From 3435deada3f2d6192707d35adca620596d5ca949 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Christopher_Sentu1 Date: Sun, 17 Oct 2021 12:40:08 +0000 Subject: [PATCH] Edit 'bible/kt/lord.md' using 'tc-create-app' --- bible/kt/lord.md | 90 ++++++++++++++++++++++++++---------------------- 1 file changed, 49 insertions(+), 41 deletions(-) diff --git a/bible/kt/lord.md b/bible/kt/lord.md index e4f4dc6..dbef276 100644 --- a/bible/kt/lord.md +++ b/bible/kt/lord.md @@ -1,58 +1,66 @@ -# प्रभु, प्रभुओं, गुरु, स्वामी, स्वामियों, श्रीमान, महोदय # +# प्रभु, गुरु, स्वामी, स्वामियों, श्रीमान, महोदय -## परिभाषा: ## +## परिभाषा: -“प्रभु” शब्द का अर्थ है अन्य लोगों पर स्वामीत्व या अधिकार रखना। +बाईबल में "प्रभु" शब्द का सन्दर्भ सामान्यतः उस मनुष्य से है जिसके पास नया लोगों का स्वामित्व या उन पर अधिकार होता है| बाईबल में, इस शब्द को अनेक अनन्य लोगों के लिए काम में लिया गया है, वरन परमेश्वर के लिए भी| * इस शब्द का अनुवाद कभी-कभी “स्वामी” भी किया जाता है जब यीशु कें संदर्भ में हो या दासों के स्वामी के संदर्भ में हो। -* अंग्रेजी की कुछ बाइबलों में इस शब्द का अनुवाद, “श्रीमान” किया गया है जब कोई किसी ऊंचे पद वाले को विनम्रता-पूर्वक संबोधित कर रहा है। +* अंग्रेजी की कुछ बाइबलों में इस शब्द का अनुवाद, “श्रीमान” (sir) किया गया है जब कोई किसी ऊंचे पद वाले को विनम्रता-पूर्वक संबोधित कर रहा है। +जब प्रभु शब्द को बड़े अक्षर से आरम्भ किया जाए तो यह परमेश्वर का उपनाम है| (टिप्पणी: जब इसका उयोग किसी को संबोधित करने के लिए या जब यह वाक्य के आरम्भ में हो तो इसका प्रथम अक्षर बड़ा होता है और इसका अर्थ, "महोदय" या "स्वामी" होता है|) +* पुराने नियम में, इस शब्द का उपयोग ऎसी अभिव्यक्तियों में किया जाता है जैसे, सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर" या "प्रभु यहोवा" "यहोवा हमारा प्रभु" +* नए नियम में,प्रेरीतों ने इस शब्द को ऎसी अभिव्यक्तियों में काम में लिया है जैसे, "प्रभु यीशु" और "प्रभु यीशु मसीह" जिसका अर्थ है, यीशु परमेश्वर है| +* नए नियम में "प्रभु" शब्द अकेला भी काम में लिया गया है जो सीधा परमेश्वर के सन्दर्भ में है- विशेष करके पुराने नियम के सन्दर्भों में| उदाहरणार्थ, पुराने नियम में: "धन्य है वह जो यहोवा के नाम में आता है" और नए नियम में इसी को इस प्रकार संदर्भित किया गया है: "धन्य है वह जो प्रभु के नाम में आता है +* ULT और UST में, "प्रभु" शब्द, इब्रानी शब्द और यूनानी शब्द का शाब्दिक अनुवाद किया गया है| वह परमेश्वर के नाम (यहोवा) का अनुवाद कदापि नहीं है, जैसा अनेक अनुवादों में किया गया है| +* कुछ भाषाओं में, "प्रभु" शब्द का अनुवाद, "स्वामी" या "शासक" या अन्य किसी शब्द में किया गया है जिसका अर्थ, स्वामित्व या सर्वोच्च शासन है| +* उचित सन्दर्भों में अनेक अनुवादों में इस शब्द का प्रथम शब् बड़ा रखा गया है कि पाठकों के लिए स्पष्ट हो जाए कि यह परमेश्वर के लिए एक उपनाम मात्र है| +* नए नियम में जब पुराने नियम का उद्धरण दिया गया है तब "प्रभु परमेश्वर" का उपयोग किया जा सकता है कि स्पष्ट हो कि यह परमेश्वर के सन्दर्भ में है| ## अनुवाद के सुझाव: ## -* इस शब्द का अनुवाद “स्वामी” शब्द की समानता में किया जा सकता है। जब किसी गुलामों के स्वामी के सन्दर्भ में हो। * एक सेवक भी अपने नियोजक को “स्वामी” कह सकता है। -* जब यह यीशु को संदर्भित करता है, यदि संदर्भ से पता चलता है कि वक्ता एक धार्मिक शिक्षक के रूप में उसे देखता है, तो इसका अनुवाद एक धार्मिक शिक्षक के लिए सम्मानित रूप से किया जा सकता है, जैसे कि "गुरु।" +* इस शब्द का अनुवाद “स्वामी” शब्द के सहार्थी शब्द के द्वारा किया जा सकता है जब दासों के स्वामी के सन्दर्भ में हो।