुस इस प्रश्न के द्वारा इस बात पर बल दे रहा है कि खतना अपने आप में मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष धर्मी नहीं बनाता है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “परमेश्वर तो उसे खतना किया हुआ ही मानेगा, “जिनका खतना नहीं हुआ वह तुझे... दोषी ठहराएगा”। + +# जो लेखा पाने और खतना किए जाने पर भी व्यवस्था को माना नहीं करता है। + +“जिसके पास लिखित धर्मशास्त्र है और जिसका खतना भी हुआ है परन्तु नियमों का पालन नहीं करता”। diff --git a/rom/02/28.md b/rom/02/28.md new file mode 100644 index 0000000..ddd9a54 --- /dev/null +++ b/rom/02/28.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# प्रगट में + +अर्थात् दिखाई देने वाली यहूदी विधियों द्वारा + +# प्रगट में है + +यह पुरूष के गुप्त अंग पर एक चिन्ह है जो एक धार्मिक संसार है। + +# यहूदी वही है जो मन में है और खतना वही है जो हृदय और आत्मा में है + +यह दो प्रमाण हैं कि “जो मन से यहूदी है वही सच्चा यहूदी है। इससे इस उक्ति की परिभाषा समझ में आ जाती है, “खतना वही है जो हृदय का है।” + +# आंतरिक रीती से + +यह परमेश्वर द्वारा परिवर्तित मनुष्य के मान और अभिप्रेरणा को प्रकट करता है। + +# आत्मा में है + +यह संभवतः मनुष्य के भीतर उसके आत्मिक मनुष्यत्व का संदर्भ देता है, बाहरी “विधान” की तुलना में। तथापि यह भी संभत है कि इसका संदर्भ पवित्र आत्मा से है (देखें यू.डी.बी.) + +# न कि लेखक का + +यहाँ “लेखा” से अभिप्राय है लिखित धर्मशास्त्र। वैकल्पिक अनुवाद, “पवित्र आत्मा के कार्य के अनुसार न कि नियमों की जानकारी के अनुसार”। diff --git a/rom/03/01.md b/rom/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..2e3639c --- /dev/null +++ b/rom/03/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद में ऐसे प्रश्नों का उत्तर दे रहा है जो वह पूछ सकता है। + +# यहूदी की क्या बड़ाई या खतने का क्या लाभ + +वैकल्पिक अनुवाद, “अतः यहूदियों को परमेश्वर की वाचा का कोई लाभ नहीं जबकि परमेश्वर तो लाभ की प्रतिज्ञा की थी” + +# इस प्रकार से बहुत कुछ + +“लाभ तो बहुत है” + +# पहले + +वैकल्पिक अनुवाद, “समय के क्रम में पहले” या “अति निश्चित रूप से” (देखें यू.डी.बी.) या “आवश्यक रूप से” diff --git a/rom/03/03.md b/rom/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..76f5450 --- /dev/null +++ b/rom/03/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद कर रहा है और ऐसे मनुष्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दे रहा है। + +# कुछ विश्वासघाती निकले भी तो क्या हुआ? + +पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों द्वारा मनुष्यों को सोचने पर विवश करता है। कुछ यहूदियों के साथ स्वामिभक्ति नहीं निभाते तो कुछ का कहना था कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा पूरी नहीं करेगा। + +# कदापि नहीं + +“असंभव है”। या “निश्चय ही नहीं” यह अभिव्यक्ति दृढ़ता से इन्कार करती है कि ऐसा होने की संभावना है। आप अपनी भाषा में ऐसी ही अभिव्यक्ति को काम में लेना चाहेंगे। + +# वरन् + +“इसकी अपेक्षा हमें कहना है” + +# जैसा लिखा है + +“यहूदी धर्मशास्त्र भी मेरी बात से सहमत है” diff --git a/rom/03/05.md b/rom/03/05.md new file mode 100644 index 0000000..8d3155f --- /dev/null +++ b/rom/03/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद कर रहा है और ऐसे मनुष्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दे रहा है। + +# यदि हमारा अधर्म परमेश्वर की धार्मिकता ठहरा देता है तो हम क्या कहें? + +पौलुस इन शब्दों को उस काल्पनिक यहूदी के मुँह में रख रहा है जिससे वह बात कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि हमारी ईश्वर-भक्ति दर्शाती है कि परमेश्वर न्यायोचित है मैं एक प्रश्न पूछता हूँ” + +# क्या यह कि परमेश्वर जो क्रोध करता है, अन्यायी है? + +यदि आप यह वैकल्पिक अनुवाद काम में ले रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि पाठक को समझ में आ जाए कि इसका उत्तर “नहीं” है। क्या परमेश्वर जो मनुष्यों पर क्रोध करता है, वह न्यायोचित नहीं है”? + +# यह मैं मनुष्य की रीति पर कहता हूँ + +“मैं एक अलग मनुष्य के सदृश्य कह रहा हूँ, + +# नहीं तो परमेश्वर कैसे जगत का न्याय करेगा? + +पौलुस इस प्रभावोत्पाद प्रश्न द्वारा दर्शाता है कि मसीही शुभ सन्देश के विरूद्ध विवाद करना बेतुका है, क्योंकि सब यहूदियों का मानना है कि परमेश्वर मुनष्यों का न्याय कर सकता है वरन करता भी है और हम सब जानते हैं कि परमेश्वर वास्तव के संसार का न्याय करेगा”। diff --git a/rom/03/07.md b/rom/03/07.md new file mode 100644 index 0000000..a6d2e51 --- /dev/null +++ b/rom/03/07.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद कर रहा है और ऐसे मनुष्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दे रहा है। + +# यदि मेरे झूठ के कारण परमेश्वर की सच्चाई उसकी महिमा के लिए, अधिक करके प्रगट हुई तो फिर क्यों पापी के समान मैं दण्ड के योग्य ठहराया जाता हूँ? + +यहाँ पौलुस कल्पना करता है कि एक मनुष्य मसीही सुसमाचार का परित्याग करता है; तो बैरी विवाद करता है कि परमेश्वर उसे न्याय के दिन पापी न ठहराए यदि उदाहरणार्थ उसने झूठ कहा है। + +# हम क्यों बुराई न करें कि ....? + +यह पौलुस का अपना प्रश्न है जो दर्शाता है कि उसके काल्पनिक विरोधों का विवाद कैसा बेतुका है, वैकल्पिक अनुवाद, “उचित तो यह होगा कि मैं कहूँ कि हम बुरे काम करें कि परिणामस्वरूप भलाई उत्पन्न हो”। + +# जैसा हम पर यही दोष लगाया भी जाता है। + +वैकल्पिक अनुवाद + +# परन्तु ऐसों का दोषी ठहरना ठीक है। + +परमेश्वर, पौलुस के इन बैरियों को जब दण्ड देगा तब वह न्यायनिष्ठ ही होगा, क्योंकि वे पौलुस की शिक्षा के बारे में झूठी बातें कहते हैं। diff --git a/rom/03/09.md b/rom/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..60c3d63 --- /dev/null +++ b/rom/03/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद कर रहा है और ऐसे मनुष्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दे रहा है। + +# तो फिर क्या हुआ? हम उनसे अच्छे हैं? + +इसके संभावित अर्थ हैं, 1) हम विश्वासी जन उन दुष्टता के कामों को नहीं छिपाते जिनके लिए हमें कहा जाता है कि हम करते हैं। या 2) हम यहूदियों को कल्पना करने की आवश्यकता नहीं कि हम परमेश्वर क दण्ड से बच जाएंगे क्योंकि हम यहूदी हैं। (यू.डी.बी.) + +# कभी नहीं + +ये शब्द मात्र “नहीं” से अधिक प्रबल हैं परन्तु इतने प्रबल भी नहीं जितने “कदापि नहीं” होते हैं। diff --git a/rom/03/11.md b/rom/03/11.md new file mode 100644 index 0000000..8c63353 --- /dev/null +++ b/rom/03/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कोई समझदार नहीं + +“कोई भी परमेश्वर के सत्य को नहीं समझता है” + +# कोई परमेश्वर को खोजने वाला नहीं + +“कोई भी नहीं है जो परमेश्वर के साथ न्यायोचित संबन्ध बनाने का प्रयास करता है” + +# सब भटक गए हैं + +“सबने परमेश्वर का त्याग करके उस धर्मपराण्यता इच्छा तिरस्कार किया है”। + +# सब निकम्मे बन गए हैं + +“जहाँ तक उनके लिए परमेश्वर की इच्छा का प्रश्न है, सब निकम्मे हो गए हैं” diff --git a/rom/03/13.md b/rom/03/13.md new file mode 100644 index 0000000..513fb31 --- /dev/null +++ b/rom/03/13.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उनका ... उन्होंने + +“यहूदियों और यूनानियों” + +# उनका गला खुली हुई कब्र है + +पौलुस एक अलंकार द्वारा दर्शा रहा है कि मनुष्य की हर एक बात धर्मविरोधी एवं घृणाजन्य है + +# उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है + +“मनुष्य झूठ बोलते हैं” + +# उनका मुख पाप और कड़वाहट से भरा है। + +“मनुष्य जो भी कहता है वह हानिकारक है और अन्यों की हानि के अभिप्राय से होता है”। diff --git a/rom/03/15.md b/rom/03/15.md new file mode 100644 index 0000000..4a3ce78 --- /dev/null +++ b/rom/03/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उनके ....उनके....उन्होंने ... उनकी + +“यहूदी और यूनानी” + +# उनके पाँव लहू बहाने को फुर्तीले हैं + +“वे मनुष्यों को हानि पहुंचाने और उनकी हत्या करने के लिए विलम्ब नहीं करते हैं”। + +# उनके मार्गों में नाश और क्लेश है + +“हर एक मनुष्य की जीवनशैली ऐसी है कि वे जानबूझ अन्यों को नाश करना चाहते हैं और उन्हें कष्ट पहुँचाना चाहते हैं। + +# कुशल का मार्ग + +“मार्ग” अर्थात “रास्ता”, “पथ” इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “अन्यों के साथ मेल-मिलाप से कैसे रहना है” (देखें: + +# उनकी आँखों के सामने परमेश्वर का भय नहीं + +“परमेश्वर को उसके योग्य सम्मान अर्पित करने से सब इन्कार करते है” diff --git a/rom/03/19.md b/rom/03/19.md new file mode 100644 index 0000000..c94bf84 --- /dev/null +++ b/rom/03/19.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# व्यवस्था जो कुछ कहती है, उन्हीं से कहती है + +“मनुष्यों के लिए नियमों के पालन की जो भी अनिवार्यता है वह उनके लिए ही है” या “मूसा ने विधान में जितनी भी आज्ञाएँ दी है, वे उनके लिए है” + +# इसलिए कि हर एक मुंह बन्द किया जाए + +“कि कोई भी अपने प्रतिवाद में कुछ भी न कहने पाए जो उचित हो” कर्तृवाच्य वाक्य में इसका अनुवाद हो सकता है, इस प्रकार परमेश्वर मनुष्य को इस योग्य नहीं छोड़ता है कि वह कहे, “मैं निर्दोष हूँ” + +# इसलिए + +इसके अर्थ हो सकते हैं, 1) “कि” या 2) “और इस प्रकार” या 3) “वरन” + +# व्यवस्था के द्वारा पाप की पहचान होती है + +“जब मनुष्य को परमेश्वर के नियमों का ज्ञान होता है तो उसे यह बोध हो जाता है कि धार्मिकता नहीं, परमेश्वर की दृष्टि में पापी है” diff --git a/rom/03/21.md b/rom/03/21.md new file mode 100644 index 0000000..ba1f649 --- /dev/null +++ b/rom/03/21.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# परन्तु + +पौलुस अपनी प्रस्तावना समाप्त करके अब अपना प्रमुख विचार व्यक्त करना चाहता है। + +# अब + +“अब” शब्द उस समय के संदर्भ में है जब से यीशु इस पृथ्वी पर आया। + +# व्यवस्था से अलग परमेश्वर की वह धार्मिकता प्रगट हुई है + +इसका अनुवाद एक सक्रिय क्रिया के रूप में किया जा सकता है : "परमेश्वर ने प्रगट नहीं किया" + +# व्यवस्था से अलग + +इसका संबन्ध “न्यायोचित होने” से है, न कि “ऐसी विधि प्रकट की है” से है। + +# जिसकी गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं + +“व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता” यहूदी धर्मशास्त्र के उस अंश को दर्शाते हैं जिसकी रचना मूसा और भविष्यद्वक्ताओं ने की है जिस प्रकार कि कोई न्यायालय में गवाही देने जा रहा है। इसका वैकल्पिक अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “मूसा और भविष्यद्वक्ताओं ने जो कहा वह इसको सत्यापित करते हैं + +# व्यवस्थारहित धार्मिकता मसीह में विश्वास के द्वारा सब विश्वासियों के लिए परमेश्वर की धार्मिकता है। + +इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “मैं इस धार्मिकता के विषय में कह रहा हूँ जो परमेश्वर हमें देता है जब हम मसीह यीशु में विश्वास करते है”। + +# क्योंकि कुछ भेद नहीं + +“क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में यहूदी और अन्यजाति बराबर हैं” diff --git a/rom/03/23.md b/rom/03/23.md new file mode 100644 index 0000000..a5bbf93 --- /dev/null +++ b/rom/03/23.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है + +उसके अनुग्रह उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है - इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है। “परमेश्वर ने अपनी करूणा के द्वारा उन्हें न्यायोचित ठहराया है क्योंकि मसीह यीशु ने उन्हें मुक्ति दिलाई है। diff --git a/rom/03/25.md b/rom/03/25.md new file mode 100644 index 0000000..8bc8f61 --- /dev/null +++ b/rom/03/25.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं + +इसके अर्थ हो सकते हैं, 1) अनदेखा करना, या 2) क्षमा करना। + +# जो विश्वास करने से इस समय परमेश्वर की न्यायनिष्ठा के प्रदर्शन हेतु है कि वह स्वयं को न्यायोचित सिद्ध करे और प्रकट करे कि वह हर एक मनुष्य को यीशु में विश्वास के कारण न्यायोचित ठहराता है। + +“उसने इस समय अपनी न्यायनिष्ठा को प्रकट करने के लिए ऐसा किया वह दर्शाता है कि वह न्यायनिष्ठ है और यीशु में विश्वास करने वाले हर एक मनुष्य को न्यायोचित ठहराता है। diff --git a/rom/03/27.md b/rom/03/27.md new file mode 100644 index 0000000..4dbae91 --- /dev/null +++ b/rom/03/27.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों का उत्तर देकर प्रबलता-पूर्वक दर्शाना चाहता है कि वह जो बात कह रहा है वह निश्चय ही सच है। + +# कहां रहा? + +“किस कारण से? या “घमण्ड का निराकरण क्यों?” या “हम घमण्ड क्यों नहीं कर सकते हैं”? + +# क्या कर्मों की व्यवस्था से? + +“घमण्ड का निराकरण क्या नियमों के पालन करने के कारण है” + +# विश्वास की व्यवस्था के कारण + +“क्योंकि हम यीशु में विश्वास करते हैं” + +# अलग ही + +“पृथक होकर” diff --git a/rom/03/29.md b/rom/03/29.md new file mode 100644 index 0000000..59680c1 --- /dev/null +++ b/rom/03/29.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों का ही उत्तर दे रहा है कि उसके द्वारा कही गई बात का महत्त्व प्रकट हो। + +# क्या परमेश्वर केवल यहूदियों का ही है? + +“यदि परमेश्वर केवल उसके नियमों का पालन करनेवालों ही को धर्मी ठहराता है तो क्या वह केवल यूहदियों का ही परमेश्वर नहीं हुआ”? diff --git a/rom/03/31.md b/rom/03/31.md new file mode 100644 index 0000000..c2affea --- /dev/null +++ b/rom/03/31.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों का ही उत्तर दे रहा है कि उसके द्वारा कही गई बात का महत्त्व प्रकट हो। + +# क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? विधान का निराकरण करें? + +वैकल्पिक अनुवाद, “क्या हम विश्वास के कारण नियमों के विधान का निराकरण करें? + +# कदापि नहीं। + +“यह तो सच हो ही नहीं सकता”। या “ऐसा कभी नहीं हो सकता” (यू.डी.बी.) यह उक्ति पूर्व व्यक्त प्रभावोत्पादक प्रश्न की अति प्रबल नकारात्मक अभिव्यक्ति है। आप अपनी भाषा में ऐसी ही अभिव्यक्ति काम में लेना चाहेंगे। + +# व्यवस्था को स्थिर करते हैं + +वैकल्पिक अनुवाद, “हम नियमों का पालन करते हैं”। + +# हम + +इस सर्वनाम का संदर्भ पौलुस से, अन्य विश्वासियों से तथा पाठकों से है। diff --git a/rom/04/01.md b/rom/04/01.md new file mode 100644 index 0000000..2664d1e --- /dev/null +++ b/rom/04/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों का ही उत्तर दे रहा है कि उसके द्वारा कही गई बात का महत्त्व प्रकट हो। + +# हम क्या कहें हमारे शारीरिक पिता अब्राहम, हमारा आदि पिता को क्या प्राप्त हुआ? + +“हमारे पूर्वज अब्राहम ने यही तो पाया। पौलुस पाठकों का ध्यानाकर्षित करने हेतु प्रश्न पूछ कर एक नई बात कहता है। + +# पवित्र शास्त्र अब्राहम की धार्मिकता के बारे में क्या कहता है? + +" हम इसे पवित्र शास्त्र में देख सकते है" + +# और वह उसके लिए धार्मिकता गिना गया + +“और परमेश्वर अब्राहम को धर्मी कहा”। diff --git a/rom/04/06.md b/rom/04/06.md new file mode 100644 index 0000000..b363086 --- /dev/null +++ b/rom/04/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है। + +वैकल्पिक अनुवाद: इसी कारण दाऊद भी उस मनुष्य को आशीषित कहता है जिसे परमेश्वर कर्मों बिना धर्मी कहता है”। + +# जिनके धर्म क्षमा हुए... जिनके पाप ढांपे गए... जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए। + +वैकल्पिक अनुवाद, “जिसके अपराध परमेश्वर ने ढाँप दिए... जिनके पापों का लेखा परमेश्वर ने मिटा दिया”। यहाँ एक ही विचार को तीन विभिन्न अभिव्यक्तियों में प्रकट किया गया है, दो भिन्नार्थक शब्द तीन भिन्नार्थक शब्द होते हैं। diff --git a/rom/04/09.md b/rom/04/09.md new file mode 100644 index 0000000..5121ca6 --- /dev/null +++ b/rom/04/09.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तो यह धन्य वचन, क्या खतना वालों ही के लिए है या खतनारहितों के लिए भी? + +वैकल्पिक अनुवाद, “क्या परमेश्वर केवल उनको ही आशीष देता है जिनका खतना हुआ है या जिनका खतना नहीं हुआ है उनको भी। + +# हम कहते हैं + +पौलुस यहूदियों और गैर यहूदियों दोनों ही के लिए कहता है। + +# अब्राहम के लिए उसका विश्वास धार्मिकता गिना गया + +वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर ने अब्राहम के विश्वास को धर्मी माना था”। diff --git a/rom/04/11.md b/rom/04/11.md new file mode 100644 index 0000000..8bc5267 --- /dev/null +++ b/rom/04/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसने खतने का चिन्ह पाया कि उस विश्वासी की धार्मिकता पर छाप हो। + +“खतना एक प्रकट चिन्ह था कि परमेश्वर ने उसे खतना करवाने से पहले परमेश्वर में विश्वास करने के कारण न्यायोचित ठहरा दिया था। + +# जो बिना खतने की दशा में + +वैकल्पिक अनुवाद, “उन्होंने खतना नहीं करवाया तौभी” + +# ताकि वे भी धर्मी ठहरें। + +वैकल्पिक अनुवाद, “कि परमेश्वर उन्हें धर्मी माने। diff --git a/rom/04/13.md b/rom/04/13.md new file mode 100644 index 0000000..1b2d79a --- /dev/null +++ b/rom/04/13.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्योंकि यह प्रतिज्ञा थी कि वह जगत का वारिस होगा, न अब्राहम को, न उसके वंश को व्यवस्था के द्वारा दी गई थी। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “परमेश्वर उन्हें ग्रहण करेगा” (देखें: + +# “परन्तु विश्वास की धार्मिकता के द्वारा मिली” + +परन्तु विश्वास की धार्मिकता के द्वारा मिली इस वाक्य में परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की, छोड़ दिया गया है क्योंकि वह समझा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु परमेश्वर ने इसमें विश्वास ही के कारण यह प्रतिज्ञा की थी जिसे वह न्यायोचित मानता है”। + +# यदि व्यवस्था वाले वारिस हैं + +वैकल्पिक अनुवाद, यदि परमेश्वर प्रदत्त मूसा के नियमों का पालन करनेवाले पृथ्वी के अधिकारी होंगे। + +# तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल रही + +तो विश्वास का कोई अर्थ नहीं और प्रतिज्ञा व्यर्थ हो गई”। + +# जहाँ व्यवस्था नहीं वहाँ उसका उल्लंघन भी नहीं + +“परन्तु यदि नियम न हों तो उनके उल्लंघन का प्रश्न ही नहीं उठता है। इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में भी किया जा सकता है, मनुष्य नियमों का उल्लंघन तब ही करता है जब नियम हों”। diff --git a/rom/04/16.md b/rom/04/16.md new file mode 100644 index 0000000..6cd9984 --- /dev/null +++ b/rom/04/16.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# इसी कारण प्रतिज्ञा विश्वास पर आधारित है कि अनुग्रह की रीति पर हो। + +“परमेश्वर में विश्वास करने पर हमें आशिष पाने का कारण है कि वह उपहार हो”। + +# कि वह उसके सब वंशजों के लिए दृढ़ हो। + +“कि अब्राहम का संपूर्ण वंश निश्चय ही प्रतिज्ञाओं के वारिस हों। + +# न कि केवल उसके लिए जो व्यवस्था करता है + +अर्थात यहूदी जो परमेश्वर प्रदत्त मूसा के नियमों को मानते हैं। + +# अब्राहम के समान विश्वास वाले हैं + +वे जो अब्राहम के सदृश्य विश्वास रखते हैं अर्थात उसके खतने से पूर्व का विश्वास । + +# वही तो हम सबका पिता है + +यहाँ “हम” का अभिप्राय पौलुस तथा सब विश्वासी चाहे वे यहूदी हैं या गैर यहूदी। अब्राहम यहूदियों का शारीरिक पूर्वज था परन्तु वह मसीह के विश्वासियों का आत्मिक पिता है। + +# जैसा लिखा है + +जहाँ लिखा है वह स्पष्ट किया जा सकता हैः “जैसा धर्मशास्त्र में लिखा है” + +# मैंने तुझे... ठहराया + +यहाँ “तू” शब्द एक वचन है और अब्राहम का बोध करवाता है + +# उस परमेश्वर के सामने जिस पर उसने विश्वास किया + +इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “अब्राहम परमेश्वर की उपस्थिति में था जिस पर उसने विश्वास किया था और वह मृतकों को जीवन दान देता है” diff --git a/rom/04/18.md b/rom/04/18.md new file mode 100644 index 0000000..5394754 --- /dev/null +++ b/rom/04/18.