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LICENSE.md Normal file
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# License
This work is a translation of unfoldingWord® Open Bible Stories. The original work by unfoldingWord is available from [https://openbiblestories.org](https://openbiblestories.org).
This work is made available under the Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License. To view a copy of this license, visit http://creativecommons.org/licenses/by-sa/4.0/ or send a letter to Creative Commons, PO Box 1866, Mountain View, CA 94042, USA.
If you would like to notify unfoldingWord regarding your translation of this work, please contact us at [https://unfoldingword.org/contact/](https://unfoldingword.org/contact/).
Attribution of artwork: All images used in these stories are © Sweet Publishing ([www.sweetpublishing.com](http://www.sweetpublishing.com)) and are made available under a Creative Commons Attribution-Share Alike License ([http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0](http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0)).

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# Open Bible Stories*बगैर रोक वाली बसरी छोटी बाइबिल किसी भी ज़बान में *
## सादा तोर से बयान शुदा
Open Bible Stories (OBS) पैदाइश से लेकर मुकाश्फ़ा तक मनादी और शागिर्दगी के लिए बाइबिल की 50 खास कहानियां हैं जो किताबी मज़मून , ऑडियो , विडियो , और किसी भी मोबाइल फ़ोन पर ,किसी भी ज़बान में मुफ़्त में मौजूद है -
Open Bible Stories को [unfolding Word](https://unfoldingword.org/) and the [Door43 वर्ल्ड मिशनस कम्यूनिटी](https://door43.org). के ज़रिये तकमील तक पहुंचाया(बढ़ाया गया)गया है -तश्रीहात या मिसालें हैं ©[Sweet Publishing](http;//www.sweetpublishing.com/)और मुकम्मल प्रोजेक्ट --- किताबी मज़मून और तम्सीलें ज़ेल के वेब साईट के मातहत दस्तियाब कराई गयी हैं [Creative Commons Attribution-Share Alike 4.0 International
License](), देखें [LICENSE.md](master/LICENSE.md) मज़ीद मालूमात के लिए फ़ाइल -
## ज़राय
बिल्डिंग ब्लॉक्स के लिए ज़ेल में कुछ डाउनलोड लिंक्स दिए गए हैं जो OBS के लिए हैं अगर आप उन्हें अपने प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल करना चाहें तो कर सकते हैं -सरकारी तोर से जो तर्जुमा मुन्तक़ल किया गया है उसको ज़ेल के वेबसाइट से जांच करनी होगी
[Open Bible Stories website](https://openbiblestories.org/).
### तस्वीरें
* [दरमियानी तजवीज़] (
Images-360px, about 35 MB).*[ऊंची तजवीज़] (
2160px.zip) (2160px, about 755 MB). *[परती ज़रिया तस्वीरें] ()
(PSD files, about 62.2 GB)
### ऑडियो रिकॉर्डिंग
*[अदना दर्जे का]
(
En_obs_32kbps.zip) (32kbps, about 39 MB)*[दरमियानी दर्जे का]
( /obs/v4/64kbps/en_obs_64kbpszip)
(64kbps,about 78MB)*[ऊँचे दर्जे का]
(
En_obs_128kbps-zip) (128kbps,about149MB)
### विडियो क्लिप्स
*[दरमियानी तजवीज़] (
/sh81z2b791Ihbx2vg/AADsxEluQ6MoGGWEp
195j9Hua?dl=0)(360p,about2.2GB)
*[ऊँची तजवीज़] (
1umtgcx4ydlflzw/AADkntd65s7yt03BBYHV1Ssla?dl=0)(1080p,about 15.4GB)
तमाम अंग्रेजी विडियोस को आप [यू टयुब] में भी देख सकते हैं ( list?=
PLa3fZSWwn6BAOeElhj1_xosy6P3nMelb).
### किताबी मज़मून का ज़रिया
हम सिफ़ारिश करते हैं कि आप OBS का तर्जुमा करने के लिए [translation Studio] का इस्तेमाल करें ( तरह आपिस रहने कि जगह को शाख़ें भी बना सकते हैं या एक ज़िप को डाउनलोड भी कर सकते हैं जो नए तर्जुमे के मुहाफ़िज़ खाने में है
( 43 .org/unfoldingWord/en_obs/releases)page.
### तालुक रखने वाले ज़राए
हो सकता है कि आप ज़ेल के तर्जुमों कि मदद के ज़राए में दिलचस्पी रखते हों :
*[OBS
translationNotes](https://git.door43.org/
unfoldingWord/en_obs-tn)*[OBS
तर्जुमे के सवालात]
unfoldingWord/en_obs-tq)*
[तर्जूमे के अलफ़ाज़](
/en_tw)
*
[तर्जुमे की दरसगाह] (
unfoldingWord/en_ta)
या ,आप ज़ेल के मुताला में मदद करने वाले ज़राए में दिलचस्पी रखते हों :
*[OBSमुताला के नोट्स]
(
-sn)*[OBSमुताला के सवालात]
( .org/unfoldingWord/en_ob
s-sq)
## नई हालत तक ले आना
यह हिस्सा बयान करता है कि किस तरह ओपन बाइबिल स्टोरीज़ के पुराने तर्जुमे को नई हालत के तर्जुमे में ले आया जा सकता है -
### ओपन बाइबिल स्टोरीज़ के तर्जुमे की पहचान करें -
कई एक ज़बान के तबादले हैं जिन के तादाद की फ़े हरिस्त बनी है -अगर तर्जुमे का नंबर दस्तियाब नहीं है तो यह पाता लगाना कि कौनसा तर्जुमा एक ज़बान का तबादला था जो उस कि अहमियत के बिना पर था -
यह पता लगाने के लिए कि कौनसे तेर्जुमे से एक ख़ास ज़बान का तबादला था -इसे आप ज़ेल के तरीके से करें :
*कहानी नंबर 45 -को जांचें -अगर यह फिलिप्पुस के रथ को देखने पर ख़त्म होता है तो ज़बान का तबादला तर्जुमा नं 2 .x .से किया गया है -और अगर यह वहां ख़त्म होता है कि ,”इथोपिया का वज़ीर मुस्कराता हुआ चला गया “-तो इस सूरत में दूसरी क़दम पर जाएं - इसी तरह 06 -02. के फ्रेम को जांचें -अगर तर्ज़ -ए-बयान या मुहावरा “उस मुल्क के लिए जहाँ अब्रहाम के रिश्तेदार रहते थे “अगर इसे शामिल नहीं किया गया है तो इसे 2.x .के तर्जुमे से ज़बान का तबादला किया गया है -अगर यह जोड़ा गया है तो फिर कम अज़ कम 3.X.के तर्जुमे से ज़बान का तबादला किया गया है (इसी तरह फ्रेम नं 09 -06 को भी जांचें -अगर “ताकि उसे मरने से बचाए “अगर यह जोड़ा गया तो ,यह कम अज़ कम 3.x.के तर्जुमे से ज़बान का तबादला किया गया है)- अगर आपको अभी भी यकीन नहीं है तो हम ने तर्जुमों के दरमियान तमाम बदलाव के एक मुकम्मल नथी की हुई चीज़ तैयार की है [Version 1.x]( मौजूदा तर्जुमा - बदलाव के इस फरिस्त से अपने ज़बान के तबादले का मवाज़िना करें ताकि आप फ़ैसला करें कि आप के ज़बान के तबादले का कौनसा तर्जुमा किस से किया गया था - नोट : तमाम किताबी मज़मून जिन को हरे रंग से रोश्नास किया गया है वह जोड़ा गया है -किताबी मज़मून जिन्हें पीले रंग से रोशनस किया गया है वह बदला गया है - और किताबी मज़मून जिन्हें लाल रंग से रोश्नास किया गया है उन्हें मिटाया या ख़ारिज किया गया है -सिर्फ वह फ्रेम जोबदले गए हैं इन फह्रिस्तों में शामिल किये गए हैं -
### ओपन बाइबिल स्टोरीज़ के मौजूदा तर्जुमे को नई हालत में ले आएं -
एक बार जब आपपहचान करेंगे कि ओपन बाइबिल स्टोरीज़ के कौनसे तर्जुमे आपकी ज़बान में तबदील किये गए हैं तो आपको मौजूदा तर्जुमों को नई हालत तक लाने की ज़रूरत है - नई हालत तकले आने के के तरीके में सादा तोर से मदद करने के लिए हम ने तमाम बदलाव के चेंज लॉग्स को बनाया है जो मौजूदा और वर्ज़न1.x के बीच वाक़े हुआ था ( the latest]( तोर से इन बदलाव की तरफ़ जाएं और किताबी मज़मून को अपनी ज़बान में इन दस्ताविज़ के मुताबिक़ नई हालत में ले आएं और ओपन बाइबिल स्टोरीज़ का आपका तर्जुमा नई हालत में होगा -
### ओपन बाइबिल स्टोरीज़ के लिए हाल के छोटे तबादले का एक बदलाव को बढ़ाने वाला लाग -
#### 4 ->5
*नई हालत में लाया गया अंग्रेजी किताबी मज़मून के अलफ़ाज़ की तरतीब जो दूसरी ज़बानों के बोलने वालों को आसान बना देती है ताकि उसे अपनी ज़बानों में समझें और तर्जुमा करें - कुछ जुमलों को छोटा किया गया ,माकूल रवानी को तरक्की दिया गया ,नए किर्दारों का बेहतर तआरुफ़ किया गया वगैरा -मगर आम तोर से असली मायनों को क़ायम रखा गया - *04 -09 में अब्रहाम के साथ्खुदा के अहद के वाकिआत को वाज़ेह किया गया - इसे आप देखें (see[this
Commit](
86077bd24d8)). 43-11 में पतरस के अलफ़ाज़ को वाजेह किया गया -इस को देखें (see[this commit](
.org/unfoldingWord/en_obs/commit/
2a43ca348e26ab9719513a3be4bfc41c2eee5fe6)).42 42-02 और 42 -03 में तस्वीरों को पीछे किया गया ताकि कहानी के मज़मून को बेहतर तरीके से रखा जाए इस मुआमले को देखें (see[this
Issue](https://git.door43.org/unfoldingWord/
en_obs/issues/7)).
#### 3.2.1 ->4
*नया तर्जुमा करने वाला निजाम ,माजिद मुताला करें
[[https://unfoldingWord.org/versioning/[here]]*07-“खुदा ने याक़ूब को बरकत दी “->खुदा याक़ूब को बरकत देता है *49 -06 - नई तस्वीर
#### 3.2 -> 3.2.1
*03 -11 नुह के बाद -> बाद में नूह *1101- दोनों लोगों के नर ->मिस्र के लोगों के नर *12 -14 -अखमीरी रोटी -> रोटी जो बगैर ख़मीर कि बनी हो *13 05 पाक जो ->दुसरे मायनों में पाक कहा जाता है , *16 -09 पश्मीना ->भेड़ का चमड़ा (3x) * 17-07- “मसीहा था ->वह मसीहा था *18 -13 -बुरा ,बिगड़ा हुआ, और उनहोंने परस्तिश की -> बुरे और बिगड़े हुए , और उन्हों ने परसतिश की *19 -04 ख़हत के सबब से ->बारिश कि कमी एक ख्हत का सबब बनी *22 -02 - कैसे होगा -> कैसे हो सकता है *23 -08 -~~मरयम भी बहुत खुश थी ~~*जो कहलाये गए थे -> जिसे वह कहलाया *36 -01 -और युहन्ना -> और युहन्ना ,*38 -09 -तुम मेरा इंकार करोगे तीन बार कि तुम मुझे जानते तक नहीं हो ->तुम मेरा तीन बार इनकार करोगे कि तुम मुझे जानते तक नहीं *40 -06 -दोपहर वक़्त से लेकर 3:00 बजे तक अँधेरा छाया रहा ->वहां दिन दोपहरी में अँधेरा छा गया और तीन घंटे तक अँधेरा क़ायम रहा *43-02 -कटाई -> गेहूं की कटाई - *45 फिलिप्पुस और इथोपिया का वज़ीर ->स्तिफुनुस और फिलिप्पुस *49 -01 कुंआरी ,वह औरत -> कुंआरी ,रूहुलखुदुस ने उस पर छाया किया और वह हामिला पाई गई ,वह औरत
#### 3.1.1 ->3.2
*13-15-~~ मूसा फिर से पहाड़ पर चढ़ गया और दुआ की कि खुदा लोगों को मुआफ़ करे -खुदा ने मूसा कि सुनी और उन्हें मुआफ़ किया - मूसा ने दोबारा से दस अहकाम पत्थर कि लोहों पर लिखा उस पहले वाले के बदले में जो टूट गया था - फिर खुदा सीना पहाड़ से वादा किया हुआ मुल्क कि तरफ़ आगे बढ़ने के लिए बनी इस्राईल की रहनुमाई की -~~ दस अहकाम के लिए मूसा ने पत्थर की दो नई लोहें बनाई ,उन लोहों के बदले में जो टूट गई थीं - फिर वह दुबारा पहाड़ पर चढ़ गया और खुदा से दुआ की कि वह लोगों के गुनाह मुआफ करे ,खुदा ने मूसा कि सुनी औ उन्हें मुआफ कर दिया - मूसा पहाड़ से दस अहकाम की नै लोहों के साथ निचे उतरा - फिर खुदा ने सीना पहाड़ से वायदा किये हुए मुल्क की तरफ़ बनी इस्राईल कि रहनुमाई की - * 13 15 नई तस्वीर * 14 -01 खुदा ने बनी इस्राईल कोःकाम सुनाने के बाद कहा था _**कि **_ वह उन से चाहता था कि उन के साथ अहद का एक हिस्सा बतौर हुक्म बजा लाएं ,उन्हों ने सीना पहाड़ को छोड़ दिया - खुदा ने **~~वहाँ से ~~**वायदा किया मुल्क्की तरफ़ उन कि रहनुमाई करनी शुरू कर दी जो कि मुलके कनान भी कहा जाता था -बादल का खम्बा उनके आगे आगे **~~s~~**कनान कि तरफ़ गया और उनहोंने उस का पीछा किया -
#### 3.1 -> 3.1.1
*06 -12 “जिदऊंन के 300 लोगों के सिपाही“
-> जिदऊंन के 300 सिपाही “*21 -02 “हर एक लोगों की जमाअतें -> “तमाम लोगों की जमाअत” *39 -12 “सो उसने सिपाहियों को हुक्म दिया कि यीशु को सलीब दे –“ ->”सो वह राज़ी हुआ कि उसके सिपाही यीशु को सलीब दें –“

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# 1. पैदाइश
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-01.jpg)
यह वह है कि किस तरह खुदा ने इब्तदा में हर एक चीज़ को बनाया- उसने काइनात और उसमें की हर एक चीज़ को छ: दिनों में तक़लीक़ की बाद में खुदा ने ज़मीन को बनाया वह अँधेरा और ख़ाली था ,उसमें उसने कोई चीज़ नहीं बनाई थी मगर खुदा की रूह पानी की सतह पर जुम्बिश करती थी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-02.jpg)
फिर ख़ुदा ने कहा, “ रौशनी हो जा” सो रौशनी होगई –खुदा ने देखा कि रौशनी अच्छी है और उसने उसे “दिन” कहा –उसने उसको अंधेरे से जुदा किया जिसको उसने “रात“ कहा - तक़लीक़ के पहले दिन में ख़ुदा ने रौशनी बनाई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-03.jpg)
तक़लीक़ के दूसरे दिन ख़ुदा ने कहा “पानियों के ऊपर फ़ज़ा हो “ और वहां एक फ़ज़ा हो होगई खुदा ने इस फ़ज़ा को आसमान कहा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-04.jpg)
तीसरे दिन खुदा ने कहा “पानी एक जगह जमा हो जिससे कि खुश्की नज़र आए “ और ऐसा ही हुआ –उसने खुश्की को “ज़मीन“ कहा, और जो पानी जमा हो गया था उसे “समुन्दर” कहा-खुदा ने जो तक़लीक़ की थी उसे देखा और कहा “अच्छा है “
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-05.jpg)
फिर खुदा ने कहा “ज़मीन हर तरह के पौदों और फलदार दरख्तों से फलें और ऐसा ही हुआ खुदा ने जो तक़लीक़ की थी उसे उसने देखा और कहा “अच्छा है” -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-06.jpg)
तक़लीक़ के चौथे दिन खुदा ने कहा “फ़लक पर नय्यर हों” और सूरज और चाँद तारे ज़ाहिर हुए ,खुदा ने उनकी तक़लीक़ की कि ज़मीन पर रौशनी डाले , और दिन और रात की , और सालों की एक निशानी ठहरे- खुदा ने जो तक़लीक़ ली थी उसने उसे देखा और कहा “अच्छा है” -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-07.jpg)
पांचवें दिन खुदा ने कहा “पानी जानदारों से भर जाए , और आसमान में परिंदे उड़ा करे यह उसी तरह हैं जिन्हें खुदा ने बनाए , जो पानी में तैरते हैं और तमाम परिंदे जो हवा में उड़ते हैं , खुदा ने देखा कि वह सब अच्छे हैं और उसने उन्हें बरकत दी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-08.jpg)
तक़लीक़ के छट्टे दिन खुदा ने कहा “सब तरह के ज़मीन के जानवर पैदा हों” और ऐसा ही हुआ जिस तरह खुदा ने कहा था कुछ तो चौपाए थे ,कुछ ज़मीन पर रेंगने वाले , और कुछ जंगली जानवर थे खुदा ने यह देखकर कहा “अच्छा है “
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-09.jpg)
तब खुदा ने कहा,” आओ हम इंसान को अपनी सूरत पर बनाएं , ताकि वह हमारी शबीह पर हों , ताकि वह ज़मीन पर और तमाम जानवरों पर हुकूमत करे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-10.jpg)
सो खुदा ने ज़मीन से थोड़ी सी मिटटी ली और उसे आदमी की शक्ल दी और उसमें जिंदगी का दम फूँका उस आदमी का नाम आदम था खुदा ने एक बड़ा बाग़ लगाया जहाँ आदम रह सकता था और वहां उसको रखा कि बाग़ की रखवाली करे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-11.jpg)
बाग़ के बीचों बीच खुदा ने दो ख़ास दरख़्त लगवाए ----एक जिंदगी का दरख़्त , दूसरा नेक व बद की पहचान का दरख़्त खुदा ने आदम से कहा कि वह बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल खा सकता था सिवाए नेक व बद की पहचान के दरख़्त का फल जिसे उस को नहीं खाना था अगर वह उसका फल खाए तो मर जाएगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-12.jpg)
फिर खुदा ने कहा, “आदमी के लिए अकेला रहना अच्छा नहीं“, मगर जानवरों में से कोई भी आदम का मददगार नहीं हो सकता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-13.jpg)
सो खुदा ने आदम को गहरी नींद में सुलादिया फिर खुदा ने आदम की पसलियों में से एक को निकाला और उस से एक औरत बनाई और उसे आदम के पास ले आया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-14.jpg)
जब आदम ने उस औरत को देखा तो उसने कहा, ”आखिर –ए– कार यह मेरी जैसी है , यह नारी कहलाएगी क्योंकि यह नर से निकाली गयी है - इसी लिए आदमी अपने मांबाप को छोड़ेगा और अपनी बीवी के साथ एक होकर रहेगा “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-15.jpg)
खुदा ने आदमी और औरत दोनों को अपनी सूरत पर बनाया उसने उन्हें बरकत दी और उनसे कहा “बहुत से बचचे , नाती नातन , पोता पोती पैदा करो - अपनी नसल की अफ़ज़ाइश करो और ज़मीन को भरदो और खुदा ने देखा कि हर एक चीज़ जो उसने बनाई थी बहुत ही अच्छी है , और वह उन सब को देखकर बहुत ख़ुश हुआ और यह सब कुछ तक़लीक़ के छट्टे दिन हुआ -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-01-16.jpg)
जब सातवां दिन आया तो खुदा ने उन सब कामों को जिन्हें वह कर रहा था ख़तम किया उसने सातवें दिन को बरकत दी और उसे पाक ठहराया , क्यूंकि उसने उस दिन तक़लीक़ के कामों को बन्द कर दिया था इस तरह से खुदा ने काएनात और उसमें की सारी चीजों की तक़लीक़ की -
_पैदाइश 1 2 बाब से बाइबिल की एक कहानी _

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# 2. गुनाह दुनया में दाखिल होता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-01.jpg)
आदम और उसकी बीवी उस खूबसूरत बाग़ में जिसे खुदा ने उनके लिए बनाया था बड़ी ख़ुशी से रहने लगे थे उन दोनों में से किसी ने भी कपड़े नहीं पहने हुए थे –मगर यह उन के लिए शर्मिदा महसूस करने का सबब नहीं था , क्यूंकि ज़मीन पर गुनाह नहीं था वह अक्सर बाग़ में चला फिरा करते थे और खुदा से रिफ़ाक़त कर बातें किया करते थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-02.jpg)
मगर उस बाग़ में एक सांप रहता था वह बहुत ही मक्कार और चालाक था उसने औरत से पुछा “क्या खुदा ने सच मुच तुमसे कहा है कि बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल नहीं खाना?”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-03.jpg)
औरत ने जवाब दिया,” हम बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल खा सकते हैं सिवाए उस दरख़्त के फल में से जो नेक व बद की पहचान के दरख़्त का फल है खुदा ने हम से कहा है कि अगर तुम उसका फल खाओ या फिर छुओगे तो तुम मर जाओगे-“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-04.jpg)
सांप ने औरत को जवाब दिया, ”यह सच नहीं है , तुम नहीं मरोगी ,बल्कि खुदा जानता है कि जैसे ही तुम उस फल को खाओगी तुम खुदा की मानिंद हो जाओगी और नेक व बद को जान्ने लगोगी जैसा वह जानता है “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-05.jpg)
औरत ने जो देखा कि फल देखने में ख़ुशनुमा और खाने में लज़ीज़ मालूम पड़ता है , और वह अक़लमन्द भी बनना चाहती थी तो उसने दरख्तों के कुछ फलों को लिया और खाया , फिर उसने अपने शौहर को भी दिया जो उस के साथ था , और उसने भी खाया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-06.jpg)
अचानक उन दोनों की आँखें खुल गयीं और उन्हें मालूम हुआ कि वह नंगे हैं , उन दोनों ने पेड़ के पत्तों को सीकर कपड़े बनाने के ज़रिये अपने जिस्म को ढांकने की कोशिश की -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-07.jpg)
फिर आदम और उसकी बीवी बाग़ में से चलते हुए खुदा की आवाज़ सुनी वह दोनों खुदा से छिप गए फिर खुदा ने आदम को पुकारा, ”तुम कहाँ हो”? आदम ने जवाब दिया “मैंने तुझे बाग़ में चलते हुए सुना और मैं डर गया क्यूंकि मैं नंगा था इसलिए छिप गया“-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-08.jpg)
फिर खुदा ने पूछा, “तुमको किसने कहा कि तुम नंगे हो”? क्या तुमने वह फल खाया जिस के लिए मैं ने कहा था कि न खाना”? आदम ने जवाब दिया ,” तूने यह जो औरत मुझे दी थी उसने मुझे फल खाने को दिया “ फिर खुदा ने औरत से पूछा,”तूने यह क्या किया?” औरत ने जवाब में कहा “ सांप ने मुझ से मककारी की”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-09.jpg)
खुदा ने सांप से कहा “तुम लानती हो , तुम पेट ले बल चला करोगे और मिटटी चाटोगे, तुम और औरत आपस में नफ़रत करोगे , और तम्हारी औलाद भी आपस में नफ़रत करेंगी, और औरत की नसल तुम्हारे सर को कुचलेगी और तू उसकी एड़ी को डसेगा “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-10.jpg)
खुदा ने फिर औरत से कहा,”मैं तेरे दर्द –ए –हमल को बहुत बढ़ाऊंगा और तेरी रग़बत अपने शौहर की तरफ़ होगी और वह तुझ पर हुकूमत करेगा “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-11.jpg)
खुदा ने आदम से कहा “ चूँकि तूने अपनी बीवी की बात मानी और मेरी बात नहीं मानी ‘अब ज़मीन तेरे सबब से लानती हुई तुझे फ़सल उगाने के लिए सख्त मेहनत करनी पड़ेगी फिर तू मर जाएगा तेरा जिस्म मिटटी में फिर से लौट जाएगा , आदम ने अपनी बीवी का नाम हव्वा रखा जिसका मतलब है जिंदगी देने वाली - इसलिए कि वह तमाम लोगों की मां बनेगी और खुदा ने आदम और हव्वा को जानवर के चमड़े के कुरते बनाकर ढांक दिया-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-02-12.jpg)
फिर खुदा ने कहा “ देखो इंसान नेक व बद की पहचान में हम में से एक की मानिंद हो गया है ,उन्हें हयात के दरख़्त से खाने नहीं देना चाहिए जिसे खाकर वह हमेशा के लिये ज़िन्दा रहे , इसलिए खुदा ने आदम और हव्वा को बाग़ से निकाल दिया , खुदा ने बाग़ के मद्ख़ल पर पर एक ज़बरदस्त फ़रिश्ते को रखा ताकि हयात के दरख़्त में से कोई खाने न पाए -
_पैदाइश के तीसरे बाब से बाइबिल की एक कहानी _

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# 3. सैलाब
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-01.jpg)
बहुत अरसा बाद दुनिया में बहुत से लोग रहते थे वह शरारत पसंद और दहशत गर्द बन चुके थे यह बहुत ही बुरा हुआ कि खुदा ने तमाम दुनिया को एक बड़े सैलाब के ज़रिये हलाक करने का फैसला किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-02.jpg)
मगर ख़ुदा नूह से ख़ुश था वह एक रास्त्बाज़ शख्स था जो शरारत पसंद लोगों के बीच में रहता था खुदा ने नूह से कहा कि वह ज़मीन पर बहुत बड़ा सैलाब लाने को है इसलिए खुदा ने नूह से कहा कि एक बड़ी कश्ती की तामीर करे -
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खुदा ने नूह से कहा कि कश्ती 140 मीटर लम्बी, 23 मीटर चौड़ी और 13½ मीटर ऊंची होनी चाहिए नूह को वह कश्ती लकड़ी की बनानी चाहिए थी जिस में तीन मंज़िल हो और कई सारे कमरे , छत और एक खिड़की हो - कश्ती नूह और उसका ख़ानदान और हर तरह के ज़मीनी जानवर को सैलाब के दौरान महफूज़ रखेगा -
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नूह ने खुदा की बात मानी - उसने और उसके तीन बेटों ने मिलकर कश्ती की तामीर की , जिस तरह ख़ुदा ने उनसे तामीर करने को कहा था कश्ती को तैयार करने में बहुत साल लग गए क्यूंकि वह बहुत बड़ी थी सैलाब जो आने वाला था उसकी बाबत नूह ने लोगों को आगाही दी थी , ख़बरदार किया था और उनसे कहा कि खुदा की तरफ़ फिरें मगर उनहोंने उसपर एतक़ाद नहीं किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-05.jpg)
खुदा ने नूह और उसके ख़ानदान से यह भी कहा कि अपने लिए और जानवरों के लिए काफ़ी खुराक ज़खीरा करो जब सब कुछ तय्यार था तब खुदा ने नूह से कहा अब वक़्त था कि वह और उसके तीन बेटे और उनकी बीवियां कश्ती में सवार हों ,यह सब आठ लोग थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-06.jpg)
खुदा ने हर एक जानवर में से नर और मादा , परिंदों में से कुछ नर और मादा नूह के पास भेजे थे ताकि वह कश्ती के अन्दर जाए और सैलाब के दौरान महफूज़ रहे –खुदा हर एक क़िस्म के जानवर और परिंदों के सात –सात जोड़े याने नर और मादा भेजे थे ताकि उनकी नसल क़ायम रहे और क़ुर्बानी के लिए इस्तेमाल हो जब वह सब के सब कश्ती में अन्दर मौजूद थे तब ख़ुदा ने ख़ुद ही बाहर से कश्ती का दरवाज़ा बन्द कर दिया था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-07.jpg)
फिर बारिश शुरू होगई , और बारिश हुई , और बारिश हुई , पुरे चालीस दिन चालीस रात लगातार बिना रुके मोसलधार बारिश हुई ! पानी ज़मीन के ऊपर बढ़ता ही चला गया था सारी दुनिया की चीज़ें पानी से ढंक गईं यहाँ तक कि ऊंचे ऊंचे पहाड़ भी एक –एक करके डूबने लगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-08.jpg)
सूखी ज़मीन पर जितने भी जानदार थे वह सब मर गए सिवाए उन लोगों और जानवरों के जो कश्ती में मौजूद थे कश्ती पानी में तैरने लगी और हर एक चीज़ जो कश्ती के अन्दर थी वह डूबने से बच गयी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-09.jpg)
जब बारिश का गिरना बन्द हुआ तो कश्ती पांच महीने तक पानी में तैरती रही और उस दौरान पानी आहिस्ता –आहिस्ता घटना शुरू हुआ फिर एक दिन कश्ती एक पहाड़ की चोटी पर जाकर टिक गया मगर दुनिया अभी भी पानी से ढकी हुई थी , तीन महीने बाद पहाड़ों की चोटियाँ नज़र आने लगीं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-10.jpg)
फिर और चालीस दिन बाद नूह ने एक कव्वे को उड़ाया यह देखने के लिए कि पानी कितना कुछ सूखा था कव्वे को टिकने के लिए सूखी जगह नहीं मिली तो वो वापस आगया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-11.jpg)
बाद में नूह ने एक फ़ाख़ते को उड़ाया –फ़ाक्ते को भी कोई सूखी ज़मीन न मिलने की वजह से वह नूह के पास वापस लौट आया एक हफ़्ता बाद नूह ने उसी फ़ाक्ते को फिर से उड़ाया अब की बार जब वह वापस उड़ कर आया तो उसकी चोंच में ज़ेतून का एक पत्ता था , जिससे ज़ाहिर था कि पानी घट रहा था और पेड़ पौधे बढ़ रहे थे
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-12.jpg)
नूह ने एक और हफ़्ता इंतज़ार किया और उसने उसी फ़ाख़ते को तीसरी बार उड़ाया इस बार उसको टिकने की जगह मिल गयी थी और वो वापस नहीं आया , और पानी भी बहुत जल्द सूखने लगा था !
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-13.jpg)
दो महीने बाद खुदा ने नूह से कहा कि अब तू और तेरा ख़ानदान और तमाम जानवर कश्ती से बाहर आ सकते हैं तुम्हारे बचचे और नाती पोते हों और तुम ज़मीन को मामुर व- महकूम करो - सो नूह और उसका खान्दान् कश्ती से बाहर आया-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-03-14.jpg)
नूह के कश्ती से बाहर आने के बाद उसने एक क़ुरबांन गाह बनाई और जानवरों में से कुछ को लेकर क़ुर्बानी चढ़ाई खुदा उस क़ुर्बानी से ख़ुश था और उसने नूह और उसके खानदान को बरकत दी -
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खुदा ने कहा मै वादा करता हूँ कि मैं ज़मीन पर लोगों को बुराई के सबब से लानत नहीं भेजूंगा या फिर दुनया को सैलाब से हलाक नहीं करूंगा , हालांकि लोग अपने बचपन से ही बुरे और गुनहगार हैं -
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खुदा ने अपने वादे की निशानी बतोर आसमान में पहली बार क़ोस –ए- क़ज़ह (कमान) को रखा जब भी कभी आसमान में वह कमान नज़र आता है तो खुदा अपने लोगों की बाबत अपने वादे को याद करता है -
_पैदाइश 6-8 से बाइबिल की एक कहानी _