इसका उपयोग सेवक द्वारा अपने नियोजक के लिए भी किया जा सकता है| +* जब यह यीशु को संदर्भित करता है, यदि संदर्भ से पता चलता है कि वक्ता एक धार्मिक शिक्षक के रूप में उसे देखता है, तो इसका अनुवाद एक धार्मिक शिक्षक के संबोधन में सम्मानित शब्द से किया जा सकता है, जैसे, "गुरु।" * यदि यीशु से बात करनेवाला व्यक्ति यीशु को नहीं जानता है तो “प्रभु” शब्द का अनुवाद “श्रीमान” किया जाए। यह अनुवाद अन्य प्रकरणों में भी किया जाए जहां किसी के लिए विनीत संबोधन की आवश्यकता हो।। -* पिता परमेश्वर और यीशु के लिए अंग्रेजी भाषा में "Lord" बड़े अक्षर "L" का अनुवाद “प्रभु” ही करना है। +* पिता परमेश्वर और यीशु के लिए इस शब्द को उपनाम माना जाए: अंग्रेजी भाषा में "Lord" बड़े अक्षर "L" -(यह भी देखें: [प्रभु](../kt/lordgod.md)) +(यह भी देखें: [परमेश्वर](../kt/god.md), [यीशु](../kt/jesus.md), [ruler](../other/ruler.md), [यहोवा](../kt/yahweh.md)) -## बाइबल संदर्भ: ## +## बाइबल संदर्भ: -* [उत्पत्ति 39:02](rc://en/tn/help/gen/39/02) -* [यहोशु 03:9-11](rc://en/tn/help/jos/03/09) -* [भजन.](rc://en/tn/help/psa/086/015) [086:15-17](rc://en/tn/help/psa/086/015) -* [यिर्मयाह 27:04](rc://en/tn/help/jer/27/04) -* [विलापगीत 02:02](rc://en/tn/help/lam/02/02) -* [यहेजकेल 18:29](rc://en/tn/help/ezk/18/29) -* [दानिएल 09:09](rc://en/tn/help/dan/09/09) -* [दानिएल 09:17-19](rc://en/tn/help/dan/09/17) -* [मलाकी 03:01](rc://en/tn/help/mal/03/01) -* [मत्ती 07:21-23](rc://en/tn/help/mat/07/21) -* [लूका 01:30-33](rc://en/tn/help/luk/01/30) -* [लूका 16:13](rc://en/tn/help/luk/16/13) -* [रोमियों 06:23](rc://en/tn/help/rom/06/23) -* [इफिसियों 06:9](rc://en/tn/help/eph/06/9) -* [फिलिप्पियों 02:9-11](rc://en/tn/help/php/02/09) -* [कुलुस्सियों](rc://en/tn/help/col/03/22) [03:23](rc://en/tn/help/col/03/23) -* [इब्रानियों 12:14](rc://en/tn/help/heb/12/14) -* [याकूब 02:01](rc://en/tn/help/jas/02/01) -* [1 पतरस 01:03](rc://en/tn/help/1pe/01/03) -* [यहूदा 01:05](rc://en/tn/help/jud/01/05) -* [प्रका. 15:04](rc://en/tn/help/rev/15/04) +* [उत्पत्ति 39:2](rc://hi/tn/help/gen/39/02) +* [यहोशु 3:9-11](rc://hi/tn/help/jos/03/09) +* [भजन. 86:15-17](rc://hi/tn/help/psa/086/015) +* [यिर्मयाह 27:4](rc://hi /tn/help/jer/27/04) +* [विलापगीत 2:2](rc://hi/tn/help/lam/02/02) +* [यहेजकेल 18:29](rc://hi/tn/help/ezk/18/29) +* [दानिएल 9:9](rc://hi/tn/help/dan/09/09) +* [दानिएल 9:17-19](rc://hi/tn/help/dan/09/17) +* [मलाकी 3:1](rc://hi/tn/help/mal/03/01) +* [मत्ती 7:21-23](rc://hi/tn/help/mat/07/21) +* [लूका 1:30-33](rc://hi/tn/help/luk/01/30) +* [लूका 16:13](rc://hi/tn/help/luk/16/13) +* [रोमियों 6:23](rc://hi/tn/help/rom/06/23) +* [इफिसियों 6:9](rc://hi/tn/help/eph/06/9) +* [फिलिप्पियों 2:9-11](rc://hi/tn/help/php/02/09) +* [कुलुस्सियों 3:23](rc://hi/tn/help/col/03/23) +* [इब्रानियों 12:14](rc://hi/tn/help/heb/12/14) +* [याकूब 2:1](rc://hi/tn/help/jas/02/01) +* [1 पतरस 1:3](rc://hi/tn/help/1pe/01/03) +* [यहूदा 1:5](rc://hi/tn/help/jud/01/05) +* [प्रका. 