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# जो बातें हैं ही नहीं + +इसका पूर्ण अर्थ स्पष्ट व्यक्त किया जा सकता है, “यद्यपि इसके लिए वंश उत्पन्न करना असंभव था” + +# वह बहुत सी जातियों का पिता होगा। + +इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “और अब्राहम द्वारा विश्वास करने का परिणाम यह हुआ कि वह अनेक जातियों का पिता हुआ”। + +# उस वचन के अनुसार + +“ठीक उसी बात पर जो परमेश्वर ने उससे कहीं थी” + +# “तेरा वंश ऐसा होगा” + +यहाँ परमेश्वर की पूरी प्रतिज्ञा को स्पष्ट व्यक्त किया जा सकता है, “तेरा वंश अनगिनत होगा” + +# विश्वास में निर्बल न हुआ + +वैकल्पिक अनुवाद, “विश्वास में दृढ़ रहा” + +# वह जो एक सौ वर्ष का था अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई दशा + +यहाँ अब्राहम की वृद्धावस्था और सन्तानोत्पत्ति में सारा को अक्षम होने को मृतक तुल्य माना गया है। इसका बल इस बात पर है कि उनके लिए सन्तान उत्पन्न करना असंभव था। वैकल्पिक अनुवाद, “अब्राहम जानता था कि वह बहुत वृद्ध था और सारा सन्तान उत्पन्न नहीं कर सकती थी। diff --git a/rom/04/20.md b/rom/04/20.md new file mode 100644 index 0000000..4e8424a --- /dev/null +++ b/rom/04/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर सन्देह किया + +“सन्देह कभी नहीं किया” + +# विश्वास में दृढ़ होकर + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, परन्तु उसका विश्वास दृढ़ होता गया” + +# परमेश्वर की महिमा की + +“और परमेश्वर की स्तुति की” + +# निश्चय जाना + +“अब्राहम को पूर्ण निश्चय था” + +# वह उसे पूरा करने में समर्थ है। + +“परमेश्वर में उसे पूरा करने की सामर्थ्य है + +# वह उसके लिए धार्मिक गिना गया + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “परमेश्वर ने अब्राहम के विश्वास को धर्मी कहा” या “परमेश्वर ने अब्राहम को धर्मी कहा क्योंकि उसने विश्वास किया था। diff --git a/rom/04/23.md b/rom/04/23.md new file mode 100644 index 0000000..f55f8c2 --- /dev/null +++ b/rom/04/23.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# और + +इस शब्द के द्वारा पत्र के एक नए भाग का आरंभ होता है। पौलुस अब्राहम के बारे में बातें करने से हट कर अब मसीह के विश्वासियों के बारे में बातें करेगा। + +# न केवल उसी के लिए + +“न केवल अब्राहम के लिए” + +# इस कारण .... उसके लिए धार्मिकता गिना गया + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “परमेश्वर ने उसे धर्मी माना” या “परमेश्वर ने उसे धर्मी गिना” + +# हमारे लिए भी + +“हमारे” का अभिप्राय है पौलुस और सब विश्वासी + +# वरन् हमारे लिए भी जिनके लिए विश्वास धार्मिकता गिना जाएगा। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “यह हमारे लाभ के लिए भी था क्योंकि परमेश्वर हमें भी धर्मी कहेगा यदि हम विश्वास करें”। + +# मरे हुओं में से जिलाया + +“परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया” + +# यीशु हमारे पापों के लिए पकड़वाया गया + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “परमेश्वर ने उसे उसके हत्यारों के हाथों में दे दिया था”। + +# हमारे धर्मी ठहरने के लिए जिलाया भी गया। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “जिसे परमेश्वर ने पुनः जीवित किया कि हम परमेश्वर के साथ उचित संबन्ध में हो जाएं”। diff --git a/rom/05/01.md b/rom/05/01.md new file mode 100644 index 0000000..2550b61 --- /dev/null +++ b/rom/05/01.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# अतः + +“इस कारण” + +# हम... अपने + +"हम और अपना" यह दो शब्द सब विश्वासियों के लिए हैं और समाविष्ट करना हैं + +# अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा + +“अपने प्रभु यीशु मसीह के कारण” + +# जिसके द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक जिसमें हम बने हैं। + +पौलुस कृपा प्राप्त विश्वासियों की तुलना उस मनुष्य से करता है जो एक राजा के सम्मुख खड़ा होने के योग्य होता है। क्योंकि हम यीशु में विश्वास करते हैं परमेश्वर के कृपापात्र होकर उसके समक्ष उपस्थित हो सकते हैं। + +# परमेश्वर की महिमा की आशा पर ध्यान करें। + +“हम आनन्द करते है क्योंकि हमें परमेश्वर की महिमा के अनुभव की आशा है।” diff --git a/rom/05/03.md b/rom/05/03.md new file mode 100644 index 0000000..a134b0c --- /dev/null +++ b/rom/05/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# केवल यही नहीं + +“यह” शब्द उन विचारों के संदर्भ में है जिनके वर्णन में किया गया है। + +# हम... हमारा... हमारे + +"हम हमारा हमारे" शब्द सब विश्वासियों का संदर्भ देते हैं और आवश्यक है कि वे समावेशी हैं + +# मान्य करना + +अर्थात् परमेश्वर कहे, “अच्छा है” + +# आत्मविश्वास + +वैकल्पिक अनुवाद, “आशा” diff --git a/rom/05/06.md b/rom/05/06.md new file mode 100644 index 0000000..24310a3 --- /dev/null +++ b/rom/05/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# हम + +“हम” शब्द सब विश्वासियों के लिए है अतः इसे समावेशी होना है, diff --git a/rom/05/08.md b/rom/05/08.md new file mode 100644 index 0000000..ad8d233 --- /dev/null +++ b/rom/05/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# प्रगट करता है + +वैकल्पिक अनुवाद, “दर्शाता है” या “सिद्ध करता है” + +# हम... हमारे + +“हम” और “हमारे”, ये सब शब्द समस्त विश्वासियों के लिए है। अतः इन्हें समावेश होना है। + +# बहुतायत से, हम जब उस के लहू के द्वारा धर्मी ठहरे + +वैकल्पिक अनुवाद, “अब क्योंकि हम उसके लहू के द्वारा धर्मी ठहरे तो वह हमारे लिए अब कितना अधिक कुछ करेगा”। diff --git a/rom/05/10.md b/rom/05/10.md new file mode 100644 index 0000000..f2986b4 --- /dev/null +++ b/rom/05/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# “हम” ... “अपने” + +“हम” के सब रूप विश्वासियों का संदर्भ देते है, इसलिए इन्हें समावेश होना आवश्यक है। + +# उसके पुत्र .... उसके जीवन + +“परमेश्वर के पुत्र... परमेश्वर के पुत्र के जीवन” + +# हमारा मेल हो चुका है + +“अब क्योंकि हम पुनः उसके मित्र हैं” “वैकल्पिक अनुवाद, “अब क्योंकि परमेश्वर हमें पुनः अपना मित्र मानता है” diff --git a/rom/05/12.md b/rom/05/12.md new file mode 100644 index 0000000..83e078d --- /dev/null +++ b/rom/05/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# वैसे ही + +अग्रिम शब्द पौलुस के पिछला विवाद पर आधारित हैं कि सब विश्वासी विश्वास के द्वारा धर्मी माने जाते हैं। (यू.डी.बी.) + +# एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया और पाप के द्वारा मृत्यु आई + +पौलुस “पाप” को एक घातक बात कहता है, जिसका आगमन “एक मनुष्य” आदम द्वारा स्थान देने से हुआ और “पाप” एक ऐसा द्वार बन गया जिसके द्वारा एक घातक बात, “मृत्यु” ने संसार में प्रवेश किया। (देखें: ) diff --git a/rom/05/14.md b/rom/05/14.md new file mode 100644 index 0000000..5eecd0e --- /dev/null +++ b/rom/05/14.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# फिर भी + +“तथापि” या “आदम के समय से लेकर मूसा तक लिखित नियमावली नहीं थी परन्तु” + +# तौभी आदम से लेकर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज किया। + +पौलुस मृत्यु की तुलना एक राजा से करता है . वैकल्पिक अनुवाद, “मनुष्य तो आदम के समय से लेकर मूसा के समय तक उनके पापों के परिणामस्वरूप मर रहे थे”। + +# जिन्होंने उस आदम.... के अपराध समान पाप न किया + +“जिन मनुष्यों के पाप आदम के पाप जैसे न थे वे भी मर रहे थे”। + +# जो उस आने वाले का चिन्ह है + +आदम मसीह का प्रतिरूप था, मसीह जो बहुत बाद में आया। इसमें उसकी बहुत समानता थी। + +# पर... बहुत लोग मरे तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान... अधिकाई से हुआ। + +“बहुत लोग मरे” महत्त्वपूर्ण है परन्तु “अनुग्रह और इसका जो दान... अधिकाई से हुआ और भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। + +# अनुग्रह और ... दान... अधिकाई से हुआ + +“अनुग्रह” और “दान” “पापों” से अधिक महान एवं प्रबल हैं। diff --git a/rom/05/16.md b/rom/05/16.md new file mode 100644 index 0000000..4f4596d --- /dev/null +++ b/rom/05/16.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं + +“दान आदम के पाप का परिणाम नहीं है” + +# क्योंकि एक और + +“क्योंकि एक ओर” + +# क्योंकि एक मनुष्य के अपराध के कारण... तो + +“क्योंकि” और “तो” किसी एक ही बात पर विचार करने की दो धाराएं हैं। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “एक मनुष्य के कारण दण्ड का निर्णय लिया गया, तो” + +# क्योंकि बहुत से अपराधों के कारण + +“अनेकों के पापों के कारण” + +# एक मनुष्य के अपराध + +आदम के अपराध + +# मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया + +“हर एक मनुष्य मरा” + +# एक मनुष्य के .... अनन्त जीवन + +“मसीह यीशु के जीवन द्वारा” diff --git a/rom/05/18.md b/rom/05/18.md new file mode 100644 index 0000000..64be93c --- /dev/null +++ b/rom/05/18.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# एक अपराध के कारण + +आदम के एक ही पाप के द्वारा। वैकल्पिक अनुवाद, “आदम के पाप के कारण” + +# एक... काम + +मसीह यीशु का बलिदान + +# एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से + +आदम की अवज्ञा + +# एक मनुष्य के आज्ञा मानने से + +यीशु की आज्ञाकारिता के कारण diff --git a/rom/05/20.md b/rom/05/20.md new file mode 100644 index 0000000..8d2d651 --- /dev/null +++ b/rom/05/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# व्यवस्था बीच में आ गई + +“नियमों ने प्रवेश किया” (देखें: + +# अपराध बहुत हों + +इसके अर्थ दोनों हो सकते हैं, “मनुष्य को अपने पाप के भयानक होने का बोध हो” (यू.डी.बी.) और “मनुष्य अधिक पाप करे” + +# बहुत + +“प्रचुर” + +# जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज किया + +“जैसे पाप ने मृत्यु द्वारा राज किया” + +# अनुग्रह भी अनन्त जीवन के लिए मसीह में धर्मी ठहराते हुए राज करे + +“हमारे प्रभु यीशु मसीह की पवित्रता के द्वारा कृपा मनुष्यों को अनन्त जीवन प्रदान करती है” + +# हमारे प्रभु + +'हमारे' अर्थात पौलुस के इस पत्र के पाठक और सब विश्वासी diff --git a/rom/06/01.md b/rom/06/01.md new file mode 100644 index 0000000..e80b178 --- /dev/null +++ b/rom/06/01.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो? + +पौलुस ने कृपा (अनुग्रह) के बारे में जो लिखा है उस पर एक प्रश्न की कल्पना करता है कि कोई पूछ सकता है। + +# हम.... हमारे + +सर्वनाम “हम” का संदर्भ पौलुस उसके पाठकों और अन्य सब से है। + +# बहुत हो + +इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है, “बढ़ता जाए” diff --git a/rom/06/04.md b/rom/06/04.md new file mode 100644 index 0000000..c3faf0c --- /dev/null +++ b/rom/06/04.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मृत्यु के बपतिस्मा के साथ गाढ़ दिया + +यह विश्वासी के पानी के बपतिस्मे की तुलना यीशु की मृत्यु और उसके दफन से की गई है। यहाँ इस बात को बल दिया गया है मसीह में विश्वास करने वाला मसीह की मृत्यु का लाभार्थी है। इसका अर्थ है कि पाप को अब विश्वासी पर अधिकार नहीं। + +# जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से परमेश्वर की महिमा में जिलाया गया वैसे ही हम नये जीवन के नएपन में चले। + +यहाँ विश्वासी के आत्मिक पुनर्जीवन की तुलना यीशु के पुनः जीवित होने से की गई है। विश्वासी का यह नया जीवन आत्मिक जीवन विश्वासी को परमेश्वर का आज्ञाकारी बनाता है। वैकल्पिक अनुवाद, में कर्तृवाच्य क्रिया का उपयोग किया जा सकता है, “जिस प्रकार पिता परमेश्वर ने यीशु के मरणोपरान्त पुनः जीवित किया, उसी प्रकार हमें भी नया आत्मिक जीवन मिलता है कि हम परमेश्वर की आज्ञाकारिता में रहें। + +# क्योंकि हम उसकी मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय ही उसके जी उठने की समानता में जुट जाएं। + +“हम उसकी मृत्यु की समानता में हो गए तो, मरणोपरान्त जीवन में भी उसकी समानता में होंगे। diff --git a/rom/06/06.md b/rom/06/06.md new file mode 100644 index 0000000..c7dbbfd --- /dev/null +++ b/rom/06/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया है। + +यहाँ पौलुस कहता है कि विश्वासी यीशु के विश्वास में आने से पूर्व एक मनुष्य होता है तो विश्वास में आने के बाद वह एक सर्वथा भिन्न मनुष्य होता है। “पुराना मनुष्यत्व” अर्थात मसीह को ग्रहण करने से पूर्व का अविश्वासी मनुष्य वास्तव में आत्मिकता में मृतक होता है और मृत्यु के आधीन रहता है। पौलुस कहता है कि हमारा यह पापी मनुष्यत्व मसीह में विश्वास करने पर उसके साथ मर जाता है। वैकल्पिक अनुवाद, “हमारा पापी मनुष्यत्व यीशु के साथ क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है”। + +# पुराना मनुष्यत्व + +“मनुष्य का पूर्वकालिक जीवन”, मनुष्य जैसा पहले था वैसा अब नहीं है। + +# पाप का शरीर + +संपूर्ण पापी मनुष्य + +# व्यर्थ हो जाए + +“मर जाए” + +# हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें + +पौलुस मनुष्य पर पाप की प्रभुता की तुलना एक स्वामी से करता है जो दास पर स्वामित्व दर्शाती है। पवित्र आत्मा से रहित मनुष्य सदैव पाप का चुनाव करता है। वह परमेश्वर को प्रसन्न करनेवाले कामों का चुनाव नहीं कर सकता है। वैकल्पिक अनुवाद, “हमें अब पाप के दास नहीं रहना है” + +# जो मर गया वह पापों से छुटकर धर्मी ठहरा + +वैकल्पिक अनुवाद, कर्तृवाच्य क्रिया के उपयोग से भी किया जा सकता है, “जो पाप की प्रभुता के लिए मर गया उसे परमेश्वर धर्मी ठहराता है” diff --git a/rom/06/08.md b/rom/06/08.md new file mode 100644 index 0000000..165dd5e --- /dev/null +++ b/rom/06/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# हम मसीह के साथ मर गए + +यद्यपि मसीह की शारीरिक मृत्यु हुई परन्तु विश्वासियों की मृत्यु से उसका अर्थ है पाप के प्रति आत्मिक मृत्यु। वैकल्पिक अनुवाद, “हम मसीह की मृत्यु के साथ आत्मिकता में मर गए”। + +# हम जानते हैं कि मसीह मरे हुओं में से जी उठा है + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “परमेश्वर ने यीशु को मरने के बाद फिर जीवित किया” + +# उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होनी थी + +यहाँ “मृत्यु” को एक राजा या शासक स्वरूप व्यक्त किया गया है जो मनुष्यों पर प्रभुता करती है, इसका अनुवाद इस प्रकार भी हो सकता है, “वह फिर कभी नहीं मरेगा” diff --git a/rom/06/10.md b/rom/06/10.md new file mode 100644 index 0000000..a17642d --- /dev/null +++ b/rom/06/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# वह जो मर गया तो पाप के लिए एक ही बार मर गया। + +“एक ही बार” इस उक्ति का अर्थ है, किसी बात का सदा के लिए अन्त कर देना। इसका परिपूर्ण अर्थ स्पष्ट किया जा सकता हैः “क्योंकि जब मरा तब उसने पाप की प्रभुता का सदा के लिए अन्त कर दिया” (देखें: और ) + +# ऐसे ही तुम भी समझो + +“इसी प्रकार तुम भी.... समझो” या “इस प्रकार तुम भी समझो” + +# तुम भी अपने आपको समझो + +“स्वयं को समझो” या “ऐसा मान लो कि तुम भी” + +# पाप के लिए मरा + +यहाँ “पाप” का अर्थ है, वह व्यक्ति जो हम में निहित है और हमें पाप करने के लिए विवश करता है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “पाप की शक्ति के लिए मरा हुआ” + +# पाप के लिए तो मरा परन्तु परमेश्वर के लिए जीवित समझो। + +यहाँ “परन्तु” एक ही विचारधारा को विभाजित करके प्रकट करता है। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “पाप के लिए मृतक परन्तु परमेश्वर के लिए जीवित” + +# परमेश्वर के लिए मसीह यीशु में जीवित + +वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर की आज्ञाकारिता के लिए मसीह यीशु के सामर्थ्य द्वारा जीवित।” diff --git a/rom/06/12.md b/rom/06/12.md new file mode 100644 index 0000000..0dd1732 --- /dev/null +++ b/rom/06/12.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# पाप ... राज न करे कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन रहो + +“पाप” .... को यहाँ मनुष्य का राजा या स्वामी जैसा दर्शाया गया है + +# अपनी मरणहार देह + +यह उक्ति मनुष्य के शारीरिक अंगों के बारे में कहती है। जो वह मर जाएंगी। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “अपने को” + +# और न .... पाप को सौंपों + +स्वामी “पाप” चाहता है कि पापी उसके स्वामी की आज्ञा मानकर बुरे काम करे”। + +# विश्वासी के लिए आवश्यक है वह अपने अंगों को धार्मिकता के साधन होने के लिए परमेश्वर के हाथों में दे दे। + +यहाँ परिदृश्य यह है कि पापी अपनी देह के अंग उसके स्वामी के अधीन करता है। वैकल्पिक अनुवाद, “अपने आप को पाप के अधीन मत करो कि जो उचित नहीं है वह करो”। + +# परन्तु अपने आपको मरे हुओं में से जी उठा जानकर परमेश्वर को सौंपा। + +“परन्तु स्वयं को परमेश्वर के अधीन करो क्योंकि उसने तुम्हें नया आत्मिक जीवन दिया है”। + +# और अपने अंगों को धर्म का हथियार होने के लिए परमेश्वर को सौंपा। + +“परमेश्वर जिन बातों से प्रसन्न होता है उसके लिए अपनी देह को काम में आने दो”। + +# तुम पर पाप की प्रभुता न होगी। + +“पाप की अभिलाषाएं तुम पर प्रभुता करके तुमसे काम न कराने पाए” या “जिन पाप की बातों को तुम करना चाहते हो उन्हें मत होने दो”। + +# क्योंकि तुम व्यवस्था के अधीन नहीं + +इसका संपूर्ण अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है, “क्योंकि तुम मूसा प्रदत्त विधान के अधीन नहीं जो तुम्हें पाप से बचने का सामर्थ्य प्रदत्त नहीं कर सकता है। + +# वरन् अनुग्रह के अधीन हो + +इसका पूर्ण अर्थ उजागर किया जा सकता है, “परन्तु तुम परमेश्वर की कृपा से बन्धे हो जो तुम्हें पाप से बचने का सामर्थ्य प्रदान करती है”। diff --git a/rom/06/15.md b/rom/06/15.md new file mode 100644 index 0000000..ed2be8b --- /dev/null +++ b/rom/06/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस दासत्व को एक रूपक स्वरूप काम में लेता है कि परमेश्वर की आज्ञा पालन एवं अवज्ञा को स्पष्ट कर पाए। + +# तो क्या हुआ? क्या हम इसलिए पाप करें कि हम व्यवस्था के अधीन नहीं? कदापि नहीं। + +पौलुस यह प्रश्न पूछ कर इस बात को महत्त्व प्रदान करता है कि कृपा पाकर जीने का अर्थ यह नहीं कि पाप करते रहें। वैकल्पिक अनुवाद हो सकता है, “तथापि, मूसा प्रदत्त विधान की अपेक्षा परमेश्वर की कृपा के अधीन होने का अर्थ निश्चय ही यह नहीं कि हमें पाप करने की छूट है” + +# कदापि नहीं। + +“हम कभी नहीं चाहेंगे कि ऐसा हो” या “या परमेश्वर मेरी सहायता करे कि ऐसा न करूं”। इस अभिव्यक्ति से एक अत्यधिक प्रबल इच्छा प्रकट होती है कि ऐसा न हो। अपनी भाषा में भी ऐसी ही अभिव्यक्ति काम में लेना चाहेंगा देखें कि अपने यहाँ कैसा अनुवाद किया है। + +# क्या तुम नहीं जानते हो कि जिसकी आज्ञा मानने के लिए तुम अपने आपको दासों के समान सौंप देते हो उसी के दास हो? + +पौलुस इस प्रश्न के द्वारा उस हर एक मनुष्य को झिड़कता है जो परमेश्वर की कृपा को पाप करते रहने का कारण बनाता है। वैकल्पिक अनुवाद, “तुम्हें इस तथ्य का ज्ञान होना चाहिए कि तुम जिसे स्वामी की आज्ञा मानने का चुनाव करते हो, उसके दास हो जाते हो। + +# चाहे पाप के .... चाहे आज्ञाकारिता के + +यहाँ “पाप” और “आज्ञाकारिता” को दास के स्वामियों की उपमा दी गई है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “तुम या तो पाप के दास हो, जिससे आत्मिक मृत्यु होती है, या तुम आज्ञाकारिता के दास हो जिससे परमेश्वर तुम्हें धार्मिकता कहता है। diff --git a/rom/06/17.md b/rom/06/17.md new file mode 100644 index 0000000..1f07606 --- /dev/null +++ b/rom/06/17.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +पौलुस दासत्व की उपमा देकर परमेश्वर के आज्ञापालन एवं अवज्ञा पर चर्चा करता है। + +# परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो + +“परन्तु मैं परमेश्वर का आभारी हूँ” + +# तुम जो पाप के दास थे + +यहाँ पाप को एक स्वामी-स्वरूप दिखाया गया है। जिसकी दास सेवा करते हैं। यह भी कि “पाप” एक शक्ति है जो हम में वास करती है जो हमें पाप करने पर विवश करती है। वैकल्पिक अनुवाद, “तुम जो पाप की शक्तियों के अधीन दास बन कर जी रहे थे”। (देखें: + +# मन से उस आदेश के माननेवाले + +यहाँ “मन” से अभिप्राय है काम को करने के लिए सच्ची एवं निष्ठावान अभिप्रेरणा। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु तुमने सच में आज्ञा मानी”। + +# उस प्रकार का उपदेश जो तुम्हें दिया गया है। + +यहाँ “उस उपदेश” का अर्थ है धर्मनिष्ठा की ओर ले जाने वाला आचरण एवं जीवनशैली। विश्वासी अपनी पुरानी जीवनशैली को बदल कर इस नई जीवन शैली के अनुरूप हो जाता है जिसकी शिक्षा उन्हें मसीही अगुवे देते है। इसका वैकल्पिक अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से किया जा सकता है, “मसीही अगुओं ने जो तुम्हें शिक्षा दी”। (देखें: + +# पाप से छुड़ाएं जाकर + +कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा वैकल्पिक अनुवाद, “मसीह ने तुम्हें पाप की प्रभुता से मुक्त करा लिया। + +# धर्म के दास हो गए + +“अब तुम उचित कामों को करने के लिए दास हो” diff --git a/rom/06/19.md b/rom/06/19.md new file mode 100644 index 0000000..4cd6d65 --- /dev/null +++ b/rom/06/19.