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\c 10 \v 1 \v 2 1.ना आई पौलुस जो नानिला के सामने चुय्चे गुआ परन्तु पहिमेन ननी अवरी साहस घय हारे नंग को मसीहा की नम्रता अवरी कोमलता के सम्मोझो री | 2.ना अई विनती घयेरे की नंगे सामने ना निडर हीत वारी हिम्मत हा खय पव्वरी जैसे न घयनु पर जोनानी के हेरे के अनुसारे हा हारे समझते वाई ओवरी वीरता दिखाव खानी विचार खयनी |
\c 10 \v 1 ना आई पौलुस जो नानिला के सामने चुय्चे गुआ परन्तु पहिमेन ननी अवरी साहस घय हारे नंग को मसीहा की नम्रता अवरी कोमलता के सम्मोझो री | \v 2 ना अई विनती घयेरे की नंगे सामने ना निडर हीत वारी हिम्मत हा खय पव्वरी जैसे न घयनु पर जोनानी के हेरे के अनुसारे हा हारे समझते वाई ओवरी वीरता दिखाव खानी विचार खयनी |

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\v 3 \v 4 3.क्योंकि यदपि नानी के हेरेया हारे घुम्मत हारे |तोभी हेरे के अनुसारे हा राके रे | 4.क्योंकि नानी के लड़ाई हथियार शारीरिक हा हा ,पर गोड़ी खानी परमेश्वर के दुआरा ताकतवर हिं |
\v 3 क्योंकि यदपि नानी के हेरेया हारे घुम्मत हारे |तोभी हेरे के अनुसारे हा राके रे | \v 4 क्योंकि नानी के लड़ाई हथियार शारीरिक हा हा ,पर गोड़ी खानी परमेश्वर के दुआरा ताकतवर हिं |

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11.इसलिए जो इंद खयेरे ,की आई डा समझ रख्खोनि ,की जैसे पहिमेन पत्रियाँ में नाके वचन वा,वैसे नंगे सामने नाके कामलय हिरी | 12.क्योंकि नानी यंहा हिम्मत हा खय्या नानी पानके पानको अई में से घयुनु मीनत्वासी याआईला से पान मिल्लोरी ज पानके तारीफ़ खयेरे |अवरी पान के पान को आपस या नाप तौल खयेरे पान मिल्लोत वारी मुर्ख ब्न्नोवासी | 13.नानी तो सीमा से बाहरी घमण्ड कबलय हा खयेरे ,परन्तु आई सीमा तक्के जो परमेश्वर ने नानी खानी रोक्को हारे |अवरी आईला ननिला लई जिविय्ये सी अवरी आइके अनुसारे घमण्ड लय खयेरे | 14.क्योंकि नानी पानेके सीमा के बहरी पानके पानको बढ़ाबा हा जिब्य्ये स्यारे जैसे की नंगे तक्के की पहुच्चो की द्शावा वरन मसीह का सुसमाचार सुनावत हारे नग़ तक तोम्पे हारे | 15 .अवरी सीमा के बाहरी अवरी के परिश्रम पर घमण्ड हा खयेरे परन्तु नाके आशा वा की ज्यों ज्यों नंगे विस्वासे बढ़ोरी आई तक त्यों त्यों नानी पानके सीमा के अनुसारे नगे कारण और भी बढ़ो री | 16.की नानी नगे सिवानो से गेंता गात वारी सुसमाचार सुनवारीव् अवरी अई हा हा की नानी अवरी के सीमा भीतोरी ब्न्नोवा सी वनाब तरया कामया घमण्ड खयनि | 17.परन्तु जो घमण्ड खयरी आई प्रभु पर घमण्ड खयपव्वरी | 18.क्योंकि जो पानके बढाई खयेरे ,आई हा हा ,परन्तु जोके बढाई प्रभु खयेरे ,आईला ग्रहण खय चाहिय्योरे |
\v 11 \v 12 11.इसलिए जो इंद खयेरे ,की आई डा समझ रख्खोनि ,की जैसे पहिमेन पत्रियाँ में नाके वचन वा,वैसे नंगे सामने नाके कामलय हिरी | 12.क्योंकि नानी यंहा हिम्मत हा खय्या नानी पानके पानको अई में से घयुनु मीनत्वासी याआईला से पान मिल्लोरी ज पानके तारीफ़ खयेरे |अवरी पान के पान को आपस या नाप तौल खयेरे पान मिल्लोत वारी मुर्ख ब्न्नोवासी |

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\v 13 \v 14 13.नानी तो सीमा से बाहरी घमण्ड कबलय हा खयेरे ,परन्तु आई सीमा तक्के जो परमेश्वर ने नानी खानी रोक्को हारे |अवरी आईला ननिला लई जिविय्ये सी अवरी आइके अनुसारे घमण्ड लय खयेरे | 14.क्योंकि नानी पानेके सीमा के बहरी पानके पानको बढ़ाबा हा जिब्य्ये स्यारे जैसे की नंगे तक्के की पहुच्चो की द्शावा वरन मसीह का सुसमाचार सुनावत हारे नग़ तक तोम्पे हारे |

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\v 15 \v 16 15 .अवरी सीमा के बाहरी अवरी के परिश्रम पर घमण्ड हा खयेरे परन्तु नाके आशा वा की ज्यों ज्यों नंगे विस्वासे बढ़ोरी आई तक त्यों त्यों नानी पानके सीमा के अनुसारे नगे कारण और भी बढ़ो री | 16.की नानी नगे सिवानो से गेंता गात वारी सुसमाचार सुनवारीव् अवरी अई हा हा की नानी अवरी के सीमा भीतोरी ब्न्नोवा सी वनाब तरया कामया घमण्ड खयनि |

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\v 17 \v 18 17.परन्तु जो घमण्ड खयरी आई प्रभु पर घमण्ड खयपव्वरी | 18.क्योंकि जो पानके बढाई खयेरे ,आई हा हा ,परन्तु जोके बढाई प्रभु खयेरे ,आईला ग्रहण खय चाहिय्योरे |

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