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# 4. अब्रहाम के साथ खुदा का मुआहदा
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सैलाब के बहुत अरसा बाद फिर से बहुत से लोग दुनिया में थे फिर उनहोंने खुदा के ख़िलाफ़ और एक दुसरे के साथ गुनाह किया क्यूंकि उन सब की एक ही ज़बान थी वह सब मिलकर जमा हुए और एक शेहर तामीर की- बजाए इसके कि वह ज़मीन को मामूर करते जैसे खुदा ने उनको हुक्म दिया था -
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वह बहुत घमंडी थे और वह खुदा के हुक्मों की फ़र्मान्बर्दारी नहीं करना चाहते थे इस मायने में कि किस तरह जिंदगी जीनी है, यहाँ तक कि उन्हों ने एक बहुत ही बुलंद बुर्ज बनाना शुरू किया जो आसमान को छूने जैसा था खुदा ने देखा कि अगर वह मिलकर इस तरह बुराई करते जाएंगे तो वह और भी गुनहगारी के काम कर सकते थे -
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सो खुदा ने उन की ज़बान में कई क़िस्म की इख़तिलाफ़ डाल दी और लोगों को पूरी दुनिया में फैला दिया जिस शहर को उनहोंने बनाना शुरू किया था उसका नाम बाबुल था , जिसका मतलब है “गड़बड़ -“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-04.jpg)
सदियों साल बाद खुदा ने एक शख्स से बात की जिस का नाम अब्राम था खुदा ने उससे कहा “अपने मुल्क और अपने खानदान को छोड़कर निकल आ और उस मुल्क में चला जा जिसे मैं तुझे दिखाऊंगा मैं तुझे बरकत दूंगा और तुझ से एक बड़ी क़ौम बनाऊंगा मैं तेरा नाम सरफ़राज़ करूँगा जो तुझे बरकत दे मैं उन्हें बरकत दूंगा , जो तुझ लानत दे मैं उन्हें लानत दूंगा –ज़मीन के तमाम ख़ानदान के लोग तेरे सबब से बरकत के हक़दार होंगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-05.jpg)
सो अब्राम खुदा का हुक्म बजा लाया उसने अपनी बीवी सारै को लिया वह दोनों अपने तमाम नौकर चाकर और माल व असबाब के साथ जो उनके साथ था निकल पड़े और उस मुल्क को गए जिसे खुदा ने उसे दिखाया था और वह जगह मुल्क –ए– कनान था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-06.jpg)
जब अब्राम कनान में दाखिल हुआ तो खुदा ने कहा “तू अपने चारों तरफ़ देख- यह तमाम मुल्क मैं तुझे और तेरी नसल को दूंगा और वह इन सब के मालिक होंगे –फिर अब्राम उस मुल्क में सुकूनत करने लगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-07.jpg)
मलकी सिदक़ नाम का एक शख्स था जो ख़ुदा तआला का काहिन था एक दिन अब्राम जंग से वापस लौटते वक़्त उस से मुलाक़ात की मलकी सिदक़ ने अब्राम को बरकत दी और कहा “खुदा तआला की तरफ़ से जो आसमान और ज़मीन का मालिक है अब्राम मुबारक हो और मुबारक खुदा तआला जिसने तेरे दुशमनों को तेरे हाथ में कर दिया“ फिर अब्राम ने जंग में जो चीज़ें फ़ तेह करके हासिल की थीं उन सब का दसवां हिस्सा मलकी सिदक़ को दीं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-08.jpg)
बहुत साल गुज़र गए अभी तक अब्राम और सारै के कोई बेटा या वारिस नहीं हुआ था खुदा ने अब्राम से बात की और उसे एक बेटा इनायत करने का वादा किया जिससे कि उसकी नसल आस्मांन के तारों जैसी होगी –अब्राम ने ख़ुदा के वादों पर भरोसा किया तब खुदा ने एलान किया कि अब्राम एक रास्त्बाज़ शख्स है क्यूंकि उसने खुदा के वादे पर भरोसा किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-04-09.jpg)
फिर खुदा ने अब्राम के साथ एक मुआहदा किया आम तोर से एक मुआहदा दो जमाअत के दरमियान होता है कि वह मुस्तक़बिल में क्या कुछ करने वाले हैं मगर इस मुआमले में खुदा ने अब्राम से तब वादा किया जब वह गहरी नींद में था मगर अभी भी वह ख़ुदा की आवाज़ को सुन सकता था - खुदा ने कहा ,मैं तुझे तेरे ही सुल्ब से एक बेटा बख्शूंगा और मुल्क –ए– कनान मैं तेरी नसल को देता हूँ मगर अभी भी अब्राम के कोई बेटा नहीं हुआ था -
_पैदाइश 11 से 15 बाब तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 5 . वादे का बेटा
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-01.jpg)
अब्राम और सारै के मुल्क –ए –कनान में पहुँचने के दस साल बाद उन के पास अभी भी कोई बच्चा नहीं था सो अब्राम की बीवी सारै ने उससे कहा जबकि खुदा ने मुझको बच्चा होने से महरूम रखा है अब मैं बूढ़ी भी हो चली हूँ कि बच्चा पैदा करने के क़ाबिल नहीं रही तो तू ऐसा कर कि मेरी मुलाज़िमा हाजिरा को ले उससे भी शादी कर ताकि वह मेरे लिए बच्चा पैदा करे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-02.jpg)
सो अब्राम ने हाजरा से शादी की हाजरा के एक लड़का हुआ और अब्राम ने उसका नाम इस्माईल रखा - मगर सारै हाजरा से हसद रखती थी जब इस्माईल तेरह साल का हुआ तो खुदा ने फिर अब्राम से बातें की -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-03.jpg)
खुदा ने कहा “मैं खुदावंद खुदा हूँ , मैं तुझ से एक अहद बान्धता हूँ तब अब्राम खुदा के हुज़ूर सर निगूं हुआ –खुदा ने अब्राम से कहा “तू बहुत से क़ौमों का बाप होगा मैं कनान का मुल्क मिलकियत बतोर तुझे और तेरी नसल को दूंगा –और मैं हमेशा के लिए उनका ख़ुदा हूँगा सो तुम्हारे ख़ानदान में से हर एक फ़र्ज़न्द –ए– नरीना का ख़तना होना चाहिए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-04.jpg)
तेरी बीवी सारै के एक बेटा होगा ---- वह वादा का बेटा होगा उसका नाम इज़हाक़ रखना - मैं अपना मुआहदा उस से बांधूंगा और उससे एक बड़ी क़ौम निकलेगी –इस्माईल से भी एक बड़ी क़ौम बनाऊंगा पर मेरा मुआहादा इज़हाक़ से होगा फिर खुदा ने अब्राम का नाम अब्राम से अब्रहाम रखा जिस के मायने हैं “बहुतों का बाप“ खुदा ने सारै का नाम भी बदलकर सारह रखा –जिस के मायने हैं “शहज़ादी”-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-05.jpg)
जिस दिन अब्रहाम का खतना हुआ उसी दिन उस के घराने के सारे फ़र्ज़न्द –ए- नरीना का भी ख़तना हुआ –जब अब्रहाम 100 साल का था तब सारह की उमर 90 साल की थी और सारह ने अब्रहाम का बेटा जनी –उनहोंने उसका नाम इज़हाक़ रखा जिस तरह खुदा ने उनसे कहा था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-06.jpg)
जब इज़हाक़ जवान था तब खुदा ने अब्रहाम के ईमान की आज़माइश यह कहकर की कि “इज़हाक़ जो तेरा इकलौता बेटा है उसको ले और मेरे लिए क़ुर्बानी बतौर चढ़ा –“ सो फिर से एक बार अब्रहाम खुदा का हुक्म बजा लाने चला और अपने बेटे की क़ुर्बानी के लिए तैयारी की -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-07.jpg)
जब अब्रहाम और इज़हाक़ क़ुर्बानी की जगह की तरफ़ चलने लगे तो इज़हाक़ ने अब्रहाम से पूछा ,”ऐ बाप, हमारे पास क़ुर्बानी के लिए आग और लकड़ियाँ तो हैं ,मगर सोख्तनी क़ुर्बानी के लिए बर्रा कहाँ है ?
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-08.jpg)
जब वह क़ुर्बानी की जगह पर पहुंचे तो अब्रहाम ने अपने बेटे इज़हाक़ को बाँधा और उसको कुर्बान्गाह पर लिटाया वह बस अपने बेटे पर छुरी चलाना ही चाहता था कि खुदा ने अब्रहाम का हाथ रोक कर कहा कि अपना हाथ लड़के पर न चला अब मैं जानता हूँ कि तू मेरा खौफ़ मानता है क्यूंकि तूने अपने बेटे को भी जो तेरा इकलौता है मुझ से दरेग़ न किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-09.jpg)
अब्रहाम ने अपने नज़दीक एक मेंढा देखा जिस के सींघ एक झाड़ी में अटके हुए थे - खुदा ने उस मेंढे को इज़हाक़ के बदले क़ुर्बानी चढ़ाने के लिए मुहैया किया था अब्रहाम ने ब-ख़ुशी उस मेंढे को खुदा के लिए क़ुर्बानी बतौर चढ़ाया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-05-10.jpg)
फिर ख़ुदा ने अब्रहाम से कहा “इस लिए कि तूने मेरे लिए सब कुछ देने को तैयार हुआ यहाँ तक कि तूने अपने इकलौते बेटे को भी रख नहीं छोड़ा ,मैं तुझे बरकत पर बरकत देने का वादा करता हूँ तेरी नसल आसमान के तारों से भी ज़ियादा होगी क्यूंकि तू मेरा हुक्म बजा लाया मैं दुनिया के तमाम कौमों पर तेरे ख़ानदान के वासिले से बरकत दूंगा “
_पैदाइश 16 बाब से 22 बाब तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 6. खुदा इज़हाक़ के लिए शरीक –ए-हयात का इंतज़ाम करता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-01.jpg)
जब अब्रहाम बहुत ज़ियादा बूढ़ा हो गया तो इज़हाक़ जवान होने लगा था सो अब्रहाम अपने नौकरों में से एक को बुलाकर अपने मुल्क में जहाँ उसके रिश्तेदार रहते थे भेजा कि उसके बेटे इज़हाक़ के लिए एक लड़की ढूंड कर ले आए ताकि उसकी बीवी बने -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-02.jpg)
एक लम्बा सफ़र तय करने के बाद अब्रहाम का नौकर उस मुल्क में जा पहुंचा जहाँ उसके रिश्तेदार रहते थे –खुदा ने उस नौकर को रिबेक़ा के घर की तरफ़ रहनुमाई की जहां वह अपने खानदान के साथ रहती थी –वह अब्रहाम के बड़े भाई की पोती थी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-03.jpg)
रिबेक़ा को जब मालूम पड़ा कि अब्रहाम का नौकर अपने बेटे के लिए लड़की लेजाने के लिए आया है तो रिबेक़ा उस नौकर के साथ जाने के लिए राज़ी होगई जैसे ही रिबेक़ा अब्रहाम के घर पहुंची जितना जल्द हो सकता था उतना ही जल्द इज़हाक़ ने उसके साथ शादी कर ली -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-04.jpg)
एक लम्बे अर्से के बाद अब्रहाम की मौत हो गई फिर खुदा ने इज़हाक़ को बरकत दी इसलिए कि उसने अब्रहाम से मुआहदा बाँधा था इन मुआहदों में से एक वादा जो खुदा ने अब्रहाम से किया था वह था अनगिनत बेशुमार नसल मगर इज़हाक़ की बीवी रिबेक़ा के बचचे न हो सके थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-05.jpg)
मगर इज़हाक़ ने रिबेक़ा के लिए खुदा से दुआ की और खुदा ने रिबेक़ा के हक़ में इज़हाक़ की दुआ क़बूल की और वह हामिला हुई उसके पेट में तवाम थे यानी जुड़वा बचचे वह दोनों बच्चे पेट के अन्दर ही एक दूदरे से लड़ाई कर रहे थे तो रिबेक़ा ने ख़ुदा से पूछा कि मेरे पेट में यह क्या हो रहा है ?
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-06.jpg)
खुदा ने रिबेक़ा से कहा “तुम दो बेटों को जन्म देने जा रही हो “ उन दोनों की नस्लें दो बड़ी मुख्तलिफ़ क़ौमें होंगी वह दोनों एक दूसरे के दुश्मन होंगे वह दोनों आपस में लड़ेंगे मगर जो क़ौम तेरे छोटे बेटे की होगी वह तेरे बड़े बेटे की क़ौम पर हावी हो जाएगी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-06-07.jpg)
जब रिबेक़ा के बच्चे पैदा हुए थे तो बड़ा लाल रंग का और रुएं दार था यानी उसके पुरे जिस्म में बाल ही बाल थे , और उसका नाम एसाव रखा गया फिर जब छोटा पैदा हुआ तो वह एसाव की एड़ी को पकड़ा हुआ था –उनहों ने उसका नाम याक़ूब रखा -
_पैदाइश 24 बाब की 1 से 25 और 26 बाब से बाइबिल की एक कहानी _

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@ -0,0 +1,43 @@
# 7. खुदा याक़ूब को बरकत देता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-01.jpg)
जैसे जैसे दोनों लड़के बड़े होते गए याक़ूब को घर पर ही रहना पसंद था मगर एसाव को जानवरों का शिकार करना पसंद था रिबेक़ा याक़ूब से कुछ ज़ियादा ही मोहब्बत रखती थी , मगर इज़हाक एसाव से मोहब्बत रखता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-02.jpg)
एक दिन एसाव जब शिकार से लौटा तो वह बहुत भूका था ,एसाव ने याक़ूब से कहा जो तूने अपने लिए खाना बनाया है उसमें से थोड़ा मुझे दे दे याक़ूब ने जवाब दिया कि पहले तुम मुझ से वादा करो कि अपने पह्लोठे होने का हक़ मुझे दे दोगे ? सो एसाव ने वादा किया कि मैं तुझे वह सारी चीज़ें जो फ्लोठे होने के हक़ में है तुझे दे दूंगा फिर याक़ूब ने अपने खाने में से थोड़ा एसाव को दे दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-03.jpg)
दूसरी तरफ़ इज़हाक अपनी बरकत एसाव को देना चाहता था मगर उसके बरकत देने से पहले ही रिबका और याक़ूब ने चालाकी करी याक़ूब ने खुद को एसाव जैसा बना लिया, उसके कपड़े पहन लिए , उसने जानवर के बाल अपनी गर्दन और हाथ में चिपका लिए , अब इसलिए कि इज़हाक़ की आँखें धुंदला गयी थीं , वह उसको पहचान न सका -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-04.jpg)
याक़ूब इज़हाक़ के पास आया और कहा कि “मैं एसाव हूँ ,मैं इसलिए आया हूँ कि तू मुझे बरकत दे –जब इज़हाक़ ने याक़ूब को टटोला और उसके कपड़े सूंघे तो ऐसा लगा कि वह एसाव है और उसे बरकत दे दी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-05.jpg)
एसाव याक़ूब से नफ़रत करने लगा क्यूंकि उसने पह्लोठे होने का हक़ छीन लिया था और उसकी बरकतें भी ले ली थी जो सबसे बड़े बेटे को दी जाती थी, सो उसने याक़ूब को उसके बाप के मरने के बाद हलाक करने का मंसूबा बाँधा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-06.jpg)
मगर रिबक़ा ने एसाव के मंसूबे को मालूम कर लिया था फिर रिबेक़ा और इज़हाक़ दोनों ने मिल्कर याकूब को रेबेक़ा के रिश्तेदारों के पास दूर भेज दिया-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-07.jpg)
याक़ूब रिबेक़ा के रिश्तेदारों के पास बहुत सालों तक रहा उसी दौरान याक़ूब ने दो शादियाँ की और उसके बारह बेटे और एक बेटी पैदा हुईं –खुदा ने याक़ूब को बरकत दी और वह बहुत बड़ा दौलतमंद शख्स बन गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-08.jpg)
बीस साल तक याक़ूब अपने मांबाप के घर से यानि कनान से दूर था फिर याक़ूब अपने ख़ानदान में वापस आया मगर अब वह अकेला नहीं था उसके साथ उसका पूरा ख़ानदान था ,जानवरों के रेवड़ थे, नौकर चाकर थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-09.jpg)
मगर याक़ूब अभी भी अपने भाई एसाव से डरता था –क्यूंकि वह सोचता था कि एसाव अभी भी उसको हलाक करना चाहता था सो उसने बहुत से जानवर अपने नौकरों के हाथ भिजवाए नौकरों ने एसाव से कहा कि “आप का ग़ुलाम याक़ूब ने यह सारे जानवर आपको देने के लिए कहा है और वह बहुत जल्द यहाँ तशरीफ़ ला रहें हैं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-07-10.jpg)
मगर एसाव ने याक़ूब को हलाक करने की मंशा छोड़ दी थी इस के बदले में वह याक़ूब से दुबारा मिलने की आरज़ू रखता था –जब याक़ूब को मालूम पड़ा कि एसाव उससे सुलह का आरज़ू रखता है तो वह ख़ुश हुआ और इतमीनान और तसल्ली से मुल्क –ए –कनान में अपने खानदान के साथ रहने लगा था –फिर इज़हाक़ की जब मौत हुई तो दोनों ने मिलकर अपने बाप को मिटटी दी –खुदा का मुआहदा और वादे जो उसने अब्रहाम से किए थे वह अब इज़हाक़ और याक़ूब में पूरे होने वाले थे -
_पैदाइश 25:27 से 35:29 तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 8. खुदा यूसुफ़ और उसके खानदान को बचाता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-01.jpg)
कई सालों बाद जब याक़ूब बूढ़ा हो चुका तो उसने अपने चाहेते बेटे यूसुफ़ को यह कहला कर भेजा कि अपने भाइयों को देखकर आना की वह गल्ला चरा रहे थे कि नहीं कि वह ठीक से गल्ले की रखवाली कर रहे हैं कि नहीं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-02.jpg)
यूसुफ़ के भाई युसूफ से नफ़रत करते थे क्यूंकि उनका बाप याक़ूब बहुत ज़ियादा युसुफ़ से महब्बत रखता था –इसलिए भी कि युसूफ ने ख़ाब देखा था कि वह उनका हाकिम बननें वाला था जब यूसुफ़ अपने भाइयों के पास आया तो उनहोंने उसको अग़वा कर लिया और उसको सौदागरों के हाथ ग़ुलाम बतौर बेच डाला -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-03.jpg)
यूसुफ़ के भाई शाम को घर पहुँचने से पहले युसूफ के बु क़ल्मून क़बा को बकरे के खून में डुबोया और जाकर अपने बाप से कहने लगे कि यूसुफ़ को किसी जानवर ने हलाक कर दिया और सबूत बतौर उसके पहने हुए खून से सने कपड़े दिखाए इसे सुनकर याक़ूब खस्ताहाल हो गया और दिल में बहुत ज़ियादा रंज किया -
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गुलामों के सौदागर यूसुफ़ को मिस्र ले गए मिस्र उस ज़माने का बहुत बड़ा और ज़बरदस्त मुल्क था जो दर्याए नील के किनारे पर वाक़े था सौदागरों ने यूसुफ़ को एक दौलतमंद सरकारी अफ़सर के हाथों बेच दिया यूसुफ़ ने अपने मालिक की बहुत ईमानदारी से ख़िदमत की और खुदा ने यूदुफ़ को बरकत दी -
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उसके मालिक की बीवी यूसुफ़ को अपने साथ अपने बिस्तर में सुलाना चाहती थी मगर यूसुफ़ ने इनकार किया कि ऐसा करके वह ख़ुदा के ख़िलाफ़ गुनाह नहीं करेगा –अंजाम बतौर वो यूसुफ़ से ग़ुस्सा हुई और यूसुफ़ पर झूठा इल्ज़ाम लगाकर गिरफ़्तार कराया और क़ैद ख़ाने में डलवा दिया मगर यूसुफ़ खुदा की नज़र में वफ़ादार रहा और खुदा ने उसको क़ैद ख़ाने में भी बरकत दी -
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दो साल बाद यूसुफ़ अभी भी क़ैद में ही था हालांकि वह बे क़ुसूर था एक दिन “फ़िरोन” जिसे मिसरी लोग अपना बादशाह मानते थे उसने दो ख़ाब देखे जिसे देखकर बाद्शाह अपने आप में बहुत ही परेशान था –बादशाह के सलाहकारों में से कोई भी इस क़ाबिल नहीं था कि वह उसके दो खाबों की ताबीर बयान कर सके -
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खुदा ने यूसुफ़ को किसी के भी ख़ाब की ताबीर बयान करने की क़ाबिलियत अता कर रखी थी जब यह बात फ़िरोन को मालूम पड़ी तो उसने यूसुफ़ को क़ैद ख़ाने से बुलवा भेजा यूसुफ़ ने फ़िरोन के ख़ाबों की ताबीर सही मायनों में कह सुनाया और कहा “कि आने वाले सात सालों में खुदा कसरत की फ़सल भेजने वाला है मगर उसके आगे दुसरे सात बरसों में बहुत ही होलनाक क़हत भी –“
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फ़िरोन यूसुफ़ से बहुत ज़ियादा मुतास्सिर हुआ और उसको तमाम मुल्क –ए- मिस्र का वज़ीर –ए- आज़म मुक़र्रर किया -
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यूसुफ़ ने सरकारी ज़खीरा करने वालों से कहा कि हाल के सात बरसों में जो कसरत से फ़सल होने वाली है जितना ज़ियादा हो सके उतना अनाज का ज़खीरा कर लें फिर दुसरे सात बरसों में जो क़हत साली के अय्याम थे उनमें यूसुफ़ ने गरीबों को रिआयती दामों पर अनाज बेचा ताकि लोग बगैर किसी दिक्क़त के अनाज खरीद सकें -
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यह क़हत के साल न सिर्फ़ मिस्र में निहायत सख्त थे बल्कि कनान में भी जहाँ याक़ूब का ख़ानदान रहता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-11.jpg)
सो याक़ूब ने भी अपने बड़े बेटों को अनाज खरीदने के लिए मिस्र भेजा उसके भाइयों ने यूसुफ़ को नहीं पहचाना जब वह अनाज खरीदते वक़्त उनके सामने खड़ा था ,मगर यूसुफ़ ने उन्हें पहचान लिया था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-12.jpg)
यूसुफ़ उन्हें जांचने के बाद कि वह बदल चुके हैं या नहीं यूसुफ़ ने अपना तआरुफ़ अपने भाइयों के सामने कराया उसने उनसे कहा “मैं तुम्हारा भाई यूसुफ़ हूँ ! डरो मत, तुमने तो मेरे साथ बुराई की और मुझे गुलाम बनाकर बेच दिया था मगर खुदा ने उसी बुराई को भलाई में बदल दिया - अब तुम अपने बाप को लेकर मिस्र आ जाओ ताकि मैं हमेशा के लिए पुरे खानदान के वास्त्ते ख़ुराक मुहैय्या करता रहूँगा “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-08-13.jpg)
जब यूसुफ़ के भाई घर लौटे तो उनहोंने अपने बाप से कहा कि यूसुफ़ अभी तक जिंदा है यूसुफ़ यह सुनकर फूला न समाया -
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हालांकि याक़ूब बूढ़ा हो चुका था - इसके बावजूद भी वह अपने पूरे खानदान के साथ मिस्र को रवाना हुआ और वह सब के सब मिस्र में सुकूनत करने लगे –याक़ूब ने अपने मरने से पहले तमाम बेटों को बरकत दी -
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वह मुआहादे के वादेजो जो खुदा ने अब्रहाम को दिए थे वह इज़हाक़ में फिर याक़ूब में और फिर याक़ूब से उसके बारह बेटों और उनके खानदानों में पहुंचा उन बारह बेटों की नस्लें बनी इस्राएल के बारह क़बीलों में तक़सीम हुए -
_पैदाइश 37 से 50 बाब तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 9.खुदा मूसा को बुलाता है
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यूसुफ़ के मरने के बाद उसके तमाम रिश्तेदार मिस्र में रहते थे –वह और उसकी नस्लें मिस्र में कई सालों तक रहे –और उनके कई बचचे पैदा हुए वह बनी इस्राएल कहलाए -
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सदियों साल बाद बनी इस्राएल का शुमार बहुत ही ज़ियादा होगया था –मिसरी लोगों की नई पीढ़ी यूसुफ़ के एहसानों को भूल चुके थे जो उसने उनके लिए किया था –अब वह लोग बनी इस्राईल की बड़ी क़ौम से खौफ़ खाने लगे थे इसलिए फ़िरोन जो उस वक़्त मिस्र में हुकूमत करता था उसने बनी इस्राईल को मिस्रियों का ग़ुलाम बना लिया था -
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मिसरियों ने बनी इस्राईल कौम को मजबूर किया कि वह उनके लिए इमारतें बनाएं और यहाँ तक कि एक पूरे शहर की तामीर करें –उनकी कड़ी मेहनत और मशक़त ने उनकी जिंदगियों को शिकस्ता हाल और रंजीदा कर दिया था- मगर खुदा उनको बरकत देता रहा और उनके बचचे भी होते गए -
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फ़िरोन ने देखा कि बनी इस्राईल के बहुत से बचचे हैं और उन का शुमार बढ़ रहा है तो उसने हुक्म जारी किया कि बनी इस्राईल के तमाम छोटे बचचों को क़त्ल करके नील नदी में फ़ेंक दिया जाए -
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किसी इस्राईली औरत ने एक लड़के को जन्म दिया वह और उसके शौहर ने फ़िरोन के डर से जितना उन से बन पड़ता था उतना लड़के को छिपाया -
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जब लड़के के मांबाप आगे को छिपा नहीं सकते थे तो उनहोंने एक सरकंडे की टोकरी बनाई और नील नदी के किनारे बहा दिया ताकि क़त्ल होने से बच जाए और उस बचचे की बड़ी बहिन से कहा कि उसपर नज़र रखे कि उसका क्या हाल होता है -
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फ़िरोन की बेटी जो नदी की सैर करने अपनी सहेलियों के साथ आई थी उस टोकरी में बचचे को देखातो वह उस बचचे से बहुत मुतास्सर हुई और उसको अपना बच्चा बना लिया उसने एक दाई को मुक़र्रर किया मगर वह नहीं जानती थी कि वह उसकी असली मां थी –जब बच्चा बड़ा होगया और उसको मां के दूध की ज़रूरत नहीं थी तो मां ने उस बचचे को फ़िरोन की बेटी के हाथ सुपुर्द करदी –फ़िरोन की बेटी के हाथ सुपुर्द करदी -
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जब मूसा जवान हो चुका तो उसने एक दिन एक मिसरी को देखा की वह इस्राईली ग़ुलाम की मार पीट कर रहा था –मूसा ने उस इस्राईली को बचाने की ग़रज़ से बीच बचाव् करने की कोशिश की -
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जब मूसा ने देखा कि कोई उसे नहीं देख रहा था तो उसने उस मिसरी को मार डाला और उसके मुर्दा जिस्म को ज़मीन में दफ़न कर दिया मगर किसी ने देख लिया था कि मुसा ने क्या किया था -
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इसकी ख़बर फ़िरोन तक पहुँच गयी थी कि मूसा ने क्या किया था फ़िरोन ने मूसा को हलाक करने की कोशिश की मगर मूसा मिस्र से भाग कर बयाबान में चला गया फ़िरोन के सिपाही मूसा को ढूंढ नहीं पाए -
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मिस्र से बहुत दूर एक बयाबान में मूसा ने एक चरवाहे का काम ढूंढ लिया और वह एक चरवाहा बन गया वहीँ पर उसने शादी भी करली और उसके दो बचचे भी हो गये -
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मूसा अपने ससुर के भेड़ों को चरा रहा था एक दिन उसने क्या देखा कि एक झाड़ी में आग लगी हुई थी –मगर वह झाड़ी आग से भसम नहीं हो रही थी मूसा झाड़ी के बिलकुल नज़दीक गया यह देखने के लिए कि वह झाड़ी भस्म क्यूँ नहीं होती जब वह झाड़ी के क़रीब गया तब खुदा ने उससे बात की और कहा “मूसा अपनी जूतियां उतार दो क्यूंकि जहाँ तू खड़ा है वह मुक़द्दस ज़मीन है –“
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खुदा ने कहा “मैं ने अपने लोगों के दुःख तकलीफ़ देखें हैं –मैं तुझे फ़िरोन के पास भेजूंगा ताकि तू बनी इस्राईल को उनकी ग़ुलामी से छुड़ा कर मिस्र से बाहर ला सके –मैं उनको कनान का मुल्क दूंगा ,वह मुल्क जिसको देने के लिए मैं ने अब्रहाम , इज़हाक़ और याक़ूब से वादा किया था -
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मूसा ने खुदा से पूछा “लोग जब मुझ से पूछेंगे कि तुझे किसने भेजा तो मुझे क्या जवाब देना होगा “? ख़ुदा ने कहा“मैं जो हूँ –सो मैं हूँ “सो तू बनी इस्राईल से यूँ कहना कि “मैं जो हूँ ‘ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है –“उनसे यह भी कहना कि मैं यह्वे हूँ , तुम्हारे बाप दादा अब्रहाम, इज़हाक़ , और याक़ूब का खुदा अबद तक मेरा यही नाम है -
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मूसा डरा हुआ था , और वापस फ़िरोन के पास नहीं जाना चाहता था ,क्यूंकि उसने सोचा कि वह ठीक से बोल नहीं सकता था- मगर खुदा ने कहा तेरा भाई हारुन बोलने में तुम्हारी मदद करेगा –“
_ख़ुरूज 1 बाब से 4 बाब तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 10 . दस वाबाएं
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-01.jpg)
खुदा ने मूसा और हारुन को पहले से ही ख़बरदार कर दिया था कि फ़िरोन सख्त हो जाएगा जब वह फ़िरोन के पास गए तो उन्हों ने कहा “बनी इस्राईल का खुदा यूँ फरमाता है कि मेरे लोगों को जाने दे “- मगर फ़िरोन ने उनकी नहीं सुनी –बजाए इसके कि बनी इस्राईल को आज़ादी से जाने देता , उसने उन्हें मजबूर किया कि और ज़ियादा कड़ी मेहनत से काम करें -
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फ़िरोन लोगों को जाने से इनकार करता रहा ,तब खुदा ने मिस्र पर दस दहशतनाक वाबाएं भेजीं इन वाबाओं के ज़रिए ख़ुदा ने फ़िरोन को बताया कि वह फ़िरोन से और तमाम मिसरी देवताओं से ज़ोरावर है-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-03.jpg)
खुदा ने नील नदी के पानी को खून में बदल डाला –इसके बावजूद भी फ़िरोन ने बनी इस्राईल को जाने नहीं दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-04.jpg)
फिर खुदा ने तमाम मुल्क–ए-मिस्र में मेंडक भेजे –सब जगह मेंडक ही मेंडक नज़र आते थे तब फ़िरोन ने मूसा से गिड़गिड़ाया कि उन मेंदकों को हटा ले मूसा ने उनकी बात मां ली इसपर सारे मेंडक मर तो गए थे मगर फ़िरोन ने अपना दिल सख्त कर लिया और बनी इस्राईल को जाने नहीं दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-05.jpg)
फिर ख़ुदा ने मच्छरों की वबा भेजी –फिर उसने मक्खियों की वबा भेजी –फ़िरोन ने मूसा और हारुन को बुला भेजा ,उसने उनसे कहा कि “अगर वह इस वबा को दूर करते हैं तो बनी इस्राईल मिस्र छोड़ सकते हैं जब मूसा ने खुदा से दुआ की तो खुदा ने मुल्क–ए-मिस्र से तमाम मक्खियों को दूर किया मगर जब मक्खियाँ दूर हुईं तो फ़िरोन नेने अपना दिल फिर से सख्त किया और बनी इस्राईल को जाने नहीं दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-06.jpg)
फिर खुदा ने मिस्रियों के सारे जानवरों को बीमार कर दिया और वह बिमारी से मरने लगे मगर फ़िरोन का दिल सख्त ही रहा और बनी इस्राईल को जाने नहीं दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-07.jpg)
फिर खुदा ने मूसा से कहा कि “फ़िरोन के सामने हवा में राख उड़ाओ जब मूसा ने ऐसा किया तो तमाम मिस्रियों के जिस्म में दर्द वाले बड़े बड़े फोड़े निकल पड़े ,मगर बनी इस्राईल को कुछ नहीं हो रहा था - मगर खुदा ने फ़िरोन के दिल को सख्त किया और बनी इस्राईल को जाने नहीं दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-08.jpg)
इसके बाद खुदा ने बड़े-बड़े ओले बरसाए जिस के सबब से मिस्रियों के फ़सल का बहुत ज़ियादा नुख्सान होने लगा –बल्कि मिस्रियों में से जो भी घर से बाहर निकलता था वह ओलों से मरजाता था –मगर बनी इस्राईल इन ओ लों से महफूज़ थे फ़िरोन ने मूसा और हारुन को फिर से बुलवा भेजा और उनसे कहा “मैं ने गुनाह किया है ,अब तुम लोग जा सकते हो “सो मूसा ने फ़िरोन के सामने दुआ की और आसमान से ओले बरसना बन्द होगया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-09.jpg)
मगर फ़िरोन ने फिर से गुनाह किया और अपने दिल को सख्त किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-10.jpg)
फिर खुदा ने सारे मुल्क –ए-मिस्र में टिडडीयों के दल भेजेजो पूरे मुल्क-ए-मिस्र में छा गए मगर बनी इस्राईल के खैमों में एक भी टिडडी नहीं था टिडडीयों ने मिस्रियों के सारे फ़सल चट कर गए जो ओलों से बर्बाद नहीं हुए थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-11.jpg)
फिर खुदा ने सारे मुल्क –ए –मिस्र को अँधेरा कर दिया –जहां मिसरी लोग रहते थे वहाँ सब जगह अँधेरा ही अँधेरा था तीन दिन तक लगातार अँधेरा ही अँधेरा पूरे मिस्र में छाया रहा मिसरी लोग अंधरे की वजह से घर से बाहर नहीं निकलते थे मगर बनी इस्राईल जहाँ रहते थे वहां उजाला था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-10-12.jpg)
9 तरह की वाबाएं भेजे जाने के बाद भी फ़िरोन ने बनी इस्राईल को जाने नहीं दिया - फ़िरोन ने मूसा और हारुन की बात नहीं मानी तब ख़ुदा ने फ़ैसला किया कि वह मिस्रियों पर एक आख़री वबा भेजेगा जिससे फ़िरोन का दिलो दमाग बदल जाएगा -
_ख़ुरूज 5 से 10 बाब तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 11. फ़सह
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-01.jpg)
खुदा ने मूसा और हारून को फ़िरोन के पास यह कहलाकर भेजा कि बनी इस्राईल को जाने दे उनहोंने फ़िरोन को आगाह किया कि अगर वह बनी इस्राईल को जाने नहीं देता है तो ख़ुदा मिस्रियों के तमाम पह्लोठे बचचे यहाँ तक कि तमाम जानवरों के पह्लोठों को भी मार डालेगा जब फ़िरोन ने यह बात सुनी तो वो अभी भी एत्काद करने और ख़ुदा की बात मानने से इनकार किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-02.jpg)
ख़ुदा ने पह्लोठे बचचों को बचाने का तरीका निकाला कि चाहे वह जो कोई भी हो वह ख़ुदा पर ईमान लाए हर एक खानदान को एक बर्रे का चुनाव करना था और उसे मारना था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-03.jpg)
ख़ुदा ने बनी इस्राईल से कहा कि बर्रे का खून लेकर अपने अपने घरों के चौखट पर लगाए और उन्हें चाहिए था कि उस बर्रे के गोश्त को अख्मिरी रोटी के साथ भून कर खाए और जल्दी जल्दी खाए ख़ुदा ने उनसे यह भी कहा कि खाने के फ़ौरन बाद अपने खानदान समेत मिस्र से निकलने की तय्यारी करे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-04.jpg)
बनी इस्राईल ने वही सब किया जो खुदा ने उन्हें करने के लिए कहा था –आधी रात को खुदावंद ख़ुदा ने पूरे मिस्र में घूम फिरकर मिस्रियों के तमाम पह्लोठों को मार डाला -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-05.jpg)
तमाम बनी इसराईल के घरों के चौखटों पर खून ही खून था ,सो खुदा उन के घरों को छोड़ता गया घर के अन्दर रहने वाला हर कोई महफूज़ था –वह उस बर्रे के खून के सबब से बचाए गए थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-06.jpg)
मगर मिसरी लोग खुदा पर ईमान नहीं लाए थे न ही उसका हुक्म बजा लाए थे सो खुदा उनके घरों को नहीं छोड़ा खुदा ने तमाम मिस्रियों के घरों में जिनमें पह्लोठे बच्चे थे उन सब को मार डाला -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-07.jpg)
हरएक मिसरी जो क़ैद खाने में था उसके बेटे से लेकर फ़िरोंन के महल में जिन के पह्लोठे बेटे थे वह सब मर गए सो नतीजा यह हुआ कि तमाम मुल्क–ए-मिस्र में रोने और मातम करने की आवाज़ गूंजने लगी वह सारा खानदान शदीद ग़म्गीन और उदासीन था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-11-08.jpg)
उसी रात को फ़िरोन ने मूसा और हारुन को बुलवाया और उनसे कहा “बनी इस्राईल को ले जाओ और जितनी जल्द हो सके मिस्र को छोड़ो “मिसरियों ने भी बनी इस्राईल से इसरार किया कि फ़ौरन मिस्र से निकल जाएं -
_ख़ुरूज 11:1 से 12:32तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 12. ख़ुरूज
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-01.jpg)
बनी इस्राईल मिस्र से निकलने में बहुत ख़ुश थे क्यूंकि आगे को वह ग़ुलाम नहीं थे और वह वादा किया हुआ मुल्क की तरफ़ रवाना हो रहे थे मिस्रियों ने वह सब कुछ दिया जो बनी इस्राएल ने मांगता ताकि उनसे पीछा छुड़ा सके यहाँ तक कि सोना चांदी और दीगर क़ीमती चीज़ें कुछ लोग जो दुसरे कौम के थे उनहोंने भी इन वाक़ियात को देखकर खुदा पर ईमान ले आए और बनी इस्राईल के साथ निकल पड़े जब वह मिस्र को छोड़ रहे थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-02.jpg)
एक ऊँचा बादल का खम्बा दिन में बनी इस्राईल के आगे –आगे चलता था और वही खम्बा रात में आग का खम्बा बन जाता था क्यूंकि खुदा उस बादल और आग के खम्बे में मौजूद था जो हमेशा उन के साथ रहा करता था - और सफ़र में उनकी रहनुमाई करता था बनी इस्राईल को अगर कुछ करना था तो वह यह था कि उसके पीछे –पीछे चलते जाओ -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-03.jpg)
थोड़े ही वक़्त के अन्दर फ़िरोन और उसके लोगों ने अपना इरादा बदल दिया - वह बनी इस्राईल को दोबारा अपना ग़ुलाम बनाना चाहते थे सो उनहोंने बनी इस्राईल का पीछा किया ऐसा उनहोंने खुद से नहीं सोचा था बलकि खुदा ने उनको ऐसा सोचने पर मजबूर किया था –खुदा ने ऐसा इसलिए किया क्यूंकि वह उन्हें याद दिलाना चाहता थ कि “वह” याने “यह्वे” फ़िरोन और तमाम मिसरी देवताओं से बहुत ही ज़ियादा ज़ोरावर है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-04.jpg)
जब बनी इस्राईल ने देखा कि फ़िरोन का फौजी लश्कर उनका पीछा कर रहा है तो उनहोंने महसूस किया कि वह फ़िरोन की फ़ौज और बहर –ए– क़ुलज़म के बीच फँस चुके हैं वह बहुत डर गए और चिल्ला उठे कि मिस्र को छोड़ने में हमने बहुत बड़ी गलती की है हमने मिस्र को क्यूँ छोड़ा ? हम मरने जा रहे हैं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-05.jpg)
मूसा ने बनी इस्राईल से कहा डरो मत आज खुदा हमारी तरफ़ से लड़ेगा और तुमको बचाएगा –फिर खुदा ने मूसा से कहा “अपने लोगों से कह कि वह बहर-ए –कुल्ज़म की तरफ़ बढ़ते जाएं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-06.jpg)
फिर खुदा ने उस बादल के खम्बे को ऐसा घुमाया कि बनी इस्राईल और मिसरी फ़ौज के बीच में इस तरह रखा कि मिसरी फ़ौज बनी इस्राईल को देख नहीं सकते थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-07.jpg)
खुदा ने मूसा से कहा “अपना हाथ समुन्दर के ऊपर उठा” जब मूसा ने ऐसा किया तो समुन्दर के दाएं और बाएँ दोनों तरफ़ हवा का दबाव पड़ा और दोनों तरफ़ के पानी को हटा दिया जिससे समुन्दर के बीचों बीच एक सूखा रास्ता बन गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-08.jpg)
बनी इस्राईल उस सूखी ज़मीन के रास्ते चल पड़े और उन्हों ने देखा कि उनकी दाएँ और बाएं तरफ़ मानो पानी की दीवार खड़ी है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-09.jpg)
फिर खुदा ने उस बादल के खम्बे को उन के बीच से हटाया ताकि मिसरी लोग देख सकें कि बनी इस्राईल किस तरह बचकर निकल रहे थे सो मिसरी फ़ौजियों ने चाहा कि उनका पीछा करें -
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सो उनहोंने बनी इस्राईल का पीछा करके वह भी समुन्द्र के उस सूखे रास्ते से गुज़रे मगर खुदा ने उनके लिए रास्ता बन्द कर दिया ,जो पानी की दीवार थी वह आपस में मिल गई और मिसरियों के घोड़ों के रथ पानी में डूबने लगे मिसरी लोग चिल्लाने लगे “यहाँ से भागो क्यूंकि खुदा बनी इस्राईल की तरफ़ से लड़ने पर आमादा है –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-11.jpg)
तमाम बनी इस्राईल जब बहर–ए-क़ुल्ज़ुम के उस पार पहुँच गए तो खुदा ने मूसा से कहा ”अपना हाथ समुन्दर की तरफ़ बढ़ा ,जब मूसा ने ऐसा किया तो पानी मिस रियों की फ़ौज पर गिर पड़ा और अपनी क़ुदरती हालत पर आगया मिस्र की सारी फ़ौज पानी में डूब कर मर गई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-12-12.jpg)
जब बनी इस्राईल ने देखा कि सारी मिसरी फ़ौज पानी में डूब कर मर गई तो उन्हों ने खुदा पर भरोसा किया वो ईमान लाए कि मूसा खुदा का एक नबी है -
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बनी इस्राईल ने खुशियाँ मनाई क्यूंकि खुदा ने उनको न सिर्फ़ मरने से बल्कि गुलामी से भी छुटकारा दिया –अब वह खुदा की इबादत करने और उसका हुक्म बजा लाने के लिए आज़ाद थे - बनी इस्राईल ने अपनी नई आज़ादी मनाने की ग़रज़ से खुदा की हम्द के गीत गाए कि किस तरह खुदा ने उनको मिसरी फ़ौज से बचाया -
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खुदा ने बनी इजराइल को हुक्म दिया कि हर साल इस छुटकारे के दिन को याद करने के लिए ईद मनाएं कि किस तरह खुदा ने मिस्रियों को हराया और उन्हें उनकी गुलामी से आज़ाद किया इस ईद का नाम फ़सह का ईद था इस फ़सह की ईद में उन्हें एक तंदरुस्त और मोटे ताज़े बर्रे को मारना होता है - उसको भूनना पड़ता है और अख्मीरी रोटी के साथ अपने खानदान के साथ खड़े होकर जल्दी –जल्दी खाना पड़ता है -
_ख़ुरूज 12:33 से लेकर 15:21 तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 13 . बनी इस्राईल के साथ खुदा का मुआहदा
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बहर –ए– क़ुल्ज़ुम के ज़रिये बनी इस्राईल को जब खुदा ने रहनुमाई की तो उसने उन्हें बयाबान में भी एक पहाड़ी की तरफ़ रहनुमाई की जो सीना का पहाड़ कहलाता है –यह वही पहाड़ है जहां मूसा ने जलती हुई झाड़ी को देखा था बनी इस्राईल ने इसी पहाड़ी के नीचे अपने डेरे डाले थे -
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खुदा ने मूसा और तमाम बनी इस्राईल से कहा “तुम्हें हमेशा मेरे अहकाम बजा लाने होंगे और मेरे अहद को मानना होगा जो मैं तुझ से बाधूंगा –अगर तुम यह करोगे तो तुम मेरे इनाम वाली मिलकियत ,शाही काहिनों का फ़िरक़ा और पाक कौम ठहरोगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-03.jpg)
तीन दिन तक लोगों ने खुद को तैयार होने में लगाया - खुद को पाक साफ़ किया कि खुदा उनके क़रीब आसके फिर खुदा सीना पहाड़ पर नीचे उतर आया जब वह आया तो माहोल में शोर ओ ,गुल गरजनें , बिजलियों की चमक ,धुंआ ,क़रना की बुलंद आवाज़ पूरी तरह से सारा पहाड़ और आस पास का माहौल गूँज उठा ऐसा कि सीना पहाड़ पूरी तरह से हिल गया हो फिर मूसा खुद ही पहाड़ के ऊपर गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-04.jpg)
फिर खुदा ने लोगों के साथ एक अहद बाँधा ,खुदा ने कहा “मैं यह्वे तुम्हारा खुदा हूँ मैं ने ही तुमको मिस्र की गुलामी से बचाया है तुम कभी भी ग़ैर माबुदों की परस्तिश न करना -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-05.jpg)
तुम अपने लिए कोई तराशी हुई मूरत न बनाना ,न उनकी परस्तिश करना –क्यूंकि मैं यह्वे ही तुम्हारा अकेला खुदा हूँ , तुम मेरा नाम बे फ़ाइदा न लेना- याद करके तू सबत का दिन पाक मानना दुसरे लफ़्ज़ों में छे दिनों में तुम अपना काम काज करन , पर सातवाँ दिन तेरे लिए आराम का दिन ठहरे , उस दिन तू मुझे याद करना -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-06.jpg)
तू अपने बाप और मां की इज्ज़त करना - तू खून न करना- तू ज़िना न करना तू चोरी न करना तू झूट न बोलना तू अपने पड़ौसी के घर का लालच न करना ,न उसकी बीवी का लालच करना तू उसके घर के किसी भी चीज़ का लालच न करना -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-07.jpg)
फिर खुदा ने उन दस अहकाम को पत्थर के दो लोहों पर लिख दिए और उन्हें मूसा को दे दिए खुदा ने लोगों को कुछ और क़ानून क़ाइदे भी दिए कि उनको माने –अगर वह उसके अहकाम बजा लाते हैं तो खुदा ने वादा किया कि वह उन्हें बरकत देगा और उनकी हिफ़ाज़त करेगा मगर उसने कहा कि अगर वह उह्काम नहीं बजा लाते हैं तो वह उन्हें सज़ा देगा-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-08.jpg)
खुदा ने बनी इस्राईल से यह भी कहा कि एक बड़ा सा ख़ेमा बनाएं ---- याने कि ख़ेमा –ए- इजतिमा उसने उनसे कहा कि बा - क़ाईदा तौर से किसी तरह इस ख़ेमे को बनाना है और उसके अन्दर कौन कौन सी चीज़ें किस लकड़ी या पत्थर से बनाई जाए या तराशा जाए खेमा और दो कमरों के बीच एक बड़ा सा पर्दा लगाने को कहा गया था ताकि खुदा परदे के पीछे वाली कमरे में आकर सुकूनत कर सके सामने वाले कमरे को पाक मक़ाम और बिलकुल अन्दर वाला कमरा जो परदे के पीछे था उसे पाक्तरींन मक़ाम कहा जाता था पाक तरीन मक़ाम जहाँ खुदा की सुकूनत थी उसके अन्दर सिर्फ़ सरदार काहिन को ही साल में एक बार दाखिल होने की इजाज़त थी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-09.jpg)
खेमा –ए- इज्तिमा के आगे की तरफ़ लोगों को एक मज़बह भी बनाने की ज़रूरत थी जो शख्स खुदा की शरीअत के ख़िलाफ़ कोई गुनाह करता था तो उसको मजबह के पास एक जानवर को लाना ज़रूरी था –फिर एक काहिन उस को ज़बह करता था , और ख़ुदा के लिए उसको मज़बह पर चढ़ाता था ख़ुदा ने कहा कि उस जानवर का खून उस शख्स के गुनाह को ढ्केगा इस बतौर खुदा उस शख्स के गुनाह को आइन्दा के लिए नहीं देखेगा वह शख्स खुदा के हुज़ूर पाक ठहरेगा खुदा ने मूसा के भाई हारून और उसकी नसल को काहिन होने के लिए चुना -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-10.jpg)
लोग इस बात पर राज़ी हुए कि वह खुदा की दी हुई शरीयत को ख़ुशी के साथ बजा लाएंगे वह इस बात से भी राज़ी हुए कि वह सिर्फ़ और सिर्फ़ खुदा के लोग हैं और सिर्फ़ उसी की परस्तिश करेंगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-11.jpg)
कई दिन तक के लिए मूसा ने सीना पहाड़ के ऊपर क़याम किया वह खुदा से बातें करता रहा मगर बनी इस्राईल मूसा के वापस नीचे आने का इंतज़ार करते -करते थक गए सो उनहोंने हारुन के पास सोना लाकर कहने लगे तू हमारे लिए एक बुत बना ताकि हम खुदा के बदले उस बुत की परस्तिश कर सकें इस तरह उनहोंने खुदा के ख़िलाफ़ एक हौलनाक गुनाह किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-12.jpg)
हारुन ने बछड़े की शक्ल में एक सोने की मूरत बनाई –लोग बुरी तरह से उस मूरत की पूजा करने लगे ,यहाँ तक कि उसके आगे नाचने , कूदने , और कुर्बानियां भी चढ़ाने लगे जब खुदा ने यह देखा तो उनके इस गुनाह पर उसको बहुत ग़ुस्सा आया वह उन्हें बर्बाद कर देना चाहता था मगर मूसा ने उनकी सिफ़ारिश की कि उन्हें हालाक न करे खुदा ने मूसा की दरखास्त सुनी और उन्हें हलाक करने से बाज़ आया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-13-13.jpg)
आखिर –ए-कार मूसा सीना पहाड़ से नीचे उतर आया –वह अपने हाथ में पतथर की दो लोहें लिए हुए था जिसमें खुदा ने दस अहकाम लिखे थे फिर उसने जब उस बछड़े की मूरत को देखा तो बहुत गज़बनाक हुआ और हाथ में लिए हुए दस अह्काम की लोहों को ज़मीन पर पटक कर तोड़ डाला -
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फिर मूसा ने उस मूरत को पीसकर उसका सफ़ूफ़ बनाया और उसको पानी में घोलकर जो लोग उसमें शामिल थे उनको पिलाया खुदा ने उन पर एक वबा भेजी और उनमे से बहुत से उस वबा से मर गए -
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दस अहकाम के लिए मूसा ने जिन दो लोहों को तोड़ डाला था उसके बदले में खुदा ने दो नई लोहें बनाई –फिर वह सीना पहाड़ पर ही उन लोगों के लिए मुआफी की दरखास्त करने लगा खुदा ने मूसा की दरखास्त सुनी और उन्हें मुआफ कर दिया मूसा दस अहकाम के नए लोहों के साथ पहाड़ से नीचे उतरा फिर खुदा ने सीना पहाड़ पर से वादा किए हुए मुल्क की तरफ़ बनी इस्राईल की राह्नुमाई की -
_खरूज 19 बाब से लेकर 34 बाब तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 14. बयाबान में घूमना फिरना
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खुदा बनी इस्राईल से अपने अहद के सबब से शरीअत की तमाम बातें यह कहकर ख़तम की कि तुमको इस पर चल्ना ज़रूरी है फिर उसने सीना पहाड़ से उनकी रहनुमाई की खुदा उन्हें वादा किए हुए मुल्क में ले जाना चाहता था - उस मुल्क को मुल्क –ए– कनान भी कहा जाता है खुदा बादल के खम्बे में होकर उन के आगे –आगे चलौर बनी इस्राईल उनके पीछे –पीछे चले -
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खुदा ने अब्रहाम , इज़हाक़ और याक़ूब से वादा किया था कि वह उनकी नसल को वादा किया हुआ मुल्क देगा मगर अब वहां पर कई लोगों के दीगर कबीले रह रहे थे जिन्हें कनानी लोग कहा जाता था कनानी लोग न तो खुदा की परस्तिश करते थे और न उसका हुक्म बजा लाते थे-वह झूटे माबूदों की परस्तिश करते थे और कई एक बुरे काम अंजाम देते थे -
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खुदा ने बनी इस्राईल से कहा था कि “ जब तुम वादा किए हुए मुल्क मे पहुंचो तो वहां पर तमाम कनानियों से छुटकारा पाना होगा और उन्हें मुल्क से ख़ारिज करना होगा उनसे कभी सुलह मत करना और न उनके साथ शादी के रिश्ते बनाना तुम उनके तमाम बुतों को बर्बाद कर देना अगर तुम मेरा हुक्म नहीं बजा लाओगे तो तुम मेरे बदले में उनके माबुदों की परस्तिश करते हुए ख़त्म हो जाओगे
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-04.jpg)
जब बनी इस्राईल कनान की सरहद पर पहुंचे तो मूसा ने बनी इस्राईल के बारह क़बीलों में से हरएक कबीले के एक आदमी को चुना –और उन्हें नसीहत दी कि वहां जाएं और वहां का भेद लें कि वह मुल्क कैसा है ,वहां के लोग कैसे हैं ,वह लोग ताक़तवर हैं कि कमज़ोर हैं ?
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-05.jpg)
यह बारह आदमी कनान की तरफ सफ़र के लिए रवाना हुए –और चालीस दिन बाद वापस आए उन्हों ने लोगों से कहा कि वहाँ की ज़मीन ज़रखेज़ है और फ़सल अफरात से है मगर इन बारह में से दस ने कहा कि वहां की शहरें मज़बूत हैं- वहां पर (बनी अनाक़) यानि क़द आवर लोग पाए जाते हैं ! अगर हम उनपर हमला करेंगे तो वह यक़ीनन हम को शिकस्त दे देंगे वगैरा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-06.jpg)
फ़ौरन कालेब और यशो और दीगर दो जासूसों ने कहा “यह सच है कि कनान के लोग लम्बे चौड़े और ताक़तवर लोग हैं ,मगर यक़ीनन हम उन्हें शिकस्त देदेंगे और खुदा हमारी तरफ़ लड़ेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-07.jpg)
मगर लोगों ने कालेब और यशो की नहीं सुनी- वह मूसा और हारुन से ग़ुस्सा हुए और उनसे कहा “तुम क्यूँ हमें इस हौलनाक जगह पर ले आए ? हाय काश हम मिस्र में ही मार जाते ,या वहीँ पर रह जाते जब हम मुल्क के अन्दर जाएंगे तो हम जंग में मारे जाएंगे-और कनानी लोग हमारे बीवी बचचों को गुलाम बना लेंगे-लोगों यहाँ तक भी चाहा कि एक फ़रक़ सरदार चुन लिया जाए जो हम को वापस मिस्र तक लेजाए
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-08.jpg)
जब लोगों ने ऐसा कहा तो खुदा उनसे बहुत गुससा हुआ जब वह खेमा –ए- इजतमा में आए तब खुदा ने उनसे कहा “तुमने मेरे ख़िलाफ़ बग़ावत की है –तुम में से जितनों ने ऐसा कहा है हर कोई इस बयाबान में भटकता रहेगा तुम में से जो बीस साल का या उस से ऊपर का हो जिस ने बगावत की है वह इसी बयाबान में भटकते –भटकते मर जाएगा –और वह मुल्क –ए-कनान में दाख़िल नहीं होंगे जिसे मैं तुमको देने वाला था सिर्फ़ यशो और कालेब का घराना उस मुल्क में दाखिल होने पाएंगे –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-09.jpg)
जब लोगों ने सुना कि खुदा यूँ कह रहा है तो उन्हें पछतावा हुआ क्यूंकि उनहोंने गुनाह किया था –उनहोंने जोश में आकर कहा ,”आओ हम कनानियों पर हमला करने चलें मगर मूसा ने उन्हें खबरदार करके कहा “मत जाओ,क्यूंकि ख़ुदावंद खुदा तुम्हारे साथ नहीं जाएगा मगर उनहोंने मूसा की नहीं सुनी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-10.jpg)
खुदा उन के साथ नहीं था जब वह हमला करने गए थे –जिसका नतीजा यह हुआ कि उन सबको कनानियों ने शिकस्त दी और उन में से कुछ को हालाक कर डाला –फिर ना उम्मीद होकर बनी इस्राईल कनान से वापस लौटे बाक़ी चालीस साल तक वह बयाबान में भटकते फिरे
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-11.jpg)
चालीस सालों के दौरान बनी इस्राईल बयाबान में आवारा फिरते रहे खुदा ने उनके लिए सारी ज़रूरतें मुहय्या कीं –खुदा ने उन के लिए आसमान से रोटी इनायत की जिसे “ मन्न “ कहा गया खुदा ने उनके लिए बटेरों का भी इंतज़ाम किया था उनके झुण्ड खेमों के सामने भेजे थे ताकि उन्हें गोश्त खाना नसीब हो उन चालीस बरसों के दौरान खुदा ने न तो उनके कपड़े पुराने होने,न उनके जूते फटने दिए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-12.jpg)
यहाँ तक कि खुदा ने उनके लिए चट्टान से पानी निकाला कि वह अपनी प्यास बुझा सके इनसब के बावजूद भी बनी इस्राईल ने मूसा और हारुन और खुदा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई, शिकायतें करने , और बड़ बड़ाने लगे थे –फिर भी खुदा उनकी बाबत वफ़ादार रहा –उसने वह सब कुछ किया जो उसने अब्रहाम , इज़हाक़ और याक़ूब की नसल के साथ करने का वादा किया था
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-13.jpg)
दूसरी दफ़ा जब बनी इस्राईल के पास पानी नहीं था तो खुदा ने मूसा से कहा था कि चट्टान से बातें करे तो चट टान में से पानी निकल आएगा “-मगर मूसा ने चट्टान से बात नहीं की बल्कि उसने दो बार चट्टान को लाठी से मारा –इस तरह मूसा खुदा के हुक्म के ख़िलाफ़ गया और उसकी ताज़ीम नहीं की –चट्टान से सब के पीने के लिए पानी तो निकल आया था मगर खुदा ने मूसा से कहा था कि,इसलिए कि तू ने ऐसा किया तुम वादा किए हुए मुल्क में हरगिज़ दाख़िल नहीं होगे –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-14.jpg)
बनी इस्राईल के 40 साल तक बयाबान में चक्कर लगाने के बाद वह सब के सब जिन्होंने खुदा के ख़िलाफ़ बग़ावत की थी वह सब बयाबान में ही ढेर हो गए –खुदा ने फिर से लोगों को वादा किया हुआ मुल्क के किनारे ले गया –मूसा बहुत बूढ़ा हो चुका था –सो खुदा ने यशो को चुना कि बनी इस्राईल की रहनुमाई में उनकी मदद करे –फिर खुदा ने मूसा से वादा किया कि एक दिन वह अपने लोगों के लिए मूसा की मानिंद एक दूसरा नबी भेजेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-14-15.jpg)
फिर खुदा ने मूसा से कहा कि पहाड़ की चोटी पर चला जाए ताकि वह वादा किए हुए मुल्क को अपनी आँखों से देख ले –मगर खुदा ने उसको इजाज़त नहीं दी कि वह उसमें दाखिल हो –फिर मूसा मर गया और बनी इस्राईल ने उसके लिए 30 दिन का मातम मनाया –यशो अब बनी इस्राईल का नया रहनुमा था यशो एक अच्छा रहनुमा था –क्यूंकि उसने खुदा पर भरोसा किया था और उसका हुक्म बजा लाया था -
_ख़ुरूज 16 से 17 बाब,गिनती 10:14 से 20:27 और इस्तिसना 34 बाब से बाइबिल की एक कहानी _

