Thu Jul 27 2023 16:20:16 GMT+0545 (Nepal Time)
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\v 7 \v 8 \v 9 7 बासुरी अथवा तन्दुरा जैसो निर्जीव बाजासे स्पस्ट आवाज नाए निकरहे कहेसे, कौन कहन सिकहे का बाज रहो हए? 8 अगर तुरहीको स्पस्ट आवाज नाए देतहए तव युध्दके ताहि कौन तयार हुइहए? 9 तुमरेसंग फिर अइसी हुइहए| अगर बुझन नाए सिकनबारो बोली तुम अपन जिभसे बुलहौ तव तुम का बोल रहेहौ कौन जानैगो? तुम त हावामे बोलो कताहुइहे|
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\v 7 7 बासुरी अथवा तन्दुरा जैसो निर्जीव बाजासे स्पस्ट आवाज नाए निकरहे कहेसे, कौन कहन सिकहे का बाज रहो हए? \v 8 8 अगर तुरहीको स्पस्ट आवाज नाए देतहए तव युध्दके ताहि कौन तयार हुइहए? \v 9 9 तुमरेसंग फिर अइसी हुइहए| अगर बुझन नाए सिकनबारो बोली तुम अपन जिभसे बुलहौ तव तुम का बोल रहेहौ कौन जानैगो? तुम त हावामे बोलो कताहुइहे|
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\v 10 \v 11 10 संसारमे शायद बहुत किसिमके भाषा हए| बे कोइ फिर अर्थहिन नैयाँ| 11 अगर बोलो भाषाको अर्थ मए बुझो नाए तव बोलके मोके का फाइदा बोलनबारेके ताहि मए विदेशी हुइजएहेओ
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\v 10 10 संसारमे शायद बहुत किसिमके भाषा हए| बे कोइ फिर अर्थहिन नैयाँ| \v 11 11 अगर बोलो भाषाको अर्थ मए बुझो नाए तव बोलके मोके का फाइदा बोलनबारेके ताहि मए विदेशी हुइजएहेओ
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\v 12 \v 13 \v 14 12 अइसी तुम फिर पवित्र आत्माको वरदानके ताहिँउत्कष्ट भए हौँ मण्डलीको निर्मणको काममे श्रेष्ठता हासिल करन प्रयत्न करओ| 13 जहेमारे अन्य भाषामे बोलनबारो बाको अर्थ खोलनके शक्तिके ताहि प्रार्थना करौ| 14 काहेकी मए अन्य भाषामे प्रार्थना करत मेरो आत्मा प्रार्थना करत हए, पर मिर दिमाकचाहिँ काम नाए करत हए|
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\v 12 12 अइसी तुम फिर पवित्र आत्माको वरदानके ताहिँउत्कष्ट भए हौँ मण्डलीको निर्मणको काममे श्रेष्ठता हासिल करन प्रयत्न करओ| \v 13 13 जहेमारे अन्य भाषामे बोलनबारो बाको अर्थ खोलनके शक्तिके ताहि प्रार्थना करौ| \v 14 14 काहेकी मए अन्य भाषामे प्रार्थना करत मेरो आत्मा प्रार्थना करत हए, पर मिर दिमाकचाहिँ काम नाए करत हए|
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\v 15 \v 16 15 अब मए का करै त? मए आत्मामे प्रार्थना करत हौ, और दिमाकसे फिर प्रार्थना करत हौ| आत्मामे स्तुति करहौ, और मए दिमाकमे फिर स्तुति करत हौ| 16 तुम आत्मामे परमेश्वरको प्रशंसा करत बुझ्न नाए सिकनबारो बाहिरको आदमी तुमरो धन्यवादको प्रार्थना पिच्छु “आमेन” कैसे कतहए? जब कि तुम का कहे सो बे नबुझत हए|