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस परमेश्वर की आज्ञापालन और अवज्ञा के लिए दासत्व की उपमा दे रहा है। + +# मनुष्यों की रीति पर कहता हूँ + +पौलुस “पाप” और “आज्ञा पालन” को “दासत्व” के रूप में व्यक्त कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “मैं दासता की चर्चा करके पाप और आज्ञापान को समझाने का प्रयास कर रहा हूँ। + +# अपने अंगों की कुकर्म के लिए विवशता के कारण + +पौलुस प्रायः “अंग” शब्द को आत्मा के विपरीत काम में लेता है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि तुम आत्मिक बातों को पूर्णतः समझ नहीं पाते”। + +# अपने अंगों को कुकर्म के लिए और बुराई को सौप दिया। + +यहाँ “अंगों” से अर्थ है संपूर्ण मनुष्यत्व। वैकल्पिक अनुवाद, “स्वयं को दास बनाकर हर एक बुरी एवं परमेश्वर को प्रसन्न न करने वाली बात। + +# अब अपने अंगों को पवित्रता के लिए धर्म के दास करके सौंपो। + +“स्वामी को उचित काम के लिए परमेश्वर के समक्ष दास बनाओ जिससे कि वह तुम्हें पृथक करके उसकी सेवा के लिए सामर्थ्य प्रदान करे”। + +# अतः जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे। + +अतः जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे? - पौलुस इस प्रश्न द्वारा इस बात पर बल देता है कि पाप का परिणाम भलाई कभी नहीं होता है। वैकल्पिक अनुवाद, “तुमने उन बातों को करने में जिनसे अब तुम लज्जित होते हो कुछ भी लाभ प्राप्त नहीं किया। diff --git a/rom/06/22.md b/rom/06/22.md new file mode 100644 index 0000000..828f9d8 --- /dev/null +++ b/rom/06/22.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्वर के दास बनकर + +इसका वैकल्पिक अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया के साथ पूर्ण वाक्य में होगा, “परन्तु अब मसीह ने तुम्हें पाप से मुक्त करा दिया और परमेश्वर का दास बना दिया” + +# उसका फल अनन्त जीवन है + +“इसका परिणाम है कि तुम परमेश्वर के साथ सदा जीवित रहोगे”। + +# क्योंकि पाप की मज़दूरी तो मृत्यु है + +यहाँ “मज़दूरी” का अभिप्रायः है काम करने का परिश्रमिक। वैकल्पिक अनुवाद “यदि तुम दास की सेवा करोगे तो तुम्हारा परिश्रमिक सदा के लिए मृत्यु है” या “यदि तुम पाप करते रहोगे तो परमेश्वर तुम्हें आत्मिक मृत्यु का दण्ड देगा। + +# परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है। + +“परन्तु परमेश्वर हमारे प्रभु यीशु मसीह के विश्वासियों को अनमोल अनन्त जीवन दान देता है। diff --git a/rom/07/01.md b/rom/07/01.md new file mode 100644 index 0000000..0e7f89e --- /dev/null +++ b/rom/07/01.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जब तक मनुष्य जीवित रहता है, तब तक उस पर व्यवस्था की प्रभुता रहती है। + +पौलुस इसका उदाहरण में देता है। diff --git a/rom/07/02.md b/rom/07/02.md new file mode 100644 index 0000000..0ee7773 --- /dev/null +++ b/rom/07/02.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# x + +पौलुस ने जो सिद्धान्त प्रस्तुत किया है उसका उद्धरण में देता है। + +# वह व्यभिचारिणी कहलाएगी + +कौन उसे व्यभिचारिणी कहता है, स्पष्ट नहीं है अतः यथासंभव सामान्य अभिव्यक्ति करें, “वे उसे व्यभिचारिणी कहेंगे”। वैकल्पिक अनुवाद है, “मनुष्य उसे व्यभिचारिणी कहते हैं”। या “परमेश्वर उसे व्यभिचारिणी कहता है। diff --git a/rom/07/04.md b/rom/07/04.md new file mode 100644 index 0000000..19b96ce --- /dev/null +++ b/rom/07/04.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इसलिए + +इसका संबन्ध पूर्वोक्ति से है + +# हम परमेश्वर के लिए फल लाएं + +परमेश्वर के लिए फल लाए - “हम ऐसे काम कर पाएंगे जिनसे परमेश्वर प्रसन्न होता है”। diff --git a/rom/07/06.md b/rom/07/06.md new file mode 100644 index 0000000..149b9a1 --- /dev/null +++ b/rom/07/06.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# हम + +यह सर्वनाम पौलुस और विश्वासियों के स्थान पर है। + +# लेख + +मूसा द्वारा लाया गया विधान diff --git a/rom/07/07.md b/rom/07/07.md new file mode 100644 index 0000000..e5e21a4 --- /dev/null +++ b/rom/07/07.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तो हम क्या कहें? + +पौलुस ने एक नया प्रसंग छेड़ा है + +# कदापि नहीं। + +“निश्चय ही यह असत्य है”। पूर्वोक्त प्रभावोत्पादक प्रश्न का इस उक्ति द्वारा यथा संभव अतिप्रबल नकारात्मक उत्तर है। आप यहाँ अपनी भाषा में भी ऐसी ही उक्ति का उपयोग करना चाहेंगे। देखें कि आपने में इसका अनुवाद कैसे किया है। + +# बिना व्यवस्था के मैं पाप को नहीं पहचानता, परन्तु पाप ने अवसर पाकर... सब प्रकार का लालच उत्पन्न किया। + +पौलुस पाप की तुलना एक सक्रिय मनुष्य से करता है + +# पाप ने अवसर पाकर आज्ञा के द्वारा मुझ में सब प्रकार का लालच उत्पन्न किया। + +परमेश्वर के विधान में हमें कुछ करना मना है तो इसका अर्थ है कि हम कुछ करना चाहते हैं जो वर्जित है और हम उसे अधिक करने की कामना करते हैं। “पाप ने मुझे उस आज्ञा का स्मरण कराया जो किसी न किसी अनुचित बात के लिए मना करती है, अतः मैं पहले से भी अधिक उस अनुचित काम की लालसा करता हूँ” या “क्योंकि मैं ने पाप करने की इच्छा की इसलिए जब मैंने अनुचित काम की लालसा को वर्जित पाया तब मैंने तुझ में लालसा उत्पन्न हुई”। + +# पाप + +“पाप की मेरी अभिलाषा” + +# लालच + +इस शब्द में पराई वस्तुओं का लालच (यू.डी.बी.) और यौन लालसा दोनों हैं। + +# बिना व्यवस्था पाप मुर्दा है + +“यदि विधान नहीं होता तो नियमों के उल्लंघन का प्रश्न ही नहीं उठता और पाप नहीं होता”। diff --git a/rom/07/09.md b/rom/07/09.md new file mode 100644 index 0000000..be2171b --- /dev/null +++ b/rom/07/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पाप जी गया + +इसका अर्थ हो सकता है, 1) “मुझे पाप का बोध हुआ”। (यू.डी.बी.) या 2) मुझ में पाप की उत्कट अभिलाषा उत्पन्न हुई। (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-personification]]) + +# और वही आज्ञा जो जीवन के लिए थी मेरे लिए मृत्यु का कारण ठहरी। + +पौलुस वास्तव में मरा नहीं। वैकल्पिक अनुवाद “परमेश्वर ने तो मुझसे जीवित रहने के लिए आज्ञा दी थी परन्तु उसने मेरी हत्या कर दी” diff --git a/rom/07/11.md b/rom/07/11.md new file mode 100644 index 0000000..c2e6195 --- /dev/null +++ b/rom/07/11.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# पाप ने अवसर पाकर आज्ञा के द्वारा मुझे बहकाया और उसी के द्वारा मुझे मार भी डाला। + +जैसा में है पौलुस पाप को एक व्यक्तिस्वरूप दर्शा रहा है जो तीन काम कर सकता है, अवसर पाना, बहकाना, और हत्या करना। “क्योंकि मैं पाप करना चाहता था मैंने यह विचार करके स्वयं को धोखा दिया कि मैं पाप भी कर सकता हूँ और आज्ञा का पालन भी कर सकता हूँ परन्तु परमेश्वर ने मुझे अवज्ञा का दण्ड दिया जो उनसे पृथक होने का था। + +# पाप + +“पाप करने की मेरी लालसा” + +# पाप ने अवसर पाकर आज्ञा के द्वारा + +देखें कि आपने इसका अनुवाद कैसे किया है। + +# उसी के द्वारा मुझे मार भी डाला + +“परमेश्वर से मेरा संबन्ध विच्छेद कर दिया” (देखें यू.डी.बी. ) + +# इसीलिए + +क्योंकि व्यवस्था पाप को धोखा देने वाला और हत्यारा कहता है diff --git a/rom/07/13.md b/rom/07/13.md new file mode 100644 index 0000000..eb7d09b --- /dev/null +++ b/rom/07/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# तो क्या + +पौलुस एक नया प्रसंग छेड़ रहा है। + +# वह जो अच्छी थी + +परमेश्वर का विधान + +# मेरे लिए मृत्यु ठहरी + +“मेरे लिए मृत्यु का कारण हुई” + +# कदापि नहीं। + +“निश्चय ही यह असत्य है” यह उक्ति पूर्वोक्त प्रश्न का प्रबल नकारात्मक उत्तर है। आप यहां अपनी भाषा में ऐसी ही उक्ति काम में लेना चाहेंगे। + +# पाप ... मेरे लिए मृत्यु का उत्पन्न करने वाला हुआ + +पौलुस पाप को एक कर्ता के रूप में दर्शा रहा है + +# मृत्यु को उत्पन्न करने वाला हुआ + +“परमेश्वर से मेरा संबंध विच्छेद कर दिया।” + +# आज्ञा के अनुसार + +“क्योंकि मैंने आज्ञा का उल्लंघन किया” diff --git a/rom/07/15.md b/rom/07/15.md new file mode 100644 index 0000000..ff5e959 --- /dev/null +++ b/rom/07/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जो मैं करता हूँ उसको नहीं जानता + +“मुझे समझ में नहीं आता कि कुछ काम मैं करता हूँ तो क्यों करता हूँ” + +# इसलिए + +“मैं समझ नहीं पाता कि मैं जो करता हूँ क्यों करता हूँ, क्योंकि” + +# जिससे मुझे घृणा आती है वही करता हूँ + +वैकल्पिक अनुवाद, “जिन बातों को में जानता हूँ कि उचित नहीं हैं, उन्हीं को करता हूँ” + +# परन्तु + +“तथापि” + +# मैं मान लेता हूँ कि व्यवस्था भली है + +वैकल्पिक अनुवाद, “मैं जानता हूँ कि परमेश्वर प्रदत्त विधान उत्तम हैं diff --git a/rom/07/17.md b/rom/07/17.md new file mode 100644 index 0000000..31df9b4 --- /dev/null +++ b/rom/07/17.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पाप है जो मुझ में बसा हुआ है + +पौलुस पाप को एक जीवन्त वस्तु कहता है जिसमें उसे प्रभावित करने का सामर्थ्य है। + +# मेरे शरीर में + +“मेरे मानवीय स्वभाव में” diff --git a/rom/07/19.md b/rom/07/19.md new file mode 100644 index 0000000..6cb9b7d --- /dev/null +++ b/rom/07/19.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अच्छी वस्तुं + +“भले काम” या “उचित काम” + +# बुराई + +“बुरे काम” या “अनुचित कार्य” diff --git a/rom/07/22.md b/rom/07/22.md new file mode 100644 index 0000000..ac937f8 --- /dev/null +++ b/rom/07/22.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# भीतरी मनुष्यत्व में + +शरीर की मृत्यु के बाद जो बचता है + +# मुझे अपने अंगों में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है और मुझे दास बनाती है + +“मैं वही कर पाता हूँ जो मेरा पुराना मनुष्यत्व कहता है, न कि आत्मा द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलता हूँ”। + +# अपने अंगों में दूसरे प्रकार की व्यवस्था + +पुराना मनुष्यत्व, मनुष्य जन्म से जैसा होता है + +# वह नया सिद्धांत + +आत्मिकता का जीवित नया स्वभाव + +# पाप की व्यवस्था जो मेरे अंगों में है + +“मेरा पापी स्वभाव, जिसको लेकर मेरा जन्म हुआ है” diff --git a/rom/07/24.md b/rom/07/24.md new file mode 100644 index 0000000..e91f72e --- /dev/null +++ b/rom/07/24.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं कैसा आभागा मनुष्य हूँ। मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ायेगा? + +“मेरी तो यही इच्छा है कि कोई मुझे मेरे शरीर की अभिलाषाओं से मुक्ति दिलाए”। (यू.डी.बी.) यदि आपकी भाषा में विस्मय और प्रश्न दोनों को सर्वोच्च भावनात्मक दर्शाने का प्रावधान है, तो उसका उपयोग अवश्य करें। + +# उस एकमात्र परमेश्वर और हमारे उद्धारकर्ता को , हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा + +यह 7:24 के प्रश्न का उत्तर है।(देखे: यू.डी.बी.) + +# मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ”। + +वैकल्पिक अनुवाद, “मेरा मन तो परमेश्वर को प्रसन्न करने का चुनाव करता है, परन्तु मेरा शरीर पाप की आज्ञा मानने का चुनाव करता है”। यहाँ मन और शरीर के उपयोग द्वारा दर्शाया गया है कि वे कैसे परमेश्वर के नियमों या पाप की आज्ञाओं का पालन करना चाहते हैं। मन या समझ के द्वारा तो मनुष्य परमेश्वर के आज्ञापालन का चुनाव करता है परन्तु शरीर या शारीरिक प्रकृति से पाप की सेवा करना चाहता है। diff --git a/rom/08/01.md b/rom/08/01.md new file mode 100644 index 0000000..5df0c8d --- /dev/null +++ b/rom/08/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अतः + +“इस कारण” या “क्योंकि जो मैं अभी-अभी कहता हूँ वह सच है” + +# व्यवस्था... व्यवस्था + +यहाँ “व्यवस्था” का संदर्भ स्वाभाविक क्रिया से है, मानवीय नियमों से इसका कोई अभिप्राय नहीं है । diff --git a/rom/08/03.md b/rom/08/03.md new file mode 100644 index 0000000..791c00b --- /dev/null +++ b/rom/08/03.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल होकर न कर सकी, उसको परमेश्वर ने किया है। + +यहाँ परमेश्वर के विधान को एक कर्ता के रूप में दर्शाया गया है जो पाप की शक्ति से टकरा नहीं पाया। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि विधान में सामर्थ्य न था कि हमें पाप करने से रोक ले क्योंकि हम में जो पाप की शक्ति थी वह अत्यधिक प्रबल थी। परन्तु परमेश्वर ने हमें पाप करने से रोक लिया”। + +# शरीर की समानता में + +“मनुष्यों के पापी स्वभाव के कारण” + +# पाप, भय शरीर की समानता में + +वैकल्पिक अनुवाद, नया वाक्य आरंभ करके “वह किसी भी पापी मनुष्य के स्वरूप दिखता था” + +# पाप बलि होने के लिए + +“कि वह हमारे पापों के लिए मरे”। + +# शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी + +वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर ने अपने पुत्र के शरीर के द्वारा पाप की शक्ति को निरस्त किया”। + +# व्यवस्था की विधि हममें... पूरी की जाए + +कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा वैकल्पिक अनुवाद, “हम परमेश्वर के विधान की अनिवार्यता पूरी करें” + +# हम जो शरीर के अनुसार नहीं + +“हम जो अपनी पापी अभिलाषाओं की पूर्ति नहीं करते” + +# परन्तु आत्मा के अनुसार चलते हैं + +“परन्तु पवित्र आत्मा की आज्ञा मानते हें” diff --git a/rom/08/06.md b/rom/08/06.md new file mode 100644 index 0000000..9866ad2 --- /dev/null +++ b/rom/08/06.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# शरीर के अनुसार... आत्मा के अनुसार + +“पापियों की मानसिकता... पवित्र आत्मा के आज्ञाकारियों की मानसिकता” diff --git a/rom/08/09.md b/rom/08/09.md new file mode 100644 index 0000000..fcd4286 --- /dev/null +++ b/rom/08/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# शारीरिक दशा में नहीं परन्तु आत्मिक दशा में + +देखें कि इन वाक्यांशों का अनुवाद में कैसे किया गया है + +# आत्मा... परमेश्वर का आत्मा .... मसीह का आत्मा + +ये सब पवित्र आत्मा के संदर्भ में है + +# यदि यह सच है कि + +इसका अर्थ यह नहीं कि पौलुस सन्देह में है कि किसी में परमेश्वर का आत्मा नहीं है। पौलुस उन्हें बोध कराना चाहता था कि उन सबमें परमेश्वर का आत्मा है। वैकल्पिक अनुवाद, “मान लो कि किसी में” + +# यदि मसीह तुम में है + +मसीह किसी में अन्तर्वास कैसे करता है स्पष्ट किया जा सकता है, “यदि मसीह पवित्र आत्मा के द्वारा तुम में वास करता है, + +# एक ओर शरीर पाप के मृतक है, किन्तु दूसरी ओर + +"एक ओर" और "किन्तु दूसरी ओर" व्यख्यांश द्वारा दो अलग-अलग तारीके पेश किया गया है। वैकल्पिक अनुवाद: " देह पाप के कारण मरी हुई है; परन्तु ." + +# देह पाप के कारण मरी हुई है। + +संभावित अर्थ है 1) मनुष्य आत्मिक रूप से मृतक है। या 2) पार्थिव देह तो पाप के कारण मरेगी ही। + +# आत्मा धर्म के कारण जीवित है। + +इसके संभावित अर्थ हें 1) मनुष्य आत्मिक रूप से जीवन्त होकर परमेश्वर प्रदत्त सामर्थ्य में भले काम करता है। या 2) परमेश्वर विश्वासी को मरणोपरान्त पुनजीर्वित करेगा क्योंकि परमेश्वर, धर्मनिष्ठ है और विश्वासी को अनन्त जीवन देता है। diff --git a/rom/08/11.md b/rom/08/11.md new file mode 100644 index 0000000..2c460a7 --- /dev/null +++ b/rom/08/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यदि उसी का आत्मा.... तुममें बसा हुआ है + +पौलुस यह मानता है कि उसके पाठकों में पवित्र-आत्मा का अन्तर्वास है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि उसका ही आत्मा... तुममें अन्तर्वासी है” + +# उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया + +“परमेश्वर का आत्मा जिसने उसे मृतकों में से जिलाया। + +# नश्वर देहों को + +“पार्थिव शरीर” या “मरणहार शरीर” diff --git a/rom/08/12.md b/rom/08/12.md new file mode 100644 index 0000000..1ae9f3b --- /dev/null +++ b/rom/08/12.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# इसलिए + +“क्योंकि मैंने तुमसे अभी-अभी जो कहा वह सच है” + +# भाइयों + +“सहविश्वासियों में” + +# हम कर्जदार + +पौलुस आज्ञापालन की तुलना ऋण चुकाने से कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “हमें आज्ञा मानना है” (देखें: + +# शरीर के कर्जदार नहीं कि शरीर के अनुसार जीएं + +“हमें अपनी पापी अभिलाषाओं का पालन नहीं करना है” + +# क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे + +“क्योंकि यदि तुम केवल अपनी पापी अभिलाषाओं को पूरा करने के लिए जीओगे” + +# तो मरोगे + +“तो तुम निश्चय ही परमेश्वर से अलग हो जाओगे” + +# यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मरोगे + +वैकल्पिक अनुवाद, एक नया वाक्य, “यदि पवित्र-आत्मा के सामर्थ्य से तुम अपनी पापी अभिलाषाओं का दमन करोगे” diff --git a/rom/08/14.md b/rom/08/14.md new file mode 100644 index 0000000..8c889a4 --- /dev/null +++ b/rom/08/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं + +कर्तृवाच्य क्रिया के साथ वैकल्पिक अनुवाद, “जिन्हें परमेश्वर ने चुन लिया है”। + +# क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली कि डरे + +“क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें वह आत्मा नहीं दी जो तुम्हें फिर से पाप का दास बनाए और परमेश्वर के दण्ड से डरनेवाला बनाए।” + +# जिससे हम पुकारते हैं + +“जो हमें पुकारने की प्रेरणा देती है” + +# हे अब्बा, हे पिता + +अरामी भाषा में अब्बा का अर्थ है पिता diff --git a/rom/08/16.md b/rom/08/16.md new file mode 100644 index 0000000..82d3ae8 --- /dev/null +++ b/rom/08/16.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यदि सन्तान हैं तो वारिस भी + +इन वाक्यांशों मे क्रिया का उपयोग नहीं किया गया है क्योंकि वह समझा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद है, “यदि हम परमेश्वर की सन्तान हैं तो उसके उत्तराधिकारी भी हैं”। + +# वरन् परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस + +वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर के वारिस तो हैं ही, साथ में मसीह के सहवारिस भी हैं”। + +# उसके साथ महिमा भी पाएं + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया के साथ भी किया जा सकता है, “उसके साथ हमारी भी महिमान्वित करे। diff --git a/rom/08/18.md b/rom/08/18.md new file mode 100644 index 0000000..ead7f59 --- /dev/null +++ b/rom/08/18.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्योंकि + +“क्योंकि” शब्द द्वारा “मैं समझता हूँ” पर बल दिया गया है। इसका अर्थ सामान्य “क्योंकि” न समझें + +# मैं समझता हूँ....कुछ भी नहीं हैं + +मेरा तो मानना है कि.... तुलना के योग्य भी नहीं है। + +# प्रगट होने की + +कर्तृवाच्य क्रिया के साथ वैकल्पिक अनुवाद होगा, “परमेश्वर प्रकट करेगा” या “जब परमेश्वर का अनावरण करेगा”। + +# सृष्टि बड़ी आशा भरी दृष्टि से + +परमेश्वर ने जो कुछ भी बनाया है वह बड़ी जिज्ञासा से, एक मनुष्य के सदृश्य, प्रतिज्ञा कर रहा है। + +# परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने + +“जिस समय परमेश्वर अपने पुत्रों को प्रकट करेगा” diff --git a/rom/08/20.md b/rom/08/20.md new file mode 100644 index 0000000..f47ff07 --- /dev/null +++ b/rom/08/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# क्योंकि सृष्टि... व्यर्थता के अधीन + +कर्तृवाच्य क्रिया के साथ वैकल्पिक अनुवाद होगा, “क्योंकि परमेश्वर ने जो कुछ भी बनाया है उसे उस उद्देश्य प्राप्ति में अयोग्य कर दिया है जिसके उद्देश्य से उसकी रचना की गई थी। + +# अपनी इच्छा से नहीं पर अधीन करने वाले की ओर से + +यहाँ “सृष्टि को एक इच्छा रखने वाले मनुष्य का मान दिया गया है। इसका वैकल्पिक अनुवाद होगा, “इसलिए नहीं कि सृजित वस्तुएं स्वयं चाहती थी “परन्तु इसलिए कि परमेश्वर चाहता था”। + +# कि सृष्टि आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाए। + +वैकल्पिक अनुवाद में कर्तृवाच्य क्रिया के साथ एक नया वाक्य रचा जा सकता है, “तथापि सृजित वस्तुएं पूर्णतः आश्वस्त है कि परमेश्वर उनका उद्धार करेगा। + +# विनाश के दासत्व से + +पौलुस सृष्टि की हर एक वस्तु को उसके स्वामी के दासत्व में तथा “विनाश” के अधीन मानता है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्षय एवं अपक्षय से” + +# परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता + +“जब वह अपनी सन्तानों का महिमान्वन करेगा तब वह उन्हें स्वतंत्र कर देगा।” + +# क्योंकि हम जानते हैं किसकी सृष्टि अब तक कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है। + +सृष्टि की तुलना एक स्त्री से की गई है जो प्रसव पीड़ा में है, “क्योंकि हम जानते है कि संपूर्ण सृष्टि इस समय भी पीड़ा के कारण कहराती है” diff --git a/rom/08/23.md b/rom/08/23.md new file mode 100644 index 0000000..a07dfd9 --- /dev/null +++ b/rom/08/23.