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\v 25 बजारमे जो बिचत हए, ज्ञान के ताँहिँ कछु बिना पुछके बो खाए । \v 26 काहेकी पृथ्वी और बोमे भौ सब चिज प्रभुक हए । \v 27 कोई अविश्वासी बोके पाटी खान खबर दैई तौ जान इच्छ हए कहेसे तिर अग्गु जो धरदेहए: ज्ञान के ताँहिँ कछु ना पुछके खाबओ ।