* "जल" इस शब्द का सन्दर्भ जलाशयों या अनेक जल स्रोतों से है.इसका सन्दर्भ सामान्यतः जल की बड़ी मात्रा से भी है.
* “पानी” का प्रतीकात्मक उपयोग घोर निराशा, कठिनाइयों और कष्टों के लिए भी किया जाता है. उदाहरणार्थ, परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि जब हम “पानी से होकर चलें” तब वह हमारे साथ-साथ होगा.
* “बहुत जल” इस बात पर बल देता है कि परेशानियां बहुत बड़ी हैं.
* मवेशियों और अन्य पशुओं को पानी पिलाने का अर्थ है उनके लिए "पीने के पानी की व्यवस्था करना." बाइबल के युग में पानी बाल्टी द्वारा कुएँ से निकाल कर होदे में या किसी और पात्र में डाला जाता था कि पशु उसमें से पानी पीएं.
*"गहरा" गहरे जलाशय के संदार्भ में है,जैसे सृष्टि के आरम्भ से पूर्व का गहरा जल या पृथ्वी की सतह से बहुत नीचे तक गहरा पानी जैसे समुद्र.
* पुराने नियम में परमेश्वर को उसके लोगों के लिए “जीवन जल” का सोता कहा गया है. इसका अर्थ है कि वह आत्मिक शक्ति और नवजीवन का स्रोत है.
* नये नियम में यीशु ने “जीवन जल” उक्ति का उपयोग किया है जो मनुष्य को बदलने तथा नवजीवन देने के लिए पवित्र आत्मा का कार्य है.
* “पानी भरना” का अनुवाद होगा, “बाल्टी द्वारा कूएँ से पानी निकालना.”
* “ उन में से में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी” इसका अनुवाद हो सकता है, “पवित्र आत्मा का सामर्थ्य और आशिषें उनमें से नदियों के सदृश्य बहने लगेंगी” “आशिषों” के स्थान में “वरदान” या “फल” या “ईश्वरीय गुण” का उपयोग किया जा सकता है.
* कूएँ पर उस सामरी स्त्री से बातें करते समय “जीवन जल” का अनुवाद “जीवनदायक जल” या “पानी जो जीवन देता है” किया जा सकता है. इस संदर्भ में, पानी की उपमा को अनुवाद में बनाए रखना है.
* प्रकरण के अनुसार, “पानी” और “बहुत पानी” का अनुवाद “घोर कष्ट” हो सकता है (जो आपको पानी की तरह चारों ओर से घेरे होता है) "या" कुचल डालने वाली कठिनाइयां (जैसे पानी की बाढ़) "या "बड़ी मात्रा में पानी "।