From 253edfe08d3896f4bdc3f0f26583d418d1065052 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Fri, 28 Jul 2023 21:14:21 +0545 Subject: [PATCH] Fri Jul 28 2023 21:14:21 GMT+0545 (Nepal Time) --- 07/17.txt | 2 +- 07/20.txt | 2 +- manifest.json | 1 + 3 files changed, 3 insertions(+), 2 deletions(-) diff --git a/07/17.txt b/07/17.txt index 5414748..94277eb 100644 --- a/07/17.txt +++ b/07/17.txt @@ -1 +1 @@ -\v 17 प्रभु सबके जैसो जीवन खटाई हए, और जैसो स्थितिमे बुलाई हए, बहेहानी बो नेगए । सब मण्डलीके ताँही मेरो नियम जहे हए । \v 18 का कोई आदमीके बोलावट होनसे बो अग्गुसे खतना भव रहए ? अइसी हए कहेसे बो बेखतना होन ना खोजए । का कोई खतना नहोत बोलावट भव हए ? अइसो हए कहेसे बो खतना ना करए । \v 19 19 खतना कुछु नैयाँ, बेखतना फिर कुछु नैयाँ, पर परमेश्वरको आज्ञापालन मुख्य बात हए । \ No newline at end of file +\v 17 प्रभु सबके जैसो जीवन खटाई हए, और जैसो स्थितिमे बुलाई हए, बहेहानी बो नेगए । सब मण्डलीके ताँही मेरो नियम जहे हए । \v 18 का कोई आदमीके बोलावट होनसे बो अग्गुसे खतना भव रहए ? अइसी हए कहेसे बो बेखतना होन ना खोजए । का कोई खतना नहोत बोलावट भव हए ? अइसो हए कहेसे बो खतना ना करए । \v 19 खतना कुछु नैयाँ, बेखतना फिर कुछु नैयाँ, पर परमेश्वरको आज्ञापालन मुख्य बात हए । \ No newline at end of file diff --git a/07/20.txt b/07/20.txt index f89acfa..52b1b82 100644 --- a/07/20.txt +++ b/07/20.txt @@ -1 +1 @@ -\v 20 20 जैन अवस्थामे आदमीके बोलावट भव हए, बहेमे नै हरेक आदमी रहो रहबए| \v 21 21 तुमर बोलावट होतपेती तुम कमैया रहौ? अगर रहौ कहेसे बाको वास्ता मतकरौ, पर स्वतन्त्र होन सिकैगे कहेसे बाको फाईदा उठाबै| \v 22 22 कहिके प्रभुमे बोलावट होतपेती जौन आदमी कमैया रहए, अब बो प्रभुके स्वतन्त्र आदमी भव हए| अइसी करके बोलावट भव समयमे जो आदमी स्वतन्त्र रहए, बो ख्रीष्टको कमैया भव हए| \v 23 23 तुम मोल तिरके किनेभए हौ, आदमीको कमैया नाए बनए| \v 24 24 जहेमरे भैया हो, जौनके जैसो अवस्थामे बोलावट भव हए, प्रत्येक बहे अस्थामे परमेश्वरसंग रहबै \ No newline at end of file +\v 20 जैन अवस्थामे आदमीके बोलावट भव हए, बहेमे नै हरेक आदमी रहो रहबए । \v 21 तुमर बोलावट होतपेती तुम कमैया रहौ? अगर रहौ कहेसे बाको वास्ता मतकरौ, पर स्वतन्त्र होन सिकैगे कहेसे बाको फाईदा उठाबै । \v 22 कहिके प्रभुमे बोलावट होतपेती जौन आदमी कमैया रहए, अब बो प्रभुके स्वतन्त्र आदमी भव हए । अइसी करके बोलावट भव समयमे जो आदमी स्वतन्त्र रहए, बो ख्रीष्टको कमैया भव हए । \v 23 तुम मोल तिरके किनेभए हौ, आदमीको कमैया नाए बनए । \v 24 जहेमरे भैया हो, जौनके जैसो अवस्थामे बोलावट भव हए, प्रत्येक बहे अस्थामे परमेश्वरसंग रहबै । \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 90d8903..50cac05 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -105,6 +105,7 @@ "07-10", "07-12", "07-15", + "07-17", "09-title", "10-title", "11-title",