* वैध अभिलेखों ओर धर्म-शास्त्रों के लिए वे पुस्तक स्वरुप काम में लिए जाते थे।
* सन्देशवाहक के हाथ लाए गए उन कुंडली ग्रंथों पर मोम की मुहर लगी होती थी। जब पुस्तक (दस्तावेज़ों) प्राप्त होने पर मोम ज्यों का त्यों रहता था, तो प्राप्तिकर्ता को विश्वास हो जाता था कि उसे किसी ने खोल कर नहीं पडा है या उसमें कुछ और लिख दिया है क्योंकि उसकी मोहर अछूती है।
* इब्रानी धर्म-शास्त्र की पुस्तक (कुंडली ग्रन्थ) आराधनालयों में ऊंची आवाज़ मेवं पढी जाती थी ।