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\v 22 \v 23 22 काहेकी जैसी आदममे सब मरे हए, अइसी करके ख्रीष्टमे सब जिन्दा हुइहए| 23 पर हरेक अपनो-अपनो क्रमअनुसार- ख्रीष्टचाहिँ अगौटे फल, पिच्छु बाको पुनरागमनमे ख्रीष्ट अपनै|
\v 22 22 काहेकी जैसी आदममे सब मरे हए, अइसी करके ख्रीष्टमे सब जिन्दा हुइहए| \v 23 23 पर हरेक अपनो-अपनो क्रमअनुसार- ख्रीष्टचाहिँ अगौटे फल, पिच्छु बाको पुनरागमनमे ख्रीष्ट अपनै|

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\v 24 \v 25 \v 26 24 तव अन्तमे आए हए, जब बाको हरेक शासन, हरेक अख्तियार और शक्ति नष्ट पारके परमेश्वर, अथवा पिताको राज्य सौपदेहए| 25 काहेकी बो अपन सारा शत्रुके अपन पाओ तरे नाएकरनतक बो राज्य करन पणौगो| 26 सबसे पिच्छु नष्ट करनबारो मृत्यु हए|
\v 24 24 तव अन्तमे आए हए, जब बाको हरेक शासन, हरेक अख्तियार और शक्ति नष्ट पारके परमेश्वर, अथवा पिताको राज्य सौपदेहए| \v 25 25 काहेकी बो अपन सारा शत्रुके अपन पाओ तरे नाएकरनतक बो राज्य करन पणौगो| \v 26 26 सबसे पिच्छु नष्ट करनबारो मृत्यु हए|

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\v 27 \v 28 27 "काहेकी परमेश्वर सबै बात बाके पाउतरे अधिनमे धरीहए|” पर जा त स्पष्ट हए, कि ""सबै बात बाके अधिनमे धरीहए"" जहेमारे परमेश्वर अपनए जा अधिनमे नाएहए, जो सब बात ख्रीष्टको अधिनमे धरदै हए| " 28 जब सब बात बाके अधिनमे लातहए, तव स्वयम पुत्र बाको अधिनमे होतहए, जो सब चिज बाके अधिनमे धरत हए, ताकि परमेश्वर नाए सब चिज सर्वेसर्वा होबए
\v 27 27 "काहेकी परमेश्वर सबै बात बाके पाउतरे अधिनमे धरीहए|” पर जा त स्पष्ट हए, कि ""सबै बात बाके अधिनमे धरीहए"" जहेमारे परमेश्वर अपनए जा अधिनमे नाएहए, जो सब बात ख्रीष्टको अधिनमे धरदै हए| " \v 28 28 जब सब बात बाके अधिनमे लातहए, तव स्वयम पुत्र बाको अधिनमे होतहए, जो सब चिज बाके अधिनमे धरत हए, ताकि परमेश्वर नाए सब चिज सर्वेसर्वा होबए

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\v 29 \v 30 29 नत मरेभएके ताहि बप्तिस्मा लाओको अर्थ का भव? मरेभए जिन्दा नाए हुईके फिर त बिनके ताहि आदमी काहे बप्तिस्मा लेतहए? 30 मए काहे हरघड़ी जोखिममे पणतहओ|
\v 29 29 नत मरेभएके ताहि बप्तिस्मा लाओको अर्थ का भव? मरेभए जिन्दा नाए हुईके फिर त बिनके ताहि आदमी काहे बप्तिस्मा लेतहए? \v 30 30 मए काहे हरघड़ी जोखिममे पणतहओ|

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\v 31 \v 32 31 भैया तुम, हमर प्रभु येशूमे तुमर करन मए गर्व करत हौ, और मए कहन सिक्त हौ, कि प्रत्येक दिन मए मरत हौ| 32 आदमीको बात करन हए कहेसे, एफिससमे जङ्गली जनावरसंग मिर लड़ाईके मोके का फाइदा भव? मरोभव जिन्दा नाए हुईतो तव, “हम खामै और पितए, काहेकी कल त हम मरजए हए|”
\v 31 31 भैया तुम, हमर प्रभु येशूमे तुमर करन मए गर्व करत हौ, और मए कहन सिक्त हौ, कि प्रत्येक दिन मए मरत हौ| \v 32 32 आदमीको बात करन हए कहेसे, एफिससमे जङ्गली जनावरसंग मिर लड़ाईके मोके का फाइदा भव? मरोभव जिन्दा नाए हुईतो तव, “हम खामै और पितए, काहेकी कल त हम मरजए हए|”