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जिनके पास आत्मा का पहला फल है + +पौलुस विश्वासियों की तुलना द्वारा पवित्र आत्मा पाने की तुलना ऋतु के पहले फल तथा फसल से करता है। + +# लेपालक होने की अर्थात अपने देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं + +स्पष्ट किया जा सकता है कि परमेश्वर हमें किससे छुटकारा दिलाएगा। “परमेश्वर के परिवार के पूर्ण सदस्य होने की प्रतिज्ञा में है कि वह हमारी देह को क्षय और मृत्यु से मुक्ति दिलाएगा। + +# इस आशा के द्वारा हमारा उद्धार हुआ है + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “क्योंकि हमें विश्वास है कि परमेश्वर ने हमारा उद्धार किया है + +# क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उसकी आशा क्या करेगा? + +पौलुस प्रश्न पूछ कर अपने पाठकों को समझाता है कि “आशा” क्या है। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “परन्तु यदि हमें आशा है तो इसका अर्थ है कि हमें अभी तक वह वस्तु प्राप्त नहीं हुई है जिसकी हम आशा करते हैं। यदि किसी के पास कुछ है तो वह उसकी आशा नहीं करता है”। diff --git a/rom/08/26.md b/rom/08/26.md new file mode 100644 index 0000000..8a16d72 --- /dev/null +++ b/rom/08/26.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# ऐसी आहें भर-भर कर + +“इसकी आहों को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है”। diff --git a/rom/08/28.md b/rom/08/28.md new file mode 100644 index 0000000..81788ab --- /dev/null +++ b/rom/08/28.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# लोगों जो बुलाए गए है + +कर्तृवाच्य क्रिया के साथ वैकल्पिक अनुवाद, “जिन्हें परमेश्वर ने चुन लिया है”। + +# जिन्हें उसने पहले ही से जान लिया है + +“जिन्हें उसने उनके सृजन से पहले से जान लिया है”। + +# उन्हें पहले से ठहराया भी है + +“उसने उनकी नियति निर्धारित कर दी है” या “पहले ही से उनके लिए योजना बना ली है”। + +# कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों + +इसका अनुवाद एक सक्रिय क्रिया के रूप में किया जा सकता है : "परमेश्वर ने प्रगट नहीं किया" + +# पहिलौठा ठहरे + +“कि उसका पुत्र पहिलौठा हो” + +# बहुत भाइयों में + +इसका अर्थ पूर्णतः स्पष्ट किया जा सकता है, “परमेश्वर के परिवार के अनेक भाइयों-बहनों में” + +# जिन्हें उसने पहले से ठहराया + +“जिनके लिए परमेश्वर ने पहले से योजना बनाई है” + +# उन्हें महिमा भी दी + +यहां “महिमा” को भूतकाल में रखा गया है कि इसका होना निश्चित हो। वैकल्पिक अनुवाद, “उन्हें वह निश्चय ही महिमान्वित करेगा”। diff --git a/rom/08/31.md b/rom/08/31.md new file mode 100644 index 0000000..d43a5f7 --- /dev/null +++ b/rom/08/31.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# अतः हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है? + +पौलुस जब प्रश्न पूछता है तो वह अपनी पूर्वोक्त बात को महत्त्व देना चाहता है। वैकल्पिक अनुवाद, “इन सब बातों से हम यही निष्कर्ष निकालते हैं कि परमेश्वर हमारी ओर है तो हमें कौन पराजित कर सकता है। + +# परन्तु उसे दे दिया + +“उसके बैरियों के हाथों में कर दिया” + +# हमें और सब कुछ क्यों न देगा? + +यहाँ भी पौलुस बल देने के लिए प्रश्न पूछ रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “वह हमें सब कुछ निश्चय ही और बहुतायत से देगा” diff --git a/rom/08/33.md b/rom/08/33.md new file mode 100644 index 0000000..7544da3 --- /dev/null +++ b/rom/08/33.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर ही है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है। + +यहाँ भी पौलुस बल देने के लिए प्रश्न पूछता है। वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर के समक्ष हमें कोई दोष नहीं दे सकता, क्योंकि परमेश्वर हमें न्यायोचित ठहराता है”। + +# फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह ही है जो मर गया वरन् जो मुर्दो में से जी भी उठा। + +पौलुस बल देने ही का प्रश्न पूछता है। वैकल्पिक अनुवाद, “हमें कोई दोष नहीं दे सकता क्योंकि मसीह यीशु ही है... और हमारी मध्यस्थता भी करता है” + +# वरन् जो मुर्दों में से जी भी उठा + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “जिसे परमेश्वर ने अति विशिष्टता में मृतकों में से पुनजीर्वित किया” या “जो अति विशिष्ट रूप में मर कर जी उठा” diff --git a/rom/08/35.md b/rom/08/35.md new file mode 100644 index 0000000..afc6186 --- /dev/null +++ b/rom/08/35.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्या क्लेश, या संकट या उपद्रव या अकाल या नंगाई, या जोखिम या तलवार? + +वैकल्पिक अनुवाद, “यदि कोई हमें कष्ट देना चाहे, हमें हानि पहुँचाना चाहे, हमें वस्त्र, भोजन विहीन कर दे या हत्या भी कर दे, तो यह संभव नहीं” + +# क्लेश या संकट + +इन दोनों शब्दों का अर्थ एक ही है। + +# तुम्हारे लाभ के लिए + +यहाँ तुम्हारे”एक वचन में है और परमेश्वर के लिए काम में लिया गया है, वैकल्पिक अनुवाद, “तेरे लिए” + +# हम दिन भर घात किए जाते हैं + +यहाँ “हम” धर्मशास्त्र के इस अंश के लेखक को संबोधित करता है और उसके साथ परमेश्वर के सब भक्तों को समाहित करता है, “दिन भर” यह उक्ति एक अतिशयोक्ति है जो इनके संकट को उजागर करती है। यहाँ पौलुस दर्शाना चाहता है कि जो परमेश्वर के हैं उन्हें विषम परिस्थितियों की अपेक्षा करता है आवश्यक है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया से भी किया जा सकता है, “हमारे बैरी हमारी हत्या करने की खोज में लगे रहते हैं।” + +# हम वध होने वाली भेड़ों के समान गिने गए हैं + +परमेश्वर के भक्त जिन्हें लोग मार डालते हैं उनकी तुलना बलि के पशुओं से भी गई हे। इसका वैकल्पिक अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “हमारा जीवन तो उनके लिए ऐसा है जैसा भेड़ें जिन्हें वे वध करते हैं" diff --git a/rom/08/37.md b/rom/08/37.md new file mode 100644 index 0000000..7f67d35 --- /dev/null +++ b/rom/08/37.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जयवन्त से भी बढ़कर है। + +“हमें पूर्ण विजय प्राप्त है”। + +# जिसने हमसे प्रेम किया + +यीशु ने हमसे जो प्रेम किया वह स्पष्ट किया जा सकता है, “यीशु के द्वारा जिसने हमसे इतना अधिक प्रेम किया कि हमारे लिए मर भी गया”। + +# मैं निश्चय जानता हूँ + +“मुझे पूरा विश्वास है” या “मैं आश्वस्त हूँ” + +# कोई और सृष्टि + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) दुष्टात्माएं (यू.डी.बी.) या मानवीय राजा एवं प्रशासक + +# न सामर्थ्य + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) सामर्थी आत्माएं या 2) सामर्थी मनुष्य diff --git a/rom/09/01.md b/rom/09/01.md new file mode 100644 index 0000000..339ac68 --- /dev/null +++ b/rom/09/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मेरा विवेक भी पवित्र आत्मा में गवाही देता है + +यह वाक्यांश एक नए वाक्य में रचा जा सकता है, “पवित्र आत्मा मेरे विवेक को नियंत्रित करती है और जो मैं कहता हूँ उसके सत्यापित करती है”। + +# मुझे बड़ा शोक है और मेरा मन सदा दुखता रहता है + +यह एक अलग वाक्य बनाया जा सकता है, “मुझे वास्तव में बहुत गहरा दुःख है”। यदि उस व्यक्ति की चर्चा की जाए जिसके पौलुस को गहरा दुःख है तो यू.डी.बी. अनुवाद को देखें diff --git a/rom/09/03.md b/rom/09/03.md new file mode 100644 index 0000000..3568ec6 --- /dev/null +++ b/rom/09/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# क्योंकि मैं यहाँ तक चाहता था कि अपने भाइयों के लिए जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, स्वयं ही मसीह से शापित हो जाता। + +वैकल्पिक अनुवाद, “मैं तो यह भी चाहता हूँ कि परमेश्वर शापित ठहराए और मसीह से सदा के लिए अलग कर दे यदि इससे मेरे इस्त्राएली भाइयों को, मेरी अपनी जाति को मसीह में विश्वास करने में सहायता मिले।” + +# वे इस्राएली हैं + +वे, मेरे सदृश्य, इस्त्राएली हैं। परमेश्वर ने उन्हें याकूब के वंशज चुना है। (यू.डी.बी.) + +# पुरखे भी उन्हीं के हैं और मसीह भी शरीर के भाव से उन्हीं में से हुआ। + +“यही वह वंश है जिसमें मसीह के मानव रूप धारण करके जन्म लिया”। + +# मसीह, सबके ऊपर, परम परमेश्वर युगानुयुग धन्य है + +इसका अनुवाद एक अलग वाक्य में किया जा सकता है, “मसीह सर्वेसर्वा है और परमेश्वर ने उसे सदा के लिए आशिषित किया है। diff --git a/rom/09/06.md b/rom/09/06.md new file mode 100644 index 0000000..fba72b4 --- /dev/null +++ b/rom/09/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परन्तु यह नहीं कि परमेश्वर का वचन टल गया + +“परन्तु परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं में चूकता नहीं है”। + +# जो इस्त्राएल के वंश के हें, वे सब इस्त्राएली नहीं है। + +“परमेश्वर ने इस्राएल (याकूब) के सब वंशओं से प्रतिज्ञा नहीं की है। उसने इसके आत्मिक वंशजों से ही प्रतिज्ञा की है अर्थात उनसे जिन्हें यीशु में विश्वास है। + +# और न अब्राहम के वंश होने के कारण सब उसकी सन्तान ठहरे + +“नहीं वे सब अब्राहम की सन्तान होने के कारण परमेश्वर की सन्तान हैं। diff --git a/rom/09/08.md b/rom/09/08.md new file mode 100644 index 0000000..b5dc0c1 --- /dev/null +++ b/rom/09/08.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# शरीर की सन्तान + +यह अब्राहम के शारीरिक वंश के संदर्भ में है। + +# परमेश्वर की सन्तान + +ये वे लोग हैं जो यीशु में विश्वास के द्वारा आत्मिक वंश हैं + +# प्रतिज्ञा की सन्तान + +अर्थात वे लोग जो प्रतिज्ञा के उत्तराधिकारी होंगे + +# “सारा का पुत्र होगा” + +“मैं सारा को एक पुत्र दूँगा” diff --git a/rom/09/10.md b/rom/09/10.md new file mode 100644 index 0000000..8b05d4d --- /dev/null +++ b/rom/09/10.md @@ -0,0 +1,39 @@ +# हमारे पिता इसहाक.... अभी तक + +हो सकता है कि आपको 9:17, 9:12 के बाद रखना हो, “हमारे पिता इसहाक, उसने कहा, जेठा छोटे का दास होगा। अभी तक न तो बालक जन्मे थे... बुलाने वाले के कारण है” + +# हमारे पिता + +इसहाक पौलुस और रोम के विश्वासियों का पूर्वज था। + +# उत्पन्न हुए + +“गर्भवती हुई” + +# अभी तक न तो बालक जन्में थे और न उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था। + +“सन्तान के जन्म से पूर्व और अच्छा या बुरा करने से पूर्व” + +# परमेश्वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है... बनी रहे। + +“फिर परमेश्वर के चुनाव के अनुसार जो होना है वह होकर रहे”। + +# अभी तक न तो बालक जन्मे थे + +“सन्तानोत्पत्ति से पूर्व” + +# न उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था + +“नही उनके कर्मो के कारण” + +# उसके कारण + +परमेश्वर के कारण + +# उस से कहा गया, “जेठा छोटे का दास होगा” + +परमेश्वर ने रिबका से कहा, “बड़ा पुत्र छोटे की सेवा करेगा” + +# “मैंने याकूब से प्रेम किया परन्तु एसाव को अप्रिय जाना” + +परमेश्वर ने एसाव को अप्रिय जाना अर्थात याकूब से प्रेम करने की तुलना में।(देखें: ) diff --git a/rom/09/14.md b/rom/09/14.md new file mode 100644 index 0000000..8cd6049 --- /dev/null +++ b/rom/09/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इसलिए हम क्या कहें? + +पौलुस उनसे उत्तर की खोज नहीं कर रहा है वह प्रश्न पूछने के द्वारा वह उस भ्रम को दूर कर रहा है कि परमेश्वर धर्मी नहीं है। + +# कदापि नहीं। + +“असंभव है”। या “निश्चय ही नहीं” यह अभिव्यक्ति दृढ़ता से इन्कार करती है कि ऐसा होने की संभावना है। आप अपनी भाषा में ऐसी ही अभिव्यक्ति को काम में लेना चाहेंगे। + +# क्योंकि वह मूसा से कहता है + +“क्योंकि परमेश्वर ने मूसा से कहा है” + +# अतः यह न तो चाहने वाले की, न दौड़ने वाले की + +“यह मनुष्यों के चाहने या उनके कठोर परिश्रम से नहीं”। + +# न दौड़ने वाले की + +पौलुस एक धावक की तुलना लक्ष्य प्राप्ति के लिए कठोर परिश्रम करनेवाले से करता है। diff --git a/rom/09/17.md b/rom/09/17.md new file mode 100644 index 0000000..6c981a2 --- /dev/null +++ b/rom/09/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# क्योंकि पवित्रशास्त्र में कहा गया + +यहाँ धर्मशास्त्र को मानव रूप दिया गया है जैसे परमेश्वर फिरौन से बात कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “धर्मशास्त्र में परमेश्वर ने कहा” + +# मैं.... अपनी + +परमेश्वर अपने बारे में कहता है + +# तुझे + +एकवचन + +# मेरे नाम का प्रचार सारी पृथ्वी पर हो + +“कि मनुष्य संपूर्ण पृथ्वी पर मेरा नाम ले” + +# जिसे चाहता है, कठोर कर देता है + +“परमेश्वर जिसे चाहे हठीला बना देता है” diff --git a/rom/09/19.md b/rom/09/19.md new file mode 100644 index 0000000..c7b2bd5 --- /dev/null +++ b/rom/09/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तू + +पौलुस उसकी शिक्षा के आलोचकों को संबोधित कर रहा है, वह एक मनुष्य से बात कर रहा है। आपको संभवतः बहुवचन काम में लेने की आवश्यकता हो सकती है। + +# वह...उसकी + +परमेश्वर की + +# क्या गढ़ी हुई वस्तु कहेंगी.... प्रतिदिन के लिए बनाए? + +पौलुस तुम्हारे अधिकार का उदाहरण दे रहा है कि वह जैसा पात्र चाहे मिट्टी से बनाता है जो सृजनहार के अधिकार का एकरूपक है कि वह अपनी सृष्टि के साथ जैसा चाहे वैसा कर सकता है। diff --git a/rom/09/22.md b/rom/09/22.md new file mode 100644 index 0000000..73db010 --- /dev/null +++ b/rom/09/22.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# वह... उसकी + +परमेश्वर.... परमेश्वर का/की + +# क्रोध के बर्तनों... दया के बर्तनों + +“क्रोध भाजक मनुष्य... दयापात्र मनुष्य” + +# महिमा के धन + +“उसकी महिमा जो अपार है”। + +# जिन्हें उसने महिमा के लिए पहले से तैयार किया + +“जिन्हें उसने समय से पहले महिमान्वन के लिए तैयार किया है” + +# हम को भी + +पौलुस तथा उसके सहविश्वासी भाई diff --git a/rom/09/25.md b/rom/09/25.md new file mode 100644 index 0000000..548814c --- /dev/null +++ b/rom/09/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# जैसा वह होशे की पुस्तक में भी कहता है + +“जैसा परमेश्वर होशे रचित पुस्तक में भी कहता है” + +# होशे + +होशे भविष्यद्वक्ता है + +# “जो मेरी प्रजा नहीं थी, उन्हें मैं अपनी प्रजा नहीं कहूँगा” + +“मैं उन लोगों को चुन कर अपने लोग बना लूँगा जो मेरे लोग न थे” + +# और जो प्रिय न थे उसे प्रिय कहूँगा + +“और मैं उसे चुनकर अपनी प्रिय बनाऊँगा जो मेरी प्रिय न थी”। + +# जीवते परमेश्वर की सन्तान + +“जीवते” का अर्थ है कि परमेश्वर ही एकमात्र “सच्चा” परमेश्वर है, झूठी मूर्तियों के सदृश्य नहीं। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “सच्चे परमेश्वर की सन्तान”। (यू.डी.बी.) diff --git a/rom/09/27.md b/rom/09/27.md new file mode 100644 index 0000000..e5ef7f9 --- /dev/null +++ b/rom/09/27.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# यशायाह पुकार कर कहता है + +“सार्वजनिक घोषणा करता है” + +# समुद्र के बालू के बराबर हो + +असंख्य + +# बचेंगे + +यहाँ “बचेंगे” आत्मिक अभिप्राय में है। मनुष्य बचाया जाता है तो वह क्रूस पर यीशु की मृत्यु के द्वारा है। परमेश्वर ने उसे क्षमा कर दिया और उसके पापों के दण्ड से बचा लिया। + +# वचन + +सब कुछ जो परमेश्वर ने कहा और आज्ञा दी। + +# हम... हमारे + +अर्थात यशायाह और इस्राएली + +# हम सदोम के समान हो जाते, और अमोरा के सदृश्य हो गये है + +आप और अधिक स्पष्ट रूप से समझा सकते हैं कि इस्त्राएली सदोम और अमोरा के सदृश्य कैसे हो सकते थे, “हम सब का ठीक वैसे सर्वनाश हो जाता जैसे सदोम और अमोरा का हुआ था। (यू.डी.बी.) diff --git a/rom/09/30.md b/rom/09/30.md new file mode 100644 index 0000000..6c04d06 --- /dev/null +++ b/rom/09/30.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# तो हम क्या कहें? + +“अतः हमें यही कहना होगा” + +# यह कि अन्यजातियाँ + +“हम कहेंगे कि अन्यजातियाँ” + +# जो धार्मिकता की खोज नहीं करते थे + +“जो परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास नहीं करते थे” + +# धार्मिकता प्राप्त की अर्थात उस धार्मिकता को जो विश्वास से हैं + +“परमेश्वर के पुत्र मे विश्वास करके परमेश्वर को प्रसन्न किया” + +# उस व्यवस्था तक नहीं पहुँचे + +“नियमों के पालन से न्यायोचित अवस्था को प्राप्त नहीं किया”। diff --git a/rom/09/32.md b/rom/09/32.md new file mode 100644 index 0000000..6c85840 --- /dev/null +++ b/rom/09/32.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# किस लिए? (क्यों नहीं पहुँचे)? + +“वे न्यायोचित अवस्था को प्राप्त क्यों नहीं कर पाए”? + +# कर्मों से + +“परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले कामों से” (देखें यू.डी.बी.) या “विधान के नियमों का पालन करके”। + +# ठोकर के पत्थर + +“पत्थर जिससे लोगों को ठोकर लगती है” + +# जैसा लिखा है + +“जैसा भविष्यद्वक्ता यशायाह ने लिखा है”। + +# सिय्योन + +यह वहाँ एक स्थान का नाम है + +# जो उस पर विश्वास करेगा + +यह पत्थर एक मनुष्य के स्थान में आया है (देखें यू.डी.बी.) अतः आपके इस प्रकार अनुवाद करना होगा, “जो उस में विश्वास करेगा” diff --git a/rom/10/01.md b/rom/10/01.md new file mode 100644 index 0000000..ef36c71 --- /dev/null +++ b/rom/10/01.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# मेरे मन की अभिलाषा + +“मेरी उत्कट अभिलाषा है” + +# वे उनके लिए, उनके उद्धार के लिए + +“परमेश्वर यहूदियों का उद्धार करे” diff --git a/rom/10/04.md b/rom/10/04.md new file mode 100644 index 0000000..eb3fda7 --- /dev/null +++ b/rom/10/04.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मसीह व्यवस्था का अन्त है + +“क्योंकि मसीह ने विधान के नियमों का पूर्णतः पालन किया” + +# हर एक विश्वास करनेवाले के लिए धार्मिकता के निमित्त। + +“कि वह उसमें विश्वास करनेवाले हर एक मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित बना दे”। + +# धार्मिकता पर जो व्यवस्था से है + +“जैसे विधान के नियम मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित ठहराते हैं” + +# “जो मनुष्य उस धार्मिकता पर जो व्यवस्था से है, चलता है, वह उसी से जीवित रहेगा”। + +“विधान के नियमों के पालन में सिद्ध मनुष्य जीवित रहेगा, क्योंकि नियम उसे परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित ठहराएंगे” + +# जीवित रहेगा + +इसका संदर्भ 1) अनन्त जीवन से (यू.डी.बी.) या 2) परमेश्वर की संगति में नैतिक जीवन से है। diff --git a/rom/10/06.md b/rom/10/06.md new file mode 100644 index 0000000..6c08842 --- /dev/null +++ b/rom/10/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# परन्तु जो धार्मिकता विश्वास से है, वह यह कहती है + +यहाँ “धार्मिकता के एक व्यक्ति की संज्ञा दी गई है कि वह बोलती है। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु मूसा लिखता है कि विश्वास मनुष्य को कैसे परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित ठहराता है”। + +# “तू अपने मन में यह न कहना” + +“तू यह न सोचना”, मूसा जनसमूह को एक वचन में संबोधित कर रहा है। + +# स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा? + +मूसा ऐसा प्रश्न पूछ कर अपने श्रोतागण को कुछ सिखाना चाहता है। इसका पूर्वाक्त निर्देश, मन में यह न कहना, को नकारात्क उत्तर की आवश्यकता है, वैकल्पिक अनुवाद, “स्वर्ग जाने का प्रयास कोई न करे”। + +# अर्थात मसीह को उतार लाने के लिए + +“कि वे मसीह को पृथ्वी पर ले आएं” + +# अधोलोक में कौन उतरेगा? + +मूसा अपने श्रोतागण को सिखाने के लिए प्रश्न पूछता है। उसकी पूर्वोक्त उक्ति, “तू अपने मन में कहना” को नकारात्मक उत्तर की आवश्यकता है। वैकल्पिक अनुवाद, “जहाँ मृतकों की आत्माएं हैं वह किसी को उतरने की आवश्यकता नहीं है” + +# अर्थात्, मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिए + +“कि वे मसीह को मृतकों में से ऊपर ले आएं” diff --git a/rom/10/08.md b/rom/10/08.md new file mode 100644 index 0000000..1ea139d --- /dev/null +++ b/rom/10/08.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# परन्तु वह क्या कहती है? + +“वह” अर्थात धर्मनिष्ठा 10:6 यहां पौलुस धर्मनिष्ठा को एक मनुष्य के रूप में व्यक्त कर रहा है, जो बोल सकता है। पौलुस प्रश्न पूछ कर जो उत्तर देगा उस पर बल देता है। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु मूसा जो कहता है, वह है कि” + +# वचन तेरे निकट है + +“सन्देश ठीक यही है” + +# तेरे मुँह में + +“मूँह” का अर्थ होता है शब्दोच्चारण। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “वचन तेरे शब्दोच्चारण में है”। + +# और तेरे मन में है + +“मन” से अभिप्राय है, मनुष्य का मस्तिष्क या उसका सोचना। वैकल्पिक अनुवाद, “और वह तेरे सोचने में है” + +# यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे + +“यदि तू स्वीकार करे कि यीशु प्रभु है” + +# मन से विश्वास करे + +“सच माने” + +# तू निश्चय उद्धार पाएगा + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “परमेश्वर तेरा उद्धार करेगा” + +# क्योंकि धार्मिकता के लिए मन से विश्वास किया जाता है और उद्धार के लिए मुँह से अंगीकार किया जाता है + +“क्योंकि मन से विश्वास करके मनुष्य परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित ठहरता है और मुँह से वह स्वीकरण करता है तो परमेश्वर उसे न्यायोचित ठहराता है” diff --git a/rom/10/11.md b/rom/10/11.md new file mode 100644 index 0000000..d522a22 --- /dev/null +++ b/rom/10/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# जो कोई उस पर विश्वास करेगा वह लज्जित न होगा + +“उसमें विश्वास करनेवाला कोई भी मनुष्य लज्जित नहीं होगा”। