* __[32:04](rc://en/tn/help/obs/32/04)__ वह __कब्रों__ में रहा करता था। वह रात दिन चिल्लाता रहता था |
* __[37:06](rc://en/tn/help/obs/37/06)__ यीशु ने उनसे पूछा “तुमने लाज़र को कहाँ रखा है?” उन्होंने उससे कहा, "__कब्र__ में, आओ और देख लो |” तब यीशु रोया |
* __[37:07](rc://en/tn/help/obs/37/07)__ वो __कब्र__ एक गुफा थी जिसके द्वार पर एक बड़ा पत्थर लगा हुआ था |
* __[40:09](rc://en/tn/help/obs/40/09)__ तब यूसुफ और नीकुदेमुस, दो यहूदी याजक जिन्हें विश्वास था कि यीशु ही मसीह है, पिलातुस के पास जाकर यीशु का शव माँगा | उन्होंने उसके शव को उज्ज्वल चादर में लपेटा, और चट्टान में खुदवाई गई __कब्र__ में रख दिया | तब उन्होंने द्वार पर बड़ा पत्थर लुढ़काकर उसे बन्द कर दिया |
* __[41:04](rc://en/tn/help/obs/41/04)__ उसने कब्र के पत्थर को जो __कब्र__ के द्वार पर लगा था हटा दिया और उस पर बैठ गया, __कब्र__ की रखवाली करने वाले पहरुए काँप उठे और मृतक समान हो गए |
* __[41:05](rc://en/tn/help/obs/41/05)__ जब महिलाएँ __कब्र__ पर पहुँची, स्वर्गदूत ने स्त्रियों से कहा, “मत डरो | यीशु यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है |" आओ, यह स्थान देखो |” तब सस्त्रियों ने __कब्र__ में और जहा यीशु का शरीर रखा गया था देखा | उसका शरीर वहा नहीं था |