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\v 11 \v 12 11 तब प्रभु ने ओरत बिना पुरूष अउर पुरूष बिना ओरत की हय। 12 इसलिए की ओरत अउर पुरूष से अउर पुरूष ओरत के द्वारा बल्कि जब चीज परमेस्वर से बाटे।

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\v 13 \v 14 \v 15 \v 16 13 तू अपने आप सोचा की ओरत का मुड़ उघार काय प्राथना करब अच्छा लागत हय।14 क तूहुका नाय जान परत पुरूष का बडा बार रखब नीक नाय लागत। 15 लकिन ओरत का बडा बार रखब नीक लागत हय, यही खातिर बारे तय ओढ़नी बाटे । 16 अगर केहु लड़ाई करे चाहे तव ई जान लिये की ना हमार अउर ना कलीसियाओ काय अइसन रीत बाटे।

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\v 17 \v 18 \v 19 17 लकिन ई आज्ञा की ताई तहार बढ़ाई नाय करीत,यही खातिर तोहरे इकट्ठा हुये से खुसी नहीं हानि हुयत हय। 18 लकिन पहिले जब कलीसिया मा इकट्ठा होत रहेया तब कलीसिया मा फूट होत रहा अउर हम यहपर कुछ-कुछ विसवास भी करत रहन। 19 लकिन तूहमा दलबदली जरूर होये, यही खातिर तोहरे मा जवन खर-खर लोग सामने आइ जाहिये।

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\v 20 \v 21 \v 22 20 तोहरे सवन जब यक जगही बटुरत थेया तव प्रभु-भोज खयक तय नहीं। 21 लकिन खय समय इक-दुसरे से पहिले अपन-अपन खय लियत थेया अउर केहु-केहु भूखन अउर केहु-केहु आघाय जात हय। 22 खय-पिये तय तोहरे घरमा नाय बाटे ! अउर प्रभु कलिसिया का बेकार जने थेया, जेकेरे लगे नहीं बाटे ओका सार्मिंदा करत थेया,हम तुहुसे कव कही ?ई बाती खातिर तहार बढ़ाई करि? नहि,हम बढ़ाई नहि करीत।

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\v 23 \v 24 23 जवन बात प्रभु हमका बताइन अउर वू बात हम तुहुका बतय दीहन की प्रभु यीशु का जवने रतिम वू पकरईस,रोटी लिहिस हय। 24 अउर धन्यवाद काइके ओका तुरीन अउर कहिन ई हमार देह बाटे जवन तोहरी तय बाटे,हमे याद करेक तय इहे करा-करा।

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\v 25 \v 26 25 यही रिवाज से वे बियारि के पीछे कटोरा लिहिन अउर कहिन ई हमार ख़ून आटे हमरे बढ़ाई तय इहे करा-करा। 26 जब तू रोटी खातथेया और ई कटोरा मा पियतथेया प्रभु की को जब तक वे आहिये प्रचार करत रहाब।

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\v 27 \v 28 \v 29 \v 30 27 लकिन जब केहु येका बेकार तरीक़े से खाइस अउर पीहिस तब प्रभु की देह कय आपराधी भवा। 28 येही खातिर अपने आपनेक परख कय रोटी खाया अउर कटोरा पिया। 29 काहे की जे खात-पियत के समय प्रभु की देह का ना पहिचानिस तब ओका सजा मिले।

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30 यही खातिर तूहमा बहुत जने लाचार अउर रोगी हये। 31 अउर हम अपने आपका परख लिहित तव सजा ना पाइत। 32 यही खातिर प्रभु हमका सजा दाइके परेसान करत हय,की संसार की साथे नाय बनाइस।