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# 15. वादा किया हुआ मुल्क
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-01.jpg)
आखिरेकार वह वक़्त था बनी इस्राईल के लिए कि कनान में दाखिल हों वादा किया हुआ मुल्क उस मुल्क में एक शहर था जिस का नाम यरीहो था - उस शेहर के चारों तरफ़ मज़बूत दीवारें थीं ताकि महफूज़ रह सके –यशो ने उस शेहर में दो जासूस भेजे उस शेहर में राहब नाम की एक फाहिशा रहती थी –उस फ़ाहिशा ने इन दो जासूसों को अपने घर में छिपा रखा था बाद में उसने इनकी मदद की कि शेहर से बच कर निकल सके उसने ऐसा इसलिए किया क्यूंकि वह खुदा पर ईमान रखती थी –उन जासूसों ने वादा किया था कि जब बनी इस्राईल यरीहो को बर्बाद करेंगे तो वह उसे और उसके ख़ानदान को बचा लेंगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-02.jpg)
वादा किए हुए मुल्क में दाख़िल होने के लिए बनी इस्राईल को यरदन नदी पार करना ज़रूरी था –खुदा ने यशो से कहा , “सब से पहले काहिनों को जाने दे”जब कहिनो ने यरदन नदी में अपना क़दम रखा तो पानी का बहाव अपने आप से बन्द होगया ताकि बनी इस्राईल यरदन पार होकर सूखी ज़मीन पर जा सके -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-03.jpg)
जब लोग यरदन पार हो गए तो खुदा ने यशो से कहा “यरीहो पर हमला करने के लिए तैयार होजाओ इस के बावजूद भी कि शेहर बहुत मज़बूत था खुदा ने लोगों से कहा कि उन के काहिन और सिपाहियों को हर दिन एक चक्कर शेहर का लगाना चाहिए , इस तरह से छ दिन चक्कर लगाएं सो काहिनों और सिपाहियों ने ऐसा ही किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-04.jpg)
फिर सातवें दिन बनी इस्राईल ने शेहर का चक्कर सात बार और लगाया जब उन्हों ने सातवें बार शेहर का चक्कर लगाना खत्म किया उस के बाद कहिनों ने अप नी तुरहियाँ बजाईं और सिपाही बुलंद आवाज़ से चिल्लाए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-05.jpg)
तब यरीहो के चारों तरफ़ की दीवार नीचे गिर पड़ी ! बनी इस्राईल को जैसा खुदा ने हुक्म दिया था शेहर के हर एक चीज़ को उनहोंने तबाह व बर्बाद कर दिया सिर्फ़ उन्हों ने राहब और उसके ख़ानदान को छोड़ दिया जो बनी इस्राईल का हिस्सा बन चुकी थी कनान के दुसरे लोगों ने जब सुना कि बनी इस्राईल ने यरीहो को बर्बाद कर दिया , तब वह बनी इस्राईल से हैबत खाने लगे कि बनी इस्राईल उन पर भी हमला बोल सकते हैं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-06.jpg)
खुदा ने बनी इस्राईल को हुक्म दिया था कि कनान के किसी भी लोगों की जमाअत से कभी भी समझोता न करें मगर कनानी लोगों की जमाअत में से एक जिन्हें यबूसी कहा जाता है यशो से झूट बोला कि वह कनान से बहुत दूर इलाक़े में रहते हैं उनहोंने यशो से समझौते की दरखास्त की यशो और दीगर बनी इस्राईल के रहनुमाओं ने खुदा से नहीं पूछा कि उन्हें क्या करना चाहिए इसके बदले में उन्हों ने याबुसियों से सम्झौता करली -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-07.jpg)
तीन दिन बनी इस्राईल ने पाया कि यबूसी लोग कनान में रहने लगे थे वह यबुसियों से ग़ुस्सा हुए क्यूंकि उनहोंने बनी इस्राईल को धोका दिया –मगर उनहोंने अपने समझौते को जारी रखा क्यूंकि यह खुदा के सामने किया हुआ वादा था कुछ अर्से बाद कनान के दूरी जमाअत के लोग अमोरियों ने सुना कि याबूसियों ने बनी इस्राईल से समझौता कर रखा है तब उन्होंने एक बड़ी फ़ौज तैयार की और यबूसियों पर हमला बोल दिया तब यबूसियों ने मदद के लिए यशो को एक पैग़ाम भेजा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-08.jpg)
सो यशो ने बनी इस्राईल की एक फ़ौज तय्यार की और पूरी रात याबूसियों तक पहुँचने के लिए चलते रहे बहुत सवेरे उन्हें यह देखकर ताज्जुब लगा कि अमूरी फ़ौज पर पहले ही से हमला हो रखा था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-09.jpg)
उस दिन बनी इस्राईल के हक़ में खुदा ने जंग लड़ी थी उसने अमूरियों पर ओले बरसाकर उन्हें परेशान कर दिया था और बहुत से अमूरियों को हलाक कर डाला था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-10.jpg)
खुदा ने सूरज को भी एक जगह पर रुके रहने का सबब बनाया ताकि बनी इस्राईल पूरी तरह से अमूरियों को शिकस्त देने के लिए वक़्त ले सके उस दिन खुदा ने बनी इस्राईल को बड़ी फ़तेह दिलाई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-11.jpg)
जब खुदा ने उन फ़ौजों को शिकस्त दी उसके बाद कनानियों की दीगर जमाअत ने मिलकर बनी इस्राईल पर हमले किए मगर यशो और बनी इस्राईल ने मिलकर बहुत बुरी तरह से उन पर हमला किया और उन्हें बर्बाद कर दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-12.jpg)
इन जंगों के बाद खुदा ने बनी इस्राईल के हर एक कबीले को वादा किया हुआ मुल्क का एक हिस्सा अता किया –फिर खुदा ने बनी इस्राईल को उनकी तमाम सरहदों पर अमन –ओ-अमान और सुलह सलामती बखशी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-15-13.jpg)
जब यशो बूढ़ा हो गया तब उसने तमाम बनी इस्राईल को जमा होने का हुक्म दिया तब उसने लोगों को याद दिलाया कि उनहोंने खुदा के अहद पर चलने का वादा किया है जो उसने सीना पहाड़ पर हासिल किया था तब लोगों ने यशो से वादा किया कि वह खुदा के वफ़ादार रहेंगे और उसकी शरीअत को मानेंगे -
_यशो 1 बाब से 24 बाब तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 16. छुटकारा देने वाले
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-01.jpg)
यशो के मरने के बाद बनी इस्राईल ने खड़ा की नाफ़र्मानी की , वह उसका हुक्म नहीं बजा लाए –उन्हों ने खुदा के शरीअत की इताअत नहीं की न ही उन्हों ने बचे हुए कनानियों को मुल्क से बाहर किया बनी इस्राईल ने सच्चे खुदा यह्वे के बदले कनानियों के देवताओं की परस्तिश की बनी इस्राईल के पास कोई बादशाह नहीं था इसलिए हर किसी ने वही किया जो उनकी नज़र में ठीक था -
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बनी इस्राईल खुदा की ना फ़रमानी करते हुए एक ऐसा नमूना इख्तियार किया जिसको उनहोंने बार बार ( कई बार) अंजाम दिया - वह नमूना इसतरह चला कि :बनी इस्राईल ने बहुत बार सालों तक खुदा की नाफ़रमानी की-फिर ख़ुदा उन्हें अपने दुशमनों से शिकस्त खाने के ज़रिए उन्हें सज़ा देता था उनके दुशमन उनकी चीज़ें चुरा लेते थे, उनकी जाएदाद बर्बाद करते और लूट लेते थे और उन में से बहुतों को क़त्ल करते थे फिर जब उनके दुशमनों नें उनपर ज़ुल्म ढाया और उन्हें मग्लूब किया तो बनी इस्राईल ने अपने गुनाहों से तौबा की और ख़ुदा से मिन्नत की कि वह उन्हें छुड़ाए -
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हर बार जब भी बनी इस्राईल तौबा करते थे खुदा उन्हें छुड़ाता था उस ने ऐसा एक छुड़ाने वाले का इंतज़ाम करते हुए किया ---एक ऐसा शख्स जो उनके दुशमनों से लड़े और उन्हें शिकस्त दे –फिर मुल्क में अमन होता था और छुड़ाने वाला अच्छी तरह उनपर हुकूमत करता था –लोगों को छुड़ाने के लिए खुदा ने कई एक छुटकारा दिलाने वालों को भेजा –खुदा ने फिर से मिद्यानियों को जो उन के पास के दुश्मन थे इस्तेमाल किया कि वह बनी इस्राईल को शिकस्त दे -
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मिद्यानियों ने सत साल तक बनी इस्राईल के फ़सल को लूटा –बनी इस्राईल उनसे बहुत ज़ियादा डर गए थे –उनमें से बहुत से ग़ारों में छिपने लगे थे कि वह उन्हें न पाएं –आखिरेकार उन्हों ने खुदा को पुकारा की वह उन्हें बचाए -
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एक इसराईली आदमी था जिस का नाम जिदौन था वह एक पोशीदा जगह में खलियान साफ़ कर रहा था कि मिद्यानी उसे चुरा न लेजाए यह्वे का फ़रिश्ता उस के पास आया और उससे कहा “ऐ ज़बरदस्त सूरमा खुदा तेरे साथ है ! जा, और बनी इस्राईल को मिद्यानियों से छुड़ा”-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-06.jpg)
जिदौन के बाप ने एक बुत के लिए एक मज़बह मख्सूस किया हुआ था –पहली बात जो खुदा ने जिदौन से कही वह यह कि जिदौन अपने बाप के मजबह को तोड़ डाले –मगर जिदौन लोगों से डरता था –तो फिर उसने रात भर का इंतज़ार किया और उसने उस मजबह के टुकड़े –टुकड़े कर डाले –उसने उस के पास ही और खुदा के लिए एक नया मजबह बनाया और उसके लिए उसपर एक क़ुर्बानी चढ़ाई -
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दूसरे दिन सुबह के वक़्त लोगों ने देखा कि किसी ने मज़बह की खूब दुर्गत की है और वह बहुत ग़ुस्से हुए –यह सोचकर कि जिदौन ने किया होगा वह उस के घर उसको हलाक करने गए –मगर जिदौन के बाप ने कहा ,”तुम क्यूँ अपने देवता की मदद करना चाहते हो ?अगर वह देवता है तो अपनी हिफ़ाज़त खुद को करने दो –इसलिए कि उस ने ऐसा कहा लोगों ने जिदौन को नहीं मारा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-08.jpg)
मिद्यानी लोग फिर से बनी इस्राईल की फ़सल चुराने आए –वह गिनती में बे - शुमार थे जिदौन ने बनी इस्राईल को जमा किया कि मिद्यानियों के ख़िलाफ़ लड़ाई करे –जिदौन ने खुदा से दो निशानी मांगी कि सच –मुच खुदा बनी इस्राईल को बचाने के लिए उससे कह रहा है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-09.jpg)
पहली निशानी के लिए जिदौन ने एक भेड़ के चमड़े को मैदान पर रखा और खुदा से मांग करी कि ओस की बूँदें सिर्फ़ उस चमड़े पर गिरे और ज़मीन सूखी रहे ,सो खुदा ने ऐसा ही किया, दूसरी रात जिदौन ने कहा कि सिर्फ़ ज़मीन पर ओस गिरे और चमड़ा सूखा रहे यो खुदा ने ऐसा भी किया– इन दो निशानियों के सबब से जिदौन ने एत्काद किया कि खुदा सचमुच बनी इस्राईल को मिद्यानियों से बचाना चाहता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-10.jpg)
फिर जिदौन ने इस्राईल के सिपाहियों को बुलाया कि वह उसके पास आए और 32,000 मर्द उसके पास जमा हुए-खुदा ने कहा यह बहुत ज़ियादा हैं सो जिदौन ने उन 22,000 लोगों को वापस भेज दिया जो जंग करने से डरते थे खुदा ने जिदौन से कहा कि अभी भी लोग ज़ियादा हैं –सो जिदौन ने 300 सिपाहियों को छोड़ बाक़ी सबको घर भेज दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-11.jpg)
उस रात खुदा ने जिदौन से कहा “नीचे मिद्यानियों की छावनी में जा और चुपके से उनकी बातें सुन –जब तुम उनकी बातें सुनोगे तो उनपर हमला करने से डर नहीं लगेगा –सो उस रात जिदौनु उनकी छावनी पर गया और एक मिद्यानी सिपाही को अपने दोस्त से यह कहते सुना जो उसने ख़ाब में देखा था उसका खाब यह था की गिदोन की फ़ौज हमको (मिद्यानियों की फ़ौज) को हरा देगी जब जिदौन ने यह सुना तो उसने खुदा के आगे सर को झुकाया -
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फिर जिदौन ने अपने सिपाहियों में से हर एक को एक नरसिंगा, एक मटका , और एक मशाल दिया –उन्हों ने छावनी की घेराबंदी की जहाँ मिद्यानी सिपाही सो रहे थे –जिदौन के 300 सिपाहियों के पास मटकों के अन्दर मशालें थीं ताकि मिद्यानी मशालों की रौशनी को न देख सके -
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फिर जिदौन के तमाम सिपाहियों ने एक ही वक़्त में अपने-अपने मटके फोड़े ताकि उनकी मशालें रोशन होजाए फिर उन सब ने एक साथ नरसिंगा फूँका और चिल्लाए “यह्वे की तलवार और गिदोन की तलवार “
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खुदा ने मिद्यानियों को इस तरह मुताज्जुब और परेशान कर दिया कि वह एक दुसरे पर हमला करने और उन्हें हलाक करने लगे जिदौन ने फ़ौरन पैग़ाम देने वालों को भेजकर दीगर इस्रईलियों बुलवा भेजा कि वह अपने –अपने घरों से निकलें और मिद्यानियों का पीछा करके उनको क़त्ल करें –सो उनहोंने उनका पीछा किया और इस्राईल के मुल्क से बाहर ले जाकर उन्हें क़त्ल किया –उस दिन 1,20,000 मिद्यानी मारे गए इस तरह खुदा ने बनी इस्राईल को मिद्यानियों से छुटकारा दिलाया -
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लोग जिदौन को अपना बादशाह बनाना चाहते थे –मगर जिदौन ने ऐसा होने नहीं दिया मगर उसने उनसे कुछ सोने की अंगूठी मांगी जो उनहोंने मिद्यानियों से लूटा था –मगर मिद्यानियों ने जिदौन को बहुत सारा सोना दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-16.jpg)
फिर जिदौन ने उन सोने के जेवरात से सरदार काहिनों के पहनने के लिए ख़ास चोगे बनवाए –मगर बाद में लोगों ने उन चोगों को मूरत बतौर पूजना शुरू कर दिया –सो खुदा ने बनी इस्राईल को इस बात के लिए फिर से सज़ा दी –क्यूंकि उनहोंने उन कपड़ों की परस्तिश बुत बतौर की –वह सज़ा यह थी कि उन के दुश्मनों से उनको शिकस्त मिली आखिरकार उनहोंने खुदा से फिर से मदद मांगी –और खुदा ने उनको बचाने के लिए एक दूसरा छुड़ाने वाला भेजा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-17.jpg)
इसी तरह एक ही चीज़ कई बार वाक़े हुआ –बनी इस्राईल गुनाह करते थे,खुदा उन को सज़ा देता था ,फिर वह तौबा करते थे और खुदा उनको बचाने के लिए किसी न किसी को भेजता था बहुत सालों तक खुदा ने कई एक छुड़ाने वाले भेजे जिन्होंने बनी इस्राईल को उनके दुशमनों से छुड़ाया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-16-18.jpg)
आखिर कार लोगों ने खुदा से एक बादशाह की मांग की जिस तरह दीगर कौमों के हुआ करते थे –उन्हों ने एक ऐसा बादशाह चाहा जो लम्बा और क़द आवर और ताक़तवर हो जो जंग में उनकी रहनुमाई कर सके मगर खुदा ने उनकी दरखास्त कबूल नहीं की मगर जैसा उन्हों ने एक बादशाह माँगा था वैसा उनको दे दिया -
_कुज़ात 1-3 ; 6-8 ;1 समुएल 1-10 बाइबिल की एक कहानी _

