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\v 16 16 काहे से तू नाय जन्तेव की तू परमेश्वर कय मन्दिर हुअव,अउर परमेश्वर कय आत्मा तोहरे अन्दर रहाथय? 17 \v 17 अउर अगर केहू परमेश्वर के मन्दिर का नाश करे ,तव परमेश्वर वाका नाश करे,काहे से परमेश्वर कय मन्दिर पवित्र बाय अउर उ तुहीं हुवाव ।
\v 16 काहे से तू नाय जन्तेव की तू परमेश्वर कय मन्दिर हुअव,अउर परमेश्वर कय आत्मा तोहरे अन्दर रहाथय? \v 17 अउर अगर केहू परमेश्वर के मन्दिर का नाश करे ,तव परमेश्वर वाका नाश करे,काहे से परमेश्वर कय मन्दिर पवित्र बाय अउर उ तुहीं हुवाव ।

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\v 18 18 केहू अपने का धोखा न दियो,अगर तोहरे सब केहू अपने आपका संसार मा ज्ञानी समझय, तव गवार बनय की ज्ञानी बन जा । 19 \v 19 कहे से यह संसार कय ज्ञान परमेश्वर के आगे बेकार बाय काहे से लिखा बाय की “उ ज्ञानियन का उनके चतुराई म फसाय दिया थय” 20 \v 20 अउर फिर “प्रभु ज्ञानी के बिचार का जाना थय की उ बेकार बाय”
\v 18 केहू अपने का धोखा न दियो,अगर तोहरे सब केहू अपने आपका संसार मा ज्ञानी समझय, तव गवार बनय की ज्ञानी बन जा । \v 19 कहे से यह संसार कय ज्ञान परमेश्वर के आगे बेकार बाय काहे से लिखा बाय की “उ ज्ञानियन का उनके चतुराई म फसाय दिया थय” \v 20 अउर फिर “प्रभु ज्ञानी के बिचार का जाना थय की उ बेकार बाय”

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\v 21 21 यही से मनाईन पय केहू घमंड न करय,कहे से सब कुछ तोहर हुअय: 22 \v 22 काव पौलुस,काव अपुल्लोस, काव कैफा, काव जगत, काव जीवन, काव मरब, काव आज, काव बिहान,सब कुछ तोहर हुअय, 23 \v 23 अउर उ तू मसीह कय हुअव,अउर मसीह परमेश्वर कय हुवय।
\v 21 यही से मनाईन पय केहू घमंड न करय,कहे से सब कुछ तोहर हुअय: \v 22 काव पौलुस,काव अपुल्लोस, काव कैफा, काव जगत, काव जीवन, काव मरब, काव आज, काव बिहान,सब कुछ तोहर हुअय, \v 23 अउर उ तू मसीह कय हुअव,अउर मसीह परमेश्वर कय हुवय।

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