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\v 20 20 भैया तुम, सोच- विचारमे बालक मत बनओ| खराबीके ताहि बालक बनओ, पर सोच- विचारमे परिपक्का बनओ| \v 21 21 व्यवस्थामे लिखो हए, अनौठो भाषा बोलनबारे आदमीसे और विदेशीके ओठसे जा आदमी बोलत हए, और फिर बे मेरो बात सुनत नैयाँ, परमप्रभु कहत हए