\v 37 कोइ अपनेके अगमवक्ता अथवा आत्मिकी आदमी सम्झत हए, तौ मए लिखो बात फिर परमेश्वरको आज्ञा हए करके बो स्वीकार करन पडहए। \v 38 पर कोइ जाको वास्ता नाए करतहए, तव बाको फिर वास्ता नाए।