From a8896f45979b50e969dc2e2ca2d042a7b3c5f71a Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Sun, 30 Jul 2023 17:31:09 +0545 Subject: [PATCH] Sun Jul 30 2023 17:31:08 GMT+0545 (Nepal Time) --- 15/40.txt | 2 +- 15/42.txt | 2 +- manifest.json | 1 + 3 files changed, 3 insertions(+), 2 deletions(-) diff --git a/15/40.txt b/15/40.txt index 711a3ed..9fb232e 100644 --- a/15/40.txt +++ b/15/40.txt @@ -1 +1 @@ -\v 40 तौ शरीर फिर स्वर्गीय और मट्टीको होत हए । स्वर्गीय शरीरको तेज एक किसिमको हए, और मट्टीको शरीरको तेज औरे किसिमको होतहए । \v 41 दिनको तेज एक किसिमको, जोनीको तेज दुसरे किसिमको, और ताराको तेज औरे किसिमको होत हए| काहेकी एक तारा औरो तारा से फरक तेजको होत हए । \ No newline at end of file +\v 40 तौ शरीर फिर स्वर्गीय और मट्टीको होत हए । स्वर्गीय शरीरको तेज एक किसिमको हए, और मट्टीको शरीरको तेज औरे किसिमको होतहए । \v 41 दिनको तेज एक किसिमको, जोनीको तेज दुसरे किसिमको, और ताराको तेज औरे किसिमको होत हए । काहेकी एक तारा औरो तारा से फरक तेजको होत हए । \ No newline at end of file diff --git a/15/42.txt b/15/42.txt index 42e814e..9613348 100644 --- a/15/42.txt +++ b/15/42.txt @@ -1 +1 @@ -\v 42 42 मरके पुनरुत्थान फिर अइसी हए| जौन शरीर विनाशमे गणत हए| बो अविनाशीमे जिन्दा होत हए| \v 43 43 अनादरमे बो गणत हए, महीमामे बो जिन्दा होत हए| दुर्बलतामे बो गणत हए,शक्तिमे बो जिन्दा होतहए| \v 44 44 प्राकृतिक शरीरमे बो गणत हए, आत्मिक शरीरमे बो जिन्दा होतहए| प्राकृतिक शरीर हए कहेसे आत्मिक शरीर फिर अवश्यक हए \ No newline at end of file +\v 42 मरके पुनरुत्थान फिर अइसी हए| जौन शरीर विनाशमे गणत हए| बो अविनाशीमे जिन्दा होत हए । \v 43 अनादरमे बो गणत हए, महीमामे बो जिन्दा होत हए| दुर्बलतामे बो गणत हए,शक्तिमे बो जिन्दा होतहए । \v 44 प्राकृतिक शरीरमे बो गणत हए, आत्मिक शरीरमे बो जिन्दा होतहए । प्राकृतिक शरीर हए कहेसे आत्मिक शरीर फिर अवश्यक हए । \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 5f02bfb..40c6c91 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -208,6 +208,7 @@ "15-33", "15-35", "15-37", + "15-40", "16-title" ] } \ No newline at end of file