Fri Jul 28 2023 22:52:21 GMT+0545 (Nepal Time)
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\v 25 तुम बजारमे जो बेचत हए, ज्ञान के ताहिँ कछु बिना पुछके बो खाए । \v 26 काहेकी पृथ्वी और बोमे भव सब चिज प्रभुक हए । \v 27 कोई अविश्वासी बोके पाटी खान खबर दैई तव जान इच्छ हए कहेसे तिर अग्गु जो धरदेहए: ज्ञान के ताहिँ कछु नाए पुछके खाबओ ।
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\v 25 बजारमे जो बिचत हए, ज्ञान के ताँहिँ कछु बिना पुछके बो खाए । \v 26 काहेकी पृथ्वी और बोमे भौ सब चिज प्रभुक हए । \v 27 कोई अविश्वासी बोके पाटी खान खबर दैई तौ जान इच्छ हए कहेसे तिर अग्गु जो धरदेहए: ज्ञान के ताँहिँ कछु ना पुछके खाबओ ।
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\v 28 28 "पर कोइ आदमी तोके ""जा त बलिमे चढओ भव हए"" कही त बतान बारेके ताहिँ और ज्ञानके ताहिँ, मत खाओ| " \v 29 29 तिर नाए, पर बोके ज्ञानके ताहिँ मिर स्वतन्त्रताको न्याय और ज्ञानसे कही हुइ हए? \v 30 30 अगर धन्यवाद दैके मए खात हौ, कहिके धन्यवाद दैके खओ भव पाटीके ताहिँ काहे मिर निन्दा होए?
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\v 28 "पर कोइ आदमी तोके ""जा त बलिमे चढओ भव हए"" कही त बतान बारेके ताहिँ और ज्ञानके ताहिँ, मत खाओ । " \v 29 तिर नाए, पर बोके ज्ञानके ताहिँ मिर स्वतन्त्रताको न्याय और ज्ञानसे कही हुइ हए ? \v 30 अगर धन्यवाद दैके मए खात हौ, कहिके धन्यवाद दैके खओ भव पाटीके ताँहिँ काहे मिर निन्दा होए?
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