15:4](rc://hi/tn/help/rev/15/04) -## बाइबल कहानियों से उदाहरण: ## +## बाइबल की कहानियों के उदाहरण: -* __[25:05](rc://en/tn/help/obs/25/05)__ यीशु ने उसे पवित्रशास्त्र से उत्तर दिया, उसने कहा, “परमेश्वर के वचन में वह अपने लोगों को आज्ञा देता है कि तू __प्रभु__ अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना।’” -* __[25:07](rc://en/tn/help/obs/25/07)__ तब यीशु ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा ! परमेश्वर के वचन में वह अपने लोगों को आज्ञा देता है कि 'तू __प्रभु__ अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।’” -* __[26:03](rc://en/tn/help/obs/26/03)__ यह __प्रभु__ के कृपा का वर्ष है। -* __[27:02](rc://en/tn/help/obs/27/02)__व्यवस्थापक ने उत्तर दिया, “तू अपने __परमेश्वर__ से अपने सारे ह्रदय, आत्मा, शक्ति और ,मन से प्रेम रखना। और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना।” -* __[31:05](rc://en/tn/help/obs/31/05)__ फिर पतरस ने यीशु से कहा ‘हे __गुरु__’ यदि तू है, तो मुझे भी अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे” -* __[43:09](rc://en/tn/help/obs/43/09)__ “उसी यीशु को जिसे तुमने क्रूस पर चढ़ाया, परन्तु परमेश्वर ने उसे __प्रभु__ भी ठहराया और मसीह भी।” -* __[47: 3](rc://en/tn/help/obs/47/03)__इस दुष्ट आत्मा के द्वारा वह दूसरों का भावी बताती थी, जिससे अपने __स्वामियों__ के लिये ज्योतिषी के रूप में बहुत धन कमा लाती थी। -* __[47:11](rc://en/tn/help/obs/47/11)__ पौलुस ने उत्तर दिया,"यीशु में विश्वास करो, जो __प्रभु__ है, तो तू और तेरा परिवार बच जाएगा।" +* __[25:5](rc://hi/tn/help/obs/25/05)__ यीशु ने उसे पवित्रशास्त्र से उत्तर दिया, उसने कहा, “परमेश्वर के वचन में वह अपने लोगों को आज्ञा देता है कि तू __प्रभु__ अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना।’” +* __[25:7](rc://hi/tn/help/obs/25/07)__ तब यीशु ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा ! परमेश्वर के वचन में वह अपने लोगों को आज्ञा देता है कि 'तू __प्रभु__ अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।’” +* __[26:3](rc://hi/tn/help/obs/26/03)__ यह __प्रभु__ के कृपा का वर्ष है। +* __[27:2](rc://hi/tn/help/obs/27/02)__व्यवस्थापक ने उत्तर दिया, “तू अपने __परमेश्वर__ से अपने सारे ह्रदय, आत्मा, शक्ति और ,मन से प्रेम रखना। और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना।” +* __[31:5](rc://hi/tn/help/obs/31/05)__ फिर पतरस ने यीशु से कहा ‘हे __गुरु__’ यदि तू है, तो मुझे भी अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे” +* __[43:9](rc://hi/tn/help/obs/43/09)__ “उसी यीशु को जिसे तुमने क्रूस पर चढ़ाया, परन्तु परमेश्वर ने उसे __प्रभु__ भी ठहराया और मसीह भी।” +* __[47: 3](rc://hi/tn/help/obs/47/03)__इस दुष्ट आत्मा के द्वारा वह दूसरों का भावी बताती थी, जिससे अपने __स्वामियों__ के लिये ज्योतिषी के रूप में बहुत धन कमा लाती थी। +* __[47:11](rc://hi/tn/help/obs/47/11)__ पौलुस ने उत्तर दिया,"यीशु में विश्वास करो, जो __प्रभु__ है, तो तू और तेरा परिवार बच जाएगा।" -## शब्द तथ्य: ## +## शब्द तथ्य: -* Strong's: H113, H136, H1167, H1376, H4756, H7980, H8323, G203, G634, G962, G1203, G2962 \ No newline at end of file +* स्ट्रोंग्स: H0113, H0136, H1167, H1376, H4756, H7980, H8323, G02030, G06340, G09620, G12030, G29620 \ No newline at end of file