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जाता है, “परमेश्वर उसमें विश्वास करनेवाले किसी भी मनुष्य को लज्जित नहीं होने देगा”। वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर उसमें विश्वास करनेवाले हर एक मनुष्य को महिमान्वित करेगा”। + +# यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं + +“इस प्रकार, परमेश्वर यहूदियों और गैर यहूदियों के साथ समता का व्यवहार करता है”। (यू.डी.बी.) + +# सब नाम लेने वालों के लिए उद्धार है + +“वह सब विश्वासियों को विपुल आशिषें देता है” + +# जो कोई प्रभु का नाम लेगा वह उद्धार पाएगा + +“नाम” का अभिप्राय संपूर्ण व्यक्ति से है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “परमेश्वर उसमें विश्वास करनेवाले हर एक मनुष्य का उद्धार करेगा”। diff --git a/rom/10/14.md b/rom/10/14.md new file mode 100644 index 0000000..8cdba17 --- /dev/null +++ b/rom/10/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम कैसे लें? + +पौलुस प्रश्न पूछने के द्वारा मसीह का शुभ सन्देश उन लोगों तक पहुँचाने के महत्त्व पर बल देता है, जिन्होंने अब तक शुभ सन्देश ही सुना है। यहां “वे” उन लोगों के संदर्भ में है जो परमेश्वर के लोग नहीं हैं। वैकल्पिक अनुवाद, “जो परमेश्वर में विश्वास नहीं करते उसका नाम नहीं ले सकते हैं” + +# और जिसके विषय सुना नहीं उस पर कैसे विश्वास करें? + +पौलुस उसी कारण के निमित्त एक और प्रश्न पूछता है। वैकल्पिक अनुवाद, “और वे उसमें विश्वास नहीं कर पाते। “या” यदि उन्होंने उसका सन्देश नहीं सुना होता”। या “यदि उन्होंने उसका सन्देश नहीं सुना तो उसमें विश्वास करना संभव नहीं”। + +# और प्रचारक बिना कैसे सुनें? + +पौलुस फिर उसी कारण प्रश्न पूछता है। वैकल्पिक अनुवाद, “और यदि कोई सुनाए नहीं तो वे सन्देश नहीं सुन पाएंगे” + +# और यदि भेजे न जाएं तो कैसे प्रचार करें? + +पौलुस फिर उसी कारण से प्रश्न पूछता है। यह परमेश्वर के लोगों के संबन्ध में कहा गया है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “और वे शुभ सन्देश सुना नहीं सकते यदि कोई उन्हें भेजे नहीं”। + +# उनके पांव क्या ही सुहावने हें जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं। + +पौलुस का अभिप्राय “पांव” से है कि अमनशील प्रचारक उन लोगों में शुभ सन्देश सुनाते हैं, जिन्होंने कभी शुभ सन्देश नहीं सुना। वैकल्पिक अनुवाद, “यह अति मनोहर बात है कि सन्देशवाहक आकर हमें शुभ सन्देश सुनाते हैं”। diff --git a/rom/10/16.md b/rom/10/16.md new file mode 100644 index 0000000..f5a93d0 --- /dev/null +++ b/rom/10/16.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परन्तु सबने उस सुसमाचार पर कान नहीं लगाया + +“परन्तु सब यहूदियों ने शुभ सन्देश सुनना नहीं चाहा” + +# हे प्रभु किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया है? + +पौलुस इस प्रश्न के संदर्भ द्वारा इस बात पर बल दे रहा है कि यशायाह ने धर्मशास्त्र में अपनी भविष्यद्वाणी लिख दी है कि अनेक यहूदी यीशु में विश्वास नहीं करेंगे। यहां “हमारे” परमेश्वर और यशायाह का बोध करवाता है। वैकल्पिक अनुवाद, “हे प्रभु, उनमें से कितने हैं जो हमारे सन्देश पर विश्वास नहीं करते हैं। diff --git a/rom/10/18.md b/rom/10/18.md new file mode 100644 index 0000000..cce34f4 --- /dev/null +++ b/rom/10/18.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परन्तु मैं कहता हूँ, क्या उन्होंने नहीं सुना? सुना तो सही + +मैं कहता हूँ, क्‍या उन्होंने नहीं सुना? सुना तो सही , पौलुस बल देने के लिए प्रश्न करता है। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु मैं कहता हूँ कि यहूदियों ने निश्चय ही मसीह का शुभ सन्देश सुना है + +# उनके स्वर सारी पृथ्वी पर और उनके वचन जगत की छोर तक पहुँच गए है। + +इन दोनों कथनों का अर्थ एक ही है और महत्त्व उजागर करने के लिए हैं। “उनके सूर्य, चाँद और सितारों के लिए काम में लिया गया है। यहाँ उन्हें मानवीय सन्देशवाहक के रूप में व्यक्त किया गया है जो मनुष्यों को परमेश्वर का सन्देश सुनाते हैं। इसका अर्थ है कि उनका अस्तित्व परमेश्वर के सामर्थ्य और उसकी महिमा की गवाही देता है। स्पष्ट किया जा सकता है कि यहां पौलुस धर्मशास्त्र का संदर्भ दे रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “जैसा धर्मशास्त्र में लिखा है, सूर्य, चाँद, और सितारे परमेश्वर के सामर्थ्य और उसकी महिमा का प्रमाण हैं और संसार में हर एक जन उन्हें देखकर परमेश्वर के सत्य को जान पाता है”। (देखें: और और ) diff --git a/rom/10/19.md b/rom/10/19.md new file mode 100644 index 0000000..ad63499 --- /dev/null +++ b/rom/10/19.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मैं फिर कहता हूँ, “क्या इस्राएली नहीं जानते थे”? + +पौलुस महत्त्व उजागर करने के लिए ही प्रश्न का उपयोग कर रहा है। “इस्राएल शब्द उन लोगों के लिए है जो इस्राएल देश के निकले हैं, वैकल्पिक अनुवाद, “मैं पुनः कहता हूँ कि इस्राएलवासी निश्चय ही शुभ सन्देश का ज्ञान रखते थे”। (देखें: और ) + +# पहले तो मूसा कहता है, "मैं... जलन उपजाऊंगा... रिस दिलाऊंगा।" + +इसका अर्थ है मूसा परमेश्वर की वाणी को लिख रहा था। “मैं” अर्थात परमेश्वर और “तुम्हारे” अर्थात इस्त्राएली। वैकल्पिक अनुवाद, “पहले तो मूसा कहता है कि परमेश्वर तुम्हें उपदेश दिलाता है.... परमेश्वर तुम्हें उत्तेजित करता है... ” + +# जो जाति नहीं + +“जो एक जाति नहीं माने जाते हैं”। (यू.डी.बी.) या “उन लोगों के द्वारा जो किसी जाति के नहीं”। + +# एक मूढ़ जाति के द्वारा + +“उस जाति के लोगों के द्वारा जो मुझे या मेरी आज्ञाओं को नहीं जानते”। + +# तुम्हें रिस दिलाऊंगा + +“मैं तुम्हें क्रोध करने पर विवश करूँगा”। diff --git a/rom/10/20.md b/rom/10/20.md new file mode 100644 index 0000000..4e80167 --- /dev/null +++ b/rom/10/20.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# फिर यशायाह बड़े हियाव के साथ कहता है + +इसका अर्थ है कि यशायाह ने परमेश्वर के वचन लिखे। + +# जो मुझे नहीं ढांपते थे उन्होंने मुझे पा लिया। + +“मुझे” अर्थात परमेश्वर को। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “यद्यपि अन्य जातियाँ मेरी खोज में नहीं थी, उन्होंने मुझे पा लिया”। भविष्यद्वक्ता भविष्य की बातों की इस प्रकार लिखते थे कि मानों वे हो रही हैं। यह भविष्यद्वाणी की सत्य पूर्ति पर बल देता है। वैकल्पिक अनुवाद, “यद्यपि अन्य जातियों मेरी खोज नहीं करेंगी। वे मुझे पा लेंगी” + +# मैं प्रगट हो गया + +“मैंने अपनी उपस्थिति का बोध करवाया” वैकल्पिक अनुवाद, “मैं अपनी उपस्थिति दर्शाऊंगा” + +# वह यह कहता है + +परमेश्वर यशायाह के माध्यम से कहता है + +# सारा दिन + +इस उक्ति द्वारा परमेश्वर को लगातार प्रयास पर बल दिया गया है। वैकल्पिक अनुवाद, “लगातार” + +# मैं सारे दिन अपने हाथ एक आज्ञा न मानने वाली और विवाद करने वाली प्रजा की ओर पसारे रहा। + +वैकल्पिक अनुवाद, “मैं तुम्हारा स्वागत करने और तुम्हारी सहायता करने का प्रयास किया, परन्तु तुमने मेरी सहायता से इन्कार करके आज्ञा नहीं मानते रहे। “मैं” अर्थात परमेश्वर diff --git a/rom/11/01.md b/rom/11/01.md new file mode 100644 index 0000000..470b0ef --- /dev/null +++ b/rom/11/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# इसलिए मैं कहता हूँ + +“इसलिए मैं पौलुस कहता हूँ” + +# क्या परमेश्वर ने अपनी प्रजा को त्याग दिया? + +पौलुस यह प्रश्न इसलिए पूछता है कि यहूदियों के प्रश्नों का उत्तर दे क्योंकि वे अन्यजातियों के परमेश्वर के लोग होने से अप्रसन्न थे और उनके हृदय कठोर हो गए थे। + +# कदापि नहीं। + +“यह संभव नहीं”। या “निश्चय ही नहीं”। इस उक्ति से प्रबल इन्कार होता है कि ऐसा होगा। आप उसकी भाषा में समानार्थक अभिव्यक्ति यहाँ काम में लेना चाहेंगे। देखें कि आपने इसका अनुवाद में कैसे किया है। + +# बिन्यामीन के गोत्र में से हूँ + +परमेश्वर ने इस्राएल को बारह गोत्रों में विभाजित किया था उनमें से एक गोत्र अर्थात बिन्यामीन का वंशज हूँ। + +# उसने पहले ही से जाना + +“वह समय से पहले ही उसे जानता था”। + +# क्या तुम नहीं जानते कि पवित्रशास्त्र एलिय्याह के विषय में क्या कहता है...? + +“निश्चय ही तुम जानते हो कि धर्मशास्त्र में लिखा है कि एलिय्याह ने इस्त्राएल के विरूद्ध परमेश्वर से विनती की थी + +# पवित्रशास्त्र क्या कहता है? + +पौलुस धर्मशास्त्र का संदर्भ दे रहा है + +# उन्होंने ....घात किया + +इस्त्रालियों ने घात किया + +# मैं ही अकेला बचा हूँ + +यहाँ सर्वनाम “मैं” एलिय्याह के लिए है। diff --git a/rom/11/04.md b/rom/11/04.md new file mode 100644 index 0000000..682ea96 --- /dev/null +++ b/rom/11/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# परमेश्वर कैसे उत्तर क्या ? + +पौलुस इस प्रश्न के द्वारा पाठकों को अपनी अगली बात पर ला रहा है + +# परमेश्वर उसे क्या कहता है? + +“परमेश्वर कैसे उत्तर देता है”? + +# उसे + +“उसे” अर्थात एलिय्याह को + +# सात हजार पुरूषों + +“7,000 पुरूष” diff --git a/rom/11/06.md b/rom/11/06.md new file mode 100644 index 0000000..30793bb --- /dev/null +++ b/rom/11/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यदि यह अनुग्रह से हुआ है + +पौलुस समझा रहा है कि परमेश्वर की दया कैसे काम करती है। “परन्तु क्योंकि परमेश्वर की दया अनुग्रह से कार्य करती है”। + +# तो फिर? + +“हमें क्या निष्कर्ष निकालना होगा? वैकल्पिक अनुवाद, “हमें यह स्मरण रखना है” + +# परमेश्वर ने उन्हें .... भारी नींद में डाल रखा है और ऐसी आँखें दी जो न देखें और ऐसे कान जो न सुनें + +यह उनकी आत्मिक कठोरता के लिए प्रयुक्त एक रूपक है। वे आत्मिक सत्य को न तो देख सके और न ही सुन सके। + +# ऐसी आँखे दी जो न देखेंउत्तर दिया + +आँख से देखने का अर्थ है, समझ प्राप्त करना। + +# ऐसे कान जो न सुनें + +कानों से सुनना आज्ञापालन के लिए प्रयुक्त रूपक है diff --git a/rom/11/09.md b/rom/11/09.md new file mode 100644 index 0000000..969d398 --- /dev/null +++ b/rom/11/09.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उनका भोजन उनके लिए जाल और फंदा + +“भोजन” अर्थात उनकी दावतें और “जाल और फंदा” अर्थात दण्ड”। “हे परमेश्वर उन्हें पकड़ कर उनकी दावतों में ही उन्हें फंसा दे”। + +# ठोकर ... का कारण + +“पाप का कारण” + +# और दण्ड का कारण + +“ऐसा कारण कि उनसे तू बदला ले” + +# तू सदा उनकी पीठ को झुकाए रख + +दाऊद परमेश्वर से याचना करता है कि वह उसके बैरियों को दास बना दे जो सदा अपनी पीठ पर भारी बोझ उठाए रहते हैं। diff --git a/rom/11/11.md b/rom/11/11.md new file mode 100644 index 0000000..05d959b --- /dev/null +++ b/rom/11/11.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# क्या उन्होंने इसलिए ठोकर खाई कि गिर पड़ें? + +“क्या परमेश्वर ने उनके पापों के कारण उनका सदा के लिए त्याग कर दिया?” + +# कदापि नहीं। + +“यह संभव नहीं”। या “निश्चय ही नहीं” इस उक्ति से ऐसा होना प्रबलता से इन्कार किया गया है। आपकी भाषा में यहाँ काम में लेने हेतु समानार्थक उक्ति हो सकती है। देखें आने अनुवाद कैसे किया है। + +# कि उन्हें जलन हो + +इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। diff --git a/rom/11/13.md b/rom/11/13.md new file mode 100644 index 0000000..d6272a8 --- /dev/null +++ b/rom/11/13.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# जलन करवा कर + +इसका अनुवाद वैसे ही करें जैसे में किया है। diff --git a/rom/11/15.md b/rom/11/15.md new file mode 100644 index 0000000..de4773d --- /dev/null +++ b/rom/11/15.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# उनका + +यह सर्वनाम यहूदी अविश्वासियों के स्थान पर है। + +# मरे हुओं में से जी उठने के बराबर + +“तो जब वे मसीह में विश्वास करेंगे तो परमेश्वर उन्हें कैसे ग्रहण करेगा? यह ऐसा होगा जैसे वे मर कर जी उठे”। + +# भेंट का पहला पेड़ा पवित्र ठहरा तो पूरा गूंधा हुआ आटा भी पवित्र है। + +पौलुस अब्राहम, इसहाक और याकूब इस्त्राएलियों के पूर्वजों की तुलना कर रहा है कि वे फसल का पहला फल थे और उनके वंशज इस्त्राएली बाद की गेहूँ की फसल का आटा हैं। + +# जब जड़ पवित्र ठहरी तो डालियां भी ऐसी हैं + +पौलुस इस्त्राएलियों के पूर्वजों अब्राहम, इसहाक और याकूब की तुलना जड़ से कर रहा है और उनके वंशजों, इस्त्राएलियों की तुलना डालियों से कर रहा है। + +# पवित्र + +पवित्र लोग परमेश्वर के हैं और परमेश्वर की सेवा एवं महिमान्वन के लिए अलग कर दिए गए हैं। diff --git a/rom/11/17.md b/rom/11/17.md new file mode 100644 index 0000000..015896c --- /dev/null +++ b/rom/11/17.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस अन्यजाति विश्वासियों को इस प्रकार संबोधित कर रहा है कि वे मानों एक ही व्यक्ति हैं + +# और तू जंगली जैतून होकर + +“तू” सर्वनाम शब्द और “जंगली जैतून” यीशु के द्वारा उद्धार प्राप्त करने वाले अन्य जाति विश्वासी हैं। + +# उनमें से साटा गया + +“अन्य शाखाओं के साथ वृक्ष में रोपित किया गया” + +# जैतून की जड़ की चिकनाई का भागी हुआ + +परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं का भागी हुआ + +# तो डालियों पर घमण्ड न करना + +“यह नहीं कहना कि तू परमेश्वर के परित्यक्त यहूदियों से उत्तम है”। + +# तू जड़ को नहीं परन्तु जड़ तुझे संभालती है + +“तू परमेश्वर से आशिष पाता है परमेश्वर तुझ से नहीं” diff --git a/rom/11/19.md b/rom/11/19.md new file mode 100644 index 0000000..b1468d4 --- /dev/null +++ b/rom/11/19.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +पौलुस अन्यजाति विश्वासियों को इस प्रकार संबोधित कर रहा है कि वे मानों एक ही व्यक्ति हैं + +# डालियाँ इसलिए तोड़ी गई + +यह उक्ति यहूदियों के संदर्भ में है जिन्हें परमेश्वर ने त्याग दिया। इसको कर्तृवाच्य में बदला जा सकता है, “परमेश्वर ने शाखाओं को तोड़ दिया + +# मैं साटा जाऊं + +यह उक्ति अन्यजाति विश्वासियों के संदर्भ मे है जिन्हें परमेश्वर ने स्वीकार कर लिया है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य में भी किया जा सकता है, “कि वह मुझे रोपित करे”। + +# वे तोड़े गये + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “उसने उन्हें तोड़” + +# वे + +अर्थात विश्वास न करने वाले यहूदी + +# तू विश्वास से बना रहता है + +“परन्तु अपने विश्वास के कारण जुड़ा हुआ है”। + +# जब परमेश्वर ने स्वाभाविक डालियों को न छोड़ा तो तुझे भी न छोड़ेगा। + +“क्योंकि यदि परमेश्वर स्वाभाविक शाखाओं को नहीं छोड़ता है तो तुझे भी नहीं छोड़ेगा” + +# स्वाभाविक डालियों + +अर्थात यहूदी जनों diff --git a/rom/11/22.md b/rom/11/22.md new file mode 100644 index 0000000..4edb4b5 --- /dev/null +++ b/rom/11/22.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस अन्यजाति विश्वासियों को इस प्रकार संबोधित कर रहा है कि वे मानों एक ही व्यक्ति हैं + +# परमेश्वर की कृपा और कड़ाई + +पौलुस अन्यजाति विश्वासियों को स्मरण करवा रहा है कि परमेश्वर यद्यपि उनके साथ दया का व्यवहार करे वह उनका न्याय करने और उन्हें दण्ड देने में संकोच नहीं करेगा। + +# नहीं तो तू भी काट डाला जाएगा। + +“अन्यथा परमेश्वर तुझे भी काट देगा” diff --git a/rom/11/23.md b/rom/11/23.md new file mode 100644 index 0000000..368dd84 --- /dev/null +++ b/rom/11/23.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस अन्यजाति विश्वासियों को इस प्रकार संबोधित कर रहा है कि वे मानों एक ही व्यक्ति हैं + +# वे भी यदि अविश्वासी न रहें + +“यदि यहूदी मसीह में विश्वास कर लें” + +# तो साटे जाएंगे + +“परमेश्वर उन्हें पुनः रोपित कर देगा” + +# साटे + +यह एक प्रक्रिया है जिसमें एक वृक्ष की टहनी दूसरे वृक्ष में प्रत्यारोपित की जाती है कि वह उसमें उगने लगे। + +# यदि तू उस जैतून से जो स्वभाव से जंगली है, काटा गया और स्वभाव के विरूद्ध अच्छे जैतून में साटा गया तो वे जो स्वाभाविक डालियाँ हैं अपने ही जैतून में क्यों न सांटे जाएंगे। + +पौलुस परमेश्वर के लोगों की तुलना वृक्ष की डालियों से कर रहा है वैकल्पिक अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में, “यदि परमेश्वर तुम्हें उस जैतून के वृक्ष में से काट कर निकाल लिया जो स्वभाव से जंगली है और प्रकृति के विरूद्ध तुम्हें अच्छे जैतून के वृक्ष में प्रत्यरोपित कर दिया है तो वह इन यहूदियों को कितना अधिक अपने ही जैतून के वृक्ष में रोपित करेगा जो स्वभाव से उसकी अपनी टहनियाँ हैं। + +# वे... अपने + +अर्थात यहूदी diff --git a/rom/11/25.md b/rom/11/25.md new file mode 100644 index 0000000..871607c --- /dev/null +++ b/rom/11/25.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# मैं + +“मैं” सर्वनाम पौलुस के लिए है। + +# तुम...तुम... तुम्हारा + +अर्थात अन्यजाति विश्वासी + +# तुम अपने आपको बुद्धिमान समझ लो + +“कि तुम अपने आपको आवश्यकता से अधिक बुद्धिमान न समझो” अन्यजाति विश्वासी स्वयं को अविश्वासी यहूदियों से अधिक बुद्धिमान समझने की भूल कर सकते थे + +# तुम अपने आपको बुद्धिमान समझ लो + +कुछ यहूदियों ने मसीह के द्वारा उद्धार को ग्रहण करना स्वीकार नहीं किया था। + +# जब तक अन्य जातियाँ पूरी रीति से प्रवेश न कर लें + +“जब तक” का यहाँ अर्थ है कि जब परमेश्वर अन्य जातियों को कलीसिया में ले आयेगा तब अनेक यहूदी विश्वास करेंगे। diff --git a/rom/11/26.md b/rom/11/26.md new file mode 100644 index 0000000..6f16dc4 --- /dev/null +++ b/rom/11/26.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# इस रीति से सारा इस्राएल उद्धार पायेगा + +इस वाक्य का अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “इस प्रकार परमेश्वर संपूर्ण इस्त्राएल का उद्धार करेगा”। + +# सारा इस्राएल उद्धार पायेगा + +यह एक अतिशयोक्ति है। अनेक यहूदी उद्धार पायेंगे। diff --git a/rom/11/28.md b/rom/11/28.md new file mode 100644 index 0000000..94c8549 --- /dev/null +++ b/rom/11/28.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# एक ओर...दूसरी ओर + +यह एक ही विषय के दो तथ्यों की तुलना हेतु है। पौलुस इसके द्वारा यह दिखाना चाहता है कि परमेश्वर ने यहूदियों का परित्याग तो किया है परन्तु वह अब भी उनसे प्रेम करता है। + +# वह तुम्हारे कारण बैरी बने है + +परमेश्वर तुम अन्यजाति विश्वासियों के कारण यहूदियों से घृणा करता है। परमेश्वर ने अन्य जातियों से इतना अधिक प्रेम किया कि यहूदियों के लिए उसका प्रेम घृणा सा प्रतीत हाने लगा। + +# क्योंकि परमेश्वर के वरदान और बुलाहट अटल है। + +“क्योंकि परमेश्वर के वरदान और उसकी बुलाहट बदल नहीं सकते है”। diff --git a/rom/11/30.md b/rom/11/30.md new file mode 100644 index 0000000..09163ec --- /dev/null +++ b/rom/11/30.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# जैसे तुमने पहले परमेश्वर की आज्ञा न मानी + +“पहले तो तुम आज्ञा माननेवाले न थे”। “तुम सर्वनाम शब्द अन्यजाति विश्वासियों के लिए बहुवचन में है। + +# परमेश्वर ने सबको... अनाज्ञाकारिता में चुप कर दिया। + +इसका अर्थ यह भी हो सकता है, कि परमेश्वर ने सबको उसकी आज्ञा न मानने में अक्षम बना कर रखा है, जैसे बन्दी कारागार से बचकर नहीं निकल सकते। “परमेश्वर ने सब को उनकी अवज्ञा का बन्दी बनाकर रखा है”। diff --git a/rom/11/33.md b/rom/11/33.md new file mode 100644 index 0000000..6891bce --- /dev/null +++ b/rom/11/33.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर हैं + +“परमेश्वर की बुद्धि और उसके ज्ञान दोनों ही की गहराई का धन कैसा अद्भुत है”। + +# और उसका न्याय समझ से परे है उसके विचार कैसे अथाह ...है। + +“हम उसके निर्णयों को समझने में पूर्णतः अक्षम हैं और वह हमारे लिए कैसे काम करता है उसके मार्ग जानने में सक्षम नहीं” diff --git a/rom/11/35.md b/rom/11/35.md new file mode 100644 index 0000000..09fc0ee --- /dev/null +++ b/rom/11/35.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# उसे + +11:35 में सर्वनाम “उसे” उस व्यक्ति के लिए काम में लिया गया है जो परमेश्वर को देता है। + +# जिसका बदला उसे दिया जाए + +“कि परमेश्वर उसे बदला चुकाए” + +# उसे + +11:36 में “उसे” अर्थात परमेश्वर को diff --git a/rom/12/01.md b/rom/12/01.md new file mode 100644 index 0000000..830b43d --- /dev/null +++ b/rom/12/01.