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\c 12 \v 1 हे भाई हम नाय चाहित की आत्मिक वरदान के बिषय मा अंजान रहा| \v 2 तू जनत रहे की सब तू अन्यजतीय रहे सब जाने गुगी मूर्तियो के पीछे चलवा जात रहे अउर सब चलात रहे \v 3 येही लिए तू से बतावत रहन जे केहु आत्मा के अगुवाई से बोलत हे I