“परीक्षा” का अर्थ है किसी वस्तु या मनुष्य को “परखना” या “जांचना”।
* अभियोग अर्थात् न्यायिक सुनवाई जिसमें मनुष्य को दोषी या निर्दोष सिद्ध करने के लिए प्रमाणों को प्रस्तुत किया जाता है।
* परमेश्वर द्वारा विश्वास को परखने के लिए उत्पन्न की गई कठिन परिस्थितियों को भी “परीक्षा” कहा जाता है। इसके लिए अन्य शब्द है "परीक्षण" या "प्रलोभन" विशेष प्रकार का परीक्षण है।
* बाइबल में अनेक मनुष्यों की परीक्षा ली गई थी कि परमेश्वर के प्रति उनके विश्वास एवं आज्ञाकारिता का निश्चय किया जाए। वे नाना प्रकार की परीक्षाओं से होकर निकले जैसे कोड़े खाना, बन्दीगृह में डाले जाना या विश्वास के कारण घात किए जाना।