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# 17. खुदा का अहद दाउद के साथ
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साउल बनी इस्राईल का पहला बादशाह था –वह लम्बा चौड़ा और हसीन था जिसतरह लोग चाहते थे शुरू के कुछ सालों तक साउल एक अच्छा बादशाह बतोर बनी इस्राईल पर हुकूमत की मगर बाद में वह एक बुरा बादशाह बनगया जिस ने खुदा का हुक्म नहीं बजा लाया इसलिए खुदा ने एक फरक आदमी को चुना कि एक दिन उसकी जगह पर बादशाह बने -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-02.jpg)
खुदा ने दाउद नाम के एक जवान इस्राईली को चुना और उसको तय्यार करना शुरू कियाकि वह शाऊल के बाद बादशाह बने दाऊद बेथलेहम शहर का एक चरवाहा था –फ़रक फ़रक औक़ात में दाऊद ने एक बब्बर शेर और एक रींच को मारा था जो उसके बाप की भेड़ों पर हमला किए थे जब वह उन्की निगहबानी कर रहा था –दाऊद एक हलीम और रास्त्बाज़ शख्स था –उसने खुदा पर भरोसा किया और उसका हुक्म बजा लाया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-03.jpg)
जब दाऊद अभी एक जवान ही था उसने एक पहलवान से लड़ाई की जिसका नाम जाती जूलियत था जुलियत एक अच्छा सिपाही था –वह बहुत ही ताक़तवर और तीन मीटर ऊँचा था ! मगर खुदा जुलियत को मारने और बनी इस्राईल को बचाने में दाऊद की मदद की –उसके बाद दाऊद बनी इस्राईल के दुशमनों पर फ़तेह हासिल करता गया –फिर दाऊद एक बहुत बड़ा सिपाही बन गया –और उसने कई एक जंगों में इस्राईली फ़ौज की रहनुमाई की –लोग उसकी बहुत ज़ियादा तारीफ़ करने लगे थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-04.jpg)
लोग दाऊद से इतना ज़ियादा प्यार करने लगे थे कि साउल बादशाह उससे हसद रखने लगा था –आख़िर कार वह उसको हलाक करना चाहता था इसलिए दाऊद उससे और उसकी फ़ौज से छिपने के लिए बयाबान को भाग गया - एक दिन जब शाऊल और उसके सिपाही उसकी राह देख रहे थे तो शाऊल एक ग़ार के अन्दर गया –और वह वही ग़ार था जिस के अन्दर दाऊद छिपा हुआ था - मगर शाऊल ने उसे नहीं देखा था –दाऊद बहुत करीब उसके पीछे गया और उसके कपड़े का एक किनारा काट लिया –बाद में शाऊल जब ग़ार से बाहर निकला तो दाऊद ने शाऊल को आवाज़ लगाई कि उसके कपड़े को देखे जिसे अपनी मुट्ठी में दबाए हुए था –इस तरीके से शाऊल जानता था कि दाऊद बादशाह बन्ने के लिए उसको मारना नहीं चाहता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-05.jpg)
कुछ अरसा बाद शाऊल जंग में मारा गया और दाऊद इस्राईल का बादशाह बन गया - वह एक अच्छा बादशाह था और लोग उससे प्यार करते थे खुदा ने दाऊद को बरकत दी और उसको कामयाब बनाया –दाऊद ने कई एक जंगें लड़ीं और खुदा ने उसकी मदद की कि बनी इस्राईल के दुशमनों को शिकस्त दे –दाऊद ने यरूशलेम शेहर पर फ़तेह हासिल की और उसको अपना अहम् शहर (दारुलखिलाफा) बनाया जहाँ उसने रहकर हुकूमत की –दाऊद चालीस साल तक इस्राईल का बादशाह रहा –इस दौरान इस्राईल एक ज़बरदस्त और दौलतमंद सल्तनत थी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-06.jpg)
दाऊद एक मंदिर बनाना चाहता था जहाँ तमाम इसरा ईली मिलकर खुदा की इबादत करते और उसके लिए कुर्बानियां चढ़ाते - 400 साल तक दाऊद के बनाए हुए मंदिर में लोग खुदा की इबादत करते रहे और उस मज़बह पर कुर्बानियां चढ़ाते थे जिसे मूसा ने बनाया था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-07.jpg)
मगर उन दिनों नातन नाम का एक नबी रहता था –खुदा ने उसको दाऊद के पास यह कहने के लिए भेजा कि: तुमने बहुत सी लड़ाइयाँ लड़ी हैं इसलिए तू मेरे लिए मंदिर नहीं बनाएगा ,बल्कि तेरा बेटा बनाएगा –मगर इसके बावजूद भी मैं तुमको बहुत ज़ियादा बरकत दूंगा –तेरी नसल में से एक हमेशा के लिए मेरे लोगों पर हुकूमत करेगा ! दाउद की नसल में से जो हमेशा के लिए हुकूमत कर सकता था वह सिर्फ़ मसीहा था –मसीहा खुदा का चुना हुआ था –जोकि दुनिया के लोगों के गुनाहों से बचा सकता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-08.jpg)
जब दाऊद ने नातन का पैग़ाम सुना तो उसने ख़ुदा का शुक्रिया अदा किया और उसकी हम्द ओ तारीफ़ की खुदा उसकी ताज़ीम कर रहा था और उसको बहुत सी बरकतें दे रहा था –हाँ ,यह बात दाऊद नहीं जानता था कि यह काम खुदा कब पूरा करेगा –अब हम जानते हैं कि इसराईलियों को एक लम्बे अर्से तक इंतज़ार करने की ज़रूरत थी इससे पहले कि मसीहा आए ,तक़रीबन 1000 साल बाद -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-09.jpg)
कई सालों तक दाऊद ने अपने लोगों पर इन्साफ़ के साथ हुकूमत की –उसने खुदा का हुक्म बजा लाया और खुदा ने उसे बहुत बरकत दी –मगर किसी तरह अपनी जिंदगी के आखरी अय्याम में उसने खुदा के ख़िलाफ़ निहायत शदीद गुनाह किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-10.jpg)
एक दिन दाऊद अपने महल से एक ख़ूबसूरत औरत को नहाते हुए देखा वह उस औरत को नहीं जानता था –मगर उसने किसी तरह मालूम कर लिया कि उसका नाम बेथसबा था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-11.jpg)
बजाए इसके कि उसको नज़र अंदाज़ करे दाऊद ने किसी को भेजकर उसे अपने घर बुला लिया कुछ ही अर्से में बेथसबा ने दाऊद को पैग़ाम भिज्वाया कि वह हमल से है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-12.jpg)
बेथसबा के शोहर का नाम ऊरियाह था वह दाऊद के सब से अच्छे सिपाहियों में से एक था उस वक़्त वह बहुत दूर लड़ाई के मैदान में था –दाऊद ने ऊरियाह को जंग से वापस बुलाया और उसको कुछ दिन अपनी बीवी के साथ रहने को कहा मगर ऊरियाह ने घर जाने से इंकार किया जबकि बाक़ी सिपाही लड़ाई के मैदान में थे सो दाऊद ने ऊरियाह को वापस जंग में भेज दिया –और सिपहसालार को हुक्म दिया कि ऊरियाह को एक ताक़तवर दुशमन के पास रखा ताकि वह मारा जाए - यह वाक़िया हुआ : ऊरियाह जंग में मारा गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-13.jpg)
ऊरियाह के मरने के बाद दाऊद ने बेथसबा से शादी करली –उसने दाऊद के बेटे को जन्म दिया दाऊद ने जो कुछ किया उस से खुदा बहुत नाराज़ था सो उसने नातन नबी को दाऊद के पास यह कहने के लिए भेजा कि उसका गुनाह कितना शदीद था दाऊद ने अपने गुनाहों से तौबा की और खुदा ने उसको मुआफ़ कर दिया ज़िनदगी के बाक़ी दिनों में दाऊद खुदा के पीछे हो लिया और खुदा का हुक्म बजा लाया यहाँ तक कि मुश्किल औक़ात में भी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-17-14.jpg)
मगर दाऊद का बच्चा मर गया इस तरह से खुदा ने दाऊद को सज़ा दी इसके अलावा दाऊद के मरने तक उस के खानदान वालों ने उस्के खिलाफ लड़ाई की और अपनी सल्तनत की ताक़त खो बैठा मगर खुदा उसके लिए वफादार था –तब भी उसने दाऊद के साथ वैसा ही किया जैसा उसने उससे वादा किया था बाद में बेथसबा से एक और बेटा पैदा हुआ और उसने उसका नाम सुलेमान्र रखा -
_1 समुएल 10:15-19 ;24 ; 31 ; 2 समुएल 5;7;11 -12 _

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# 18 , तक़सीम शुदा हुकूमत
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-01.jpg)
दाऊद बादशाह ने चालीस साल तक हुकूमत की –फिर वह मर गया और उसका बेटा सुलेमान इस्राईल पर हुकूमत करने लगा खुदा ने सुलेमान से बात की और उससे पूछा,वह क्या चाहता है कि वह उस के लिए करे –सुलेमान ने हिकमत की मांग की इस बात ने खुदा को ख़ुश किया सो खुदा ने सुलेमान को दुनिया का का सब से ज़ियादा अक्लमंद बनाया सुलेमान बहुत सी सी बातें अपने तजुर्बे से सीखीं और एक नियायत ही अक्ल्मंद हु कूमत करने वाला बतोर साबित हुआ -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-02.jpg)
येरूशलेम में सुलेमान ने मंदिर बनाया जिसके लिए उसके बाप दाऊद ने पहले से ही मंसूबा कर रखा था और ता’मीर की चीज़ें इकटठी कर रखी थी अब उस पुराने ख़ेमे के बदले लोग इस नए मंदिर में खुदा की इबादत किया करते थे और कुर्बानियां गुज्ररानते थे - अब खुदा की मौजूदगी उसके लोगों के साथ मंदिर में थी जिस तरह से मूसा के दिनों में रहा करती थी-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-03.jpg)
मगर सुलेमान ने दुसरे मुल्क की औरतों से प्यार किया –कई एक औरतों से शादी करने के ज़रिये उसने खुदा के हुक्म की नाफ़रमानी की यानि कि पूरे 1000 औरतों को रखने के ज़रिए इन में से बहुत सी और्ते बाहरी मुल्क की थीं जो अपने देवताओं को अपने साथ लेकर आईं थीं और उन्हें पूजना जारी रखा जब सुलेमान बूढ़ा होने लगा था तो उसने भी उनके इन देवताओं की पूजा की -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-04.jpg)
खुदा सुलेमान से इस बात से ग़ुस्सा था कि उसने कहा मैं उसको इस तरह से सज़ा दूंगा कि उसकी सल्त्नत दो हिस्सों में तक़सीम होकर रह जाएगी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-05.jpg)
सुलेमान के मरने के बाद उसका बेटा रहुबेआम बादशाह बना तमाम इस्रईली कौम के लोग़ जमा होकर उसको बादशाह बतोर कबूल किया - उनहोंने रेहुबेआम से शिकायत की कि सुलेमान ने उनपर बड़ी मेहनत का काम सोंपा था और बहुत ज़ियादा लगान मुक़र्रर किया था –उनहोंने रेहुबेआम से दरखास्त की कि उनकी मेहनत के काम को कम की जाए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-06.jpg)
मगर रेहुबेआम ने उन्हें बेवकूफ़ाना अन्दाज़ में जवाब दिया कि ,”मेरे बाप सुलेमान ने तुमसे ज़ियादा मेह्नत के काम कराए थे मगर मैं तुमसे और ज़िआदा मेहनत कराऊंगा –जितना उसने कराया था उससे भी ज़ियादा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-07.jpg)
जब लोगों ने यह सुना तो उन में से बहुत से लोगों ने उसके ख़िलाफ़ बग़ावत की दस क़बीलों ने उसे छोड़ दिया सिर्फ़ दो क़बीले उस के पास रह गए यह दो क़बीले ही खुद से यहूदा की सल्तनत कहलाई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-08.jpg)
दीगर दस क़बीलों ने येरुबेआम नाम के एक शख्स को अपना बादशाह बनाया –यह क़बीले मुल्क के शुमाली हिस्से में रहते थे –उन्होंने खुद को इस्राईल की सल्तनत कहा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-09.jpg)
मगर येरुबेआम ने खुदा के ख़िलाफ़ बग़ावत की और लोगों को गुनाह करने का सबब बनाया –उसने अपने लोगों की परस्तिश के लिए दो बड़े बुत (मूरत) बनवाए –अब वह येरूशलेम में जो यहूदा की सल्तनत के मातहत थी मंदिर में खुदा की इबादत के किए नहीं जाते थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-10.jpg)
यहूदा की सल्तनत और इस्राईल की सल्तनत आपस में दुश्मन बन गए और अक्सर वह एक दुसरे से लड़ाई करने लगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-11.jpg)
इस्राईल की नई सल्तनत में तमाम बादशाह ख़राब थे –इन बादशाहों में से कई एक बादशाह दीगर इस्राईलियों के ज़रिये क़त्ल किए जाते थे जो उनकी जगह बादशाह बनना चाहता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-12.jpg)
इस्राईल की सलतनत में तमाम बादशाह और उनके लोग बुतों की पूजा करते थे जब वह ऐसा करने लगे तो गुनाह बढ़ने लगा , वह कस्बियों के साथ सोने लगे और यहाँ तक कि बुतों के आगे बचचों की क़ुर्बानी देने लगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-18-13.jpg)
यहूदा की सल्तनत दाऊद की नसल थी इन के कुछ बादशाह नेक थे जो इन्साफ से हुकूमत करते और खुदा की इबादत करते थे –मगर यहूदा के कई बादशाह बुरे थे वह बुरी तरह से हुकूमत करते और बुत की पूजा करते थे इनमें से कुछ बादशाह झूटे देवताओं के लिए बचचों की क़ुर्बानी देते थे यहूदा के बहुत से लोगों ने खुदा के ख़िलाफ़ बग़ावत की और ग़ैर माबूदों की पूजा की -
_1 सलातीन 1-6 ; 11-12 तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 19. अंबिया
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-01.jpg)
खुदा हमेशा से बनी इस्राईल के बीच नबियों को भेजता आरहा था नबी लोग खुदा से पैग़ाम सुनते थे ,और लोगों को सुनाया करते थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-02.jpg)
इस्राईल कि हुकूमत में जब अखीअब बादशाह था तो उन दिनों एलियाह नाम का एक नबी था अखीअब एक बुरा शख्स था वह लोगों को बाल नाम झूटे देवता की पूजा करने पर उकसाता था गुमराह करता था –सो एलियाह
ने अखीअब बादशाह से कहा ,खुदा लोगों को सज़ा देने जा रहा है उसने उससे कहा “जब तक मैं दोबारा इस बात को लेकर न कहूं इस्राईल में आगे को कोई बारिश नहीं होगी और न ओस पड़ेगी इस बात को लेकर अखीअब एलियाह से बहुत ग़ुस्सा हुआ -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-03.jpg)
सो खुदा ने एलियाह से कहा बयाबान में जाकर छिप जा ताकि अखीअब तुझे देख न पाए एलियाह बयाबान में एक नाले के पास गया जहां के लिए खुदा ने उसकी रहनुमाई की थी हर सुबह और शाम कव्वे उसके लिए रोटी और गोश्त लाया करते थे इस दौरान अखीअब और उसकी फ़ौज एलियाह की तलाश करते थे मगर वह उसको ढूंढ न पाए थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-04.jpg)
बारिश नहीं हो रही थी कुछ दिनों बाद नाले का पानी भी सूखने लगा था सो एलियाह नज़दीक के एक मुल्क में जाकर रहने लगा उस मुल्क में एक ग़रीब बेवा रहती थी एलियाह उस बेवा के पास जाकर रहने लगा -उसका एक बेटा था फ़सल न होने के सबब से उन के पास खाने के लिए खाना नहीं था मगर वह औरत एलिया का ख़याल रखती थी सो खुदा ने भी उन दोनों के लिए खाने का इंतज़ाम किया उनका आटा तेल कभी ख़त्म नहीं हुआ क़हत के दौरान भी उन के पास भरपूरी से ख़ुराक थी एलियाह वहां पर कई साल तक रहा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-05.jpg)
साढ़े तीन साल बाद ,खुदा ने एलियाह से कहा कि वह फिर से बारिश होने देगा –उसने एलियाह से कहा इस्राईल की सल्तन्त में जाओ और अखीअब से बात करो सो एलियाह अखीअब के पास गया –जब अखीअब ने उसे देखा तो एलियाह ने उससे कहा “तो तुम यहाँ हो परेशान करने वाले ! एलियाह ने जवाब दिया “तुम हो परेशान करने वाले ! तुम ने यह्वे को जो सच्चा खुदा है छोड़ दिया है और तुम बा”ल की पूजा करने लगे हो तुम ऐसा करो कि अपनी सलत्नत के तमाम लोगों को जो बा’ल के पुजारी हैं करमेल की पहाड़ी पर ले आओ -
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सो इस्राएल के तमाम लोग करमेल की पहाड़ी पर आए पर आए एलियाह ने बाल के पुजारी से कहा ,बा’ल को पैग़ाम भेजो कि वह भी यहाँ आए - वहाँ पर 450 बा’ल के नबी थे एलियाह ने उन बा’ल के नबियों से कहा –“तुम कब तक दो ख़यालों में लटके रहोगे ?, कब तक डांवां डोल रहोगे ? अगर यह्वे सच्चा खुदा है तो उसकी परस्तिश करो और अगर बाल खुदा है तो उसकी पूजा करो !”
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फिर एलियाह ने बाल के नबियों से कहा ,”एक बैल को ज़बह करो और उसके टुकड़े करके मज़बह पर रखो , मगर उसको जलाना नहीं मैं भी एक बैल ज़बह करके दुसरे मज़बह पर वैसा ही रखूँगा अगर मेरा खुदा ऊपर से मज़बह पर आग भेजता है तो तुम जान लोगे कि वह सच्चा खुदा है- सो बाल् देवताओं ने एक मजबह तय्यार किया मगर उसको नहीं जलाया -
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फिर बाल के नबी बाल से फ़रयाद करने लगे, “ ऐ बाल हमारी सुनो “-दिन भर वह फ़रयाद करते रहे और चिल्लाते रहे , यहाँ तक कि उनहोंने अपने आप को भी ज़ख़्मी किया , लहू लुहान हुए मगर बाल ने कोई जवाब् नहीं दिया , न ही कोई आग भेजी-
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बाल के नबियों ने सारा दिन बाल से फ़रयाद करने में लगा दिए आखिर कार जब थक हार गए तो फ़रयाद करना बन्द किया फिर एलिया ने एक और बैल खुदा के लिए ज़बह करके मज़बह पर रखा उस के बाद उसने लोगों से कहा कि बारह मटके पानी उस मज़बह पर उंडेल दो ताकि मज़ब की सारी चीज़ें पूरी तरह से तर हो जाए-
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फिर एलियाह ने दुआ की , “ऐ यह्वे , अब्रहाम , इज़हाक़ और याक़ूब के ख़ुदा , आज तू बता दे कि तू इस्राईल का ख़ुदा है और मैं तेरा खादिम हूँ मुझे जवाब दे ताकि यह लोग जान लें कि तू ही सच्चा खुदा है –“
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फ़ौरन ही आसमान से आग नाज़िल हुई उसने गोश्त, लकड़ी ,पत्थरों और मिटटी को जला डाला ,यहां तक कि आसपास के पानी को भी पूरी तरह से सुखा डाला जब लोगों ने इसे देखा तो खुद को ज़मीन पर झुका दिया और कहा ,”यह्वे ही खुदा है ! यह्वे ही खुदा है !
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फिर एलियाह ने कहा ,”कोई भी बाल के नबी बचने न पाएं , उन सबको क़त्ल कर डालो “सो लोगों ने बाल के तमाम नबियों को पकड़ा और उन्हें दूर लेजाकर क़त्ल किया -
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फिर एलियाह ने अखीअब बादशाह से कहा, “ फ़ौरन अपने घर वापस चला जा क्यूंकि बारिश शुरू होने वाली है “ तभी आसमान काला हो गया और सख्त बारिश शुरू हो गई यह्वे क़हत को बन्द करने वाला था जो यह ज़ाहिर करता है कि वह सच्चा खुदा है -
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जब एलियाह ने अपना काम ख़त्म किया तो खुदा ने एलिशा नाम एक शख्स को नबी होने के लिए चुना खुदा एलिशा के ज़रिये कई एक मोजिज़े कराए उनमें से एक मोजिज़ा नामान की जिंदगी में वाक़े हुआ वह दुमन की फ़ौज का एक सिपहसालार था मगर उसको चमड़ी की बिमारी थी (वह एक कोढ़ी था) - नामान ने एलिशा की बाबत सुना और वह एलिशा के पास जाकर कहा कि वह उसे शिफ़ा दे- एलिशा ने नामान से कहा कि यरदन में जाकर सात बार गोता लगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-19-15.jpg)
नामान ग़ुस्सा हुआ , उसने ऐसा करने से इनकार किया क्यूंकि यह उसे बेवकूफ़ी लगती थी मगर बाद में उसका ख़याल बदल गया वह यरदन नदी में जाकर सात बार गोता लगाया जब वह आखरी बार पानी से ऊपर आया तो खुदा ने उसे शिफा दी -
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खुदा ने कई और नबियों को बनी इस्राईल के पास भेजा उन सब ने ही लोगों से कहा कि बुतपरस्ती से बाज़ आओ और लोगों के साथ इन्साफ से पेश आओ और लोगों पर रहम का बर्ताव करो नबियों ने उन्हें खबरदार किया कि वह बुराई से फिरें और खुदा का हुक्म बजा लाएं नहीं तो खुदा खुद उन्हें मुजरिम ठहराएगा , और वह उन्हें सज़ाएं देगा -
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अक्सर औक़ात में लोगों ने खुदा का हुक्म नहीं बजा लाया बार-बार उनहोंने नबियों के साथ बुरा सुलूक किया- यहाँ तक कि उन्हों ने उनको हालाक भी कर डाला एक बार उन्हों ने नबी यर्म्याह को सूखे कुँए में डाल दिया था और उसे मरने के लिए छोड़ दिया था वह कुँए के नीचे कीचड़ में डूब गया था मगर बादशाह ने उसपर तरस खाई और अपने नौकरों को हुक्म दिया कि उसको कुँए से खींच कर बाहर निकाले इस से पहले कि वह मर जाए -
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नाबियों ने खुदा का पैग़ाम देना जारी रखा इस के बावजूद भी कि बनी इस्राईल ने उनसे नफ़रत की –उनहोंने लोगों को खबरदार किया कि अगर वह अपने गुनाहों से तौबा नहीं करते हैं तो खुदा उन सबको बर्बाद कर देगा - उन्हों ने लोगों को यह भी याद दिलाया कि खुदा उनके लिए मसीहा को भेजने का वादा किया है -
_1 सलातीन 16-18 ; 2 सलातीन 5 ; यरम्याह 38 से बाइबिल की एक कहानी _

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# 20. जिलावतनी और वापसी
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इस्राईल की सल्तनत और यहूदा की सल्तनत दोनों ने खुदा के ख़िलाफ़ गुनाह किया उन्हों ने खुदा के उस अहद को तोड़ा जो खुदा ने उनके साथ सीना पहाड़ में बाँधा था खुदा ने अपने नबियों को भेजा कि उन्हें तौबा करने और फिर से उसकी इबादत करने के लिए ख़बरदार करे –मगर उन्हों ने बजा लाने से इनकार किया -
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सो खुदा ने दोनों सल्तनतों को इस तरह से सज़ा दी कि उनके दुशमनों के हाथों बर्बाद होने दिया असीरिया की एक दूसरी कौम थी जो बहुत ही ज़ोरावर साबित हुई वह भी दीगर क़ौमों के लिए बेहद ज़ालिम थे उन्हों ने आकर इस्राईल की सल्तनत को बर्बाद किया इस्राईल की सल्तनत में उनहोंने बहुतों को हलाक किया –जो चीज़ें वह चाहते थे उन्हें लूटा और मुल्क के कई हिस्सों में आगज़नी फैलाई -
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असीरिया के लोगों ने इस्राईल के तमाम रहनुमाओं , अमीर लोगों , और उन तमाम माहिरों को जो कीमती चीज़ें बनाते थे उन सबको असीरिया ले गए सिर्फ़ कुछ ग़रीब इसराईली इस्राईल में बचे रह गए थे-
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फिर असीरिया के लोगों ने परदेसियों को भी मुल्क में रहने के लिए ले आए उन परदेसियों ने दोबरा से शेहरें तामीर कीं –उनहोंने छोड़े हुए इसराईलियों से शादी की –इनकी नसल के लोगों को सामरी कहा गया -
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यहूदा सल्तनत के लोगों ने देखा कि किस तरह खुदा ने इस्राईल की सल्तनत के लोगों को ईमान न लाने और उसका हुक्म बजा न लाने के सबब से उन्हें सज़ा दी थी-इस के बावजूद भी यहुदा बुतपरस्ती से बाज़ नहीं आया –उन्होंने कनानियों के देवताओं को भी शरीक किया खुदा ने उन्हें ख़बरदार करने के लिए नबियों को भेजा मगर उन्होंने सुन्ने से इनकार किया
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असीरिया ने पूरी तरह से इसराईली सल्तनत को ख़त्म कर दिया था उसके 100 साल बाद् खुदा ने यहूदा पर हमला करने नबुकदनेज़र को भेजा जो बाबुल का बादशाह था - बाबुल एक ज़ोरावर क़ौमे थी यहूदा का बादशाह नबुकदनेज़र का ख़ादिम (नौकर) होने के लिए राज़ी होगया और हर साल बहुत सा पैसा महसूल बतोर देना मंज़ूर किया -
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मगर कुछ साल बाद यहूदा के बादशाह ने बाबुल के ख़िलाफ़ बग़ावत की सो बाबुल के लोगों ने यहूदा की सल्तनत पर हम्ला किया और यरूशलेम शहर पर क़ब्ज़ा किया , मंदिर को बर्बाद किया और शहर और मंदिर का सारा खजाना लूट कर ले गए -
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यहूदा के बादशाह को बग़ावत की सज़ा देने के लिए नबुकदनेज़र के सिपाहियों ने उसके बेटे को बादशाह के सामने क़त्ल किया और बादशाह को अँधा कर दिया फिर इसके बाद बादशाह को मरने के लिए बाबुल के कैदखाने में डाल दिया -
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नबुकदनेज़र की फ़ौज ने यहूदा की सल्तनत के तमाम लोगों को बाबुल में ले गए जो बहुत ही ज़ियादा गरीब थे उन्हें खेत की नशोनुमा के लिए पीछे छोड़ दिया वह ज़माना था जब खुदा के लोगों को मजबूरन वादा किए हुए मुल्क को छोड़ना पड़ा था उसे जिलावतन कहा जाता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-10.jpg)
हालाँकि खुदा ने अपने लोगों को जिलावतनी में लेजाने के ज़रिये से उनके गुनाहों की सज़ा दी ,मगर वह उन्को या फिर अपने वादों को नहीं भूला खुदा लगातार अपने लोगों पर नज़र रखे हुए था और नबियों के ज़रिये बात करता था –उसने उनसे वादा किया कि सत्तर साल बाद वह उन्हें वादा किए हुए मुल्क में फिर से वापस लेकर जाएगा
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-11.jpg)
सत्तर साल बाद साइरस जो फ़ारस का बादशाह था उसने बाबुल को शिकस्त दी सो फ़ारस की सल्तनत ने बाबुल के मुक़ाबले में कई एक क़ोम पर हुकूमत की –अब इसरा ईली लोग यहूदी कहलाने लगे इनमें से बहुत से यहूदी बाबुल में अपनी जिंदगी बसर की - सिर्फ़ कुछ पुराने यहूदी थे जो यहूदा के मुल्क को याद करते थे
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-20-12.jpg)
फ़ारस के लोग बहुत ही मज़बूत थे मगर जिन पर उन्हों ने फ़तेह हासिल की थी उनकी बाबत रहमदिल थे –मुख़्तसर तौर से साइरस जब फ़ारस का बादशाह बन चुका तो उसने एक हुक्म जारी किया कि जो भी यहूदी अपने मुल्क यहूदा को वापस जाना चाहे वह फ़ारस छोड़ सकता है यहां तक कि उसने उन्हें पैसे भी दिए कि वह जाकर दोबारा मंदिर की तामीर करे सो जिलावतनी के 70 साल बाद यहूदियों की एक छोटी सी जमाअत यहूदिया में यरूशलेम शहर को वापस हुई -
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जब इस्राईली यरूशलेम पहुंचे तो उन्हों ने मंदिर को और शेहरपनाह की दीवार को दुबारा से तामीर किया फ़ारस के लोग अभी भी उन पर हुकूमत करते थे मगर एक बार फिर वह वादा किए हुए मुल्क में रहने और मंदिर में इबादत करने लगे थे -
_2 सलातीन 17 ; 24-25;2 तवारीख़ 36 ; एज्रा 1-10 ;नेहेमयाह 1 -13 तक बाइबिल की कहानी _

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# 21. खुदा मसीहा का वादा करता है
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यहाँ तक कि खुदा ने जब दुनिया को बनाया वह जानता था कि एक ज़माने के बाद मसीहा को भेजेगा –उसने आदम और हव्वा से वादा क्या था कि वह ऐसा करेगा –उसने कहा था कि हव्वा की नसल से एक शख्स पैदा होगा जो सांप के सिर को कुचलेगा जी हाँ वह सांप जिस ने हव्वा से फरेब किया था वह शैतान था –खुदा का यही मतलब था कि मसीहा शैतान को पूरी तरह से शिकस्त देगा -
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खुदा ने अब्रहाम से वादा किया था कि उसके वसीले से तामाम दुनिया की क़ौमें बरकत पाएंगी खुदा इस वादे को कुछ अरसा बाद ही मसीहा को दुनिया में भेजने के ज़रिये से ही पूरा कर सकता था मसीहा दुनिया के तमाम कौमों को उनके गुनाहों से बचाने वाला था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-03.jpg)
खुदा ने मूसा से वादा किया था कि वह मुसतक़बिल में मूसा की तरह एक दुसरे नबी को भेजेगा यह नबी मसीहा था इस बतौर खुदा ने फिर से वादा किया कि वह मसीहा को भेजेगा -
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खुदा ने दाऊद बादशाह से वादा किया था कि उसकी अपनी नसल से मसीहा होगा जो एक बादशाह होगा और खुदा लोगों पर हमेशा के लिए हुकूमत करेगा -
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खुदा ने यर्म्याह नबी से बातें की और उस से कहा था कि एक दिन वह एक नया अहद बांधेगा वह नया अहद परं जैसा नहीं होगा जो खुदा ने बनी इस्राईल के साथ सीना पहाड़ में बाँधा था - जब वह इस नए अहद को लोगों के साथ बांधेगा तो वह ऐसा होने देगा कि लोग मसीहा को शख्सि तोर से जानें हर एक शखस उस से महब्बत रखेगा और उसकी शरीयत को बजा लाना चाहेगा खुदा ने कहा ,मैं अपनी शरीयत को उनके दिलों में लिखूंगा और वह मेरे लोग होंगे और मैं उनका खुदा होंगा , और वह उनके गुनाह मुआफ़ करेगा –वह मसीहा होगा जो उनसे नया अहद बांधेगा -
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खुदा के नबियों ने भी कहा कि मसीहा एक नबी, एक काहिन, एक बादशाह होगा एक नबी वह है जो खुदा के कलाम को सुनता है और उसे एक पैग़ाम बतोर लोगों के सामने उसका एलान करता है ख़ुदा ने जिस मसीहा को भेजने का वादा किया था वह एक कामिल नबी था इसी लिए मसीहा ख़ुदा के पैग़ाम को कामिल तोर से सुनेगा,उन्हें कामिल तौर से समझेगा और कामिल तोर से लोगों को तालीम देगा-
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इस्राईली काहिन लोगों के लिए खुदा को क़ुर्बानी देना जारी रखे हुए थे यह क़ुर्बानियाँ उन के गुनाहों के लिए खुदा की सज़ा के बदले में थी काहिन लोग भी लोगों के लिए खुदा से दुआ किया करते थे –मगर यह ज़रूरी था कि मसीहा एक्कमिल सरदार काहिन हो जो खुद को खुदा के लिए एक कामिल क़ुर्बानी को अदा करे इसके बाद गुनाहों के लिए कोई और क़ुर्बानी की ज़रुरत नहीं है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-08.jpg)
बादशाह और हुक्मरान लोगों की जमाअत पर हुकूमत करते हैं और कभी कभी गलतियां भी करते हैं दाऊद बादशाह ने सिर्फ़ बनी इस्राईल पर हुकूमत की मगर मसीहा जो दाऊद की नसल से है वह सारी दुनया पर हुकूमत करेगा और हमेशा के लिए करेगा इस के अलावा वह हमेशा रास्ती से हुकूमत करेगा और सही फ़ैसले लेगा -
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खुदा के नबियों ने दीगर कई बातें मसीहा की बाबत कहीं मिसाल के तोर पर मलाकी ने कहा कि मसीहा के आने से पहले एक दूसरा नबी आएगा उस नबी का आना बहुत ज़रूरी है यसायाह नबी ने भी लिखा कि मसीहा एक कुंवारी से जन्म लेगा और मीका नबी ने कहा कि मसीहा बेथलेहम के कस्बे में पैदा होगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-10.jpg)
यसायाह नबी ने कहा कि मसीहा गलील के इलाक़े में गुज़र बसर करेगा
मसीहा उन लोगों को जो बहुत ज़ियादा मायूस हैं उन्हें दिलासा देगा जो क़ैद में हैं उन्हें आज़ाद करेगा मसीहा बीमारों को शिफा देगा और जो बहरे, अंधे , गूंगे ,टुंडे ,लूले और लंगड़ों को ठीक करेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-11.jpg)
यसायाह नबी ने यह भी कहा कि लोग मसीहा से नफ़रत करेंगे और उसे कबूल करने से इनकार करेंगे दीगर नबियों ने कहा कि मसीहा का दोस्त उस के ख़िलाफ़ ग़द्दारी करेगा नबी ज़करयाह ने कहा कि ऐसा करने के लिए वह मसीहा के दुशमनों से तीस सिक्के लेगा –कुछ नबियों ने कहा कि लोग मसीहा को क़त्ल कर देंगे और उसके कपड़ों पर क़ुरअ डालेंगे -
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नबियों ने यह भी कहा कि मसीहा कैसे मरेगा यासयाह ने नबुवत की कि लोग मसीहा पर थूकेंगे ,उसका मज़ाक़ उड़ाएंगे और उस पर कोड़े बरसाएंगे –वह उसके पेट में भाला छेदेंगे और वह अज़ीय्यत और जिस्मानी तकलीफ़ में होकर मरेगा जबकि उसने कोई गलती या गुनाह नहीं किया था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-13.jpg)
नबियों ने यह भी कहा कि मसीहा कोई गुनाह नहीं करेगा वह कामिल होगा मगर वह मरेगा –क्यूंकि दुसरे लोगों के गुनाहों की ख़ातिर खुदा उसको सज़ा देगा वह जब मरेगा तब लोग खुदा के साथ सुलह कर पाएंगे –यही सबब है कि खुदा मसीहा को मरने देगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-14.jpg)
नबियों ने यह भी कहा है कि खुदा मसीहा को मुर्दों में से जिलाएगा यह बताता है कि ये सारे खुदा के मनसूबे थे जिसके तहत खुदा ने एक नया अहद बांधा था जिससे लोगों को बचाए जिन्हों ने खुदा के ख़िलाफ़ गुनाह किया था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-21-15.jpg)
खुदा ने मसीहा की बाबत नबियों को कई एक मुकाशफ़े दिए थे मगर मसीहा उनबियों के ज़माने के दौरान नहीं आया –आखरी नबुवत के दिए जाने तक 400 से ज़ियादा बरस गुज़र गए थे मगर बजा तोर से वह उसका सही वक़्त था कि मसीहा को दुनिया में भेजे -
_पैदाइश 3:15 ;12 :1-3 ; इस्तिसना 18:15 ; 2 समुएल 7 ;येर्मयाह 31; यसायाह 15:16 ; दानिएल 7; मलाकी 4:5 ; यसायाह 7:14 ; मीका 5:2; यसायाह 9:1-7; 35:3-5 ; 61:53 ; ज़बूर 22:18 ; 35:19 ; 69:4; 41:9; ज़करियाह 11:12-13; यसायाह 50:6; ज़बूर16:10-11 से बाइबिल की एक कहानी _

