परम्परा, प्रथाएं एवं अभ्यास थे जो दीर्घकालीन व्यवहारगत रहे और आनेवाली पीढ़ियों को दिए गए।
* बाइबल में अक्सर "परम्पराओं" शब्द जो कि लोगों द्वारा किए गए शिक्षाओं और प्रथाओं के बारे में बताया जाता है, परमेश्वर के व्यवस्थाओं के अनुसार नहीं। अभिव्यक्ति "पुरुषों की परंपरा" या "मानव परंपरा" इस स्पष्ट करता है।
* वाक्यांश जैसे कि "पुरखों की परंपराओं" या "मेरे पिता की परंपराओं" विशेष रूप से यहूदी रीति-रिवाजों और प्रथाओं के लिए विशेष रूप को संदर्भित करता हैं, जो समय के साथ यहूदी अगुवों ने मूसा के द्वारा इस्राएलियों को दिए गए नियमों में समय के साथ जोड़ा गया था। यद्यपि इन जोड़े गए परंपराएं परमेश्वर से नहीं आई थीं, और लोगों ने सोचा कि उन्हें धर्मी होना के लिए उन्हें इनका पालन करना होगा।
* प्रेरित पौलुस ने “परम्परा” को अलग तरीके से उपयोग किया मसीही अभ्यास के बारे में शिक्षाओं को जो परमेश्वर से आया था संदर्भित करने के लिए जो उसने और अन्य प्रेरितों ने नए विश्वासियों को सिखाया।
* आधुनिक समय में, कई मसीही परंपराएं हैं जो बाइबल में सिखाई नहीं जाती हैं बल्कि ऐतिहासिक रूप से स्वीकार किए गए रीति-रिवाजों और प्रथाओं का नतीजा है। ये परंपराएं हमेशा बाइबल में परमेश्वर के बारे में हमें सिखाए गए कार्यों के आधार पर मूल्यांकन की जानी चाहिए।