From ff4a940ff698f381ddf7b20ea44dd99f94d53e2b Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Thu, 27 Jul 2023 20:37:12 +0545 Subject: [PATCH] Thu Jul 27 2023 20:37:12 GMT+0545 (Nepal Time) --- 03/16.txt | 2 +- 03/18.txt | 2 +- manifest.json | 1 + 3 files changed, 3 insertions(+), 2 deletions(-) diff --git a/03/16.txt b/03/16.txt index 1205798..259a2e5 100644 --- a/03/16.txt +++ b/03/16.txt @@ -1 +1 @@ -\v 16 का तुमके पता ना हए, तुम परमेश्वरको मन्दिर हौँ, और परमेश्वरको पवित्र आत्मा तुमरमे बास करत हए? \v 17 अगर कोई परमेश्वरको मन्दिरके नष्ट करत हए कहेसे परमेश्वर बो के नष्ट करैगो । काहेकी परमेश्वरको मन्दिर पवित्र होतहए, और बो मन्दिर तुमही हौ । \ No newline at end of file +\v 16 का तुमके पता ना हए, तुम परमेश्वरको मन्दिर हौँ, और परमेश्वरको पवित्र आत्मा तुमरमे बास करत हए? \v 17 अगर कोई परमेश्वरको मन्दिरके नष्ट करत हए कहेसे परमेश्वर बो के नष्ट करैगो । काहेकी परमेश्वरको मन्दिर पवित्र होतहए, और बो मन्दिर तुमही हौ । \ No newline at end of file diff --git a/03/18.txt b/03/18.txt index de7c4de..d5731a0 100644 --- a/03/18.txt +++ b/03/18.txt @@ -1 +1 @@ -\v 18 18 कोई अपनेके धोखा मतदेओं । तुमर मैसे कोई जा युगमे अपनेके वुध्दीमान सम्झत हए कहेसे बो मूर्ख बानैगो, तव बो वुध्दीमान बन पाबए । \v 19 19 काहेकी संसारको वुध्दि परमेश्वरको अग्गु मूर्ख हए| काहेकी लिखो हए, “ बो वुध्दिमानके बिनको चलाकीमे पकड्त हए|” \v 20 20 और फिर वुध्दिमानके विचार व्यर्थ हए कहिके परमप्रभु जानत हए ।” \ No newline at end of file +\v 18 कोई अपनेके धोखा मतदेओं । तुमर मैसे कोई जा युगमे अपनेके वुध्दीमान सम्झत हए कहेसे बो मूर्ख बानैगो, तव बो वुध्दीमान बन पाबए । \v 19 काहेकी संसारको वुध्दि परमेश्वरको अग्गु मूर्ख हए| काहेकी लिखो हए, “ बो वुध्दिमानके बिनको चलाकीमे पकड्त हए|” \v 20 और फिर वुध्दिमानके विचार व्यर्थ हए कहिके परमप्रभु जानत हए ।” \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 4a5dc68..c27171b 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -68,6 +68,7 @@ "03-10", "03-12", "03-14", + "03-16", "04-title", "05-title", "06-title",