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# 22 . यूहन्ना की पैदाइश
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-01.jpg)
अगले ज़माने में खुदा ने अपने नबियों से बात की थी ताकि वह उसके लोगों से बातें करे मगर फिर 400 साल गुज़र गए जब उसने उनसे बात नहीं की फिर खुदा ने ज़करिया नाम काहिन के पास एक फ़रिश्ते को भेजा ज़करिया और उसकी बीवी एलिज़बेथ खुदा के उस फ़रिश्ते की इज़्ज़त की वह बहुत उमर रसीदा थे और एलिज़बेथ ने कभी किसी बचे को जन्म नहीं दिया था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-02.jpg)
फ़रिश्ते ने ज़करिया से कहा तुम्हारी बीवी के एक बेटा होगा और तुम उसका नाम यूहन्ना रखना खुदा उसको रूहुलक़ुदुस से मा’मूर करेगा और यूहन्ना एक ज़रीया बनेगा कि लोग मसीहा को हासिल करें ज़करिया ने जवाब दिया “मैं और मेरी बीवी उमर रसीदा हैं तो फिर मैं कैसे जानूंगा कि तुम सच कह रहे हो “?
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-03.jpg)
फ़रिश्ते ने ज़करिया को जवाब दिया मैं खुदा की तरफ़ से इस ख़ुशख़बरी को देने के लिए भेजा गया हूँ इसलिए कि तूने एतक़ाद नहीं किया,जब तक बच्चा पैदा नहीं होजाता तू गूंगा बना रहेगा फ़ौरन ज़करिया बोलने से महरूम होगया –फिर फ़रिश्ते ने ज़करिया को छोड़कर चला गया इसके बाद ज़करियाह घर वापस लौटा और उस की बीवी हामला हुई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-04.jpg)
जब एलिज़बेथ छे महीने की हमल से थी वही फ़रिश्ता अचानक एलिज़बेथ के रिश्तेदार के हाँ ज़ाहिर हुआ जि सका नाम मरयम था वह कुंवारी थी और यूसुफ़ नाम के एक आदमी से उसकी मंगनी हो रखी थी - फ़रिश्ते ने कहा “तुम हमिला होगी और तेरे एक बेटा पैदा होगा तू उसका नाम येसु रखना ,क्यूंकि वह ख़ुदा तआला का बेटा कहलाएगा और हमेशा के लिए हुकूमत करेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-05.jpg)
मरयम ने जवाब दिया ,यह कैसे हो सकता है जबकि मै एक कुंवारी हू - “फ़रिश्ते ने जवाब दिया ,” रूहुलक़ुदुस तुझ पर नाज़िल होगा और खुदा की क़ुदरत तुझ पर साया करेगी सो वह बच्चा बहुत ही पाक होगा और वह खुदा का बेटा कहलाएगा जो कुछ फ़रिश्ते ने कहा था मरयम उस पर ईमान ले आई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-06.jpg)
इसके वाक़े होने के फ़ौरन बाद एलिज़बेथ से मुलाक़ात करने गई .जैसे ही मरयम ने एलिज्बेथ को सलाम किया एलिज़बेथ के पेट में उसका बच्चा उछल पड़ा जो कुछ खुदा ने उन औरतों के लिए किया था उसकी बाबत वह बहुत ख़ुश हुईं तीन महीने तक मरयम एलिज़बेथ के यहाँ रहने के बाद वह अपने घर वापस गई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-22-07.jpg)
इसके बाद एलिज़बेथ ने अपने बेटे को जन्म दिया –ज़करिया और एलिज़बेथ ने अपने बेटे का नाम यूहन्ना रखा जैसा कि फ़रिश्ते ने उन्हें हुक्म दिया था - फिर खुदा ने ज़करिया को दुबारा बोलने लायक़ कर दिया –ज़करिया ने कहा ,” खुदा की हम्द हो क्यूंकि उसने अपने लोगों को याद रखा ! ऐ मरे बेटे ,तू खुदा तआला का नबी होगा –यौम लोगों से कहोगे कि किस तरह अपने गुनाहों से मुआफ़ी हासिल की जाती है ” !
_लूका 1 बाब से बाइबिल की एक कहानी _

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# 23. येसु का जन्म
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मरयम की मंगनी युसुफ़ नाम एक रास्त्बाज़ शख्स के साथ हुई थी -जब उस ने सुना कि मरयम हमल से है तो वोह जानता था कि वोह उस का बच्चा नहीं है -किसी तरह वोह मरयम को बदनाम करना नहीं चाहता था -इसलिए उसने फ़ैसला किया कि उस पर रहम करे और चुपके से उसे छोड़ दे -मगर इस से पहले कि वोह ऐसा कर सकता था एक फ़रिश्ता उस के ख़ाब में आया और उससे बातें कीं -
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फ़रिश्ते ने कहा , “ यूसुफ़ तू मरयम को अपनी बीवी बतोर घर ले आने से मत डर,वोह जो बच्चा उस के पेट में है रूहल क़ुदुस से है - वोह एक बेटा जनेगी , तू उस का नाम येसु रखना , (जिसके मायने हैं याह्वे बचाता है ) क्यूंकि वोह अपने लोगों को उनके गुनाहों से बचायेगा –“
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सो यूसुफ़ ने मरयम से शादी की और अपनी बीवी को अपने घर ले आया ,और जब तक अपने बच्चे को जन्म नहीं दिया तब तक वोह मरयम के साथ नहीं सोया -
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जब मरयम के वज़ा -इ-हमल का वक़्त नज़दीक था तो वोह और यूसुफ़ ने बेथलेहम शहर के लिए एक लम्बे सफ़र को अंजाम दिया -उनको वहाँ इसलिए जाना था क्यूंकि रोमी सरकार इस्राईल के मुल्क में तमाम लोगों कि इस्म नवीसी कराना चाहती थी -सरकार चाहती थी कि हर एक ख़ानदान वहाँ जाए जहां उनके बाप -दादा रहते थे -दा ऊद बादशाह बेथलेहम में पैदा हुआ था ,और वोह मरयम और यूसुफ़ दोनों का अजदाद था -
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मरयम और यूसुफ़ बैथलेहम को गए ,मगर सराय में उनके टिकने के लिए कोई जगह नहीं थी सिरफ़ कुछ जानवरों के लिए जो वहां बंधे हुए थे -वहीँ पर मरयम ने अपने बच्चे को जन्म दिया और उस बच्चे को चरनी में रखा -क्यूंकि उस बच्चे के लिए बिस्तर भी नसीब नहीं था -उनहोंने उसका नाम येसु रखा -
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उस रात कुछ चरवाहे पास वाले मैदान में अपने गल्ले कि रखवाली कर रहे थे -अचानक एक चमकीला फ़रिश्ता उनपर ज़ाहिर हुआ -और वोह उसे देखकर डर गए , तब फ़रिश्ते ने उनसे कहा , “ मत डरो ,क्यूंकि मैं तुमको एक ख़ुशी की ख़बर देता हूँ कि तुम्हारे लिए बेथलेहम में मसीहा ( मालिक )का जन्म हुआ है –“
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जाओ ,उस बच्चे कि तलाश करो ,तुम को कपड़े में लिपटा और एक चरनी पड़ा हुआ पाओगे -तब अचानक आसमान फरिशतों से भर गया ,वोह खुदा कि हमद करते हुए कहते थे कि ” आलम -इ बाला पर खुदा कि तम्जीद हो-औरज़मीन पर उन आदमियों में जिन से वोह राज़ी है सुलह “
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फिर फ़रिश्ते चले गए ,चरवाहे भी अपने भेरों को छोड़ कर बच्चे की तलाश में निकल पड़े -बहुत जल्द वोह उस मक़ाम पर पहुंचे जहां येसु था और वोह उसको कपड़े में लिपटा चरनी में पड़ा हुआ पाया जिस तरह फ़रिश्ते ने उन से कहा था -वोह उसे देखकर बहुत खुश हुए -फिर वोह मैदानों में लौट गए जहां उनकी भेड़ें थीं -उन्हों ने उन सब बातों के लिए खुदा का शुक्रिया अदा किया और उसकी तारीफ़ की जो उन्होंने देखा और सुना था -
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पूरब में कुछ लोग थे जो सितारों का इल्म रखते थे ,वोह मजूसी थे और बड़े अक़लमंद थे -उन्होंने आसमान में एक ग़ैर मामूल सितारा देखा -उनहोंने कहा “ इस का मतलब यह है कि एक नए बादशाह का जन्म हुआ है सो उन्हों ने उस बच्चे को देखने के लिए अपने मुल्क से दूर सफ़र करने का फ़ैसला किया -एक लम्बा सफ़र अंजाम देने के बाद वोह बेथलहम आये और उस घर को पाया जहां येसु और उसके मांबाप रहते थे -
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जब इन लोगों ने येसु को उसकी मान के साथ देखा तो उनहोंने उसके आगे सर झुका कर सिजदा किया -उन्हों ने येसु को कीमती तोहफ़े दिए फिर वोह अपने घर लौट गए जहाँ से वोह आए थे -
_मतती 1 ; लूक़ा 2 से बाइबिल की एक कहानी _

39
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# 24 .युहन्ना येसु को बपतिस्मा देता है -
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युहन्ना जो ज़करयाह और एलिज़बेथ का बेटा था , बड़ा हुआ और एक नबी बन गया -वह बयाबान में रहता था , और जंगली शहद और टिड्डियाँ उसकी खुराक थी और ऊँट के बालों की पोशाक पहनता था -
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बहुत से लोग युहन्ना की बातें सुनने के लिए बयाबान से निकलकर आए और उसने उनको यह कहकर मनादी की कि “ तौबा करो क्यूंकि खुदा की बादशाही नज़दीक है -
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जब लोगों ने युहन्ना के पैग़ाम को सुना तो बहुतों ने अपने गुनाहों से तौबा की और युहन्ना ने उन्हें बपतिस्मा दिया - कई एक मज़हबी रहनुमा भी युहन्ना को देखने के लिए आए मगर उन्हों ने अपने गुनाहों से न तो तौबा करी और न उनका इक़रार किया -
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युहन्ना ने उन मज़हबी रहनुमाओं से कहा “ऐ सांप के बच्चो तौबा करो और तौबा के मुआफ़िक़ फल लाओ -ख़ुदा हर उस दरख़्त को काट डालेगा जो तौबा के मुआफ़िक़ फल नहीं लाता और वोह उन्हें आग में झोंक देगा “- नबियों ने जो जो बातें युहन्ना कि मारीफ़त कहे थे उन सब को पूरा किया ,” देखो बहुत जल्द मैं अपना पैग़म्बर तुम्हारे आगे भेजूंगा जो तुम्हारी राह तैयार करेगा -
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कुछ मज़हबी रहनुमाओं ने युहन्ना से पूछा कि क्या तू मसीह है ? युहन्ना ने जवाब दिया कि वह मसीह नहीं है मगर उस के बाद जो आने वाला है वह मसीह है - वह मुझसे बड़ा है कि मैं उसकी जूती का तस्मा खोलने के भी लायक़ नहीं हूँ “-
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दुसरे दिन येसु युहन्ना से बपतिस्मा लेने को आया -जब युहन्ना ने उसको देखा तो उसने कहा ,” देखो ! यह खुदा का बर्रा है जो दुनया के गुनाह उठा ले जाता है –“
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युहन्ना ने येसु से कहा ,”मैं इस लायक़ नहीं कि तू मुझे बपतिस्मा दे बल्कि मुझे तुझसे बपतिस्मा लेनी चाहिए “-मगर येसु ने कहा “मुनासिब है कि तू मुझे बपतिस्मा दे” इस पर युहन्ना ने येसु को बपतिस्मा दिया हालांकि येसु ने कभी कोई गुनाह नहीं किया था -
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जब येसु बपतिस्मा लेने के बाद पानी से बाहर आया तो खुदा का रूह एक कबूतर कि शक्ल में ज़ाहिर हुआ वह नीचे आकर उसपर ठहर गया - उसी वक़्त खुदा कि आवाज़ आसमान से सुनाई दी कि “तू मेरा प्यारा बीटा है ,मैं तुझ से प्यार करता हूँ , और मैं तुझ से बहुत खुश हूँ –“
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खुदा ने युहन्ना से कह रखा था कि “जिस शख्स को तुम बपतिस्मा दोगे और रूहुल क़ुदुस उसपर उतर आए वही खुदा का बेटा है “- खुदा एक ही है - मगर युहन्ना ने जब येसु को बपतिस्मा दिया तो उस ने खुदा बाप को बोलते हुए सुना , उसने खुदा बेटे को देखा जो येसु है , और उसने रुहुल क़ुदुस को कबूतर कि शक्ल में देखा -
_मत्ती 3 बाब ; मरकुस 1 : 9 -11 ; लूका 3 : 1 -23 तक बाइबिल की एक कहानी _

36
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# 25 . शैतान येसु की आज़माइश करता है -
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येसु के बपतिस्मा लेने के फ़ौरन बाद रूहुल क़ुदुस उसको जंगल में ले गया - वहाँ येसु चालीस दिन चालीस रात रहा - उस दौरान उसने फ़ाक़े किये और शैतान येसु के पास आया और गुनाह के लिए आज़माया -
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सब से पहले शैतान ने येसु से कहा ,”अगर तू खुदा का बेटा है तो कह कि यह पत्थर रोटियाँ बन जाए –“
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मगर यीशु ने शैतान से कहा ,”खुदा के कलाम में लिखा है कि लोगों को ज़िन्दगी जीने के लिए सिर्फ़ रोटी ही की ज़रुरत नहीं होती ,मगर हर एक बात जो ख़ुदा उन से कहता है उसकी ज़रुरत होती है –“
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फिर शैतान यीशु को मंदिर के कंगूरे पर ले गया और उस से कहा ,”अगर तू खुदा का बेटा है तो ज़मीन पर छलांग लगा दे ,क्यूंकि लिखा है कि खुदा अपने फरिश्तों को हुक्म देगा कि तुझको हाथों हाथ उठालें और तेरे पांव को पत्थर से ठेस न लगने पाएं -“
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मगर येसु ने वह नहीं किया जो शैतान उस से कराना चाहता था - बल्कि उस ने उस से कहा ,”खुदा हर एक से कहता है कि तू अपने खुदावंद खुदा की आज़माइश न कर”
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फिर शैतान ने दुनया की तमाम सलतनतें और उनकी शान ओ शौकत दिखाई कि वह कितने ज़ोरावर और दौ लत्मंद थे - उस ने यीशु से कहा “अगर तुम झुक कर मुझे सिजदा करोगे तो यह सारी चीजें मैं तुम्हें दे दूंगा –“
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यीशु ने उसको जवाब दिया ,”ऐ शैतान मुझ से दूर हो, क्यूंकि खुदा के कलाम में वह अपने लोगों को हुक्म देता है कि सिरफ़ अपने खुदावंद खुदा को सिजदा कर और उसको खुदा बतोर इज़्ज़त कर “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-25-08.jpg)
यीशु शैतान के किसी भी आज़माइश में नहीं पड़ा ,सो शैतान उसे छोड़कर चला गया - फिर फ़रिश्ते आकर उसकी ख़िदमत करने लगे -
_मत्ती 4:1 -11 ; मरकुस 1 :12 -13 ; लूका 4 :1-13 से बाइबिल की एक कहानी- _

43
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# 26. यीशु अपनी ख़िदमत शुरू करता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-01.jpg)
शैतान कि तमाम आज़्माइशों को इनकार करने के बाद वह गलील के इलाके में आया यह वो इलाका था जहां वह रहता था - रूहुल क़ुदुस उसको बहुत ज़ियादा क़ुवत देता रहा , और यीशु जगह जगह जाकर लोगों को तालीम देता रहा - हर कोई उसके बारे में अच्छा ही कहा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-02.jpg)
यीशु नासरत शहर में आया यह वह गाँव था जब वह बचपन में यहाँ रहा करता था - साबत के दिन वह इबादत खाने में गया - इबादतखाने के सरदार ने यीशु के हाथ में यसायाह नबी का मक्तूब थमाया - वह चाहते थे कि वह उसे पढ़े - सो यीशु ने उसे खोला और लोगों के लिए एक हिस्सा पढ़ कर सुनाया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-03.jpg)
यीशु ने इस तरह पढ़ा कि खुदा का रूह मुझे दिया गया है कि मैं गरीबों को खुशखबरी सुनाऊं , खुदा ने मुझे भेजा है कि मैं कैदियों को रिहाई बख्शूं , अंधों को बीनाई अता करूँ और कुचले हुओं को आज़ाद करूँ - और ख़ुदावंद के साल -ए -मकबूल कि मनादी करूं - यह वोह वक़्त है कि जब खुदा हम पर फ़ज़ल करेगा और हमारी मदद करेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-04.jpg)
फिर यीशु बैठ गया और सब कि आँखें संजीदा और नज़ दीकी तौर से उस की तरफ़ लगी हुई थीं - वह नविश्ते की इस इबारत से वाकिफ़ थे कि जो पढ़ा गया था वह मसीहा की बाबत था - यीशु ने कहा “जो नविश्ता मैं ने तुम्हारे लिए पढ़ा वह अभी वाक़े हो रही हैं –“ इस पर सब लोग ताज्जुब करके कहने लगे ,”क्या यह युसुफ़ का बेटा नहीं ?
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-05.jpg)
फिर यीशु ने कहा ,” यह सच है कि लोग कभी भी एक नबी को क़बूल नहीं करते जो उनके अपने ही वतन में पला बढ़ा हो - नबी एलियाह के दिनों में इस्राईल में कई एक बेवाएं थीं - मगर जब साढ़े तीन साल तक बारिश नहीं हुई तो खुदा ने सारपत में ग़ैर क़ाउम की एक बेवा को छोड़ किसी और के पास एलियाह को मदद के लिए नहीं भेजा –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-06.jpg)
यीशु ने कहना जारी रखा ,और नबी एलिशा के दिनों में इस्राईल में कई लोग खाल कि बीमारी में मुब्तला थे -मगर एलिशा ने उन में से नामान कोढ़ी को छोड़ किसी और को शिफ़ा नहीं दी जो इस्राईल के दुश्मनों का सिपह सालार था - मगर जो लोग उसकी सुन रहे थे वे यहूदी थे सो जब उन्हों ने यह बातें सुनीं तो वह उसपर भड़क उठे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-07.jpg)
नासरत के लोगों ने यीशु को पकड़ लिया और इबादतखाने के बाहर तक खींच कर ले गए और शहर से बाहर निकालकर उस पहाड़ की चोटी पर ले गये जिस पर उनका शहर आबाद था ताकि उसे सर के बल गिरा दे - मगर यीशु उन के बीच में से निकलकर चला गया और नासरत शहर को छोड़ दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-08.jpg)
फिर यीशु गलील के तमाम इलाकों में गया और एक बड़ी भीड़ उस के पीछे हो ली - वह सब लोग जिनके हाँ तरह तरह कि बीमारियों के मरीज़ थे उन्हें उसके पास ले आए , जिन में अंधे , लूले , लंगड़े , बहरे और गूंगे शामिल थे और यीशु ने उनमें से हर एक पर हाथ रखकर उन्हें अच्छा किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-09.jpg)
कुछ लोग जिन में बदरूहें थीं उन्हें भी यीशु के पास लाया गया - यीशु उन्हें उन में से निकल जाने का हुक्म देता था और वह चिल्लाते हुए उन में से निकल जाती थीं - वह अक्सर चिल्लाती थीं कि तू खुदा का बेटा है -लोगों की भीड़ ताज्जुब करती थीं और वह खुदा की तारीफ़ करते थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-26-10.jpg)
फिर यीशु ने बारह लोगों को चुना जिन्हें उस ने रसूल कहा - रसूलों ने यीशु के साथ कई एक इलाकों का सफ़र किया और मनादी करते हुए कई एक बातें सीखीं -
_मत्ती 4:12-25 ; मरकुस 1:14-15, 35-39 ; 3:13 -21 ; लूका 4:14 30 ,38 -44 से बाइबिल की एक कहानी _

47
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@ -0,0 +1,47 @@
# 27 . अच्छे सामरी की कहानी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-01.jpg)
एक दिन यहूदियों में से एक शरियत का आलिम यीशु के पास आया - वह लोगों को जताना चाहता था कि यीशु गलत तरीके से तालीम देता है , सो उसने यीशु से पूछा कि “मैं क्या करूं कि हमेशा की ज़िन्दगी पाऊं ? यीशु ने जवाब दिया , खुदा कि शरियत में क्या लिखा है ?”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-02.jpg)
उस शख्स ने जवाब दिया , यही कि तू अपने खुदावंद खुदा से अपने सारे दिल ,सारी जान , सारी ताक़त और सारी अक्ल से महब्बत रख ,और अपने पड़ौसी से अपनी मानिंद महब्बत रख “ यीशु ने उस से कहा , तुमने ठीक कहा , अगर तुम यह करोगे तो हमेशा कि ज़िन्दगी तुम को मिलेगी “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-03.jpg)
मगर शरीयत का आलिम लोगों को यह जताना चाहता थ कि उसकी ज़िन्दगी जीने का तरीका सही था - सो उसने यीशु से फिर पूछा कि मेरा पड़ौसी कौन है ?
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-04.jpg)
यीशु ने शरीयत के आलिम को एक कहानी सुनाते हुए जवाब दिया कि , एक यहूदी येरूशलेम से यरीहो की तरफ़ सफ़र कर रहा था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-05.jpg)
मगर कुछ लुटेरों ने उसे देख लियौर उस पर हमला कर दिया -उस के पास जो कुछ था लूट लिया और अध्मुआ कर के छोड़ कर चले गए-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-06.jpg)
इसके फ़ौरन बाद एक यहूदी काहिन् उसी रास्ते से होकर गुज़रा - उस काहिन् ने इस शख्स को सड़क पर पड़ा देखा और कतराकर चला गया - उसने पूरी तरह से उस शख्स को नज़र अंदाज़ कर दिया
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-07.jpg)
अभी थोड़ी ही देर हुई कि एक लावी उसी रास्ते से गुज़रा (लावी यहूदियों का एक फ़िरक़ा था जो मंदिर में काहिनं कि मदद करते थे) - सो लावी ने भी उसे देखकर दुसरे रास्ते पर होलिया - इसने भी उस शख्स को नज़र अंदाज़ कर दिया-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-08.jpg)
अगला शख्स जो उस रास्ते से गुज़र रहा था वह एक सामरी था (सामरी लोग यहूदियों से नफ़रत करते थे) स सामरी ने उस शख्स को सड़क पर पड़ा देखा , उस ने देखा कि वह यहूदी था - इस के बावजूद भी उस के दिल में उस के लिए बड़ी तरस थी - सो वह उसके पास गया और उसके ज़ख्मों पर मरहम पट्टी की –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-09.jpg)
फिर उस सामरी ने अपने गधे पर बैठाकर सड़क के एक होटल में ले गया , वहां उस ने उसकी अच्छी तरह से देखभाल की -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-10.jpg)
दुसरे दिन उस सामरी को अपना सफ़र जारी रखना था -उसने कुछ पैसे होटल के मालिक को देकर कहा ,इस शख्स की देखभाल करना , इस से ज़ियादा अगर पैसे लगे तो मैं लौट कर अदा करदूंगा-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-27-11.jpg)
तब यीशु ने शरीयत के आलिम से पूछा ,”तुम क्या समझते हो ? इन तीनो में से कौन उस शख्स का पड़ौसी था जिसको मारा पीटा और लूट लिया था - उस ने जवाब दिया ,वही जिस ने उसपर तरस खाया -यीशु ने उससे कहा “,जा तू भी यही कर-“
_लूका 10 :25 -37 से बाइबिल की एक कहानी _

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# 28 . दौलतमंद जवान हाकिम
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-01.jpg)
एक दिन एक दौलतमंद जवान हाकिम यीशु के पास आया और उस से पूछा कि “ऐ नेक उस्ताद , हमेशा की ज़िन्दगी हासिल करने के लिए मैं क्या करूं ? ”यीशु ने उस से कहा “तू मुझे नेक क्यूँ कहता है ? खुदा के अलावा और कोई भी नेक नहीं है - पर अगर तू हमेशा की ज़िन्दगी पाना चाहता है तो खुदा की शरीयत के अहकाम पर अमल कर –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-02.jpg)
उसने पूछा कौनसे अहकाम पर मैं अमल करूं ? यीशु ने जवाब में कहा “यही कि किसी का खून न करना ,ज़िना न करना ,चोरी न करना , झूट न बोलना ,अपने मांबाप की इज़्ज़त करना और अपने पडोसी से अपनी मानिंद महब्बत रखना वगैरह -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-03.jpg)
मगर उस जवान शख्स ने कहा ,”मैं तो बचपन से ही इन अहकाम पर अमल करता आया हूँ -अब मुझे हमेशा की ज़िन्दगी के लिए किस चीज़ कि ज़रुरत है ?”यीशु ने उसको प्यार भरी नज़रों से देखा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-04.jpg)
यीशु ने जवाब दिया “ अगर तू कामिल होना चाहे तो जा ,जो कुछ तेरे पास है उसे ग़रीबों में बाँट दे और युझे आसमान में ख़ज़ाना मिलेगा ,फिर आकर मेरे पीछे होले –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-05.jpg)
उस जवान ने जब यीशु की बातें सुनी तो वह बहुत मायूस हो गया क्यूंकि वह बहुत ज़ियादा मालदार था और जो उस के पास था उसको किसी भी हालत में छोड़ना नहीं चाहता था -वह यीशु के पास से चला गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-06.jpg)
तब यीशु ने अपने शागिरदों से कहा कि “दौलतमंद लोगों का खुदा की बादशाही में दाख़िल होना कितना मुश्किल है !जबकि एक ऊँट का सूई के नाके से निकल जाना आसान है –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-07.jpg)
जब शागिर्दों ने यीशु की बातें सुनीं तो उन्हें बहुत धक्का लगा , उन्हों ने कहा,”अगर ऐसी बात है तो खुदा किसको बचाएगा ?”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-08.jpg)
यीशु ने शागिरदों की तरफ़ देखकर कहा ,खुद को बचाना इंसानों कि बस कि बात नहीं मगर ख़ुदा से कोई बात ना मुमकिन नहीं है –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-09.jpg)
पतरस ने यीशु से कहा ,”हम शागिरदों ने अपना सब कुछ छोड़ कर तेरे पीछे होलिये हैं ,हम को क्या मिलेगा ?”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-28-10.jpg)
यीशु ने जवाब दिया ,”तुम में से हरेक जिन्होंने मेरी खातिर अपने घरों, भाइयों, बहनों ,बाप ,मां, बच्चों और जाएदाद को छोड़ा है , उनको सौ गुना मिलेगा और साथ में हमेशा की ज़िन्दगी-“मगर जो अव्वल हैं वह आख़िर हो जाएंगे और जो आख़िर हैं वह अव्वल –“
_मत्ती 19 : 16 -30 ; मरकुस 10 : 17 -31 ; लूका 18 :18 -30 से बाइबिल कि एक कहानी _

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# 29 .बे-रहम नौकर की कहानी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-01.jpg)
एक दिन पतरस ने यीशु से पूछा मैं अपने भाई को जब वह मेरे ख़िलाफ़ गुनाह करे तो मैं उसे कितनी दफ़ा मुआफ़ करूं ? क्या सात दफ़ा ?“ यीशु ने कहा ,”मैं नहीं कहता कि सात दफ़ा ,बल्कि सात के सत्तर दफ़ा “- यहाँ यीशु का कहना था कि हम को हमेशा मुआफ़ करनी चाहिए फिर यीशु ने यह कहानी सुनाई :
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-02.jpg)
यीशु ने कहा ,खुदा की बादशाही ऐसी है जैसी कि एक बादशाह अपने मुलाज़िमों से अपना हिसाब चुकता करना चाहता था उसके मुलाज़िमों में से एक पर बहुत भारी क़र्ज़ा था जिस की क़ीमत 200,000 साल की मजदूरी थी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-03.jpg)
मगर नौकर इस बड़े कर्ज़े को अदा नहीं कर सकता था -सो बादशाह ने कहा , “इस शख्स को और इसके खानदान को गुलाम बतोर बेच दो ताकि क़र्ज़ की थोड़ी भरपाई हो “
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-04.jpg)
नौकर ने बादशाह के आगे घुटने टेक कर कहा, “मुझ पर तरस खा ,मैं तेरा सारा क़र्ज़ा अदा कर दूंगा ,” तब बादशाह ने उस नौकर पर तरस खाया और उसका सारा क़र्ज़ा मुआफ़ करके उसे जाने दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-05.jpg)
मगर जब वह नौकर बाहर आया तो उसने अपने एक साथी नौकर से मिला जिसपर चार महीने की मजदूरी के बराबर क़र्ज़ा आता था - उसने अपने साथी नकार को पकड़ा और कहा “मेरा क़र्ज़ा लौटा दे ,वरना अच्छा नहीं होगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-06.jpg)
उस साथी नौकर ने घुटने के बल गिर कर कहा ,”मुझ पर तरस खा ,मैं तेरा सारा क़र्ज़ा लोटा दूंगा ,पर उसने तरस नहीं खाया बल्कि उस को जेल भेज दिया जब तक कि वह क़र्ज़ा अदा नहीं करता -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-07.jpg)
दीगर नौकरों ने देखा कि क्या कुछ हुआ था और वह उस से बहुत गुस्सा हुए - और उन्हों ने जाकर बादशाह को सारी बातें बताईं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-29-08.jpg)
बादशाह ने उस नौकर को बुलाया और कहा ,”ऐ शारीर नौकर , मैं ने तेरा सारा क़र्ज़ा इस लिए मुआफ किया था क्यूंकि तूने मुझ से गिड़गिड़ाया था - सो युझे भी वैसा ही करना चाहिए था - बादशाह बहुत गुस्सा हुआ और उसको क़ैद में डाल दिया जब तक कि वह सारा क़र्ज़ा अदा न करे -
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फिर यीशु ने कहा ,”मेरा आसमानी बाप तुम में से हर एक से ऐसा ही सुलूक करेगा अगर तुम अपने भाई को दिल से मुआफ नहीं करोगे –“
_मत्ती 18 :21 -35 तक बाइबिल कि एक कहानी _

39
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# 30 . यीशु पांच हज़ार लोगों को खिलाता है
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यीशु ने अपने रसूलों को फ़रक़ फ़रक़ गाँव में भेजा ताकि मनादी करे और लोगों को खुशखबरी की तालीम दे -जब वह वापस आए तो जो कुछ उन्होंने किया थ्वह यीशु से कहा -फिर यीशु उनके साथ एक वीरान जगह पर ले गया ताकि वह झील के उस पार कुछ देर के लिए आराम करे -सो उनहोंने एक कश्ती ली और झील के उस पार गए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-02.jpg)
मगर वहां पर बहुत से लोग थे जिन्हों ने यीशु और उसके शागिदों को कश्ती से उतरते देखा -यह लोग झील के किनारे किनारे से भागे ताकि उनके सामने पहुँच सकें -सो जब यीशु और उस के शागिरद वहां पहुंचे तो लोगों की एक बड़ी भीड़ पहले से ही उनका इंतज़ार कर रही थी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-03.jpg)
यह बड़ी भीड़ 5000 आदमियों की थी जिन में औरतें और बच्चे शामिल नहीं थे -यीशु को लोगों पर बड़ा तरस आया -यह लोग यीशु के लिए वैसे थे जैसे बिन चरवाहे की भेड़ें -सो उस ने उन्हें खुदा की बादशाही की तालीम दी और उन के बीच जो बीमार थे उन्हें शिफ़ा बख्शी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-04.jpg)
शाम के वक़्त शागिर्दों ने यीशु से कहा ,अभी देर होगई है ,लोगों को विदा कर कि वह पास के शहरों में जाकर अपने लिए खाना मोल लें –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-05.jpg)
मगर यीशु ने शागिर्दों से कहा ,तुम ही इन्हें खाने को दो उन्हों ने यीशु से कहा ,”हम ऐसा कैसे कर सकते हैं ?हमारे पास तो सिर्फ पांच रोटी और दो छोटी मछलियाँ हैं –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-06.jpg)
यीशु ने अपने शागिर्दों से कहा लोगों से कहो कि वे पचास पचास कि क़तार में घास पर बैठ जाएं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-07.jpg)
तब यीशु ने उन पांच रोटियों और दो मछलियों को लिया और आसमां की तरफ़ देखकर खुदा का शुक्रिया अदा किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-08.jpg)
फिर यीशु ने रोटियों और मछलियों को तोड़ा -उन टुकड़ों को शागिर्दों को दिया कि लोगों में बाँट दे -शागिर्द लोगों में खाना बांटते गए और वह कभी ख़त्म नहीं हुआ ! तमाम लोगों ने अच्छी तरह से भर पेट खाया और सेर हो गए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-30-09.jpg)
उस के बाद शागिर्दों ने उन खानों को जमा किया और बचे हुए खाने की बारह टोकरियाँ उठाई गयीं ! यह सारा खाना उन पांच रोटियों और दो मछलियों से आईं थीं -
_मत्ती 14 :13 -21 ; मरकुस 6 :31-44 ; लूका 9 :10 -17 ; युहन्ना 6 :5-15 से बाइबिल कि एक कहानी _

