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\v 11 इसलिए जो इंद खयेरे ,की आई डा समझ रख्खोनि ,की जैसे पहिमेन पत्रियाँ में नाके वचन वा,वैसे नंगे सामने नाके कामलय हिरी | \v 12 क्योंकि नानी यंहा हिम्मत हा खय्या नानी पानके पानको अई में से घयुनु मीनत्वासी याआईला से पान मिल्लोरी ज पानके तारीफ़ खयेरे |अवरी पान के पान को आपस या नाप तौल खयेरे पान मिल्लोत वारी मुर्ख ब्न्नोवासी |