From 16eb72cda9d623f5a7d05babe531792c278a7171 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Christopher_Sentu1 Date: Tue, 20 Jul 2021 08:52:15 +0000 Subject: [PATCH] Edit 'bible/names/josephot.md' using 'tc-create-app' --- bible/names/josephot.md | 49 +++++++++++++++++++---------------------- 1 file changed, 23 insertions(+), 26 deletions(-) diff --git a/bible/names/josephot.md b/bible/names/josephot.md index d649a61..effb1a1 100644 --- a/bible/names/josephot.md +++ b/bible/names/josephot.md @@ -1,37 +1,34 @@ -# यूसुफ (पुराना नियम) # +# यूसुफ (पुराना नियम) -## तथ्य: ## +## तथ्य: -यूसुफ याकूब का ग्यारहवां और माता राहेल का पहला पुत्र था। +यूसुफ याकूब का ग्यारहवां और माता राहेल का पहला पुत्र था। उसके दो पुत्रों,एप्रैम और मनश्शे के वंशज इस्राएल के दो गोत्र हुए| +#इब्रानी नाम यूसुफ़ उन दो इब्रानी शब्दों का सा है जिनका अर्थ, "जोड़ना, बढाना" और दूसरा, "एकत्र करना,ले जाना" होता है| +#उत्पत्ति के पुस्तक का एक बड़ा भाग युसूफ की कहानी का है कि वह कैसे अनेक कठिनाइयों में परमेश्वर का निष्ठावान रहा और उसने अपने भाइयों को भी क्षमा कर दिया जिन्होंने उसको मिस्र में दास होने के लिए बेच दिया था| +# अंत में परमेश्वर ने यूसुफ़ को अधिकार में मिस्र का दूसरा सर्वोच्च अधिकारी बना दिया था और उसको मिस्र की प्रजा तथा परिवेश के जातियों को भोजन की कमी होने पर काम में लिया| यूसुफ़ ने अपने परिवार को भी भूखे मरने से बचाया और उनको लाकर अपने पास मिस्र में बसा दिया| -* यूसुफ अपने पिता का प्रियतम पुत्र था। -* उस कारण उसके भाई उससे डाह करते थे और उसे दास होने के लिए बेच दिया। -* मिस्र देश में यूसुफ पर झूठा दोष लगाकर कारावास में डाल दिया गया। -* सब कष्टों के उपरान्त भी यूसुफ परमेश्वर का निष्ठावान रहा। -* परमेश्वर उसे मिस्र देश में अधिकार के दूसरे सर्वोच्च स्थान पर ले आया और जब भोजन कम था तब उसके द्वारा मनुष्यों को बचाया। मिस्र की प्रजा वरन यूसुफ का अपना परिवार भी भूखें मरने से बचाया गया। +(अनुवाद के सुझाव [नामों का अनुवाद कैसे करें](rc://hi/ta/man/translate/translate-names)) -(अनुवाद के सुझाव [नामों का अनुवाद कैसे करें](rc://en/ta/man/translate/translate-names)) +(यह भी देखें: [इस्राएल के बारह गोत्र](../other/12tribesofisrael.md), [एप्रैम](../names/ephraim.md), [मनश्शे](../names/manasseh.md), [याकूब](../names/jacob.md), [राहेल](../names/rachel.md)) -(यह भी देखें: [मिस्र](../names/egypt.md), [याकूब](../names/jacob.md)) +## बाइबल सन्दर्भ: -## बाइबल सन्दर्भ: ## +* [उत्पत्ति 30:22-24](rc://hi/tn/help/gen/30/22) +* [उत्पत्ति 33:1-3](rc://hi/tn/help/gen/33/01) +* [उत्पत्ति 