35
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# 31. यीशु पानी पर चलता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-01.jpg)
पांच हज़ार लोगों को खिलाने के बाद यीशु ने अपने शागिर्दों से कहा कि कश्ती में सवार होजाएं - उस ने उन से कहा कि झील के उस पार चले जाएं - और यीशु पीछे कुछ देर के लिए रुका रहा ताकि भीड़ को विदा कर सके -सो शागिर्द जब चले गए तो यीशु ने भीड़ को उनके घर विदा किया उसके बाद यीशु दुआ करने पहाड़ी की तरफ़ चला गया - वह वहां पर तनहा था और उसने वहां देर रात तक दुआ की -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-02.jpg)
इस दौरान शागिर्द अपनी कश्ती ढो रहे थे , मगर हवा उन के मुख़ालिफ़ चल रही थी - देर रात होने तक वह सिरफ़ झील के बीच में ही पहुँच पाए थे
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-03.jpg)
उस वक़्त यीशु ने दुआ ख़त्म कर ली थी और वापस अपने शागिर्दों से मिलने जा रहा था - वह कश्ती की तरफ़ जाने के लिए पानी के ऊपर चलने लगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-04.jpg)
फिर शागिदों ने उसे देखा - वह यह समझकर डर गए कि किसी भूत को देख रहे हैं - यीशु ने मालूम कर लिया था कि वह डरे हुए हैं सो उस ने उन्हें पुकारा और कहा “डरो मत मैं हूँ –“
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फिर पतरस ने यीशु से कहा ,”अगर तू है तो मुझे हुक्म दे कि मैं पानी पर चलकर तेरे पास आऊँ “-यीशु ने पतरस से कहा ,”चले आओ “
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सो पतरस पानी से बहार आकर पानी के ऊपर चलने लगा - मगर थोड़ी दूर चलने के बाद उसने अपनी नज़रें यीशु कि तरफ़ से हटा कर मौजों की तरफ़ लगाया और अपने में शदीद हवा का एहसास किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-07.jpg)
फिर पतरस खौफ़ज़दा होकर पानी में डूबने लगा , वह चिल्लाया ,खुदावंद मुझे बचा ! यीशु उसके पास पहुंचकर उसका हाथ थाम लिया और कहा ऐ कम एतक़ाद ! तू ने मुझ पर भरोसा क्यूँ नहीं किया कि तू महफूज़ रहे ?”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-31-08.jpg)
फिर पतरस और यीशु जैसे ही कश्ती पर सवार हुए तो हवा थम गयी शागिर्द ताज्जुब करने लगे और यीशु को सिजदा किया - उन्होंने कहा कि “तू सच मुच खुदा का बेटा है –“
_मत्ती 14 :22 -23 ; मरकुस 6 :45 -52 ; युहन्ना 6 :16 -21 से बाइबिल की एक कहानी _

68
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# 32 . यीशु एक बदरुह के मारे शख्स को और एक बीमार औरत को शिफ़ा देता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-01.jpg)
यीशु और उसके शागिर्द कश्ती में बैठ कर उस इलाक़े को गए जहां गरासीनियों के लोग रहते थे - वह वहां पहुंचकर कश्ती से उतरे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-02.jpg)
वहाँ एक शख्स रहता था जिस में बदरुहें थीं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-03.jpg)
यह शख्स इतना ताक़तवर था कि कोई उस को क़ाबू में नहीं कर सकता था - कुछ लोगों ने यहाँ तक कि उसको ज़ंजीरों से बाँध दिया था मगर वह उन्हें तोड़ देता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-04.jpg)
वह शख़स उस इलाक़े के क़ब्रों में रहा करता था , दिन रात वह बड़े ज़ोरों से चिल्लाया करता था - वह कपड़े नहीं पहनता था और अक्सर पत्थरों से खुद को ज़ख़्मी कर लेता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-05.jpg)
यह शख़स दौड़ कर यीशु के पास गया और उस के आगे घुटने टेक दिए - यीशु ने उस बदरूह समाए हुए शख्स से कहा ,”इस शख्स में से निकल आ ! “
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-06.jpg)
बदरूह ऊँची आवाज़ से चिल्लाया ,”ऐ यीशु ,खुदा तआला के बेटे ,मुझे तुझ से क्या काम ? तू मुझे अज़ाब में न डाल ! “ फिर यीशु ने बदरूह से पूछा ,”तुम्हारा क्या नाम है ? उस ने जवाब दिया ,मेरा नाम लश्कर है क्यूंकि हम बहुत हैं (एक लश्कर में कई हज़ार रोमी सिपाही होते हैं ) -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-07.jpg)
बदरूह समाए हुए शख्स ने यीशु से इल्तिजा की कि “हमको इस इलाक़े से बाहर न भेज “वहाँ क़रीब में पहाड़ी पर सूअरों का ग़ओल चर रहा था - बदरूह ने कहा कि हमको उन सूअरों में भेज दे - यीशु ने उससे कहा ,”ठीक है चले जाओ –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-08.jpg)
सो बदरूह उस शख्स में से निकलकर सूअरों में चला गया - वह सारे सूअर किनारे से झपट कर झील में कूद पड़े और डूब कर मर गए - उस ग़ओल में तक़रीबन 2000 सूअर थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-09.jpg)
सूअर चराने वालों ने इस माजरे को देखा , वह दौड़ कर शहर में गए और सारा माजरा कह सुनाया कि यीशु ने क्या कुछ किया - लोग उस का यकीन करके उस शख्स से मिलने आए जिस पर बदरूह समाया हुआ था मगर अब वह आज़ाद था - वह कपड़े पहने आम आदमियों की तरह ख़ामोशी से बैठे हुए था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-10.jpg)
वहां के लोग डरे हुए थे और यीशु से कहने लगे कि उन के इलाक़े से निकल जाए - सो यीशु कश्ती में सवार हुआ ,और उस शख्स ने दरखास्त की कि यीशु के साथ रहे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-11.jpg)
मगर यीशु ने उस से कहा ,”मैं चाहता हूँ कि तुम अपने घर जाओ और हर एक से कहो कि खुदा ने तुम्हारे लिए क्या कुछ किया - उनसे कहना कि खुदा ने तुम पर किस तरह रहम किया –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-12.jpg)
यीशु की बात मानकर उस शख्स ने जाकर हर एक को बताया कि यीशु ने उसके लिए क्या कुछ किया - हर एक ने जो उसकी गवाही सुनी ताज्जुब किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-13.jpg)
यीशु अपने शागिर्दों के साथ झील की दूसरी तरफ़ पहुंचा -उसके वहां पहुंचने के बाद एक बड़ी भीड़ उस के चारों तरफ़ जमा हो गई और उसे दबाने लगी - उस भीड़ में एक औरत थी जिसको खून जारी था - वह जरयान के मर्ज़ में मुब्तला थी - उसने इलाज में बहुत से पैसे खर्च किये थे मगर मर्ज़ बढ़ता ही जा रहा था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-14.jpg)
उसने सुन रखा था कि यीशु ने बहुत से बीमारों को शिफ़ा दी थी और सोचा कि अगर मैं सिर्फ यीशु के पोशाक ही को छू लूंगी तो ठीक हो जाउंगी ! सो वह यीशु के पीछे आई और उसने उसके पोशाक को छुआ -जैसे ही उसने उसके पोशाक को छुआ खून बहना बंद हो गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-15.jpg)
फ़ौरन ही यीशु ने अपने में महसूस किया कि उस में से क़ुवत निकली , सो उसने मुड़कर पूछा कि किसने मुझे छुआ ? शागिर्दों ने जवाब दिया कि तेरे आसपास इतनी भीड़ हो रही है और तुझे धक्के दे रहे हैं और तू पूछता है कि किसने तुझे छुआ ?
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-32-16.jpg)
उस औरत ने घुटने टेके और कांपते हुए घबराकर कहा कि उस ने क्या किया , और क्यों किया और कैसे अपनी बिमारी से ठीक हुई - तब यीशु ने उस औरत से कहा ,”तेरे ईमान ने तुझे अच्छा किया ,सलामत चली जा -
_मत्ती 8 :28 -34 ; 9:20 -22 ; मरकुस 5:1-20 ,24 b-34 ; लूका 8:26-39 ; 8:42 b-48 तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 33 . किसान की कहानी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-01.jpg)
एक दिन यीशु झील के किनारे था - वह एक बड़ी भीड़ को तालीम दे रहा था उस कि तालीम सुनने के लिए भीड़ की तादाद इतनी ज़ियादा थी कि यीशु को बैठने तक की जगह नहीं थी - इस लिए वह पानी में एक कश्ती पर चढ़ कर बैठ गया -और वहां से तालीम देने लगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-02.jpg)
यीशु ने यह तालीम दी : “एक किसान बीज बोने निकला - बोते वक़्त कुछ दाने राह के किनारे गिरे , मगर हवा के परिन्दों ने आकर उन्हें चुग लिया “
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-03.jpg)
कुछ दाने पथरीली ज़मीन पर गिरे - पथरीली ज़मीन में गिरे हुए दाने गहरी मिटटी न मिलने के सबब सेसे बहुत जल्द उग आए - जब सूरज कि रौशनी उन पर पड़ी तो वह जल गए और सूख गए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-04.jpg)
फिर भी कुछ दाने कटीले झाड़ियों में गिरीं मगर झाड़ियों ने बढ़कर उन्हें दबा दिया - सो कटीले झाड़ियों में गिरे दानों से कोई फल पैदा नहीं हुआ -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-05.jpg)
बाक़ी दाने अच्छी ज़मीन पर गिरे - यह बीजें बढ़ कर बहुत सा फल ले आए ,कोई 30 गुना ,कोई 60 गुना, यहां तक कि 100 गुना जितना ज़ियादा हो सके उतना ज़ियादा जो बोया गया था - जो कोई खुदा के पीछे चलना चाहे वह इन बातों को सुने जो मैं कह रहा हूँ -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-06.jpg)
इस कहानी ने शागिर्दों को परेशान कर दिया था सो यीशु ने उन्हें समझाया कि बीज खुदा का कलाम है ,रास्ते में गिरे हुए दाने वह हैं जो कलाम को सुनता है मगर उसे नहीं समझता -फिर शैतान उस कलाम को उस से छीन लेता है कि वह न समझे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-07.jpg)
जो बीज पथरीली ज़मीन पर गिरे ये वह लोग हैं जो कलाम सुनकर ख़ुशी से क़बूल तो कर लेते हैं मगर कलाम के सबब से मुसीबतें आती हैं या दीगर लोगों की तरफ से ज़ुल्म बरपा होता है तो वह खुदा से फिर जाता है और उस पर का भरोसा टूट जाता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-08.jpg)
कटीली झाड़ियाँ उस शख्स की मिसाल है जो ख़ुदा के कलाम को सुनता तो है मगर दुनया की फ़ीकरों में उलझा हुआ रहता है , पैसा कमाना चाहता है और दुनया की बहुत सी चीजें
हासिल करना चाहता है ,कुछ दिनों बाद खुदा की महब्बत उस में क़ायम नहीं रहती -और वह खुदा को खुश नहीं कर पाता - वह गेहूं के जौ की तरह होता है जो कोई फल नहीं लाता -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-33-09.jpg)
मगर अच्छी ज़मीन उस शख्स कि मानिंद है जो खुदा के कलाम को सुनता , उस ईमान लाता और बहुत सा फल लाता है -
_मत्ती 13 :1-8 , 18 -23 ; मरकुस 4 :1-8 , 13 -20 ; लूका 8 :4-15 तक बाइबिल की एक कहानी _

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@ -0,0 +1,46 @@
# 34 . यीशु दूसरी कहानियां सिखाता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-01.jpg)
यीशु ने खुदा की बादशाही की बाबत कुछ और कहानियाँ सुनाईं ,मिसाल के तोर पर उस ने कहा “खुदा की बादशाही एक राई के बीज की तरह है जिसको किसी ने अपने खेत में बोया - आप जानते हैं कि राई का बीज सब बीजों में से छोटा होता है –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-02.jpg)
“मगर जब वह राई का बीज बढ़ता है तो खेत के सब दरख्तों से बड़ा हो जाता है यहाँ तक कि उस की डालियों पर हवा के परिंदे आकर बसेरा करने लगते हैं –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-03.jpg)
यीशु ने एक दूसरी कहानी सुनाई “खुदा की बादशाही ख़मीर की मानिंद है जिसको एक औरत ने तीन पैमाने आटे में लेकर मिला दिया और वह सारे गुंधे हुए आटे को ख़मीरा कर दिया ”-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-04.jpg)
“खुदा कि बादशाही एक खेत में छिपे हुए ख़ज़ाने की मानिंद भी है एक आदमी ने उसे पाया और उसे बहुत ज़ियादा चाहने लगा - सो उसने उसे फिर से गाड़ दिया
वह उस ख़ज़ाने से इतना खुश था कि अपना सब कुछ बेच कर उस खेत को मोल ले लिया जिस में वह खज़ाना गड़ा हुआ था –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-05.jpg)
“ख़ुदा की बादशाही एक बड़ी कीमती मोती की भी मानिंद है - जब मोती के सौदागर ने उसे पाया तो अपना सब कुछ बेच डाला ताकि उस मोती को खरीद सके” -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-06.jpg)
कुछ लोग थे जो सोचते थे कि खुदा उनको कबूल करेगा क्यूंकि वह अच्छे काम करते थे - यह लोग दूसरों को हक़ीर समझते थे जो उनकी तरह अच्छे काम नहीं करते थे - सो यीशु ने उन्हें एक कहानी सुनाई : “दो शख्स थे जो मंदिर में दुआ करने गए , उनमें से एक महसूल लेने वाला और दूसरा एक मज़हबी रहनुमा था –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-07.jpg)
उस मज़हबी रहनुमा ने इस तरह दुआ की ,ऐ खुदा “मैं तेरा शुकर करता हूँ कि मैं किसी दुसरे शख्स की मानिंद नहीं हूँ --- जैसे लुटेरे , बे इंसाफ़ , ज़िनाकार ,या इस महसूल लेने वाले की मानिंद जो वहाँ खड़ा है –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-08.jpg)
इसके अलावा मैं हफ्ते में दो बार रोज़ा रखता हूँ और मैं अपनी तमाम आमदनी का दसवां हिस्सा देता हूँ –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-09.jpg)
मगर महसूल लेने वाला उस मज़हबी रहनुमा से दूर खड़ा रहा - वह यहाँ तक कि आसमां कि तरफ नज़र उठा कर भी नहीं देखा बल्कि अपनी छाती पीटते हुए दुआ की कि ऐ खुदा मुझ पर रहम कर क्यूंकि मैं एक गुनाहगार हूँ –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-34-10.jpg)
फिर यीशु ने कहा ,”मैं तुम से सच कहता हूँ कि खुदा ने उस महसूल लेने वाले की दुआ सुनी और उस को रास्त्बाज़ क़रार दिया - उस ने मज़हबी रहनुमा की दुआ को ना पसन्द किया - खुदा हर उस शख्स को हक़ीर जानेगा जो घमंडी हैं मगर वह उनकी इज़्ज़त करेगा जो अपने आप को हलीम करते हैं “-
_मत्ती 13:31-33 , 44-46 ; मरकुस 4:30 -32 ; लूका 13 :18-21 ; 18: 9-14 से बाइबिल कि एक कहानी _

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# 35 .रहमदिल बाप की कहानी
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-01.jpg)
एक दिन बहुत से लोगों को तालीम दे रहा था जो उस कि सुनने के लिए जमा हुए थे - यह लोग महसूल लेने वाले और दुसरे लोग थे जो मूसा की शरियत परअमल करने की कोशिश नहीं किये थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-02.jpg)
कुछ मज़हबी रहनुमाओं ने देखा कि येसु उन लोगों से दोस्तों जैसा बात कर रहा था सो उनहोंने एक दुसरे से कहना शुरू किया कि वह बुरा कर रहा था येसु ने उनकी बातें सुनकर यह कहानी उन्हें सुनाई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-03.jpg)
एक शख्स के दो बेटे थे -छोटे बेटे ने अपने बाप से कहा ,”मैं अभी के अभी अपनी मीरास चाहता हूँ !” सो बाप ने अपनी जाएदाद को अपने दोनों बेटों में तक़सीम कर दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-04.jpg)
बहुत जल्द छोटे बेटे ने जो कुछ उसका था जमा किया और दूर दराज़ के मुल्क को चला गया और अपना सारा पैसा गुनाह के रास्ते में बर्बाद कर दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-05.jpg)
उस के बाद उस मुल्क में जहाँ छोटा बीटा था सख्त अकाल पड़ा और उसके पास खाना खरीद कर खाने के लिए पैसे नहीं थे -सो उसको एक ही नौकरी मिली जिसे वह कर सकता था सूअर चराना -इस के बावजूद भी वह बहुत तकलीफ में था और भूका था -वह चाहता था कि सूअर जो खाते हैं उन्हीं को खाएं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-06.jpg)
आखिरकार छोटे बेटे ने खुद से कहा ,”यह मैं क्या कर रहा हूँ ? मेरे बाप के नाकारों को अफ़रात से खाना नसीब होता है ,और मैं यहाँ पर भूकों मर रहा हूँ मैं अपने बाप के घर वापस जाऊंगा और उस से कहूँगा तू मुझे अपने नौकरों जैसा रख ले -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-07.jpg)
और छोटे बेटे ने अपने बाप के घर की तरफ़ रुख़ की जब वह अभी दूर ही था उस के बाप ने उसे देख लिया और उसपर तरस खाया -और दौड़ कर उसको अपने गले लगाया और बहुत चूमा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-08.jpg)
बेटे ने बाप से कहा ,”ऐ बाप , मैं ने तेरे खिलाफ़ , और खुदा के ख़िलाफ़ गुनाह किया है ,मैं तेरा बीटा कहलाने के लायक़ नहीं हूँ –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-09.jpg)
मगर उस के बाप ने नाकारों में से एक से कहा , जल्दी से जाओ उसे नहलाओ , उसको बहतरीन कपड़े पहनाओ !उसकी ऊँगली में अंगूठी पहनाओ उस के पर में जूते पहनाओ , और एक पला हुआ बछड़ा ज़बह करो , और जश्न मनाओ , क्यूंकि मेरा बेटा मारा हुआ था मगर अब जी गया है ! खो गया था अब वह मिल गया है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-10.jpg)
सो लोगों ने जश्न मनाना शुरू किया , अभी थोड़ी देर हुई कि बड़ा बीटा खेत में काम करके वापस घर लौटा -उसने मौसिकी और नाच गाने की आवाज़ सुनी -और ताज्जुब किया कि वहाँ क्या हो रहा था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-11.jpg)
जब बड़े बेटे ने देखा कि छोटे के घर वापस लौटने पर जश्न मनाई जा रही है तो वह बहुत गुस्सा हुआ , और वह घर के अन्दर नहिंजना चाहता था -उसका वाप बहार आया और बेटे को मनाने लगा कि उन के जश्न में शामिल हो मगर उस ने मन कर दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-12.jpg)
बड़े बेटे ने अपने बाप से “कहा पिछले सारे दिनों में मैं ने वफ़ादारी से तेरी ख़िदमत की है , मैं ने कभी भी तेरा हुक्म नहीं टाला - इस के बावजूद भी तूने मेरे लिए एक बकरी का बच्चा भी नहीं दिया कि मैं अपने दोस्तों के साथ मिलकर ख़ुशी मनाता मगर तेरा यह बेटा गुनहगारी में पैसा बर्बाद करके आया तो जश्न मनाने के लिए पला हुआ बछड़ा ज़बह किया” !
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-35-13.jpg)
बाप ने जवाब दिया ,”मेरे बेटे तू तो हमेशा मेरे साथ है , और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही तो है - मगर हमारे लिए जश्न मनाना ज़रूरी था क्यूंकि तेरा यह भाई मर गया था अब जी गया है , खो गया था मगर अब हम ने उसे पालिया है !”
_लुका 15 :11-32 तक बाइबिल कि एक कहानी _

32
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@ -0,0 +1,32 @@
# 36 . यीशु की तब्दील -ए- हैयत
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-01.jpg)
एक दिन यीशु अपने तीन शागिर्दों पतरस युहन्ना और याक़ूब को अपने साथ लिया (युहन्ना वह युहन्ना नहीं जिस ने यीशु को बपतिस्मा दिया था)- वह तीनों दुआ करने के लिए एक ऊँची पहाड़ी पर गए-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-02.jpg)
जब यीशु दुआ कर रहा था तो उसका चेहरा सूरज की तरह चमकने लगा था और उसके कपड़े इतने उजले कि दुनया का कोई धोबी उतना सफ़ेद नहीं धो सकता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-03.jpg)
फिर वहीँ पर मूसा और नबी एलियाह ज़ाहिर हुए - यह लोग यीशु से हज़ारों साल पहले ज़मीन पर रहते थे - वह
उसकी मौत की बाबत बातें कर रहे थे क्यूंकि वह बहुत जल्द येरूशलेम में मरने वाला था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-04.jpg)
जब मूसा और एलियाह यीशु से बातें कर रहे थे ,तो पतरस ने यीशु से कहा ,यहाँ रहना हमारे लिए अच्छा है - हम यहां पर तीन ख़ेमे बनाते हैं - एक तेरे लिए ,एक मूसा के लिए और एक एलियाह के लिए - मगर पतरस नहीं जानता था कि वह क्या कह रहा था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-05.jpg)
जब पतरस बात कर रहा था तो एक नूरानी बादल निचे उतरा और उनके चारों तरफ छागया - फिर उनहोंने बदल में से एक आवाज़ सुनी जो कह रहा था ,”यह मेरा प्यारा बेटा है जिसे मैं महब्बत रखता हूँ ,मैं उस से खुश हूँ ,उसकी सुनो –“ तीनों शागिर्द दहशत के मारे ज़मीन पर गिर पड़े -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-06.jpg)
फिर यीशु ने उन्हें छूकर कहा ,”डरो मत ,उठो –“जब उनहोंने आसपास देखा तो वहां यीशु के अलावा किसी और को न देखा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-36-07.jpg)
यीशु और उसके तीनों शागिर्द पहाड़ पर से नीचे उतरे -फिर यीशु ने उनसे कहा जो कुछ यहाँ पर हुआ किसी से भी ना कहना ,मैं बहुत जल्द मरकर जी उठूँगा - तब तुम लोगों से कहना -
_मत्ती 17:1-9 ; मरकुस 9:2-8 ; लूका 9:28-36 तक बाइबिल कि एक कहानी _

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@ -0,0 +1,48 @@
# 37 .यीशु लाज़र को मौत से जिलाता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-01.jpg)
लाज़र नाम का एक शख्स था - उसकी दो बहिनें थीं जिन का नाम मरथा और मरयम था - वह सब के सब यीशु के करीबी दोस्त थे जब यीशु उन से दूर था तो एक दिन किसी ने यीशु से कहा कि लाज़र बहुत बीमार था जब यीशु ने यह सुना तो उस ने कहा ,यह बिमारी लैज़र को मौत तक ले जाएगी ब्ल्कि यह लोगों को खुदा की ताज़ीम का सबब बनेगी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-02.jpg)
यीशु अपने दोस्तों से महब्बत रखता था - मगर जहां पर वह था वहां दो दिन और लगाया - दो दिन बाद उसने अपने शागिरदों से कहा “आओ हम यहूदिया को वापस चलें” “मगर उस्ताद “शागिर्दों ने जवाब दिया “कुछी दिनों पहले वहां के लोग तुझे हलाक करना चाहते थे !” यीशु ने कहा ,हमारा दोस्त लाज़र सो गया है और मुझे उसे जगाना है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-03.jpg)
यीशु के शागिर्दों ने जवाब में कहा ,”अगर लाज़र सो रहा है तो वह उठ जाएगा “फिर यीशु ने उनसे साफ़ कह दिया कि लाज़र मर चुका है और मैं खुश हूँ कि मैं वहां पर नहीं था ताकि तुम मुझ पर ईमान लाओ -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-04.jpg)
जब यीशु ललाज़र के वतन में पहुंचा तो लाज़र को मरे हुए चार दिन हो चुके थे - मरथा यीशु से मिलने कों आई और उसने यीशु से कहा ,”उस्ताद अगर यु यहाँ पर होता तो मेरा भाई कभी न मरता ,मगर मेरा एत्काद है कि तू जो कुछ खुदा से मांगेगा खुदा तुझे देगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-05.jpg)
यीशु ने जवाब में कहा कि”क़यामत और ज़िन्दगी मैं हूँ जो कोई मुझ पर ईमान लायेगा वह मरने पर भी जियेगा जो कोई मुझ पर ईमान लाता है वह कभी भी न मरेगा ,क्या तू इस पर ईमान रखती है ? “ मरथा ने जवाब में कहा ,मैं ईमान लाती हूँ कि तू खुदा का बेटा मसीहा है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-06.jpg)
फिर मरयम यीशु के पास पहुंची ,उस ने भी यीशु के पांव पर गिर कर कहा ,” अगर तू यहाँ होता तो मेरा भाई कभी न मरता ,यीशु ने उन से पूछा लाज़र को तुंम लोगों ने कहाँ रखा है ?” उन्हों ने उससे कहा,”क़ब्र में “चलो और देख लो ,यीशु ने जब उसे देखा तो उस के आंसू बहने लगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-07.jpg)
वह क़ब्र एक ग़ार था जिस के मुंह पर पत्थर धरा था -जब यीशु क़ब्र पर पहुंचा तो यीशु ने उनसे कहा “पत्थर को हटाओ ,पर मरथा ने कहा “उसको मरे हुए चार दिन हो चुके हैं ,अब उस में से बदबू आती है”-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-08.jpg)
यीशु ने जवाब में उससे कहा ,क्या मैं ने तुम से नहीं कहा था कि अगर तू मुझ पर ईमान लाएगी तो खुदा की कुदरत को देखेगी ,तब उन्हों ने पत्थर को हटाया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-09.jpg)
फिर यीशु ने आसमान की तरफ़ देखकर कहा ,”ऐ बाप मैं तेरा शुक्र करता हूँ कि तू मेरी सुनता है,मगर इन लोगों के बाइस जो आसपास खड़े हैं मैं ने यह कहा ताकि वह ईमान लाएं कि तू ही ने नुझे भेजा है ,” फिर यीशु ने बुलंद आवाज़ से पुकारा कि “ऐ लाज़र निकल आ “
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-10.jpg)
सो लाज़र बाहर निकल आया ! उस के हाथ पांव अभी भी क़ब्र के कपड़ों से लिपटे हुए थे - यीशु ने उनसे कहा ,क़ब्र के कपड़े खोलने में उसकी मदद करो और उसे जाने दो” - इस मोजिज़े के सबब से बहुत से यहूदी यीशु पर ईमान लाए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-37-11.jpg)
मगर यहूदियों के मजहबी रहनुमाओं ने यीशु से हसद रखा ,सो वे एक जगह जमा होकर यीशु और लाज़र को हलाक करने का मंसूबा बाँधने लगे -
_युहन्ना 11 : 1-46 तक बाइबिल की एक कहानी_

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@ -0,0 +1,64 @@
# यीशु को फ़रेब दिया जाता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-01.jpg)
हर साल यहूदी लोग फ़सह की ईद मनाते हैं - यह एक ईद थी कि किस तरह खुदा ने उनके बापदादा को सदियों साल पहले मिस्र की गुलामी से बचाया था - यीशु का खुले आम प्रचार करने और तालीम देने के तीन साल बाद यीशु ने अपने शागिर्दों से कहा कि वह फ़सह की ईद को येरूशलेम में उन के साथ मनाना चाहता है और यह भी कि वह वहां मारा भी जाएगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-02.jpg)
यीशु के शागिर्दों में से एक जिसका नाम यहूदा इस्कर्योती था जिस के पास पैसों की थैली रहती थी वह अक्सर उस थैली में से पैसे चुरा लिया करता था - यीशु और उसके शागिर्दों के येरूशलेम पहुँचने के बाद ,यहूदा चुपके से यहूदी रहनुमाओं के पास गया - उसने कुछ पैसों की खातिर यीशु को धोका देने यानी उसको पकड़वाने का फ़ैसला लिया ,वह जानता था कि यहूदी रहनुमा यीशु को मसिहा बतोर कबूल नहीं करते थे , और वह यह भी जानता था कि वह उसको मारना चाहते थे-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-03.jpg)
यहूदी रहनुमा जो सरदार काहिन के चलाए चलते थे यहूदा को तीस चांदी के सिक्के दिए कि वह यीशु को उनके हाथ में सौंपेगा - यह बिलकुल वैसे ही हुआ जिस तरह नबियों के कलाम में लिखा हुआ था - यहूदा मान गया ,और पैसे लेकर चला गया - वह यीशु को गिरफ़तार करने का मोक़ा ढूँढने लगा ताकि उन की मदद कर सके
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-04.jpg)
येरूशलेम में यीशु ने अपने शागिर्दों के साथ फ़सह मनाया फ़सह के खाने के दौरान यीशु ने रोटी ली और उसे तोड़ कर अपने शागिर्दों को दी और कहा ,’इसको लो और खाओ , मैं इसको तुम्हारे लिए दूंगा ,मेरी यादगारी के लिए यही किया करो “यीशु ने कहा कि वह उनके लिए मरेगा कि अपना जिस्म उन के लिए क़ुर्बान करे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-05.jpg)
फिर यीशु ने मए का का प्याला लिया और कहा “इसे पियो ,यह मेरे खून में नया अहद है इसको मैं तुम्हारे लिए उंडेलूंगा ताकि खुदा तुम्हारे गुनाह मुआफ़ करे - जो मैं अभी कर रहा हूँ आगे भी करते रहना - जब भी तुम इसे पीते हो मेरी यादगारी में ऐसा ही किया करो -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-06.jpg)
फिर यीशु ने शागिर्दों से कहा “ तुम में से एक मुझे धोका देगा “- शागिर्दों को धक्का लगा और पूछा ,कौन ऐसी हरकत करेगा - यीशु ने कहा जिस को मैं रोटी का निवाला दूंगा वही फ़रेबी है - फिर उस ने वह निवाला यहूदा इस्कर्योती को दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-07.jpg)
यहूदा ने जब वह निवाला यीशु के हाथ से लिया तो शैतान उस में समां गया - यहूदा शागिर्दों से अलग हुआ और यिशु को पकड़वाने में यहूदी रहनुमाओं की मदद के लिए चला गया - वह रात का वक़्त था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-08.jpg)
खाने के बाद यीशु अपने शागिर्दों के साथ जैतून पहाड़ को गया - वहां यीशु ने उनसे कहा “आज रात तुम सब मुझे छोड़ दोगे , लिखा है कि मैं चरवाहे को मारूंगा और भेड़ें तिततर बिततर हो जाएंगीं –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-09.jpg)
पतरस ने जवाब दिया ,”सब के सब चाहें छोड़ें तो छोड़ें मगर मैं तुझे नहीं छोडूंगा ! ”फिर यीशु ने पतरस से कहा “शैतान ने तुम सब को मांग लिया है कि वह तुम्हें गेहूं की तरह फटके पर मैं ने तुम्हारे लिए दुआ की है कि तेरा ईमान जाता न रहे ,यहाँ तक कि आज रात मुर्ग़ के बांग देंसे पहले तू तीन बार मेरा इंकार करेगा कि तू मुझे जानता तक नहीं –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-10.jpg)
फिर पतरस ने कहा ,अगर तेरे साथ मुझे मरना भी पड़े तो भी मैं तेरा इंकार न करूंगा , और इसी तरह तमाम शागिर्दों ने भी कहा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-11.jpg)
फिर यीशु अपने शागिर्दों के साथ उस मकाम पर गया जो गत्समनी कहलाता है -यिशु ने अपने शागिर्दों से कहा “दुआ करो ताकि तुम शैतान की आज़माइश में न पड़ो - फिर यीशु खुद ही दुआ करने के लिए आगे बढ़ गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-12.jpg)
यीशु ने गत्समनी में तीन बार दुआ की कि “ऐ बाप अगर हो सके तो यह मुसीबत का प्याला मुझ से टल जाए ,पर अगर लोगों के गुनाह मुआफ किये जाने का और कोई रास्ता नहीं है तो फिर तेरी मरज़ी पूरी हो ,यीशु इत्ना ज़ियादा बे - चैन और बे क़रार था कि उसका पसीना खून के क़तरे बन कर टपक रहा था - खुदा ने एक फरिश्ते को भेजा कि उसको कुव्वत दे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-13.jpg)
हर दुआ के बाद यीशु अपने शागिर्दों के पास आया मगर वह उन्हें सोते पाया - जब वह तीसरी बार वापस गया तो यीशु ने उनसे कहा “जागो क्यूंकि मेरा पकडवाने वाला आ चुका है “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-14.jpg)
यहूदा ,यहूदी रहनुमाओं ,सिपाहियों और एक बड़ी भीड़ को अपने साथ ले आया - वह तलवारें और लाठियां लिए हुए थे - यहूदा यीशु के पास आकर कहा “ उस्ताद सलाम “ और उसको चूमा -उस ने ऐसा इस लिए किया कि यहूदी रहनुमा को बताना था कि किस को गिरफ़्तार करना है - फिर यीशु ने कहा ,”यहूदा क्या तू चूमा लेने के ज़रिये मुझे पकड़वा रहा है ?”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-38-15.jpg)
जब सिपाही यीशु को गिरफ़्तार कर रहे थे तो पतरस ने अपनी तलवार निकाली और सरदार काहिन के नौकर पर चला कर उस का दहना कान उड़ा दिया - यीशु ने पतरस से कहा ,”अपनी तलवार मियान में रख ! अगर मैं चाहूँ तो बाप से फरिश्तों की फ़ौज मंगवा सकता हूँ ताकि वह मुझे बचा सके ,मगर मुझे बाप का हुक्म मानना है “-फिर यीशु ने उस आदमी का कान ठीक कर दिया - फिर तमाम शागिर्द भाग गए -
_मत्ती 26 :14 -56 ;मरकुस 14 : 10 -50 ; लूका 22 :1-53 ;युहन्ना 12 ;6 ;१८ 1-11 तक बाइबिल की एक कहानी_