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\v 33 \v 34 33 भ्रममे मत पणओ| खराब सङ्गतसे अच्छो चरित्रके नष्ट करत हए| 34 होशमे होबौ, अब पाप मत करौ| काहेकी कित्तोके त परमेश्वरको ज्ञान नैयाँ| तुमके लाजमे पारन मए जा कहो हौ
\v 33 33 भ्रममे मत पणओ| खराब सङ्गतसे अच्छो चरित्रके नष्ट करत हए| \v 34 34 होशमे होबौ, अब पाप मत करौ| काहेकी कित्तोके त परमेश्वरको ज्ञान नैयाँ| तुमके लाजमे पारन मए जा कहो हौ

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\v 35 \v 36 35 "पर कोइ पुछैगो ""मरो भव कैसे जिन्दा होत हए, और बे कैसो प्रकारको शरीर लैके आतहए?” " 36 ए मूर्ख! जो तुम लगातहौ बो ना मरके सजीव नाए होत हए|
\v 35 35 "पर कोइ पुछैगो ""मरो भव कैसे जिन्दा होत हए, और बे कैसो प्रकारको शरीर लैके आतहए?” " \v 36 36 ए मूर्ख! जो तुम लगातहौ बो ना मरके सजीव नाए होत हए|

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\v 37 \v 38 \v 39 37 जो तुम लगात हौ बो चाहिँ पच्छु होनबारी शरीर नैयाँ, पर बीज इकल्लो लगात हौ, चाहे बो गेहूँ, अथवा और कोइ किसिमको अन्न होबए| 38 पर अपनके खुशी लागोजैसो परमेश्वर बोके एक शरीर देतहए, और हरेक किसिमको बीजके बहेको शरीर देतहए| 39 सबै शरीर एक किसिमको नाए होत हए| आदमीको शरीर एक किसिमको, और जीवजन्तुको दुसरो किसिमको, चिरैयाको औरे किसिमको, और मछ्रीको औरे किसिमको शरीर हए|
\v 37 37 जो तुम लगात हौ बो चाहिँ पच्छु होनबारी शरीर नैयाँ, पर बीज इकल्लो लगात हौ, चाहे बो गेहूँ, अथवा और कोइ किसिमको अन्न होबए| \v 38 38 पर अपनके खुशी लागोजैसो परमेश्वर बोके एक शरीर देतहए, और हरेक किसिमको बीजके बहेको शरीर देतहए| \v 39 39 सबै शरीर एक किसिमको नाए होत हए| आदमीको शरीर एक किसिमको, और जीवजन्तुको दुसरो किसिमको, चिरैयाको औरे किसिमको, और मछ्रीको औरे किसिमको शरीर हए|

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\v 40 \v 41 40 तव शरीर फिर स्वर्गीय और मट्टीको होत हए| स्वर्गीय शरीरको तेज एक किसिमको हए, और मट्टीको शरीरको तेज औरे किसिमको होतहए| 41 दिनको तेज एक किसिमको, जोनीको तेज दुसरे किसिमको, और ताराको तेज औरे किसिमको होत हए| काहेकी एक तारा औरो तारा से फरक तेजको होत हए|
\v 40 40 तव शरीर फिर स्वर्गीय और मट्टीको होत हए| स्वर्गीय शरीरको तेज एक किसिमको हए, और मट्टीको शरीरको तेज औरे किसिमको होतहए| \v 41 41 दिनको तेज एक किसिमको, जोनीको तेज दुसरे किसिमको, और ताराको तेज औरे किसिमको होत हए| काहेकी एक तारा औरो तारा से फरक तेजको होत हए|

