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\v 8 पर खान बारी चिज हमके परमेश्वरकी नजरमे जद्धा ग्रहण योग्य ना बनत हए । कुछ खएहँए तौ खराबी ना हुइहए और खएहँएं त कुछ फाइदा ना हुइहए । \v 9 पर होशियार होबओ, तुमर जा स्वतन्त्रता दुर्वलके ताहिँ ठोकरको कारन ना बनए । \v 10 काहेकी कोई दुर्वल दिमाक भौ आदमी तए ज्ञान भौ आदमीके मूर्तिके मन्दिरमे खान बैठो देखि कहेसे, मूर्तिके चढओ खानबारी चिज खानके का बा हिम्मत ना करहए ?