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@ -0,0 +1,52 @@
# 39 .यीशु का मुक़द्दमा किया जाना
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-01.jpg)
अब आधी रात का वक़्त था - सिपाही यीशु को सरदार काहिन के घर ले गए क्यूंकि वह यीशु से सवाल करना चाहता था - पतरस उन के बहुत पीछे पीछे चल रहा था जब सिपाही यीशु को घर के अन्दर ले गए तो पतरस बाहर खड़े होकर खुद से आग तापने लगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-02.jpg)
घर के अन्दर यहूदी रहनुमा यीशु की अदालती तहकीकात करने लगे ,उन्होंने बहुत से झूठे गवाह खड़े किये जो उस की बाबत झूट बोलते थे - मगर किसी तरह उन के बयानात एक दुसरे से मुततफ़िक़ नहीं थे - इसलिए यहूदी रहनुमा साबित न कर सके कि यीशु मुजरिम है - यीशु चुप चाप रहा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-03.jpg)Yiआखिरकार सरदार काहिन ने यीशु को बराहे रास्त देखा और कहा “क्या तू ज़िन्दा खुदा का बेटा मसीहा है “?
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-04.jpg)
यीशु ने कहा ,”मैं हूँ ,और इस के बाद तुम मुझे कादिर -ए- मुतलक़ के दाहिने तख़्त निशीं होते हुए और आसमांन के बादलों पर आते हुए देखोगे “इस पर सरदार काहिन ने अपने कपड़े फाड़े क्यूंकि वह यीशु की इस बात पर बहुत गुस्सा हुआ -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-05.jpg)
तमाम यहूदी रहनुमाओं ने जवाब में कहा “वह मौत की सज़ा के लायक़ है “फिर उन्हों ने यीशु की आँखों पर पट्टी बांधा , उसपर थूका , उसके मुक्के मारे और उसका मज़ाक़ उड़ाया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-06.jpg)
पतरस जब घर के बाहर इंतज़ार कर रहा था तो एक लौंडी ने उसे देख कर कहा तू भी तो यीशु के साथ था , मगर पतरस ने साफ़ इंकार कर दिया , उसके बाद एक दूसरी लड़की ने भी यही बात कही ,पतरस दोबारा से मुकर गया आखिरकार कुछ लोगों ने कहा “हम जानते हैं कि तुम यीशु के साथ थे क्यूंकि तुम दोनों गलील के हो “
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-07.jpg)
फिर पतरस ने कहा ,”अगर मैं इस शख्स को जानता तो खुदा मुझे लानत भेजे “जैसे ही पतरस ने क़सम खाई मुर्ग़ ने बांग दी , यीशु ने पतरस की तरफ़ मुड़ कर देखा
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-08.jpg)
पतरस को जब यीशु की बात याद आई तो वह बाहर जाकर ज़ार ज़ार रोया - उसी वक़्त यहूदा जिसने यीशु को पकड़वाया था देखा कि यहूदी रहनुमाओंने ने यीशु को मुजरिम क़रार दिया है तो उसे बहुत अफ़सोस हुआ और खुद को हालाक करने चला गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-09.jpg)
उस वक़्त मुल्क का हाकिम पिलातुस था उसने रोम के लिए काम किया था -यहूदी रहनुमा यीशु को उसके पास ले आए वह चाहते थे कि पिलातुस यीशु को मुजरिम करार दे और उसे हलाक करे - फिर पिलातुस ने यीशु से पूछा ,”क्या तू यहूदियों का बादशाह है ?”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-10.jpg)
यीशु ने जवाब दिया ,”तूने सच कहा है “मगर मेरी बादशाही इस ज़मीन की नहीं है ,अगर ऐसा होता तो मेरे ख़ादिम मेरे हक़ में लड़ते - मैं दुनया में खुदा की बाबत सचाई की मनादी करने आया हूँ - हर कोई जो सच्चाई से प्यार करता है वह सुनता है –“ पिलातुस ने कहा सचाई क्या है ?”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-11.jpg)
यीशु से बात करने के बाद पिलातुस भीड़ के सामने जाकर कहा ,”मैं इस शख्स में कोई जुर्म नहीं पाता कि वह मौत कि सज़ा के लायक़ ठहरे-“मगर यहूदी रहनुमा और भीड़ चिल्लाई कि “उसको सलीब दे”! पिलातुस ने जवाब दिया कि वह किसी भी बात का ख़ुसूरवार नहीं है” मगर वह और जोर से चिल्लाने लगे -फिर तीसरी बार पिलातुस ने कहा कि वह क़सूरवार नहीं है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-39-12.jpg)
पिलातुस को डर था कि भीड़ दंगे फ़साद में न उतर आए तब वह राज़ी हो गया कि उसके सिपाही यीशु को सलीब देंगे - रोमी सिपाहियों ने यीशु के कोड़े लगाए , किर्मज़ी चोग़ा पहनाया और काँटों का ताज बनाकर उस के सर पर रखा - फिर उनहोंने यह कहकर उसका मज़ाक़ उड़ाया ,”ऐ यहूदियों के बादशाह ,आदाब !”
_मत्ती 26 :57 -27:26 ; मरकुस 14: 53 -15 :15 ;लूका 22 :54 -23 :25 ; युहन्ना 18 :12 -19 :16 तक बाइबिल की एक कहानी_

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# 40 . यीशु को सलीब दी गई
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-01.jpg)
सिपाहियों के ज़रिये मज़ाक़ उड़ाए जाने बाद उसको सलीब देने की जगह पर ले जाया गया उन्होंने उस सलीब को उठाकर ले जाने के लिए मजबूर किया जिस पर मस्लूब किया जाना था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-02.jpg)
सिपाहियों ने यीशु को उस जगह पर ले आए जो “खोपड़ी की जगह” कहलाती थी और उसके हाथ और पांव सलीब पर ठोंक दिए - मगर यीशु ने कहा “ऐ बाप तू इन्हें मुआफ़ कर क्यूंकि यह नहीं जानते कि यह क्या करते हैं” उनहोंने सलीब के सिरे पर एक मक्तुबा भी लगाया जिस में लिखा था “यहूदियों का बादशाह”- इसे पिलातुस ने लिखने को कहा था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-03.jpg)
फिर सिपाहियों ने यीशु के कपड़ों पर क़ुरअ: डालकर उसके कपड़े बांट लिए जब वे यह कर चुके तो यह नबुवत पूरी हुई कि “वह मेरे कपड़े बांटते और उस पर कुरअ: डालते हैं –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-04.jpg)
वहां पर दो और डाकू भी थे जो उसी वक़्त मस्लूब किये गए थे - उन्हें एक को दाएं और दुसरे को बाएँ तरफ़ मस्लूब किया था - उनमें से एक ने यीशु का मज़ाक़ उड़ाया मगर दुसरे ने उस से कहा “क्या तू खुदा से नहीं डरता कि वह तुझे सज़ा देगा ,हम तो अपने बुरे कामों की सज़ा भोग रहें हैं,मगर यह शख्स तो बे - गुनाह है “-और उस ने येशु से कहा ,”जब तू अपनी बादशाही में आए तो मुझे याद रखना”,यीशु ने उस से कहा “तू आज ही मेरे साथ फ़ीरदोस में होगा –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-05.jpg)
यहूदियों के रहनुमा और भीड़ के दीगर लोगों ने यीशु का मज़ाक़ उड़ाया , उन्हों ने उस से कहा ,”अगर तू खुदा का बेटा है तो सलीब से नीचे आकर दिखा और अपने आप को बचा ! तब हम तुझ पर एत्काद करेंगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-06.jpg)
फिर उस पूरे इलाक़े में मुकम्मल तोर से अंधेरा छा गया जबकि वह दिन दोपहर का वक़्त था यानी दिन के 12 बजे से लेकर 3 बजे तक बिलकुल अंधेरा ही अंधेरा छाया रहा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-07.jpg)
तब यीशु ने सलीब पर से चिल्लाया “पूरा हुआ ,ऐ बाप मैं अपनी रूह तेरे हाथों में सोंपता हूँ “ तब उस ने सर झुका कर अपनी जान दे दी - जब वह मरा तो बड़ा भोंचाल आया तब मंदिर का बड़ा पर्दा जो लोगों को खुदा की हुज़ूरी से दूर रखता था वह ऊपर से नीचे तक फट गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-08.jpg)
उसकी मौत के वसीले से यीशु ने एक रस्ता खोला कि लोग खुदा के पास आएं - जब एक मुहाफ़िज़ सिपाही जो इन सब बातों को वाक़े होते देख रहा था तो उसने कहा “सच मुच यह शख्स बे गुनाह था और ख़ुदा का बेटा था
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-40-09.jpg)
फिर दो यहूदियों के सरदार जिन का नाम यूसुफ़ और निकोदिमुस था वह आए - उनका एतक़ाद था कि यीशु मसीहा था , उन्हों ने पिलातुस से यीशु की लाश मांगी -उन्हों ने उसके जिस्म को कपड़े में लपेटा और एक नई क़ब्र के अन्दर रखा और एक बड़ा पत्थर उसके मद्ख़ल पर रखा -
_मत्ती 27:27-61 ; मरकुस 15 : 16-47 ; लूका 23 :26 -56 ;युहन्ना 19 :17 42 तक बाइबिल की एक कहानी _

35
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# 41 . खुदा यीशु को मुरदों में से जिलाता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-01.jpg)
सिपाही यीशु को सलीब देने के बाद यहूदी रहनुमाओं ने पिलातुस से कहा “उस झूठे यीशु ने कहा था कि वह तिन दिन बाद जी उठेगा - सो किसी न किसी को क़ब्र की रखवाली करनी पड़ेगी ताकि उस के शागिर्द उसकी लाश को चुरा कर न ले जाएं - अगर वह ऐसा करते हैं तो वह कहेंगे कि यीशु मुरदों में से जी उठा है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-02.jpg)
पिलातुस ने कहा ,”क़ब्र की रखवाली के लिए जितने सिपाही चाहो ले जाओ “ सो वे सिपाही ले गये और क़ब्र के मुंह पर जो पत्थर था उस पर रोमी सरकार की मोहर लगादी - उन्होंने सिपाहियों का भी पहरा बिठाया ताकि लाश को कोई चुरा कर न लेजा सके -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-03.jpg)
यीशु के मरने के दुसरे दिन सबत का दिन था - सबत के दिन कोई भी काम नहीं कर सकता था - सो यीशु के दोस्तों में से कोई भी उसकी क़ब्र पर नहीं गया , मगर सबत के दुसरे दिन , सुबह सवेरे कुछ औरतें यीशु की क़ब्र पर जाने के लिए तय्यार हुईं - वह उसके जिस्म पर और ज़ियादा खुशबूदार मसाले डालना चाहती थीं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-04.jpg)
औरतों के पहुँचने से पहले क़ब्र पर एक भोंचाल आया था - एक फ़रिश्ता आसमांन से आया और क़ब्र के मुंह पर जो पत्थर था उस को लुढ़का कर उस पर बैठ गया था -यह फ़रिश्ता बिजली की तरह चमकीला था - सिपाहियों ने उसे देखा भी था वह उस से ऐसे दहशत खाए थे कि वह मुर्दा से ज़मीन पर गिर पड़े थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-05.jpg)
जब औरतें क़ब्र पर आईं तो फ़रिश्ते ने उन से कहा “डरो मत , यीशु यहाँ नहीं है ,वह मुरदों में से जी उठा है ,जैसा उसने पहले से ही कह दिया था कि वह जी उठेगा ! फ़रिश्ते के कहने के मुताबिक़ औरतों ने देखा कि यीशु की लाश क़ब्र पर नहीं थी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-06.jpg)
फिर फ़रिश्ते ने औरतों से कहा ,”जाओ और शागिर्दों से कहदो कि यीशु मुरदों में से जी उठा है ,और वह तुम से पहले गलील को जाएगा “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-07.jpg)
औरतें बहुत ज़ियादा ताज्जुब करने लगीं और बहत खुश हुईं - वह शागिर्दों को यह खुशख़बरी देने के लिए दौड़ पड़ीं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-41-08.jpg)
जब औरतें शागिर्दों को खुशखबरी देने के लिए जा रहीं थीं तो रास्ते में यीशु उन पर ज़ाहिर हुआ तब वे उस के क़दमों पर गिर कर उसे सिजदा करने लगीं ,यीशु ने उन्से कहा, मत डरो ,”जाओ और मेरे शागिर्दों से कहो कि वह गालील को जाएं ,वहां वह मुझे देखेंगे –“
_मत्ती 27:62 - 28 :15 ; मरकुस 16:1-11 ; लुका 24 :1-12 ; युहन्ना 20 :1-18 तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 42 . यीशु आसमान पर सऊद फ़रमाता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-01.jpg)
जिस दिन खुदा ने यिशु को मुरदों में से जिलाया ,उस के शागिर्दों में से दो पास वाले शहर की तरफ़ जा रहे थे -जब वह जा रहे थे तो यिशु के साथ जो वाक़े हुआ था उस की बाबत बातें करते जा रहे थे - उनको उम्मीद थी कि वह मसीहा था , मगर फिर वह मारा गया -अब कुछ औरतों ने कहा कि वह ज़िन्दा हो गया -- वह नहीं जानते थ कि क्या एत्काद करें -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-02.jpg)
यीशु उन के पास् पहुंचा और उन के साथ चलने लगा मगर वह उसे नहीं पहचानते थे - यीशु ने उनसे पूछा कि क्या बातें करते जाते हो - उनहोंने वह सारी बातें कहीं जो पिछले कुछ दिनों में हुआ था - उनहोंने सोचा कि वह एक बाहर के श्ख्स से बातें कर रहे हैं जो येरूशलेम में क्या कुछ हुआ उसे नहीं जानता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-03.jpg)
फिर यीशु ने उनको समझाया कि मसीहा के बारे में कलाम में क्या कहा गया है - बहुत पह्ले नाबियों ने कहा था कि शरीर और गुनाहगार लोगों की खातिर मसीहा दुःख उठाएगा और मरेगा ,मगर वह तीसरे दिन जी उठेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-04.jpg)
जब वह शहर में पहुंचे जहां यह दो लोग रुकना चाहते थे वह तकरीबन शाम का वक्त था - उन्हों ने यीशु को दावत दी कि उनके साथ रुके - सो वह उन के साथ एक घर में गया - वह शाम का खाना खाने बैठे - यीशु ने एक रोटी ली और शुक्र कर के उन्हें देने लगा - अचानक से उनहोंने पहचाना कि वह यीशु था - क्यूंकि उसी पल वह उनकी नजरों से ग़ायब होचुका था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-05.jpg)
उन दोनों ने एक दुसरे से कहा “वह यीशु था ! जब वह राह में हम से बातें करता और कलाम से हमें समझाता थ तो क्या हम जोश से भर नहीं गए थे ? सो वह फ़ौरन येरूशलेम वापस गए और जाकर शागिर्दों को ख़बर दी कि यीशु ज़िन्दा है और हम ने उसे देखा है “!
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-06.jpg)
जब शागिर्द कमरे में बैठे आपस में बातें कर रहे थे तो अचानक यीशु उन के बीच में ज़ाहिर हुआ -उस ने कहा “ तुम पर सलामती हो “ - शागिर्दों ने सोचा कि वह भूत है - मगर यीशु ने कहा कि तुम क्यूँ डरते हो ? मेरे हाथ और पांव को देखो - भूत का कोइ जिस्म नहीं होता - यह् बताने के लिए कि वह कोई भूत नहीं है उसने खाने को कुछ माँगा - उन्होंने उस्को एक मछली का टुकड़ा दिया और उसने उसे खाया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-07.jpg)
यीशु ने उनसे कहा जो कुछ खुदा के कलाम में मेरी बाबत लिखा है वह पूरी होंगी मैं ने तुमसे कहा था कि उन का पूरा होना ज़रूरी है - फिर यीशु ने खुदा के कलाम को बेहतर तरीके से समझाया - अरसा पहले नबियों ने लिखा कि मसीहा दुःख उठाएगा , मरेगा और फिर तीसरे दिन मुरदों में से जी उठेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-08.jpg)
नबियों ने यह भी लिखा कि मेरे शागिर्द खुदा के पैग़ाम की मनादी करेंगे - वह हर एक से कहेंगे कि तौबा करो -अगर वह करते हैं तो खुदा उन के गुनाहों को मुआफ करेगा - मेरे शागिर्द इस मनादी को येरूशलेम से शुरू करेंगे फिर वह दुनया के हर एक कबीले में हर जगह जाएंगे जो कुछ मैं ने कहा और किया उन सबके तुम गवाह हों और जो कुछ मुझ पर वाके हुए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-09.jpg)
चालीस दिन के दौरान में यीशु अपने शागिर्दों पर कई बार ज़ाहिर हुआ ,एक बार तो वह एक ही वक़्त में 500 से ज़ियादा लोगों पर ज़ाहिर हुआ ! उसने अपने शागिर्दों को कई तरह से साबित किया कि वोह ज़िन्दा है और खुदा की बादशाही कि तालीम दी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-10.jpg)
यीशु ने अपने शागिरदों से कहा ,”खुदा ने मुझको आसमान और ज़मीन की हर एक चीज़ पर हुकूमत करने का इख्तियार दिया है - इस लिए मैं तुमसे कहता हूँ कि:”तुम जाकर सब कौमों को शागिर्द बनाओ ,और उनको बाप ,बेटे और रूहुल्कुदुस के नाम से बप्तिस्मा दो-उन्हें यह भी तालीम देना है कि उन सब बातों पर अमल करना है जिन का मैं ने हुक्म दिया ,और देखो मैं दुनया के आखिर तक तुम्हारे साथ हूँ –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-42-11.jpg)
यीशु के मुर्दों में से ज़िन्दा होने के चालीस दिन बाद उसने अपने शागिर्दों से कहा “जब तक मेरा बाप तुम्हें क़ुवत अता नहीं करता तब तक तुम येरूशलेम में ठहरे रहो -वह तुम पर रूहुल्कुदुस नाज़िल करने के ज़रिए से ऐसा करेगा - फिर यीशु आसमान पर उठा लिया गया और एक बादल ने उसे उन की नज़रों से छिपा लिया -यीशु आसमान पर ख़ुदा के दहनी तरफ़ तख़्त निशीं है और तमाम चीज़ों पर हुकूमत करता है -
_मत्ती 28 16 -20 ; मरकुस 16 : 12-20 ; लुका 24 :13-53 ;युहन्ना 20 :19 -23 ; आमाल 1:1-11 तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 43. कलीसिया शुरू होती है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-01.jpg)
यीशु के आसमान पर वापस जाने के बाद ,शागिर्द येरूशलेम में ठहरे रहे जिस तरह से यीशु ने उनको हुक्म् दिया था - दूसरी तरफ़ ईमानदार लगातार दुआ बंदगी के लिये जमा होते थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-02.jpg)
हर साल फ़सह के पचास दिन बाद यहूदी लोग एक ख़ास दिन मनाते थे जिसे पेन्तिकुस्त का दिन कहा जाता है
पेन्तिकुस्त एक ऐसा वक़्त होता था जब यहूदी लोग गेहूं के फ़सल की कटाई का जश्न मनाते थे - तमाम दुनया से यहूदी लोग येरूशलेम में जमा होकर एक साथ पेतिकुस्त के ईद को मनाते थे - इस साल पेन्तिकुस्त का दिन यीशु के आसमान पर सऊद फ़रमाने के एक हफ़्ते बाद पड़ा था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-03.jpg)
जब सारे ईमानदार लोग एक जगह पर जमा थे , तो अचानक उस घर में जहां वह जमा थे एक पुर ज़ोर आंधी की सी आवाज़ गूंजने लगी - फिर कुछ आग की लपटें दिखाई दिए जो तमाम ईमानदारों के सिर पर जाकर ठहर गईं - वह सब के सब रूहुल क़ुदुस से भर गए और फ़रक़ फ़रक़ ज़ुबानों में खुदा कि हम्द ओ सिताइश करने लगे - यह वह ज़ुबानें रूहुल क़ुदुस ने उन्हें बोलने दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-04.jpg)
जब यरूशलेम में लोगों ने इस आवाज़ को सुना तो वह भीड़ की शक्ल में जमा होकर उस जगह को देखने के लिए आ गए कि वहाँ क्या हो रहा था - उनहोंने ईमानदारों से खुदा के उन बड़े कामों की मनादी सुनी जो उसने उन के बीच अंजाम दिए थे -लोगों की भीड़ इस बात पर ताज्जुब करने लगी कि वे अपनी मादरी ज़ुबान में इन बातों की चरचा सुन रहे थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-05.jpg)
उनमें से कुछ लोगों ने कहा कि शागिर्द लोग नशे में हैं -मगर पतरस ने खड़े होकर उन से कहा “मेरी बात सुनो ,यह लोग नशे में नहीं हैं ,बल्कि जो कुछ तुम देख रहे हो वह योएल नबी की मार्फ़त कही हुई नबूवत की तकमील है कि आख़री दिनों में मैं अपना रूह तमाम ईमानदारों पर उन्डेलूँगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-06.jpg)
ऐ इस्राईलियो सुनो ,”यीशु एक शख्स था जिस ने कई एक मोजिज़े किये यह बताने और जताने के लिए कि वह कौन था - उसने खुदा की क़ुवत से बड़े अछम्बे काम अंजाम दिए - और तुम यह बात अच्छी तरह से जानते हो क्यूंकि तुमने इन बातों को देखा है मगर तुम ने उसे सलीब पर चढ़ाकर मार डाला -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-07.jpg)
यीशु मर गया मगर खुदा ने उसे मुर्दों में से ज़िन्दा किया - यह बात सच साबित हुई जो नबी ने पहले से ही उस की बाबत लिखा था कि “वह अपने माम्सूह को क़ब्र में सड़ने नहीं देगा “हम उस के गवाह हैं कि खुदा ने उसको मुरदों में से ज़िन्दा कर दिया है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-08.jpg)
खुदा बाप अब उसको अपने दहने तख़्त में बैठाने के ज़रिये उसको इज़्ज़त बख्शता है - और यीशु ने हमारे लिए रुहुल क़ुदुस को भेजा है जैसा उस ने वादा किया था कि वह भेजेगा - यह रुहुल क़ुदुस का ही काम है जो तुम यहाँ पर देखते और सुनते हो “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-09.jpg)
“तुम ने इस शख्स यीशु को सलीब पर चढ़ाया - पास इस्राईल का सारा घराना जांन ले कि खुदा ने उसी यीशु को जिसे तुम ने मस्लूब किया , खुदावंद भी किया और मसीह भी –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-10.jpg)
जब लोग पतरस की इन बातों को सुन रहे थे तो उनके दिलों पर चोट लगी - सो उन्हों ने पतरस और दीगर शागिर्दों से पूछा कि “ऐ बाइयो ! हम क्या करें ?”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-11.jpg)
पतरस ने उन से कहा तुम में से हर एक तौबा करो और अपने गुनाहों की मुआफ़ी के लिए यीशु मसीह के नाम से बप्तिसमा लो तब खुदा तुम्हारे गुनाह मुआफ करेगा और रूहुल क़ुदुस भी इनाम में देगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-12.jpg)
पतरस की मनादी से लगभग 3,000 लोग ईमान लाए और यीशु के ईमानदारों में शामिल हो गए - उनहोंने बपतिस्मा लिया और यरूशलेम की कलीसिया का एक हिस्सा बन गए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-43-13.jpg)
ईमानदारों ने लगातार शागिर्दों की तालीम को सुना - वह अक्सर एक साथ मिलकर खाना खाते थे और एक साथ मिलकर दुआ करते थे - वह एक साथ मिलकर खुदा की हम्द किया करते थे और सब चीजों में शरीक थे - और शहर का हर एक शख्स उनसे वाकिफ़ कार था - जो नाजात पाते थे उनको खुदा हर रोज़ उन में मिला देता था -
_आमाल के दुसरे बाब से बाइबिल की एक कहानी _

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# 44 . पतरस और युहन्ना एक भीक मांगने वाले को शिफ़ा देते हैं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-01.jpg)
एक दिन पतरस और युहन्ना मंदिर में गए - मंदिर के फाटक पर उन्होंने एक लंगड़े को भीक मांगते देखा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-02.jpg)
पतरस ने उस लंगड़े आदमी की तरफ़ देखा और कहा ,”मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ भी पैसे नहीं है , मगर जो मेरे पास है वह मैं तुम्हें देता हूँ , यीशु के नाम से उठ और चल फिर –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-03.jpg)
फ़ौरन ही खुदा ने उस लंगड़े को शिफ़ा बख्शी और वह लंगड़ा चलने फिरने , उछलने कूदने और खुदा की तारीफ़ करने लगा जो लोग मंदिर के आसपास थे उनहोंने यह देखकर ताज्जुब किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-04.jpg)
बहुत जल्द लोगों की एक बड़ी भीड़ इस शख्स को देखने के लिए जमा हो गई जिसने शिफ़ा पाई थी - पतरस ने भीड़ से मुख़ातब होकर कहा , इस को देखकर ताजुब न करो - क्यूंकि इस को हम ने अपनी ताक़त से शिफ़ा नहीं दी , बल्कि यीशु मसीह ने अपनी क़ुवत से इस शख्स को शिफ़ा दी है , क्यूंकि हम यीशु पर ईमान रखते हैं “
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-05.jpg)
तुम वह लोग हो जिन्होंने रोमी सरकार को मजबूर किया कि यीशु को हालाक करे तुम ने उस शख्स को मारा जो हर एक को ज़िन्दगी बख्शता है , मगर खुदा ने उसको मुर्दों में से ज़िन्दा किया - तुम्नाहीं समझते थे कि तुम क्या कर रहे थे - मगर जब तुम ने उन्हें अंजाम दिया तो वह चीजें साबित हुईं जो नबियों ने कहा था -उन नबियों ने कहा था कि मसीहा दुःख उठाएगा और हालाक होगा - खुदा इस तरह से होने दिया - सो अब तुम खुदा की तरफ फिरो और तौबा करो ताकि वह तुम्हारे गुनाहों को धोए और साफ़ करे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-06.jpg)
जब मंदिर के रहनुमाओं ने पतरस और युहन्ना की बाबत सुना तो वह बहुत ज़ियादा परेशान हुए - सो उन्हों ने उनको गिरफ़्तार किया और क़ैद में डाल दिया - मगर बहुत से लोगों ने पतरस की बातों का यकीन किया और मसीह पर ईमान ले आए - और ईमानदारों की तादाद 3000 से बढ़ कर 5000 हो गई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-07.jpg)
दुसरे दिन यहूदी रहनुमाओं ने पतरस और युहन्ना को सरदार काहिन की अदालत में बुला भेजा - उस अदालत में दीगर मज़हबी रहनुमा भी थे उन्हों ने उस लंगड़े शख्स को भी हाज़िर किया जो शिफ़ा पा चूका था - उन्हों ने पतरस और युहन्ना से पूछा कि इस लंगड़े शख्स को तुम ने किस ताक़त से शिफ़ा दी थी ?
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-08.jpg)
पतरस ने उन्हें जवाब दिया,”यह शख्स जो आपके सामने खड़ा है उस ने यीशु मसीह के नाम से शिफ़ा पाई है -तुम ने यीशु को सलीब पर चढ़ाया मगर खुदा ने उस को फिर से ज़िन्दगी दी ! तुम ने उसको रद्द किया बचाए जाने का कोई रास्ता नहीं सिवाए यीशु की क़ुवत के वसीले से –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-44-09.jpg)
यहूदी रहनुमाओं ने ताज्जुब किया कि पतरस और युहान्ना में इतनी दिलेरी कहाँ से आगई - उन्होंने देखा कि यह लोग मामूली और अनपढ़ लोग थे - मगर फिर उन्होंने याद किया कि यह लोग यीशु के साथ रहे थे - सो उन्हों ने उनसे कहा “अगर तुम इस यीशु नाम शख्स की बाबत आगे को प्रचार करोगे तो हम तुमको सज़ा देंगे - इस तरह की कई बातें कहने के बाद उन्हों ने पतरस और युहन्ना को छोड़ दिया -
_आमाल 3 :1 4:22 तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 45 स्तिफुनुस और फिलिप्पुस
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-01.jpg)
पहली मसीही जमाअत का एक शख्स था जिस का नाम स्तिफुनुस था - हर कोई उसकी इज़्ज़त करता था रूहुलक़ुदुस ने उसको ज़ियादा क़ुवत और हिकमत अता की थी - स्तिफुनुस ने कई एक मोजिज़े अंजाम दिए थे - जब उस ने यीशु पर भरोसा करने की बाबत तालीम दी थी तो बहुत से लोगों ने उसका यकीन किया था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-02.jpg)
एक दिन स्तीफुनुस यीशु की बाबत मनादी कर रहा था और कुछ यहूदी जो यीशु पर ईमान नहीं लाए थे उन से बहस करना शुरू कर दिया - वह बहुत गुस्सा हुए उनहोंने मज़हबी रहनुमाओं को जाकर बताया और साथ में कुछ झूटी बातें भी उस के ख़िलाफ़ में बताईं - तब यह चर्चा फैल गई कि स्तीफुनुस मूसा और खुदा के ख़ि लाफ़ बातें करता है - सो मज़हबी रहनुमाओं ने स्तीफुनुस को गिरफ़्तार किया और सरदार काहिन और दीगर यहूदी रहनुमाओं के पास ले आए मज़ीद झूठे गवाह लाए गए और वह स्तीफुनुस के ख़िलाफ़ बोलने लगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-03.jpg)
सरदार काहिन् ने स्तीफुनुस से पूछा ,क्या यह लोग तुम्हारे बारे में सच कह रहे हैं ? स्तीफुनुस ने बहुत सी बातें बोलना शुरू किया :”उसने कहा ,ख़ुदा ने अब्रहाम से लेकर यीशु के ज़माने तक बनी इस्राईल के लिए बहुत से अजीब काम किये हैं - मगर लोगों ने हमेशा खुदा की न फ़रमानी की ,तुम लोग खुदा के ख़िलाफ़ ढीट और बग़ावती हो तुम ने हमेशा रूहुल्कुदुस को ठुकराया है जिस तरह हमारे बापदादा ने खुदा को ठुकराया था और नबियों को हालाक किया था ,मगर तुम ने उन से भी बदतर काम किया ! तुम ने मसीहा को मारा !
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-04.jpg)
जब मज़हबी रहनुमाओं ने यह बात सुनी तो वह उसपर बहुत गुस्सा हुए , उन्होंने अपने कान बंद कर लिए और जोर से चिल्लाने लगे - वे स्तिफुनुस को शहर के बाहर खीँच कर ले गए - और जान से हलाक करने की ग़रज़ से उसको संगसार किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-05.jpg)
जब स्तिफुनुस मर रहा था तो उसने चिल्लाकर कहा ,”ऐ यीशु , तू मेरी रूह को क़बूल कर , दोबारा उसने ऊँची आवाज़ में चिल्लाकर कहा ऐ मालिक , यह गुनाह इन के ज़िम्मे न लगा “फिर वह सो गया (मर गया) -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-06.jpg)
उस दिन से कई लोगों ने यरूशलेम में मसीहियों को सताना शरू कर दिया - सो मसीही लोग तिततर बिततर होने लगे - इस के बावजूद भी हर जगह उनहोंने यीशु की मनादी की -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-07.jpg)
फिलुप्पुस नाम का एक ईमानदार था - वह येरूशलेम से भाग कर आया था जिस तरह दीगर ईमानदार आये थे वह सामरिया के इलाक़े को गया , उसने वहां यीशु की मनादी की - बहुत से लोग ईमान लाए और बच गए थे - एक दिन एक खुदा का फ़रिश्ता फिलुप्पुस के पास आकर कहा , उठकर बयाबान की तरफ़ चला जा और फलां रास्ते पर होले - फिलुप्पुस वहां गया - जब वह सड़क पर चल रहा था तो उसने एक आदमी को देखा जो अपने रथ पर सवार था - वह इथोपिया के मुल्क का एक ख़ास वज़ीर था - रूहुल्कुदुस ने फिलुप्पुस से कहा “जा कर उस रथ के साथ होले और उस शख्स से बात कर” -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-08.jpg)
सो फिलिप्पुस ने जाकर उस रथ के साथ होलिया -इथोपिया का यह शख्स खुदा का कलाम पढता जा रहा था - वह यसायाह नबी के किताब के उस इबारत को पढ रहा था जहाँ लिखा है कि “लोग उसे भेड़ की तरह ज़बह करने को ले गए , और जिस तरह बर्रा अपने बाल कतरने वाले के सामने बे ज़बान होता है , उसी तरह वह अपना मुंह नहीं खोलता - उसकी पस्त हाली में उसका इन्साफ़ न हुआ , क्यूंकि ज़मीन पर से उसकी ज़िन्दगी मिटाई जाती है –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-09.jpg)
फिलिप्पुस ने खोजा से पूछा ,”जो तू पढ़ता है क्या तू उसे समझता भी है ? ”खोजा ने जवाब दिया ,”जब तक कोई न समझाए मैं कैसे समझ सकता हूँ ? महेरबानी से ऊपर आकर मेरे साथ बैठ और मुझे समझा - यसायाह नबी यह अपने बारे में कहता है या किसी और के बारे में ?”
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-10.jpg)
फिलुप्पुस रथ पर चढ़ कर उस के साथ बैठ गया - फिर उसने खोजे को बताया कि यसायाह ने यीशु की बाबत लिखा था - फिलुप्पुस ने खुदा के कलाम से और भी हवालाजत पढ़ कर सुनाए - इस तरह उस ने यीशु की खुश खबरी सुनाई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-11.jpg)
जब फिलुप्पुस और खोजा सफ़र करते जा रहे थे तो पानी कि जगह पर आए ,खोजे ने कहा “ देख ,यहाँ पर पानी है ,क्या मैं यहाँ बपतिस्मा ले सकता हूँ ? ”और उसने रथ हांकने वाले से रथ रोकने को कहा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-12.jpg)
सो वह पानी के अन्दर गए और फिलुप्प्स ने खोजे को बपतिस्मा दिया - जैसे ही वह दोनों पानी से बाहर आए ,अचानक रुहुलक़ुदुस फिलुप्पुस को दूसरी जगह पर ले गया - वहाँ पर फिलुप्पुस ने लोगों को मनादी करना जारी रखा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-45-13.jpg)
खोजा ने अपने घर तक सफ़र को जारी रखा - वह खुश था कि अब वह यीशु को जान्ता था -
_आमाल 6 :8 8:5 ; 8:26-40 तक बाइबिल की एक कहानी _