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\v 42 \v 43 \v 44 42 मरके पुनरुत्थान फिर अइसी हए| जौन शरीर विनाशमे गणत हए| बो अविनाशीमे जिन्दा होत हए| 43 अनादरमे बो गणत हए, महीमामे बो जिन्दा होत हए| दुर्बलतामे बो गणत हए,शक्तिमे बो जिन्दा होतहए| 44 प्राकृतिक शरीरमे बो गणत हए, आत्मिक शरीरमे बो जिन्दा होतहए| प्राकृतिक शरीर हए कहेसे आत्मिक शरीर फिर अवश्यक हए
\v 42 42 मरके पुनरुत्थान फिर अइसी हए| जौन शरीर विनाशमे गणत हए| बो अविनाशीमे जिन्दा होत हए| \v 43 43 अनादरमे बो गणत हए, महीमामे बो जिन्दा होत हए| दुर्बलतामे बो गणत हए,शक्तिमे बो जिन्दा होतहए| \v 44 44 प्राकृतिक शरीरमे बो गणत हए, आत्मिक शरीरमे बो जिन्दा होतहए| प्राकृतिक शरीर हए कहेसे आत्मिक शरीर फिर अवश्यक हए

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\v 45 \v 46 45 जहेमारे अइसो लिखो हए, “पहिलो आदमी आदम जीवित प्राणी भव|” अन्तिमे आदम जीवन देनबारो आत्मा भव| 46 पहिलो आत्मिक नैयाँ, पर प्राकृतिक हए, और पिच्छुबारो आत्मिक रहए|
\v 45 45 जहेमारे अइसो लिखो हए, “पहिलो आदमी आदम जीवित प्राणी भव|” अन्तिमे आदम जीवन देनबारो आत्मा भव| \v 46 46 पहिलो आत्मिक नैयाँ, पर प्राकृतिक हए, और पिच्छुबारो आत्मिक रहए|

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\v 47 \v 48 \v 49 47 पहिलो आदमी मट्टीसे बानो रहए, पृथ्वीसे हए| दुसरो आदमी स्वर्गको हए| 48 मट्टीसे बानो आदमीजैसो रहए, मट्टीसे बने फिर अइसी होतहए, और स्वर्गीय आदमी जैसे हए, स्वर्गके फिर अइसी होतहए| 49 जैसी हम मट्टीको आदमीको रूप धारन करेहए| अइसी स्वर्गके आदमीके रुप धारण कर हए|
\v 47 47 पहिलो आदमी मट्टीसे बानो रहए, पृथ्वीसे हए| दुसरो आदमी स्वर्गको हए| \v 48 48 मट्टीसे बानो आदमीजैसो रहए, मट्टीसे बने फिर अइसी होतहए, और स्वर्गीय आदमी जैसे हए, स्वर्गके फिर अइसी होतहए| \v 49 49 जैसी हम मट्टीको आदमीको रूप धारन करेहए| अइसी स्वर्गके आदमीके रुप धारण कर हए|

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\v 50 \v 51 50 अब भैया तुम, मए तुमके जा कहत हौ, मासु और रगत स्वर्गको राज्यको हकदार होन नाएपए हए, नत विनाश अविनाशको हकदार हुइपए हए| 51 देखओ, मए तुमसे एक रहस्य कहत हौँ हम सब नाएसुन्त हए, पर हम सबको परिवर्तन होबैगो
\v 50 50 अब भैया तुम, मए तुमके जा कहत हौ, मासु और रगत स्वर्गको राज्यको हकदार होन नाएपए हए, नत विनाश अविनाशको हकदार हुइपए हए| \v 51 51 देखओ, मए तुमसे एक रहस्य कहत हौँ हम सब नाएसुन्त हए, पर हम सबको परिवर्तन होबैगो

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\v 52 \v 53 52 एकछिनमे, आँखीको एक टिमकनमे, तुरहीको आवाजमे काहेकी, तुरही बजहए, और मरेभए अविनाशी हुइके जिन्दा हुइहए| और हमरो परिवर्तन हुइहए| 53 काहेकी जा विनाशी स्वभाव अविनाशी, और जा मरनबारो शरीर अमरत्व धारन करन पणैगो|
\v 52 52 एकछिनमे, आँखीको एक टिमकनमे, तुरहीको आवाजमे काहेकी, तुरही बजहए, और मरेभए अविनाशी हुइके जिन्दा हुइहए| और हमरो परिवर्तन हुइहए| \v 53 53 काहेकी जा विनाशी स्वभाव अविनाशी, और जा मरनबारो शरीर अमरत्व धारन करन पणैगो|