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# इसलिए हे भाइयों, मैं तुमसे परमेश्वर की दया स्मरण दिलाकर विनती करता हूँ + +“मेरे विश्वासी भाइयों, परमेश्वर ने तुम पर जो महान दया दर्शाई है, मैं चाहता हूँ” + +# अपने शरीरों को जीवित... बलिदान करके चढ़ाओ + +यहाँ पौलुस “शरीरों” शब्द के उपयोग द्वारा संपूर्ण व्यक्तित्व का संदर्भ दे रहा है। पौलुस मसीही विश्वासी परमेश्वर का आज्ञाकारी की तुलना एक बलि पशु से करता है जिसे यहूदी परमेश्वर को चढ़ाते थे। वैकल्पिक अनुवाद, “जीवित रहते समय ही अपने आपको परमेश्वर को बलिदान कर दो जैसे कि तुम मन्दिर की वेदी पर एक मृतक बलि हो”। (देखें: और ) + +# पवित्र और परमेश्वर को भावता हुआ + +इसके अर्थ हो सकते हैं 1) नैतिकता में परिशुद्ध, “परमेश्वर को भावता “ या 2) “परमेश्वर ही को समर्पित एवं उसे ग्रहणयोग्य” + +# यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। + +उसके संभावित अर्थ है, 1) परमेश्वर की उपासना की उचित विधि”, या 2) इस प्रकार तुम अपनी आत्मा में परमेश्वर” की उपासना करते हैं। + +# इस संसार के सदृश्य न बनो + +इसके अर्थ हो सकते हैं, 1) “संसार के जैसा आचरण मत रखो” (देखें यू.डी.बी.) या 2) “संसार के जैसी मानसिकता मत रखो”। + +# सदृश्य न बनो + +इसके अर्थ हो सकते हैं, 1) “संसार के जैसा आचरण मत रखो” (देखें यू.डी.बी.) या 2) “संसार के जैसी मानसिकता मत रखो”। + +# इस संसार + +इस संसार के अविश्वासियों के + +# तुम्हारे मन के नए हो जाने से + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “परन्तु परमेश्वर को अपनी मानसिकता बदलने दो” या “परमेश्वर को अपना आचरण बदलने दो, अपनी मानसिकता के परिवर्तन द्वारा”। diff --git a/rom/12/03.md b/rom/12/03.md new file mode 100644 index 0000000..de0adca --- /dev/null +++ b/rom/12/03.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है + +यहाँ “अनुग्रह” से पौलुस का अभिप्राय है परमेश्वर द्वारा पौलुस का प्रेरित होना और कलीसिया का अगुवा होना चुना जाना। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि परमेश्वर ने मुझे प्रेरित होने के लिए अनमोल चुना है” + +# जैसा समझना चाहिए उससे बढ़कर कोई भी अपने को न समझे। + +“कि कोई यह न समझे कि वह दूसरे से बढ़कर है”। + +# सुबुद्धि के साथ अपने को समझे + +इसका अनुवाद नए वाक्य में किया जा सकता है, “परन्तु तुम अपने को क्या समझते हो बुद्धि से समझो”। + +# जैसा परमेश्वर ने हर एक को विश्वास परिमाण के अनुसार बाँट दिया है + +“क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें उचित समझने के लिए विश्वास का परिमाण दिया है।” diff --git a/rom/12/04.md b/rom/12/04.md new file mode 100644 index 0000000..406436c --- /dev/null +++ b/rom/12/04.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# क्योंकि + +पौलुस यह समझा रहा है कि मसीही विश्वासी स्वयं को किसी से बड़ा क्यों न समझें। + +# जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं + +पौलुस सब मसीही विश्वासियों की तुलना देह के अंगों से करता है। यह इस बात पर बल देता है कि विश्वासी विभिन्न रूपों में मसीह की सेवा करें, प्रत्येक विश्वासी मसीह का है और उसकी सेवा महत्त्वपूर्ण है। + +# अंग + +जैसे आँख, पेट और हाथ + +# आपस में एक दूसरे के अंग हैं। + +"प्रत्येक विश्वासी दुसरे विश्वासी की देह का अंग है। (देखें: \ ) वैकल्पिक अनुवाद, "प्रत्येक विश्वासी अन्य सब विश्वासियों से जुड़ा है। diff --git a/rom/12/06.md b/rom/12/06.md new file mode 100644 index 0000000..009348b --- /dev/null +++ b/rom/12/06.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# इस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है हमें भिन्न-भिन्न वरदान मिले हैं। + +“परमेश्वर ने हममें से हर एक को अनमोल योग्यता प्रदान की है कि उसके लिए विभिन्न कार्य करें”। + +# विश्वास के परिणाम के अनुसार ... करें। + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) “वह परमेश्वर प्रदत्त विश्वास के परिमाण के परे की भविष्यद्वाणी न करे “ या 2) वह हमारी विश्वास की शिक्षा से सुसंगत भविष्यद्वाणी करे”। + +# दान देने वाला उदारता से दान दे + +इसका अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है, “यदि किसी को पैसा या वस्तुएं देने का वरदान मिला है” diff --git a/rom/12/09.md b/rom/12/09.md new file mode 100644 index 0000000..cbd0077 --- /dev/null +++ b/rom/12/09.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# प्रेम निष्कपट हो + +वैकल्पिक अनुवाद, “प्रेम सत्यनिष्ठ हो” या “प्रेम सच्चा हो”। + +# भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से स्नेह रखो + +पौलुस 9 बातों की सूची देता है और विश्वासियों को समझाता है कि उन्हें किस प्रकार के लोग होना है। आपको कुछ बातों का अनुवाद, “की बात है... तो करो” सूची है। + +# भाईचारे का प्रेम + +“तुम अपने विश्वासी भाइयों से ऐसा प्रेम रखो” + +# स्नेह रखो + +वैकल्पिक अनुवाद, “परिवार के सदस्यों की नाई” निष्ठावान बने रहो” + +# आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो + +“एक दूसरे का सम्मान एवं आदर करो” या एक नया वाक्य बनाएं “तुम्हें अपने विश्वासी भाई का सम्मान कैसे करना है उसका आदर करो” diff --git a/rom/12/11.md b/rom/12/11.md new file mode 100644 index 0000000..0d3533a --- /dev/null +++ b/rom/12/11.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +पौलुस विश्वासियों को समझा रहा है कि उन्हें किस प्रकार के मनुष्य होना चाहिएं। सूची का आरंभ में हुआ है। + +# प्रयत्न करने में आलसी न हो + +“अपने कर्तव्य पालन में आलसी न हो परन्तु आत्मा के अनुसरण के जिज्ञासु होकर प्रभु की सेवा करो”। + +# हियाव करो, आनन्दित रहो + +“आनन्द करो कि हमारी हियाव परमेश्वर में है” + +# क्लेश में स्थिर रहो + +यह एक नया वाक्य हो सकता है, “कठिन समयों में धीरज रखो”। + +# प्रार्थना में नित्य लगे रहो + +यह एक नया वाक्य हो सकता है, “सदा प्रार्थना में लगे रहना मत भूलो”। + +# पवित्र लोगों को जो कुछ आवश्यक हो उसमें उनकी सहायता करो। + +यह उस सूची की अन्तिम बात है जो में आरंभ हुई, “पवित्र जनों की आवश्यकता में उनके साथ बाँटों” या “जहाँ तक... “ या “जब विश्वासी भाई परेशानी में हों तो उनकी आवश्यकता में सहायता करो। + +# पहुंनाई करने में लगे रहो + +“जब उन्हें ठहरने का स्थान चाहिए तो अपने घरों में उनका स्वागत करो” diff --git a/rom/12/14.md b/rom/12/14.md new file mode 100644 index 0000000..2137429 --- /dev/null +++ b/rom/12/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# आपस में एक सा मन रखो + +वैकल्पिक अनुवाद, “आपस में सहमति रखो” या “एक दूसरे के साथ मेल-मिलाप से रहो” + +# अभिमानी न हो + +“अपने आप को दूसरे से बड़ा न समझो” + +# दीनों के साथ संगति रखो + +“जो लोग महत्त्वपूर्ण प्रतीत न हों उनका सम्मान करो” + +# अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो + +“स्वयं को सबसे अधिक बुद्धिमान न समझो”। diff --git a/rom/12/17.md b/rom/12/17.md new file mode 100644 index 0000000..a65e615 --- /dev/null +++ b/rom/12/17.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +12:17 - में पौलुस विश्वासियों को समझाता हूँ कि बुराई करने वालों के साथ कैसा व्यवहार करें। + +# बुराई के बदले किसी से बुराई न करो + +“तुम्हारे साथ जिसने बुराई की है उसके साथ बुराई मत करो”। + +# जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं उनकी चिन्ता किया करो। + +“ऐसे काम करो जिन्हें सब लोग अच्छा मानते हैं” + +# तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो + +“यथासंभव प्रयास करके सबके साथ मेल मिलाप रखो” + +# जहाँ तक हो सके + +“जितना तुम्हारे वश में है” diff --git a/rom/12/19.md b/rom/12/19.md new file mode 100644 index 0000000..ef891dd --- /dev/null +++ b/rom/12/19.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# x + +पौलुस विश्वासियों को समझा रहा है कि बुराई करनेवालों के साथ कैसा व्यवहार करें में आरंभ हुआ है। + +# बदला लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है, मैं ही बदला दूँगा” + +इन दोनों उक्तियों का एक ही अर्थ है और इनको दो बार कहना महत्त्व उजागर करने के लिए है। वैकल्पिक अनुवाद, “मैं निश्चय ही तुम्हारा बदला लूँगा” + +# तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला यदि प्यासा है तो उसे पानी पिला... क्योंकि ऐसा करने से....ढेर लगाएगा....बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई को जीत लो। + +“तुम और तेरा” एक ही शक्ति को संबोधित किए गए हैं + +# यदि तेरा बैरी भूखा हो.... उसके सिर पर + +12:20 में पौलुस धर्मशास्त्र के एक और अंश का उद्धरण देता है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि लिखा है, यदि तेरा बैरी भूखा हो.... उसके सिर पर + +# उसे खाना खिला + +उसे खाना खिला - “उसे भोजन दो” + +# उसके सिर पर आग के अंगार का ढेर लगायेगा + +पौलुस बैरियों के दण्ड की तुलना आग के अंगारों के ढेर से करता है जो उनके सिर पर डाला जाएगा। इसके संभावित अर्थ हैं, 1) “तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार करने वाले को उसके बुरे काम का बोध हो” या 2) “परमेश्वर को अवसर दो कि वह तुम्हारे बैरी को कठोर दण्ड दे। + +# बुराई से न हारो, परन्तु भलाई से बुराई को जीत लो। + +पौलुस “बुराई” की चर्चा इस प्रकार कर रहा है कि मानों वह एक जीवित प्राणी हो। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है। “बुरे मनुष्यों को अपने पर विजयी न होने दो, परन्तु भलाई के द्वारा बुरे मनुष्य को जीत लो”। (देखें: और ) diff --git a/rom/13/01.md b/rom/13/01.md new file mode 100644 index 0000000..b24b390 --- /dev/null +++ b/rom/13/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# हर एक व्यक्ति अधीनता स्वीकारे + +“प्रत्येक विश्वासी आज्ञा माने” (देखें यू.डी.बी.) या “प्रत्येक जन आज्ञा माने”। + +# शासकीय अधिकारियों + +“राजकीय अधिकारियों” + +# क्योंकि + +“क्योंकि” + +# कोई अधिकार ऐसा नहीं जो परमेश्वर की ओर से न हो + +“अधिकारियों को परमेश्वर ने वह स्थान दिया है, इसलिए वे वहाँ हैं” + +# कोई अधिकार + +“वह राजकीय अधिकारी” + +# जो कोई अधिकार का विरोध करता है + +“जो राजकीय अधिकार का विरोध करते हैं” diff --git a/rom/13/03.md b/rom/13/03.md new file mode 100644 index 0000000..02794eb --- /dev/null +++ b/rom/13/03.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# इसलिए + +इसलिए - पौलुस समझाता है और यदि सरकार किसी को दोषी ठहराए तो क्या होगा। + +# हाकिम डर का कारण है नहीं है + +शासक भले मनुष्य के लिए डर का कारण नहीं है + +# अच्छा काम कर.... यदि तू बुराई करे + +मनुष्य अच्छे कामों या बुरे कामों से पहचाना जाता है + +# यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है + +वैकल्पिक अनुवाद, “मैं बताता हूँ कि तुम सरकार से निडर कैसे रह सकते हो”। + +# सराहना होगी + +भलाई करनेवालों की सरकार भी प्रशंसा करेगी + +# वह तलवार व्यर्थ लिए हुए नहीं है + +“उसके हाथ में दण्ड देने का अधिकार है और वह मनुष्यों को दण्ड देगा”। + +# तलवार लिए हुए है + +रोमी प्रशासक अपने अधिकार के प्रतीक स्वरूप एक छोटी तलवार रखते थे। + +# क्रोध के अनुसार बदला लेनेवाला + +“बुराई के प्रति सरकार के क्रोध को व्यक्त करने के लिए जो व्यक्ति मनुष्य को दण्ड देता है”। + +# न केवल उस क्रोध के डर से आवश्यक है वरन् विवेक भी यही गवाही देता है। + +“इसलिए ही नहीं कि सरकार तुम्हें दण्ड दे परन्तु परमेश्वर के समक्ष अपना विवेक स्वच्छ रखने के लिए भी”। diff --git a/rom/13/06.md b/rom/13/06.md new file mode 100644 index 0000000..f5d4c55 --- /dev/null +++ b/rom/13/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इसलिए + +“क्योंकि सरकार बुरा करने वाले को दण्ड देती है + +# इसलिए हर एक का हक्क चुकाया करो + +पौलुस विश्वासियों से बातें कर रहा है + +# इसलिए + +“इसलिए जिसे कर चाहिए उसे कर दो” + +# ध्यान रखों + +“सेवा करे” या “काम करो” + +# महसूल + +“अधिकारी कर” diff --git a/rom/13/08.md b/rom/13/08.md new file mode 100644 index 0000000..275b71f --- /dev/null +++ b/rom/13/08.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# किसी के कर्ज़दार न बनो + +“अपना संपूर्ण ऋण चुका दो चाहे सरकार का या मनुष्यों” पौलुस विश्वासियों को पत्र लिख रहा है। + +# कोई + +नया वाक्यः “विश्वासियों से प्रेम करना एक ऐसा ऋण है जिसके अधीन तुम रह सकते हो” (देखें: [[rc://*/ta/man/translate/figs-ellipsis]]) + +# क्योंकि “तुम नहीं करना” + +पौलुस अब प्रकट करेगा कि प्रेम परमेश्वर की संपूर्ण अनिवार्यताओं को पूरा करता है। + +# करना + +यहाँ 13:9 में द्वितीय पुरूष एक वचन में है वक्ता जनसमूह को ऐसे संबोधित कर रहा है कि वह एक वचन है। अतः आपको यहाँ बहुवचन शब्द के उपयोग की आवश्यकता होगी। + +# लालच + +किसी ऐसी वस्तु की लालसा करना जो मनुष्य के पास नहीं है और उसे हथियाना उसके लिए वर्जित है। + +# प्रेम बुराई नहीं करता + +यह उक्ति प्रेम को एक व्यक्तिस्वरूप दर्शाती है जो मनुष्यों के साथ दयालु है + +# इसीलिए + +“क्योंकि प्रेम बुराई नहीं करता” diff --git a/rom/13/11.md b/rom/13/11.md new file mode 100644 index 0000000..512e168 --- /dev/null +++ b/rom/13/11.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# रात बहुत बीत गई है + +“पाप का वर्तमान समय लगभग पूरा हो गया है” + +# दिन निकलने पर है + +“मसीह शीघ्र ही आ जायेगा” + +# अन्धकार के कामों को + +मनुष्य रात में जो कार्य करना उचित समझते हैं जब कोई उन्हें देखता न हो। + +# ज्योति के हथियार बाँध लें + +“हमें ऐसे कामों को करना चाहते है जो कि मनुष्य हमें करते देखे, परमेश्वर की सुरक्षा के अधीन होना है” diff --git a/rom/13/13.md b/rom/13/13.md new file mode 100644 index 0000000..216472c --- /dev/null +++ b/rom/13/13.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# सीधी चाल चलें + +पौलुस अपने पाठकों और अन्य विश्वासियों को अपने साथ गिनता है। + +# जैसा दिन को शोभा देता है + +“प्रत्यक्ष रूप में” या “यह जानकर कि सब देखते हैं” + +# झगड़ा + +“किसी के विरुद्ध षड्यंत्र रचने या लोगों से विवाद करने” + +# डाह + +“किसी की सफलता या लाभ के प्रति ईर्ष्या” + +# परन्तु प्रभु यीशु मसीह को पहन लो + +अर्थात मसीह का नैतिक स्वभाव ऐसे अपना लो जैसे कि वह हमारा बाहरी वस्त्र है जिसे लोग देख सकते हैं। + +# पहिन लो + +यदि आपकी भाषा में आज्ञाओं का बहुवचन है तो उसे यहाँ काम में लें। + +# शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय न करो + +“अपने पुराने बुरे मन को दुष्टता के काम करने का अवसर मत दो” diff --git a/rom/14/01.md b/rom/14/01.md new file mode 100644 index 0000000..f7cdac1 --- /dev/null +++ b/rom/14/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +पौलुस विश्वासियों को उचित जीवन के निर्देश दे रहा है। + +# जो विश्वास में निर्बल हैं + +यह उन लोगों के संदर्भ में है जो खाने और पीने के विषय संकोच करते थे। + +# उसकी शंकाओं पर विवाद करने के लिए नहीं + +“इसलिए नहीं कि इन बातों पर उनसे विवाद करो” + +# एक को विश्वास है कि सब कुछ खाना उचित है परन्तु ... सागपात ही खाता है + +यहाँ एक ही बात को व्यक्त करने के दो रूप है, वैकल्पिक अनुवाद, “एक को सब कुछ खाने का विश्वास है, परन्तु” diff --git a/rom/14/03.md b/rom/14/03.md new file mode 100644 index 0000000..feae67a --- /dev/null +++ b/rom/14/03.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस विश्वासियों को उचित जीवन के निर्देश दे रहा है। + +# तू कौन है जो दूसरे के सेवक पर दोष लगाता है? + +पौलुस इस प्रश्न द्वारा उन लोगों को डाँटता है जो दूसरों का न्याय करते थे। वैकल्पिक अनुवाद: "तू परमेश्वर नहीं है कि किसी के सेवक का न्याय करने का तुझे अधिकार हो" + +# तू ... तू + +एकवचन + +# उसका स्थिर रहना या गिर जाना उसके स्वामी ही से सम्बन्ध रखता है, + +वैकल्पिक अनुवाद: "केवल उसका स्वामी ही इस बात का निर्णय लेगा की वह उस सेवक को ग्रहण करे या नहीं।" + +# वरन वह स्थिर ही कर दिया जाएगा + +क्योंकि प्रभु उसे स्थिर रख सकता है। diff --git a/rom/14/05.md b/rom/14/05.md new file mode 100644 index 0000000..7175c9a --- /dev/null +++ b/rom/14/05.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# कोई तो एक दिन को दूसरे से बढ़कर मानता है और कोई सब दिनों को एक समान मानता है। + +"कोई तो" और "और कोई" इन दोनों व्याक्यांशों से यह एक ही बात को कहने के दो रूप समझ में आते हैं। वैकल्पिक अनुवाद, “एक मनुष्य के विचार में एक दिन अन्य दिनों से बड़ा है परन्तु दूसरा सोचता है कि सब दिन समान हैं” + +# हर एक अपने ही मन में निश्चय कर ले + +इसका पूर्ण अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है, “प्रत्येक मनुष्य निश्चित कर ले कि वह प्रभु के महिमान्वन के लिए क्या कर रहा है”। + +# जो किसी दिन को मानता है वह प्रभु के लिए मानता है + +“जो किसी दिन को विशेष मानकर आराधना करता है तो वह वास्तव में प्रभु ही की आराधना करता है” + +# और जो खाता है वह प्रभु के लिए खाता है + +“और जो कैसा भी भोजन खाता है, वह प्रभु के सम्मान देने के लिए वह भोजन खाता है” + +# और जो नहीं खाता, वह प्रभु के लिए नहीं खाता + +“और जो किसी प्रकार का भोजन नहीं खाता है, वह भी प्रभु ही के सम्मान के निमित्त ऐसा करता है” diff --git a/rom/14/07.md b/rom/14/07.md new file mode 100644 index 0000000..79457fc --- /dev/null +++ b/rom/14/07.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# “हमारा” ... “हम” + +इस सर्वनाम शब्दों द्वारा पौलुस अपने पाठकों को संबोधित करता है। + +# मृतक और जीवित + +वैकल्पिक अनुवाद, “जो मर चुके हैं और जो जीवित हैं diff --git a/rom/14/10.md b/rom/14/10.md new file mode 100644 index 0000000..0828a49 --- /dev/null +++ b/rom/14/10.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस विश्वासियों को उचित जीवन के निर्देश दे रहा है। + +# तू जो दोष लगाता है.... तुच्छ जानता है... + +पौलुस दिखा रहा है कि वह अपने पाठकों को किस प्रकार झिडकना आवश्यक होगा वैकल्पिक अनुवाद, “किसी को दोष देना उचित नहीं” ... किसी को तुच्छ समझना उचित नहीं”। (देखें यू.डी.बी.) या “दोष लगाना छोड़ दो.... किसी को तुच्छ समझना छोड़ दो” + +# हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के सामने खड़े होंगे। + +“न्याय सिंहासन” अर्थात परमेश्वर का न्याय करने का अधिकार। वैकल्पिक अनुवाद है, “क्योंकि परमेश्वर हम सब का न्याय करेगा” + +# मेरे जीवन की सौगन्ध + +यह एक शपथ या गंभीर प्रतिज्ञा है। वैकल्पिक अनुवाद होगा, “निश्चय जान लो कि यह सच है” + +# हर एक घुटना मेरे सामने टिकेगा और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगी। + +“घुटना” और “जीभ” द्वारा पौलुस संपूर्ण मनुष्यत्व का संदर्भ दे रहा है, और परमेश्वर ही “परमेश्वर” शब्द का उपयोग कर रहा है जो उसी के लिए है। वैकल्पिक अनुवाद होगा, “प्रत्येक मनुष्य मेरे सामने झुक कर मेरी स्तुति करेगा”। (देखें: और ) diff --git a/rom/14/12.md b/rom/14/12.md new file mode 100644 index 0000000..eba7cd1 --- /dev/null +++ b/rom/14/12.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# परमेश्वर को अपना-अपना लेखा देगा + +“हमें परमेश्वर के समक्ष अपने कर्मों का स्पष्टीकरण देना होगा” + +# अपने भाई के सामने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे + +यहाँ इन दोनों शब्दों “ठेस”, “ठोकर का कारण” का अर्थ एक ही है। वैकल्पिक अनुवाद होगा, “सुनिश्चित करो कि न तो ऐसा कुछ करो और न ही कहो कि उसके परिणाम स्वरूप किसी विश्वासी भाई पर पाप करने की परीक्षा आए। diff --git a/rom/14/14.md b/rom/14/14.md new file mode 100644 index 0000000..970fcf7 --- /dev/null +++ b/rom/14/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# मैं जानता हूँ और प्रभु यीशु में मुझे निश्चय हुआ है + +“मैं प्रभु यीशु के साथ अपने संबन्धों के कारण निश्चित जानता हूँ” + +# कोई वस्तु अपने आप से अशुद्ध नहीं परन्तु जो उसको अशुद्ध समझता है उसके लिए अशुद्ध है। + +इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “यदि मनुष्य किसी वस्तु को अशुद्ध समझे तो वह उस मनुष्य के लिए अशुद्ध है। अतः उसे उससे दूर रहना चाहिए”। + +# यदि तेरा भाई तेरे भोजन के कारण उदास होता है + +यहाँ “तेरा” अर्थात विश्वास में दृढ़ भाई और “अपने भाई” अर्थात जिसका विश्वास दुर्बल है। + +# तू प्रेम की रीति नहीं चाहता + +“तो तू प्रेम प्रदर्शन नहीं करता है” diff --git a/rom/14/16.md b/rom/14/16.md new file mode 100644 index 0000000..edec001 --- /dev/null +++ b/rom/14/16.