\v 8 हे भाहियो नानी चाहो घय रे की कलेश दी पानी खानी अवरी जो हो अनजान मनसा आसिए पर पडा की आईला भारी बोज हिये जो नानी के सामर्थ के दी बहारी अय तके की जीवन या हाके मिलोरे| \v 9 वरन नानी जब ह्य समझे हारे लिया मृत्यु आज्ञा हीरे| पानी के भरो घय ला बरन नानी जॉब परमेस्वर जो नानी के जिबेरी हे| \v 10 आवरी ने अयी वयना मृत्यु बचावा ओवरी जो आश हे वह ब्चावेरे|