From 5167cc503440cdc577b83f2eae5dc87d0d7c70ff Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Sun, 30 Jul 2023 17:21:09 +0545 Subject: [PATCH] Sun Jul 30 2023 17:21:08 GMT+0545 (Nepal Time) --- 15/35.txt | 2 +- 15/37.txt | 2 +- manifest.json | 1 + 3 files changed, 3 insertions(+), 2 deletions(-) diff --git a/15/35.txt b/15/35.txt index ee54fad..d0dcae1 100644 --- a/15/35.txt +++ b/15/35.txt @@ -1 +1 @@ -\v 35 "पर कोइ पुछैगो ""मरो भव कैसे जिन्दा हुई हए? और बे कैसो प्रकारको शरीर लैके आतहँए?” \v 36 तुम कित्तो अन्जान हौ! जो लगतजो तुम लगातहौ बो ना मरके सजीव ना होत हए । \ No newline at end of file +\v 35 "पर कोइ पुछैगो ""मरो भव कैसे जिन्दा हुई हए? और बे कैसो प्रकारको शरीर लैके आतहँए?” \v 36 तुम कित्तो अन्जान हौ! जो लगात हौ बा नमरन तक ना जमत हए । \ No newline at end of file diff --git a/15/37.txt b/15/37.txt index c905303..7ad8110 100644 --- a/15/37.txt +++ b/15/37.txt @@ -1 +1 @@ -\v 37 37 जो तुम लगात हौ बो चाहिँ पच्छु होनबारी शरीर नैयाँ, पर बीज इकल्लो लगात हौ, चाहे बो गेहूँ, अथवा और कोइ किसिमको अन्न होबए| \v 38 38 पर अपनके खुशी लागोजैसो परमेश्वर बोके एक शरीर देतहए, और हरेक किसिमको बीजके बहेको शरीर देतहए| \v 39 39 सबै शरीर एक किसिमको नाए होत हए| आदमीको शरीर एक किसिमको, और जीवजन्तुको दुसरो किसिमको, चिरैयाको औरे किसिमको, और मछ्रीको औरे किसिमको शरीर हए| \ No newline at end of file +\v 37 जो तुम लगात हौ बो चाहिँ पच्छु होनबारी शरीर नैयाँ, पर बीज इकल्लो लगात हौ, चाहे बो गेहूँ, अथवा और कोइ किसिमको अन्न होबए। \v 38 पर अपनके खुशी लागोजैसो परमेश्वर बोके एक शरीर देतहए, और हरेक किसिमको बीजके बहेको शरीर देतहए । \v 39 सबै शरीर एक किसिमको नाए होत हए| आदमीको शरीर एक किसिमको, और जीवजन्तुको दुसरो किसिमको, चिरैयाको औरे किसिमको, और मछ्रीको औरे किसिमको शरीर हए । \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index cf9ca48..c977f17 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -206,6 +206,7 @@ "15-29", "15-31", "15-33", + "15-35", "16-title" ] } \ No newline at end of file