diff --git a/bible/other/like.md b/bible/other/like.md index 7f00b6d..7cafef3 100644 --- a/bible/other/like.md +++ b/bible/other/like.md @@ -4,7 +4,7 @@ “के समान” या “समानता” का अर्थ है कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु के स्वरूप हो। -* “के समान” जब उसे "उपमा" स्वरूप भी काम में लिया जाता है जिसमें गुणों को उजागर करते हुए किसी की तुलना किसी और से की जाती है। उदाहरणार्थ, “उसके वस्त्र सूर्य की नाई चमकने लगे” और “उसकी वाणी गर्जन की सी थी” (देखें: [उपमा](rc://en/ta/man/translate/figs-simile)) +* “के समान” जब उसे "उपमा" स्वरूप भी काम में लिया जाता है जिसमें गुणों को उजागर करते हुए किसी की तुलना किसी और से की जाती है। उदाहरणार्थ, “उसके वस्त्र सूर्य की नाई चमकने लगे” और “उसकी वाणी गर्जन की सी थी” (देखें: [उपमा](rc://hi/ta/man/translate/figs-simile)) * “के स्वरूप होना” या “के सदृश्य सुनाई देना” या “समानता में होना” का अर्थ है जिससे तुलना की जा रही है उसके लक्षण उसमें होना। * मनुष्य परमेश्वर के “स्वरूप” में सृजा गया था अर्थात उसकी “प्रतिरूप” में। इसका अर्थ है कि मनुष्य परमेश्वर के गुणों की "समानता" या "स्वरूप में" है जैसे सोचने की क्षमता, अनुभूति तथा विचारों का आदान-प्रदान करना। * किसी वस्तु या मनुष्य की “समानान्तर में होना” अर्थात उस वस्तु या मनुष्य के गुण होना। @@ -21,12 +21,12 @@ ## बाइबल सन्दर्भ: ## -* [यहेजकेल 01:05](rc://en/tn/help/ezk/01/05) -* [मरकुस 08:24](rc://en/tn/help/mrk/08/24) -* [मत्ती 17:02](rc://en/tn/help/mat/17/02) -* [मत्ती 18:03](rc://en/tn/help/mat/18/03) -* [भजन संहिता 073:05](rc://en/tn/help/psa/073/05) -* [प्रकाशितवाक्य 01:12-13](rc://en/tn/help/rev/01/12) +* [यहेजकेल 01:05](rc://hi/tn/help/ezk/01/05) +* [मरकुस 08:24](rc://hi/tn/help/mrk/08/24) +* [मत्ती 17:02](rc://hi/tn/help/mat/17/02) +* [मत्ती 18:03](rc://hi/tn/help/mat/18/03) +* [भजन संहिता 073:05](rc://hi/tn/help/psa/073/05) +* [प्रकाशितवाक्य 01:12-13](rc://hi/tn/help/rev/01/12) ## शब्द तथ्य: ##