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\v 3 \v 4 3 मर्द अपने मेहरारू कय हक़ पूरा करय,वैसय मेहरारू अपने मर्द कय हक़ पूरा करय | 4 मेहरारू का अपने देहि पैय अधिकार नाही बल्कि मर्द कय बाय, वैसय मर्द कय अपने देहि पैय अधिकार नाही बल्कि मेहरारू कय बाय | 5 तू ऐक दुसरे से अलग न रहव,सिरिफ प्रार्थना की ताय वुहव सम्मत से फिर ऐक होई जाव कंहू यस न होय की सैतान मौका पाय कय परखय | 6 लकिन हम जवन कही थान उ अनुमति हुए आज्ञा नाही | 7 हम चाही थय की जयसैय हम हान वईसय सब होई जाय;लकिन हर ऐक विशेस विशेस वरदान मिला बाय ;केहू का कैसे तव केहू का कैसे |
\v 3 \v 4 3 मर्द अपने मेहरारू कय हक़ पूरा करय,वैसय मेहरारू अपने मर्द कय हक़ पूरा करय | 4 मेहरारू का अपने देहि पैय अधिकार नाही बल्कि मर्द कय बाय, वैसय मर्द कय अपने देहि पैय अधिकार नाही बल्कि मेहरारू कय बाय |

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\v 5 \v 6 \v 7 5 तू ऐक दुसरे से अलग न रहव,सिरिफ प्रार्थना की ताय वुहव सम्मत से फिर ऐक होई जाव कंहू यस न होय की सैतान मौका पाय कय परखय | 6 लकिन हम जवन कही थान उ अनुमति हुए आज्ञा नाही | 7 हम चाही थय की जयसैय हम हान वईसय सब होई जाय;लकिन हर ऐक विशेस विशेस वरदान मिला बाय ;केहू का कैसे तव केहू का कैसे |

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\v 8 \v 9 8 लकिन हम उनकी ताय जवन अविबाहित अउर विधवा हए वे ऐसे रहंय जेस हम हांन | 9 लकिन अगर वे संयम न कय सकय तव वियाह कय लिए,कहे से वियाह करब कामुकता करय से अच्छा बाय |

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\v 10 \v 11 10 जेकय वियाह भवा बाय, वका नाही,लकिन प्रभु आज्ञा देयत थय की मेहरारू अपने मर्द से अलग न रहंय | 11 (अउर अगर अलगव होई जाय तव,बिना दुसर वियाह न करय; या तव अपने मर्द इ मिलाप कय लियय) अउर मर्द अपने मेहरारू का न छोड़य |

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\v 12 \v 13 \v 14 12 दुसरे से प्रभु नाही,हमहींन कहित हान की अगर केहू कय मेहरारू विश्वास न करत होय और अउर वकरे साथे खुश होयतव वह्का न छोड़य | 13 अउर जेकय मर्द विश्वास न करत होय खुश होय तव अपने मर्द का न छोड़य | 14 काहेसे यस मर्द जे विश्वास न रक्खत होय उ मेहरारू के कारण पवित्र होथय,यस मेहरारू जे विश्वास न रक्खत हो उ मर्द के कारण पवित्र होथय; नाही तव लड्कवाले अशुध्द होते ,अब तव पवित्र हए |

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