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\v 14 14 जहेमारे मिर प्रिय हो, मूर्तिपूजासे अलग रहौ| \v 15 15 समझदार आदमिसे मए कहत हौ, मिर कही बात तुम अपनै विचार करौ| \v 16 16 बो आशिषको कटोरा जो के ताहिँ हम आशिष मागतहौ, का बो ख्रीष्टको रगतमे होन बारो सहभागिता नाए हए का? बो रोटी, जो हम तोरत हए, का बो ख्रीष्टको शरीरमे सामिल नाए हए? \v 17 17 काहेकी रोटी एकै हए, हम गज़ब हँए त का शरीर त एकए हए, काहेकी हम सब एकै रोटीसे खातहँए|