From e22cbcee0c077311419161ad3475f1db316c9a6d Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Christopher_Sentu1 Date: Sat, 16 Oct 2021 12:21:43 +0000 Subject: [PATCH] Edit 'bible/kt/justice.md' using 'tc-create-app' --- bible/kt/justice.md | 25 ++++++++++++++++--------- 1 file changed, 16 insertions(+), 9 deletions(-) diff --git a/bible/kt/justice.md b/bible/kt/justice.md index 324d8bf..8b52d34 100644 --- a/bible/kt/justice.md +++ b/bible/kt/justice.md @@ -1,17 +1,24 @@ -# सच्चा, न्याय, न्याय से, अन्याय, औचित्य +# न्यायोचित, न्याय, अन्याय, न्यायसंगत सिद्ध करना, औचित्य -## परिभाषा: ## +## परिभाषा: -इन शब्दों का अभिप्राय है परमेश्वर के नियमानुसार, मनुष्यों के साथ निष्पक्ष व्यवहार करना। मानवीय नियम जो मनुष्यों के साथ उचित व्यवहार के परमेश्वर निर्धारित मानकों को दर्शाते हैं वे भी न्यायसम्मत हैं। +"न्यायोचित" और "न्याय" इन शब्दों का सन्दर्भ मनुष्यों के साथ परमेश्वर की व्यवस्था के अनुकूल निष्पक्ष व्यवहार करना| मानवीय नियम जो उचित व्यवहार के परमेश्वर के मानकों को प्रकट करते हैं, वे भी न्यायोचितं होते हैं| -* “सच्चा” अर्थात मनुष्यों के साथ निष्पक्ष एवं उचित व्यवहार करना। यह परमेश्वर की दृष्टि में नैतिकता में उचित कार्य करना भी है। -* “धर्मी” व्यवहार करना अर्थात मनुष्यों के साथ ऐसा व्यवहार करना जो परमेश्वर के नियमानुसार उचित उत्तम तथा न्यायसम्मत है। -* “न्याय” पाना अर्थात विधान के अन्तर्गत उचित व्यवहार प्राप्त करना, नियमों की सुरक्षा में या नियमों के उल्लंघन में। -* कभी-कभी “सच्चा” का अर्थ व्यापक होता है जैसे “धर्मी” या “परमेश्वर के नियमों का पालन करना” +* “न्यायसंगत” होने का अर्थ है, मनुष्यों के साथ निष्पक्ष और उचित व्यवहार करना| इसमें परमेश्वर की दृष्टि में नैतीता में उचित काम करने की सत्यनिष्ठा औए एकनिष्ठा| +* “न्यायोचित” व्यवहार करना अर्थात मनुष्यों के साथ परमेश्वर की व्यवस्था के अनुकूल न्याय्य,भला और उचित व्यवहार करना| +* “न्याय” पाना अर्थात विधान के अन्तर्गत उचित व्यवहार प्राप्त करना, नियमों द्वारा सुरक्षा या नियमों के उल्लंघन का दंड। +* कभी-कभी “न्यायोचित” शब्द का अर्थ अधिक व्यापक होता है, जैसे “धर्मी” या “परमेश्वर के नियमों का पालन करना” +"अन्याय" और "अन्याय से" इन शब्दों का सन्दर्भ मनुष्यों के साथ पक्षपात और हानिकारक व्यवहार से है| +* "अन्याय" का अर्थ है, किसी के साथ बुरा करना जिसके योग्य वह नहीं है| इसका सन्दर्भ मनुष्यों में पक्षपात करने से है| +* "अन्याय" का अर्थ यह भी होता है कि कुछ लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है जबकि दूसरों के साथ अछा व्यवहार किया जाता है| +* जो मनुष्य अन्याय का व्यवहार करता है, वह "पक्षपाती" या "अपकारी" कहते हैं क्योंकि वह सबके साथ समता का व्यवहार नहीं करता है| +"न्याय करना" और "न्यायसंगत ठहराना", इन शब्दों का सन्दर्भ एक दोषी मनुष्य को न्यायोचित ठहराने से है| केवल परमेश्वर मनुष्य को वास्तव में न्यायोचित ठहराता है| +* जब परमेश्वर मनुष्य को न्यायोचित कह देता है तब वह ऐसा कर देता है कि जैसे उनमें कोई पाप नहीं है| वह मन फिराने वाले पापियों को जो अपने पापों से उद्धार पाने के लिए यीशु में विश्वास करते हैं, उनको न्यायोचित ठहराता है| +* "न्यायोचित" शब्द का सन्दर्भ मनुष्यों के पापों की क्षमा और उसकी दृष्टि में धर्मी ठहराए जाने के परमेश्वर के काम के सन्दर्भ में है| -## अनुवाद के सुझाव: ## +## अनुवाद के सुझाव: -* प्रकरण के अनुसार, “सच्चा” का अनुवाद करने के अन्य रूप हैं “नैतिकता में उचित” या “निष्पक्ष”। +* प्रकरण के अनुसार, “न्यायोचित” का अनुवाद करने के अन्य रूप हैं “नैतिकता में उचित” या “निष्पक्ष”। * “न्याय” का अनुवाद हो सकता है, “निष्पक्ष व्यवहार” या “योग्य परिणाम”। * “सच्चा व्यवहार” का अनुवाद हो सकता है, “निष्पक्ष व्यवहार” या “निष्पक्षता का व्यवहार” * कुछ प्रकरणों में “सच्चा” का अनुवाद “धर्मी” या “खरा” भी हो सकता है।