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\v 15 15 अब मए का करै त? मए आत्मामे प्रार्थना करत हौ, और दिमाकसे फिर प्रार्थना करत हौ| आत्मामे स्तुति करहौ, और मए दिमाकमे फिर स्तुति करत हौ| \v 16 16 तुम आत्मामे परमेश्वरको प्रशंसा करत बुझ्न नाए सिकनबारो बाहिरको आदमी तुमरो धन्यवादको प्रार्थना पिच्छु “आमेन” कैसे कतहए? जब कि तुम का कहे सो बे नबुझत हए|