thr_1co_text_reg/14/31.txt

1 line
658 B
Plaintext

\v 31 31 तुम सब पालो पालोसंग अगमवाणी बोल सक्त हए, और अइसी सबसे सिक्न सक्तहौ और सबके उत्साह पाए सक्तहौ| \v 32 32 अगमवक्ताके आत्मा अगमवक्ताके अधीनमे होत हए| \v 33 33 काहेकी परमेश्वर गोलमालको परमेश्वर नैयाँ पर शन्तिको परमेश्वर हए| सन्त सबै मण्डलीमे भव प्रार्थना अनुसार,