\c 10 \v 1 1 भैया हो, तुम जा बात लेओ कहिके मए चाहत हौ, कि हमर पुर्खा सब बादर तरे रहै, और समुन्दरके बिचसे हुइके गए| \v 2 2 और मोशामे बे सबै बादर और समुन्दरमे बाप्तिस्मा पाई रहँए| \v 3 3 सबए एकए आत्मिक भोजन खाँई| \v 4 4 सबै आत्मिक पानी पिई, काहेकी बिनके संगैसंग नेगत बे आत्मिक चट्टानको पानी पिईँ और बा चट्टा त ख्रीष्टए रहए