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# तुम्हारे लिए जो भला है उसकी निन्दा न होने दे + +वैकल्पिक अनुवाद, “यदि तुम किसी बात को भला मानते हो और मनुष्य उसे बुरा कहें तो उसे मत करो”। + +# जो भला है + +दृढ़ विश्वास रखने वालों के काम + +# मनुष्य + +प्रसंग से अति संभव है कि यह शब्द अन्य विश्वासियों के संदर्भ में है। (यू.डी.बी.) + +# क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना-पीना नहीं परन्तु धर्म और मेल मिलाप और वह आनन्द जो पवित्र-आत्मा से होता है। + +“परमेश्वर ने अपने राज्य की स्थापना इसलिए नहीं की कि हमारे खाने पीने पर राज करने। उसने राज्य की स्थापना इसलिए की है कि हम उसके साथ उचित संबन्ध में रहें और पवित्र आत्मा हमें शान्ति एवं आनन्द दे”। diff --git a/rom/14/18.md b/rom/14/18.md new file mode 100644 index 0000000..e040f82 --- /dev/null +++ b/rom/14/18.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है, + +“इस प्रकार मसीह की सेवा करता है” + +# मनुष्यों में ग्रहण-योग्य ठहरता है + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “मनुष्य उसे स्वीकार करेंगे” या “मनुष्य उसका सम्मान करेंगे” + +# इसलिए हम उन बातों में लगे रहें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो + +“हम परस्पर शान्ति के जीवन तथा विश्वास में अधिकाधिक दृढ़ता के जीवन का यत्न करें”। diff --git a/rom/14/20.md b/rom/14/20.md new file mode 100644 index 0000000..910b8ed --- /dev/null +++ b/rom/14/20.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# “तू न मांस खाए न दाखरस पीए... जिससे तेरा भाई ठोकर खाए। + +“उचित तो यह है कि अपने विश्वासी भाई को ठोकर खाने से बचाने के लिए मांस, मदिरा एवं ठोकरदायक कर्मों का त्याग कर दो” यहा “तू” दृढ़ विश्वासी के लिए तथा “भाई” विश्वास में दुर्बल जन के लिए है। diff --git a/rom/14/22.md b/rom/14/22.md new file mode 100644 index 0000000..06395c3 --- /dev/null +++ b/rom/14/22.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# तेरा जो विश्वास हो + +यह भी पिछले पद में खाने-पीने के संबन्ध में है। + +# तेरा... अपने...वह + +सब एक वचन में हें। क्येांकि पौलुस विश्वासियों को संबोधित कर रहा है, इसलिए उनका अनुवाद बहुवचन में किया जाए + +# धन्य है वह...जिसे वह ठीक समझता है, अपने आपको दोषी नहीं ठहराए। + +“धन्य है वह” वे जो कुछ करते हैं तो स्वयं को दोषी न समझें। + +# जो सन्देह करके खाता है, वह दण्ड के योग्य ठहर चुका। + +इसका अनुवाद, “परमेश्वर कहेगा कि मनुष्य को किसी बात का निश्चय नहीं तो उसका वह काम अनुचित है जैसे भोजन पर सन्देह करने के उपरान्त भी उसे खा लेना”। (यू.डी.बी.) या “यदि किसी को भोजन पर सन्देह हो, परन्तु वह उसे खा ले तो उसका विवेक उसे दोषी ठहराएगा” + +# क्योंकि वह विश्वास से नहीं खाता है + +इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “परमेश्वर उसे अनुचित कहेगा क्योंकि वह उस भोजन को खा रहा है जिसे उसका विवेक कहता है कि परमेश्वर को स्वीकार्य नहीं है” + +# जो कुछ विश्वास से नहीं वह पाप है + +“यदि आपकी समझ में आप परमेश्वर की इच्छा के विरुद्ध कुछ करते हैं तो वह पाप है”। diff --git a/rom/15/01.md b/rom/15/01.md new file mode 100644 index 0000000..6fd2309 --- /dev/null +++ b/rom/15/01.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# अतः + +इसके स्थान पर वह शब्द काम में लें जो आपकी भाषा में नया विवाद आरंभ करने का प्रतीक है। + +# हम वह जो बलवानों + +“हम जो विश्वास में दृढ़ हैं” यहां सर्वनाम “हम” पौलुस उसके पाठकों तथा एक विश्वासियों के लिए है + +# निर्बलों + +“विश्वास में दुर्बल भाइयों” + +# उसकी उन्नति हो + +“उसका विश्वास दृढ़ हो” diff --git a/rom/15/03.md b/rom/15/03.md new file mode 100644 index 0000000..dbe21d0 --- /dev/null +++ b/rom/15/03.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तेरे निन्दकों की निन्दा मुझ पर आ पड़ी + +परमेश्वर के निन्दकों की निन्दा मसीह पर गिरी” + +# जितनी बातें पहले से लिखी गई, वे हमारी ही शिक्षा के लिए लिखी गई हैं। + +“धर्मशास्त्र में जो कुछ लिख दिया गया था, वह हमारी जानकारी के लिए है” + +# “हमारी”... “हम” + +पौलुस के पाठक तथा अन्य सब विश्वासी diff --git a/rom/15/05.md b/rom/15/05.md new file mode 100644 index 0000000..d987d40 --- /dev/null +++ b/rom/15/05.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे + +वैकल्पिक अनुवाद, “मैं प्रार्थना करता हूँ कि... परमेश्वर करे कि...” + +# आपस में एक मन रहो + +“परस्पर सहमत रहो” “या” संगठित रहो” + +# एक स्वर में.... स्तुति करो + +वैकिल्पक अनुवाद, “इस प्रकार स्तुति करो कि एक ही मुख से निकल रही है”। diff --git a/rom/15/08.md b/rom/15/08.md new file mode 100644 index 0000000..46f0d69 --- /dev/null +++ b/rom/15/08.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# इसलिए मैं कहता हूँ + +“मैं” अर्थात पौलुस + +# मसीह... खतना किए हुए लोगों का सेवक बना + +“मसीह यीशु यहूदियों की सेवा के लिए आया था” + +# परमेश्वर की सच्चाई का प्रमाण देने + +“कि परमेश्वर यहूदियों के पूर्वजों से की गई प्रतिज्ञाओं की पुष्टि करे” + +# जैसा लिखा है + +“जैसा धर्मशास्त्र में लिखा है” + +# जाति-जाति में + +“और मसीह अन्य जातियों का सेवक बना” diff --git a/rom/15/10.md b/rom/15/10.md new file mode 100644 index 0000000..8b28170 --- /dev/null +++ b/rom/15/10.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# फिर कहा है + +“मूसा फिर कहता है” + +# उसकी प्रजा के साथ + +“परमेश्वर के लोगों के साथ” + +# उसे सराहो + +“परमेश्वर की स्तुति करो” diff --git a/rom/15/12.md b/rom/15/12.md new file mode 100644 index 0000000..d288e5f --- /dev/null +++ b/rom/15/12.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# यिशै की जड़ + +वैकल्पिक अनुवाद, “यिशै के वंशज” यिशै राजा दाऊद का संसारिक पिता था diff --git a/rom/15/13.md b/rom/15/13.md new file mode 100644 index 0000000..59e0354 --- /dev/null +++ b/rom/15/13.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे + +“तुम्हें महान आनन्द और शान्ति प्रदान करे” + +# तुम्हारी आशा बढ़ती जाए + +“तुम आशा से उभरते जाओ” diff --git a/rom/15/14.md b/rom/15/14.md new file mode 100644 index 0000000..60cf763 --- /dev/null +++ b/rom/15/14.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# ईश्वरीय ज्ञान से भरपूर हो + +“परमेश्वर के अनुसरण हेतु पर्याप्त ज्ञान प्राप्त करो” + +# एक दूसरे को चित करते रहे + +“एक दूसरे को शिक्षा दे सकते हो” diff --git a/rom/15/15.md b/rom/15/15.md new file mode 100644 index 0000000..943e506 --- /dev/null +++ b/rom/15/15.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# अनुग्रह के कारण हुआ जो परमेश्वर ने मुझे दिया + +“परमेश्वर ने मुझे जो वरदान दिया” यह वरदान उसकी प्रेरिताई का है जब कि वह पूर्वकाल में विश्वासियों को सताने वाला था। + +# अन्य जातियों का मानो चढ़ाया जाना.... ग्रहण किया जाए + +“अन्य जातियों के आज्ञा पालन से परमेश्वर प्रसन्न हो” (यू.डी.बी.) diff --git a/rom/15/17.md b/rom/15/17.md new file mode 100644 index 0000000..eb46b59 --- /dev/null +++ b/rom/15/17.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# मैं मसीह यीशु में बड़ाई कर सकता हूँ + +“अतः मेरे पास परमेश्वर प्रदत्त सेवा के लिए मसीह यीशु में घमण्ड करने का कारण है”। + +# क्योंकि उन बातों को छोड़, मुझे और किसी बात के विषय में कहने का साहस नहीं, जो मसीह ने अन्य जातियों की अधीनता के लिए वचन और कर्म और चिन्हों और अद्भुत कामों की सामर्थ्य से मेरे ही द्वारा किए। + +“अन्य जातियों के आज्ञापालन के विषय में तो वही कहूँगा जो मसीह ने मेरे द्वारा किया है अर्थात मेरे शब्दों, कार्यों तथा चमत्कारों एवं आश्चर्यकर्मों द्वारा जो केवल पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से हुए हैं।” + +# यहाँ तक कि मैंने यरूशलेम से लेकर चारों ओर इल्लुरिकुम तक + +यरूशलेम से लेकर इल्लुरिकुम (इटली देश के निकट) तक प्रचार किया। diff --git a/rom/15/20.md b/rom/15/20.md new file mode 100644 index 0000000..529bf0f --- /dev/null +++ b/rom/15/20.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# पर मेरे मन की उमंग यह है कि जहाँ-जहाँ मसीह का नाम नहीं लिया गया वहीं सुसमाचार सुनाऊं। + +वैकल्पिक अनुवाद, “मेरी एक ही लालसा है कि उन सब स्थानों में शुभ सन्देश सुनाऊं जहां मसीह का प्रचार नहीं किया गया”। + +# जहां मसीह का नाम नहीं लिया गया + +“जिन्हें किसी ने मसीह के बारे में नहीं सुनाया है” diff --git a/rom/15/22.md b/rom/15/22.md new file mode 100644 index 0000000..c49bf4e --- /dev/null +++ b/rom/15/22.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# बार-बार रूका रहा + +पौलुस की वाचा का वर्णन करना महत्त्वपूर्ण नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद, “उन्होंने बाधा उत्पन्न की” या “मनुष्यों ने मुझे रोका” diff --git a/rom/15/24.md b/rom/15/24.md new file mode 100644 index 0000000..f8edaaf --- /dev/null +++ b/rom/15/24.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# होता हुआ + +“रोम से होकर” या “मार्ग में” + +# तुम्हारी संगति से मेरा जी कुछ भर जाए + +“तुम्हारे साथ समय बिताने का आनन्द लूं” या “तुमसे भेंट करने का आनन्द मिले” + +# स्पेन + +देखें: और diff --git a/rom/15/26.md b/rom/15/26.md new file mode 100644 index 0000000..e128ebc --- /dev/null +++ b/rom/15/26.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह अच्छा लगा + +वैकल्पिक अनुवाद, “मकिदुनिया और अखया के विश्वासी प्रसन्न हुए कि...” या “.... ऐसा करके आनन्द प्राप्त हुआ” + +# वे उनके कर्ज़दार भी हैं + +“निःसन्देह मकिदुनिया और अखया के विश्वासी यरूशलेम के विश्वासियों के ऋणी हैं” + +# यदि अन्य जातियाँ उनकी आत्मिक बातों में भागी हुए तो उन्हें भी उचित है कि शारीरिक बातों में उनकी सेवा करें। + +“क्योंकि अन्य जातियों ने यरूशलेम के विश्वासियों की आत्मिकता बाँटी इसलिए अन्यजाति विश्वासी यरूशलेम के विश्वासियों की सेवा के निमित्त ऋणी हैं।” diff --git a/rom/15/28.md b/rom/15/28.md new file mode 100644 index 0000000..158d8a7 --- /dev/null +++ b/rom/15/28.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# काम पूरा करके + +“सुरक्षित सौंपकर” + +# चन्दा + +पैसा और + +# मसीह की पूरी आशिष के साथ आऊँगा। + +वैकल्पिक अनुवाद, “मैं मसीह की आशिष की परिपूर्णता में आऊँगा” diff --git a/rom/15/30.md b/rom/15/30.md new file mode 100644 index 0000000..7bb06d1 --- /dev/null +++ b/rom/15/30.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# कि + +यदि आपकी भाषा में ऐसा प्रावधान है कि पौलुस जिन अच्छी बातों की चर्चा कर अन्त करके अब उसके संकटों की चर्चा आरंभ कर रहा है तो उसका यहाँ उपयोग करें। + +# तुमसे विनती करता हूँ + +“तुम्हें प्रोत्साहित करता हूँ” + +# लौलीन रहो + +“परिश्रम करो” या “संघर्ष करो” + +# उसी ने हमें...छुड़ाकर + +“सुरक्षित रहूँ” या “बचाया जाऊं” diff --git a/rom/16/01.md b/rom/16/01.md new file mode 100644 index 0000000..bd6b788 --- /dev/null +++ b/rom/16/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +पौलुस रोम के विश्वासियों में अनेकों के नाम लेकर नमस्कार कह रहा है। (देखें: और ) + +# फीबे के लिए... विनती करता हूँ + +“फीबे के सम्मान का निवेदन करता हूँ” + +# फीबे + +एक स्त्री का नाम है + +# हमारी बहन + +“मसीह में हमारी बहन”, यहां “हमारी” अर्थात पौलुस और सब विश्वासियों की + +# किंख्रिया + +यूनान का एक बन्दरगाह + +# उसे प्रभु में ग्रहण करो + +उसे ग्रहण करो क्योंकि हम सब प्रभु के हैं” + +# जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए + +“जैसे विश्वासियों को अन्य विश्वासियों का स्वागत करना चाहिए” + +# उसकी सहायता करो + +इसका अनुवाद एक नये वाक्य में किया जा सकता है, “मैं यह भी चाहता हूँ कि तुम उसकी सहायता करो”। + +# वह भी बहुतों की वरन् मेरा भी उपकार करने वाली रही है। + +“उसने अनेकों की सहायता की है, मेरी भी सहायता की है”। diff --git a/rom/16/03.md b/rom/16/03.md new file mode 100644 index 0000000..8cf70a9 --- /dev/null +++ b/rom/16/03.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस रोम की कलीसिया में अनेक विश्वासियों के नाम लेकर नमस्कार कह रहा है। (देखें: और ) + +# प्रिस्का और अक्विला + +प्रिस्का को प्रिस्किल्ला भी कहा गया है। वह अक्विला की पत्नी थी। + +# मसीह यीशु में मेरे सहकर्मी + +“वे मेरे साथ मसीह यीशु के प्रचार में सेवारत हैं” + +# उस कलीसिया को भी नमस्कार जो उनके घर में हैं + +“उनकी आवासीय कलीसिया को भी नमस्कार कहना” + +# इपैनितुस + +एक पुरूष का नाम + +# आसिया का पहला फल है + +अर्थात वह आसिया में प्रथम विश्वासी था। diff --git a/rom/16/06.md b/rom/16/06.md new file mode 100644 index 0000000..3f9096f --- /dev/null +++ b/rom/16/06.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस रोम की कलीसिया में अनेक विश्वासियों के नाम लेकर नमस्कार कह रहा है। (देखें: और + +# मरियम + +एक स्त्री का नाम है + +# यूनियास + +यह या तो 1)यूनिया, एक स्त्री या 2) यूनिआस, एक पुरूष हो सकता है। + +# अन्द्रनीकुस...अम्‍पलियातुस + +ये पुरूषों के नाम हैं + +# प्रभु में मेरे प्रिय + +“मेरे प्रिय मित्र, एवं विश्वासी भाई” diff --git a/rom/16/09.md b/rom/16/09.md new file mode 100644 index 0000000..707cdea --- /dev/null +++ b/rom/16/09.md @@ -0,0 +1,7 @@ +# उरबानुस.... इस्तखुस.... अपिल्‍लेस.... अरिस्‍तुबुलुस.... हेरोदियोन....नरकिस्‍सुस + +ये सब विश्वासी पुरूष थे + +# जे लोग प्रभु में हैं + +“जिन्हें मसीह ने स्वीकार किया है।” यहां “प्रभु में हैं” का अर्थ है, परख कर सच्चा पाया गया मनुष्य diff --git a/rom/16/12.md b/rom/16/12.md new file mode 100644 index 0000000..c5e1faf --- /dev/null +++ b/rom/16/12.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# x + +पौलुस रोम की कलीसिया में अनेक विश्वासियों का नाम लेकर नमस्कार कर रहा है (देखें: और ) + +# त्रूफैना... त्रूफोसा.... पिरसिस + +स्त्रियों के नाम हैं + +# रुफुस... असुंक्रितुस... फिलगोन.... हिर्मेस... पत्रुबास.... हिर्मास + +ये पुरूषों के नाम हैं + +# प्रभु में चुना हुआ है + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “जिसे प्रभु ने विशेष गुणों के कारण चुन लिया है”। (यू.डी.बी.) + +# उसकी माता को जो मेरी भी माता है + +“मैं उसकी माता को अपनी माता भी मानता हूँ” diff --git a/rom/16/15.md b/rom/16/15.md new file mode 100644 index 0000000..b4e8728 --- /dev/null +++ b/rom/16/15.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +पौलुस रोम की कलीसिया में अनेक विश्वासियों के नाम लेकर नमस्कार कह रहा है। (देखें: और ) + +# फिलुलुगुस... नेर्युस.... उलुम्पास + +ये पुरूषों के नाम हैं + +# यूलिया + +यह एक स्त्री का नाम है। वह संभवतः फिलुलुगुस की पत्नी थी। diff --git a/rom/16/17.md b/rom/16/17.md new file mode 100644 index 0000000..5ce938b --- /dev/null +++ b/rom/16/17.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# सोच लिया करो + +“उनके प्रति सतर्क रहो” + +# फूट डालने और ठोकर खिलाने का कारण होते हैं + +“आपसी मतभेद और परमेश्वर में विश्वास के परित्याग का कारण होते हैं” + +# उस शिक्षा के विपरीत जो तुमने पाई है + +इसका एक नया वाक्य बनाया जा सकता है। “वे ऐसी शिक्षा देते हैं जो तुम्हारे द्वारा सीखे गए सत्य के विरूद्ध है” + +# उनसे दूर रहो + +“उनसे बच कर रहो” + +# परन्तु अपने पेट की + +यहाँ “पेट” का अर्थ भौतिक लालसाएं। वैकल्पिक अनुवाद, “परन्तु वे अपनी स्वार्थ की पूर्ति करना चाहते हैं”। + +# चिकनी चुपड़ी बातों से + +चिकनी चुपड़ी का अर्थ एक ही है। पौलुस उन्हें समझा रहा है कि वे कैसे विश्वासियों को छलते हैं, वैकल्पिक अनुवाद, “वे ऐसी बातों के द्वारा.... छलते हैं जो कर्णभावन एवं सत्य प्रतीत होते हैं।” + +# सीधे सादे मन के लोगों को + +अबोध, अनुभवहीन तथा नवदीक्षित। वैकल्पिक अनुवाद, “जो निष्कपट विश्वास कर लेते है” या “वे जो समझ नहीं पाते कि ऐसे प्रचारक उन्हें मूर्ख बनाते हैं”। diff --git a/rom/16/19.md b/rom/16/19.md new file mode 100644 index 0000000..3ca070f --- /dev/null +++ b/rom/16/19.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# तुम्हारे आज्ञा मानने की चर्चा सब लोगों में फैल गई है + +“तुम यीशु की आज्ञाओं को मानते हो और यह तथ्य सब विश्वासियों में चर्चित है”। + +# परमेश्वर शैतान को तुम्हारे पापों से शीघ्र कुचलवा देगा। + +“पांवों से.... कुचल देगा” वैरी पर पूर्ण विजय का द्योतक हैं। वैकल्पिक अनुवाद, “परमेश्वर तुम्हें शीघ्र ही शैतान पर पूर्ण विजय प्रदान करेगा”। + +# भोले बने रहो + +“बुराई के भ्रम में न पड़ो” diff --git a/rom/16/21.md b/rom/16/21.md new file mode 100644 index 0000000..4ef4d70 --- /dev/null +++ b/rom/16/21.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# लूकियुस.... यासोन....सोसिपत्रुस.... तिरतियुस + +ये पुरूषों के नाम है। + +# मुझे पत्री के लिखने वाले तिरतियुस + +तिरतियुस पौलुस का लिपित था + +# प्रभु में तुमको नमस्कार + +“प्रभु में विश्वासी भाई को नमस्कार” diff --git a/rom/16/23.md b/rom/16/23.md new file mode 100644 index 0000000..241b006 --- /dev/null +++ b/rom/16/23.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# गयुस... इरास्तुस....क्‍वारतुस + +ये पुरूषों के नाम है। + +# पहुनाई करने वाला + +इससे प्रकट होता है कि विश्वासी उसके घर में आराधना करते थे। + +# भण्डारी + +किसी समूह के पैसों का लेखा रखनेवाला + +# 16:24 + +यह पद छोड़ा गया है क्योंकि कुछ अधिक पुराने अधिक विश्वसनीय अभिलेखों में यह पद नहीं है diff --git a/rom/16/25.md b/rom/16/25.md new file mode 100644 index 0000000..ea074fb --- /dev/null +++ b/rom/16/25.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# अब + +“अब” शब्द पत्र के अन्तिम भाग का समापन दर्शाता है। + +# स्थिर कर सकता है + +वैकल्पिक अनुवाद, “तुम्हारे विश्वास को दृढ़ कर सकता है” + +# मेरे सुसमाचार अर्थात यीशु मसीह के सन्देश के प्रचार के अनुसार + +“मेरे द्वारा सुनाए गए मसीह यीशु के शुभ सन्देश के अनुसार” + +# उस भेद के प्रकाश के अनुसार जो सनातन से छिपा रहा + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा भी किया जा सकता है, “क्योंकि परमेश्वर ने हम विश्वासियों पर उस रहस्य को प्रकट किया जो वह वर्षों से गुप्त रखे हुए था”। + +# अब प्रगट होकर सनातन परमेश्वर की आज्ञा से भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों के द्वारा सब जातियों को बताया गया है। + +इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “परन्तु अब अनादि परमेश्वर ने धर्मशास्त्र द्वारा यह स्पष्ट कर दिया है”। + +# सब जातियों को बताया गया कि वे विश्वास से आज्ञा माननेवाले हो जाएं + +“कि सब जातियां परमेश्वर में विश्वास के कारण उसकी आज्ञाकारी हो जाएं”। diff --git a/rom/16/27.md b/rom/16/27.md new file mode 100644 index 0000000..148ce1d --- /dev/null +++ b/rom/16/27.md @@ -0,0 +1,3 @@ +# x + +यह समापन अभिकथन. diff --git a/tit/01/01.md b/tit/01/01.md new file mode 100644 index 0000000..0a03acd --- /dev/null +++ b/tit/01/01.md @@ -0,0 +1,43 @@ +# पौलुस + +पौलुस “पौलुस की ओर से” आपकी भाषा में पत्र लिखने वाले के परिचय की अपनी विधि होगी। “मैं, पौलुस यह पत्र लिख रहा हूं” + +# परमेश्वर का दास और यीशु मसीह का प्रेरित + +यहां “मैं... हूं” अभिप्रेत है आप एक नया वाक्य रच कर इसे स्पष्ट कर सकते हैं, “मैं” परमेश्वर का दास हूं और मसीह यीशु का प्रेरित हूं।” + +# विश्वास को स्थिर करने + +विश्वास को स्थिर करने यह एक नया वाक्य हो सकता है, “मैं विश्वास के दृढ़ीकरण का काम करता हूं”। या “में विश्वास को बढ़ाने हेतु से करता हूं”। + +# परमेश्वर के चुने हुए लोगों + +परमेश्वर के चुने हुए लोगों “परमेश्वर के चयनित जन” या “परमेश्वर के द्वारा अलगे किए हुओं”। + +# स्थिर करने + +“दृढ़ता से यथा स्थान रखने के लिए” + +# भक्ति के अनुसार + +“परमेश्वर के नियमों के अनुसार” या “पवित्र जनों के लिए जो उचित है”। + +# परमेश्वर.... झूठ बोल नहीं सकता + +“परमेश्वर जो कभी झूठ नहीं बोलता है” + +# सनातन से + +“समय के आरंभ से पूर्व” + +# ठीक समय पर + +ठीक समय पर “उचित समय आने पर” + +# मुझे सौंप गया + +मुझे सौंप गया “मुझे प्रचार के लिए बड़े विश्वास से सौंप गया” या “उसने मुझे प्रचार करने का उत्तरदायित्व सौंपा”। + +# परमेश्वर.... हमारे उद्धारकर्ता + +“हमें बचानेवाला परमेश्वर” diff --git a/tit/01/04.md b/tit/01/04.md new file mode 100644 index 0000000..c17b75e --- /dev/null +++ b/tit/01/04.