ugm_jnl_2co_text_ulb/08/03.txt

1 line
829 B
Plaintext

\v 3 \v 4 \v 5 3-अवरी आईके विषय में नाके गवाही वा की आइलाइ पानके सामर्थ भर वरन सामर्थ से भी बाहारी मन्नोव सेवा | 4-अवरी अई दान या अवरी पवित्र लोगला की सेवा या भागी हितवारी अनुग्रह के विषय या नानी से बार - बार झिक्क विनती खय्या | 5-अवरी जैसी नानी आशा घय्या आंद ही हा हा वरन आइलाइ प्रभु को फिर परिमेश्वर के इच्छा से नानी को भी पानके पान वा |