From c9e01a263a7e9831c72f029a2db2f41e64b95b46 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: UGM Date: Fri, 21 Jul 2017 12:52:19 +0530 Subject: [PATCH] Fri Jul 21 2017 12:52:18 GMT+0530 (India Standard Time) --- 12/09.txt | 2 +- 12/12.txt | 1 + 12/14.txt | 1 + 12/18.txt | 1 + 12/21.txt | 1 + 12/25.txt | 1 + 12/28.txt | 1 + 12/30.txt | 1 + 8 files changed, 8 insertions(+), 1 deletion(-) create mode 100644 12/12.txt create mode 100644 12/14.txt create mode 100644 12/18.txt create mode 100644 12/21.txt create mode 100644 12/25.txt create mode 100644 12/28.txt create mode 100644 12/30.txt diff --git a/12/09.txt b/12/09.txt index 7c11631..de4f020 100644 --- a/12/09.txt +++ b/12/09.txt @@ -1 +1 @@ - 9.केहु का आत्मा के द्वारा विश्वास अउर वही आत्मा के द्वारा चंगा करय का वरदान दीन जात हय। 11. लकिन ई सब बड़ा बड़ा काम उहय आत्मा करत हय अउर जेका जाऊन चाहत हे दे देयत हे| 12। लकिन जवने तरह से देह तव एक है अउर वकय अंग बहुत हय अउर वे सब मिलकर एक देह हय वही परकार मसीह भी बाटे 13। लकिन हम सब का का यहूदी का यूनानी का दास का आजाद यक्कय आत्मा के जाति एक देह हुवय ताये बप्तिस्मा लिहिन,अउर हम सबका ऐक आत्मा पियावा गवा |14. यही से की देहि म ऐक अंग नहीं लकिन बहुत बाय| 15.अगर गुवड कह्य. की हम हाथ न हुआई .यही से हम देह न होई,तव क उ यही से देहि कय न हुए ? 16. अउर कान कह्य की हम आंख न होई तव यहेसे हम देहि कय न होई|17.अगर पूरी देह आंख होई जाय तव सुना कहा से जाय अगर सब देह होई जाय तव सुंघा कहा से जाय |18.लकिन सच मुच परमेश्वर अंग का अपने मन से यक यक कैके धरे हरे हैय |19.अगर वे सब यक अंग होते तव देह कहा हुवत |20.लकिन तव अंग बहुत बाय लकिन देह बहुत बाय|21.आंख हाथे से नहीं कह सकत की,हमय तोहर जरूरत नाही .अउर न मुड़ गोडे से कही सकत की हमय तोहर जरूरत नाही|22.लकिन देहि कय अंग जवन सबसे कम जोर देखय परा थे वे बहुत जरुरी हुआ थे |23.अउरदेहि के जवने अंग का हम अच्छा समझी थय वन्ही का जादा आदर देई थय अउर हमार सोभाहिन् अंग बहुत सोभयमान होयजात है |24.फिर हमरे जरुरी अंग का यकाय जरूरत नहीं लकिन परमेश्वर देह का अइसन बनाई दिहिन है की जवने अंग का कुछ कमी रही वही का अउर आदर होय । 25.जवनय से दे ही माँ फुट न परय लकिन अंग ऐक दुसरे कय बराबर चिंता करे। 26.यही से अगर ऐक अंग दुःख पावत है तव सब अंग वक्रे साथे दुःख पावा थे अउर अउर अगर ऐक अंग कय बड़ाई हुआत है तव सब अंग आनंद मनवा थे। 27.यही से तू सब मिल कय मसीह कयदेह हुअव अउर अलग अलग वाकय अंग हुअव। 28.अउर परमेश्वर कलेसिया म अलग अलग मनई क खड़ा किहिन है,पहिला प्रेरित दूसरा भाबिस्व्कता तीसरा सिखावे वाला फिर बड़ा काम करे वाले फिर चंगा करे वाले अउर उपकार करे वाले अउर प्रधान अउर दुसर दुसर भाषा बोले वाले। 29.क सब प्रेरित हुए क सब भाविस्वकता हुए क सब उप्देसक हुए क सब समर्थ कय कम करे वाले हुए। 30.क सबका चंगा करय क वरदान मिला बाय क सबका अलग अलग बोलय क मिला बाय। 31.क सब अनुवाद करा थे तू बड़ा से बड़ा वरदान के धुन म लाग रह्व लकिन हम तुह्य अउर सबसे अच्छा रास्ता बताईत है| \ No newline at end of file +\v 9 \v 10 \v 11 9.केहु का आत्मा के द्वारा विश्वास अउर वही आत्मा के द्वारा चंगा करय का वरदान दीन जात हय। 11. लकिन ई सब बड़ा बड़ा काम उहय आत्मा करत हय अउर जेका जाऊन चाहत हे दे देयत हे| \ No newline at end of file diff --git a/12/12.txt b/12/12.txt new file mode 100644 index 0000000..d02b94e --- /dev/null +++ b/12/12.