37:1-2](rc://hi/tn/help/gen/37/01) +* [उत्पत्ति 37:23-24](rc://hi/tn/help/gen/37/23) +* [उत्पत्ति 41:55-57](rc://hi/tn/help/gen/41/55) +* [यूहन्ना 04:4-5](rc://hi/tn/help/jhn/04/04) -* [उत्पत्ति 30:22-24](rc://en/tn/help/gen/30/22) -* [उत्पत्ति 33:1-3](rc://en/tn/help/gen/33/01) -* [उत्पत्ति 37:1-2](rc://en/tn/help/gen/37/01) -* [उत्पत्ति 37:23-24](rc://en/tn/help/gen/37/23) -* [उत्पत्ति 41:55-57](rc://en/tn/help/gen/41/55) -* [यूहन्ना 04:4-5](rc://en/tn/help/jhn/04/04) +## बाइबल कहानियों से उदाहरण: -## बाइबल कहानियों से उदाहरण: ## +* __[8:2](rc://hi/tn/help/obs/08/02)__ __यूसुफ__ के भाई उससे बैर रखते थे क्योंकि जब यूसुफ के भाइयो ने देखा कि हमारा पिता हम सबसे अधिक उसी से प्रीति रखता है, और यूसुफ ने स्वप्न में देखा था कि वह अपने भाइयो पर राज्य करे। +* __[8:4](rc://hi/tn/help/obs/08/04)__ और व्यापारी __यूसुफ__ को मिस्र ले गए। +* __[8:5](rc://hi/tn/help/obs/08/05)__ यहाँ तक की बंदीगृह में भी __यूसुफ__ परमेश्वर के प्रति निष्ठावान रहा और परमेश्वर ने उसे आशीष दी। +* __[8:7](rc://hi/tn/help/obs/08/07)__ परमेश्वर ने __यूसुफ__ को योग्यता दी थी कि वह स्वप्न का अर्थ समझ सके, इसलिये फ़िरौन ने यूसुफ को बंदीगृह से बुलवा भेजा। +* __[8:9](rc://hi/tn/help/obs/08/09)__ __यूसुफ__ ने सात वर्ष अच्छी उपज के दिनों में भोजनवस्तुएँ इकट्ठा करने के लिये लोगों से कहा। +* __[9:2](rc://hi/tn/help/obs/09/02)__मिस्र वासी अब __यूसुफ__ को भूल गये थे और उन कार्यो को जो उसने उनकी सहायता करने के लिये किये थे। -* __[08:02](rc://en/tn/help/obs/08/02)__ __यूसुफ__ के भाई उससे बैर रखते थे क्योंकि जब यूसुफ के भाइयो ने देखा कि हमारा पिता हम सबसे अधिक उसी से प्रीति रखता है, और यूसुफ ने स्वप्न में देखा था कि वह अपने भाइयो पर राज्य करे। -* __[08:04](rc://en/tn/help/obs/08/04)__ और व्यापारी __यूसुफ__ को मिस्र ले गए। -* __[08:05](rc://en/tn/help/obs/08/05)__ यहाँ तक की बंदीगृह में भी __यूसुफ__ परमेश्वर के प्रति निष्ठावान रहा और परमेश्वर ने उसे आशीष दी। -* __[08:07](rc://en/tn/help/obs/08/07)__ परमेश्वर ने __यूसुफ__ को यह योग्यता दी थी कि वह स्वप्न का अर्थ समझ सके, इसलिये फ़िरौन ने यूसुफ को बंदीगृह से बुलवा भेजा। -* __[08:09](rc://en/tn/help/obs/08/09)__ __यूसुफ__ ने सात वर्ष अच्छी उपज के दिनों में भोजनवस्तुएँ इकट्ठा करने के लिये लोगों से कहा। -* __[09:02](rc://en/tn/help/obs/09/02)__मिस्र वासी अब __यूसुफ__ को भूल गये थे और उन कार्यो को जो उसने उनकी सहायता करने के लिये किये थे। - -## शब्द तथ्य: ## +## शब्द तथ्य: * Strong's: H3084, H3130, G2500, G2501