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\v 17 प्रभु आत्मा तो ही अवरी जहालय प्रभु के आत्मा वाई आई या आजाद वाही | परन्तु जब्बे नानी जम्मा के हा ढक्को तरया से प्रभु प्रताप अई तरह प्रकट ही हारे | \v 18 जो प्रकारे शीसाया तो प्रभु के दुआरा जो आत्मा नानी आई तेजस्वी रूप में अंश अंश के बदलते गा हारे |