44
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@ -0,0 +1,44 @@
# 46 पौलुस एक मसीही बन जाता है
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-01.jpg)
शाऊल नाम का एक शख्स था जो यीशु पर ईमान नहीं रखता था - वह जब जवान था तो स्तिफुनुस के मारे जाने के वक़्त लोगों के कपड़ों की रखवाली किया था जो उस को संगसार कर कर रहे थे - बाद में उसने मसीहियों को सताया था - वह येरूशलेम में आदमियों और औरतों को गिरफ़तार करके उन्हें क़ैद खाने में डलवाता था - फिर सरदार कहिन ने उसे इजाज़त दी कि वह दमिशक़ शहर को जाए ,वहां मसीहियों को गिरफ्तार करके वापस येरूशलेम में ले आए और उन्हें क़ैद करे -
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सो शाऊल ने दमिश्क़ का सफ़र शुरू किया शहर में पहुँचने के थोड़े ही फ़ासिले पर अचानक से एक तेज़ रौशनी उस के चारों तरफ़ चमकी जिस से उस की आँखें चुंधिया गईं और वह ज़मीन पर गिर पड़ा - शाऊल ने किसी को यह कहते सुना “ऐ शाऊल ! ऐ शाऊल ! तू मुझे क्यूँ सताता है ? शाऊल ने पूछा ऐ खुदावंद तू कौन है ? यीशु ने उसको जवाब दिया ,”मैं यिशु हूँ जिसे तू सताता है “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-03.jpg)
जब शाऊल उठा तो वह देख नहीं सकता था - उसके दोस्तों ने उसे दमिशक़ को ले गए - शाऊल तीन दिन तक न कुछ खाया और न पिया -
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दमिशक़ में हननिया नाम का एक शख्स था - खुदा ने उससे कहा कि “वह उस घर में जाए जहाँ शाऊल रुका हुआ था - उसकी आँखों में अपने हाथ फेरना ताकि वह फिर से देखने लगे - मगर हननिया ने खुदा से कहा ,मैं ने तो सुना है कि उसने ईमानदारों को बहुत सताया है -मगर खुदा ने उस से कहा , तू जा ,क्यूंकि यह यहूदियों और दीगर कौम के लोगों में मेरा नाम ज़ाहिर करने का मेरा चुना हुआ वसीला है वह मेरे नाम की ख़ातिर बहुत दुःख उठाएगा –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-05.jpg)
सो हननिया पौलुस के पास गया , उसकी आन्खों पर अपने हाथ फेरे , और कहा “यीशु जो तुझ पर रास्ते में ज़ाहिर हुआ उसने मुझे तेरे पास भेजा है ताकि तू फिर से देख सके और तू रूहुल्कुदुस से भरा जाएगा “फ़ौरन ही शाऊल फिर से देखने लगा और हनानिया ने उसको बपतिस्मा दिया - फिर शाऊल ने कुछ खाया पिया तो उसके जिस्म में फिर से ताक़त आई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-06.jpg)
इस सब के फ़ौरन बाद , शाऊल दमिशक़ के यहूदियों के दरमियान मनादी करने लगा और कहने लगा कि “यीशु खुदा का बेटा है” यहूदी ताज्जुब करने लगा कि कल तक तो शाऊल ईमानदारों को हलाक करने कोशिशें करता रहा ,अब वह खुद यीशु पर ईमान ले आया ! शाऊल यहूदियों से बहस करने लगा , उसने उन्हें बताया कि यीशु ही मसीहा है -
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बहुत दिनों के बाद यहुदियों ने शाऊल को हालाक करने का मंसूबा बाँधा उन्हों ने शहर के फाटक पर कुछ लोग तैनात किये कि उस पर नज़र रखे ताकि उसको हलाक कर दे -मगर किसी तरह शाऊल को उनके मनसूबे का पता चल गया तो उस के दोस्तों ने उसे बचा लिया -उनहोंने उसे एक टोकरी में बैठा कर शहर की दिवार से नीचे उतार दिया दमिशक़ से बच निकलने के बाद शाऊल ने यीशु की मनादी जारी रखी -
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शाऊल रसूलों से मिलने येरूशलेम को गया मगर वह उस से डरते थे - फिर बर्नाबास नाम एक ईमानदार शाऊल को रसूलों के पास ले गया - उसने रसूलों को बताया कि किस तरह शाऊल ने दमिश्क में दिलेरी के साथ मनादी की थी - उसके बाद रसूलों ने शाऊल को कबूल किया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-09.jpg)
कुछ ईमानदार जो येरूशलेम के सताव से भाग कर गए थे वह दूर के एक शहर अन्ताकिया में जाकर यीशु की मनादी करने लगे - अन्ताकिया के बहुत से लोग यहूदी नहीं थे - मगर वहां के बहुत से लोग ईमान लाए और पहली बार अन्ताकिया में ही लोग मसीही कहलाए -बर्नाबास और शाऊल अन्ताकिया को गए ताकि यीशु के बारे में लोगों को और ज़ियादा सेहत से बताए और कलीसिया को मज़बूत करे - यह पहला मोक़ा था कि अन्ताकिया में ईमानदार लोग मसीही कहलाए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-46-10.jpg)
एक दिन अन्ताकिया में मसीही लोग जब रोज़ा और दुआ में बैठे हुए थे तो रूहल क़ुदुस ने कालिसिया के लोगों से कहा कि “मेरे लिए बरनबास और शाऊल को अलग करो कि जिस काम के लिए मैं ने उन्हें बुलाया है वह करे”-सो अन्ताकिया की कलीसिया ने उन दोनों के सर पर हाथ रखे और दुआ की फिर वह यीशु की खुशखबरी की मनादी के लिए दूसरी दूसरी जगहों में भेजे गए - बरनबास और शाऊल ने फ़रक़ फ़रक़ लोगों में जाकर यीशु की तालीम दी और बहुत से लोग ईमान लाए -
_आमल 8:3 ; 9:1 -31; 11 :19 -26 ; 13 1-3 तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 47 . फिलिप्पी में पौलुस और सिलास
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-01.jpg)
जब शाऊल ने तमाम रोमी सल्तनत में सफ़र को अंजाम दिया तो उस ने अपना रोमी नाम “पौलुस” का इस्तेमाल शुरू किया - एक दिन पौलुस और उस का साथी सिलास यीशु की मनादी के लिए फिलिप्पी शहर को गए - शहर से बाहर एक नदी के किनारे लोग दुआ के लिए जमा हुए थे - वहां उन्हों ने लिदिया नाम कि एक औरत से मुलाक़ात की जो तिजारत करती थी वह सब से प्यार करती थी और खुदा की इबादत करती थी-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-02.jpg)
खुदा ने लिदया का दिल खोला कि यीशु के पैग़ाम पर ईमान लाए - पौलुस और सिलास ने उसे और उसके खानदान वालों को बपतिस्मा दिया - उसने पौलुस और सिलास को दावत दी कि मनादी के दौरान उस के घर में ठहरा करे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-03.jpg)
पौलुस और सिलास अक्सर उस जगह पर जाते थे जहाँ यहूदी लोग दुआ किया करते थे - हर दिन जब वह वहाँ पर जाते थे तो बदरुह से समाई हुई एक लोंडी उनका पीछा करती थी - इस बद्रूह के ज़रिये वह लोगों का मुस्तक़बिल बताया करती थी - सो यह अपने मालिक के लिए एक किस्मत बताने वाली बतोर बहुत पैसे कमाया करती थी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-04.jpg)
यह लौंडी पौलुस और सिलास के पीछे चिल्लाती जाती थी कि “यह खुदा तआला के खादिम हैं , यह तुमको नजात का रास्ता बता रहे हैं “यह लौंडी अक्सर ऐसा ही किया करती थी - इससे पौलुस बहुत तंग आ चुका था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-05.jpg)
आख़िरकार एक दिन जब पौलुस का पीछा किया तो पौलुस ने मुड़ कर उस बदरुह को डांट कर कहा “यीशु के नाम से इस लौंडी में से निकल आ”- वह उसी वक़्त उस में से निकल गई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-06.jpg)
वह लोग जो इस लौंडी के ज़रिये पैसे कमाते थे पौलुस पर बहुत गुस्सा हुए ! उन्होंने महसूस किया कि बग़ैर बदरूह के वह लौंडी लोगों के मुस्ताक्बिल को नहीं बता सकती थी - इस का मतलब यह हुआ कि अब लोगों से उन मालिको को पैसे नहीं मिलेंगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-07.jpg)
सो लौंडी के मालिकों ने पौलुस और सिलास को रोमी अफसरों के यहाँ ले गए - उन्हों ने पौलुस और सिलास को मारा पीटा और जेल में डाल दिया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-08.jpg)
क़ैद में उन दोनों को ऐसी जगह पर रखा जहाँ ज़ियादा पहरेदार थे - यहाँ तक कि उन्हों ने पौलुस और सिलास के पैर लकड़ी के बड़े खूंटों से बाँध रखा था - मगर आधी रात के क़रीब पौलुस और सिलास खुदा की हम्द ओ तारीफ़ कर रहे थे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-09.jpg)
जब वह ऐसा कर रहे तो अचानक एक ज़बरदस्त भोंचाल आया जिस से क़ैद खाने के सारे दरवाज़े खुल गए और तमाम जंजीरें निचे गिर पड़ीं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-10.jpg)
फिर जेल खाने का दारोगा जाग उठा - उसने देखा कि जेल के सारे दरवाज़े खुले पड़े हैं - उस ने सोचा कि कैदी भाग गए होंगे - उस को डर था कि रोमी अफ़सर उसको इस लिये मार डालेंगे क्यूंकि मैं ने उन्हें जाने दिया था -सो वह खुद कुशी करने के लिए तैयार हो गया - मगर पौलुस ने जब उसे देखा तो चिल्लाया “रुक जाओ अपने आप को नुख्सान न पहुँचाओ - क्यूंकि हम सब यहीं हैं –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-11.jpg)
दारोगा डरते और कांपते हुए पौलुस और सिलास के पास आया और पूछा ,”मैं क्या करूँ कि नजात पाऊँ “? पौलुस ने जवाब दिया ,”यीशु जो सब का मालिक है उस पर ईमान ला तो तू और तेरा खानदान बच जाएगा “फिर दरोगा पौलुस और सिलास को अपने घर ले गया उनके ज़ख्म धोए - पौलुस ने उसके घर के हर एक शख्स को यीशु की खुशखबरी सुनाई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-12.jpg)
दारोगा और उसके ख़ानदान का हर एक फ़र्द यीशु पर ईमान ले आया और पौलुस और सिलास ने उन्हें बपतिस्मा दिया - फिर दारोगा ने पौलुस और सिलास को खाना खिलाया और सब ने मिलकर ख़ुशी मनाई -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-13.jpg)
दुसरे दिन शहर के रहनुमाओं ने पौलुस और सिलास को जेल से रिहा करवाया और उन से कहा कि फिलिप्पी छोड़कर चले जाएँ - पौलुस और सिलास ने लिदया और दीगर दोस्तों से मुलाक़ात की और शहर छोड़कर चले गए - यीशु कि खुशखबरी हर जगह फैलती गई और कलीसिया तरक़क़ी करती जा रही थी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-47-14.jpg)
पौलुस और दीगर मसीही रहनुमा कई एक शहरों में सफ़र करके यीशु कि मनादी की और लोगों को खुशखबरी की बाबत तालीम दी - उन्हों ने कई एक ख़त भी लिखे ताकि कलीसिया के ईमानदारों को सिखाए और उनकी हौसला अफ़ज़ाई करे - उन में से कुछ ख़ुतूत बाइबिल की किताबें बन गईं -
_आमल 16 :11-40 तक बाइबिल की एक कहानी _

59
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# 48 यीशु वादा किया हुआ मसीहा है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-01.jpg)
जब ख़ुदा ने दुनया बनाई , हर एक चीज़ कामिल थी -कोई गुनाह नहीं था -आदम और हव्वा एक दुसरे से प्यार करते थे और वह खुदा से भी महब्बत रखते थे - वहां कोई बीमारी या मौत नहीं थी - ऐसा ही निज़ाम खुदा चाहता था कि दुनया का हो -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-02.jpg)
अदन के बाग़ में शैतान सांप की शकल में हव्वा के पास आया और उस से बातें कीं - क्यूंकि वह उसको फुसलाकर धोका देना चाहता था - फिर वह और आदम दोनों ने खुदा के ख़िलाफ़ गुनाह किया - जिसके अंजाम बतोर हर कोई ज़मीन पर मरता गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-03.jpg)
इसलिए कि आदम और हव्वा ने गुनाह किया कुछ बदतर किसम की बात वाक़े हुई - वह खुदा के दुश्मन बन गए जिस का अंजाम यह हुआ कि उनके बाद का हर एक शख्स गुनाह करता गया - हर एक शख्स पैदाइशी खुदा का दुश्मन होने लगा - ख़ुदा और लोगों के दरमियान कोई सुलह नहीं थी - मगर खुदा सुलह रखना चाहता था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-04.jpg)
खुदा ने वादा किया था कि हव्वा कि नसल में से एक शख्स शैतान के सर को कुचलेगा - उसने यह भी कहा कि शैतान उसकी एड़ी को डसेगा दुसरे मायनों में शैतान मसीहा को मारेगा मगर ख़ुदा उसको फिर से ज़िन्दा करके उठाएगा - उसके बाद मसीहा शैतान से हमेशा के लिए ताक़त और क़ुवत छीन लेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-05.jpg)
खुदा के मनसूबे के मुताबिक़ ख़ुदा ने नुह से कहा कि एक कश्ती बनाए ताकि आने वाले उस बड़े सैलाब से खुद को और अपने ख़ानदान को बचाए जिसे खुदा भेजने वाला था - इस तरह ख़ुदा ने लोगों को बचाया जो उस पर ईमान रखते थे - इसी तरह हर एक शख्स इस बात का मुस्तहक़ होता है कि खुदा उस को हलाक करे क्यूंकि सब ने गुनाह किया है - मगर खुदा ने यीशु को भेजा कि जो कोई उस पर ईमान लाए वह बच जाए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-06.jpg)
कई सौ साल तक काहिन लोग खुदा के लिए कुर्बानियां चढ़ाते रहे - यह इस बात को ज़ाहिर करता है कि लोगों ने गुनाह किया और वह खुदा की सज़ा के मुस्तहक़ थे -मगर वह कुर्बानियां उन के गुनाहों को दूर नहीं कर सकते थे - मगर यीशु सब से बड़ा काहिन है उसने वह किया जो दुसरे काहिन नहीं कर सकते थे - उसने ख़ुद को एक वाहिद कुर्बानी बतोर दे दिया ताकि हर एक के गुनाह उठा लेजाए - उसने क़बूल किया कि सब के गुनाहों के लिए ख़ुदा उसको सज़ा दे - यही वजह है कि यीशु एक कामिल सरदार काहिन था -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-07.jpg)
खुदा ने अब्र्हाम से कहा था कि ज़मीन पर तमाम कौमों को तेरे वसीले से बरकत दूंगा - यीशु इसी अब्र्हाम की नसल से था - ख़ुदा तमाम कौमों के लोगों को अब्र्हाम के वसीले से बरकत देता है - इस लिए कि खुदा उन्हीं को बचाता है जो यीशु पर ईमान लाते हैं - जब यह लोग यीशु पर ईमान लाते हें तो खुदा उन्हें अब्र्हाम की औलाद बतोर लिहाज़ करता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-08.jpg)
खुदा ने अब्र्हाम से कहा कि तू अपने एक्लोते बेटे इज़हाक़ को उसके लिए क़ुर्बान करे - मगर फिर ख़ुदा ने इज़हाक़ के बदले एक बररा क़ुरबानी के लिए दिया - हम सब के सब अपने गुनाहों के लिए मरने के मुस्तहक़ हैं ! मगर खुदा ने हमारी जगह पर एक क़ुरबानी बतोर यीशु को दे दिया - इसी लिए हम यीशु को खुदा का बर्रा कहते हैं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-09.jpg)
जब खुदा ने मिस्र पर आखरी वबा भेजी तो उस ने हर एक इस्राईली खानदान से कहा कि एक बर्रे को मारना -उसने सख्ती से कहा था कि बर्रा बे ऐब हो - फिर उन्हें उसके खून को अपने घर के चौखट पर लगाना था - जब खुदा उस खून को देखता था तो वह उनको छोड़ता जाता था और उन के पहलोठे बेटे मारे नहीं जाते थे - जब यह वाक़े हुआ तो खुदा ने उसे फ़सह कहा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-10.jpg)
यीशु एक फ़सह के बर्रे की मानिंद है - उसने कभी भी कोई गुनाह नहीं किया था - इसलिए उसमें कोई खता नहीं थी - वह फ़सह की ईद के ऐन वक़्त पर मरा था -जब कोई शख्स यीशु पर ईमान लाता है तो यीशु का खून उस शख्स के गुनाह की क़ीमत अदा करता है - वैसे ही जैसे खुदा उस शख्स से होकर गुज़र गया हो क्यूंकि वह उसको सज़ा नहीं देता -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-11.jpg)
खुदा ने बनी इस्राईल से एक अहद बांधा था क्यूंकि वह लोग उसकी चुनी हुई कौम थी - मगर ख़ुदा ने एक नया अहद बांधा है जो हर एक के लिए है अगर कोई शख्स किसी क़ोम या क़बीले से इस नए अहद को क़बूल करता है तो वह ख़ुदा के लोगों में शामिल हो जाता है - खुदा ऐसा करता है क्यूंकि वह यीशु पर ईमान लाता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-12.jpg)
मूसा एक नबी था जिसने खुदा के कलाम को बड़े ही ज़बरदस्त तरीक़े से मनादी की - मगर यीशु तमाम नबियों में सब से बड़ा है वह ख़ुदा है - इसलिए जो कुछ उस ने कहा और किया वह किरदार और खुदा के कलाम थे - इसलिए सहीफ़े यीशु को खुदा का कलाम कहते हैं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-13.jpg)
खुदा ने दाऊद बादशाह से वादा किया था कि उसकी नस्ल में से एक बादशाह होगा और उसके लोगों पर हमेशा के लिए हुकूमत करेगा - यीशु खुदा का बेटा और मसीहा है वह दाऊद की नसल से है जो हमेशा के लिए हुकूमत कर सकता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-48-14.jpg)
दाऊद इस्राईल का एक बादशाह था , मगर यीशु पूरी काएनात का बादशाह है ! वह दोबारा आएगा और इन्साफ़ और अमन के साथ हमेशा हमेशा के लिए हुकूमत करेगा -
_पैदाइश 1-3 , 6 ,14, 22 ; ख़ुरूज 12, 20 ; 2 शमूएल 7 ; इब्रानियों 3 :1-6 ,4:14-5:10 ,7 :1-8 :13 ,9:11 -10:18 ; मुकाशिफ़ा 21 तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 49 . खुदा का नया अहद
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-01.jpg)
एक फ़रिश्ते ने एक जवान औरत, मरयम से कहा कि वह खुदा के बेटे को जन्म देगी जबकि वह अभी कुंवारी ही थी - मगररूहुल क़ुदुस उस पर नाज़िल हुआ तब से उसने अपने अन्दर हमल का एहसास किया - उसने एक बेटे को जन्म दिया और उसका नाम यीशु रखा इस लिए यीशु खुदा और इंसान दोनों है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-02.jpg)
यीशु ने कई सरे मोजिज़े किये जो यह बताता है कि वह खुदा है - वह पानी पर चला और आंधी तूफ़ान को थमाया - उसने कई एक बीमार लोगों को शिफ़ाएं दीं और कई एक बदरूहों को आदमी औरतों में से निकाला -उसने मुर्दा लोगों को ज़िन्दा किया , और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों से 5,000 लोगों को खिलाया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-03.jpg)
यीशु एक बड़ा उस्ताद भी था - हर चीज़ को उसने सही तरीक़े से तालीम दी , सिखाया और समझाया - लोगों को चाहिए कि वह उन बातों पर अमल करे जो उसने कही थी क्यूंकि वह खुदा का बेटा है - मिसाल के तौर पर उसने कहा था कि “जैसे तुम खुद से प्यार करते हो वैसे ही तुम दूसरों से भी प्यार करो -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-04.jpg)
उस ने यह भी तालीम दी कि तुम को हर किसी चीज़ से ज़ियादा खुदा से महब्बत रखनी चाहिए जिस में तुम्हारी दौलत और जाएदाद भी शामिल है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-05.jpg)
यीशु ने कहा कि दुनया की दीगर बातों में पाए जाने से बेहतर है कि ख़ुदा की बादशाही में पाए जाएँ - उसकी बादशाही में दाखिल होने के लिए यह ज़रुरी है कि ख़ुदा आपको आप के गुनाहों से बचाए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-06.jpg)
यीशु ने कहा था कि कुछ ही लोग उसको क़बूल करेंगे -खुदा इनको बचाएगा - किसी तरह दुसरे लोग उसको क़बूल नहीं करेंगे उसने यह भी कहा था कि कुछ लोग अच्छी मिटटी की तरह हैं क्यूंकि उनहोंने यीशु की खुशखबरी को हासिल किया है और खुदा उनको बचाता है - किसी तरह दुसरे लोग रास्ते वाली सख़त मिटटी की तरह हैं खुदा का कलाम बीज की तरह रास्ते वाली सख़त ज़मीन पर गिरता और वहां कुछ नहीं फलता बढ़ता यह लोग़ यीशु की बाबत पैग़ाम को ठुकरा देते हैं वह उसकी बादशाही में दाखिल होने से इंकार करते हैं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-07.jpg)
यीशु ने सिखाया कि खुदा गुनाहगारों से बहुत ज़ियादा महब्बत रखता है - वह उन्हें मुआफ़ करना चाहता है और उनको अपना फ़रज़न्द बनाना चाहता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-08.jpg)
यीशु ने हम से यह भी कहा कि इसलिए कि आदम और हव्वा ने गुनाह किया तमाम उनकी नस्ल भी गुनाह करते हैं दुनया में हर एक शख्स गुनाह करता है और ख़ुदा से दूर है हर एक शख्स खुदा का दुश्मन है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-09.jpg)
मगर ख़ुदा दुनया में हर एक से इस तरह महब्बत रखता है कि उसने अपने एक्लोते बेटे को दे दिया , ताकि जो शख्स उस पर ईमान लाता है खुदा उसको सज़ा नहीं देगा बल्कि वह हमेशा के लिए उस के साथ रहेंगे -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-10.jpg)
आप मरने के मुस्तहक़ (सज़ावार) हैं आप को मरना वाजिबी है क्यूंकि आप ने गुनाह किया है - खुदा को यह हक़ है कि वह आप से गुस्सा हो - मगर वह आप के बदले यीशु से गुस्सा हुआ - उसने उसको सलीब पर हलाक करने के ज़रिये सज़ा दी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-11.jpg)
यीशु ने कभी कोई गुनाह नहीं किया था - मगर उस ने खुदा को हक़ दिया कि वह उसको सज़ा दे उसने मरना क़बूल किया - इस तरह वह एक कामिल क़ुर्बानी था कि आपके और सारी दुनया के हर एक शख्स के गुनाहों को उठा ले जाए - यीशु खुदा के हुज़ूर ख़ुद से क़ुर्बान हो गया - इसलिए खुदा किसी भी गुनाह को , यानि कि ख़तरनाक से ख़तरनाक गुनाह को भी मुआफ करता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-12.jpg)
यहाँ तक कि अगर आप बहुत से अच्छे काम करते हैं तो भी खुदा आप को नहीं बचाएगा - कोई ऐसी बात नहीं है कि ख़ुदा आप से दोस्ती करले बल्कि आप को यकीन करना चाहिए कि यीशु खुदा का बेटा है , वह आप के लिए आप के बदले सलीब पर मारा गया और यह कि ख़ुदा ने उसे फिर से ज़िन्दा किया - अगर आप यह ईमान रखते हैं तो खुदा आपके गुनाहों को मुआफ करेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-13.jpg)
खुदा हर एक को बचाएगा जो यीशु पर ईमान लाते और उसको अपना मालिक बतोर क़बूल करते हैं - मगर जो ईमान नहीं लाते उन्को नहीं बचाएगा - इस से कुछ फ़रक़ नहीं पड़ता कि आप अमीर हैं या ग़रीब , आदमी हैं या औरत , बूढ़े हैं या जवान या आप कहाँ रहते हैं खुदा आपसे प्यार करता है और चाहता है कि आप यीशु पर ईमान लाएं ताकि वह आप का दोस्त बन जाए -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-14.jpg)
यीशु आप को बुलाता है कि आप उस पर ईमान लाएं और बपतिस्मा लें - क्या आप एत्काद करते हैं कि यीशु मसीहा है और खुदा का एकलोता बेटा है ? क्या आप एत्काद करते हैं कि आप एक गुनाहगार हैं और खुदा की सज़ा के मुस्तहक़ हैं ? क्या आप एत्काद करते हैं कि यीशु सलीब पर मरा ताकि आप के गुनाह उठा ले जाए ?
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-15.jpg)
अगर आप यीशु पर ईमान लाते कि क्या कुछ उसने आप के लिए किया तो आप एक मसीही हैं - शैतान अपमी तारीकी की बादशाही में आइन्दा से आप पर हु कूमत नहीं करेगा - अभी खुदा अपनी बादशाही की रौशनी में आप पर हुकूमत कर रहा है - खुदा ने आपको गुनाह करने पर रोक लगादी है जिस तरह आप पहले किया करते थे - उसने आप को जीने का नया हक़ एक नया अंदाज़ दिया है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-16.jpg)
अगर आप एक मसीही हैं तो खुदा ने आप के गुनाह मुआफ कर दिया है - अब ख़ुदा आप को एक नजदीकी दोस्त बतोर लिहाज़ करता है न कि एक दुश्मन बतोर -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-17.jpg)
अगर आप खुदा के एक दोस्त और यीशु के ख़ादिम हैं तो जो यीशु आप को सिखाता है उस के मुताबिक आप अमल करेंगे - हालाँकि आप एक मसीही हैं फिर भी शैतान आप को गुनाह की तरफ़ ले जाएगा - मगर खुदा हमेशा वही करताहै जो वह अपने कलाम में कहता है कि अगर तुम अपने गुनाहों का इक़रार करोगे तो वह तुम्हें मुआफ कर देगा - वह तुम्हें गुनाह के ख़िलाफ़ लड़ने की ताक़त देगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-49-18.jpg)
खुदा आप से कहता है कि आप दुआ करें और उसके कलाम को पढ़ें - वह यह भी कहता है कि दीगर मसीहियों के साथ मिलकर उसकी इबादत करें - आप को दूसरों को भी बताना है कि यीशु ने आप के लिए क्या कुछ किया है - अगर आप इन बातों को करेंगे तो वह आपका एक ताक़तवर और मजबूत दोस्त बन जाएगा -
_रोमियों 3:21-26 ,5:1-11; युहन्ना 3:16 ; मरकुस 16:16 ; कुलुसियों 1 :13-14 ; 2 कुरिन्थियों 5:17-21;1युहन्ना 1:5-10 -तक बाइबिल की एक कहानी _

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# 50 यीशु की दोबारा आमद
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-01.jpg)
तक़रीबन 2000 सालों से पूरी दुनया के लोग यीशु मसीह की खुश ख़बरी को सुनते चले आ रहे हैं - कलीसिया तरक्की करती जा रही है - यीशु ने वादा किया था कि दुनया के आखिर में वह वापस लौटेगा - हालाँकि वह अभी तक वापस नहीं लौटा , फिर भी वह अपने वादे को पूरा करेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-02.jpg)
जब हम यिशु की वापसी का इंतज़ार करते हैं तो खुदा चाहता है कि हम एक पाक ज़िन्दगी जिएँ और वह उसको इज़्ज़त बख्शेगा - वह हम से यह भी चाह्ता है कि उसकी बादशाही की बाबत दूसरों को बताएं - जब यीशु ज़मीन पर था तो उस ने कहा था कि मेरे शागिर्द दुनया में हर जगह लोगों को खुदा की बादशाही की बाबत खुख्ब्री कि मनादी करेंगे तब खातिमा आजाएगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-03.jpg)
बहुत सी कौमों या क़बीले के लोगों ने अभी तक यिशु का नाम नहीं सुना है - आसमान पर लौटने से पहले यीशु ने मसीहियों से कहा था कि उन लोगों तक खुश खबरी की मनादी करें जिन्होंने कभी भी नहीं सुना -उसने कहा “तुम जाकर सब कौमों को शागिर्द बनाओ”---“पक्के खेत तो बहुत हैं “-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-04.jpg)
यीशु ने यह भी कहा “एक आदमी का नौकर उसके मालिक से भी बड़ा होता है - इस दुनया में कुछ ख़ास लोगों ने मुझसे नफ़रत की और वह मेरे नाम की खातिर तुम को भी सताएंगे , और बाज़ को मरवा भी डालेंगे - इस दुनया में तुम तकलीफ उठाओगे ,मगर खातिर जमा रखो ,क्यूंकि मैंने शैतान को हारा दिया है - उसे जो इस दुनया पर हुकूमत करता है अगर तुम आखिर तक वफ़ादार रहोगे तो खुदा तुमको बचाएगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-05.jpg)
यीशु ने अपने शागिर्दों से एक कहानी पेश की थी यह समझाने के लिए कि जब दुनया का ख़ात्मा होगा तो लोगों का क्या हषर होगा , उसने कहा “एक शख्स ने अपने खेत में अच्छा बीज बोया- मगर लोगों के सोते में उसका दुश्मन आया और गेहुं में कड़वे दाने भी बो गया और वह चला गया -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-06.jpg)
और जब पत्तियां निक्लीं और बालें आईं तो कड़वे दाने भी दिखाई दिए - नौकर ने मालिक से कहा “ऐ खुदावंद क्या तू ने अपने खेत में अच्छा बीज नहीं बोया था ? उस में कड़वे दाने कहाँ से आ गए ? उसने उस से कहा ,”यह किसीं दुश्मन ने किया है “
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-07.jpg)
नौकरों ने अपने मालिक से कहा ,”तू क्या चाहता है कि हम उनको जमा करें ? मालिक ने कहा “नहीं ,अगर तुम ऐसा करोगे तो उनके साथ गेहूं भी उखाड़ लोगे - कटाई तक दोनों को इकठा बढ़ने दो और कटाई के वक़्त तुम उन्हें जमा करके तुम उन्हें जला सकते हो - मगर गेहूं को मेरे खत्ते में जमा करदो –“
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-08.jpg)
शागिर्दों ने कहानी के मतलब को नहीं समझा था सो उनहोंने यीशु से दरखास्त की कि उसका मतलब उन्हें समझाए - यीशु ने उनसे कहा “ जिस ने अच्छे बीज बोये थे वह मसीहा को ज़ाहिर करता है ,खेत दुनया है -और अच्छा बीज ख़ुदा की बादशाही के लोगों को ज़ाहिर करता है -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-09.jpg)
कड़वे दाने शैतान के लोगों को ज़ाहिर करता है जो बुरे लोग हैं - आदमी का दुश्मन जिस ने कड़वे दाने बोए वह शैतान को ज़ाहिर करता है और कटाई दुनया के आख़िर को ज़ाहिर करता है ,और काटने वाले खुदा के फ़रिश्ते हैं -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-10.jpg)
जब दुनया का खातमा होगा तो खुदा के फ़रिश्ते शैतान के लोगों को जमा करेंगे और उन्हें आग की झील में डालेंगे और वहां बड़ी मुसीबत में उन लोगों का रोना और दांत पीसना होगा-
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-11.jpg)
यीशु ने यह भी कहा कि वह दुनया के खातमे से पहले ज़मीन पर आएगा - वह जिस तरह आसमान पर गया है उसी तरह वह वापस आएगा - उस वक़्त उसका अपना हक़ीक़ी जलाली जिस्म होगा - और वह आसमां के बादलों पर आएगा - जब यीशु की आमद होती है हर एक मसीही जो मर चुका है वह मुर्दों में से जी उठेगा और आसमान पर उस से मुलाक़ात करेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-12.jpg)
फिर वह मसीही लोग जो उस के आने के वक़्त ज़िन्दा होंगे वह ज़िन्दा आसमान पर उठा लिए जाएंगे - वह सब वहां पर यीशु के साथ होंगे - उसके बाद यीशु अपने लोगों के साथ होगा - उन के पास कामिल इत्मिनान और तसल्ली हमेशा के लिए सुकूनत करेगी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-13.jpg)
यीशु ने हरेक ईमानदार को एक ताज देने का वायदा किया था -वह ख़ुदा के साथ मिलकर हुकूमत करेंगे - उन के पास कामिल तसल्ली और इत्मिनान होगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-14.jpg)
मगर ख़ुदा हर एक का इन्साफ़ करेगा जो यीशु पर इमान नहीं लाए उन्हें जहन्नुम में डाला जाएगा वह वहां पर रोएंगे, मातम करेंगे और दांत पीसेंगे और हमेशा के लिए दुःख उठाएँगे - वहाँ की आग कभी नहीं बुझती और वहां का कीड़ा कभी नहीं मरता -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-15.jpg)
जब यीशु की आमद होती है तो शैतान और उसकी बादशाही को पूरी तरह से फ़ना व बर्बाद किया जाएगा -वह शैतान को भी जहन्नुम में डालेगा - शैतान हमेशा के लिए उन सब के साथ जो उस के पीछे हो लिए थे जहन्नुम की आग में जलता रहेगा -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-16.jpg)
इस लिए कि आदम और हव्वा खुदा के नाफ़रमान हुए और दुनया में गुनाह लेकर आए उस दुनया पर खुदा ने लानत भेजी थी और उसको बर्बाद करने का फ़ैसला लिया था - मगर किसी दिन खुदा एक नया आसमान और एक नई ज़मीन क़ायम करेगा जो कामिल होगी -
![OBS Image](https://cdn.door43.org/obs/jpg/360px/obs-en-50-17.jpg)
यीशु और उसके लोग ज़मीन में सुकूनत करेंगे और वह हमेशा हमेशा के लिए सब पर हुकूमत करेगा वह लोगों की आँखों से सारे आंसू पोंछ डालेगा - फिर किसी तरह का ग़म या मुसीबत नहीं होगी -वह न रोएंगे और न बीमार पड़कर मरेंगे - वहाँ किसी तरह बुराई या शरारत नहीं होगी - यीशु इन्साफ के साथ और सलामती के साथ बादशाही करेगा वह अपने लोगों के साथ हमेशा हमेशा के लिए रहेगा -आमीन -
_मत्ती 24:14 ;28:18 ;युहन्ना 15:20 ,16:33 ;मुकाशफा 2:10 ; मत्ती 13 : 24 -30 , 36 -42 ; 1 थिस्लुनीकियों 4 ;13-5:11 ; याकूब 1:12 ;मत्ती 22:13 ;मुकाशफा 20:10 ,21 :1 -22:21 तक बाइबिल की एक कहानी- _

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### शामिल करें
हम चाहते हैं कि येह छोटी बसरी बाइबिल दुनया के हरेक जबान में दस्तयाब हो ,और इस में आप हमारी मदद कर सकते हैं ! यह ना मुमकिन नहीं है ----हम सोचते हैं कि इस ज़राए को तर्जुमा करने और तक़सीम करने में अगर सारा मसीही समाज मिलकर काम करे तो यह हो सकता है -
### मुफ़्त में बाँटें
इस किताब के जितने नुस्ख़े आप चाहें बगैर किसी रुकावट के दें -आन लाइन में तमाम डिजिटल तर्जुमे मुफ़्त में दस्तयाब हैं और खुली इजाज़त के सबब हम इन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं ,यहाँ तक कि आप unfoldingWord (registerd)के नाम से Open Bible Stories को तिजारती तोर से दुनया के किसी भी कोने में बगैर हक़ -ए- तसनीफ़ (रायल्टी) के दोबारा छाप सकते हैं ! ज़ियादा मालूमात के किये दर्ज -ए- ज़ेल वेब साईट पर जाएं : [ [openbiblestories.org](https://openbiblestories.org).
### फैलाएं
Open Bible Stories को दूसरी ज़बानों में विडियोस और मोबाइल फ़ोन पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं -इस के लिए भी ऊपर दिए गए वेबसाइट पर जाएं -अपनी ज़बान में तर्जुमा के लिए इसी वेब साईट पर जाएं -

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**ओपन बाइबिल स्टोरीज़**
**किसी भी ज़बान में एक बगैर बंदिश वाला बसरी छोटी बाइबिल **
[ओपन बाइबिल स्टोरीज़.ऑर्ग](https://openbiblestories.org)
यह काम Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License (CC BY-SA). के मातहत दस्तयाब हुआ था - इस लायसन्स की एक कॉपी को देखने के लिए इस वेबसाइट पर जाएं :
[http://creativecommons.org/licenses/by-sa/4.0/]
( commons.org/licenses/by-sa/4.0/) या Creative Commons, PO Box 1866, Mountain View, CA 94042, USA. को एक ख़त लिखें -
अखज़ किये हुए काम पर इस बात का इशारा करना पड़ेगा कि कौनसी तब्दीलियाँ आप ने की हैं और दर्ज -ए-ज़ेल की तरह मंसूब करते हैं -अनफ़ोल्डिंग के ज़रिये जो असली काम है वह [https://openbiblestories.org] ( दस्तयाब है -आप को अखज़ किया काम उसी लाइसेन्स (CC BY-SA).के तहत करना पड़ेगा जो दस्तयाब है -
अगर आप इस काम के तर्जुमे से मुतालिक़ अनफ़ोल्डिंग वर्ड का एलान करना चाहते हैं तो बराए मेहरबानी हमसे [https://unfoldingword.org/contact/](https://unfoldingword.org/contact/).पर राबता क़ायम करें -
महारत के काम का इक़तिदार :इन कहानियों में जो तस्वीरें इस्तेमाल हुई हैं वह (c) Sweet Publishing से लिए गए हैं
([www .sweetpublishing.com] (http//www.sweetpublishing,com)) और एक Creative Commons Attribution-ShareAlikeLicense([http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0](
By-sa/3.0)).के तहत दस्तयाब शुदा है -
*दुनया भर के आलमगीर कलीसिया के भाई बहनों से हमारी इल्तिजा है कि ख़ुदा इस बसरी और सादा तोर से बयान शुदा ओने कलाम पर अपनी बरकत अता करे ,और आप को भी क़ुवत और हौसला इनायत करे आमीन*

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अन्फोल्डिंग वर्ड® ओपन बाइबिल स्टोरीज़

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rights: 'CC BY-SA 4.0'
creator: 'Door43 World Missions Community'
contributor:
- 'Antoney Raj'
- 'Cdr. Thomas Mathew'
- 'Dr. Bobby Chellappan'
- 'Hind Prakash'
- 'Shojo John'
- 'Vipin Bhadran'
publisher: 'BCS'
issued: '2019-09-17'
modified: '2019-09-17'
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