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# एक सच्चा पुत्र + +क्योंकि तीतुस पौलुस का अपना पुत्र नहीं था, इसका अनुवाद किया जा सकता है, “तू मेरे पुत्र के समान है”। + +# विश्वासी की सहभागिता + +विश्वासी की सहभागिता - “मसीह यीशु में विश्वास जो हम दोनों का है” या “वही शिक्षाएं जिनका हम दोनों पालन करते हैं”। + +# अनुग्रह, दया और शान्ति + +यह उस समय का एक सामान्य अभिवादन होता था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“तुझे अनुग्रह, दया और शान्ति मिले” या “तू मन में दया, करूणा और शान्ति पाए” + +# हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु + +हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु “मसीह यीशु जो हमारा उद्धारकर्ता है”। + +# इसलिए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“इस उद्देश्य के निमित्त”। + +# तुझे क्रेते में छोड़ आया था + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मैंने तुझे क्रेते में रुकने के लिए इसलिए कहा था” + +# कि तू शेष बातों को सुधारे + +कि तू उन बातों को पूरा करे जो अधूरी रह गई थी - “कि तू उन बातों को व्यवस्थित करे जिनका किया जाना है” + +# प्राचीनों को नियुक्त करे + +अर्थात धर्म-वृद्धों को चुन कर उनका अभिषेक करें diff --git a/tit/01/06.md b/tit/01/06.md new file mode 100644 index 0000000..c88de12 --- /dev/null +++ b/tit/01/06.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# निर्दोष + +(देखें यू.डी.बी.)इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “एक निष्ठ हो” या “उनकी अच्छी छवि हो” + +# एक ही पत्नी के पति हों + +इसका अर्थ है, “एक ही पत्नी हों। इसका अनुवाद सामान्य इस प्रकार किया जा सकता है, उसकी एक ही पत्नी होनी चाहिए” (यू.डी.बी.) यहां विवाद का विषय है कि यदि कोई विधुर है, या तलाकशुदा है या अविवाहित है। + +# बच्चे विश्वासयोग्य हों + +इसके संभावित अर्थ हैं 1) मसीह में विश्वास करनेवाली सन्तान या 2) केवल विश्वासयोग्य सन्तान। + +# दोष न हो + +“जाने न जाते हों” या “उनकी छवि ऐसी न हो” + +# निरंकुशता + +“विद्रोही न हों “या “नियमनिष्ठ हों” + +# अध्यक्ष को.... होना चाहिए + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “पर्यवेक्षक के लिए आवश्यक है कि” + +# परमेश्वर के घर का भण्डारी + +“परमेश्वर का गृह प्रबन्धक” या “परमेश्वर के परिवार की देखरेख का दायित्व उठाने वालो को” + +# पियक्कड़ न हो + +“मद्यव्यसनी” या “शराबी” या “अत्यधिक मदिरापान करनेवाला”। + +# मारपीट करने वाला + +“उग्र स्वभाव का” या “लड़ने झगड़ने वाला” (यू.डी.बी.) diff --git a/tit/01/08.md b/tit/01/08.md new file mode 100644 index 0000000..4543df5 --- /dev/null +++ b/tit/01/08.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +पौलुस तीतुस को समझाता है कि वह कलीसिया में कैसे मनुष्यों को धर्म-वृद्ध नियुक्त करें। + +# अतिथि सत्कार करने वाला + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आदर सत्कार करने वाला” + +# भलाई का चाहने वाला + +“अच्छी बातों का प्रेमी” (यू.डी.बी.) + +# स्थिर रहे + +“समर्पित रहे” या “उचित ज्ञान रखे” या “दृढ़ समझ रखे” + +# विश्वासयोग्य वचन की शिक्षा + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “वचन के सत्य पर” या “विश्वासयोग्य वचन की शिक्षा पर” + +# खरी शिक्षा + +“उचित शिक्षा” या “लाभकारी शिक्षा” diff --git a/tit/01/10.md b/tit/01/10.md new file mode 100644 index 0000000..f8e44db --- /dev/null +++ b/tit/01/10.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# खतना वालों + +“जिनका खतना हुआ है” या “जो खतना के पक्षधर हैं, यह यहूदियों के संदर्भ में है जिन सबका खतना हो चुका है। + +# अनुचित बातें सिखा कर + +अनुचित बातें सिखा कर “उनके शब्दों से किसी को लाभ नहीं होता है” + +# इनका मुंह बन्द करना चाहिए। + +इनका मुंह बन्द करना चाहिए। - “उनको अपनी शिक्षा प्रसारण से रोकना आवश्यक है” या “उन्हें रोकना आवश्यक है कि वे मनुष्यों को पथभ्रष्ट न करें।” + +# अनुचित बातें + +“वे शिक्षाएं जो शिक्षण हेतु उचित नहीं” + +# नीच कमाई + +“कि मनुष्य उन्हें पैसा दे। यह बड़ी लज्जा की बात है” (यू.डी.बी.) इसका अभिप्राय है कि लोग अनिष्ठ बातें सिखाकर धनोपार्जन करते हैं। + +# घर के घर तोड़ देते है + +“संपूर्ण परिवार नष्ट कर देते हैं” अर्थात “संपूर्ण परिवारों के विश्वास को नष्ट कर देते हैं।” diff --git a/tit/01/12.md b/tit/01/12.md new file mode 100644 index 0000000..eab3025 --- /dev/null +++ b/tit/01/12.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(पौलुस कलीसिया में घुस आए झूठे शिक्षकों के विरूद्ध चेतावनी दे रहा है) + +# उन्हीं में से एक जन ने + +“क्रेते वासियों में से ही एक ने” या “क्रेते के नागरिकों में से ही एक ने” + +# उन्हीं का भविष्यद्वक्ता + +“जिसे वहां के नागरिक भविष्यद्वक्ता मानते थे” + +# क्रेती लोग सदा झूठे + +“क्रेतेवासी सदा झूठ बोलते हैं” या “क्रेतेवासी झूठ बोलना नहीं छोड़ते यह एक अतिशयोक्ति है।” + +# खतरनाक पशुओं + +इस रूपक द्वारा क्रेतेवासियों की तुलना खतरनाक पशुओं से की गई है। + +# आलसी पेटू + +“निरूघम और बहुत खानेवाले” या “कुछ करते नहीं, खाते बहुत हैं” यह उनके पेट को उनके तुलना उनके संपूर्ण व्यक्तित्व से की गई है। + +# उन्हें कड़ाई से चेतावनी दिया कर + +“उन्हें कठोरता से समझा कि वे गलत हैं”। + +# कि वे विश्वास में पक्के हो जाएं + +“कि उनका विश्वास सद्भावपूर्ण हो जाए” या “कि वे सत्य में विश्वास करें” या “कि उनका विश्वास सच्चा हो”। diff --git a/tit/01/14.md b/tit/01/14.md new file mode 100644 index 0000000..8af1e07 --- /dev/null +++ b/tit/01/14.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(पौलुस तीतुस को समझाता है कि झूठे शिक्षकों का सामना कैसे करे। + +# मन न लगाएं + +“सुनने में समय न गवाएं" + +# यहूदियों की कथा कहानियों + +यहूदियों की झूठी शिक्षाओं पर + +# भटक जाते हैं + +“मनुष्य को विश्वास करने से भड़का कर दूर करना” diff --git a/tit/01/15.md b/tit/01/15.md new file mode 100644 index 0000000..0aeb7ef --- /dev/null +++ b/tit/01/15.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(पौलुस तीतुस को झूठे शिक्षकों का स्वभाव समझाता है) + +# शुद्ध लोगों के लिए सब वस्तुएं शुद्ध हैं + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जो स्वयं शुद्ध है उसके लिए सब शुद्ध है” “मनुष्य का मन शुद्ध हो तो उनके काम भी शुद्ध होंगे। + +# शुद्ध + +“पवित्र” या “परमेश्वर को स्वीकार्य” + +# “अविश्वासियों के लिए कुछ भी शुद्ध नहीं” + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“जो नैतिकता में अशुद्ध है और विश्वास नहीं करता, शुद्ध नहीं हो सकता” + +# कुछ भी शुद्ध नहीं + +“नैतिकता में अशुद्ध” या “भ्रष्ट” या “भ्रष्ट” + +# अपने कामों से उसका इन्कार करते हैं + +“उनके कामों से प्रकट होता है कि वे उसे नहीं जानते” + +# घृणित + +“ग्लानि-जनक” + +# किसी अच्छे काम के योग्य नहीं + +“किसी भी अच्छे काम के अयोग्य होते हैं” या “दर्शा देते हैं कि किसी भी भले काम के योग्य नहीं” diff --git a/tit/02/01.md b/tit/02/01.md new file mode 100644 index 0000000..84befbb --- /dev/null +++ b/tit/02/01.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(अब पौलुस झूठे शिक्षकों से ध्यान हटाकर तीतुस और विश्वासियों पर केन्द्रित करता है)। + +# पर तू + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“पर इन झूठे शिक्षकों के विपरीत तीतुस तू” + +# खरे उपदेश + +“जो शिक्षा अनुचित न हो” या “उचित शिक्षाओं” + +# संयमी + +“मिताचारी” या “शान्त-चित्त” इसका अनुवाद होगा, “स्वशासित” + +# गम्भीर + +“आत्म संयमी” या “अपनी लालसाओं को वश में रखने वाले” + +# पक्का + +इससे अगली तीन बातें का वर्णन होता है, विश्वास, प्रेम और धीरज। “खरी” का अर्थ है “जो अनुचित नहीं” + +# विश्वास....(में पक्का) + +“उचित विश्वास” या “मान्यताओं के अचूक है” + +# प्रेम.... (में पक्का) + +“सद्भावना का प्रेम” + +# धीरज पक्का + +“दृढ़” या “अड़िग” या “अथक” diff --git a/tit/02/03.md b/tit/02/03.md new file mode 100644 index 0000000..f8767dd --- /dev/null +++ b/tit/02/03.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# इसी प्रकार + +“इसी रीति से” इसका अनुवाद हो सकता है, “जिस प्रकार तूने वृद्ध पुरूषों को निर्देश दिए हैं, उसी प्रकार वृद्ध स्त्रियों को भी निर्देश दे”। + +# चाल चलन पवित्र लोगों का सा हो + +“पवित्र लोगों का सा चालचलन होना चाहिए” या “के जैसा जीवन रखें” + +# दोष लगानेवाली + +जिस मूल शब्द का अनुवाद “दोष लगाने वाली” किया गया है उसका अर्थ है “शैतान” या “मानहानि करने वाली” या “बैरी” + +# बुलाया + +बुलाया - “शिक्षा दे” या “अनुशासित करें” या “प्रोत्साहित करें” + +# संयमी + +“बुद्धिमानी से सोचनेवाली” + +# भली + +इसका अनुवाद हो सकता है, “अच्छे विचार रखनेवाली तथा अच्छे काम करनेवाली”या “पवित्र विचारों एवं कर्मों वाली” + +# परमेश्वर के वचन का निन्दा न होने पाए + +“परमेश्वर के वचन का तिरस्कार न हो” इसका अनुवाद होगा “कि परमेश्वर के वचन की आलोचना न हो यदि स्त्रियों के कामों से परमेश्वर के वचन की आलोचना या परित्याग न हो”। diff --git a/tit/02/06.md b/tit/02/06.md new file mode 100644 index 0000000..6817f9f --- /dev/null +++ b/tit/02/06.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# ऐसी ही + +इसका संदर्भ कलीसिया में स्त्रियों के प्रशिक्षण से है। तीतुस पुरूषों को भी ऐसे ही निर्देश दे। + +# चेतावनी + +“शिक्षा दे” या “उपदेश दे” या “प्रोत्साहित कर” + +# अपने आप को... नमूना बना + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “आवश्यक है कि तू... नमूना बन” या “स्वयं को प्रकट कर” + +# अच्छे कामों का नमूना + +“उचित एवं सही कामों का नमूना बना” + +# तेरे उपदेशों में.... ऐसी खराई + +“अचूक शिक्षा” + +# विरोधी... लज्जित हों + +यह एक काल्पनिक स्थिति है जिसमें तीतुस का विरोध करनेवाला स्वयं लज्जित हो जाता है। वह कोई होने वाली घटना को व्यक्त नहीं कर रहा है। आपकी भाषा में इसे व्यक्त करने की विधि हो सकती है। diff --git a/tit/02/09.md b/tit/02/09.md new file mode 100644 index 0000000..7fa0fb0 --- /dev/null +++ b/tit/02/09.md @@ -0,0 +1,27 @@ +# अपने-अपने स्वामी + +“जिसके वे दास हैं”। + +# सब बातों में + +“हर परिस्थिति में” या “सदैव” + +# प्रसन्न रखें + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “अपने स्वामी की प्रसन्न रखें” या “अपने स्वामी को सन्तुष्ट रखें” + +# पूरे विश्वासी निकलें + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “अपने स्वामी के स्वामि-भक्त हों” या “प्रकट करें कि वे अपने स्वामी के भरोसेमन्द हैं”। + +# हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर + +“परमेश्वर जो हमारा उद्धार करता है” + +# शोभा + +यहां “शोभा” शब्द का मूल अर्थ है, किसी वस्तु का ऐसा सौंदर्यकरण करना कि वह देखनेवाले को ललचाए”। + +# सब बातें में + +“उनके हर एक काम में” diff --git a/tit/02/11.md b/tit/02/11.md new file mode 100644 index 0000000..b8d2766 --- /dev/null +++ b/tit/02/11.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# तू समझता है + +“तीतुस, तू समझता है” + +# “परमेश्वर का वह अनुग्रह प्रकट है जो सब मनुष्यों के उद्धार का कारण है। + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“परमेश्वर का उद्धारक अनुग्रह सबके लिए प्रकाश में आ गया है + +# प्रगट है + +“प्रकाश में आ गया है” या “दिखने लगता है” + +# चेतावनी देता है + +“हमें सही काम करने की शिक्षा देता है।” इसका अनुवाद होगा, “हमें गलत काम करने की परीक्षा का विरोध करने की शिक्षा दे” + +# चेतावनी देता है + +यह एक रूपक है जो परमेश्वर के अनुग्रह को मानव रूप में दर्शाता है जो मनुष्यों को प्रशिक्षण देता है एवं अनुशासन सिखाता है कि वे पवित्र जीवन जीएं। + +# सांसारिक अभिलाषाओं + +“संसार की वस्तुओं की उत्कट अभिलाषा” या सांसारिक सुख की लालसा” + +# इस युग में + +“इस सांसारिक जीवन में” या “इस समय में” + +# बाट जोहते रहें + +“उसके स्वागत की प्रतीक्षा करें” + +# महिमा के प्रकट हाने की + +“महिमा” और “प्रकट होने” को जोड़कर कहा जा सकता है, “महिमामय प्रकटीकरण” diff --git a/tit/02/14.md b/tit/02/14.md new file mode 100644 index 0000000..2ee8a46 --- /dev/null +++ b/tit/02/14.md @@ -0,0 +1,19 @@ +# यीशु ने हमारे लिए अपने आप को क्यों दे दिया? + +“मृत्यु के निमित्त हमारे लिए दे दिया” + +# कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले + +“हमारी पाप की दशा से उभार ले” यह एक रूपक है जो पाप मुक्ति की तुलना एक दास की स्वतंत्रता से करता है जो मोल देकर उसे प्राप्त हुई है। + +# शुद्ध करके + +“पवित्र बना कर” + +# एक जाति + +अर्थात “ऐसे मनुष्यों का समूह जिसे वह कीमती समझता है”। + +# सरगर्म + +“उत्कट अभिलाषा रखो” diff --git a/tit/02/15.md b/tit/02/15.md new file mode 100644 index 0000000..e17e582 --- /dev/null +++ b/tit/02/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# ये बातें कह और समझता और सिखाता रह + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“इन बातों को सिखा और श्रोताओं को उन पर आचरण करने के लिए प्रोत्साहित कर” + +# समझा और लिखता रह + +“जो ऐसा न करें उनका सुधार कर” + +# कोई तुझे तुच्छ न जानने पाए” + +“किसी को अवसर न दे कि....” + +# “तेरा अपमान करने पाए” + +अर्थात “तेरी शिक्षाओं से मुंह न मोड़ने पाए” या “तेरा सम्मान करने से इन्कार करे” diff --git a/tit/03/01.md b/tit/03/01.md new file mode 100644 index 0000000..1e3813d --- /dev/null +++ b/tit/03/01.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# सुधि दिला + +“कलीसिया को अपनी शिक्षाएं फिर से सुना” या “उन्हें स्मरण कराता रह” + +# हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें “ + +हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें - “राजनीति के शासक एवं सरकारी अधिकारी जो कहते है। उसे कर”। + +# हाकिमों और अधिकारियों + +ये दोनों शब्द एक से हैं और इनका संयोजित उपयोग उस हर एक व्यक्ति के लिए है जो सरकारी पद पर है। + +# हर एक अच्छे काम के लिए तैयार रहें + +“जबकि अवसर मिले मन अच्छे काम करने के लिए तत्पर रहें”। + +# बदनाम न करे + +“किसी के लिए बुरा न कहें” + +# नम्रता + +“कोमलता का व्यवहार करें”। diff --git a/tit/03/03.md b/tit/03/03.md new file mode 100644 index 0000000..3cb4c0e --- /dev/null +++ b/tit/03/03.md @@ -0,0 +1,35 @@ +# x + +(पौलुस समझाता है कि वह क्यों कह रहा है कि हम दीनतापूर्वक शिक्षा दें।) + +# क्योंकि + +“इसलिए कि” + +# पहले + +“किसी समय” या “इससे पूर्व” या “पूर्वकाल में” + +# निर्बुद्धि + +“मूर्ख” या “अविवेकी” + +# अभिलाषाओं या सुख विलास के दासत्व में थे + +इस रूपक द्वारा हमारी पापी लालसाओं के द्वारा हमें दास बनना दिखाया गया है। “हमारी पापी अभिलाषाएं हमें भोग विलास की लालसा का दास बना देती थी”। + +# भ्रम में पड़े हुए + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “पथ-भ्रष्ट किए गए थे” + +# अभिलाषाओं + +“लालसाओं” या “प्रलोभनों” + +# बैरभाव और डाह + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “हम सदैव बुरे काम करते थे और पराए धन का लालच करते थे”। + +# घृणित थे + +“हम घृणा योग्य थे” अनुवाद, “हमने मनुष्यों को हमसे घृणा करने का अवसर दिया” diff --git a/tit/03/04.md b/tit/03/04.md new file mode 100644 index 0000000..f7fe58f --- /dev/null +++ b/tit/03/04.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(पौलुस तीतुस को समझा रहा है कि हमें दीनतापूर्वक शिक्षा क्यों देना है) + +# जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा और मनुष्यों पर उसका प्रेम प्रगट हुआ + +इसका अनुवाद किया जा सकता है, “जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर ने मनुष्यों पर अपना प्रेम और कृपा प्रकट की” + +# मनुष्यों पर + +मनुष्यों पर - “मनुष्यों के लिए” + +# हमारा उद्धार किया + +“के द्वारा हमारा उद्धार किया” या “उस माध्यम से हमें उद्धार प्रदान किया” + +# नए जन्म के स्नान + +इसका अनुवाद किया जा सकता है,“हमारे आत्मिक नए जन्म द्वारा हमें नया बनाया। + +# नया बनाने + +“नव निर्माण द्वारा” इसका अनुवाद हो सकता है “पवित्र आत्मा ने हमें नया कर दिया” या “पवित्र आत्मा ने हमे नए मनुष्य बना दिया” + +# धर्म के कामों के कारण नहीं जो हमने आप किए। + +“हमारे सद्कर्मों के कारण नहीं + +# अनुसार + +“उसी परिश्रम में” diff --git a/tit/03/06.md b/tit/03/06.md new file mode 100644 index 0000000..bb16dda --- /dev/null +++ b/tit/03/06.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# x + +(पौलुस हमें दीनतापूर्वक शिक्षा देने का स्मरण करता है क्योंकि हमें अनुग्रह प्राप्त होता है) + +# पवित्र आत्मा.... अधिकाई से उंडेला + +यह रूपक पुरोहितों के अभिषेक का है। इसका अनुवाद होगा “हमें पवित्र आत्मा व उदारता से दिया” + +# अनन्त + +"शाश्वत" + +# अधिकाई + +“बहुतायत से” या “उदारतापूर्वक” + +# हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा + +“जब यीशु ने हमारा उद्धार किया” + +# धर्मी ठहरा कर + +इसका अनुवाद होगा, “हम परमेश्वर द्वारा न्यायोचित ठहराए जा चुकें है” + +# वारिस बने + +इसका अनुवाद होगा, “परमेश्वर हमें उत्तराधिकार का अधिकार देकर पुत्र बनाया है” + +# अनन्त जीवन की आशा + +“हम निश्चय ही जानते हैं कि हमें शाश्वत जीवन प्राप्त है”। diff --git a/tit/03/08.md b/tit/03/08.md new file mode 100644 index 0000000..a86ca7f --- /dev/null +++ b/tit/03/08.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# यह बात + +यह पिछले पद में परमेश्वर के बारे में कहे गए कथनों के संदर्भ में है कि वह हमें यीशु के माध्यम से पवित्र आत्मा देता है। + +# लगे रहने का ध्यान रखें + +“ध्यान केन्द्रित करें” या “लगातार विचारते रहें” + +# that he put before them - + +“जो परमेश्वर ने उन्हें करने के लिए कहीं हैं” diff --git a/tit/03/09.md b/tit/03/09.md new file mode 100644 index 0000000..c831b49 --- /dev/null +++ b/tit/03/09.md @@ -0,0 +1,31 @@ +# परन्तु + +“परन्तु तीतुस तू” + +# मूर्खता के विवादों + +“महत्त्वहीन विषयों पर विवाद” + +# झगड़ों + +“वाद-विवाद” + +# व्यवस्था + +“परमेश्वर का विधान” + +# बचा रह + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है,“उनके साथ परिचर्चा न कर” या “उनके साथ समय नहीं बिता” या “बचा रह” + +# एक दो बार समझा बुझाकर + +“ऐसे व्यक्ति को एक दो बार समझाने के बाद” + +# ऐसा मनुष्य + +“ऐसा पाखंडी मनुष्य” + +# भटक गया है + +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “स्वयं के लिए दण्ड का कारण होता है” diff --git a/tit/03/12.md b/tit/03/12.md new file mode 100644 index 0000000..a5957ec --- /dev/null +++ b/tit/03/12.md @@ -0,0 +1,23 @@ +# x + +(पत्र के अन्त में पौलुस तीतुस से कहता है कि क्रेते में धर्म-वृद्धों की नियुक्ति करने के बाद वह क्या करे) + +# भेजूं + +“मैं जब.... भेजूं” + +# मैंने वहां जाड़ा काटने का निश्चय किया है + +“शीत ऋतु वहां बिताने का निश्चय किया है” + +# अनेक प्रयास करना + +“तू शीघ्रता से आने का प्रयास करना” या “शीघ्र आ जाना” + +# यत्न करके आगे पहुंचा दे + +“शीघ्रता कर” या “भेजने में विलम्ब न कर” + +# और अपुल्लोस + +“अपुल्लोस को भी भेज दे” diff --git a/tit/03/14.md b/tit/03/14.md new file mode 100644 index 0000000..de0750a --- /dev/null +++ b/tit/03/14.md @@ -0,0 +1,11 @@ +# x + +(पौलुस समझाता है कि जेनास और अपुल्लोस के लिए प्रबन्ध करना महत्त्वपूर्ण क्यों है) + +# पूरा करने के लिए + +“करने में व्यस्त रहें” + +# निष्फल न रहें + +यह द्विनकारात्मक शब्दों का कथनात्मक रूप में भी अनुवाद किया जा सकता है, “कि वे फलवन्त हों” या “वे परमेश्वर के लिए फल लाएं” या “उनका जीवन फलवन्त हो” diff --git a/tit/03/15.md b/tit/03/15.md new file mode 100644 index 0000000..7afc578 --- /dev/null +++ b/tit/03/15.md @@ -0,0 +1,15 @@ +# x + +(पौलुस तीतुस के पत्र का अन्त करता है) + +# जो + +“वे सब लोग” + +# जो विश्वास के कारण हम सबसे प्रीति नहीं रखते हैं + +जो विश्वास के कारण हम सबसे प्रीति नहीं रखते हैं इसके प्रभावित अर्थ है 1)“हमसे प्रेम रखने वाला विश्वासी” या 2) “विश्वासी के उसी विश्वास के कारण हमसे प्रेम रखते हैं”। + +# तुम सब पर अनुग्रह होता रहे + +तुम सब पर अनुग्रह होता रहे यह उस समय का एक सामान्य अभिवादन था। इसका अनुवाद हो सकता है, “परमेश्वर का अनुग्रह तुम्हारे साथ बना रहे” या “मैं प्रार्थना करता हूं कि परमेश्वर तुम सब पर अनुग्रहकारी हो”