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\v 7 तुमर एक दुसरेके विरुध्दमे लडन कहेत त तुमर हार हए । बरु अन्याय काहे ना सहमैँ? बरु काहे ठगके ना बैठएँ ? \v 8 पर तुमही त अन्याय करतहओ और ठगतहौ, बो फिर अपनी भैयाके !