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\v 15 15 अब मए का करै त? मए आत्मामे प्रार्थना करत हौ, और दिमाकसे फिर प्रार्थना करत हौ| आत्मामे स्तुति करहौ, और मए दिमाकमे फिर स्तुति करत हौ| \v 16 16 तुम आत्मामे परमेश्वरको प्रशंसा करत बुझ्न नाए सिकनबारो बाहिरको आदमी तुमरो धन्यवादको प्रार्थना पिच्छु “आमेन” कैसे कतहए? जब कि तुम का कहे सो बे नबुझत हए|
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\v 17 \v 18 \v 19 17 तुम त आच्छोसे धन्यवाद देहौ, पर बो दुसरे आदमीके कोइ आत्मिक वृध्दि नाए कर हए| 18 मए परमेश्वरके धन्यवाद चढ़ात हौ, काहेकी तुम सब से जद्धा मए अन्य भाषामे बोलत हौ| 19 तहुफिर मण्डलीमे अन्य भाषामे दश हजार बोली बोलनसे त अपन दिमाकसे पाँच बोली औरनके शिक्षा देन हेतुसे मए बोलन चाहत हौ|
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\v 17 17 तुम त आच्छोसे धन्यवाद देहौ, पर बो दुसरे आदमीके कोइ आत्मिक वृध्दि नाए कर हए| \v 18 18 मए परमेश्वरके धन्यवाद चढ़ात हौ, काहेकी तुम सब से जद्धा मए अन्य भाषामे बोलत हौ| \v 19 19 तहुफिर मण्डलीमे अन्य भाषामे दश हजार बोली बोलनसे त अपन दिमाकसे पाँच बोली औरनके शिक्षा देन हेतुसे मए बोलन चाहत हौ|
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\v 20 \v 21 20 भैया तुम, सोच- विचारमे बालक मत बनओ| खराबीके ताहि बालक बनओ, पर सोच- विचारमे परिपक्का बनओ| 21 व्यवस्थामे लिखो हए, अनौठो भाषा बोलनबारे आदमीसे और विदेशीके ओठसे जा आदमी बोलत हए, और फिर बे मेरो बात सुनत नैयाँ, परमप्रभु कहत हए
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\v 20 20 भैया तुम, सोच- विचारमे बालक मत बनओ| खराबीके ताहि बालक बनओ, पर सोच- विचारमे परिपक्का बनओ| \v 21 21 व्यवस्थामे लिखो हए, अनौठो भाषा बोलनबारे आदमीसे और विदेशीके ओठसे जा आदमी बोलत हए, और फिर बे मेरो बात सुनत नैयाँ, परमप्रभु कहत हए
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\v 22 \v 23 22 जहेमारे अन्य भाषा विश्वासीके ताहि नैयाँ, पर अविश्वासीके ताहि चिन्हा हए पर अगमवाणीचाहिँ अविश्वासीके ताहि नैयाँ पर विश्वासीके ताहि हए| 23 अगर जम्मए मण्डली इकठ्ठा हुइके हरेक अन्य भाषामे बुलहए कहेसे, और विश्वास नकरनबारे आदमी और नाए बुझ हए तव हुवाँ आए भए तुमके पागल नाए बतए हए का?
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\v 22 22 जहेमारे अन्य भाषा विश्वासीके ताहि नैयाँ, पर अविश्वासीके ताहि चिन्हा हए पर अगमवाणीचाहिँ अविश्वासीके ताहि नैयाँ पर विश्वासीके ताहि हए| \v 23 23 अगर जम्मए मण्डली इकठ्ठा हुइके हरेक अन्य भाषामे बुलहए कहेसे, और विश्वास नकरनबारे आदमी और नाए बुझ हए तव हुवाँ आए भए तुमके पागल नाए बतए हए का?