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 12 \v 13 12। लकिन जवने तरह से देह तव एक है अउर वकय अंग बहुत हय अउर वे सब मिलकर एक देह हय वही परकार मसीह भी बाटे 13। लकिन हम सब का का यहूदी का यूनानी का दास का आजाद यक्कय आत्मा के जाति एक देह हुवय ताये बप्तिस्मा लिहिन,अउर हम सबका ऐक आत्मा पियावा गवा | \ No newline at end of file diff --git a/12/14.txt b/12/14.txt new file mode 100644 index 0000000..3641681 --- /dev/null +++ b/12/14.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 14 \v 15 \v 16 \v 17 14. यही से की देहि म ऐक अंग नहीं लकिन बहुत बाय| 15.अगर गुवड कह्य. की हम हाथ न हुआई .यही से हम देह न होई,तव क उ यही से देहि कय न हुए ? 16. अउर कान कह्य की हम आंख न होई तव यहेसे हम देहि कय न होई|17.अगर पूरी देह आंख होई जाय तव सुना कहा से जाय अगर सब देह होई जाय तव सुंघा कहा से जाय | \ No newline at end of file diff --git a/12/18.txt b/12/18.txt new file mode 100644 index 0000000..85172a7 --- /dev/null +++ b/12/18.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 18 \v 19 \v 20 18.लकिन सच मुच परमेश्वर अंग का अपने मन से यक यक कैके धरे हरे हैय |19.अगर वे सब यक अंग होते तव देह कहा हुवत |20.लकिन तव अंग बहुत बाय लकिन देह बहुत बाय| \ No newline at end of file diff --git a/12/21.txt b/12/21.txt new file mode 100644 index 0000000..3208575 --- /dev/null +++ b/12/21.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 21 \v 22 \v 23 \v 24 21.आंख हाथे से नहीं कह सकत की,हमय तोहर जरूरत नाही .अउर न मुड़ गोडे से कही सकत की हमय तोहर जरूरत नाही|22.लकिन देहि कय अंग जवन सबसे कम जोर देखय परा थे वे बहुत जरुरी हुआ थे |23.अउरदेहि के जवने अंग का हम अच्छा समझी थय वन्ही का जादा आदर देई थय अउर हमार सोभाहिन् अंग बहुत सोभयमान होयजात है | \ No newline at end of file diff --git a/12/25.txt b/12/25.txt new file mode 100644 index 0000000..9a7c55b --- /dev/null +++ b/12/25.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 25 \v 26 \v 27 24.फिर हमरे जरुरी अंग का यकाय जरूरत नहीं लकिन परमेश्वर देह का अइसन बनाई दिहिन है की जवने अंग का कुछ कमी रही वही का अउर आदर होय । 25.जवनय से दे ही माँ फुट न परय लकिन अंग ऐक दुसरे कय बराबर चिंता करे। 26.यही से अगर ऐक अंग दुःख पावत है तव सब अंग वक्रे साथे दुःख पावा थे अउर अउर अगर ऐक अंग कय बड़ाई हुआत है तव सब अंग आनंद मनवा थे। 27.यही से तू सब मिल कय मसीह कयदेह हुअव अउर अलग अलग वाकय अंग हुअव। \ No newline at end of file diff --git a/12/28.txt b/12/28.txt new file mode 100644 index 0000000..0312441 --- /dev/null +++ b/12/28.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 28 \v 29 28.अउर परमेश्वर कलेसिया म अलग अलग मनई क खड़ा किहिन है,पहिला प्रेरित दूसरा भाबिस्व्कता तीसरा सिखावे वाला फिर बड़ा काम करे वाले फिर चंगा करे वाले अउर उपकार करे वाले अउर प्रधान अउर दुसर दुसर भाषा बोले वाले। 29.क सब प्रेरित हुए क सब भाविस्वकता हुए क सब उप्देसक हुए क सब समर्थ कय कम करे वाले हुए। \ No newline at end of file diff --git a/12/30.txt b/12/30.txt new file mode 100644 index 0000000..9fbe8a3 --- /dev/null +++ b/12/30.txt @@ -0,0 +1 @@ +30.क सबका चंगा करय क वरदान मिला बाय क सबका अलग अलग बोलय क मिला बाय। 31.क सब अनुवाद करा थे तू बड़ा से बड़ा वरदान के धुन म लाग रह्व लकिन हम तुह्य अउर सबसे अच्छा रास्ता बताईत है| \ No newline at end of file