\v 25 ताकि शरीरमे बेमेल नाए होबए, पर अङग एक दुसरेके ताहि समान वास्ता करै । \v 26 अगर एक अङगके कष्ट भव कहेसे सब अङगसंग कष्ट भोगत हए, अथवा एक अङगको आदर भव कहेसे सब अङगसंग आनन्द मनात हए । \v 27 तुम ख्रीष्टको शरीर हौ, और हरेक बाको अङग हए ।