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\v 24 \v 25 24 तव सब अगमवाणी कहत बेरा कोइ अविश्वासी अथवा बाहिरको आदमी हुवाँ घुसी गओ तव सब से अग्गु अपनो पापको बोध हुइहए, और सबसे बो जँचैगो| 25 "बाकि हृदयकि लुकी बात प्रकट हुइहए, और घुप्टाएके बो परमेश्वरके पुज हए, और बो ""परमेश्वर तुमके विचमे हए"" करके घोषण करत हए|"
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\v 24 24 तव सब अगमवाणी कहत बेरा कोइ अविश्वासी अथवा बाहिरको आदमी हुवाँ घुसी गओ तव सब से अग्गु अपनो पापको बोध हुइहए, और सबसे बो जँचैगो| \v 25 25 "बाकि हृदयकि लुकी बात प्रकट हुइहए, और घुप्टाएके बो परमेश्वरके पुज हए, और बो ""परमेश्वर तुमके विचमे हए"" करके घोषण करत हए|"
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\v 26 \v 27 \v 28 26 भैया तुम, अब हम का कहए? तुम एक ठिन इकठ्ठा होत हरेकसंग भजन और शिक्षा, प्रकाश, अन्य भाषा और अर्थ खोलाई होत हए| जा सब बात आत्मिक वृध्दिके ताहि हए| 27 कोइ अन्य भाषा बोलत हए तव दुई जनै इकल्लो ज़द्धामे तिन जनै पालो पालोसंग बोलए और एक जनै बाको अर्थ खोलए| 28 अर्थ खोलनबारो हुवाँ कोइ नैयाँ तव बोलनबारो मण्डलीके सभामे चूप रहए, और बो अपनएसंग और परमेश्वरसंग बोलए|
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\v 26 26 भैया तुम, अब हम का कहए? तुम एक ठिन इकठ्ठा होत हरेकसंग भजन और शिक्षा, प्रकाश, अन्य भाषा और अर्थ खोलाई होत हए| जा सब बात आत्मिक वृध्दिके ताहि हए| \v 27 27 कोइ अन्य भाषा बोलत हए तव दुई जनै इकल्लो ज़द्धामे तिन जनै पालो पालोसंग बोलए और एक जनै बाको अर्थ खोलए| \v 28 28 अर्थ खोलनबारो हुवाँ कोइ नैयाँ तव बोलनबारो मण्डलीके सभामे चूप रहए, और बो अपनएसंग और परमेश्वरसंग बोलए|
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\v 29 \v 30 29 अगमवाणी बोलनचाहिँ दुई या तिन जनै होमए और बिनको बोलि भई बातके अच्छेसे जाँच करए| 30 पर हुवाँ बैठनबारे कोइ एक जनैके प्रकाश आओ तव पहिले वक्ताचाहिँ चूप रहबए|
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\v 29 29 अगमवाणी बोलनचाहिँ दुई या तिन जनै होमए और बिनको बोलि भई बातके अच्छेसे जाँच करए| \v 30 30 पर हुवाँ बैठनबारे कोइ एक जनैके प्रकाश आओ तव पहिले वक्ताचाहिँ चूप रहबए|
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\v 31 \v 32 \v 33 31 तुम सब पालो पालोसंग अगमवाणी बोल सक्त हए, और अइसी सबसे सिक्न सक्तहौ और सबके उत्साह पाए सक्तहौ| 32 अगमवक्ताके आत्मा अगमवक्ताके अधीनमे होत हए| 33 काहेकी परमेश्वर गोलमालको परमेश्वर नैयाँ पर शन्तिको परमेश्वर हए| सन्त सबै मण्डलीमे भव प्रार्थना अनुसार,
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\v 31 31 तुम सब पालो पालोसंग अगमवाणी बोल सक्त हए, और अइसी सबसे सिक्न सक्तहौ और सबके उत्साह पाए सक्तहौ| \v 32 32 अगमवक्ताके आत्मा अगमवक्ताके अधीनमे होत हए| \v 33 33 काहेकी परमेश्वर गोलमालको परमेश्वर नैयाँ पर शन्तिको परमेश्वर हए| सन्त सबै मण्डलीमे भव प्रार्थना अनुसार,
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\v 34 \v 35 \v 36 34 बैयर मण्डलीको सभामे चूपचाप रहमै| बिनके बोलनके अनुमति नैयाँ, पर व्यवस्था कही अनुसार बे अधिनमे रहमए| 35 कोइ चिजके बारेमे पुछन चाहत हए तव घरमे अपन-अपन लोगाके पुछए| काहेकी मण्डलीमे बैयरके बोलानो शर्मकि बात हए| 36 का परमेश्वर वचन तुमसे सुरु भव हए? अथवा का तुमरेठीन इकल्लो आओ हए?
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\v 34 34 बैयर मण्डलीको सभामे चूपचाप रहमै| बिनके बोलनके अनुमति नैयाँ, पर व्यवस्था कही अनुसार बे अधिनमे रहमए| \v 35 35 कोइ चिजके बारेमे पुछन चाहत हए तव घरमे अपन-अपन लोगाके पुछए| काहेकी मण्डलीमे बैयरके बोलानो शर्मकि बात हए| \v 36 36 का परमेश्वर वचन तुमसे सुरु भव हए? अथवा का तुमरेठीन इकल्लो आओ हए?
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